Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 07
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुधा विभाग : 7 संपादकःसंशोधकश्च प.पळ्यास प्रीमिनेन्द्रविजयजी गणिवर Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ த்த்த்த்த்த த்தத்தத்ததகல்காக்த்தகத்தக்கத்தக்கத்தடித்தல்கட்கத்துத்த்த்த்த்த க கத்திக்கத்தக श्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला-ग्रन्थाङ्कः-७४ __ श्री महावीर जिनेन्द्राय नमः। तपोमूर्ति पूज्याचार्यदेवश्रीविजयकर्पूरसूरिगुरुभ्यो नमः / हालारदेशोद्धारक-पूज्याचार्यदेवश्रीविजयामृतसूग्गुिरुभ्यो नमः / आगम-सुधा-सिन्धुः सप्तमो-विभागः श्रीजम्बूदीपप्रज्ञप्ति-श्रीचन्द्रप्रज्ञप्ति-श्रीसूर्यप्रज्ञप्तिश्रीमदुपाङ्गपञ्चकात्मक-श्रीनिरयावलिकाख्योपाङ्गाष्टकात्मकः addoblatobootolottolololololololololololoOOOOoootgooloploOTO TODO सम्पादकः संशोधकच तपोमृति-पूज्याचार्यदेवश्रीमद्विजयकपूरसूरीश्वर-पट्टालङ्कार-हालारदेशोद्धारक- कविरत्न-पूज्याचार्यदेवश्रीमद्विजयामृतसूरीश्वर-विनेयः पंन्यासश्रीजिनेन्द्रविजयगणी प्रकाशिकाश्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमालालाखाबावल-शांतिपुरी ( सौराष्ट्र) Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रकाशिकाश्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला लाखाबावल-शांतिपुरी (सौराष्ट्र) गुजरात वीर सं० 1504 ] विक्रम सं० 2034 [सन् 1978 आ आगमना अधिकारी योगवाही गुरुकुलवासी सविहित मुनिवरो छ। - मूल्य रु.७५-०० मुद्रकछगनलाल जैन के प्रबन्ध से गौतम आर्ट प्रिन्टर्स ध्यावर (राज.) Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ / संपादकीय निवेदन निष्कारणबंधु विश्ववत्सल चरमशासनपति श्रमण भगवान महावीरदेवे भव्यजीवोना हितने माटे स्थापेल शासन आजे विद्यमान छे अने विषमकालमा पण भव्य जीवोने माटे सर्वज्ञ परमात्मानुए शासन परम आलंबन रूप छ / तीर्थंकरदेवोनी अविद्यमानतामा तेओश्रीनी वाणी शासनना प्राण स्वरूप होय छे / श्री तीर्थंकरदेवो अर्थथी प्ररूपेल अने गणधरदेवोओ सूत्रथी गूथेल अ जिनवाणी हितकांक्षी पुन्यात्मामो माटे अमृत तुल्य छ / ___ विद्यमान आगम श्रुतज्ञानमा मुख्यतया 45 आगम गणाय छे / ते उपरांत पण 84 आगमनी गणतरीने हिसाब बीजु पण केटलुक आगम रूपी श्रुतज्ञान विद्यमान छ / आगम सूत्रो उपर नियुक्तिओ, भाष्यो, चूर्णिओ अने टीकाओ रचायेल छे / अने अथी सूत्र सहित आगमनी अ पंचांगी जेन शासनमा मान्य छे / तेना आधारे वर्तमान ज्ञानाचार, दर्शनाचार, चारित्राचार, तपाचार अने वीर्याचार रूप व्यवहार प्रवर्ते छे अने सम्यग्दर्शन सम्यग्ज्ञान अने सम्यक्चारित्र रूप मुक्ति-मार्ग प्रवर्तमान छ। पंचांगीनो वाचना, पृच्छना, परावर्तना, अनुप्रेक्षा अने धर्मकथा रूप पंचलक्षण स्वाध्याय जेटलो जोरदार तेटली श्री संघमां सम्यगज्ञाननी शुद्धि जोरदार, तेनाथी ज्ञानाचार उज्वल, उज्वल ज्ञानाचारथी दर्शनाचार उज्वल, उज्वल दर्शनाचारथी चारित्राचार उज्वल, उज्वल चारित्राचारथी तपाचार उज्वल अने अ चारे उज्वल आचारथी वीर्याचार उज्वल / वीर्याचारनी उज्वलताथी जैनशासन उज्वल / ए उज्वल जैन शासन सदा जयवंत वर्ते छ / ___आम शासननो आधार कहो के पायो कहो, मूल कहो के प्राण कहो, अ श्री जिनवाणी छे अने ते जिनवाणी 45 मूल आगम सहित पंचांगी स्वरूप छे / पंचांगीने अनुसरता प्रकरण प्रन्यो यावत् स्तवन सज्झाय के नाना निबंध के वाक्य स्वरूप छ। उपशम विवेक संवर ओ त्रिपदी स्वरूप जिनवाणीथी घोर पापी चिलातीपुत्र पतनना मार्गथी नीकली प्रगतिमार्गना मुसाफीर बनी गया हता। 45 मूल आगमना अधिकारी योगवाही गुरुकुलवासी सुविहित मुनिवरो छे। साध्वीजी महाराजो श्रीआवश्यक सूत्र आदि मूल सूत्रोना तेमज श्रीआचारांग सूत्रना योगवहन करवा Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संपादकीय निवेदन पूर्वक अधिकारी छ / श्रावक श्राविकाओ उपधान वहन करवा पूर्वक श्री आवश्यक सूत्रना उपरांत दशवकालिकसूत्रना षड्जीव-निकाय-नामना चोथा अध्ययन पर्यंतना श्रुतना अधिकारी छ / आम आगमश्रुतना अधिकारी मुनवरो योगवहन करवा पूर्वक योग्यता मुजब अध्ययन आदि करीने पोताना ज्ञान दर्शन चारित्रने निर्मल बनावे छ / अने योग्यता मुजब धर्मकथा द्वारा जिणवाणीनुपान करावी साधु-साध्वी श्रावक-श्राविका रूप चारे प्रकारना संघने तेमज मार्गाभिमुख जीवोने मुक्तिमार्ग प्रदान करे छ / 45 आगमसूत्रो 6 विभागोमां वहेंचायेल छ / (1) अंगसूत्रो-११ (2) उपांगसूत्रो-१२ (3) पयन्नासूत्रो-१० (4) छेदसूत्रो-६ (5) मूल सूत्रो-४ (6) चूलिकासूत्रो-३। आ सूत्रोनु स्वाध्याय आदि अध्ययन वधे ते माटे उपयोगी बने ते रीते 45 मूल सूत्रो श्वेताम्बर मूर्तिपूजक श्रीसंघमा सलंग मुद्रित नथी अने जेथी आगम सूत्रोना स्वाध्याय आदिनी अनुकूलता थाय ते माटे शक्य प्रयत्ने संशोधन करीने प्रगट कावानी योजना विचारवामा आवी छे, ते योजना मुजब 45 आगमसूत्रोनु 14 विभागोमां संपादन थशे। पहेलो, बीजो, त्रीजो, चोथो, पांचमो, छट्ठो, आठमो, अग्यारमो, बारमो, तेरमो, चौदमो विभाग प्रगट थया पछी आ सातमो विभाग संपादित थयेल छ। आ विभागमां श्री जम्बूद्वीप प्रज्ञप्तिमत्र श्री चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र सूर्यप्रज्ञप्ति सूत्र तथा पांच उपाङ्गस्परूप श्री निरयावालका सूत्र ए आठ उपांग आपेला छ। आ सूत्रोना संपादनमा बाबु श्रीधनपतसिंहजी रायबहादुर प्रकाशित सूत्रो तथा पूज्य आगमोद्धारक आचार्यदेव श्री सागरानन्दसूरीश्वरजी महाराज संशोधित श्री आगममञ्जूषा तथा शेठ श्रीदेवचन्द्र लालभाई प्रकाशित पू० उ० श्री शान्तिचन्द्रजी गणी विरचित श्रीजम्बू द्वीपप्रज्ञप्ति सटीक, जामनगर श्री वीशा श्रीमाली रापगच्छ संघ तथा आर्य श्री जम्बूस्वामी जैन ज्ञान भण्डार डभोइनी सटीक श्रीचन्द्रप्रज्ञप्तिनी प्रतो, स्थानकवासी जैन शास्त्रोद्धार समिति प्रकाशित चन्द्रप्रज्ञप्ति पुस्तक तथा श्रीआगमोद यसमिति प्रकाशित पू० आ० श्रीमलयगिरिजी महाराज विरचित श्री सूर्यप्रज्ञप्ति टीका तथा श्री आगमोदयसमिति श्री वीर समाज तथा श्री जैनधर्म प्रसारिक समा प्रकाशित पू० श्री चन्द्रसूरीश्वर विरचित श्री निरयावलिका सूत्र सटीक आदि प्राप्त प्रकाशनो नो उपयोग कर्या छ। ते ग्रन्थो ना कर्ता संपादक अने प्रकाशक प्रत्यं कृतज्ञता प्रगट करू छु। टीकाओ आदिमा रहेला पाठांतरो मेलवीने मूलपाठ जोडे कौंशमा आपेला छ / Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सपादकीय निवेदन श्री श्रमण संघमां आगमो कंठस्थ करवामां, स्वाध्याय करवामां, विस्तृत टीकाओना वांचन पछी मूलसूत्रोर्नु पुनरावर्तन करवामां, आ मूल सूत्रोना संयुक्त संपादन थी धणी अनुकूलता रहेशे अने एथी उत्साही मुनि भगवंतो होशे होशे सूत्रो कंठस्थ करीने आगम श्रुतने धारण करवा माटे पण समर्थ बनी शकशे / 2, 5, के 10, 20 सूत्र कंठस्थ करनारा घणा मुनिवरो तैयार थशे अने पुरतो प्रयत्न थाय तो लगभग एक लाख श्लोक प्रमाण मूल सूत्रो कंठस्थ करी धारी राखनारा अनेक गणो मुनिवरोमां थइ शकशे / 'ज्ञानधनाः साधवः' 'शास्त्रचक्षुषः साधवः' ए विधान मुजब श्रमण संघना प्राण समान आ आगम सूत्रोनुश्री श्रमण भगवंतो द्वारा विशेष परिशीलन थतां श्रीसंघने माटे श्री शासन ने माटे घणी उज्वलता फेलाशे अने ए आशयथी स्वपरना श्रेयकारी आगम सूत्रोनां संशोधन संपादनमा अविरत उत्साह प्रवर्तमान छ। . प्रकाशननी सगवडता माटे श्री गौतम आर्ट प्रिन्टर्स ( ब्यावर ) ना व्यवस्थापक श्री छगनलालभाई जे खंत अने उत्साह बतान्या के तेने कारणे आ प्रकाशनो समयसर प्रकाशित थइ रह्यां छे। चरम तीर्थपति श्रमण भगवान महावीर देवे प्रकाशेल जिनवाणीनो प्रभाव पांचमा . आराना छेडा सुधी रहेशे / ए ज्वलंत जिनवाणीनो प्रकाश आपणा आत्माने योग्यता अने अधिकार मुजब अजवाल नारो बने अने जिनवाणीनी आ उपासनाभक्तिमा भावना पूर्वक रस लइ रह्यो छु ते भावोल्लास टकी रहे अने सौ श्रुत आराधनामां उजमाल बनीए एज मारा अंतरनी शुभ अभिलाषा छ / वीर सं० 2504 वि० सं० 2034 / महा सुद६ सोमवार ता०१३-२ 78 मु० अलाउ (ता. धंधुका) (गुजरात) .. हालारदेशोद्धारक कविरत्न पून्य आचार्यदेव श्रीमद्विजयअमृतसूरीश्वरजी महाराजानो ____चरणसेवक पं. जिनेन्द्रविनय गणी Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ , प्रकाशकीय निवेदन अमारी ग्रन्थमाला तरफथी आ श्रीआगमसुधासिन्धु सातमो विभाग मूल प्रगट करता / आनंद अनुभवीए छीए / हालमा 45 आगम मूल अने केटलांक आगम टीका सहित प्रकट करवानु काम शरू करतां आ ग्रन्थ नागरी लिपिमा मोटा टाइपमा प्रगट करेल छ / आ प्रकाशन पूर्वे श्री आगम-सुधा-सिन्धुना पहेलो, बीजो, बीजो, चोथो, पांचमो, छट्ठो, आठमो, अग्यारमो, बारमो, तेरमो, चौदमो विभाग प्रगट थई गया छे। हवे मात्र आ श्रेणीमां 9-10 बे विभाग तथा श्री आचाराङ्ग सूत्र टीका बाकी रहे छ / आ ग्रन्थनु संशोधन संपादन हालारदेशोद्धारक कविरत्न स्व० पू० आचार्यदेव श्रीमद्विजय अमृतसूरीश्वरजी महाराजना शिष्यरत्न पू० पंन्यासश्री जिनेन्द्रविजयजी गणिवरे घणी खंतथी करेल छ / ___ कागल छपाई आदिना भाव वधवाने कारणे तेमज मर्यादित नकलो छपाती होवाथी खर्च धार्या करतां वधु आवे छे / मोटा टाइपमा मुद्रित करतां पेज पण बंधारे थाय छ / परंतु टकवानी अने अभ्यासनी दृष्टिए अनुकूलता रहेशे / आगम सूत्रोना अधिकारी योगवाही गुरुकुलवासी सुविहित मुनिओ छ / ए शास्त्रविधि मुजब पूज्य श्रमणसंधमां आगम वाचनादिमां अनुकूलता थाय ते रूप आ श्रुतभक्ति करतां अमे आनंद अनुभविए छीए। ___आ विभागमां श्री जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति आदि आठ उपाङ्ग प्रगट थई रह्यां छे। सटीक आगमोमां श्रीमदुपासकदशा सूत्र श्रीमदन्तकृदशा, श्रीमदनन्तरोपपातिकदशा तैयार थइ. गयां छ / श्री आचाराङ्गसूत्र श्रीशीलाङ्काचार्यश्रीजीनी टीका छपाय छ। मुद्रण माटे श्री गौतम आर्ट प्रिन्टर्सना व्यवस्थापकोए सारी खंत राखी छे तो तेमनो आभार मानीए छीए / वीर सं० 2504 वि.सं० 2034 पोष कृष्ण 11 लि:महेता मगनलाल चत्रभुज शाह कानजी हीरजी मोदी Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ____45 श्रागम संशोधन प्रकाशन अंगे कृतज्ञता अने अनुमोदन श्री महावीर परमात्माना शासननी विद्यमानताथी भव्यजीवो सम्यगदर्शन ज्ञान चारित्र रूप मुक्ति मार्ग पामी शके छ, तेमा पण सम्यग्दर्शननी स्थिरता अने सम्यग्चारित्रनी उज्वलतानु कारण सम्यगज्ञान छे, ए सम्यगज्ञाननी साधना ए आत्मानी निर्मलतानु मुख्य कारण छ / 45 आगम आदि सम्यग्ज्ञाननी साधना आजे प्राप्त थाय छे ते परम सौभाग्य छ, अधिकार मुजब तेनी साधनामा उजमाल बनवु ते दरेक कल्याणकामी * आत्मानी फरज छ। . . 45 आगम आदि श्रतसाहित्यनु संशोधन अने संपादन कार्य वि. * सं० 2027 मां शरु कयु अने अत्यारे सं० 2034 मां कार्य सारी रीते आगल . वध्यु छ, 78 हजार श्लोक मूल अने 4-5 हजार श्लोकनु टीकाओनु कार्य अत्यार सुधी संपादित थई प्रगट थई गयेल छ। - आ महान कार्यनो आरम्म राजकोट जयराज प्लोट अने प्रहलाद प्लोटना चातुर्मासमा सं० 2027 मां को हतो अने त्यार बाद सं० 2029 नु मलाड * वेस्ट शेठ देवकरण मुलजीभाई जैन वाडीमा चातुर्मास कयुत्यारथी वेगथी काम * चाल्यु हतुजे आ सं० 2034 मां लगभग पूर्ण थशे। - जिन आगम ए जैन धर्मना प्राण के अने ए जिन वचनथी आत्मकल्याण नो मार्ग चाले छे, एथी जिनवचन जिन आज्ञा ए आराधक माटे प्राण स्वरूप छ, जिन वचन प्रत्येना अविहड आत्मीयभावने धारण करनारा परम उपकारी पूज्यपाद गुरुदेव आचार्य भगवंत श्रीमद्विजयअमृतसूरीश्वरजी महाराजाना अनन्य उपकार वात्सल्य अने गृहण आसेवन शिक्षणना प्रतापे आ आगम संशोधन संपादन कार्यनो प्रारम्भ कार्यनी स्थिरता अने कार्यनी पूर्णाहूति थवा आवी छ, तेओश्री करुणालुनी कृपाज आ कार्यमा कारण छ, एमाथी मने बल प्राप्त थयुछे / गुरुदेवना विरह बाद जेओश्रीए सदा आत्मीय भावे शिष्य तुल्य मानीने, * जिन वचननी स्पष्टता जिन वचननी वफादारी अने श्री जिन वचननी आराधना Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रभावना अने रक्षा माटे सदाने माटे जेओश्री ए कृपा वरसावी छे एवा परम-: शासन प्रभावक जिनवचनना अजोड उपदेशक पूज्यपाद आचार्यदेवेश श्रीमद्विजयरामचन्द्रसूरीश्वरजी महाराजाना वात्सल्य मार्गदर्शन अने प्रेरणा आ आगम संपादनना कार्यमा अनन्य पल बन्या छे अने एथी आ संपादनमा जे सफलता प्राप्त थई छे तेमां बधो उपकार तारक उपकारी शासनप्राण पूज्यपाद आचार्यभगवंत श्रीजीनो छे, ए माटे तेओनो जेटलो आभार मानु तेटलो ओछो छ / वली आ आगम संपादनना कार्यमा मार्गदर्शन प्रेरणा अने उत्साह आपवा माटे स्वर्गस्थ पूज्यपाद पर्यायस्थविर आचार्य भगवन्त श्रीमद्विजयमेरुसूरीश्वरजी महाराजा तया परम शान्तमूर्ति गुरुदेवसेवारस निमग्न पूज्यपाद आचार्यदेव श्रीमद्विजयमहोदयसूरीश्वरजी महाराज तथा पूज्यपाद प्रवचन प्रभावक आचार्यदेव श्रीमद्विजयरविचन्द्रसूरीश्वरजी महाराजने जरा पण भूली शकुतेम नथी / तेओश्री आ कार्यमा सदा उत्साहप्रेरक मार्गदर्शक बनता हता, तपस्वी मुनिराज श्री नरवाहनविजयजी महाराज विचारविनिमयमा सहायक बनता हता। आगम सुधासिन्धुना आ कार्यमा एक या बीजा प्रकारे उत्साह वधारनार पूज्य आचार्य भगवन्तो, वयोवृद्ध पू० आचार्य देव श्रीमद्विजयप्रतापसूरीश्वरजी महाराज, पूज्यपाद आचार्यदेव श्रीमद्विजयरामसूरीश्वरजी महाराज ( डहेलाना उपाश्रय वाला ), पूज्यपाद आचार्यदेव श्रीमद्विजयकनकचन्द्रसूरीश्वरजी महाराज, पूज्यपाद आवायदेव श्रीमद्विजयसुदर्शनसूरीश्वरजी महाराज, पूज्यपाद आचार्यदेव श्रीमद्विजयभद्रङ्करसूरीश्वरजी म. तथा तेओश्रीना शिष्यरत्न पं. श्री पुण्यविजयजी म०, पू० आ० श्रीमद्विजयभुवनचन्द्रसूरीश्वरजी महाराज, पू० आ० श्रीविजयसोमचन्द्रसूरीश्वरजी महाराज तथा पू० पाद पंन्यासजी महाराज श्री भद्रंकरविजयजी गणिवर, पू० मुनिराज श्री जयंतविजयजी म. (त्रिस्तुतिक), पू० मुनिराज श्री जयध्वजविजयजी महाराज, पू० मुनिराज श्री जितेन्द्रविजयजी म. तथा पू० मुनिराज श्री गुणरत्नविजयजी महाराज, पू० मुनिराज श्री रत्नभूषणविजयजी महाराज मुनिराज श्रीमहाबलविजयजी महाराज मुनिराज श्री भद्रशील विजयजी महाराज आदि प्रत्ये कृतज्ञता प्रगट करू छु। मारा विनेय वेयावच्ची मुनिराज श्री योगीन्द्रविजयजी म० तरफथी आवा विशाल कार्यना संपादनमा एकाग्रपणे उद्यमशील रहेवानी खूब अनुकूलता रही छे तेनी अनुमोदना करुं छु। *xxkkkkk kkrrrrrrrrrrk Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संपादनमां जरूरी हस्त प्रतो आदि माटे, शेठ आणन्दजी कल्याणजी पेढी-* लींबडी, गोडीजी जैन मन्दिर भण्डार मुम्बइ, श्री शांतिनाथ तालपत्रीय भंडार खम्भात, श्री आर्य जम्बूस्वामी मुक्ताबाई जैन ज्ञानभंडार डभोइ, श्रीहर्षपुष्पामृत जैनः ज्ञानभंडार लाखाबावल, श्री जैनानन्द पुस्तकालय वडोदरा, श्री लालभाई दलपतभाई विद्यालय अहमदावाद, श्री वीशा श्रीमाली तपगच्छ ज्ञाति-जामनगर, शेठ आणन्दजी कल्याणजी पेढी-सुरेन्द्रनगर, आ भंडारो तथा बीजा पण अनेक भंडारो तथा संस्थाओए जरूर मुजब प्रतो आदि आपी ते माटे तेमना सहकारनी अनुमोदना करूंछु। आगमना आ विशाल कार्यनी. व्यवस्था माटे नीचेना भाविकोए उद्यम सेव्यो छे. महेता मगनलाल चत्रभुज जामनगर, शा. कानजी हीरजी जामनगर, शाह रीखवचन्द फुलचन्द मुम्बइ, शाह जेसंगलाल चोथालाल मेपाणी मुम्बइ, शाह प्रेमचन्द भारमल दोढिया-माटुंगा मुम्बई, शाह प्रेमचन्द मेघजी गुढकापरेल मुम्बई, शाह मनसुखलाल जीवराज तथा तेमना चिरंजीवी हेमेन्द्रकुमार मनसुखलाल राजकोट, स्व० शाह पोपटलाल परशोतमभाई मुम्बई, शाह वेलजी हीरजी गुढका सात रस्ता मुम्बई, शाह वालजी गणशीभाई मलाड मुम्बई, शाह जयंतिलाल त्रिभोवनदास संघवी अमदावाद, शाह हरखचन्द गोवौंदजी मारु भीवंडी, शाह नवीनचन्द्र बाबुलाल जामनगर, शाह झवेरीलाल हरशीमाई छेडा मलाड मुम्बई, शाह मुलजी डायाभाई वरली मुम्बई तथा शांतिभवन जैन उपाश्रय जामनगग्नु ट्रस्टी मंडल विगेरे तरफथी जे व्यवस्था करवामां सहयोग मल्यो छे तेमनी श्रुत तथा गुरुभक्तिनी अनुमोदना करूंछु। मुद्रण व्यवस्था माटे पिंडवाडा श्री ज्ञानोदय प्रिन्टिंग प्रेसना ट्रस्टी श्री * समरथमलजी भाई तथा श्री लालचन्द छगनमलजी भाई तथा मेनेजर श्री फतेह चन्द भाईए सहकार आप्यो छे अने ब्यावर-गौतम आर्ट प्रिन्टर्सना व्यवस्थापक श्री छगनलालजी तथा शांताक्रुझ-साईनाथ प्रेस वाला श्री तिवारी तरफथी जे * सहकार प्राप्त थयो छे तेनी नोंध लउंछु। Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * उपरांत ग्राहक बनी प्रेरणा आपी जे जे संघो तथा धर्मप्रेमी भाविकोए ते * नाभी अनामी सर्वे भाविकोना आ महान कार्यमा सहकार आपवाना शुभ आशयनी अनुमोदना कर छु। __ आगम संशोधन-संपादननुआ कार्य महान के अने शक्ति संयोग साधन समय परिमित होवाने कारणे तेमज छमस्थ सुलभ क्षति सहज होवाथी आ कार्यमा जे जे क्षतिओ रहेली होय ते ते क्षतिओ पूज्यपाद आचार्यदेवो आदि सुधारवा कृपा करे अने मने पुणः सूचित करे जेथी क्षतिनो ख्याल आवे सुधारी शकाय अने भविष्यमा पण ते सूचन उपयोगी बने / अन्ते आ कार्यमा जे सारं थयुके ते श्री महावीर परमात्मा तेमना शासन अने शासन सेवी पूज्य आचार्य भगवन्तोना प्रभावे थयुके, अने जे क्षति 4 रही छे ते मारी के अने क्षतिओ माटे अन्तःकरण पूर्वक क्षमा याचुंछु अने श्री जिनेन्द्र शासनना प्राण एवा आ आगमोनी भक्तिनो लाम सदा मले हृदयमा एज भावना राखी विरमु छु। जैन उपाश्रय भाडला (राजकोट) सौराष्ट्र सं० 2034 फागण सुद 10 / रविवार ता० 163-78 तपोमूर्ति पू० आ० श्रीविजयका रसुरिश्वरजी म. ना पट्टधर हालारदेशोद्धारक कविरत्न पू. आ. श्री विजयअमृतसूरीश्वरजी म. नो चरणकिंकर पं. जिनेन्द्रविजय गणी Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 166 170 -: अनुक्रमणिका : -::श्रीमत्पूर्वधरस्थविरव्यस्थापित ॐ श्री जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र क्रमः वक्षस्कारः पृष्ठ क्रमा कक्षस्कारः 1 प्रथम . 1 5 जिनजन्माभिषेक 2 द्वितीय 133 जम्बूद्वीप पदार्थं संग्रह 3 चक्रि वर्णन 41 7 ज्योतिषाधिकार वर्णन 4 वषधर वर्ष वर्णन श्रीगणघर देव प्रणीत श्रीचन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र 1. प्रथम मण्डल प्राभृत कम' प्राभतप्राभत पृष्ठ क्रम प्राभृतप्राभूत 1 प्रथम ऋद्धोवृद्धि 2115 पञ्चम-अवगाहन 2 द्वितीय मंडल स्थिति - 216 6 षष्ठ विकंपन 3. तृतीय परिचार 216 7 सप्तम संस्थान 4 चतुर्थ अंतर 2218 अष्टम विष्कम्भ 2 : द्वितीय प्राभृत क्रम प्राभृतप्राभूत क्रम प्राभृतप्राभूत 2 प्रथम 233 3 तृतीय 2 द्वितीय 235 पृष्ठ 224 226 228 226 पृष्ठ 3 : तृतीय प्राभूत 4 : चतुर्थ प्राभूत 5: पञ्चम प्राभृत 6 : षष्ठ प्राभृत 2417 : सप्तम प्राभूत 243 8 : अष्टम प्राभूत 246 9 नवम प्राभूत 250 250 266 .247 Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ क्रम प्राभूतप्राभूत 1 प्रथम आवलिका 2 द्वितीय मुहूर्तान 3 तृतीय एवंभाग 4 चतुर्थं योग 5 मञ्चम कुल 6' षष्ठ पूर्णमासी 7 सप्तम सन्निपात 8 अष्टम संस्थिति 8 नवम ताराग्र 10 दशम नेता 11 एकादशं चन्द्रमार्ग 10 : दशमप्राभूत . पृष्ठ क्रम प्राभृतप्राभृत 260 : 12 द्वादशं देवताध्ययन 275 261 , 13 त्रयोदशं मुहूत्तनाम 275 263 . 14 चतुर्दशं दिवसरात्रि 276 15 पञ्चदशं तिथि 276 16 षोडशं गोत्र 278 17 सप्तदशं भोजन 18 अष्टादशं आदित्यचार .... 280 270 19 एकोनविंशतितमं मास 271 20 विंशतितम संवत्सर 271 21 एकविंशतितमं ज्योतिषद्वार 282 274 - - -22 - द्वाविशतितमं नक्षत्रविजय ... 266 6 '279 312 312 319 321 पृष्ठ 11 : एकादशं संवत्सरनामप्राभृत 295 16 : षोडशं प्रामृत 12 : द्वादशं प्राभृत 297 17 / सप्तदशं प्राभूत , 13 त्रयोदशं प्राभूत . 304 18 : अष्टादशं प्राभृत .. 14 : चतुर्दशं प्राभूत 308 19 : एकोनविंशतितमं प्राभूत 15 : पञ्चदशं प्राभूत 309 20 : विंशतितम प्राभूत ____ श्री सूर्यप्रज्ञप्ति सूत्र है ... .. प्रथम प्राभूत क्रम प्राभुतप्राभृत क्रम प्राभतप्राभूत 1. प्रथम 3295 पञ्चम 2 . द्वितीय 3 तृतीय 336 7 सप्तम 4 चतुर्थ 337---8 अष्टम 2 : द्वितीय प्राभूत 'क्रस, प्राभृतप्राभृत ___ पृष्ठ क्रम प्राभृतप्राभृत : 1 प्रथम 349 3 तृतीय 2... द्वितीय 351 340 342 344 345 पृष्ठ Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 205 369 पृष्ठ 388 389 386 381 3 : ततीय प्राभूत : 356- 7 : सप्तम प्राभूत 4 : चतुर्थ प्राभूत 357 8: अष्टम प्राभत 5 : पञ्चम प्राभूत -- 360 9: नवम प्राभूत 6 : षष्ठ प्राभूत 10 : दशम प्राभत क्रम प्राभूतप्राभृत पृष्ठ क्रम प्राभृतप्राभूत 1 आवलिका 373.12 देवताध्ययन 2 मुहूर्ताग्र 37313 मुहूर्तनाम 3 एवंभाग . 375 14 दिवसरात्रि 4 योग 376 15 तिथि 378 16 गोत्र 6 पूर्णमासी 378 17 भोजन 7 सन्निपात 18 आदित्यचार 8 संस्थिति 3.1 19.. मास है ताराग्र 383 20 संवत्सर 10 नेता 383 21 ज्योतिष द्वार 11 चन्द्रमार्ग 386. 22 नक्षत्रविजय / 11 : एकादशं संवत्सर नामादि प्राभृत 406 12 : द्वादशं संवत्सर भेद'प्राभृत 13 : त्रयोदशं चन्द्रमसो वृध्यपवृद्धि प्राभृत। 14 : चतुर्दशं ज्योत्स्नाप्रमाण प्राभृत 419 15 : पञ्चदशं शोघ्रगतिनिर्णय प्राभृत . 420 16 : षोडशं ज्योत्स्नालक्षण प्रामृत .. 424 17 : सप्तदशं च्यवनोपपात प्राभृत 424 ... 18 : अष्टादशं चन्द्रसूर्यादयुञ्चत्व प्राभृत: 424 19 / एकोनविंशतितमं चन्द्रसूर्यपरिमाण प्राभृत 431 20 : विंशतितमं प्राभृत 440 362 393 363 397 409 415 Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ क्रम वर्ग 1 निरयावलिका 2 कल्पावतंसिका वर्ग 3 पुषिका वर्ग . ॐ श्री निरयावलिका सूत्र पृष्ठ क्रम वर्ग 4474 पुष्पचूलिका वर्ग 468 5 वहिदशा वर्ग पृष्ठ 462 465 47... * शुद्धिपत्रक * शुख पृष्ठ पंक्ति अशुद्ध 47 12 समुत्तजालभिरामे समुत्तजालाभिरामे 48 6 पञ्चप्पिणंति पञ्चप्पिणति 48 13 जम्मुक्क उम्मुक्क४८२१ -पवरवाहणा पवरवाहण 46 22 ०मज्झा मझो 51 24 ना त्ता ततो सघंट पृष्ठ पक्ति अशुद्ध 1 8 उत्तरपुच्छिमे उत्तरपुरच्छिमे 3 12 ०थूमियाए, जाब थुभियाए, जाव 316 पण्णत्तं पण्णत्ते 4 4 दाहिणविच्छण्णे दाहिणविच्छिण्णे 814 दाहिणभरहकूडे दाहिणभरहकूडे है 14 ज्ञया झया र सहे. चिद्रह स्सेह० चिट्ठइ 25 12 खेभंकरे खेमंकरे 25 16 सणुआ मगुआ 26 3 होस्था होत्था 26 21 संट्ठि सटुिं 31 5 समापि सामाणि 32 1 करेंति करेति 3315 3 37 8 तट्ठतेमा नद्वतेआ 41 21 ज अणविच्छण्णा जोअणविच्छिण्णा 42 2 चासरंत० चाउरंत० 42 4 कलवासंतरेण कालवासंतरेण 42 16 तरुण रस्सि तरुणरविरस्सि 42 16 उमयजोगी उभयजोणी 43 6 जोणामेवा जेणामेव 44 13 सुसंवडे सुखंबुडे 16 6 दसवद्धवण्णस्स दसद्धवण्णस्स 46 10 पमाणं पणामं 53 1 तोतो 53 20 सघट 53 22 वरवइबद्धतुवं वरवइरबद्धतुब 54 5 मदामेह महामेह 54 7 दूरूढे / दूरूढे / सू०४८॥ 55 3 : दाहिणल्लेणं दाहिणिल्लेणं 55 3 जंबुद्दीवे जंबुद्दीवे दीवे 55 14 चारतचचक्कवट्टी चाउरंतचक्कवडी 56 3 पुरस्थिाभिमुहे पुरथिमाभिमुहे 57 11 खिम्खुडाण णिक्खुडाणं 56 5 अण्ड अणह५६ 11 सवलमि० उवलभि० 63 2 पत्तंग पत्तं 66 13 गणावह 68 8 खिप्पामेवा 68 24 सुहकयच्छाई सेणावह खिप्पामेव शुहकयच्छायं Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रष्ट पंक्ति अशुद्ध शुद्ध 70 3 चउरेत० चाउरंत० 70 16 समणा समारणा 72 4 वयाणाणि वयणाणि 74 13 पट्टमालगे णहमालगे 78 21 पिच्छणो पिच्छिणो 80 6 घण्णाहिं धण्णाहिं 81 12 मुइंगत्थ एहिं मुइंगमथएहिं 86 12 विरहा विहर 1002 थुमिआ थुभिआ 13 16 भिसमाण भिसमाणा 64 3 पुणसंडेण . षणसडेण 6 2 लुरदेवीकूडे सुरादेवीकूडे 106 8 विभयमाणि विभयमाणी 116 12 विक्खंमेण विक्खभेणं 157 14 पासायमसगस्स पासायवडेंसगम्स 138 15 चिट्टा . चिटुइ 144 1 हेरणवयस्स हेरण्णवयम्स 148 15 रुअवगत्थ वाओ रूअगवत्थव्वाओ 148 16 अगायभाणीओ भागायमाणीओ 151 3 चिति चिट्ठति 151 16 कारोमणे कारेमाणे 158 11 - पिट्ठाओ पिट्टओ 156 2 परंण पण्णा 161 17 तावत्तीसरहिं तायत्तीसरहिं 165 8 अणिभिसाए. भणिमिसाए. देहमाणे पेहमाणे 166 4 गरिकता णारिकंदा 271 8 पण्णत्ता पण्णत्ते 180 4 अज्ज फज्जा 181 1 मणुसुत्तरस्स माणुसुत्तरस्स 183 1 पणज्ते पण्णत्ते 285 6 एधभेगे एगमेगे 187 6 सव्वभंतरामंडलं सव्वन्भंतरमंडलं 192 2. आभिई अभिइ 292 10 हेद्विक्षणो हेदिलामो पृष्ठ पंक्ति मशुद्ध शुद्ध 20422-23 अमि ममि 205 17 168 सूत्रं 165 211 2 श्रूतस्थविर गणधर देव 012 12 नक्वत्तविचए नक्खत्तविजए 013 - विक्खममाणे निक्खममाणे 216 1 प्राभृतप्राभतम् प्राभृतप्रामृतम् 224 4 प्रथमप्राभते प्रथमप्राभृते 227 22 एगठिमागे एगट्ठिभागे 206 15 वाहल्लेणं बाहल्लेणं 230 4. सुरिए सूरिए 235 1 मामेव तमेव 253 22 अणंतर पुक्खा० भणंतर पुरक्खड० 258 23 अभिणिसट्ठाताहिं अभिणिसटुताहिं 265 16 द्वित्ता ट्टित्ता 270 13 धणिट्ठा संठिए धणिट्ठा 271 16 अहिएति आहिएति 272 11 छाया छायाए . 277 21 तिहाओ तिहीओ 278 13 मोग लायणगोत्ते मोगल्लायणगोत्ते 276 22 प्रातिसियभो आतिसियामो 282 '6 प्रातभृप्रामृतम् प्राभूतप्राभृतम् 262 3 सा ता 265 16 पढस्स पढमस्स 302 20 सत्तहिा सत्तट्टिहा 305 2 भट्टयं चासीते अट्ठपंचासीते 216 11-14 परिहति परिवहति 318 1 माणवसु माणवएसु 316 21 चंदमसूरिया चंदिमसूरिया 322 16 बुद्धतेणं गिणिहत्ता मुद्धतेणं मुयइ 2, 326 4 दूमियधमट्ठ दूमियघटुम? 328 1 कायंबंधे कायबंधे 328 है अणुपुव्वीए आणुपुवीए 340 13 स्वा० एष० 346 17 उतिदुइ उत्तिह Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पृष्ठ पंक्ति अशुद्ध :: शुद्ध पृष्ठ पंक्ति . अशुद्ध शुद्ध 346 18 अणुयविसिइ अणुयविसइ 446 , जावप्पवरं जाणप्पवरं . अणुपविसत्ता अणुपविसित्ता 446 18 वंदति वंदति 2 354 24 चरित चरति 454 10 विखेति विरवेति 356 16 'एषा० एव० ..... 457 20 असए उसए 358 4 कह ता कह 456 23 (असीतरणे) . (असीतरेण) 364 11 तहेव तहेव .. .46518 सेयण सेयणग 366 6 दाणि दाहिण र 467 1 सोहनायक सीहनाय० / 383 10 सवणे संठाणे 471 6 जंबुद्दीवे जंबुद्दीवं 3855 चउवीसंगला- चउवीसंगल- 472 5 अहणोवन्ने भहुणोंववन्ने . 385 23 अट्ठ(सत्त)पणरस पण्णरस(भट्ट, सत्त). 475 5 आतवेमाणस्स आतावेमाणस्स 362 . रवेतीहिं रेवतीहि 476 . महारया महाराया. 318 2 पुव्वफग्गुणी . पुव्वाफग्गुणी - 477 20 सत्तिवन्नो सत्तिवन्ने 369 23 - बावर्टि .474 2 ०समयंत्ति समयंसि * 405 15 जसि जंसि - 481 14 संचाए संघाडए 405 16 तासिएणं . तारिसएणं .. 481 23 ०प्पभितोणं . ०पभितीणं 408 17 अणंतरपुक्खडे अणंतरपुरक्खडे 485 20 भीत्ताई भत्ताई. : 415 1 एतसि" एतेसि 486 22 रयणकरंगतो रयणकरंडगतो 424 22 एमाहंसु एवमाहसु . 487 21 . मुगंध० . सुगंध 427 '3 सव्ववरिल्लं सव्वुवरिल्लं .. 488 10 विहरत्तए, - विहरित्तए. 432.17 लवणोदधणो लवणोदधिणो तमिच्छाण तमिच्छामि 434 4 वहे . वट्ट - . 42 1 ०चूलका० चूलिका 448 6 मुकण्हे सुकण्हे :0:-- Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री श्वे. मूर्तिपूजक जैन संघो जोग विनंति __45 अागम मूल-पुस्तक श्रेणी योजना अंगे * निवेदन * अणावतां आनंद थाय छे के परम करुणानिधि चरम तीर्थपति श्रमण भगवान महावीरदेवे भव्य जीवोना श्रेयना हेतु रूप तीर्थंनी स्थापना की अने गणधर देवोने त्रिपदीनु प्रदान कयु. लब्धिनिधान श्री गणधर देवो द्वादशांगीनी रचना करी. जेमनी पाट परंपरा विद्यमान छे ते श्रीमत्सुधर्मस्वामीजीनी द्वादशांगी प्रवर्तमान रही अने वर्तमानमा अग्यार अंग आदि अंग प्रविष्ट अने बार उपांग दश पयन्ना, छ छेद. 4 मूल अने 2 चूलिका सूत्रो एम अंग बाह्य श्रुतज्ञान आदि विद्यमान छे ते सूत्रो उपर पूर्वाचार्य महापुरूषो विरचित नियुक्ति, भाष्य, चूर्णि, टीका, अवचूरि विगेरे आगमानुसारी श्रुत विद्यमान छे. ___ आ कल्याणकारी श्रुतना आधारे श्री महावीर परमात्मानुशासन प्रवर्तमान छे. पूज्य आचार्य भगवतो आदि मुनिराजो आदि योगवहन, गुरुकुलवास, गुरुआज्ञा आदि योग्यता मुजब अ श्रृतना अधिकारी छे. अने अयी श्रे शास्त्रीय मर्यादामा रहेता पूज्योने आ श्रुतज्ञानना स्वाध्याय आदिनी अनुकुलता रहे ते हेतुथी श्रुत भक्तिरूपे 45 आगमो मूल तेमज केटलाक सूत्रोनी टीका आदि मुद्रित करवान नक्की कयु के तेनु संशोधन अने संपादन हालार देशोद्धारक पूज्य आचार्यदेव श्रीमद् विजयअमृतसूरीश्वरजी महाराजना शिष्य पूज्य पंन्यास श्री जिनेन्द्रविजयजी गणिवर अथाग परिश्रम पूर्वक करी रह्या छ। _____aa सूत्री श्री संघना भंडारोमा तेमज पू० गुरुदेवोने अर्पण करवा प्रसारित करवानो अमे निर्णय क्यों छ / तेनी मर्यादित नकलो प्रकाशित थाय छे अने जे श्री संघो के श्रुतभक्ति रूपे श्रावको आ प्रतिओ मेलववी होय तेमगो पोतानी नकल नी यादी लखावी देवा विनंति छ। सूत्रोनी नकलो मर्यादित प्रकाशित थाय के वली बुकसेलरोने ते बेंचवा श्रापवानो नथी अटले पाछलथी प्रतिओ प्राप्त थवी मुश्केल पडशे / जेथी भंडारोने सुव्यवस्थित भने समृद्ध बनाववा श्री संघोओ पोताना सेट तरतमा लखावी देवा, पूज्य गुरुदेवो के संघोने अर्पण करवा या श्री शासननी मिल्कत रूपे सुरक्षित तत राखी, पूज्य गुरुदेवोने स्वाध्याय आदि माटे अपेण करवा सश्रावको पण आ सेट खरीदी शकशे। तेओ आ सेट वांची के वेंची शकशे नहीं / आ आगमो श्वे० मू० पू० जैनो माटे ज अपाय छ / 45 आगमो भने 4 सूत्रोनी टीकाओ आदि कार्य हाथ उपर घरायुके। चौद विभागमा 45 आगम प्रगट थाय छे. मात्र नवमो दसमो भाग तथा श्री आचारांग सूत्र टीकार्नु काम चालु छे ते सिवाय बधा आगम तेयार थई गया छे। 45 आगम सेट मूल्य रु. 700) Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सेट मंगावनारे पोताने मोकलवानां प्रन्यो रेल्वे के ट्रान्सपोर्ट द्वारा प्राप्त थाय तेवु सरनामुजणावQ। भा मागम श्रेणी अंगे नाम नोंधाववा तथा रकम मोकलवाना सरनामाः(१) महेता मगनलाल चत्रभुज (4) शा. वेलजी हीरजी गुढका - शाक मारकेट सामे निशाल फली, 52 बी एम. आझाद रोड, रंगवाला चाल, जामनगर, (सौराष्ट्र) मुंबई-४०००११ (2) शा. मनसुखलाल जीवराज भाडलावाला (5) शा. रीखवचन्द फुलचन्द शराफ बाजार राजकोट (सौराष्ट्र) सी.पी. टेन्क पहेलो पारसीवाडो ओल्ड हीरा बील्डिंग १ले माले वी. पी रोड, मुंबई-४ . .. (3) संधवी जयंतिलाल त्रिभोवनदास (6) नवीनचंद्र बाबुलाल शाह महावीर स्टोर्स 2681 फुवारा बाजार डेली फली लालबाग सामे, जामनगर __गांधी रोड़, अहमदावाद आ आगम श्रेणी उपरांत अप्रकट तथा अप्राप्य प्रन्थोनु विशाल पाया उपर प्रकाशन करवानी पण अमारी धारणा छे। .. श्रुतज्ञाननी आ भक्तिना कार्यमा सौनो साथ मलशे तो अमे बहेलासर सफल थशु अथी आ अंगे योग्य सहकारनी अपेक्षा राखी श्रुतज्ञान भक्तिना कार्यमा साथ आपवा नम्र विनंति छ। . दरेक मोटा संघो एक एक सेट पोतानां भंडारमा बसावे तेथी मापने आ विज्ञप्ति मोकली छ / पहेलासर आपनो निर्णय जणावशो। ता०.१०-१- जामनगर R ‘महेता मगनलाल चत्रभुज शाह कानजी हीरजी Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 3700 // भो महावीरथिनेन्द्राय नमः // // श्रीमणिबुडथार्णदहर्षकर्पूरामृतसूरिगुरुभ्यो नमः / / 45 आगम मूल-पुस्तक श्रेणी योजना श्री आगम-सुधा-सिन्धुः * संपादकः-तपोमूर्ति पूज्य आचार्यदेवश्री विजयकरमरीश्वरजी म. ना पट्टधर हालारदेशोद्धारक पूज्य आचार्यदेव श्रीमद्विजयअमृतसूरीश्ववरजी म. ना शिष्यरत्न पू.पं. श्री जिनेन्द्रविजयजी गणिवर अग्यार अंग सूत्रो सप्तमो विभाग प्रथमो विभागः 5 श्री जंबूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र 4454 नाम लोक 2200 6 , चंद्र प्रज्ञप्ति 1 श्री आचारांग 2266 7 , सूर्य प्रज्ञप्ति 2554 सूत्र 2 , सूत्रकतान 2100 8 , कलिका 3 , ठाणांग , कल्पावतंसिका .. 110 // 4 , समवायांग 10 , पुष्पिका 1660 11 , पुष्पचूलिका . द्वितीय-तृतीय विभाग . 12 , पह्निदशा 5 श्री भगवती सूत्र 15752 .. चतुर्थों विभाग 10 पयन्ना सूत्रो 6 श्री ज्ञाता . 5464 7 , उपासकरशा " . अष्टमो विमाग 812 8, अंतकृद्दशा नं० नाम श्लोक 1 , अनुत्तरोपपातिक 1 श्री चउशरण 10 " प्रश्नव्याकरण 1250 11 , विपाक 2 . भाउरपञ्चक्खाण 100 , महापञ्चक्खाण 176 पार उपांग सूत्रो ... 4 , मक्त परिज्ञा 215 138 - 5 ., तंतुनवैयालीय पश्चमो विभाग 6 , संस्तारक 155 नाम श्लोक . .गच्छाचार 175 श्री उववाह सूत्र 1.167. , मणिविज्जा , राजप्रश्नीय 2120 , देवेन्द्र स्तव ., जीवाभिगम 4700 10, मरणसमाधि षष्ठो विभाग , चन्द्र वेध्यक 174 7787 2 , वीरस्तव 162 1216 . vonomkoc www 4 पन्नषणा Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवमो विभागः - सूत्र 6 छेद सूत्रो 4 मूल सूत्रो . द्वादशमो विभागः नाम श्लोक 1 . श्री बावश्यक सूत्र (नियुक्ति भाष्य सह) 1 श्री निशीथ 2500 , बृहत्कल्प 437 2 . ओघनियुक्ति , (भाष्य सह) 1355 " पचकल्पभाष्य 3, व्यवहार त्रयोदशमो विभागः 4 " दशाश्रुत 2106 3 श्री दशवकालिक . सूत्र . 700 5 " जीतकल्प .. . 105 , पिंडनियुक्ति 835 4 " उत्तराध्ययन " .. 2000 दशमो विभागः 6 , महा निशीथ सूत्र 4548 2 चूलिका सूत्रो. __एकादशमो विभागः चतुर्दशमो विभागः श्री कल्पसूत्र (प्रताकार 36 पोइन्ट टाइप) 1 श्री नंदी सूत्र 1215 2 श्री अनुयोगद्वार सूत्र सटीक आगमो आदि नाम . मूल श्लोक टीकाकार . टीका श्लोक 1 श्री भाचारांग 2 श्री उपासकदशांग श्री शीलांकाचार्यजी म० 12000 ." 812 . 3 श्री अंगकृदशांग भी अभयदेवसरिजी म. . , 4 , अनुत्तरोपपातिक / 182 . .. 400 5 नवस्मरणानि गौतमस्वामिरासश्च .... 188 in सत्र मूल्यः रू. 700 Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * श्री आगम सुधा सिन्धु * 45 आगम मूल प्रकाशन श्रेणी ____ अागम श्रेणीना ग्राहक थनार भाग्यशालीओनी शुभ नामावली नाम गाम न नाम गाम 12 श्री हालारी वीशा ओसवाल तपगच्छ 22 श्री जैन श्वे. नाकोडा पार्श्वनाथ जैन उपाश्रय देस्ट जामनगर तीर्थ पेढी नाकोडा 3 शेठ धर्मदास शांतिदासनी पेढी, सावरकुण्डला 23 श्री खरतरगच्छ संघ ट्रस्ट 4.5 तपगच्छ अमर जैनशाला खंमात 24 श्री गुजराती तपगच्छ जैन संघ कलकत्ता 6 शेठ मोतीशा लालबाग जैन चेरिटिझ बम्बई 25 श्री श्वे० मू० श्राविका संघ पांचोरा * श्री श्वे० मू० जैन संघ बरीया - श्री श्वे. मू० जौन संघ 26 पू० मा० श्री विजयभुवनचन्द्रसूरि मुलुड ज्ञान मन्दिर पाटण 10 शाह चत्रभुज जीवराज 27 शाह नेमचन्दभाई परबतमाई पाला 11. शाह मूलचन्द माणेकचन्द बम्बई 28 श्री महावीर नगर जैन सोसाइटी संघ, कांदीवली 12 शाह केशवकाल मोतीलाल 25-30 श्री शाह खाते पू० मुनि श्री जितेन्द्र१३ शाह रमणिकलाल लक्ष्मीचन्द विजयजी मनी प्रेरणा थी .......... 14 श्री भाराधना भवन पौषधशाला दादर 15 श्री श्वे. मू० जैन संघ 31 शाह चम्पालाल मंगलचन्द लुकड, बेंगलोर हलवद 32 श्री जैन श्वे. मू० संघ शाहुपुरी कोल्हापुर 16 एक भाविक श्री हर्ष पुष्पामृत जैन 33 श्री शाह खाते पू० मुनि श्री कुलभूषण झान मण्डार लाखाबावल विजयजी म. नी प्रेरणा थी बम्बई 17. शाह मानचन्द दीपचन्द बम्बई 34 , तपगच्छ जैन संघ शांताक्रुझ 18 श्री जयसुखलालभाई मादुगा 35-36 ,, श्रीपालनगा जैन देगसर ट्रस्ट, वालकेश्वर // श्री पात्मकमललब्धि लक्षमणसूरि 30 , लब्धिभुवन जैन साहित्य सदन जैन ज्ञान मन्दिर बेंगलोर १०मा० श्री विजयभद्रकासूरी. 20 श्री शांतिभवन जैन उपाश्रय जामनगर श्वरजी म० ना उपदेश थी छाणी 21 श्री जैन श्वे. मू. तपगच्छ संघ ट्रस्ट, राजकोट 38 ,, जैन जागृति केन्द्र कोल्हापुर Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( 22 ) नं० नाम गाम 20 नाम गाम 36 श्री श्वे० मू० जैन संघ . नवा डीसा 64 , शाह मोरारजी नानजीमाई मुलुड 40 झवेरी कनुभाई ल लभाई. मुंबई 65 शाह छगनलाल उत्तमचन्द हींगवाला 41 श्री श्वे० मू० जैन मंघ पादरली तेमना सुपुत्र श्री नरेन्द्र कुमारना धर्मपत्नी 42 , आदिनाथ जैन टेम्पल ट्रस्ट बैंगलोर श्री मंजुलाबेनना श्रेयार्थे राजकोट 43 , चंद्रप्रभस्वामी जैन नया मन्दिर पेढी मद्रास 66 श्री श्वे० मू० जैन संघ पू० मु० श्री. 44 , श्वे. मू. तपगच्छ जैन संघ वापी कल्पतरुविजयजी म. ना उपदेश थी वणी 45 , वासुपूज्यस्वामी जैन देरासर पेढी, माटुंगा 67 ,, श्वे० मूः तपगच्छ जैन संघ घाटकोपर 46 श्री शाह खाते पू० आ० श्री विजय 68 शाह चुन्नीलाल वीरचन्द नवाडीसा रामसूरीश्वरजी म० (डहेलाना 66 शाह सांकलचन्द सुरचन्दजी मींवडी उपाश्रयवाला नी प्रेरणा थी। 70 शाह चुन्नील ल शेषमलजी. . भीवडी 4. ,, जैन श्वे० पारसनाथ पेढी बेल्लारी 71 शाह मोहनलाल अमीचन्दजी 46 ,, विजयदानसूरीश्वरजी भमीचन्दजी उथा बगसुबाईनी अट्ठाई निमित्ते - जैन ज्ञानमन्दिर अमदाबाद चि० मोहनलाल बाबुलाल गुलाबचन्द 46 , श्वे. मू. जैन संघ - मनफरा कांतिलाल जवाहरलाल अशोककुमार 50 , विजयभुवनसूरीश्वर जैन / गोत्र सोलंकी बालवाडावाला भीवंडी ज्ञानमन्दिर अमदाबाद 72 श्री सुपार्श्वनाथ जैन देरासर पेढी , 51 , श्वे० मू० जैन संघ पू० मु० श्री 73 शा. रविलाल मालसीनी कु. भीवंडी अमरगुप्तविजयजी म.ना उपदेशथी मुरबाड 74 शा. पारसमल छोमाजी, पारसमल 52 , गजराजभाई पू० मु० श्री नरवाहन करणराज रमेशकुमार दिनेशकुमार विजयजी म. ना उपदेश थी बेंगलोर ललितकुमार धीरजकुमार बालवाडावाला " 53 , श्वे० मू० जैन संघ नवागाम(हालार) 75 सदाजी टेक्सटाइल्स, शा. फूलचन्द 54 , आदिनाथ सोसायटी जैन हीमाजी शरतवालाना श्रेयार्थे टेम्पल ट्रस्ट पूना- 76 शा. मिश्रीमल वरधीचन्दजी 55 , शांतिनगर जैन श्वे. मू० संघ इन्दोर 77 धिंगड़ सिल्क फेत्रीक्स . 56 , वासुपूज्यस्वामी जैन मन्दिर ट्रस्ट 'ह० शा पोकरचन्द ताराजो टीमरेचा पू. आ. श्री विजयप्रेमसूरीश्वर सिवानावाला जैन ग्रन्थ लय पूना-केम्प . 76 78 श्री श्वे. मू जैन संघ पू. पं. श्री५७ , विजय सुदशनसूरीजैन ज्ञानभण्डार पू आ. भद्रंकरविजयजी गणिवर ना उपदेश थी लुणावा श्री विजयसुदर्शनसूरीश्वरजी म. ना. ___7 शा. कांतिलाल मणिलाल खंभातवाला उपदेश थी देवाली मातुश्री जसकोरबेनना श्रेयाथै भीवडी 58 , जैन श्वे. मू० संघ यरवडा 0 श्री नवलमाई मोनजीभाई " 56 , पार्श्वनाथ जैन श्वे० मन्दिर ट्रस्ट पूना.२ 81 , भवानीपुर श्वे० मू० जैन संघ कलकत्ता 60 ., शाह कुवाजी मणसी अधेरीपूर्व , शांतिनाथजो जैन सघ . 61.62,, श्वे. मू० जैन संघ नासिक पू० आ० श्री प्रतापसूरीश्वरजी मनी 63 , श्वे. मू० जैन संघ बारडोली-२ प्रेरणाथी देववन्द्र नगर मलाड इस्ट Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( 23 ) . नाम गांव नं. नाम गाव 83 शाह जयंतीलाल जेठालालभाई मीवंडी 106 शाह रमेशचन्द कालीदासभाई तेमना. 54 , वेलजी हीरजी गुढका पू० सा० श्री धर्मपत्नी अ. सौ. कलावती बेनना महेन्द्रप्रभा श्रीजी म. ना उपदेश थी मासचमण निमित्चे राजकोट सात रस्ता-मुंबई 110 श्री श्वे० मू० अचलगच्छ संघ पू० मु० 5 ,, देवजी देवशी " श्री कलाप्रभसागरजी म. ना 76 ,, अमृतलाल जीवराज , उपदेश थी मुबई 87 ,, नथुभाई नरशीभाई वोरा नाईरोबी 111 श्री झालावाड़ श्वे. मू० जैन 88 ,, मुलचन्द पुजाभाई हरिया * मोम्बासा संघ ट्रस्ट सुरेन्द्रनगर 86 ,, वीरपार धरमशी चन्दरीया लाखाबावल 112 शाह प्रभुदास वीरपाल , 10 , रतिलाल पुंजाभाई, , 113 , वाडीलाल फुलचन्द तथा तेमना 11 श्री विजयलब्धिसूरीश्वरजी धर्मपत्नी श्री शांताबेन ह० श्री जैन ज्ञानमन्दिर , दादर महेन्द्रकुमार तथा श्री कीर्तिकुमार 62 शाह धरमचन्द रूपचन्दभाई मुंबई वाडीलाल शाह बढवाण शहेर 13 शाह डुगरसी पोपटभाई 114 ,, जयतिलाल डायाभाई / पोताना तथा तेमना धर्मपत्नी ____ श्री लक्ष्मीबेनना आत्मा श्रेयार्थे श्रीपालीबेनना श्रेयार्थे पू० सा० श्री चरणश्रीजी म. ना शाह खेतसी पोपटभाई मुंबई सदुपदेश थी भमदाबाद 64 शाह मुलजी डायामाई वरली मुंबई 115 श्री संवेगी जैन उपाश्रय वढवाण शहेर 15 , फूलचन्द मेरग नल बाजार , 116. भंडारी एन्ड कं० ह० पुखराजजी भीवंडी 66 , मेघजी डायामाई प्रभादेवी , 117 शाह केशवलाल माणेकचन्द कापडीया / 17 ,, शामजी लखमशी . मजगाम ना श्रेयार्थे . खंभात 18 शाह मगनलाल लक्षमण मारु थाणा 118 श्री प्रभाबेन केशवलाल माणेकचन्द & , शामजी नरसीभाई ना श्रेयार्थे ह. तेमना सुपुत्रो . गुलाबचंद शामजीभाईना श्रेयार्थे, सायन मुंबई रमणलाल तथा मुक्तिकुमार 100 शाह हीराभाई हधाभाई परिवार जामनगर 116 श्री शांतिसोमचन्द्रसूरीश्वर जैन 101 , सोमचन्द भीमशी घाटकोपर ज्ञानमन्दिर पू० आ० श्री विजय१०२ , प्रेमचन्द भीमसी कानजी मजगाम सोमचन्द्रसूरीश्वरजी म. ना 103 , रामजी नरशी मुगणीवाला बम्बई उपदेश थी अमदाबाद 104 , रणमल नरशी , बडाला 120 शेठ कल्याणचन्द सौभागचन्द पेढी पिंडवाड़ा 105 , पोपटलाल केशवजी ह० लीलाबेन 121 श्री तपागच्छ जैन संघ - ध्रांगध्रा पू० सा० श्री महेन्द्रप्रभा श्रीजी म. 122 शाह बनेचन्द वखतचन्द महेता घाटकोपर ना उपदेश थी दादर 123-124 श्री माटुंगा किंग्सर्कल श्राविकामो 106 श्रीमती पानीबेन प्रेमचन्द देवराज माहिम तरफथी सं०२०३३ संवत्सरी प्रतिक्रमण 107 शाह साकलचन्द हरकचन्द जामनगर सूत्रनी बोलीनी उपजमांथी 108 श्री मोहनलालजी जैन उपाश्रय सुरत 125 श्री श्वे० मू० जैन संघ माटुंगा बीवी Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नाम राजकोट नाम , गांव नं० 126 शेठ आणन्दजी कल्याणनी पेढी लीबडी 145 शाह भारमल जीवराज तथा 127 अमृतलाल मगनलाल वालोडीया श्रीमती जीवीबेन भारमल तथा श्री मोघीबेन पू०पं० श्री भद्रानन्दविजयजी तथा श्री रलियातबेन जेठाल ल तथा गणिवर ना उपदेश थी सुरत-२ श्रीगगाबेन भगवानजीना श्रेयार्थ शाह प्राणलाल छगनलाल मलाड ह० शाह जेठालाल तथा हेमराज तथा / श्री श्वे० मू० जैन संघ पू० मु० श्री रायशी तथा मुलचन्द भारमल लाखाबावल जयध्वजविजयजी म. ना उपदेशथी धंधुका 146 शाह इन्दुलाल माधवजी, तेमना धर्मपत्नी श्री जसवंतीबेनना 130 शाह प्राणलाल देवशीभाई तेमना .. वरसीतप निमित्ते मातुश्री कुकुबेनना श्रेयार्थे . माटुंगा / / 147 वसा सौभाग्यचन्द तलकचन्द तेमना . . शाह ग्वाते पू० सा० श्री निरजनाश्रीजी पिताश्री तलकचन्द सीराजभाई ना म० साना उपदेश थी. मुंबई श्रेयार्थे * राजकोट 132 शाह पोपट लाल राजाभाई गुढका 148 . वसा सौभाग्यचन्द तलकचन्द ह०पदमाबेन लाखाबावल तेमना मातुश्री गलाबबेन 133 शाह मेघजी राजाभाई गुढका नेमचन्दना श्रेयार्थे राजकोट 0 कंकुबेन " 146 वसा सौभाग्यचन्द तलकचन्द तरफथी 134 श्री मणिभद्र वीर जैन पेढी. पोताना तथा लेमना धर्मपत्नी .. पू० मु० श्री आनन्दघनविजयजी म. सा० श्री ब्रजकुंवरबेनना आत्म कल्याणार्थ ना उपदेश थी . . आगलोट 60 तेमना सुपुत्रो श्री हसमुखलाल 135-36 शाह जीवराज हंसराज तथा तथा कांतिलाल राजकोट श्री माणेकबेन ते शाह जीवराज 150 श्री श्वे० मू० जैन संघ | थानगढ़ हंसराजना धर्मपत्नी ___भाडना 151 शाह भारमल मुरामाई दोढीया 140 शाह मोतीचन्द प्रेमचन्द ह० वीरचन्दभाई ह० बालुभाई राजकोट 152 श्री लक्ष्मीबेन प्रेमचन्द ग्वीमचन्द 141 शाह प्रभाशङ्कर सुन्दरजी चंदरीया पू० सा० श्री स्वयंप्रभाश्रीजी चि० नगीनदासमाईना धर्मपत्नी म. ना उपदेश थी . जामनगर श्री सुशीलाबेनना वर्षांतप नथा उपधान निमित्ते 153 पारेख खीमजी धरमशी परिवार जामनगर तथा चि० नरेन्द्रकुमार (मु० श्री 154 शाह देवशी भाणन्द नयवर्धन वि० मः) पुत्री उषाकुमारी . 155 शाह पानाचन्द हरगण गलेया (सा० श्री उदयपूर्णा श्रीजी) तथा 10 वेलजीभाई लाखाबावल सकुटुम्बनी नवाणु यात्रा तथा 156 शाह मेघजी वीरपाल सपरिवार जामनगर चि० अनंतकुमारना उपधान निमित्ते राजकोट 157 शाह मेरग राजपाल ह० वीराबेन 142 शाह चीमनभाई पट्टणी ह० सीताबेन , पू० सा० श्री महेन्द्रप्रभाश्रीजी म.ना 143 शाह शिवलाल भुदरमाई 15 वर्षना वर्षांतप निमित्ते पू० सा० श्री 144 शाह सुरेन्द्रप्रभाश्रीजी म० ना उपदेशथी नभागाम चगा . Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गाम नं० नाम गाम नं० नाम 158 शाह लालजी भोजाभाई ना श्रेयार्थे 166 श्री गोडीजी पार्श्वनाथ संस्थान बालापुर ह० रायचन्दभाई तथा देवशीमाई 167 शाह देवचन्द खीमचन्द गुढका तथा ___तथा कपुरचन्द लालजीमाई श्रीमती सोनाबेन देवचन्द गुढका जामनगर 15 शाह कांतिलाल माणेकचन्द 168 शाह राजेन्द्रकुमार नेमचंदनी कु० तेमना धर्मपत्नी श्री कलावतीबेननां ह० शाह रामजी परबतभाई गुढका जामनगर घरसीतप निमित्ते जामनगर 161 शाह देवचन्द रामजीनी कुछ 160 शाह नेमचन्द वाघजी गुढका तथा 10 शाह रामजी परबतभाई गुढका मुंबई श्रीमती पुष्पाबेन नेमचन्द गुढका 170 शेठ श्री अमृतलाल भाणजीभाई तरफथी तेमना पिताश्री शाह वाघजी शापरीया तथा शेठ श्री माणेकलाम सराभाई तथा मातुश्री कुंवरबेन तथा चुनीलाल शाह माई तेजपाल तथा गोसर वाघजी 171 शाह रायशी पेथराज गुढक ना श्रेयाथै लाखाबावल नानी राफुदडवाला तरफ थी श्रीमती 161 शाह जीवराज करमशी करणीया जयवंतीबेन रायशीना परसीतप / तथा श्रीमती संतोकबेन जीवराज मासक्षण, मादि तपो निमित्ते जामनगर. तरघरी देवलिया हाल मोम्बासा तरफ थी . 172 श्रीमती देवकु वरबेन सोमचन्द रायशी तेमना स्व. सु. दिनेशकुमार जीवराज तेमना मासक्षमण उपधान, वरसीतप करणीयाना श्रेयार्थे ह. श्री दिनेशकुमारना आदि विविध तप निमित्ते जामनगर बेन श्रीमती पुष्पाबेन नेमचंद गुढका 173 शाह जेठालाल पदमशी चदरीया लाखाबावल तरफ थी श्रीमोतीबेन जेठालालना 162 शाह धरमशी रामजी गोसराणीना उपधान तप निमित्ते ह० रमणिकलाल श्रेयार्थे श्री मणिबेन धरमशी जेठालालभाई जामनगर . . ह० तेमना सुपुत्रो भगवानजी तथा जयंतिलाल तथा नेमचंद रामजी लाखाबावल 174 श्री वीणाबेन माइचन्दमाई 163 शाह लाधाभाई पुजा नागड़ा 15 श्री विजयभमृतसूरीश्वर जैन लाइब्रेरी बोरीवली तथा श्री केशवजी लाधामाई (बाबाईना 176 शाह करमशी खीमजी चेलावाला श्रेयार्थे श्री साहीबेन नाधाभाई तेमना पिता श्री खीमजी मीमजी ह० तेमना सुपुत्रो वेलजी तथा रायचंद तथा मातुश्री रूपाबेनन श्रेयार्थे जामनगर तथा झवेरचंद लाधाभाई नागडा लाखाबावल 177 डॉ० मणिलाल जेचंदभाई शेठ वढवाणशहेर 164 श्री श्वे० मू० जैन संघ पू० आ० 158 शाह मेपामाई नथुभाई चेलावाला श्री विजयविबुधप्रभसूरीश्वरजी तेमना चि० श्री चन्दुलालना सुपुत्र म० ना उपदेश थी निपाणी सुनीलकुमार तथा सुनौलकुमार ना 165 महेता प्रतापराय माणेकचन्द तेमना मातुश्री स्व. श्री कांताबेनना श्रेयार्थे जामनगर धर्मपत्नी श्री कसुबाबेनना वरसीतप 176 शाह साकरचन्द हरखचन्दभाई जामनगर निमित्ते जमनगर 180 श्री जैन श्वे. ऋषभदेव मन्दिर ट्रस्ट बार्शी मुंबई Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नाम 235 उमेदाबाद गाम नं. नाम गाम 181-205 श्री हानारी वीसा ओसवाल तपगच्छ .. 231 श्री श्वे० मु०.जैन संघ पू० मु० श्री-. . उपाश्रय अने धर्मस्थानक ट्रस्ट जामनगर जितेन्द्रविजयजी म० तथा पू० मु० 206:220 श्री नाइरोबी सातक्षेत्र भंडोल, श्री वीररत्नविजयजी म. ना. 221 श्री जमनाबेन देवशीमाई राइमल उपदेश थी गढशिवाणा सावला नाघेडीवाला तरफ थी. 232 पिताश्री पुंजाभाई का। मालदे श्री देवशोभाई तथा तेमना चि० . वसईवाला तथा मातुश्री गौरीबेनना केशवजोभाई ना उपवान तप निमित्ते जामनगर श्रेयार्थ इ. तेमना सपत्रो झवेरचन्ह 222 श्री डाहीबेन घेलजी नरशी दोढिया तथा ल खमशी तथा देवचन्द तथा नाघेडीवाला तरफ थी तेमना चि० प्रेमचन्द पुजाभाई मालदे मुबई हंसराजमाई तथा हंसराजभाई ना पू०प० श्री जिनप्रभविजयजी म. ना. .. धर्मपत्नी श्री कस्तूरबेनना उपधान उपदेश थी नीचे मुजब पांच सेट तप निमित्त __ जामनगर ' 233 शाह धनजीभाई वमाजीभाई उमेदाबाद 223 श्री श्वे. मू० जैन संघ पडाणा 234 श्री श्वे० मू० जैन संघ कोशेलाव मांडवला. 224 शाह खेतशीभाई वेरशी हरिया तेमना सुपुत्री श्री रंजनबेनना मासक्षमण 236 बरलूट निमित्त पू० सा० श्री इन्द्रप्रभाश्रीजी म. 237 ना उपदेश थी 238 श्री बी० एन मणशाली रासंगपुर जोधपुर 225 शाह नोंघाभाई पेथराज सपरिवार जामनगर 236 श्री श्वे. मू० संघ पू०.मु० श्री नरचन्द्र२२६ शाह नरशीभाई पानाचन्द तेमना. विजयजी म. ना उपदेश थी। .. धर्मपत्नी श्रीमती मणिबेनना उपधान, मणिनगर अहमदाबाद बरसीतप. ज्ञानपंचमी. एकादशी 240 श्री नवरंगपुरा श्वे. मू० जैन संघ नवपद ओली, वधमान तप(३२ ओली), पू० आ० श्री विजयजयंतशेखरसूरीपोषदशमी, पीसस्थानक, भक्षयनिधि, . श्वरजी म. ना उपदेश थी अमदाबाद समवसरण तप, 24 जिननन एकासणा / 241 शेठ आणंदजी मंगलजी पेढी पू. पं. विगेरे विविध तप निमित्ते जामनगर, श्री स्थूलभद्रविजयजी गणिवर ना 227 शाह जीवाभाई मोतीलाल खंभात ... उपदेश थी 228 शाह अमृतलाल मोमजी तेमना . 242 श्री जैन श्वे० मू० तपगच्छ संघ पू० मु० पिताश्री भीमजी खंगार तथा मातुश्री श्री मतिविजयजी म. तथा पू० मु०, नभीबेनना श्रेयार्थे ह० श्री अश्विनकुमार श्री लाभविजयजी म. ना उपदेश थी मोरबी तथा ललितकुमार अमृतलाल शाह बालंभा 243 श्री श्वे० मू० जैन संघ पू० मु० श्री 226 श्री अमृतलाल नरशी शाह लाग्याबावल पद्मसेनविजयजी म ना उपदेश थी पाडीव वाला तेमना स्व० धर्मपत्नी श्री लक्ष्मी- 244 शाह करमशी मूलजीभाई तेमना माई बेनना श्रेयार्थे जामनगर शाह फूलचन्द मूलजीभाई ना श्रेयार्थे 230 श्रीश्वे० मू० जैन संघ अगवरी ह० श्री जश्मीनकुमार जयेन्द्रमाई जामनगर 145 श्रीगुणवतन जयसुवरलाल साह सहर Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ // अहम् // श्रीमत्पूर्वधरस्थविरव्यवस्थापितं / // श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्गम् // // अथ प्रथमो वक्षस्कारः // ... ॐ नमः // णमो अरिहंताणं / ते णं कालेणं ते णं समए णं मिहिला णामं.णयरी होत्था, रिद्धथिमियसमिद्धा वगणयो, तीसे णं मिहिलाए णयरीए बहिया उत्तरपुच्छिमे दिसिभाए एत्थ णं माणिभद्दे णाम चेइए होत्था, वगणो 1 / जियसत्तु राया, धारिणी देवी, वराणो 2 / ते काले णं ते णं समए णं सामी समोसढो, परिसा णिग्गया, धम्मो कहियो, परिसा पडिगया 3 // सू० 1 // तेणं कालेणं तेणं समएणं समणम्स भगवश्रो महावीरस्स जेटे अंतेवासी इंदभूई णामं श्रणगारे गोश्रमगोत्तेणं सत्तुस्सेहे समचउरंससंगणे जाव तिखुत्तो थायाहिणं पयाहिणं करेइ वंदइ णमंसइ वंदित्ता णमंसित्ता जाव एवं वयासी // सू० 2 // कहि णं भंते ! जंबुद्दीवे ? केमहालए णं भंते ! जंबुद्दीवे ? किंसंठिए णं भंते ! जंबुद्दीवे ? किमायारभाव-पडोयारे णं भंते ! जंबुद्दीवे पराणते ?, गोयमा ! अयराणं जंबुद्दीवे 2 सव्वदीवसमुद्दाणं सव्वभंतराए 1 सव्वखुड्डाए 2 वट्टे. तेल्लापूयसंगणसंठिए वट्टे रहचकवाल-संगणसंठिए पट्टे पुक्खरकरिणयासंगणसंठिए वट्ट पडिपुराणचंद-संगणसंठिए 4 एगं जोयणसयसहस्सं अायामविक्खंभेणं तिगिण जोयणसयसहस्साई सोलस सहस्साई दोगिण Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 2 ) ( श्रीमदागमसुधासिन्धुः सप्तमो विभागः य सत्तावीसे जोयणसए तिगिण य कोसे अट्ठावीसं च धणुसयं तेरस अंगुलाई श्रद्धंगुलं च किंचिविसेसाहियं परिक्खेवेणं पराणत्ते // सू० 3 // से णं एगाए वइरामईए जगईए सधश्रो समंता संपरिक्खित्ते 1 / साणं जगई अट्ट जोयणाई उट्ट उच्चत्तेणं मूले बारस जोषणाई विक्खंभेणं मज्झे अट्ठ जोयणाई विक्खंभेणं उवरिं चत्तारि जोत्रणाई विक्खंभेणं मूले विच्छिन्ना मज्झे संक्खित्ता उवरिं (प्पिं) तणुया गोपुच्छसंठाणसंठिया सव्ववइरामई अच्छा सराहा लण्हा घट्टा मट्ठा णीरया णिम्मला णिप्पंका णिक्कंकडच्छाया सप्पभा समिरीया सउज्जोया पासादीया दरिमणिजा अभिरुवा पडिरूवा, सा णं जगई एगेणं महंतगवक्ख (जाल) कडएणं सव्वश्रो समंता संपरिक्खित्ता 2 / से णं गवक्खकडए श्रद्धजोत्रणं उड्ड उच्चत्तेणं पंच धणुसयाई विक्खंभेणं सव्वरयणामए अच्छे जाव पडिरूवे 3 / तीसे णं जगईए उप्पि बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महई एगा पउमवरवेइया पराणत्ता, श्रद्धजोयणं उड्ड उच्चतेणं पंच धणुसयाई विक्खंभेणं जगईसमिया परिक्खेवेणं सबरयणामई अच्छा जाव पडिरूवा 4 / तीसे णं पउमवरवेइयाए अयमेयाख्वे वराणावासे पराणत्ते, तंजहा-वइरामया ोमा एवं जहा जीवाभिगमे जाव अट्ठो जाव धुवा णियया सासया जाव णिचा 5 // सूत्रं 4 // तीसे णं जगईए उप्पिं बाहिं पउमवरवेइयाए एत्थ णं महं एगे वणसंडे पराणत्ते, देसूणाई दो जोत्रणाई विक्खंभेणं जगईसमए परिक्खेवेणं वणसंडवण्णो णेयव्वो // सूत्रं 5 // तस्स णं वणसंडस्स अंतो बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पराणत्ते से जहाणामए थालिंगपुक्खरेइ वा जाव णाणाविहपंचवराणेहिं मणीहिं तणेहि उवसोभिए, तंजहा-किराहेहिं एवं वराणो गंधो रसो फासो सद्दो पुक्खरिणीयो पव्वयगा घरगा मंडवगा पुढविसिलावट्टया णेयव्वा 1 / तत्थ णं बहवे वाणमंतरा देवा य देवीयो य श्रामयंति सयंति चिट्ठति णिसीति तुअट्टति रमंति ललंति कीलंति मोहंति, पुरापोराणाणं सुपरक्कंताणं सुभाणं Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्र :: प्रथमो वक्षस्कारः ] कलाणाणं कडाणं कमाणं कल्लाणफलवित्तिविसेसं पञ्चणुभवमाणा विहरंति 2 / तीसे णं जगईए उप्पिं अंतो परमवरवेइबाए एत्थ णं एगे महं वणसंडे पराणत्ते, देसूणाई दो जोत्रणाई विखंभेणं वेदियासमएण परिक्खेवेणं किराहे जाव तणविहूणे णेअब्बो 3 // सूत्रं 6 // जंबुद्दीवस्स णं भंते ! दीवस्स कइ दारा पराणत्ता, गोयमा ! चत्तारि दारा पन्नत्ता, तंजहा-विजए 1 वेजयंते 2 जयंते 3 अपराजिए 4, एवं चत्तारिवि दारा सरायहाणिया भाणियव्वा // सूत्रं 7 // कहि णं भंते ! जंबुद्दीवस्स दीवस्स विजए णाम दारे परणते ?, गोयमा ! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरथिमेणं पणयालीसं जोयणसहस्साई वीइवइत्ता जंबुद्दीवदीवपुरथिमपेरंते लवणसमुहपुरस्थिमद्धस्स पञ्चत्थिमेणं सीधाए महाणईए उप्पिं एत्थ णं जंबुद्दीवस्स विजए णामं दारे पराणत्ते अट्ठ जोयणाई उद्धं उच्चत्तेणं चत्तारि जोयणाई विखंभेणं तावइयं चेव पवेसेणं, सेए वरकणगथूमियाए, जाब दारस्स वराणो जाव रायहाणी // सूत्रं 8 // जंबुद्दीवस्स णं भंते ! दीवस्स दारस्स य दारस्स य केवइए अबाहाए अंतरे पराणत्ते ?, गोयमा ! अउणासीइं जोत्रणसहस्साई बावराणं च जोषणाई देसूणं च पद्धजोगणं दारस्स * य 2 अबाहाए अंतरे पराणत्तं,-अउणासीइ सहस्सा वावगणं चेव जोत्रणा हुंति / ऊणं च श्रद्धजोत्रण दारंतर जंबुद्दीवस्स // 1 // सूत्रं 1 // कहि भंते ! जंबुद्दीवे दीवे भरहे णामं वासे पराणते ?, गोयमा ! चुल्लहिमवंतस्स वासहरपवयस्स दाहिणेणं दाहिणलवणसमुदस्स उत्तरेणं पुरस्थिमलवणसमुदस्स पचत्थिमेणं पञ्चत्थिमलवणसमुदस्स पुरथिमेणं 1 / एत्थ णं जंबुद्दीवे दीवे भरहे णामं वासे पराणत्ते, खाणुबहुले कंटकबहुले विसमबहुले दुग्गबहुले पव्वयबहुले पवायबहुले उज्झरबहुले णिज्झरबहुले खड्डाबहुले दरिबहुले णईबहुले दहबहुले रुक्खबहुले गुच्छबहुले गुम्मबहुले लयाबहुले वल्लीबहुले अडवीबहुले सावयबहुले तणबहुले तकरबहुले डिम्बबहुले Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 4 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः डमरबहुले दुभिक्खबहुले दुकालबहुले पासंडबहुले किवणबहुले वणीमगबहुले ईतिबहुले मारिबहुले कुवुट्टिबहुले अणावुट्टिबहुले रायबहुले रोगबहुले संकिलेसबहुले अभिक्खणं अभिक्खणं संखोहबहुले पाईणपडीणायए उदीणदाहिणविच्छराणे उत्तरमो पलिअंकसंठाणसंठिए दाहिणश्रो धणुपिट्ठसंठिए तिधा लवणसमुह पुढे गंगासिंधूहिं महाणईहिं वेअड्डे ण य पब्वएण छन्भागपविभत्ते जंबुद्दीवदीवणउयसयभागे पंचछव्वीसे जोत्रणसए छच एगूणवीसइभाए जोत्रणस्स विक्खंभेणं 2 / भरहस्स णं वासस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं वेअड्डे णामं पव्वए पराणत्ते, जे णं भरहं वासं दुहा विभयमाणे 2 चिट्ठई, तंजहा-दाहिणड्डभरहं च उत्तरढभरहं च // सूत्रं 10 // कहि णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे दाहिणद्धे भरहे णामं वासे पराणत्ते ?, गोयमा ! वेयद्धस्स पव्वयस्स दाहिणेणं दाहिणलवणसमुदस्स उत्तरेणं पुरथिमलवणसमुदस्स पचत्थिमेणं पचत्थिमलवणसमुदस्स पुरथिमेणं एत्थ णं जंबुद्दीवे दीवे दाहिणभरहे णामं वासे पराणत्ते पाईणपडीणायए उदीणदाहिणविच्छिराणे श्रद्धचंदसंठाणसंठिए तिहा लवणासमुद्दपुढे 1 / गंगासिंधूहि महाणईहिं तिभागपविभत्ते दोगिण अट्टतीसे जोपणसए तिरिण श्र एगूणवीसइभागे जोयणस्स विक्खंभेणं 2 / तस्स जीवा उत्तरेणं पाईणपडीणायया दुहा लवणसमुह पुट्ठा पुरथिमिल्लाए कोडीए पुरस्थिमिल्लं लवणसमुह पुट्ठा पञ्चस्थिमिल्लाए कोडीए पञ्चस्थिमिल्लं लवणसमुद पुट्ठा णव जोयणसहस्साई सत्त य अडयाले जोयणसए दुवालस य एगणवीसइभाए जोयणस्स आयामेणं तीसे धणुपुढे दाहिणेणं णव जोयणसहस्साई सत्तछाव? जोयणसए इक्कं च एगूणवीसइभागे जोयणस्स किंचिविसेसाहिग्रं परिक्खेवेणं परणत्ते 3 / दाहिणद्धभरहस्स णं भंते ! वासस्स केरिसए अायारभावपडोयारे पराणत्ते ?, गोयमा ! बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पराणत्ते, से जहा णामए आलिंगपुक्खरेइ वा जाव णाणाविह Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्र :: प्रथमो वक्षस्कारः ] पंचवराणेहिं मणीहि तणेहिं उवसोभिए, तंजहा-कित्तिमेहिं चेव अकित्तिमेहिं चेव 4 / दाहिणद्धभरहे णं भंते ! वासे मणुयाणं केरिसए अायारभावपडोयारे पराणत्ते ?, गोयमा ! ते णं मणुया बहुसंघयणा बहुसंगणा बहुउच्चत्तपज्जवा बहुअाउपज्जवा बहूई वासाई अाउं पालेंति, पालित्ता अप्पेगइया णिस्यगामी अप्पेगइया तिरियगामी अप्पेगइया मणुयगामी अप्पेगइया देवगामी अप्पेगइया सिझति बुझंति मुच्चंति परिणिब्वायंति सव्वदुक्खाणमंतं करेंति 5 // सूत्रं 11 // कहि णं भंते ! जंबुद्दीवे 2 भरहे वासे वेयद्धे णामं पवए पराणते ?, गोयमा ! उत्तरद्धभरहवासस्स दाहिणेणं दाहिणद्धभरहवासस्स उत्तरेणं पुरत्थिमलवणसमुदस्स पञ्चत्थिमेणं पचत्थिमलवणसमुदस्स पुरथिमेणं एत्थ णं जंबुद्दीवे 2 भरहे वासे वेश्रद्धे णामं पवए पराणत्ते 1 / पाईणपडीणायए उदीणदाहिणविच्छिराणे दुहा लवणसमुद्द' पुढे पुरथिमिल्लाए कोडीए पुरथिमिल्लं लवणसमुद्द पुढे पचत्थिमिल्लाए कोडीए पचत्थिमिल्लं लवणसमुद् पुढे 2 / पणवीसं जोयणाई उद्धं उच्चत्तेणं छस्सकोसाइं जोषणाई उव्वेहेणं परणासं जोषणाई विक्खंभेणं 50, 3 / तस्स बाहा पुरथिमपञ्चत्थिमेणं चत्तारि अट्ठासीए जोयणसए सोलस य एगूणवीसइभागे जोगणस्स अद्धभागं च थायामेणं पराणत्ता 4 / तस्स जीवा उत्तरेणं पाईणपडीणायया दुहा लवणसमुद्दपुट्ठा पुरथिमिल्लाए कोडीए पुरथिमिल्लं लवणसमुह पुट्ठा पचत्थिमिल्लाए कोडीए पञ्चत्थिमिल्लं लवणसमुह पुट्ठा दस जोत्रणसहस्साई सत्त य वीसे जोत्रणसए दुवालस य एगणवीसइभागे जोत्रणस्स श्रआयामेणं तीसे धणुपट्टे दाहिणेणं दस जोश्रणसहस्साई सत्त य तेथाले जोयणसए पराणरस य एगूणवीसइभागे जोयणस्स परिक्खेवेणं रुअगसंगणसंठिए सव्वरययामए अच्छे सराहे लढे घटे मटे णीरए णिम्मले णिपके णिवकंकडच्छाए सप्पभे समिरीए पासाईए Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमी विमागः दरसगिज्जे अभिरूबे पडिरूवे 5 / उभयो पासि दोहिं पउमवरवेइयाहिं दोहि अ वणसंडेहि सव्वयो समंता संपरिविखत्ते, तायो णं परमवरवेझ्यायो यद्धजोयणं उद्धं उच्चत्तेणं पंचधणुसयाई विक्खंभेणं पव्वयसमियायो यायामेणं वराणयो भाणियव्यो 6 / ते णं वणसंडा देसूणाई दो जोयणाई विक्खंभेणं परमवरवेझ्यासमगा यायामेणं किराहा किराहोभासा जाव वराणयो 7 / वेयद्धस्स णं पव्वयस्स पुरच्छिमपञ्चच्छिमेणं दो गुहायो पराणत्तायो, उत्तरदाहिणाययायो पाईणपडीण-वित्थिराणायो पराणामं जोगुणाई यायामेणं दुवालस जोगणाई विक्खंभेणं घट्ट जोयणाई उद्धं उच्चत्तेणं वइरामय-कवाडोहाडियायो, जमलजुयल-कवाडघण-दुप्पवेसायो णिच्चंधयार-तिमिस्सायो ववगयगह-चंद-सूर-गक्खत्त जोइसपहायो जाव पडिरूवायो, जहा-तमिसगुहा चेव खंडप्पवायगुहा चेव = / तत्थ णं दो देवा महिदीया महज्जुईया महाबला महायसा महासुक्खा महाणुभागा पलियोवमट्टिईया परिवति, तंजहा–कयमालए चेव गट्टमालए चेव / तेसि ण वणसंडाणं बहुसमरमणिज्जायो भूमिभागायो वेबद्धस्स पव्वयस्स उभयो पासि दस दस जोयणाई उद्धं उप्पइत्ता एत्थ णं दुवे विजाहरसेढीयो पराणत्तायो पाईणपडीणाययायो उदीणदाहिणविच्छिराणायो दस दस जोगुणाई विक्खंभेणं पव्वयसमियायो यायामेणं उभयो पासिं दोहि पउमवरवेइयाहिं दोहिं वणसंडेहिं संपरिक्खित्तायो 10 / तायो णं पउमवरवेइयायो श्रद्धजोगणं उद्धं उच्चत्तेणं पंच धणुसयाई विखंभेणं पव्वयसमियायो यायामेणं वगणयो ोयव्यो, वणसंडावि पउमवरवेइयासमगा थायामेणं वराणयो 11 / विजाहरसेढीणं भंते ! भूमीणं केरिसए यायारभावपडोयारे पराणत्ते ?, गोयमा ! बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पराणत्ते, से जहा णाम ए ग्रालिंगपुक्खरेइ वा जाव णाणाविहपंचवराणेहिं मणीहि तणेहिं उबसोभिए, तंजहा-कित्तिमेहिं चेव अकित्तिमेहि चेव 12 / Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्गसूत्रं : प्रथमो वक्षस्कारः / तत्थ णं दाहिणिलाए विजाहरसेटीए गगणवल्लभपामोक्खा पण्णासं विजाहरणगरावासा पराणत्ता, उत्तरिल्लाए विजाहरसेढीए रहनेउरचकवालपामोक्खा सहि विजाहरणगरावासा पराणत्ता 13 / एवामेव सपुव्वावरेणं दाहिणिलाए उत्तरिल्लाए विजाहरसेढीए एगं दसुत्तरं विजाहरणगरावाससयं भवतीतिमक्खायं, ते विजाहरणगरा रिद्धस्थिमियसमिद्धा पमुइयजणजाणवया जाव पडिरूवा, तेसु णं विजाहरणगरेसु विजाहररायाणो परिवसंति महयाहिमवत-मलय-मंदर-महिंदसारा रायवरण यो भाणिश्रव्यो 14 / विजाहरसेदीणं भंते ! मणुाणं केरिसए आयारभावपडोयारे पराणत्ते ?, गोयमा ! ते णं मणुश्रा बहुसंघयणा बहुसंठाणा बहुउच्चत्तपजवा बहुभाउपजवा जाव सव्वदुक्खाणमंतं करेंति 15 / तासि णं विजाहरसेढीणं बहुसमरमणिजायो भूमिभागायो वेश्रद्धस्स पव्वयस्स उभयो पासिं दस दस जोत्रणाई उद्धं उप्पइत्ता एत्थं णं दुवे अाभियोगसेढीयो पराणत्तायो पाईणपडीणाययायो उदीणदाहिणविच्छिराणायो दस दस जोत्रणाई विक्खंभेणं पव्वयसमियाश्रो थायामेणं उभयो पासिं दोहिं पउमवरवेइयाहिं दोहि थ वणसंडेहिं संपरिक्खित्तायो वराणयो दोराहवि पव्वयसमियायो थायामेणं 16 / अभियोगसेढीणं भंते ! केरिसए अायारभावपडोयारे पराणत्ते ?, गोयमा ! बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पराणत्ते जाव तणेहिं उवसोभिए वरुणाई जाव तणाणं सहोत्ति 17 / तासि णं अभियोगसेढीणं तत्थ तत्थ देसे तहिं तहिं जाव वाणमंतरा देवा य देवीश्रो अ श्रासयंति सयंति जाव फलवित्तिविसेसं पवणुभवमाणा विहरंति 18 / तासु णं श्राभियोगसेढीसु सकस्स देविंदस्स देवरराणो सोमजम-वरुण-वेसमणकाइयाणं आभियोगाणं देवाणं बहवे भवणा पराणत्ता 11 / ते णं भवणा बाहिं वट्टा अंतो चउरंसा वराणो जाव श्रच्छरघणसंघविकिराणा जाव पडिरूवा, तत्थ णं सक्कस्स देविंदस्स Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः देवरगणो सोम-जम-वरुणा-वेसमणकाइया बहवे अाभियोगा देवा महि. द्वीया महज्जुईया जाव महासुक्खा पलियोवमट्टिइया परिवसंति 20 / तासि णं अाभियोगसेढीणं बहुसमरमणिजायो भूमिभागायो वेयट्ठस्स पवयस्स उभयो पासिं पंच 2 जोयणाई उद्धं उप्पइत्ता, एत्थ णं वेयद्धस्स पवयस्स सिहरतले पराणत्ते पाईणपडियायए उदीण-दाहिणविच्छिगणे दस जोषणाई विक्खंभेणं पव्वयसमगे थायामेणं, से णं इक्काए पउमवरवेइयाए एक्केणं वणसंडेणं सब्बयो समंता संपरिक्खित्ते, पमाणं वगणगो दोराहंपि 21 / वेयडस्स णं भंते ! पव्ययस्स सिहरतलस्म करिसए यागारभावपडोबारे पराणगोयमा / बहुसमरमगिज्जे भूमिमाने परायते से जहा णाम ए बालिंगपुक्खरेइ वा जाव णाणाविहपंचवराणेहिं मणीहिं उवसोभिए जाव वावीयो पुक्खरिणीयो जाव वाणमंतरा देवा य देवीयो य थासयंति जाव भुजमाणा विहरंति 22 / जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे भारह वासे वेग्रडपव्वए कइ कूडा पराणत्ता ?, गोयमा ! णव कूडा पराणत्ता, तंजहा-सिद्धाययणकूडे 1 दाहिणड्डभरहकूडे 2 खंडप्पवायगुहाकूडे 3 माणिभद्दकुडे 4 वेअड्डकूड 5 पुराणभद्दकूडे 6 तिमिसगुहाकूड 7 उत्तरड्डभरहकूडे 8 वेसमणकूडे 1, 23 // सूत्रं 12 // कहि णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे वेयद्धपव्वए सिद्धायतणकूडे णामं कूडे पराणते ?, गोयमा ! पुरच्छिमलवणसमुदस्स पञ्चच्छिमेणं दाहिणभरहकूडस्स पुरच्छिमेणं एत्थ णं जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे वेश्रद्धे पव्वए सिद्धायतणकूडे णामं कूडे पराणत्ते 1 / छ सकोसाइं जोषणाई उद्धं उच्चत्तेणं मूले छ सकोसाइं जोयणाई विक्खंभेणं मज्झे देसूणाई पंच जोगणाई विखंभेणं उवरि साइरेगाइं तिगिण जोयणाई विक्खंभेणं मूले देसूणाई बावीसं जोयणाई परिक्खेवेणं मज्झे देसूणाई पराणरस जोयणाई परिक्खेवेणं उवरिं साइरेगाई णव जोषणाई परिक्खेवेणं, मूले Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्रं :: प्रथमो वक्षस्कारः ] [8 विच्छिराणे मज्झे संखित्ते उप्पिं तणुए गोपुच्छसंठाणसंठिए, सव्वरयणामए अच्छे सराहे जाव पडिरूवे 2 / से णं एगाए पउमवरवेइयाए एगेण य वणसंडेणं सव्वयो समंता संपरिखित्ते, पमाणं वगणयो दोरहंपि, सिद्धायतणकूडस्स णं उप्पिं बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पराणत्ते, से जहाणामए श्रालिंगपुक्खरेइ वा जाव वाणमंतरा देवा य जाव विहरंति 3 / तस्स णं बहुसमरमणिजस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभागे एत्थ णं महं एंगे सिद्धाययणे पराणत्ते कोसं थायामेणं श्रद्धकोसं विक्खंभेणं देसूणं कोसं उद्धं उच्चत्तेणं अणेगखंभसयसन्निविट्ठ खंभुग्गय-सुकय-वइरवेइया-तोरणवर-रइथसालभंजिन-सुसिलिट्ठ-विसिट्ट-लट्ट-संठिन-पसत्थ-वेरुलिअविमलखंभे णाणामणिरयण-खचिय-उजल-बहुसम-सुविभत्तभूमिमागे ईहामिग-उसभ-तुरग-णरमगर-विहग-वालग-किन्नर-रूरू-सरभ-चमर-कुंजर-वणलय जाव पउमलयभत्तिचित्ते कंचणमणिरयणथूभियाए णाणाविहपंचवराणेहिं वराणश्रो घंटापडागपरिमंडियग्गसिहरे धवले मरीइकवयं विणिम्मुथुते लाउल्लोइयमहिए जाव ज्ञया 4 / तस्स णं सिद्धायतणस्स तिदिसिं तयो दारा पराणत्ता, ते णं दारा पंच धणुसयाई उद्धं उच्चत्तेणं श्रद्धाइजाई धणुसयाई विक्खंभेणं - तावइयं चेव पवेसेणं सेत्रावर-कणगथूभियागा दारवराणो जाव वणमाला, तस्स णं सिद्धाययणस्स अंतो बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पराणत्ते 5 / से जहाणामए श्रालिंगपुक्खरेइ वा जाव तस्स णं सिद्धाययणस्स णं बहुसमरमणिजस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महं एगे देवच्छंदए पराणत्ते पंचधणुसयाई थायामविवखंभेणं साइरेगाइं पंच धणुसयाई उद्धं उच्चत्तेणं सबरयणामए 6 / एत्थ णं अट्ठसयं जिणपडिमाणं जिणुस्सहेप्पमाणमित्ताणं संनिक्खित्तं चिइ एवं जाव धूवकडुच्छुगा ७॥सूत्रं 13 // कहि णं भंते ! वेअड्ढ पव्वए दाहिणड्डभरहकूडे णामं कूडे पराणते ?, गोयमा ! खंडप्पवायकूडस्म पुरच्छिमेणं सिद्धाययणकूडस्स पञ्चच्छिमेणं Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 10) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमी विभागः एन्थ णं वेअड्डपव्वए दाहिण डभरहकूडे णामं कूडे पराणत्ते 1 / सिद्धाययणकूडप्पमाणसरिसे जाव तरस णं बहुसमरमणिजस्स भूमिभागरस बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महं एगे पासायवडिसए पराणत्ते 2 / कोसं उट्ट उच्चत्तेणं श्रद्धकोसं विखंभेणं अभुग्गय-मूसियपहसिए जाव पासाईए 4, 3 / तस्स णं पासायवडंसगस्स बहुमज्भदेसभाए एत्थ णं महं एगा मणिपेडिया पराणत्ता, पंच धणुसयाई यायामविक्खंभेणं अड्डाइजाहिं धणुसयाई बाहनेणं सब्वमणिमई, तीने गा मणिगेटिशाण अशि सिंहावं परमानं, स्परियार भाणियव्वं 4 / से केपटेणं भंते ! एवं वुचइ-दाहिणड्डभरहकूडे 2 ?, गोयमा ! दाहिणड्डभरहकूडे णं दाहिणडभरहे णामं देवे महिड्डीए जाव पलियोवमट्टिईए परिवसइ, से णं तत्थ चउराहं सामाणियसाहस्सीणं चउराहं अग्गमहिसीणं सपरिवाराणं तिराहं परिसाणं सत्तरहं अणियाणं सत्तगहं अणियाहिबईणं सोलसराहं बायरवखदेवमाहस्सीणं दाहिणड्डभरहकूडस्म दाहिणड्डाए (भरहाए) रायहाणीए अराणेसि बहूणं देवाण य देवीण य जाव विहरइ 5 / कहि णं भंते ! दाहिणड्डभरहकूडस्स देवस्स दाहिणड्डा णामं रायहाणी पराणत्ता ?, गोयमा ! मंदरस्स पब्वतस्स दक्खिणेणं तिरियमसंखेजदीवसमुद्दे बीईवइत्ता अयराणं जंबुद्दीवे दीवे दविखणेणं वारस जोयणसहस्साइं योगाहित्ता एत्थ णं दाहिणड्डभरहकूडस्स देवस्म दाहिणड्ढ. भरहा णामं रायहाणी भाणियव्या जहा विजयस्म देवस्स 6 / एवं सव्वकूडा णेयव्वा जाव वेसमणकूडे परोप्परं पुरच्छिमपञ्चस्थिमेणं, इमेसि (इमा से) वराणावासे, गाहा–'मज्झे वेअड्डस्स उ कणयमया तिरािण होंति कूडा उ / सेसा पव्वयकूडा सब्वे रयणामया होति // 1 // माणिभद्दकूडे 1 वेयड्डकूडे 2 पुराणभद्दकूडे 3 एए तिरिण कूडा कणगामया सेसा छप्पि रयणमया 7 / दोराहं विसरिसणामया देवा कयमालए चेय णट्टमालए चेव, सेसाणं छराहं सरिसणामया-जराणामया य कूडा तन्नामा खलु हवंति ते देवा / Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग मूत्र :: प्रथमो वक्षस्कारः / [ 11 पलियोवमट्टिईया हवंति पत्तेयपत्तेयं // 1 // रायहाणीयो जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणं तिरियं असंखेनदीवसमुद्दे वीईवइत्ता अराणमि जंबुद्दीवे दीवे बारस जोत्रणसहस्साइं योगाहित्ता, एत्थ णं रायहाणीयो भाणियब्वायो विजयरायहाणीसरिसयायो 1 // सूत्रं 14 // से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ वेअड्डे पव्वए वेअड्डे पव्वए ?, गोयमा ! वेअड्ढे णं पव्वए भरहं वासं दुहा विभयमाणे 2 चिटुइ, तंजहा-दाहिणड्डभरहं च उत्तरड्डभरहं च, वेबड्डगिरिकुमारे अ इत्थ देवे महिड्डीए जाव पलिग्रोवमट्टिइए परिवसइ, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुचइ-वेअड्डे पव्वए 2, 1 / अदुत्तरं च णं गोश्रमा ! वेयड्डस्स पञ्चयस्स सासए णामधेज्जे पराणत्ते जंण कयाइ ण बासि ण कयाइ ण अत्थि ण कयाइ ण भविस्सइ भुविं च भवइ अ भविस्सइ अ धुवे णित्रए सासए अक्खए अव्वए अवटिए णिच्चे 2 ॥सूत्रं 15 // कहि णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे उत्तरड्डभरहे णामं वासे पराणते ?, गोयमा ! चुल्लहिमवंतस्स वासहरपव्वयस्स दाहिणे णं वेअड्डस्त पव्वयस्स उत्तरेणं पुरच्छिम-लवणसमुदस्स पञ्चच्छिमेणं पञ्चच्छिम-लवणसमुदस्स पुरच्छिमेणं एत्थ णं जंबुद्दीवे दीवे उत्तरडभरहे णामं वासे पराणत्ते पाईणपडीणायए उदीणदाहिणविच्छिण्णे पलिअंकसंठिए दुहा लवणसमुद्दपुढे पुरच्छिमिल्लाए कोडीए पुरच्छिमिल्लं लवणसमुद्दपुढे पञ्चच्छिमिलाए जाव पुढे गंगासिंधूहिं महाणईहि तिभागपविभत्ते दोरिण अट्टतीसे जोत्रणसए तिगिण अ एगूणवीसइभागे जोगुणस्स विखंभेणं 1 / तस्स बाहा पुरच्छिमपञ्चच्छिमेणं अट्ठारस वाणउए जोत्रणसए सत्त य एगूणवीसइभागे जोत्रणस्स अद्धभागं च थायामेणं तस्स जीवा उत्तरेणं पाइणपडीणायया दुहा लवणसमुद्द पुट्ठा तहेव जाव चोदस जोणसहस्साई चत्तारि श्र एकहत्तरे जोगुणसए छच्च एगणवीसइभाए जोत्रणस्स किंचिविसेसूणे थायामेणं पराणत्ता 2 / तीसे धणुपट्टे दाहिणेणं चोदस जोअणसहस्साइं पंच अट्ठा Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 12 } [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः वीसे जोयणसए एक्कारस य एगूणवीसइभाए जोपणस्स परिवखेवणं 3 / उत्तरड्डभरहस्स भंते ! वासस्स केरिसए थायारभावपडोयारे पराणत्ते ?, गोमा ! बहुममरमणिज्जे भूमिभागे पराणने 4 / से जहा णामए यालिंगपुक्खरेइ वा जाव कित्तिमेहिं चेव अकित्तिमेहिं चेव 5 / उत्तरडभरह गण भंते ! वासे मणुयाणं केरिसए श्रायारभावपडोयारे पराणत्ते ?, गोयमा ! ते णं मणुया बहुसंघयणा जाव अप्पेगडया सिझति जाव सव्व दुवखाणमंतं करेंति 6 // सूत्रं 16 // कहि णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे उत्तरड्डभरह वासे उसभकूडे णामं पधए पराणत्ते ?, गोयमा ! गंगाकुडस्स पचत्थिमेणं सिंधुकुडस्त्र पुरच्छिमेणं चुल्लहिमवंतस्स वासहरपव्वयस्स दाहिणिल्ने णितंवे, एत्थ णं जंबुद्दीवे दीवे उत्तरड्डभरहे वासे उसहकूड णामं पव्वए पराणत्ते 1 / अट्ठ जोगणाई उड्ड उच्चत्तेणं, दो जोयणाई उव्वेहेणं, मूले अट्ठ जोगणाई विक्खंभेणं मझे छ जोषणाई विवखंभेणं उवरि चत्तारि जोयणाई विक्खंभेणं, मूले साइरेगाई पराणवीसं जोयणाई परिक्खेवेणं मज्झे साइरेगाइं अट्ठारस जोयणाई परिक्खेवणं उवरि माइरेगाई दुवालस जोयणाई परिक्खेवणं, (पाठान्तरं-मूले बारस जोयणा: विक्खंभेणं मज्झे अट्ठ जोगणाई विक्खंभेणं उप्पि चत्तारि जायणगाई विक्खंभेणं मूल्ने साइरेगाइं सत्तत्तीसं जोषणाई परिवखेवणं मझे माइरेगाई पणवीसं जोशणाई परिक्खेवेणं उप्पि साइरेगाई बारस जोयणाई परिक्खवेणं) 2 / मूले विच्छिराणे मज्झे संक्खित्ते उप्पि तणुए गोपुच्छसंठाणसंठिए सव्वजंत्रणयामए अच्छे सराहे जाव पडिरूवे 3 / से णं एगाए पउमवरवेइथाए तहेव जाव भवणं कोसं थायामेणं अद्धकोसं विखंभेणं देसऊणं कोसं उड्ड उच्चत्तेणं, अहो तहेव 4 / उप्पलाणि पउमाणि जाव उसमें य एत्थ दव महिड्डीए जाव डाहिगोणं रायहाणी तहेव मंदरस्स पव्वयस्स जहा विजयस्स अविसेसियं 5 // सूत्रं 17 // // इति प्रथमो वक्षस्कारः // 1 // Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्र :: द्वितीयो वक्षस्कारः ] [ 13 // अथ द्वितीयो वक्षस्कारः // जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे भारहे वासे कतिविहे काले पराणत्ते ?, गोयमा ! दुविहे काले पराणत्ते, तंजहा-अोसप्पिणिकाले अ उस्सप्पिणिकाले अ 1 / योसप्पिणिकाले णं भंते ! कतिविहे पराणते ?, गोयमा ! छबिहे पराणत्ते, तंजहा-सुसमसुसमकाले 1 सुसमाकाले 2 सुसमदुस्समकाले 3 दुस्समसुसमाकाले 4 दुस्समाकाले 5 दुस्समदुस्समाकाले 6, 2 / उस्सप्पिणिकाले णं भंते ! कतिविहे पराणत्ते ?, गोयमा ! छविहे पराणत्ते, तंजहादुस्समदुस्समाकाले 1 जाव सुसमसुसमाकाले 6, 3 / एगमेगस्स णं भंते ! मुहुत्तस्स केवइया उस्सासद्धा विश्राहिया ?, गोश्रमा ! असंखिजाणं समयाणं समुदयसमिइसमागमेणं सा एगा श्रावलिअत्ति वुच्चइ संखिज्जायो श्रावलिश्रायो ऊसासो संखिजारो श्रावलिपात्रो नीसासो 4 / हट्ठस्स अणवगल्लस्स, णिस्वकिट्ठस्स जंतुणो। एगे उसासनीसासे, एस पाणुत्ति वुचई // 1 // सत्त पाणूई से थोवे, सत्त थोवाइं से लवे / लवाणं सत्तहतरीए, एस मुहुत्तेत्ति पाहिए // 2 // तिरिण सहस्सा सत्त य सयाई तेवत्तरि च ऊसासा / एस मुहुत्तो भणियो सव्वेहि अणंतनाणीहिं // 3 // एएणं मुहुत्तप्पमाणेणं तीसं मुहुत्ता अहोरत्तो पगणरस अहोरत्ता पक्खो दो पक्खा मासो दो मासा उऊ तिरिण उऊ अयणे दो अयणा संवच्छरे पंचसंवच्छरिए जुगे वीसं जुगाइं वाससए दस वाससयाई वाससहस्से सयं वाससहस्साणं वाससयसहस्से चउरासीई वाससयसहस्साई से एगे पुवंगे चउरासीई पुव्वंगसयसहस्साई से एगे पुब्वे एवं बिगुणं बिगुणं णेशव्वं तुडिए 2 अडडे 2 अववे 2 हूहुए 2 उप्पले 2 पउमे 2 णलिणे 2 अत्थणिउरे 2 अउए 2 नउए 2 पउए 2 चूलिया 2 सीसपहेलिए 2 जाव चउरासीइं सीसपहेलिअंगसयसहस्साइं सा एगा सीसपहेलिया एताव ताव गणिए एताव ताव गणिग्रस्स विसए तेण परं श्रोवमिए 5 // सूत्रं 18 // Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 12 ] / श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: मनमो विभागः से किं तं उमिए ?. 