Book Title: Hajarimalmuni Smruti Granth
Author(s): Shobhachad Bharilla
Publisher: Hajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
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शन्तिलाल भारद्वाज 'राकेश' : मेवाड़ में रचित जैन-साहित्य : ERE सत्रहवीं शताब्दी में पुनः जैनों का ध्यान इस ओर आकृष्ट हुआ. हिन्दी साहित्य में यह नगर-वर्णन जैन कवियों की मौलिक देन है. मेवाड़ में निम्न नगरवर्णनात्मक काव्य लिखे गये३४. उदयपुर की गजल--कवि खेतल ने सं० १७५७ में ‘उदयपुर की गजल' नाम से उदयपुर नाम का पद्यबद्ध वर्णन किया. ७८ छन्दों की इस गजल में उदयपुर के जलाशयों, महलों, बाजारों, उद्यानों आदि का इतिवृत्तात्मक सुन्दर वर्णन मिलता है. ३५. चित्तौड़ की गजल-इसके रचयिता भी कवि खेतल ही हैं. वि० सं० १७४६ में चित्तौड़ की गजल की रचना की गई. इसमें चित्तौड़ के किले, जैनमंदिरों, प्रतिमाओं, महलों, आदि के भव्य वर्णन मिलते हैं. यह ५६ छन्दों की कृति है. इन गजलों में प्रयुक्त प्रमुख छन्द को 'गजल चाल' नाम दिया गया है और संभवतः इसीलिए इनका नामकरण गजल किया गया है. ३६. उदयपुर को छन्द-तपागच्छीय जैनाचार्य जससागर के शिष्य श्री जसवंतसागर ने सं० १७७५-६० के आसपास इस काव्य की रचना की' सं० १७७५ में, महाराणा राजसिंह के समय उदयपुर में रहकर जसवंतसागर ने कई ग्रन्थों की रचना की. आपका अधिकतर निवास उदयपुर में ही रहा जान पड़ता है. 'उदयपुर को छन्द' कृति में उदयपुर के किले, नगर, मंदिरों आदि की विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की गई. उदयपुर के अन्य वर्णनों पर भी इस छन्द की छाप है. १८ वीं से २० वीं शताब्दी के पूर्वाद्ध तक उदयपुर पर ६ वर्णनात्मक प्रशस्तियाँ प्राप्त हो चुकी हैं. ३७. भेदपाठ देशाधिप प्रशस्ति वर्णन-कवि हेम रचित यह प्रशस्ति मेवाड़ की तात्कालिक स्थिति का सुन्दर चित्र प्रस्तुत करती है. यह लगभग १५ मुद्रित पृष्ठों का काव्य है. हेम नाम के एक और भी चारणकवि हुये हैं. यह चारण हेम महाराज गजसिंह के समय में जोधपुर में हुये. मात्र इतना ही नहीं, मेवाड़ में विपुल जैन साहित्य की रचना हुई है लेकिन वह सभी अभी प्रकाश में नहीं आ पाई है.
१. जसवंत सागर कृत उदयरपु वर्णन-मुनि कान्तिसागर (मधुमती वर्ष ३-अंक ३) २. बुद्धिप्रकाश (अप्रेल में जून १६४२).
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