Book Title: Hajarimalmuni Smruti Granth
Author(s): Shobhachad Bharilla
Publisher: Hajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
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२०० : मुनि श्रीहजारीमल स्मृति-ग्रन्थ : प्रथम अध्याय
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मोखमजी स्वामी, पूज्य श्रीमोतीरामजी म. पिण प्रभावशाली होई ने धर्म ने ऊंचो लाया. (२१) पूज्य श्रीनाथूरामजी म०-और श्रीरूपचन्दजी म० पिण गुरु भाई हा. प्रचार घणो कियो. यू० पी० प्रांत, भरतपुर, धोलपुर, भटिंडा, बीकानेर आदि में प्रसिद्ध पुरुष हा. पं० ऋषिराजजी म०, भज्जूलालजी म०, श्रीविनेचन्दजी म०, बड़ा कविरत्न, पंडितराज और वादीमानमर्दन हा. उणां रा बनायोडा पथ अनेक है. श्रीअगरचन्दजी म० अलवेला मस्त चमत्कारी साधु धर्म रा पालक हा. (२२) पूज्य श्रीमाधवमुनिजी म०-आप जाति रा ब्राह्मण हा और धर्मदासजी मरी संप्रदाय रा आचार्य हा. महाविद्वान् क्रियापात्र तथा बड़ा वीर पुरुष हा. व्याख्यान भी घणो असरकारक हो. ने चर्चावादी ने कवि महान हा. केइ ग्रंथ आपरा बनायोडा है. बड़ा-बड़ा पंडितां सुं टक्कर लीवी ने उन्होंने आगे नहीं आवण दिया. पल्लीवाल भायां ने दिगम्बर लोगों ने समझाय ने धर्म में दृढ़ किया. एक बार एक दिगंबरी भाई पूछियो के आप मुंडा ऊपर पाटी क्यों बांधो हो ? आप फरमायो के पहली तो यो धर्म रो चिन्ह है, दूसरी बात जीवांरी जतना रे वास्ते है. तीसरी बात कोई जीवजंतु मुंडा में बड़े नहीं, इण वास्ते बांधा हां. वो भाई मजाक करी के यों कोई मुंडा में थोड़ा ही बड़े है. आ तो बात गलत है. इत्ता में तो उनरा खुला मुंडा में माखी बड़ गई ने नीचे उतर गइ. वमन होवण लागी ने घणो दुख पायो. जद वो साची मानी के महाराज, आज तूं मैं मुखपत्ति जरूर बांबूला. केणो साचो है. कविता में अनुप्रास अलंकारां री झड़ बांध देता हा. अनुशासन आपरो बडो करडो हो. छोटी उमर में ही सर्वधर्म सम्मेलन में जैन-समाज रा प्रतिनिधि बण ने मथुरा, जयपुर चौमासो कर पधारता हा, मार्ग में अक्समात् स्वर्ग पधार गया. और धर्मदासजी म० रा सिंघाड़ा में श्रीनरोत्तमदासजी महाराज, श्रीकासीरामजी महाराज, श्रीज्ञानचंदजी महाराज, श्रीचंपालालजी, म०, पूज्य श्रीनंदलालजी म०, श्रीचुन्नीलालजी म०, श्रीपूर्णमलजी म०, श्रीताराचन्दजी म०, तपस्वी श्रीभगवान्दासजी म०, श्रीइन्दरमलजी महाराज आदि घणा उंचा क्रियापात्र, प्रभावशाली, चमत्कारी और श्रद्धाशील पुरुष हुवा ने धर्म ने घणो दिपाय ने आछी गति में पधारिया. (२३) पूज्य श्रीतिलोक ऋषिजी महाराज-महाकवि, सुन्दर लेखक, चित्रकार, पंडित और सरल प्रकृति रा धणी हा. आप लाखां श्लोकां रा ग्रंथ बनाया. महाराष्ट्र में घणो नाम दिपायो. आयुखो थोड़ा पाया पिण आपरी कृतियां सुं अमर हो गया. पू० श्रीरत्नऋषिजी म. पिण विद्वान् हा. पूज्य श्रीअमोलकऋषिजी म० तो महा उपकारी हा. समाज रो बच्चो बच्चो जाण रयो है. सब सुं बड़ी बात तो आ किवी के महामंगलीक ३२ सूत्रां रो हिन्दी अनुवाद करने छपाया पांच वर्षा रा थोड़ा समय में. इणरे सिवाय और भी घणा ग्रंथ बणाया. ऐडा आप उद्योगी पुरुष हा. आपरा भक्त लालाजी सुखदेवसहाय ज्वालाप्रसादजी सरीखा दानेश्वरी ने आप सरीखा ज्ञान रा उद्योगी सायत ही सवाज में फिर पैदा होवेला. आप सरल कवि हा. अनेक चरित्र बनाया हा. जिण पर भी आप में मान री मात्रा नहीं ही. विनय रो गुण तो इतो उचो हो के प्रभात रा बेगा उठ ने छोटा सं छोटा सन्तां ने पिण आप वंदन कर लेता. धन्य है ऐडा महा पुरुषां ने. इत्ता पुरुषां सं ही जैनधर्म दीपे है. तपस्वीजी देवजी ऋषिजी महाराज ज्योतिविद श्रीदौलतरामजी म०,कवि श्रीअमी ऋषिजी म० पिण क्रियापात्र तथा निर्भीक आचारी हा. (२४) पूज्य श्री भगवानदास जी म०-खंभात सम्प्रदाय में घणा प्रभावशाली हुवा. हजारां भावसार जातिरा लोगां ने दया-धर्मरा अनुयायी तथा मजबूत बणाया. पूज्य श्री छगनलालजी म. पिण उग्र विहारी हा तथा संप्रदाय री व्यवस्था आछी राखी ही. (२५) पूज्य श्रीमूलचन्दजी म.-श्री धर्मदासजी म० रा चेला हा, आप काठियावाड में धर्म रो प्रचार कियो. घणा परिषह खमिया. घणी चर्चा वार्ता कर वादियों ने पेमाल किया. पूज्य श्रीअजरामरजी महाराज लिबंडी सम्प्रदाय रा प्रवर्तक हा. आपरो आतापनाकर्म घणो बधियो. स्वामीजी श्रीलाघाजी म०, श्रीखोडीदासजी म०, श्री अंबादास जी म०, यह तीनों ही गुजराती भाषा रा ऊंचा लेखक तथा कवि हा. आ० मूलचन्द जी म. रा अनुयायी वोटाद नो सिंघाड़ो, गोंडल रो सिंघाड़ो, छोटा स्वामी जी रो सिंघाड़ो, वरवालारो सिंघाडो आठ कोटी छोटी पक्ष बड़ी पक्ष आदि सारा है-इणां में उपाध्याय देवचन्द्रजी म०, श्री ज्ञानचन्दजी म०, नागचन्द्रजी म० घणा प्रसिद्ध पुरुष हुवा है.
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