Book Title: Hajarimalmuni Smruti Granth
Author(s): Shobhachad Bharilla
Publisher: Hajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
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जुगलकिशोर मुख्तार : सकाम धर्मसाधन : ४५३ पाता है. 'धर्मो रक्षति रक्षितः' की नीति के अनुसार रक्षा किया हुआ धर्म ही उसकी रक्षा करता है---और उसके पूर्ण विकास को सिद्ध करता है. ऐसी हालत में सकाम धर्मसाधन को हटाने और धर्म की विडम्बनाओं को मिटाने के लिये समाज में पूर्ण आन्दोलन होने की जरूरत है, तभी समाज विकसित तथा धर्म के मार्ग पर अग्रसर हो सकेगा, तभी उसकी धार्मिक पोल मिटेगी
और तभी वह अपनी पूर्वगौरव-गरिमा को प्राप्त कर सकेगा. इसके लिये समाज के सदाचारनिष्ठ एवं धर्मपरायण विद्वानों को आगे आना चाहिए और ऐसे दूषित धर्माचरणों की युक्ति-पुरस्सर खरी-खरी आलोचना करके समाज को सजग तथा सावधान करते हुए उसे उसकी भूलों का परिज्ञान कराना चाहिए. यह इस समय उनका खास कर्त्तव्य है और बड़ा ही पुण्य कार्य है. ऐसे आन्दोलन द्वारा सन्मार्ग दिखलाने के लिये समाज के अनेक प्रमुख पत्रों को अपनाअपना—पवित्र कर्त्तव्य समझना चाहिए.
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