Book Title: Hajarimalmuni Smruti Granth
Author(s): Shobhachad Bharilla
Publisher: Hajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
View full book text
________________
स्वागत प्रभात के प्रभा-पुत्र !
स्वागत ! जन-मानस के मानधनी, स्वागत ! धरती के कण-कण का,
नील गगन का मुक्त पवन का जन-जन का स्वागत ! स्वीकारो है धवल नवल प्रिय विमल
तुम्हारा सत् शिव सुन्दरस्वर-स्वर मधुर-मुखर मन स्वागत ! श्रद्धा भाव-भावना-भू तुम्हारा शाश्वत स्वागत !
उतरो नीलाभ गगन से
विचरो मानस की लहरों पर बैठा निर्मल तल में डुबकी लगाकर
मुक्त करो स्नेहिल सीपी कोचुन-चुन बीनो विवेक के मोती ये अनमोल ! भोले ! ये मोती अनबोले ! शान्ति क्षितिज पर सत्य-सूर्य चमका है. स्वागत ! प्रभात के प्रभा-पुत्र ! ये धाकुल नयन हजारों दर्शन के प्यासे हैं. हलसो हिमहिय हरखो हे हितकारी स्वागत ! संत हजारी ! श्री ओंकार पारीक
वह देवपुरुष महान् सात्विकता के पावन प्रतीक, महानता में सूर्य सम,
दिव्य ज्ञान का दे प्रकाश, मिटाया हृदय का घोरतम.
याद रहेगा युग-युग तक वह, अमरता का सुरम्य ज्ञान.
दिया कभी था जो वसुधा को तुमने देव-पुरुष महानु
सौ० मदनकुँवर पारख
विभिन्न लेखक : संस्मरण और श्रद्धाजलियाँ : १२१
गौरव गान
[ तर्ज
- देख तेरे संसार की हालत
स्वामी हजारीमल गुरुवर के, गाओ गौरव गान । जिससे होवे परम कल्याण || टेर ॥
सम्यक् पाला संयम गुरुवर, सम्यक् पाया ज्ञान । निर्मल गुण रतनों की खान ॥
नन्द कुँवर बाई का जाया, अखिल विश्व में सुयश कमाया । संयम साध उच्च पद पाया, सत्-पुरुषों में नाम कमाया,
जीवन मेरा उन्नत होवे ऐसा दो वरदान जिससे होवे परम कल्याण
जय गच्छ नायक पूज्य हजारी, शुद्ध करणी कर आतम तारी । उज्ज्वल यश की किरणें सारी, फैल रही है देव! तुम्हारी ॥
मेरे मन के पूरण करदो अब सारे अरमान जिससे होवे परम कल्याण-
'ब्रज' मुनिवर हैं 'मधुकर' प्यारे, जगमग चमके शिष्य तुम्हारे । जैन जगत् के दिव्य सितारे, मन गण के एक सहारे ॥
जन
संयम पथ के साधक स्वामी पाली जिनवर आन जिससे होवे परम कल्याण
तब चरणों में शीश झुकाऊँ, श्रद्धा के दो पुष्प चढ़ाऊँ । मन मन्दिर में तुम्हें बिठा विमल प्रेम की ज्योति जगाऊँ ॥
'हीरा मुनि' नित बलि २ जाये जैन धर्म की शान जिससे होवे परम कल्याण
श्री हीरा मुनि जी म० 'हिमकर'
303003003003030
nelibrary.org