Book Title: Hajarimalmuni Smruti Granth
Author(s): Shobhachad Bharilla
Publisher: Hajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
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१०४ : मुनि श्रोहजारीमल स्मृति-ग्रन्थ : परिशिष्ट
श्रीपरमानन्द चोयल-हिन्दीसाहित्य में एम०ए० परीक्षा उत्तीर्ण की; किन्तु चित्रकला की ओर आपका विशेष आकर्षण रहा. जयपुर हाई स्कूल, सर जे.जे. स्कूल ऑफ आर्टस तथा लन्दन युनिवर्सिटी से विशेष डिप्लोमा प्राप्त किये, चित्रकला में राजस्थान अकादमी से पुरस्कार प्राप्त किये. टैगोर चित्र प्रतियोगिता में भी आप पुरस्कृत हुए. आप राजस्थान के वरिष्ठ चित्रकलाकार हैं।
श्री पारसमल प्रसून-प्रसून लघुकथाएं लिखने में अत्यन्त कुशल हैं. हिन्दी में एम०ए० और साहित्यरत्न हैं। धार्मिक स्वाध्याय और शिक्षण में विशेष रुचिसम्पन्न हैं. स्वाध्यायसंघ जयपुर के सदस्य होने के नाते पर्युषण पर्व के प्रसंग पर यत्र-तत्र प्रवचन करने जाया करते हैं । 'जिनवाणी' (जयपुर) के सहसम्पादक हैं।
श्री परमानन्द शास्त्री-शास्त्रीजी ने गणेश जैन विद्यालय सागर में अध्ययन करके साहित्य के क्षेत्र में प्रवेश किया. आप साहित्यिक एवं ऐतिहासिक अनुसंधान में विशेष अभिरुचि रखते हैं. लगभग १५० निबन्ध लिख चुके हैं. समाधितन्त्र, इष्टोपदेश आदि ग्रंथों का अनुवाद किया है. 'अनेकांत' के सम्पादक हैं और हिन्दी जैन कवियों का इतिहास तैयार कर रहे हैं.
मुनि श्रीपुर यविजयजी-मुनि श्री की कठोर साहित्यसाधना से विद्वद्वर्ग भलीभांति परिचित है। दर्शन, इतिहास, पुरातत्त्व एवं संस्कृत-प्राकृत आदि भाषाओं के तलस्पर्शी पण्डित हैं। जैसलमेर-शास्त्रभंडार के आप उद्धारक हैं। निन्तर साहित्यसेवा में निमग्न रहने वाले और वृद्धावस्था में भी चैन न लेने वाले इस तपस्वी की जितनी सराहना की जाय, थोड़ी ही रहेगी।
श्रीपुरुषोत्तमलाल मेनारिया--जन्मस्थान उदयपुर (राज.) हिन्दी में एम० ए० और साहित्यरत्न करने के पश्चात् आप गहरी लगन के साथ साहित्य विशेषतः राजस्थानी साहित्य की सेवा में निरत हैं. राजस्थान विद्यापीठ-शोधसंस्थान के संचालक, शोधपत्रिका के संस्थापक-सम्पादक, राजस्थान विद्यापीठ कालेज के प्रिंसिपल आदि पदों पर सफलतापूर्वक कार्य कर चुके हैं. इस समय राजस्थान सरकार के राजस्थान प्राच्य विद्याप्रतिष्ठान जोधपुर में प्रवर शोधसहायक हैं. राजस्थान की रसधारा, राजस्थानी भाषा की रूपरेखा और मान्यता का प्रश्न, राजस्थान की लोककथायें, राजस्थानी वार्ता, राजस्थानी लोकगीत, राजस्थानी लोककथायें आदि-आदि अनेक रचनायें प्रकाशित हो चुकी हैं. राजस्थानी साहित्यजगत् में आप की सेवायें प्रशस्य हैं.
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