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मंगलजी भंशाली समर्पित भाव से मानव सेवा के कार्य में लगातार आगे बढ़ रहे है, परिवार के धार्मिक एवं मानव सेवा के कार्य में लगे गुए है । यह श्री माणक सा. द्वारा दिए गए संस्कार ही है कि हम अपने परिवारो को आज साथ लेकर चल रहे है । हर कार्य मै करता हुं और सोचता हूँ कि अगर आज माणक सा. होते तो मै कैसे करता या उनका क्या आदेश होता उसी तरह मै उस कार्य को करने की कोशिश करता हूँ।
___ मै सदैव ऋणी हुँ, रहुंगा आदरणीय माणक सा. का व भंशाली परिवार का... प्रणाम। अंत में चार पंक्तियों के साथ कलम को विराम,
मीठी मधुर स्मृतियां आपकी, कभी नहीं मिट पाएगी । आपका व्यवहार, आपकी बात सदैव हमें याद आएगी॥ आपका विरल व्यक्तित्व प्रेरित सदा करते रहेगा।
आपका आत्मविश्वास, हममें होलाला भरता रहेगा। मेरी अनुभूति के साथ विनम्र हृदय से माणक सा. को भावांजलि । रतलाम
मुकेश जैन
०८.०१.२०१४
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