2 दुविहे पराणत्ते, तंजहा-पालयोवमे य नागरीवमे य, से किं तं पलियोवमे ?, पलियोवमस्म परूवणं करिस्मामि, परमाणू दुविहे पराणत्ते, तंजहा-सुहुमे अ वावहारिए य 1 / अणंताणं सहुमपरमाणुपुग्गलाणं समुदय समिइसमागमेणं वावहारिए परमाणू गिफजइ तत्य णो सत्थं कमइ-'सत्येण सुतिक्खेणावि छेत्तु भित्तुच जं किर गण सका। तं परमाणु सिद्धा वयंति बाई पमाणाणं // 1 // 2 / याताणं वावहारि. अपरमाणूणं समुदयसमिइसमागमेणं सा एगा उस्सराहसरिहयाइ वा सरािहसहियाइ वा उद्धरेगाइ वा तसरेाइ वा रहरेगाइ वा वालग्गेइ वा लिक्खाइ वा जूयाइ वा जयमन्भेइ वा उस्सेहंगुले इ वा 3 / अट्ट उस्सराहसगिहयायो सा एगा सराहसरिहया अट्ट सगहसरियायो सा एगा उद्धरेगा अट्ट उद्धरेणूयो सा एगा तसरेणू य? तसरेणूयो सा एगा रहरेगा पट्ट रहरेणूयो से एगे देवकुरूत्तरकुराण मणुस्साणं वालागे अट्ठ देवकुरुत्तरकुराण मणुस्साण वालग्गा से एगे हरिवासरम्मयवासाण मणुस्साणं बालग्गे 4 / एवं हमवयहेरगणवयाण मणुस्साणं पुचविदेहयवरविदेहाणं मणुस्साण वालग्गा सा एगा लिक्खा अट्ट लिक्खायो सा एगा जूया अट्ट जूयायो से एगे जवमझे अट्ट जबममा से एगे यंगुले एतेणं यंगुलप्पमाणेणं छ यंगुलाई पायो बारस अंगुलाइ विहत्थी चउवीसं अंगुलाई रयणी यडयालीसं यंगुलाई कुच्छी छराणउई अंगुलाई से एगे अक्खेइ वा दंडेइ वा पराइ वा जुगेइ वा मुसलेइ वा णालियाइ वा 5 / एतेणं धणुप्पमागेणं दो घणुसहस्साई गाउयं चत्तारि गाउयाई जोगणं, एएणं जोश्रणप्पमागोणं जे पल्ले जोयणं आयामविक्खंभेणं जोयणं उड्ड उच्चत्तेणं तं तिगुणं सविसेसं परिक्खवेणं, से णं पल्ले एगाहियवेहियतेहिश्र उक्कोसेणं सत्तरत्तपरूढाणं संम? सरिणचिए भरिए वालग्गकोडीणं 6 / ते ग वालग्गा णो कुत्थेजा णो परिविद्धंसेजा, णो अग्गी डहेजा, णो वाए हरेजा, णो पूइत्ताए Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्र :: द्वितीयो वक्षस्कारः / [ 15 हब्वमागच्छेज्जा, तो णं वाससए 2 एगमेगं वालग्गं अवहाय जावइएणं कालेणं से पल्ले खीणे णीरए णिल्लेवे णिट्ठिए भवइ से तं पलियोवमे 7 / एएसिं पल्लाणं कोडाकोडी हवेज दसगुणिया / तं सागरोवमस्स उ एगस्स भवे परीमाणं // 1 // एएणं सागरोवमप्पमाणेणं चत्तारि सागरोवमकोडाकोडीयो कालो सुसमसुसमा 1 तिगिण सागरोवमकोडाकोडीयो कालो सुसमा 2 दो सागरोवमकोडाकोडीयो कालो सुसमदुस्समा 3 एगा सागरोवमकोडाकोडी बायालीसाए वाससहस्सेहिं ऊणित्रा कालो दुस्लमसुसमा 4 एकवीसं वाससहस्साई कालो दुस्समा 5 एकवीसं * वाससहस्साई कालो दुस्समदुस्समा 6, पुणरवि उस्सप्पिणीए एकवीसं वाससहस्साई कालो दुस्समदुस्समा 1 एवं पडिलोमं श्रव्वं जाव चत्तारि सागरोवमकोडाकोडीयो कालो सुसमसुसमा 6, दससागरोवमकोडाकोडीयो कालो योसप्पिणी दससागरोवमकोडाकोडीश्रो कालो उस्सप्पिणी वीसं सागरोवमकोडाकोडीयो कालो श्रोसप्पिणीउस्सप्पिणी कालचक्कं ८॥सूत्रं 19 // जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे भरहे वासे इमीसे उस्सप्पिणीए सुसमसुसमाए समाए उत्तमकट्ठात्ताए भरहस्स वासस्स केरिसए अायारभावपडोयारे होत्था ?, गोयमा ! बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे होत्था से जहाणामए श्रालिंगपुक्खरेइ वा जाव णाणामणिपंचवराणेहिं तणेहि य मणीहि य उवसोभिए, तंजहा-किरहेहिं जाव सुकिल्लेहिं 1 / एवं वराणो गंधो फासो सद्दो श्र तणाण य मणीण य भाणिव्वो, जाव तत्थ णं बहवे मणुस्सा मणुस्सीश्रो अप्रासयति सयंति चिट्ठति णिसीयंति तुपट्टति हसंति रमंति ललंति 2) तीसे णं समाए भरहे वासे बहवे उद्दाला कुद्दाला मुद्दाला कयमाला पट्टमाला दंतमाला नागमाला सिंगमाला संखमाला सेश्रमाला णामं दुमगणा पराणना 3 / कुसविकुसविसुद्धरुक्खमूला मूलमंतो कंदमंतो जाव बीमंतो पत्तेहि अ पुप्फेहि अ फलेहि श्र उच्छराणपडिच्छराणा सिरिए अईव 2 Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 16) / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः उवसोभेमाणा चिट्ठति 4 / तीसे णं समाए भरहे वासे तत्थ तत्थ बहवे भेरुतालवणाई हेरुतालवणाई मेस्तालवणाई पभया(वा)लवणाई सालवणाई सरलवणाई सत्तिवराणवराणाई पूअफलिवणाई इक्खुवणाई खज्जूरीवणाई मालिएरीवणाई कुसविकुसं-विसुद्धक्खमूलाई जाव चिट्ठति 5 | तीसे णं समाए भरहे वासे तत्थ तत्थ बहवे सेरियागुम्मा णोमालियागुम्मा कोरंटयगुम्मा बंधुजीवगगुम्मा मणोजगुग्मा बीयगुम्मा बाणगुम्मा कणइरगुम्मा कुन्जायगुम्मा सिंदुवारगुम्मा मोग्गरगुम्मा जूहियागुम्मा मल्लियागुम्मा वासंतियागुम्मा वत्थुलगुम्मा कत्थुलगुम्मा सेवालगुम्मा अगस्थिगुम्मा मगदंतियागुम्मा चंपकगुम्मा जातीगुम्मा णावणीइथागुम्मा कुदगुम्मा महाजाइगुम्मा रम्मा महामेहणिकुरंबभूया दसद्धवराणं कुसुमं कुसुमेति जे णं भरहे वासे बहुसमरमणिज्जं भूमिभागं वायविधुअग्गसाला मुक्कपुष्फपुजोवयार. कलियं करंति 6 / तीसे णं समाए भरहे वासे तत्थ 2 तहि तहिं वहुईश्रो पउमलयात्रो जाव मामलयायो णिच्चं कुसुमियायो किराहायो किराहोभासायो जाव लयावराणयो, तीसे णं समाए भरहे वासे तत्थ 2 तहिं 2 बहुइयो वणराइयो परागत्तायो किराहायो किराहोभासायो जाव मणोहरायो रयमत्तग--छप्पय--कोरग--भिंगारग--कोंडलग-जीवंजीवग-नंदीमुहकविल-पिंगलक्खग-कारंडव-चकवायग कलहंस-हंस-सारम- अणेग-सउणगणमिहुण-विघरियायो सद्दुणइय-महुरसरणाझ्यायो संपिडियदरिय-भमर-महुकर-पहकर-परिलितमत्तच्छप्पय-कुसुमासव-लाल-महुर-गुमगुमंत-गुजंतदेसभागायो णाणाविहगुच्छ-गुम्म-मंडवगसोहियायो, वावीपुक्खरिणीदीहि. थासु य सुणिवेसिय-रम्मजालघरयायो विचित्तसुह-केउभूयो अभितर. पुष्फफलायो बाहिरपत्तोच्छराणायो पत्तेहि श्र पुप्फेहि य उच्छराणपरि. छराणायो साउफलायो णिरोगयायो सव्वोउयपुप्फ-फलसमिद्धायो पिंडिमनीहारिमं सुगंधिं सुहसुरभि मणहरं च महया गंधद्धणि मुअंतियो जाव Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ 17 श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्गसूत्र :: वितीयो वक्षस्कारः ] पासादीबायो 4, 7 // सूत्रं 11 // तीसे णं समाए भरहे वासे तत्थ तत्थ तहिं तहिं मत्तंगाणामं दुमगणा पराणत्ता, जहा से चंदप्पभा जाव छराणपडिच्छराणा चिट्ठांति, एवं जाद अणिगणाणामं दुमगणा पराणत्ता ॥सूत्रं 20 // तीसे णं भंते ! भरहे वासे मणुयाणं केरिसए अायारभावपडोयारे पराणत्ते ?, गोयमा ! ते णं मणुया सुपइटिअ-कुम्मचारुचलणा जाव लक्खण-बंजणगुणोववेया सुजाय-सुविभत्तसंगयंगा. पासादीया जाव पडि. रूवा 1 / तीसे णं भंते ! समाए भरहे वासे मणुईणं केरिसए श्रागारभावपडोबारे पराणत्ते ?, गोयमा ! तायो णं मणुईयो सुजायसव्वंगसुदरीश्रो पहाण-महिलागुणेहिं जुत्ता इक्कंत-विसप्पमाणमउया सुकुमाल-कुम्मसंठिय-विसिट्ठचलणा उज्जु(पउम)मउग्र-पीवर-सुसाहयंगुलीयो अन्भुराणयरइय-तलिण-तंबसुइरइय-गिद्धणक्खा रोमरहिश्र--बट्टलट्ठ-संठिय-ग्रजहराण-पसत्थ-लक्खण-श्रकोप्पजंघजुअलायो सुणिम्मिश्र-सुगूढसुजराणु(जाणु)मंडल-सुबद्धसंधीयो कयलीखंभाइरेक-संठियणिवण-सुकुमाल-मउग्रमंसल अविरल-समसंहिग्र--सुजाय-वट्टपीवरणिरंतरोरू अट्ठावय-वीइयपट्टसंठिय-पसत्थ-विच्छिराणपिहुलसोणी वयणायामप्पमाण-दुगुणिय-विसालमंसल-सुबद्ध-जहणवरधारिणीयो वजविराइय-पसत्थ-लक्खण-निरोदरतिवलिअ-बलिय-तणुणयमभिमायो उज्जुन-समसहिअ-जच्चतणु-कसिणणिद्ध-याइज-लडह--सुजाय---सुविभत्त-कंतसोभंत-रुइल-रमणिजरोमराई गंगावत्त-पयाहिणावत्त--तरंग-भंगुर-रविकिरण---तरुणबोहिअ-याकोसायंतपउम-गंभीरविअडणाभा अणुब्भड-पसत्थपीणकुच्छीयो सराणयपासायो संगयपासायो सुजायपासायो मिअमाइग्रपीणरइअपासायो अकरंडुअकणग-रुग-णिम्मल-सुजाय-णिरुवहयगायलट्टीयो कंचण--कलसप्पमाणसमसहिय-लट्टचुच्चुग्रामेलग-जमल-जुअल-वट्टिय--अभुराणय-(पीवर) पीणरइय-पीवरपयोहरायो भुअंग-अणुपुत्व-तणुश्र-गोपुच्छ-बट्ट-संहिब Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 18 | / श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभाग गामिय-याइजललिवाहा तंबणहायो मंसलग्गहत्यायो पीवरकोमलवरंगुलीयायो णिद्रपाणिरेहा रविमसि-संखवरचक-सोत्थिय-सुविभत्त-सुवि रइग्रपाणिलेहायो पीणुराणय--करकक्ख-वस्थि--प्पएला पडिपुराणगलकपोला चउरंगुल--सुप्पमाण---कंबरसरिसगीवायो मंसल-संठिय-पसत्थहणुगायो दाडिम-पुष्फप्पगास-पीवर--पलंब-कुचिअवराधरायो सुदरुत्तरोट्टायो दहि. दगरय-चंदकुद-वासंति-मउल-धवल-अच्छिद-विमलदसणायो रत्तुप्पलपत-मउय-सुकुमाल-तालुजीहायो कणवीर-मउल-कुडिल-अभुग्गय-उज्जु.. तुगणासायो सारय--णवकमल-कुमुन-कुवलय -विमल-दल-णियर-सरिसलक्षण-पसत्थ-अजिम्हकंतणयणा पत्तल-धवलायत--अातंवलोअणायो प्राणामिय-चाव-रुइल-किराह भराइ-संगय-सुजायभुमगायो अल्लीण-पमाण जुत्तसवणा सुसवणायो पीणमट्टगंडलेहायो चउरंस-पसत्थ-समणिडालायो कोमुई-रयणिपर-विमल-पडिपुराणसोमवयणा छत्तुराणयउत्तमंगायो अकविल-सुसिणिद्ध-सुगंध-दीहसिरयायो छत्त 1 ज्झय 2 जूय 3 थूभ 4 दामणि 5 कमंडलु 6 कलस 7 वावि 8 सोस्थिय 1 पडाग 10 जव 11 मच्छ 12 कुम्म 13 रहबर 14 मगरज्मय 15 अंक (सुक) 16 थाल 17 ग्रंकुस 18 ग्रहावय 11 सुपइट्टग 20 मयूर 21 सिरिअभिसेय 22 तोरण 23 मेइणि 24 उदहि 25 वरभवण 26 गिरि 27 वरायंस 28 सलीलगय 26 . उसभ 30 सीह 31 चामर 32 उत्तम-पसत्थ-बत्तीस-लक्खणधारीयो हंससरिसंगईयो कोइल महुर-गिरसुस्मरायो कंता सव्वस्स अणुमयायो ववगय बलिपलिवंग-दुव्वगण-वाहिदोहग्गसोगमुक्का उच्चत्तेण य णराण थोवूणमुस्सिायो सभावसिंगारचारु. वेसा संगयगय हसिय-भणिय-चिट्ठिय-विलास-संलावणिउण-जुत्तोबयारकुसला सुदरथण-जहण-वयण-करचलण-गायण-लावराण-रूव-जोव्वण-विलासकलिया णंदणवणविवरचारिणीउच्च अच्छरायो भरहवासमाणुसच्छरायो अच्छेरग Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्रं :: द्वितीयो वक्षस्कारः ] [ 19 पेच्छणिजायो पासाईयायो जाव पडिरूवायो, ते णं मणुश्रा श्रोहस्सरा हंसस्सरा कोचस्सरा णंदिस्सरा णंदिघोसा सीहस्सरा सीहघोसा सुसरा सूसरणिग्घोसा छायायवोजोविग्रंगमंगा वजरिसहनारायसंघयणा समचउर-संठाणसंठिया छविणिरातका अणुलोमवाउवेगा कंकग्गहणी कवोयपरिणामा सउणिपोस-पिटुतरोरुपरिणया छद्धणुसहस्समूसिया, तेसि णं मणुाणं वे छप्पराणा पिट्ठकरंडकसया पराणत्ता समणाउसो! पउमुप्पल-गन्ध-सरिस-णीसाससुरभिवयणा, ते णं मणुया पगईउवसंता पगई-पयणु-कोहमाणमायालोमा मिउमद्दवसंपन्ना अल्लीणा भद्दगा विणीया अप्पिच्छा असरिणहिसंचया विडिमंतरपरिखसणा जहिच्छियकामकामिणो // सूत्रं 21 // तेसि णं भंते! मणुयाणं केवइकालस्स पाहारट्टे समुप्पजइ ?, गोत्रमा ! अट्ठमभत्तस्स आहार? समुप्पजइ, पुढवीपुष्फफलाहारा णं ते मणुश्रा पराणत्ता समणाउसो! 1 / तीसे णं भंते ! पुढवीए केरिसए श्रासाए पराणत्ते ?, गोयमा ! से जहा णामए गुलेइ वा खंडेइ वा सक्कराइ वा मच्छंडिबाइ वा पप्पडमोथएइ वा भिसेइ वा पुप्फुत्तराइ वा पउमुत्तराइ वा विजयाइ वा महाविजयाइ वा आकासियाइ वा श्रादसियाइ वा अागासफलोवमाइ वा उग्गाइ वा अणोवमाइ वा इमेए अझोववणाए, भवे एग्रारूवे ?, णो इणमढे समं?, सा णं पुढवी इत्तो इट्टतरिथा चेव जाव मणामतरिया चेव यासाएणं पराणत्ता 2 / तेसि णं भंते ! पुप्फफलाणं केरिसए आसाए पराणत्ते ?, गोयमा ! से जहा णामए रगणो चाउरंतचकवट्टिस्स कल्लाणे भोरणजाए सयसहस्सनिष्फन्ने वराणेणुववेए जाव फासेणं उववेए अासायणिज्जे विसायणिज्जे दिप्पणिज्जे दप्पणिज्जे मयणिज्जे [विग्यणिज्जे] बिहणिज्जे सविदिअगायपल्हायणिज्जे, भवे एथारुवे ?, णो इणमढे सम?, तेसि णं पुष्फफलाणं एत्तो इट्टतराए चेव जाव श्रासाए पराणत्ते 3 // सूत्रं 22 // ते णं भंते ! मणुया तमाहारमाहरेत्ता कहिं वसहि उति ?, गोत्रमा ! Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 20 ] / श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागो रुक्खगेहालया णं ते मणुया पराणत्ता समणाउसो !, तेसि णं भंते ! रुक्खाणं केरिसए यायारभावपडोयारे पराणते ?, गोश्रमा ! कूडागारसंठिया पेच्छाच्छत्तमय थूभतोरण-गोपुरवेइया-चोप्फालग-थट्टालग-पासायहम्मिश्र--गवख-बालग्ग-पोइयावलभीघरसंठिया अत्थराणे इत्थ बहव वरभवण-विमिट्ट-संठाणसंठिया दुमगणा सुहसीलच्छाया पराणत्ता समणाउसो ! // सूत्रं 23 // अस्थि णं भंते ! तीसे समाए भरहे वासे गेहाइ वा गेहावरणाइ वा ?, गोश्रमा ! णो इणढे समी, रुक्खगेहालया णं ते मणुया पराणत्ता समणाउसो।.१। अस्थि णं भंते ! तीसे समाए भरह वासे गामाइ वा जाव संणिवेसाइ वा ?, गोयमा ! णो इण? समठे, जहिच्छियकामगामिणो णं ते मणुया पराणत्ता 2 / अस्थि णं भंते ! असीइ वा मसीइ वा किसीइ वा वणिएत्ति वा पणिएत्ति वा वाणिज्जेइ वा ?, णो इण? सम8, ववगय-असि-मसि-किसि-वणिग्र-पणियवाणिज्जा णं ते मणुया पराणत्ता समणाउसो !, 3 / अस्थि णं भंते ! हिरराणेइ वा सुवगणोइ वा कसेइ वा दूसेइ वा मणि-मोत्तिय-संख-सिलप्पवाल-रत्तरयणसावइज्जेइ वा ?, हंता अस्थि, णो चेव णं तेसि मणुाणं परिभोगत्ताए हव्यमागच्छइ 4 | अस्थि णं भंते ! भरहे रायाइ वा जुवराया इ वा ईसर तलवर-माडंबियकाडु बिन-इभ-सेटि-सेणावइसत्थवाहाइ वा ?. गोयमा ! णो इण? सम?, ववगयइडिसकाराणं ते मणया 5 | त्थि णं भंते ! भरहे वासे दासेइ वा पसेइ वा सिस्सेइ वा भयगेइ वा भाइल्लएइ वा कम्मयराइ वा ?, णो इण? सम8, ववगययाभियोगा णं ते मणुया पराणत्ता समणाउसो !, / अस्थि णं भंते ! तीसे समाए भरहे वासे मायाइ वा पियाइ वा भायाइ वा भागणिइ वा भजाइ वा पुत्ताइ वा धूयाइ वा सुगहाइ वा ?, हंता अस्थि, णो चेव णं तिब्वे पेम्मबंधणे समुप्प जइ 5 / अस्थि णं भंते ! भरह वासे अरीइ वा वेरिएइ वा घायएइ वा वहएइ वा पडिणीयए वा पञ्चामित्तेइ वा ?, णो Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्र :: द्वितीयो वक्षस्कारः ] [ 21 इणढे सम?, ववगयवेराणुसया णं ते मणुया पराणत्ता समणाउसो !, 8 | अस्थि णं भंते ! भरहे वासे मित्ताइ वा वयंसाइ वा णायएइ वा संघाडिएइ वा सहाइ वा सुहीइ वा संगएइति वा ?, हंता अस्थि, णो चेव णं तेसिं मणु. याणं तिव्वे रागबंधणे समुप्पजइ 1 | अस्थि णं भंते ! भरहे वासे श्रावाहाइ वा वीवाहाइ वा जराणाइ वा सद्धाइ वा थालीपागाइ वा मितपिंड. निवेदणाइ वा ?, णो इण? सम? वयगय-यावाह-वीवाह-जगण-सद्ध-थालीपाक-मितपिंडनिवेदणा णं ते मणुया पराणत्ता समणाउसो !, 10 / अस्थि णं भंते ! भरहे वासे इंदमहाति वा खंदमहाइ वा णागमहाइ वा जक्खमहाइ वा भूयमहाइ वा अगडमहाइ वा तडागमहाइ वा दहमहाइ वा णदिमहाइ वा रुक्खमहाइ वा पव्वयमहाइ वा थूभमहाइ वा चेइयमहाइ वा ?, णो इणढे सम?, ववगयमहिमा णं ते मणुया पराणत्ता 11 / अस्थि णं भंते ! भरहे वासे णडपेच्छाइ वा णट्टपेच्छाइ वा जलपेच्छाइ वा मल्लपेच्छाइ वा मुट्ठियपेच्छाइ वा वेलंबगपेच्छाइ वा कहगपेच्छाइ वा पवगपेच्छाइ वा लासगपेच्छाइ वा ?, णो इण8 समढे, ववगयकोउहल्ला णं ते मणुया पराणत्ता समणाउसो, 12 / यत्थि णं भंते / भरहे वासे सगडाइ वा रहाइ वा जाणाइ वा जुग्गाइ वा गिल्लिइ वा थिल्लिइ वा सीधाइ वा संदमाणिग्राइ वा ?, णो इण? सम8, पायचारविहारा णं ते मणुया पराणत्ता, समणाउसो !, 13 / अस्थि णं भंते ! भरहे वासे गावीइ वा महिसीइ वा अयाइ वा एलगाइ वा ?, हंता अस्थि, णो चेव णं तेसिं मणुाणं परिभोगत्ताए हव्वमागच्छति 14 / अस्थि णं भंते ! भरहे वासे यासाइ वा हथिइ वा उट्टाइ वा गोणाइ वा गवयाइ वा अयाइ वा एलगाइ वा पसयाइ वा मियाइ वा वराहाइ वा रुरुइ वा सरभाइ वा चमराइ वा कुरंगगोकराणमाझ्या ?, हंता अत्थि, णो चेव णं तेसिं परिभोगत्ताए हव्वमागच्छति 15 / अत्थि णं भंते ! भरहे वासे सीहाइ वा वग्धाइ वा विग-दीविग Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 22 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागा यच्छतरच्छ-सियाल-बिडाल-सुणग--कोकंतियकोलसुणगाइ वा ?, हता यत्थि, णो चेव णं तेसि मणुयाणं आवाहं वा वाबाहं वा छविच्छेयं वा उप्पायेंति, पगइभदया णं ते सावयगणा पराणत्ता समणाउसो !, 16 / यत्थि णं भंते ! भरहे वासे सालीति वा वीहि-गोहूम-जव-जवजवाइ वा कलममसूर-मुग्ग मास-तिल-कुलत्थ-णिप्फाव-प्रालिसंदग-अयसि-कुसुभ–कोददवकंगु-वरग-रालग-सण-सरिसव-मूलगबीयाइ वा ?, हंता अस्थि, णो चेव णं तेसि मणुयाणं परिभोगत्ताए हव्वमागच्छंति 17 / अस्थि णं भंते ! भरह वासे गड्डाइ वा दरी योवाय-पवाय-विसमविजलाइ वा ?, णो इण? सम8, भरहे णं वासे बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पराणत्ते, से जहाणामए यालिंगपुक्खरेइ वा जाव मणीहिं उवसोभिए, तंजहा-कित्तिमेहि चेव अकित्तिमेहि चेव 18 / अस्थि णं भंते ! भरहे वासे खाण्इ वा कंटगतणयकयवराइ वा पत्तकयवराइ वा ?, णो इण? सम?, ववगयखाणु-कंटगतण-कयवरपत्तकयवरा णं सा समा पराणत्ता, समणाउसो ! 16 / अत्थि णं भंते ! भरहे वासे डंसाइ वा मसगाइ वा जूयाइ वा लिक्खाइ वा टिंकुणाइ वा पिसुयाइ वा ?, णो इण8 सम8, ववगय-डंस-मसग जूथ-लिक्ख-टिंकुणपिसुया उवदवविरहिया णं सा समा पराणत्ता 20 / अस्थि ण भंते ! भरह यहीइ वा अयगराइ वा ?, हंता अस्थि, णो चेव णं तेसिं मणुयाणं यावाहं वा जाव पगइभद्दया णं ते वालगगणा पराणत्ता, समणाउसो ! 21 / अस्थि णं भंते ! भरहे डिबाइ वा डमराइ वा कलह-बोल-खार-वइरमहाजुद्धाइ वा महासंगामाइ वा महासत्थपडणाइ वा महापुरिसपडणाइ वा महारुहिरपडलाइ वा ?, गोयमा ! णो इण? समटेववगयवेराणुबंधा णं ते मणुया पराणत्ता समणाउसो ! 22 / अस्थि णं भंते ! भरहे वासे दुब्भूयाणि वा कुलरोगाइ वा गामरोगाइ वा मंडलरोगाइ वा पोट्टरोगाइ वा सीसवेपणाइ वा कराणोठ्ठ-अच्छि-णह-दंतवेयणाइ वा कासाइ वा सासाइ वा सोसाइ वा Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्गसूत्र :: द्वितीयो वझस्कारः ] [ 23 दाहाइ वा अरिसाइ वा अजीरगाइ वा दयोदराइ वा पंडुरोगाइ वा भगंदराइ वा एगाहियाइ वा बेबाहिश्राइ वा तेबाहिबाइ वा चउत्थाहियाइ वा इंदग्गहाइ वा धणुग्गहाइ वा खंदग्गहाइ वा कुमारग्गहाइ वा जक्खग्गहाइ वा भूयग्गहाइ वा मत्थयसूलाइ वा हिअयसूलाइ वा पोट्टसूलाइ वा कुच्छिसूलाइ वा जोणिसूलाइ वा गाममारीइ वा जाव सगिणवेसमारीइ वा पाणिक्खया जणक्खया कुलक्खया वसणभूमणारिश्रा ?, गोयमा ! णो इण? सम8, ववगयरोगायंका णं ते मणुश्रा पराणत्ता समणाउसो ! 23 // सूत्रं 2.4 // तीसे णं भंते ! समाए भारहे वासे मणुयाणं केवइयं कालं ठिई पराणत्ता ?, गोयमा ! जहरणेणं देसूणाई तिरिण पलिश्रोवमाई उक्कोसेणं देसूणाई तिरिण पलियोवमाइं 1 / तीसे णं भंते ! समाए भारहे वासे मणुाणं सरीरा केवइयं उच्चत्तेणं पराणत्ता ?, गोयमा / जहन्नेणं देसूणाई तिरिण गाउाई उक्कोसेणं तिरिण गाउप्राइं 2 / से णं भंते ! मणुश्रा किंसंघयणी पराणत्ता ?, गोयमा ! वइरोसभणाराय संघयणी पराणत्ता 3 / तेसि णं भंते ! मणुयाणं सरीरा किंसंठिया, पराणत्ता ?, गोश्रमा ! समवउरंस-संठाणसंठिया, तेसि णं मणुयाणं बेछप्पराणा पिट्ठकरंडयसया पराणत्ता समणाउसो ! 4 / ते णं भंते ! मणुया कालमासे कालं किच्चा कहि गच्छंति कहिं उववज्जति ?, गोयमा ! छम्मासावसेसाउथा जुअलगं पसवंति, एगणपण्णं राइदिवाइं सारक्खंति संगोवेंति 2 ता कासित्ता छीइत्ता जंभाइत्ता अकिट्ठा अवहिश्रा अपरिश्राविश्रा कालमासे कालं किचा देवलोएसु उववज्जंति, देवलोअपरिग्गहा णं ते मणुया पराणचा समणाउसो ! 5 | तीसे णं भंते ! समाए भरहे वासे कइविहा मणुस्सा अणुसजित्था ?, गोयमा ! छविहा पराणत्ता, तंजहा-पम्हगंधा 1 मित्रगंधा 2 अममा 3 तेश्रतली 4 सहा 5 सणिचारी 6, 6 // सूत्र 25 // तीसे णं समाए चउहिं सागरोवमकोडाकोडीहिं काले विइक्कते अणंतेहिं वगण Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः पज्जवेहिं अणंतेहिं गंधपजवेहिं अणंतेहिं रसपजवेहिं अणंतेहिं फासपजवेहिं अणंतेहिं संघयणपज्जवेहिं अणंतेहि संटाणपजवेहिं अणंतेहि उच्चत्तपजवेहि अणंतेहिं ग्राउपजवेहिं अणंतेहिं गुरुलहुपजवेहिं अणंतेहिं अगुरुलहुपजवेहिं अणंतेहिं उट्ठाण-कम्म-बल-वीरित्र-पुरिसक्कार-परकमपनवेहिं अणंतगुणपरिहाणीए परिहायमाणे एस्थ णं सुसमा णामं समा. काले पडिवज्जिसु समणाउसो ! 1 / जंबद्दीवे णं भंते ! दीवे इमीसे योसप्पिणीए सुसमाए समाए उत्तमकट्टपताए भरहस्स वासस्स केरिसए यायारभावपडोयारे होत्था ?, गोयमा ! बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे होत्था, से जहाणामए ग्रालिंगपुवखरेइ वा तं चेव जं सुममसुसमाए पुव्ववरिणयं, णवरं णाणत्तं चउधणुसहस्समूसिया एगे अट्ठावीसे पिट्टकरंडुकसए छट्ठभत्तस्स थाहारट्टे, चउसर्टि राइदिवाई सारखंति, दो पलियोवमाई ग्राऊ सेसं तं चेव 2 / तीसे णं समाए चउब्विहा मणुस्सा अणुसज्जित्था, तंजहाएका 1 पउरजंघा 2 कुसुमा 3 सुसमणा 4.3 // सूत्रं 26 // तीसे णं समाए तिहिं सागरोवमकोडाकोडीहिं काले वीइक्कते अणंतेहिं वराणपजवेहि जाव अणंतगुणपरिहाणीए परिहायमाणी 2 एत्थ णं सुसमदुस्समाणामं समा पडिवजिंसु समाणाउसो ! 1 / सा णं समा तिहा विभजइ, तंजहा-पढमे तिभाए 1 मज्झिमे तिभाए 2 पच्छिमे तिभाए 3, 2 / जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे, इमीसे योसप्पिणीए सुसमदुस्समाए समाए पढममज्झिमेसु तिभाएसु भरहस्स वासस्स केरिसए यायारभावपडोयारे पुच्छा, गोमा ! बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे होत्था, सो चेव गमो अव्वो णाणत्तं दो धणुसहस्साई उ8 उच्चत्तेणं, तेसिं च मणुयाणं चउसटिपिट्ठकरंडगा चउत्थभत्तस्स थाहारत्थे समुप्पज्जइ ठिई पलिग्रोवमं एगणासीई राइंदिश्राई सारक्खंति संगोवेंति, जाव देवलोगपरिग्गहिया णं ते मणुया पराणत्ता समणाउसो !, 3 / तीसे गं भंते ! समाए पच्छिमे तिभाए भरहस्स वासस्स केरि Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्र :: द्वितीयो वक्षस्कार / सा यायारभावपडोयारे होत्था ?, गोत्रमा! बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे। होत्था से जहा णामए प्रालिंगपुक्खरे इ वा जाव मणीहिं उबसोभिए जहा-कित्तिमेहि चेव अकित्तिमेहिं चेव 4 / तीसे णं भंते ! समाए पच्छिमे तिभागे भरहे वासे मणुयाणं केरिसए पायारभावपडोपारे होत्था ?, गोश्रमा ! तेसिं मणुयाणं छविहे संघयणे छविहे संठाणे बहुणि वणुमयाणि उद्धं उच्चत्तेणं जहराणेणं संखिजाणि वासाणि उक्कोसेणं अमंखिजाणि वासाणि ग्राउयं पालंति पालिना अप्पेगइया णिरयगामी अप्पेगइया तिरियगामी अप्पेगइथा मणुस्सगामी अप्पेगइया देवगामी अप्पेगइया सिझति जाव सव्वदुक्खाणमंतं करेंति 5 // सूत्रं 27 // तीसे णं समाए पच्छिमे तिभाए पलिश्रोवमट्ठभागावसेसे एत्थ णं इमे पराणरस कुलगरा समुप्पजिस्था, तंजहा-सुमई 1 पडिस्सुई 2 सीमंकरे 3 सीमंधरे ? खेभंकरे 5 खेमंधरे 6 विमलवाहणे 7 चक्खुमं = जसमं 1 अभिचंदे 10 चंदाभे 11 पसेणई 12 मरुदेवे 13 णाभी 14 उसमे ति॥सूत्र२८॥ तत्थ णं सुमई 1 पडिस्सुइ 2 सीमंकर 3. सीमंधर 4 खेमंकरा 5 णं एतेसि पंचराहं कुलगराणं हकारे णामं दराडणीई होत्था, ते णं मणुया हक्कारेणं दंडेणं हया समाणा लजिया विलजिया वेड्डा भीश्रा तुसिणीया विणश्रोणया चिट्ठति 1 / तत्थ णं खेमंधर 6 विमलवाहण 7 चक्खुमं 8 जसमं 1 अभिवंदाणं 10 एतेसि णं पंचराहं कुलगराणं मकारे णामं दंडणीई होत्था, ते णं सणुया मकारेणं दंडेणं हया समाणा जाव चिट्ठति 2 / तत्थ णं चंदाम 11 पसेणइ 12 मरुदेव 13 णाभि 14 उसभाणं 15 एतेसि णें पंचगहं कुलगराणं धिक्कारे णाम दंडणीइ होत्था, ते णं मणुया धिक्कारेणं दंडेणं हया समाणा जाव चिट्ठति 3 // सूत्रं 21 // णाभिस्स णं कुलगरस्स महदेवाए भारियाए कुच्छिसि एत्थ णं उसहे णामं परहा कोसलिए पढमराया पढमजिणे पढमकेवली पढमतित्थकरे पढमधम्मवरचकवट्टी समुप्पजित्थे 1 / Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: मतमा विभागः तए णं उसमे परहा कोसलिए वीमं पुव्यसयसहस्साई कुमारवासमझ मइ वसइत्ता तेपट्टि पुव्वसयमहस्साई महारायवाममज्झे वमइ (मज्झावमड), नेवटि पुव्वसयमहस्साई महारायवासमज्झे वसमागा लेहाइयायो गणि यायहाणायो सगरुयपजवसाणायो बावरि कलायो चोसट्टि महिलागण सिप्पसयं च कम्माणं तिरिणवि पयाहियाए उवदिमइनि. उदिमित्ता पुत्तसयं रजमए अभिसिंचड, अभिसिंचित्ता तेसीई पुव्वसयसहस्साई महाराय(यगार)वासमझ वमइ, बमित्ता जे से गिम्हाणं पदमे मासे पदमे पाच चित्तबहुले तस्स णं चित्तबहुलस्म गावमीपरवेणं दिवसम्म पनिटमे भागे चइता हिरगां चडता सुवरणं चइना कोसं कोट्टागारं चइत्ता बलं चइत्ता वाहणं इत्ता पुरं चइत्ता अंतेउरं चहत्ता विउलधण-काग रयणा मणिमोतिय-संख-सिलप्पवाल-रत्नरयण-संतसारमावइन्ज विच्छवयित्ता विगोवईना दायं दाइयाणं परिभाएत्ता सुदंसणाए मीयाए सदेवमणुयासुराए परिमाण समणुगम्ममाणमग्गे संखिय-चक्कि -णंगलि अ-मुहमंगलिय-पूममागाव-बद्ध. माणग-ग्राइक्खग-लंख मंग्व-भिवरखाग-घंटियगहि ताहिं इटाहिं कताहि पिपाहिं मणुराणाहिं मणामाहि उरलाहिं कलाणाहि सिवाहि पन्नाहि मंगलाहिं सस्सिरियाहिं हिययगमणिजाहिं हिययपल्हायगिाजाई करागामणणिबुईकराहिं यपुशरुत्ताहि अट्टसइयाहि वहि अणवस्यं अभिणदंता य अभिथुणंता य एवं वयासी-जय जय नंदा ! जय जय महा / धम्मेणं अभीए परीसहोवसग्गाणं खंतिखमे भयभेवाणं धम्म ते अविग्घ भवउत्तिकटु अभिगंदंति य अभिथुणंति श्र 2 / ता णं उसभ यरहा कोसलिए णयणमालासहस्सेहिं पिच्छिजमाणे 2 एवं जाब णिग्गच्छद जहा उववाइए जाव ग्राउनबोलबहुलं गाभं करते विणीयाए रायहाणी मझमझेणं गिग्गच्छइ 2 अासिय--संमजिय-सित्त-सुइक--पुष्फोवयार. कलियु मिन्द्रस्थवण-विउलरायमग्गं करेमाणे हयगयरहपहकरेण पाइकचड. Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्र :: द्वितीयो वक्षस्कार : ] [ 27 करेण य मंदं 2 उद्धतरेणुयं करेमाणे 2 जेणेव सिद्धत्थवणे उज्जाणे जेगाव अमोगवरपायवे तेणेव उवागच्छति 2 असोगवरपायवस्स आहे सीयं ठावेइ 2 ता सीयायो पचोरुहइ 2 ता सयमेवाभरणालंकारं श्रोमुग्रइ 2 त्ता सयमेव चरहिं अट्टाहि लोयं करेइ 2 त्ता छट्टेणं भत्तेणं अपाणएणं श्रासादाहिं पक्वत्तेणं जोगमुवागएणं उग्गाणं भोगाणं राइनाणं खत्तियाणं चाहिं महस्सेहिं सद्धिं एगं देवदूसमादाय मुडे भवित्ता यगारायो अणगारियं पव्वइए 3 // सूत्रं 30 // उसभे णं परहा कोसलिए संवच्छरं साहियं चीवरधारी होत्था, तेण परं अचेलए 1 / जप्पभिई च णं उसमे अरह। कोसलिए मुडे भवित्ता अगारायो गणगारियं पव्वइए तप्पभिई च णं उसमे अरहा कोसलिए णिच्चं वोसट्टकाए चिअत्तदेहे जे केइ उवसग्गा उप्पज्जति, तंजहा-दिब्बा वा जाव पडिलोमा वा अणुलोमा वा, तत्थ पडिलोमा वेत्तेण वा जाव कसेण वा काए बाउट्टजा अणुलोमा वं देज वा जाव पज्जुवासेज वा ते सव्वे सम्म सहइ जाव यहियासेइ 2 / तए गां से भगवं समणे जाए ईरियासमिए जाव पारिट्टावणियासमिए मणसमिए वयसमिए कायसमिए मणगुत्ते जाव गुत्त्वंभयारी अकोहे जाव अलोहे संते पसंते उवसंते परिणिबुडे छिगणसोए निरुवलेवे संखमिव निरंजणे जच्चकणगं व जायरूवे पादरिसपडिभागे इव पागडभावे कुम्मो इव गुत्तिदिए पुक्खरपत्तमिव निरुवलेवे गगणमिव निरालंबणे अणिले इव णिरालए चंदो इव सोमदंसणे सूरो इव तेअंसी विहग इव अपडिबद्धगामी सागरो इव गंभीरे मंदरो इव अकंपे पुढवीविव सव्वफासविसहे जीवो विव अप्पडिहयगइत्ति 3 / णस्थि णं तस्स भगवंतस्स कथइ पडिबंधे, से पडिबंधे चउविहे भवति, तंजहा-दव्वयो खित्तयो कालयो भावो, दव्वो इह खलु माया मे पिया मे भाया मे भगिणी मे जाव संगंथसंथुया मे हिरगणं मे सुवरणं मे जाव उवगरणं मे, यहवा समासयो सञ्चित्ते वा अचित्ते वा मीसए वा Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ { श्रीमदागमसुधासिन्धु: :: मतमो विमानः दबजाए सेवं तस्म गा भवइ, वित्त यो गामे वा गागरे या यरगणे वा ग्वत्ते वा बल वा गह वा यंगगा वा एवं तम्स गा भवइ कालया थाव वा लव वा मुहुत्ते वा ग्रहोरते वा पक्ख वा मासे वा उऊए वा श्रयणे वा मंचच्चरे वा अन्नयरे वा दीहकालपडिबंधे एवं तम्म ण भवइ. भावो कोहे वा जाव लाह वा भए वा हासे वा एवं तस्स ण भवइ, से णं भगवं वासावासवज्ज हेमंतगिम्हासु गामे एगराइए णगरे पंचराइए ववगयहास-मोग-यरइ-भयपरि. त्तासे णिम्ममे गिरहंकारे लहुभूए अगंथे वासीतच्छणे यदु? चंदणाणुलेवगे अरते लेट्ठमि कंचणमि अ समे इह लोए अपडिबद्धे जीवियमरणे निरवकखे संसारपारगामी कम्मसंगणिग्घायणटाए यज्भुट्टिए विहरइ 4 / तम्स णं भगवंतस्स एतेणं विहारेणं विहरमाणस्म एगे वाससहस्से विइक्कते ममागो पुरिमतालस्म नगरस्म बहिया मगडमुहंसि उज्जाणंसि णिग्गोहबरपायवम्म ग्रह झाणंतरियाए वट्टमागास्म फग्गुणबहुलस्म इकारसीए पुवराहकालसमयंमि अट्ठमेणं भत्तेगणं अपागाएगणं उत्तरामाटाणक्खत्तेणं जोगमुवागण्ग अणुत्तरेणं नाणेणं जाव चरित्तेणं अणुत्तरेणं तवेणं वलेणं वीरिएगां पानपणं विहारेणं भावणाए खंतीए गुत्तीए मुत्तीए तुट्टीए अजवेगां महवेणं लाघवेणं सुचरित्र-सोवचित्र-फलनिव्वाणमग्गेणं यप्पाणं भावमागाम्म अणंते यगुत्तरे णिव्याघाए गिरावरणे कसिगो पडिपुराणों केवलवरनाणदंसणे समुष्पराणे जिणे जाए केवली मन्वन्नू सव्वदरिमी सणारझ्य-तिरियनरामरम्म लोगम्म पजरे जाणइ पासइ, तंजहा-यागई गई टिई उपवाय भुत्तं कडं पडिसेवियं यावीकम्मं रहोकम्मं तं तं कालं मगावयकाये जोग पवमादी जीवाणवि मब्वभावे अजीवाणवि सब्वभावे मोकग्वमग्गम्म विसुद्धतराए भावे जाणमाणे पासमाणे एम खलु मोक्खमग्गे मम अराणमि च जीवाणं हियसुहणिस्सेसकरे सव्वदुक्खविमोक्खणे परमसुहसमाणगो भविस्सइ 5 / तते णं से भगवं समगाणं निग्गंथाण य णिग्गंथीण य पंच Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [29 श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्गसूत्रं : द्वितीयो वक्षस्कारः ) महब्बयाई सभावणगाई छच्च जीवणिकाए धम्म देसमाणे विहरति, तंजहापुढविकाइए भावणागमेणं पंच महत्वयाई सभावणगाई भाणिव्वाइंति 6 / उसभस्म णं अरहयो कोसलियत्स चउरासी (गणाराणहरा होस्था 7 / उसभस्स णं अरहो कोसलिअस्स उसमसेणपामोक्खायो चुलसीइं समणसाहस्मीश्रो उक्कोसिया समणसंपया होत्था 8 / उसभस्स णं अरहयो कोसलिअस्स बंभीसुदरीपामोक्खायो तिगिण अजिबासयसाहस्सीयो उक्कोसियाअजियासंपया होत्था 1 / उसभस्म णं अरहयो कोसलिअस्स सेज्जंसपामोक्खायो तिरिण समणोवासगसयमाहस्सीयो पंच य साहस्सीयो उक्कोसिया समणोवासगसंपया होत्था 10 / उसभस्स णं अरहयो कोसलिअस्स सुभदापामोक्खायो पंच समणोवासियासयसाहस्सीयो चउपराणं च सहस्सा उक्कोसिया समणोवासियासंपया होत्था 11 / उसमस्स णं अरहयो कोसलिअस्स अजिणाणं जिणसंकासाणं सव्वक्खरसन्निवाईणं जिणो विव अवितहं वागरमाणाणं चत्तारि चउद्दसपुव्वीसहस्सा अट्ठमा य सया उक्कोसिया चउदमपुवीसंपया होथा 12 / उसभस्स णं अरहो कोसलिअस्स णव मोहिणाणिसहस्सा उक्कोसिया श्रोहिणाणिसंपया हुत्था 13 / उसभस्स णं अरहयो कोसलिअस्स वीसं जिणसहस्सा वीसं वेउव्विसहस्सा छच्च सया उक्कोसिया वेउब्वियसंपया हुत्था 14 / बारस विउलमईसहस्सा छच्च सया पराणासा वारस वाईसहस्सा छच सया पराणासा 15 / उसभस्स णं अरहो कोमलिथस्स गइकलाणाणं ठिकल्लाणाणं यागमेसिभदाणं बावीसं अणुत्तरोववाईयाणं सहस्सा णव य सया 16 / उसमस्स णं यरहश्रो कोसलिअस्स वीसं समणसहस्सा सिद्धा, बत्तालीसं अजिबासहस्सा सिद्धा संट्टि अंतेवासीसहस्सा सिद्धा 17 / अरहयो णं उसभस्स बहवे अंतेवासी अणगारा भगवंतो अप्पेगइया मासपरिाया जहा उववाइए सव्वश्रो अणगार. वराणो जाव उद्धंजाणू अहोसिरा माणकोट्टोवगया संजमेणं तवसा Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 30 ] __ [ श्रीमदागमसंधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः अप्पाणं भावमाणा विहरंति 18 / अरहयो णं उसभस्स दुविहा यंतकरभूमी होत्था, तंजहा-जुगंतकरभूमी अ परियायतकरभूमी य, जुगंतकरभूमी जाव असंखेजाई पुरिसजुगाई, परियायतकरभूमी अंतोमुहुत्तपरियाए अंत. मकासी 11 // सूत्रं 31 // उमभे गां अरहा पंचउत्तरासाढे अभीडछ? हात्था. तंजहा-उत्तरासादाहिं चुप चइत्ता गम्भं वक्ते उत्तरासादाहिं जाए उत्तरामादाहिं रायाभिसेयं पने उत्तरासादाहिं मुडे भवित्ता अगारायो यणगारियं पवइए उत्तरामाढाहिं यांने जाव समुप्परागो, अभीगाा परिणिव्युए ।।सूत्रं 32 // उसमे गणं अरहा कोमलिए बजरिमहनारायसंघयण समचउरंससंठाणसंठिए पंच घणुसयाई उद्धं उच्चत्तणं होत्था 1 / उममें गणं यरहा वीस पुव्वप्सयसहस्माई कुमारवासमझे वसित्ता तेवट्टि पुव्यसयसहस्साई महारजवासमझे वमित्ता तेसीई पुवमयसहस्पाई अगारवासमझे वसित्ता मुंडे भविता अगारायो अणगारियं पव्वइए 2 / उसमें गां यरहा एवं बामसहस्म करमत्थपरियायं पाउणिना एगं पुव्वसहम्मं वाससहम्मूणं केवलिपरियायं पाउणित्ता एगं पुब्बसयसहस्सं बहुपडिपुराणं मामराणापरियायं पाउगिता चउरासीइं पुव्वसयसहस्साई सव्वाउयं पालइत्ता जे से हमंताणं तच्च मास पंचमे पक्खे माहबहुले, तस्स णं माहबहुलम्स तेरमीपवरवेणं दसहि यणगारमहस्सेहि सद्धिं संपरिखुडे अट्टावयसेलसिहरंसि वोइसमेणं भत्तेणं अपाणएणं संपलियंकणिसराणे पुब्वराहकालसमयंसि अभीइणा गावखनेणं जोगमुवागएणं सुसमदूसमाए समाए एगूणणव उईईहिं पक्वेहि सेसेहिं कालगए वीइक्कते जाव सव्वदुक्खप्पहीण 3 / जं समयं च णं उसमे यरहा कोसलिए कालगए वीइक्कते समुन्जाए लिगणनाइजरामरणावंगो मिद्धे बुद्धे जाव सव्वदुक्खप्पहीणे तं समयं च गई सकस्स देविदस्म देवरराणा थासण चलिए, तए णं से सक्के देविदे देवराया ग्रासणं चलिग्रं पासइ पासित्ता प्रोहिं पउंजइ 2 ता भयवं तित्थयरं योहिणा याभोएट 2 Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [31 श्रीपज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्गसूत्रं : द्वितीयो वक्षस्कार : ] ता एवं क्यासी-परिणिध्वुए खलु जंबुद्दीवे दीवे भरहे वासे उसहे अरहा कोसलिए, तं जीयमेयं तीअपच्चुप्पराण-मणागयाणं सकाणं देविंदाणं देवराईणं तित्थगराणं परिनिव्वाणमहिमं करेत्तए, तं गच्छामि णं अहंपि भगवतो तित्थगरस्स परिनिव्वाणमहिमं करेमित्तिकटु वंदइ णमंसइ 2 त्ता चउरासीईए समाणिसाहस्सीहिं तायत्तीसाए तायत्तीसएहिं चउहिं लोगपालेहिं जाव चउहि चइरासीईहि श्रायरवखदेवसाहस्सीहिं अराणेहि य बहहिं सोहम्मकप्पवासीहिं वेमाणिएहि देवेहिं देवीहि अ सद्धि संपरिबुडे ताए उकिट्ठाए जाव तिरिश्रमसंखेजाणं दीवसमुदाणं मझमझेणं जेणेव अट्ठावयपव्वए जेणेव भगवयो तित्थगरस्स सरीरए तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता विमणे गिराणंदे अंसुपुराणणयणे तित्थयरसरीरयं तिक्खुत्तो पायाहिणं पयाहिणं करेइ 2 ता णच्चासराणे णाइदूरे सुस्सूसमाणे जाव पज्जुवासइ 4 / तेणं कालेणं तेणं ममएणं ईसाणे देविदे देवराया उत्तरद्धलोगाहिवई अट्ठावीस-विमाणसयमहस्साहिवई मूलपाणी वसहवाहणे सुरिंदे अरयंबरवस्थधरे जाव विउलाई भोगभोगाइं भुजमाणे विहरइ 5 / तए णं तस्स ईसाणस्स देविंदस्स देवरगणो श्रासणं चलइ, तए णं से ईसाणे जाव देवराया अासणं चलियं पासइ 2 त्ता योहिं पउंजइ 2 ता भगवं तित्थगरं श्रोहिणा श्राभोएइ 2 त्ता जहा सक्के निगपरिवारेणं भाणिग्रव्यो जाव पज्जुवासइ, एवं सब्वे देविंदा जाव अच्चुए णित्रगपरिवारेणं आणेव्वा, एवं जाव भवणवासीणं इंदा वाणमंतराणं सोलस जोइसियाणं दोरिण निगपरिवारा अव्वा 6 / तए णं सक्के देविंदे देवराया बहवे भवणवइवाणमंतर-जोइसवेमाणिए देवे एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! णंदणवणायो सरसाइं गोसीसवरचंदणकट्ठाई साहरह 2 ता तो चिइगायो रएह-एगं भगवश्रो तित्थगरस्स एगं गणधराणं एगं अवसेसाणं अणगा Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 32] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः राणं 7 / तए णं ने भवगणवइ जाव वेमाणिया देवा गंदावणायो सरमाई गोसीसवरचंदणकट्ठाई साहरंति 2 ता तयो चिइगायो रएंति, पगं भगवयो तित्थगरस्स एगं गणहराणं एगं अवसेसाणं अणगारागणं 8 / तए णं से सक्के देविंदे देवराया अाभियोगे देवे मद्दावेइ 2 ना एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! खीरोदगममुद्दायो खीरोदगं साहरह, तए ण ने याभियोगा देवा खीरोदगसमुदायो खीरोदगं साहरंति 1 / तए णं से सक्के देविदे देवराया तित्थगरमरीरगं खीरोदगेणं गहागाति 2 ता सरसेणं गोसीसवरचंदणेणं अणुलिपइ 2 ता हंसलक्खणं पडमाडयं णिग्रंसेइ 3 त्ता सव्वालंकारविभूमिग्रं करेंति 10 / तए णं ते भवणावइ जाव वेमाणिया गणहरमरीरगाइं अणगारमरीरंगाईपि खीरोदगेणं राहावंति 2 ना मरसेणं गोसीसवरचंदणेणं अणुलिपंति 2 ना अहताई दिवाई देवदूसजु मलाई णियंसंति 2 ता सब्बालंकारविभूसियाई करेंति 11 / तए णं से सरके देविंद देवराया ते बहवे भाणवइ जाव वेमाणिए देवे एवं बयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया: ईहामिग-उसभ-तुरय जाव वणलयभत्तिचित्तानो तश्रो सिवियायो विउवह, एगं भगवयो तित्थगरस्त एगं गणहराणं एगं अवसेसाणं अणगाराणं 12 / तए णं ते बहब भवणवइ जाव वेमाणिया तयो सिवियायो विउव्वंति, एगं भगवयो तित्थगरस्स एगं गणहराणं एग अवसेसाणं अणगाराणं 13 / तए णं से सक्के देविदे देवराया विमणे णिराणंदे अंसुपुराणणायणे भगवयो तित्थगरस्त विणजम्मजरामरणस्त सरीरगं मीयं बारुहेति 2 चिइगाए ठवेइ 14 / तए णं ते बहवे भवणवइ जाव वेमाणिया देवा गणहराणं यणगाराण य विण?जम्मजरामरणाणं सरीरगाई सीयं पारुहेति 2 त्ता बिइगाए ठति 15 / तए णं से सक्के देविदे देवराया अग्गिकुमारे देवे सदावेइ 2 ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! तिस्थगरचिइगाए Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्गसूत्रं : द्वितीयो वक्षस्कारः ] जाव अणगारचिइगाए अगणिकायं विउवह 2 ता एयमाणातयं पञ्चपिणह 16 / तए णं ते अग्गिकुमारा देवा विमणा णिराणंदा अंसुपुराणणयणा तित्थगरचिइगाए जाव यणगारचिइगाए अ अगणिकायं विउव्वंति 17 / तए णं से सक्के देविंदे देवराया बाउकुमारे देवे सदावेइ 2 त्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया : तित्थगरचिइगाए जाव अणगारचिइगाए अ वाउकायं विउव्वह 2 ता अगणिकायं उजालेह तित्थगरसरीरगं गणहरसरीरगाइं अणगारसरीरगाइं च झामेह 18 | तए णं ते वाउकुमारा देवा विमणा णिराणंदा अंसुपुराणणयणा तित्थगरचिङगाए जाव विउव्वंति अगणिकायं उजालेंति तित्थगरसरीरगं जाव अणगारमरीरगाणि अ झाति 11 / तए णं से सक्के देविदे देवराया ते बहवे भवणवइ जाव वेमाणिए देवे एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! तिस्थगरचिइगाए जाव अणगारचिङगाए अगुरुतुरुकघयमधुच कुभग्गसो अ भारग्गसो अ साहरह 20 / तए णं ते भवणवइ जाव तित्थगर जाव भारग्गसो असाहरंति 21 / तए णं से सक्के देविंदे देवराया मेहकुमारे देवे सदावेइ 3 त्ता एवं वयासी--खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! तित्थगरचिइगं जाव अणगारचिइगं च खीरोदगेणं णिव्वावेह, तए णं ते मेहकुमारा देवा तित्थगरचिइगं जाव णिव्वाति 22 / तए णं से सक्के देविदे देवराया भगवयो तित्थगरस्स उवरिल्लं दाहिणं सकहं गेराहइ ईसाणे देविंदे देवराया उवरिल्लं वामं सकहं गेराहइ, चमरे असुरिंदे असुरराया हिडिल्लं दाहिणं सकहं गेराहइ बली वइरोअणिदे वइरोत्रणराया हिडिल्लं वाम सकहं गेराहइ, अवसेसा भवणवइ जाव वेमाणिया देवा जहारिहं यवसेसाई अंगमंगाई, केई जिणभत्तीए केई जीयमेयंतिकटु केइ धम्मोत्तिक? गेराहंति 23 / तए णं से सक्के देविंदे देवराया बहवे भवणवइ जाव वेमाणिए देवे जहारिहं एवं वयासी Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 34 [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / गप्तमो विभाग खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! सव्वरयणामए महइमहालए तयो चेइअथूभे करेह, एगं भगवयो तित्थगरस्म चिइगाए एगं गणहरचिइगाए एग यवसेमाणं यणगाराणं चिइगाए 24 / तए गणं ते बहवे जाव करेंति, तए गां ते बहवे भवणवइ जाव वेमाणिया देवा तित्थगरस्म परिणिबागमहिमं करेंति 2 ता जेणेव नंदीसरवरे दीवे तेणेव उवागच्छन्ति 24 / तए णं से सक्के देविंदे देवराया पुरच्छिमिल्ले अंजणगपव्वए अट्ठाहियं महामहिमं करेति 26 / तए णं सकस्म देविंदस्स देवरन्नो चत्तारि लोगपाला चउसु दहिमुहगपव्वएसु अट्टाहियं महामहिमं करेंति 27 / ईसाणे देविंदे देवराया उत्तरिल्ने अंजणगे अट्टाहियं तस्स लोगपाला बउसु दहिमुहगेसु अट्टाहिरं, चमरो श्र दाहिणिल्ले अंजणगे तस्स लोगपाला दहिमुहगपव्वएसु, बली पचत्थिमिल्ले अंजणगे तस्स लोगपाला दहिमुहगेसु 28 // तए णं ते बहवे भवणवइयाणमंतर जाव अट्टाहियायो महामहिमायो करेंति करित्ता तेगोव साई 2 विमाणाई जेगोव माई 2 भवणाई जेणेव सायो 2 सभायो सुहम्मायो जेगोव सगा 2 माणवगा चेइयखंभा तेगोव उवागच्छंति 2 ता वइरामएस गोलवट्टसमुग्गएसु जिणसकहायो पविख. वंति 2 अग्गेहिं वरेहिं मल्नेहि य गंधेहि य अच्चेति 2 विउत्लाई भोगभोगाई भुजमाणा विहरंति 21 // सूत्रं 33 // तीसे णं ममाए दोहिं सागरोवमकोडाकोडीहिं काले वीइक्कते अणतेहिं वणपजवेहि तहेब जाव अणतेहिं उट्ठाणकम्म जाव परिहायमागो 2 एस्थ गां दुमम सुसमाणामं समा काले पडिबजिंसु समगाउमो ! 1 / तीस गां भंते / समाए भरहस्स वासम्म करिसए आगारभावपडोयारे परागाने ?, गायमा ! बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे एराणत्ते, से जहाणामए थालिंगपुवखरेइ वा जाव मीहि उबसोभिए, तंजहा-कत्तिमेहिं चेव अकत्तिमेहिं चेव 2 / तीसे गं भंते ! समाए भरहे वासे मणुपाणं केरिसए अायारभावपडोयारे पराणत्ते, Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्गमूत्र :: द्वितीयो वक्षस्कारः ] [ 35 गोयमा ! तेसिं मणुयाणं छब्बिहे संघयणे छविहे संठाणे बहूई धणूइं उद्धं उच्चत्तेणं जहराणेणं अंतोमुहत्तं उक्कोसेणं पुदकोडीयाउग्रं पालेति 2 त्ता अप्पेगइया णिरयगामी जाव देवगामी अप्पेगइया सिझति बुझंति जाव सव्वदुक्खाणमंतं करेति 3 / तीसे णं समाए तो वंसा समुप्प. जित्था, तंजहा-अरहंतवंसे चक्कवट्टियंसे दसारवंसे, तीसे णं समाए तेवीसं तित्थयरा इक्कारस चकवट्टी गाव बलदेवा णव वासुदेवा समुप्पन्जित्था 4 // सूत्रं 34 // तीसे णं समाए एकाए सागरोवमकोडाकोडीए बायालीसाए वाससहस्सेहिं उणियाए काले वीइक्कते अणंतेहिं वराणपज्जवेहिं तहेव जाव परिहाणीए परिहायमाणे 2 एत्थ णं दुसमाणामं समा काले पडिवजिस्सइ समणाउसो ! 1 / तीसे णं भंते ! समाए भरहस्स वासस्स केरिसए पागारभावपडीबारे भविस्सइ ?, गोत्रमा ! बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे भविस्सइ से जहाणामए थालिंगपुवखरेइ वा मुइंगपुक्खरेइ वा जाव णाणामणिपंचवराणेहिं कत्तिमेहिं चेव अकत्तिमेहिं चेव 2 / तीसे णं भंते ! समाए भरहस्स वासस्स मणुाणं केरिसए अायारभावपडोयारे पराणत्ते ?, गोयमा ! तेसि मणुयाणं छविहे संघयणे छविहे संगणे बहुइयो रयणीयो उद्धं उच्चत्तेणं जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं साइरेगं वाससयं याउग्रं पालेंति 2 ता अप्पेगइया णिरयगामी जाव सव्वदुक्खाणमंतं करेंति 3 / तीसे णं समाए पच्छिमे तिभागे गणधम्मे पासंडधम्मे रायधम्मे जायतेए धम्मवरण य वोच्छिजिस्सइ 4 // सूत्रं 35 // तीसे णं समाए एकवीसाए वाससहस्सेहिं काले वीइक्कते अणंतेहिं वराणपजवेहिं गंधपजवेहिं रसपजवेहिं फासपजवेहिं जाव परिहायमाणे 2 एत्थ णं दूसमदूसमाणामं समाकाले पडियजिस्सइ समणाउसो ! 1 / तीसे णं भंते ! समाए उत्तमकट्टपत्ताए भरहस्स वासस्स केरिसए अायारभावपडोसारे भविस्सइ ?, गोमा ! काले भविस्सई हाहाभूए भंभा Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः भूए कोलाहलभूए समाणुभावेण य गरफरुमधूलिमइला दुव्विसहा वाउला भयंकरा य वाया संवट्टगा य वाइस्संति 2 / इह अभिक्खणं 2 धूमाहिति य दिसा समंता रउस्सला रेणुकलुस-तमपडलणिरालोया समयलुक्खयाए णं अहियं चंदा सीयं मोच्छिहिति अहिग्रं सूरिया तविस्संति, अदुत्तरं च णं गोयमा ! अभिक्खणं घरसमेहा विरसमेहा खारमेहा खत्त(ट)मेहा अग्गिमेह। विज्जुमेहा विसमहा (असणिमेहा) अज(पि)वणिजोदगा वाहि-रोगवेदगणोदीरणपरिणामसलिला अमणुगणपाणियगा चंडानिल-पहत-तिक्खधारा-णिवातपउरं वासं वासिहिति 3 / जेणं भरहे वासे गामागर-गागर-खेड-कबड-मडंबदोणमुह पट्टणासमगयं जणवयं च उप्पयगवेलए खहयरे पविलसंघे गामारगणप्पयारणिरए तसे अ पाणे बहुप्पयारे रुक्खगुच्छ.गुम्मलय-वल्लि-पवालंकुरमादीए तणवणस्सइकाइए प्रोसहीयो अविद्धंसेहिति पव्यय-गिरि-डोंगरुस्थल-भट्ठिमादीए अ वेअड्डगिरिवज्जे विरावेहिति, सलिल-क्लि-विसम-गत्त(दुग्ग)णिराणुराणयाणि य गंगासिंधुवज्जाई समीकरेहिति 4 / तीसे णं भंते ! समाए भरहस्स बासस्स भूमीए केरिसए यागारभाव पडोबारे भविम्सइ ?, गोयमा ! भूमी भविस्सइ इंगालभूया मुम्मुरभूया छारियभूया तत्तकवेल्लुयभूया तत्तसमजोइभूया धूलिबहुला रेणुबहुला पंकबहुला पणयबहुला चलणिबहुला बहूणं धरणिगोयराणं मत्ताणं दुन्निकमा यावि भविस्सई 5 / तीस णं भंते ! समाए भरहे वासे मणयाग केरिसए यायारभावपडायारे भविस्मइ ?, गोयमा ! मणुया भविस्संति दुरूवा दुवम्णा दुगंधा दुरमा दुफासा अणिट्टा अर्कता अप्पिया असुभा अमान्ना अमणामा हीणस्सरा दीणस्सरा अणिटुस्सरा अकंतस्मरा अपियस्सरा यमणामस्मरा अमगुरागा. स्सरा यणादेज-वयणपञ्चायाता गिलजा कूडकवड कलह-बंधवेरनिरया मज्जायातिकमप्पहाणा अकजणिच्चुज्जुया गुरांणयोग-विणयरहिया य विकलरूवा परूढ-णह-केस-मंसुरोमा काला खर-फरुस-सा(मा)मवराणा फुट्टसिरा Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ थीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञन्युपाङ्गसूत्र :: द्वितीयो वक्षस्कार ) कविलपलिअकेसा बहुराहारुणि-संपिणद्ध-दुईसणिजरूवा संकुडिअ-वलीतरंगपरिवेदिअंगमंगा जरापरिणयव्व थेरगणरा पविरल-परिसडिअ-दंतसेढी उभडघड(घाडा)मुहा विसम-णयण-वंकणासा वंक(ग)वली-विगय-भेसणमुहा ददुवि-किटिभ-सिब्भ-फुडिय फरमच्छवी चित्तलंगमंगा कच्छूखसराभिभूया खरतिक्ख-णक्खकंडूइयविकयतणू टोलागि(लग)ति-विसमसंधिबंधणा उक्कडुअट्टिय-विभत्त-दुबल-कुसंघयण-कुप्पमाणकुसंठिया कुरुवा कुटाणासण कुसेजकुभोइणो असुइणो अणेग-वाहि-पीलियंगमंगा खलंतविम्भलगई णिरुच्छाहा मत्तपरिवजिता विगयचेट्ठा तट्टतेया अभिक्खणं सीउसह-खरफरस-वायविज्झडिअ-मलिण-पंसु-रयोगुडियंगमंगा बहुकोहमाणमायालोमा बहुमोहा असुभदुक्खभागी श्रोसरणं धम्मसरण-सम्मत्तपरिभट्ठा उक्कोसेणं रणिप्पमाणमेत्ता सोलस-वीसइ वास-परमाउसो बहुपुत्त-णत्तु-परियाल-पणयबहुला गंगासिंधूयो महाणईयो वेग्रड्ड च पव्वयं नीसाए बावत्तरि णिगोबी बीअमेत्ता बिलवासिणो मणुया भविस्संति 6 / ते णं भंते ! मणुया किमाहारिस्संति ?, गोमा ! तेणं कालेणं तेणं समएणं गंगासिंधूयो महाणईयो रहपहमित्तवित्थरायो अक्खसोयप्पमाणमेत्तं जलं वोज्झिहिति, सेवि अणं जले बहुमच्छकच्छभाइराणे, णो चेव णं बाउबहुले भविस्सइ 7 / लए णं ते मणुया सूरुग्गमणमुहुत्तसि अ सूरस्थमणमुहुर्तसि य बिलेहितो गिद्धाइस्संति 2 ता मच्छकच्छभे थलाई गाहेहिति मच्छकच्छभे थलाई गाहेत्ता मीयातवतत्तेहिं मच्छकच्छभेहिं इकवीसं वाससहरसाई वित्तिं कप्पेमाणा विहारस्संति 8 | ते णं भंते ! मणुया णिस्सीला णिव्वया णिग्गुणा गिम्मेरा गिप्पचक्खाणपोसहोववासा योसगणं मंसाहारा मच्छाहारा खुद्दा(ड्डा)हारा कुणिमाहारा कालमासे कालं किचा काहे गच्छिहिंति कहिं उववजिहिंति ?, गोयमा ! योसराणं प्रगतिरिक्खजोणिएसु उववजिहिंति 1 / तीसे ण भंते ! समाए सीहा वग्या विगा दीविश्रा अच्छा Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / / ससपोनिमार, तरस्मा परस्मरा सरभ-मियाल-बिरानसुगगा कोलसुगागा ममगा चिनगा चिल्ललगा ग्रामगणं मंसाहारा मन्छाहारा खोदाहारा कुणिमाहारा कालमासे कालं किचा कहिं गच्छिहिंति कहिं उवजिहिति ?, गोयमा / योमराणं गारगतिरिक्खजोणिएसु उववजिहिंति 10 / ते णं भंते : ढंका कंका पीलगा मग्गुगा सिही योसराणं ममाहारा जाव कहिं गििहति कहिं उववजिहिति ?, गोयमा ! योसराणं गारगतिरिक्खजोगिएसुजाब उववजिहिति 11 / / सूत्रं 36 // तीसे णं ममाए इक्वीमाए वाममहम्मेह काले वीइक्कते यागमिम्माए उम्सप्पिणीए सावणबहुलपडिवा॥ बालवकरणंसि अभीइशाक्यले बोहमपदमसमये यणंतेहिं वराणपजहि जाव अणंतगुणपजवपरिषद्धीए परिबुद्धेमाणे 2 पत्थ णं दूसमदममागामं ममा काले पडिवजिस्सइ समणाउसो ! 1 / तीसे णं भंते / ममाप भरहम्म वामस्म करिमए यागारभावपडोयारे भविस्मइ 1. गोयमा / कान भविम्यह हाहाभृए भंभाभा एवं मो चेव दुसमद्रममावेदयो गोयवो / ती ग समाए एकवीमाए वामसहम्मेहिं काले विक्कत यगांतेहि बगगापजयहि जाव यांतगगापरिबुद्धीए परिबुद्धे मागा पण गा दुममाणाम ममा काने पडिजिम्गइ ममगारयो ! 3 // मत्रं ? / / दणं कालणं तेगां ममा पुग्वलसंवटा गाम महामेहे पाउभविम्मद भरहप्पमाणमित्त यायामेणं तदागुरूवं च णं विश्वंभवाहनेगां 11 ला ग में पुक्वलसंवटा महामेहे खिप्पामेव पतणतणाइस्सड वियागेव पतणतगादत्ता खिप्पामेव पविजुयाइस्सइ खिप्पामेव पविज्जुयाइत्ता खिप्पामेव जुगमन मुट्टिापमाणमित्ताहि धाराहिं योधमेघ सत्तर वामं वामिम्मड, जग भरहम्म वामस्म भूमिभागं इंगालभूयं मुम्मुरभूयं छारिश्रभूयं तत्तकवलगभूयं तत्तसमजोइभूयं शिव्याविस्मतित्ति 2 / तसिं च णं पुक्खलमंवट्टगंमि महामेहंसि सत्तरत्नं णिवतितमि समागांसि एस्थ गणं खीरमेहे गाम महामेहे Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीगजम्मूद्वीपाशप्पुपाङ्ग सूत्र : द्वितीयोवक्षस्कार : ] [ 36 पाउभविस्सइ भरहप्पमाणमेत्ते यायामेणं तदणुरूवं च णं विक्खंभवाहल्लेणं 3 / तए णं से खीरमेहे गामं महामेहे खिप्पामेव पतणतणाइस्सइ जाव खिप्पामेव जुगमुमलमुट्टि जाव सत्तरत्तं वासं वासिस्सइ, जेणं भरहवासस्स भूमीए वराणं गंधे रमं फासं च जणइस्सइ 4 / तसि च णं खीरमेहंसि सत्तरत्तं णिवति. तंसि समाणंसि इत्थ णं घयमेहे णामं महामेहे पाउभविस्सइ, भरहप्पमाणमेत्ते थायामेणं, तदणुरूवं च णं विवखंभबाहल्लेणं 5 / तए णं से घयमेहे महामेहे खिप्पामेव पतणतणाइस्सइ जाव वासं वासिस्सइ जेणं भरहस्स वासस्स भूमीए सिणेहभावं जणइस्सइ 6 / तसिं च णं घयमेहंसि सत्तरत्तं णिवतितंसि समाणंसि एत्थ णं अमयमेहे णामं महामेहे पाउभविस्सइ भरहप्पमाणमित्तं पायामेणं जाव वासं वासिस्सइ 7 / जे णं भरहे वासे रुख-गुच्छ गुम्म-लय-बल्लि-तण-पव्वग-हरितग-योसहि-पवालंकुरमाईए तणवणस्सइकाइए जणइस्सइ 8 / तंसि च णं अमयमेहंसि सत्तरत्तं णिवतितंसि समाणंसि तत्थ णं रसमेहे णामं महामेहे पाउभविस्सइ भरहप्पमाणमित्ते अायामेणं जाव वासं वासिस्सइ 1 / जेणं तेसिं बहूणं रुक्खगुच्छ-गुम्म-लय-वल्लि-तण-पब्वग-हरित-योसहि-पवालंकुरमादीणं तित्त कडुअकसाय-अंबिलमहुरे पंचविहे रसविसेसे जणइस्सइ 10 / तए णं भरहे वासे भविस्सइ परूढ रुख गुच्छ-गुम्म-लय-बल्लि-तण-पव्वयग-हरियोसहिए, उवचिय-तय-पत्त पवालपल्लवांकुर-पुष्फफलसमुइए सुहोवभोगे श्रावि भविस्सइ 11 / / सूत्रं 38 // तए णं ते मणुया भरहं वासं परूढरक्ख-गुच्छ-गुम्मलय-वलि-तण-पव्यय हरिय-योसहीयं उबचिय--तय-पत्त-पवाल-पल्लवंकुरपुष्फफलसमुइयं सुहोवभोगं जायं 2 चावि पासिहिति पासित्ता बिलेहितो णिद्धाइसंति णिद्धाइत्ता हट्टतुट्टा अण्णमगणं सहाविस्संति 2 ता एवं वदिस्संति-जाते णं देवाणुप्पिया ! भरहे वासे परूढरुक्ख-गुच्छ-गुम्मलय-वल्लि-तणपब्धय-हरित्र जाव सुहोवभोगे, तं जे णं देवाणुप्पिया ! अम्हं Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 40 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः केइ ग्रजप्पभिइ असुभं कुणिमं याहारं याहारिस्सइ से णं अणेगाहिं छायाहिं वजणिज्जे(वज्जे)त्तिकटु संठिइं टवेस्संति 2 ता भरहे वासे सुहंसुहेणं अभिरममाणा 2 विहरिस्संति॥सूत्रं 36 // तीसे णं भंते ! समाए भरहस्त वासस्स केरिसए श्रायारभावपडोबारे भविस्सइ ?, गोयमा ! बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे भविस्सइ जाव कित्तिमेहि चेव अकित्तिमेहिं चेव 1 ! तीसे णं भंते ! समाए मणुयाणं केरिसए पायारभावपडोबारे भविस्सइ ?, गोयमा ! तेसि णं मणुयाणं छब्बिहे संघयणे छब्बिहे संठाणे बहूईयो रयणीयो उड्ड उच्चत्तेणं जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं साइरेगं वाससयं ग्राउग्रं पालेहिंति 2 ता अप्पेगइया गिरयगामी जाव अप्पेगइया देवगामी, ए मिति 2) तीसे णं समाए एकवीमार बासमहम् हिं काले वीइक्कते अणंतेहि वराणपजवेहिं जाव परिवड्ढे माणे 2 पत्थ णं दुसमसूसमाणामं समा काले पडिवजिस्सइ समणाउसो !, 3 / तीसे णं भंते ! समाए भरहस्स वासस्म केरिसए अायारभावपडोयारे भविस्सइ 1. गोयमा ! बहुसमरमणिज्जे जाव अकित्तिमेहि चेव / तेसि णं भंते ! मणुयाणं केरिसए यायारभावपडोबारे भविस्सइ ?, गोयमा / तेसि गं मणुयाणं छब्बिहे संघयणे छविहे संठाणे बहूई धणूई उद्धं उच्चत्तेणं जहराणेणं अंतोमुहत्तं उकोसेणं पुनकोडीयाउग्रं पालिहिंति 2 ता अप्पेगइया णिरयगामी जाव अंतं करेहिति 5 / तीसे णं समाए तयो वंसा समुप्पजिस्संति, तंजहा-तित्थगरवसे चकवट्टिवंसे दसारवंसे 6 / तीसे णं समाए तेवीसं तित्थगरा एकारस चकवट्टी णव बलदेवा णव वासुदेवा समुप्पजिस्संति 7 / तीसे गां समाए सागरोवमकोडाकोडीए वायालीसाए वाससहस्सेहिं अणियाए काले वीइक्कते अणंतेहिं वराणपज्जवेहिं जाव अणंतगुणपरिवुद्धीए परिबुद्धेमाणे 2 एत्थ णं सुसमदुसमाणाम- समा काले पडिवजिस्सइ समणाउसो ! 8 / सा णं समा तिहा विभजिस्सइ, Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग-सूत्र : तृतीयो बक्षस्कार : ] [41 पढमें तिभागे मंझिमें तिभागे पच्छिमे तिभागे 1 / तीसे णं भंते ! समाए पढमे तिभाए भरहस्स वासस्स केरिसए थायरभावपडोबारे भविस्मइ ?, गोत्रमा ! बहुसमरमणिज्जे जाव भविस्मइ, मणुश्राणं जा चेव श्रोसप्पिणीए पच्छिमे तिभागे वत्तव्वया सामाणिवा, कुलगरवजा उसमसामिवजा, अरागो पठति-तीसे णं समाए. पढमे तिभाए इमे पराणरस कुलगरा समुष्पजिस्संति तंजहा-सुमई ( संमुई.) जाव उसभे, सेसं तं चेव, दंडणीईयो पडिलोमायो णेअव्वाश्रो 10 / तीसे णं समाए पढमे तिभाए रायधम्मे जाव. धम्मचरणे. अ वोच्छिजिस्सइ 11 / तीसे णं समाए मज्झिमपच्छिमेसु तिभागेसु जाव पढममज्झिमेसु वत्तव्यया श्रोसप्पिणीए सा भाणियब्वा, सुसमा तहेव सुसमासुसमावि तहेव. जाव छन्विहा मणुस्सा अणुमजिस्संति जाव सरिणचारी 12. // सूत्रं 40 // // इति द्वितीयो वक्षस्कारः // 2 // // अथ चक्रिवर्णनात्मको तृतीयो वनस्कारः // से केण?णं भंते ! एवं वुचई-भरहे वासे 2 1, गोत्रमा ! भरहे णं वासे वेश्रद्धस्स पव्वयस्स दाहिणेणं चोदसुत्तरं जोत्रणसयं एगस्स य एगणवीसइभाए जोश्रणस्स अबाहाए लवणसमुहस्स उत्तरेणं चोदसुत्तरं जोत्रणसयं एकारस य एगूणवीसइभाए जोषणस्स अबाहाए गंगाए महाणईए पचत्थिमेण सिंधूए महाणईए पुरस्थिमेणं दाहिणद्ध-भरहममिलतिभागस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं विणीबाणामं रायहाणी पराणचा - 1 / पाईण-पडिणायया उदीण-दाहिणविच्छिन्ना दुवालस-जोयणायामा णव-जोत्रणविच्छण्णा धणवइ-मति-मिम्माया चामीयरपागारा णाणामणिपंचवरण-कविसीसग-परिमंडयाभिरामा अलकापुरीसंकाशा पमुइयपक्कीलिश्रा पचक्खं देवलोगभूषा रिद्धिस्थिमिश्रसमिद्धा पमुइअजणजाणवया Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 42 ] - [भीमदागमसुधासिन्धु / सप्तमो विभागः जाव पडिरुवा 2 // सूत्रं 41 // तत्थ णं विणीश्राए रायहाणीए भरहे णामं राया चासरंतचकवट्टी समुष्पजित्था, महया हिमवंतमहंतमलयमंदर जाव रज्जं पसासेमाणे विहरइ 1 / बिइयो गमो रायवराणगस्स इमो तत्थ असंखेज-कलवासंतरेण उप्पजए जसंसी उत्तमे अभिजाए सत्तवीरित्र-परकमगुणे पसत्थ-वराण-सर-सार-संघयण-तणुग-बुद्धिधारण-मेहा-संठाणसीलप्पगई पहाण-गारखच्छायागइए अणेगवयणप्पहाणे तेश्र-श्राउ-बलवीरियजुत्ते श्रझुसिर-घण-णिचित्र-लोह-संकलणाराय-वइर-उसह-संघयणदेहधारी झस 1 जुग 2 भिंगार 3 वद्धमाणग 4 भदासणग (भहमाणग) 5 संख 6 छत्त 7 वीत्रण 8 पडाग 1 चक. 10 णंगल 11 मुसल 12 रह 13 सोत्थित्र 14 अंकुस 15 चंदा 16 इच-१७ अग्गि१८ जूय 11 सागर 20 इंदमय 21 पुहवि 22 पउम 23 कुंजर 24 सीहासण 25 दंड 26 कुम्म २७-गिरिवर 28 तुरगवर 26 वरमउड 30 कुडल 31 णंदावत्त 32 घणु 33 कोत 34 गागर 35 भवणविमाण ३६-अणेग-लक्खण-पसत्य-सुविभत्त-चित्त-करचरणदेसभागे उद्धामुह-लोम-जाल-सुकुमाल-णिद्ध-मउबावत्त-पसत्थ-लोम-विरइत्र-सिरि. वच्छ-च्छगणविउलवच्छे देसखेत्त-सुविभत्तदेहधारी तरुण-रस्सि-बोहिश्र. वरकमल-विबुद्धगम्भवगणे हयपोसण-कोस-सरिणभ-पसत्थ-पिटुंत-णिवलेवे पउमुप्पल-कुद-जाइ-जूहिय-वर-चंपग-णागपुष्फ-सारंग-तुल्लगंधी छत्तीसाहित्र पसत्य-पत्थिवगुणेहिं जुत्ते अब्बोच्छिण्णातपत्ते पाडग-उभयजोगी बिसुद्धणिश्रग कुल गयणपुराणचंदे चंदे इव सोमयाए णयण मणणिव्वईकर अक्खोभे सागरो व थिमिए धणवइब्व भोग-समुदय-सहव्वयाए समरे अपराइए परमविकमगुणे अमरवइ-समाण-सरिसरुवे मणुश्रवई भरइचकवट्टी भरहं मुंजइ पराणटुसत्तू 2 // सूत्रं 42 // तए णं तस्स भरहस्स रराणो श्राणया कयाइ पाउहघरसालाए दिव्वे चकरयणे समुप्पज्जित्था 1 / तए णं Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग-सूत्र :: तृतीयो वक्षस्कार : ] से पाउहघरिए भरहस्स रराणो पाउहघरसालाए दिव्वं चकरयणं समुप्पण्णं पासइ पासित्ता हट्टतुट्ट चित्तमाणदिए नंदिए पीइमणे' परम-' सोमणस्सिए हरिसवसविसप्पमाणहिए जेणामेव से दिव्वे चकरयणे तेणामेव उवागच्छइ 2 ता तिक्खुत्तो आयाहिणंपयाहिणं करेइ 2 ता करयल जाव कटु चक्करयणस्स पणामं करेइ 2 त्ता पाउहघरसालाओ पडिणिक्खमइ 2 ता जेणामेवा बाहिरिश्रा उवट्ठाणसाला जेणामेव भरहे राया तेणामेव उवागच्छइ 2 ता करयल जाव जएणं विजएणं वद्धावेइ.२. एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पित्राणं पाउहघरसालाए दिव्वे चक्करयणे समुप्पराणे तं एअगणं देवाणुप्पियाणं पिअट्टयाए पियं णिवएमो पियं भे भवउ 2 / तते णं से भरहे राया तस्स पाउहधरिअस्स अंतिए एअमटुं सोचा णिसम्म हट्ट जाव सोमणस्सिए विसित्र-वरकमल-णयणवयणे पयलिश्र-वरकडगतुडिश्र केऊर-मउड-कुडल-हारविरायंत-रइवच्छे / पालंक-पलंबमाणघोलंतभूसणधरे ससंभमं तुरिझं ववलं णरिंदे सीहासणाश्रो श्रन्भुट्टेइ२ त्ता पायपीढानो पञ्चोरुहइ 2 ता पाउपात्रो अोमुबइ 2 ता एगसाडिझं उत्तरासंगं करेइ. 2 ता अंजलि-मउलि-अग्गहत्थे चकरयणा. भिमुहे सत्तट्ठपयाई अणुगच्छइ.२ त्ता वामं जाणु अंचेइ 2. ता दाहिणं जाणु धरणितलंसि णिहट्ट करयल जाव अंजलिं कटु चकरयणस्स पणामं करेइ 2 ता तस्स ग्राउहरियस्स श्रहामालिगं मउडवज्ज श्रोमो दलइ 2 ता विउलं जीविश्रारिहं पीइदाणं दलइ 2 ता सकारेइ सम्माणेद 2 ता पडिविसज्जे 2 ता सीहासणक्रगए पुरत्याभिमुहे सरिणसगणे 3 / तए णं से भरहे राया कोडुबित्रपुरिसे सदावेइ 2 ता. एवं पयासी-खिप्पा. मेव भो देवाणुप्पिश्रा ! विणीअं रायहाणिं सभितरबाहिरिनं आसिश्र. संमजिन-सित्त-सुइग-संमट्ट-रत्यंतरवीहियं मंचाइमंचकलियं णाणाविह-रागवसमा असिअझय-पडागाइपडागमंडियं लाउलोइअमहिनं गोसीस-सरस-रत्त-- Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 44 - श्रीमदागमसुधासिन्धुः --सप्तमो विभागा चंदण-दहर दिन्नपंचंगुलितलं उवचिय चंदणकलसं चंदणघड-सुकय जाव गंधुद्धाभिरामं सुगंधवरगंधियं गंधवट्टिभूनं करेह कारवेह करेत्ता कारवेत्ता य एप्रमाणत्तिनं पञ्चप्पिणह 4 / तए णं ते कोडं विपुरिसा भरहेणं रगणा एवं कुत्ता हट्टतुट्टा करयल जाव एवं सामित्ति श्राणाए विणएणं वयणं पडिसुणंति 2 ता भरहस्स अंतिधाश्रो पडिणिक्खमंति 2 त्ता विणीचं रायहाणिं जाव करेत्ता कारवेत्ता य तमाणत्तियं पचप्पिणंति 5 / तए णं से भरहे राया जेणेव मजणघरे तेणेव उवागच्छइ 2 ता मजणघरं अणुपविसइ 2 ता समुत्तजालाकुलाभिरामे विचित्त-मणिरयणकुट्टिमतले रमणिज्जे राहाणमंडवंसि णाणा मणिरयण-भत्तिचित्तंसि गहाणपीढंसि सुहणिसगणे सुहोदएहिं गंधोदएहिं पुष्फोदएहिं सुद्धोदएहि श्र पुराणे कलाणग-पवर-मजणविहीए मन्जिए तत्थ कोउसएहिं बहुविहेहिं कल्लाणगपवर-मजणावसाणे पम्हल-सुकुमाल-गंधकासाइबलूहिअंगे सरस-सुरहिगोसीस-चंदणाणुलित्तगत्ते अहय-सुमहग्ध-दूसरयण-सुसंवडे सुइमाला-वगणगविलेवणे भाविद्धमणिसुवरणे कप्पित्र-हारद्धहार-तिसरित्र-पालंव-पलबमाणकडिसुत्त-सुकयसोहे. पिणद्ध-गेविजग-अंगुलिजग-ललिअंगय-ललिअकयाभरणे हाणामणि-कडग-तुडित्र-भित्रभूए अहिश्रसस्सिरीए कुंडलउज्जोइत्राणणे मउड-दित्तसिरए हारोत्थय-सुकयवच्छे - पालंव-पलबमाणसुकय-पडउत्तरिज्जे मुदिशा-पिंगलंगुलीए णाणामणि-कणग-विमल-महरिहणिउणोपवित्र-मिसिमिसिंत-विरइत्र-सुसिलिट्ठ-विसिट्ठ-लट्ठ-संठिश्र-पसत्थश्राविद्धवीरखलए, किं बहुणा ?, कप्परुक्खए चेव अलंकिग्रविभूसिए णरिंदे सकोरंट जाव चउ-चामर-बालवीइअंगे मंगल-जयजय-सहकयालोए श्रोगगणणायग-दंडणायग जाव दूधसंधिवालसद्धि संपरितुडे धवल-महामेहणिग्गए इव जाव ससिव्व पियदंसणे गरवई धूव-पुष्फ-गंध-मल्लहत्यगए मजणघरायो पडिणिक्खमइ 2 ता जेणेव भाउहघरसाला जेणेव चक्करयणे Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्युपाङ्गसूत्रं / तृतीयो वक्षस्कारः ] [45 तेणामेव पहारेत्य गमणाए 6 / तए णं तरस भरहस्स रगणो बहवे ईसरपभिइयो अप्पेगइया पउमहत्थगया अप्पेगइया उप्पलहत्थगया जाव अप्पे. गइया सयसहस्सपत्तहत्थगया भरहं रायाणं पिट्ठयो 2 अणुगच्छंति 7 / तए णं तस्स भरहस्स रगणो बहूईश्रो-खुजा चिलाइ वामणिवडभीयो बब्बरी बउसिश्राओ। जोणिपल्हविधायो ईसिणिप्रथारुकिणिशात्रो // 1 // लासिथ-लउसित्र-दमिली-सिंहलि तह पारखी-पुलिंदी श्र। पक्कणि बहलि मुहंडी सबरीयो पारसीनो अ॥ 2 // अप्पेगइयायो वंदण-कलसहत्थगयाओ चंगेरी-पुप्फ-पडल-हत्थगयाओ भिंगार-प्रादस-थाल-पातिसुपइटग-वायकरग-रयण-करंड-पुष्पचंगेरी-मल्लवगण-चुराण-गंधहत्थगयात्रो वस्थ-श्राभरण-लोमहत्थय--चंगेरी-पुष्प-पडल-हत्थगयायो जाव लोमहत्यगयायो अप्पेगइशायो सीहासण-हत्थगयायो छत्त-चामर-हत्यगयानो तिलसमुग्गय-हत्थगयाश्रो-तिले कोट्ठसमुग्गे पत्ते चोए अ तगरमेला य / हरि. श्राले हिंगुलए मणोसिला सासवसमुग्गे // 1 // अप्पेगइश्राश्रो तालिअंटहत्थगयाओ अप्पेगइनायो धूव कुडुन्छु-हत्थगयायो भरहं रायाणं पिट्ठश्रो 2 अणुगच्छति 8 | तए णं से भरहे राया सविडीए सव्वजुइए सव्वबलेणं सव्वसमुदयेणं सव्वायरेणं सव्वविभूसाए सव्वविभूईए सव्ववत्थ-पुप्फ-गंधमल्लालंकारविभूसाए सव्वतुडिश्र-सह-सरिणणाएणं महया इडीए जाव महया वरतुडिअ-जमगसमग-पवाइएणं संख-पणव-पडह-मेरि-मल्लरि-खरमुहि-मुरजमुइंग-दु'दुहि-निग्घोसणाइएणं जेणेव पाउघरमाला तेणेव उवागच्छइ बा. गच्छित्ता बालोए चक्करयणस्स पणामं करेइ 2 त्ता जेणेव चकरयणे तेगोव उवागच्छइ 2 त्ता लोमहत्थयं परामुसइ 2 त्ता बकरयणं पमजइ 2 त्ता दिव्वाए उदगधाराए अब्भुक्खेइ 2 ता सरसेणं गोसीसचंदणेणं अणुलिंपइ 2 त्ता अग्गेहिं वरेहि गंधेहि मल्लेहिश्र अधिगाइ पुष्फारुहणं मल्लगंधवगणचुराणथारुहणं श्राभरणाहणं करेइ 2 ता अच्छेहि सराहेहिं सेएहिं स्ययामएहिं Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 46 ] श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागा अंच्छरसातंडुलेहिं चक्करयणस्स पुरयो अटुमंगलए प्रालिहइ, तंजहासोस्थिय सिरिवच्छ णदिशावत्त वद्धमाणग भदासण मच्छ कलस दप्पण अट्ठमंगलए श्रालिहिता काऊणं करेइ उवयारंति 1 / किं ते ?, पाडलमल्लिअ-पग असोग-पुराणाग-चूधमंजरि-णवमालिश्र-बकुल-तिलग--कणवीरकुंद-कोन्जय-कोरंटय-पत्तदमणय-वरसुरहि-सुगंधगंधिस्स कयग्गह-गहिश्रकरयल-पभट्ठविप्पमुक्कस्स दसवद्धवराणस्स कुसुमणिगरस्स तत्थ चित्तं जाणुस्सेहप्पमाणमित्तं श्रोहिनिगरं करेत्ता चंदप्पभ-वइर-वेरुलिश्र-विमलदंडं कंचणमंणि-रयण-भत्तिचित्तं कालागुरु-पवरकुंदुरुक-तुरुक-धूवगंधुत्तमाणुविद्धं च धूमवट्टि विणिम्मुश्रुतं वेरुलिश्रमयं कडुच्छुओं पग्गहेत्तु पयते धूवं दहइ 2 त्ता संत्तट्ठपयाई पच्चोसकइ 2 त्ता वामं जाणु अंचेइ जाव पमाणं करे 2 त्ता पाउहघरसालांथो पडिणिक्खमइ 2 मित्ता जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला जेणेव सीहासणे तेणेव उवागच्छइ 2 ता सीहासणवरगए पुरत्याभिमुहै सरािणसीइ 2 ता अट्ठारस सेणिपसेणीयो सद्दावे 2 ता एवं वयासी-खिप्पामेव भी देवाणुप्पिया ! उस्सुक्कं उकर उकिट्ट अदिज्ज अमिजं अभडप्पवेसं अदंडकोदंडिमं अर्धारमं गणिग्रा-वरणाडइजकलिग्रं श्रणेग-तालायराणुचरिअं अणुद्धअमुइंगं अमिलाय-मलदामं पमुंइअ-पकीलिअसंपुरजणजाणवयं विजयवेजइयं चक्क(वेजयंतचक्क)रयणस्स अट्ठाहियं महामहिमं करेइ 2 ता ममेप्रमाणत्तियं खिप्पामेव पञ्चप्पिणह 10 / तए णं तायो अट्ठारस सेणिप्पसेणीयो भरहेणां रना एवं वुत्तायो समाणीयो हटायो जाव विणएणं पडिसुणेति 2 ता भरहस्स रराणो अंतियायो पडिणिक्खमेंति 2 ता उस्सुक्कं उकरं जाव करेंति अ कावंति 'अ' २त्ता जेणेव भरहे राया तेणेव उवागच्छति 2 ता जाव. तमाणत्तिनं पच्चप्पिणंति 11 // सूत्र- 43 // तएणं से दिव्ये चकरयणे अट्टाहिश्राए महामहिमाए निव्वत्ताए समाणीए Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपासूत्र : तृतीयो वक्षस्कारः ] [47 पाउहवरसालाश्रो पडिणिक्खमइ 2 ता अंतलिक्ख-पडिवगणे जक्खसहस्स-संपरिबुडे दिव्व-तुडिन-सहसगिणणाए श्रापरेते चे अंबरतलं विणीपाए रायहाणीए मज्झमज्झणं णिग्गच्छइ 2 ता गंगाए महाणईए दाहिणिल्ले णं कूले णं पुरस्थिमं दिसि मागहतित्थाभिमुहे पयाते श्रावि होत्था 1 / तए णं से भरहे राया तं दिव्वं चक्करयणं गंगाए महाणईए दाहिणिल्लेणं कूलेणं पुरत्थिमं दिसिं मागह-तित्थाभिमुहं पयातं पासइ 2 त्ता हट्टतुट्ट जाव हियए कोडविपुरिसे सद्दावेइ 2 ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! श्राभिसेक्कं हत्थिरयणं पडिकप्पेह हयगय रह-पवर-जोहकलिअं चाउरंगिणिं सेगणं सगणाहेह, एतमाणत्ति पञ्चप्पिणह, तए णं ते कोडुबिश्र जाव पञ्चप्पिणंति 2 / तए णं से भरहे राया जेणेव मजणघरे तेणेव उवागच्छइ 2 ता मजणघरं अणुपविसइ 2 त्ता समुत्तजालभिरामे तहेव जाव धवलमहामेहणिग्गए इव ससिव्व पियदसणे णरवई मजणघरायो पडिणिक्खमइ 2 ता हयगय-रह-पवरवाहण-भडचडगर-पहकरसंकुलाए सेणाए पहिकित्ती जेणेव बाहिरिश्रा उवट्ठाणसाला जेणेव श्राभिसेक्के हत्थिरयणे तेणेव उवागच्छइ 2 ता अंजणगिरि-कडगसरिणभं गयवई गरवई दुरूढे 3 / तए णं से भरहाहिवे णरिंदे हारोत्थए सुकयरइयवच्छे कुंडल-उज्जोइत्राणणे मउड-दित्तसिरए णरसीहे णरवई परिंदे णरवसहे मरुश्र-राय-वसभकप्पे अब्भहिश्र-रायतेश्रलच्छीए दिप्पमाणे पसत्थमंगलसएहिं संथुव्वमाणे जयसबकवालोए हथिखंधवरगए सकोरंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिजमाणेणं सेश्रवस्त्रामराहिं उखुब्वमाणीहिं 2 जक्खसहस्ससंपरिबुडे वेसमो चेव धावई श्रमरवइसरिणभाइ इडीए पहिकित्ती गंगाए महाणईए दाहिणिल्ले णं कूले णं गामागर-णगरखेड-कब्बड-मडब-दोणमुह-पट्टणासम-संबाह-सहस्समंडि थिमित्रमेइणीअं वसुहं अभिजिणमाणे 2 अग्गाई वराई रयणाई पडिग्छमाणे 2 तं दिव्वं Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 48] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः चक्करयणं अणुगच्छमाणे 2 जोगणंतरित्राहि वसहीहि वसमाणे 2 जेणेव मागहतित्थे तेणेव बागच्छइ 2 ता मागहतित्यस्स अदूरसामंते दुवालसजोयणायाम .. एवजोषणविच्छिण्णं वरणगरसरिच्छं विजयखंधावारनिवेसं करेइ 2 ता वड्डइरयणं सदावेइ सदावइत्ता एवं वयासी-खिप्पामेव . भो देवाणुप्पिा ! ममं श्रावासं पोसहसालं च करेहि करेत्ता ममेयमाणत्तिभं पञ्चप्पिणाहि 4 / तए णं से वड्डइरयणे भरहेणं रराणा एवं वुत्ते समाणे हट्टतुट्टक्त्तिमाणदिए पीइमणे जाव अंजलि कटु एवं सामी तहत्ति प्राणाए विणएणं वयणं पडिसुणेइ 2 ता भरहस्स रराणो श्रावसहं पोसहसालं च करें। 2 ता एत्रमाणत्तियं खिप्पामेव पञ्चप्पिणंति 5 / तए णं से भरहे राया श्राभिसेकायो हत्थिरयणाश्रो पच्चोरहइ 2 त्ता जेणेव पोसहसाला तेणेव उवागच्छइ 2 त्ता पोसहसालं अणुपविसइ 2 ता पोसहसालं पमजइ. 2 त्ता दन्भसंथारगं संथरइ 2 त्ता दब्भसंथारगं दुरूहइ 2 त्ता मागहतित्थकुमारस्स देवस्स अट्ठमभत्तं पगिराहइ 2 ता पोसहसालाए पोसहिए बंभयारी जम्मुक्कमणिसुवराणे ववगय-मालावराणगविलेवणे णिक्खित्तसत्थमुसले दम्भसंथारो‘वगए एगे अबीए अट्ठमभत्तं पडि नागरमाणे 2 विहरइ 6 / तए ण से भरहे रोया अट्ठमभत्तंसि परिणममाणंसि पोसहसालारो पडिणिवखमइः 2 त्ता जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला तेणेव उवागच्छइ 2. त्ता कोडवित्रपुरिसे सद्दावेइ 2 ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया हयगयरहपवरजोहकलि चाउरंगिणिं सेणं सराणाहेह चाउग्घंटं च श्रासरह पडिकप्पेहत्तिकटु मजणघरं अणुपविसइ 2 ता समुत्त तहेव जाव धवलमहामेहणिग्गए जाव मजणघरायो पडिणिक्खमइ 2 ता हयगयरह-पवरवाहणा नाव सेणाए(वइ) पहियकित्ती जेणेव बाहिरिश्रा उवट्ठाणसाला जेणेव चाउग्घंटे अासरह तेणेव उवागच्छइ 2 त्ता चाउम्घंटे बासरहं दुरूढे 7 // सूत्रं 44 // तए णं से भरहे राया चाउग्घंटे श्रासरह दुरूढे समाणे हयगयरह-पवर Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्गसूत्र : तृतीयो वक्षस्कारः ] [ 46 जोहकलिगाए सद्धिं संपरिबुडे महया-भड-चडगर-पहगर-वंदपरिविखत्ते चक्करयण-देसिंघमग्गे अणेग-रायवर-सहस्साणुयायमग्गे महया उक्किट्ठः सीहणाय-बोल-कलकलरवेणं पक्खुभित्र-महासमुद्द-रवभूपिव करेमाणे 2 पुरस्थिमदिसाभिमुहे मागहतित्थेणं लवणममुद्द योगाहइ जाव से रहवरस्स कुप्परा उल्ला 1 / तए णं से भरहे राया तुरगे निगिराहई 2 त्ता रहं ठवेइ 2 ता धणु परामुसइ 2 / तए णं तं अइरुग्गय-बालचंद-इंदधणुसनिकासं वर-महिस-दरिश्र-दप्पिय-दढयण-सिंगरइअसारं उरगवरपवरगवलपवरपरहुअ-भमर-कुल-णीलि-णिद्ध-धंतधोत्रपट्ट णिउणोवित्र मिसिमिसितमणिरयण--घंटिश्राजाल-परिविखत्तं तडितरण-किरण-तवणिज-बद्धचिंधं ददर-मलयगिरि-सिहरकेसर-चामर-वालद्धचंदचिं, कालहरिश्र रत्त-पीश्रसुकिल्ल-बहुराहारुणि-संपिणद्धजीवं जीविअंतकरणं चलजीवं धा गहिऊण से णरवई उसु च वरखइरकोडिग्रं वइरसारतोंडं कंचण-मणि-कणग-रयंणधोइट्ठसुकयपुखं अणेग-मणिरयण-विविहसुविरइय-नामचिधं वइसाहं ठगईऊण गणं अायतकराणायतं च काऊण उसुमुदारं इमाई वयणाई तत्थ भाणित्र से परवई-हंदि सुणंतु भवंतो बाहिरो खलु सरस्स जे देवा / णागासुरा सुवराणा तेसि खु णमो पणिवयामि // 1 // हंदि सुणंतु भवतो श्रभितरो सरस्स जे देवा / णागासुरा सुवराणा सव्वे मे ते विसयवासी // 2 // इतिकटु उसु णिसिरइत्ति-'परिगरणिगरिश्रमज्झा पाउछुत्रसोभमाणकोसेजो। चित्तेण सोभए धणुवरेण इंदोव्व पचक्खं // 3 // तं चंचलायमाणं पंचमिचंदोवमं महाचावं / छजइ वामे हत्थे परवइणो तमि विजयमि // 4 // तए णं से सरे भरहेणं रगणा णिस? समाणे खिप्पामेव दुवालस जोत्रणाइं गंता मागहतित्थाधिपतिस्स देवस्स भवणंसि निवइए 3 / तए णं से मागहतित्थाहिवई देवे भाणंसि सरं णिवइयं पासइ 2 ता पासुरुत्ते रु? चडिकिए कुविए मिसिमिसेमाणे तिवलि भिडिं णिडाले Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 50 ] . . [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः सप्तमो विभागः साहरइ 2 ता एवं वयासी-केस णं भो एस अपत्थिअपत्थए दुरंतपंतलक्खणे हीणपुराणचाउद्दसे हिरिसिरिपरिवजिए जे णं मम इमाए एत्राणुरुवाए दिव्वाए देविद्धीए दिवाए देवजुईए दिव्वेणं दिव्वाणुभावेणं लद्धाए पत्ताए अभिसमराणागयाए उप्पिं अप्पुस्सुए भवणंसि सरं णिसिरइत्तिकटु सीहासणाश्रो अभुट्ठई 2 ता जेणेव से णामाहयंके सरे तेणेव उवागच्छइ 2 ता तं णामाहयंकं सरं गेराहइ णामकं अणुप्पवाएइ णामकं श्रणुप्पवाएमाणस्स इमे एयारूवे अब्भत्थिए चिंतिए पत्थिए . मणोगए संकप्पे समुप्पजित्था-उप्परणे खलु भो ! जंबुद्दीवे दीवे भरहे वासे भरहे णामं राया चाउरंतचकवट्टी तं जीप्रमेयं तीअपच्चुष्पराणमणागयाणं मागहतित्थकुमाराणं देवाणं राईणमुवत्थाणीअं करेत्तए, तं गच्छामि णं अहंपि भरहस्स रराणो उवत्थाणीअं करेमित्तिकटु एवं संपेहेइ संपेहेत्ता हारं मउडं कुंडलाणि अकडगाणि श्र तुडिपाणि श्र वत्थाणि अ श्राभरणाणि श्र सरं च णामाहयक मागहतित्थोदगं च गेराहई गिरिहत्ता ताए उकिटाए तुरियाए चवलाए जयणाए सीहाए सिग्याए उद्धुश्राए दिव्वाए देवगईए वीईवयमाणे 2 जेणेव भरहे राया तेणेव उवागच्छइ 2 त्ता अंतलिक्खपडिवराणे सखिखिणीबाई पंचवरणाई क्त्याई पवर परिहिए करयलपरिग्गहियं देसणहं सिर जाव अंजलि कटु भरहं रायं जएणं विजएणं वद्धावेइ 2 ता एवं वयासी-अभिजिए णं देवाणुप्पिएहिं केवलकप्पे भरहे वासे पुरच्छिमेणं मागहतित्थमेराए तं श्रहरणं देवाणुप्पियाणं विसयवासी बहराणं देवाणुप्पिाणं श्राणत्तीकिंकरे अहरणं देवाणुप्पियाणं पुरच्छिमिल्ले अंतवाले तं पडिच्छंतु णं देवाणुप्पिया ! ममं इमेयास्वं पीइदाणंतिकटु हारं मउडं कुडलाणि अ कडगाणि श्र जाव मागहतित्थोदगं च उवणेइ 4 / तए णं से भरहे राया मागहतित्थकुमारस्स. देवस्स इमेयास्वं पीइदाणं पडिच्छइ 2 ता मागहतित्थकुमारं देवं सकारेइ सम्माणेइ Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूदीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्रं : तृतीयो वक्षस्कारः ] 2 त्ता पडिविसज्जेइ 5 / तए णं से भरहे राया रहं परावत्तेइ 2 त्ता मागहतित्थेणं लवणसमुद्दाश्रो पच्चुत्तरइ 2 ता जेणेव विजयखंधावारणिवेसे जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला तेणेव उवागच्छइ 2 ता तुरए णिगिराहइ 2 त्ता रहं ठवेइ 2 रहायो पबोरुहति 2 त्ता जेणेव मजणघरे तेणेव उवागच्छति 2 मजणघरं अणुपविसइ 2 ता जाव ससिव्व पियदसणे णरवई मजणघराश्रो पडिणिकाखमइ 2 ता जेणेव भोश्रणमंडवे तेणेव उवागच्छइ 2 त्ता भोत्रणमंडवंसि सुहासणवरगए अट्ठमभत्तं. पारेइ 2 त्ता भोश्रणमंडवाश्रो पडिणिक्खमइ 2 ता जेणेव बाहिरिश्रा उवट्ठाणसाला जेणेव सीहासणे तेणेव उवागच्छइ 2 ता सीहासणवरगए पुरस्थाभिमुहे णिसीथइ 2 ता अट्ठारस सेणिप्पसेणीयो सदावेइ 2. ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो! देवाणुप्पिया उस्सुवकं उक्करं जाव मागहतित्थकुमारस्स देवस्स अट्टाहिनं महामहिमं करेह 2 ता मम एश्रमाणत्तियं पञ्चप्पिणह 6 / तए णं तात्रो अट्ठारस सेणिप्पसेणीयो भरहेणं रगणा एवं वुत्तायो समाणीयो हट्ट जाव करेंति 2 ता एमाणत्तिनं पचप्पिणंति 7 / तए णं से दिव्वे चक्करयणे वइरामयतुबे लोहियुक्खामयारए जंबूणयणेमीए णाणा-मणि-खुरप्प--थालपरिगए मणि-मुत्ताजाल-भूसिए सणंदिघोसे सखिखिणीए दिवे तरुण-रवि-मंडलणिभे णाणामणिरयण-घंटियाजालपरिक्खित्ते सब्बोउग्र-सुरभि-कुसुम-घासत्तमलदामे अंतलिक्खपडिवगणे जक्खसहस्स-संपरितुडे दिव्वतुडिन-सहसगिणणादेणं पूरेते चेव अंबरतलं णामेण य सुदंसणे णरवइस्स पढमे चक्करयणे मागहतित्थकुमारस्स देवस्स अट्ठाहित्राए महामहिमाए. णिवत्ताए समाणीए पाउहघरसालारो पडिणिक्खमइ 2 चा दाहिणपचत्थिमं दिसिं वरदामतित्थाभिमुहे पयाए यावि होत्था ८॥सूत्रं४५॥ तए णं से भरहे. राया तं दिव्वं चक्करयणं दाहिणपञ्चत्थिमं दिसि वरदामतित्थाभिमुहं पयातं चावि पासइ. 2 ना. हटुतुट्ठ-चित्तमाणदिए जाव कोड: Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 52 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धु / सप्तमो विभागः विपुरिसे सहावेइ 2 ता. एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! हयगयरह-पवर-चाउरंगिणिं सेरणं सपणाहेह श्राभिसेक्कं हत्थिरयणं पडिकप्पेहत्तिकटु मजणघरं अणुपविसइ 2 ता तेणेव कमेणं जाव धवलमहामेहणिग्गए जाव सेअवरचामराहिं उद्धव्वमाणीहिं 2 माइथ-वरफलयपवरपरिगर-खेडय-वरवम्म-कवय-माढीसहस्सलिए उक्कड-वरमउड-तिरीडपडाग-झय-वेजयंति-चामर-चलंत--छत्तधयार-कलिए असि-खेवणि खग्गचाव-णाराय-कणय-कप्पणि-सूल-लउड-भिंडिमाल-धणुह-तोण-सरपहरणेहि श्र काल-णील-रुहिर-पीअ-सुकिल्ल-अणेग-चिंध-सयसरिणवि? अष्फोडि सीहणाय-छेलिब यहेसिश्र हत्थिगुलुगुलाइन--प्रणेग-रह-सयसहस्स-घणघणेंत-णीहम्ममाण-सहसहिएण जमगसमग-भंभा-होरंभ-किणित-खरमुहि-मुगुदसंखिश्र-परिलिवच्चगपरिवाइणि-वंसवेणु-वीपंचिम-हति-कच्छभिरिगिसिगिश्रकल-ताल-कंसताल-करधाणुत्थिदेण महता सहसगिणणादेण सयलमवि जीवलोग पूरयते बल-वाहण-समुदएणं एवं जक्खसहस्सपरिवुडे वेसमणे चेव धणवई श्रमरपतिसगिणभाइ इद्धीए पहिअकित्ती गामागरणगरखेडकबड तहेव सेसं जाव विजयखंधावारणिवेसं करेइ 2 ता वद्धइरयणं सदावेइ 2 त्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिश्रा ! मम श्रावसह पोसहसालं च करेहि, ममेप्रमाणत्तियं पञ्चप्पिणाहि // सूत्रं 46 // तए णं ते श्रासमदोणमुह गाम-पट्टण-पुर-वरखंधावार-गिहावणविभागकुसले. एगासीतिपदेसु सव्वेसु चेव वत्थूसु रोगगुणजाणए पंडिए विहिरासू पणयालीसाए देवयाणं वत्थुपरिच्छाए णेमिपासेसु भत्तसालासु कोट्टणिसु श्र वासघरेसु अ विभागकुसले छेज्जे वेज्मे (धेज्जे) अ दाणकम्मे पहाणबुद्धी जलयाणं भूमियाण य. भायणे जलथलगुहासु जंतेसु परिहासु श्र कालनाणे तहेव सद्दे वत्थुप्पएसे. पहाणे गभिणि-कराण-रुक्ख-वल्लिवेढिय-गुणदोसवित्राणए गुणड्ड सोलस-पासायकरणकुसले चउसटिविकप्पवित्थियमई Page #80 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्रं / / तृतीयो वक्षस्कारः ] णंदावते य बद्धमाणे सोथिरुग तह सव्वोभहसगिणवेसे अ.