Book Title: Hajarimalmuni Smruti Granth
Author(s): Shobhachad Bharilla
Publisher: Hajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
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रमेश उपाध्याय : सत्यं शिवं सुन्दरम् : ४६६
we express a deeper sense than when we say, Beauty is the pilot of the young Soul. (सच्ची पौराणिकता में प्रेम एक अमर शिशु है और सौन्दर्य उसका पथ-प्रदर्शक है. जब हम कहते हैं कि सौन्दर्य शिशु आत्मा का चालक है, तो इससे अधिक गहन अर्थ को अभिव्यक्त नहीं कर सकते.) प्रेम मानव मात्र की सीमाओं से परे सम्पूर्ण विश्व पर छाया हुआ है. एकता एवं सहकार की भावनाएं प्रेम से उत्पन्न होती हैं और प्रेम-पाश फैकने वाले अदृश्य हाथ सौन्दर्य के होते हैं. हमें भद्दी और कुरूप वस्तुओं से भी स्नेह क्यों हो जाता है क्योंकि हम उस वस्तु की सतही आकृति के नीचे उसके अंतराल में झांकते हैं, जहां सौन्दर्य की विपुल सृष्टि हमारा आवाहन करती है. सोक्रेटीज या कौटिल्य की कुरूपता उनके आत्म सौन्दर्य को ढंक नहीं सकी. गांधी सत्य के पुजारी और मानवता के हितकारी होकर भी राम की मनोहर मूर्ति के उपासक थे क्योंकि राम सौन्दर्य के प्रतीक भी थे—अपनी सम्पूर्ण मर्यादाओं के साथ. कौटिल्य को युद्ध की वीभत्सता में रण-देवी के तेजस्वी और सुन्दर स्वरूप के दर्शन होते थे क्योंकि उनके अन्तर में सौन्दर्य की व्यापक चेतना थी. जो लोग कौटिव्य को नीरस-राजनीतिज्ञ और अर्थशास्त्री मानते है वे 'मुद्रा राक्षस' में उनके हृदय की सौन्दर्य प्रियता के दर्शन करके अपनी भूल सुधार सकते हैं. 'सत्यं शिवं सुन्दरम्' के विस्तृत विवेचन में अनेक ग्रंथ लिखे जा सकते हैं-लिखे भी जा चुके हैं. आवश्यकता है इन्हें अपने जीवन में समन्वित रूप से उतार लेने की. मन, वचन, कर्म से इन्हें अपने आचरण में उतार कर मानवता की सेवा के प्रयत्नों की सुदीर्घ परम्परा में उज्ज्वल कड़ियां जोड़ते चलना मनुष्य का लक्ष्य भी है, और कर्तव्य भी.
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