Book Title: Hajarimalmuni Smruti Granth
Author(s): Shobhachad Bharilla
Publisher: Hajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
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२७४ : मुनि श्रीहजारीमल स्मृति-ग्रन्थ : द्वितीय अध्याय
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हिन्दू देवताओं को जैन लोग भी पूजते हैं तथा जैनियों के यहां जन्म, मृत्यु व शादी के अवसर पर विविध संस्कारों के लिए ब्राह्मणों को भी बुलाया जाता है. इसके बाबजूद भी Theism से जैनधर्म ने कभी समझौता नहीं किया. जैन धर्म जैसा आज से करीब दो ढ़ाई हजार वर्ष पूर्व था, वैसा ही, अपने उसी मूल रूप में आज भी है. ' यद्यपि संख्या में जैन लोग भारत के अन्य किसी भी धर्म के मतानुयायियों की अपेक्षा कम हैं, पर भारत के दैनिक सामाजिक एवं राजनैतिक जीवन में ये बड़े ही प्रभावशाली रहे हैं. इसका मुख्य कारण इनकी संपन्नता, इनका अतुल वैभव एवं शिक्षा का उच्च स्तर है. इस बात की किंचित् भी सम्भावना नहीं की जानी चाहिए कि ये लोग हिन्दुत्व के विशाल सागर में समाकर अपना स्वतन्त्र अस्तित्व समाप्त कर देंगे.... ...इनके अहिंसा सिद्धान्त का आधुनिक भारत पर जो प्रभाव पड़ा है, उसका पूरा-पूरा श्रेय उन्हें नहीं मिल सका है. महात्मा गांधी के जीवनदर्शन पर जिन कुछ मुख्य बातों के प्रभाव का अभी तक पता चल सका है, उसमें जैनधर्म का प्रमुख स्थान है. अपनी युवावस्था में ही गांधीजी जैन साधुओं से प्रभावित हो चुके थे. इस बात में कोई संदेह नहीं कि गांधीजी का अहिंसा का सिद्धान्त वस्तुतः जैन धर्म की ही देन है तथा इस बात के लिए गांधीवादी जैनियों के सदा ऋणी रहेंगे." करीब दो वर्ष पूर्व बालकों के लिए उपयोगी एक छोटी सी पुस्तक यहां प्रकाशित हुई थी. इस पुस्तक का नाम है "एनसियेण्ट इण्डिया" और इसके लेखक हैं श्री ई० रायस्टन पाइक. १३ से १५ वर्ष तक के बालकों के लिए लिखित इस पुस्तक में प्राचीन भारत का परिचय १० परिच्छेदों में दिया गया है. इसमें से एक परिच्छेद भगवान् महावीर के सम्बन्ध में है. जिसका शीर्षक है "दी प्रिंस हू बिकेम ग्रेट हीरो' The prince who became great hero (अर्थात् वह राजकुमार जो महाबीर बना) 'ग्रेट हीरो' वस्तुतः महावीर का ही अंग्रेजी अनुवाद है, पर मैं समझता हूँ कि हिन्दी में 'महावीर' का जो शाब्दिक अर्थ होता है, अंग्रेजी में 'ग्रेट हीरो' का अर्थ उससे कहीं अधिक प्रभावोत्पादक है. ऐसा लिखने का मेरा अभिप्राय मात्र इतना ही है कि इस पुस्तक के लेखक की दृष्टि में महावीर का स्थान काफी ऊंचा है. जैसा कि मैं पहले लिख चुका हूं, उक्त पुस्तक प्राचीन भारत से संबन्धित है, अतः भगवान् महावीर सम्बन्धी इस परिच्छेद में भी तत्कालीन भारतीय पृष्ठ भूमि में ही भगवान् महावीर का विवरण दिया गया है. लेखक ने बड़ी ही सरल एवं सुबोध शैली में पहले महावीर के समय के भारत का परिचय देते हुए विम्बसार, अजातशत्रु, वैशाली, कोशल आदि का विवरण दिया है. अजातशत्रु का उल्लेख करते हुए लेखक ने लिखा है कि उसने महावीर और बुद्ध दोनों के दर्शन किये थे और वह उनसे काफी प्रभावित भी हुआ था. महावीर के अवतरण के पूर्व सर्वत्र हिंसा का बोलबाला था. पशुबलि चरम सीमा पर थी. मंदिरों में इस कार्य के लिए विशेष स्थान नियत कर दिये गए थे और देवताओं के नाम पर प्रतिदिन अनेक मुक पशुओं की बलि दी जाती थी. जातिवाद की प्रथा भी उन दिनों इस प्रकार व्याप्त थी कि कुछ इने-गिने लोगों को छोड़कर अधिकांश का जीवन बड़ी विपन्न अवस्था में बीतता था. केवल ब्राह्मणों को ही वेद पढ़ने-पढ़ाने या तत्सम्बन्धी ज्ञान प्राप्त करने का अधिकार था. इतना ही नहीं, भगवान् की पूजा-आराधना भी हर कोई नहीं कर सकता था. केवल ब्राह्मणों की कृपा से ही कोई व्यक्ति किसी प्रकार का धार्मिक कार्य कर सकता था. इसका एक मुख्य कारण यह भी था कि उन दिनों ब्राह्मणों ने धर्म को इतना जटिल बना दिया था, धर्म सम्बन्धी प्रत्येक क्रियाकलाप ऐसी-ऐसी रूढ़ियों एवं संस्कारों से ग्रसित कर
Nicolson, 1961) Young
१. Ancient India; by E. Royston Pike. (London, Weidenfeld and
enthusiast library: The young historian series. No. 5.
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