बहु. विसेसे उद्दडिअ-देव-कोट्ट-दारु-गिरि-खाय-वाहण-विभागकुसले-इश तस्स बहुगुणद्धे थवईरयणे णरिंदचंदस्स / तवसंजमनिन्वि? किं करवाणीतुवहाई // 1 // सो देवकम्मविहिणा खंधावारं गरिंदवयणेणं / श्रावसहभवणकलियं करेइ सव्वं मुहुत्तेणं // 2 // करेत्ता पवरपोसहघरं करेइ 2 ता जेणेव भरहे राया जाव एतमाणत्तियं खिप्पामेव पचप्पिणइ, सेसं तहेव जाव जणपवरायो मजणघरायो पडिणिक्खमइ 2 ता जेणेव बाहिरिश्रा अट्ठाणसाला जेणेव चाउग्घंटे बासरहे तेणेव उवागच्छद // सूत्रं 47 // उवागच्छित्ता तते णं तं धरणितल-गमणलहूं तोतो बहुलक्खणपसत्थं हिमवंत-कंदरंतर-णिवाय-संवद्धित्र-चित्त-तिणिसदलिय जंबणय-सुकयकूबरं कणयदंडियारं पुलय-वरिंदणील-सासग-पवाल-फलिह-वररयण-लेठ्ठ-मणि-विदुमविभूसिधे अडयालीसार-रइय-तवणिज-पट्ट-संगहिश्र-जुलतु पसिश्रपसिश्र-निम्मित्र-नवपट्ट-पुट्टपरिणिट्टियं विसिट्ट-लट्ठ-णवलोह-बद्धकम्म हरिपहरण-रयण-सरिसवक्कं कक्केयण-इंदणील-सासग-सुसमाहिथ-बद्धजाल. कडगं पसत्थ-विच्छिराणसमधुरं पुरवरं च गुत्तं सुकिरण-तवणिज-जुत्तकलिग्रं कंकटय(डग)-णिजुत्तकप्पणं पहरणाणुजायं खेडग-कणग-धणुमंडलग्ग-वरसत्तिकोत-तोमर-सरसयबत्तीसतोणपरिमंडिग्रं कणगरयणचित्तं जुत्तं. हलीमुहबलाग-गयदंत-चंद-मोत्तित्र-तणसोल्लिन-कुंद-कुडय-वरसिंदुवार-कंदल-वरफेणणिगर-हार-कासप्पगासधवलेहिं अमर-मण-पवण-जइण-चवल-सिग्धगामीहिं चउहिं चामराकणगविभूसिअंगेहिं तुरगेहिं सच्छत्तं सन्झयं सघटं सपडागं सुकयसंधिकम्मं सुसमाहित्र-समरकणग-गंभीर-तुल्लघोसं वरकुप्परं सुचक्क वरनेमीमंडलं वरधारातोंडं . वरखइबद्धतु वरकंचणभूसियं वरायरित्रणिम्मियं वरतुरगसंपउत्तं वरसारहि-सुसंपग्गहियं वरपुरिसे वरमहारहं दुरूढे थारूढे पवर-रयणपरिमंडियं कणय-खिखिणी-जालसोभियं अउज्झ सोत्रा Page #81 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 54 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः सप्तमो विमागा.' मणि-कणग-तविश्र-पंकय-जासुश्रण-जलण-जलिअ-सुश्रतोंडरागं गुंजद्धवंधुजीवग-रत्तहिंगुलगणिगर-सिंदूर-रुइल-कुकुम–पारेवयचलणणयण-कोइलदसणावरण-रइतातिरेग-रत्तासोग-कणग-केसुश्र-गयतालु-सुरिंदगोवग-समप्पभप्पगासं विफल-सिलप्पवाल-उटुिंतसूरसरिसं सव्वोउथ-सुरहि-कुसुमघासत्तमलदामं ऊसिबसेअझयं मदामेह-रसिश्र-गंभीरणिद्धघोसं सत्तुहिश्रयकंपणं पभाए अ सस्सिरीयं णामेणं पुहविविजयलंभंति विस्सुतं लोगविस्सुतजसोऽहयं चाउरघंटं श्रासरहं पोसहिए णवई दुरुढे 1 / तए णं से भरहे राया चाउग्घंटे श्रासरहं दुरुढे समाणे सेसं तहेव दाहिणाभिमुहे वरदामतित्थेणं लवणसमुह भोगाइ जाव से रहवरस्स कुप्परा उल्ला जाव पीइदाणं से, णवरिं चूडामणिं च दिव्वं उरत्थगेविज्जं सोणिसुत्तगं कडमाणि अ तुडिअाणि अ जाव दाहिणिल्ले अंतवाले जाव अट्ठाहियं. महामहिमं करेति 2 ता एत्रमाणत्तिनं पचप्पिणति 2 / तए णं से दिवे चक्करयणे वरदाम-तित्थकुमारस्स देवस्स अट्टाहियाए महामहिमाए निव्वत्ताए समाणीए पाउहघरसालारो पडिणिक्खमइ 2. ना अंतलिक्खपडिवगणे जाव पूरते चेव अंबरतलं उत्तरपञ्चत्थिमं दिसि पभासतित्थाभिमुहे पयाते यावि होत्था 3 / तए णं से भरहे राया तं दिव्वं चकरयणं जाव उत्तरपञ्चत्थिमं दिसिं तहेव जाव पञ्चत्थिमदिसाभिमुहे पभासतित्थेणं लवणसमुह श्रोगाहेइ 2 ता जाव से रहवरस्स कुप्परा उल्ला जाव पीइदाणं से णवरं मालं मउडि मुत्ताजालं हेमजालं कडगाणि अ तुडिअाणि अाभरणाणि अं सरं च णामाहयंकं पभासतित्थोदगं च गिराहइ 2 ता जाव पचत्थिमेणं पभासतित्थमेराए अहराणं देवाणुप्पित्राणं विसयवासी जाव पचत्थिमिल्ले अंतवाले, सेसं तहेव जाव अट्टाहिश्रा निव्वत्ता 4 // सूत्रं 41 // तए णं से दिव्वे चकरयणे पभासतित्थकुमारस्स देवस्स अट्टाहिआए महामहिमाए णिवत्ताए समाणीए पाउघरसालाश्रो पडिणिक्खमइ 2 ता जाव रेते Page #82 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ 55 श्रीमज्जम्बुद्धीपप्रज्ञप्त्युपाङ्गसूत्रं : तृतीयो वक्षस्कारः ] . चेव अंबरतलं सिंधूए महाणईए दाहिणिल्लेणं कूलेणं पुरच्छिमं दिसिं सिंधुदेवीभवणाभिमुहे पयाते श्रावि होत्था 1 / तए णं से भरहे राया तं दिव्वं चक्करयणं सिंधूए महाणईए दाहिणल्लेणं कूलेणं पुरच्छिमं दिसि सिंधुदेवीभवणाभिमुहं पयातं पासइ 2 ता हट्टतुट्ठचित्त तहेव जाव जेणेव सिंधूए देवीए भवणं तेणेव उवागच्छइ 2 ता सिंधूए देविए भवणस्स अदूरसामंते दुवालसजोत्रणायामं णवजोयणविच्छिण्णं वरणगरमारिच्छ विजयखंधावारणिवेसं करेइ जाव सिंधुदेविए अट्ठमभत्तं पगिराहइ 2 ता पोसहसालाए पोसहिए बंभयारी जाव दभसंथारोवगए अट्ठमभत्तिए सिंधुदेविं मणसि करेमाणे चिटुइ 2 / तए णं तस्स भरहस्स रगणो अट्ठमभत्तंसि परिणममाणंसि सिंधूए देवीए पासणं चलइ, तए णं सा सिंधुदेवी पासणं चलियं पासइ 2 त्ता श्रोहिं पउंजइ.२ ता भरहं रायं श्रोहिणा श्राभोएइ 2 ता (तीसे)इमे एथारुवे अब्भत्थिए चिंतिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पजित्या-उप्पराणे खलु भो जंबुद्दीवे भरहे वासे भरहे णामं राया चारंतचचकवट्टी 3 / तं जीवमेधे तीअपच्चुपरण-मणागयाणं सिंबूणं देवीणं भरहाणं राईणं उवत्थाणियं करेत्तए 4 / तं गच्छामि णं अहंपि- भरहस्स रराणो उवत्थाणिग्रं करेमित्ति कटु कुंभट्ठसहस्सं रयणचित्तं णाणामणि-कणग-रयणभत्तिचित्ताणि श्र दुवे कणगभदासणाणि य कडगाणि अ तुडियाणि अजाव श्राभरणाणि श्र गेराहइ 2 ता ताए उकिटाए जाव एवं वयासी-अभिजिए णं देवाणुप्पिएहिं केवलकप्पे(दाहिणे) भरहे वासे अहराणं देवाणुप्पियाण विसयवासिणी अहराणं देवाणुप्पियाणं आणत्तिकिंकरीतं पडिच्छंतु णं देवाणुप्पिया ! मम इमं इमं एथारूवं पीइदाणंतिकटटु कुभट्ठसहस्सं रयणचित्तं णाणामणिकणगकडगाणि अजाव सो चेव गमो जाव पडिविसज्जेइ 5 / तए णं से भरहे राया पोसहसालाश्रो पडिणिक्खमइ 2 ता जेणेव मजणघरे तेणेव उवागच्छइ 2 ता राहाए शाडपाणि अ जामजिए | देवापासणी Page #83 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 56 ] - श्रीमदागमसुधासिन्धुः : सप्तमो विमागः कयबलिकम्मे जाव जेणेव भोत्रणमंडवे तेणेव उवागच्छइ 2 ता भोत्रणमंडवंसि सुहासणवरगए अट्ठमभत्तं परियादियइ 2 त्ता जाव सीहासणवरगए पुरत्थिाभिमुहे णिसीअइ 2 ता अट्ठारस सेणिप्पसेणीयो सद्दावेइ 2 त्ता जाव अट्टाहिश्राए महामहिमाए तमाणत्तियं पञ्चप्पिणति 6 ॥सूत्रं 50 // तए णं से दिव्वे चक्करयणे सिंधूए देवीए अट्टाहिश्राए महामहिमाए णिव्वताए समाणीए पाउहबरसालायो तहेव जाव उत्तरपुरच्छिमं दिसिं वेश्रद्धपव्वयाभिमुहे पयाए श्रावि होत्था 1 / तए णं से भरहे राया जाव जेणेव वेश्रद्धपव्वए जेणेव वेश्रद्धस्स पव्वयस्स दाहिणिल्ले णितंबे तेणेव उवागच्छइ 2 ता वेश्रद्धस्स पव्वयस्स दाहिणिल्ले णितंबे दुवालसजोत्रणायाम णवजोत्रणविच्छिराणं वरणगरसरिच्छं विजयखंधावारनिवेसं करेइ 2 चा जाव वेपद्धगिरिकुमारस्स देवस्स अट्टमभत्तं पगिराहइ 2 त्ता पोसहसालाए जाव अट्ठमभत्तिए वेश्रद्धगिरिकुमारं देवं मणसि करेमाणे 2 चिट्ठइ 2 / तए णं तस्स भरहस्स रगणो अट्ठमभत्तसि परिणममाणंसि वेश्रद्धगिरिकुमारस्स देवस्स पासणं चलइ, एवं सिंधुगमो णेश्रव्यो, पीइदाणं आभिसेक्क रयणालंकारं कडगाणि श्र तुडियाणि श्र वत्थाणि श्र ग्राभरणाणि श्र गेगहइ 2 त्ता ताए उकिट्टाए जाव अट्टाहियं जाव पचप्पिणंति 3 / तए णं से दिव्वे चक्करयणे अट्ठाहियाए महामहिमाए णिवत्ताए समाणीए जाव पञ्चत्थिमं दिसिं तिमिसगुहाभिमुहे पयाए श्रावि होत्था 4 / तए णं से भरहे राया तं दिव्वं चकरयणं जाव पञ्चत्थिमं दिसि तिमिसगुहाभिमुहं पयातं पासइ 2 ता हट्टतुट्ठचित्त जाव तिमिसगुहाए अदूरसामंते दुवालसजोषणायामं णवजोत्रणविच्छिराणं जाव कयमालस्स देवस्स अट्ठमभत्तं पगिराहइ 2 त्ता पोसहसालाए पोसहिए बंभयारी जाव कयमालगं देवं मणसि करेमाणे 2 चिटइ 5 / तए णं तस्स भरहस्स रराणो अट्ठमभत्तंसि परिणममाणंसि कयमालस्स देवस्स श्रासणं चलइ तहेव जाव वेश्रद्धगिरिकुमारस्स णवरं पीइदाणं Page #84 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्र : तृतीयो वक्षस्कार : ] [57 इत्थीरयणस्स तिलगचोदसं भंडालंकारं कडगाणि श्र जाव पाभरणाणि श्र गेराहइ 2 ता ताए उकिटाए जाव सकारेइ सम्माणेइ 2 ता पडिविसज्जेइ जाव भोत्रणमंडवे, तहेव महामहिमा कयमालस्स पचप्पिणंति ६॥सूत्रं 51 // तए णं से भरहे राया कयमालस्स अट्टाहियाए महामहिमाए णिवत्ताए समाणीए सुसेणं सेणावई सदावेइ 2 ता एवं वयासी-गच्छाहि णं भो देवाणुप्पिा ! सिंधूए महाणईए पचत्थिमिल्लं णिक्खुढं ससिंधु-सागरगिरिमेरागं सम-विसम-णिक्खुडाणि श्रोत्रवेहि बोअवेत्ता अग्गाई वराई रयणाई पडिच्छाहि पडिच्छित्ता ममेप्रमाणत्तियं पञ्चप्पिणाहि 1 / तते णं से सेणावई बलस्स णेया भरहे वासंमि विस्सुअजसे महाबलपरक्कमे महप्पा अोसी तेअलक्खणजुत्ते मिलक्खुभासाविसारए चित्तवारुभासी भरहे वासंमि खिक्खुडाणं निराणाण य दुग्गमाण य दुप्पवेसाण य विश्राणए अत्थसत्थकुसले रयणं सेणावई सुसेणे भरहेणं रराणा एवं वुत्ते समाणे हटुतुट्टचित्तमाणंदिए जाव करयलपरिग्गहिश्र दसणहं सिरसावत्तं मत्थए. अंजलि कटु एवं सामी ! तहत्ति प्राणाए विणएणं वयणं पडिसुणेइ 2 ता भरहस्स रगणो अंतित्रानो पडिणिक्खमइ 2 ता जेणेव सए आवासे तेणेव उवागच्छइ 2 त्ता कोडविथपुरिसे सद्दावेइ 2 ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिश्रा ! श्राभिसेक्कं हत्थिरयणं पडिकप्पेह हयगयरहपवर जाव चाउरंगिणिं सेगणं सराणाहेहत्तिकटु जेणेव मजणघरे तेणेव उवागच्छइ 2 ता मजणघरं अणुपविसइ 2 ता राहाए कयवलिकम्मे कय-कोउत्र-मंगलपायच्छित्ते सन्नद्ध-बद्धवम्मिश्रकवए उप्पीलिअ-सरासणपट्टिए पिणद्ध-गेविज्जे बद्ध-श्राविद्ध-विमलवरचिंधपट्टे गहिबाउहप्पहरणे अणेग-गणनायग-दंडनायग जाव सद्धिं संपरिबुडे सकोरंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिजमाणेणं मंगल-जयसद्दकयालोए मजणघरायो पडिणिक्खमइ 2 त्ता जेणेव बाहिरिश्रा उवट्ठाणसाला जेणेव श्राभिसेक्के हस्थिरयो तेणेव उवागच्छइ 2 ता भाभिसेवक हत्थिरयणं दुरूढ़े Page #85 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 58] . [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः सप्तमो विभागा 2 / तए णं से सुसेणे सेणावई हत्थिखंधवरगए सकोरंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिजमाणेणं हय-गय-रह-पवरजोहकलिगाए चाउरंमिणीए सेणाए सद्धिं संपरिबुडे महया-भड-चडगर-पहगर-वंदपरिक्खित्ते महया-उकिट्ठ-सीहणायबोल-कलकलसणं समुद्द-रवभूयंपिव करेमाणे 2 सब्विद्धीए सव्वज्जुईए सव्ववलेणं जाव निग्घोसनाइएणं जेणेव सिंधू महागई तेणेव उवागच्छइ 2 त्ता चम्मरयणं परामुसइ 3 / तए णं तं सिरिखच्छसरिसरूवं मुत्ततारद्धचंदचित्तं अयलमकंपं अभेजकवयं जंतं सलिलासु सागरेसु श्र उत्तरणं दिव्वं चम्मरयणं सणसत्तरसाइं सव्वधराणाइं जत्थ रोहंति एगदिवसेण वाविश्राई, वासं णाऊण चकवट्टिणा परामुढे दिव्वे चम्मरयणे दुब्बालस जोश्रणाई तिरिनं पवित्थरइ तत्थ साहिबाई 4 / तए णं से दिव्वे चम्मरयणे सुसेणसेणावणा परामुढे समाणे खिप्पामेव णावाभूए जाए श्रावि होत्था 5 / तए णं से सुसेणे सेणावई सखंधावारबलवाहणे णावाभूयं चम्मरयणं दुरूहइ 2 ता सिंधु महाणई विमलजलतुंगवीचिं णावाभूएणं चम्मरयणेणं सबलवाहणे ससेणे समुत्तिराणे 6 / तत्रो महाणईमुत्तरित्तु सिंधु अप्पडिहयसासणे श्र सेणावई कहिंचि गामागरणगरपव्वयाणि खेडकब्बडमडंबाणि पट्टणाणि सिंहलए बब्बरए श्र सव्वं च अंगलोयं बलायालोमं च परमरम्मं जवणदीवं च पवर-मणि-रयणग-कोसागारसमिद्धं प्रारबके रोमके अ अलसंडवि. सयवासी श्र पिक्खुरे कालमुहे जोणए अ उत्तरखेपद्धससिश्राश्रो श्र मेच्छजाई बहुप्पगारा दाहिणवरेण जाव सिंधुसागरंतोत्ति सव्वपवरकच्छ च श्रोत्रवेऊण पडिणिश्रत्तो बहुसमरमणिज्जे श्र भूमिभागे तस्स कच्छस्स सुहणिसगणे 7 / ताहे ते जणवयाण गगराण पट्टणाण य जे श्र तहिं सामिश्रा पभूत्रा आगरपती श्र मंडलपती अ पट्टणपती असव्वे घेत्तूण पाहुडाई अाभरणाणि भूसणाणि रयणाणि य वत्थाणि श्रमहरिहाणि अगणं. च जं बरिटुं रायारिहं च इच्छिश्रव्वं एवं सेणावइस्स उवणेति मत्थयकयंज Page #86 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्र / तृतीयो वक्षस्कार : ] [59 लिपुडा 8 / पुणरवि काऊण यंजलिं मत्थयमि पणया तुब्भे अम्हेऽत्थ सामिश्रा देवयंव सरणागया मो तुभ विसयवासिणोति विजयं जपमाणा सेणावइणा जहारिहं उविश्र पूइत्र विसजित्रा णिवत्ता सगाणि णगराणि पट्टणाणि अणुपविट्ठा 1 / ताहे सेणावई सविणो घेत्तूण पाहुडाई श्राभरणाणि भूसणाणि रयणाणि य पुणरवि तं सिंधुणामधेज्ज उत्तिगणे अराहसासणवले, तहेव भरहस्स रराणो णिवेएइ णिवेइत्ता य अप्पिणित्ता य पाहुडाई सकारिश्रसम्माणिए सहरिसे विसजिए सगं पडमंडवमइगए 10 / तते णं सुसेणे सेणावई गहाए कयबलिकम्मे कय-कोउप-मंगलपायच्छित्ते जिमिश्रभुत्तुत्तरागए समाणे जाव सरस-गोसीस-चंदणुक्खित्तगायसरीरे उप्पिं पासायवरगए फुट्टमाणेहिं मुइंगमथएहिं बत्तीसइबद्धेहिं णाडएहिं वरतरुणीसंपउत्तेहिं उवणचिजमाणे 2 उवगिजमाणे 2 उपलमि(लालि)जमाणे 2 महयाहय-गट्ट-गीय-वाइन-तंती-तल ताल-तुडिश्र-घण-मुइंग-पडुप्पवाइअरवेणं इ8 सद्दफरिसरसरूवगंधे पंचविहे माणुस्सए कामभोगे मुंजमाणे विहरइ 11 // सूत्रं 52 // तए णं से भरहे राया श्रगणया कयाई सुसेणं सेणावई सदावेइ 2 ता एवं वयासी-गच्छ णं खिप्पामेव भो देवाणुप्पिश्रा ! तिमिसगुहाए दाहिणिल्लस्स दुवारस्स कवाडे विहाडेहि 2 ता मम एश्रमाणत्तिश्र पञ्चप्पिणाहित्ति 1 / तए णं से सुसेणे सेणावई भरहेणं रगणा एवं वुत्ते समाणे हट्टतुट्टचित्तमाणदिए जाव करयलपरिग्गहिनं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कटु जाव पडिसुणेइ 2 ता भरहस्स रराणो अंतियाश्रो पडिणिक्खमइ 2 तो जेणेव सए थावासे जेणेव पोसहसाला तेणेव उवागच्छइ 2 ता दन्भसंथारगं संथरइ जाव कयमालस्स देवस्स अट्ठमभत्तं पगिराहइ पोसहसालाए पोसहिए बंभयारी जाव अट्ठमभत्तंसि परिणममाणंसि पोसहसालाश्रो पडिणिकखमइ 2. ता जेणेव मजणघरे. तेणेव उवागन्छइ 2 ता राहाए कयबलिकम्मे कय-कोउथ-मंगलपायच्छित्ते सुद्धप्पावेसाई मंगलाई हतुवित्तमाणदिए जाना भरहस्स रगणों वागच्छइ 2 Page #87 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 60 ] .... [ श्रीमदागमसुधांसिन्धुः / सप्तमो विभागः वत्थाई पवरपरिहिए, अप्प-महग्याभरणालंकियसरीरे धूव-पुष्फ-गंधमल्लहत्थगए मजणघरानो पडिणिक्खमइ 2 चा जेणेव तिमिसगुहाए दाहिणिलस्स दुवारस्स कवाडा तेणेव पहारेत्थ गमणाऐ 2 / तए णं तस्स सुसेणस्स: सेणावइस्स बहवे राईसरतलवरमाइंबित्र जाव सस्थवाहप्पभियत्रो अप्पेगइथा उप्पलहत्थगया जाव सुसेणं सेणावई पिट्टो 2. श्रणुगच्छंति 3 / तए णं तस्स सुसेणस्स सेणावइस्स बहूईयो खुजात्रो चिलाइअायो जाव इंगित्र-चिंतित्र--पत्थित्र-विश्राणिग्राउ णिउणकुसलायो विणीपात्रो अप्पेगइशायो कलसहत्यगयाो जाव अणुगच्छंतीति / तए णं से सुसेणे सेणावई सविद्धीए सव्वजुईए जाव णिग्घोसणाइएणं जेणेव तिमिसगुहाए दाहिणिलस्स दुवारस्स कवाडा तेणेव उवागच्छइरत्ता बालोए पणामं करेइ २त्ता लोमहत्थगं परामुसइरत्ता तिमिसगुहाए. दाहिणिलस्स दुवारस्स कवाडे लोमहत्येणं पमन्जइ 2 ता दिव्वाए उदगधाराए अब्भुक्खेइ 2 ता सरसेणं गोसीसचंदणेणं पंचंगुलितले चचए दलइ 2 ता अग्गेहि वरेहिं गंधेहि श्र मल्लेहि श्र अचिणेइ 2 ता पुष्फारहणं जाव वत्थारुहणं करेइ 2. त्ता भासत्तोसत्तविपुलवट्ट जाव करेइ 2 ता अच्छेहि सरहेहि रययामएहिं श्रच्छरसातंडुलेहिं तिमिस्सगुहाए दाहिणिलस्स दुवारस्स कवाडाणं पुरो अट्ठमंगलए श्रालिहइ, तंजहा-सोत्थिय सिरि. बच्छ जाव कयग्गहगहिश्र-करयल-पभट्ठविप्पमुक्कस्स दसद्धवराणस्स कुसुमणिगरस्स तत्थ चित्तं जाणुस्सेहपमाणमित्तं श्रोहिनगरं करेत्ता चंदप्पभ-वइर. वेरुलित्र-विमलदंडं नाव धूवं दलयइ 2 ता वामं जाणु अंचेइ 2 ता करयल जाव मत्थए अंजलि कटु कवाडाणं पणाम करेइ 2 त्ता दंडरयणं परामुसइ 5 / तए णं तं दंडरयणं पंचलइयं वइरसारमइयं विणासणं सव्वसत्तुसेगणाणं खंधावारे णरवइस्स. गड्ड-दरि-विसम-पन्भार-गिरिवरपवायाणं समीकरणं संतिकरं सुभकर हितकरं रगणो हिअइच्छिश्रमणोरह. Page #88 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्र : तृतीयो वक्षस्कारः ] [61 पूरगं दिबमप्पडिहयं दंडरयणं गहाय सत्तट्ट पयाई पच्चोसकइ पच्चोसकित्ता तिमिस्सगुहाए दाहिणिलस्स दुवारस्स कवाडे दंडरयणेणं महया 2 सद्दे णं तिक्खुत्तो पाउडेइ 6 / तए णं तिमिसगुहाए दाहिणिलस्स दुवारस्स कवाडा सुसेणसेणावइणा दंडरयणेणं महया 2 सद्देणं तिक्खुत्तो पाउडिया समाणा महया 2 सद्दे णं कोंचारखं करेमाणा सरसरस्स सगाई 2 ठाणाई पच्चोसक्कित्था 7 / तए णं से सुसेणे सेणावई तिमिसगुहाए दाहिणिल्लस्स दुवारस्स कवाडे विहाडेइ 2 ता जेणेव भरहे राया तेणेव उवागच्छई 2 ता जाव भरहं रायं करालपरिग्गहिणं जएणं विजएणं वद्धावेइ 2 ता एवं वयासी-विहाडिया णं देवाणुप्पिा ! तिमिसगुहाए दाहिणिलस्स दुवारस्स कवाडा एअरणं देवाणुप्पित्राणं पिघं णिवेएमो पिनं भे भवउ 8 | तए णं से भरहे राया सुसेणस्स सेणावइस्स अंतिए एमटुं सोचा निसम्म हट्टतुट्टचित्तमाणदिए जाव हिश्रए सुसेणं सेणावई सकारेइ सम्माणेइ सकारिता सम्माणित्ता कोडंबिअपुरिसे सद्दावेइ २त्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिा ! श्राभिसेक्कं हत्थिरयणं पडिकप्पेह हयगयरहपवर तहेव जाव अंजणगिरि-कूडसरिणभं गयवरं णरवई दूरुढे 1 // सूत्रं 53 // तए णं से भरहे राया मणिरयणं परामुसइ तोतं चउरंगुलप्पमाणमित्तं च अणग्धं तंसिय छलंसं श्रणोवमजुई दिव्वं. मणिरयण-पतिसमं - वेरुलियं सव्वभूकंतं जेण य मुद्धागएणं दुक्खं ण किंचि जाव हवइ: आरोग्गे अ सव्वकालं तेरिच्छित्र-देवमाणुसकया य उवसग्गा. सव्वे ण करेंति तस्स दुक्खं 1 / संगामेऽवि असत्थवज्झो होइ णरो मणिंवर धेरैता ठिश्र-जोव्वण-केस-श्रवट्ठिश्रणहो हवइ अ सव्वभयविप्पमुक्को, तं मणिरयणं गहाय से गवई हत्थिरयणस्स दाहिणिलाए कुंभीए. णिक्खिवइ 2 / तए णं से भरहाहिवे णरिदे हारोत्थए सुकयरइअवच्छे जाव अमरवइससिणभाए. इद्धीए पहिकित्ती मणिरयणकउज्जोए चक्करयण Page #89 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 62] [ श्रीमद्भागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः देसिश्रमग्गे अणेग-राय--सहस्साणुयायमग्गे महया-उकिट्ठ-सीहणाय-बोलकलकलरवेणं समुद्दरवभूपिव करेमाणे 2 जेणेव तिमिसगुहाए दाहिणिल्ले दुवारे तेणेव उवागच्छइ 2 ता तिमिसगुहं दाहिणिल्लेणं दुवारेणं अईइ ससिव्व मेहंधयारनिवहं 3 / तए णं से भरहे राया छत्तलं दुवालसंसियं अट्ठकरिण अहिगरणिसंठियं अट्ठसोवरिणयं कागणिरयणं परामुसइत्ति 4 / तए णं तं चउरंगुलप्पमाणमित्तं श्रट्ठसुवरणं च विसहरणं अउलं चउरंससंठाणसंठियं समतलं माणुम्माणजोगा जतो लोगे चरंति सव्वजणपराणवगा, ण इव चंदो ण इव तत्थ सूरे ण इव अग्गी ण इव तत्थ मणिणो तिमिरं णासेंति घंधयारे जत्थ तयं दिव्वं भावजुत्तं दुवालसजोषणाई तस्स लेसाउ विवद्धंति तिमिर-णिगर-पडिसेहियायो 5 / रत्तिं च सब्बकालं खंधावारे करेइ पालो दिवसभूध जस्स पभावेण चक्कवट्टी 6 / तिमिसगुहं अतीति सेराणसहिए अभिजेत्तु बितिश्रमद्धभरहं रायवरे कागणि गहाय तिमिसगुहाए पुरच्छिमिल्लपञ्चत्थिमिल्नेसु कडएसु जोत्रणंतरियाई पंचधणु-सयविक्खंभाई जोअणुजोकराई चक्क-णेमीसंठिाई चंद-मंडलपडिणिकासाई एगणपरणं मंडलाई यालिहमाणे 2 अणुप्पविसइ 7 / तए णं सा तिमिमगुहा भरहेणं रराणा तेहिं जोत्रणंतरिएहिं जाव जोअणुजोकरहिं एगणपण्णाए मंडलेहिं प्रालिहिज्जमाणेहिं 2 खिप्पामेव श्रालोगभूषा उज्जोअभूत्रा दिवस(दीवसय)भूत्रा जाया यावि होत्था = ॥सूत्रं 54 // तीसे णं तिमिसगुहाए बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं उम्मग्गणिमग्गजलायो णाम दुवे महाणईयो पराणत्तायो 1 / जायो णं तिमिसगुहाए पुरच्छिमिलायो भित्तिकडगायो पढायो समाणीयो पचत्थिमेणं सिंधु महाणई समप्पेंति 2 / से केण?णं भंते ! एवं बुच्चइ उम्मगणिमग्गजलायो महाणईयो ?, गोत्रमा ! जगणं उम्मग्गजलाए -महाणईए तणं वा पत्तं वा कटुवा सकरा वा श्रासे वा हत्थी वा रहे वा जोहे Page #90 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्र : तृतीयो वक्षस्कारः ] [63 वा मणुस्से वा पक्खिप्पइ तगणं उम्मग्ग-जलामहाणई तिक्खुत्तो श्राहुणित्र 2 एगते थलंसि एडेइ, जगणं णिमग्गजलाए महाणईए तणं वा पत्तंग वा कट्ठ वा सकरं वा जाव मणुस्से वा पक्खिप्पइ तराणं णिमग्गजलामहाणई तिक्खुत्तो पाहुणिय 2 अंतो जलंसि णिमजावेइ, से तेण?णं गोत्रमा ! एवं वुच्चइ-उम्मग्गणिमग्गजलायो महाणईयो 3 / तए णं से भरहे राया चक्करयणदेसिश्रमग्गे अणेग-रायवरसहस्साणुयायमग्गे महया उकिट्ठसीहणाय जाव करेमाणे 2 सिंधूए महाणईए पुरच्छिमिल्ले णं कूडे णं जेणेव उम्मग्गजला महाणई तेणेव उवागच्छइ 2 ता वद्धइरयणं सदावेइ 2 ता एवं क्यासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! उम्मग्गणिमग्गजलासु. महाणईसु अणेगखंभसयसरिणविट्ठ अयलमकंपे अभेजकवए सालंबणबाहाए सवरयणामए सुहसंकंमे करेहि करेत्ता मम एअमाणत्तियं खिप्पामेव पचप्पिणाहि 4 / तए णं से बद्धइरयणे भरहेणां रगणा एवं वुत्ते समाणे हट्टतुट्टचित्तमाणंदिए जाव विणएणं पडिसुणेइ 2 त्ता खिप्पामेव उम्मग्गणिमग्गजलासु महाणईसु अणेग-खंभ-सयसरिणविट्टे जाव सुहसंकमे करेइ 2 ता जेणेव भरहे राया तेणेव उवागच्छइ 2 त्ता जाव एत्रमात्तिनं पचप्पिणइ 5 / तए णं से भरहे राया सखंधावारबले उम्मग्गणिमग्गजलायो महाणईयो तेहिं अणेग-खंभ-सय-सरिणवि?हिं जाव सुहसंकमेहिं उत्तरइ 6 / तए णं तीसे तिमिस्सगुहाए उत्तरिलस्स दुवारस्स कवाडा सयमेव महया 2 कोंचारवं करेमाणा सरसरस्सग्गाई 2 गणाई पच्चोसकित्था 7 // सूत्रं 55 // तेणं कालेणं तेणं समएणं उत्तरड्डभरहे वासे बहवे श्रावाडाणामं चिलाया परिवसंति अड्डा दित्ता वित्ता विच्छिराण-विउल-भवण-सयणासण-जाणवाहणाइन्ना बहुधण-बहुजायरूवरयया आयोग-पयोगसंपउत्ता विच्छड्डियपउरभत्तपाणा बहुदासीदास गोमहिस-गवेलगप्पभूत्रा बहुजणस्स अपरिभूत्रा Page #91 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 64 ] / श्रीमदागमसुधासिन्धुः सप्तमो विभाग: सूरा वीरा विक्कंता विच्छिण्ण-विउल-बलवाहणा बहुसु समरसंपराएसु लद्धलक्खा यावि होत्था 1 / तए णं तेसिमावाडचिलायाणं अराणया कयाई विसयंसि बहूई उप्पाइअसयाई पाउभवित्था, तंजहा-अकाले गन्जिय अकाले विज्जुया अकाले पायवा पुष्पंति अभिक्खणं 2 अागासे देवयायो णच्चंति 2 / तए णं ते यावाडचिलाया विसयंसि बहूई उप्पाइअसयाई पाउब्भूयाइं पासंति पासित्ता अराणमराणं सदाति 2 त्ता एवं वयासीएवं खलु देवाणुप्पिा ! अहं विसयंसि बहूई उप्पाइअसयाई पाउभूयाई तंजहा-अकाले गजिअं अकाले विज्जुया अकाले पायवा पुष्फंति अभिक्खणं 2 अागासे देवयानो णचंति, तं ण णजइ णं देवाणुप्पिया ! अम्हं विसयस्स के मन्ने उवद्दवे भविस्सईत्तिकटु श्रोहयमणसंकप्पा चिंतासोगसागरं पविट्ठा करयल पल्हत्थमुहा अट्टज्माणोवगया भूमिगयदिट्ठिया झियायंति 3 / तए णं से भरहे राया चक्करयण-देसिश्रमग्गे जाव समुद्दखभूयं पिव करेमाणे 2 तिमिसगुहायो उत्तरिल्लेणं दारेणं णीति ससिव्व मेहंधयार-णिवहा 4 / तए णं ते यावाडचिलाया भरहस्स रराणो अग्गाणीयं एजमाणं पासंति 2 ता पासुरुत्ता रुट्टा चंडिकिया कुवित्रा मिसिमिसेमाणा अण्णमण्णं सद्दावेंति 2 ता एवं वयासी-एस णं देवाणुप्पिया ! केई अप्पत्थि-अपत्थए दुरंत-पंतलक्खणे हीण-पुराणचाउद्दसे हिरि-सिरि. परिवजिए. जे णं अम्हं विसयस उवरि विरिएणं हव्वमागच्छइ तं तहा णं घत्तामो देवाणुप्पिया ! जहा णं एस अहं विसयस्स उवरिं विरिएणं णो हव्वमागच्छइत्तिक? अराणमराणस्स अंतिए एअमट्ठ पडिसुणेति 2 ता सराणद्ध-बद्ध-वम्मियकवा उप्पीलिअ-सरासणपट्टिया पिणद्धगेविजा बद्धश्राविद्ध-विमल-वरचिंधपट्टा. गहियाउहप्पहरणा जेणेव भरहस्स रराणो अग्गाणीअं तेणेव उवागच्छंति 2 ता भरहस्स रराणो अग्गाणीएण सद्धिं. संपलग्गा यावि होत्था 5 / तए णं ते श्रावाडचिलाया भरहस्स रगणो Page #92 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्रं : तृतीयो वक्षस्कारः ] [65 अग्गाणीयं हयमहिथ-पवरवीरघाइग्र विवडिय-चिंधद्धयपडागं किच्छप्पाणोवगयं दिसोदिसि पडिसेहिंति 6 // सूत्रं 56 // तए णं से सेणाबलस्स णेश्रा वेदो जाव भरहस्स रराणो अग्गाणी यावाडचिलाएहि हयमहियपवरवीर जाव दिसो दिसं पडिसेहिग्रं पासइ 2 ता आसुरुत्ते रु? चंडिक्किए कुविए मिसिमिसेमाणे कमलामेलं श्रासरयणं दुरूहइ 2 ता तए णं तं असीइमंगुलमूसियं णवणउइ-मंगुलपरिणाहं अट्ठसय-मंगुलमायतं बत्तीसमंगुलमूसियसिरं चउरंगुलकन्नागं वीसइअंगुलबाहागं चउरंगुलजाणूकं सोलसगुलजंघागं चउरंगुलमूसिश्रखुरं मुत्तोली-संवत्त-वलियमझ ईसिं अंगुलपणयपट्ट संणयपटुं संगयपटु सुजायपढे पसत्थपट्ट विसिट्टपट्ट एणी-जाणुराणयवित्थय-थद्धपट्ट वित्तलयक-सणिवाय-अंकेल्लण-पहारपरिवजिअंगं तवणिजथासगाहिलाणं वरकणग-सुफुल्ल-थासग-विचित्त-रयणरज्जुपासं कंचण-मणिकणग-पयरग-णाणाविह-घंटियाजाल-मुत्तियाजालएहिं परिमंडियेणं प?ण सोभमाणेण सोभमाणं कक्केयण-इंदनील-मरगय-मसारगल्ल-मुहमंडणरइयं भाविद्ध-माणिक-सुत्तगविभूसियं कणगामय-पउम-सुकयतिलकं देवमइविकप्पियं सुरवरिंद-वाहण-जोग्गावयं सुरूवं दूइज्जमाण-पंच-चार-चामरामेलगं धरेतं अण(द)भवाहं अभेलणयणं कोकासित्र-बहलपत्तलच्छं सयावरणनवकणग-तविश्र-तवणिज-तालुजीहासयं सिरित्राभिसेअघोणं पोक्खरपत्तमिव सलिल-बिंदुजुधे अचंचलं चंचलसरीरं चोक्ख-चरग-परिव्वायगोविव हिलीयमाणं 2 खुर-चलण-चच्चपुडेहिं धरणित्रलं अभिहणमाणं 2 दोवि श्र चलणे जमगसमगं मुहायो विणिग्गमंतं व सिग्घयाए मुणालतंतुउदगमवि णिस्साए पकमंतं जाइ-कुल-रूव-पचय-पसत्थ-बारसावत्तग-विसुद्धलक्खणं सुकुलप्पसूयं महावि-भद्दयविणीयं अणुश्र-तणुश्र-सुकुमाल-लोमनिद्धच्छवि सुजाय-अमर-मण-पवण-गरुल-जइण-चवलसिग्घगामि इसिमिव खंतिखमए सुसीसमिव पञ्चक्खयाविणीयं. उदग-हुतवह-पासाण-पंसु-कद्दम-ससकर-सवालु Page #93 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 16] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः सप्तमो विभागो इल्ल-तड-कडग-विसम-पभार-गिरि-दर-सुलंघण-पिल्लण-णित्थारणासमत्थं अचंडपाडियं दंडयाति अणंसुपाति अकालतालुच कालहेसि जियनिगवेसगं जिअपरिसहं जबजातीयं मल्लिहाणिं सुगपत्त-सुवराणकोमलं मणाभिरामं कमलामेलं णामेणं ग्रासरयणं सेणावई कमेण समभिरूढे कुवलय-दलसामलं च रयणिकर-मंडलनिभं सत्तुजणविणासणं कणगरयणदंडं णवमालिअ-पुप्फ-सुरहिगंधिं णाणा-मणिलय-भत्तिचित्तं च पहोत-मिसिमिसिंततिक्खधारं दिव्वं खग्गरयणं लोके अणोवमाणं तं च पुणो वंस-रुवख. सिंगट्टि-दंत-कालायस-विपुल-लोहदंडक-वरवइरभेदकं जाव सव्वत्थअप्पडिहयं कि पुण देहेसु जंगमाणं-परणासंगुणदीहो सोलस से अंगुलाई विच्छिण्णो। श्रद्धंगुलसोणीको जेट्टपमाणो असी भणिश्रो // 1 // असिरयणं णरवइस्स हत्थायो तं गहिऊण जेणेव श्रावाडचिलाया तेणेव उवागच्छइ 2 ता यावाडचिलाएहिं सद्धिं संपलग्गे श्रावि होत्था // तए णं से सुसेणे णेणावइ. ते श्रावाडचिलाए हय-महिअ-पवरवीरघाइयं जाव दिसोदिसि पडिसेहेइ // सूत्रं 57 // तए णं ते याबाडचिलाया सुसेणसेणावइणा हयमहिया जार पडिसेहिया समाणा भीया तत्था वहिबा उब्बिग्गा संजायभया अत्थामा अबला अवीरिया अपुरिसकारपरकमा अधारणिजमितिकटु अणेगाइं जोयणाई श्रवक्कमति 2 ता एगययो मिलायंति 2 ता जेणेव सिंधू महाणई तेणेव उवागच्छंति 2 त्ता वालुयासंथारए संथरेंति 2 त्ता वालुथासंथारए दुरुहंति 2 ता अट्ठमभचाई पगिरहंति 2 ता वालुया. संथारोवगया उत्ताणगा अवसणा अट्ठमभत्तिया जे तेसिं कुलदेवया मेहमुहाणामं णागकुमारा देवा ते मणसी करेमागा 2 चिट्ठति 1 / तए णं तेसिमावाडचिलायाणं अट्ठमभत्तंसि परिणंमाणंसि मेहमुहाणं णांगकुमाराणं देवाणं पासणाई चलंति, तए णं ते मेहमुहा णागकुमारा देवा श्रासणाई चलिग्राइं पासंति 2 ता श्रोहिं पउंजंति 2 त्ता अावाडचिलाए योहिणा Page #94 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्गसूत्रं / तृतीयो वक्षस्कारः ] [67 थाभोएंति 2 ता अगणमण्णं सदावेंति 2 ता एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! जंबुद्दीवे दीवे उत्तरद्धभरहे वासे आवाडचिलाया सिंधूए महाणईए वालुवासंथारोवगया उत्ताणगा अवसणा अट्ठमभत्तिा अम्हे कुलदेवए मेहमुहे णागकुमारे देवे मणसी करेमाणा 2 चिट्ठति 2 / तं से खलु देवाणुप्पिा ! अम्हं आवाडचिलायाणं अंतिए पाउब्भवित्तएत्तिकटु यगणमराणस्स अंतिए एअमट्ठ पडिसुणेति पडिसुणेत्ता ताए उकिट्ठाए तुरियाए जाव. वीतिवयमाणा 2 जेणेव जंबुद्दीवे दीवे उत्तरद्धभरहे वासे जेणेव सिंधू महाणई जेणेव श्रावाडचिलाया तेणेव उवागच्छंति 2 त्ता यंतलिक्खपडिवराणा सखिखिणियाइं पंचवराणाई वत्थाई पवर परिहित्रा ते आवाडचिलाए एवं वयासी-ह: भो आवाडचिलाया ! जगणं तुझे देवाणुप्पिया ! वालुवासंथारोवगया उत्ताणगा अवसणा अट्ठमभत्तिया अम्हे कुलदेवए मेहमुहें णागकुमारे देवे मणसी करेमाणा 2 चिट्ठह, तए णं अम्हे मेहमुहा णागकुमारा देवा तुम्भं कुलदेवया तुम्हं अंतिअण्णं पाउब्भूत्रा, तं वदह णं देवाणुप्पिया ! किं करेमो कि प्राउट्ट मो के वा भे मणसाइए? 3 / तए णं ते आवाडचिलाया मेहमुहाणं णागकुमाराणं देवाणं अंतिए एअमटुं सोचा णिसम्म हट्टतुट्ठचित्तमाणंदिया जाव हिश्रया उट्ठाए उठेति 2 ता जेणेव मेहमुहा णागकुमारा देवा तेणेव उवागच्छति 2 ता करयलपरिग्गहियं जाव मत्थए अंजलि कटु मेहमुहे णागकुमारे देवे. जएणं विजएणं वद्धाति 2 त्ता एवं वयासी-एस णं देवाणुप्पिए! केई अपत्थियपत्थए दुरंतपंतलक्खणे जाव हिरिसिरिपरिवजिए जे णं अम्हं विसयस्स उवरि विरिएणं हव्वमांगच्छइ, तं तहा णं घत्तेह देवाणुप्पिया ! जहा णं एस अम्हं विसयस्स उवरिं विरिएणं णो हव्वमागच्छइ 4 / तए णं ते मेहमुहा णागकुमारा देवा ते आवाडचिलाए एवं वयासी-एस णं भो देवाणुप्पिा ! भरहे णामं राया चाउरंतचकवट्टी महिद्धीए महजुईए जाव Page #95 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 68 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः महासोक्खे 5 / णो खलु एस सक्को केणई देवेण वा दाणवेण वा किराणरेण वा किंपुरिसेण वा महोरगेण वा गंधव्वेण वा सत्थप्पयोगेण वा अग्गिप्पभोगेण वा मंतप्पभोगेण वा उवदवित्तए वा पडिसेहित्तए वा 6 ।तहाविश्र णं तुम्भं पिट्ठयाए भरहस्स रगणो उवसग्गं करेमोत्तिकटु तेसि यावाडचिलायाणं अंतियायो अवकमंति 2 ता वेउवित्रसमुग्घाएणं सम्मोहणंति 2 त्ता मेहाणीयं विउव्वंति 2 ता जेणेव भरहस्स रराणो विजयक्खंधावारणिवेसे तेणेव उवागच्छंति 2 ता उप्पिं विजयक्खंधावारणिवेसस्स खिप्पामेव पतणुतणायंति 2 ता खिप्पामेवा पविज्जुयायंति 2 ता खिप्पामेव जुग-मुसल-मुट्ठिप्पमाणमेत्ताहिं धाराहिं अोघमेघ सत्तरत्तं वासं वासिउं पवत्ता यावि होत्था 7 // सूत्रं 58 // तए णं से भरहे राया उप्पिं विजयक्खंधावारस्स जुग-मुसल-मुट्ठिप्पमाणमेत्ताहिं धाराहिं अोघमेधं सत्तरत्तं वासं वासमाणं पासइ 2 त्ता चम्मरयणं परामुसइ 1 / तए णं तं सिविच्छसरिसरुवं वेढो भाणिव्वो जाव दुवालसजोषणाई तिरियं पवित्थरइ तत्थ साहिबाई 2 / तए णं से भरहे राया सखंधावारबले चामरयणं दुरूहइ 2 त्ता दिव्वं छत्तरयणं परामुसइ 3 / तए णं णवणउइ-सहस्स-कंचणसलागपरिमंडियं महरिहं अउज्झ णिवण-सुपसत्थ-विसिट्ट-लट्ठ-कंचणसुपुटुदंडं मिउरायय-बट्ट लट्ठ-अरविंद-करिणयसमाणरूवं बत्थिपएसे अ पंजरविराइयं विविहभत्तिचित्तं मणि-मुत्त-पवाल तत्त-तवणिज-पंचवरिणअ-धोत्र-रयणरूवरइयं रयण-मरीई-समोप्पणा-कप्पकार-मणुरंजिएल्लियं रायलच्छिचिंधं अज्जुणसुवरण-पंडुर-पञ्चत्थुश्र-पट्ठदेसभागं तहेव तवणिज-पट्ट-धम्मतपरिगयं अहिश्रसस्सिरीधे सारय-रयणियर-विमल-पडिपुराण-चंद-मंडलसमाणरूवं गरिंदवामप्पमाण-पगइवित्थडं कुमुदसंडधवलं रराणो संचारिमं विमाणं सूरातववाय-बुट्टिदोसाण य खयकरं तवगुणेहिं लद्धं-ग्रहयं बहुगुणदाणं उऊण विवरीत्र-सुहकयच्छाई। छत्तरयणं पहाणं सुदुल्लहं अप्पपुराणाणं // 1 // Page #96 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [66 श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्गसूत्र : तृतीयो वक्षस्कारः ) पमाणराईण तवगुणाण फलेगदेसभागं विमाणवासेवि दुलहतरं वग्धारिश्रमलदामकलावं सारय-धवलब्भ-रय(य)णिगरप्पगासं दिव्वं छत्तरयणं महीवइस्स धरणियलपुराणइंदो 4 / तए णं से दिव्वे छत्तरयणे भरहेणं रगणा परामुढे समाणे खिप्पामेव दुवालस जोत्रणाइं पवित्थरइ साहिबाई तिरियं 5 // सूत्रं 56 // तए णं से भरहे राया छत्तरयणं खंधावारस्सुवरि ठवेइ 2 त्ता मणिरयणं परामुसइ वेदो जाव छत्तरयणस्स वत्थिभागसि ठवेइ 1 / तस्स य श्रणतिवरं चारुरूवं सिल-णिहित्थमंत-मेत्त-सालि-जव-गोहूम-मुग्गमास-तिल-कुलत्थ-सट्ठिग-निप्फाव-चणग-कोदव-कोत्थु भरि कंगु-बरग-रालगअणेग-धराणा-वरण-हारिग-अलग-मूलग-हलिद्द-लाउअ-तउस-तुंबकालिंग-कविठ्ठ-अंब-अंबिलि-असव्वणिप्फायए सुकुसले गाहावइरयणेत्ति सव्वजणवीसुश्रगुणे 2 / तए णं से गाहावइरयणे भरहस्स रगणो तदिवसप्पइराण-णि फाइअपइश्राणं सव्वधराणाणं अणेगाई कुंभसहस्साई उवद्ववेति 3 / तए णं से भरहे राया चम्मरयणसमारूढे छत्तरयणसमोच्छन्ने मणिरयणकउज्जोए समुग्गयभूएणं सुहंसुहेणं सत्तरत्तं परिवसइ--‘णवि से खुहा ण विलियं णेव भयं णेव विज्जए दुक्खं / भरहाहिवस्स रगणो खंधावारस्सवि तहेव // 1 // 4 // सूत्रं 60 // तए णं तस्स भरहस्स रगणो सत्तरत्तंसि परिणममाणंसि इमेथारुवे अब्भत्थिए चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पजिस्था-केस णं भो ! अपत्थिअपत्थए दुरंतपंतलक्खणे जाव परिवजिए जे णं ममं इमाए एमाणुरुवाए जाव अभिसमराणागयाए उप्पिं विजयखंधावारस्स जुगमुसलमुट्ठि जाव वासं वासइ 1 / तए णं तस्स भरहस्स रराणो इमेबारूवं अभत्थि चितियं पत्थियं मणोगयं संकप्पं समुप्पगणं जाणित्ता सोलस देवसहस्सा सराणज्झिउं पवत्ता याविहोत्था 2 / तए णं ते देवा सगणद्ध-बद्धवम्मिश्रकवया जाव गहिबाउहप्पहरणा जेणेव ते मेहमुहा णाग HTTH Page #97 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 70 ( श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः कुमारा देवा तेणेव उवागच्छति २त्ता मेहमुहे णागकुमारे देवे एवं वयासो-हं भो ! मेहमुहा णागकुमारा देवा ! अप्पत्थिश्रपत्थगा ! जाव परिवजिया ! किराणं तुब्भि ण याणह भरहं रायं चउरंतचक्कवट्टि महिद्भियं जाव उद्दवित्तए वा पडिसेहित्तए वा तहावि णं तुम्भे भरहस्स रगणो विजयखंधावारस्स उप्पिं जुगमुसलमुट्टिप्पमाणमित्ताहिं धाराहिं श्रोघमेघ सत्तरत्तं वासं वासह ?, तं एवमवि गते इत्तो खिप्पामेव अवकमह अहव णं अज पासह चित्तं जीवलोगं 3 / तए णं ते मेहमुहा णागकुमारा देवा तेहिं देवेहिं एवं वुत्ता समाणा भीत्रा तत्थ वहिया. उविग्गा संजायभया मेघानीकं पडिसाहरंति 2 ता जेणेव अावाडचिलाया तेणेव उवागच्छंति 2 ता श्रावाडचिलाए एवं वयासी-एस णं देवाणुप्पिया ! भरहे राया महिद्धीए जाव णो खलु एस सको केंणइ देवेण वा जाव अग्गिप्पयोगेण वा जाव उवद्दवित्तए वा पडिसेहित्तए वा तहावि श्र णं ते अम्हेहिं देवाणुप्पिया ! तुभं पिअट्टयाए भरहस्स रराणो उवसंग्गे कए, तं गच्छह णं तुम्भे देवाणुप्पिया ! राहाया कयबलिकम्मा कय-कोउत्र-मंगल-पायच्छित्ता उल्लपडसाडगा श्रोचूलगणिअच्छा अग्गाई वराई रयणाइं गहाय पंजलिउडा पायवंडिया भरहं रायाणं सरणं उवेह, पणिवइवच्छला खलु उत्तमपुरिसा णत्थि भे भरहस्स रगणो अंतियाश्रो भयमितिकट्टु, एवं वदित्ता जामेव दिसिं पाउब्भूया तामेव दिसिं पडिगया 4 / तए णं ते अावाडचिलाया मेहमुहेहिं णागकुमारेहिं देवेहि एवं वुत्ता समणा उट्टाए उ8ति 2 ता राहाया कयबलिकम्मा कय कोउप-मंगलपायच्छित्ता उल्लपडसाडगा श्रोचूलगणिअच्छा यग्गाई वराई रयणाई गहाय जेणेव भरहे राया तेणेव उवागच्छति 2 त्ता करयलपरिग्गहिग्रं जाव मत्थए अंजलिं कटु भरहं रायं जएणं विजएणं वद्धाविति 2 ता अग्गाइं वराई रयणाई उवणेति 2 ता एवं वयासि-“वसुहर गुणहर जयहर, हिरिसिरि-धीकित्तिधार Page #98 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [71 श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्रं : तृतीयो वक्षस्कारः ] कणरिंद / लक्खणसहस्सधारक रायमिदं णे चिरं धारे // 1 // हयवइ गयवइ णरवइ गावणिहिवइ भरहवासपढमवई / बत्तीसजणवयसहस्सराय सामी चिरं जीव // 2 // पढमणरीसर ईसर हिरईसर महिलि बासहस्साणं / देवसयसाहसीतर चोदसरयणीसर जसंसी // 3 // सागरगिरिमेरागं उत्तरवाईणमभिजिग्रं तुमए / ता अम्हे देवाणुप्पियस्स विसए परिवसामो // 4 // अहो णं देवाणुप्पियाणं इड्डी जुई जसे बले वीरिए पुरिसकारपरकमे दिव्या देवजुई दिव्वे देवाणुभावे लद्धे पत्ते अभिसमगणागए, तं दिट्ठा णं देवाणुप्पियाणं इद्धी एवं चेव जाव अभिसमराणागए, तं खामेमु णं देवाणुप्पिया! खमंतु णं देवाणुप्पिया ! खंतुमरुहंतु णं देवाणुप्पिया ! गाइ भुजो 2 एवंकरणयाएत्तिकटु पंजलिउडा पायवडिया भरहं रायं सरणं उविति 5 / तए णं से भरहे राया तेसिं आवाडचिलायाणं अग्गाई वराई रयणाई पडिच्छति 2 त्ता ते श्रावाडचिलाएं एवं वयासी-गच्छह णं भो तुब्भे ममं बाहुच्छायापरिग्गहिया णिब्भया णिरुव्विग्गा सुहंसुहेणं परिवसह, णत्थि भे कत्तोवि भयमस्थितिकट्टु सकारेइ. सम्माोइ सकारेत्ता सम्माणेत्ता पडिविसज्जेइ 6 / तए णं से भरहे राया सुसेणं सेणावेई सद्दावेइ 2 ता एवं वयासीगच्छाहि णं भो देवाणुप्पिया ! दोच्चंपि सिंधूए महाणईए पचत्थिमं णिक्खुडं ससिंधुसागरगिरिमेरागं समविसमणिक्खुडाणि अ श्रोत्रवेहि 2 त्ता अग्गाई वराई रयणाई पडिच्छाहि 2 ता मम एमाणत्तियं खिप्पामेव पञ्चप्पिणाहि जहा दाहिणिलस्स गोयवणं तहा सव्वं भाणियब्वं जाव पचणुभवमाणा विहरंति ७॥सूत्रं 61 // तए णं दिव्वे चक्करयणे अराणया कयाइ पाउहघर. सालायो पडिणिक्खमइ 2 ता अंतलिक्खपडिवराणे जाव उत्तरपुरच्छिमं दिसिं चुल्लहिमवंत-पव्वयाभिमुहे पयाते श्रावि होत्था 1 / तए णं से भरहे राया तं दिव चक्करयणं जाव चुल्लहिमवंत-वासहरपवयस्स अदूरसामंते दुवालसजोत्रणायामं जाव चुल्लहिमवंत-गिरिकुमारस्स देवस्स अट्ठमभत्तं पगिराहइ 2 / Page #99 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 72 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभाग तहेव जहा मागहतित्थस्स जाव समुद्दरवभूअंपिव करेमाणे 2 उत्तरदिसाभिमुहे जेणेव चुल्लहिमवंत-वासहरपव्वए तेणेव उवागच्छइ 2 ता चुल्लहिमवंत-वासहफव्वयं तिक्खुत्तो रहसिरेणं फुसइ फुसित्ता तुरए णिगिराहइ णिगिरिहत्ता तहेव जाव श्रायतकराणायतं च काऊण उसमुदारं इमाणि वयाणाणि तत्थ भाणी से णरवई जाव सब्वे मे ते विसयवासित्तिकटु उद्धं वेहासं उसु णिसिरइ परिगरणिगरिश्रमज्झे जाव तए णं से सरे भरहेणं रराणा उड्ड वेहासं णिस? समाणे खिप्पामेव बावत्तरि जोगणाई गंता चुल्लहिमवंतगिरिकुमारस्स देवस्स मेराए णिवइए 3 / तए णं से चुल्लहिमवंतगिरिकुमारे देवे मेराए सरं णिवइयं पासइ 2 ता प्रासुरुत्ते रुठे जाव पीइदाणं सब्बोसहिं च मालं गोसीसचंदणं कंडगाणि जाव दहोदगं च गेराहइ 2 ता ताए उकिट्ठाए जाव उत्तरेणं चुल्लहिमवंतगिरिमेराए श्रहराणं देवाणुप्पियाणं विसयवासी जाव शहराणं देवाणुप्पियाणं उत्तरिल्ले अंतवाले जाव पडिविसज्जेइ 4 // सूत्रं 62 // तए णं से भरहे राया तुरए णिगिराहइ 2 त्ता रहे परावत्तेइ 2 त्ता जेणेव उसहकूडे तेणेव उवागच्छइ 2 ता उसहकूडं पव्वयं तिक्खुत्तो रहसिरेणं फुसइ 2 ता तुरए निगिराहइ 2 ता रहं . ठवेइ 2 ता छत्तलं दुवालसंसिग्रं अट्टकरिणयं अहिगरणिसंटिग्रं सोवरिणयं कागणिरयणं परामुसइ 2 ता उसभकूडस्स पव्वयस्स पुरथिमिल्लसि कडगंसि णामगं पाउडेइ-श्रोसप्पिणीइमीसे तइयाए समाइ पच्छिमे भाए। अहमंसि चकवट्टी भरहो इन नामधिज्जेणं // 1 // अहमंसि पढमराया अयं भरहाहिवो णरवरिंदो / णत्थि महं पडिसत्तू जिग्रं मए भारहं वासं // 2 // " इतिकट्ठ णामगं पाउडेइ णामगं बाउडित्ता रहं परावत्तेइ 2. ता जेणेव विजय-खंधावारणिवेसे जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला तेणेव उवागच्छइ 2 ता जाव चुल्लहिमवंतगिरिकुमारस्स देवस्स अट्टाहिश्राए महामहिमाए णिव्वत्ताए समाणीए पाउहघरसालायो पडिणिक्खमइ 2 ता जाव दाहिणि Page #100 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्र :: तृतीयो वक्षस्कारः ] [ 73 दिसि वेबद्धपव्वयाभिमुहे पयाते प्रावि होत्था // सूत्रं 63 // तए णं से भरहे राया तं दिव्वं चक्करयणं जाव वेश्रद्धस्स पव्वयस्स उत्तरिल्ले णितंबे तेणेव उवागच्छइ 2 ता वेश्रद्धस्स पब्वयस्स उत्तरिल्ले णितंबे दुवालसजोयणायामं जाव पोसहसालं अणुपविसइ जाव णमिविणमीणं विजाहरराईणं अट्ठमभत्तं पगिराहइ 2 ता पोसहसालाए जाव णमि-विणमि-विजाहररायाणो मणसी करेमाणे 2 चिट्ठइ 1 / तए णं तस्स भरहस्स रगणो अट्टमभत्तंसि परिणममाणंसि णमिविणमीविजाहररायाणो दिव्वाए मईए चोइअमई अराणमराणस्स अंतिधे पाउभवंति 2 ता एवं वयासी-उप्पराणे खलु भो देवाणुप्पिा ! जंबुद्दीवे दीवे भरहे वासे भरहे राया चाउरंत. चकवट्टी तं जीप्रमेयं तीथ-पच्चुप्पगण-मणागयाणं विजाहरराईणं चक्कवट्टीणं उवत्थाणिग्रं करेत्तए 2 / तं गच्छामो णं देवाणुप्पिया ! अम्हेवि भरहस्स रराणो उवत्थाणिग्रं करेमो इति कट्ट विणमी णाऊणं चक्कवट्टि दिवाए मईए चोइत्रमई माणुम्माणप्पमाणजुत्तं तेअस्सि रूवलक्खणजुत्तं ठिय-जुव्वण-केसवट्ठिपणहं सव्वरोगणासणिं बलकरि इच्छिन-सी उगहफासजुत्तं-तिसु तणुग्रं तिसु तंबं तिवलीगतिउराणयं तिगंभीरं / तिसु कालं तिसु सेयं तित्रायतं तिसु अविच्छिण्णं // 1 // समसरीरं भरहे वासंमि सव्वमहिलप्पहाणं सुदर--थण-जघण-वरकर-चलण-णयण-सिरसिज-दसण-जणहिश्रय-रमण-मणहरिं सिंगारागार जाव जुत्तोवयारकुसलं अमरवहणं सुरूवं रूवेणं अणुहरंती सुभई भद्दमि जोव्वणे वट्टमाणिं इत्थीरयणं णमी श्र रयणाणि य कडगाणि य तुडियाणि श्र गेराहइ 2 ता ताए उकिट्टाए तुरिथाए जाव उद्धृवाए विजाहरगईए जेणेव भरहे राया तेणेव उवागच्छंति 2 त्ता अंतलिक्खपडिवराणा सखिखिणीयाई जाव जएणं विजएणं वद्धावेंति 2 ता एवं वयासी-अभिजिए णं देवाणुप्पिश्रा ! जाव अम्हे देवाणुप्पियाणं आणत्तिकिंकरा इतिकटु तं पडिच्छंतु णं देवाणुप्पिया ! मोबणे वट्टमा ता ताए उकिन्छति 2 Page #101 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 74 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः अम्हं इमं जाव विणमी इत्थीरयणं णमी रयणाणि समप्पेइ 3 / तए णं से भरहे राया जाव पडिविसज्जेइ 2 ता पोसहसालाश्रो पडिणिक्खमइ 2 त्ता मजणघरं अणुपविसइ 2 ता भोगणमंडवे जाव नमिविनमीणं विजाहरराईणं अट्ठाहिश्र महामहिमा 4 / तए णं से दिवे चक्करयणे श्राउहघरसालायो पडिणिक्खमइ जाव उत्तरपुरस्थिमं दिसिं गंगादेवी-भवणाभिमुहे पयाए श्रावि होत्था 5 / सच्चेव सव्वा सिंधुवत्तव्वया जाव नवरं कुंभट्ठसहस्सं रयणचित्तं णाणा-मणि-कणग-रयण-भत्तिचित्ताणि श्र दुवे कणगसीहासणाई सेसं तं चेव जाव महिमत्ति 6 // सूत्रं 64 // तए णं से दिव्वे चक्करयणे गंगाए देवीए अट्टहियाए महामहिमाए निव्वत्ताए समाणीए पाउहघरसालाथो पडिणिक्खमइ२त्ता जाव गंगाए महाणईए पञ्चस्थिमिल्लेणं कूलेणं दाहिणदिसि खंडप्पवायगुहाभिमुहे पयाए अावि होत्था 1 / तते णं से भरहे राया जाव जेणेव खंडप्पवायगुहा तेणेव उवागच्छइ 2 ता सव्वा कयमालकवत्तव्वया अव्वा णवरि पट्टमालगे देवे पीतिदाणं से पालंकारिअभंडं कडगाणि असेसं सव्वं तहेव जाव अट्ठाहिया महामहिमत्ति 2 / तए णं से भरहे राया णट्टमालगस्स देवस्स अट्ठाहिआए महामहिमाए णिवत्ताए समाणीए सुसेणं सेणावई सद्दावेइ 2 त्ता जाव सिंधुगमो अव्वो, जाव गंगाए महाणईए पुरथिमिल्लं णिक्खुडं सगंगासागरगिरिमेरागं समविसमणिक्खुडाणि अ श्रोवेइ 2 ता अग्गाणि वराणि रयणाणि पडिच्छइ 2 ता जेणेव गंगा महाणई तेणेव उवागच्छ। 2 त्ता दोच्चंपि सक्खंधावारबले गंगामहाणई विमलजलतुंगवीइं णावाभूएणं चम्मरयणेणं उत्तरइ 2 ता जेणेव भरहस्स रराणो विजयखंधावारणिवेसे जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला तेणेव उवागच्छइ 2 ता श्राभिसेक्कानो हत्थिरयणायो पचोरुहइ 2 ता अग्गाई . वराई रयणाई गहाय जेणेव भरहे राया तेणेव उवागच्छइ 2 ता करयलपरिग्ग Page #102 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्र :: तृतीयो वक्षस्कारः ] [ 75 हियं जाव अंजलिं कटु भरहं रायं जएणं विजएणं वद्धावेइ 2 ना अग्गाई वराई रयणाई उवणेइ 3 / तए णं से भरहे राया सुसेणस्स सेणावइस्स अग्गाई वराई रयणाई पडिच्छइ 2 ता सुसेणं सेणावई सकारेइ सम्माणेइ 2 त्ता पडिविसज्जेइ 4 / तए णं से सुसेणे सेणावई भरहस्स रगणो सेसंपि तहेव जाव विहरइ 5 / तए णं से भरहे राया अरणया कयाइ सुसेणं सेणावइरयणं सद्दावेइ 2 त्ता एवं वयासी-गच्छराणं भो देवाणुप्पिश्रा ! खंडगप्पवायगुहाए उत्तरिलस्स दुवारस्त कवाडे विहाडेहि 2 ता जहा तिमिसगुहाए तहा भाणिश्रव्वं जाव पिनं भे भवउ सेसं तहेव जाव भरहो तिमिस्सगुहाए उत्तरिल्लेणं दुवारेणं अईइ 6 / ससिव्व मेहंधयार. निवहं तहेव पविसंतो मंडलाई प्रालिहइ 7 / तीसे णं खंडगप्पवायगुहाए बहुमज्झदेसभाए जाव उम्मग्गणिमग्गजलायो णाम दुवे महाणईश्रो तहेव णवरं पचत्थिमिल्लायो कडगारों पढायो समाणीयो पुरस्थिमेणं गंगं महाणई समप्पेंति 8 / सेसं तहेव णवरि पचत्थिमिल्लेणं कूलेणं गंगाए संकमवत्तव्वया तहेवत्ति 1 / तए णं खंडगप्पवायगुहाए दाहिणिलस्स दुवारस्स कवाडा सयमेव महया 2 कोंचारवं करेमाणा 2 सरसरस्सगाई ठाणाई पच्चोसकित्था 10 / तए णं से भरहे राया चक्करयणदेसियमग्गे जाव खंडगप्पवायगुहायो दविखणिल्लेणं दारेणं णीणेइ ससिव्व मेहंधयारनिवहायो 11 // सूत्रं 65 // तए णं से भरहे राया गंगाए महाणईए पञ्चथिमिल्ले कूले दुवालसजोत्रणायामं णवजोत्रणविच्छिराणं जाव विजयखंधावारणिवेसं करेइ, अवसिटुंतं चेव जाव निहिरयणाणं अट्ठमभत्तं पगिराहइ. 1 / तए णं से भरहे राया पोसहसालाए जाब णिहिरयणे मणसि करेमाणे करेमाणे चिट्टइत्ति 2 / तस्स य अपरिमियरत्तरयणा धुमक्खयमव्वया सदेवा लोकोपचयंकरा उवगया णव णिहिश्रो लोगविस्सुअजसा, तंजहा-'नेसप्पे 1 पंडुपए 2 पिंगलए 3 सव्वरयण 4 महपउमे 5 / Page #103 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ... [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः काले 6 अ महाकाले 7 माणवगे महानिही = संखे 1 // 1 // णेसप्पंमि णिवेसा गामागर-गणगरपट्टणाणं च / दोणमुहमडंबाणं खंधावारावणगिहाणं ॥१॥गणिस्स य उप्पत्ती माणुम्माणस्स जं पमाणं च / धराणस्स य बीयाण य उप्पनी पंडुए भणिया // 2 // सव्वा श्राभरणविही पुरिसाणं जा य होइ महिलाणं / श्रासाण य हत्थीण य पिंगलगणिहिमि सा भणिया // 3 // रयणाई सबरयणे चउदसवि वराई चक्कवट्टिस्स / उप्पज्जते एगिदियाई पंचिंदियाई च // 4 // वत्थाण य उप्पत्ती णिप्फत्ती व सव्वभत्तीणं / रंगाण य धोव्वाण य सव्वाएसा महापउमे // 5 // काले कालराणाणं भव्वपुराणं च तिसुवि वंसेसु / सिप्पसयं कम्माणि अतिरिण पयाए हिअकराणि // 6 // लोहस्स य उप्पत्ती होइ महाकालि अागराणं च / रुप्पस्स सुवरणस्स य मणिमुत्तसिलप्पवालाणं॥७॥ जोहाण य उप्पत्ती श्रावरणाणं च पहरणाणं च। सव्वा य जुद्धणीई माणवगे दंडणीई अ॥८॥ णट्टविही णाडगविही कव्वस्स य चउब्विहस्स उप्पत्ती / संखे महाणिहिंमी तुडिअंगाणं च सव्वेसिं // 1 // चकटपइट्टाणा अठुस्सेहा य णव य विक्खंभा। बारसदीहा मंजूमसंठिया जराहवीइ मुहे // 10 // वेरुलियमणिकवाडा कणगमया विविह-रयणपडिपुराणा / ससि-सूर-चकलक्खण अणुसमवयणोववत्ती या // 11 // पलियोवमट्टिईया णिहिसरिणामा य तत्थ खलु देवा / जेसिं ते श्रावासा अकिजा अाहिवच्चा य // 12 // एए णव णिहिरयणा पभूय-धण-रयण-संचयसमिद्धा / जे वसमुपगच्छंति भरहाहिवचकवट्टीणं // 13 // 3 / तए णं से भरहे राया अट्ठमभत्तंसि परिणममाणंसि पोसहसालारो पडिणिक्खमइ, एवं मजणघरपवेसो जाव सेणिपसेणिसदावणया जाव णिहिरयणाणं अट्ठाहिनं महामहिमं करेइ 4 / तए णं से भरहे राया णिहिरयणाणं अट्टाहिआए महामहिमाए शिव्वत्ताए समाणीए सुसेणं सेणावइरयणं सद्दावेइ 2 चा एवं वयासी-गच्छराणं भो Page #104 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्रं : तृतीयो वक्षस्कारः ] [ 77 देवाणुप्पिया ! गंगमहाणईए पुरथिमिल्लं णिक्खुडं दुचंपि सगंगा-सागर. गिरि-मेरागं समविसम-णिवखुडाणि श्र श्रोश्रवेहि 2 ता एमाणत्तिय पञ्चप्पिणाहित्ति 5 / तए णं से सुसेणे तं चेव पुव्ववरिणयं भाणिअव्वं जाव श्रोत्रवित्ता तमाणत्तियं पञ्चप्पिणइ पडिविसज्जेइ जाव भोगभोगाई भुजमाणे विहरइ 6 / तए णं से दिव्वे चक्करयणे अन्नया कयाइ पाउह. घरसालाश्रो पडिणिक्खमइ 2 ता अंतलिक्खपडिवराणे जक्ख-सहस्स-संपरिवुडे दिव्बतुडिय जाव बापरेंते चेव विजयक्खंधावारणिवेसं मझमज्झेणं णिग्गच्छई 2 ता दाहिणपचत्थिमं दिसि विणीअं रायहाणिं अभिमुहे पयाए श्रावि होत्था 7 / तए णं से भरहे राया जाव पासइ 2 ता हट्टतुट्ठ जाव कोडबियपुरिसे सदावेइ 2 ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो. देवाणुप्पिया! भाभिसेक्कं जाव पञ्चप्पिणंति 8 // सूत्रं 66 // तए णं से भरहे राया अजिबरजो णिजियसत्तू उप्पराणसमत्तरयणे चक्करयणप्पहाणे णवणिहिवई समिद्धकोसे बत्तीस-राय-वरसहस्साणुयायमग्गे सट्टीए वरिससहस्सेहिं केवलकप्पं भरहं वासं बोयवेइ श्रोत्रवेत्ता कोडुबियपुरिसे सदावेइ 2 ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! श्राभिसेक्कं हत्थिरयणं हयगयरह तहेव जाव अंजण-गिरि-कूडसरिणभं गयवई गरवई दुरूढे 1 / तए णं तस्स भरहस्स रगणो श्राभिसेक्कं हत्थिरयणं दुरूढस्स समाणस्स इमे अट्ठमंगलगा पुरयो ग्रहाणुपुवीए संपट्टिा, तंजहा-सोस्थिसिरिवच्छ जाव दप्पणे, तयणंतरं च णं पुराणकलमभिंगार दिव्वा य छत्तपडागा जाव संपट्ठिा 2 / तयणंतरं च वेरुलिअ-भिसंत-विमलदंडं जाव ग्रहाणुपुब्बीए संपट्टिनं 3 / तयणंतरं च णं सत्त एगिदिश्ररयणा पुरयो ग्रहाणुपुव्वीए संपत्थिया, तंजहा-चक्करयणे 1 छत्तरयणे 2 चम्मरयणे 3 दंडरयणे 4 असिरयणे 5 मणिरयणे 6 कागणिरयणे 7, 4 / तयणंतरं च णं णव महाणिहिश्रो पुरश्रो श्रहाणुपुवीए संपट्ठिया, तंजहा-सप्पे पंडयए जाव Page #105 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 78 ] - [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागा संखे 5 / तयणंतरं च णं सोलस देवसहस्सा पुरयो ग्रहाणुपुव्वीए संपट्ठिा 6 / तयणंतरं च णं बतीसं रायवरसहस्सा ग्रहाणुपुव्वीए संपट्ठिया 7 / तयणंतरं च णं सेणावइरयणे पुरश्रो अहाणुपुवीए संपट्टिए, एवं गाहावइरयणे वद्धइरयणे पुरोहिअरयणे 8 / तयणंतरं च णं इस्थिरयणे पुरयो ग्रहाणुपुत्वीए संपट्टिए 1 / तयणंतरं च णं बत्तीसं उडुकल्लाणिया सहस्सा पुरयो ग्रहाणुपुव्वीए संपट्टिा 10 / तयणंतरं च णं बत्तीसं जणवयकल्लाणियासहस्सा पुरयो ग्रहाणुपुव्वीए संपट्टिया 11 / तयणंतरं च णं बत्तीसं बत्तीसइबद्धा णाडगसहस्सा पुरश्रो ग्रहाणुपुवीए संपट्ठिा 12 / तयणंतरं च णं तिरिण सट्टा सूत्रसया पुरो ग्रहाणुपुवीए संपट्टिया 13 / तयणंतरं च णं अट्ठारस सेणिप्पसेणीयो पुरयो ग्रहाणुपुब्बीए संपट्ठिा 14 / तयणंतरं च णं चउरासीइं अाससयसहस्सा पुरो प्रहाणुपुवीए संपट्ठिया 15 / तयणंतरं च णं चउरासीइं हत्थिसयसहस्सा पुरयो ग्रहाणुपुब्बीए संपट्टिया 16 / (तयणंतरं च णं चउरासीइं रहसयसहस्सा पुरो प्रहाणुपुवीए संपट्टिया) तयणंतरं च णं छराणउई मणुस्सको. डीयो पुरयो अहाणुपुब्बीए संपट्ठिया 17 / तयणंतरं च णं बहवे राईसर. तलवर जाव सत्थवाहप्पभिईयो पुरयो अहाणुपुव्वीइ संघट्टिया 18 / तयणंतरं च णं बहवे असिग्गाहा लट्ठिग्गाहा कुतग्गाहा चावग्गाहा चामरगाहा पासग्गाहा फलगग्गाहा परसुग्गाहा पोत्थयग्गाहा वीणग्गाहा कूत्रयग्गाहा हडप्फग्गाहा पीढग्गाहा दीविगाहा सएहिं सएहिं रूवेहिं, एवं वेसेहिं चिंधेहिं निग्रोएहिं सरहिं 2 नेवत्थेहि पुरयो ग्रहाणुपुब्वीए संपत्थिया 11 / तयणंतरं च णं बहवे दंडिणो मुंडिणो सिहंडिणो जडिणो पिच्छणो हासकारगा खेड्डकारगा दवकारगा चाडुकारगा कंदप्पिा कुकुइया मोहरिया गायंता य दीवंता य वायंता य नच्चंता य हसंता य रमंता य कीलंता य सासेंता य सावेता य जावेंता य राता य सो ता य सोभावेंता य पालोअंता Page #106 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ 76 श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्र :: तृतीयो वक्षस्कारः ] य जयजयसब च पउंजमाणा पुरश्रो ग्रहाणुपुब्बीए संपट्ठिा 20 / एवं उववाइअगमेणं जाव तस्स रगणो पुरो महासा बासधरा उभयो पासिं णागा णागधरा पिट्टयो रहा रहसंगेली अहाणपुवीए संपट्टिया इति 21 / तए णं से भरहाहिवे णरिंदे हारोत्यय-सुकय-रइअवच्छे जाव अमरवइसरिणभाए इद्धीए पहियकित्ती चक्करयणदेसिअमग्गे अणेग-राय-वरसहस्साणुश्रायमग्गे जाव समुह--वभूयंपिव करेमाणे 2 सव्विद्धीए सबज्जुईए जाव णिग्घोसणाइयरवेणं गामागर-णगर-खेडकब्बडमडंब जाव जोश्रणंतरित्राहिं वसहीहि वसमाणे 2 जेणेव विणीया रायहाणी तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता विणीपाए रायहाणीए अदूरसामंते दुवालसजोषणायामं णवजोयणविच्छिराणं जाव खंधावाणिवेसं करेइ 2 ता वद्ध इरयणं सदावेइ 2 त्ता जाव पोसहसालं अणुपविसइ 2 ता विणीपाए रायहाणीए अट्ठमभत्तं पगिराहइ 2 ता जाव अट्ठमभत्तं पडिजागरमाणे 2 विहरइ 22 / तए णं से भरहे राया अट्ठमभत्तंसि परिणममाणंसि पोसहसालारो पडिणिक्खमइ 2 ता कोड बियपुरिसे सदावेइ 2 त्ता तहेव जाव अंजणगिरिकूडसरिणभं गयवई णरवई दूरुढे तं चेव सव्वं जहा हेट्ठा णवरिं णव महाणिहियो चत्तारि सेणाश्रो ण पविसंति सेसो सो चेव गमो जाव णिग्घोसणाइएणं विणीपाए रायहाणीए मज्झमज्झेणं जेणेव सए गिहे जेणेव भवणवरवडिंसगपडिदुवारे तेणेव पहारेत्थ गमणाए 23 / तए णं तस्स भरहस्स रराणो विणीअं रायहाणिं मझमज्भेणं अणुपविसमाणस्स अप्पेगइया देवा विणीचं रायहाणिं सम्भंतरबाहिरियं बासिन-सम्मजियोवलित्तं करेंति अप्पेगइया मंचाइमंचकलियं करेंति, एवं सेसेसुवि पएप्सु 24 / अप्पेगइया णाणाविह-राग-वसणुस्सिय-धय-पडागामंडितभूमिधे अप्पेगइया लाउल्लोइत्रमहिनं करेंति अप्पेगइथा जाव गंधवट्टिभूधे करेंति, अप्पेगइया हिरगणवासं वासिंति सुवराण-रयण-वइराभरणवासं वासेंति 25 / Page #107 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 80 ] ( श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः तए णं तस्स भरहस्स रगणो विणीअं रायहाणि मज्झमज्भेणं श्रणुपविसमाणस्स सिंघाडग जाव महापहेसु बहवे अत्यत्थिया कामत्थिया भोगत्थिया लाभत्थिया इद्धिसिया किबिसिया कारोडिया कारवाहि(भारिया संखिया चकिया णंगलिश्रा मुहमंगलिया पूसमाणया वद्धमाणया लंखमंखमाइया ताहिं श्रोरलाहिं इट्टाहिं कंताहिं पियाहिं मणुन्नाहिं मणामाहिं सिवाहिं धराणहिं मंगल्लाहिं सस्सिरीबाहिं हिअयगमणिजाहिं हिश्रयपल्हायणिजाहिं वग्गूहि अणवरयं अभिणंदंता य अभिथुणता य एवं वयासी-जय जय ांदा ! जय जय भद्दा ! भद्द ते अजिअं जिणाहि जियं पालयाहि जिमज्झे वसाहि इंदो विव देवाणं चंदो विव ताराणं चमरो विव असुराणं धरणे विव नागाणं बहूई पुव्वसयसहस्साई बहूईश्रो पुव्वकोडीयो बहूईयो पुवकोडाकोडीयो विणीपाए रायहाणीए चुल्लहिमवंतगिरि-सागरमेरागस्स य केवलकप्पस्स भरहस्स वासस्स गामागर-णगर-खेडकब्बड-मडंब-दोणमुह-पट्टणासम-सगिणवेसेसु सम्मं पयापालणोवजिश्रलद्धजसे महया जाव आहेवच्चं पोरेवच्चं जाव विहराहित्तिकट्टु जयजयसद्द पउंजंति 26 / तए णं से भरहे राया णयणमालासहस्सेहिं पिच्छिज्जमाणे 2 वयणमाला सहस्सेहिं अभिथुबमाणे 2 हिअयमालासहस्सेहिं उगणंदिजमाणे 2 मणोरहमालास्सहसेहिं विच्छिप्पमाणे 2 कंतिरूवसोहग्गेगुणेहिं पिच्छिजमाणे 2 अंगुलिमालास्सहसेहिं दाइजमाणे 2 दाहिणहत्थे णं बहूणं णरणारीसहस्साणं अंजलिमालासहस्साइं पडिच्छेमाणे 2 भवणपंतीसहस्साई समइच्छ. माणे 2 तंती-तल-तालतुडिय-गीवाइअरवेणं मधुरेणं मणहरेणं मंजुमंजुणा घोसेणं अपडिबुज्झमाणे 2 जेणेव सए गिहे जेणेव भवण-वरवडिसयदुवारे तेणेव उवागच्छइ 2 त्ता भाभिसेक्कं हत्थिरयणं ठवेइ 2 ता अभिसेकायो हत्थिरयणायो पचोरुहइ 2 त्ता सोलस देवसहस्से सकारेइ सम्माणेइ 2 ता बत्तीसं रायसहस्से सकारेइ सम्माणेइ 2 ता. सेणावइरयणं Page #108 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्रं :: तृतीयो वक्षस्कारः ] [81 सकारेइ सम्माणइ 2 ता एवं गाहावइरयणं वद्धइरयणं पुरोहियरयणं सकारेइ सम्माणेइ 2 ता तिरिण स? सूत्रसए सकारेइ सम्माणेइ 2 त्ता अट्ठारस सेणिप्पसेणीयो सकारेइ सम्माणेइ 2 ता अरणेवि बहवे राईसर जाव सत्थवाहप्पभिईयो सकारेइ सम्माणेइ 2 ता पडिविसज्जेइ 27 / इत्थीरयणेणं बत्तीसाए उडुकलाणियासहस्सेहिं बत्तीसाए जणवयकलाणियासहस्सेहिं बत्तीसाए बत्तीसइबद्धेहिं णाडयसहस्सेहिं सद्धिं संपरि. वुड भवणवरखडिंसगं अईइ जहा कुबेरो ब्व देवराया केलास-सिहरिसिंगभूग्रंति 28 / तए णं से भरहे राया मित्तणाणियगसयणसंबंधिपरिश्रणं पच्छवेक्खइ 2 ता जेणेव मजणघरे तेणेव उवागच्छइ 2 ता जाव मजणघरायो पडिणिक्खमइ 2 ता जेणेव भोत्रणमंडवे तेणेव उवागच्छइ 2 ता भोगणमंडवंसि सुहासणवरगए अट्ठमभत्तं पारेइ 2 त्ता उप्पि पासायवरगए फुट्टमाणेहिं मुइंगत्थएहिं बत्तीसइबद्धेहिं णाडएहिं उवलालिजमाणे 2 उवणचिजमाणे 2 उवगिजमाणे 2 महया जाव भुजमाणे विहरइ 26 // सूत्रं 67 // तए णं तस्स भरहस्स रराणो अराणया कयाइ रजधुरं चिंतेमाणस्स इमेबारूवे जाव समुप्पजित्था 1 / अभिजिए णं मए णिगबल-वीरित्र-पुरिसकारपरक्कमेण चुल्लहिमवंत-गिरिसागरमेराए केवलकप्पे भरहे वासे 2 / तं सेअं खलु मे अप्पाणं महारायाभिसेएणं अभिसिंचावित्तएत्तिकटु एवं संपेहेति 2 ता कल्लं पाउप्पभाए जाव जलंते जेणेव मजणघरे जाव पडिणिक्खमइ 2 ता जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला जेणेव सीहासणे तेणेव उवागच्छइ 2 ता सीहासणवरगए पुरत्थाभिमुहे णिसीप्रति निसीइत्ता सोलस देवसहस्से बत्तीसं रायवरसहस्से सेणावइरयणे जाव पुरोहियरयणे तिरिण सट्टे सूत्रसए अट्ठारस सेणिप्पसेणीयो अराणे श्र वहवे राईसरतलवर जाव सत्थवाहप्पभियत्रो सहावेइ 2 ता एवं वयासीअभिजिए णं देवाणुप्पिथा ! मए णिगबलवीरित्र जाव केवलकप्पे भरहे Page #109 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 82 / / श्रीमदागर्मसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः वासे तं तुब्भे णं देवाणुष्पित्रा ! ममं महारायाभिसेयं वियरह, तए णं से सोलस देवसहस्सा जावप्पभिइयो भरहेणं रराणा एवं वुत्ता समाणा हट्टतुट्टकरयल मत्थए अंजलिं कटटु भरहस्स रराणो एअमट्ठ सम्मं विणएणं पडिसुणेति 2 / तए णं से भरहे राया जेणेव पोसहसाला तेणेव उवागच्छइ 2 ता जाव अट्ठमभत्तिए पडिजागरमाणे विहरइ 3 / तए णं से भरहे राया अट्ठमभत्तंसि परिणममाणंसि अभियोगिए देवे सदावेइ 2 ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिथा ! विणीपाए रायहाणीए उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए एगं महं अभिसेअमराडवं विउव्वेह 2 ता मम एश्रमाणत्तियं पञ्चप्पिणह 4 / तए णं ते पाभियोगा देवा भरहेणं रराणा एवं वुत्ता समाणा हटुतुट्ठा जाव एवं सामित्ति श्राणाए विणएणं वयणं पडिसुणेति पडिसुणित्ता विणीपाए रायहाणीए उत्तरपुरस्थिमं दिसीभागं अवकमंति 2 ता वेउव्विसमुग्घाएणं समोहणंति 2 ता संखिजाई जोषणाई दंडं णिसिरंति, तंजहा-रयणाणं जाव रिहाणं अहाबायरे पुग्गले परिसाउँति 2 ता हासुहुमे पुग्गले परिश्रादिअंति 2 ता दुच्चंपि वेउब्वियसमुग्घायेणं जाव समोहणंति 2 ता बहुसमरमणिज्जं भूमिभागं विउव्वंति से जहाणामए प्रालिंगपुक्खरेइ वा जाव तस्स णं बहुसमरमणिजस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महं एगं अभिसेअमराडवं विउव्वंति अणेगखंभसयसरिणविट्ठ जाव गंधवट्टिभूयं पेच्छाघरमंडववराणगोत्ति 5 / तस्स णं अभिसेग्रमंडवस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महं एगं अभिसेअपेढं विउव्वंति अच्छं सराहं, तस्स णं अभिसेअपेढस्स तिदिसि तो तिसोवाणपडिरूवए विउव्वंति 6 / तेसि णं तिसोवाणपडिरूवगाणं अयमेश्रारूवे वराणावासे पराणत्ते जाव तोरणा, तस्स णं अभिसेअपेढस्स बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पराणत्ते 7 / तस्स णं बहुसमरमणिजस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महं एगं Page #110 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग खत्रं : तृतीयो वक्षस्कार : ] [83 सीहासणं विउव्वंति 8 / तस्स णं सीहासणस्स श्रयमेश्रारूवे वराणावासे पराणत्ते जाव दामवरणगं समत्तंति 1 / तए णं ते देवा अभिसेत्रमंडवं विउव्वंति 2 ना जेणेव भरहे राया जाव पचप्पिणंति 10 / तए णं से भरहे राया श्राभियोगाणं देवाणं अंतिए एम8 सोचा णिसम्म हट्टतुट्ठ जाव पोसहसालाश्रो पडिणिक्खमइ 2 त्ता कोडबियपुरिसे सद्दावेइ 2 त्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! श्राभिसेक्कं हत्थिरयणं पडि. कप्पेह 2 ता हयगय जाव सराणाहेत्ता एमाणत्तियं पञ्चप्पिणह जाव पञ्चप्पिणंति 11 / तए णं से भरहे राया मजणघरं अणुपविसइ जाव अंजणगिरिकूडसरिणभं गयवई णवई दूरूढे 12 / तए णं तस्स भरहस्स रगणो अाभिसेक्कं हत्थिरयणं दूरूढस्म समाणस्स इमे अट्ठमंगलगा जो चेव गमो विणीयं पविसमाणस्स सो चेव णिक्खममाणस्सवि जाव अप्पडिबुज्झमाणे विणीअं रायहाणिं मझमज्झेणं णिग्गच्छइ 2 ता जेणेव विणीबाए रायहाणीए उत्तरपुरस्थिमे दिसीभाए अभिसेश्रमंडवे तेणेव उवागच्छइ 2 ता अभिसे श्रमंडवदुवारे श्राभिसेक्कं हत्थिरयणं ठावेइ 2 त्ता श्राभिसेक्कायो हस्थिरयणायो पचोरुहइ 2 ता इत्थीरयणेणं बत्तीसाए उडु-कल्लाणियासहस्सेहिं बत्तीसाए जणवय-कल्लाणियासहस्सेहिं बत्तीसाए बत्तीसइबद्धेहिं णाडगसहस्सेहिं सद्धिं संपरिबुडे अभिसेअमंडवं अणुपविसइ 2 ता जेणेव अभिसेअपेढे तेणेव आगच्छइ 2 ता अभिसेअपेढे अणुप्पदाहिणीकरेमागे 2 पुरथिमिल्लेणं तिसोवाणपडिरूवएणं दूरुहइ 2 त्ता जणेव सीहासणे तेणेव उवागच्छइ 2 ता पुरत्याभिमुहे सरिणसराणेत्ति 13 / तए णं तस्स भरहस्स रराणो बत्तीसं रायसहस्सा जेणेव अभिसेबमंडवे तेणेव उवागच्छति 2 ता अभिसेत्रमंडवं अणुपविसंति 2 ता अभिसंत्रपेटं अणुप्पयाहिणीकरेमाणा 2 उत्तरिल्लेणं तिसोवाणपडिरूवएणं जेणेव भरहे राया तेणेव उवागच्छति 2 ता करयल जाव अंजलि कटु Page #111 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 84] ..... - [ श्रीमदागमसुघासिन्धुः :: सप्तमो विभागः भरहं रायाणं जएणं विजएणं वद्धाति 2 चा भरहस्स रराणो णाचासखणे णाइदूरे सुस्सूसमाणा जाव पज्जुवासंति 14 / तए णं तस्स भरहस्स रराणो सेंणावइरयणे जाव सत्थवाहप्पभिईयो तेऽवि तह चेव णवरं दाहिणिल्लेणं तिसोवाणपडिरूवएणं जाव पज्जुवासंति 15 / तए णं से भरहे राया आभियोगे देवे सद्दावेइ 2 एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! ममं महत्थं महग्धं महरिहं महारायाभिसेयं उवट्ठवेह 16 / तए णं ते श्राभियोयिया देवा भरहेणं रराणा एवं वुत्ता समाणा हट्टतुट्ठचित्ता जाव उत्तरपुरस्थिमं , दिसीभागं अवकमंति अवकमित्ता वेउविसमुग्घाएणं समोहणंति, एवं जहा विजयस्स तहा. इत्थंपि जाव पंडगवणे एगयो मिलायंति एगो मिलाइत्ता जेणेव दाहिणद्धभरहे वासे जेणेव विणिया रायहाणी तेखेव बागच्छति 2 ता - विणीयं रायहाणिं अणुप्पयाहिणीकरेमाणा 2 जेणेव अभिसेश्रमंडवे जेणेव भरहे राया तेणेव उवागच्छंति 2. ता तं . महत्थं महग्धं महरिहं महारायाभिसेयं उखट्टवेति 17 / तए णं तं भरहं रायाणं बत्तीसं रायसहस्सा सोभणंसि तिहि करण-दिवस-गाक्खत्तमुहुत्तंसि उत्तर-पोट्टवयाविजयसि तेहिं साभाविएहि अ उत्तरवेउविएहि अ वरकमलपइट्ठाणेहिं सुरभि-वरवारिपडिपुराणेहिं जाव महया महया रायाभिसेएणं अभिसिंचंति, अभिसेश्रो जहा विजयस्स, अभिसिंचित्ता पत्तेधे 2 जाव अंजलिं कटु ताहि इटाहिं जहा पविसंतस्स भणिया जाव विहराहित्तिकट्टु जयजयसह पउंजंति 18 / तए णं तं भरहं रायाणं सेणावइरयणे जाव पुरोहियरयणे तिरिण अ सट्टा सूअसया अट्ठारस सेणिप्पसेणीयो अगणे अ बहवे जाव सत्यवाहप्पभिइयो एवं चेव अभिसिंचंति तेहिं.. वरकमलपइट्ठाणेहिं - तहेव जाक अभिथुणंति श्र सोलस देवसहस्सा एवं चेव : गावरं पम्हसुकुमालाए जाव मउडं पिणछेति 11 / तयणंतरं च णं दद्दर-मलयसुगंधगंधिएहिं Page #112 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री मज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्रं : तृतीयो वक्षस्कारः] [85 गंधेहिं गायाइं अभुक्छेति (गंधेहि भूकुडंति ) दिव्वं च सुमणो. दामं पिणछेति, किं बहुणा ?, गंठिमवेढिम जाव विभूसियं करेंति, तए णं से भरहे राया महया 2 रायाभिसेएणं अभिसिंचिए समाणे कोडुबिअपुरिसे सद्दावेइ 2 ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! हत्थिखंधवरगया विणीयाए रायहाणीए सिंघाडगतिगचउकचच्चर जाव महापहपहेसु महया 2 सद्दे णं उग्घोसेमाणा 2 उस्सुक्कं उकरं उकिट्ठ अदिज्ज . अमिज्जं अभडपवेसं अदंडकुदंडिमं जाव सपुरजणवयं दुवालससंवच्छरिग्रं पमोयं घोसेह 2 ममेप्रमाणत्तियं पञ्चप्पिणहत्ति 20 / तए णं ते कोडुबिअपुरिसा भरहेणं रराणा एवं वुत्ता ममाणा हट्टतुट्ठचित्तमाणदिवा पीइमणा हरिसवसविसप्पमाणहियया विणएणं वयणं पडिसुणेति 2 ता खिप्पामेव हत्थिखंधवरगया जाव घोसंति 2 त्ता एमाणत्तियं पञ्चप्पिणंति 21 / तए णं से भरहे राया महया 2 रायाभिसेएणं अभिसित्ते समाणे सीहासणाश्रो अन्भुट्ठइ 2 ता इत्थिरयणेणं जाव णाडगसहस्सेहिं सद्धिं संपरिबुडे अभिसेअपेढायो पुरथिमिल्लेणं तिसोवाणपडिरूवएणं पच्चोरुहइ 2 ता अभिसे अमंडवायो पडिणिक्खमइ 2 त्ता जेणेव भाभिसेक्के हत्थिरयणे तेणेव उवागच्छइ 2 ता अंजणगिरिकूड. सरिणभं गयवई जाव दूरूढे 22 / तए णं तस्स भरहस्स रराणो बत्तीसं रायसहस्सा अभिसे अपेढायो उत्तरिल्लेणं तिसोवाणपडिरूवएणं पञ्चोरुहंति 23 / तए णं तस्स भरहस्स रगणो सेणावइरयणे जाव सत्थवाहप्पभिईश्रो अभिसेयपेढायो दाहिणिल्लेणं तिसोवाणपडिरूवएणं पच्चोरुहंति 24 / तए णं तस्स भरहस्स रगणो श्राभिसेक्कं हत्थिरयणं दूरूढस्स समाणस्स इमे अट्ठमंगलगा पुरयो जाव संपत्थिया जोऽवित्र अइगच्छमाणस्स गमो पढमो जाव कुबेरावसाणो सो चेव इहंपि कमो सकारजढो अन्वो जाव कुबेरोव्व देवराया केलासं सिहरिसिंगभूति 25 / तए णं से भरहे राया मजणघरं अणुपविसइ 2 त्ता Page #113 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 86 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः सप्तमो विभागः जाव भोत्रणमंडवंसि सुहासणवरगए अट्टमभत्तं पारेइ 2 ता भोत्रणमंडवायो पडिणिक्खमइ 2 ता उप्पिं पासायवरगए फुट्टमाणेहि मुइंगमस्थएहिं जाव भुजमाणे विहरइ 26 / तए णं से भरहे राया दुवालससंवच्छरिग्रंसि पमोअंसि णिव्वतंसि समाणंसि जेणेव मजणघरे तेणेव उवागच्छइ 2 ता जाव मजणघराश्रो पडिणिक्खमइ 2 ता जेणेव बाहिरिश्रा उवट्ठाणसाला जाव सीहासणवरगए पुरस्थाभिमुहे णिसीअइ 2 ता सोलस देवसहस्से सकारेइ सम्माणेइ 2 ता पडिविसज्जेइ 2 ता बत्तीसं रायवरसहस्सा सकारेइ सम्माणेइ 2 ता सेणावइरयणं सकारेइ सम्माणेइ 2 ता जाव पुरोहियरयणं सकारेइ सम्माणेइ 2 ता एवं तिरिण सट्टे सूधारसए अट्ठारस सेणिप्पसेणीयो सकारेइ सम्माणेइ 2 ता अराणे अ वहवे राईसरतलवर जाव सत्थवाहप्पभिइत्रो सकारेइ सम्माणेइ 2 त्ता पडिविसज्जेति 2 ता उप्पिं पासायवरगए जाव विरहइ 27 // सूत्रं 68 // भरहस्स रगणों चक्करयणे 1 दंडरयणे 2 असिरयणे 3 छत्तरयणे 4 एते णं चत्तारि एगिदियरयणे श्राउहघरसालाए समुप्पराणा 1 / चम्मरयणे 1 मणिरयगो 2 कागणिरयणे 3 णव य महाणिहयो एए णं सिरिघरंसि समुप्पगणा 2 / सेणावइरयणे 1 गाहावइरयणे 2 वद्धइरयणे 3 पुरोहिश्ररयणे 4 एए णं चत्तारि मणुअरयणा विणीबाए रायहाणीए समुप्पराणा 3 / श्रासरयणे 1 हत्थिरयणे 2 एए णं दुवे पंचिंदिवरयणा वेश्रद्धगिरिपायमूले समुप्पण्णा 4 / सुभदा इत्थीरयणे उत्तरिलाए विज्जाहरसेटीए समुप्पराणे 5 // सूत्रं 61 // तए णं से भरहे राया चउदसराह रयणाणं णवराहं महाणिहीणं सोलसराहं देवसाहस्सीणं बत्तीसाए रायसहस्साणं बत्तीसाए उडुकल्लाणित्रासहस्साणं बत्तीसाए जणवय-कलाणिश्रासहस्साणं बत्तीसाए बत्तीसइबद्धाणं णाडगसहस्साणं तिराहं सट्ठीणं सूयारसयाणं अट्ठारसराहं सेणिप्पसेमीणं चउरासीइए बाससयसहस्साणं Page #114 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्रं // तृतीयो वक्षस्कार : ] [ 87 चउरासीइए दंतिसयसहस्साणं चउरासीइए रहसयसहस्साणं छगणउइए मणुस्सकोडीणं बावत्तरीए पुरवरसहस्साणं बत्तीसाए जणवयसहस्साणं छराणउइए गामकोडीणं णवणउइए दोणमुहसहस्साणं श्रडयालीसाए पट्टणसहस्साणं चउव्वीसाए कबडसहस्साणं चउव्वीसाए मडंबसहस्साणं वीसाए यागरसहस्साणं सोलसराहं खेडसहस्साणं चउदसराहं संवाहसहस्साणं छप्पराणाए अंतरोदगाणं एगणपण्णाए कुरजाणं विणीयाए रायहाणीए चुल्लहिमवंत-गिरिसागरमेरागस्स केवलकप्पस्स भरहस्स वासस्स अराणेसिं च बहूणं राईसरतलवर जाव सत्थवाहप्पभिईणं आहेबच्चं पोरेवच्चं भट्टित्तं सामित्तं महत्तरगतं आणाईसरसेणावच्चं कारेमाणे पालेमाणे श्रोहयणिहएसु कंटएसु उद्धिअमलिएसु सव्वसत्तुसु णिजिएसु भरहाहिवे णरिंदे वरचंदणचच्चियंगे वरहाररइअवच्छे वरमउडविसिट्ठए वरवत्थभूसणधरे सव्वोउग्र-सुरहि-कुसुमवरमल्लसोभियसिरे वरणाडग-नाडइजवरइस्थिगुम्मसद्धिं संपरिखुड़े सव्वोसहिसब्बरयण-सव्वसमिइसमग्गे संपुराणमणोरहे हयामित्तमाणमहणे पुव्वकयतवप्पभावनिविट्ठसंचिअफले भुजइ माणुस्सए सुहे भरहे णामधेज्जेत्ति ॥सूत्रं७० // तए णं से भरहे राया अराणया कयाइ जेणेव मजणघरे तेणेव उवागच्छइ 2 त्ता जाव ससिव्व पिअदसणे णरवई मज्जाघरायो पडिणिक्खमइ 2 ता जेणेव श्रादंसघरे जेणेव सीहासणे तेणेव उवागच्छइ 2 त्ता सीहासणवरगए पुरत्थाभिमुहे णिसीइ 2 ता श्रादंसघरंसि अत्ताणं देहमाणे 2 चिट्ठइ 1 / तए णं तस्स भरहस्स रगणो सुभेणं परिणामेणं पसत्थेहिं अन्झवसाणेहिं लेस्साहिं विसुज्झमाणीहिं 2 ईहापोह-मग्गणगवेसणं करेमाणस्स तयावरिजाणं कम्माणं खएणं कम्मरयविकिरणकरं अपुव्वकरणं पविट्ठस्स अणंते अणुत्तरे निवाघाए निरावरणे कसिणे पडिपुराणे केवलवरनाणदंसणे समुप्पराणे 2 / तए णं से भरहे केवली सयमेवाभरणालंकारं प्रोमुबइ 2 ता सयमेव पंचमुट्टियं लोगं करेइ 2 ता Page #115 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 88] [ श्रीमंदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः श्रायंसघरायो पडिणिक्खमइ 2 ता अंतेउरमझमझेणं णिग्गच्छइ 2 ता दसहि रायवरसहस्सेहिं सद्धिं संपरिबुडे विणीयं रायहाणि मज्झमझेणं णिग्गच्छइ 2 ता मज्झदेसे सुहंसुहेणं विहरइ 2 त्ता जेणेव अट्ठावए पव्वते तेणेव उवागच्छइ 2 ता अट्टावयं पव्वयं सणियं 2 दुरूहइ 2 ता मेघघणसरिणकासं देवसरिणवायं पुढविसिलावट्टयं पडिलेहेइ 2 त्ता संलेहणाझूसणाझसिए भत्तपाणपडियाइविखए. पायोवगए कालं श्रणवकंखमाण 2 विहरइ 3 / तए णं से भरहे केवली सत्तत्तरिं पुव्वसयसहस्साई कुमारवासमज्झे वसित्ता एगं वाससहस्सं मंडलिअरायमज्झे वसित्ता छ पुव्वसयसहस्साई वाससहस्सूणगाइं महारायमज्झे वसित्ता तेसीइ पुव्वसयसहस्साई अगारवासमज्झे वसित्ता एगं पुव्वसयसहस्सं देसूणगं केवलिपरियायं पाउणित्ता तमेव बहुपडिपुराणं सामन्त्रपरिश्रायं पाउणित्ता चउरासीइ पुव्वसयसहस्साइं सव्वाउणं पाउणित्ता मासिएणं भत्तेणं अपाणएणं सवणेणं णक्खत्तेणं जोगमुवागएणं खीणे वेअणिज्जे पाउए णामे गोए कालगए वीइक्कते समुन्जाए छिरिण-जाइ-जरा-मरणबन्धणे सिद्धे बुद्धे मुत्ते परिणिबुडे अंतगडे सव्वदुक्खप्पहीणे 4 // इति भरतचकिचरितं // सूत्रं 71 // भरहे श्र इत्थ देवे महिड्डीए महज्जुईए जाव पलिश्रोवमट्टिईए परिखसइ, से एएण?णं गोत्रमा ! एवं वुच्चइ भरहे वासे 2 इति 1 / अदुत्तरं च णं गोयमा ! भरहस्से वासस्स सासए णामधिज्जे पराणत्ते जंण कयाइ ण श्रासि ण कयाइ णस्थि ण कयाइ ण भविस्सइ भुवि च भवइ श्र भविस्सइ अ धुवे णित्रए सासए अक्खए अव्वए अवट्ठिए णिच्चे भरहे वासे 2 // सूत्रं 72 // // इति ततीयो वक्षस्कारः // 3 // Page #116 -------------------------------------------------------------------------- ________________ लवणसमुदस्स पाहमवते णाम वासह पुढे पुरत्थिानमिल्ल ल श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग'-सूत्रं : चतुर्थो बक्षस्कारः ] [89 // अथ चतुर्थो वर्षधरवर्षवर्णनाख्यो वक्षस्कारः // . ___कहि णं भंते ! जम्बुद्दीवे 2 चुलहिमवंते णामं वासहरपव्वए पराणत्ते ?, गोत्रमा ! हेमवयस्स वासस्स दाहिणेणं भरहस्स वासस्स उत्तरेणं पुरस्थिमलवणसमुदस्स पञ्चत्थिमेणं पञ्चत्थिमलवणसमुदस्स पुरथिमेणं एत्थ णं जम्बुद्दीवे दीवे चुल्लहिमवंते णामं वासहरपव्वए पराणत्ते, पाईणपडीणायए उदीणदाहिणविच्छिराणे दुहा लवणसमुद्दपुढे पुरथिमिल्लाए कोडीए पुरस्थिमिल्लं लवणसमुद्दपुढे पञ्चथिमिल्लाए कोडीए पञ्चस्थिमिल्लं लवणसमुद्द पुढे 1 / एगं जोअणमयं उद्धं उच्चत्तेणं पणवीसं जोषणाई उव्वेहेणं एगं जोत्रणसहस्सं बावरणं च जोगणाई दुवालस य एगूणवीसइ भाए जोपणस्स विक्खंभेणंति२। तस्स बाहा पुरथिमपचत्थिमेणं पंच जोग्रणसहस्साई तिरिण अ परणासे जोपणसए पराणरस य एगूणवीसइभाए जोत्रणस्स श्रद्धभागं च थायामेणं 3 / तस्स जीवा उत्तरेणं पाईणपडिणायया जाव पञ्चत्थि. मिल्लाए कोडीए पचत्थिमिल्लं लवणसमुह पुट्ठा चउव्वीसं जोत्रणसहस्साई व य बत्तीसे जोत्रणसए श्रद्धभागं च किंचिविसेसूणा पायामेणं पराणत्ता 4 / तीसे धणुप? दाहिणेणं पणवीसं जोअणसहस्साई दोगिण अ तीसे जोत्रणसए चत्तारि अ एगणवीसइभाए जोत्रणस्स परिक्खेवेणं परणते 5 / रुअगसंठाणसंठिए सव्वकणगामए अच्छे सराहे तहेव जाव पडिरूवे उभश्रो पासिं दोहि पउमवरवेइग्राहिं दोहि य वणसंडेहिं संपरिक्खित्ते दुराहवि पमाणं वगणगोत्ति 6 / चुल्लहिमवंतस्स वासहरपव्वयस्स उवरिं बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पराणत्ते से जहा णामए थालिंगपुक्खरेइ वा जाव बहवे वाणमंतरा देवा य देवीयो अश्रासयंति जाव विहरंति 7 // सूत्रं 73 // तस्स णं बहुसमरमणिजस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए इत्थ णं इक्के महं पउमद्दहे णामं दहे पराणत्ते पाईणपडिणायए उदीणदाहिणविच्छिराणे इक्कं Page #117 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 90 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभाग जोत्रणसहस्सं थायामेणं पंच जोग्रणसयाई विक्खंभेणं दस जोयणाई उब्वेहेणं अच्छे सराहे रययामयकूले जाव पासाईए जाव पडिरूवेत्ति 1 / से णं एगाए पउमवरवेइयाए एगेण य वणसंडेणं सव्वश्रो समंता संपरिक्खित्ते वेइयावणसंडवराणयो भाणियब्वोत्ति, तस्स णं पउमदहस्स चउदिसि चत्तारि तिसोवाणपडिरूवगा पराणत्ता, वराणावासो भाणियबोति 2 / तेसिणं तिसोवाणपडिरूवगाणं पुरयो पत्तेयं 2 तोरणा पराणत्ता, ते णं तोरणा णाणामणिमया 3 / तस्स णं पउमदहस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थं महं एगे पउमे पराणत्ते, जोग्रणं यायामविक्खंभेणं अद्भजोत्रणं बाहल्लेणं दस जोयणाई उव्वेहेणं दो कोसे असिए जलंतानो साइरेगाइं दसजोषणाई सम्बग्गेणं पराणत्ता 4 / से र्ण एगाए जगईए सव्वश्रो समंता संपरिक्खित्ते जम्बुद्दीवजगइप्पमाणा गवक्खकडएवि तह चेव पमाणेणंति, तस्स णं पउमस्स अयमेश्रारूवे वराणावासे पराणत्ते, तंजहा-वइरामया मूला रिटामए कंदे वेरुलियामए णाले वेरुलिश्रामया बाहिरपत्ता जम्बूणयामया अभितरपत्ता तवणिजमया केसरा णाणामणिमया पोक्खरस्थिभाया कणगामई करिणगा, सा णं श्रद्धजोयणं श्रआयामविक्खमेणं कोसं बाहल्लेणं सबकणगामई अच्छा सराहा जाव पडिरुवा 5 / तीसे णं करिणाए उप्पिं बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पराणत्ते, से जहा णामए थालिंगपुक्खरेइ वा जाव तस्स णं बहुसमरमणिजस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए 6 / एत्थ णं महं एगे भवणे पराणत्ते, कोर्स थायामेणं अद्धकोसं विखंभेणं देसूणगं कोसं उद्धं उच्चत्तेणं अणेगखंभसयसरिणविढे पासाईए दरिसणिज्जे 7 / तस्स णं भवणस्स तिदिसिं तो दारा पराणत्ता, ते णं दारा पंचधणुसयाई उद्धं उच्चत्तेणं श्रद्धाइजाई धणुसया विक्खंभेणं तावतियं चेव पवेसेणं सेावरकणगथूमिश्रा जाव वणमालायो णेशव्वायो 8 / तस्स णं भवणस्स अंतो बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पराणत्ते से जहाणामए थालिंग पुक्खरेइ वा जाव तस्स णं बहुमज्झ Page #118 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्र :: चतुर्थो वक्षस्कारः ] [61 देसभाए एत्थ णं महई एगा मणिपेढिया पराणत्ता, सा णं मणिपेढिया पंचधणुसयाई थायामविक्खंभेणं अद्धाइजाई धणुसयाई बाहल्लेणं सव्वमणिमई अच्छा सराहा जाव पडिरूवा 1 / तीसे णं मणिपेढिाए उप्पिं एत्थ णं महं एगे सयणिज्जे पराणत्ते सयणिज्जवगणयो भाणिवो 10 / से णं पउमे अराणेणं अट्ठसएणं पउमाणं तदछुच्चत्तप्पमाणमित्ताणं सव्वश्रो समंता संपरिक्खित्ते, ते णं पउमा श्रद्धजोत्रणं पायामविक्खंभेणं कोसं वाहल्लेणं दसजोषणाई उव्वेहेणं कोसं ऊसिया जलंताबो साइरेगाई दसजोषणाइं उच्चत्तेणं 11 / तेसि णं परमाणं अयमेश्रारूवे वरणावासे पराणत्ते, तंजहा-वइरामया मूला जाव कणगामई करिणश्रा, सा णं करिणा कोसं थायामेणं अद्धकोसं बाहल्लेणं सव्वकणगामई अच्छा इति 12 / तीसे णं करिणयाए उप्पिं बहुसमरमणिज्जे जाव मणीहिं उपसोभिए, तस्स णं पउमस्स अवरुत्तरेणं उत्तरेणं उत्तरपुरस्थिमेणं एत्थ णं सिरीए देवीए चउराहं सामाणिसाहस्सीणं चत्तारि पउमसाहस्सीयो पराणत्तायो 13 / तस्स णं पउमस्स पुरथिमेणं एत्थ णं सिरीए देवीए उगहं महत्तरियाणं चत्तारि पउमा पराणत्ता, तस्स णं पउमस्स दाहिणपुरस्थिमेणं सिरिए देवीए अभितरिश्राए परिसाए अट्टराहं देवप्ताहस्सीणं य? पउमसाहस्सीयो पराणत्तायो, दाहिणेणं मज्झिमपरिसाए दसराहं देवमाहस्सीणं दस पउमसाहसीयो पराणत्तायो, दाहिणपचत्थिमेणं बाहि. रिसाए परिसाए बारसगहं देवसाहस्सीणं बारस पउमसाहस्सीयो पराणात्तायो, पञ्चत्थिमेणणं सत्तरहं अणियाहिवईणं सत्त पउमा पराणत्ता 14 / तस्स णं पउमस्स चउद्दिसिं सव्वश्रो समंता इत्थ णं सिरीए देवीए सोलसराहं श्रायरक्खदेवसाहस्सीणं सोलस पउमसाहस्सीयो पराणत्तायो, से णं तीहिं पउमपरिक्खेवेहिं सव्वयो समंता संपरिक्खित्ते, तंजहा-अभितरकेणं मज्झिमएणं बाहिरएणं, अभितरए पउमपरिक्खेवे बत्तीसं पउमसयसाहस्सीयो पराणत्तायो Page #119 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 12] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः मझिमए पउमपरिक्खेवे चत्तालीसं पउमसयसाहस्सीयो पराणत्तायो बाहि. रए पउमपरिक्खेवे अडयालीसं पउमसयसाहस्सीनो पराणत्ताश्रो, एवामेव सपुब्बावरेणं तिहिं पउमपरिक्खेवेहिं एगा पउमकोडी वीसं च पउमसयसाहस्सीयो भवंतीति अक्खायं 15 / से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ-पउमड़हे 2 ?, गोत्रमा ! पउमदहे णं तत्थ 2 देसे तहिं 2 बहवे उप्पलाई जाव सयसहस्सपत्ताई पउमद्दहप्पभाई (पउमदहवराणाई ) पउमदहवराणाभाई सिरी श्र इत्थ देवी महिद्धीया जाव पलिश्रोवमट्टिईया परिवसइ, से एएण?