Book Title: Hajarimalmuni Smruti Granth
Author(s): Shobhachad Bharilla
Publisher: Hajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
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नेमिचन्द्र शास्त्री : संस्कृत कोषसाहित्य को प्राचार्य हेम की देन : ८०३
उपसंहार : आचार्य हेमचन्द्र ने अभिधानचिन्तामणि कोष द्वारा संस्कृत कोषसाहित्य को अपूर्व रत्न प्रदान किया है. इस कोष का संस्कृति, साहित्य, भाषाविज्ञान एवं नवीन शब्दराशि की दृष्टि से अद्वितीय स्थान है. संस्कृत के अन्य कोषों में न तो इतने अधिक शब्द ही मिलते हैं और न सांस्कृतिक शब्दावलि की इतनी स्पष्ट व्याख्याएँ ही की गयी हैं. यह कोष अपार शब्दराशि का प्रयोग करने की दिशा की ओर संकेत करता है. हेम ने अपनी अलौकिक प्रतिभा द्वारा इस कोश को इतना सम्पन्न और समृद्ध बनाया है, जिससे अकेले इस कोष को अपने पास रख लेने से शब्दविषयक सांगोपांग जानकारी प्राप्त की जा सकती है. अन्वेषक प्रतिभाओं को इस कोष में इतनी सामग्री उपलब्ध होगी, जिससे दो-तीन शोध-प्रबन्धों का निर्माण विभिन्न दृष्टियों से सहज में किया जा सकता है. वास्तव में आचार्य हेम की, संस्कृत कोषसाहित्य को यह अपूर्व देन है. आचार्य का गहन तत्त्वस्पर्शी पाण्डित्य एवं बहुज्ञता इस कोष के द्वारा सहज में जानी जा सकती है. धन्य हैं आचार्य हेम और धन्य हैं उनकी कोषविषयक अपूर्व विद्वत्ता!
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