Book Title: Hajarimalmuni Smruti Granth
Author(s): Shobhachad Bharilla
Publisher: Hajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
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(आ) अथि अवन्ति नाम जणव । तत्य उज्जेणी नाम नयरी रिद्धिस्थिमियसमिद्वा ।
वसुदेव हिंदी पृष्ठ, ४९. ४. चण्डप्रयोतनाग्नि नरसिंहे अवन्ति जनपदाधिपत्यमनुभवति नव कुत्रिकापण उज्जयिन्यामाखीरन्. - बृहत्कल्पसूत्र सटीक भाग ४, पृष्ठ ११४५.
ऐसा ही उल्लेख दिगम्बर ग्रन्थों में भी आया है:
जैनाचार्य विजयेन्द्र सूरीश्वर तुम्बयन और आर्थव ६३
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अवन्तिविषयः सारो विद्यते जनसंकुलः | १| जिनायतन साणूर सौधापणविराजितः । रायास्ति कृतिसंयामा श्रीमज्जयिनी पुरी २
- हरिषेणाचार्य कृत बृहत्कथाकोष, पृष्ठ ३.
इन प्रमाणों से स्पष्ट है कि अवन्ति देश की राजधानी उज्जयिनी थी और उसे राष्ट्र के नाम पर अवन्ति भी कहते थे. और उस अवन्ति देश में ही, जो दक्षिणापथ में था, तुम्बवन था, जिसका उल्लेख जैन, बौद्ध और हिन्दू सभी ग्रन्थों में मिलता है.
इसकी स्थिति अब पुरातत्त्व से निश्चित हो गई है. प्राचीन काल के तुम्बवन का अर्वाचीन नाम तुमेन है. यह स्थान गुना जिले में है. बीना-कोटा लाइन पर स्थित टकनेरी (जिसे पछार भी कहते हैं. इसका वर्तमान नाम अशोक नगर है. ) से ६ मील दूर दक्षिण पूर्व में तुमेन स्थित है. यह अशोक नगर बीना से ४६ मील और गुना से २८ मील दूर है. इस तुमेन में एक शिलालेख मिला है, जिसमें तुम्बवन का उल्लेख है. उसका जिक्र हम ऊपर कर आये हैं. वहां एक और शिलालेख मिला है, जिसमें एक सती के दाह का और छत्री बनाये जाने का उल्लेख है. 3
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आर्य वज्र
इसी तुम्बवन में आर्यवज्र का जन्म हुआ था. इनका चरित्र परिशिष्ट पर्व ( सर्ग १२, पृष्ठ २७०-३५० द्वितीय संस्करण ) उपदेशमाला सटीक (२००-२१४), प्रभावक चरित्र (३८) कृषिमंडल प्रकरण (१६२-२-१११-१), कल्पसूत्रसुबोधिका टीका आदि ग्रंथों में मिलता है.
उनके पिता का नाम धनगिरि था. उनके लिए इब्भपुत्र लिखा है. इब्भ शब्द का अर्थ हेमचन्द्र ने देशीनाममाला * में लिखा है.
इमो वणि
इब्भ और वणिया दोनों समानार्थक हैं. उनका गोत्र 'गौतम लिखा है. धनगिरि धर्मपरायण व्यक्ति थे. जब उनके विवाह की बात उठती तो वे कन्या वालों से कह आते कि मैं तो साधु होने वाला हूं. पर, धनपाल नामक एक श्रेष्ठी ने अपनी पुत्री सुनन्दा का विवाह धनगिरि से कर दिया. अपनी पत्नी को गर्भवती छोड़कर धनगिरि ने सिंहगिरि से दीक्षा ले ली. कालान्तर में जब बच्चे का जन्म हुआ तो अपने पिता के दीक्षा लेने की बात सुनकर बालक को जातिस्मरण ज्ञान हुआ.
१. उज्जयिनी स्याद् विशालावन्ती पुष्पकर सिडनी.
--- अभिधानचिंतामणि, भूमिकांड श्लोक, ४२, पृष्ठ ३१०.
२. ग्वालियर राज्य के अभिलेख, पृष्ठ ७१.
३. उपदेशमाला सटीक, गाथा ११०, पत्र २०७, ऋपिमंडल प्रकरण, गाथा २, पत्र १२-१. परिशिष्ट पर्व, द्वादशसर्ग, श्लोक ४,
पृष्ठ २७०.
४. देशांनाममाला प्रथम वर्ग श्लोक ७६ पृष्ठ २८ ( कलकत्ता विश्व ० ) अभिधानचिंतामणि में लिखा है - 'इभ्य आढ्यो धनीश्वरः
( मर्त्यकांड, श्लोक २१, पृष्ठ १४७). ऐसा ही उल्लेख पाइअ जच्छीनाममाला में है अड्ढा इभा धणियो' (पृष्ठ १२) ५. अज्जवइरे गोयम सगुत्ते कल्प सू० सुबो० टी० पत्र ४६३.
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