णं जाव अदुत्तरं च णं गोत्रमा ! पउमदहस्स सासए णामधेज्जे परणत्ते ण कयाई णासि न कयाई णत्थि जाव भरहे वासे 16 // सूत्रं 74 // तस्स उणं पउमद्दहस्स पुरथिमिल्लेणं तोरणेणं गंगा महाणई पवूढा समाणी पुरत्थाभिमुही पञ्च जोषणसयाई पवएणं गंता गंगावत्तणकूडे श्रावत्ता समाणी पन तेवीसे जोत्रणसए तिगिण श्र एगूणवीसइभाए जोश्रणस्स दाहिणाभिमुही पव्वएणं गंता महया घडमुहपवत्तएणं मुत्तावलिहारसंठिएणं साइरेगजोश्रणसइएणं पवाएणं पवडइ 1 / गंगा महाणई जश्रो पक्डइ इत्थ णं महं एगा जिब्भिया पराणत्ता, सा णं जिभिया श्रद्धजोत्रणं आयामेणं छ सकोसाइं जोत्रणाई विक्खंभेणं युद्ध कोसं बाहल्लेणं मगर-मुह-विउट्ठ-संठाणसंठिया सव्ववइरामई अच्छा सराहा 2 / गंगा महाणई जत्थ पवडइ एत्थ णं महं एगे गंगप्पवाए कुडे णामं कुंडे पराणत्ते, सहि जोषणाई आयामविखंभेणं णउग्रं जोषणसयं किंचिविसेसाहिश्र परिक्खेवेणं, दस जोषणाई उव्वेहेणं अच्छे सराहे रययामयकूले समतीरे वइरामयपासाणे वइरतले सुवरण-सुब्भ-रययामयवालुवाए वेरुलित्रमणि-फालिन-पडलपञ्चोपडे सुहोबारे सुहोत्तारे णाणा-मणि-तिस्थसुबद्धे वट्टे अणुपुव्व-सुजाय-वप्प-गंभीर-सीअलजले संछराण-पत्त-भिसमुणाले बहुउप्पलकुमुश्र-गलिण-सुभग-सोगंधि-पोंडरीश्र-महापोंडरीश्र-सयपत्त-सहस्सपत्त Page #120 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [63 श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्र :: चतुर्थो वक्षस्कारः ] सयसहस्सपत्त-पप्फुल्लकेसरोवचिए छप्पय-महुयर-परिभुजमाणकमले अच्छविमल-पत्थसलिले पुराणे पडिहत्थ-भमंत-मच्छ-कच्छभ-श्रणेगसउण-गणमिहुण-पविअरिय-सदुन्नइय-महुरसरणाइए पासाईए दरिसणिज्जे अभिख्वे पडिरूवे 3 / से णं एगाए पउमवरवेइयाए एगेण य वणसराडेणं सव्वश्रो समंता संपरिक्खित्ते वेइश्रावणसंडगाणं पउमाणं च वराणश्रो भाणियव्यो 4 / तस्स णं गंगप्पवायकुडस्स तिदिसिं तो तिसोवाणपडिरूवगा पराणत्ता, तंजहा-पुरस्थिमेणं दाहिणेणं पञ्चत्थिमेणं, तेसि णं तिसोवाणपडिरूवगाणं अयमेयारूवे वराणावासे पराणत्ते, तंजहा-वइरामया ोम्मा रिट्ठामया पइट्ठाणा वेरुलिग्रामया खंभा सुवराणरुप्पमया फलया लोहिक्खमईयो सूईयो वइरामया संधी णाणामणिमया श्रालंबणा श्रालंबणबाहायोति 5 / तेसि णं तिसोवाणपडिरूवगाणं पुरो पत्तेयं 2 तोरणा पराणत्ता, ते णं तोरणा माणामणिमया णाणामणिमएसु खंभेसु उवणिविट्ठसंनिविट्ठा विविहमुत्तंतरोवइया विविह-तारास्वोवविश्रा ईहामित्र-उसह-तुरग-णर-मगर-विहग-वालगकिराणर-रुरु-सरभ-चमर-कुंजर-वणलय-पउमलयभत्तिचित्ता खंभुग्गय-वइर. वेइया परिगयाभिरामा विजाहर-जमल-जुअल-जंतजुत्ताविव अचिसहस्समालणीया रूवगसहस्सकलिया भिसमाण भिभिसमाणा चक्खुल्लोषणलेसा सुहफासा सस्सिरीअख्वा घंटावलि-चलिश्र-महुर-मणहरसरा पासादिया 4, 6 / तेसिं णं तोरणाणं उवरिं बहवे अट्ठमंगलगा पराणत्ता, तंजहा-सोत्थिए मिविच्छे जाव पडिरूवा, तेसि णं तोरणाणं उवरि बहवे किराहचामरज्भया जाव सुकिल्लचामरज्मया अच्छा सराहा रुपपट्टा वइरामयदराडा जलयामलगंधिया सुरम्मा पासाईया 4, 7 / तेसि णं तोरणाणं उप्पि वहव छताइच्छत्ता पडागाइपडागा घंटाजुअला चामरजुअला उप्पलहत्थगा पउमहत्थगा जाव सयसहस्सपत्तहत्थगा सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा 8 / तस्स णं गंगप्पवायकुडस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महं एगे गंगादीवे Page #121 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 94 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः सप्तमो विभामः णामं दीवे पराणत्ते अट्ठ जोगणाई अायामविक्खंभेणं साइरेगाई पणवीसं जोत्रणाई परिक्खेवेगां दो कोसे ऊसिए जलंतायो सबवइरामए अच्छे सराहे, से णं एगाए परमवरवेइयाए एगेण य पुणसंडेणं सव्वश्रो समंता संपरिक्खित्ते वराणयो भाणियब्बो 1 / गंगादीवस्स णं दीवस्स उप्पि बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पराणत्ते, तस्स णं बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महं गंगाए देवीए एगे भवणे पराणत्ते कोसं पायामेणं श्रद्धकोसं विक्खं भेणं देसूणगं च कोसं उद्धं उच्चत्तेणं अणेगखंभसयसरिणविढे जाव बहुमज्झदेसभाए मणिपेढियाए सयणिज्जे 10 / से केण?णं जाव सासए णामधेज्जे पराणत्ते, तस्स णं गंगप्पवायकुडस्स दक्खिणिल्लेणं तोरणेणं गंगामहाणई पबूढा समाणि उत्तरद्धभरहवासं एज्जेमाणी 2 सत्तहिं सलिलासहस्सेहिं बाउरेमाणी 2 अहे खण्डप्पवायगुहाए वेश्रद्धपव्वयं दालइत्ता दाहिणद्धभरहवासं एज्जेमाणी 2 दाहिणद्धभरहवासस्स बहुमज्झदेसभागं गंता पुरस्थाभिमुही श्रावत्ता समाणी चोदसहि सलिलासहस्सेहिं समग्गा अहे जगई दालइत्ता पुरथिमेणं लवणसमुद्द समप्पेइ 11 / गंगा णं महाणई पवहे छ सकोसाई जोगणाई विक्खंभेणं श्रद्धकोसं उब्वेहेणं तयणंतरं च णं मायाए 2 परिवद्धमाणी 2 मुहे बासढि जोशणाई श्रद्धजोत्रणं च विक्खंभेणं सकोसं जोत्रणं उव्वेहेणं उभयो पासिं दोहिं पउमवरवेइब्राहिं दोहिं वणसंडेहिं संपरिक्खित्ता वेइश्रावणसंडवरणको भाणिअब्बो 12 / एवं सिंधूएवि णेअव्वं जाव तस्स णं पउमदहस्स पचत्थिमिल्लेणं तोरणेणं सिंधुश्रावत्तणकूडे दाहिणाभिमुही सिंधुप्पवायकुंड सिंधुद्दीवो अट्ठो सो चेव जाव अहेतिमिसगुहाए वेश्रद्धपव्वयं दालइत्ता पञ्चत्थिमाभिमुही श्रावत्ता समाणा चोहससलिला अहे जगई पञ्चत्थिमेणं लवणसमुद्द जाव समप्पेइ, सेसं तं चेवत्ति 13 / तस्स णं पउमदहस्स उत्तरिल्लेणं तोरणेणं रोहिअंसा महाणई पबूढा समाणी दोगिण छावत्तरे Page #122 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्र :: चतुर्थो वक्षस्कारः ] [ 15 जोगुणसए छच्च एगणवीसइभाए जोत्रणस्स उत्तराभिमुही पव्वएणं गंता महया घड-मुहपवत्तिएणं मुत्तावलि-हारसंठिएणं साइरेग-जोश्रणसइएणं पवाएणं पवडइ 14 / रोहिसाणामं महाणई जो पवडइ एत्थ णं महं एगा जिभित्रा परणत्ता, सा णं जिभिया जोत्रणं थायामेणं पद्धतेरसजोषणाई विक्खंभेणं कोसं बाहल्लेणं मगरमुह-विउट्ठसंगणसंठिया सव्ववइरामई अच्छा 15 / रोहिअंसा महाणई जहिं पवडइ एत्थ णं महं एगे रोहिअंसापवायकुराडे णाम कुराडे पराणत्ते सवीसं जोश्रणसयं यायामविक्खंभेणं तिरिण असीए जोत्रणसए किंचिविसेसुणे परिक्खेवेणं, दसजोषणाई उव्वेहेणं अच्छे कुंडवगणो जाव तोरणा 16 / तस्स णं रोहिअंसाववायकुडस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महं एगे रोहिअंसा णामं दीवे पराणत्ते सोलस जोत्रणाई यायामविक्खंभेणं साइरेगाई पराणासं जोयणाई परिक्खेवेणं दो कोसे असिए जलंताश्रो सव्वरयणामए अच्छे सराहे सेसं तं चेव जाव भवणं अट्ठो अ भाणिश्रव्वोति 17 / तस्स णं रोहिग्रंसप्पवायकुडस्स उत्तरिल्लेणं तोरणेणं रोहिअंसा महाणई पवूढा समाणी हेमवयं वासं एज्जेमाणी 2 चउद्दसहि सलिलासहस्सेहिं थारेमाणी 2 सद्दावइ-बट्टवेअड्डपव्वयं श्रद्धजोत्रणेणं असंपत्ता समाणी पञ्चत्थिमाभिमुही श्रावत्ता समाणी हेमवयं वासं दुहा विभयमाणी 2 अट्ठावीसाए सलिलासहस्सेहिं समग्गा अहे जगई दालइत्ता पञ्चत्थिमेणं लवणसमुह समप्पेइ 18 / रोहिअंसा णं पवहे अद्धतेरसजोषणाई विक्खंभेणं कोसं उब्वेहेणं तयणंतरं च णं मायाए 2 परिवद्धमाणी 2 मुहमूले पणवीसं जोत्रणसयं विखंभेणं श्रद्धाइजाई जोत्रणाइं उव्वेहेणं उभयो पासिं दोहिं पउमवरवेइब्राहिं दोहि श्रवणसंडेहिं संपरिक्खित्ता 11 ॥सूत्रं७५॥चुल्लहिमवंते णं भंते ! वासहरपव्वए कइ कूडा पराणत्ता ?, गोयमा! इकारस कूडा पराणत्ता, तंजहा-सिद्धाययणकूडे 1 चुल्लहिमवन्तकूडे 2 Page #123 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 96 ] - [ श्रीमदागमंसुधासिन्धुः : सप्तमो विभागः भरहकूडे 3 इलादेवीकूडे 4 गंगादेवीकूडे 5 सिरिकूडे 6 रोहिअंसकूडे 7 सिन्धुदेवीकूडे 8 सुरदेवीकूडे 1 हेमवयकूडे 10 वेसमणकूडे 11, 1 / कहि णं भंते ! चुल्लहिमवन्ते वासहरपव्वए सिद्धाययणकूडे णामं कूडे पराणत्ते ?, गोयमा ! पुरच्छिम-लवणसमुहस्स पचस्थिमेणं चुलहिमवन्तकूडस्स पुरथिमेणं एत्थ णं सिद्धाययणकूडे णामं कूडे पराणत्ते, पंच जोगणसयाई उद्धं उच्चत्तेणं मूले पंच जोग्रणसयाई विक्खंभेणं मज्झे तिरिण अ पराणत्तरे जोत्रणसए विवखंभेणं उप्पि अद्धाइज्जे जोत्रणसए विखंभेणं मूले एगं जोश्रणसहस्सं पंच य एगासीए जोत्रणसए किंचिविसेसाहिए परिवखेवेणं मज्झे एगं जोअणसहस्सं एगं च छलसी जोपणसय किंचिविसेसूणं परिक्खेवेणं उप्पिं सत्तइकाणउए जोअणसए किंचिविसेसूणे परिक्खेवेणं, मूले विच्छिरणे मज्झे संखित्ते उप्पिं तणुए गोपुच्छसंगणसंठिए सव्वरयणामए अच्छे, सेणं एगाए पउमवरवेइपाए एगेण य वणसंडेणं सवो समंता संपरिक्खित्ते सिद्धाययणस्स कूडस्स णं उप्पिं बहुसंमरमणिज्जे भूमिभागे पराणत्ते जाव तस्स णं बहुसमरमणिजस्स भूमिभागस्स बहुमझदेसभाए एत्थ णं महं एगे सिद्धाययणे पराणत्ते परणासं जोषणाई थायामेणं पणवीसं जोषणाई विक्खंभेणं छत्तीसं जोषणाई उद्धं उच्चत्तेणं जाव जिणपडिमावराणो भाणिवो 2 / कहि णं भंते ! चुलहिमवंते वासहरपव्वए चुल्लहिमवंतकूडे नामं कूडे पराणत्ते ?, गोयमा ! भरहकूडस्स पुरस्थिमेणं सिद्धाययणकूडस्स पञ्चत्थिमेणं, एत्थ णं चुल्लहिमवंते वासहरपव्वए चुल्लहिमवंतकूडे णामं कूडे पराणत्ते, एवं जो चेव सिद्धाययणकूडस्स उच्चत्तविक्खंभ-परिक्खेवो जाव बहुसमरमणिजस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महं एगे पासायवडेंसए पराणत्ते बासहि जोशणाई श्रद्धजोश्रणं च उच्चत्तेणं इकतीसं जोषणाई कोसं च विक्खंभेणं अब्भुग्गय-मूसिअपहसिए विव विविह-मणि-रयणभत्तिचित्ते वाउछुअ-विजय-वेजयंती-पडाग-च्छत्ताइ Page #124 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छाव मणिरयणमिलाकर अंतो बहि जाव पडिरूवे, तहासणं सपरिवार श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्र :: चतुर्थो वक्षस्कारः ] [97 छत्तकलिए तुगे गगणतल-मभिलंघमाणसिहरे जालंतर-रयण-पंजरुम्मीलिएब मणिरयणथूभित्राए विअसिग्र-सयवत्त-पुडरीब-तिलय-रयणद्धचंदचित्ते णाणामणिमयदामालंकिए अंतो बहिं च सराह-वइर-तवणिज-रुइल-बालुगापत्थडे सुहफासे सस्सिरीथरूवे पासाईए जाव पडिरूवे, तस्स णं पासायव.. सगस्स अंतो बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पन्नत्ते जाव सीहासणं सपरिवारं 3 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ चुलहिमवंतकूडे 2 ?, गोयमा ! चुल्लहिमवंते णामं देवे महिद्धीए जाव परिखसइ 4 / कहि णं भंते ! चुल्लहिमवंतगिरिकुमारस्स देवस्स चुलहिमवंता णामं रायहाणी पन्नत्ता ?, गोयमा ! चुल्लहिमवंतकूडस्स दक्खिणेणं तिरियमसंखेज्जे दीवसमुद्दे वीईवइत्ता अराणं जम्बुद्दीवं 2 दक्खिणेणं बारस जोत्रणसहस्साई श्रोगाहित्ता इत्थ णं चुल्लहिमवंतस्स गिरिकुमारस्स देवस्स चुल्लहिमवंता णामं रायहाणी पराणत्ता, बारस जोयणसहस्साई श्रआयामविक्खंभेणं, एवं विजयरायहाणीसरिणा भाणिश्रव्वा 5 / एवं अवसेसाणवि कूडाणं वत्तव्वया गोव्वा, पायाम--विक्खंभ-परिक्खेव-पासायदेवयायो सीहासणपरिवारो अट्ठो अ देवाण य देवीण य रायहाणीयो णेश्रवाश्रो, चउसु देवा चुल्ल. हिमवंत 1 भरह 2 हेमवय 3 वेसमणकूडेसु 4, सेसेसु देवयाश्रो 6 / से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ चुल्लहिमवंते वासहरपव्वए 2 ? गोयमा ! महाहिमवंतवासहरपव्वयं पणिहाय पायामुच्चत्तवेह-विक्खंभ-परिक्खेवं पडुच ईसि खुट्टतराए चेव हस्सतराए चेव णीतराए चेव, चुल्लहिमवंते अ इत्य देवे महिद्धीए जाव पलिग्रोवमट्टिइए परिवसइ, से एएणटेणं गोयमा ! एवं बुचइ-चुल्लहिमवंते वासहरपव्वए 2, अदुत्तरं च णं गोयमा ! चुल्लहिमवंतस्स सासए णामधेज्जे पराणत्ते जंण कयाइ णासि 3,7 // सूत्रं 76 // कहि णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे हेमवए णामं वासे पराणत्ते ?, गोयमा ! महाहिमवंतस्स वासहरपवयस्स दविखणेणं चुलहिमवंतस्स वासहर. Page #125 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 68 ] :: [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः पव्वयस्स उत्तरेणं पुरंस्थिमलवणसमुदस्स पञ्चत्थिमेणं पञ्चत्थिमलवणसमुदस्स पुरस्थिमेणं एत्थ णं जंबुद्दीवे दीवे हेमवए णामं वासे पराणत्ते 1 / पाईणपडीणायए उदीण-दाहिणविच्छिराणे पलिअंक-संठाणसंठिए दुहा लवणसमुह पुढे पुरथिमिल्लाए कोडीए पुरथिमिल्लं लवणसमुह पुढे, पञ्चत्थिमिल्लाए कोडीए पचत्थिमिल्लं लवणसमुह पुढे 2 / दोरिण जोत्रणसहस्साई एगं च पंचुत्तरं जोश्रणसयं पंच य एगूणवीसइभाए जोधणस्स विक्खंभेणं, तस्स बाहा पुरथिमपचत्थिमेणं छजोत्रणसहस्साई सत्त य पणवराणे जोत्रणसए तिरिण श्र एगूणवीसइभाए जोषणस्स थायामेणं 3 / तस्स जीवा उत्तरेणं पाईणपडीणायया दुहयो लवणसमुह पुट्ठा पुरथिमिल्लाए कोडीए पुरथिमिल्लं लवणसमुद्दपुट्ठा पञ्चस्थिमिल्लाए जाव पुट्ठा सत्ततीसं जोत्रणसहस्साई छच्च चउवत्तरे जोत्रणसए सोलस य एगूणवीसइभाए जोत्रणस्स किंचिविसेसूणे आयामेणं 4 / तस्स धणु दाहिणेणं अट्ठतीसं जोत्रणसहस्साई सत्त य चत्ताले जोत्रणसए दस य एगूणवीसइभाए जोपणस्स परिक्खेवेणं 5 / हेमवयस्स णं भंते ! वासस्स केरिसए आयारभावपडोबारे पराणत्ते?, गोयमा ! बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पराणत्ते, एवं तइअसमाणुभावो णेअब्बोत्ति 6 // सूत्रं 77 // कहि णं भंते ! हेमवए वासे सद्दावई णामं वट्टवेअद्भपव्वए पराणत्ते ?, गोत्रमा ! रोहित्राए महाणईए पञ्चच्छिमेणं रोहिअंसाए महागाईए पुरस्थिमेणं हेमवयवासस्स बहुमज्झदेसभाए, एत्थ णं सदावई णामं वट्टवेयुद्धपव्वए पराणत्ते 1 / एगं जोत्रणसहस्सं उद्धं उच्चत्तेणं श्रद्धाइजाई जोश्रणसयाई उव्वेहेणं सव्वस्थसमे पल्लग-संठाणसंठिए एगं जोत्रणसहस्सं पायामविखंभेणं तिरिण जोत्रणसहस्साई एगं च बावट्ठ जोगणसयं किंचिविसेसाहिग्रं परिक्खेवेणं पराणत्ते, सव्वरयणामए अच्छे 2 / से णं एगाए पउमवरवेइबाए एगेण य वणसंडेणं सवो समंता संपरिक्खित्ते, वेइश्रावणसंडवराणश्रो भाणिवो Page #126 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पहाणी विनेयम्वा, मेरा से णं तत्थ चउराहार जाव महायुभावणाई श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्र :: चतुर्थो वक्षस्कारः ] [ 99 3 / सदावइस्स णं वट्टवेयद्धपव्वयस्स उवरि बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पराणत्ते, तस्स णं बहुसमरमणिजस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महं एगे पासायवडेंसए पराणत्ते बावढि जोगणाई श्रद्धजोयणं च उद्धं उच्चत्तेणं इकतीसं जोषणाई कोसं च श्रआयामविखंभेणं जाव सीहासणं सपरिवारं 4 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ सदावई वट्टवेयद्धपव्वए 2 ?, गोत्रमा! सदावइ-वट्टवेअद्धपव्वए णं खुड्डा खुड्डियासु वावीसु जाव विलपंतित्रासु बहवे उप्पलाई पउमाइं सदावइप्पभाई सदावइवराणाई सदावतिवण्णाभाई सद्दावई अ इत्थ देवे महिद्धीए जाव महाणुभावे पलियोवमठिइए परिवसइ 5 / से णं तत्थ चउराहं सामाणिसाहस्सीणं जाव रायहाणी विनेयव्वा, मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणं अराणमि जम्बुद्दीवे दीवे त्ति 6 // सूत्रं 78 // से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ हेमवए वासे 2 ?, गोत्रमा ! चुलहिमवंतमहाहिमवंतेहिं वासहरपव्वएहिं दुहयो समवगूढे णिच्चं हेमं दलइ पिच्चं हेमं दलइत्ता णिच्चं हेमं पगासइ हेमवए अ इत्थ देवे महिद्धीए पलिथोवमट्टिइए परिवसइ, से तेणटेणं गोत्रमा! एवं वुच्चइ हेमवए वासे हेमवए वासे ॥सूत्रं७१ // कहि णं भंते ! जम्बुद्दीवे 2 महाहिमवंते णामं वासहरपव्वए पराणत्ते?, गोयमा ! हरिवासस्स दाहिणेणं हेमवयरस वासस्स उत्तरेणं पुरस्थिमलवणसमुदस्स पञ्चत्थिमेणं पचत्थिम-लवणसमुदस्स पुरथिमेणं, एत्थ णं जम्बुद्दीवे दीवे महाहिमवंते णामं वासहरपव्वए पराणत्ते 1 / पाईणपडीणायए उदीणदाहिणविच्छिण्णे पलियंकसंठाणसंठिए दुहा लवणसमुह पुढे पुरस्थिमिलाए कोडीए जाव पुढे पञ्चस्थिमिल्लाए कोडीए पचत्थिमिल्लं लवणसमुह पुढे दो जोत्रणसयाई उद्धं उच्चत्तेणं पराणासं जोषणाई उव्वेहेणं चत्तारि जोअणसहस्साई दोरिण अ दसुत्तरे जोअणसए दस य एगणवीसइभाए जोपणस्स विक्खंभेणं 2 / तस्स बाहा पुरस्थिमपञ्चत्थिमेणं णव जोत्रणसहस्साई दोरिण श्र छावत्तरे जोत्रणसए णव य एगुण Page #127 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 100 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विमागा वीसइभाए जोत्रणस्स अद्धभागं च आयामेणं, तस्स जीवा उत्तरेणं पाईणपडीणायया दुहा लवणसमुद्द पुट्ठा पुरथिमिल्लाए कोडीए पुरस्थिमिल्लं लवणसमुदं पुट्ठा पचत्थिमिल्लाए जाव पुट्टा तेवगणं जोत्रणसहस्साई नव य एगतीसे जोत्रणसए छच एगृणवीसइभाए जोश्रणस्स किंचिविसेसाहिए थायामेणं 3 / तस्स धणु दाहिणेणं सत्तावरणं जोत्रणसहस्साई दोगिण अ तेणउए जोत्रणसए दस य एगणवीसइभाए जोत्रणस्स परिक्खेवणं, रुअगसंठाणसंठिए सव्वरयणामए अच्छे उभो पासिं दोहिं पउमवरवेइब्राहिं दोहि श्रवणसंडेहिं संपरिक्खित्ते 4 / महाहिमवंतस्स णं वासहरपव्वयस्स उप्पिं बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पराणत्ते, जाव णाणाविहपंचवराणेहिं मणीहि अ तणेहि श्र उवसोभिए जाव श्रासयंति सयंति य 5 // सूत्रं 80 // महाहिमवंतस्स णं बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं एगे महापउमदहे णामं दहे पराणत्ते, दो जोत्रणसहस्साई अायामेणं एगं जोत्रणसहस्सं विक्वंभेणं दस जोत्रणाई उध्वेहेणं अच्छे स्ययामयकूले एवं अायामविक्खंभविहूणा जा चेव पउमदहस्स वत्तव्वया सा चेव णे अव्वा 1 / पउमप्पमाणं दो जोडणाई अटो जाव महापउमदह. वरणाभाई हिरी श्र इत्थ देवी जाव पलिअोवमट्ठिया परिवसइ, से एएणटेणं गोत्रमा ! एवं वुच्चइ, अदुत्तरं च णं गोत्रमा ! महापउमदहस्स सासए णामधिज्जे पराणत्ते जंण कयाइ णासी 3, 2 / तस्स णं महापउमदहस्स दक्खिणिल्लेणं तोरणेणं रोहिश्रा महाणई पबूढा समाणी सोलस पंचुत्तरे जोअणसए पंच य एगूणवीसइभाए जोत्रणस्स दाहिणाभिमुही पव्वएणं गंता महया घडमुहपवित्तिएणं मुत्तावलिहारसंठिएणं साइरेगदोजोपणसइएणं पवाएणं पवडइ 3 / रोहिया णं महाणई जयो पवडइ एत्थ णं महं एगा जिब्भिया पराणत्ता, साणं जिभिया जोत्रणं पाया. मेणं अद्धतेरसजोषणाई विक्खंभेणं कोसं बाहल्लेणं मगरमुह-विउट्ठ-संगण Page #128 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्गसूत्र : चतुर्थो वक्षस्कारः ) [101 संठिया सव्ववइरामई अच्छा 4 / रोहिया णं महाणई जहिं पवडइ एत्थ णं महं एगे रोहिअप्पवायकुंडे णामं कुडे पराणत्ते सवीसं जोत्रणसयं अायामविक्खंभेणं पराणत्तं तिगिण असीए जोत्रणसए किंचिविसेसूणे परिक्खेवेणं दस जोश्रणाई उव्वेहेणं अच्छे सराहे सो चेव वराणश्रो, वइरतले व? समतीरे जाव तोरणा 5 / तस्स णं रोहिअप्पवायकुसडस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महं एगे रोहिश्रदीवे णामं दीवे पराणत्ते, सोलस जोषणाई थायामविक्खंभेणं साइरेगाई पराणासं जोषणाई परिक्खेवेणं दो कोसे ऊसिए जलंतागो सव्ववइरामए अच्छे 6 / से णं एगाए पउमवरवेइयाए एगेण य वणसंडेणं सव्वो समंता संपरिक्खित्ते 7 / रोहिअदीवस्स णं दीवस्स उप्पिं बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पराणत्ते, तस्स णं बहुसमरमणिज्जस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महं एगे भवणे पराणत्ते, कोसं थायामेणं सेसं तं चेव पमाणं च अट्ठो अ भाणियब्बो 8 / तस्स णं रोहिअप्पवायकुराडस्स दक्खिणिल्लेणं तोरणेणं रोहिया महाणई पबूढा समाणी हेमवयं वासं एज्जेमाणी 2 सद्दावइ-बट्टवेयद्धपव्वयं श्रद्धजोत्रणेणं असंपत्ता पुरस्थाभिमुही श्रावत्ता समाणी हेमवयं वासं दुहा विभयमाणी 2 अट्ठावीसाए सलिलासहस्सेहिं समग्गा अहे जगई दालइत्ता पुरथिमेणं लवणसमुह समप्पेइ रोहिश्रा णं जहा रोहिअंसा तहा पवाहे श्र मुहे अ भाणिग्रव्वा इति जाव संपरिक्खित्ता 1 / तस्स | महापउमदहस्स उत्तरिल्लेणं तोरणेणं हरिकता महाणई पबूढा समाणी सोलस पंचुत्तरे जोश्रणसए पंच य एगूणवीसइभाए जोयणस्स उत्तराभिमुही पव्वएणं गंता महया घडमुहपवित्तिएणं मुत्तावलिहारसंठिएणं साइरेगदुजोत्रणसइएणं पवाएणं पवडइ 10 / हरिकता महाणई जो पवडइ एस्थ णं महं एगा जिब्भिया पराणत्ता, दो जोयणाई आयामेणं पणवीसं जोषणाई विक्खंभेणं श्रद्धं जोत्रणं बाहल्लेणं मगरमुह-विउट्ठ-संठाणसंठिया सव्ववइरा(रयणा)मई Page #129 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 102 ] [श्रीमदागमसुधासिन्धुः सप्तमो विभागः अच्छा 11 / हरिकता णं महाणई जहिं पवडइ एत्थ णं महं एगे हरिकंतप्पवायकुडे णामं कुडे पराणत्ते दोगिण अ चत्ताले जोत्रणसए अायामविक्खंभेणं सत्ताउण? जोयणसए परिक्खेवेणं अच्छे 12 / एवं कुराडवत्तव्वया सव्या नेयम्बा जाव तोरणा, तस्स णं हरिकंतप्पवायकुराडस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महं एगे हरिकंतदीवे णामं दीवे पराणत्ते बत्तीस जोशणाई यायामविक्खंभेणं एगुत्तरं जोयणसयं परिक्खेवेणं दो कोसे असिए जलंताश्रो सब्बरयणामए अच्छे 13 / से णं एगाए पउमवरवेझ्याए एगेण य वणसंडेणं जाव संपरिक्खित्ते वगणयो भाणियन्वो, पमाणं च सयणिज्ज च अट्ठो श्र भाणिश्रव्वो 14 / तस्स णं हरिकंतप्पवायकुण्डस्स उत्तरिल्लेणं तोरणेणं जाव पवूढा समाणी हरिवरसं वासं एज्जेमाणी 2 विवडावाई वट्टवेअद्धं जोत्रोणं असंपत्ता पञ्चत्थिमाभिमुही श्रावत्ता समाणी हरिवासं दुहा विभयमाणी 2 छप्पराणाए सलिलासहस्सेहिं समग्गा अहे जगई दालइत्ता पञ्चत्थिमेणं लवणसमुद्द समप्पेइ 15 / हरिकंता णं महाणई पवहे पणवीसं जोषणाई विक्खंभेणं श्रद्धजोत्रणं उव्वेहेणं तयणंतरं च णं मायाए 2 परिवद्धमाणी 2 मुहमूले श्रद्धाइजाई जोणसयाई विक्खंभेणं पंच जोत्रणाई उव्वेहेणं, उभो पासिं दोहिं पउमवरवेइब्राहिं दोहि अ वणसंडेहिं संपरिक्खित्ता 16 // सूत्रं 81 / / महाहिमवंते णं भंते ! वासहरपवए कइ कूडा पराणत्ता ?, गोयमा ! अट्ट कूडा पराणत्ता, तंजहा-सिद्धाययणकूडे 1 महाहिमवंतकूडे 2 हेमवयकूडे 3 रोहिअकूडे 4 हिरिकूडे 5 हरिकंतकूडे 6 हरिखासकूडे 7 वेरुलित्रकूडे 8, 1 / एवं चुल्लहिमवंतकूडाणं जा चेव वत्तव्वया सच्चेव णेब्वा 2 / से केणटेणं भंते ! एवं उच्चइ महाहिमवंते वासहरपब्वए 2 ?, गोत्रमा ! महाहिमवंते णं वासहरपबए चुल्लहिमवंतं वासहरपब्वयं पणिहाय पायामुच्चतुव्वेह-विक्खंभपरिक्खेवेणं महंततराए चेव दीहतराए चेव, महाहिमवते अ Page #130 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्र :: चतुर्थो वक्षस्कारः ] [103 इत्थ देवे महिद्धीए जाव पलिग्रोवमट्टिइए परिवसइ 3 // सूत्रं 82 // कहि णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे हरिवासे णामं वासे पराणते ?, गोयमा ! णिसहस्स वासहरपव्वयस्स दक्खिणेणं महाहिमवंत-वासहरपव्वयस्स उत्तरेणं पुरस्थिमलवणसमुदस्स पचत्थिमेणं पचत्थिमलवणसमुदस्स पुरत्थिमेणं एत्थ णं जंबुद्दीवे 2 हरिवासे णाम वासे पराणत्ते एवं जाव पचत्थिमिलाए कोडीए पञ्चस्थिमिल्लं लवणसमुद्दपुढे अट्ठ जोगणसहस्साई चत्तारि अ एगवीसे जोग्रणसए एगं च एगूणवीसइभागं जोश्रणस्स विक्खंभेणं 1 / तस्स वाहा पुरथिमपञ्चत्थिमेणं तेरस जोत्रणसहस्साई तिरिण अ एगस? जोश्रणसए छच एगूणवीसइभाए जोत्रणस्स अद्धभागं च थायामेणं 2 / तस्स जीवा उत्तरेणं पाईणपडीणायया दुहा लवणसमुद्दपुट्ठा पुरथिमिलाए कोडीए पुरथिमिल्लं जाव लवणसमुह पुट्ठा तेवत्तरि जोपणसहस्साई णव य एगुत्तरे जोपणसए सत्तरस य एगणवीसइभाए जोश्रणस्स अद्धभागं व थायामेणं 3 / तस्स धणु दाहिणेणं चउरासीइं जोअणसहस्साइं सोलस जोयणाई चत्तारि एगूणवीसइभाए जोगुणस्स परिक्खेवेणं 4 / हरिवासस्स णं भंते ! वासस्स केरिसए श्रागारभावपडोबारे पराणत्ते ?, गोत्रमा ! बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पराणत्ते जाव मणीहिं तणेहि अ उवसोभिए एवं मणीणं तणाण य वरणो गंधो फासो सद्दो भाणिश्रव्यो 5 / हरिवासे णं तत्थ तत्थ देसे तहिं तहिं बहवे खुड्डा खुड्डियायो एवं जो सुसमाए अणुभावो सो चेव अपरिसेसो वत्तव्योति 6 / कहि णं भंते ! हरिवासे वासे विवडावई णामं वट्टवेयुद्धपव्वए पराणते ?, गोयमा ! हरीए महाणईए पचत्थिमेणं हरिकताए महाणईए पुरथिमेणं हरिवासस्स 2 बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं विश्रडावई णामं वट्टवेअद्धपव्वए पराणत्ते 7 / एवं जो चेव सदावइस्स विक्खंभुच्चत्तुव्वेह-परिक्खेवसंठाण-वराणावासो श्र सो चेव विश्रडावइस्सवि भाणिव्वो , णवरं अरुणो देवो पउमाई जाव Page #131 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 104 ] . [ श्रीमदागमसुधासिन्धु / सप्तमो विभागः विश्रडावइवण्णाभाई अरुणे अ इत्थ देवे महिद्धीए एवं जाव दाहिणेणं रायहाणी अव्वा 8 / से केण?णं भंते ! एवं बुच्चइ-हरिवासे हरिवासे ?, गोग्रमा ! हरिवासे णं वासे मणुथा अरुणा अरुणोभासा सेया णं संखदलसरािणकासा हरिखासे अ इत्थ देवे महिद्धीए जाव पलिग्रोवमट्टिईए परिवसइ, से तेण?णं गोत्रमा ! एवं वुचइ हरिवासे 2, 1 // सूत्रं 83 // कहि णं भंते ! जंबुद्दीवे 2 णिसहे णामं वासहरपव्वए परागते ?, गोत्रमा ! महाविदेहस्स वासस्स दक्खिणेणं हरिवासस्स उत्तरेणं पुरस्थिमलवणसमुदस्स पञ्चत्थिमेणं पञ्चत्थिमलवणसमुदस्स पुरथिमेणं एत्थ णं जंबुद्दीवे दीवे णिसहे णामं वासहरपव्वए पराणत्ते 1 / पाईणपडीणायए उदीणदाहिणविच्छिराणे दुहा लवणसमुह पुढे पुरथिमिल्लाए जाव पुढे पचस्थिमिल्लाए जाव पुढे, चत्तारि जोयणसयाई उद्धं उच्चत्तेणं चत्तारि गाउअसयाई उव्वेहेणं सोलस जोपणसहस्साइं अट्ठ य बायाले जोत्रणसए दोगिण य एगूणवीसइभाए जोश्रणस्स विक्खंभेणं 2 / तस्स बाहा पुरस्थिमपञ्चस्थिमेणं वीसं जोअणसहस्साई एगं च पणटुंजोश्रणसयं दुरिण अ पगूणवीसइभाए जोत्रणस्स श्रद्धभागं च आयामेणं 3 / तस्स जीवा उत्तरेणं जाव चउणवइं जोअणसहस्साई एगं च छप्पराणं जोमसयं दुरिण अ एगूणवीसइभाए जोत्रणस्स थायामेणं 4 / तस्स धणु दाहिणेणं एगं जोश्रणसयसहस्सं चउवीसं च जोत्रणसहस्साई तिरिण अछायाले जोत्रणसए णव य एगूणवीसइभाए जोत्रणस्स परिक्खेवेणं रुअगसंगणसंठिए सब्बतवणिजमए अच्छे 5 / उभो पासिं दोहिं पउमवरवेइबाहिं दोहि अ वणसंडेहिं जाव संपरिक्खित्ते, णिसहस्स णं वासहरपव्वयस्स उप्पिं बहूसमरमणिज्जे भूमिभागे परणत्ते जाव प्रासयंति सयंति 6 / तस्स णं बहुसमरमणिजस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महं एगे तिगिछिदहे णामं दहे. पराणत्ते 7 / पाईणपडीणायए उदीणदाहिणविच्छिराणे Page #132 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बुद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग त्रं / / चतुर्थो वक्षस्कारः ] [ 105 चत्तारि जोअणसहस्साई आयामेणं दो जोश्रणसहस्साई विक्खंभेणं दस जोषणाई उव्वेहेणं अच्छे सगहे जाव रययामयकूले 8 / तस्स णं तिगिच्छिद्दहस्स चउदिसि चत्तारि तिसोवाणपडिरूवगा पराणत्ता एवं जाव आयामविखंभविहणा जा चेव महापउमदहस्स वत्तव्वया सा चेव तिगिछिद्दहस्सवि वत्तव्वया तं चेव पउमदहप्पमाणं अट्ठो जाव तिगिछिवराणाई 1 / घिई श्र इत्थ देवी पलिग्रोवमट्टिइथा परिवसइ, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ तिगिछिद्दहे तिगिछिदहे 10 // सूत्रं 84 // तस्स णं तिगिछिद्दहस्स दक्खिणिल्लेणं तोरणेणं हरिमहाणई पबूढा समाणी सत्त जोग्रणसहस्साई चत्तारि श्र एकवीसे जोत्रणसए एगं च एगूणवीसइभागं जोत्रणस्स दाहिणाभिमुही पव्वएणं गंता महया घडमुहपवित्तिएणं जाव साइरेगचउजोश्रणसइएणं पवारणं पवडइ 1 / एवं जा चेव हरिकंताए वत्तव्वया सा चेव हरिएवि अव्वा, जिभियाए कुंडस्स दीवस्स भवणस्स तं चेव पमाणं अट्ठोऽवि भाणिवो जाव आहे. जगई दालइत्ता छप्पराणाए सलिलासहस्सेहिं समग्गा पुरत्थिमं लवणसमुह समप्पेइ, तं चेव पवहे अ मुहमूले अपमाणं उव्वेहो अजो हरिकताए जाव वणसंडसंपरिक्खित्ता 2 / तस्स णं तिगिछिद्दहस्स उत्तरिल्लेणं तोरणेणं सीयोथा महाणई पबूढा समाणी सत्त जोश्रणसहस्साई चत्तारि अ एगवीसे जोपणसए एगं च एगूणवीसइभागं जोत्रणस्स उत्तराभिमुही पव्वएणं गंता महया घडमुहपवित्तिएणं जाव साइरेगचउजोत्रणसइएणं पवाएणं पवडइ 3 / सीयोथा णं महाणई जो पवडइ एत्थ णं महं एगा जिभिया पराणत्ता चत्तारि जोषणाई थायामेणं पराणासं जोषणाई विक्खंभेणं जोश्रणं बाहल्लेणं मगरमुह-विउट्ठ-संगणसंठिया सव्ववइरामई अच्छा 4 / सीथोथा णं महाणई जहिं पवडइ एस्थ णं महं एगे सीयोअप्पवायकुराडे णामं कुण्डे पराणत्ते चत्तारि असीए जोश्रणसए. पायामविक्खंभेणं पराणरसअट्ठारे जोअणसए किंचिविसे Page #133 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 106 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः सूणे परिक्खेवणं अच्छे, एवं कुडवत्तव्वया णेब्वा जाव तोरणा 5 / तस्स णं सीयोगप्पवायकुराडस्स बहुमझदेसभाए एत्थ णं महं एगे सीयोयदीवे णामं दीवे पराणत्ते चउसढि जोयणाई यायामविक्खंभेणं दोरिण बिउत्तरे जोगुणसए परिक्खेवेणं दो कोसे ऊसिए जलंतायो सव्ववइरामए अच्छे, सेसं तमेव वेड्या-वणसंड-भूमिभाग-भवणसयणिजअट्ठो भाणिअव्वो 6 / तस्स णं सीबोअप्पवायकुराडस्स उत्तरिल्लेणं तोरणेणं सीयोथा महाणई पवूढा समाणी देवकुरु एज्जेमाणा 2 चित्तविचित्तकडे पव्वए निसढदेवकुरु-सूर-सुलस-विज्जुप्पभदहे अ दुहा विभयमाणि 2 चउरासीए सलिला. सहस्सेहिं आपरेमाणी 2 भदसालवणं एज्जेमाणी 2 मंदरं पव्वयं दोहिं जोत्रणेहिं असंपत्ता पचत्थिमाभिमुही यावत्ता समाणी अहे विज्जुप्पों वक्खारपव्वयं दारइत्ता मंदरस्स पव्वयस्स पचत्थिमेणं अवरविदेहं वासं दुहा विभयमाणी 2 एगमेगायो चकवट्टिविजयायो अट्ठावीसाए 2 सलिलासहस्सेहिं अापरेमाणी 2 पञ्चहिं सलिलासयसहस्सेहिं . दुतीसाए श्र सलिलासहस्सेहि समग्गा अहे जयंतस्स दारगस्स जगई दालइत्ता पञ्चत्थिमेणं लवणसमुह समप्पेति 7 / सीपोत्रा णं महाणई पवहे पराणासं जोषणाई विक्खंभेणं जोयणं उब्बेहेणं, तयणंतरं च णं मायाए 2 परिवद्धमाणी 2 मुहमूले पञ्च जोत्रणसयाई विक्खंभेणं दस जोषणाई उध्वेहेणं उभयो पासिं दोहिं पउमवरवेइयाहिं दोहि अ वणसंडेहिं संपरिक्खित्ता 8 | णिसढे णं भंते ! वासहरपब्बए णं कति कूडा पराणत्ता ?, गोयमा ! णव कूडा पराणत्ता, तंजहा-सिद्धाययणकडे 1 णिसढकूडे 2 हरिवासकडे 3 पुव्वविदेहकूडे 4 हरिकुडे 5 धिईकूडे 6 सीयोग्राकूडे 7 अवरविदेहकूडे 8 रुअगाडे 1 जो चेव चुल्लहिमवंतकूडाणं उच्चत्तविक्खंभपरिक्खेवो पुव्वं वरिणथो रायहाणी अ सच्चेव इहंपि णेवा 1 / से केणतुणं भंते ! एवं बुच्चइ णिसहे वासहरपव्वए 2 ?, गोत्रमा ! णिसहे Page #134 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीपज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्र :: चतुर्थो वक्षस्कार : ) [ 107 णं वासहरपव्वए बहवे कूडा णिसहसंठाणसंठिया उसभसंठाणसंठिया, णिसहे अ इत्थ देवे महिद्धीए जाव पलिग्रोवमठिइए परिवसइ, से तेण?णं गोमा ! एवं वुच्चइ णिसहे वासहरपव्वए 2, 10 // सूत्रं 85 // कहि णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे महाविदेहे णामं वासे पराणत्ते ?, गोत्रमा ! णीलवंतस्स वासहरपब्वयस्स दक्खिणेणं णिसहस्स वासहरपव्वयस्स उत्तरेणं पुरस्थिम-लवणसमुदस्स पचत्थिमेणं पचत्थिम-लवणसमुदस्स पुरथिमेणं एत्थ णं जंबुदीवे 2 महाविदेहे णामं वासे पराणत्ते 1 / पाईणपडीणायए उदीणदाहिणविच्छिराणे पलिअंक-संठाणसंठिए दुहा लवणसमुद्दपुढे पुरस्थिम जाव पुढे पचत्थिमिल्लाए कोडीए पञ्चस्थिमिल्लं जाव पुढे तित्तीसं जोयणसहस्साई छच्च चुलसीए .जोश्रणसए चत्तारि अ एगणवीसइभाए जोत्रणस्स विक्खंभेणंति 2 / तस्स बाहा पुरथिमपञ्चत्थिमेणं तेत्तीसं जोअणसहस्साई सत्त य सत्तस? जोयणसए सत्त य एगूणवीसइभाए जोगुणस्स थायामेणंति 3 / तस्स जीवा बहुमभदेसभाए पाईणपडीणायया दुहा लवणसमुद्दपुट्ठा पुरस्थिमिल्लाए कोडीए पुरथिमिल्लं जाव पुट्ठा एवं पञ्चस्थिमिल्लाए जाव पुटा, एगं जोयणसयसहस्सं थायामेणंति 4 / तस्स धणु उभो पासिं उत्तरदाहिणेणं एगं जोयणसयसहस्सं अट्ठावरणं जोश्रणसहस्साई एगं च तेरसु. त्तरं जोत्रणसयं सोलस य एगणवीसइभागे जोयणस्स किंत्रिविसेसाहिए परिक्खेवेणंति 5 / महाविदेहे णं वासे चउबिहे चउप्पडोबारे पराणत्ते, तंजहा-पुव्वविदेहे 1 अवरविदेहे 2 देवकुरा 3 उत्तरकुरा 4, 6 / महा. विदेहस्स णं भंते ! वासस्स केरिसए श्रागारभावपडोबारे पराणते ?, गोमा ! बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पराणत्ते जाव कित्तिमेहिं चेव अकित्तिमेहिं चेव 7 / महाविदेहे णं भंते ! वासे मणुयाणं केरिसए अायारभावपडोबारे पराणते ?, तेसि णं मणुयाणं छबिहे संघयणे छविहे संगणे पंचधणुसयाई उद्धं उच्चत्तेणं जहरणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं पुव्व Page #135 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 108 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः सप्तमो विभागः कोडीग्राउग्रं पालेंति पालेता अप्पेगइथा णिरयगामी जाव अप्पेगइया सिझति जाव अंतं करेंति 8 / से केण?णं भंते ! एवं बुच्चइ-महाविदेहे वासे 2 ?, गोत्रमा ! महाविदेहे णं वासे भरहेरवय-हेमवय-हेरगणवय-हरि. वास-रम्मगवासेहितो आयाम-विक्संभ संगणपरिणाहेणं विच्छिण्णतराए चेव विपुलतराए चेव महंततराए चेव सुप्पमाणतराए चेव महाविदेहा य इत्थ मणूसा परिवसंति, महाविदेहे अ इस्थ देवे महिद्धीए जाव पलिग्रोवमट्टिइए परिवसइ, से तेण?णं गोत्रमा ! एवं वुच्चइ-महाविदेहे वासे 2, अदुत्तरं च णं गोत्रमा / महाविदेहरस वासस्स सासए णामधेज्जे पराणत्ते, जंण कयाइ णासि 3, 1 // सूत्रं 86 // कहि णं भंते ! महाविदेहे वासे गंधमायणे णामं वक्खारपव्वए पराणत्ते ?, गोत्रमा ! णीलवंतस्स वासहरपव्वयस्स दाहिणेणं मंदरस्स पब्वयस्स उत्तरपञ्चत्थिमेणं गंधिलावइस्स विजयस्स पुरच्छिमेणं उत्तरकुराए पचत्थिमेणं एस्थ णं महाविदेहे वासे गंधमायणे णामं वक्खारपव्वए पराणत्ते उत्तरदाहिणायए पाईणपडीणविच्छिराणे तीसं जोअणसहस्साइं दुरिण श्र णउत्तरे जोत्रणसए छच्च य एगणवीसइभाए जोश्रणस्स आयामेणं णीलवंतवासहरपब्वयंतेणं चत्तारि जोअणसयाई उद्धं उच्चत्तेणं चत्तारि गाउअसयाई उव्वेहेणं पंच जोश्रणसयाई विक्खंभेणं तयणंतरं च णं मायाए 2 उस्सेहुव्वेहपरिवद्धीए परिवद्धमाणे 2 विक्खंभपरिहाणीए परिहायमाणे 2 मंदरपव्वयंतेणं पंच जोत्रणसयाई उद्धं उच्चत्तेणं पंच गाउअसयाई उव्वेहेणं अंगुलस्स असंखिजइभागं विक्खंभेणं पराणत्ते गयदंतसंठाणसंठिए सव्वरयणामए अच्छे 1 / उभयो पासिं दोहिं पउमवरवेइग्राहिं दोहि अवगासंडेहिं सव्वश्रो समंता संपरिक्खित्ते, गंधमायणस्स णं वक्खारपव्ययस्स उप्पिं बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे जाव श्रासयंति 2 / गंधमायणे णं वक्खारपव्वए कति कूडा पराणत्ता ?, गोयमा! सत्त कूडा पन्नत्ता, तंजहा-सिद्धाययणकूडे 1 गंध Page #136 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्रं चतुर्थो वक्षस्कारः ] [ 109 मायणकूडे 2 गंधिलावईकूडे 3 उत्तरकूरुकुडे 4 फलिहकूडे 5 लोहियक्खकूड़े 6 पाणंदकूडे 7, 3 / कहि णं भंते ! गंधमायणे क्क्खारपब्वए सिद्धाययणकूडे णामं कूडे पराणते ?, गोत्रमा ! मंदरस्स पञ्चयस्स उत्तरपञ्चत्थिमेणं गंधमायणकूडस्स दाहिणपुरस्थिमेणं, एत्थ णं गंधमायणे वक्खारपव्वए सिद्धाययणकडे णामं कूडे पराणत्ते, जं चेव चुल्लहिमवंते सिद्धाययणकूडस्स पमाणं तं चेव एएसि सव्वेसिं भाणिश्रव्वं 4 / एवं चेव विदिसाहिं तिरािण कूडा भाणियव्वा, चउत्थे ततिअस्स उत्तरपञ्चत्थिमेणं पंचमस्स दाहिणेणं, सेसा उ उत्तरदाहिणेणं, फलिहलोहिअक्खेसु भोगंकरभोगवईयो देवयायो सेसेसु सरिसणाम्या देवा, छसुवि पासायवडेंसगा रायहाणीयो विदिसासु 5 / से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ गंधमायणे वक्खारपव्वए 2 ?, गोयमा ! गंधमायणस्स णं वक्खारपव्वयस्स गंधे से जहा णामए कोट्टपुडाण वा जाव पीसिन्जमाणाण वा उकिरिजमाणाण वा विकिरिजमाणाण वा परिभुजमाणाण वा जाव पोराला मणुगणा जाव गंधा अभिणिस्सवन्ति, भवे एप्रारूवे ?, णो इण? समढे, गंधमायणस्स णं इत्तो इट्टतराए चेव जाव गंधे पराणत्ते से एएणतुणं गोत्रमा ! एवं वुच्चइ गंधमायणे वक्खारपव्वए 2, 1 / गंधमायणे श्र इत्थ देवे महिद्धीए परिवसइ, अदुत्तरं च णं सासए णामधिज्जे इति 6 // सूत्रं 87 // कहि णं भंते ! महाविदेहे वासे उत्तरकुरा णामं कुरा पण्णत्ता, गोयमा ! मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरेणं णीलवंतस्स वासहरपव्वयस्स दक्खिणेणं गंधमायणस्स वक्खारपवयस्स पुरथिमेणं मालवंतस्स वक्खारपव्वयस्स पञ्चत्थिमेणं एत्थ णं उत्तरकुरा णामं कुरा पराणत्ता पाईणपडीणायया उदीण-दाहिणविच्छिण्णा श्रद्धचंद-संगणसंठिया इक्कारस जोश्रणसहस्साई अट्ठ य बायाले जोश्रणसए दोगिण अ एगूणवीसइभाए जोत्रणस्स विक्खंभेणंति 1 / तीसे जीवा उत्तरेणं पाईणपडीणायया दुहा वक्खारपव्वयं पुट्ठा, तंजहा-पुरथिमिलाए Page #137 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 110 ] / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः कोडीए.पुरथिमिल्लं वक्खारपव्वयं पुट्टा, एवं पञ्चस्थिमिल्लाए जाव पचत्थिमिल्लं वक्खारपव्वयं पुट्ठा 2 / तेवराणं जोत्रणसहस्साइं थायामेणंति तीसे णं धणु दाहिणेणं सढि जोश्रणसहस्साइं चत्तारि अ अट्ठारसे जोपणसए दुवालस य एगूणवीसइभाए जोत्रणरस परिक्खेवेणं 3 / उत्तरकुराए णं भंते ! कुराए केरिसए श्रायारभावपडोबारे पराणत्ते ?, गोयमा ! बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पसणत्ते, एवं पुव्ववरिणया जच्चेव सुसमसुसमावत्तवव्या सच्चेव णेयव्वा जाव पउमगंधा 1 मित्रगंधा 2 अममा 3 सहा 4 तेतली 5 सणिचारी 6,4 // सूत्रं८८ // कहि णं भंते ! उत्तरकुराए जमगाणामं दुवे पव्वया पराणत्ता ?, गोत्रमा ! णीलवंतस्स वासहरपव्वयस्स दक्खिणिलायो चरिमंतायो अट्टजोगुणसए चोत्तीसे चत्तारि अ सत्तभाए जोत्रणस्स अबाहाए सीअाए महाणईए उभयो कूले एत्थ णं जमगाणामं दुवे पव्वया पराणत्ता, जोत्रणसहस्सं उट्ट उच्चत्तेणं अड्डाइजाइं जोयणसयाई उव्वेहेणं मूने एगं जोश्रणसहस्सं थायामविक्खंभेणं मज्झे अद्धट्टमाणि जोपणसयाई अायामविक्खंभेणं उवरिं पंच जोत्रणसयाई अायामविक्खंभेणं मूले तिरिगा जोग्रणसहस्साई एगं च वावट्ठ जोगुणसयं किंचिविसेसाहियं परिम्खेवेणं मज्झे दो जोत्रणसहस्साई तिमिण बावत्तरे जोश्रणसए किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं उवरि एगं जोत्रणसहस्सं पंच य एकासीए जोयणसए किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं मूले विच्छिण्णा मज्झे संखित्ता उप्पिं तणुया जमगसंगणसंठिया सव्वकणगामया अच्छा सराहा १।पत्तेयं 2 पउमवरवेइयापरिक्खित्ता पत्तेयं 2 वणसंडपरिक्खित्ता, तायो णं पउमवरवेइयायो दो गाऊयाई उद्धं उच्चत्तेणं पंच धणुसयाई विक्खंभेणं, वेइश्रावणसराडवराणो भाणियब्बो 2 / तेसि णं जमगपन्वयाणं उप्पिं बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पराणत्ते, जाव तस्स णं बहुसमरमणिजस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं दुवे पासायवडेंसगा पराणत्ता, ते णं पासायवडेंसगा बावट्टि जोगणाई श्रद्धजोत्रणं च उद्धं उच्चत्तेणं इकतीसं जोषणाई कोसं Page #138 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्रं :: चतुर्थो वक्षस्कारः ] [ 111 च आयामविक्खंभेणं पासायवराणो भाणिवो 3 / सीहासणा सपरिवारा जाव एत्थ | जमगाणं देवाणं सोलसराहं पायरक्खदेवसाहस्सीणं सोलस भदासणसाहस्सीयो पराणत्तायो 4 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ जमगा पव्वया 21, गोत्रमा ! जमगपव्वएसु णं तत्थ 2 देसे 2 तहिं 2 वहवे खुड्डाखुड्डियासु वावीसु जाव बिलपंतियासु बहवे उप्पलाई जाव जमगवराणाभाई जमगा य इत्थ दुवे देवा महिद्धीया, ते णं तत्थ चउराहं सामाणिसाहस्सीणं जाव भुजमाणा विहरंति, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुचइ-जमगपव्वया 2, अदुत्तरं च णं सासए णामधिज्जे जाव जमगपव्वया 2, 5 / कहि णं भंते ! जमगाणं देवाणं जमिगायो रायहाणीयो पराणत्तायो ?, गोत्रमा ! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरेणं अरणमि जंबुद्दीवे 2 बारस जोत्रणसहस्साई श्रोगाहित्ता एत्थ णं जमगाणं देवाणं जमिगायो रायहाणीयो पराणत्तात्रो बारस जोश्रणसहस्साइं पायामविक्खंभेणं सत्तत्तीसं जोश्रणसहस्साई णव य अडयाले जोत्रणसए किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं, पत्ते 2 पायारपरिक्खित्ता 6 / ते णं पागारा सत्तत्तीसं जोगणाई श्रद्धजोगणं च उद्धं उच्चत्तेणं मूले श्रद्धत्तेरस जोषणाई विक्खंभेणं मज्मे छ सकोसाइं जोषणाई विक्खंभेणं उवरि तिरिण सश्रद्धकोसाई जोगणाई विक्खंभेणं मूले विच्छिण्णा मज्झे संखित्ता उप्पिं तणुश्रा बाहिं वट्टा यंतो चउरंसा सव्वरयणामया अच्छा 7 / ते णं पागारा णाणमणिपंचवराणेहिं कविसीसएहिं उवसोहिश्रा, तंजहा-किरहेहिं जाव सुकिल्लेहि, ते णं कविसीसगा श्रद्धकोसं थायामेणं देसूणं श्रद्धकोसं उद्धं उच्चत्तेणं पंच धणुसयाई बाहल्लेणं सव्वमणिमया अच्छा 8 / जमिगाणं रायहाणीणं एगमेगाए बाहाए पणवीसं पणवीसं दारसयं पराणत्तं, ते णं दारा बावडिं जोगुणाई श्रद्धजोअणं च उद्धं उच्चत्तेणं इकतीसं जोषणाई कोसं च विक्खं. भेणं तावइयं चेव पवेसेणं, सेवा वरकणगथूभित्रागा एवं रायप्पसेणइज Page #139 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 112 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः विमाणवत्तव्वयाए दारवराणयो जाव अट्ठमंगलगाइंति 1 / जमियाणं रायहाणीणं चउदिसिं पंचपंच जोत्रणसए अबाहाए चत्तारि वणसराडा पराणत्ता, तंजहा-असोगवणे 1 सत्तिवराणवणे 2 चंपगवणे२ चूरवणे 4, ते णं वणसंडा साइरेगाई बारसजोत्रणसहस्साई थायामेणं पंच जोग्रणसयाई विक्खंभेणं पत्तेयं 2 पागारपरिक्खिता किराहा वणसंडवगणयो भूमो यो पासायवडेंसगा य भाणिया 10 / जमिगाणं रायहाणीणं अंतो बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पण्णत्ते वरणगोत्ति, तेसि णं बहुसमरमणिजाणं भूमिभागाणं बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं दुवे उपयारियालयणा पराणत्ता, बारस जोत्रणसयाई अायामविक्खंभेणं तिरिण जोपणसहस्साई सत्त य पंचाणउए जोअणसए परिक्खेवेणं अद्धकोसं च बाहल्लेणं सव्वजंबणयामया अच्छा 11 / पते पत्तेयं परमवरवेइभापरिक्खित्ता, पत्तेयं पत्तेयं वणसंडवराणश्रो भाणियब्धा, तिसोवाणपडिरूवगा तोरणा चउदिसि भूमिभागा य भाणिश्रव्वत्ति 12 / तस्स णं बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं एगे पासायव.सए पराणत्ते बावढि जोत्रणाई श्रद्धजोगणं च उद्धं उच्चत्तेणं इकतीसं जोषणाई कोसं च थायामविक्खंभेणं वराणयो उल्लोया भूमिभागा सीहासणा सपरिवारा 13 / एवं पासायपंतीयो, एत्थ पढमापंती से णं पासायवडिंसगे अराणेहिं चउहिं तदद्धच्चत्तपमाणमित्तेहिं पासायब.सएहिं सव्वश्रो समंता संपरिक्खित्ते, एकतीसं जोत्रणाई कोसं च उद्धं उच्चत्तेगां साइरेगाइं अद्धसोलसजोषणाई आयामविक्खंभेणं, बिइअपासायपंती ते णं पासायवडेंसया साइरेगाइं अद्धसोलसजोषणाई उद्धं उच्चत्तेणं साइरेगाइं अट्ठमाई जोत्रणाई अायामविखंभेणं, तइअपासायपंती ते णं पासायवडेंसया साइरेगाइं अट्ठमाई जोगुणाई उद्धं उच्चत्तेणं साइरेगाइं अद्भुटुजोत्रणाई यायामविक्खंभेणं वराणयो सीहासणा सपरिवारा 14 / तेसि णं मूलपासायवडिंसयाणं उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए एत्थ णं जमगाणं देवाणं सहायो Page #140 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्र :: चतुर्थो वक्षस्कारः ] [ 113 सुहम्मायो पराणत्तायो, अद्धतेरस जोषणाई अायामेणं छस्सकोसाइं जोत्रणाई विक्खंभेणं णव जोश्रणाई उद्धं उच्चत्तेणं अणेग-खंभ-सयसरिणविट्ठा सभावराणो 15 / तासिणं सभाणं सुहम्माणं तिदिसि तो दारा पराणत्ता, ते णं दारा दो जोश्रणाई उद्धं उच्चत्तेणं जोत्रणं विक्खंभेणं तावइयं चेव पवेसेणं, सेवा वराणो जाव वणमाला 16 / तेसि णं दाराणं पुरो पत्तेयं 2 तश्रो मुहमंडवा पराणत्ता, ते णं मुहमंडवा अद्धतेरसजोषणाई आयामेणं छस्सकोसाइं जोषणाई विक्खंभेणं साइरेगाई दो जोगणाई उद्धं उच्चत्तेणं जाव दारा भूमिभागा यत्ति 17 / पेच्छाघरमंडवाणं तं चेव पमाणं भूमिभागो मणिपेटिबायोत्ति, तायो णं मणिपेढियायो जोत्रणं अायामविकावंभेणं अद्धजोत्रणं बाहल्लेणं सव्वमणिमईया सीहासणा भाणिअव्वा 18 / तेसि णं पेच्छाघरमंडवाणं पुरो भणिपेढियायो पराणत्तायो, तायो णं मणिपेढियायो दो जोषणाई यायामविक्खंभेणं जोश्रणं बाहल्लेणं सव्वमणिमईयो 11 / तासिणं उप्पिं पत्तयं 2 तो थूभा, ते णं थूमा दो जोषणाई उद्धं उच्चत्तेणं दो जोत्रणाई यायामविक्खंभेणं सेवा संखतल जाव अट्ठमंगलया 20 / तेसि णं थूभाणं चउदिसिं चत्तारि मणिपेढियायो परणत्तात्रो, ताश्रो णं मणिपेटियागो जोत्रणं अायामविक्खंभेणं श्रद्धजोश्रणं बाहल्लेणं जिणपडिमायो वत्तव्वाश्रो, चेअरुक्खाणं मणिपेढियायो दो जोषणाई आयामविक्खंभेणं जोग्रणं बाहल्लेणं चेइअरुक्खवराणोत्ति 21 / तेसि ण चेइअरुक्खाणं पुरो तारो मणिपेढिायो पराणत्तायो, तात्रो णं मणिपेढियायो जोयणं थायामविक्खंभेणं श्रद्धजोत्रणं बाहल्लेणं 22 / तासि णं उप्पिं पत्तेयं 2 महिंदज्झया पराणत्ता, ते णं अट्ठमाइं जोषणाई उद्धं उच्चत्तेणं श्रद्धकोसं उव्वेहेणं अद्धकोसं बाहल्लेणं वइरामयवट्ट वगणो वेइग्रावणसंडतिसोवागातोरणा य भाणिश्रव्वा 23 / तासि णं सभाणं Page #141 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 114] : [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः सप्तमो विभागः सुहम्माणं छच्चमणोगुलियांसाहस्सीयो पराणत्तायो, तंजहा-पुरस्थिमेणं दो साहस्सीयो पराणत्तायो पचत्थिमेणं दो साहस्सीयो दक्खिणेणं एगा साहस्सी उत्तरेणं एगा जाव दामा चिट्ठतित्ति, एवं गोमाणसिबायो, णवरं धूवघडियाश्रोत्ति 24 / तासि णं सुहम्माणं सभाणं अंतो बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पराणत्ते, मणिपेढिया दो जोषणाई श्रायामविक्खंभेणं जोयणं बाहल्लेणं, तासि णं मणिपेढियाणं उप्पिं माणवए चेइअखंभे महिंदज्झयप्पमाणे उवरि छक्कोसे योगाहित्ता हेढा छक्कोसे वजित्ता जिणसकहाश्रो पराणत्तात्रोत्ति 25 / माणवगस्स पुवेणं सीहासणा सपरिवारा पञ्चस्थिमेणं सयणिजवरणश्रो 26 / सयणिजाणं उत्तरपुरस्थिमे दिसिभाए खुड्डगमहिंदज्झया मणिपेढिश्राविहूणा महिंदज्मयप्पमाणा, तेसिं अवरेणं चोप्फाला पहरणकोसा, तत्थ णं बहवे फलिहरयणपामुक्खा जाव चिट्ठति 27 / सुहम्माणं उप्पिं अट्टमंगलगा, तासि णं उत्तरपुरथिमेणं सिद्धाययणा एस चेव जिणघराणवि गमोत्ति, गवरं इमं णाणत्तं-एतेसिं णं बहुमज्झदेसभाए पत्तेयं 2 मणिपेढियायो दो जोत्रणाई अायामविक्खंभेणं जोत्रणं बाहल्लेणं 28 | तासि उप्पिं पत्तेनं 2 देवच्छंदया पराणत्ता, दो जोषणाई थायामविक्खंभेणं साइरेगाई दो जोत्रणाई उद्धं उच्चत्तेणं सम्बरयणामया 21 / जिणपडिमा वरणथो जाव धूवकडच्छुगा, एवं श्रवसेसाणवि सभाणं जाव उववायसभाए सयणिज्जं हरयो अ अभिसेसभाए बहु थाभिसेक्के भंडे, अलंकारियसभाए बहु अलंकारिअभंडे चिटइ, ववसायसभासु पुत्थयरयणा, गंदा पुक्खरिणीयो, बलिपेढा सव्वरयणामया, दो जोषणाई आयामविक्खंभेणं जोत्रणं बाहल्लेणं जावत्ति 30 / उबवायो संकप्पो अभिसेत्र विहसणा य ववसायो। अच्चणिय सुधम्मगमो जहा य परिवारणा इद्धी // 1 // जावइयंमि पमाणमि इंति जमगाओ.णीलवंतायो / तावइअमंतरं खलु जमगदहाणं दहाणं च // 2 // सूत्रं 81 // Page #142 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूदीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्रं / / चतुर्थो वक्षस्कारः ] [ 115 कहि णं भंते ! उत्तरकूराए णीलवंतहहे णाम दहे. पराणते ?, गोत्रमा ! जमगाणं दक्खिणिल्लायो चरिमंतायो अट्ठसए चोत्तीसे चत्तारि अ सत्तभाए जोत्रणस्स' अबाहाए सीआए महाणईए बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं णीलवंतदहे णामं दहे पराणत्ते दाहिणउत्तरायए पाईणपडीणविच्छिराणे जहेव पउमदहे तहेव वराणो णेअव्वो, णाणत्तं दोहिं पउमवरवेइबाहिं दोहि य वणसंडेहिं संपरिक्खित्ते 1 / णीलवंते णामं णागकुमारे देवे सेसं तं चेव णेशवं, णीलवंतदहस्स पुव्वावरे पासे दस 2 जोषणाई अबाहाए एत्थ णं वीसं कंचणगपव्वया पराणत्ता 2 / एगं जोयणसयं उद्धं उच्चत्तेणंमूलंमि जोश्रणसयं पराणत्तरि जोषणाई मज्झमि / उवरितले कंचणगा पराणासं जोषणा हुंति // 1 // मूलंमि तिगिण सोले सत्तत्तीसाई दुरिण मझमि / अट्ठावराणं च सयं उवरितले परिरो होइ // 2 // पढमित्थ नीलवंतो 1 बितियो उत्तरकुरू 2 मुणेवो / चंदवहोत्थ तइयो 3 एरावय 4 मालवंतो अ५ // 3 // एवं वरणयो अट्ठो पमाणं पलिश्रोवमट्टिइया देवा 3 // सूत्रं 10 // कहि णं भंते ! उत्तरकुराए 2 जम्बूपेढे णाम पेढे पराणते ?, गोमा ! णीलवंतस्स वासहरपव्वयस्स दक्खिणेणं मंदरस्स उत्तरेणं मालवंतस्स वक्खारपन्वयस्स पचत्थिमेणं सीयाए महाणईए पुरथिमिल्ले कूले एस्थ णं उत्तरकुराए कुराए जम्बूपेढे णामं पेढे पराणत्ते, पंच जोग्रणसयाई अायामविक्खंभेणं पराणरस एक्कासीयाइं जोयणसयाई किंचिविसेसाहिबाई परिक्खेवेणं, बहुमज्झदेसभाए बारस जोषणाई बाहल्लेणं तयणंतरं च णं मायाए 2 पदेसपरिहाणीए 2 सव्वेसु णं चरिमपेरतेसु दो दो गाऊपाइं बाहल्लेणं सव्वजम्बूणयामए अच्छे 1 / से णं एगाए पउमवरवेइयाए एगेण य वणसंडेणं सव्वश्रो समंता संपरिक्खित्ते दुराहंपि वराणश्रो, तस्स णं जंबूपेढस्स चउदिसि एए चत्तारि तिसोवाणपडिरूवगा पराणचा वगणो जाव तोरणाई 2 / तस्स णं जम्बूपेढस्स Page #143 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पथ गं सिलावतणं अणेगल मणिपढिया तीन मणि 113 ] ...[ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः बहुमज्झदेसभाए एत्य णं मणिपेढिया पराणत्ता अट्टजोयणाई थायामविक्खं. भेणं चत्तारि जोषणाई बाहल्लेणं 3 / तीसे णं मणिपेढियाए उप्पि एत्थ णं जम्बूसुदंसणा पराणत्ता, अट्ठ जोगणाई उद्धं उच्चत्तेणं श्रद्धजोत्रणं उठवेहेणं, तीसे णं खंधो दो जोत्रणाई उद्धं उच्चत्तेणं श्रद्धजोत्रणं बाहल्लेणं, तीसे णं साला छ जोषणाई उद्धं उच्चत्तेणं बहुमझदेसभाए अट्ठ जोगणाई अायामविक्खंभेणं साइरेगाइं अट्ठ जोगणाई सव्वग्गेणं 4 / तीसे णं अयमेश्रारूवे वराणावासे पराणत्ते-वइरामया मूला रययसुपइट्ठि. अविडिमा जाव अहिअहियय-मण-णिबुइकरी पासाईश्रा 4, 5 / जंबूए णं सुदंसणाए चउदिसिं चत्तारि साला पराणत्ता, तेसि णं सालाणं बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं सिद्धाययणे पराणत्ते, कोसं थायामेणं श्रद्धकोसं विक्खंभेणं देसूणगं कोसं उद्धं उच्चत्तेणं अणेगखंभसयसरिणविट्ठ जाव दारा पंचधणुसयाई उद्धं उच्चत्तेणं जाव वणमालाबो मणिपेढिया पंचधणुसयाई अायामविक्खमेणं श्रद्धाइजाइं धणुसयाई बाहल्लेणं 6 / तीसे णं मणिपेढियाए उप्पिं देवच्छंदए पंचधणुसयाई आयामविक्खंभेणं साइरेगाई पंचधणुसयाई उद्धं उच्चतेणं, जिणपडिमावराणश्रो सम्बो अब्बोत्ति 7 / तत्थ णं जे से पुरस्थिमिल्ले साले एत्थ णं भवणे पराणत्ते, कोसं पायामेणं एवमेव णवरमित्थ सयणिज्ज सेसेसु पासायवडेंसया सीहासणा य सपरिवारा इति 8 / जंबू णं बारसहिं पउमवरवेइयाहिं सबो समंता संपरिविखत्ता, वेइयाणं वराणो , जंबू णं अराणेणं अट्ठसएणं जंबूणं तदद्धच्चत्ताणं सव्वश्रो समंता संपरिक्खित्ता, तासि णं वराणो 1 / तायो णं जंबू छहि पउमवरवेइथाहिं संपरिक्खित्ता, जंबूए णं सुदंसणाए उत्तरपुरथिमेणं उत्तरेणं उत्तरपञ्चत्थिमेणं एत्थ णं अणाढिअस्स देवस्स चउराहं सामाणिसाहस्सीणं चत्तारि जंबूसाहस्सीयो पराणत्तायो 10 / तीसे णं पुरथिमेणं चउराहं श्रग्गमहिसीणं चत्तारि जंबूथो पराणत्तात्रो,-दक्खिणपुरस्थिमे दक्खिणेण Page #144 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्र : चतुर्थो वक्षस्कारः ] / 117 तह अवरदक्खिणेणं च / अट्ठ दस बारसेव य भवंति जबसहस्साई // 1 // अणिवाहिवाण पञ्चत्थिमेण सत्तेव होंति जंबूयो। सोलस साहस्सीयो चउदिसिं पायरक्खाणं // 2 // जंबूए णं तिहिं सइएहिं वणसंडेहिं सव्वश्रो समंता संपरिक्खित्ता, जंबूए णं पुरथिमेणं पराणासं जोषणाई पढम वणसंडं श्रोगाहित्ता एत्थ णं भवणे पराणत्ते कोसं थायामेणं सो चेव वराणो सयणिज्ज च, एवं सेसासुवि दिसासु भवणा 11 / जंबूए णं उत्तरपुरथिमेणं पढमं वणसंडं परणासं जोषणाई श्रोगाहित्ता एत्थ णं चत्तारि पुक्खरिणीयो पराणत्तायो, तंजहा-पउमा 1 पउमप्पभा 2 कुमुदा 3 कुमुदप्पमा 4, तायो णं कोसं थायामेणं श्रद्धकोसं विक्खंभेणं पंचधणुसयाई उव्वेहेणं वगणो 12 / तासि णं मज्झे पासायवडेंसगा कोसं थायामेणं अद्धकोसं विक्खंभेणं देसूणं कोसं उद्धं उच्चत्तेणं वगणयो सीहासणा सपरिवारा 13 / एवं सेसासु विदिसासु गाहा-पउमा पउमप्पभा चेव, कुमुदा कुमुदप्पहा / उप्पलगुम्मा णलिणा, उप्पला उप्पलुजला // 1 // भिंगा भिग्गप्पभा चेव, अंजणा कजलप्पभा। सिरिकता सिरिमहिश्रा, सिरिचंदा चेव सिरिनिलया // 2 // जंबूए णं पुरथिमिल्लस्स भवणस्स उत्तरेणं उत्तरपुरथिमिल्लस्स पासायवडेंसगस्स दक्खिणेणं एत्थ णं कूडे पराणत्ते श्रट्ट जोत्रणाई उद्धं उच्चत्तेणं दो जोत्रणाइं उव्वेहेणं मूले अट्ठ जोषणाई अायामविक्खंभेणं बहुमज्झदेसभाए छ जोत्रणाई आयामविक्खंभेणं उमरिं चत्तारि जोषणाई आयामविक्खंभेणं-पणवीसट्ठारस बारसेव मूले अ मज्झि उवरिं च / सविसेसाई परिरयो कूडस्स इमस्स बोद्धव्वो // 1 // मूले विच्छिणे मज्झे संखित्ते उवरिं तणुए सव्वकणगामए अच्छे वेइग्रावणसंडवगणयो, एवं सेसावि कूडा इति 14 / जंबूए णं सुदंसणाए दुवालस णामधेजा पत्नत्ता, तंजहा-सुदंसणा 1 अमोहा 2 य, सुप्पबुद्धा 3 जसोहरा 4 / विदेहजंबू 5 सोमणसा 6, णित्रया 7 णिश्चमंडिया 8 Page #145 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 118 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमी विभागः // 1 // सुभद्दा य 1 विसाला य 10, सुजाया 11 सुमणा 12 विश्रा। सुदंसणाए जंबूए, णामधेजा दुवालस // 2 // 15 / जंबूए णं अट्ठट्टमंगलगा 16 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-जंबू सुदंसणा 2 ?, गोत्रमा ! जंबूए णं सुदंसणाए अणाढिए णाम देवे जंबूद्दीवाहिवई परिवसइ महिद्धीए, से णं तत्थ चउगहं सामाणिसाहस्सीणं जाव आयरक्खदेवसाहस्सीणं, जंबुद्दीवस्स णं दीवस्स जंबूए सुदंसणाए. अणादियाए रायहाणीए अण्णेसिं च बहूणं देवाणं य देवीण य जाव विहरइ, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुचइ, जंबू सुदसणा 2, अदुरुत्तरा. णं च णं गोमा ! जंबूसुदंसणा जाव भुविं च 3 धुवा णिया सासया अक्खया जाव अवट्ठिया 17 / कहि णं भंते ! अणादियस्स देवस्स अणाढिया णामं रायहाणी पराणत्ता ?, गोमा ! जंबुद्दीवे. मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरेणं जं चेव पुववरिणधे जमिगापमाणं तं चेव णेथव्वं, जाव उववायो अभिसेश्रो श्र निरवसेसोत्ति 18 // सूत्रं 11 // से केणढणं भंते ! एवं वुच्चइ उत्तरकुरा 2 ?, गोमा ! उत्तरकुराए उत्तरकुरूणामं देवे परिवसइ महिद्धीए जाव पलिश्रोवमट्टिइए, से तेण?णं गोत्रमा ! एवं वुच्चइ उत्तरकुरा 2, अदुत्तरं च णंति जाव सासए 1 / कहि णं भंते ! महाविदेहे वासे मालवंते णामं वक्खारपवए पराणते ?. गोयमा! मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरपुरस्थिमेणं णीलवंतस्स वासहरपव्वयस्स दाहिणेणं उत्तरकुराए पुरस्थिमेणं वच्छस्स चक्वट्टिविजयस्स पचत्थिमेणं एत्थ णं महाविदेहे वासे मालवंते णामं वक्खारपब्बए पराणत्ते उत्तरदाहिणायए पाईणपडीणविच्छिराणे जं चेव गंधमायणस्स पमाणं विक्खंभो अ णवरमिमं गाणत्तं सव्ववेरुलिग्रामए अवसिटुंतं चेव जाव गोत्रमा ! नव कूडा पराणत्ता, तंजहा-सिद्धाययणकूडे-सिद्धे य मालवंते उत्तरकुरु कच्छसागरे रयए। सीबोय पुराणभद्दे हरिस्सहे चेव बोद्धव्वे // 1 // 2 / कहिणं भंते ! मालवंते वक्खारपव्वए Page #146 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जबूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्रं चतुर्थो वक्षस्कारः ] [ 119 सिद्धाययणकडे णामं कड़े पराणते ?, गोत्रमा ! मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरपुरस्थिमेणं मालवंतस्स कूडस्स दाहिणपञ्चत्थिमेणं एस्थ णं सिद्धाययणे कूडे णामं कुडे पराणत्ते, पंच जोत्रणसयाई उद्धं उच्चत्तेणं अवसिटुं तं चेव जाव रायहाणी 3 / एवं मालवंतस्स कूडस्स उत्तरकुरुकूडस्स कच्छकूडस्स, एए चत्तारि कूडा दिसाहिं पमाणेहिं अव्वा, कूडसरिसणामया देवा 4 / कहि णं भंते ! मालवंते सागरकूडे नामं कूडे पराणते ?, गोत्रमा ! कच्छकूडस्स उत्तरपुरस्थिमेणं रययकूडस्स दक्खिणेणं एत्थ णं सागरकूडे णामं कूडे पराणत्ते, पंच जोत्रणसयाई उद्धं उच्चत्तेणं अवसिटुं तं चेव सुभोगा देवी रायहाणी उत्तरपुरस्थिमेणं रययकूडे भोगमालिणी देवी रायहाणी उत्तरपुरस्थिमेणं, अवसिट्ठा कूडा उत्तरदाहिणेणं णेश्रव्वा एक्केणं पमाणेणं 5 // सूत्रं 12 // कहि णं भंते ! मालवंते हरिस्सहकूडे णामं कूडे पराणते ?, गोत्रमा ! पुराणभहस्स उत्तरेणं णीलवंतस्स दक्खिणेणं एत्थ णं हरिस्सहकूडे णामं कूडे पराणत्ते, एगं जोअणसहस्सं उद्धं उच्चत्तेणं जमगपमाणेणं णेशव्वं 1 / रायहाणी उत्तरेणं असंखेज्जे दीवे अगणमि जंबुद्दीवे दीवे उत्तरेणं बारस जोत्रणसहस्साई श्रोगाहित्ता एत्थ णं हरिस्सहस्स देवस्स हरिस्सहाणामं रायहाणी पराणत्ता, चउरासीई जोत्रणसहस्साई श्रआयामविक्खंभेणं बे जोयणसयसहस्साई पराणहिँ च सहस्साई छच छत्तीसे जोत्रणसए परिक्खेवेणं सेसं जहा चमरचंचाए रायहाणीए तहा पमाणं भाणिअव्वं, महिद्धीए महज्जुईए 2 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ मालवंत वक्खारपब्वए 2?, गोत्रमा ! मालवंते णं वक्खारपव्वए तत्थ तत्थ देसे 2 तहिं 2 बहवे सरिश्रागुम्मा णोमालियागुम्मा जाव मगदंति थागुम्मा, ते णं गुम्मा दसद्धवरणं कुसुमं कुसुमेति, जे णं तं मालवंतस्स वक्खारपव्वयस्स बहुसमरमणिज्जं भूमिभागं वायविधुअग्ग-सालामुक-पुष्फपुंजोवयारकलियं करेंति, मालवंते श्र इत्थ Page #147 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 120 / / श्रीमद्रागमसुंधामन्धुः :: मतमो विभागः देवे * महिद्धीए जाव पलियोवमटिइए परिवसइ, से तेण?णं गोमा ! एव वुच्चइ, अदुत्तरं च णं जाव णिच्चे 3 // सूत्रं 13 // कहि णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे महाविदेहे वासे कच्छे णामं विजए पराणते ?, गोत्रमा ! सीधाए महाणाईए उत्तरेणं णीलवंतस्स वासहरपव्वयस्स दक्खिणेणं चित्तकूडस्स वक्खारपव्वयस्स पचत्थिमेणं मालवंतस्स वक्खारपव्वयस्स पुरथिमेणं एत्थ णं जंबुद्दीवे 2 महाविदेहे वासे कच्छे णामं विजए पराणत्ते उत्तरदाहिणायए पाईणपडीणविच्छिराणे पलिअंकसंगणसंठिए गंगासिंधूहिं महाणईहिं वेयद्धेण य पव्वएणं छभागपविभत्ते सोलस जोगुणसहस्साइं पंच य बाणउए जोत्रणसए दोगिण श्र एगणवीसइभाए जोत्रणस्स आयामेणं दो जोत्रणसहस्साई दोगिण श्र तेरसुत्तरे जोत्रणसए किंचिविसेसूणे विखंभेणंति 1 / कच्छरसणं विजयस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं वेश्रद्धे णामं पव्वए पगणत्ते, जे णं कच्छं विजयं दुहा विभयमाणे 2 चिट्टइ, तंजहा-दाहिणद्धकच्छं च उत्तरद्धकच्छं चेति 2 / कहि णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे महाविदेहे वासे दाहिणद्धकच्छे णामं विजए पराणते ?, गोत्रमा ! वेश्रद्धस्स. पव्वयस्स दाहिणेणं सीपाए महाणईए उत्तरेणं चित्तकूहस्स वक्खारपव्वयस्स पचत्थिमेणं मालवंतस्स वक्खारपव्वयस्स पुरस्थिमे एत्थ णं जंबुद्दीवे दीवे महाविदेहे वासे दाहिणद्धकच्छे णामं विजए पन्नत्ते उत्तरदाहिणायए पाईणपडीणविच्छिराणे अट्ठ जोगणसहस्साइं दोगिण अ एगसत्तरे जोत्रणसए एक्कं च एगूणवीसइभागं जोश्रणस्स आयामेणं दो जोश्रणसहस्साइं दोरिण थ तेरसुत्तरे जोअणसए किंचिविसेसूणे विक्खंभेणं पलि. अंकसंगणसंठिए 3 / दाहिणद्धकच्छस्स णं भंते ! विजयस्स केरिसए श्रायारभावपडोबारे पराणत्ते ?, गोत्रमा! बहुसमरमणिज्जे' भूमि- . भागे पराणत्ते, तंजहा-जाव कत्तिमेहिं चेव अकत्तिमेहिं चेव 4 / दाहिणद्ध Page #148 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्र :: चतुर्थो वक्षस्कारः ] [ 121 कच्छे णं भंते ! विजए मणुाणं केरिसए पायारभावपडोयारे पराणत्ते ?, गोश्रमा ! तेसि णं मणुाणं छबिहे / संघयणे जावं सव्वदुक्खाणमंतं करेंति 5 / कहि णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे महाविदेहे वासे कच्छे विजए वेश्रद्धे णाम पव्वए पन्नत्ते?, गोत्रमा ! दाहिणद्ध. कच्छविजयस्स उत्तरेणं उत्तरद्धकच्छस्स दाहिणेणं चित्तकूडस्स पञ्चत्थिमेणं मालवंतस्स वक्खारपव्वयस्स पुरथिमेणं एत्थ णं कच्छे विजए वेश्रद्धे णाम पव्वए पराणत्ते, तंजहा-पाईणपडीणायए उदीणदाहिणविच्छिराणे दुहा वक्खारपव्वए पुढे-पुरथिमिलाए कोडीए जाव दोहिवि पुढे भरहवेश्रद्धसरिसए णवरं दो बाहायो जीवा धणुपटुं च ण कायव्यं, विजयविक्खंभसरिसे आयामेणं, विक्खंभो उच्चत्तं उव्वेहो तहेव च विजाहराभियोगसेढीयो तहेव, णवरं पणपरणं 2 विजाहरणगरावासा पराणत्ता, अाभियोगसेढीए उत्तरिल्लायो सेढीयो सीनाए ईसाणस्से सेसानो सक्कस्सत्ति, कूडा-सिद्धे 1 कच्छे 2 खंडग 3 माणी 4 वेश्रद्ध 5 पुराण 6 तिमिसगुहा 7 / कच्छे 8 वेसमणे वा 1 वेश्रद्धे होति कुडाई // 1 // 6 / कहि णं भंते ! जंबुद्दीवे 2 महाविदेहे वासे उत्तरद्धकच्छे णाम विजए पराणत्ते ?, गोत्रमा ! वेयद्धस्म पव्वयस्स उत्तरेणं णीलवंतस्स वासहरपव्वयस्स दाहिणेणं मालवंतस्स वक्खारपव्वयस्स पुरथिमेणं चित्तकूडस्स वक्खारपव्वयस्स पचत्थिमेणं एत्थ णं जंबुद्दीवे दीवे जाव सिझति 7 / तहेव णेअव्वं सव्वं कहि णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे . महाविदेहे वासे उत्तरद्धकच्छे विजए सिंधुकुडे णाम कुडे पराणते ?, गोत्रमा ! मालवंतस्स वक्खारपव्वयस्स पुरस्थिमेणं उसभडस्स पचत्थिमेणं णीलवंतस्स वासहर. पव्वयस्स दाहिणिल्ले णितंबे एत्थ णं जंबुद्दीवे दीवे महाविदेहे वासे उत्तरड्डकच्छविजए सिंधुकुडे णामं कुडे पराणत्ते, सढि जोत्रणाणि अायामविक्खंभेणं जाव भवणं अट्ठो रायहाणी अ गोत्रव्वा, भरहसिंधुकुडसरिसं सव्वं Page #149 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 122 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभाम: णेशवं, जाक तस्स णं सिंधुकुडस्स दाहिणिल्लेणं तोरणेणं सिंधुमहाणई पवूढा समाणी उतरद्धकच्छविजयं एज्जेमाणी 2 सत्तहिं सलिलासहस्सेहि श्रापरेमाणी 2 अहे तिमिसगुहाए वेश्रद्धपवयं दालयित्ता दाहिणकच्छ. विजयं एज्जेमाणी 2 चोदसहिं सलिलासहस्सेहिं समग्गा दाहिणेणं सीयं महाणई समप्पेइ, सिंधुमहाणई पवहे अ मूले अ भरहसिंधुसरिसा पमाणेणं जाव दोहिं वणसंडेहिं संपरिक्खित्ता 8 / कहि णं भंते ! उत्तरद्धकच्छविजए उसभकूडे णामं फव्वए पराणते?, गोत्रमा ! सिंधुकुडस्म पुरस्थिमेणं गंगाकुण्डस्स पचत्थिमेणं णीलवंतस्स वासहरपव्वयस्स दाहिणिल्ले णितंबे एस्थ णं उत्तरद्धकच्छविजए उसहकडे णामं पवए पराणत्ते, अट्ट जोत्रणाई उद्धं उच्चत्तेणं तं चेव पमाणं जाव रायहाणी से णवरं उत्तरेणं भाणिवा 1 / कहि णं भंते ! उत्तरद्धकच्छे विजए गंगाकुराडे णाम कुण्ड पराणते ?, गोत्रमा ! चित्तकडम्स वक्खारपव्वयस्स पचत्थिमेणं उसहकूडस्स पव्वयस्स पुरथिमेणं णीलवंतस्स वासहरपब्वयस्स दाहिणिल्ले णितंबे एत्थ णं उत्तरद्धकच्छे गंगाकुण्डे णामं कुराडे पराणत्ते सर्टि जोगणाई आयामविक्खंभेणं तहेव जहा सिंधू जाव वणसंडेण य संपरिविखत्ता 10 / से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ कच्छे विजए 2 ?, गोत्रमा ! कच्छे विजए वेश्रद्धस्स पव्वयस्स दाहिणेणं सीबाए महाणईए उत्तरेणं गंगाए महाणईए पञ्चत्थिभेणं सिंधूए महाणईए पुरथिमेणं दाहिणद्धकच्छविजयस्स बहुमज्झदेसभाए, एत्थ णं खेमाणामं रायहाणी पन्नत्ता विणीपारायहाणीसरिसा भाणिवा, तत्थ णं खेमाए रायहाणीए कच्छे णामं राया समुप्पजइ, महया हिमवंत जाव सव्वं भरहोश्रवणं भाणिव्वं निक्खमणवज्जं सेसं सव्वं भाणिश्रव्वं जाव भुजए माणुस्सए सुहे, कच्छणामधेज्जे श्र कच्छे इत्थ देवे महद्धीए जाव पलिग्रोवमट्टिईए परिवसइ, से एएणढेणं गोश्रमा ! एवं वुच्चइ कच्छे विजए कच्छे विजए जाव णिच्चे 11 // सूत्रं 14 // कहि Page #150 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्रं / / चतुर्थो वक्षस्कारः ] [123 णं भते ! जंबुद्दीवे दीवे महाविदेहे वासे चित्तकूडे णामं वक्खारपव्वए पराणते ?, गोत्रमा ! सीमाए महाणईए उत्तरेणं णीलवंतस्स वासहरपव्वयस्स दाहिणेणं कच्छविजयस्स पुरस्थिमेणं सुकच्छविजयस्स पचत्थिमेणं एत्थ णं जंबुद्दीवे दीवे महाविदेहे वासे चित्तकूडे णामं वक्खारपव्वए पराणत्ते, उत्तरदाहिणायए पाईणपडीणविच्छिण्णे सोलसजोषणसहस्साई पञ्च य बाणउए जोत्रणसए दुरिण य एगूणवीसइभाए जोत्रणस्स थायामेणं पञ्च जोअणसयाई विक्खंभेणं नीलवंत-वासहरपव्वयंतेणं चत्तारि जोअणसयाई उद्धं उच्चत्तेणं चत्तारि गाऊयसयाई उव्वेहेणं तयणंतरं च णं मायाए 2 उस्सेहोब्बेहपरिवुद्धीए परिवद्धमाणे 2 सीअामहाणईअंतेणं पञ्च जोअणसयाई उद्धं उच्चत्तेणं पञ्च गाऊसयाई उचेहेणं अस्सखंधसंगणसंठिए सव्वरयणामए अच्छे सराहे जाव पडिरूवे, उभयो पासिं दोहिं पउमवरवेइबाहिं दोहि अ वणसंडेहिं संपरिक्खत्ते, वराणश्रो दुराहवि, चित्तकूडस्स णं वक्खारपव्वयस्स उप्पि . बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पराणत्ते जाव पासयंति 1 / चित्तकडे णं भंते ! वक्खारपव्वए कति कूडा पराणत्ता.?, गोत्रमा ! चत्तारि कूडा पराणत्ता, तंजहा-सिद्धाययणकडे चित्तकूडे कच्छकडे सुकच्छकुडे, समा उत्तरदाहिणेणं परम्परंति, पढमं सीबाए उत्तरेणं चउत्थए. नीलवंतस्स वासहरपव्वयस्स दाहिणेणं एत्थ णं चित्तकडे णामं देवे महिद्धीए जाव रायहाणी सेत्ति 2 // सूत्रं 15 // कहि णं भंते ! जम्बुद्दीवे दीवे महाविदेहे वासे सुकच्छे णामं विजए पराणत्ते ?, गोश्रमा ! सीपाए महाणईए उत्तरेणं णीलवंतस्स वासहर. पव्वयस्स दाहिणेणं गाहावईए महाणईए पञ्चत्थिमेणं चित्तकूडस्स वक्खारपव्वयस्स पुरथिमेणं एत्थ णं जम्बुद्दीवे दीवे महाविदेहे वासे सुकच्छे णाम विजए पराणत्ते, उत्तरदाहिणायए जहेव कच्छे विजए तहेव सुकच्छे विजए, णवरं खेमपुरा रायहाणी सुकच्छे राया समुप्पजइ तहेव सव्वं 1 / कहि णं Page #151 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 124 ) - ( श्रीमदागमसुधासिन्धुः सप्तमो विभाग भंते ! जम्बुद्दीवे 2 महाविदेहे वासे गाहावइकुडे नाम कुंडे पराणते ?, गोयमा ! सुकच्छविजयस्स पुरथिमेणं महाकच्छस्स विजयस्स पञ्चत्थिमेणं णीलवंतस्त वासहरपब्धयस्स दाहिणिल्ले णितम्बे एत्थ णं जम्बुद्दीवे दीव महाविदेहे वासे गाहावइकुडे णामं कुराडे पराणत्ते, जहेव रोहियंसाकुण्डे तहेव जाव गाहावइदीवे भवणे, तस्स णं गाहावइस्स कुण्डस्स दाहिणिल्लेणं तोरणेण गाहावई महाणई पवूडा समाणी सुकच्छमहाकच्छविजए दुहा विभयमाणी 2 अट्ठावीसाए सलिलासहस्सेहिं समग्गा दाहिणेणं सीधे महाणइं समप्पेइ, गाहावई णं महाणई पवहे थ मुहे श्र सव्वत्थ समा पणवीसं जोश्रणसयं विखंभेणं श्रद्धाइजाइं जोत्रणाई उव्वेहेणं उभयो पासिं दोहि थ पउमवरवेइग्राहिं दोहि श्रवणसराडेहिं जाव दुराहवि वराणो इति 2 / कहि णं भंते ! महाविदेहे वासे महाकच्छे णामं विजये पराणत्ते?, गोत्रमा ! णीलवंतस्स वासहरपब्वयस्स दाहिणेणं सीधाए महाणईए उत्तरेणं पम्हकडस्स वक्खारपव्वयस्स पचत्थिमेणं गाहावईए महाणईए पुरस्थिमेणं एत्थ णं महाविदेहे वासे महाकच्छे णाम विजए पराणत्ते, सेसं जहा कच्छविजयस्स जाव महाकच्छे इत्थ देवे महिद्धीए अट्ठो श्र भाणिअब्बो 3 / कहि णं भंते ! महाविदेहे वासे पम्हकूडे णामं वक्खारपबए पराणत्ते ?, गोत्रमा! णीलवंतस्स दक्खिणेणं सीबाए महाणईए उत्तरेणं महाकच्छस्स पुरथिमेणं कच्छावईए पञ्चत्थिमेणं एत्थ णं महाविदेहे वासे पम्हकडे णामं वक्खारपव्वए पराणत्ते, उत्तरदाहिणायए पाईणपडीणविच्छिराणे सेसं जहा चित्तकूडस्स जाव श्रासयंति, पम्हकूडे चत्तारि कूडा पराणत्ता, तंजहा-सिद्धाययणकडे पम्हकूडे महाकच्छकूडे कच्छावइकडे, एवं जाव अट्ठो, पम्हकूडे इत्थ देवे महद्धिए पलियोवमठिईए परिवसइ, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ 4 / कहि णं भंते ! महाविदेहे वासे कच्छगावती णामं विजए पराणत्तें ?, गोयमा ! णीलवंतस्स दाहिणेणं सीधाए Page #152 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्गसूत्रं :: चतुर्थो वक्षस्कारः ] [ 125 महाणईए उत्तरेणं दहावतीए महाणईए पचत्थिमेणं पम्हकूडस्स पुरथिमेणं एत्थ णं महाविदेहे वासे कच्छगावती णामं विजए पराणत्ते, उत्तरदाहिणायए पाईणपडीणविच्छिराणे, सेसं जहा कच्छस्स विजयस्स जाव कच्छगावई अ इत्थ देवे 5 / कहि णं भंते ! महाविदेहे वासे दहावई कुराडे णामं कुराडे पराणत्ते ?, गोत्रमा ! श्रावत्तस्स विजयस्स पचत्थिमेणं कच्छगावईए विजयस्स पुरस्थिमेणं णीलवंतस्स दाहिणिल्ले णितंबे एत्थ णं महाविदेहे वासे दहावई. कुराडे णामं कुराडे पराणत्ते, सेसं जहा गाहावईकुण्डस्स जाव अट्ठो, तस्स णं दहावईकुण्डस्स दाहिणेणं तोरणेणं दहावई महाणई पवूढा समाणी कच्छावईथावत्ते विजए दुहा विभयमाणी 2 दाहिणेणं सीधं महाणई समप्पेइ, सेसं जहा गाहावइए 6 / कहि णं भंते ! महाविदेहे वासे आवत्ते णामं विजए पराणते ?, गोत्रमा! णीलवंतस्स वासहरपव्वयस्स दाहिणेणं सीबाए महाणईए उत्तरेणं णलिणकूडस्स वक्खारपवयस्स पचत्थिमेणं दहावतीए महाणईए पुरथिमेणं एत्थ णं महाविदेहे वासे श्रावत्ते णामं विजए पराणत्ते, सेसं जहा कच्छस्स विजयस्स इति 7 / कहि ण भंते ! महाविदेहे वासे णलिणकूडे णामं वक्खारपब्बए पराणत्ते ?, गोयमा ! णीलवंतस्स दाहिणेणं सीपाए उत्तरेणं मंगलावइस्स विजयस्स पचत्थिमेणं श्रावत्तस्स विजयस्स पुरस्थिमेणं एत्थ णं महाविदेहे वासे णलिणकडे णामं वक्खारपब्वए पराणत्ते, उत्तरदाहिणायए पाईणपडीणविच्छिराणे, सेसं जहा चित्तकूडस्स जाव पासयंति 8 / णलिणकूडे णं भंते ! कति कूडा पराणत्ता ?, गोत्रमा ! चत्तारि कूडा पराणत्ता, तंजहा-सिद्धाययणकडे णलिणकूडे श्रावत्तकूडे मंगलावत्तकूडे, एए कूडा पंचसइया रायहाणीयो उत्तरेणं 1 / कहि णं भंते ! महाविदेहे वासे मंगलावत्ते णामं विजए पराणते ?, गोत्रमा ! णीलवंतस्स दक्खिणेणं सीबाए उत्तरेणं णलिणकूडस्स पुरथिमेणं पंकावईए पञ्चत्थिमेणं एत्थ णं मंगलावत्ते णामं विजए पराणत्ते, Page #153 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 126 / - श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः जहा कच्छस्स विजए तहा एसो भाणियब्वो जाव मंगलावत्ते अ इत्थ देवे परिवसइ, से एएणद्वेणं जाव वुच्चइ 10 / कहि गां भंते ! महाविदेहे वासे पंकावई कुडे णामं कुराडे पराणत्ते ? गोत्रमा ! मंगलावत्तस्स विजयस्स पुरथिमेणं पुखलविजयस्स : पचत्थिमेणं णीलवंतस्स दाहिणे णितंबे, एत्थ णं पंकावई जाव कुराडे. पराणत्ते तं चेव गाहावइकुण्डमाणं जाव मंगलावत्तपुक्खलावत्तविजये. दुहा विभयमाणी 2 श्रवसेसं तं चेव जं चेव गाहावईए 11 / कहि णं भंते ! महाविदेहे वासे पुक्खलावत्ते णामं विजए पराणत्ते ?, गोत्रमा ! णीलवंतस्स दाहिणेणं सीयाए उत्तरेणं पंकावईए पुरथिमेणं एकसेलस्स वक्खारपव्वयस्स पचत्थिमेणं, एत्थ णं पुक्खलावत्ते णाम विजए पराणत्ते जहा कच्छविजए तहा भाणिव्वं जाव पुक्खले य इत्थ देवे महिड्डिए पलिग्रोवमट्टिइए परिवसइ, से एएण?णं जाव बुच्चइ 12 / कहि णं भंते ! महाविदेहे वासे एगसेले णामं वक्खारपव्वए पन्नत्ते?, गोयमा ! पुक्खलावत्तचकवट्टिविजयस्स पुरथिमेणं पोक्खलावतीचकवट्टिविजयस्स पचत्थिमेणं णीलवंतस्स. दक्खिणेणं सीधाए उत्तरेणं, एत्थ णं एगसेले णामं वखारपब्बए पराणत्ते, चित्तकूडगमेणं गोअव्वो जाव देवा श्रासयंति, चत्तारि कूडा पनत्ता, तंजहा-सिद्धाययणकडे एगसेलकूडे पुक्खलावत्तकडे पुक्खलावईकडे, कूडाणं तं चेव पञ्चसइयं परिमाणं जाव एगसेले अ देवे महिद्धीए 13 / कहि णं भंते ! महाविदेहे वासे पुक्खलावई णामं चक्कवट्टिविजए पराणते ?, गोश्रमा ! णीलवंतस्स दक्खिणेणं सोपाए उत्तरेणं उत्तरिल्लस्स सीश्रामुहवणस्स पचत्थिमेणं एगसेलस्स. वक्खारपव्वयस्स पुरस्थिमेणं, एत्थ णं महाविदेहे वासे पुक्खलावई णाम विजए पराणत्ते, उत्तरदाहिणायए एवं जहा कच्छविजयस्स जाव पुवखलावई श्र इत्थ देवे परिवसइ, एएण?णं 14 / कहि णं भंते ! महाविदेहे वासे सीधाए महाण Page #154 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्गसूत्रं : चतुर्थो वक्षस्कारः ] [127 ईए उत्तरिल्ले सीधामुहवणे णामं वणे पगणते ?, गोत्रमा ! णीलवंतस्स दक्खिणेणं सीधाए उत्तरेणं पुरथिमलवणसमुदस्स पचत्थिमेणं पुक्खलावइचकवट्टिविजयस्स पुरत्थिमेणं, एत्थ णं सीअामुहवणे णामं वणे पराणत्ते उत्तरदाहिणायए पाईणपडीणविच्छिराणे सोलसजोषणसहस्साई पञ्च य बाणउए जोत्रणसए दोगिण श्र एगणवीसइभाए जोत्रणस्स पायामेणं सीबाए महाणईए अंतेणं दो जोत्रणसहस्साई नव य बावीसे जोअणसए विखंभेणं तयणंतरं च णं मायाए 2 परिहायमाणे 2 णीलवंतवासहरपव्ययंतेणं एगं एगूणवीसइभागं जोषणस्स विक्खंभेणंति, से णं एगाए पउमवरवेइबाए एगेण य वणसराडेणं संपरिक्खित्तं वगणयो सीमामुहवणस्स जाव देवा पासयंति 15 / एवं उत्तरिल्लं पासं समत्तं, विजया भणिया 16 / रायहाणीयो इमायो-खेमा 1 खेमपुरा 2 चेव, रिट्ठा 3 रिट्रपुरा 4 तहा / खग्गी 5 मंजूसा 6 अविश्र, श्रोसही 7 पुंडरीगिणी 8 // 1 // 17 / सोलस विजाहरसेढीयो तावइयायो अभियोगसेदीयो सव्वाश्रो इमायो ईसाणस्स, सव्वेसु विजएसु कच्छवत्तव्वया जाव अट्टो, रायाणो सरिसणामगा विजएसु सोलसराहं वक्खारपव्वयाणं चित्तकूडवत्तव्वया जाव कूडा चत्तारि 2 बारसरहं गईणं गाहावइ वत्तव्वया जाव उभयो पासिं दोहिं पउमवरवेइग्राहिं वणसण्डेहि श्रवण्णो 18 // सूत्रं 16 // कहि णं भंते ! जम्बुद्दीवे दीवे महाविदेहे वासे सीधाए महाणईए दाहिगिल्ले सीयामुहवणे णामं वणे पराणत्ते ?, एवं जह चेव उत्तरिल्लं सीधामुहवणं तह चेव दाहिणंपि भाणिग्रव्वं, णवरं णिसहस्स वासहरपव्वयस्स उत्तरेणं सीश्राए महाणईए दाहिणेणं पुरथिमलवणसमुदस्स पचत्थिमेणं वच्छस्स विजयस्स पुरथिमेणं एत्थ णं जम्बुद्दीवे दीवे महाविदेहे वासे सीपाए महाणईए दाहिणिल्ले सीप्रामुहवणे णामं वणे पन्नत्ते, उत्तरदाहि. णायए तहेव सव्वं णवरं णिसहवासहरपव्वयंतेणं एगमेगूणवीसइभागं Page #155 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 128 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धु :: सप्तमो विभागः जोगुणस्स विक्खंभेणं किराहे किराहोभासे जाव महया गंधद्धाणिं मुयते जाव पासयंति उभयो पासिं दोहिं पउमवरवेइग्राहिं वणव्वराणो इति 1 / कहि णं भंते ! जम्बुद्दीवे दीवे महाविदेहे वासे वच्छे णामं विजए पराणते?, गोमा ! णिसहस्स वासहरपव्वयस्स उत्तरेणं सीयाए महाणईए दाहिणेणं दाहिणिलस्स सीयामुहवणस्स पचत्थिमेणं तिउडस्स वक्खारपब्वयस्स पुरस्थिमेणं एस्थ णं जम्बुद्दीवे दीवे महाविदेहे वासे वच्छे णामं विजए पराणत्ते, तं चेच पमाणं सुसीमा रायहाणी 1, तिउडे वक्खारपव्वए सुवच्छे विजए कुराडला रायहाणी 2, तत्तजला गाई महावच्छे विजए अपराजिया रायहाणी 3, वेसमणकडे वक्खारपव्वए वच्छावई विजए पभंकरा रायहाणी 4, मत्तजला णई रम्मे विजए अंकावई रायहाणी 5, अंजणे वक्खारपब्बए रम्मगे विजए पम्हावई रायहाणी 6, उम्मत्तजला महाणई रमणिज्जे विजए सुभा रायहाणी 7. मायंजणे वक्खारपवए मंगलावई विजए रयणसंचया रायहाणीति 8, एवं जह चेव सीयाए महाणईए उत्तरं पासं तह चेव दक्खिणिल्लं भाणिव्वं 2 / दाहिणिलसीयामुहवणाइ, इमे वक्खारकूडा तंजहा-तिउडे 1 वेसमणकूडे 2 अंजणे. 