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भगवती सूत्र-श. १ उ. १ नारक जीवों का वर्णन
समस्त कर्मों के क्षय रूप मोक्ष का क्रम बतलाने के लिए इन नौ पदों की चर्चा की गई है। केवलज्ञान और मोक्ष दोनों ही परम मांगलिक हैं । अतः प्रारम्भ में इनकी चर्चा करना संगत ही है।
आचार्य सिद्धसेन दिवाकर ने भी स्वरचित सम्मति तर्क ग्रंथ में इन नौ पदों के इसी अर्थ की पुष्टि की है।
किसी आचार्य का अभिप्राय है कि ये नौ पद सिर्फ कर्म के विषय में ही सीमित नहीं हैं अपितु ये वस्तु मात्र के लिए लागू होते हैं। पहले के चार पद उत्पत्ति के सूचक हैं और अन्त के पाँच पद विनाश के सूचक हैं। इन्हें प्रत्येक विषय पर घटाया जा सकता है। क्योंकि प्रत्येक वस्तु उत्पाद और विनाश से युक्त है।
नारक जीवों की स्थिति आदि का वर्णन३ प्रश्न-णेरइयाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पण्णता ?
३ उत्तर-गोयमा ! जहण्णेणं दस. वाससहस्साई, उनकोसेणं तेत्तीस सागरोवमाइं ठिई पण्णत्ता।
४ प्रश्न-परइया णं भंते ! केवइकालस्स आणमंति वा ? पाणमंति वा ? उससंति वा ? णीससंति वा ?
४ उत्तर-जहा उसासपए। ५ प्रश्न-गेरइया णं भंते ? आहारट्ठी ? ५ उत्तर-जहा पण्णवणाए पढमए आहारुद्देसए तहा भाणि
यव्वं ।
गाहाठिई उस्सासाऽऽहारे किं वाऽऽहारेंति सव्वओ वा वि । कइभागं सव्वाणि व, कीस व भुजो परिणमंति ?
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