3 मायंजणे 4, [ णईउ तत्तजला 1 मत्तजला 2 उम्मत्तजला 3, विजया तंजहा-वच्छे सुवच्छे महावच्छे चउत्थे वच्छगावई / रम्मे रम्मए चेव, रमणिज्जे मंगलावई // 1 // रायहाणीयो, तंजहा-सुसीमा कुराडला चेव, अवराइय पहंकरा / अंकावई पम्हावई सुभा रयणसंचया // 2 // 3 / वच्छस्स विजयस्स णिसहे दाहिणेणं सीया उत्तरेणं दाहिणिलसीदामुहवणे पुरत्थिमेणं तिउडे पचत्थिमेणं सुसीमा रायहाणी पमाणं तं चेवेति 4 / वच्छाणंतरं तिउडे तो सुवच्छे विजए एएणं कमेणं तत्तजला ई महावच्छे विजए वेसमणकूडे वक्खारपव्वए वच्छावई विजए मत्तजला गई रम्मे विजए अंजणे वक्खारपब्वए. रम्मए विजए उम्मत्तजला गाई रमणिज्जे विजए मायंजणे ववखारपव्वए मंगलावई Page #156 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्रं :: चतुर्थो वक्षस्कारः ] [ 129 विजए 5 // सूत्रं 17 // कहि णं भंते ! जम्बुद्दीवे दीवे महाविदेहे वासे सोमणसे णामं वक्खारपव्वए पराणते ?, गोयमा ! णिसहस्स वासहरपव्वयस्स उत्तरेणं मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणपुरस्थिमेणं मंगलावई विजयस्स पञ्चत्थिमेणं देवकुराए पुरथिमेणं एत्थ णं जम्बुद्दीवे 2 महाविदेहे वासे सोमणसे णामं वक्खारपव्वए पराणत्ते उत्तरदाहिणायए पाईणपडीणविच्छिराणे जहा मालवंते वक्खारपव्वए तहा णवरं सव्वरययामए अच्छे जाव पडिरूवे 1 / णिसहवासहर-पव्वयंतेणं चत्तारि जोअणसयाई उद्धं उच्चत्तेणं चत्तारि गाऊअसयाइं उव्वेहेणं सेसं तहेव सव्वं णवरं अट्ठो से गोत्रमा ! सोमणसे णं वक्खारपब्वए बहवे देवा य देवीश्रो अ सोमा सुमणा सोमणसे अ इत्थ देवे महिद्धीए जाव परिवसइ से एएणटेणं गोत्रमा ! जाव णिच्चे 2 / सोमणसे वक्खारपव्वए कइ कूडा पराणत्ता ?, गोयमा ! सत्त कूडा पराणत्ता, तंजहा-सिद्धे 1 सोमणसे 2 विश्र बोद्धव्वे मंगलावईकडे 3 / देवकुरु 4 विमल 5 कंचण 6 वसिट्टकूडे 7 अ बोद्धव्वे // 1 // एवं सव्वे पञ्चसइया कूडा 3 / एएसिं पुच्छाए दिसिविदिसाए भाणिव्वा जहा गंधमायणस्स, विमलकञ्चणकूडेसु णवरिं देवयायो सुवच्छा वच्छमित्ता य अवसिढेसु कूडेसु सरिसणामया देवा रायहाणीयो दक्खिणेणं 4 / कहि णं भंते ! महाविदेहे वासे देवकुराणामं कुरा पराणत्ता ?, गोत्रमा ! मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणणं णिसहस्स वासहरपव्वयस्स उत्तरेणं विज्जुप्पहस्स वक्खारपव्वयस्स पुरथिमेणं सोमणसवक्खारपव्वयस्स पचत्थिमेणं एत्थ णं महाविदेहे वासे देवकुराणामं कुरा पराणत्ता पाईणपडिणायया उदीणदाहिणविच्छिण्णा इकारस जोत्रणसहस्साई अट्ठ य बायाले जोत्रणसए दुगिण श्र एगूणवीसइभाए जोयणस्स विक्खंभेणं जहा उत्तरकुराए वत्तव्वया जाव अणुसज्जमाणा पम्हगंधा मिश्रगंधा अममा सहा तेतली सणिचारीति 6, 5 // सूत्रं 18 // कहि Page #157 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 130 ] - [श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभामः णं भंते ! देवकुराए चित्तविचित्तकूडाणं दुवे एव्वया पन्नत्ता ? गोयमा ! णिसहस्स वासहरपव्वयस्स उत्तरिलायो चरिमंतायो अट्ठचोत्तीसे जोपणसए चत्तारि अ सत्तभाए जोगुणस्स अवाहाए सीयोपाए महाणईए पुरस्थिमपचत्थिमेणं उभयोकले एत्थ णं चित्तविचित्तकूडा णाम दुवे पव्वया पन्नत्ता, एवं जच्चेव जमगपव्वयाणं सच्चेव, एएसि रायहाणीयो दक्खिणेणंति // सूत्रं 11 // कहि णं भंते ! देवकुराए 2 णिसढरहे णामं दहे पराणत्ते ?, गोयमा ! तेसिं चित्तविचित्तकूडाणं पव्वयाणं उत्तरिलायो चरिमंतायो अट्ठचोतीसे जोत्रणसए चत्तारि अ सत्तभाए जोपणस्स अबाहाए सीयोग्राए महाणईए बहुमज्झदेसभाए पत्थ णं णिसहदहे णामं दहे पराणत्ते, एवं जच्चेव नीलवंतउत्तरकुरुचंदेरावयमालवंताणं वत्तव्वया सच्चेव णिसहदेवकुरु-सूरसुलसविजुप्पभाणं अव्वा, रायहाणीयो दक्खिणेणंति // सूत्रं 100 // कहि णं भंते ! देवकुराए 2 कूडसामलिपेढे णामं पेढे पराणत्ते ?, गोत्रमा ! मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणपञ्चत्थिमेणं णिसहस्स वासहरपव्वयस्स उत्तरेणं विज्जुष्पभस्स वक्खारपव्वयस्स पुरथिमेणं सीयोबाए महाणईए पञ्चत्थिमेणं देवकुरुपञ्चत्थिमद्धस्स बहुमझदेसभाए एत्थ णं देवकुराए कुराए कूडसामली पेढे णामं पेढे पराणत्ते 1 / एवं जच्चेव जम्बूए सुदंसणाए वत्तव्वया सच्चेव सामलीएवि भाणिग्रव्वा णामविहूणा गरुलवेणु(गरुलवेग)देवे रायहाणी दक्खिणेणं अवसिटुं तं चेव जाव देवकुरू अ इत्थ देवे पलिश्रोवमट्टिइए परिवसइ, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ देवकुरा 2, अदुत्तरं च णं देवकुराए जाव णिच्चे 2 // सूत्रं 101 // कहि णं भंते ! जंबुद्दीवे 2 महाविदेहे वासे विज्जुप्पभे णामं वक्खारपव्वए पन्नत्ते ?, गोयमा ! णिसहस्स वासहरपब्वयस्स उत्तरेणं मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणपञ्चत्थिमेणं देवकुराए पच्चस्थिमेणं पम्हस्स विजयस्स पुरस्थिमेणं, एत्थ णं जंबुद्दीवे 2 महाविदेहे वासे विज्जुप्पभे वक्खारपव्वए पनत्ते, उत्तरदाहिणायए Page #158 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्र :: चतुर्थो वक्षस्कारः ] [ 131 एवं जहा मालवंते णवरि सव्वतवणिजमए अच्छे जाव देवा श्रासयंति 1 / विज्जुप्पभे णं भंते ! वक्खारपव्वए कइ कूडा परणता ?, गोयमा ! नव कूडा पन्नत्ता, तंजहा-सिद्धाययणकूडे विज्जुप्पभकूडे देवकुरुकूडे पम्हकूडे कणगकूडे सोवत्थिअकूडे सीयोग्राकूडे सयज(यंज)लकूडे हरिकूडे 2 / सिद्धे अ विज्जुणामे देवकुरु पम्हकणगसोवत्थी / सीबोया य सयज्जलहरिकूडे चेव बोद्धब्वे // 1 // एए हरिकूडवजा पञ्चसइया णेअव्वा 3 / एएसिं कूडाणं पुच्छाए दिसिविदिसायो णेवायो जहा मालवंतस्स हरिस्सहकूडे तह चेव हरिकूडे रायहाणी जह चेव दाहिणेणं चमरचंचा रायहाणी तह णेत्रव्वा, कणगसोवत्थि अकडेसु वारिसेणवलाहयायो दो देवयायो अवसि? सु कूडेसु कूडसरिसणामया देवा रायहाणीयो दाहिणेणं 4 / से केण?णं भंते! एवं वुच्चइ-विज्जुप्पभे वक्खारपव्वए 21, गोत्रमा ! विज्जुप्पभे णं वक्खारपब्वए विज्जुमिव सव्वश्रो समंता श्रोभासेइ उन्नोवेइ पभासइ विज्जुप्पभे य इत्थ देवे पलिश्रोवमट्ठिइए जाव परिवसइ, से एएणटेणं गोत्रमा ! एवं बुच्चइ विज्जुप्पभे 2, अदुत्तरं च णं जाव णिच्चे 5 // सूत्रं 102 // एवं पम्हे विजए अस्सपुरा रायहाणी अंकावई वक्खारपव्वए 1, सुपम्हे विजए सीहपुरा रायहाणी खीरोदा महाणई 2, महापम्हे विजए महापुरा रायहाणी पम्हावई वक्खारपव्वए 3, पम्हगावई विजए विजयपुरा रायहाणी सीसोबा महाणई 4, संखे विजए अबराइया रायहाणी पासीविसे वक्खारपव्वए 5, कुमुदे विजए अरजा रायहाणी अंतोवाहिणी महाणई 6, णलिणे विजए असोगा रायहाणी सुहावहे वक्खारपब्वए , णलिणावई विजए वीयसोगा रायहाणी 8 दाहिणिल्ले सीबोप्रामुहवणसंडे, उत्तरिल्लेवि एमेव भाणिग्रव्वे जहा सीयाए 1 / वप्पे विजए विजया रायहाणी चन्दे वक्खारपव्वए 1, सुचप्पे विजए जयंती रायहाणी श्रोम्मिमालिणी णई 2, महावप्पे विजए जयंती रायहाणी सूरे वक्खारपव्वए Page #159 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 132 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः 3, वप्पावई विजए अपराइया रायहाणी फेणमालिणी णई 4, वग्गू विजए चक्कपुरा रायहाणी णागे वक्खारपब्वए 5, सुवग्गू विजए खग्गपुरा रायहाणी गंभीरमालिणी अंतरणई 6, गन्धिले विजए अवज्झा रायहाणी देवे वक्खारपव्वए 7, गंधिलावई विजए अयोज्झा रायहाणी 8, 2 // एवं मंदरस्स पव्वयस्स पचत्थिमिल्लं पासं भाणिग्रव्वं तत्थ ताव सीयोग्राए महाणईए दक्खिणिल्ले णं कूले इमे विजया, तंजहा-पम्हे सुपम्हे महापम्हे, चउत्थे पम्हगावई / संखे कुमुए णलिणे, अट्ठमे णलिणावई // 1 // 3 / इमायो रायहाणीयो, तंजहा-यासपुरा सीहपुरा महापुरा चेव हवइ विजयपुरा। अवराइया य अरया असोग तह वीअसोगा य // 2 // 4 // इमे वक्खारा, तंजहा-अंक पम्हे ग्रासीविसे सुहावहे, एवं इत्थ परिवाडीए दो दो विजया कूडसरिसणामया भाणिचा दिसा विदिसायो श्र भाणिअब्वायो, सीयोयामुहवणं च भाणिग्रव्वं सीबोयाए दाहिणिल्लं उत्तरिल्लं च 5 / सीबोयाए उत्तरिल्ले पासे इमे विजया, तंजहा-वप्पे सुवप्पे महावप्पे चउत्थे वप्पयावई / वग्गू अ सुवग्गू अ, गंधिले गंधिलावई // 1 // 6 / रायहाणीयो इमायो, तंजहा-विजया वेजयन्ती जयंती अपराजिया / चक्कपुरा खग्गपुरा हवइ अवज्झा उज्झा य // 2 // 7 / इमे वक्खारा तंजहा-चन्दपव्वए 1 सूरपवए 2 नागपव्वए 3 देवपव्वए 4, 8 / इमायो णईयो सीयोयाए महाणईए दाहिणिल्ले कले-खीरोया सीहसोथा यंतरवाहिणीयो गाईयो 3, उम्मिमालिणी 1 फेणमालिणी 2 गंभीरमालिणी 3 उत्तरिल्लविजयाणन्तरा उत्ति, इत्थ परिवाडीए दो दो कूडा विजयसरिसणामया भाणिग्रव्या, इमे दो दो कूड़ा अवट्ठिया तंजहासिद्धाययणकडे पव्वयसरिसणामकूडे 1 // सूत्रं 103 // कहि णं भंते ! जंबुद्दीवे 2 महाविदेहे वासे मंदरे णामं पव्वए पराणत्ते ?, गोत्रमा ! उत्तरकुराए दक्खिणेणं देवकुराए उत्तरेणं पुब्वविदेहस्स वासस्स पच्चत्थिमेणं अवरविदे Page #160 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्रं :: चतुर्थो वक्षस्कारः ] [ 133 हस्स वासस्स पुरथिमेणं जंबुद्दीवस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरेणामं पव्वए पराणत्ते, णवणउतिजोश्रणसहस्साई उद्धं उच्चत्तेणं एगं जोगुणसहस्सं उव्वेहेणं मूले दसजोश्रणसहस्साई णवइं च जोषणाई दस य एगारसभाए जोत्रणस्स विक्खंभेणं, धरणियले दम जोत्रणसहस्साई विक्खंभेणं तयणंतरं च णं मायाए 2 परिहायमाणे परिहायमाणे उवरितले एगं जोश्रणसहस्सं विक्खंभेणं मूले एकत्तीसं जोत्रणसहस्साई णव य दसुत्तरे जोनणसए तिगिण अ एगारसभाए जोअणस्स परिक्खेवेणं धरणियले एकत्तीसं जोगुणसहस्साई छच्च तेवीसे जोअणसए परिक्खेवेणं उवरितले तिरिण जोगुणसहस्साई एगं च बावट्ठ जोगणसयं किंचिविसेसाहिग्रं परिक्खेवेणं मूले विच्छिराणे मज्झे संखित्ते उवरिं तणुए गोपुच्छसंठाणसंठिए सव्वरयणामए अच्छे सराहेत्ति 1 / से णं एगाए पउमवरवेइबाए एगेण य वणसंडेणं सव्वत्रो समंता संपरिक्खित्ते वरणश्रोत्ति, मंदरे णं भंते ! पव्वए कइ वणा पराणत्ता ?, गोयमा ! चत्तारि वणा पन्नत्ता, तंजहाभदसालवणे 1 णदणवणे 2 सोमणसवणे 3 पंडगवणे 4, 2 / कहि णं भंते ! मंदरे पव्वए भदसालवणे णामं वणे पन्नत्ते ?, गोत्रमा ! धरणियले * एत्थ णं मंदरे पव्वए भद्दमालवणे णामं वणे पराणत्ते पाइणपडीणायए उदीण-दाहिणविच्छिराणे सोमणस-विज्जुप्पह-गंधमायणमालवंतेहिं वक्खारपव्वएहिं सीबासीयोग्राहि अ महाणईहिं अट्ठभागपविभत्ते मंदरस्स पव्वयस्स पुरस्थिमपच्चत्थिमेणं बावीसं बावीसं जोत्रणसहस्साई अायामेणं उत्तरदाहिणेणं श्रद्धाइजाई अड्डाइजाई जोअणसयाई विवखंभेणंति, से णं एगाए पउमवरवेड्याए एगेण य वणसंडेणं सव्वयो समंता संपरिक्खित्ते दुराहवि वराणयो भाणिश्रवो किराहे किराहोभासे जाव देवा श्रासयंति सयंति 3 / मंदरस्स णं पव्वयस्स पुरथिमेणं भदसालवणं पराणासं जोषणाई श्रोगाहित्ता एत्थ णं महं एगे सिद्धाययणे पराणत्ते पराणासं जोषणाई थायामेणं Page #161 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 134 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः पणवीसं जोषणाई विक्खंभेणं छत्तीसं जोषणाई उद्धं उच्चत्तेणं अणेगखंभसयसरिणविढे वराणयो 4 / तस्स णं सिद्धाययणस्स तिदिसिं तयो दारा पत्नत्ता, ते णं दारा अट्ठ जोगणाई उद्धं उच्चत्तेणं चत्तारि जोयणाई विखंभेणं तावइयं चेव पवेसेणं सेथा वरकणगथूभित्रागा जाव वणमालायो भूमिभागो अ भाणियब्वो 5 / तस्स णं बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महं एगा मणिपेढिया पराणत्ता अट्ठजोगणाई यायामविक्खंभेणं चत्तारि जोयणाई बाहल्लेणं सव्वरयणामई अच्छा 6 / तीसे णं मणिपेढियाए उवरिं देवच्छन्दए अट्ठजोपणाई अायामविखंभेणं साइरेगाई अट्ठजोपणाई उद्धं उच्चत्तेणं जाव जिणपडिमावण्णो देवच्छंदगस्स जाव धूवकडुच्छुयाणं इति 7 / मंदरस्स णं पव्वयस्स दाहिणेणं भदसालवणं पराणासं एवं चउदिसिपि मंदरस्स भदसालवणे चत्तारि सिद्धाययणा भाणियव्या 8 / मंदरस्स णं पव्वयस्स उत्तरपुरस्थिमेणं भहसालवणं पराणासं जोगणाई श्रोगाहित्ता एत्थ णं चत्तारिणंदापुक्खरिणीयो पराणत्तायो, तंजहापउमा 1 पउमप्पभा 2 चेव, कुमुदा 3 कुमुदप्पभा 4, 1 / तायो णं पुक्खरिणीयो पराणासं जोयणाई यायामेणं पणवीसं जोषणाई विक्खंभेणं दसजोयणाई उव्वेहेणं वगणयो वेइग्रावणसंडाणं भाणिश्रव्यो 10 / चउद्दिसिं तोरणा जाव तासि णं पुक्खरिणीणं बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महं एगे ईसाणस्स देविंदस्स देवरगणो पासायवडिसए पराणत्ते पंचजोश्रणसयाई उद्धं उच्चत्तेणं श्रद्धाइजाई जोग्रणसयाई विक्खंभेणं थायामेणवि, अभुग्गयमूसिय एवं सपरिवारो पासायवडिंसयो भाणियव्यो 11 / मंदरस्स णं एवं दाहिणपुरस्थिमेणं पुक्खरिणीयो उप्पलगुम्माणलिणा उप्पला उप्पलुजला तं चेव पमाणं मज्झे पासायवडिसयो सकस्स सपरिवारो तेणं चेव पमाणेणं दाहिणपञ्चत्थिमेणवि पुक्खरिणीयो भिंगा भिंगनिभा चेव, अंजणा अंजणप्पभा 12 / पासायवडिसो सकस्स सीहासणं Page #162 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्रं :: चतुर्थो वक्षस्कारः ) [ 135 सपरिखारं, उत्तरपुरस्थिमेणं पुक्खरिणीयो-सिरिकता 1 सिरिचंदा 2 सिरिमहिया 3 चेव सिरिणिलया 4 / पासायवडिसो ईसाणस्स सीहासणं सपरिवारंति 13 / मंदरे णं भंते ! पधए भदसालवणे कइ दिसाहत्थिकूडा पत्नत्ता ?, गोयमा ! अट्ट दिसाहस्थिकूडा पराणत्ता, तंजहा-पउमुत्तरे 1 णीलवंते 2 सुहत्थी 3 अंजणागिरी 4 / कुमुदे अ५ पलासे अ६, वडिंसे 7 रोश्रणागिरी = // 1 // 14 / कहि णं भंते ! मंदरे पव्वए भदसालवणे पउमुत्तरे णाम दिसाहत्थिकूडे पन्नत्ते ?, गोत्रमा ! मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरपुरस्थिमेणं पुरथिमिल्लाए सीधाए उत्तरेणं एत्थ णं पउमुत्तरेणाम दिसाहत्थिकूडे पराणत्ते पंचनोत्रणसयाई उद्धं उच्चत्तेणं पंचगाउअसयाई उव्वेहेणं एवं विक्खंभपरिक्खेवो भाणिश्रवो चुल्लहिमवंतसरिसो, पासायाण य तं चेव पउमुत्तरो देवो रायहाणी उत्तरपुरस्थिमेणं 1, 15 / एवं णीलवंतदिसाहथिकूडे मंदरस्स दाहिणपुरस्थिमेणं पुरथिमिल्लाए सीअाए दक्खिणेणं एअस्सवि नीलवंतो देवो रायहाणी दाहिणपुरस्थिमेणं 2, 16 / एवं सुहत्थिदिसाहथिकूडे मदरस्स दाहिणपुरस्थिमेणं दक्खिणिलाए सीबोयाए पुरथिमेणं एग्रस्सवि सुहत्थी देवो रायहाणी दाहिणपुरथिमेणं 3, 17 / एवं चेव अंजणागिरिदिसाहत्थिकूडे मंदरस्स दाहिणपञ्चत्थिमेणं दक्खिणिलाए सीयोगाए पञ्चत्थिमेणं, एअस्सवि अंजणागिरी देवो रायहाणी दाहिणपञ्चत्थिमेणं 4, 18 / एवं कुमुदे विदिसाहत्थिकूडे मंदरस्स दाहिणपञ्चत्थिमेणं पचत्थिमिल्लाए सीयोगाए दक्खिणेणं एस्सवि कुमुदो देवो रायहाणी दाहिणपञ्चत्थिमेणं 5, 16 / एवं पलासे विदिसाहत्थिकूडे मंदरस्स उत्तरपञ्चत्थिमेणं पचत्थिमिल्लाए सीबोत्राए उत्तरेणं एअस्सवि पलासो देवो रायहाणी उत्तरपञ्चत्थिमेणं 6, 20 / एवं वडेंसे विदिसाहत्थिकूडे मंदरस्स उत्तरपचत्थिमेणं उत्तरिलाए सीयाए महाणईए पञ्चस्थिमेणं एअस्सवि वडेंसो देवो रायहाणी उत्तरपञ्चस्थिमेणं 21 / एवं रोषणागिरी Page #163 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 136 ) . [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः दिसाहत्थिकूडे मंदरस्स उत्तरपुरस्थिमेणं उत्तरिल्लाए सीयाए पुरस्थिमेणं एयस्सवि रोणागिरी देवो रायहाणी उत्तरपुरस्थिमेणं 22 ॥सूत्रं 104 // कहि णं भंते ! मंदरे पव्वए णंदणवणे णामं वणे पराणते ?, गोयमा ! भदसालवणस्स बहुसमरमणिज्जायो भूमिभागायो पञ्चजोग्रणसयाई उद्धं उप्पइत्ता एत्थ णं मंदरे पव्वए णंदणवणे णामं वणे पराणत्ते पंचजोयणसयाई चकवालविक्खंभेणं व? वलयाकारसंठाणसंठिए जे णं मंदरं पव्वयं सव्वयो समंता संपरिक्खित्ताणं चिट्टइत्ति णवजोत्रणसहस्साई णव य वउप्पराणे जोत्रणसए छच्चेगारसभाए जोयणस्स बाहिं गिरिविक्खंभो एगत्तीसं जोयणसहस्साइं चत्तारि अ अउणासीए जोयणसए किंचिविसेसाहिए बाहिं गिरिपरिरएणं अट्ट जोग्रणसहस्साई णव य चउप्पराणे जोश्रणसए छच्चेगारसभाए जोअणस्स अंतो गिरिविक्खंभो अट्ठावीसं जोश्रणसहस्साई तिरिण य सोलसुत्तरे जोत्रणसए अट्ट व इक्कारसभाए जोगुणस्स अंतो गिरिपरिरएणं, से णं एगाए पउमवरवेइयाए एगेण * य वणसंडेणं सव्वयो समंता संपरिक्खित्ते वराणयो जाव देवा श्रासयंति 1 / मंदरस्स णं पव्वयस्स पुरस्थिमेणं एस्थ णं महं एगे सिद्धाययणे परणत्ते एवं चउदिसिं चत्तारि सिद्धाययणा विदिसासु पुक्खरिणीयो त चेव पमाणं सिद्धाययणाणं पुक्खरिणीणं च पासायव डिंसगा तह चेव सक्केसाणाणं तेणं चेव पमाणेणं 2 णंदणवणे णं भंते ! कइ कूडा पराणत्ता ?, गोत्रमा ! णव कूडा पराणत्ता, तंजहा-णंदणवणकूडे 1 मंदरकूडे 2 णिसहकूडे 3 हिमवयकूडे 4 रययकूडे 5 रुअगकूडे 6 सागरचित्तकूडे 7 वइरकूडे 8 बलकूडे 1, 3 / कहि णं भंते ! णंदणवणे णंदणवणकूडे णामं कूडे पराणत्ते ?, गोमा ! मंदरस्स पव्वयस्स पुरथिमिलसिद्धाययणस्स उत्तरेणं उत्तरपुरथिमिल्लस्स पासायवडेंसयस्स दक्खिणेणं, एत्थ णं णंदणवणे णंदणवणे णामं कूडे पराणत्ते पंचसइया कूडा पुव्ववरिणया भाणिश्रव्वा, देवी मेहंकरा राय Page #164 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्र :: चतुर्थो वक्षस्कारः [137 हाणी विदिसाएत्ति 1, 4 / एयाहिं चेव पुवाभिलावेणं अव्वा इमे कूडा इमाहिं दिसाहिं पुरथिमिल्लस्स भवणस्स दाहिणेणं दाहिणपुरथिमिल्लस्स पासायवडेंसगस्स उत्तरेणं मंदरे कूडे मेहबई रायहाणी पुव्वेणं 2, 5 / दक्खिणिलस्स भवणस्स पुरथिमेणं दाहिणपुरथिमिलस्स पासायवडेंसगास पञ्चत्थिमेणं णिसहे कूडे सुमेहा देवी रायहाणी दक्खिणेणं 3, 6 / दक्खिणिलस्स भवणस्स पञ्चत्थिमेणं दक्खिणपच्चस्थिमिलस्स पासायवडेंसगस्स पुरस्थिमेणं हेमवए कूडे हेममालिनी देवी रायहाणी दक्खिणेणं 4, 7 / पच्चस्थिमिल्लस्स भवणस्स दक्खिणेणं दाहिणपच्चत्थिमिलस्स पासायवडेंसगस्स उत्तरेणं रयए कूडे सुवच्छ। देवी रायहाणी पच्चत्थिमेणं. 5, 8 / पञ्चस्थिमिल्लस्स भवणस्स उत्तरेणं उत्तरपच्चत्थि. मिल्लस्स पासायवडेंसगस्स दक्खिणेणं रुनगे कूडे वच्छमित्ता देवी रायहाणी पञ्चस्थिमेणं 6, 1 / उत्तरिल्लस्स भवणस्स पचत्थिमेणं उत्तर पचत्थिमिल्लस्स पासायवडेंसगस्स पुरस्थिमेणं सागरचित्ते कूडे वइरसेणा देवी रायहाणी उत्तरेणं 7,10 / उत्तरिलस्स भवणस्स पुरथिमेणं उत्तरपुरथिमिल्लस्स पासायम.सगस्स पञ्चत्थिमेणं वइरकूडे बलाहया देवी रायहाणी उत्तरेणंति 8, 11 / कहि णं भंते ! णंदणवणे बलकूडे णामं कूडे पराणत्ते ?, गोत्रमा ! मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरपुरथिमेणं एत्थ णं णंदणवणे बलकूडे णाम कूडे पराणत्ते, एवं जं चेव हरिस्सहकूडस्स पमाणं रायहाणी श्र तं चेव बलकूडस्सवि, णवरं बलो देवो रायहाणी उत्तरपुरस्थिमेणंति 12 / सूत्रं 105 // कहि णं भंते ! मंदरए पव्वए सोमणसवणे णामं वणे पराणत्ते ?, गोत्रमा ! णंदणवणस्स बहूसमरमणिजायो भूमिभागायो यद्धतेवढेि जोश्रणसहस्साई उद्धं उप्पइत्ता एत्थ णं मंदरे पव्वए सोमणसवणे णामं वणे पराणत्ते पंचजोयणसयाई चकवालविक्खंभेणं वट्टे वलयाकारसंठाणसंठिए जे णं मंदरं पव्वयं सव्वश्रो समंता संपरिक्खित्ताणं Page #165 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 138 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः चिट्ठइ 1 / चत्तारि जोश्रणसहस्साई दुरिण य बावत्तरे जोत्रणसए अट्ठ य इकारसभाए जोश्रणस्स बाहिं गिरिविक्खंभेणं तेरस जोअणसहस्साई पंच य एकारे जोश्रणसए छच्च इकारसभाए जोत्रणस्स बाहिं गिरिपरिरएणं तिरिण जोत्रणसहस्साई दुरिण अ बावत्तरे जोअणसए अट्ठ य इक्कारसभाए जोयणस्स अंतो गिरिविक्खंभेणं दस जोश्रणसहस्साई तिरिण अ अउणापरणे जोश्रणसए तिगिण अ इकारसभाए जोत्रणस्स अंतो गिरिपरिरएणंति 2 / से णं एगाए पउमवरवेइयाए एगेण य वणसंडेणं सव्वश्रो समंता संपरिक्खित्ते वरणग्रो किराहे किराहोभासे जाव थासयंति एवं कूडवजा सच्चेव णंदणवणवत्तव्वया भाणियब्वा, तं चेव योगाहिऊण जाव पासायवडेंसगा सकीसाणाणंति 3 // सूत्रं 106 // कहि णं भंते ! मंदरपव्वए पंडगवणे णाम वणे पराणत्ते ?, गोयमा ! सोमणसवणस्स बहुसमरमणिजायो भूमिभागायो छत्तीसं जोश्रणसहस्साई उद्धं उप्पइत्ता एस्थ णं मंदरे पव्वए सिहरतले पंडगवणे णामं वणे पराणत्ते, चत्तारि चउणउए जोयणसए चकवालविक्खंभेणं वटै वलयाकारसंठाणसंठिए, जे णं मंदरचूलियं सव्वश्रो समंता संपरिक्खित्ताणं चिट्टइ तिगिण जोश्रणसहस्साई एगं च बावट्ठ जोगणसयं किंचिविसेसाहियं परिक्खेवेणं 1 / से णं एगाए पउमवरवेइबाए एगेण य वणसंडेणं जाव किराहे देवा यासयंति 2 / पंडगवणस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं मंदरचूलिया णाम चूलिया पराणत्ता चत्तालीसं जोषणाई उद्धं उच्चत्तेणं मूले बारस जोत्रणाई विक्खंभेणं मज्झे अट्ठ जोगणाई विक्खंभेणं उप्पिं चत्तारि जोशणाई विक्खंभेणं मूले साइरेगाइं सत्तत्तीसं जोषणाई परिक्खेवेणं मज्झे साइरेगाइं पणवीसं जोषणाई परिक्खेवेणं उप्पिं साइरेगाई बारस जोषणाई परिक्खेवेणं मूले विच्छिराणा मज्झे संखित्ता उप्पिं तणुया गोपुच्छसंगणसंठिया सव्ववेरुलिश्रामई अच्छा 3 / सा णं एगाए पउमवरवेइअाए जाव संपरिक्खित्ता Page #166 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमजम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग मूत्रं :: चतुर्थो वक्षस्कार : ] [ 136 इति उप्पि बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे जाव सिद्धाययणं बहुमज्झदेसभाए कोसं यायामेणं अद्रकोसं विक्खंभेणं देसूणगं कोसं उद्धं उच्चत्तेणं योगखंभमय जाव धुवकडुच्छुगा 4 / मंदरचूलियाए णं पुरथिमेणं पंडगवणं पराणामं जोयणाई योगाहित्ता एत्थ णं महं एगे भवगो पराणत्ते 5 / एवं जच्चेव मोमणसे पुव्यवरियो गमो भवणाणं युक्खरिणीणं पासायवडेंसगाण य सो चव गणयब्यो जाव सकीसाणवडेंसगा तेणं चेव परिमाणेणं 6 ॥सूत्रं 107 // पराडकवणे णं भंते ! वणे कइ अभिसेसिलायो पराणत्तायो ?, गोयमा ! चत्तारि अभिसे ग्रसिलायो पराणत्तायो, तंजहा-पंडुसिला 1 पराडुकंबलसिना 2 रत्तसिला 3 रत्तकम्बलसिलेति 4, 1 / कहि णं भंते ! पराडगवणे पराडुसिलाणामं सिला पराणत्ता ?, गोयमा ! मंदरचूलियाए पुरस्थिमेणं पंडगवणपुरस्थिमपेरंते, एत्थ णं पंडगवणे पंडसिला णामं सिला पराणत्ता उत्तरदाहिणायया पाईणपडीणविच्छिराणा श्रद्धचंदसंठाणमंठिया पंचजोयणसयाई यायामेणं श्रद्धाइजाई जोगुणसयाई विक्खंभेणं चत्तारि जोयणाई वाहल्लेणं सव्वकणगामई अच्छा 2 / वेइग्रावणसंडेणं सवयो समंता संपरिक्खित्ता वगणयो, तीसे णं पराडुसिलाए चउहिसि चत्तारि तिसोवाणपडिरूवगा पराणत्ता जाव तोरणा वराणयो, तीसे णं पराडुसिलाए उप्पिं बहुममरमणिज्जे भूमिभागे पराणत्ते जाव देवा यासयंति 3 / तस्स णं बहुममरमणिजस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए उत्तरदाहि. गणं एत्थ णं दुवे अभिसेय-सीहासणा पराणत्ता पंच धणुसयाई प्रायामविश्वंभेणं यद्धाइजाई धणुसयाई बाहल्लेणं सौहासणवराणयो भाणियव्यो विजयदूसबजोति 4 / तत्थ णं जे से उत्तरिले सीहासणे तत्थ णं बहूहिं भवणवइ-बाणमंतर-जोइमिय-वेमाणिएहिं देवेहिं देवीहि य कच्छाइया तित्थयरा अभिसिच्चंति, तत्थ णं जे से दाहिणिल्ले सीहासणे तत्थ णं वहूहिं भवण 'जाव वेमाणिएहि देवेहिं देवीहि य वच्छाईया तित्थयरा Page #167 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 140 ] . [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभाग अभिसिच्चंति 5 / कहि णं भंते ! पण्डगवणे पण्डुकंवलासिलाणामं सिला पराणत्ता ?, गोत्रमा ! मंदरचूलियाए दक्खिणेणं पराडगवणदाहिणपेरंते, एत्थ णं पंडगवणे पंडुकंबलसिलाणामं सिला पराणत्ता, पाईणपडीणायया उत्तरदाहिणविच्छिराणा एवं तं चेव पमाणं वत्तव्बया य भाणिव्वा जाव तस्स णं बहुसमरमणिजस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महं एगे सीहासणे पराणत्ते, तं चेव सीहासणप्पमाणं तत्थ णं बहूहिं भवणवइ जाव भारहगा तित्थयरा अहिसिच्चंति 6 / कहि णं भंते ! पराडगवणे रत्तसिला णामं सिला पराणत्ता ?, गोत्रमा ! मंदरचूलियाए पचत्थिमेणं पराडगवणपञ्चत्थिमपेरंते, एत्थ णं पराडगवणे रत्तसिला णामं सिला पराणत्ता उत्तरदाहिणायया पाईणपडीणविच्छिराणा जाव तं चेव पमाणं सव्वतवणिजमई अच्छा 7 / उत्तरदाहिणेणं एत्थ णं दुवे सीहासणा पराणत्ता, तत्थ णं जे से दाहिणिल्ले सीहासणे तत्थ णं बहुहिं भवणवइ-वाणमंतर-जोइसियवेमाणिएहिं देवेहिं देवीहि अ पम्हाइया तित्थयरा अहिसिच्चंति, तत्थ णं जे से उत्तरिल्ले सीहासणे तत्थ णं बहहिं भवण जाव वप्पाइया तित्थयरा अहिसिच्चंति 8 / कहि णं भंते ! पराडगवणे रत्तकंबलसिला णामं सिला पराणत्ता ?, गोत्रमा ! मंदरचूलियाए उत्तरेणं पंडगवणउत्तरचरिमते एत्थ णं पंडगवणे रत्तकंबलसिला णामं सिला पराणत्ता, पाईणपडीणायया उदीणदाहिणविच्छिण्णा सवतवणिजमई अच्छा जाव मज्झदेसभाए सीहासणे, तत्थ णं बहूहिं भवणवइ जाव देवेहिं देवीहि अ एरावयगा तित्थयरा अहिसिच्चंति // सूत्रं 108 // मंदरस्स णं भंते ! पव्वयस्स कइ कराडा पराणत्ता ?, गोयमा ! तो कंडा पराणत्ता, तंजहा-हिट्टिल्ले कंडे मज्झिल्ले कराडे उवरिल्ले कराडे 1 / मंदरस्स णं भंते ! पव्वयस्स हिडिल्ले कराडे कतिविहे पराणत्ते ?, गोत्रमा ! चउब्विहे पण्णत्ते, तंजहा-पुढवी 1 उवले 2 वहरे 3 सक्करा 4, 2 / मज्झिमिल्ले णं भंते ! कण्डे कतिविहे पराणते ?, Page #168 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्र :: चतुर्थो वक्षस्कारः ] [ 141 गोत्रमा ! चउविहे पराणत्ते, तंजहा-अंक 1 फलिहे 2 जायस्वे 3 रयए 4,3 / उवरिल्ले कराडे कतिविहे पण्णत्ते?,गोत्रमा ! एगागारे पराणत्ते सव्वजम्बूणयामए 4 / मंदरस्स णं भंते ! पव्वयस्स हेट्ठिल्ले कराडे केवइयं बाहल्लेणं पराणत्ते ?, गोयमा ! एगं जोअणसहस्सं बाहल्लेणं पराणत्ते 5 / मन्झिमिल्ले कराडे पुच्छा, गोत्रमा ! तेवढि जोश्रणसहस्साई बाहल्लेणं पराणत्ते 6 / उवरिल्ले पुच्छा, गोयमा ! छत्तीसं जोश्रणसहस्साई बाहल्लेणं परणत्ते 7 / एवामेव सपुव्वावरेणं मंदरे पव्वए एगं जोश्रणसयसहस्सं सव्वग्गेणं पराणत्ते 8 ॥सूत्रं 101 // मंदरस्स णं भंते ! पव्वयस्म कति णामधेजा पराणत्ता ?, गोमा ! सोलस णामधेजा पराणत्ता, तंजहा-मंदर 1 मेरु 2 मणोरम 3 सुदंसण 4 सयंपभे अ५ गिरिराया 6 / रयणोचय 7 सिलोचय 8 मज्झे लोगस्स 1 णाभी य 10 // 1 // अच्छे(त्थे) अ 11 सूरिधावत्ते 12, सूरियावरणे 13 तिया / उत्तमे(रे) 14 अ दिसादी 15, वडेंसेति 16 असोलसे॥ 2 // 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुचइ मंदरे पव्वए 21, गोत्रमा ! मंदरे पव्वए मंदरे णामं देवे परिखसइ महिद्धीए जाव पलियोवमटिइए, से तेण?णं गोत्रमा ! एवं वुचइ मंदरे पव्वए 2 अदुत्तरं तं चेवत्ति 2 // सूत्रं 110 // कहि णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे णीलवंते णामं वासहरपव्वए पराणते ?, गोयमा ! महाविदेहस्स वासस्स उत्तरेणं रंगवासस्स दक्खिणेणं पुरथिमिल्ललवणसमुदस्स पचत्थिमेणं पञ्चत्थिमलवणसमुदस्स पुरस्थिमेणं एत्थ णं जंबुद्दीवे 2 णीलवंते णामं वासहरपव्वए पराणत्ते पाईणपडीणायए उदीणदाहिणविच्छिराणे णिसहवत्तव्वया णीलवंतस्स भाणिव्वा 1 / णवरं जीवा दाहिणेणं धणु उत्तरेणं एत्थ णं केसरिदहो दाहिणेणं सीबा महाणई पवूढा समाणी उत्तरकुरु एज्जेमाणी 2 जमगपव्वए णीलवंत-उत्तरकुरु-चंदेरावतमालवंतहहे श्र दुहा विभयमाणी 2 चउरासीए सलिलासहस्सेहिं श्रापरेमाणी 2 भदसालवणं एज्जेमाणी 2 मंदरं Page #169 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 142 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः पब्वयं दोहिं जोग्रणेहिं असंपत्ता पुरत्थाभिमुही श्रावत्ता समाणी अहे मालवंतवक्खारपब्वयं दालयित्ता मदरस्स पब्वयस्स पुरथिमेणं पुव्वविदेहवासं दुहा विभयमाणी 2 एगमेगायो चकवट्टिविजयायो अट्ठावीसाए 2 सलिलासहस्सेहिं अापरेमाणी 2 पंचहिं सलिलासयसहस्सेहिं बत्तीसाए श्र सलिलासहस्सेहिं समग्गा अहे विजयस्स दारस्स जगई दालइत्ता पुरस्थिमेणं लवणसमुह समप्पेइ, अवसिट्ठ तं चेवत्ति 2 / एवं णारिकतावि उत्तराभिमुही अव्वा, णवरमिमं णाणत्तं गंधावइवट्टवेअद्धपव्वयं जोगणेणं .. असंपत्ता पञ्चत्थाभिमुही पावत्ता समाणी अवसिटुंतं चेव पवहे अ मुहे अ जहा हरिकतासलिला इति 3 / गीलवंते णं भंते ! वासहरपव्वए कइ कूडा परागत्ता ?, मोग्रमा ! नव कडा पराणत्ता, तंजहा-सिद्धाययणकडे 2, सिद्धे 1 णीले 2 पुव्वविदेहे 3 सीया य 4 कित्ति 5 णारी अ६ / अवरविदेहे 7 रंगकडे 8 उवदंसणे चेव 1 // 1 // 4 / सव्वे एए कूड़ा पंचसइया रायहाणीउ उत्तरेणं 5 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-णीलवंते वासहरपब्वर 2 ?. गोयमा ! गीले णीलोभासे णीलवंते थ इत्थ देवे महिद्धीए जाव परिवसइ सबवेरुलियामए णीलवंते जाव णिच्चेति 6 ॥सूत्रं 111 // कहि णं भंते ! जम्बुद्दीवे 2 रम्मए णामं वासे पराणते ?, गोयमा ! णीलवंतस्स उत्तरेणं रुप्पिस्स दक्खिणेणं पुरथिमलवणसमुदस्स पचत्थिमेणं पञ्चत्थिमलवणसमुहस्स पुरस्थिमेणं एवं जह चेच हरिवासं तह चेव रम्मयं वासं भाणिश्रव्वं, णवरं दक्खिणेणं जीवा उत्तरेणं धणु अवसेसं तं चेव 1 / कहि णं भंते ! रम्मए वासे गंधावईणामं वट्टवेयद्धपव्वए पराणत्ते ?, गोत्रमा ! णरकताए पचत्थिमेणं णारीकंताए पुरथिमेणं रम्मगवासस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं गंधावईणामं वट्टवेअद्धे पवए पराणत्ते, जं चेव विग्रडावइस्स तं चेव गंधावइस्सवि वत्तव्वं, अट्ठो बहवे उप्पलाई जाव गंधावईवरणाइं गंधावइप्पभाई पउमे श्र इत्थ देवे महिद्धीए जाव पलियो. Page #170 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्धोपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्रं :: चतुर्थो वक्षस्कारः ] [ 143 वमट्टिईए परिवसइ, रायहाणी उत्तरेणंति 2 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ रम्मए वासे 2 ?, गोत्रमा ! रम्मगवासे णं रम्मे रम्मए रमणिज्जे रम्मए श्र इत्थ देवे जाव परिवसइ, से तेण?णं जाव वुच्चइ रम्मएवासे 2, 3 / कहि णं भंते ! जम्बुद्दीवे 2 रुप्पी णामं वासहरपव्वए पराणत्ते?, गोत्रमा ! रम्मगवासस्स उत्तरेणं हेरगणवयवासस्स दक्खिणेणं पुरथिमलवणसमुइस्स पच्चस्थिमेणं पचत्थिमलवणसमुदस्स पुरथिमेणं एत्थ णं जम्बुद्दीवे दीवे रुप्पी णामं वासहरपव्वए पराणत्ते पाईणपडीणायए उदीणदाहिणविच्छिण्णे 4 / एवं जा चेव महाहिमवंतवत्तव्वया सा चेव रुप्पिस्सवि, णवरं दाहिणेणं जीवा उत्तरेणं धणु अवसेसं तं चेव महापुराडरीए दहे णरकंता णदी दक्खिणणं णेयव्वा जहा रोहिश्रा पुरथिमेणं गच्छइ, रुप्पकूला उत्तरेणं अव्वा जहा हरिकता पञ्चत्थिमेणं गच्छइ, अवसेसं तं चेवत्ति 5 / रुप्पिमि णं भंते ! वासहरपव्वए कइ कूडा परणत्ता ?, गोयमा ! अट्ठ कूडा पराणत्ता, तंजहा-सिद्धे 1 रुप्पी 2 रम्मग 3 णरकता 4 बुद्धि 5 रुप्पकूला य 6 / हेरराणवय 7 मणिकंचण 8 अट्ठ य रुप्पिमि कूडाई // 1 // 6 / सव्वेवि एए पंचसइया रायहाणीयो उत्तरेणं 7 / से केण?णं भंते। एवं वुचइ रुप्पी वासहरपब्वए 2 ?, गोत्रमा ! रुप्पीणामवासहरपव्वए रुप्पी रुप्पपट्टे रुप्पोभासे सव्वरुप्पामए रुप्पी अ इत्थ देवे पलियोवमट्टिईए परिवसइ, से एएणतुणं गोत्रमा ! एवं वुच्चइत्ति 8 / कहि णं भंते ! जम्बुद्दीवे 2 हेर. राणवए णामं वासे पराणत्ते ?, गोयमा ! रुप्पिस्स उत्तरेणं सिहरिस्स दक्खिणेणं पुरथिमलवणसमुदस्स पचत्थिमेणं पञ्चत्थिमलवणसमुदस्स पुरस्थिमेणं एत्थ णं जम्बुद्दीवे दीवे हिरगणवए वासे पराणत्ते, एवं जह चेव हेमवयं तह चेव हेरराणवयंपि भाणिश्रव्, णवरं जीवा दाहिणेणं उत्तरेणं धणु अवसिट्ठतं चेवत्ति 1 / कहि णं भंते ! हेरराणवए वासे मालवंतपरिवाए णामं वट्टवेश्रद्धपव्वए पराणते ?, गोयमा ! सुवरणकूलाए Page #171 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 144 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः पञ्चत्थिमेणं रुप्पकूलाए पुरत्थिमेणं एत्थ णं हेरणवयस्स वासस्स बहुमज्झदेसभाए मालवंतपरिवाए णामं वट्टवेअड्डे पराणत्ते जह चेव सदावइ तह चेव मालवंतपरिवाएवि, अट्ठो उप्पलाइं पउमाई मालवंतप्पभाई मालवंतवराणाई मालवंतवराणाभाई पभासे श्र इत्थ देवे महिद्धीए पलिग्रोवमट्टिईए परिवसइ, से एएण?णं जाव बुच्चइ, रायहाणो उत्तरेणंति 10 / से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-हेरगणवए वासे 2, गोत्रमा! हेरराणवए णं वासे रुप्पीसिहरीहिं वासहरपन्नएहिं दुहरो समवगूढे णिच्चं हिरगणं दलइ णिच्चं हिरगणं मुचइ णिच्चं हिरगणं पगासइ हेरगणवए अ इत्थ देवे परिवसइ से एएणद्वेणंति 11 / कहि णं भंते ! जम्बुद्दोवे दीवे सिहरी णामं वासहरपव्यए पराणत्ते ?, गोमा ! हेरगणवयस्स उत्तरेणं एरावयस्स दाहिणेणं पुरस्थिमलवणसमुदस्स . पञ्चत्थिमेणं पञ्चत्थिमलवणसमुदस्स पुरस्थिमेणं, एवं जह चेव चुल्लहिमवंतो तह चेव सिहरीवि णवरं जीवा दाहिणेणं धणु उत्तरेणं अवसिट्टतं चेत्र पुराडरीए दहे सुवरणकूला महाणई दाहिणेणं णेवा जहा रोहिअंसा पुरथिमेणं गच्छइ, एवं जह चेव गंगासिंधूथो तह चेव रत्तारत्तवईयो णेशव्वायो पुरस्थिमेणं रत्ता पच्चत्थिमेण रत्तवई अवसिद्ध तं चेव, [ अवसेसं णेयव्वं ] 12 / सिहरिम्मि णं भंते ! वासहरपबए कइ कूडा पराणता ?, गोयमा ! इक्कारस कूडा पन्नत्ता, तंजहा-सिद्धाययणकूडे 1 सिहरिकूडे 2 हेरगणवयकूडे 3 सुवरणकलाकडे 4 सुरादेवीकूडे 5 रत्ताकूडे 6 लच्छीकूडे 7 रत्तवईकूडे 8 इलादेवीकूडे 1 एरवयकडे 10 तिगिच्छिकूडे 11, एवं सब्वेवि कूडा पंचसइया रायहाणीयों उत्तरेणं 13 / से कण?णं भंते ! एवमुच्चइ सिहरिवासहरपव्वर 2 ?, गोत्रमा ! सिहरिमि वासहरपव्वए बहवे कूडा सिहरिसंठाणसंठिया सव्वरयणामया सिहरी अ इत्थ देवे जाव परिवसइ, से तेणढेणं जाव वुच्चइ 14 / कहि णं भंते ! Page #172 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्र :: पञ्चमो वक्षस्कारः ) [ 145 जंबुद्दीवे दीवे एरावए णामं वासे पराणते ?, गोत्रमा ! सिहरिस्स उत्तरेणं उत्तरलवणसमुदस्स दक्खिणेणं पुरथिमलवणसमुदस्स पच्चत्थिमेणं पच्चत्थिमलवणसमुदस्स पुरथिमेणं, एत्य णं जंबुद्दीवे दीवे एरावए णामं वासे पराणत्ते, खाणुबहुले कंटकबहुले, एवं जच्चेव भरहस्स वत्तव्वया सच्चेव सव्वा निरवसेसा णेशव्वा सरोवणा सणिक्खमणा सपरिनिव्वाणा, णवरं एरावयो चक्कवट्टी एरावयो देवो, से तेण?णं एरावए वासे 2 15 // सूत्रं 112 // वासहरवास वराणो // // इति चतुर्थो वक्षस्कारः // 4 // // अथ पञ्चमो जिनजन्माभिषेकाख्यो वक्षस्कारः // ___जयाणं एकमेक्के चक्वट्टिविजए भगवंतो तित्थयरा समुप्पज्जति तेणं कालेणं तेणं समएणं अहेलोगवत्थव्वाश्रो अट्ट दिसाकुमारीयो महत्तरियायो सएहिं 2 कूडेहिं सएहिं 2 भवणेहिं सएहिं 2 पासायवडेंसएहिं पत्तेयं 2 चाहिं सामाणिअसाहस्सीहिं चउहि महत्तरित्राहिं सपरिवाराहिं सत्तहिं अणिएहिं सत्तहिं अणिवाहिवईहिं सोलसएहिं पायरक्खदेवसाहस्सीहिं अराणेहि अ बहूहिं. भवणवइवाणमंतरेहिं देवेहिं देवीहि असद्धिं संपरिबुडाथो महया हयणट्टगीयवाइन जाव भोगभोगाई भुजमाणीश्रो विहरंति, तंजहाभोगकरा 1 भोगवई 2, सुभोगा 3 भोगमालिनी 4 / तोयधारा 5 विचित्ता य 6, पुष्फमाला 7 अणिंदिया 8 // 1 // 1 / तए णं तासिं यहेलोगवत्थव्वाणं अट्ठगहं दिसाकुमारीणं मयहरियाणं पत्तेयं पत्तेयं यासणाइं चलंति 2 / तए णं तात्रो अहेलोगवत्थव्वायो अट्ट दिसाकुमारीयो महरियायो पत्तेयं 2 ग्रासणाई चलिगाइं पासंति 2 ता अोहिं पउंजंति पउंजित्ता भगवं तित्थयरं श्रोहिणा अाभोएंति 2 ता अण्णमगणं सदाविति 2 ता एवं वयासी-उप्पराणे खलु भो ! जंबुद्दीवे दीवे भयवं ! तित्थयरे तं Page #173 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 146 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः जीयमे तीअपच्चुप्पराणमणागयाणं अहेलोगवत्थव्वाणं अट्टराहं दिसाकुमारीमहत्तरियाणं भगवयो तित्थगरस्स जम्मणमहिमं करेत्तए, तं गच्छामो णं अम्हेवि भगवो जम्मणमहिमं करेमोत्तिकट्टु एवं वयंति 2 त्ता पत्तेयं पत्तेयं श्राभियोगिए देवे सदावेंति 2 ता एवं क्यासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! अणेगखंभसयसरिणविट्ठ लीलट्ठिय एवं विमाणवराणयो भाणिवो जाव जोअणविच्छिराणे दिव्वे जाणविमाणे विउवित्ता एप्रमाणत्तियं पञ्चप्पिणहत्ति 3 / तए णं ते अाभियोगा देवा अगोगखंभसय जाव पच्चप्पिणंति 4 / तए णं तायो पहेलोगवत्थव्वायो अट्ट दिसाकुमारीमहत्तरियायो हट्टतुट्टचित्तमाणंदिया पीश्रमणा परमसोमणस्सिया हरिसवस-विसप्पमाणहिया विग्रसित्र-वरकमलनयणा पचलिअ-वरकडगतुडिअ-केऊर-मउड-कुराडल-हारविरायंतरइअवच्छा पालंबपलंबमाण-घोलंत भूसणधरा असंभमं तुरियं चवलं सीहासणायो अब्भुट्ठति 2 ता पत्तेयं पत्तेयं चाहिं सामाणिसाहस्सीहिं चउहि महत्तरियाहिं जाव अराणेहिं बहूहि देवेहिं देवीहि अ सद्धिं संपरिवुडायो ते दिव्वे जाणविमाणे दुरूहंति दुरूहिता सव्विड्डीए सव्वजुईए घणमुइंग-पणव जाव पवाइयरवेणं ताए उकिट्ठाए जाव देवगईए जेणेव भगवयो तित्थगरस्स जम्मणणगरे जेणेव तित्थयरस्स जम्मणभवणे तेणेव उवागच्छंति 2 ता भगवयो तित्थयस्स जम्मणभवणं तेहिं दिव्वेहिं जाणविमाणेहिं तिखुत्तो पायाहिणपयाहीणं करेंति करित्ता उत्तरपुरस्थिमे दिसीभाए ईसिं चउरंगुलमसंपत्ते धरणियले ते दिव्वे जाणविमाणे ठविति ठवित्ता पत्तेयं 2 चउहिं सामाणिसहस्सेहिं जाव सद्धिं संपरिबुडायो दिव्वेहितो जाणविमाणेहितो पचोरुहंति 2 ता सन्धिद्धीए जाव णाइएणं जेणेव भगवं तित्थयरे तित्थयरमाया य तेणेव उवागच्छंति 2 ता भगवं तित्थयरं तित्थयरमायरं च तिखुत्तो पायाहिणपयाहिणं करेंति 2 ता पत्तेयं 2 Page #174 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीम: जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्र :: पश्चमो वक्षस्कारः ] / 147 करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए यंजलिं कटु एवं वयासो-णमोत्थु ते रयणकुच्छिधारिए जगप्पईवदाईए सव्वजगमंगलस्स चक्खुणो अ मुत्तस्स मव्यजगनीववच्छलस्स हियकारग-मग्गदेसिय-पागिद्धिविभुपभुस्स जिणस्स गाणिस्स नायगस्स बुहस्स बोहगस्स सव्वलोगनाहस्स निम्ममस्स पवरकुलसमुभवस्स जाईए खत्तियस्स जंसि लोगुत्तमस्स जणणी धरणासि तं पुराणासि कयत्थासि, अम्हे णं देवाणुप्पिए ! अहेलोगवत्थव्वायो अट्ठ दिसाकुमारीमहत्तरियायो भगवयो तित्थगरस्स जम्मणमहिमं करिस्सामो नगणं तुभाहिं / भाइयव्वं इतिकट्टु उत्तरपुरस्थिमं दिसीभागं अवकमंति 2 ना वेउब्वियसमुग्घाएणं सम्मोहणंति 2 ता संखिजाई जोयणाई दंडं निसरंति, तंजहा-रयणाणं जाव संवट्टगवाए विउव्वंति 2 ता तेणं सिवेणं मउरणं मारुएणं अणुद्धएणं भूमि-तल-विमलकरणेणं मणहरेणं सव्वोउयसुरहि-कुसुम-गंधाणुवासिएणं पिरिडमणिहारिमेणं गंधु एणं तिरिय पवाइएणं भगवयो तित्थयरस्स जम्मणभवणस्स सव्वयो समंता जोपणपरिमंडलं से जहा णामए कम्मगरदारए सिया जाव तहेव ज तत्थतणं वा पत्तं वा कट्टवा क्यवरं वा असुइमचोक्खं पूइयं दुब्भिगंधं तं सव्वं बाहुणिय 2 एगंते एडेंति 2 जणेव भगवं तित्थयरे तित्थयरमाया य तेणेव उवागच्छंति 2 ता भगवयो तित्थयरस्त तित्थयरमायाए अ अदूरसामंते यागायमाणीयो परिंगायमाणीयो चिट्ठति 5 ॥सूत्रं 113 // ते णं काले णं ते णं समए णं उद्धलोगवत्थव्वायो य? दिसाकुमारीमहत्तरियायो सएहिं 2 कुडेहिं सएहिं 2 भवणेहिं सएहिं 2 पामायवडेंसएहिं पत्तेयं 2 चाहिं सामाणियसाहस्सीहिं एवं तं चेव पुव्ववरिणयं जाव विहरंति, तंजहा-मेहंकरा 1 मेहबई 2, सुमेहा 3 मेहमालिनी 4 / सुवच्छा 5 वच्छमित्ता य 6, वारिसेणा 7 बलाहगा // 1 // 1 / तए णं तासि उद्धलोगवत्थव्वाणं अट्टराहं दिसाकुमारी-महत्तरियाणं पत्तेयं 2 यासणाइं चलंति, एवं तं चेव पुववरिणयं भाणिग्रव्वं जाव अम्हे णं Page #175 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 148 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः देवाणुप्पिए ! उद्धलोगवत्थब्वायो अट्ट दिसाकुमारीमहत्तरियायो जेणं भगवयो तित्थगरस्स जम्मणमहिमं करिस्सामो तेणं तुन्भेहिं ण भाइअव्वंतिकटु उत्तरपुरस्थिमं दिसीभागं अवकमंति 2 ता जाव अभवद्दलए विउव्वंति 2 ता जाव तं निहयरयं णट्टरयं भट्टरयं पसंतरयं उवसंतरयं करेंति 2 खिप्पामेव पच्चुवसमंति 2 / एवं पुष्फवदलंसि पुष्फवासं वासंति वासित्ता जाव कालागुरुपवर जाव सुरवराभिगमणजोग्गं करेंति 2 त्ता जेणेव भयवं तित्थयरे तित्थयरमाया य तेणेव उवागच्छंति 2 ता जाव बागायमाणीयो परिगायमाणीयो चिट्ठति 3 // सूत्रं 114 // तेणं काले णं तेणं समए णं पुरस्थिम-रुअगवत्थव्वायो अट्ट दिसाकुमारीमहत्तरियायो सएहिं 2 कूडेहिं तहेव जाव विहरंति, तंजहा-णंदुत्तरा य 1 णंदा 2, पाणंदा 3 णंदिवद्धणा 4 / विजया य 5 वेजयंती 6, जयंती 7 अपराजिया 8 // 1 // सेसं तं चेव जाव तुभाहिं ण भाइअवंतिकटटु भगवयो तित्थयरस्स तित्थयरमायाए श्र पुरस्थिमेणं श्रायंसहत्थगयाो . अागायमाणीयो परिगायमाणियो चिट्ठति 1 / तेणं कालेणं तेणं समएणं दाहिणरुअवगत्थव्वाश्रो अट्ठ दिसाकुमारीमहत्तरियायो तहेव जाव विहरंति, तंजहा-समाहारा 1 सुप्पइराणा 2, सुप्पबुद्धा 3 जसोहरा४ / लच्छिमई 5 सेसवई 6, चित्तगुत्ता 7 वसुधरा 8 // 1 // तहेव जाव तुभाहिं न भाइअव्वंतिकटटु भगवयो तित्थयरस्त तित्थयरमाऊए अ दाहिणेणं भिंगारहत्थगयायो अगायमाणीथो परिगायमाणीयो चिट्ठति 2 / तेणं कालेणं तेणं समएणं पञ्चत्थिमरुभगवत्थव्वाश्रो पट्ट दिसाकुमारीमहत्तरिश्रायो सएहिं 2 नाव विहरंति, तंजहा-इलादेवी 1 सुरादेवी 2, पुहवी 3 पउमावई 4 / एगणासा 5 णवमिया 6, भद्दा 7 सीया य 8 अट्ठमा // 1 // तहेव जाव तुम्भाहिं ण भाइयव्वंतिकट्टु जाव भगवत्रो तित्थयरस्स तित्थयरमाऊए अपचत्थिमेणं तालिअंटहत्थगयायो अागाय Page #176 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्र :: पञ्चमो वक्षस्कारः ] [ 149 माणीयो परिगायमाणीयो चिट्ठति 3 / तेणं कालेणं तेणं समएणं उत्तरिल्लरुअगवत्थयायो जाप विहरंति, तंजहा-अलंबुसा 1 मिस्सकेसी 2, पुण्डरीश्रा य 3 वारुणी 4 / हासा 5 सत्वप्पभा 6 चेव, सिरि 7 हिरि 8 चेव उत्तरो // 1 // तहेव जाव वंदित्ता भगवथो तित्थयरस्स तित्थयरमाऊए अ उत्तरेणं चामरहत्थगयायो यागायमाणीयो परिगायमाणीयो चिट्ठति 4 / तेणं कालेणं तेणं समएणं विदिसिरुयगवस्थव्वायो चत्तारि दिसाकुमारीमहत्तरियायो जाव विहरंति, तंजहाचित्ता य 1 चित्तकणगा 2 , सतेरा 3 य सोदामिणी 4 / तहेव जाव ण भाइअव्वंतिकटटु भगवयो तित्थयरस्स तित्थयरमाऊए अचउसु विदिसासु दीवियाहत्थगयात्रो अागायमाणीयो परिगायमाणीयो चिट्ठति 5 / तेणं कालेणं तेणं समएणं मज्झिमरुअगवत्थव्वाश्रो चत्तारि दिसाकुमारी महत्तरियाको सएहिं 2 कूडेहिं तहेव जाव विहरंति, तंजहा-रूया रूपासिया, सुरूया रूगावई / तहेव जाव तुम्भाहिं ण भाइयव्वंतिकट्टु भगवयो तित्थयरस्स चउरंगुलवज्ज णाभिणालं कप्पंति कप्पेत्ता वितरगं खणंति खणित्ता विपरगे णाभिं णिहणंति णिहणित्ता रयणाण य वइराण य पुरेति 2 ता हरियालियाए पेढं बंधंति 2 ता तिदिसिं तो कयलीहरए विउव्वंति 6 / तए णं तेसिं कयलीहरगाणं बहुमज्झदेसभाए तो चाउस्सालए विउव्वंति, तए णं तेसिं चाउस्सालगाणं बहुमज्झदेसभाए तो सीहासणे विउब्वंति, तेसि णं सीहासणागणं अयमेयारूवे वराणावासे पराणत्ते सव्वो वरणगो भाणिश्रव्यो 7 / तए णं तायो रुअगमज्मवस्थव्वाश्रो चत्तारि दिसाकुमारीयो महत्तरायो जेणेव भयवं तित्थयरे तित्थयरमाया य तेणेव उवागच्छंति 2 ता भगवं तित्थयरं करयलसंपुडेणं गिरहंति तित्थयरमायरं च बाहाहिं गिराहंति 2 ता जेणेव दाहिणिल्ले कयलीहरए जेणेव चाउसालए जेणेव सीहासणे तेणेव उवागच्छंति 2 Page #177 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 150 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः ता भगवं तित्थयरं तित्थयरमायरं च सीहासणे णिसीयाति 2 त्ता सयपागसहस्सपागेहिं तिल्लेहिं अभंगेंति 2 ता सुरभिणा गंधवट्टएणं उन्वति 2 ना भगवं तित्थयरं करयलपुडेण तित्थयरमायरं च बाहानु गिराहंति 2 ता जेणेव पुरथिमिल्ले कयलीहरए जेणेव चउसालए जेणेव सीहासणे तेणेव उवागच्छति उवागच्छित्ता भगवं तित्थयरं तित्थयरमायरं च सीहासणे णिसीश्रावेति 2 ता तिहिं उदएहिं मज्जावेंति, तंजहा-गंधोदएणं 1 पुष्फोदएणं 2 सुद्धोदएणं, मजावित्ता सव्वालंकारविभूसिय करेंति 2 ता भगवं तित्थयरं करयलपुडेणं तित्थयरमायरं व बाहाहिं गिगहंति 2 ता जेणेव उत्तरिल्ले कयलीहरए जेणेव चउसालए जेणेव सीहासणे तेणेव उवागच्छति 2 ता भगवं तित्थयरं तित्ययरमायरं च सीहासणे णिसीयाविंति 2 ता भाभियोगे देवे सदाविति 2 ता एवं वयासी-खिप्पाभेव भो देवाणुप्पिया! चुलहिमवंतायो वासहरपव्वयायो गोसीसचंदणकट्ठाई साहरह 8 |तए णं ते पाभियोगा देवा ताहि रुग्रगमज्झवत्थव्वाहिं चउहिं दिसाकुमारीमहत्तरियाहिं एवं वुत्ता समाणा हट्टतुट्टा जाव विणएणं वयणं पडिच्छति 2 ता खिप्पामेव चुल्लहिमवंतायो वासहरपव्ययायो सरसाइं गोसीसचंदणकट्टाई साहरंति 1 / तए णं तायो मज्झिमरुयगवत्थबायो चत्तारि दिसाकुमारीमहत्तरियायो संरगं करेंति 2 ता अरणिं घडेति अरणिं घडित्ता सरएणं अरणि महिंति 2 ता अग्गि पाडेंति 2 अग्गि संधुक्खंति 2 त्ता गोसीसचंदणकट्ठ पक्खिवंति 2 ता अग्गि उज्जालंति 2 समिहाकट्टाई पक्खिविन्ति 2 ता अग्गिहोमं करेंति 2 ता भूतिकम्मं करेंति 2 त्ता रक्खापोट्टलियं बंधति बंधेत्ता णाणामणिरयणभत्तिचित्ते दुविहे पाहाणवट्टगे गहाय भगवो तित्थयरस्स कराणमूलंमि टिट्टियाविति भवउ भयवं पव्वयाउए 2, 10 / तए णं तायो रुयगमज्झवत्थब्वायो चत्तारि दिसाकुमारिमहत्तरियायो भयवं तित्थयरं करयलपुडेणं तित्थयरमायरं च बाहाहि गिरोहंति गिरिहत्ता जेणेव भगवश्रो Page #178 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्गसूत्रं : पञ्चमो वक्षस्कारः ] __ [ 151 तित्थयरस्स जम्मणभवणे तेणेव उवागच्छति 2 ता तित्थयरमायरं सयणिज्जसि णिसीग्राविति णिसीयावित्ता भयवं तित्थयरं माउए पासे बेंति ठवित्ता यागायमाणीयो परिगायमाणीयो चिट्टति ११॥सूत्रं 115 // तेणं कालेणं तेणं समएणं सक्के णाम देविंदे देवराया वजपाणी पुरंदरे सयकऊ सहस्सक्खे मघवं पागसासणे दाहिणद्धलोकाहिवई बत्तीसविमाणा. वास सयसहस्साहिबई एरावणवाहणे सुरिंदे अरयंबरवत्थधरे बालइयमालमउडे नवहेम-चारुचित्त-चंचलकुण्डल-विलिहिज्जमाणगंडे(गल्ले) भासुरबोंदी पलम्बवणमाले महिद्धीए महज्जुईए महाबले महायसे महाणुभागे महासोक्खे सोहम्मे कप्पे सोहम्मवडिसए विमाणे सभाए सुहम्माए सक्कसि सीहासणंसि से णं तत्थ बत्तीसाए विमाणावाससयसाहस्सीणं चउरासीए सामाणिप्रसाह. स्सीणं तायत्तीसाए तायत्तीसगाणं चउराहं लोगपालाणं अट्ठराहं अग्गमहि. सीणं सपरिवाराणं तिराहं परिसाणं सत्तरहं अणियाणं सत्तराहं अणिग्राहिवईणं चउराहं चउरासीणं पायरक्खदेवसाहस्सीणं अन्नेसिं च बहूणं सोहम्मकप्पवासीणं वेमाणियाणं देवाण य देवीण य (अराणेसि बहणं देवाण य देवीण य ाभियोगिउववरणगाणं) अाहेवच्चं पोरेवच्चं सामित्तं भट्टित्तं महत्तरगत्तं बाणाईसरसेणावच्चं कारोमणे पाले. माणे महयाहय-णट्ट-गीय-वाइय-तंती-तल-ताल-तुडिय-घणमुइंग-पडपडहवाइअरवेणं दिव्वाई भोगभोगाइं भुजमाणे विहरइ 1 / तए णं तस्स सकस्स देविंदस्स देवरराणो ग्रासणं चलइ 2 / तए णं से सक्के जाव पासणं चलियं पासइ 2 ता योहिं पउंजइ परंजित्ता भगवं तित्थयरं मोहिणा याभोएइ 2 ता हट्टतुट्ठचित्ते आनंदिए पीइमणे परमसोमणस्सिए हरिसवसविसप्पमाणाहिए धाराहय-कयंवनीप-सुरभि-कुसुम-चंचुमालइन-ऊसवित्ररोमकचे विअसित्र-वरकमल-नयणवयणे पचलिअ-वरकडग-तुडिअ-केऊरमउडे कुण्डल-हारविरायंतवच्छे पालम्ब-पलम्बमाण-घोलंत-भूसणधरे ससंभमं Page #179 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 152 ] __ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः सप्तमो विभागः तुरियं चवलं सुरिंदे सीहासणाश्रो अब्भुटेइ 2 ता पायपीढायो पचोरुहइ 2 ता वेरुलिअ-वरिद्व-रिट-अंजण-निउणोविन-मिसिमिसिंत मणिरयणमंडि. थायो पाउबायो श्रोमुअइ 2 ता एगसाडियं उत्तरासंगं करेइ 2 त्ता अंजलि-मउलियग्गहत्थे तित्थयराभिमुहे सत्तट्ट पयाई अणुगच्छइ 2 ता वाम जाणुअंचेइ 2 त्ता दाहिणं जाणु धरणीयलंसि सा(नि)ह? तिक्खुत्तो मुद्धाणं धरणियलंसि निवेसे(वाडे)इ 2 चा ईसिं पच्चुणमइ 2 त्ता कडगतुडियथंभियायो भुयायो साहरइ 2 ता करयलपरिग्गहिग्रं दसणहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कटटु एवं वयासी-णमोत्थु णं अरहंताणं भगवंताणं, श्राइगराणं तित्थयराणं सयंसंबुद्धाणं, पुरिसुत्तमाणं पुरिससीहाणं पुरिसवर. पुण्डरीयाणं पुरिसवरगंधहत्थीणं, लोगुत्तमाणं लोगणाहाणं लोगहियाणं लोगपईवाणं लोगपज्जोगराणं, अभयदयाणं चक्खुदयाणं मग्गदयाणं सरणदयाणं जीवदयाणं बोहिदयाणं, धम्मदयाणं धम्मदेसयाणं धम्मनायगाणं धम्मसारहीणं धम्मवरचाउरंतचकवट्टीणं, दीवो ताणं सरणं गई पइट्ठा अप्पडिहयवरनाणदंसणधराणं विअट्टच्छउमाणं, जिणाणं जावयाणं तिराणाणं तारयाण बुद्धाणं बोहयाणं मुत्ताणं मोगाणं, सव्वन्नूणं सबदरिसीणं सिव-मयल-मरुय-मणंत-मक्खय-मव्वाबाह-मपुणरावित्ति-(तयं) सिद्धिगइणामधेयं ठाणं संपत्ताणं णमो जिणाणं जिअभयाणं, णमोऽत्थु णं भगवयो तित्थगरस्स याइगरस्स जाव संपाविउकामस्स, वंदामि णं भगवंतं तत्थगयं इहगए,पासउ मे भयवं ! तत्थगए इहगयंतिकटटु वंदइ णमंसइ 2 ता सीहासणवरंसि पुरस्थाभिमुहे सरिणसराणे 3 / तए णं तस्स सकस्स देविंदस्स देवरराणो अयमेश्रारूवे जाव संकप्पे समुप्प. जित्था-उप्पराणे खलु भो जंबुद्दीवे दीवे भगवं तित्थयरे तं जीयमेयं तीअपच्चुप्पण्णमणागयाणं सक्काणं देविंदाणं देवराईणं तित्थयराणं जम्मणमहिमं करेत्तए, तं गच्छामि णं अहंपि भगवश्रो तित्थगरस्स जम्मण Page #180 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप् युपाङ्गसूत्रं : पञ्चमो वक्षस्कारः ] [ 153 महिमं करेमित्तिकटु एवं संपेहेइ 2 ता हरिणेगमेसिं पायत्ताणीयाहिवई देवं सदावेति 2 ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! सभाए सुहम्माए मेघोघरसियं गंभीरमहुरयरसद जोयणपरिमंडलं सुघोसं सूसरं घंटं तिक्खुत्तो उल्लालेमाणे 2 महया महया सद्दे णं उग्घोसेमाणे 2 एवं वयाहि-याणवेइ णं भो सक्के देविंदे देवराया गच्छद णं भो सक्के देविंदे देवराया जंबुद्दीवे 2 भगवयो तित्थयरस्स जम्मणमहिमं करित्तए, तं तु भेवि य णं देवाणुप्पिया ! सबिद्धीए सव्वजुईए सव्वबलेणं सव्व. समुदएणं सव्वायरेणं सव्वविभूईए सम्वविभूसाए सव्वसंभमेणं सवणाडएहिं सव्वोवरोहेहिं सव्वपुप्फ-वत्थ-गंधमल्लालंकारविभूसाए सव्वदिव्व-तुडिय-सहसगिणणाएणं महया इदीए जाव रवेणं णित्रय-परिबालसंपरिखुडा सयाइं 2 जाणविमाणवाहणाई दुरूढा समाणा अकालपरिहीणं चेव सकस्स जाव यंतिय पाउब्भवह 4 / तए णं से हरिणेगमेसी देवे पायत्ताणीयाहिबई सक्केणं 3 जाव एवं वुत्ते समाणे हट्टतुट्ठ जाव एवं देवोत्ति पाणाए विणएणं वयणं पडिसुणेइ 2 ता सकस्स 3 अंतित्रायो पडिणिक्खमइ 2 ता जेणेव सभाए सुहम्माए मेघोघर-सिब-गम्भीर-महुरयरसदा जोत्रणपरिमंडला सुघोसा घण्टा तेणेव उवागच्छइ 2 ता तं मेघोघ-रसियगम्भीर-महुरयरसद्द जोपणपरिमण्डलं सुघोसं घंटं तिक्खुत्तो उल्लालेइ 5 / तए णं तीसे मेघोघ-रसित्र-गम्भीर-महुरयरसदाए जोत्रणपरिमंडलाए सुघोसाए घंटाए तिक्खुत्तो उल्लालिबाए समाणीए सोहम्मे कप्पे अरणेहिं एगणेहिं बत्तीसविमाणावाससयसहस्सेहिं अराणाई एगूणाई बत्तीसं घंटासयसहस्साई जमगसमगं कणकणारावं काउं पयत्ताई हुत्था 6 / तए णं सोहम्मे कप्पे पासाय-विमाण-निक्खुडावडिय-सह-समुट्ठिअ-घण्टा-प.सुश्रा-सयसहस्ससंकुले जाए प्रावि होत्था 7 / तए णं तेसिं सोहम्मकप्पवासीणं बहूणं वेमाणियाणं देवाण य देवीण य एगंतरइपसत्त-णिच-पमत्त-विसय-सुहमुच्छि Page #181 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 154 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः आणं सूसर-घराटारसिश्र-विउलबोल-पूरिन-चालपडिबोहणे कए समाणे घोसण-कोऊहल-दिरणकराण-एगग्गचित्त-उवउत्तमाणसाणं से पायत्ताणीश्राहिवई देवे तंसि घराटारवंसि निसंत-पडिसंतंसि समाणंसि तत्थ 2 तहिं 2 देसे महया 2 सद्देणं उग्घोसेमाणे 2 एवं वयासीति-हंत ! सुणंतु भवंतो बहवे सोहम्मकप्पवासी वेमाणिदेवा देवीयो श्र सोहम्मकप्पवइणो इणमो वयणं हिअसुहत्थं-बाणावइ णं भो सक्के तं चेव जाव अंतियं पाउब्भवह 8 / तए णं ते देवा देवीयो श्र एअमट्ठ सोचा हट्टतुट्ठ जाव हिश्रया अप्पेगइया वंदणवत्तिय एवं पूश्रणवत्तिय सकारवत्तियं सम्माणवत्तियं दंसणवत्तियं कोऊहलवत्तियं सकवरणं अणुवत्तमाणा अराणमराणं अणुवत्तमाणा जिणभत्तिरागेणं अप्पेगइया तं जीवमेध एवमादित्तिकटु जाव पाउन्भवंति 1 / तए णं से सक्के देविंदे देवराया ते विमाणिए देवे देवीयो अ अकालपरिहीणं चेव अंतियं पाउन्भवमाणे पासइ 2 त्ता हट्टे पालयं णामं पाभियोगिग्रं देवं सद्दावेइ 2 ता एवं वयासीखिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! अणेगखंभ-सय-सणिविट्ठ लीलट्ठिय-सालभंजियाकलियं ईहामित्र-उसभ-तुरग-गार-मगर-विहग-वालग-किराणर-रुरुसरभ-चमर-कुंजर-वणलय-पउमलयभत्तिचित्तं खंभुग्गय बइर वेइया-परिगयाभिरामं विजाहर-जमलजुअल-जंतजुत्तंपिव अचीसहस्समालिणीयं रूवगसहस्सकलियं भिसमाणं भिभिसमाणं चक्खुल्लोषणलेसं सुहफासं सस्सिरीअरूवं घराटावलिश्रचलिय-महुरमणहरसरं सुहं कंतं दरिसणिज्जं णिउणोविश्र-मिसिमिसिंत-मणिरयण-घंटियाजालपरिक्खित्तं जोयणसयसहस्सविच्छिराणं पंचजोत्रण-सयमुविद्धं सिग्धं तुरियं जइणणिव्वाहि दिव्वं जाणविमाणं विउव्वाहि 2 ता एप्रमाणत्तियं पञ्चप्पिणाहि 10 // सूत्रं 116 // तए णं से पालयदेवे सक्केणं देविदेणं देवरगणा एवं वुत्ते समाणे हट्टतुट्ठ जाव वेउविसमुग्घाएणं समोहणित्ता तहेव करेइ 1 / तस्स Page #182 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञात्युपाङ्गसूत्रं : पञ्चमो वक्षस्कारः ] / [ 155 णं दिव्वस्स जाणविमाणस्स तिदिसि तो तिसोवाणपडिरूवगा वाणयो तेसि णं पडिरूवगाणं पुरयो पत्तेयं 2 तोरणा वराणो जाव पडि. रूवा 1, 2 / तस्स णं जाणविमाणस्स अंतो बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे, से जहा नामए प्रालिंगपुक्खरेइ वा जाव दीविअचम्मेइ वा अणेग-संकु-कीलक-सहस्सवितते श्रावड-पञ्चावड-सेढी-पसेटि-सुत्थित्र-सोवस्थिय-वद्धमाण-पूसमाणव-मच्छंडग-मगरंडग-जारमार(णा अच्छदाममोरा अंडालारामंडा) फुलावली-पउमपत्त-सागर-तरंग-वसंतलय-पउमलयभत्तिचित्तेहिं सच्छाएहिं सप्पभेहिं समरीइएहिं सउज्जोएहिं णाणाविहपंचवराणेहिं मणीहिं उवसोभिए 2, 3 / तेसि णं मणीणं वराणे गंधे फासे अ भाणिब्वे जहा रायप्पसेणइज्जे 4 / तस्स णं भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए पिच्छाघरमराडवे अणेगखंभसयसगिणविढे वरणो जाव पडिरूवे 5 / तस्स उल्लोए पउमलयभत्तिचित्ते जाव सव्वतवणिजमए जाव पडिरूवे 6 / तस्स णं मराडवस्स बहुसमरमणिजस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभागसि महं एगा मणिपेढिया अट्ठ जोगणाई यायामविक्खंभेणं चत्तारि जोश्रणाई बाहल्लेणं सव्वमणिमयी वराणो 7 / तीए उवरि महं एगे सीहासणे वगणयो / तस्सुवरि महं एगे विजयदूसे सव्वरयणामए वराणयो 1 / तस्स मज्झदेसभाए एगे वइरामए अंकुसे, एस्थ गां महं एगे कुम्भिक्के मुत्तादामे, से णं अन्नेहिं तदद्धचत्तप्पमाणमित्तेहिं चरहिं अद्धकुम्भिक्केहिं मुत्तादामेहिं सव्वो समंता संपरि. क्खित्ते 10 / ते णं दामा तवणिजलंबूसगा सुवरण-पयरगमण्डिया णाणा-मणिरयण-विविह-हारद्धहारउवसोभिया समुदया ईसिं अरणमराणमसंपत्ता पुवाइएहिं वाएहिं मंदं एइजमाणा 2 जाव निव्वुइकरेणं सद्देणं ते पएसे श्रापूरमाणा 2 जाव अईव उवसोभेमाणा 2 चिट्ठति 11 / तस्स णं सीहासणस्स अवरुत्तरेणं उत्तरेणं उत्तरपुरथिमेणं एत्थ णं सक्कस्स Page #183 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 156 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभाग चउरासीए सामाणिसाहस्सीणं चउरासीई भद्दासणसाहस्सीयो पुरस्थिमेणं अट्टराहं अगमहिसीणं एवं दाहिणपुरस्थिमेणं अम्भितरपरिसाए दुवालसराहं देवसाहस्सीणं दाहिणेणं मज्झिमाए चउदसराहं देवसाहस्सी णं दाहिणपञ्चस्थिमेणं बाहिरपरिसाए सोलसराहं देवसाहस्सीणं पञ्चत्थिमेणं सत्तराहं अणिश्राहिवईणं 12 / तए णं तस्स सीहासणस्स चउदिसिं चउराहं चउरासीणं थायरक्खदेवसाहस्सीणं एवमाई विभासिव्वं सूरियाभगमेणं जाव पञ्चप्पिणंति 13 // सूत्रं 117 // तए णं से सक्के जाव हट्टहियए दिव्वं जिणेदाभिगमणजुग्गं सब्बालंकारविभूसिग्रं उत्तरवेउब्वियं रूवं विउब्विइ 2 त्ता पट्टहिं अग्गमहिसीहिं सपरिवाराहिं गट्टाणीएणं गंधव्वाणीएण य सद्धिं तं विमाणं अणुप्पयाहिणीकरेमाणे 2 पुग्विल्लेणं तिसोवाणेणं दुरूहइ 2 ता जाव सीहासणंसि पुरस्थाभिमुहे सरिणसराणेत्ति 1 / एवं चेव सामाणिग्रावि उत्तरेणं तिसोवाणेणं दुरूहित्ता पत्तेयं 2 पुवराणत्थेसु भद्दासणेसु णिसीअंति अवसेसा य देवा देवीथो श्र दाहि. णिल्लेणं तिसोवाणेणं दुरूहित्ता तहेव जाव णिसीअंति 2 / तए णं तस्स सकस्स तंसि विमाणंसि दुरूढस्स इमे अट्ठमंगलगा पुरयो ग्रहाणुपुवीए संपट्ठिया 3 / तयणंतरं च णं पुराणकलसभिंगारं दिव्वा य छत्तपडागा सचामरा य दंसणरइयालोअदरिसणिज्जा वाउ अविजयवेजयंती अ समूसिया गगणतलमणुलिहंती पुरो ग्रहाणुपुवीए संपत्थिया 4 / तयणंतरं छत्तभिंगारं, तयणंतरं च णं वइरामय-बट्ट-लट्ठ-संठिय-सुसिलिट्ठपरिघट्ट-मट्ठ-सुपइट्ठिए विसि? अणेगवर-पंचवरण-कुडभी-सहस्स-परिमंण्डिश्राभिरामे वाउछुअ-विजय वेजयंती-पडागाछत्ताइच्छत्तकलिए तुगे गयणतल-मणुलिहंतसिहरे जोगणसहस्समूसिए महइमहालए महिंदज्झए पुरयो श्रहाणुपुव्वीए संपत्थिएत्ति 5 / तयणंतरं च णं सरूव-नेवत्थ-परिच्छिनसुसज्जा सव्वालंकारविभूसिया पंच अणिया पंच अणियाहिवईणो जाव HTHER Page #184 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्र :: पश्चमो वक्षस्कारः ] [ 157 संपट्ठिया 6 / तयणंतरं च णं बहवे अाभियोगिश्रा देवा य देवीश्रो श्र सहिं सरहिं रूवेहिं जाव णिश्रोगेहिं सक्कं देविंदं देवरायं पुरो अ मग्गयो अ पासयो ग्रहाणुपुब्बीए संपट्ठिया 7 / तयणंतरं च णं बहवे सोहम्मकप्पवासी देवा य देवीयो श्र सम्बिद्धीए जाव दुरूढा सम्माणा मग्गयो अ जाव संपट्ठिया 8 / तए णं से सक्के तेणं पंचाणियपरिक्खित्तेणं जाव महिंदज्झएणं पुरयो पकड्डिजमाणेणं चउरासीए सामाणिय जाव परिवुडे सव्विद्धीए जाव रवेणं सोहम्मस्स कप्पस्स मझमझेणं तं दिव्वं देवद्धिं जाव उवदंसेंमाणे 2 जेणेव सोहम्मस्स कप्पस्स उत्तरिल्ले निजाणमग्गे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता जोअणसयसाहस्सीएहिं विग्गहेहिं श्रोवयमाणे 2 ताए उकिटाए जाव देवगईए वीईवयमाणे 2 तिरियमसंखिजाणं दीवसमुदाणं मझमज्झेणं जेणेव णंदीसरवरे दीवे जेणेव दाहिणपुरथिमिल्ले रइकरगपव्वए तेणेव उवागच्छइ 2 ता एवं जा चेव सूरियाभस्स वत्तव्यया णवरं सकाहिगारो वत्तव्यो जाव तं दिव्वं देविद्धिं जाव दिव्वं जाणविमाणं पडिसाहरमाणे 2 जाव जेणेव भगवयो तित्थयरस्स जम्मणनगरे जेणेव भगवो तित्थयरस्स जम्मणभवणे तेणेव उवागच्छति 2 ता भगवयो तित्थयरस्स जम्मणभवणं तेणं दिव्वेणं जाणविमाणेणं तिक्खुत्तो थायाहिणपयाहिणं करेइ 2 ता भगवो तित्थयरस्स जम्मणभवणस्स उत्तरपुरस्थिमे दिसीभागे चतुरंगुलमसंपत्तं धरणियले तं दिव्वं जाणविमाणं ठवेइ 2 त्ता अट्टहिं अग्गमहिसीहिं दोहिं अणीएहिं गंधव्वाणीएण य गट्टाणीएण य सद्धिं तायो दिव्वायो जाणविमाणाम्रो पुरथिमिल्लेणं तीसोवाणपडिरूवएणं पचोरुहइ 1 / तए णं सक्कस्स देविंदस्त देवरगणो चउरासीइ सामाणिसाहस्सीयो तायो दिव्वायो जाणविमाणायो उत्तरिल्लेणं तिसोवाणपडिरूवएणं पञ्चोरुहंति 10 / अवसेसा देवा य देवीयो अ तायो दिव्वाश्रो जाणविमाणायो दाहिणिल्लेणं तिसोवाणपडिरूवएणं Page #185 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 158 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः पञ्चोरुहंति 11 / तए णं से सक्के देविंदे देवराया चउरासीए सामाणियसाहस्सीएहिं जाव सद्धिं संपरितुडे सम्बिद्धीए जाव दु'दुभिणिग्घोसणाइयरवेण जेणेव भगवं तित्थयरे तित्थयरमाया य तेणेव उवागच्छइ 2 त्ता थालोए चेव पणामं करेइ 2 ता भगवं तित्थयरं तित्थयरमायरं च तिक्खुत्तो श्रायाहिणपयाहिणं करेइ 2 ता करयल जाव एवं वयासीणमोत्थु ते रयणकुच्छिधारए एवं जहा दिसाकुमारीयो जाव धराणासि पुराणासि तं कयत्थाऽसि, अहणणं देवाणुप्पिए ! सक्के णामं देविंदे देवराया भगवश्रो तित्थयरस्स जम्मणमहिमं करिस्सामि, तं णं तुब्भाहिं ण भाइयव्वंतिकटु श्रोसोवणिं दलयइ 2 त्ता तित्थयरपडिरूवगं विउबइ तित्थयरमाउपाए पासे ठवइ 2 ता पंच सक्के विउव्वइ विउवित्ता एगे सक्के भगवं तित्थयरं करयलपुडेणं गिराहइ एगे सक्के पिट्ठायो वायवत्तं धरेइ दुवे सक्का उभयो पासिं चामरुक्खेवं करेंति एगे सक्के पुरयो वजपाणी पकड्डइ 12 / तए णं से सक्के देविंदे देवराया अराणेहिं बहूहिं भवणवइ-वाणमंतर-जोइसवेमाणिएहिं देवेहिं देवीहि श्र सद्धिं संपरितुडे सब्बिद्धीए जाव णाइएणं ताए उकिट्ठाए जाव वीईवयमाणे जेणेव मंदरे पव्वए जेणेव पंडगवणे जेणेव अभिसेसिला जेणेव अभिसेयसीहासणे तेणेव उवागच्छइ 2 ता सीहासणवरगए पुरस्थाभिमुहे सरिणसराणे 13 ॥सूत्र११८॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं ईसाणे देविन्दे देवराया मूलपाणी वसभवाहणे सुरिन्दे उत्तरद्धलोगाहिबई अट्ठावीस-विमाणवास-सयसहस्साहिवई अरयंबरवस्थधरे एवं जहा सक्के इमं णाणत्तं महाघोसा घण्टा लहुपरकमो पायताणियाहिवई पुष्फयो विमाणकारी दक्खिणे निजाणमग्गे उत्तरपुरथिमिल्लो रइकरपव्वश्रो मंदरे समोसरियो जाव पज्जुवासइ 1 / एवं अवसिट्टावि इंदा भाणिवा जाव अच्चुत्रो 2 / इमं णाणत्तं-चउरासीइ असीइ बावत्तरि सत्तरी श्र सट्टी श्र। पराणा चत्तालीसा तीसा वीसा दस सहस्सा Page #186 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्रं / पञ्चमो वक्षस्कारः ] [ 159 // 1 // एए सामाणियाणं 3 / बत्तीसट्टावीसा बारसट्ठ चउरो सयसहस्सा। पराण चत्तालीसा छच्च सहस्सारे // 1 // श्राणयपाणयकप्पे चत्तारि सयाऽऽरणच्चुए तिरिणः / एए विमाणाणं 4 / इमे जाणविमाणकारी देवा, तंजहा-पालय 1 पुप्फे य 2 सोमणसे 3 सिविच्छे अ 4 णंदियावत्ते 5 / कामगमे 6 पीइगमे 7 मणोरमे 8 विमल 1 सव्वोभद्दे 10 // 1 // 5 / सोहम्मगाणं सणंकुमारगाणं बंभलोअगाणं महासुक्याणं पाणयगाणं इंदाणं सुघोसा घण्टा हरिणेगमेसी पायत्ताणीयाहिबई उत्तरिल्ला णिजाणभूमी दाहिणपुरथिमिल्ले रइकरगपव्वए, ईसाणगाणं माहिंद-लंतग-सहस्सारअच्चुअगाण य इंदाण महाघोसा घण्टा लहुपरकमो पायत्ताणीवाहिवई दक्खिणिल्ले णिजाणमग्गे उत्तरपुरथिमिल्ले रइकरगपव्वए 6 / परिसा णं जहा जीवाभिगमे आयरक्खा सामाणिचउग्गुणा सव्वेसि जाणविमाणा सव्वेसि जोग्रणसयसहस्सविच्छिराणा उच्चत्तेणं सविमाणप्पमाणा महिंदज्या सव्वेसिं जोत्रणसाहस्मिया, सक्वजा मन्दरे समोअरंति जाव पज्जुवासंति 7 // सूत्रं 111 // तेणं कालेणं तेणं समएणं चमरे असुरिन्दे असुरराया चमरचञ्चाए रायहाणीए सभाए सुहम्माए चमरंसि सीहासणंसि चउसट्ठीए सामाणिअसाहस्सीहिं तायत्तीसाए तायत्तीसेहिं चाहिं लोगपालेहिं पंचहिं अग्गमहिसीहिं सपरिवाराहि तिहिं परिसाहिं सत्तहिं अणिएहिं सत्तहिं अणियाहिवईहिं चउहिं चउसट्ठीहिं थायरक्खसाहस्सीहिं अराणेहि अजहा सक्के णवरं इमं णाणत्तं-दुमो पायत्ताणीबाहिवई श्रोघस्सरा घण्टा विमाणं पराणासं जोयणसहस्साई महिंदज्झयो पञ्चजोग्रणसयाइं विमाणकारी याभित्रोगियो देवो अवसिट्ठ तं चेव जाव मन्दरे समोसरइ पज्जु. वासईति 1 / तेणं कालेणं तेणं समएणं बली असुरिंदे असुरराया एवमेव णवरं सट्ठी सामाणीसाहस्सीयो चउमुणा पायरक्खा महादुमो पायत्ताणीबाहिबई महायोहस्सरा घराठा सेसं तं चेव परिसायो जहा जीवाभिगमे 2 / Page #187 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 160 ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभाग तेणं कालेणं तेणं समएणं धरणे तहेव णाणत्तं छ सामाणिप्रसाहस्सीयो छ अग्गमहियो चउरगुणा पायरक्खा मेघस्सरा घण्टा भदसेणो पायत्ताणीयाहिबई विमाणं पणवीसं जोग्रणसहस्साई महिंदज्झयो श्रद्धाइजाई जोयणसयाई एवमसुरिंदवजियाणं भवणवासिइंदाणं, णवरं असुराणं योघस्सरा घण्टा णागाणं मेघस्सरा सुवरणाणं हंसस्सरा विज्जूणं कोंचस्सरा अग्गीणं मंजुस्सरा दिसाणं मंजुघोसा उदहीणं सुस्सरा दीवाणं महुरस्सरा वाऊणं णंदिस्सरा थणियाणं णंदिघोसा 3 / चउसट्टी सट्ठी खलु छच्च सहस्सा उ असुरवजाणं / सामाणिथा उ एए चउग्गुणा पायरक्खा उ // 1 // दाहिणिल्लाणं पायत्ताणीग्राहिवई भदसेणो उत्तरिल्लाणं दक्खोत्ति / वाणमंतरजोइसिया अव्वा, एवं चेव, णवरं चत्तारि सामाणियसाहस्सीयो चत्तारि अग्गमहिसीयो सोलस थायरक्खसहस्सा विमाणा सहस्सं महिंदज्झया पणवीसं जोअणसयं घण्टा दाहिणाणं मंजुस्सरा उत्तराणं मंजुघोसा पायताणीग्राहिबई विमाणकारी अाभियोगा देवा जोइसियाणं सुस्सरा सुस्सरणिग्घोसायो घराटायो मंदरे समोसरणं जाव पज्जुवासंति 4 // सूत्रं 120 // तए णं से अच्चुए देविंदे देवराया महं देवाहिवे ग्राभिश्रोगे देवे सदावेइ 2 ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! महत्थं महग्धं महारिहं विउलं तित्थयराभिसेयं उबट्टवेह 1 / तए णं ते अभियोगा देवा हट्टतुट्ठ जाव पडिसुणित्ता उत्तरपुरस्थिमं दिसीभागं श्रवक्कमति 2 ता वेउब्वियसमुग्घाएणं जाव समोहणित्ता अट्ठसहस्सं सोवरिणयकलसाणं एवं रुप्पमयाणं मणिमयाणं सुवराणरुप्पमयाणं सुवरणमणिमयाणं रुप्पमणिमयाणं सुवगणरुप्पमणिमयाणं अट्ठसहस्सं भोमिज्जाणं अट्ठसहस्सं चंदणकलसाणं एवं भिंगाराणं पायंसाणं थालाणं पाईणं सुपईट्ठगाणं चित्ताणं रयणकरंडगाणं वायकरगाणं. पुप्फचंगेरीणं, एवं जहा सूरिश्राभस्स सव्वचंगेरीयो सव्वपडलगाइं विसेसि Page #188 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्रं : पश्चमो वक्षस्कारः ] [ 161 अतराई भाणिवाइं 2 / सीहासण-छत्त-चामर-तेल्लसमुग्ग जाव सरिसवसमुग्गा तालियंटा जाव असहस्सं कडुच्छुगाणं विउव्वंति विउवित्ता साहाविए विउव्विए अ कलसे जाव कडुच्छुए श्र गिरिहत्ता जेणेव खीरोदए समुद्दे तेणेव श्रागम्म खीरोदगं गिराहंति 2 त्ता जाई तत्थ उप्पलाई पउमाइं जाव सहस्सपत्ताई ताई गिराहंति 3 / एवं पुक्खरोदायो जाव भरहेरखयाणं मागहाइतित्थाणं उदगं मट्टियं च गिराहंति 2 ता एवं गंगाईणं महाणईणं जाव चुल्लहिमवंतायो सब्बतुअरे सव्वपुप्फे सव्वगंधे सव्वमल्ले जाव सव्वोसहीयो सिद्धत्थए य गिरहंति 2 ता पउमदहायो दहोअगं उप्पलादीणि अ, एवं सव्वकुलपव्वएसु वट्टवेअद्धेसु सव्वमहद्दहेसु सव्ववासेसु सव्वक्वट्टिविजएसु वक्खारपव्वएसु अंतरणईसु विभामिन्जा जाव उत्तरकुरुसु जाव सुदंसणभदसालवणे सव्वतुअरे जाव सिद्धत्थए अगिरहंति 4 / एवं णंदणवणाश्रो सब्बतुअरे जाव सिद्धत्थए अ सरसं च गोसीसचंदणं दिव्वं च सुमणदामं गेरहंति, एवं सोमणसपंडगवणायो अ सव्वतुअरे जाव सुमणसदामं ददरमलयसुगंधे य गिरहंति 2 ता एगयो मिलंति 2 त्ता जेणेव सामी तेणेव उवागच्छंति 2 ता महत्थं जाव तित्थयराभिसेयं उवट्ठवेंति 5 // सूत्रं 121 // तए णं से अच्चुए देविंदे दसहिं सामाणिग्रसाहस्सीहिं तायत्तीसाए तावत्तीसएहिं चउहि लोगपालेहिं तिहिं परिसाहिं सत्तहिं अणिएहिं सत्तहिं अणिग्राहिवईहिं चत्तालीसाए श्रायरक्खदेवसाहस्सीहिं सद्धिं संपरिखुडे तेहिं साभाविएहिं विउविएहि अवरकमलपइट्टाणेहिं सुरभिवरवारिपडिपुराणेहिं चंदणकयचच्चाएहिं श्राविद्धकराठेगुणेहिं पउमुप्पलपिहाणेहिं करयलसुकुमारपरिग्गहिएहिं अट्ठसहस्सेणं सोवरिणाणं कलसाणं जाव अट्ठसहस्सेणं भोमेजाणं जाव सव्वोदएहिं सव्वमट्टियाहिं सव्वतुअरेहिं जाव सव्वोसहिसिद्धत्थएहिं सव्विडीए जाव रवेणं महया 2 तित्थयराभिसेएणं अभिसिंचंति 1 / तए णं Page #189 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 162 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागा सामिस्स महया 2 अभिसेसि वट्टमायांसि इंदाईथा देवा छत्त-चामरधूव-कडुच्छुअ-पुप्फ-गंध जाव हत्थगया हट्टतुट्ठ जाव वजसूलपाणी पुरो चिट्ठांति पंजलिउडा इति, एवं विजयाणुसारेण जाव अप्पेगइया देवा श्रासित्र-संमजियोवलित्त-सित्त-सुइ-सम्मट्ठ-रत्यंतरावणवीहियं करेन्ति जाव गंधवट्टिभूति 2 / अप्पेगइया हिरगणवासं वासिति एवं सुवराणरयण-वइर-अाभरण-पत्त-पुप्फ-फल-बीअ-मल्ल-गंध-वराण जाव चुराणवासं वासंति 3 / अप्पेगइया हिरराणविहिं भाइंति एवं जाव चुराणविधि भाइंति 4 / अप्पेगइया चउब्विहं वज्ज वाएन्ति, तंजहा-ततं 1 विततं 2 घणं 3 मुसिरं 4, 5 / अप्पेगइया चउन्विहं गेयं गायंति, तंजहा-उक्खित्तं 1 पायत्तं 2 मंदायईयं 3 रोइबावसाणं (रोइअगं) 4, 6 / अप्पेगइत्रा घउन्विहं ण णचन्ति, तंजहा-अंचियं 1 दुधे 2 श्रारभडं 3 भसोलं 4, 7 / अप्पेगइया चउब्विहं अभिणयं अभिणेति, तंजहादिट्ठतियं पाडिस्सुइयं सामराणोवणिवाइयं लोगमज्भावसाणियं 8 / अप्पेगइया बत्तीसइविहं दिव्वं णट्टविहिं उवदंसेन्ति 1 / अप्पेगइया उप्पयनिवयं निवयउप्पयं संकुचित्रपसारिश्रं जाव भंतसंभंतणामं दिव्वं नट्टविहिं उवदंसंति 10 / अप्पेगइया तंडवेंति अप्पेगइया लासेन्ति अप्पेगइया पीणेन्ति 11 / एवं बुकारेन्ति अफोडेन्ति वग्गन्ति सीहणायं गदंति अप्पेगइया सव्वाई करेन्ति अप्पेगइया हयहेसिधे एवं हत्थिगुलुगुलाइयं रहघणघणाइयं अप्पेगइया तिरिणवि, अप्पेगइया उच्छोलंति अप्पेगइया पच्छोलंति अप्पेगइया तिवई छिदंति पायदहरयं करेन्ति भूमिचवेडे दलयंति अप्पेगइया महया सद्दे णं रावेंति, एवं संजोगा विभासिव्वा 12 / अप्पेगइया हकारेन्ति, एवं पुकारेन्ति वकारेन्ति ओवयंति उप्पयंति परिवयंति जलंति तवंति पयवंति गज्जति विज्जुश्रायति वासिंति अप्पेगइश्रा देवुकलियं करेंति, एवं देवकहकहगं Page #190 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्गसूत्र :: पञ्चमो वक्षस्कारः ] [ 163 करेंति अप्पेगइया दुहुदुहुगं करेंति अप्पेगझ्या विकियभूयाई रूवाई विउवित्ता पणच्चंति एवमाइ विभासेजा जहा विजयस्स जाव सव्वयो समंता ग्राहावेति परिधावेंतित्ति // सूत्रं 122 // तए णं से अच्चुईदे सपरिवारे सामि तेणं महया महया अभिसेएणं अभिसिंचइ 2 त्ता करयलपरिग्गहियं जाव मत्थए अंजलिं कटु जएणं विजएणं वद्धावेइ 2 त्ता ताहिं इटाहिं जाव जयजयसह पउंजति पउंजित्ता जाव पम्हलसुकु. मालाए सुरभीए गंधकासाईए गायाइं लूहेइ 2 ता एवं जाव कप्प. रुस्खगंपिव श्रलंकियविभूसिधे करेइ 2 ता जाव गट्टविहिं उवदंसेइ 2 त्ता अच्छेहिं सराहेहिं रययामएहिं अच्छरसातण्डुलेहिं भगवश्रो सामिस्स पुरयो अट्ठमंगलगे ग्रालिहइ, तंजहा-“दप्पण 1 भदासणं 2 वद्धमाण 3 वरकलस 4 मच्छ 5 सिविच्छा 6 / सोत्थिश्र 7 णंदावत्ता 8 लिहिया अट्ठमंगलगा // 1 // " 1 / लिहिऊण करेइ उवयारं, किंते ?, पाडलमल्लिअ-चंपगासोग-पुन्नाग-चूत्र-मंजरि-णवमालिश्र-बउल-तिलय-कणवीर. कुंद कुजग-कोरंट-पत्तदमणग-वरसुरभिगंधगंधिस्स कयग्गह-गहियकरयल-पभट्ठविप्पमुक्कस्स दसद्धवराणस्स कुसुमणिपरस्स तत्थ चित्तं जराणुस्सेहप्पमाणमित्तं श्रोहिनिकरं करेत्ता चंदप्पभ-रयण-वइर-वेरुलिश्र-विमलदराडं कंचण मणिरयणभत्तिचित्तं कालागुरु-पवर-कुदुरुक-तुरुक-धूवगंधुत्तमाणुविद्धं च धूमवट्टि विणिम्मुश्रुतं वेलिश्रमयं कडच्छुओं पग्गहित्तु पयएणं धूवं दाऊण जिणवरिंदस्स सत्तट्ठ पयाइं श्रोसरित्ता दसंगुलियं यंजलिं करिश्र मत्थयमि पययो अट्ठसयविसुद्धगंथजुत्तेहिं महावित्तेहिं अपुणरुत्तेहि अत्थजुत्तेहिं संथुणइ 2 ता वामं जाणु अंचेइ 2 त्ता जाव करयलपरिग्गहिग्रं मत्थए अंजलिं कटु एवं वयासी-णमोऽत्थु ते सिद्ध-बुद्ध-णीरय-समण-सामाहिश्र-समत्त-समजोगि-सल्लगत्तण-णिब्भय-णीरागदोस-णिम्मम-णिस्संग-णीसल-माणमूरण-गुणरयण-सीलसागर-मणंतमप्प Mण धूवं दाऊण म यथो असावाम जाण अत्रामोऽत्यु ते Page #191 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 164 ] - [श्रीमदागगसुधासिन्धुः // सप्तमो विभागा मेय भवित्र-धम्म-वरचाउरतचकवट्टी णमोऽत्यु ते अरहश्रोत्तिकट्ठ एवं वंदइ णमंसइ 2 ता णचासराणे णाइदूरे सुस्सूसमाणे जाव पज्जुवासइ 1 / एवं जहा अच्चुअस्स तहा जाव ईसाणस्सवि भाणियब्वं, एवं भवणवइ-वाणमंतर-जोइसिधा य सूरपजवसाणा सएणं परिवारेणं पत्तेयं 2 अभिसिंचंति 2 / तए णं से ईसाणे देविंद देवराया पंच ईसाणे विउव्वइ 2 ता एगे ईसाणे भगवं तित्थयरं करयलसंपुडेणं गिराहइ 2 त्ता सीहासणवरगए पुरस्थाभिमुहे सरिणसराणे एगे ईसाणे पिट्ठयो श्रायवत्तं धरेइ दुवे ईसाणा उभश्रो पासिं चामरुक्खेवं करेन्ति एगे ईसाणे पुरो सूलपाणी चिट्ठइ 3 / तए णं से सक्के देविदे देवराया अाभियोगे देवे सद्दावेइ 2 ता एसोवि तह चेव अभिसेवाणनि देइ तेवि तह चेव उवणेन्ति 4 / तए णं से सक्के देविंदे देवराया भगवयो तित्थयरस्स चउदिसिं चत्तारि धवलवसभे विउव्वेइ सेए संख-दल-विमलनिम्मल-दधिषण-गोखीर-फेण--रयणिगरप्पगासे पासाईए दरसणिज्जे अभिरूवे पडिरूवे 5 / तए णं तेसिं चउराहं धवलवसभाणं अहिं सिंगेहितो अट्ट तोयधाराश्रो णिग्गच्छन्ति 6 / तए णं तायो अट्ठ तोश्रधारायो उद्धं वेहासं उप्पयंति 2 त्ता एगो मिलायंति 2 ता भगवो तित्थयरस्स मुद्धाणंसि निवयंति 7 / तए णं से सक्के देविदे देवराया चउरासीईए सामाणिशसाहस्सीहिं एअस्सवि तहेव अभिसेयो भाणिवो जाव णमोऽत्थु ते अरहश्रोत्ति कटु वंदइ णमंसइ जाव पज्जुवासइ 8 // सूत्रं 123 // तए णं से सक्के देविंदे देवराया पंच सक्के विउव्वइ 2 ता एगे सक्के भयवं तित्थयरं करयलपुडेणं गिराहइ एगे सक्के पिट्ठो प्रायवत्तं धरेइ दुवे सक्का उभयो पासिं चामरुवखेवं करेन्ति एगे सक्के वजपाणी पुरो पगड्डइ 1 / तए णं से सक्के चउरासीईए सामाणिसाहस्सीहिं जाव अराणेहि अ भवणवइवाणमंतरजोइसवेमाणिएहिं देवेहिं देवीहि अ सद्धिं Page #192 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्र :: पञ्चमो वक्षस्कारः ] संपरिबुडे सब्बिद्धीए जाव णाइयरवेणं ताए उकिटाए जेणेव भगवत्रो तित्थयरस्स जम्मणणयरे जेणेव जम्मणभवणे जेणेव तित्थयरमाया तेणेव उवागच्छः 2 त्ता भगवं तित्थयरं माऊए पासे ठवेइ 2 त्ता तित्थयरपडिरूवगं पडिसाहरइ 2 ता बोसोवणिं पडिसाहरइ 2 ता एगं महं खोमजुयलं कुडलजुअलं च भगवयो तित्थयरस्स उस्सीसगमूले ठवेइ 2 ता एगं महं सिरिदामगंडं तवणिजलंबूसगं सुवराणपयरगमंडियं णाणा-मणिरयण-विविह-हारद्धहार-उवसोहिअसमुदयं भगवयो तिस्थयरस्स उल्लोग्रंसि निक्खिवइ तराणं भगवं तित्थयरे अणिभिसाए दिट्ठीए देहमाणे 2 सुहंसुहेणं अभिरममाणे चिट्ठइ 2 / तए णं से सक्के देविंदे देवराया वेसमणं देवं सदावेइ 2 ता एवं वदासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! बत्तीसं हिरराणकोडीयो बत्तीसं सुवरणकोडीयो बत्तीसं णदाई बत्तीसं भदाई सुभगे सुभगरूवजुवणलावराणे श्र भगवयो तित्थयरस्स जम्मणभवणंसि साहराहि 2 ता एमाणत्तियं पञ्चप्पिणाहि 3 / तए णं से वेसमणे देवे सक्केणं जाव विणएणं वयणं पडिसुणेइ 2 ता जंभए देवे सदावेइ 2 ता एवं वदासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! बत्तीसं हिरराणकोडीयो जाव भगवयो तित्थयरस्स जम्मणभवणंसि साहरह साहरित्ता एयमाणत्तियं पचप्पिणह 4 / तए णं ते जंभगा देवा वेसमणेणं देवेणं एवं वुत्ता समाणा हट्टतुट्ठ जाव खिप्पामेव बत्तीसं हिरराणकोडीयो जाव च भगव यो तित्थयरस्स जम्मणभवणंसि साहरंति 2 ता जेणेव वेसमणे देवे तेणेव जाव पञ्चप्पिणंति 5 / तए णं से वेसमणे देवे जेणेव सक्के देविंदे देवराया जाव पचप्पिणइ 6 / तए णं से सक्के देविंदे देवराया 3 अभियोगे देवे सहावेइ 2 ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! भगवयो तित्थयरस्स जम्मणणयरंसि सिंघाडग जाव महा. पहपहेसु महया 2 सद्दणं उग्घोसेमाणा 2 एवं वदह-हंदि सुणंतु भवंतो Page #193 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 166 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः सप्तमो विभागः बहवे भवणवइ-बाणमंतरजोइसवेमाणिया देवा य देवीश्रो अ जे णं देवाणुप्पिया ! तित्थयरस्स तित्थयरमाऊए वा असुभं मणं पधारेइ तस्स णं अजगमंजरिया इव सयधा मुद्धाणं फुटउत्तिकटु घोसणं घोसेह 2 ता एप्रमाणत्ति पञ्चप्पिणह 7 / तए णं ते श्राभियोगा देवा जाव एवं देवोत्ति श्राणाए विणएणं वयणं पडिसुणंति 2 ता सकस्स देविदस्स देवरगणो अंतित्रायो पडिणिक्खमंति 2 खिप्पामेव भगवयो तित्थगरस्स जम्मणणगरंसि सिंघाडग जाव एवं वयासी-हंदि सुणंतु भवंतो बहवे भवणवइ जाव जे णं देवाणुप्पिया! तित्थयरस्स जाव फुट्टिहीतित्तिकट्टु घोसणगं घोसंति 2 त्ता एमाणत्तियं पञ्चप्पिणंति = / तए णं ते बहवे भवणवइ-वाणमंतर-जोइस-वेमाणिया देवा भगवयो तित्थगरस्स जम्मणमहिमं करेंति 2 ता जेणेव णंदीसरदीवे तेणेव उवागच्छंति 2 ता अट्टाहियायो महामहिमायो करेंति 2 जामेव दिसिं पाउ भूया तामेव दिसिं पडिगया 1 // सूत्रं 124 // ॥इति पञ्चमो वक्षस्कारः // 5 // // अथ षष्ठो जम्बूद्वीपपदार्थसंग्रहो वक्षस्कारः // ___ जंबुद्दीवस्स णं भंते ! दीवस्स पदेसा लवणसमुद्द' पुट्टा ?, हता पुट्ठा 1 / ते णं भते / किं जंबुद्दीवे दीवे लवणसमुद्दे ?, गोत्रमा ! जंबुद्दीवे णं दीवे णो खलु लवणसमुद्दे 2 / एवं लवणममुद्दस्सवि पएसा जंबुद्दीवे पुट्टा भाणिव्वा 3 / जंबुद्दीवे णं भंते ! जीवा उद्दाइत्ता 2 लवणसमुद्दे पञ्चायांत ?, गोयमा ! अर्थगइथा पञ्चायति प्रथंगइया नों पञ्चायंति, एवं लषणस्सवि जंबुद्दीवे दीवे अव्वमिति 4 // सूत्रं 125 // खंडा 1 जोत्रण 2 वासा 3 पव्वय 4 कूडा 5 य तित्थ 6 सेढीयो 7 / विजय 8 दह 1 सलिलायो 10 पिंडए होइ संगहणी // 1 // " जंबुद्दीवे णं भंते ! Page #194 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्र :: पष्ठो वक्षस्कारः ] [ 167 दीवे भरहप्पमाणमेत्तेहिं खंडेहिं केवइयं खंडगणिएणं पण्णत्ता ?, गोयमा ! णउग्रं खंडसयं खंडगणिएणं पराणत्ते 1 / जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे केवइयं जोयणगणिएणं पराणते ?, गोमा ! सत्तेव य कोडिसया एउया छप्पराण सयसहस्साई / चउणवई च सहस्सा सयं दिवद्धं च गणित्रपयं // 1 // 2 / जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे कति वासा पगणता ?, गोमा ! सत्त वासा पराणत्ता, तंजहा-भरहे एवए हेमवए हिरगणवए हरिवासे रम्मगवासे महाविदेहे 3 / जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे केवइया वासहरा पराणत्ता केवइया मंदरा पव्वया पराणत्ता केवइया चित्तकूडा केवइया विचित्तकूडा केवइया जमगपव्वया केवइया कंचणपव्वया केवइया वखारा केवइया दीहवेश्रद्धा केवइया वट्टवेयद्धा पराणत्ता ?, गोत्रमा ! जंबुद्दीवे छ वासहरपव्वया एगे मंदरे पव्वए एगे चित्तकूडे एगे विचित्तकूडे दो जमगपव्वया दो कंचणगपब्वयसया वीसं वक्खारपव्वया चोत्तीसं दीहवेअद्धा चत्तारि वट्टवेअद्धा, एवामेव सपुवावरेणं जंबुद्दीवे दीवे दुरिण अउणत्तरा पव्वयसया भवंतीतिमक्खायं 4 / जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे केवइया वासहरकूडा केवइया वक्खारकूडा केवइया वेअद्भकूडा केवइया मंदरकूडा पराणत्ता ?, गोयमा ! छप्पराणं वासहरकूडा छण्णउई वक्खारकूडा तिरिण छलुत्तरा वेयद्धकूडसया नव मंदरकूडा पराणत्ता, एवामेव सपुव्वावरेणं जंबुद्दीवे चत्तारि सत्तट्ठा कूडसया भवंतीतिमक्खायं 5 / जंबुद्दीवे दीवे भरहे वासे कति तित्था पराणत्ता ?, गोयमा ! तो तित्था पराणत्ता, तंजहामागहे वरदामे पभासे 6 / जंबुदीवे 2 एरवए वासे कति तित्था पराणत्ता ?, गोयमा ! तयो तित्था पराणता ?, तंजहा-मागहे वरदामे पभासे, एवामेव मपुवावरेणं जंबुद्दीवे महाविदेहे वासे एगमेगे चकवट्टिविजए कति तित्था पराणत्ता ?, गोयमा ! तो तित्था पराणत्ता, तंजहा-मागहे वरदामे पभासे, एवामेव सपुव्वावरेणं जंबुद्दीवे 2 एगे बिउत्तरे तित्थसए भवंतीतिभक्खायं Page #195 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 168 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः सप्तमो विभागः 7 / जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे केवइया विजाहरसेढीयो केवइया ग्राभिश्रोगसेढीयो पराणत्तायो ?, गोयमा ! जंबुद्दीवे दीवे अट्ठसट्टी विजाहरसेढीयो अट्ठसट्ठी श्राभियोगसेढीयो पराणत्तायो, एवामेव सपुव्वावरेणं जंबुद्दीवे दीवे छत्तीसे सेढिसए भवतीतिमक्खायं 8 / जंबुद्दीवे दीवे केवइया चकवट्टिविजया केवइयायो रायहाणीयो केवइयायो तिमिसगुहायो केवइयायो खंडप्पवायगुहायो केवइया कयमालया देवा केवइया णट्टमालया देवा केवइया उसभकूडा पराणत्ता ?, गोयमा ! जंबुद्दीवे दीवे चोत्तीसं चकवट्टिविजया चोत्तीसं रायहाणीयो चोत्तीसं तिमिसगुहायो चोत्तीसं खंडप्पवायगुहायो चोत्तीसं कयमालया देवा चोत्तीसं ाट्टमालया देवा चोत्तीसं उसभकूडा पव्वया पराणत्ता 1 / जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे केवइया महदहा पराणता ?, गोत्रमा ! सोलस महदहा पराणत्ता, जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे केवइयायो महाणईयो वासहरपवहायो केवइयायो महाणईश्रो कुडप्पवहायो पराणत्ता ?, गोयमा ! जंबुद्दीवे 2 चोदस महाणईश्रो वासहरपबहायो छावत्तरि महाणईयो कुडप्पवहायो, एवामेव सपुवावरेणं जंबुद्दीवे दीवे णउति महाणईयो भवंतीतिमक्खायं 10 / जंबुद्दीवे 2 भरहेरवएसु वासेसु कइ महाणईश्रो पराणत्तायो ?, गोत्रमा ! चत्तारि महाणईयो पराणत्तायो, तंजहा-गंगा सिंधू रत्ता रत्तवई, तत्थ णं एगमेगा महाणई चउद्दसहि सलिलासहस्सेहिं समग्गा पुरथिमपञ्चत्थिमेणं लवण समुहद्द समप्पेइ, एवामेव सपुव्वावरेणं जंबुद्दीवे दीवे भरहएरवएसु वासेसु छप्पराणं सलिलासहस्सा भवंतीतिमक्खायं 11 / जंबुद्दीवे णं भंते ! हेमवयहेरराणवएसु वासेसु कति महाणईश्रो पराणत्तायो ?, गोयमा ! चत्तारि महाणईयो पराणत्तायो, तंजहा-रोहित्ता रोहिअंसा सुवराण कूला रुप्पकूला, तत्थ णं एगमेगा महाणई अट्ठावीसाए अट्ठावीसाए सलिलासहस्सेहिं समग्गा पुरथिमपञ्चत्थिमेणं लवणसमुद्द समप्पेइ, एवामेव सपुब्बावरेणं जंबुद्दीवे 2 हेमवयहेरगणवएसु Page #196 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्रं / षष्ठो वक्षस्कारः ] [ 169 वासेसु बारसुत्तरे सलिलासयसहस्से भवतीतिमक्खायं इति 12 / जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे हरिवासरम्मगवासेसु कइ महाणईयो पराणत्तायो ?, गोयमा ! चत्तारि महाणईयो पराणत्तायो, तंजहा-हरि हरिकंता नरकंता णरिकता, तत्थ णं एगमेगा महाणई छप्पराणाए 2 सलिलासहस्सेहिं समग्गा पुरस्थिमपञ्चत्थिमेणं लवणसमुद्द समप्पेड़, एवामेव सपुव्वावरेणं जंबुद्दीवे 2 हरिवासरम्मगवासेसु दो चउवीसा सलिलासयसहस्सा भवतीतिमक्खायं 13 / जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे महाविदेहे वासे कइ महाणईश्रो पराणत्तायो ?, गोयमा ! दो महाणईयो पराणत्तायो, तंजहा-सीया य सीयोया य, तत्थ णं एगमेगा महाणई पंचहिं 2 सलिलासयसहस्सेहिं बत्तीसाए श्र सलिलासहस्सेहिं समग्गा पुरस्थिमपञ्चत्थिमेणं लवणसमुद्द समप्पेइ 14 / एवामेव सपुब्बावरेणं जंबुद्दीवे दीवे महाविदेहे वासे दस सलिलासयसहस्सा चउसद्धिं च सलिलासहस्प्ता भवंतीतिमक्खायं 15 / जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दक्खिणेणं केवइया सलिलासयसहस्सा पुरथिमपञ्चत्थिमाभिमुहा लवणसमुद्द समप्पेंति ?, गोयमा ! एगे छराणउए सलिलासयसहस्से पुरथिमपञ्चस्थिमाभिमुहे लवणसमुह समप्पेंति 16 / जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरेणं केवइया सलिलासयसहस्सा पुरथिमपञ्चत्थिमाभिमुहा लवणसमुह समप्पेति ?, गोयमा ! एगे छराणउए सलिलासयसहस्से पुरथिमपञ्चत्थिमाभिमुहे जाव समप्पेइ 17 // जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे केवइया सलिलासयसहस्सा पुरस्थाभिमुहा लवणसमुई समप्पेंति ?, गोयमा ! सत्त सलिलासयसहस्सा अट्ठावीसं च सहस्सा जाव समप्पेंति 18 / जंबुद्दीवेणं भंते ! दीवे केवइया सलिलासयसहस्सा पञ्च. स्थिमाभिमुहा लवणसमुह समप्पेंति ?, गोत्रमा ! सत्त सलिलासयसहस्सा अट्ठावीसं च सहस्सा जाव समप्पेंति 11 / एवामेव सपुव्वावरेणं जंबुद्दीवे दीवे चोइस सलिलासयसहस्सा छप्पराणं च सहस्सा भवंतीतिमक्खायं २०॥सूत्रं 126 // // इति षष्ठो वक्षस्कारः // 6 // Page #197 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 170 1 . [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः // अथ सप्तमो ज्योतिषधिकारवर्णनो वक्षस्कारः // .. जंबुदीवे णं भंते ! दीवे कइ चंदा पभासिसु पभासंति पभासिस्संति कइ सूरिश्रा तवइंसु तवेंति तविस्संति केवइया णक्खत्ता जोगं जोइंसु जोअंति जोइस्संति केवइया महग्गहा चारं चरिंसु चरंति चरिस्संति केवइयायो तारागणकोडाकोडीयो सोभं सोभिंसु सोभंति सोभिस्संति ?, गोत्रमा ! दो चंदा पभासिंसु 3 दो सूरिया तवइंसु 3 छप्पराणं णक्खता जोगं जोइंसु 3 छावत्तरं महग्गहसयं चारं चरिंसु 3, 1 / एगं च सयसहस्सं तेत्तीसं खलु भवे सहस्साई / णव य सया पराणासा तारागणकोडिकोडीणं // 1 // सूत्रं 127 // कइ णं भंते ! सूरमंडला पराणत्ता ?, गोत्रमा ! एगे चउरासीए मंडलसए पराणत्ते इति 1 / जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे केवइग्रं श्रोगाहित्ता केवइया सूरमंडला पराणत्ता ?, गोत्रमा ! जंबुद्दीवे 2 असीयं जोगुणसयं भोगाहित्ता एत्थ णं पराणट्ठी सूरमंडला पराणत्ता 2 / लवणे णं भंते ! समुद्दे केवइयं श्रोगाहित्ता केवइया सूरमंडला पराणत्ता ?, गोत्रमा ! लवणे समुद्दे तिरिण तीसे जोपणसए योगाहित्ता एत्थ णं एगूणवीसे सूरमंडलसए पराणत्ते 3 / एवामेव सपुब्वावरेणं जंबुद्दीवे दीवे लवणे अ समुद्दे एगे चुलसीए सूरमंडलसए भवतीतिमक्खायंति 1, 4 // सूत्रं 128 // सव्वभंतरायो णं भंते ! सूरमंडलायो केवइयाए अवाहाए सव्वबाहिरए सूरमंडले पराणत्ते ?, गोयमा ! पंचदसुत्तरे जोत्रणसए अबाहाए सब्बबाहिरए सूरमंडले पराणत्ते 2 // सूत्रं 126 // सूरमंडलस्स णं भंते ! सूरमंडलस्स य केवइयं अबाहाए अंतरे पराणते ?, गोयमा ! दो जोषणाई अबाहाए अंतरे पराणते 3 // सूत्रं 130 // सूरमंडले णं भंते ! केवइयं पायामविक्खंभेणं केवइयं परिक्खेवेणं केवइयं बाहल्लेणं पराणते ?, गोत्रमा ! अडयालीसं एगसटिभाए जोत्रणस्स श्रआयामविक्खंभेणं तं तिगुणं सविसेसं परिक्खेवेणं चउवीसं एगसट्ठिभाए Page #198 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीपज्जम्यूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्गसूत्रं :: षष्ठो वक्षस्कार : ] [ 171 जोगुणस्स बाहल्लेणं पराणत्ते इति 4 // सूत्रं 131 // जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे मंदरस्सा पब्बयस्स केवइयाए अवाहाए सव्वन्भंतरे सूरमंडले पराणत्ते ?, गोमा ! चोयालीसं जोश्रणसहस्साइं अट्ठ य वीसे जोयणसए अबाहाए सव्वभंतरे सूरमंडले पराणते 1 / जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे मंदरस्स पव्वयस्स केवइअबाहाए सव्वभंतराणंतरे सूरमंडले पराणत्ते ?, गोयमा ! चोयालीसं जोअणसहस्साइं अट्ठ य बावीसे जोपणसए अडयालीसं च एगसट्ठिभागे जोपणस्म अबाहाए अभंतराणंतरे सूरमंडले पन्नत्ता 2 / जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे मंदरस्स पव्वयस्स केवइयाए अबाहाए अभंतरतच्चे सूरमंडले पराणत्ते ?, गोयमा ! चोप्रालीसं जोअणसहस्साई अट्ट य पणवीसे जोअणसए पणतीसं च एगसट्ठिभागे जोत्रणस्स श्रवाहाए अभंतरतच्चे सूरमंडले पराणत्ते इति 3 / एवं खलु एतेणं उवाएणं णिक्खममाणे सूरिए तयणंतरात्रो मंडलायो तयणंतरं मंडलं संकममाणे 2 दो दो जोषणाई अडयालीसं च एगसट्ठिभाए जोत्रणस्स एगमेगे मंडले अबाहावुढि अभिवद्रमाणे 2 सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइति 4 / जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे मंदरस्स पव्वयस्स केवइयाए अबाहाए सव्वबाहिरे सूरमंडले पराणत्ते ?, गोयमा ! पणयालीसं जोत्रणसहस्साई तिरिण अ तीसे जोत्रणसए अबाहाए सव्ववाहिरे सूरमंडले पराणते 5 / जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे मंदरस्स पव्वयस्स केवइयाए अबाहाए सव्वबाहिराणंतरे सूरमंडले पराणते ?, गोग्रमा ! पणयालीसं जोपणसहस्साई तिरिण अ सत्तावीसे जोश्रणसए तेरस य एगसद्विभाए जोश्रणस्स अबाहाए बाहिराणंतरे सूरमंडले पराणत्ते 6 / जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे मंदरस्स पव्वयस्स केवइयाए अबाहाए बाहिरतच्चे सूरमंडले पराणत्ते ?, गोयमा ! पणयालीसं जोअणसहस्साई तिरिण श्र चउवीसे जोत्रणसए छव्वीसं च एगसट्ठिभाए जोश्रणस्स अवाहाए बाहिरतच्चे Page #199 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 172 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः सूरमंडले पराणत्ते 7 / एवं खलु एएणं उवाएणं पविसमाणे सूरिए तयाणंतरायो मंडलायो तयाणंतरं मंडलं संकममाणे 2 दो दो जोषणाई अडयालीसं च एगसट्ठिभाए जोयणस्स एगमेगे मंडले अबाहावुद्धिं णिवुद्रमाणे 2 सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ 5,8 // सूत्रं 132 // जंबुद्दीवे दीवे सव्वभंतरे णं भंते! सूरमंडले केवइयं पायामविक्खंभेणं केवइयं परिक्खेवेणं पराणते ?, गोयमा ! णवणउई जोश्रणसहस्साई छच्च चत्ताले जोश्रणसए अायामविक्खंभेणं तिरिण य जोश्रणसयसहस्साई पराणरस य जोश्रणसहस्साई एगणणउइं च जोषणाई किंचिविसेसाहिबाई परिक्खेवेणं 1 / अभंतराणंतरे णं भंते ! सूरमंडले केवइयं पायामविक्खंभेणं केवइयं परिक्खेवेणं पराणते ?, गोत्रमा ! णवणउई जोत्रणसहस्साई छच्च पणयाले जोत्रणसए पणतीसं च एगसट्ठिभाए जोत्रणस्स आयामविक्खंभेणं तिगिण जोश्रणसयसहस्साई पराणरस य जोअणसहस्साइं एगं सत्तुत्तरं जोग्रणसयं परिक्खेवेणं पराणते 2 / अभंतरतच्चे णं भंते ! सूरमंडले केवइयं पायामविक्खंभेणं केवइयं परिक्खेवेणं पराणते ?, गोयमा ! णवणउई जोश्रणसहस्साई छच्च एकावराणे जोश्रणसए णव य एगसट्ठिभाए जोअणस्स थायामविक्खंभेणं तिरिण अ जोश्रणसयसहस्साई पराणरस जोश्रणसहस्साई एगं च पणवीसं जोत्रणसयं परिक्खेवेणं 3 / एवं खलु एतेणं उवाएणं णिक्खममाणे सूरिए तयाणंतरायो मंडलायो तयाणंतरं मंडलं उवसंकममाणे 2 पंच 2 जोश्रणाइं पणतीसं च एगसट्ठिभाए जोयणस्स एगमेगे मंडले विक्खंभवुद्धिं अभिवद्धेमाणे 2 अट्ठारस 2 जोषणाई परिरयवृद्धिं अभिवद्धेमाणे 2 सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ 4 / सव्वबाहिरए णं भंते ! सूरमंडले केवइयं पायामविक्खंभेणं केवइग्रं परिक्खेवेणं पराणत्ते ? गोयमा ! एग जोयणसयसहस्सं छच्च सट्टे जोश्रणसए आयामविक्खंभेणं तिगिण श्र जोत्रणसयसहस्साइं अट्ठारस य सहस्साई तिरिण श्र पराणरसुत्तरे जोश्रण Page #200 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्रं : षष्ठो वक्षस्कारः ] [ 173 सए परिक्खेवेणं 5 / बाहिराणंतरे णं भते ! सूरमंडले केवइयायामविक्खंभेणं केवइग्रं परिक्खेवेणं पराणते ?, गोत्रमा ! एगं जोत्रणसयसहस्सं छच्च चउपराणे जोश्रणसए छब्बीसं च एगसट्ठिभागे जोत्रणस्स पायामविक्खंभेणं तिगिण अजोत्रणसयसहस्साइं अट्ठारस य सहस्साई दोरिण य सत्ताणउए जोत्रणसए परिक्खेवेणं 6 / बाहिरतच्चे णं भंते ! सूरमंडले केवइयं पायामविखंभेणं केवइग्रं परिस्खेवेणं पराणते ?, गोयमा ! एगं जोत्रणसयसहस्सं छच्च अडयाले जोत्रणसए बावराणं च एगसट्ठिभाए जोत्रणस्स पायामविक्खंभेणं तिगिण जोपणसयसहस्साई अट्ठारस य सहस्साई दोरिण अ अउणासीए जोत्रणसए (किंचिविसेसाहिए) परिक्खेवेणं 7 / एवं खलु एएणं उवाएणं पविसमाणे सूरिए तयणंतरात्रो मंडलायो तयाणंतरं मंडलं संकममाणे 2 पंच पंच जोश्रणाइं पणतीसं च एगसट्ठिभाए जोत्रणस्स एगमेगे मंडले विक्खंभवुद्धिं णिबुद्धेमाणे 2 अट्ठारस 2 जोषणाई परिरयवुद्धिं णिबुड्ढे माणे 2 सब्वभंतरं मंडलं उपसंकमित्ता चारं चरइ 6, 8 // सूत्रं 133 // जया णं भंते ! सूरिए सव्वन्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं एगमेगेणं मुहुत्तेणं केवइयं खेत्तं गच्छइ ?, गोयमा ! पंच पंच जोत्रणसहस्साइं दोगिण श्र एगावराणे जोश्रणसए एगणतीसं च सद्विभाए जोत्रणस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छइ 1 / तया णं इहगयस्स मणूसस्स सीयालीसाए जोत्रणसहस्सेहिं दोहि अ तेवढेहिं जोत्रणसएहिं एगवीसाए श्र जोश्रणस्स सट्ठिभाएहिं सूरिए चक्खुप्फासं हव्वमागच्छइ 2 / से णिक्खममाणे सूरिए नवं संवच्छरं श्रयमाणे पढमंसि अहोरसि सव्वभंतराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ 3 / जया णं भंते ! सूरिए अभंतराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तया णं एगमेगेणं मुहत्तेणं केवइयं खेत्तं गच्छइ ?, गोत्रमा ! पंच पंच जोत्रणसहस्साई दोगिण श्र एगावराणे जोत्रणसए सीयालीसं च Page #201 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 174 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः सप्तमो विभागः सट्ठिभागे जोत्रणस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छइ 4 / तया णं इहगयस्स मणुसस्स सीयालीसाए जोत्रणसहस्सेहिं एगूणासीए जोश्रणसए सत्तावराणाए अ सट्ठिभाएहिं जोश्रणस्स सट्ठिभागं च एगसट्ठिधा छेत्ता एगूणवीसाए चुरिणयाभागेहिं सूरिए चक्खुप्फासं हव्वमागच्छइ 5 / से णिक्खममाणे सूरिए दोच्चंसि अहोरत्तंसि अभंतरतच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ 6 / जया णं भंते ! सूरिए अभंतरतच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं एगमेगेणं मुहुत्तेणं केवइयं खेत्तं गच्छइ ?, गोयमा ! पंच पंच जोगुणसहस्साइं दोगिण श्र बावराणे. जोपणसए पंच व सट्ठिभाए जोत्रणम्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छइ 7 / तया णं इहगयस्स मणुसस्स सीयालीसाए जोयणसहस्सेहिं छराणउइए जोश्रणेहिं तेत्तीसाए सट्टिभागेहिं जोत्रणस्स सद्विभागं च एगसद्विधा छेत्ता दोहिं चुरिणयाभागेहिं सूरिए चक्खुप्फासं हव्वमागच्छति 8 / एवं खलु एतेणं उवाएणं णिवखममाणे सूरिए तयाणंतरायो मंडलायो तयाणंतरं मंडलं संकममाणे संकममाणे अट्ठारस 2 सट्ठिभागे जोगुणस्स एगमेगे मंडले मुहुत्तगई अभिवड्ढे. माणे अभिवुड्ढ माणे चुलसीइं 2 सयाइं जोत्रणाई पुरिसच्छायं णिवुद्धेमाणे 2 सब्बबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ 1 / जया णं भंते ! सूरिए सम्बबाहिरमंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं एगमेगेणं मुहुत्तेणं केवइयं खेतं गच्छइ ?, गोत्रमा ! पंच पंच जोगुणसहस्साइं तिरािण श्र पंचुत्तरे जोत्रणसए पराणरस य सट्ठिभाए जोअणस्स. एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छइ 10 / तया णं इहगयस्स मणुसस्सं एगतीसाए जोश्रणसहस्सेहि अट्ठहि श्र एगत्तीसेहिं जोयणसएहिं तीसाए असट्ठिभाएहिं जोअणस्स सूरिए चक्खुप्फासं हव्वमागच्छंइ, एस णं पढमे छम्मासे, एस णं पढमस्स छम्मासस्स पन्जवसाणे 11 / से सूरिए दोच्चे छम्मासे अयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि बाहिराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ 12 / जया णं Page #202 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमञ्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्रं / / षष्ठो वक्षस्कारः ) [ 175 भंते ! सूरिए बाहिराणंतरं मंडलं उपसंकमित्ता चारं चरइ तया णं एगमेगेणं मुहुत्तेणं केवइयं खेत्तं गच्छइ ?, गोमा ! पंच पंच जोपणसहस्साई तिगिण थ चउरुत्तरे जोश्रणसए सत्तावराणं च सद्विभाए जोपणस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छइ 13 / तया णं इहगयस्स मणुसस्स एगत्तीसाए जोपणसहस्सेहिं णवहि अ सोलसुत्तरेहिं जोत्रणसएहिं इगुणालीसाए श्र सट्ठिभाएहिं जोगुणस्स सट्ठिभागं च एगसट्ठिधा छेत्ता सट्टीए चुरिणाभागेहिं सूरिए चक्खुप्फासं हन्धमागच्छइ 14 / से पविसमाणे सूरिए दोच्चंसि अहोरत्तंसि बाहिरतच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ 15 / जया णं भंते ! सूरिए बाहिरतच्चं मंडलं उबसंकमित्ता चारं चरइ तया णं एगमेगेणं मुहुत्तेणं केवइयं खेत्तं गच्छइ ?, गोत्रमा ! पंच पंच जोग्रणसहस्साई तिरिण श्र चउरुत्तरे जोश्रणसए इगुणालीसं च सहिभाए जोपणस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छइ 16 / तया णं इहगयस्स मणुयस्स एगाहिएहिं बत्तीसाए जोश्रणसहस्सेहि एगूणपराणाए असट्ठिभाएहिं जोअणस्स सट्ठिभागं च एगसट्टिया छेत्ता तेवीसाए चुरिणाभाएहि सूरिए चक्खुप्फासं हव्वमागच्छइ 17 / एवं खलु एएणं उवाएणं पविसमाणे सूरिए तयाणंतरायो मंडलायो तयाणंतरं मंडलं संकममाणे 2 अट्ठारस 2 सट्ठिभाए जोपणस्स एगमेगे मंडले मुहुत्तगई निवड्ढमाणे 2 सातिरेगाई पंचासीति 2 जोत्रणाई पुरिसच्छायं अभिवढेमाणे 2 सव्वन्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ 18 / एम णं दोच्चे छम्मासे, एस णं दोच्चस्स छम्मासस्स पजवसाणे, एस. णं श्राइच्चे संवच्छरे, एस णं श्राइच्चस्त संवच्छरस्स पन्नवसाणे पराणत्ते 11 / सूत्रं 134 // जया णं भंते ! सूरिए सव्वभंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं केमहालए दिवसे केमहालिया राई भवइ ?, गोत्रमा ! तया णं उत्तमकट्टपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ जहरिणा दुवालसमुहुत्ता राई भवइ 1 / से णिक्खममाणे सूरिए णवं संवच्छरं अयमाणे पढमंसि Page #203 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 176 ] __ [ श्रीमदागमसुधासिन्धु :: सप्तमो विभागः अहोरत्तंसि अभंतराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ 2 / जया णं भंते ! सूरिए अभंतराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं केमहालए दिवसे केमहालिया राई भवइ ?, गोयमा ! तया णं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणे दुवालसमुहुत्ता राई भवइ दोहि अ एगट्ठिभाग. मुहुत्तेहिं अहिअत्ति 3 / से णिक्खममाणे सूरिए दोच्चंसि ग्रहोरत्तंसि जाव चारं चरइ तया णं केमहालए दिवसे केमहालिया राई भवइ ?, गोत्रमा ! तया णं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ चरहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं उणे दुवालसमुहुत्ता राई भवइ चउहि एगसट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिअत्ति 4 / एवं खलु एएणं उवाएणं निक्खममाणे सूरिए तयाणंतराश्रो मंडलायो तयाणंतरं मंडलं संकममाणे दो दो एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं मंडले दिवसखित्तस्स निव्वुद्धेमाणे 2 रयणिखित्तस्स अभिवद्धेमाणे 2 सब्बबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइत्ति 5 / जया णं सूरिए सव्वभंतरायो मंडलायो सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं सबभंतरमंडलं पणिहाय एगेणं तेसीएणं राइंदिग्रसएणं तिरिण छाव? एगसट्ठिभागमुहुत्तसए दिवसखेत्तस्स निव्वुद्धत्ता रयणिखेत्तस्स अभिवुद्धेत्ता चारं चरइत्ति 6 / जया णं भंते ! सूरिए सव्वबाहिरं मंडल उपसंकमित्ता चारं चरइ तया णं केमहालए दिवसे केमहालिया राई भवइ ?, गोयमा ! तया णं उत्तमकट्टपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ जहराणए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइत्ति, एस णं पढमे छम्मासे एस णं पढमस्स छम्मासस्स पजवसाणे 7 / से पविसमाणे सूरिए दोच्चं छम्मासं श्रयमाणे पढमंसि अहोरसि बाहिराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ 8 / जया णं भंते ! सूरिए बाहिराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं केमहालए दिवसे भवइ ?, केमहालिया राई भवइ ? गोत्रमा ! अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ दोहिं एगसट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणा दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ दोहिं Page #204 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्र :: षष्ठी वक्षस्कारः ) / 177 एगसट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिए 1 / से पविसमाणे सूरिए दोच्चंसि अहोरत्तंसि बाहिरतच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ 10 / जया णं भंते ! सूरिए बाहिरतचं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं केमहालए दिवसे भवइ केमहालिया राई भवइ ?, गोयमा ! तया णं अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ चउहिं एगसट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणा दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ चउहिं एगसट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिए इति 11 / एवं खलु एएणं उवाएणं पविसमाणे सूरिए तयाणंतरायो मंडलायो तयाणंतरं मंडलं संक्रममाणे 2 दो दो एगसट्ठिभागमुहुत्तेहि पगमेगे मंडले रयणिखेत्तस्स निबुद्धेमाणे 2 दिवसखेत्तस्स अभिबुद्धेमाणे 2 सयभंतरं मंडलं उघसंकमित्ता चारं चरइत्ति 12 / जया णं भंते ! मूरिए सव्ववाहिरायो मंडलायो सबभंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया | सव्वबाहिरं मंडलं पणिहाय एगेणं तेसीएणं राइंदिग्रसरणं तिरिण छाव? एगसट्ठिभागमुहत्तसए रयाणखेत्तस्स णिव्वुद्धेत्ता दिवसखेत्तस्स अभिवरेत्ता चारं चरइ 13 / एस णं दोच्चे छम्मासे, एस णं दुचरम छम्मासस्स पजवसाणे, एस णं प्राइच्चे संवच्छरे, एस णं श्राइच्चस्स संवच्छरस्स. पन्जवसाणे पराणत्ते 8, 14 // सूत्रं 135 // जया णं भंते ! सूरिए सव्वन्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं किंसंठिया तावखित्तसंठिई पराणत्ता ?, गोयमा ! उद्धीमुह-कलंबुवापुष्फसंटाणसंठिया तावखेत्तसंठिई पराणत्ता अंतो संकुया बाहिं वित्थडा अंतो वट्टा बाहिं विहुला अंतो अंकमुहसंठिश्रा बाहिं सगडुद्धी (सोत्थित्र) मुहमंठिया उभयो पासे णं तीसे दो बाहायो अवट्टिायो हवंति पणयालीसं 2 जोत्रणसहस्साई अायामेण, दुवे अ णं तीसे बाहायो श्रणवट्टिायो हवंति, तंजहा-सव्वभंतरिया चेव बाहा सव्वबाहिरिश्रा चेव बाहा, तीसे णं सव्वन्भंतरिश्रा बाहा मंदरपव्वयंतेणं णवजोश्रणसहस्साई चत्तारि छलसीए जोश्रणसए णव य दसभाए जोत्रणस्स परि. Page #205 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 178 [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः क्खेवेणं 1 / एस णं भंते ! परिक्खेवविसेसे कयो ग्राहिएति वएज्जा ?, गोत्रमा ! जे णं मंदरस्स परिक्खेवे तं परिक्खेवं तिहिं गुणेत्ता दसहिं छेत्ता दसहिं भागे हीरमाणे एस परिक्खेवविसेसे पाहिएति वदेज्जा, तीसे णं सबबाहिरिश्रा बाहा लवणसमुहतेणं चउणवई जोत्रणसहस्साई अट्ठस? जोत्रणसए चत्तारि श्र दसभाए जोपणस्स परिक्खेवेणं 2 / से णं भंते ! परिक्खेवविसेसे को श्राहिएति वएजा ?, गोयमा ! जे णं जंबुद्दीवस्स परिवखेवे तं परिक्खेवं तिहिं गुणेत्ता दसहिं छेत्ता दसभागे हीरमाणे एस णं परिक्खेवविसेसे पाहिएत्ति वएजा इति 3 / तया णं भंते ! तावखित्ते केवइयं पायामेणं पराणते ?, गोयमा ! अट्टहत्तरि जोश्रणसहस्साई तिरिण अ तेत्तीसे जोपणसए जोयणस्स तिभागं च थायामेणं पराणत्ते 4 / मेरुस्स मज्झयारे जाव य लवणस्स रुंदछब्भागो। तावायामो एसो सगडुद्धीसंठियो नियमा // 1 // " तया णं भंते ! किंसंठिया अंधकारसंठिई पाणता ?, गोमा ! उद्धीमुहकलंबुश्रापुप्फसंगणसंठिया अंधकारसंठिई पराणत्ता, अंतो संकुत्रा बाहिं वित्थडा तं चेव जाव तीसे णं सव्वभंतरिया बाहा मंदरपव्ययंतेणं छज्जोत्रणसहस्साई तिरिण ब चउवीसे श्रोत्रणसए छच्च दसभाए जोत्रणस्स परिक्खेवेणंति 5 / से णं भंते ! परिक्खेवविसेसे को पाहिएतिवएज्जा ?, गोयमा ! जे णं मंदरस्स पव्वयस्स परिक्खेवे तं परिक्खेवं दोहिं गुणेत्ता दसहि छेत्ता दसहिं भागे होरमाणे एस णं परिक्खेवविसेसे पाहिएति वएजा, तीसे णं सव्वबाहिरिथा बाहा लवणसमुह तेणं तेसट्ठी जोश्रणसहस्साई दोगिण य पणयाले जोत्रणसए छच्च दसभाए जोत्रणस्स परिक्खेवेणं 6 / से णं भंते ! परिक्खेवविसेसे को श्राहिएति वएज्जा ?, गोयमा ! जे णं जंबुद्दीवस्स परिक्खेवे तं परिक्खेवं दोहिं गुणेत्ता जाव तं चेव 7 / तया णं भंते ! अंधयारे. केवइए आयामेणं पराणते ?, गोयमा ! अट्ठहत्तर जोत्रणसहस्साई तिरिण श्र Page #206 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्र :: षष्ठो वक्षस्कारः ] [ 179 तेत्तीसे जोयणमए तिभागं च थायामेणं पण्णत्ते 8 / जया णं भंते ! सूरिए सव्वबाहिरमंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं किंसंठिया तावक्खित्तसंठिई पराणता ?, गोयमा / उद्धीमुह-कलंबुवापुष्फ-संगणसंठिया पराणत्ता, तं चेव सव्वं अव्वं णवरं णाणत्तं जं अंधयारसंठिइए पुव्ववरिणयं पमाणं तं तावखित्तमंठिईए णेअव्वं, जं ताव खित्तसंठिईए पुव्ववरिणयं पमाणं तं अंधयारसंठिईए णेथव्वं 1 // सूत्रं 136 // जंबुद्दीव णं भंते ! दीवे सूरिया उगमणमुहुत्तंसि दूरे अमूले अ दीसंति मज्झतिअमुहुर्तसि मूने अ दूरे अ दीसंति अत्यमणमुहुर्तसि दूरे अ मूले अ दीमति ?, हंता, गोयमा ! तं चेव जाव दीसंति 1 / जंबुद्दीवे णं भंते ! सूरिया उग्गमणमुहुत्तंसि अ मझतिअमुहुत्तंसि श्र अत्थमणमुहुत्तंसि श्र सम्बत्थ समा उच्चत्तेणं ?, हंता तं चेव जाव उच्चत्तेणं 2 / जइ णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे सूरिया उग्गमणमुहुत्तसि अ मझतिअमुहुत्तंसि अत्थमणमुडुत्तंसि सनत्य समा उच्चत्तेणं, कम्हा णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे सूरिया उग्गमणमुहुत्तंसि दूरे अमूले अदीसंति मझतियमुहुत्तंसि मूले अ दूरे श्र दीसंति अस्थमणमुहुर्तसि दूरे श्र मूले अ दीसंति ? गोयमा ! लेसापडिघाएणं 'उग्गमणमुहुत्तंसि दूरे अमूले अ दीसंति इति लेसाहितावेणं ममंतिमुहुत्तंसि मूले अदूरे अ दीसंति लेसापडिघाएणं अत्थमणमुहुत्तंसि दूरे अमूले श्र दीसंति, एवं खलु गोश्रमा ! तं चेव जाव दीसंति 10, 3 // सूत्रं 137 // जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे सूरिया किं तीयं खेत्तं गच्छति पडुप्पराणं खेतं गच्छति श्रणागयं खेत्तं गच्छति ?, गोत्रमा ! णो तीअं खेत्तं गच्छति पडुप्पराणं खेतं गच्छन्ति णो श्रणागयं खेत्तं गच्छन्ति 1 / तं भंते किं पुढे गच्छन्ति जाव नियमा छदिसिंति, एवं श्रोभासेंति 2 / तं भंते ! कि पुटुं अोभासेंति ? एवं श्राहारपयाइं अव्वाइं पुट्ठोगाढ-मणंतर-अणुमह-त्रादिविसयाणुपुव्वी श्र जाव णिश्रमा छदिसिं, एवं उज्जोवेति तवेंति पभाति 11, 3 Page #207 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमी विभागः // सूत्रं 138 // जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे सूरियाणं किं तीते खित्ते किरिया कन्जइ पडुप्पाणे खित्ते किरिया कन्जइ अणागए खित्ते किरिया कन्जइ ?, गोमा ! णो तीए खित्ते किरिया कन्जइ पडुप्पराणे खित्ते किरिया कजइणो अणागए खित्ते किरिया वजइ 1 / सा भंते ! किं पुट्ठा कज्जइ अपुट्ठा कन्जइ ?, गोत्रमा ! पुट्ठा कजइ णो अणापुट्ठा कन्जइ जाव णित्रमा छदिसिं 2 // सूत्रं 131 // जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे सूरिया केवइयं खेत्तं उद्धं तवयंति अहे तिरियं च ?, गोत्रमा ! एगं जोअणसयं उद्धं तवयंति अट्ठारससयजोषणाई अहे तवयंति सीयालीसं जोश्रणसहस्साई दोरिण अ तेवढे जोश्रणसए एगवीसं च सट्ठिभाए जोपणस्स तिरियं तवयंतित्ति 13 // सूत्रं 140 // अंतो णं भंते ! माणुसुत्तरस्स पव्वयस्स जे चंदिमसूरिश्र-गहगण-गक्खत्ततारारूवा ते णं भंते ! देवा किं उद्घोववरणगा कप्पोववरणगा विमाणोववरणगा चारोववराणगा चारट्टिईथा गइरइया गइसमावराणगा ?, गोत्रमा ! अंतो णं माणुसुत्तरस्स पव्वयस्स जे चंदिमसूरिय जाव तारारुवे ते णं देवा णो उद्धोववरणगा णो कप्पोववरणगा विमाणोववरणगा चारोववरणगाणो चारट्टिईया गइरइया गइसमावराणगा उद्धीमुह-कलंबुवापुप्फ-संठाणसंठिएहिं जोअणसाहस्सिएहिं तावखेत्तेहिं साहस्सियाहिं वेउव्विग्राहिं बाहिराहिं परिसाहिं महयाहय-गट्ट-गीत्र-वाइनतंती-तल-ताल-तुडिर-घण-मुइंग-पडुप्पवाइअरवेणं दिव्वाइं भोगभोगाई भुजमाणा महया उकिट्टि-सीहणाय-बोल-कलकलरवेणं अच्छं पव्वयरायं पयाहिणावत्त-मराडलचारं मेरु अणुपरिघट्टति 14 // सूत्रं 141 // तेसि णं भंते ! देवाणं जाहे इंदे चुए भवइ से कहमियाणिं पकरेंति ?, गोयमा ! ताहे चत्तारि पंच वा सामाणिया देवा तं गणं उवसंपजित्ता णं विहरंति जाव तत्थ अरणे इंदै अवराणे भवइ 1 / इंदट्ठाणे णं भंते ! केवइयं कालं उववाएणं विरहिए ?, गोयमा ! जहराणेणं एगं समयं Page #208 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्र :: षष्ठो वक्षस्कारः ] [ 181 उकोसेणं छम्मासे उववाएणं विरहिए 2 / बहिया णं भंते ! मणुसुत्तरस्स पव्वयस्स जे चंदिम जाव ताराख्वा तं चेव णेशव्वं णाणत्तं विमाणोववराणगा णो चारोववरणगा चारठिईश्रा णो गइरइया णो गइसमावराणगा पकिट्ठगसंठाणसंठिएहिं जोत्रणसयसाहस्सिएहिं तावखित्तेहिं सयसाहस्सिश्राहिं वेउविबाहिं बाहिराहिं परिसाहिं महयाहयणट्ट जाव भुजमाणा सुहलेसा मंदलेसा मंदातवलेसा चित्तंतरलेसा अगणोरणसमोगाढाहिं लेसाहिं कुडाविव ठाणठिया सव्वश्रो समंता ते पएसे योभासंति उज्जोवेति तवेंति पभासेंति 3 / तेसि णं भंते ! देवाणं जाहे इंदे चुए भवइ से कहमियाणिं पकरेंति जाव जहरणेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं छम्मासा इति 15, 4 // सूत्रं 142 // कइ णं भंते ! चंदमण्डला पराणत्ता ?, गोयमा ! पराणरस चंदमण्डला पराणत्ता 1 / जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे केवइग्रं श्रोगाहित्ता केवइया चंदमण्डला पराणत्ता ?, गोयमा ! जंबुद्दीवे 2 असीयं जोअणसयं श्रोगाहित्ता पंच चंदमण्डला पराणत्ता 2 / लवणे णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! लवणे णं समुद्दे तिरिण तीसे जोत्रणसए श्रोगाहित्ता एत्थ णं दस चंदमण्डला पराणत्ता, एवामेव सपुव्वावरेणं जंबुद्दीवे दीवे लवणे य समुद्दे पराणरस चंदमराडला भवंतीतिमक्खायं 1, 3 // सूत्रं 143 // सव्वन्भंतरायो णं भंते ! चंदमंडलायो णं केवइयाए अबाहाए सव्वबाहिरए चंदमण्डले पराणत्ते ?, गोत्रमा ! पंचदसुत्तरे जोत्रणसए अबाहाए सब्वबाहिरए चंदमण्डले पराणत्ते 2 // सूत्रं 144 // चंदमंडलस्स णं भंते ! चंदमंडलस्स केवइयाए अवाहाए अंतरे पराणते ?, गोयमा ! पणतीसं 2 जोत्रणाई तीसं च एगसट्ठिभाए जोपणस्स एगसट्ठिभागं च सत्तहा छेत्ता चत्तारि चुगिणश्राभाए चंदमंडलस्स चंदमंडलस्स अबाहाए अंतरे पराणत्ते 3 ॥सूत्रं 145 // चंदमंडले णं भंते ! केवइयं श्रआयामविक्खंभेणं केवइयं परिक्खेवेणं Hit Page #209 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 182 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः केवइयं बाहल्लेणं पराणत्ते , गोयमा ! छप्पण्णं एगसटिभाए जोअणस्म आयामविक्खंभेणं तं तिगुणं सविसेसं परिक्खेवेणं अट्ठावीसं च एगसट्ठिभाए जोत्रणस्स बाहल्लेणं 4 // सूत्रं 146 // जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स केवइयाए अबाहाए सव्वन्भंतरए चंदमण्डले पराणते ?, गोत्रमा ! चोप्रालीसं जोषणसहस्साई अट्ठ य वीसे जोपणसए अबाहाए सव्वन्भंतरे चंदमंडले पराणत्ते 1 / जंबुद्दीवे 2 मंदरस्स पव्वयस्स केवइयाए अबाहाए अभंतराणंतरे चंदमंडले पराणत्ते ?, गोयमा ! चोप्रालीसं जोश्रणसहस्साई ? य छप्पराणे जोत्रणसए पणवीसं च एगसट्ठिभाए जोअणस्स एगट्ठिभागं च सत्तहा छेत्ता चत्तारि चुरिणाभाए अबाहाए अभंतराणंतरे चंदमंडले पराणत्ते 2 / जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स केवइयाए अबाहाए थभंतरतच्चे मंडले पराणते ?, गोत्रमा ! चोथालीसं जोत्रणसहस्साइं अट्ठ य बाणउए जोत्रणसए एगावराणं च एगसट्ठिभाए जोपणस्स एगट्ठिभागं च सत्तहा छेत्ता एगं चुरिणयामागं श्रवाहाए अभंतरतच्चे चंदमंडले एराणत्ते 3 / एवं खलु एएणं उवाएणं णिक्खममाणे चंदे तयाणंतरायो मंडलायो तयाणंतरं मंडलं संकममाणे 2 छत्तीसं 2 जोत्रणाई पणवीसं च एगट्ठिभाए जोअणस्स एगट्ठिभागं च सत्तहां छेत्ता चत्तारि चुरिणाभाए एगमेगे मंडले अबाहाए बुद्धि अभिवद्धेमाणे 2 सम्बबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ 4 / जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स केवइयाए अबाहाए सव्वबाहिरे चंदमंडले पराणते ?, गोयमा ! पणयालीसं जोश्रणसहस्साई तिरािण अ तीसे जोश्रणसए अवाहाए सव्वबाहिरए चंदमंडले पराणत्ते 5 / जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स केवइश्राए अबाहाए बाहिरा णंतरे चंदमंडले पराणत्ते ?, गोयमा! पणयालीसं जोश्रणसहस्साई दोरिण अ तेणउए जोत्रणसए पणतीसं च एगसट्ठिभाए जोश्रणस्स .एगट्ठिभागं च सत्तहा छेत्ता तिरिण चुरिणाभाए श्रवाहाए बाहिराणंतरे वंदमंडले Page #210 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्धीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्र :: षष्ठो वक्षरकार: ] / 183 पणगत्ते 6 / जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पबयरस केवइयाए अबाहाए बाहिरतच्चे चंदमंडले पराणते ?, गोयमा ! पणयालीसं जोश्रणसहस्साई दोगिण श्र सत्तावराणे जोयणसए णव य एगट्ठिभाए जोयणस्स एगट्ठिभागं च सत्तहा छेत्ता छ चुरिणाभाए अबाहाए बाहिरतच्चे चंदमंडले पराणत्ते 7 / एवं खलु एएणं उवाएणं पविसमाणे चंदे तयाणंतरायो मंडलायो तयाणंतरं मंडलं संकममाणे 2 छत्तीसं 2 जोषणाई पणवीसं च एगसट्ठिभाए जोगुणस्स एगट्ठिभागं च सत्तहा छेत्ता चत्तारि चुरिणाभाए एगमेगे मंडले अबाहाए वुद्धिं णिबुद्धेमाणे 2 सव्वभंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ 5, 8 // सूत्रं 147 // सम्बन्भंतरे णं भंते ! चंदमंडले केवइयं यायामविखंभेणं केवइयं परिक्खेवेणं पराणत्ते?, गोयमा! णवणउई जोत्रणसहस्साई छच्चचत्ताले जोत्रणसए यायामविखंभेणं तिरिण अ जोत्रणसयसहस्साई पराणरस जोग्रणसहस्साई अउणाणउतिं च जोश्रणाइं किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं पराणत्ते 1 / अभंतराणंतरे सा चेव पुच्छा, गोयमा ! णवणउइं जोग्रणसहस्साई सत्त य बारसुत्तरे जोअणसए एगा. वरणं च एगट्ठिभागे जोगुणस्स एगट्ठिभागं च सत्तहा छेत्ता एगं चुगिणयाभागं पायामविक्खंभेणं तिरिण य जोयणसयसहस्साई पनर सहस्साई तिगिगा य एगूणवीसे जोअणसए किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं 2 / अभंतरतच्चे णं जाव पराणते ?, गोयमा ! णवणउइं जोश्रणसहस्साई सत्त य पञ्चासीए जोत्रणसए इगतालीसं च एगट्ठिभाए जोश्रणस्स एगट्ठिभागं च सत्तहा छेत्ता दोगिण श्र चुण्णिाभाए थायामविक्खंभेणं तिरिण श्र जोश्रणसयसहस्साई पराणरस जोश्रणसहस्साई पंच य इगुणापरणे जोत्रण. सए किंचिविसेसाहिए परिक्खेवणं 3 / एवं खलु एएणं उवाएणं णिक्खममाणे चंदे जाव संकममाणे 2 बावत्तरि 2 जोषणाई एगावराणं च एगट्टि भाए जोत्रणस्स एगट्ठिभागं च सत्तहा छेत्ता एगं च चुरिणाभागं एगमेगे Page #211 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 184 / श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः मंडले विक्खंभवुद्धिं अभिवढेमाणे 2 दो दो तीसाई जोत्रणसयाई परिरयबुद्धि अभिवढेमाणे 2 सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ 4 / सव्वबाहिरए णं भंते ! चंदमंडले केवइयं पायामविक्खंभेणं केवइयं परि. क्खेवेणं पण्णत्ते ?, गोयमा! एगं जोयणसयसहस्सं छचसट्टे जोत्रणसए पायामविक्खंभेणं तिरिण अजोयणसयसहस्साई अट्ठारस सहस्साई तिगिण अ पराणरसुत्तरे जोपणसए परिक्खेवेणं 5 / बाहिराणंतरे णं पुच्छा, गोयमा ! एगं जोश्रणसयसहस्सं पंच सत्तासीए जोत्रणसए णव य एगट्ठिभाए जोश्रणस्स एगट्ठिभागं च सत्तहा छेत्ता छ चुरिणाभाए थायामविक्खंभेणं तिरिण अ जोश्रणसयसहस्साई अट्ठारस य सहस्साई पंचासीई च जोपणाई परिक्खेवेणं 6 / बाहिरतच्चे णं भंते ! चंदमंडले जाव पराणत्ते ?, गोयमा ! एगं जोत्रणसयसहस्सं पंच य चउदसुत्तरे जोश्रणसए एगूणवीसं च एगसद्विभाए जोयणस्स एगट्ठिभागं च सत्तहा छेत्ता पंच चुरिणाभाए आयामविवखंभेणं तिरिण अ जोश्रणसयसहस्साई सत्तरस सहस्साई अट्ठ य पणपराणे जोअणसए परिक्खेवेणं 7 / एवं खलु एएणं उवाएणं पविसमाणे चंदे जाव संकममाणे 2 बावत्तरि 2 जोश्रणाई एगावराणं च एगट्ठिभाए जोश्रणस्स एगट्ठिभागं च सत्तहा छेत्ता एगं चुरिणाभागं एगमेगे मण्डले विक्खंभवुद्धिं णिबुद्धेमाणे 2 दो दो तीसाई जोपणसयाई परिरयवुद्धिं णिबुद्धेमाणे 2 सव्वभंतरं मंडलं उपसंकमित्ता चारं चरइ 6, 8 // सूत्रं 148 // जया णं भंते ! चंदे सव्वभंतरमण्डलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं एगमेगेणं मुहुत्तेणं केवइयं खेत्तं गच्छइ ?, गोत्रमा ! पंच जोत्रणसहस्साई तेवत्तरिं च जोषणाई सत्तत्तरि च चोथाले भागसए गच्छइ मण्डलं तेरसहिं सहस्सेहिं सत्तहि श्र पणवीसेहिं सएहिं छेत्ता इति, तया णं इहगयस्स मणूसस्स सीयालीसाए जोत्रणसहस्सेहिं दोहि अ तेवढेहिं जोषणएहिं एगवीसाए श्र सहिभाएहिं जोश्रणस्स Page #212 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सुत्रं :: षष्ठो वक्षस्कारः ] [ 185 चंदे चक्खुप्फासं हव्वमागच्छइ 1 / जया णं भंते ! चंदे अभंतराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ जाव केवइयं खेत्तं गच्छइ ?, गोयमा ! पंच जोत्रणसहस्साई सत्तत्तरिं च जोयणाई छत्तीसं च चोअत्तरे भागसए गच्छइ, मंडलं तेरसहिं सहस्सेहिं जाव छेत्ता 2 / जया णं भंते ! चंदे अभंतरतचं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं एगमेगेणं मुहुत्तेणं केवइयं खेत्तं गच्छइ ?, गोयमा ! पंच जोपणसहस्साइं असीइं च जोत्रणाइं तेरस य भागसहस्साई तिरािण अ एगूणवीसे भागसए गच्छइ, मंडलं तेरसहिं जाव छेत्ता 3 / एवं खलु एएणं उवाएंणं णिक्खममाणे चंदे तयाणंतरायो जाव संकममाणे 2 तिरिण 2 जोषणाई छराणउई च पंचावराणे भागसए एघमेगे मंडले मुहुत्तगई अभिवढेमाणे 2 सम्बबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ 4 / जया णं चंदे सम्बबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं एगमेगेणं मुहुत्तेणं केवइयं खेत्तं गच्छइ ?, गोयमा ! पंच जोयणसहस्साई एगं च पणवीसं जोत्रणसयं अउत्तरं च णउए भागसए गच्छइ, मंडलं तेरसहिं भागसहस्सेहिं सत्तहि अजाव छेत्ता 5 / तया णं इहगयस्स मणूसस्स एकत्तीसाए जोत्रणसहस्सेहिं अट्ठहि य एगत्तीसेहिं जोश्रणसएहिं चंदे चक्खुफास हव्वमागच्छइ 6 / जया णं भंते ! बाहिराणंतरं पुच्छा, गोत्रमा ! पंच जोगणसहस्साई एक्कं च एकवीसं जोश्रणसयं एकारस य सट्टे भागसहस्से गच्छइ, मंडलं तेरसहिं जाव छेत्ता 7 / जया णं भंते ! बाहिरतच्चं पुच्छा, गोत्रमा ! पंच जोश्रणसहस्साई एगं च अट्ठारसुत्तरं जोत्रणसयं चोइस य पंचुत्तरे भागसए गच्छइ मंडलं तेरसहिं सहस्सेहिं सत्तहिं पणवीसेहिं सएहिं छेत्ता 8 / एवं खलु एएणं उवाएणं जाव संकममाणे 2 तिरिण 2 जोत्रणाई छराणउतिं च पंचावराणे भागसए एगमेगे मंडले मुहुत्तगई णिवुद्धेमाणे 2 सव्वभंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चार चरइ 1 // सूत्रं 141 // कइ णं भंते ! णवखत्तमंडला पराणत्ता ?, गोत्रमा ! Page #213 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 186 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः अट्ट एक्खत्तमंडला पराणत्ता 1, 1 / जंबुद्दीवे दीवे केवइयं श्रोगाहित्ता केवइया णक्खत्तमंडला पराणत्ता ?, गोत्रमा ! जंबुद्दीवे दीवे असीयं जोत्रणसयं श्रोगाहेत्ता एत्थ णं दो णक्खत्तमंडला पराणत्ता 2 / लवणे णं समुद्दे केवइयं योगाहेत्ता केवइया णक्खत्तमंडला पराणत्ता ?, गोत्रमा ! लवणे णं समुद्दे तिरिण तीसे जोअणसए श्रोगाहित्ता एत्थ णं छ णक्खत्तमंडला पराणत्ता, एवामेव सपुवावरेणं जंबुद्दीवे दीवे लवणसमुद्दे अट्ठ णक्खत्तमंडला भवंतीतिमक्खायं 2, 3 / सव्वन्भंतरायो णं भंते ! माक्खत्तमंडलायो केवइयाए अबाहाए सव्वबाहिरए णक्खत्तमंडले पराणत्ते ?, गोत्रमा ! पंचदसुत्तरे जोअणसए अबाहाए सव्वबाहिरए णक्खत्तमंडले पराणत्ते 4 / णक्खत्तमंडलस्स णं भंते ! णक्खत्तमंडलस्स य एस णं केवइयाए अबाहाए अंतरे परणत्ते ?, गोत्रमा ! दो जोत्रणाई णक्खत्तमंडलस्स य णक्खत्तमंडलस्स य अबाहाए अंतरे पराणत्ते 3, 5 / णक्खत्तमंडले णं भंते ! केवइयं पायामविक्खंभेणं केवइग्रं परिक्खेवेणं केवइयं बाहल्लेणं पराणत्ते ?, गोत्रमा ! गाउ आयामविक्खंभेणं तं तिगुणं सविसेसं परिक्खेवेणं श्रद्धगाउग्रं बाहल्लेणं पराणत्ते 4, 6 / जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे मंदरस्स पव्वयस्स केवइयाए अबाहाए सब्बभंतरे णक्खत्तमंडले पराणत्ते ?, गोत्रमा ! चोयालीसं जोअणसहस्साई अट्ट य वीसे जोत्रणसए अबाहाए सव्वभंतरे णक्खत्तमंडले पराणत्ते 7 / जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे मंदरस्स पन्वयस्स केवइयाए अबाहाए सव्वबाहिरए णक्खत्तमंडले परणात्ते ?, गोत्रमा ! पणयालीसं जोत्रणसहस्साई तिरिण अ तीसे जोत्रणसए अबाहाए सब्बबाहिरए णक्खत्तमंडले पराणत्ते 5, 8 / सव्वभंतरे णक्खत्तमंडले केवइयं पायामविक्खंभेणं केवइयं परिक्खेवेणं परणते ?, गोत्रमा ! णवणउति जोत्रणसहस्साई छच्चचत्ताले जोत्रणसए आयामविखं. भेणं तिरिण अजोत्रणसयसहस्साई पराणरस सहस्साइं एगूणणवति च Page #214 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्र :: षष्ठो वक्षस्कारः ] [ 187 जोत्रणाई किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं पराणत्ते 1 / सव्वबाहिरए णं भंते ! णक्खत्तमंडले केवइयं श्रआयामविक्खंभेणं केवइयं परिक्खेवेणं पराणते ?, गोत्रमा ! एगं जोअणसयसहस्सं छच्च सटे जोगणसए अायामविक्खंभेणं तिगिण अ जोश्रणसयसहस्साई अट्ठारस य सहस्साई तिरिण श्र पराणरसुत्तरे जोश्रणसए परिक्खेवेणं 10 / जया णं भंते ! णक्खत्ते सबभंतरामंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं एगमेगेणं मुहुत्तेणं केवइयं खेत्तं गच्छइ ?, गोत्रमा ! पंच जोअणसहस्साई दोगिण य परण? जोत्रणसए अट्ठारस य भागसहस्से दोरिण श्र तेवढे भागसए गच्छइ, मंडलं एकवीसाए भागसहस्सेहिं णवहि श्र सट्टेहिं सएहिं छेत्ता 11 / जया णं भंते ! णक्खत्ते सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं एगमेगेणं मुहुत्तेणं केवइयं खेत्तं गच्छइ ?, गोमा ! पंच जोअणसहस्साई तिरिण अ एगूणवीसे जोत्रणसए सोलस य भागसहस्सेहिं तिरिण श्र पण? भागसए गच्छइ, मंडलं एगवीसाए भागसहस्सेहिं णवहि श्र स?हिं सएहिं छेत्ता 12 / एते णं भंते ! अट्ठ णक्खत्तमंडला कतिहिं चंदमंडलेहिं समोअरंति ?, गोयमा ! अहिं चंदमंडलेहिं समोअरंति, तंजहापढमे चंदमंडले ततिए छ8 सत्तमे अट्ठमे दसमे इक्कारसमे पराणरसमे चंदमंडले 13 / एगमेगेणं भंते ! मुहुत्तेणं केवइयाई भागसयाइं गच्छइ ?, गोयमा ! जं जं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तस्स 2 मंडलपरिक्खेवस्स सत्तरस अट्ठसठ्ठीए भागसए गच्छइ, मंडलं सयसहस्सेणं अट्ठाणउइए श्र सएहिं छेत्ता 14 / एगमेगेणं भंते ! मुहुत्तेणं सूरिए केवइबाई भागसयाई गच्छइ ?, गोत्रमा ! जं जं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तस्स 2 मंडलपरिक्खेवस्स अट्ठारसतीसे भागसए गच्छइ, मंडलं सयसहस्सेहिं अट्ठाणउतीए अ सएहि छेत्ता 15 / एगमेगेणं भंते ! मुहुत्तेणं णक्खत्ते केवइथाई भागसयाई गच्छइ ?, गोयमा ! जं जं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तस्स Page #215 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मगच्छ पाजाव अवाढती वत्यु गोयमा जलवा 188) / श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः तस्स मंडलपरिक्खेवस्स अट्ठारस पणतीसे भागसए गच्छइ मंडलं सयसहस्सेणं अट्ठाणउईए असएहिं छेत्ता 16 // सूत्रं 150 // जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे सूरिश्रा उदीणपाईणमुग्गच्छ पाईणदाहिणमागच्छंति 1 पाईणदाहिणमुग्गच्छ दाहिणपडीणमागच्छंति 2 दाहिणपडीणमुग्गच्छ पडीणउदीणमागच्छति 3 पडीणउदीणमुग्गच्छ उदीणपाईणमागच्छंति 4 ?, हंता गोत्रमा ! जहा पंचमसए पढमे उद्दे से जाव णेवत्थि उस्सप्पिणी अवट्ठिए णं तत्थ काले पराणत्ते समणाउसो !, इच्चेसा जंबुद्दीवपराणत्तीए सूरपराणत्ती वत्थुसमासेणं समत्ता भवइ 1 / जंबुद्दीवे णं भंते! दीवे चंदिमा उदीणपाईणमुग्गच्छ पाईणदाहिणमागच्छंति जहा सूरवत्तव्वया जहा पंचमसयस्स दसमे उद्दे से जाव अवट्ठिए णं तत्थ काले पराणत्ते समणाउसो ! इच्चेसा जंबुद्दीवपराणत्तोए चंदपराणत्ती वत्थुसमासेणं समत्ता भवइ 2 // सूत्रं 151 // कति णं भंते ! संवच्छरा पराणत्ता ?, गोयमा ! पंच संवच्छरा पराणत्ता, तंजहा-णक्खत्तसंवच्छरे जुगसंवच्छरे पमाणसंवच्छरे लक्खणसंवच्छरे सणिच्छरसंवच्छरे 1 / णक्खत्तसंवच्छरे णं भंते ! कइविहे पराणते ?, गोश्रमा ! दुवालसविहे पराणत्ते, तंजहा-सावणे भदवए श्रासोए जाव श्रासाढे, जं वा विहफई महग्गहे दुवालसेहिं संवच्छरेहिं सव्वणक्खत्तमंडलं समाणेइ सेत्तं णक्खत्तसंवच्छरे 1 / जुगसंवच्छरे णं भंते ! कतिविहे पराणत्ते ?, गोत्रमा ! पंचविहे पराणत्ते, तंजहा-चदे 2 अभिवद्धिए चंदे अभिवद्धिए चेव 2 / पढमस्स णं भंते ! चंदसंवच्छरस्स कइ पव्वा पराणता ?, गोयमा ! चोवीसं पव्या पराणत्ता 3 / बितिअस्स णं भंते ! चंदसंवच्छरस्स कइ पव्वा पराणत्ता ?, गोयमा ! चउव्वीसं पव्वा पराणत्ता 4 / एवं पुच्छा ततिबस्स, गोत्रमा ! छन्वीसं पव्वा पराणत्ता, चउत्थस्स चंदसंवच्छरस्स चोवीसं पव्वा, पंचमस्स णं अहिवद्धिस्स छव्वीसं .पव्वा य प्राणत्ता, एवामेव सपुत्वावरेणं पंचसंवच्छरिए जुए एगे चउव्वीसे पव्वसए पराणत्ते, Page #216 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्रं :: षष्ठो वक्षस्कारः ] [ 186 सेत्तं जुगसंवच्छरे 5 / पमाणसंवच्छरे णं भंते ! कतिविहे पराणत्ते ?, गोमा ! पंचविहे पराणत्ते, तंजहा-क्खत्ते चंदे उऊ प्राइच्चे अभिवद्धिए, सेत्तं पमाणसंवच्छरे 6 / लक्खणसंवच्छरे णं भंते ! कतिविहे पराणते ?, गोमा ! पंचविहे पराणत्ते, तंजहा- “समयं नक्खत्ता जोगं जोयंति समयं उऊ परिणामंति। णच्चुराह णाइसीश्रो बहूदश्रो होइ णक्खत्ते // 1 // ससि सममपुराणमासिं जोएती विसमचारिणक्खत्ता / कडयो बहुदयो था तमाहु संवच्छरं चंदं // 2 // विसमं पवालिणो परिणमंति अणुऊसु दिति पुष्फफलं / वासं न सम्म वासइ तमाहु संवच्छरं कम्मं // 3 // पुढविदगाणं च रसं पुष्फफलाणं च देइ श्राइचो / अप्पेणवि वासेणं सम्मं निष्फजए सस्सं // 4 // प्राइचतेयतविश्रा खणलवदिवसा उऊ परिणमंति। पूरेइ श्रणिराणयथले तमाहु अभिवद्धियं जाण // 5 // से तं गावखत्तसंवच्छरे 7 / सणिच्छरसंवच्छरे णं भंते ! कतिविहे पराणत्ते ?, गोत्रमा ! अट्टाविसइविहे पराणत्ते, तंजहा-अभिई सवणे धणिट्ठा सयभिसया दो अ होति भद्दवया / रेवइ अस्सिणि भरणी कत्तिय तह रोहिणी चेव // 1 // जाव उत्तरायो श्रासाढायो जं वा सणिचरे महग्गहे तीसाए संबच्छरेहिं . सव्वं णक्खत्तमंडलं समाणेइ सेत्तं सणिचरसंवच्छरे 8 // सूत्रं 152 // एगमेगस्स णं भंते ! संवच्छरस्स कइ मासा पराणत्ता ?, गोत्रमा ! दुवालस मासा पराणत्ता, तेसि णं दुविहा णामधेजा पराणत्ता, तंजहा-लोइया लोउत्तरिया य, तत्थ लोइया णामा इमे, तंजहा-सावणे भद्दवए जाव यासाढे, लोउत्तरियाणामा इमे, तंजहा-अभिणदिए पइ8 श्र, विजए पीइवद्धणे / सेअंसे य सिवे चेव, सिसिरे अ सहेमवं // 1 // णवमे वसंतमासे, दसमे कुसुमसंभवे / एकारसे निदाहे अ, वणविरोहे श्र बारसमे // 2 // 1 / एगमेगस्स णं भंते ! मासस्स कति पक्खा पराणत्ता ?, गोत्रमा! दो पक्खा पराणत्ता, तंजहा-बहुलपक्खे अ सुक्पवखे श्र२। एगमेगस्स Page #217 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 190 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : सप्तमो विभागः णं भंते ! पक्खस्स कइ दिवसा पराणता ?, गोत्रमा ! पराणरस दिवसा पराणत्ता, तंजहा-पडिवादिवसे बितियादिवसे जाव पराणरसीदिवसे 3 / एतेसि णं भंते ! पराणरसराहं दिवसाणं कइ णामधेजा पराणत्ता ?, गोत्रमा ! पराणरस नामधेजा पराणत्ता, तंजहा-पुव्वंगे सिद्धमणोरमे अ तत्तो मणोरहे चेव जसभद्दे श्र जसघरे छ8 सव्वकामसमिद्धे अ॥ 1 // इंदमुद्धाभिसित्ते अ सोमणस धणंजए अबोद्धव्वे / अत्थसिद्धे अभिजाए अञ्चसणे सयंजए चेव // 2 // अग्गिवेसे उवसमे दिवसाणं होंति णामधेजा // 4 / एतेसि णं भंते ! पराणरसराहं दिवसाणं कति तिही परणत्ता ?, गोयमा ! पराणरस तिही पराणत्ता, तंजहा-नंदे भद्दे जए तुच्छे पुराणे पक्खस्स पंचमी। पुणरवि णंदे भद्दे जए तुच्छे पुराणे पक्खस्स दसमी / पुणरवि णंदे भद्दे जए तुच्छे पुराणे पक्खस्स पराणरसी, एवं ते तिगुणा तिहीयो सव्वेसि दिवसाणंति 5 / एगमेगस्स णं भंते ! पक्खस्स का राईयो पराणत्तायो ?, गोत्रमा ! पराणस्स राईश्रो पण्णत्तात्रो, तंजहापडिवाराई जाव परणरसीराई 6 / एपासि णं भंते ! पराणरसराहं राईणं कइ णामधेजा पराणत्ता ?, गोत्रमा ! पराणरस नामधेजा पराणत्ता, तंजहाउत्तमा य सुणक्खत्ता, एलावच्चा जसोहरा। सोमणसा चेव तहा, सिरिसंभूया य बोद्धव्वा // 1 // विजया य वेजयंति जयंति अपराजिया य इच्छा य। समाहारा चेव तहा तेश्रा य तहा अईतेथा // 2 // देवाणंदा णिरई रयणीणं णामधिजाई 7 / एयासि णं भंते ! पराणरसग्रहं राईणं कइ तिही पराणत्ता ?, गोयमा ! पराणरस तिही पराणता, तंजहा-उग्गवई भोगवई जसवई सव्वसिद्धा सुहणामा, पुणरवि उग्गवई भोगवई जसवई सव्वसिद्धा सुहणामा, पुणरवि उग्गवई भोगवई जसवई सव्वसिद्धा सुहणामा, एवं तिगुणा एते तिहीनो सव्वेसिं राईणं 8. / एगमेगस्स णं भंते ! अहोरत्तस्स कइ मुहुत्ता पराणत्ता ?, गोत्रमा ! तीसं Page #218 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमजम्बूद्रोपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्र : षष्ठो वक्षस्कारः ] / 191 मुहुत्ता पराणत्ता, तंजहा-रुद्दे सेए मित्ते वाउ सुबीए तहेव अभिचंदे / माहिंद बलव बंभे बहुसच्चे चेव ईसाणे // 1 // त? श्र भाविअप्पा वेसमणे वारुणे अ पाणंदे / विजए अ वीससेणे पायावच्चे उवसमे श्र॥ 2 // गंधव अग्गिवेसे सयवसहे श्रायवे य श्रममे श्र। अणवं भोमे वसहे सब? रक्खसे चेव // 3 // 1 // सूत्रं 153 // कति णं भंते ! करणा पराणत्ता ?, गोग्रमा! एकारस करणा पराणत्ता, तंजहा-बवं बालवं कोलवं थीविलोअणं गराइ वणिज्जं विट्ठी सउणी चउप्पयं नागं कित्थुग्धं 1 / एतेसि णं भंते ! एकारसरहं करणाणं कति करणा चरा कति करणा थिरा पराणत्ता ?, गोयमा ! सत्त करणा चरा, चत्तारि करणा थिरा पराणत्ता, तंजहा-बवं बालवं कोलवं थिविलोणं गरादि वणिजं विट्ठी, एते णं सत्त करणा चरा, चत्तारि करणा थिरा पराणत्ता, तंजहा-सउणी चउप्पयं णागं कित्थुग्घ, एते णं चत्तारि करणा थिरा पराणत्ता 2 / एते णं भंते ! चरा थिरा वा कया भवंति ?, गोग्रमा ! सुक्कपक्खस्स पडिवाए रायो बवे करणे भवइ, बितियाए दिवा वालवे करणे भवइ, रायो कोलवे करणे भवइ, ततियाए दिवा थीविलोअणं करणं भवइ, रायो गराइ करणं भवइ, चउत्थीए दिवा वणिजे रायो विट्ठी, पंचमीए दिवा बवं रायो बालवं, छट्ठीए दिवा कोलवं रायो थीविलोअणं, सत्तमीए दिवा गराइ रायो वणिज्जं, अट्ठमीए दिवा विट्ठी रायो बवं, नवमीए दिवा बालवं रायो कोलवं, दसमीए दिवा थीविलोयणं राधो गराई, एकारसीए दिवा वणज्जिं रायो विट्ठी, बारसीए दिवा बवं रायो बालवं, तेरसीए दिवा कोलवं रात्रो थीविलोअणं, चउद्दसीए दिवा गराति करणं राश्रो वणिज्ज, पुरिणमाए दिवा विट्ठीकरणं रायो बवं करणं भवइ, बहुलपक्खस्स पडिवाए दिवा बालवं रायो कोलवं, बितिबाए दिवा थीविलोणं रायो गरादि, ततिाए दिवा वणिज्ज रायो विट्ठी, चउत्थीए दिवा बवं रायो बालवं, Page #219 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 192] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः पंचमीए दिवा कोलवं रायो थीविलोअणं, छट्ठीए दिवा गराई रायो वणिज्ज सत्तमीए दिवा विट्ठी रायो बवं, अट्ठमीए दिवा बालवं रायो कोलवं, णवमीए दिवा थीविलोअणं रायो गराई, दसमीए दिवा वणिज्जं रायो विट्ठी, एकारसीए दिवा बवं रायो बालवं, बारसीए दिवा कोलवं रायो थीविलोअणं, तेरसीए दिवा गराई रायो वणिज्जं, चउद्दसीए दिवा विट्ठी रायो सउणी, अमावासाए दिवा चउप्पयं राश्रो णागं, सुक्कपक्खस्स पाडिवए दिवा कित्थुग्धं करणं भवइ 3 / / सूत्रं 154 // किमाइया णं भंते ! संवच्छरा किमाइथा अयणा किमाइया उऊ किमाइश्रा मासा किमाइत्रा पक्खा किमाइया अहोरत्ता किमाइया मुहुत्ता किमाइया करणा किमाइथा णक्खत्ता पराणता ?, गोत्रमा ! चंदाइथा संवच्छरा दक्खिणाझ्या अयणा पाउसाइया उऊ सावणाझ्या मासा बहुलाइथा पक्खा दिवसाइया यहोरत्ता रोदाइया मुहुत्ता बालवाइबा करणा अभिजियाइथा णक्खत्ता पराणत्ता समणाउसो ! इति 1 / पंचसंवच्छरिए णं भंते ! जुगे केवइया अयणा केवइया उऊ एवं मासा पक्खा अहोरत्ता केवइया मुहुत्ता पराणत्ता ?, गोयमा ! पंचसंवच्छरिए णं जुगे दस अयणा तीसं उऊ सट्ठी मासा एगे वीसुत्तरे पक्खसए अट्ठारसतीसा अहोरत्नसया चउप्पराणं मुहुत्तसहस्सा णव सया पराणत्ता 2 // सूत्र 155 // जोगा 1 देवय 2 तारग्ग 3 गोत्त 4 संठाण 5 चंदरविजोगा 6 / कुल 7 पुरिणम अवमंसा य 8 सरिणवाए 1 अणेता य 10 // 1 // कति णं भंते ! णक्खत्ता पराणत्ता ?, गोयमा ! अट्ठावीसं णक्खत्ता पराणत्ता, तंजहा-श्राभिई 1 सवणो 2 धणिट्ठा 3 सयभिसया 4 पुव्वभवया 5 उत्तरभद्दवया 6 रेखई 7 अस्सिणी 8 भरणी 1 कत्तिश्रा 10 रोहिणी 11 मिश्रसिर 12 अदा 13 पुणव्वसू 14 पूसो 15 अस्सेसा 16 मघा 17 पुव्वफग्गुणि 18 उत्तरफग्गुणि 11 हत्थो 20 चित्ता 31 साई 22 विसाहा 23 अणु Page #220 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्र :: षष्ठो वक्षस्कारः ) [163 राहा 24 जिट्टा 25 मूलं 26 पुव्वासाढा 27 उत्तरासाढा 28 // सूत्रं 156 // एतेसि णं भंते ! अट्टावीसाए णरखत्ताणं कयरे णक्खत्ता जे मां सया चंदस्त दाहिणेणं जो जोएंति कयरे णक्खत्ता जे णं सया चंदस्स उत्तरेणं जो जोएंति कयरे णक्खत्ता जे णं चंदस्स दाहिणेणवि उत्तरेणवि पमद्दपि जोगं जोएंति कयरे णक्खत्ता जे णं चंदस्स दाहिणेणंपि पमद्दपि जो जोएंति कयरे णक्खत्ता जे णं सया चंदस्स पमह जो जोएंति ?, गोयमा ! एतेसि णं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं तत्थ जे ते णक्खत्ता जे णं सया चंदस्स दाहिणेणं जोयं जोएंति ते णं छ, तंजहा-संठाण 1 अद्द 2 पुस्सो 3 ऽसिलेस 4 हत्थो 5 तहेव मूलो अ६। बाहिरयो बाहिरमंडलस्स छप्पेते णक्खत्ता // 1 // 1 / तत्थ णं जे ते णक्खत्ता जे णं सया चंदस्स उत्तरेणं जोगं जोएंति ते णं बारस, तंजहा-अभिई सवणो धणिट्ठा सयभिसया पुव्वभवया उत्तरभद्दवया रेवइ अस्सिणी भरणी पुव्वाफग्गुणी उत्तराफग्गुणी साई 2 / तत्थ णं जे ते नक्खत्ता जे णं सया चंदस्स दाहिणोवि उत्तरश्रोवि पमहपि जोगं जोएंति ते णं सत्त, तंजहा-कत्तिथा रोहिणी पुणव्वसू मघा चित्ता विसाहा अणुराहा 3 / तत्थ णं जे ते णक्खत्ता जे णं सया चंदस्स दाहिणोवि पमपि जोगं जोएंति, तायो णं दुवे थासाढायो सव्वबाहिरए मंडले जोगं जोअंसु वा 3, 4 / तत्थ णं जे से णक्खत्ते जे णं सया चंदस्स पमह जोएइ सा णं एगा जेट्ठा 5 // सूत्रं 157 // एतेसि णं भंते ! अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं अभिई णक्खत्ते किंदेवयाए परणत्ते ?, गोत्रमा ! बम्हदेवयाए पराणत्ते, सवणे णक्खत्ते विराहुदेवयाए पराणत्ते, धणिट्ठा वसुदेवया पराणत्ता 1 / एए णं कमेणं अव्वा अणुपरिवाडी य इमायो देवयानो-बम्हा विराहु वसू वरुणे अय अभिवद्धी प्रसे श्रासे जमे अग्गी पयावई सोमे रुद्दे अदिती बहस्सई सप्पे पिऊ भगे अजम सविया तट्ठा वाउ इंदग्गी मित्तो इंदे Page #221 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 194 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः निरई श्राउ विस्सा य 2 / ए णक्खत्ताणं एया परिवाडी णेवा जाव उत्तरासाढा किंदेवया पराणत्ता ?, गोत्रमा ! विस्सदेवया पराणत्ता 3 / // सूत्रं 158 // एतेसि णं भंते / अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं अभिईणक्खत्ते कतितारे पराणत्ते ?, गोत्रमा ! तितारे पराणत्ते, एवं णेश्रव्वा जस्स जइबायो तारायो, इमं च तं तारग्गं-तिगतिगपंचगसयदुग दुगवत्तीसगतिगं तह तिगं च / छप्पंचगतिगएकगपंचगतिग छक्कगं चेव // 1 // सत्तगदुगदुग पंचग एक्केकग पंच चउतिगं चेव / एकारसग चउक्कं चउकगं चेव तारग्गं // 2 // इति // सूत्रं 151 // एतेसि णं भंते ! अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं अभिई णक्खत्ते किंगोत्ते पराणते ?, गोयमा ! मोग्गलायणसगोत्ते, गाधा-मोग्गल्लायण 1 संखायणे 2 अ तह श्रग्गभाव 3 करिणल्ले 4 / तत्तो अ जाउकरणे 5 धणंजए 6 चेव बोद्धव्वे // 1 // पुस्सायणे 7 अ अस्सायणे श्र भग्गवेसे 1 श्र अग्गिवेसे 10 श्र। गोश्रम 11 भारदाए 12 लोहिच्चे 13 चेव वासि? 14 // 2 // श्रोमजायण 15 मंडब्वायणे 16 अ पिंगायणे 17 अ गोवल्ले 18 / कासव 11 कोसिय 20 दब्भा 21 य चामरच्छाय 22 सुगा य 23 // 3 // गोवल्लायण 24 तेगिच्छायणे 25 श्र कचायणे 26 हवइ मूले / ततो अ बज्झिायण 27 वग्धावच्चे श्र गोत्ताई 28 // 4 // 1 / एतेसि णं भंते ! अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं अभिईणक्खत्ते किंसंठिए पराणत्ते ?, गोत्रमा ! गोसीसावलिसंठिए पराणत्ते, गाहागोसीसावलि 1 काहार 2 सउणि 3 पुष्फोवयार 4 वावी य 5-6 / णावा 7 पासखंधग 8 भग 1 छुरघरए 10 अ सगडुद्धी 11 // 1 // मिगसीसावलि 12 रुहिरबिंदु 13 तुल्ल 14 वद्धमाणग 15 पडागा 16 / पागारे 17 पलिअंक 18-19 हत्थे 20 मुहफुल्लए 21 चेव // 2 // खीलग 22 दामणि 23 एगावली 24 अ गयदंत 25 विच्छुअले य 26 / गयविक्कमे 27 अ तत्तो सीहनिसीही अ 28 संठाणा // 3 // 2 Page #222 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीपज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्र :: षष्ठो वक्षस्कार : ] [ 165 // सूत्रं 160 // एतेसि णं भंते ! अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं अभिईणक्खत्ते कतिमुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोगं जोएइ ?, गोत्रमा ! णव मुहुत्ते सत्तावीसं च सत्तट्ठिभाए मुहुत्तस्स चंदेण सद्धि जोगं जोएइ 1 / एवं इमाहिं गाहाहिं अणुगंतव्व-अभिइस्स चंदजोगो सत्तट्ठिखंडियो अहोरत्तो / ते हंति णव मुहुत्ता सत्तावीसं कलायो अ॥१॥ सयभिसया भरणीयो श्रद्दा अस्सेस साइ जेट्ठा य / एते छराणक्खत्ता पराणरसमुहुत्तसंजोगा // 2 // तिराणेव उत्तराई पुणव्वसू रोहिणी विसाहा य / एए छराणक्खत्ता पणयालमुहुत्तसंजोगा // 3 // अवसेसा णक्खत्ता पराणरसवि हुंति तीसइमुहुत्ता। चंदंमि एस जोगो णक्खत्ताणं मुणेअब्बो॥ 4 // 2 / एतेसि णं भंते ! अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं अभिईणक्खत्ते कति अहोरते सूरेण सद्धिं जोगं जोएइ ?, गोत्रमा ! चत्तारि अहोरत्ते छच मुहुत्ते सूरेण सद्धिं जोगं जोएइ, एवं इमाहिं गाहाहिं अव्व-अभिई छच्च मुहुत्ते चत्तारि श्र केवले अहोरत्ते / सूरेण समं गच्छइ एत्तो सेसाण वोच्छामि // 1 // सयभिसया भरणीयो अद्दा अस्सेस साइ जेट्ठा य / वच्चंति मुहत्ते इकवीस छच्चेवऽहोरते // 2 // तिराणेव उत्तराई पुणव्वसू रोहिणी विसाहा य / वच्चंति मुहुत्ते तिरिण चेव वीसं ग्रहोरते // 3 // अवसेसा णक्खत्ता पराणरसवि सूरसहगया जंति / वारस चव मुहुत्ते तेरस य समे अहोरत्ते // 4 // 3 // सूत्रं 161 // कति णं भंते ! कुला कति उवकुला कति कुलोवकुला पराणत्ता ?, गोयमा! बारस कुला बारस उवकुला चत्तारि कुलोवकुला पराणत्ता, बारस कुला, तंजहा-धणिट्ठाकुलं 1 उत्तरभद्दवयाकुलं 2 अस्सिणीकुलं 3 कत्तियाकुलं 4 मिगसिरकुलं 5 पुस्सो कुलं 6 मघाकुलं 7 उत्तरफग्गुणीकुलं 8 चित्ताकुलं 1 विसाहाकुलं 10 मूलो कुलं 11 उत्तरासाढाकुलं 12, 1 / मासाणं परिणामा होति कुला उवकुला उ हेट्ठिमगा। होति पुण कुलोवकुला अभीभिसय यह अणुराहा // 1 // बारस उवकुला तंजहा-सवणो उवकुलं Page #223 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 196 / : / श्रीमदागमसुधासिन्धुः // सप्तमो विभागः 1 पुषभदवया उवकुलं रेवई उपकुलं भरणीउवकुलं रोहिणीउवकुलं पुमावसू उपकुलं अस्सेसा उवकुलं पुवफग्गुणी उवकुलं हत्थो उपकुलं साई उपकुलं जेट्ठा उपकुलं पुव्वासादा उवकुलं 2 / चत्तारि कुलोवकुला, तंजहा-अभिई कुलोवकुला सयभिसया कुलोवकुला अदा कुलोवकुला अणुराहा कुलोवकुला 3 / कति णं भंते ! पुरिणमायो कति अमावासाश्रो पराणत्तायो ?, गोत्रमा ! बारस पुगिणमानो बारस अमावासायो पराणत्ताश्रो, तंजहा-साविट्ठी पोट्टवई श्रासोई कत्तिगी मग्गसिरी पोसी माही फग्गुणी चेत्ती वइसाही जेट्ठामूली श्रासाढी 4 / साविट्ठिगिंण भंते ! पुगिणमासिं कति मक्खत्ता जोगं जोएंति ?, गोयमा ! तिरिण णक्खत्ता जोगं जोएंति, तंजहा-अभिई सवणो धणिट्ठा 3, 5 / पोट्ठवईणिं भंते ! पुगिणमं कइ णक्खत्ता जोगं जोएंति ?, गोमा ! तिरिण णक्खत्ता जोएंति, तंजहा-सयभिसया पुव्वभद्दवया उत्तरभधया 6 / अस्सोइगिंण भंते! पुरिणम कति णक्खत्ता जोगं जोएंति ?, गोत्रमा ! दो जोएंति, तंजहारेखई अस्सिणी अ, कत्तिइगणं दो-भरणी कत्तिश्रा य, मग्गसिरिगणं दोरोहिणी मग्गसिरं च, पोसिं तिरिण-अदा पुणव्वसू पुस्सो, माघिराणं दोश्रस्सेसा मघाय, फग्गुणिं णं दो-पुवाफग्गुणी य, उत्तराफग्गुंणी य, चेत्तिरणं दो-हत्थो चित्ता य, विसाहिरणं दो-साई विसाहा य, जेट्ठामूलिगणं तिरिण-अणुराहा जेट्ठा मूलो, श्रासाढिगणं दो-पुब्वासाढा उत्तरासाढा 7 / साविट्ठिरणं भंते ! पुरिणमं किं कुलं जोएइ उवकुलं जोएइ कुलोवकुलं जोएइ ?, गोयमा ! कुलं वा जोएइ उपकुलं वा जोएइ कुलोवकलं वा जोएइ, कुलं जोएमाणे धणिट्ठा णक्खत्ते जोएइ उपकुलं जोएमाणे सवणे णक्खत्ते जोएइ कुलोवकुलं जोएमाणे अभिई णक्खत्ते जोएइ, साविट्ठीगणं पुगिणमासि णं कुलं वा जोएइ जाव कुलोवकुलं वा जोएइ, कुलेण वा जुत्ता उवकुलेण वा जुत्ता कुलोवकुलेण वा जुचा साविट्ठी पुगिणमा जुत्तत्ति वत्तव्वं सिया 8 / Page #224 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्र :: पष्ठो वक्षस्कारः / पोट्टवदिराणं भंते ! पुरिणमं किं कुलं जोएइ 3 पुच्छा, गोयमा ! कुलं वा उवकुलं वा कुलोवकुलं वा जोएइ, कुलं जोएमाणे उत्तरभदवया णक्खत्ते जोएइ उवकुलं जोएमाणे पुव्वभद्दवया णक्खत्ते जोएइ, कुलोवकुलं जोएमाणे सयभिसया णक्खत्ते जोएइ, पोट्ठवइराणं पुगिणमं कुलं वा जोएइ जाव कुलोवकुलं वा जोएइ कुलेण वा जुत्ता जाव कुलोवकुलेण वा जुत्ता पोट्ठवई पुराणमासी जुत्तत्तिवत्तव्वं सिया 1 / अस्सोइगणं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! कुलं वा जोएइ उवकुलं वा जोएइ णो लब्भइ कुलोवकुलं, कुलं जोएमाणे अस्सिणीणक्खत्ते जोएइ उपकुलं जोएमाणे रेवइणक्खत्ते जोएइ, अस्सोइराणं पुगिणमं कुलं वा जोएइ उवकुलं वा जोएइ कुलेण वा जुत्ता उवकुलेण वा जुत्ता अस्सोई पुरिणमा जुत्तत्तिवत्तव्वं सिया 10 / कत्तिइराणं भंते ! पुरिणमं किं कुलं 3 पुच्छा, गोयमा ! कुलं वा जोएइ उवकुलं वा जोएइ णो कुलोवकुलं जोएइ, कुलं जोएमाणे कत्तियाणक्खत्ते जोएइ उवकुलं जोएमाणे भरणी कत्तिइराणं जाव वत्तव्वं 11 / मग्गसिरिगणं भंते ! पुरिणमं किं कुलं तं चेव दो जोएइ णो भवइ कुलोवकुलं, कुलं जोएमाणे मग्गसिरणक्खत्ते जोएइ उवकुलं जोएमाणे रोहिणी मग्गसिरगणं पुरिणमं जाव वत्तव्वं सिया 12 / एवं सेसिबायोऽवि जाव थासादि, पोसिं जेट्टामलिं च कुलं वा उवकुलं वा कुलोवकुलं वा, सेसियाणं कुलं वा उवकुलं वा कुलोवकुलं ण भगणइ 13 / साविट्टिगणं भंते ! अमावासं कति णखत्ता जोएंति ?, गोयमा ! दो णक्खत्ता जोएंति, तंजहा-अस्सेसा य महा य 14 / पोट्ठवइराणं भंते ! अमावासं कति णक्खत्ता जोएंति ?, गोत्रमा ! दो पुव्वाफग्गुणी उत्तराफग्गुणी श्र 15 / अस्सोइराणं भंते ! दो, हत्थे चित्ता य, कतिइराणं दोसाई विसाहा य, मग्गसिरिगणं तिरिण-अणुराहा जेट्ठा मूलो अ, पोसिरािण दो-पुव्वासाढा उत्तरासाढा, माहिरणं तिरिण-अभिई सवणो धणिट्ठा, फग्गुणिं तिरिगण-सयभिसया पुढ्वभदवया उत्तरभद्दवया, चेत्तिगणं दो-रेवई Page #225 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 198 / ( श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः अस्सिणी अ, वइसाहिरणं दो-भरणी कत्तिश्रा य, जेट्टामूलिगणं दो-रोहिणी मग्गसिरं च, श्रासादिराणं तिरिण-श्रद्दा पुणव्वसू पुस्सो 16 / साविट्टिराणं भंते ! अमावासं कि कुलं जोएइ उवकुलं जोएइ कुलोवकुलं जोएइ ?, गोयमा! कुलं वा जोइए उवकुलं वा जोएइ णो लब्भइ कुलोवकुलं, कुलं जोएमाणे महाणक्खत्ते जोएइ, उवकुलं जोएमाणे अस्सेसाणक्खत्ते जोएइ, साविट्ठिगणं अमावासं कुलं वा जोएइ उवकुलं वा जोएइ, कुलेण वा जुत्ता उपकुलेण वा जुत्ता साविट्ठिअमावासा जुत्तत्तिवत्तव्वं सिया 17 / पोट्ठवईराणं भंते ! अमावासं तं चेव दो जोएइ कुलं वा जोएइ उवकुलं वा जोएइ, कुलं जोएमाणे उत्तराफग्गुणीणक्खत्ते जोएइ उवकलं जोएमाणे पुव्वाफग्गुणी, पोट्टवइराणं अमावासं जाव वत्तत्वं सिया, मग्गसिरिगणं तं चैव कुलं मूने णक्खत्ते जोएइ उवकुलं जोएमाणे जेट्ठा कुलोवकुलं जोएमाणे अणुराहा जाव जुत्तत्तिवत्तव्वं सिथा, एवं माहीए फग्गुणीए प्रासाढीए कुलं वा उवकुलं वा कुलोवकुलं वा, अवसेसिवाणं कुलं वा उवकुलं वा जोएइ 18 / जया णं भंते ! साविट्ठी पुरिणमा भवइ तया णं माही अमावासा भवइ ?, जया णं भंते ! माहीपुगिणमा भवइ तया णं साविट्ठी अमावासा भवइ ?, हंता ! गोयमा ! जया णं साविट्ठी तं चेव वत्तव्वं 16 / जया णं भंते ! पोट्ठवई पुरिणमा भवइ तया णं फग्गुणी. अमावासा भवइ जया णं फग्गुणी पुरिणमा भवइ तया णं पोट्ठवई अमावासा भवइ ?, हंता ! गोत्रमा ! तं चेव, एवं एतेणं अभिलावणं इमायो पुरिणमायो इमायो अमावासायो णेशव्वायो-अस्सिणी पुरिणमा चेत्ती अमावासा, कत्तिगी पुरिणमा वइसाही अमावासा, मग्गसिरी पुरिणमा जेट्ठामूली अमावासा, पोसी पुरिणमा श्रासाढी अमावासा 20 // सूत्रं 162 // वासाणं पढमं मासं कति णक्खत्ता णेंति ?, गोयमा! चत्तारि णक्खत्ता णेंति, तंजहा-उत्तरासादा अभिई सवणो धणिट्टा, उत्तरासादा चउद्दस अहोरत्ते Page #226 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्र :: षष्ठो वक्षस्कारः ] / 166 णोइ, अभिई सत्त ग्रहोरते गोइ, सवणो अट्टाहोरत्ते णेइ, धणिट्टा एगं ग्रहोरत्तं णेइ, तंसि च णं मासंसि चउरंगुलपोरसीए छायाए सूरिए अणुपरिअट्टइ, तस्स णं मासस्स चरिमदिवसे दो पदा चत्तारि अ अंगुला पोरिसी भवइ 1 / वासाणं भंते ! दोच्चं मासं कइ णक्खत्ता णेति ?, गोयमा ! चत्तारि-धनिट्ठा सयभितया पुत्वभवया उत्तराभहवया, धणिट्ठा णं चउद्दस अहोरते णेइ सयभिसया सत्त अहोरत्ते णेइ पुव्वाभद्दवया अट्ट अहोरत्ते णेइ उत्तराभवया एगं, तंसि च णं मासंसि अटुंगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरियट्टइ, तस्स मासस्स चरिमे दिवसे दो पया अट्ठय अंगुला पोरिसी भवइ 2 / वासाणं भंते ! तइयं मासं कइ णक्खत्ता गति ?, गोयमा ! तिरािण णक्खत्ता णेंति, तंजहा-उत्तरभद्दवया रेवई अस्सिणी, उत्तरभद्दवया चउद्दस राइदिए णोइ रेखई परागरस अस्सिणी एगं, तंसि च णं मासंसि दुवालसंगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरिघट्टइ, तस्स णं मासस्स चरिमे दिवसे लेहटाई तिरिण पयाई पोरिसी भवइ 3 / वासाणं भंते ! चउत्थं मासं कति णखत्ता ऐति ?, गोयमा ! तिरिण-अस्सिणी भरणी कत्तिश्रा, अस्तिणी चउद्दस भरणी पन्नरस कत्तिया एगं, तंसि च णं मासंसि सोलसंगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरिट्टइ, तस्स णं मासस्स चरमे दिवसे तिरिण पयाइं चत्तारि अंगलाई पोरिसी भवइ 4 / हेमंताणं भंते ! पढमं मासं कति णक्खत्ता ऐति ?, गोयमा ! तिरिण-कत्तिया रोहिणी मिगसिरं, कत्तिा चउद्दस रोहिणी पराणरस मिगसिरं एगं अहो. रत्तं गोइ, तंसि च णं मासंसि वीसंगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरिअट्टइ, तस्स णं मासस्स जे से चरिमे दिवसे तंसि च णं दिवसंसि तिरिण पयाई अट्ट य अंगुलाई पोरिसी भवइ 5 / हेमंताणं भंते ! दोच्चं मासं कति णक्खत्ता णेति ?, गोत्रमा ! चत्तारि णक्खत्ता णेति, तंजहा–मिअसिरं अदा पुणव्वसू पुस्सो, मिसिरं चउद्दस राइंदियाई णेइ अदा अट्ट णेइ Page #227 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 200 ) / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः पुणवसू सत्त राइंदियाई पुस्सो एगं राइंदिग्रं णेइ, तया णं चउव्वीसंगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरिट्टइ, तस्स णं मासस्स जे से चरिमे दिवसे तंसि च णं दिवसंसि लेहट्टाई चत्तारि पयाई पोरिसी भवइ 6 / हेमंताणं भंते ! तच्चं मासं कति णक्खत्ता ति ?, गोत्रमा ! तिरिणपुस्सो असिलेसा महा, पुस्सो चोदस राइंदिअाइं गेइ असिलेसा पराणरस महा एक्कं, तया णं वीसंगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरिघट्टइ, तस्स णं मासस्स जे से चरिमे दिवसे तंसि च णं दिवसंसि तिरिण पयाइं अटुंगुलाई पोरिसी भवइ 7 / हेमंताणं भंते ! चउत्थं मासं कति णक्वत्ता णेंति?, गोत्रमा ! तिरिण णक्खत्ता णेंति, तंजहा-महा पुव्वाफग्गुणी उत्तरफग्गुणी, महा चउद्दस राइंदिश्राइं णेइ, पुव्वाफग्गुणी परणरस राइदिवाई ोइ, उत्तराफग्गुणी एगं राइंदिरं णेइ, तया णं सोलसंगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरिट्टइ, तस्स णं मासस्स जे से चरिमे दिवसे तंसि च णं दिवसंसि तिरिण पयाइं चत्तारि अंगुलाई पोरिसी भवइ = / गिम्हाणं भंते ! पढमं मासं कति णक्खत्ता ति ?, गोत्रमा ! तिगिण णक्खत्ता णेति-उत्तराफग्गुणी हत्थो चित्ता, उत्तराफग्गुणी चउद्दस राइंदियाई गेइ, हत्थो पराणरस राइंदियाई णेइ, चित्ता एगं राइंदिग्रं गोइ, तया णं दुवालसंगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरिट्टइ, तस्स णं मासस्स जे से चरिमे दिवसे तंसि च णं दिवसंसि लेहटाई तिरिण पयाई पोरिसी भवइ 1 / गिम्हागं भंते ! दोच्चं मासं कति णक्खत्ता ऐति ?, गोमा ! तिगिण णक्णत्ता ऐति, तंजहा-चित्ता साई विसाहा, चित्ता चउद्दस राइदिवाइं ओइ, साई पराणरस राइंदिग्राइं णेइ, विसाहा एगं राइंदिग्रं णेइ, तया णं अटुंगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरिट्टइ, तस्स णं मासस्स जे से चरिमे दिवसे तंसि च णं दिवसंसि दो पयाइं अट्ठगुलाई पोरिसी भवइ 10 / गिम्हाणं भंते ! तच्चं मासं कति णक्खत्ता यति ?, गोयमा ! चत्तारि णक्खत्ता णेंति, Page #228 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्रं :: सप्तमो वक्षस्कारः ] [ 201 तंजहा-विसाहाऽणुराहा जेट्टा मूलो, विसाहा चउद्दस राइंदिश्राई णेइ अणुराहा अट्ट राइंदियाई ोइ जेट्टा सत्त राइंदिश्राइं ोइ मूलो एक्कं राइंदिग्रं, तया णं चउरंगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरिट्टइ, तस्स णं मासस्स जे से चरिमे दिवसे तंसि च णं दिवसंसि दो पयाई चत्तारि अ अंगुलाई पोरिसी भवइ 11 / गिम्हाणं भंते ! चउत्थं मासं कति णक्खत्ता णेंति ?, गोयमा ! तिरिण णक्खत्ता ऐति, तंजहा-मूलो पुव्वासाढा उत्तरासाढा, मूलो चउद्दस राइदिवाई णेइ पुवासाढा पराणरस राइंदियाई गोइ उत्तरासाढा एगं राइंदिरं णेइ, तया णं वट्टाए समचउरंससंठाणसंठियाए णग्गोहपरिमण्डलाए सकायमणुरंगियाए छायाए सूरिए अणुपरिट्टइ, तस्स णं मासस्स जे से चरिमे दिवसे तंसि च णं दिवसंसि लेहट्ठाई दो पयाई पोरिसी भवइ 12 / एतेसि णं पुव्ववरिणाणं पयाणं इमा संगहणी, तंजहा-जोगो देवय-तारग्ग-गोत्तसंगण चंदरविजोगो। कुलपुरिणमअवमंसा णेश्रा छाया य बोद्धब्बा // 1 // 13 // सूत्रं 163 // हिडिं ससिपरिवारो मंदरऽबाधा तहेव लोगते / धरणितलायो अबाधा अंतो बाहिं च उद्धमुहे // 1 // संठाणं च पमाणं वहति सीहगई इद्धिमंता य / तारंतरऽग्गमहिसी तुडिश्र पहु ठिई श्र थप्पबहू // 2 // अत्थि णं भंते ! चंदिमसूरिश्राणं हिट्ठिपि तारारुवा अणुपि तुलावि समेवि तारारूवा अणुपि तुल्लावि उप्पिपि ताराख्वा अणुपि तुल्लावि ?, हंता ! गोयमा ! तं चेव उच्चारेअव्वं 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-अस्थि णं भंते ! जहा जहा णं तेसिं देवाणं तवनियमबंभचेराणि ऊसिधाई भवसि तहा तहा णं तेसि णं देवाणं एवं पराणायए, तनहा-अणुत्ते वा तुल्लते वा, जहा जहा णं तेसिं देवाणं तवनियमबंभचेराणि णो ऊसिपाइ भवंति तहा तहा णं तेसिं देवाणं एवं णो पराणायए, तंजहा-श्रणुत्ते वा तुल्लत्ते वा 2 // सूत्रं 164 // एगमेगस्स णं भंते ! चंदस्स केवइया महग्गहा परिवारो केवइया णक्खत्ता परिवारो केवइया अणु विनइ-अस्थि ण भताय तेसि णं देवाण-मभचेराणि / से केपट्टो मते ! जहा जहा भवेराणि असिया Page #229 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 202] [ श्रीमदागमसुधासिन्धु / / सप्तमो विभाग तारागणकोडाकोडीथो पराणत्तायो ?, गोयमा ! अट्ठासीइमहग्गहा परिवारो अट्ठावीसं णक्खत्ता परिवारो छावट्ठिसहस्साई णव सया पराणत्तरा तारागणकोडाकीडीयो पराणत्ता // सूत्रं 165 // मंदरस्स णं भंते ! पव्वयस्स केवइयाए अबाहाए जोइसं चारं चरइ ?, गोत्रमा ! इक्कारसहिं इकवीसेहिं जोत्रणसएहिं अबाहाए जोइसं चारं चरइ 1 / लोगंतायो णं भंते ! केवइयाए अवाहाए जोइसे पराणते?, गोयमा ! एकारस एकारसेहिं जोत्रणसएहिं अबाहाए जोइसे पराणत्ते 2 / धरणितलायो णं भंते ! सत्तहिं गाउएहिं जोश्रणसएहिं जोइसे चारं चरइ, एवं सूरविमाणे अट्टहिं सएहि, चंदविमाणे अहिं असीएहि, उवरिल्ले तारारूवे नवहिं जोश्रणसएहिं चारं चरइ 3 / जोइसस्स णं भंते ! हेट्ठिलाणो तलायो केवइयाए अबाहाए सूरविमाणे चारं चरइ ?, गोत्रमा ! दसहिं जोत्रणेहिं अबाहाए चारं चरइ एवं चंदविमाणे णउईए जोत्रणेहिं चारं चरइ, उवरिल्ले तारारुवे दसुत्तरे जोत्रणसए चारं चरइ, सूरविमाणायो चंदविमाणे असीईए जोत्रणेहिं चारं चरइ, सूरविमाणाश्रो जोत्रणसए उवरिल्ले तारारुवे चारं चरइ, चंदविमाणाश्रो वीसाए जोश्रणेहिं उवरिल्ले णं तारारुवे चारं चरइ 4 // सूत्रं 166 // जंबुदीवे णं भंते ! दीवे अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं कयरे णक्खत्ते सव्वभंतरिल्लं चारं चरइ ?, कयरे णक्खत्ते सव्वबाहिरं चारं चरइ ?, कयरे सव्वहिट्टिल्लं चारं चरइ ? कयरे सबउवरिल्लं चारं चरइ ?, गोयमा ! अभिई णक्खत्ते सबभंतरं चारं चरइ, मूलो सव्वबाहिरं चार चरइ, भरणी सव्वहिट्ठिलगं साई सव्वुवरिल्लगं चार चरइ 1 / चंदविमाणे णं भंते ! किंसंठिए पराणते ?, गोयमा ! श्रद्धकविट्ठसंठाणसंठिए सव्वफालिग्रामए अभुग्गयमुसिए एवं सव्वाई णेब्वाइं 2 / चंदविमाणे णं भंते ! केवइयं पायामविक्खंभेणं केवइयं बाहल्लेणं ?, गोयमा ! छप्पराणं खलु भाए विच्छिराणं . चंदमंडलं होइ / अट्ठावीसं भाए बाहल्लं तस्स बोद्धव्वं // 1 // अडयालीसं भाए Page #230 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमन्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्युपाङ्ग सूत्र :: सप्तमो वक्षस्कारः ] [ 203 विच्छिराणं सूरमंडलं होइ / चउवीसं खलु भाए बाहल्लं तस्स बोद्धव्वं // 2 // दो कोसे श्र गहाणं णक्खताणं तु हवइ तस्सद्धं / तस्सद्धं ताराणं तस्सद्धं घेव बाहल्लं // 3 // 3 // सूत्रं 167 // चंदविमाणेणं भंते ! कति देवसाहस्सीयो परिवहति ?, गोमा ! सोलस-देवमाहस्सीयो परि. वहंतित्ति 1 / चंदविमाणस्स णं पुरथिमेणं सेवाणं सुभगाणं सुप्पभाणं संखतल-विमल-निम्मल-दधिषण-गोखीर-फेण-रययणिगरप्पगासाणं थिर-लठ्ठ पउट्ठ-बट्ट-पीवर-सुसिलिट्ठ-विसिट्ठ-तिक्खदाढा-विडंबिअमुहाणं रत्तुप्पल-पत्तमउय-सूमाल-तालुजीहाणं महु-गुलिश्र-पिंगलक्खाणं पीवर-वरोरु-पडि. पुराणविउलखंधाणं मिउविसय-सुहुम-लक्खण-पसत्थ-वरवराण-केसर-सडोवसोहियाण असिअ-सुनमिय-सुजाय-अष्फोडिअलंगलाणं वइरामयणक्खाणं वइरामयदाढाणं वइरामयदंताणं तवणिजजीहाणं तवणिजतालुाणं तवणिज-जुत्त-जोत्तगसुजोइत्राणं कामगमाणं पीइगमाणं मणोगमाणं मणोरमाणं अमिश्रगईणं अमित्र-बल-वीरित्र-पुरिसकारपरकमाणं महया अप्फोडिअ-सीहणाय-बोल-कलकलरवेणं महुरेणं मणहरेणं पूरता अंबरं दिसायो असोभयंता चत्तारि देवसाहस्सीयो सीहरूबधारीणं पुरथिमिल्लं बाहं वहति 1 / चंदविमाणस्स णं दाहिणेणं सेवाणं सुभगाणं सुप्पभाणं संखतल-विमल-निम्मल-दधिषण-गोखीर-फेण-रययणिगरप्पगासाणं वइरामयकुंभ-जुअल सुट्टिन-पीवर-वरवइर-सोंड-वट्टिय-दित्त-सुरत्तपउमप्पगासाणं अब्भुराणयमुहाणं तवणिज-विसाल-कराण-चंचल-चलंतविमलुजलाणं महुवराणभिसंतणिद्ध-पत्तल-निम्मल-तिवरण-मणिरयणलोअणाणं अभुग्गय-मउल-मल्लिश्राधवल-सरिस-संठिय-णिवण-दढ-कसिण-फालियामय-सुजाय--दंत-मुसलो. वसोभियाणं कंचणकोसी-पविठ्ठदंतग्गविमल-मणिरयण--रुइल-पेरंत-चित्तरूवगविराइयाणं तवणिज-विसाल-तिलगप्पमुहपरिमण्डिाणं नानामणिरयणमुद्ध-गेविज-बद्ध-गलयवरभूसणाणं वेरुलिय-विचित्त-दराडनिम्मल--वइ सता मरिस-संठिय-तिग्गविमल- माअाणं नानामाणas. Page #231 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 204 / / श्रीमदागमसुधासिन्धुः : सप्तमो विभागः रामय-तिक्ख-लट्ठ-अंकुस-कुंभ-जुअलयंतरोडियाणं तवणिज-सुबद्ध-कच्छदप्पिाबलुद्धराणं विमल-घण-मण्डल-वइरामय-लालाललियतालणं णाणामणिरयण-घराट-पासगरजतामय-बद्धरज्जुलंबित्र-घंटाजुअल-महुरसरमणहराणं अल्लीण-पमाणजुत्त-वट्टिय-सुजाय-लक्खण-पसत्थ-रमणिज-वालगत्तपरिपुंछणाणं उवचित्र-पडिपुराण--कुम्म-चलण-लहुविकमाणं अंकामयणक्खाणं तवणिजजीहाणं तवणिज्जतालुाणं तवणिजजोत्तमसुजोइत्राणं कामगमाणं पीइगमाणं मणोगमाणं मणोरमाणं श्रमियगईणं श्रमिअबलवीरित्रपुरिसकारपरकमाणं महया-गंभीर-गुल्लुगुलाइतरवेणं महुरेणं मणहरेणं पूरेता अंबरं दिसायो श्र सोभयंता चत्तारि देवसाहस्सीयो गयरूवधारीणं देवाणं दक्खिणिल्लं बाहं परिवहति 2 / चंदविमाणस्स णं पचत्थिमेणं सेवाणं सुभगाणं सुप्पभाणं चल-चवल-ककुहसालीणं घण-निचित्र-सुबद्ध-लक्खणुराणय-ईसियाणय-वसभोट्ठाणं चंकमित्र-ललिअ-पुलिय चलचवल-गवित्रगईणं सन्नतपासाणं संगतपासाणं सुजायपासाणं पीवस्वट्टिअसुसंठिबकडीणं अोलंबपलंब-लक्खणपमाणजुत्त-रमणिजवालगराडाणं समखुरवालिधाणाणं समलिहिंअसिंग-तिक्खग्गसंगयाणं तणुसहुमसुजायणिद्धलोमच्छविधराणं उवचित्र-मंसल-विसाल-पडिपुराण-खंधपएससुदराणं वेरुलिनभिसंत-कडकख-सुनिरिक्खणाणं जुत्तपमाण-पहाण-लक्खेण-पसत्थ-रमणिजगग्गर-गल्लसोभित्राणं घरघरग-सुसद-बद्ध-कंठ-परिमण्डियाणं णाणामणिकणग-रयण-घण्टिया-वेगच्छिग-सुकयमालिवाणं वरघण्टा-गलय-मालुज्जलसिरिधराणं पउमुप्पल-सगल-सुरभि-मालाविभूसिवाणं वइरखुराणं विविहविक्खुराणं फालिग्रामयदंताणं तवणिजजीहाणं तवणिज्जतालुवाणं तवणिजजोत्तगसुजोइत्राणं कामगमाणं पीइगमाणं मणोगमाणं मणोरमाणं अभियगईणं अभिव-बलवीरित्र--पुरिसकारपरकमाणं महया-गजिअ गंभीररवेणं महुरेणं मणहरेणं पूरेता अंबरं दिसायो असोभयंता चत्तारि देवसाहस्सीयो Page #232 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्युपाङ्ग सूत्र :: सप्तमो वक्षस्कारः ] / 205 वसहरूवधारीणं देवाणं पचत्थिमिल्लं बाहं परिवहति 3 / चंदविमाणस्स णं उत्तरेणं से पाणं सुभगाणं सुप्पभाणं तरमल्लिहायणाणं हरिमेल-मउलमल्लिअच्छाणं चंचुच्चिन-ललिअ-पुलिअ-चलचवलचंचलगईणं लंघण-वग्गणधावण-धोरण-तिवइ-जइणसिक्खिगईणं ललंत--लाम-गललाय-वरभूसणाणं सन्नयपासाणं संगयपासाणं सुजायपासाणं पीवरवट्टि-सुसंठिपकडीणं श्रोलंबपलंब-लक्खण-पमाण-जुत्त--रमणिजवालपुच्छाणं तणुसुहुम--सुजाय-णिद्धलोमच्छविहराणं मिउविसय-सुहुम--लक्खण--पसत्थ-विच्छिराण-केसरवालिहराणं ललंत-थासग-ललाड-वरभूमणाणं मुहमराडग-अोचूलग-चामर-थासगपरिमण्डिअकडीणं तवणिजखुराणं तवणिजजीहाणं तवणिजतालुश्राणं तवणिज-जोत्तग-सुजोइनाणं कामगमाणं जाव मणोरमाणं अमिश्रगईणं अमित्र-बलवीरिश्र-पुरिसकारपरकमाणं महयाहय हेसिश्र-किलकिलाइयरवेणं मणहरेणं प्रेता अंबरं दिसायो श्र सोभयंता चत्तारि देवसाहस्सीयो हयरूवधारीणं देवाणं उत्तरिल्लं बाहं परिवहति 4 / गाहा-सोलसदेवसहस्सा हवंति चंदेसु चेव सूरेसु / अट्ठव सहस्साई एक्केक्कमी गहविमाणे // 1 // चत्तारि सहस्साइं णक्खत्तमि अ हवंति इकिक्के / दो चेव सहस्साई ताराख्वेक्कमेक्कंमि // 2 // एवं सूरविमाणाणं जाव तारास्वविमाणाणं, णवरं एस देवसंघाएति 5 // 168 // एतेसि णं भंते ! चंदिम-सूरिश्र-गहगण-नक्खत्त–ताराख्वाणं कयरे सव्वसिग्धगई कयरे सव्वसिग्धगतितराए चेव ?, गोत्रमा ! चंदेहितो सूरा सव्वसिग्धगई सूरेहितो गहा सिग्धगई गहेहितो णक्खत्ता सिग्धगई णक्खत्तेहितो ताराख्वा सिग्घगई, सव्वप्पगई चंदा सव्वसिग्धगई ताराख्वा // सूत्रं 161 // एतेसिं णं भंते ! चंदिम-सूरिश्र-गह-णक्खत्त-ताराख्वाणं कयरे सव्वमहिद्धिश्रा कयरे सवप्पिड्डिया ? गोयमा ! ताराख्वेहितो णक्खत्ता महिद्धिा णक्खत्तेहिंतो गहा महिद्धिथा गहेहिंतो सूरिया Page #233 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः महिद्धिया सूरेहिंतो चंदा महिद्धिया सव्वप्पिद्धिया ताराख्वा सव्वमहिद्विथा चन्दा // सूत्रं 170 // जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे ताराए श्र ताराए अ केवइए अबाहाए अंतरे पराणत्ते ?, गोमा ! दुविहे अंतरे पराणत्ते, तंजहा-वाघाइए अ निव्वाघाइए श्र, निव्वाघाइए जहराणेणं पंचधणुसयाई उकोसेणं दो गाऊबाई, वाघाइए जहरणेणं दोरिण छावट्ठ जोगणसए उकोसेणं बारस जोश्रणसहस्साई दोगिण अ बायाले जोत्रणसए ताराख्वस्स 2 अबाहाए अंतरे परणत्ते / / सूत्रं 171 // चंदस्स णं भंते ! जोइसिंदस्स जोइसरगणो कइ अग्गमहिसीयो - पण्णत्तायो ?, गोत्रमा ! चत्तारि अग्गमहिसीनो पराणत्तायो, तंजहा-चन्दप्पभा दोसिणाभा अच्चिमाली पभंकरा, तो णं एगमेगाए देवी चत्तारि 2 देवीसहस्साइं परिवारो पराणत्तो, पभू णं तायो एगमेगा देवी अन्नं देवीसहस्सं विउवित्तए, एवामेव सपुव्वावरेणं सोलस देवीसहस्सा, सेत्तं तुडिए 1 / पहू णं भंते ! चंदे जोइसिदे जोइसराया चंदवडेंसए विमाणे चंदाए रायहाणीए सभाए सुहम्माए तुडिएणं सद्धिं महयाहय-गट्टगीअवाइन जाव दिव्वाई भोगभोगाइं भुजमाणे विहरित्तए ?, गोमा ! णो इण? समढे 2 / से केणटेणं जाव विहरित्तए ?, गोयमा ! चंदस्स णं जोइसिंदस्स जोइसरगणो चंदवडेंसए विमाणे चंदाए रायहाणीए सभाए सुहम्माए माणवए चेइअखंभे वइरामएसु गोलवट्टसमुग्गएसु बहूईयो जिणसकहाश्रो सन्निखित्तायो चिट्ठति तायो णं चंदस्स अण्णेसि च बहूणं देवाण य देवीण य अञ्चणिजायो जाव पज्जुवासणिजायो, से तेण?णं गोयमा ! णो पभू 3 / पभू णं चंदे सभाए सुहम्माए चरहिं सामाणिसाहस्सीहिं एवं जाव दिव्वाइं भोगभोगाइं भुजमाणे विहरित्तए केवलं परिपारिद्धीए, णो चेव णं मेहुणवत्तियं, विजया 1 वेजयंति 2 जयंती 3 अपराजिया 4 सव्वेसि गहाईणं एयायो अग्गमहिसीयो, छावत्तरस्सवी गहसयस्स एयायो Page #234 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्र :: सप्तमो वक्षस्कारः ] [ 207 अग्गमहिसीयो वत्तवायो 4 / इमाहि गाहाहि-इंगालए 1 विद्यालए 2 लोहियंक 3 सणिच्छरे चेव / बाहुणिए 5 पाहुणिए 6 कणगसणामा य पंचेव 11 // 1 // सोमे 12 सहिए 13 श्रासणेय 14 कजोवए 15 श्र कबुरए 16 / श्रयकरए 17 दुदुभए संखसनामेवि तिगणेव // 2 // एवं भाणिग्रव्वं जाव भावकेउस्स अग्गमहिसीथो 5 // सूत्रं 172 // चंदविमाणे णं भंते ! देवाणं केवइयं कालं ठिई पराणत्ता ?, गोयमा ! जहराणेणं चउभागपलिग्रोवमं उक्कोसेणं पलिश्रोवमं वाससयसहस्समभहिनं 1 / चंदविमाणे णं देवीणं ? जहराणेणं चउभागपलियोवमं उकोसेणं श्रद्धपलियोवमं परणासाए वाससहस्सेहिमभहिग्रं 2 / सूरविमाणे देवाणं ? जहराणेणं चउभागपलिग्रोवमं उकोसेणं पलिश्रोवमं वाससहस्समब्भहियं 3 / सूरविमाणे देवीणं ? जहराणेणं चउभागपलिश्रोवमं उकोसेणं श्रद्धपलियोवमं पंचहिं वाससएहिं श्रभहियं 4 / गहविमाणे देवाणं ? जहराणेणं चउभागपलिग्रोवमं उकोसेणं पलिश्रोवमं 5 | गहविमाणे देवीणं ? जहराणेणं चउभागपलियोवम उक्कोसेणं श्रद्धपलिश्रोवमं 6 / णक्खत्तविमाणे देवाणं ? जहरणेणं चउम्भागपलिश्रोवमं उकोसेणं अद्धपलिणोवमं 7 / णक्खत्तविमाणे देवीणं ? जहराणेणं चउब्भागपलिश्रोवमं उक्कोसेणं साहित्रं चउभागपलिश्रोवमं 8 / ताराविमाणे देवाणं ? जहराणेणं अट्ठभागपलियोवमं उक्कोसेणं चउभागपलिश्रोवमं 1 / ताराविमाणदेवीणं ? जहरणेणं अट्ठभागपलिश्रोवमं उक्कोसेणं साइरेगं अट्ठभागपलिश्रोवमं 10 // सूत्रं 173 // बह्मा विराहू श्र वसू वरुणे श्रय बुड्डी पूस श्रास जमे / अग्गि पयावइ सोमे रुद्दे अदिती बहस्सई सप्पे॥१॥ पिउ भग अजम सवित्रा तट्ठा वाऊ तहेब इंदग्गी / मित्ते इंदे निरुई श्राऊ विस्सा य बोद्धव्वे ॥२॥इति ॥सूत्रं 174 // एतेसि णं भंते ! चंदिमसूरित्रगहणक्खत्तताराख्वाणं कयरे 2 हितो अप्पावा बहुश्रा वा तुल्ला वा विसेसा. Page #235 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 208] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभाग हिया वा ?, गोयमा ! चंदिमसूरिया दुवे तुला सव्वत्थोवा णक्खत्ता संखेजगुणा गहा संखेनगुणा तारारूवा संखेजगुणा // सूत्रं 175 // जंबुद्दीवे. णं भंते ! दीवे जहराणपए वा उकोसपए वा केवइया तित्थयरा सव्वग्गेणं पराणत्ता ?, गोत्रमा ! जहराणपए चत्तारि उकोसपए चोत्तीस तित्थयरा सव्वग्गेणं पराणत्ता 1 / जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे केवइया जहराणपए वा उक्कोसपए वा चकवट्टी सव्वग्गेणं पराणत्ता ?, गोयमा ! जहराणपदे चत्तारि उकोसपदे तीसं चकवट्टी सव्वग्गेणं पराणता इति, बलदेवा तत्तिया चेव जत्तिया चकवट्टी, वासुदेवावि तत्तिया चेव 2 / जंबुद्दीवे दीवे केवइया निहिरयणा सव्वगेणं पराणता ?, गोयमा ! तिरिण छलुत्तरा णिहिरयणसया सव्वग्गेणं पराणत्ता 3 / जंबुद्दीवे 2 केवइया णिहिरयणसया परिभोगत्ताए हव्वमागच्छति ?, गोयमा ! जहराणपए छत्तीसं उकोसपए दोगिण सत्तरा णिहिरयणसया परिभोगत्ताए हव्वमागच्छंति 4 / जंबुद्दीवे 2 केवइया पंचिंदिरयणसया सव्वग्गेणं पराणत्ता ?, गोयमा ! दो दसुत्तरा पंचिंदिरयणसया सव्वग्गेणं पराणत्ता 5 / जंबुद्दीवे 2 जहराणपदे वा उक्कोसपदे वा केवइया पंचिंदिरयणसया परिभोगत्ताए हब्वमागच्छंति ?, गोयमा ! जेहराणपए अट्ठावीसं उक्कोसपए दोरिण दसुत्तरा पंचिंदिरयणसया परिभोगत्ताए हव्वमागच्छंति 6 / जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे केवइया एगिदिश्ररयणसया सव्वग्गेणं पराणत्ता ?, गोयमा ! दो दसुत्तरा एगिदिश्ररयणसया सव्वग्गेणं पराणत्ता 7 / जंबद्दीवे णं भंते ! दीवे केवइया एगिदिश्ररयणसया परिभोगत्ताए हबमागच्छति ?, गोयमा ! जहराणपए अट्ठावीसं उकोसेणं दोरिण दसुतरा एगिदिश्रयणसया परिभोगत्ताए हव्वमागच्छंति 8 // सूत्रं 176 // जंबूद्दीवे णं भंते ! दीवे केवइयं पायामविक्खंभेणं केवइग्रंपरिक्खेवेणं केवइ उव्वेहेणं केवइयं उद्धं उच्चतेणं केवइयं सव्वग्गेणं पण्णता ?, गोयमा ! जंबुद्दीवे 2 Page #236 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्र :: सप्तमो वक्षस्कारः ] [ 206 एग जोश्रणसयसहस्सं यायामविक्खंभेणं तिरिण जोश्रणसयसहस्साइं सोलस य सहस्साई दोरिण अ सत्तावीसे जोयणसए तिरिण अ कोसे अट्ठावीसं च धणुसयं तेरस अंगुलाई श्रद्धंगुलं च किंचिविसेसाहियं परिक्खेवेणं पण्णत्ते, एगं जोश्रणसहस्सं उव्वेहेणं णवणउति जोत्रणसहस्साई साइरेगाई उद्धं उच्चतेणं साइरेगं जोयणसयसहस्सं सव्वग्गेणं पराणत्ते // सूत्रं 177 // जंबुद्दीवे णं भंते ! दोवे किं सासए असासए ?, गोयमा ! सिय सासए सित्र असासए 1 / से केणतुणं भंते ! एवं वुच्चइ-सिय सासए सित्र असासए ?, गोयमा ! दव्वट्ठयाए सासए वणपजवेहिं गंधषजवेहिं रसपजवेंहि फासपज्जवेहि असासए, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ सित्र सासए सित्र यसासए 2 / जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे कालयो केवचिरं होइ ? गोयमा ! णा कयावि णासि ण कयावि णत्थि ण कयावि ण भविस्सइ, भुविं च भवइ अ भविस्सइ अ धुवे णिइए सासए अक्खए अव्वए अवट्ठिए णिच्चे जंबुद्दीवे दीवे पराणत्ते 3 // सूत्रं 178 // जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे किं पुढविपरिणामे ग्राउपरिणामे जीवपरिणामे पोग्गलपरिणामे ?, गोत्रमा ! पुढविपरिणामेवि ग्राउपरिणामेवि जीवपरिणामेवि पुग्गलपरिणामेवि 1 / जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे सव्वपाणा सव्वजीवा सव्वभूया सव्वसत्ता पुढविकाइअत्ताए ग्राउकाइयत्ताए तेउकाइयत्ताए वाउकाइयत्ताए वणस्सइकाइअत्ताए उववराणपुव्वा ?, हंता गोत्रमा ! असई अदुवा अणंतखुत्तो 2 // सूत्रं 171 // से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ जंबुद्दीवे 2 ?, गोयमा ! जंबुद्दीवे णं दीवे तत्थ 2 देसे 2 तहिं 2 बहवे जंबूरुक्खा जंबूवणा जंबवणसंडा णिच्चं कुसुमिया जाव पिंडिम-मंजरिवडेंसगधरा सिरीए अईव उवसो. भेमाणा चिट्ठति, जंबूए सुदंसणाए अणाढिएणामं देवे महिद्धीए जाव पलिश्रोवमट्टिइए परिवसइ, से तेणटेणं गोत्रमा ! एवं बुच्चइ जंबुद्दीवे दीवे // सूत्रं 180 // तए णं समणे भगवं महावीरे मिहिंलीए णयरीए माणि Page #237 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 210 ] . [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः भद्दे चेइए बहूणं समणाणं बहूणं समणीणं बहणं सावयाणं बहुणं सावियाणं बहूणं देवाणं बहूणं देवीणं मज्भगए एवमाइक्खइ एवं भासइ एवं पराणवेइ एवं परुवेइ जंबूदीवपण्णत्ती णामत्ति अजो ! अज्झयणं अट्ठ च हेउं च पसिणं च कारणं च वागरणं च भुजो 2 उवदंसेइत्तिबेमि // सूत्रं 181 // // इति सप्तमो वक्षस्कारः // 7 // ॥इतिश्रीजम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्रं समाप्तम्॥ // ग्रंथानं 4146 // Page #238 -------------------------------------------------------------------------- ________________ // अहम् // श्री-श्रुतस्थविरप्रणीतं // श्रीमच्चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्रम् // नमो अरिहंताणं // जयइ नव-नलिण-कुवलय-वियसिय-सयवत्त-पत्तलदलच्छो / वीरो गइंद-मयगल-सललिय-गयविकमो भयवं // 1 // नमिऊण असुर-सुर-गरुल-भुयग-परिवदिए गयकिलेसे / अरिहे सिद्धायरियउवज्झाए सव्वसाहू यः॥ 2 // फुड-वियड-पागडत्थं, वुच्छं पुव्व-सुय-सारनीसंदं / सुहुमं गणिणोवइ8, जोइस-गणरायपराणत्तिं ॥३॥नामेण इंदभूइत्ति गोयमो वंदिऊण तिविहेणं / पुच्छइ जिणवर-वसहं, जोइसरायस्स पराणत्तिं // 4 // कइ मंडलाइ वच्चइ 1, तिरिच्छा किं च गच्छई 2 / श्रोभासइ केवइयं 3, सेयाइ किं ते संठिई 4 // 5 // कहिं पडिहया लेसा 5, कहं ते श्रोयसंठिइ 6 / के सूरियं वरयते 7, कहं ते उदयसंठिई 8 // 6 // कइकट्ठा पोरिसीच्छाया 1, जोगेत्ति किं ते पाहिए 10 / किं ते संवच्छरा. णाई 11, कइ संवच्छराइ य 12 // 7 // कहं चंदमसो वुडी, 13, कया ते दो(जो)सिणा बहू 14 / के सिग्धगई वुत्ते 15 किं ते दो(जो)सिणलक्खणं 16 // 8 // चयणोववाय 17 उच्चत्ते 18, सूरिया कइ अाहिया 11 / अणुभावे केव संवुत्ते 20, एवमेयाइं वीसई 1 // सूत्रं 1 // वडोवड्डी ? मुहुत्ताण-मद्धमंडलसंठिई 2 / के ते चिराणं परियरइ 3 अंतरं किं चरंति प 4 // 10 // श्रोगाहइ केवइयं 5 केवइयं च विकंपइ 6 / 'मंडलाण य संठाणे 7 विक्खंभो 8 अट्ठ पाहुडा // 11 // सू० २॥छप्पंच य सत्तेव. य, Page #239 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 212 ] ( श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः अट्ट य तिन्नि य हवंति पडिवत्ती। पढमस्स पाहुडस्स उ, हवंति एयायो पडिवत्ती // 12 // सू० 3 // पडिवत्तीश्रो उदए, अदुव अस्थमणेसु य / भेयघाए कराणकला, मुहुत्ताण गईइ य // 13 // निक्खममाणे सिग्धगई, पविसंते मंदगईइ य / चुलसीइसयं पुरिसाणं, तेसिं च पडिवत्तीयो॥ 14 // उदयम्मि अट्ट भणिया, भेयग्याए दुवे च पडिवत्ती। चत्तारि मुहुत्तगईप, होति तइयम्मि पडिवत्ती // 15 // सू० 4 // श्रावलिय 1 मुहुत्तग्गे 2 एवंभागा 3 य जोगस्सा 4 / कुलाई 5 पुराणमासी 6 य, संनिवाए 7 य संठिई 8 // 16 // तारग्गं 1 च णेता य 10 चंदमग्गत्ति 11 यावरे / देवताण य अझयणा 12 मुहुत्ताणं नामया 13 इय // 17 // दिवसा राई य वुत्ता 14 य, तिहि 15 गोत्ता 16 भोयणाणि य 17 / श्राइच्चचार 18 मासा 11 य, पंच संवच्छरा 20 इय // 18 // जोइसस्स य दाराई 21, नक्खत्तविचए 22 विय / दसमे पाहुडे एए, बावीसं पाहुड. पाहुडा / / 11 // सू० 5 // तेणं कालेणं तेणं समएणं मिहिला णामं णयरी होत्था रिद्धस्थिमियसमिद्धा पमुइयजणजाणवया जाव पासादीया, वगणो 1 / तीसे णं मिहिलाए णयरीए बहिया उत्तरपुरस्थिमे दिसीभाएं एत्थ णं माणिभद्दे णामं चेइए होत्था चिराईए वराणो 2 / तीसे णं मिहिलाए णयरीए जियसत्तणामं राया, धारिणी देवी, वगणयो 3 / तेणं कालेणं तेणं समएणं तंमि माणिभद्दे चेइए सामी समोसढे, परिसा णिग्गया, धम्मो कहिश्रो, परिसा पडिगया जाव राया जामेव दिसि पाउन्भए तामेव दिसि पडिगए ४॥सू० 6 // तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवश्री महावीरस्स जेट्टे अंतेवासी इंदभूईणामं श्रणगारे गोयमगोत्तेणं सत्तुस्सेहे जाव पज्जुवासमाणे एवं वयासी // सू०७॥ता कहं ते वड्डोवड्डी मुहुत्ताणं श्राहितेत्ति वदेजा ? गोयमा ! ता अट्ट एगणवीसे मुहुत्तसते सत्तावीसं च सत्तट्ठिभागो मुहुत्तस्स Page #240 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रामच्चन्द्रप्रज्ञाप्त सूत्र प्रा० 1: प्रा० प्रा० 1 ] अाहितेत्ति वदेज्जा // सू० 8 // ता जया णं सूरिए सव्वभंतरातो मंडलातो सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, सव्वबाहिरातो मंडलातो सव्वन्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, एस णं श्रद्धा केवतियं राइदियग्गेणं अाहितेत्ति वदेजा ? ता तिरिण छाव? राइंदियसएइं रातिदियग्गेणं अाहितेत्ति वदेजा // सू० 1 // ता एयाए णं श्रद्धाए सूरिए कइ मंडलाई चरइ ? कइ मंडलाइं दुक्खुत्तो चरइ ? कइ मंडलाइं एगखुत्तो चरइ ? ता चुलसीयं मंडलसयं चरइ, बासीति मंडलसयं दुक्खुत्तो चरइ, तं जहा-विक्खममाणे चेव पविसमाणे चेव 1 / दुवे य खलु मंडलाई सई चरइ, तं जहा-सव्वन्भंतरं चेव मंडलं, सब्बबाहिरं चेव मंडलं 2 // सू० 10 // जइ खलु तस्सेव पाइञ्चस्स संवच्छरस्स सइं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, सई अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ, सई दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ, सई दुवालसमुहुत्ता राई भवइ 1 / ता पढमे छम्मासे अत्थि अट्ठारसमुहुत्ता राई, नत्थि अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे, अत्थि दुवालसमुहुत्ते दिवसे, नत्थि दुवालसमुहुत्ता राई भवइ 2 / दोच्चे छम्मासे त्थि अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे, णत्थि अट्ठारस. मुहुत्ता राई, अस्थि दुवालसमुहुत्ता राई, णत्थि दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ 3 / पढमे वा छम्मासे दोच्चे वा छम्मासे णत्थि पणरसमुहुत्ते दिवसे भवइ, णत्थि पणरसमुहुत्ता राई भवइ 4 / जं णं पढमे वा छम्मासे दोच्चे वा छम्मासे णत्थि पराणरसमुहुत्ते दिवसे भवति, णत्थि पराणरसमुहुत्ता राती भवति तत्थ णं कं हेडं वएज्जा ? ता अयराणं जंबुद्दीवे दीवे सव्वदीवसमुदाणं सव्वन्भंतराए जाव विसेसाहिए परिक्खेवेणं पराणत्ते 5 / ता जयाणं सूरिए सव्वन्भंतरमंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहरिणया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ 6 / से निक्खममाणे सूरिए नवं संवच्छरं श्रयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि अभितराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ 7 / ता जया णं सूरिए अभितरा Page #241 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 214 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः णंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं श्रद्वारसमुहुत्ते दिवसे भवइ दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणे, दुवालसमुहुत्ता राई भवइ दोहिं एगद्विभागमुहुत्तेहि अहिया 8 / से णिक्खममाणे सूरिए दोच्चंसि ग्रहोरत्तंसि अभंतरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ 1 / ता जया णं सूरिए अभितरं तच्चं मंडलं उपसंकमित्ता चारं चरइ तया णं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे. भवइ . चउहि एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणे, दुवालसमुहुत्ता राई भवइ, चउहिं एगट्ठिभागमुत्तेहि अहिया 10 ! एवं खलु पएणं उवाएणं णिक्खममाणे सूरिए तयाणंतरायो मंडलायो तयाणंतरं मंडलं संकममाणे दो दो एगट्ठिभागमुहुत्ते एगमेगे मंडले दिवसखेत्तस्स णिवुडढेमाणे 2 रयणिखेत्तस्स अभिवुडढेमाणे 2 सब्बबाहिरमंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ 11 / ता जया णं सूरिए सव्वभंतरातो मंडलायो सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं सव्वभंतरमंडलं पणिहाय एगेणं तेसीएणं राईदियसएण: तिरिण छाव? एगट्ठिभागमुहुत्तसते दिवसखेत्तस्स निबुडित्तां रतणिखेत्तस्स अभिवुट्टित्ता चारं चरइ, तया णं उत्तमकट्ठपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ, जहरणए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ 12 / एस णं पदमे छम्मासे / एस णं पढमस्स छम्मासस्स पजवसाणे 13 / से पविसमाणे सूरिएं दोच्चं छम्मासं श्र(प्रा)यमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि बाहिराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ 14 / ता जया णं सूरिए बाहिराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं अट्ठारसमुहत्ता राई भवइ दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणा, दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिए 15 / से पविसमाणे सूरिए दोच्चंसि अहोरसि बाहिरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चार चरइ 16 / ता जया णं सूरिए बाहिरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ चउहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणा, दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ चाहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिए 17 / एवं Page #242 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमच्चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्रं :: प्राभृतं 1 : प्रा० प्रा० 1 ] [ 215 खलु एएणुवाएणं पविसमाणे सूरिए तयाणंतरायो मंडलायो तयाणंतरं मंडलं संकममाणे 2 दो दो एगट्ठिभागमुहुत्ते एगमेगे मंडले रतणिखेत्तस्स निव्वुड्ढेमाणे 2 दिवसखेत्तस्स अभिवुडढेमाणे 2 सव्वभंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ 18 / ता जया णं सूरिए सव्वबाहिरायो मंडलायो सबभंतरं मंडलं उपसंकमित्ता चारं चरइ तया णं सव्वबाहिरं मंडलं पणि.. धाय एगेणं तेसीएणं राइंदियसएणं तिरिण छावट्ठिएगसट्ठिभागमुहुत्तसते रयणिखेत्तस्स निव्वुडित्ता दिवसखेत्तस्स अभिवडित्ता चारं चरइ तया णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहरिणया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ 11 / एस णं दोच्चे छम्मासे / एस णं दोचस्स छम्मासस्स पजवसाणे / एस णं श्राइच्चे संवच्छरे / एस णं श्राइचस्स संवच्छरस्स पजवसाणे 20 / इति खलु तस्सेवं श्राइचस्स संवच्छरस्स सइं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, सइं अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ 21 / सई दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ, सई दुवालसमुहुत्ता राई भवइ 22 / पढमे छम्मासे अस्थि अट्ठारसमुहुत्ता राई, णत्थि अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, अत्थि दुवालसमुहुत्ते दिवसे, णत्थि दुवालसमुहुत्ता राई भवइ 23 / दोच्चे छम्मासे अत्थि अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति णत्थि अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ, अस्थि दुवालसमुहुत्ता राई, णस्थि दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ 24 / पढमे वा छम्मासे दोच्चे वा छम्मासे णस्थि पराणरसमुहुत्ते दिवसे भवति, णत्थि पराणरसमुहुत्ता राई भवति, णराणत्थ राइंदियाणं वडोवुडीए मुहुत्ताण वा चयोवचएणं, णरणत्थ वा अणुवायगईए 25 / पुव्वेण दुन्निभागापाहुडियगाहारो भाणितव्वाश्रो 26 // सू० 11 // पढमस्स पाहुडस्स पढमं पाहुडपाहुडं // // इति प्रथमप्राभृते प्रथमं प्रामृतप्राभृतम् // 1-1 // Page #243 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 216 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः // अथ प्रथमप्राभते द्वितीयं प्राभतप्राभतम् // ता कहं ते श्रद्धमंडलसठिई श्राहितेति वदेजा ? तत्थ खलु इमा दुविहा अद्धमंडलसंठिई पराणत्ता, तं जहा-दाहिणा चेव अद्धमंडलसंठिई, उत्तरा चेव श्रद्धमंडलसंठिई 1 / ता कहं ते दाहिणा अद्धमंडलसंठिई श्राहितेति वदेजा ? ता अयराणं जंबुद्दीवे दीवे सव्वदीवसमुद्दाणं जाव परिक्खेवेणं पराणत्ते 2 / ता जया णं सूरिए सव्वभंतरं दाहिणं श्रद्धमंडलसंठिई उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं उत्तमकट्टपत्ते उकोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहरिणया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ 3 / से निक्खममाणे सूरिए णवं संवच्छरं अयमाणे पढमंसि श्रहोरत्तंसि दाहिणाए अंतराए भागाए तस्सादिपएसाए अभितराणंतरं उत्तरं श्रद्धमंडलसंठिई उवसंकमित्ता चारं चरइ 4 / ता जया णं सूरिए अभितराणंतरं उत्तरं श्रद्धमंडलसंठिई उपसंकमित्ता चारं चरइ तया णं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणे, दुवालसमुहुत्ता राई भवइ दोहिं एंगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिया 5 / से णिक्खममाणे सूरिए दोच्चंसि ग्रहोरत्तंसि उत्तराए अंतराए भागाए तस्सादिपएसाए अभितरं तच्चं दाहिणं श्रद्धमंडलसंटिइं उवसंकमित्ता चार चरइ 6 / ता जया णं सूरिए अभितरं तच्चं दाहिणं श्रद्धमंडलसंठिइं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ चउहि एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं उणे, दुवालसमुहुत्ता राई भवइ चउहिं एगट्ठि भागमुहुत्तेहिं अहिया 7 / एवं खलु एएणं उवाएणं णिक्खममाणे सूरिए तयाणंतरापोऽणंतरंसि तंसि 2 देसंसि तं तं श्रद्धमंडलसंठिई संकममाणे 2 दाहिणाए अंतराए भागाए तस्सादिपएसाए सव्वबाहिरं उत्तरं श्रद्धमंडलसंठिई उपसंकमित्ता चारं चरइ 8 / ता जया णं सूरिए सव्वबाहिरं उत्तरं श्रद्धमंडलसंठिइं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं उत्तमकट्टपत्ता- उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ, जहराणए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ 1 / एस णं Page #244 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमच्चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्रं : प्रा० 1 : प्रा० प्रा०२] [ 217 पढमे छम्मासे, एस णं पढमस्स छम्मासस्स पजवसाणे 10 / से पविसमाणे सूरिए दोच्चं छम्मासं श्रयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि उत्तराए अंतराए भागाए तस्सादिपएसाए बाहिराणंतरं दाहिणं श्रद्धमंडलसंठिई उपसंकमित्ता चारं चरइ 11 / ता जया णं सूरिए बाहिराणंतरं दाहिणं श्रद्धमंडलसंठिइं उवसंकमित्ता चारं चरइ, तया णं अट्ठारसमुहत्ता राई भवइ दोहि एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणा, दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहि अहिए 12 / से पविसमाणे सूरिए दोच्चंसि 'अहोरत्तंसि दाहिणाए अंतराए भागाए तस्सादिपएसाए बाहिराणंतरं तचं उत्तरं श्रद्धमंडलसंठिई उवसंकमित्ता चारं चरइ 13 / ता जया णं सूरिए बाहिराणंतरं तच्चं उत्तरं श्रद्धमंडलसंठिई उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ चाहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणा, दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ चरहिं एगट्टिभागमुहुत्तेहिं अहिए, (तदा राइदिवसपमाणं तं चैव भाणियब्व) 14 / एवं खलु एएणं उवाए पविसमाणे सूरिए तयाणंतरात्रो तयाणंतरं तंसि 2 देसंसितं तं श्रद्धमंडलसंठिई संकममाणे 2 उत्तराए अंतराए भागाए तस्सादिपएसाए सव्वभंतरं दाहिणं श्रद्धमंडलसंठिई उवसंकमित्ता चारं चरइ 15 / ता जया णं सूरिए सव्वन्भंतरं दाहिणं श्रद्धमंडलसंठिई उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए श्रद्वारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहरिणया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ 16 / एस णं दोच्चे छम्मासे, एस णं दोच्चस्स छम्मासस्स पजवसाणे, एस णं श्राइच्चे संवच्छरे, एस णं श्राइचस्स संवच्छरस्स पज्जवसाणे 17 // सू० 12 // ता कहं ते उत्तरा श्रद्धमंडलसंठिई श्राहितेति वदेजा ? ता अयगणं जंबुद्दीवे दीवे सव्वदीव जाव परिक्खेवेणं पराणत्ते 1 / ता जया णं सूरिए सव्वभंतरं उत्तरं श्रद्धमंडलसंठिई उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं उत्तमकट्टपत्ते उक्कोसए श्रद्वारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहरिणया दुवालसमुहुत्ता राई 16 Page #245 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 21 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः भवइ 2 / से निक्खममाणे सूरिए णवं संवच्छरं श्रयमाणे पढमंसि अहोरतंसि उत्तराए अंतराए भागाए तस्साइपएसाए अभंतराणंतरं दाहिणं अद्धमंडलसंठिई उवसंकिमित्ता चारं चरई 3 / ता जया णं सूरिए अभंतराणंतरं दाहिणं अद्धमंडलसंठिई उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणे, दुवालसमुहुत्ता राई भवइ दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिया 4 / से णिक्खममाणे सूरिए दोच्चंसि अहोरत्तंसि दाहिणाए अंतराए भागाए तस्साइपएसाए अभितराणंतरं तच्चं उत्तरं श्रद्धमंडलसंठिई उपसंकमित्ता चारं वरइ 5 / ततो जयाणं सूरिए अम्भितराणंतरं तच्चं उत्तरं श्रद्धमंडलसठिई उपसंकमित्ता चारं चरइ तता णं दिवसराइपमाणं तं चेव भाणियव्वं (तया णं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ चरहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणे, दुवालसमुहुत्ता राई भवइ चउहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिया) 6 / एवं खलु एएणं उवाएणं निक्खममाणे सूरिए तयाणंतरायो तयाणंतरं मंडलायो मंडलं संकममाणे तंसि तंसि देसंसि तं तं अद्धमंडलसंठिई संकममाणे 2 उत्तराए अंतराए भागाए तस्साइपएसाए सव्वबाहिरं दाहिणं श्रद्धमंडलसंठिई उवसंकमित्ता चारं चरइ 7 / ता जया | सूरिए सव्वबाहिरं दाहिणं श्रद्धमंडलसंठिई उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं उत्तमकट्ठपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ, जहराणए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ 8 / एस.णं पढमे छम्मासे, एस णं पढमस्स छम्मासस्स पजवसाणे 1 / से पविसमाणे सूरिए दोच्चं छम्मासं अयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि दाहिणाए अंतराए भागाए तस्साइपएसाए बाहिराणंतरं उत्तरं श्रद्धमंडलसंठिई उवसंकमित्ता चारं चरइ 10 / ततो जया णं सूरिए बाहिराणंतरं उत्तरं श्रद्धमंडलसंदिई उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणा, दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिए 11 / से पविसमाणे सूरिए Page #246 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमच्चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्रं : प्रा०१ :: प्रा० प्रा० 3 ] [ 216 दोच्चंसि अहोरत्तंसि उत्तराए अंतराए भागाए तस्साइपएसाए बाहिरं तचं दाहिणं श्रद्धमंडलसंठिई उवसंकमित्ता चारं चरइ 12 / ता जया णं सूरिए बाहिरं तवं दाहिणं अद्धमंडलसंठिई उपसंकमित्ता चारं चरइ तया णं श्रद्वारसमुहुत्ता राई भवइ चाहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणा, दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ चरहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिए 13 / एवं खलु एएणं उवाएणं पविसमाणे सूरिए तयाणंतरायो तयाणंतरं तंसि तंसि देसंमि तं तं श्रद्धमंडलसंठिई संकममाणे 2 दाहिणाए अंतराए भागाए तस्साइपएसाए सव्वभंतरं उत्तरं श्रद्धमंडलसंठिई उवसंकमित्ता चारं चरइ 14 / ता जता णं सूरिए सव्वभंतरं उत्तरं श्रद्धमंडलसंटिई उपसंकमित्ता चार चरइ तया णं उत्तमकट्टपने उक्कोसए श्रद्वारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहनिया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ (जहा दाहिणा तहा चेव णवरं उत्तरट्टियो अभितराणंतरं दाहिणं उवसंकमइ, दाहिणातो अभितरं तच्चं उत्तरं उवसंकमति, एवं खलु एएणं उवाएणं जाव सव्वबाहिरं दाहिणं उवसंकमति, सव्वबाहिरं दाहिणं उवसंकमति 2 ता दाहिणायो बाहिराणंतरं उत्तरं उपसंकमति उत्तरातो बाहिरं तच्चं दाहिणं तचातो दाहिणातो संकममाणे 2 जाव सव्वभंतरं उवसंकमति तहेव-इति सूर्यप्रज्ञप्तौ) 15 / एस णं दोच्चे छम्मासे, एस णं दोच्चस्स छम्मासस्स पजवसाणे, एस णं श्राइच्चे संवच्छरे, एस णं श्राइनस्स संवच्छरस्स पजवसाणे, गाहायो 16 // सूत्रं 13 // बीयं पाहुडपाहुडं समत्तं // // इति प्रथमप्राभृते वितीयं प्राभृतप्राभृतम् // 1-2 // // अथ प्रथमप्राभृते तृतीयं प्रातिप्राभृतम् // ता किं ते चिराणं पडिचरति अाहितेति वदेजा ?, तत्थ खलु इमे दुवे सूरिया पराणत्ता, तंजहा-भारहे चेव सूरिए, एरवए चेव सूरिए 1 / Page #247 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 22. [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः ता एते णं दुवे सूरिया पत्तेयं 2 तीसाए 2 मुहुत्तेहि एगमेगं श्रद्धमंडलं चरइ. सट्ठीए सट्ठीए मुहुत्तेहिं एगमेगं मंडलं संघातति 2 / ता णिक्खममाणा खलु एते दुवे सूरिया णो अराणमराणस्स चिराणं पडिचरंति पविसमाणा खलु एते दुवे सूरिया अरणमराणस्स चिराणं पडिचरंति तं सतमेगं चोतालं 3 / तत्थ णं को हेउ-त्ति वदेज्जा ? ता अयराणं जंबुद्दीवे दीवे जाव परिक्खेवेणं 4 / तत्थ णं अयं भारहए चेव सूरिए जंबुद्दीवस्स दीवस्स पाईणपडीणायत-उदीणदाहिणाययाए जीवाए मंडलं चउवीसएणं सएणं छेत्ता दाहिणपुरथिमिल्लंसि चउभागमडलंसि बाणउतिय-सूरियमताई जाई सूरिए अप्पणा चेव चिराणाई पडिचरइ, उत्तरपञ्चथिमिल्लसि चउभागमंडलंसि एकाणउइं सूरियमयाई जाइं सूरिए अप्पणा चेव चिराणाई पडिचरइ 5 / तत्थ अयं भारहे सूरिए एरवयस्स सूरियस्स जंबुद्दीवस्स दीवस्स पाईणपडीणाययाए उदीणदाहिणाययाए जीवाए मंडलं चउवीसएणं सएणं छेत्ता उत्तरपुरथिमिल्लसि चउभागमंडलंसि बाणउति सूरियमताई जाई सूरिए परस्स चिराणाई पडिचरइ, दाहिणपञ्चथिमिल्लंसि चउभागमंडलंसि एक्काणउति सूरिथमताई जाइं सूरिए परस्स चेव चिराणाई पडिचरइ 6 / तत्थ अयं एवए सूरिए जंबुद्दीवस्स दीवस्स पाईणपडीणाययाए उदीणदाहिणाययाए जीवाए मंडलं चउवीसएणं सएणं छेत्ता उत्तरपुरथिमिल्लंसि चउभागमंडलंसि बाणउई सूरियमताई जाइं सूरिए अप्पणा चिराणाई पडिचरइ, दाहिणपुरथिमिल्लंसि चउभागमंडलंसि एक्काणउई सूरियमयाइं जाई सूरिए अप्पणा चेव चिराणाई पडिचरइ.७ / तत्थ णं एवं एरवतिए सूरिए भारहस्स सूरियस्स जंबुद्दीवस्स पाईसापडीणाययाए उदीणदाहिणाययाए जीवाए मंडलं चउवीसएणं सएणं छित्ता दाहिणपञ्चत्थिमिल्लंसि चउब्भागमंडलंसि बाणउई सूरियमताई जाइं सूरिए परस्स चिराणाई पडिचरइ, उत्तरपुरथिमिल्लसि चउब्भागमंडलंसि एक्काणउति सूरियमताई जाइं सूरिए परस्स Page #248 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमचंद्रप्रज्ञप्तिसूत्र : प्रा० 1 : प्रा० प्रा० 4 ] 221 / चेव चिण्णाई पडिचरइ 8 / ता निक्खममाणा खलु एते दुवे सूरिया णो अराणमराणस्स चिराणं पडिचरंति 1 / पविसमाणा खलु एते दुवे सूरिया अण्णमण्णस्स तंजहा-चिराणं पडिचरंति, सयमेगं चोत्तालं, गाहायो 10 // सू० 14 // तइयं पाहुडपाहुडं समत्तं // // इति प्रथमप्राभृते तृतीयं प्राभूतप्राभृतम् // 1-3 / / // अथ प्रथमप्राभृते चतुर्थ प्राभूतप्राभृतम् // ता कंवइयं एए दुवे सूरिया अराणमराणस्स अंतरं कटु चारं चरंति अाहितेति वएजा ? तत्थ खलु इमायो छ पडिवत्तीयो पराणत्तायो, तंजहातत्थ एगे एवमाहंसु-ता एगं जोयणसहस्स एगं च तेत्तीसं जोयणसयं, अराणमराणस्स अंतरं कटु सूरिया चारं वरंति अाहितेति वदेजा, एगे एवमाहंसु 1 / एगे पुण एवमाहंसु-ता एगंजोयणसहस्सं एगं चउतीसं जोयणसयं अरणमराणस्स अंतरं कटु सूरिया चारं चरति श्राहितेति वदेजा, एगे एवमाहंसु 2 / एगे पुण एवमाहंसु-ता एगं जोयणसहस्सं एगं च पणतीस जोयणसयं अराणमण्णस्स अंतरं कटु सूरिया चारं चरंति श्राहितेति वदेजा, एगे एवमाहंसु 3 / एगे पुण एवमाहंसु-ता एगं दीवं एगं समुद्द अण्णमण्णस्स अंतरं कट्ट सूरिया चारं चरंति अाहितेति वदेजा एगे एवमाहंसु 4 / एगे पुण एवमाहंसु-तादो दीवे दो समुद्दे अराणमराणस्स अंतरं कटु सूरिया चारं चरंति पाहितेति वदेजा, एगे एवमाहंसु 5 / एगे पुण एवमाहंसुता तिरिण दीवे तिरािण समुद्दे अरणमण्णस्स अंतरं कट्टु सूरिया चारं चरंति श्राहितेति वदेजा, एगे एवमाहंसु 6, 1 / एयं पुण एवं वयामोता पंच पंच जोयणाई पणतीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगे मंडले अराणमराणस्स अंतरं अभिवड्ढे माणा वा निवड्ढे माणा वा सूरिया चारं चरंति श्राहितेति वदेजा 2 / तत्थ गां को हेऊ. अाहितेति वएजा ? Page #249 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 222 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः सप्तमो विभागः ता श्रयगणं जम्बुद्दीवे दीवे जाव परिक्खेवेणं 3 / ता जया णं एते दुवे सूरिया सबभतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति तया णं णवणउइं जोयणसहस्साई छच्च वत्ताले जोयणसते अण्णमराणस्स अंतरं कट्टु चारं चरंति अाहितेति वदेजा, तया णं उत्तमकट्ठपत्ते उकोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहरिणया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ 4 / ते निक्खममाणा सूरिया णवं संवच्छरं श्रयमाणा पढमंसि अहोरत्तंसि अभितराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति 5 / ता जया णं एते दुवे सूरिया अभितराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति तया णं णवणवति जोयणसहस्साई छच्च पणताले जोयणसते पणतीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स. अराणमरणस्म अंतरं कटु चारं चरंति अाहितेति वदेजा, तया णं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणे, दुवालसमुहुत्ता राई भवइ दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिया 6 / से निक्खममाणा सूरिया दोच्चंसि अहोरत्तंसि अभितरं तच्चं मंडलं उपसंकमित्ता चारं चरति 7 / ता जया णं एते दुवे सूरिया अभितरं तच्चं मंडलं उपसंकमित्ता चारं चरंति तया णं णवणवति जोयणसहस्साई छच्च इक्कावराणे जोयणसते नव य एगट्ठिभागे जोयणस्स अण्णमसणस्स अंतरं कटु चारं चरंति श्राहितेति वदेजा, तया णं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ चाहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणे, दुवालसमुहुत्ता राई भवइ चाहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिया 8 / एवं खलु एएणं उवाएणं णिक्खममाणा एते दुवे सूरिया तयाणंतरात्रो मंडलायो, तयाणंतरं मंडलं संकममाणा 2 पंचजोयणाई पणतीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगे मंडले श्ररणमराणस्स अंतरं श्रभिवड्ढ माणा 2 सव्वबाहिरं मंडलं उपसंकमित्ता चारं चरति 1 / ता जया णं एते दुवे सूरिया सव्वबाहिरं मंडलं उबसंकमित्ता चारं चरति तया णं एगं जोयणसयसहस्सं छचस? जोयणसते अण्ण Page #250 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमच्चंद्रप्रज्ञप्तिसूत्र : प्रा० 1: प्रा० प्रा० 4] / 123 मराणस्स अंतरं कटु चारं चरंति, तया णं उत्तमकट्टपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ, जहराणए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ 10 / एसणं पढमे छम्मासे / एस णं पढमस्स छम्मासस्स पजवसाणे 11 / ते पविसमाणा सूरिया दोच्च छम्मासं अयमाणा पढमंसि अहोरत्तंसि बाहिराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति 12 / ता जया णं एते दुवे सूरिया बाहिराणंतरं मंडलं उपसंकमित्ता चारं चरंति तया णं एगं जोयणसयसहस्सं छच्च उप्पराणे जोयणसते छत्ती(व्वी)सं च एगट्ठिभागे जोयणस्स अराणमराणस्स अंतरं कटु चारं चरंति तया णं अट्ठारसमुहुत्ता राई भवई दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणा, दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहि श्रहिए 13 / ते पविसमाणा सूरिया दोच्चंसि अहोरत्तैसि बाहिरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति 14 / ता जया णं एते दुवे सूरिया बाहिरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति तया णं एगं जोयणसयसहस्सं छच्च अडयाले जोयणसते बावगणं च एगट्ठिभागे जोयणस्स अराणमराणस्स अंतरं कटु चारं चरंति तया णं अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ चाहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणा, दुवालसमुहत्ते दिवसे भवइ चउहि एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिए 15 / एवं खलु एएणं उवाएणं पविसमाणा एते दुवे सूरिया तयाणंतरात्रो मंडलायो तयाणंतरं मंडलं संकममाणा 2 पंच जोयणाइं पणतीसे च एगट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगे मंडले थराणमराणस्स अंतरं निव्वड्ढे माणा 2 सव्वभंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति 16 / ता जया णं एते दुवे सूरिया सव्वन्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति तया णं णवणति जोयणसहस्साई छच्च चत्ताले जोयणसते अण्णमगणस्स अंतरं कटु चारं चरंति, तया णं उत्तमकट्टपते उकोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवड, जहरिणया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ 17 / एस णं दोच्चे छम्माये, एस | दोबस्स छम्मासस्स पज Page #251 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 224 ) [श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागा वसाणे, एस णं ग्राइच्चे सवच्छरे, एस णं श्राइच्चसंवच्छरस्स पजवसाणे 18 // सूत्रं 15 // चउत्थं पाहुडपाहुडं समत्तं // // इति प्रथमप्राभृते चतुर्थ प्रामृतप्राभृतम् // 1-4 // . // अथ प्रथमप्राभृते पञ्चमं प्राभूतप्राभतम् / ता केवइयं ते दीवं वा समुह वा श्रोगाहित्ता सूरिए चारं चरइ श्राहितेति वदेजा ? तत्थ खलु इमायो पंच पडिवत्तीश्रो पराणत्ताश्रो, तंजहातत्थेगे एवमाहंसु-ता एगं जोयणसहस्सं एगं च तेत्तीसं जोयणसयं दीवं वा समुह वा श्रोगाहित्ता सूरिए चारं चरइ, एगे एवमाहंसु 1, एगे पुण एवमाहंसु-ता एगं जोयणसहस्सं एगं च चउत्तीसं जोयणसयं दीवं वा समुवा प्रोगाहित्ता सूरिए चारं चरइ, एगे एवमाहंसु 2, एगे पुण एवमाहंसु-ता एगं जोयणसहस्सं एगं च पणतीसं जोयणसयं दीवं वा समुह वा योगाहित्ता सूरिए चारं चरइ, एगे एवमाहंसु 3, एगे पुण एवमाहंसुता अबढ दीवं वा समुह वा श्रोगाहित्ता सूरिए चारं चरइ, एगे एवमाहंसु 4, एगे पुण एवमाहंसु-ता नो किंचि दीवं वा समुह वा श्रोगाहित्ता सूरिए चार चरइ, एगे एवमाहंसु 5, 1 / तत्थ जे ते एवमाहंसु-ता एगं जोयणसहस्सं एगं च तेत्तीस जोयणसयं दीवं वा समुद्दवा भोगाहित्ता सूरिए चारं चरइ ते एवमाहंसु-जया णं सूरिए सव्वभंतरं मंडलं उपसंकमित्ता चारं चरइ, तया णं जंबुद्दीवं दीवं एगं जोयणसहस्सं एगं तेत्तीसं जोयणसयं श्रोगाहित्ता सूरिए चारं चरइ, तया णं उत्तमकट्टपत्ते उकोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहगिणया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ 2 / ता जया णं सूरिए सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चार चरइ तया णं लवणसमुह एग जोयणसहस्सं एगं च तेत्तीसं जोयणसयं श्रोगाहित्ता चारं चरइ, तया णं उत्तमकट्टपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ, जहण्णए दुवालसमुहुत्ते. दिवसे भवइ 1, 3 / Page #252 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दियं तह, एवं सब्ववाहिरदिवसे भवर, जाहार तया णं उत्तमक श्रीमच्चन्द्रप्रज्ञप्तिस्त्र :: प्राभृतं 1 : प्रा० प्रा० 5 ] [ 225 एवं चोत्तीसेऽवि 2. पणतीसे वि एवं चेव भाणियव्वं 3, 4 / तत्थ णं जे ते एवमाहंसु-ता अवड्ड दीवं वा समुद्दवा योगाहित्ता सूरिए चार चरइ ते एवमाहंसु-जया णं सूरिए सवभंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं अवट्ट जंबुद्दीवं दीवं योगाहित्ता चारं चरइ तया णं उत्तमकट्ठपत्ते उकोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहरिणया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ, एवं सम्बबाहिरेवि, णवरं अवड्ढ लवणसमुह तया णं राई दियं तहेव 4, 5 / तत्थ णं जे ते एवमाहंसु-ता णो किंचि दीवं वा समुह. वा योगाहित्ता सूरिए चारं चरइ, ते एवमाहंसु-ता जया णं सूरिए सव्वभंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं णो किंचि दीवं वा समुह वा योगाहित्ता सूरिए चारं चरइ तया ण उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, तहेव एवं सव्ववाहिरए मंडले, णवरं णो किंचि लवणसमुद्द योगाहित्ता चारं चरइ, राइं दियं तहेव, एगे एवमाहंसु 5, 6 // सूत्रं 16 // वयं पुण एवं वयामो ता जया णं सूरिए सबभंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं जंबुद्दीवं दीवं असीतं जोयणसयं श्रोगाहित्ता चारं चरइ, तया णं उत्तमकट्टपत्ते उकोसए श्रद्वारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहरिणया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ 1 / एवं सव्वबाहिरेवि, (ता जया णं सूरिए सब्बबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं) णवरं लवणसमुद्द तिगिण तीसे जोयणसते श्रोगाहित्ता चारं चरइ, तया णं उत्तमकट्टपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ जहराणए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ, गाथाश्रो भाणितब्वायो 2 ॥सूत्रं 17 // पढमस्स पंचमं पाहुडपाहुडं / इति प्रथमप्राभते पञ्चमं प्राभूतमामृतम् // 1-5 // Page #253 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 226 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः // अथ प्रथमप्राभते षष्ठं प्राभतप्राभतम् // ता केवइयं ते एगमेगेणं राइदिएणं विकंपइत्ता 2 सूरिए चारं चरइ अाहितेति वदेजा ? तत्थ खलु इमायो सत्त पडिवत्तीयो, पराणत्तायो, तंजहा-तत्थेगे एवमाहंसु-ता दो जोयणाई अद्धदुचत्तालीसे तेसीई सयभागे जोयणस्स एगमेगेणं राइदिएणं विकंपइत्ता 2 सूरिए चारं चरइ, एगे एवमाहंमु 1, एगे पुण एवमाहंसु-ता अडढाइजाई जोयणाई एगमेगेणं राईदिएणं विकंपइत्ता 2 सूरिए चारं चरइ, एगे एवमाहंसु . 2, एगे पुण एवमाहंसु-ता तिभागूणाई तिन्नि जोयणाई, एगमेगेणं राइदिएणं विकंपइत्ता 2 सूरिए चारं चरड, एगे एवमाहंसु 3, एगे पुण एवमाहंसु-ता तिरिण जोयणाई श्रद्धसीतालीसं च तेसीइसयभागे जोयणस्स एगमेगेणं राइदिएणं विकंपइत्ता 2 सूरिए चारं चरइ, एगे एवमा. हेसु 4, एगे पुण एवमाहंसु-ता अद्भुट्ठाई जोयणाई एगमेगेणं राइदिएणं विकंपइत्ता 2 सूरिए चारं चरइ, एगे एवमाहंसु 5, एगे पुण एवमाहंसुता चउभागूणाई चत्तारि जोयणाई पगमेगेणं राइदिएणं विकंपइत्ता 2 सूरिए चारं चरइ, एगे एवमाहंसु 6, एगे पुण एवमाहंसु-ता चत्तारि जोयणाई श्रद्धबावराणं च तेसीइसयभागे जोयणस्स एगमेगेणं राइंदिएणं विकंपइत्ता 2 सूरिए चार चरइ, एगे एवमाहंसु 7, 1 / वयं पुण एवं वयामो-ता दो जोयणाई अडयालीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगं मंडलं एगमेगेणं राइंदिएणं विकंपइत्ता 2 सूरिए चारं चरइ 2 / तत्थ णं को हेऊ इति वदेजा ? ता अयगणं जंबुद्दीवे दीवे जाव परिक्खेवेणं पराणत्ते, ता जया णं सूरिए सबभंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहगिणया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ 2 / से णिक्खममाणे सूरिए णवं संवच्छरं अयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि अभितराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ 3 / ता Page #254 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमञ्चन्द्रप्रज्ञप्तिमूत्रं :: प्रा० 1 : प्रा० प्रा० 6 ] [ 227 जया णं सूरिए अभितराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं दो जोयणाई अडयालीसं च एगद्विभागे जोयणस्स एगेणं राइदिएणं विकंपइत्ता 2 चारं चरइ तया णं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणे, दुवालसमुहुत्ता राई भवइ दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहि अहिया 4 / से णिक्खममाणे सूरिए दोच्चंसि अहोरसि अभितरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ 5 / ता जया णं सूरिए अभितरं तच्चं मंडलं उपसंकमित्ता चारं चरइ तया णं पंच जोयणाई पणतीसं च एगद्विभागे जोयणस्स दोहिं राइदिएहिं विकंपइत्ता चारं चरइ तया णं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भाइ चउहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणे, दुवालसमुहुत्ता राई भवइ चउहि एगद्विभागमुहुत्तेहिं अहिया 6 / एवं खलु एएणं उवाएणं णिक्खममाणे सूरिए तयाणंतरायो मंडलायो तयाणंतरं मंडलं संकममाणे 2 दो जोयणाई अडयालीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगं मंडलं एगमेगेणं राई दिएहिं विकंपमाणे 2 सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ 7 / ता जया णं सूरिए सव्वन्भंतरायो मंडलायो सव्ववाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चार चरइ तया णं सबभंतरं मंडलं पणिहाय एगेणं तेसीएणं राइदियसएणं पंचदसुत्तरजोयणसए विकंपइत्ता चारं चरइ तया णं उत्तमकटुपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ, जहराणए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ 8 / एस णं पढमे छम्मासे, एस णं पढमस्स छम्मासस्स पजवसाणे 1 / से पविसमाणे सूरिए दोच्चं छम्मासं अयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि बाहिराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ 10 / ता जया णं सूरिए बाहिराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं दो जोयणाई अडयालीसं च एगढिमागे जोयणस्स एगेणं राइदिएणं विकंपइत्ता चारं चरइ तया णं अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ, दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणा, दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिए 11 / से पवि Page #255 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 228 ] / श्रीमदागमसुधासिन्धुः : सप्तमो विभागः समाणे सूरिए दोच्चंसि अहोरत्तंसि बाहिरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ 12 / ता जया णं सूरिए बाहिरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं पंचनोयणाई पणतीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स दोहिं राइदिएहिं विकंपइत्ता 2 चारं चरइ तया णं अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ चाहिं एगट्टिभागमुहुत्तेहिं ऊणा, दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ चाहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिए 13 / एवं खलु एएणं उवाएणं पविसमाणे सूरिए तयाणंतरायो मंडलायो तयाणंतरं मंडलं संकममाणे 2 दो जोयणाई अडयालीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगं मंडलं एगमेगेणं राइदिएणं विकंपमाणे 2 सव्वभंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ 14 / ता जया णं सूरिए सव्ववाहिरात्रो मंडलायो सव्वभंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं सम्बबाहिरं मंडलं पणिहाय एगेणं तेसीएणं राइंदियसएणं पंचदसुत्तरे जोयणसए विकंपइत्ता चारं चरइ, तया णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहरिणया दुवालसमुहुत्ता राई भवंइ 15 / एस णं दोच्चे छम्मासे, एस णं दोचस्स छम्मासस्स पजवसाणे, एस णं श्राइच्चे संवच्छरे, एस णं बाइचस्स संवच्छरस्स पन्जवसाणे 16 // सूत्रं 18 // छ8 पाहुडपाहुडं॥ // इति प्रथमप्राभृते षष्ट प्राभृनप्राभृतम् // 1-6 // // अथ प्रथमप्राभते सप्तमं प्राभूतप्रामृतम् // ता कहं ते मंडलसंठिई बाहितेति वदेजा ? तत्थ खलु इमायो अट्ठ पडिवत्तीयो पराणत्ताश्रो, तंजहा-तत्थेगे एवमाहंसु-ता सव्वावि णं मंडलावता समचउरंस-संगणसंठिया पराणत्ता, एगे एवमाहंसु 1, एगे पुण एवमाहंसु-ता सबावि णं मंडलावता विसमचउरंस-संठाणसंठिया पराणत्ता, एगे एवमाहंसु 2, एगे पुण एवमाहंसु-ता सव्वावि णं मंडलावता समचउ Page #256 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमच्चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्रं : प्रा० 1 :: प्रा० प्रा० 8 1 . [ 220 कोणसंठिया पराणत्ता, एगे एवमाहंसु 3, एगे पुण एवमाहंसु-ता सवावि णं मंडलावता विसमचउकोगासंठिया परागात्ता, एगे एवमाहंसु 4, एगे पुण एवमाहंसु-ना सव्वावि णं मंडलावता समचकवालसंठिया पराणत्ता, एगे एवमाहंसु 5, एगे पुण एवमाहंसु-ता सव्वावि णं मंडलावता विसमचकवालसंठिया पराणत्ता, एगे एवमाहंसु 6, एगे पुण एवमाहंसुता सम्बावि णं मंडलावता चक्कद्धचकवालसंठिया पराणत्ता, एगे एवमाहंसु 7, एगे पुण एवमाहंसु-ता सव्वावि णं मंडलावता छत्तागारसंठिया पराणत्ता, एगे एंवमाहंसु 8, 1 / तत्थ जे ते एवमाहंसु-ता सव्वाविणं मंडलावता छत्तागारसंठिया पराणत्ता, एएणं णएणं णायव्वं, णो चेव णं इयरेहिं 2 ॥सूत्रं 11 // पढमस्स पाहुडस्स सत्तमं पाहुड पाहुडं समत्तं // 1-7 // // अथ प्रथमप्राभृते अष्टमं प्राभृतप्राभृतम् // ता सव्वा वि णं मंडलवया केवइयं बाहल्लेणं केवइयं पायामविक्खंभेणं, केवइयं परिक्खेवेणं त्राहियाति वदेज्जा ? तत्थ खलु इमा तिरिण पडिवत्तीश्रो पराणत्तायो, जहा-तत्थेगे एवमाहंसु-ता सव्वावि णं मंडलवया जोयणं वाहल्लेणं एगं जोयणसहस्सं एगं तेत्तीसं जोयणसयं यायामविक्खंभेणं, तिरिण जोयणसहस्साई तिरिण य णवणउई जोयणसते परिक्खेवेणं पराणत्ता, एगे एवमाहंसु 1, एगे पुण एवमाहंसु-ता सव्वा वि णं मंडलवया जोयणं बाहल्लेणं, एगं जोयणसहस्सं एगं च चउत्तीसं जोयणसयं पायामविक्खंभेणं तिरिण जोयणसहस्साई चत्तारि बिउत्तराई जोयणसयाई परिक्खेवेणं पराणत्ता, एगे एवमाहंसु 2, एगे पुण एवमाहंसुता सव्वा वि णं मंडलवया जोयणं बाहल्लेणं, एगं जोयणसहस्सं एगं च पणतीसं जोयणसयं पायामविखंभेणं, तिगिण जोयणसहस्साई चत्तारि पंचुत्तराई जोयणसयाई परिवखेवेणं पराणत्ता, एगे एवमाहंसु 3, 1 / Page #257 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 230 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः वयं पुण एवं वयामो-ता सव्वावि णं मंडलवया घडयालीसं एगट्ठिभागे जोयणस्म बाहल्लेणं अगियया अायामविक्खंभपरिक्खेवेणं श्राहियाति वदेजा 2 / तत्थ णं को हेऊ ? ति वदेजा ? ता अयगणं जंबुद्दीवे दीवे जाव परिक्खेवेणं ता जया णं सुरिए सबभंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं सा मंडलवया अडयालीसं एगट्ठिभागे जोयणस्स बाहल्लेणं, णवणउइजोयणसहस्साई छच्च चत्ताले जोयणसयाई थायामविक्खंभेणं, तिरिण जोयणसयसहस्साई पराणरसजोयणसहस्साई. एगणणउई जोयणाई किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं, तया णं उत्तमकट्टपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहरिणया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ 3 / से णिक्खममाणे सूरिए णवं संवच्छरं अयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि अभितराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ 4 / ता जया णं सूरिए अभितराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं सा मंडलवया अडयालीसं एगट्ठिभागा जोयणस्स बाहल्लेणं, णवणवई जोयणसहस्साइं छच्च पणयाले जोयणसते पणतीसं च एगद्विभागे जोयणस्स थायामविक्खंभेणं, तिगिण जोयणसयसहस्साई पराणरसं च सहस्साई एगं सत्तुत्तरं जोयणसयं किंचि विसेसूणं परिक्खेवेणं तया णं दिवसरातिप्पमाणं तहेव (तया णं अट्ठारसमुहुने दिवसे भवइ दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणे, दुवालसमुहुत्ता राई भवइ दोहिं एगद्विभागमुहत्तेहिं अहिया) 5 / से निक्खममाणे सूरिए दोच्चंसि अहोरसि अभितरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ 6 / ता जया णं सूरिए अभितरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं सा मंडलवया अडयालीसं एगद्विभागा जोयणस्स बाहल्लेणं, णवणवइजोयणसहस्साई छच्च एकावन्ने जोयणसते णव य एगट्ठिभागा जोयणस्स अायामविक्खंभेणं, तिरिण जोयणसयसहस्साई पराणरस य सहस्साई एगं च पणवीसं जोयणसयं परिक्खेवेणं पराणत्ता, तया णं दिवस Page #258 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमच्चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्रं :: प्रा० 1 :: प्रा० प्रा० 8 ] [ 231 राई तहेव (तया णं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ चरहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहि ऊणे, दुवालसमुहुत्ता राई भाइ चाहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिया) 7 / एवं खलु पएणं उवाएणं निक्खममाणे सूरिए तयाणंतरायो मंडलायो तयाणंतरं मंडलं उवसंकममाणे 2 पंच 2 जोयणाई पणतीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगे मंडले विक्खंभवुद्धिं अभिवड्ढमाणे 2 अट्ठारस 2 जोय. णाइं परिरयबुढि अभिवड्ढे माणे 2 सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ 8 / ता जया णं सूरिए सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं सा मंडलवया अडयालीसं एगट्ठिभागा जोयणस्स बाहल्लेणं एगं च जोयणसयसहस्सं छच्चसद्धे जोयणसते यायामविक्खंभेणं, तिरिण जोयएसयसहस्साई अटारससहस्साई तिरिए य एण्णरमुत्तरे जोयासते परिक्खेवेणं, तया णं उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ, जहरणए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ 1 / एस णं पढमे छम्मासे, एस णं पढमस्स छम्मासस्स पजवसाणे 10 / से पविसमाणे सूरिए दोच्चं छम्मासं श्रयमाणे पढमंप्ति अहोरत्तंसि बाहिराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ 11 / ता जया णं सूरिए बाहिराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं सा मंडलवया अंडयालीसं एगट्ठिभागा जोयणस्स बाहल्लेणं, एगं जोयणसयसहस्सं छच चउप्पराणे जोयणसयाई छव्वीसं च एगट्ठिभागा जोयणस्स पायामविक्खंभेणं, तिरिण जोयणसयसहस्लाइं अट्ठारमसहस्साई दोरिण य सत्ताणउए जोयणसयाइं परिक्खेवेणं पराणत्ते तता णं राईदियं तहेव, (तया णं अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणा, दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिए) 12 / से पविसमाणे सूरिए दोच्चंसि अहोरत्तंसि बाहिरं तच्चं मंडलं उबसंकमित्ता चारं चरइ 13 / ता जया णं सूरिए बाहिरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं सा मंडलवया अडयालीसं एगट्ठिभागा जोयणस्स बाहल्लेणं, एगं जोयण Page #259 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 232 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभाग सयसहस्सं छच्च अडयाले जोयणसते बावराणं च एगट्ठिभागा जोयणस्स थायामविखंभेणं, तिरिण जोयणसयसहस्साइं अट्ठारससहस्साई दोगिण च एगणासीते जोयणसते परिक्खेवेणं पराणत्ते, दिवसराई तहेव, (तया णं अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ चउहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणा, दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ चाहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिए) 14 / एवं खलु एएणं उवाएणं पविसमाणे सूरिए तयाणंतरायो मंडलायो तयाणंतरं मंडलं संकममाणे 2 पंच 2 जोयणाई पणतीसं च एगडिभागे जोयणस्स एगमेगे मंडले विक्खंभवुढि निव्वुड्ढ माणे 2 अट्ठारसजोयणाई परिरयबुढि णिबुड्ढे. माणे 2 सबभतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ 15 / ता जया णं सूरिए सव्वभंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं सा मंडलवया अडयालीसं एगट्ठिभागा जोयणरस बाहल्लेणं, णवणवई जोयणसहस्साई छच्च चत्ताले जोयणसते आयामविवखंभेणं, तिरिण जोयण. सयसहस्साई पराणरससहस्साइं अउणाणउई च जोयणाई किंचिविसेसाहि. याई परिक्खेवेणं पराणत्ते, तया णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहरिणया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ 16 / एस णं दोच्चे छम्मासे, एस णं दोबस्स छम्मासस्स पजवसाणे, एस णं श्राइच्चे संवच्छरे, एस णं ग्राइचस्स संवच्छरस्स पजवसाणे 17 ।ता सव्वा वि णं मंडलवया अडयालीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स बाहल्लेणं, सव्वा वि णं मंडलंतरिया दो जोयणाई विखंभेणं, एस णं श्रद्धा तेसीयसतपडुप्पराणे (एगे तेयासीई जोयणसए सपडिपुराणा) पंचदसुत्तरे जोयणसते अाहितेति वदेजा 18 / ता अभितरात्रो मंडलवयायो बाहिरं मंडलवयं बाहिरायो वा मंडलवयायो अभितरं मंडलवयं एस णं श्रद्धा केवतियं श्राहिताति वदेजा ? ता पंचसुत्तर-जोयणसते अाहिताति वदेजा 11 / श्रभितराते मंडलवताते बाहिरा मंडलवया एस णं श्रद्धा केवतियं श्राहिताति वदेजा ? ता Page #260 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमच्चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्रं :: प्रा० 2 : प्रा० प्रा० ? | [ 23 पंचदसुत्तरे जोयणसये अडयालीसं च एगमद्विभागे जोयणस्स अहिया 20 / ता अभितरायो मंडलवयायो बाहिरमंडलवया बाहिरायो मंडलवयात्रो अभितरा मंडलवया, एस णं श्रद्धा केवतियं श्राहिताति वदेजा ? ता पंचनवुत्तरे जोयणसते तेरस एगट्ठिभागे जोयणस्स अाहितेति वदेज्जा 21 / अभितरायो मंडलवयायो बाहिरा मंडलवया बाहिराए मंडलवयाए अभितरमंडलवया, एम णं श्रद्धा केवइया अाहितेति वदेजा ?, ता पंचदसुत्तरे जोयणसये अाहितेति वदेजा 22 // सू० 20 // श्रट्ठम पाहुडपाहुडं पढमं पाहुडं समत्तं // 1 // // इति प्रथमप्राभृते अष्टमं प्राभृतमामृतम् // 1-8 // इति प्रथमं प्राभृतम् // 1 // // अथ द्वितीयप्राभृते प्रथमं प्राभतप्राभतम् // ता कहं ते तेरिच्छगई अाहितेति वएजा ? तत्थ खलु इमायो श्रह पडिवत्तीश्रो पराणत्तायो, तंजहा-तत्थेगे एवमाहंसु-ता पुरत्थिमातो लोयंतातो पायो मरीची पागासंसि उट्टे इ, से णं इमं लोयं तिरियं करेइ, करित्ता पचत्थिमंसि लोयंतसि सायं सूरिए श्रागासंसि विद्धंसइ एगे एवमाहंसु 1, एगे पुण एवमाहंमु-ता पुरस्थिमायो लोयतात्रो पात्रो सूरिए भागासंसि उठेइ से णं इमं लोयं तिरियं करेइ, करित्ता पचत्थिमंसि लोयंतंसि सायं सूरिए भागासंसि विद्धंसइ, एगे एवमाहंसु 2, एगे पुण एवमाहेसु-ता पुरस्थिमानो लोयंतायो पायो सूरिए अागासंसि उत्तिट्टइ, से णं इमं लोयं तिरियं करेइ, करित्ता पचत्थिमंसि लोयंतंसि सायं सूरिए अागासं अणुपविसइ 2 अहे पडियागच्छइ 2 पुणरवि अवरभूपुरस्थिमायो लोयंताश्रो पात्रो सूरिए पागासंसि उत्तिटुइ, एगे एवमाहंसु 3, एगे पुण एवमाहंसु-ता पुरस्थिमायो लोयंतायो पात्रो सूरिए पुढवित्रो उत्तिट्टइ, से णं इमं लोयं तिरियं करेइ, करित्ता पञ्चस्थिमिल्लंसि लोयंतसि सायं सूरिए पुढवि Page #261 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 234 ) / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभाग कायंसि विद्धंसइ, एगे एवमाहंसु 4, एगे पुण एवमाहंसु-ता पुरस्थिमायो लोयं तायो पायो सूरिए पुढविश्रो उत्तिटुइ, से णं इमं तिरियं लोयं करेइ करित्ता पचत्थिमंसि लोयंतसि सायं सूरिए पुढविकायं अणुपविसइ 2 अहे पडियागच्छइ 2 पुणरवि अवरभूपुरस्थिमायो लोयंताश्रो पात्रो सूरिए पुढवियो उत्तिट्टइ, एगे एवमाहंसु 5, एगे पुण एवमाहंसु ता पुरस्थिमिल्लायो लोयंतायो पात्रो सूरिए बाउकायंसि उत्तिट्टइ, से णं इमं लोयं तिरियं करेइ 2 पचत्थिमंसि लोयंतंसि सायं सूरिए श्राउकार्यसि विद्धंसइ एगे एवमाहंसु 6, एगे पुण एवमाहंसु-ता पुरथिमायो लोयंतायो पायो सूरिए पाउयो उत्तिट्टइ, से णं इमं तिरियं लोयं करेइ 2 पचत्थिमंसि लोयतंसि सायं सूरिए बाउकायंसि पविसइ 2 अहे पडियागच्छइ 2 पुणरवि अवरभूपुरस्थिमायो लोयंतायो पायो सूरिए पाउयो उत्तिट्टइ, एगे एवमाहंसु 7, एगे पुण एवमाहंसु-ता पुरथिमायो लोयंतायो बहूई जोयणाई, बहुई जोयणसयाई, बहूई जोयणसहस्साई, उड दूरं उप्पइत्ता एत्थ णं पायो सूरिए श्रागासंसि उत्तिट्ठइ, से णं इम दाहिणड लोयं तिरियं करेइ, करित्ता उत्तरड्डलोयं तमेव रात्रो, से णं इमं उत्तरडलोयं तिरियं करेइ, करित्ता दाहिणड्डलोयं तमेव रायो, से णं इमाइं दाहिणउत्तरडलोयाइं तिरियं करेइ करित्ता पुरत्थिमाश्रो लोयंतायो बहूई जोयणाई बहूई जोयणसयाई, बहूई जोयणसहस्साई उ8 दूरं उप्पइत्ता एत्थ णं पायो सूरिए अागासंसि उत्तिट्टइ, एगे एवमाहंसु 8, 1 / वयं पुण एवं वयामो-ता जंबद्दीवस्स दीवस्स पाईणपडीणायय-उदीणदाहिणाययाए जीवाए मंडलं चउव्वीसेणं सएणं छेत्ता दाहिणपुरस्थिमंसि उत्तरपचत्थिमंसि य चउभागमंडलंसि इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिजाश्रो भूमिभागायो अट्टजोयणसयाई उट्ठ उप्पइत्ता एत्थ णं पायो दुवे सूरिया भागासायो उत्तिट्ठति 2 / ते णं इमाई दाहिणुत्तराई जंबूद्दीव Page #262 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमच्चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्रं : प्रा० 2: प्रा० प्रा० 2) [ 235 भागाइं तिरियं करेंति ता पुरथिमपञ्चत्थिमाइं जंबूद्दीवभागाइं मामेव रायो, ते णं इमाई पुरस्थिमपञ्चस्थिमाई जंबूद्दीवभागाइं तिरियं करेंति त्ता दाहिणुतराई जंबूद्दीवभामाई तमेव रायो 3 / ते णं इमाई दाहिणुत्तराई पुरस्थिमपञ्चत्थिमाइं जंबुद्दीवभागाइं तिरियं करेंति त्ता जंबूद्दीवरस दीवस्स पाईणपडिणायय-उदीणदाहिणाययाए जीवाए मंडलं चउव्वीसेणं सएणं छेत्ता दाहिणपुर. थिमिल्लंसि उत्तरपञ्चस्थिमिल्लसि य चउब्भागमंडलंसि इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिज्जायो भूमिभागायो अट्ठजोयणसयाई उट्ठ उप्पइत्ता, एस्थ णं पायो दुवे सूरिया भागासंसि उत्तिट्ठांति 4 ॥सूत्रं 21 // बितियस्स पढमं / / // इति द्वितीयमाभूते प्रथम प्राभृतप्राभृतम् / / 2-1 // / अथ द्वितीयप्राभृत द्वितीयं प्राभूतप्राभतम् / / ___ता कहं ते मंडलायो मंडलं संकममाणे 2 सूरिए चारं चरइ श्राहिएति वएजा ? तत्थ खलु इमायो दुवे पडिवत्तीयो पराणत्तायो, तंजहा-तत्थेगे एवमाहंसु-ता मंडलायो मंडलं संकममाणे 2 सूरिए भेयघाएणं संकामइ, एगे एवमाहंसु 1, एगे पुण एवमाहंसु-ता मंडलायो मंडलं संकममाणे सूरिए कराणकलं निवेढेइ, एगे एवमाहंसु 2, 1 / तत्थ णं जे ते एवमाहंसु-ता मंडलायो मंडलं संकममाणे 2 सूरिए भेयघाएणं संकामइ, तेसि णं अयं दोसे-ता जेणंतरेणं मंडलायो मंडलं संकममाणे 2 सूरिए भेयघाएणं संकमइ एवइयं च णं श्रद्धं पुरो न गच्छइ, पुरो, पुरतो अगच्छमाणे मंडलकालं परिहवेइ, तेसि णं श्रयं दोसे 1, तत्थ णं जे ते एवमाहंसु-ता मंडलायो मंडलं संकममाणे सूरिए कराणकलं णिव्वेढेइ, तेसि णं अयं विसेसे-ता जेणंतरेणं मंडलायो मंडलं संकममाणे सूरिए कराणकलं णिव्वेढेइ, तेसि णं अयं विसेसे-ता जेणंतरेणं मंडलायो मंडलं संक्रममाणे सूरिए कराणकलं निव्वेदेति, एवइयं च Page #263 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 236 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः णं श्रद्धं पुरो गच्छइ, पुरयो गच्छमाणे मंडलकालं ण परिहवेइ, तेसि णं अयं विसेसे 2, तत्थ जे ते एवमाहंसु-मंडलायो मंडलं संकममाणे सूरिए कराणकलं णिव्वेढेइ, एएणं णएणं णेयव्वं णो चेव णं इयरेणं // सूत्रं 22 // वितियस्स पाहुडस्स बितियं // 2-2 // // अथ द्वितीयप्राभृते तृतीयं प्राभृतप्राभृतम् // ता केवइयं ते खेत्तं सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छइ ? अाहितेति वएजा ? तत्थ खलु इमायो चत्तारि पडिवत्तीयो पराणत्ताओ, तंजहा-तत्थ एगे एवमाहंसु-ता छ छ जोयणसहस्साई मूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छइ, एगे एवमाहंसु 1, एगे पुण एवमाहंसु-ता पंच पंच जोयणसहस्साई सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छइ, एगे एवमाहंसु 2, एगे पुण एवमाहंसु-ता चत्तारि चत्तारि जोयणसहस्साई सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छइ, एगे एवमाहंसु 3, एगे पुण एवमाहंसु-ता छवि पंचवि चत्तारि वि जोयणसहस्साई सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छइ एगे एवमाहंसु 4, 1 / तत्थ णं जे ते एवमाहंसु-ता छ छ जोयणसहस्साई सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छइ, ते एवमाहंसु-ता जया णं सूरिए सव्वभंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं उत्तमकट्ठपत्ते उकोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहरिणया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ, तंसि च णं दिवसंसि एगं जोयणसय सहस्सं अट्ठ य जोयणसहस्साई तावक्खेत्ते पराणत्ते 2 / ता जया णं सूरिए सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं उत्तमकट्ठपत्ता उक्को. सिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ, जहन्नए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ, तंसि च णं दिवसंसि बावत्तरि जोयणसहस्साई तावक्खेत्ते पराणत्ते तया णं छ छ जोयणसहस्साइं सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छइ 1, 3 / तस्थ णं जे ते एवमाहंसु-ता पंच पंच जोयणसहस्साई सूरिए एगमेगणं मुहुत्तेणं गच्छइ Page #264 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमच्चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्रं : प्रा० 2 : प्रा० प्रा० 3 ] [ 237 ते एवमाहंसु-ता जया णं सूरिए सबभतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं उत्तमकट्टपत्ते उकोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहरिणया दुवालसमुहुता राई भवइ तंसि च णं दिवसंसि नउइजोयणसहस्साई तारक्खेते पराणत्ते 4 / जया णं सव्वबाहिरं मंडलं उपसंकमित्ता चारं चरइ तया णं उत्तमकट्ठपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ, जहराणए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ तसि च णं दिवसंसि सढि जोयणसहस्साई तावक्खेत्ते पराणत्ते तया णं पंच पंच जोयणसहस्साइं सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छइ 2, 5 / तत्थ णं जं ते एवमाहंसु-चत्तारि चत्तारि जोयणसहस्साई सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेण गच्छइ ते एवमाहंसु-ता जया णं सूरिए सव्वभंतरं मंडलं उत्रसंकमित्ता चार चरइ तया णं दिवस-राई तहेव, तंसि च णं दिवसंसि बावत्तरि जोयणसहस्साई तावक्खेत्ते पराणात्ते 6 / ता जया णं सूरिए सम्बबाहिरं मंडलं उपसंकमित्ता चारं चरइ तया णं राइदिवं तहेव, तंसि च णं दिवसंसि अडयालीसं जोयणसहस्साई तावक्खेत्ते पराणत्ते, तया णं चत्तारि 2 जोयणसहस्साइं सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छइ 3,7 / तत्थ णं जे ते एवमाहंसु छवि पंचवि चत्तारि वि जोयणसहस्साई सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छइ ते एवमाहंसु-ता सूरिए | उग्गमणमुहुत्तंसि य अत्थमणमुहुत्तंसि य सिग्धगई भवइ क्या णं छ छ जोयणसहस्साइ एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छइ, मज्झिमं तावक्खेत्तं समासाएमाणे 2 सूरिए मज्झिमगई भवइ तया णं पंच 2 जोयणसहस्साई एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छइ, मज्झिमं तावक्खेत्तं संपत्ते सूरिए मंदगई भवइ तया णं चत्तारि 2 जोयणसहस्साई एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छड़, तत्थ को हेऊ ति वएजा ? ता श्रयराणं जंबुद्दीवे दीवे जाव परिक्खेवेणं पराणत्ते 8 / ता जया णं सूरिए सव्वभंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं घरइ तया णं उत्तमकट्ठपत्ते उकोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहरिणया दुवालसमुहुत्ता-राई Page #265 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पमहत्तणं गच्छच जायण अयं गणं 238 ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः // सप्तमो विभागा भाइ (दिवसराई तहेव), तंसि च णं दिवसंसि एकाणउइ-जोयणसहस्साई तावक्खेत्ते पराणत्ते 1 / ता जया णं सूरिए सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं उत्तमकट्ठपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ, जहराणए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ (राइंदियं तहेव), तंसि च णं दिवसंसि एगट्ठिजोयणसहस्साइं तावक्खेत्ते पराणत्ते तया णं छ वि पंच वि चत्तारि वि जोयणसहस्साई सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छइ, एगे एवमाहंसु 4, 10 / वयं पुण एवं वयामो-ता साइरेगाई पंच पंच जोयणसहस्साई सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छइ तत्थ को हेऊ ति वएजा ? ता अयं णं जंबुद्दीवे दीवे जाव परिक्खेवण पराणत्ते 11 / ता जया णं सूरिए सव्वभंतरं मंडलं उवसंकामेत्ता चारं चरइ तया णं पंच पंच जोयणसहरसाई दोरिण य एकावराणे जोयणसयाई एगूणतीसं च सहिभागे जोयणस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छइ, तया णं इहगयस्स मणुसस्स सीयालीसाए जोयणसहस्सेहिं, दोहि य तेवट्ठोहिं जोयणसएहिं, एक्कवीसाए य सट्ठिभागेहिं जोयणस्स सूरिए चक्षुप्फासं हव्यमागच्छइ तया णं उत्तमकट्ठपत्ते उवकोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहरिणया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ, (दिवसराई तहेव) 12 / से निक्खममाणे सूरिए णवं संवच्छरं अयमाणे पढमंसि अहोरतंसि अभितराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ 13 / ता जया णं सूरिए अभितराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं पंच पंच जोयणसहस्साई दोरिण य एकावराणे जोयणसते सीयालीसं च सट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छइ तया णं इह गयस्स मस्सस्स सीयालीसाए जोयणसहस्सेहिं श्रउणासीए य जोयणसए ण सत्तावरणाए य सट्ठिभागेहिं जोयणस्स, सट्ठिभागं च एगट्टिहा छेत्ता एगूणवीसाए चुगिणयाभागेहिं सूरिए चक्खुप्फासं हव्वमागच्छइ, तया णं उत्तमकट्टपत्ते अट्ठारस मुहुत्ते दिवसे भवइ दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं हीणे, दुवालसमुहुत्ता राई भवति चरहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिया Page #266 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमच्चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्रं :: प्रा० 2 :: प्रा० प्रा० 3] __ [ 236 (दिवसराई तहेव) 14 / से निक्खममाणे सरिए दोच्चंसि अहोरसि अभितरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ 15 / ता जया णं सूरिए अभितरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं पंच 2 जोयणसहस्साई दोगिण य बावराणे जोयणसते पंच य सट्ठिभाए जोयणस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छइ तया णं इह. गयस्स माणुसस्स सीयालीसाए जोयणसहस्सेहिं छराणउईए य जोयणेहिं तेत्तीसाए य सहिभागेहिं जोयणस्स सहिभागं च एगसट्टिहा छेत्ता दोहिं चुरिणयाभागेहिं सूरिए चक्खुप्फासं हव्वमागच्छइ, तया णं अट्ठारस मुहुत्ते दिवसे भवइ, चउहिं एगसट्ठिभागहुत्तेहिं हीणे, दुवालसमुहुत्ता राई भवइ चउहिं एगसट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिया (दिवसराई तहेव) 16 / एवं खलु एएणं उवाएणं णिक्खममाणे सूरिए तयाणंतरायो तयाणंतरं मंडलायो मंडलं संकममाणे 2 अट्ठारस 2 सट्ठिभागे जोयणरस एगमेगे मंडले मुहुत्तगई अभिवुड्ढेमाणे 2 चुलसीइं 2 सताई जोयणाई पुरिसच्छायं णिव्वुड्ढेमाणे 2 सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ 17 / ता जया णं सूरिए सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं पंच 2 जोयणसहस्साई तिनि य पंचुत्तरे जोयणसते पराणरस य सट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छइ, तया णं इहगयस्स मणूसस्स एक्कतीसाए जोयणसहस्सेहि अट्टहिं एक्कतीसेहिं जोयणसएहिं तीसाए य सट्ठिभागेहिं जोयणस्स सूरिए चक्खुप्फासं हव्वमागच्छइ तया णं उत्तमकट्ठपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ, जहराणए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ 18 / एस णं पढने छम्मासे, एस णं पढमस्स छम्मासस्स पजवसाणे 11 / से पविसमाणे सूरिए दोच्चं छम्मासं श्रयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि बाहिराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ 20 / ता जया णं सूरिए बाहिराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं पंच 2 जोयणसहस्साइं तिरिण य चउरुत्तरे जोयणसते सत्तावरणं च सद्विभाए जोयणस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छइ, Page #267 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 240 / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः तया णं इहगयस्स मणूसस्स एक्कतीसाए जोयणसहस्सेहिं नवहि य सोलसुत्तरेहि जोयणसएहिं एगूण चत्तालीसाए सट्ठिभागेहिं जोयणस्स, सट्ठिभागं च एगट्ठिहा छेत्ता सट्ठीए चुरिणयाभागेहिं सुरिए चक्खुप्फासं हव्वमागच्छइ तया णं अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ दोहिं एगसट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणा, दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ दोहिं एगसट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिए (राइदियं तहेव) 21 / से पविसमाणे सूरिए दोच्चंसि अहोरत्तैसि बाहिरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ 22 / ता जया णं सूरिए बाहिरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं पंच 2 जोयणसहस्साई तिन्नि य चउरुत्तरे जोयणसते. ऊतालीसं च सहिभागे जोयणस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छइ तया णं इहगयस्स मणूसस्स एगाहिएहिं बत्तीसाए जोयणसहस्सेहिं एगणपण्णाए य सट्ठिभागेहिं जोयणस्स, सट्ठिभागं च एगट्टिहा छेत्ता तेवीसाए चुरिणयाभागेहिं सूरिए चक्खुप्फासं हव्वमागच्छइ तया णं अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ चउहिं एगसट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणा, दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ चाहिं एगसटिभागमुहुत्तेहिं अहिए (राइदियं तहेव) 23 / एवं खलु एएणं उवाएणं पविसमाणे सूरिए तयाणंतरायो तयाणंतरं मंडलायो मंडलं संकममाणे संकममाणे अट्ठारस 2 सट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगे मंडले मुहुत्तगई णिव्वुड्डमाणे 2 साइरेगाई पंचासीइं 2 जोयणाई पुरिसच्छायं अभिवुड्डेमाणे 2 सज्वन्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ 24 / ता जया णं सूरिए सबभंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं पंच 2 जोयणसहस्साइं दोगिण य एकावराणे जोयणसते एगणतीसं च सट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छइ तया णं इहगयस्स मणूसस्स सीयालीसाए जोयणसहस्सेहिं दोहि य तेवट्ठोहिं जोयणसएहि य एक्कवीसाए य सद्विभागेहिं जोयणस्स सूरिए चखुफासं हबमागच्छइ तया णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, Page #268 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ 241 श्रीमच्चंद्रप्रज्ञप्तिसूत्रं : प्रा० 3 ] जहरिणया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ 25 / एस णं दोच्चे छम्मासे, एस णं दोचस्स छम्मासस्स पजवसाणे, एस णं श्राइच्चे संवच्छरे, एस णं श्राइचसंवच्छरस्स पजवसाणे 26 // सूत्रं 23 // बितियं पाहुडं समत्तं / / .. // इति द्वितीयप्राभूते तृतीयं प्राभतप्राभूतम् // 2-3 // - // इति वितीयं प्राभृतम् // 2 // . // अथ तृतीयं प्राभूतम् // ता केवइयं खेत्तं चंदिमसूरिया श्रोभासेंति उज्जोवेति तवेंति पगासेंति अाहितेति वएजा ? तत्थ खलु इमाश्रो बारसपडिवत्तीयो पन्नत्तायो, तं जहा-तत्थेगे एवमाहंसु-ता एगं दीवं एगं समुह चंदिमसूरिया श्रोभासेंति उज्जोवेंति तवेंति पगासेंति एगे एवमाहंसु 1, एगे पुण एवमाहंसु-ता तिगिण दीवे तिरिण समुद्दे चंदिमसूरिया श्रोभासेंति 4 एगे एवमाहंसु 2, एगे पुण एवमाहंसु-ता श्रद्धचउत्थे (बाहुट्ठ) दीवेश्रद्धचउत्थे समुद्दे चंदिमसूरिया श्रोभासेंति 4, एगे एवमाहंसु 3, एगे पुण एवमाहंसु-ता सत्तदीवे सत्त समुद्दे चंदिमसूरिया श्रोभासेंति 4, एगे एवमाहंसु 4, एगे पुण एवमाहंसु-ता दसदीवे दससमुद्दे चंदिमसूरिया श्रोभासेंति 4, एगे एवमाहंसु 5, एगे पुण एवमाहंसु-ता बारस दीवे वारससमुद्दे चंदिमसूरिया श्रोभासेंति 4, एगे एवमाहंसु 6, एगे पुण एवमाहंसु-ता बयालीसं दीवे बायालीसं समुद्दे चंदिमसूरिया श्रोभासेंति 4, एगे एवमाहंसु 7, एगे पुण एवमाहंसु-ता बावत्तरिंदीवे बावत्तरि समुद्दे चंदिमसूरिया श्रोभासेंति 4, एगे एवमाहंसु 8, एगे पुण एवमाहंसु-ता बायालीसं दीवसयं बायालीसं समुद्दसयं चंदिमसूरिया श्रोभासेंति 4, एगे एवमाहंसु 1, एगे पुण एवमाहंसु-ता बावत्तरिं दीवसयं बावत्तरि समुद्दसयं चंदिमसूरिया श्रोभासेंति 4, एगे एवमासु 10, एगे Page #269 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 242 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः पुण एवमाहंसु-ता बायालीसं दीवसहस्सं बायालीसं समुद्दसहस्सं चंदिमसूरिया श्रोभासेंति 4, एगे एवमाहंसु 11, एगे पुण एवमाहंसुता बावत्तरं दीवसहस्सं बावत्तरं समुद्दसहस्सं चंदिमसूरिया श्रोभासेंति उज्जोवेति तवेंति पगासेंति, एगे एवमाहंसु 12, 1 / वयं पुण एवं वयामोता श्रयं णं जंबुद्दीवे दीवे सव्वद्दीवसमुद्दाणं जाव परिक्खेवेणं पराणत्ते 2 / से णं एगाए जगईए सव्वश्रो समंता संपरिक्खित्ते 3 / सा णं जगई अट्ठजोयणाई उट्ठ उच्चत्तेणं पराणत्ता एवं जहा जंबुद्दीवपण्णत्तीए जाव एवामेव सपुब्वावरेणं जंबुद्दीवे दीवे चोदस सलिलासयसहस्सा, छप्पराणं च सलिलासहस्सा भवंतीतिमक्खायं 4 / जंबुद्दीवे णं दीवे पंच चक्कभागसंठिता श्राहितात्ति वएजा 5 / ता कहं जंबुद्दीवे दीवे पंचचकभागसंठिए श्राहिएति वएज्जा ? ता जया णं एए दुवे सूरिया सबभंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति तया णं जंबुद्दीवस्स दीवस्स तिरिण पंचचकभागे श्रोभासेंति उज्जोवेति तवेंति पभासेंति, तं जहा-एगे वि सूरिए एगं दिवट्ठ पंचचकभागं श्रोभासेइ उज्जोवेइ तवेइ पगासेइ, एगे वि सूरिए एगं दिवढं पंच चकभागं श्रोभासेइ उज्जोवेइ तवेइ पगासेइ तया णं उत्तमकट्टपत्ते उकोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहरिणया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ 6 / ता जया णं एए दुवे सूरिया सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति तया णं जंबुद्दीवस्स दीवस्स दोगिण पंच चक्कभागे श्रोभासेंति उजोवेंति तति पगासेंति, ता एगे वि सूरिए एगं पंचचकवालभागं श्रोभासेइ उज्जोवेइ तवेइ पगासेइ तया णं उत्तमकट्टपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ, जहराणए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ 7 // सूत्रं २४॥ततियं पाहुडं समत्तं॥३॥ // इति तृतीयं प्राभृतम् // 3 // 00. Page #270 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमच्चंद्रप्रज्ञप्तिसूत्रं : प्रा० 4] [ 243 // अथ चतुर्थ प्रामृतम् // ता कहं ते सेयते संठिई बाहियाति वएना ? तत्थ खलु इमा दुविहा संठिई पराणत्ता, तं जहा-चंदिमसूरियसंठिई य 1 तावक्खेत्तसंठिई य 2,1 / ता कहं ते चंदिमसूरियसंठिई श्राहियाति वएज्जा ? तत्थ खलु इमायो सोलस पडिवत्तीयो पराणत्तायो, तं जहा-तत्थेगे एवमाहंसु ता समचउरंस. संठिया णं चंदिमसूरियसंठिई पराणत्ता, एगे एवमाहंसु 1, एगे पुण एवमाहंसु-ता विसमचउरंससंठिया चंदिमसूरियसंठिई पराणत्ता, एगे एवमाहंसु 2, एवं एएण अभिलावेणं समचउक्कोणसंठिया 3, विसमचउकोणसंठिया 4, समचकगलसंठिया 5, विसमचकवालसंठिया 6, चक्कद्धचकवालसंठिया पराणत्ता, एगे एवमाहंसु 7. एगे पुण एवमाहंसु-ता छत्तागारसंठिया चंदिमसूरिय संठिती पन्नता 8, गेहसंठिया 1, गेहावणसंठिया 10, पासायसंठिया 11, गोपुरसंठिया 12, पेच्छाघरसंठिया 13, वलभीसंठिया 14, हम्मियतलसंठिया 15, वालग्गपोइया संठिया चंदिमसूरियसंठिई पराणत्ता, एगे एवमाहंसु 16, 2 / तत्थ णं जे ते एवमाहंसु-ता समचउरंससंठिया चंदिमसूरियसंठिई पराणत्ता, एएणं णएणं णेयव्वं नोचे णं इयरेहिं 3 / ता कहं ते तावखेत्तसंठिई श्राहियाति वएजा ? तत्थ खलु इमायो सोलस पडिवत्तीयो पराणत्तायो, तं जहा-तत्थ णं एगे एवमाहंसु-ता गेहसंठिया तावक्खेत्तसंठिई पराणत्ता 1, एवं तायो चेव अट्ठ पडिवत्तीयोणेयवायो जाव वालग्गपोइया संठिया तावक्खेत्तसंठिई पराणत्ता, एगे एवमाहंसु 8, एगे पुण एवमाहंसु-ता जस्संठिए जंबुद्दीवे दीवे तस्संठिया तावक्खेत्तसंठिई पराणत्ता, एगे एवमाहंसु 1, एगे पुण एवमाहंसु-ता जस्संठिए भारहे वासे तस्संठिया तावक्खेत्तसंठिई पराणत्ता, एगे एवमाहंसु 10, एवं उजाणसंठिया 11, निजाणसंठिया 12, एगो णिसधसंठिया 13, दुहश्रो णिसह Page #271 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 244 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः संठिया 14, एगे पुण एवमासु-सेयणगसंठिया तावक्खेत्तसंठिई पराणत्ता एगे एवमाहंसु 15, एगे पुण एवमाहंसु-ता सेणगपट्ठसंठिया तावक्खेत्तसंठिई पराणत्ता एगे एमाहंसु 16, 3 / वयं पुण एवं वयामो-ता उद्धीमुहकलंबुया पुप्फसंठिया तावक्खेत्तसंठिई पराणत्ता अंतो संकुडा बाहिं वित्थडा, अंतो वट्टा बाहिं पिधुला, अंतो अंकमुहसंठिया बाहिं सत्थियमुहसंठिया, उभयो पासेणं तीसे दुवे बाहायो अवट्ठियारो भवंति, पणयालीसं पणयालीसं जोयणसहस्साई यायामेणं, तीसे दुवे बाहायो अणवट्टियायो भवंति, तं जहा-सव्वन्भंतरिया चेव बाहा, सम्बबाहिरिया चेव बाहा 4 / तत्थ को हेऊ त्ति वदेजा ? ता अयराणं जंबुद्दीवे दीवे जाव परिक्खेवेणं 5 / ता जया णं सूरिए सयभंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चार चरइ तया णं उद्धीमुहकलंबुयापुष्फसंठिया तावक्खेत्तसंठिई ग्राहियाति वएजा-अंतो संकुडा बाहिं वित्थडा, अंतो वट्ठा बाहिं पिहुला, अंतो अंकमुहसंठिया बाहिं सत्थियमुहसंठिया, दुहयो पासेणं तीसे तहेब जाव सव्वबाहिरिया चेव बाहा 6 / तीसे णं सव्वन्भंतरिया बाहा मंदरपब्वयंतेणं णव जोयणसहस्साई, चत्तारि य छलसीते जोयणसते, णव य दसभागा जोयणस्स परिक्खेवेणं ग्राहिताति वदेजा 7 / ता से णं परिक्खेवविसेसे कत्रो त्राहिएति वएज्जा ? ता जे णं मंदरस्स पव्वयस्स परिवखेवे, तं परिक्खेवं तिहिं गुणित्ता दसहि छित्ता दसहिं भागे हीरमाणे एस णं परिवखेवविसेसे पाहिति वएजा, तीसे णं सव्वबाहिरिया बाहा लवणसमुद्दते णं चउणउई जोयणसहस्साई, अट्ठ य अट्ठसढि जोयणसयाई चत्तारि य दसभागे जोयणस्स परिक्खेवेणं श्राहियाति वएज्जा = | ता से णं परिक्खेवविसेसे कयो श्राहिएति वएजा ? ता जे णं जंबुद्दीवस्स दीवस्स परिक्खेवे, तं परिक्खेवं तिहिं गुणित्ता दसहि छित्ता दसहि भागे हीरमाणे एस णं परिक्खेवविसेसे शाहिएति वएजा 10 / ता से णं तावक्खेत्ते केवइए आयामेणं श्राहिएति Page #272 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमच्चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र :: प्रा० 4 ] [ 245 वएजा ? ता अत्तरि जोयणसहस्साई तिगिण य तेत्तीसे जोयणसते जोयणतिभागे य थायामेणं याहिएति वएज्जा 11 / तया णं कि संठिया अंधगारसंठिई बाहियाति वएजा ? उद्धीमुहकलंबुया पुप्फसंठिया तहेव जाव बाहिरिया चेव बाहा 12 / तीसे णं सव्वभंतरिया बाहा मंदरपव्वयंतेणं छजोयणसहस्साई तिरिण य चउवीसे जोयणसयाई छच्च दस भागे जोयणस्स परिक्खेवणं आहियाति वएजा 13 / तीसे णं परिक्खेवविसेसे को श्राहिएति वएज्जा ? ता जे णं मंदरस्स पव्वयस्स परिक्खेवे, तं परि. क्खेवं दोहिं गुणेत्ता सेसं तहेव 14 / तीसे णं सव्वबाहिरिया बाहा लवणसमुहतेणं तेवट्ठिजोयणसहस्साइं, दोरिण य पणयाले जोयणसते छच्च दसभागा जोयणस्स परिक्खेवेणं ग्राहियाति वएजा 15 / ता से णं परिक्खेवविसेसे कश्रो श्राहिएति वएजा ? ता जे णं जंबुद्दीवस्स दीवस्स परिक्खेवे, तं परिवखेवं दोहिं गुणित्ता दसहि छेत्ता, दसहिं भागे हीरमाणे एस णं परिक्खेवविसेसे पाहिएति वएज्जा 16 / ता से णं अंधयारे केवइए आयामेणं पाहिएति वएजा ? ता अट्टत्तरि जोयणसहस्साई तिरिण य तेत्तीसाइं जोयणसयाई, जोयणतिभागं च आयामेणं श्राहिएति वएज्जा, तया णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहरिणया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ 17 / ता जया णं सूरिए सव्वबाहिरं मंडलं उबसंकमित्ता चारं चरइ तया णं किं संठिया तावक्खेत्तसंठिई श्राहियाति वएजा ? ता उद्धीमुह-कलंबुयापुष्फसंठिया तावक्खेत्तसंठिई श्राहियाति वएजा 18 / एवं जं अभितरमंडले अंधयारसंठिईए पमाणं तं बाहिरमंडले तावखेत्तसंठिईए पमाणं जं तहिं तावक्खेत्तसंठिईए तं बाहिरमंडले अंधयार. संठिईए भाणियब्वं जाव तया णं उत्तमकट्ठपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ, जहराणए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ 11 / ता जंबुद्दीवेणं दीवे सूरिया केवइयं खेत्तं उडदं तवेंति ? केवइयं खेत्तं अहे तवेंति ? केवइयं खेत्तं Page #273 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 246 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : सप्तमो विभागः तिरियं तवेंति ? ता जंबुद्दीवे णं दीवे सूरिया एगं जोयणसयं उडढं तवेंति, अट्ठारसजोयणसयाई अहे तवेंति, सीयालीसं जोयणसहस्साइं दुन्नि य तेवढे जोयणसए एकवीसं च सद्विभागे जोयणस्स तिरियं तवेंति 20 ॥सू० 25 // चउत्थं पाहुडं समत्तं // 4 // अथ पञ्चमं प्राभृतम् // ता कस्सि णं सूरियस्स लेस्सा पडिहयाति वएन्जा ? तत्थ खलु इमायो वीसं पडिवत्तीयो पराणत्ताश्रो, तं जहा-तत्थेगे एवमाहंसु-ता मंदरंसि णं पव्वयंसि सूरियस्स लेस्सा पडिहया अाहितेति वएजा, एगे एवमाहंसु 1, एगे पुण एवमाहंसु-ता मेरुसि णं पव्वयंसि सूरियस्स लेस्ता पडिहया वाहियाति वएजा, एगे एवमाहंसु 2, एवं एएणं अभिलावेणं ता मणोरमंसि णं पव्वयंसि 3, ता सुदंसणंसि णं पव्वयंसि 4, ता सयंपभंसि णं पव्वयंसि 5, ता गिरिरायंसि णं पव्ययंसि 6, ता रयणुचयंसि णं पव्वयंसि 7, ता सिलुचयंसि णं पव्वयंसि 8, ता लोयमझसि णं पव्वयंसि 1, ता लोयणाभिंसि णं पव्वयंसि 10, ता अच्छंसि णं पव्वयंमि 11, ता सूरियावत्तंसि णं पव्वयंसि 12, ता सूरियावरणंसि णं पधयंसि 13, ता उत्तमंसि णं पव्वयंसि 14, ता दिसादिसि णं पव्वयंसि 15, ता अवयंसंसि णं पव्वयंसि 16, ता धरणिखीलंसि णं पव्वयंसि 17, ता धरणिसिगंसि णं पव्वयंसि 18, ता पव्वतिदंसि णं पव्वयंसि 16, एगे पुण एवमाहंसु ता पव्वयरायसि णं पव्वयंसि सूरियस्स लेस्सा पडिहया वाहितेति वएजा, एगे एवमाहंसु 20, 1 / वयं पुण एवं वयामो-जंसि णं पव्वयंसि सूरियस्स लेसा पडिहया से ता मंदरेवि पवुच्चइ, मेरु वि पवुच्चइ जाव पव्वयरायावि पवुच्चइ 21, 2 / ता जे णं पुग्गला सूरियस्स लेस्सं फुसंति ते णं पुग्गला सूरियस्स लेस्सं Page #274 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमच्चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र :: प्रा०६ ] [247 पडिहणंति अदिद्रा वि णं पुग्गला सूरियस्स लेस्सं पडिहणंति, चरिमलेस्संतरगया वि पुग्गला सूरियस्स लेस्सं पडिहणंति 3 // सूत्रं 26 // चंदपन्नत्तीए पंचमं पाहुडं समत्तं // 5 // // अथ षष्ठं प्रामृतम् // ता कहं ते श्रोयसंठिई अाहितेति वएजा ? तत्थ खलु इमाश्रो पणवीसं पडिवत्तीयो पराणत्तात्रो, तंजहा-तत्थेगे एवमाहंसु ता अणुसमयमेव सूरियस्सोया अराणा उप्पजइ, अगणा अवेइ, एगे एवमाहंसु 1, एगे पुण एवमाहंसु ता अणुमुहुत्तमेव सूरियस्स श्रोया अराणा उप्पजइ अराणा अवेइ, एगे एवमाहंसु 2, एवं एएणं अभिलावेणं-ता अणुराइदियमेव 3, ता अणुपक्खमेव 4, ता अणुमासमेव 5, ता अणुउउमेव 6, ता अणुश्रयणमेव 7, ता. अणुसंवच्छरमेव 8, ता अणुजुगमेव 1, ता अणुवाससयमेव 10, ता अणुवाससहस्समेव 11, ता अणुवाससयसहस्समेव 12, ता अणुपुत्वमेव 13, ता अणुपुव्वसयमेव 14, ता अणुपुत्वसहस्समेव 15, ता अणुपुव्वसयसहस्समेव 16, ता अणुपलिग्रोवममेव 17, ता अणुपलिश्रोवमसयमेव 18, ता अणुपलिग्रोवमसहस्समेव 11, ता श्रणुपलिश्रोवमसयसहस्समेव 20, ता अणुसागरोवममेव 21, ता अणुसागरोवमसयमेव 22, ता अणुसागरोवमसहस्समेव 23, ता अणुसागरोवमसयसहस्समेव 24, एगे एवमाहंसु-ता अणुउस्सप्पिणि श्रोसप्पिणिमेव सूरियस्स श्रोया अराणा उप्पजइ अगणा अवेइ, एगे एवमाहंसु 25,1 / वयं पुण एवं वयामो-ता तीसं तीसं मुहुत्ते सूरियस्स श्रीया श्रवट्टिया भवइ, तेण परं सूरियस्स श्रोया अणवटिया भवइ २।छम्मासे सूरिए श्रीयं णिव्वुडढेइ, छम्मासे सूरिए श्रीयं अभिवुडढेइ 3 / णिक्खममाणे सूरिए देसं णिव्वुड्ढेइ, पविसमाणे सूरिए देसं अभिवुडढेइ 4 / तस्थ को हेऊ Page #275 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 248 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः अाहितेति वएज्जा ? ता अयराणं जंबुद्दीवे दीवे जाव परिक्खेवेणं पराणत्ते 5 / ता जया णं सूरिए सव्वभंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं उत्तमकट्टपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ जहरिणया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ 6 / से णिक्खममाणे सूरिए णवं संवच्छरं श्रयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि श्रभितराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ 7 / ता जया णं सूरिए अभितराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं एगेणं राईदिएणं एगं भागं श्रोयाए दिवसखित्तस्स णिव्वुड्डित्ता रयणिखित्तस्स अभिवडित्ता चारं चरइ,मंडलं थट्टारसहिं तीसेहिं सएहिं छित्ता, तया णं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ दोहिं एगसद्विभागमुहुत्तेहिं ऊणे, दुवालसमुहुत्ता राई भवइ दोहि एगसट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिया 8 / से णिक्खममाणे सूरिए दोच्चंसि अहोरत्तंसि अभितराणंतरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ 1 / ता जया णं सूरिए अभितराणंतरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं दोहिं राइदिएहिं दो भागे श्रोयाए दिवसखेत्तस्स णिबुट्टित्ता, 2 रयणिखेत्तस्स अभिवडढेत्ता चारं चरइ, मंडलं अट्ठारसेहिं तीसेहिं साहिं छेत्ता, तया णं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ चाहिं एगसट्ठिभागमुहुत्तेहिं उणे, दुवा. लसमुहुत्ता राई भवइ चउहिं एगसट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिया 10 / एवं खलु एएण उवाएग णिक्खममाणे सूरिए तयाणंतरात्रो तयाणंतरं मंडलायो मंडलं संक्रममाणे 2 एगमेगे मंडले एगमेगेणं राइदिएणं एगमेगं 2 भागं ओयाए दिवसखेत्तस्स निव्वुड्ढे माणे 2 रयणिक्खेत्तस्स अभिवड्ढे माणे 2 सब्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ 11 / ता जया णं सूरिए सव्वभंतरावो मंडलायो सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं सबभंतरं मंडलं पणिहाय एगेणं तेसिएणं राइंदियस एणं एगं तेसीयं भागसयं श्रोयाए दिवसखेत्तस्स णिवुड्ढोत्ता रयणिखेत्तस्स अभिवुड्ढेत्ता चारं चरइ, मंडलं अट्ठारसहिं तीसेहिं सएहिं छेत्ता, तया णं उत्तमकट्टपत्ता उक्को. Page #276 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमच्चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्रं : प्रा० 6 ] [ 243 सिया अट्टारसमुहुत्ता राई भवइ जहराणए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ 12 / एस णं पढमे छम्मासे, एस णं पढमस्स छम्मासस्स पजवसाणे 13 / से पविसमाणे सूरिए दोच्चं छम्मासं श्रयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि बाहिराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ 14 / ता जया णं सूरिए बाहिराणंतरं मंडलं उबसंकमित्ता चारं चरइ तया णं एगेणं राइदिएणं एगं भागं ोयाए रयणिखेत्तस्स णिबुड्ढे त्ता, दिवसखेत्तस्स अभिव्वुड्ढे त्ता चारं चरइ मंडलं अट्ठारसहिं तीसेहिं सएहिं छेत्ता, तया णं अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ दोहिं एगसट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणा दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ दोहिं एगट्टिभागमुहुत्तेहिं अहिए 15 / से पविसमाणे सूरिए दोच्चंसि अहोरत्तंसि वाहिराणंतरं तच्चं मंडलं उपसंकमित्ता चारं चरइ 16 / ता जया णं सूरिए बाहिराणंतरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं दोहिं राइदिएहिं दोभाए भोयाए रयणिखेत्तस्स णिव्वुड्ढे त्ता, दिवसखेत्तस्स अभिबुड्ढे त्ता चारं चरइ, मंडलं अट्ठारसहिं तीसेहिं सएहिं छेत्ता, तया णं अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ चउहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणा, दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ चउहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिए 17 / एवं खलु एएणं उवाएणं पविसमाणे सूरिए तयाणंतरात्रो तयाणंतरं मंडलायो मंडलं संकममाणे 2 एगमेगे मंडले एगमेगेणं राइदिएणं एगमेगं भागं श्रोयाए रयणिखेत्तस्स णिबुड्ढे माणे 2 दिवसखेत्तस्स अभिव्वुड्ढमाणे 2 सव्वन्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ 18 / ता जया णं सूरिए सव्वबाहिरायो मंडलायो सबभंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं सव्वबाहिरं मंडलं पणिहाय एगेणं तेसीएणं राइदियसएणं एगं तेसीयं भागसयं श्रोयाए रयणिखेत्तस्स णिव्वुड्ढे त्ता, दिवसखेत्तस्स अभिब्बुड्ढत्ता चारं चरइ, मंडलं अट्ठारसहिं तीसेहिं सरहिं छेत्ता, तया णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहरिणया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ 11 / एस णं दोच्चे गेण तेसीपण दिवसखेत्तस्स अभिपत्ते उक्कोसए अट्टारदाचे चरइ, मंडल , तयाणं उत्तमकट्रपर भवइ, जहगिणया 32 . Page #277 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 250 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः छम्मासे, एस णं दोच्चस्स छम्मासस्स पजवसाणे, एस णं प्राइच्चे संवच्छरे, एस णं श्राइचस्स संवच्छरस्स पजवसाणे 20 // सूत्रं 27 // छ8 पाहुडं समत्तं // 6 // // अथ सप्तमं प्रामृतम् // ___ ता कि ते सूरियं वरंति अाहितेति वएना? तत्थ खलु इमायो वीसई पडिबत्तीयो पराणत्तायो, तं जहा-तत्थेगे एवमाहंसु-ता मंदरेणं पव्वए सूरियं वरइ, एगे एवमाहंसु 1, एगे पुण एवमाहंसु-ता मेरूणं पव्वए सूरियं वरइ, एगे एवमाहंसु 2, एवं एएणं अभिलावेणं जाव वीसइमा पडिवत्ती जाव ता पव्वयराएणं पव्वए सूरियं वरइ, एगे एवमाहंसु 20, 1 / वयं पुण एवं वयामो-मंदरे वि पवुच्चइ, मेरू वि पवुच्चइ, एवं जाव पव्वयरायो वि पवुच्चइ 2 / ता जे णं पोग्गला सूरियस्स लेसं फुसंति ते णं पोग्गला सूरियं वरयंति, अदिट्ठावि णं पोग्गला सूरियं वरयंति, चरमलेस्संतरगया वि णं पोग्गला सूरियं वरंति 3 // सूत्रं॥२८॥सत्तमं पाहुडं समत्तं॥७॥ .. // अथ अष्टमं प्राभतम् // ता कहं ते उदयसंठिई श्राहियाति वएज्जा ? तत्थ खलु इमायो तिरिण पडिवत्तीयो पराणत्तायो, तं जहा-तत्थ एगे एवमाहंसु-ता जया णं जंबुद्दीवे दीवे दाहिणड्डे अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ तया णं उत्तरड्ढे वि अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ 1 / ता जया णं उत्तरड्ढे अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ तया णं दाहिणड्ढ वि अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ 2 / जया णं जंबुदीवे दाहिणड्ढे सत्तरसमुहुत्ते दिवसे भवइ तया णं उत्तरड्ढे वि सत्तरसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जया णं उत्तरड्ढे सत्तरसमुहुत्ते दिवसे भवइ तया णं दाहिणड्डे वि सत्तरसमुहुत्ते दिवसे भवइ 3 / एवं परिहावेतव्वं सोलसमुहुत्ते, पराणरसमुहुत्ते, चोदसमुहुत्ते, तेरसमुहुत्ते दिवसे जाव ता जया णं जंबुद्दीवे 2 Page #278 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमच्चन्द्रप्राप्ति सूत्र :: प्रा०८ ] . [ 251 दाहिणड्डे बारसमुहुँत्ते दिवसे भवइ तया णं उत्तरड्ढे वि बारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जया णं उत्तरड्ढे बारसमुहुत्ते दिवसे भवइ तया णं दाहिणड्ढ वि बारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, तया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरथिमपञ्चस्थिमेणं सया पराणरसमुहुत्ते दिवसे भवइ, सया पराणरसमुहुत्ता राई भवइ, अवट्ठिया णं तत्थ राइंदिया समणाउसो ! पराणत्ता, एगे एवमाहंसु 1, 4 / एगे पुण एवमाहंसु--ता जया णं जंबुद्दीवे दीवे दाहिणड्ढे अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवइ तया णं उत्तरड्ढे वि अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवइ, जया णं उत्तरड्ढे अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवइ तया णं दाहिणड्ढे वि अट्ठारसमुहुत्ताणतरे दिवसे भवइ 5 / एवं परिहावेतव्वं-सत्तरसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवति, सोलसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवति, पराणरसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भाति, चउद्दसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवति, तेरसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवति 6 / जया णं जंबुद्दीवे दाहिणड्ढे बारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवइ तया णं उत्तरड्डे वि बारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवड, जया णं उत्तरड्ढे बारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवइ तया णं दाहिणड्डे वि बारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवइ, तया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरथिमपञ्चत्थिमेणं नो सया पराणरसमुहुत्ते दिवसे भवई, नो सया पराणरसमुहुत्ता राई भाइ, श्रणवट्ठिया णं तत्थ राइंदिया समणाउसो ! पराणत्ता, एगे एवमाहंसु 2,7 / एगे पुण एवमाहंसु-ता जया णं जंबुद्दीवे दीवे दाहिणड्ढे अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ तया णं उत्तरड्ढ दुवालसमुहुत्ता राई भवइ, जया णं उत्तरले अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ तया णं दाहिणड्ढे दुवालसमुहुत्ता राई भवइ 8 / ता जया णं दाहिणड्ढे अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवइ तया णं उत्तरड्ढे दुवालसमुहुत्ता राई भवइ, जया णं उत्तरड्डे अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवइ तया णं दाहिणड्ढे दुवालसमुहुत्ता राई भवइ 1 / एवं सत्तरसमुहुत्ते दिवसे, सत्तरसमुहुत्ताणंतरे, सोलसमुहुत्ते सोलसमुहुत्ताणंतरे, पराणरसमुहुत्ते पराणरस Page #279 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 212 / / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः मुहुत्ताणंतरे, चउद्दसमुहुत्ते चउद्दसमुहुत्तागांतरे, तेरसमुहुत्ते तेरसमुहुत्ताणंतरे 10 / ता जया णं जंबुद्दीवे 2 दाहिणड्डे बारसमुहुत्ते दिवसे भवइ तया णं उत्तरड्ढे बारसमुहुत्ता राई भवइ, जया णं उत्तरड्ढे बारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवइ तया णं दाहिणड्डे दुवालसमुहुत्ता राई भवति, तया णं जंबुदीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरथिमपञ्चत्थिमेणं णेवत्थि पराणरसमुहुत्ते दिवसे णेवत्थि पराणरसमुहत्ता राई भवइ, वोच्छिराणा णं तत्थ राइंदिया पराणत्ता समणाउसो ! एगे एवमाहंसु 3, 11 / वयं पुण एवं वयामो-ता जंबुद्दीवे दीवे सूरिया उदीणपाईणमुग्गच्छ-पाईणदाहिणमागच्छंति, पाईणदाहिणमुग्गच्छ-दाहिणपडीणमागच्छंति, दाहिणपडीणमुग्गच्छपडीणउदीणमागच्छंति, पडीणउदीणमुग्गच्छ-उदीणपाईणमागच्छंति 1,12 / ता जया णं जम्बुद्दीवे दीवे दाहिणड्डे दिवसे भवइ तया णं उत्तरड्ढे वि दिवसे भवइ, जया णं उत्तरड्ढे दिवसे भवइ तया णं जबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरथिमपञ्चत्थिमेण राई भवई 13 / ता जया णं जबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरस्थिमेणं दिवसे भवइ तया णं पचत्थिमेण वि दिवसे भवइ, जया णं पञ्चस्थिमेणं दिवसे भवइ तया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरदाहिणेणं राई भवइ 2, 14 / ता जया णं जंबुद्दीवे दीवे दाहिणड्ढे उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ तया णं उत्तरडे वि उकोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ 15 / जया उत्तरड्ढे उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ तया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरथिमेणं जहरिणया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ 16 / ता जया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरथिमेणं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ तया णं पचत्थिमेण वि उकोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ 17 / जया णं पचत्थिमेणं उकोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ तया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरदाहिणेणं जहरिणया दुवालसमुहुत्ता राई भवई 18 / एवं एएणं गमेणं नेयव्वं, Page #280 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राई 132 / पराशदिवस साइरेगाई भवइ 24 ते दिवसे सत्तर श्रीमन् चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्रं 2 : प्रा० 8 ] [ 253 अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे साइरेगदुवालसमुहुत्ता राई भवइ, सत्तरसमुहुत्ते दिवसे तेरसमुहुता राई भवइ 11 / सत्तरसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवति साइरेगा तेरसमुहुत्ता राई भवइ 20 / सोलसमुहुत्ते दिवसे चउद्दसमुहुत्ता राई भवइ 21 / सोलसमुहुत्ताणंतरे दिवसे साडरेगचउद्दसमुहुत्ता राई भवइ 22 / पराणरसमुहुत्ते दिवसे पराणरसमुहुत्ता राई भवइ 23 / पराणरसमुहुत्ताणतरे दिवसे साइरेगा पराणरसमुहुत्ता राई भवइ 24 / चउद्दसमुहुत्ते दिवसे सोलसमुहुत्ता राई भवइ 25 / चउद्दसमुहुत्ताणंतरे दिवसे साइरेगसोलसमुहुत्ता राई भवड 26 / तेरसमुहुत्ते दिवसे सत्तरसमुहुत्ता राई भवइ 27 / तेरसमुहुत्ताणंतरे दिवसे साइरेगसत्तरसमुहुत्ता राई भवइ 28 ता जया णं जंबुद्दीवेदीवे दाहिणड्ढे जहराणए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ (उको. सिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ), तया णं उत्तरड्ढ वि जहराणए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ 21 / ता जया णं उत्तरड्ढ जहराणए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ तया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमपञ्चत्थिमेणं उकोसिया श्रद्वारसमुहुत्ता राई भवइ 30 / ता जया णं जंबुद्दीवे दीवे भंदरस्स पव्वयस्स पुरस्थिमेणं जहराणए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ तया णं पचत्थिमेणं जहराणए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ 31 / जया णं पच्चत्थिमेणं जहराणए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ तया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरदाहिणेणं उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ 3, 32 / ता जया णं जंबुद्दीवे दीवे दाहिणड्ढे वासाणं पढमे समए पडिवजइ तया णं उत्तरड्ढ वि वासाणं पढमे समए पडिवजइ 33 / जया णं उत्तरद्धे वासाणं पढमे समये पडिवजति तया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरथिमपञ्चत्थिमेणं श्रणंतरपुक्खडकालसमयसि वासाणं पढमे समए पडिवजइ 34 / ता जया णं जंबुद्दीवे 2 मंदरस्स फव्वयस्स पुरथिमेणं वासाणं पढमे समये पडिवजइ तया णं पञ्चत्थिमेण वि वासाणं पढमे समये Page #281 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 254 [ श्रीमदाममसुधासिन्धुः / सतमो विभागः पडिवजइ 35 / जया णं पचत्थिमेणं वासाणं पढमे समये पडिवजइ तया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरदाहिणेणं अणंतरपच्छाक्यकालसमयंसि वासाणं पढमे समए पडिवराणे भवइ 36 / जहा समो, एवं श्रावलिया, प्राणपाणू, थोवे, लवे, मुहुत्ते, ग्रहोरत्ते, पक्खे, मासे, उऊ, एवं दस घालावगा वासाणं भाणियव्वा 4, 37 / ता जया णं जंबुद्दीवे दीवे दाहिणड्ढे हेमंताणं पढमे समए पडिवजइ तया णं उत्तरड्डे वि हेमंताणं पढमे समए पडिवजइ 38 / जया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पवयस्स पुरथिमेणं पञ्चत्थिमेणं अणंतरपुराकडे कालसमयंसि य हेमंताणं पढमे समए पडिवजइ 31 / एयस्स वि वासस्स दस घालावगा जाव उऊयो 5, 40 / ता जया णं जंबुद्दीवे दीवे दाहिणड्डे गिम्हाणं पढमे समए पडि. वजइ तया णं उत्तरड्ड वि गिम्हाणं पढमे समए पडिवजइ 41 / ता जया णं उत्तरदाहिणड्डे गिम्हाणं पढमे समए पडिवजइ तया णं जंबुद्दीवे दीवे पुरथिमपञ्चत्थिमेणं अणंतरपुराकडकालसमयंसि गिम्हाणं पढमे समए पडिवजइ 42 / एयस्स वि वासागमो दस घालावगा भाणियव्वा जाव उऊो 6, 43 / ता जया णं जंबुद्दीवे दीवे दाहिणड्डे पढने अयणे पडिवजइ तया णं उत्तरद्धेवि पढमे अयणे पडिवजइ 44 / जया णं उत्तरड्ढे पढमे अयणे पडिवजइ तया णं दाहिणद्ध वि पढमे अयणे पडिवजइ 45 / जया णं उत्तरद्धे पढमे अयणे पडिवजइ तया णं जंबु. दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरथिमपञ्चत्थिमेणं अणंतरेपुराकडकालसमयंसि पढमे अयणे पडिवजइ 46 / ता जया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरथिमेणं पढमे अयणे पडिवजइ तया णं पचत्थिमेण वि पढने अयणे पडिवजइ 47 / ता जया णं पचत्थिमेणं पढमे अयणे पडिवज्जइ तया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरदाहिणे णं अणंतरपच्छाकड. कालसमयंसि पढमे अयणे पडिवन्ने भवइ 48 / एवं संवच्छरे जुगे वास Page #282 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रामचन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र : प्रा०८] / 255 सए, एवं वाससहस्से वाससयसहस्से पुव्वंगे, पुव्वे, तुडियंगे, तुडिए अववंगे, अववे, हुहुयंगे, हुहुए, उप्पलंगे, उप्पले, पउमंगे, पउमे, णलिणंगे, गलिणे, अच्छनिउरंगे, अच्छनिउरे, श्रउयंगे, अउए, नउयंगे, नउए चूलियंगे चूलिया, सीसपहेलियंगे सीसपहेलिया, पलिअोवमे, सागरोवमे 41 / ता जया णं जंबुद्दीवे दीवे दाहिणड्डे पढमे समए उस्सप्पिणी पडिवजइ तया णं उत्तरड्ढे वि पढमे समए उस्सप्पिणी पडिवजइ 50 / जया णं उत्तरड्डे पढमे समए उस्सप्पिणी पडिवजइ तया | जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरथिमपञ्चत्थिमेणं नेवत्थि श्रोस्सप्पिणी, नेवत्थि उस्सप्पिणी, अवट्ठिए णं तस्थ काले पराणते समणाउसो!७, एवं उस्सप्पिणीवि 51 / जया णं लवणे समुद्दे दाहिणद्धे दिवसे भवति, तया णं लवणसमुद्दे उत्तरद्ध दिवसे भवति 52 / जया णं उत्तरद्धे दिवसे भवति तया णं लवणममुद्दे पुरच्छिमपञ्चत्थिमेणं राई भवति 53 / जहा जंबुद्दीवे 2 तहेव जाव उस्सप्पिणी, तहा धायइसंडे णं दीवे सूरिया उदीणपाईणमुग्गच्छति तहेब 54 | ता जया णं धायइसंडे दीवे दाहिणद्धे दिवसे भवति तया णं उत्तरद्धे दिवसे भवति 55 / जया णं उत्तरद्धे दिवसे भवति तया णं धायइसंडे दीवे मंदराणं पयत्ताणं पुरथिमपचित्थमेणं राइ भवति 56 / एवं जंबुद्दीवे 2 जहा तहेव जाव उस्सप्पिणी, कालोए णं जहा लवणे समुद्दे तहेव, ता अभंतरपुक्खरद्धे णं सूरिया उदीणपाईणमुग्गच्छ तहेव 57 / ता जया णं अभंतरपुक्खरद्धे णं दाहिणद्धे दिवसे भवति तदा णं उत्तरद्धेवि दिवसे भवति 58 | जया णं उत्तरद्धे दिवसे भवति तदा णं अभितरपुक्खरद्धे मंदराणं पव्वयाणं पुरथिमपञ्चत्यिमेणं राई भवति, सेसं जहा जंबुद्दीवे तहेव जाव भोसप्पिणी उस्सप्पिणीयो 51 // सूत्रं 21 // अट्ठमं पाहुडं समत्तं // // इति अष्टमं प्राभृतम् // 8 // Page #283 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 256 [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः सप्तमो विभागः // अथ नवमं प्राभतम् // ता कइकट्टते सूरिए पोरिसी छाया णिवत्तेइ अाहितेति वएजा, तत्थ खलु इमानो तिरिण पडिवत्तीयो पराणत्तायो, तं जहा-तत्थ एगे एवमाहंसु-ता जे णं पोग्गला सूरियस्स लेस्सं फुसंति ते णं पोग्गला संतप्पंति, ते णं पोग्गला संतप्पमाणा तयाणंतराई बाहिराई पोग्गलाई संतावितीति एस णं से समिए तावक्खेत्ते, एगे एवमाहंसु 1, एगे पुण एवमाहंसु-ता जे णं पोग्गला सूरियस्स लेस्स फुसंति ते णं पोग्गला नो संतप्पंति, ते णं पोग्गला असंतप्पमाणा तयाणंतराई बाहिराइं पोग्गलाई नो संतावेंति एस णं से समिए तावक्खेत्ते, एगे एवमाहंसु 2, एगे पुण एवमाहंसु-ताजे णं पोग्गला सूरियस्स लेस्सं फुसंति ते णं पोग्गला अत्थेगइया संतप्पंति, अत्थेगइया नो संतप्पति तत्थ अत्थेगइया संतापमाणा तयाणंतराई बाहिराइं पोग्गलाई अत्थेगइयाई संतावेंति, प्रत्येगइयाई नो संतावेंति, एस णं से समिए तावक्खेत्ते, एगे एवमाहंसु 3, 1 / वयं पुण एवं वयामो-ता जायो इमायो चंदिमसूरियाणं देवाणं विमाणेहितो लेस्सायो उच्छूढा (बहिया) अभिनिसट्टायो पयावेति, एयासि णं लेस्साणं अंतरेसु अरणयरीश्रो छिन्नलेसायो संमुच्छति, तए णं ताश्रो छिन्नलेस्सात्रो संमुच्छियायो समाणीयो तदाणंतराई बाहिराइं पोग्गलाई संतापूति, एस णं से समिए तावक्खेत्ते 2 / ता कइकट्ठ ते सूरिए पोरिसी छायं निव्वत्तेइ ? अाहितेति वदेजा ? तत्थ खलु इमायो पराणवीसं पडिवत्तीयो पराणताओ, तं जहा-तत्थ एगे एवमाहंसु ता अणुसमयमेव सूरिए पोरिसीं छायं निवत्तेइ एगे एवमाहंसु 1, एगे पुण एवमाहंसु ता अणुमुहूत्तमेव सूरिए पोरिसिच्छायं णिवत्तेइ एगे एवमाहंसु 2, एवं एएणं अभिलावेणं णेत्तव्वं ता जायो चेव श्रोयसंलिईए पराणवीसं पडिवत्तीयो ताश्रो चेव णेयव्वाश्रो जाव एगे पुण एवमाहंसु ता अणुशोसप्पिणी उस्सप्पिणीमेव सूरिए पोरिसि Page #284 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमचन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र :: प्रा०९] [ 257 छायं निव्वत्तेइ, एगे एवमाहंसु 25, 3 / वयं पुण एवं वयामो-ता सूरियस्स णं उच्चत्तं च लेस्सं च पडुच्च छाउद्दे से ?, उच्चत्तं च छायं च पडुच्च लेसुद्दे से, लेस्सं च छायं च पडुच्च उच्चत्तोद्दे सो 2, तत्थ खलु इमायो दो पडिवत्तीयो पराणत्तायो, तं जहा-एगे एवमाहंसु-ता अस्थि णं से दिवसे जंसि णं दिवसंसि सूरिए चउपोरिसिव्छायं निव्वत्तेइ, अस्थि णं से दिवसे जंसि णं दिवसंसि सूरिए दुपोरिसिच्छायं निव्वत्तेइ, एगे एवमाहंसु 1, एगे पुण एवमाहंसु-ता अस्थि णं से दिवसे जंसि णं दिवसंसि सूरिए दुपोरिसिं छायं निव्वत्तेइ, अत्थि णं से दिवसे जंसि णं दिवसंसि सूरिए नो किंचि पोरिसिच्छायं निव्वत्तेइ एगे एवमाहंसु 2, 4 / तत्थ णं जे ते एवमासु-ता अस्थि णं से दिवसे जंसि णं दिवसंसि सूरिए चउपोरि. सियं छायं निवत्तेइ, अत्थि णं से दिवसे सि णं दिवसंसि सूरिए दुपोरिसियं छायं निव्वत्तेइ, ते गां एवमाहंसु-ता जया णं सूरिए सव्वभंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं उत्तमकट्टपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहरिणया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ तंसि च णं दिवसंसि सूरिए चउपोरिसियं छायं निव्वत्तेइ, तंजहा-उग्गमणमुहुत्तंसि य अस्थमणमुहुर्तसि य लेस्सं अभिवड्ड माणे नो चेव णं निव्वुड्ढमाणे 5 / ता जया णं सूरिए सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, तया णं उत्तमकट्टपत्ता उक्कोसिया-अट्ठारसमुहुत्ता राई भवति, जहराणए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ तंसि च णं दिवसंसि सूरिए दुपोरिसियं छायं निव्वत्तेइ, तंजहा-उग्गमणमुहुर्तसि य अत्थमणमुहुत्तंसि य लेस्सं अभिवड्ढमाणे नो चेव णं निव्वुड्ढे माणे 1, 6 / तत्थ णं जे ते एवमाहंसु-ता अस्थि णं से दिवसे जंसि णं दिवसंसि सूरिए दुपोरिमियं छायं निव्वत्तेइ, अस्थि णं से दिवसे जंसि णं दिवसंसि सूरिए नो किंचि पोरिसियं निव्वत्तेइ ते एवमाहंसु-ता जया णं सूरिए सव्वभंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं उत्तमकट्ठपत्ते 33 Page #285 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 258 ] | श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः उकोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ जहरिणया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ तंसि च णं दिवसंसि सूरिए दुपोरिसियं छायं णिवत्तेइ, तं जहा-उग्गमणमुहुत्तंसि य अत्थमणमुहुत्तंसि य, लेस्सं अभिवढ माणे णो चेव णं निव्वुड्ढे - माणे 7 / ता जया णं सूरिए सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं उत्तमकट्टपत्ता उकोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ जहराणए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ तंसि च णं दिवसंसि सूरिए नो किंचि पोरिसिं छायं निव्वत्तेइ, तं जहा-उग्गमणमुहुत्तंसि य अत्थमणमुहुत्तंसि य, नो चेव णं लेस्सं अभिवड्ढे माणे वा निवुड्ढमाणे वा 8 | ता कइकट्ठ ते सूरिए पोरिसिच्छायं निव्वत्तेइ याहिएत्ति वएज्जा ? तत्थ इमायो छण्णउई पडिवत्तीयो पराणत्तायो, तं जहा-तत्थेगे एवमाहंसु-ता अस्थि णं से देसे जंसि च णं देसंसि सूरिए एगपोरिसिं छायं निव्वत्तेइ, एगे एवमाहंसु 1, एगे पुण एवमाहंसु-ता अस्थि णं से देसे जंसि णं देसंसि सूरिए दुपोरिसियं छायं निबनेइ, एगे एवमाहंसु 2, एवं एएणं अभिलावेणं णेयव्यं जाव-एगे पुण एवमाहंसु-ता अस्थि णं से देसे जंसि णं देसंसि सूरिए छराणउइ-पोरि. सियं छायं णिवत्तेइ, एगे एवमासु 16. 1 / तत्थ णं जे ते एवमाहंसुता अत्थि णं से देसे जंसि णं देसंसि सूरिए एगपोरिसियं छायं णिव्वत्तेइ, ते एवमाहंसु-ता सूरियस्स णं सव्वहेट्ठिमायो सूरियप्पडिहियो बहित्ता अभिणिसट्टाहिं लेस्साहिं ताडिजमाणीहिं इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिजायो भूमिभागायो जावइयं सूरिए उ8 उच्चत्तेणं एवझ्याए एगाए श्रद्धाए एगेणं छायाणुमाणप्पमाणेणं उमाए एत्थ से सूरिए एगपोरिसियं छायं निव्वत्तेइ 1, तत्थ णं जे ते एवमाहंसु-ता अस्थि णं से देसे जंसि णं देसंसि सूरिए दुपोरिसियं छायं निव्वत्तेइ, ते एवमाहंसु-ता सूरियस्स णं सव्वहेट्ठिमायो सूरियप्पडिहियो बहित्ता अभिणिसट्ठाताहिं लेस्साहिं ताडिजमाणीहिं इमीसे स्यणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिजात्रो भूमिभागायो Page #286 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमचन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्रं :: प्रा० 6 ] [ 259 जावइयं सूरिए उ8 उच्चत्तेणं एवइयाहिं दोहिं श्रद्धाहिं दोहिं छायाणुमाणप्पमाणेहिं उमाए एत्थ णं से मूरिए दुपोरिसियं छायं णिवत्तेइ २,१०।एवं णेयव्वं जाव तत्थ जे ते एवमाहंसु-ता अस्थि णं से देसे जंसि च णं देसंसि सूरिए छराणउई पोरिसिं छायं णिवत्तेइ, ते एवमाहंसु-ता सूरियस्स णं सव्वहिट्ठिमाश्रो सूरियप्पडिहियो बहित्ता अभिणिसट्टाहिं लेस्साहिं ताडिजमाणीहिं इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिजाश्रो भूमिभागाओ जावइयं सूरिए उड्ड उच्चत्तेणं एवइयाहिं छराणउईए श्रद्धाहिं छण्णवईए छायाणुमाणप्पमाणेहिं उमाए, एस्थ णं से सूरिए छराणउई पोरिसियं छायं णिवत्तेइ (एवं एक्केकाए पडिवत्तिए भाणितव्वं जाव छन्नतिमा पडिवत्ती) एगे एवमाहंसु 11 / वयं पुण एवं वयामो-सूरिए साइरेग-अउणट्ठिपोरिसीणं सूरिए पोरिसीवायं निव्वत्तेइ 12 / ता अवड्डपोरिसी णं छाया दिवसस्स किं गए वा सेसे वा ? ता तिभागे गए वा सेसे वा 13 / ता पोरिसी णं छाया दिवसस्स किं गए वा सेसे वा ? ता चउभागे गए वा सेसे वा 14 / ता दिवड्डपोरिसी णं छाया दिवसस्स किं गए वा सेसे वा ? ता पंचमभागे गए वा सेसे वा 15 / एवं अद्धपोरिसिं छोढुं 2 पुच्छा दिवसस्स भागं छोडं 2 वागरणं जाव ता श्रद्ध(वड्ड) गूणसट्ठिपोरिसी गां छाया दिवसस्स किं गए वा सेसे वा ? तो एगूणवीससयभागे गए वा सेसे वा ? ता अउणसट्ठिपोरिसी णं छाया दिवसस्स किं गए वा सेसे वा ? बावीससहस्सभागे गए वा सेसे वा 16 / ता साइरेगाउणसहिपोरिसी णं छाया दिवसस्स किं गए वा सेसे वा ? ताणत्थि किंचि गए वा सेसे वा 17 / तत्थ खलु इमा पणवीसनिविट्ठा छाया पराणत्ता, तं जहाखंभछाया 1, रज्जुच्छाया 2, पागारछाया 3, पासायछाया 4, उत्तरछाया 5, उच्चत्तछाया 6, अणुलोमछाया 7, पडिलोमछाया 8, पारुभिताछाया 1, उवहिताछाया 10, समाछाया 11, पडिहताछाया 12, खील Page #287 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 260 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विमागा छाया 13, पक्खछाया 14, पुरोउदग्गा 15, पिट्ठयोउदग्गा 16, पुरिमकंठभागोवगता छाया 17, पच्छिमकंठभागोवगता 17, छायाणुवादिणी 11, किट्ठाणुवादिणीछाया 20, छायछाया 21, छायानिकप्पो 22, वेहासच्छाया 23, सगउच्छाया (कडच्छाया) 24, गोलच्छाया 25, 18 / तत्थ णं गोलच्छाया अट्टविहा पराणत्ता, तं जहा-गोलच्छाया श्रवद्धगोलच्छाया गोल(गाढल)गोलच्छाया, अवड्डगोल(गाढल)गोलच्छाया, गोलावलिच्छाया अवडगोलावलिच्छाया, गोलपुजच्छाया, अवडगोलपुंजच्छाया 16 // सूत्रं 31 // नवमं पाहुडं समत्तं // // इति नवमं प्राभृतम् // 9 // - // अथ दशमप्राभृते प्रथमं प्राभृतप्राभृतम् // ता जोगेत्ति वत्थुस्स श्रावलियानिवाए श्राहिएत्ति वएज्जा 1 / ता कहं ते जोगेत्ति वत्थुस्स श्रावलियाणिवाए अाहिएत्ति वएजा ? तत्थ खलु इमायो पंच पडिवत्तीयो पराणत्तात्रो, तं जहा-तत्थेगे एवमाहंसु-ता सव्वे वि णं णक्खत्ता कत्तियादिया भरणिपज्जवसाणा पराणत्ता एगे एवमाहंसु 1, एगे पुण एवमाहंसु-ता सव्वे वि णं नक्खत्ता मघादिया अस्सेसापजवसाणा पराणत्ता, एगे एवमाहंसु 2, एगे पुण एवमाहंसु-ता सव्वे वि णं नक्खत्ता धणिट्ठाइया सवणपजवसाणा पराणत्ता, एगे एवमाहंसु 3, एगे पुण एवमाहंसु ता सव्वे वि णं णक्खत्ता अस्सिणीयादिया रेखईपजवसाणा पराणत्ता, एगे एवमाहंसु 4, एगे पुण एवमाहंसु-ता सव्वे वि णं णक्खत्ता भरणीपाइया अस्सिणीपजवसाणा पराणत्ता, एगे एवमाहंसु 5,2 / वयं पुण एवं वयामो-ता सव्वे वि णं णक्खत्ता अभिई श्रादिया उत्तरासादापज्जवसाणा पराणत्ता, तं जहा-अभिई सवणो जाव उत्तरसाढा // सूत्रं 32 // दसमस्स पढमं पाहुडपाहुडं समत्तं // 10-1 // Page #288 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमच्चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्रं : प्रा० 10:: प्रा० प्रा० 2 ] [ 261 // अथ दशमप्राभते द्वितीय प्राभृतप्राभतम् // ता कहं ते मुहुत्तग्गे पाहिएति वएजा ? ता एएसि णं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं अस्थि णक्खत्तं जे णं णवमुहुत्ते सत्तावीसं च सत्तसट्ठिभाए मुहुत्तस्स चंदेण सद्धिं जोयं जोएइ, अस्थि णक्खत्ता जे णं पण्णरसमुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति 2, अस्थि नक्खत्ता जे णं तीसं मुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति 3, अस्थि णं नक्खत्ता जे णं पणयालीसे मुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति 4, 1 / ता एएसि णं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं कयरे नक्खत्ते जे णं नवमुंहुत्ते सतावीसं च सत्तट्ठिभाए मुहुत्तस्स चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति 1 ? कयरे णक्खत्ता जे णं पराणरसमुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति 2 ? कयरे णक्खत्ता जे णं तीसं मुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति 3 ? कयरे णक्खत्ता जे णं पणयालीसे मुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति 4 ? ता एएसि णं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं तत्थ में तं णक्खत्ते जे णं णवमुहुत्ते सत्तावीसं च सत्तट्ठिभाए मुहुत्तस्स चंदेण सद्धिं जोयं जोएइ से णं एगे अभीई 1, तत्थ जे ते णक्खत्ता जे णं पराणरसमुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति ते णं छ, तं जहा-सतभिसया 1, भरणी 2, अदा 3, अस्सेसा 4, साई 5; जेट्ठा 6, 2, तत्थ जे ते णक्खत्ता जे णं तीसं मुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति ते णं पराणरस, तं जहा-सवणे 1, धणिट्ठा 2, पुव्वाभदवया 3, रेवई 4, अस्सिणी 5, कत्तिया 6, मग्गसिरा 7, पुस्सं 8, महा 1, पुव्वाफग्गुणी 10, हत्थो 11, चित्ता 12, अणुराहा 13, मूलो 14, पुव्वासाढा 15, 3, तत्थ जे ते णक्खत्ता जे णं पणयालीसे मुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति ते णं छ, तं जहा-उत्तराभवया 1, रोहिणी 2, पुणव्वसू 3, उत्तराफग्गुणी ४,विसाहा 5, उत्तरासाढा 6,4,2 // सूत्रं 33 // ता एएसि णं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं अत्थि णक्खत्ते जे णं चत्तारि अहोरते छच्च मुहुत्ते सूरिएण सद्धिं जोयं जोएइ 1, अत्थि णक्खत्ता Page #289 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 262) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभाग जे णं छ अहोरते एक्कवीसं च मुहुत्ते सूरिएण सद्धिं जोयं जोएंति 2, अत्थि णक्खत्ता जे णं तेरस अहोरत्ते बारस य मुहुत्ते सूरिएण सद्धिं जोयं जोएंति 3, अत्थि णक्खत्ता जे णं वीसं अहोरत्ते तिगिण य मुहुत्ते सूरिएण सद्धिं जोयं जोएंति 4, 1 / ता एएसि णं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं कयरं णक्खत्तं चत्तारि अहोरत्ते छच्च मुहुत्ते सूरिएण सद्धिं जोयं जोएइ 1, ? कयरे णक्खत्ता जे णं छ अहोरत्ते एकवीसमुहुत्ते सूरिएण सद्धिं जोयं जोएंति 2 ? कयरे णक्खत्ता जे णं तेरस अहोरत्ते बारस य मुहुत्ते सूरिएण सद्धिं जोयं जोएंति 3 ? कयरे णक्खत्ता जे णं वीसं अहोरत्ते तिन्नि य मुंहुत्ते सूरिएण सद्धिं जोयं जोएंति 4 ? ता एएसि णं अट्ठावीसाए णक्खताणं तत्थ जे से णक्खत्ते जे णं चत्तारि अहोरत्ते छच. मुहुत्ते सूरिएण सद्धिं जोयं जोएइ से णं एगे अभिई 1, तत्थ जे ते णक्खत्ता जे णं छ अहोरत्ते एकवीसं च मुहुत्ते सूरिएण सद्धिं जोयं जोएंति ते णं छ, तं जहासयभिसया 1, भरणी 2, भद्दा 3, अस्सेसा 1, साई 5, जेट्ठा 6, 2, तत्थ जे ते नक्खत्ता तेरसग्रहोरत्ते दुवालस य मुहुत्ते सूरिएण सद्धिं जोयं जोएंति ते णं पगणरस, तं जहा-सवणो 1, धणिट्ठा 2, पुव्वाभवया 3, रेवई 4, अस्सिणी 5, कत्तिया 6, मग्गसिरं 7, पूसो 8, मघा 1, पुव्वाफल्गुणी 10, हत्थो 11, चित्ता 12, अणुराहा 13, मूलो 14, पुव्वाश्रासादा 15, 3, तत्थ जे ते णक्खत्ता जे णं वीसं अहोरते तिरिण य मुहुत्ते सूरिएण सद्धिं जोयं जोएंति ते णं छ, तं जहा-उत्तराभवया 1, सेहिणी 2, पुणव्वसू 3, उत्तराफग्गुणी 4, विसाहा 5, उत्तरासाढा 6, 4 // सूत्रं 34 // दसमस्स बितीयं // 10.2 // // इनि दशमप्राभृते द्वितीयं प्रामृतप्रामृतम् // 10-2 // . Page #290 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमञ्चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र :: प्रा० 10 : प्रा० प्रा० 3 / [ 263 // अथ दशमप्राभते तृतीयं प्राभतप्राभतम् // ता कहं ते एवंभागा पाहियाति वएजा ? ता एएसिणं अट्ठावीसाए णक्ख ताणं अस्थि णक्खत्ता पुव्वंभागा समखेत्ता तीसमुहुत्ता पराणत्ता 1, अस्थि णक्खत्ता पच्छंभागा समखेत्ता तीसमुहत्ता पराणत्ता 2, अत्थि णक्खना णतंभागा अवड्डखेत्ता पराणरसमुहुत्ता पराणत्ता 3, अस्थि णक्खत्ता उभयंभागा दिवड्डखेत्ता पणयालीसं मुहुत्ता पराणत्ता 4, 1 / एएसिणं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं कयरे णक्खत्ता जेणं पुव्वंभागा समखेत्ता तीसंमुहुत्ता पराणत्ता 1. ?, कयरे णक्खत्ता जे णं पच्छंभागा समखेत्ता तीसं मुहुत्ता पराणत्ता 2 ? कयरेणक्खत्ता जेणं णतंभागा श्रवड्डखेत्ता पराणरसमुहुत्ता पराणत्ता 3 ?, कयरे णक्खत्ता जे णं उभयंभागा दिवड्डखेत्ता पणयालीसं. मुहुत्ता पराणता ?, ता एएसिणं अट्ठावीसाए नक्खत्ताणं तत्थ जे ते णक्खत्ता पुव्वंभागा समखेत्ता तीसं मुहुत्ता पराणत्ता ते णं छ, तं जहापुव्वापोट्टवया 1, कत्तिया 2, महा 3, पुवाफग्गुणी 4, मूलो 5, पुव्वासाढा 6, 1, तत्थ जे ते णक्खत्ता पच्छंभागा समखेत्ता तीसं मुहुत्ता पराणत्ता, ते णं दस, तं जहा-अभिई 1, सवणो 2, धणिट्टा 3, रेवई 4, अस्सिणी ५,मिगसिरं 6, प्रसो 7, हत्थो 8, चित्ता १,श्रणुराहा 10, 2, तत्थ जे ते णक्खत्ता णत्तंभागा अवडखेता पराणरसमुहुत्ता पराणत्ता ते णं छ, तं जहा-सयभिसया 1, भरणी 2, अदा 3, अस्सेसा 4, साई 5, जेट्ठा 6, 3, तस्थ जे ते णक्खत्ता उभयंभागा दिवड्डखेत्ता पणयालीसं मुहुत्ता पराणत्ता, ते णं छ, तं जहा-उत्तरापोट्ठवया 1, रोहिणी 2, पुणव्वसू 3, उत्तराफग्गुणी 4, विसाहा 5, उत्तरासादा 6, 4 // सूत्रं 35 // दसमस्स ततियं पाहुड पाहुडं समत्तं // 10.3 // // इति दशमप्राभृते तृतीयं प्राभृतप्राभृतम् // 11-3 // Page #291 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 264 ] / श्रीमदागमसुधासिन्धुः सप्तमो विभागः // अथ दशमप्राभते चतुर्थ प्राभृतप्राभतम् // . ता कहं ते जोगस्स श्रादी अाहितेति वएजा ? ता अभीइसवणा खलु दुवे णक्खत्ता पच्छाभागा समखेत्ता साइरेगउत्तालीसमुहुत्ता तप्पढमयाए सायं चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति, तो पच्छा अवरं साइरेगं दिवसं 1 / एवं खलु अभिईसवणा दुवे णक्खत्ता एगराई एगं व साइरेगं दिवसं चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति, जोयं जोएत्ता जोयं अणुपरियट्टति जोयं अणुपरियट्टित्ता सायं चंदं धणिट्ठाणं समप्पंति 2 / ता धणिट्ठा खलु णक्खत्ते पच्छा भागे समखेत्ते तीसंमुहुत्ते तप्पढमयाए सायं चंदेण सद्धिं जोयं जोएइ, जोयं जोइत्ता तश्रो पच्छा राई श्रवरं च दिवसं, एवं खलु धणिट्ठा णक्खत्ते एगं च राई एगं च दिवसं, चंदेण सद्धिं जोयं जोएइ, जोयं जोइत्ता जोयं अणुपरियट्टइ, अणुपरियट्टित्ता सायं चंदं सयभिसयाणं समप्पेइ ता सयभिसया खलु णक्खत्ते णत्तंभागे अवड्डखेत्ते पराणरसमुहुत्ते तप्पटमयाए सायं चंदेण सद्धिं जोयं जोएइ जो लभइ अवरं दिवसं, एवं खलु सयभिसया णक्खत्ते एगं राइं चंदेण सद्धिं जोयं जोएइ जोयं जोइत्ता जोयं अणुपरियट्टइ,जोयं अणुपरियट्टित्ता पातो चंदं पुव्वाणं पोट्टवयाणं समप्पेइ 3 / ता पुव्वापोट्टवया खलु णक्खत्ते पुव्वंभागे समखेत्ते तीसं मुहुत्ते तप्पढमयाए पायो चंदेण सद्धिं जोयं जोएड, तयो पच्छा अवरराई, एवं खलु पुव्वापोट्ठवया णक्खत्ते एगं च दिवसं एगं च राई चंदेण सद्धिं जोयं जोएइ जोयं जोइत्ता जोयं अणुपरियट्टइ, अणुपरियट्टित्ता पायो चंदं उत्तरापोट्ठवयाणं समप्पेइ 4 / ता उत्तरापोट्टवया खलु णक्खत्ते उभयं भागे दिवड्डखेते पणयालीसमुहुत्ते तप्पढमयाए पाश्रो चंदेण सद्धिं जोयं जोएइ अवरं च राई तो पच्छा अपरं दिवसं, एवं खलु उत्तरापोट्टवया णक्खत्ते एगं दिवसं एगं च राई अवरं च दिवसं चंदेण सद्धिं जोयं जोएइ, जोयं जोइत्ता जोयं अणुपरियट्टइ अणुपरियट्टित्ता सायं चंदं रेवईणं समप्पेइ 5 / ता रेवई खलु णक्खत्ते पच्छं Page #292 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमञ्चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्रं : प्रा० 1: प्रा० प्रा० 6 ] [ 265 भागे समखेत्ते तीसं मुहुत्ते तप्पढमयाए सायं चंदेणं सद्धिं जोयं जोएइ, तो पच्छा अवरं दिवसं एवं खलु रेवई णक्खत्ते एगं राई एगं च दिवसं चंदेण सद्धिं जोयं जोएइ जोयं जोइत्ता जोयं अणुपरियट्टइ अणुपरियट्टित्ता सायं चंदं अस्सिणीणं समप्पेइ 6 / ता अस्सिणी खलु णक्खत्ते पच्छ भागे समखेते तीसं मुहुत्ते तप्पढमयाए सायं चंदेण सद्धिं जोयं जोएइ, तो पच्छा अवरं दिवसं एवं खलु अस्सिणी णवखत्ते एगं च राइं-एगं च दिवसं चंदेण सद्धिं जोयं जोएइ, जोयं जोइता जोयं अणुपरिट्टइ, अणुपरियट्टित्ता सायं चंदं भरणीणं समप्पेइ 7 / ता भरणी खलु णक्खत्ते णत्तं भागे अवड्डखेत्ते पराणरसमुहुत्ते तप्पढमयाए सायं चंदेण सद्धिं जोयं जोएइ, णो लभइ अवरं दिवसं, एवं खलु भरणी णक्खत्ते एगं राई चंदेण सद्धिं जोयं जोएइ, जोयं जोइत्ता जोयं श्रणुपरियट्टइ अणुपरियट्टित्ता (जहा सत्तभिसया जाव) पायो चंदं कतियाणं समप्पेइ 8 | ता कत्तिया खलु णक्खत्ते पुव्वंभागे समखेते तीसइ मुहुत्ते तप्पढमयाए पात्रो चंदेण सद्धिं जोयं जोएइ तो पच्छा राई एवं खलु कत्तिया णक्खत्ते एगं च दिवसं एगं च राइं चंदण सद्धिं जोयं जोएइ जोयं जोइत्ता जोयं अणुपरियट्टइ, अणुपरियद्वित्ता पायो चंद रोहिणीणं समप्पेइ 1 / रोहिणी जहा उत्तराभवया 10 / मगसिरं जहा धणिट्ठा 11 / श्रद्दा जहा सयभिसया 12 / पुणब्वसू जहा उत्तरभद्दवया 13 / पुस्सो जहा धणिट्ठा 14 / अस्सेसा जहा सयभिसया 15 / महा जहा पुव्वाफग्गुणी 16 / पुव्वाफग्गुणी जहा पुव्वाभहवया 17 // उत्तराफग्गुणी जहा उत्तराभवया 18 / हत्थो चित्ता य जहा धणिट्ठा 11-20 / साई जहा सयभिसया 21 / विसाहा जहा उत्तराभवया 22 / अणुराहा जहा धणिट्ठा 23 / जिट्ठा जहा सयभिसया 24 / मूलं 25 पुवासाढा य जहा पुव्वाभदवया 26 / उत्तरासाढा जहा उत्तराभवया 27 // ( एवं जहा सयभिसया तहा नत्तंभागा नेयव्वा एवं जहा पुव्वाभदवया तहेव 34 Page #293 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 266 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धु :: सप्तमो विभाग. पुव्वंभागा छप्पि नेयव्वा, जहा धनिहा तहा पच्छंभागा अट्ट नेयव्वा जाव एवं खलु उत्तरासादा दो दिवसे एगं च राइं चंदेण सद्धिं जोगं जोएति, ता जोगं अणुपरियट्टति 2 सागं चंदं अमितीसवणाणं समप्पेति ) // सूत्रं 36 // दसमस्स चउत्थं पाहुडपाहुडं समत्तं // 10-4 // // अथ दशमप्राभते पञ्चमं प्रामतप्रामृतम् // ता. कहते कुला पाहियाति वएजा ? तत्थ खलु इमे बारस कुला, बारस उवकुला, चत्तारि कुलोवकुला पराणत्ता 1 / बारस कुला, तं जहा-धणिट्ठाकुलं 1, उत्तराभवयाकुलं 2, अस्सिणीकुलं 3, कत्तियाकुलं 4, मगसिरकुलं 5, पुस्सकुलं 6, मघाकुलं 7, उत्तराफग्गुणीकुलं 8, चित्ताकुलं 1, विसाहाकुलं 10, मूलंकुलं 11, उत्तरासादाकुलं 12, . 2 / बारस उबकुला, तं जहा-सवणो उवलं 1, पुवपोट्टवयाउव. कुलं 2, रेखईउवकुलं 3, भरणीउवकुलं 4, रोहिणीउवकुलं. 5, पुणव्वसुउपकुलं 6, अस्सेसाउवकुलं 7, पुवाफग्गुणी उवकुलं 8, हत्थोउवकुलं 1, साईउपकुलं 10, जेट्टाउवकुलं 11, पुवासाढाउवकुलं 12, 3 / चत्तारि कुलोवकुला, तं जहा-अभिइकुलोवकुलं 1, सयभिसया कुलोवकुलं 2, श्रद्दा कुलोवकुलं 3, अणुराहा कुलोवकुलं 4, 4 // सूत्रं 37 // दसमस्स पाहुडस्स पंचमं पाहुडपाहुडं समत्तं // 10-5 // // अथ दशमप्राभते षष्ठं प्राभतप्राभृतम् // . ता कहं ते पुराणमासी श्राहियाति वएजा ? तत्थ खलु इमायो बारस पुराणमासीयो, बारस अमावासाो , पराणत्तायो तं जहासाविट्ठी 1, पोट्ठवई 2, पासोयी 3, कत्तियी 4, मग्गसिरी 5, पोसी 6, माही 7, फग्गुणी 8, चेत्ती 1, वेसाही 10, जेट्टामूली 11, यासाढी 12, 1 / ता साविढि णं पुराणमासिं कइ णक्खत्ता जोएंति ? ता तिरिण Page #294 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमच्चन्द्र प्रज्ञप्ति सूत्रं : प्रा० 10 प्रा० 6 ] [ 267 णक्खत्ता जोएंति, तं जहा-अभिई 1, सवणो 2, धणिट्ठा 3, 1, 2 / ता पुवपोट्ठवई णं पुरिणमं कइ णक्खत्ता जोएंति ? ता तिरिण णक्खत्ता जोएंति, तं जहा-सयभिसया 1, पुव्वापोट्टवया 2, उत्तरापोट्टवया 3, 2,3 / ता श्रासोई णं पुरिणमं कइ णक्खत्ता जोएंति ? ता दोरिण णक्खत्ता जोएंति, तं जहा- रेवई अस्सिणी य 3, 4 / ता कत्तिइं णं पुरिणमं कइ णक्खत्ता जोएंति ? ता दोगिण णक्खत्ता जोएंत्ति, तं जहा-भरणी कत्तिया च 4, 5 / ता मग्गसिरिं णं पुरिणमं कइ णक्खत्ता जोएंति ? ता दोगिगा णक्खत्ता जोएंति, तं जहा-रोहिणी मग्गसिरा य 5, 6 / ता पोसिं णं पुरिणमं कइ णक्खत्ता जोएंति ?, ता तिरिण णक्खत्ता जोएंति, तं जहा-श्रद्दा 1, पुणव्वसू 2,. पुस 3, 6,7 / ता माहि ण पुाराणम कइ पखत्ता जोएंति ?, ता दोगिण णक्खत्ता जोएंति ?, तं जहा-अस्सेसा मघा य 7, 8 / ता फग्गुणिं णं पुरिणम कइ गाक्खत्ता जोएंति ? ता दोनि नक्खत्ता जोएंति ? तं जहा-पुव्वाफग्गुणी उत्तराफग्गुणी य 8, 1 / ता चेति णं पुरिणमं कइ णक्खत्ता जोएंति ? ता दोगिण णक्खत्ता जोएंति, तं जहा-हत्थो चित्ता य 1, 10 / ता वेसाहिं णं पुरिणमं कइ णक्खत्ता जोएंति ? ता दोरिण णक्खत्ता जोएंति, तं जहा--साई विसाहा य 10, 11 / ता जेट्ठामूलि णं पुरिणमं कइ णक्खत्ता जोएंति ? ता तिरिण णखत्ता जोएंति, तं जहाअणुराहा 1, जेट्ठा 2, मूलो य 3, 11, 12 / तावत् श्रासादि णं पुरिणम कइ णक्खत्ता जोएंति ? ता दो णक्खत्ता जोएंति, (एएणं अभिलावेणं मगसिरिरणं दोन्नि, तंजहा-रोहिणी मग्गसिरोय, पोसिरणं तिन्नी, तंजहा-अदा पुनव्वसू पुस्सो, माहिराणं दोन्नि, तंजहा-अस्सेसा महा य, फग्गुणीगणं दोन्नि तंजहा-पुव्वफग्गुणी उत्तराफग्गुणी य, चित्तिगणं दोन्नि, तंजहा-हत्थो चित्ता य, विसाहिरणं दोन्नि, तंजहा-साति विसाहा य, जेट्ठामूलिगणं तिन्नि, तंजहा-अणुराहा जेट्ठा मुलो, श्रासाढिरणं दोनि) तं जहा-पुव्वासाढा Page #295 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 268 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभाग उत्तरासादा य 12, 13 // सूत्रं 38 // ता सावद्विगणं पुरिणमासिगणं कि कुलं जोएइ उवकुलं जोएइ, कुलोवकुलं जोएइ ? ' ता कुलं वा जोएइ, उवकुलं वा जोएइ, कुलोवकुलं वा जोएइ, कुल जोएमाणे धणिट्ठा णक्खत्ते जोएइ, उवकुलं जोएमाणे सवणे णक्खत्ते जोएइ, कुलोवकुलं जोएमाणे अभिईणक्खत्ते जोएइ, साविट्टि पुरिणमं कुलं वा जोएइ, उवकुलं वा जोएड, कुलोवकुलं वा जोएइ, कुलेण वा जुत्ता उवकुलेण वा जुत्ता कुलोवकुलेण वा जुत्ता साविट्ठी पुरािणमा जुत्ताति वत्तव्वं सिया 1 / ता. पोट्ठवइराणं पुरिणमं किं कुलं जोएइ, उवकुलं जोएइ, कुलोवकुलं जोएइ ? ता कुलं वा जोएइ, उपकुलं वा जोएइ, कुलोवकुलं वा जोएइ, कुलं जोएमाणे उत्तरापोठ्ठयया णक्खत्ते जोएइ उवकुलं जोएमाणे पुव्वापोट्टवया णक्खत्तेजोएइ, कुलोवकुलं जोएमाणे सयभिसया णक्खत्ते जोएइ, पोट्ठवई णं पुरिणमं कुलं वा जोएइ, उवकुलं वा जोएइ, कुलोवकुलं वा जोएइ, कुलेण वा जुत्ता, उवकुलेण वा जुत्ता कुलोवकुलेण वा जुत्ता, पोट्टवई पुरिणमा जुत्ता-ति वत्तव्वं सिया 2 / ता पासोई पुरिणमासिणिं किं कुलं जोएइ, उवकुलं जोएइ, कुलोवकुल जोएइ ? ता कुलं वा जोएइ, उवकुलं वा जोएइ, नो कुलोवकुलं जोएइ, कुलं जोएमाणे अस्सिणी णक्खत्ते जोएड, उवकुलं जोएमाणे रेवई णक्खत्ते जोएइ, ग्रासोई णं पुरिणमं कुलं वा जोएइ, उपकुलं वा जोएइ, कुलेण वा जुत्ता उबकुलेण वा जुत्ता पासोई पुरिणमा जुत्ता-ति वत्तव्वं सिया 3 / एवं एएणं अभिलावेणं नेत्तव्वा, जाव पोसिं पुरिणमं, जेट्टामूलि पुगिणमं च कुलोवकुलं पि जोएइ, सेसासु णस्थि कुलोवकुलं जाव श्रासादी पुगिणमासिणी जुत्ता-ति वत्तव्वं सिया 4 / दुवालस अमावासायो पराणत्तायो, तं जहा-सावट्ठीपोट्ठवइ जाव थासाढी 5 ।ता साविदि गण अमावासं कइ णक्खत्ता जोएंति ? ता दुन्नि णक्खत्ता जोएंति, तं जहा-असेस्सा महा य 1, एवं एएणं अभिलावेणं णेयव्वंता पोट्टवई दो णक्खत्ता जोएंति, तं जहा-पुवाफग्गुणी उत्तराफग्गुणी य 2, Page #296 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमचंद्रप्रज्ञप्तिसूत्रं : प्रा० 10 पा० प्रा० 7 ] [ 266 श्रासोई दोनि हत्थो चित्ता य 3, कत्तिई दोन्नि, साई विसाहा य 4, मग्गसिरिं तिरिण, अणुराहा जेट्ठा मूलो 5, पोसिं दोनि, पुवासादा उत्तरासादा 6, माहि तिरिण, अभीई सवणो धणिट्ठा य 7, फग्गुणी तिरािण, सयभिसया पुवपोट्टवया उत्तरापोटुवया य 8, चेत्तिं तिरिण, उत्तराभदवया, रेवई, अस्सिणी य 1, वेसाहिं दोन्नि, भरणी कत्तिया य 10, जेट्ठामूलिं दोन्नि, रोहिणी मग्गसिरं च 11, ता प्रासादि णं अमावासं कइ णक्खत्ता जोएंति ? ता तिरिण णक्खत्ता जोएंति, तं जहा-श्रद्दा पुराणवसू, पुस्सो य 12,5 / ता साविढि णं अमावासं किं कुलं जोएइ ? उवकुलं जोएइ ? कुलोवकुलं जोएइ ? कुलं वा जोएइ, उवकुलं वा जोएइ नो लब्भइ कुलोचकुलं, कुलं जोएमाणे महाणक्खत्ते जोएइ, उवकुलं वा जोएमाणे असलेसा णखत्ते जोएइ कुलेण वा जुत्ता उवकलेण वा जुत्ता साविट्टी अमावासा जुत्ता-ति वत्तव्वं सिया 6 / एवं णेयव्वं णवरं मग्गसिराए, माहीए फग्गणीए, श्रासाढीए य अमावासाए कुलोवकुलं भाणियव्वं, सेसाणं कुलोवकुलं त्थि // सूत्रं 31 // दसमस्स पाहुडस्स छ8 पाहुडपाहुडं समत्तं // 10-6 // // अथ दशमप्रामृते सप्तमं प्राभूतप्राभृतम् // ____ता कहं ते संनिवाए श्राहिएति वएज्जा ? ता जया णं साविट्ठी पुरिणमा भवइ तया णं माही अमावासा भवइ 1 | जया णं माही पुरिणमा भवइ तया णं साविट्ठी श्रमावासा भवइ 2 / जया णं पोट्ठवई पुरिणमा भवइ तया णं फग्गुणी अमावासा भवइ 3 / जया णं फग्गुणी पुरिणमा भवइ तया णं पोट्टवई अमावासा भवइ 4 / जया णं श्रासोई पुरिणमा भवइ तया णं चेत्ती अमावासा भवइ 5 / जया णं चेत्ती पुरिणमा भवइ तया णं श्रासोई श्रमावासा भवइ 6 / जया णं कत्तिई पुगिणमा भवइ तया णं वेसाही Page #297 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 270 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः अमावासा भवइ ७।जया णं वेसाही पुरिणमा भवइ तयाणं कत्तिया अमावासा भवइ = | जया णं मग्गसिरी पुरिणमा भवइ तया णं जेट्ठामूली अमावासा भवइ 1 / जया णं जेट्टामूली पुगिणमा भवइ तया णं मग्गसिरी अमावासा भवइ (एवं एएणं अभिलावेणं श्रासोइए चेतिए य कत्तीए वेसाहिए मग्गसिराए जेट्ठामूलीए य) 10 / जया णं पोसी पुगिणमा भवइ तया णं श्रासाठी अमारासा भवइ 11 / जया णं श्रासाढी पुगिणमा भवइ तया णं पोसी अमावासा भवइ 12 // सूत्रं 40 // दममस्स पाहुडस्स सत्तमं पाहुड.. पाहुडं समत्तं // 10-7 // // अथ दशमप्राभृते अष्टमं प्राभृतप्रामृतम् // . ___ता कहं ते नक्खत्तसंठिई श्राहिएति वएजा ? ता एएसि णं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं अभिई णं णक्खत्ते कि संठिए पराणते ? गोयमा ! गोसीसावलिसंठिए पराणत्ते 1 / सवणे काहारसंठिए पराणत्ते 2 / धणिट्ठा संठिए सउणिपलीणगसंठिए 3 / सयभिसया पुप्फोवयारसंठिए 4 / एवं पुवापोट्ठवया अवड्ढवावीसंठिए 5 / एवं उत्तरावि 6 / रेवईणक्खत्ते णावासंठिए 7 / अस्सिणी णक्खत्ते श्रासक्खंधसंठिए = / भरणीणक्खत्ते भगसंठिए 1 / कत्तिया णक्खत्ते छुरघरसंठिए पराणत्ते 10 / रोहिणीणक्खत्ते सगडद्धिसंठिए 11 / मिग्गसिराणक्खत्ते मिगसीसावलिसंठिए 12 / अदाणक्खत्ते रुधिरबिंदुसंठिए 13 / पुणव्वसुणक्खत्ते तुलासंठिए 14 / पुस्से णक्खत्ते वद्धमाणसंठिए 15 / अस्सेसा णक्खत्ते पडागसंटिए 16 / महाणक्खत्ते पागारसंठिए 17 / पुव्वाफग्गुणीणक्खत्ते अद्धपलियंकसंठिए 18 / एवं उत्तरावि 11 / हत्थे णक्खत्ते हत्थसंठिए 20 / चित्ताणक्खत्ते मुहफुल्लसंठिए 21 / साइणक्खत्ते खीलगसंठिए 22 / विसाहा - णक्खत्ते दामणिसंठिए 23 / अणुराहा णक्खत्ते एगावलिसंठिए 24 / जेट्टाणक्खत्ते Page #298 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीच्चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्रं : प्रा० 10:: प्रा० 6-10 ] [ 271 गयदंतसंठिए 25 / मूले णक्खत्तै विच्छुय लंगूलसंठिए 26 / पुव्वासाढाणक्खत्ते गयविकमसंठिए 27 / उत्तरासाढाणक्खत्ते सीहनिसाइयसंठिए 28 // सूत्रं 41 // दसमस्स अट्ठमं पाहुडपाहुडं समत्तं // 10-8 // - // अथ दशमप्राभते नवमं प्राभतप्राभतम् // _ता कहं ते नक्खत्ताणं तारग्गे श्राहिएति वएजा ? ता एएसि णं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं अभिईणक्खत्ते कइ तारे पराणत्ते ? गोयमा ! तितारे पराणते 1 / सवणे णक्खत्ते तितारे 2 ) धणिहा खत्ते पणतारे 3 / सयभिसया णक्खत्ते सततारे 4 / पुव्वापोटुवया णक्खत्ते दुतारे 5 / एवं उत्तरापोट्ठवयावि 6 / रेखईणक्खत्ते बत्तीसइतारे 7 / अस्सिणी णक्खत्ते तितारे = / भरणी तितारे 1 / कत्तिया छत्तारे 10 / रोहिणी पंचतारे 11 / मिगसिर तितारे 12 / श्रदा एगतारे 13 / पुणव्वसु पंचतारे 14 / पुस्से तितारे 15 / अस्सेसा छत्तारे (एगतारे) 16 / महा सत्ततारे 17 / पुव्वाफग्गुणी दुतारे 18 / एवं उत्तरावि 11 / हत्थे पंचतारे 20 / चित्ता एगतारे 21 / साई एगतारे 22 / विसाहा पंचतारे 23 / अणुराहा चउतारे 24 / जेट्ठा तितारे 25 / मूले एगारसतारे 26 / पुव्वासादा चउतारे 27 / उत्तरासादा गाक्खत्ते चउतारे पराणत्ते // सूत्रं 42 // दसमस्स पाहुडस्स नवमं पाहुडपाहुडं समत्तं // 10-1 // ... // अथ दशमप्राभृते दसमं प्राभृतप्राभतम्॥ ता कहं ते णेया अहिएति वएज्जा ? ता वासाणं पढमं मासं कई णखत्ता ?ति ? ता चत्तारि णक्खत्ता णें ति, तं जहा-उत्तरासादा श्रभिई सवणे धणिट्ठा, उत्तरासादाचोदस अहोरत्ते गोइ, अभिई सत्त अहोरत्ते णेइ, सवणे अट्ठ अहोरत्ते णेइ धणिट्ठा एगं अहोरत्तं ोइ, तंसि च णं मासंसि चउरंगुलाए पोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरियट्टइ, तस्स णं. मासस्स Page #299 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 272 ] . [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः चरिमे दिवसे दो पायाइं चत्तारि य अंगुलाई पोरिसी भवइ 1 / ता वासाणं दोच्चं मासं कइ णक्खत्ता ऐति ? ता चत्तारि णक्खत्ता ऐति, तं जहाधणिट्ठा, सयभिसया पुवपोटुवया उत्तरपोट्टवया, एवं एएणं अभिलावेणं जहेव जंबुद्दीवपन्नत्तीए तहेव इत्थंपि भाणियव्वं, धणिट्ठा चोदसग्रहोरत्ते णेइ सयभिसया सत्त अहोरत्ते णेइ, पुव्वापोठुवया अट्ट अहोरत्ते गोइ, उत्तरा. पोट्टवया एगं अहोरत्तं णेइ, तंसि च णं मासंसि अट्ठगुलाए पोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरियट्टइ तस्स णं मासस्स चरिमे दिवसे दो पयाई अट्ट अंगुलाई पोरिसी भवइ 2 / ता वासाणं तइयं मासं कइ णक्खत्ता णेंति ? ता तिगिण णक्खत्ता णेति, तं जहा-उत्तरपोठुवया रेवई, अस्सिणी उत्तरापोट्टवया चोदसग्रहोरत्ते णेइ, रेवई पराणरस अहोरत्ते णेइ अस्सिणी एगं अहोरत्तं णेइ, तंसि च णं मासंसि दुवालसंगुलाए पोरिसीए छाया सूरिए अणुपरियट्टइ, तस्स णं मासस्स चरिमे दिवसे लेहत्थाई तिरिण पयाई पोरिसी भवइ 3 / ता वासाणं चउत्थं मासं कइ णक्खत्ता ऎति, तं जहा-अस्सिणी भरणी कत्तिया, अस्सिणी चउद्दस अहोरत्ते णेइ, भरणी पराणरस अहोरत्ते गोइ, कत्तिया एगं अहोरत्तं गोइ, तंसि च णं मासंसि सोलसंगुलाए पोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरियट्टइ, तस्स णं मासस्स चरिमे दिवसे तिरिण पयाई चत्तारि अंगुलाई पोरिसी भवइ 4 / ता हेमंताणं पढमं मासं कइ णक्खत्ता ऐति? ता तिगिण णक्खत्ता गोंति, तं जहाकत्तिया रोहिणी संठाणा, कत्तिया चोदसग्रहोरते णेइ, रोहिणी पराणरस अहोरते णेइ, संठाणा एर्ग अहोरत्तं गोइ, तंसि च णं मासंसि वीसंगुलाए पोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरियट्टइ, तस्स णं मासस्स चरिमे दिवसे तिरिण पयाई अट्ठ अंगुलाई पोरिसी भवइ 1, 5 / ता हेमंताणं दोच्चं मासं कइ णक्खत्ता णेंति ? चत्तारि णक्खत्ता णेंति, तं जहा-संगणा, श्रद्दा, पुणव्वसू पुस्सो, संठाणा चोदसत्रहोरत्ते ोइ, अहा सत्त अहोरते ोइ, Page #300 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमच्चंद्रप्रज्ञप्तिसूत्र :: प्रा० 10 प्रा० 10 ] [ 273 पुणब्वसू अट्ठ अहोरत्ते णेइ पुस्से एगं अहोरत्तं ोइ, तंसि च णं मासंसि चउवीसंगुलाए पोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरियट्टइ, तस्स णं मासस्स चरिमे दिवसे लेहट्ठाणि चत्तारि पयाई पोरिसी भवइ 2, 6 / ता हेमंताणं तइयं मासं कइणक्खत्ता णेंति ? ता तिगिण णक्खत्ता ऐति, तं जहा-पुस्से श्रस्सेसा महा, पुस्से चोदसग्रहोरत्ते गोइ, अस्सेसा पंचदस अहोरत्ते णेइ, महा एगे अहोरत्तं गेड, तंसि च णं मासंसि वीसंगुलाए पोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरियट्टइ, तस्स णं मासरस चरिमे दिवसे तिगिण पयाई टुंगुलाई पोरिसी भवई 3,7 / ता हेमंताणं वउत्थं मासं कइ णक्खत्ता णेति ? ता तिरिण णक्खत्ता णेंति, तं जहा-महा पुव्वाफग्गुणी उत्तराफग्गुणी, महा चोइस अहोरते णेइ, पुवाफग्गुणी पराणरस अहोरत्ते णेइ, उत्तराफग्गुणी एगं अहोरत्तं णेड, तंसि च णं मासंसि सोलसंगुलाए पोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरियट्टइ, तस्स णं मासस्स चरिमे दिवसे तिगिण पयाइं चत्तारि अंगुलाई पोरिसी भवइ 4, 8 / ता गिम्हाणं पढमं मासं कइ णक्खत्ता णेंति ? ता तिरिण णक्खत्ता णेति, तं जहा-उत्तराफग्गुणी हत्थो चित्ता, उत्तराफग्गुणी चोदसग्रहोरत्ते हत्थो पराणरस अहोरत्ते णेइ, चित्ता एग अहोरत्तं णेइ, तंसि च णं मासंसि दुवालसंगुलाए पोरिसी छायाए सूरिए अणुपरियट्टइ, तस्स णं मासस्स चरिमे दिवसे लेहटाई य तिगिण पयाई पोरिसी भवइ 1, 1 / ता गिम्हाणं वितियं मासं कइ णक्खत्ता ति ? ता तिगिण णक्खत्ता णेंति, तं जहाचित्ता साई विसाहा, चित्ता चोदस अहोरत्ते णेइ, साई पराणरस अहोरत्ते mइ, विसाहा एगं अहोरत्तं णेइ, तंसि च णं मासंसि अटुंगुलाए पोरि. सीए छायाए सूरिए अणुपरियट्टइ तस्स णं मासस्स चरिमे दिवसे दो पयाई अट्ठ अंगुलाई पोरिसी भवइ 2, 10 / गिम्हाणं तइयं मासं कइ णक्खत्ता णेति ? ता चत्तारि णक्खत्ता गोंति, तं जहा-विसाहा अणुराहा जेट्ठा मूले य, विसाहा चोदसत्रहोरत्ते णेइ, अणुराहा सत्त (पनरस) अहोरते णेइ, जेट्ठा Page #301 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 274 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः अट्ट अहोरत्ते णेइ, मूलो एगं अहोरत्तं गोइ, तंसि च णं मासंसि चउरंगुलाए पोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरियट्टइ, तस्स णं मासस्म चरिमे दिवसे दो पयाई चत्तारि अंगुलाई पोरिसी भवइ 3, 11 / ता गिम्हाणं चउत्थं मासं कइ णक्खत्ता ऐति ? ता तिरिण णक्खत्ता णेंति, तं जहा-मूलो पुवासाढा उत्तरासादा, मूलो चोइस अहोरत्ते णोइ, पुव्वासादा पराणरस अहोरत्ते णेइ, उत्तरासाढा एगं अहोरत्तं णेइ, (इयत्पर्यन्तं जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिपाठः) जाव तंसि च णं मासंसि वट्टाए समचउरंससंठियाए णग्गोहपरिमंडलाए सकायमणुरंगिणीए छायाए सूरिए अणुपरियट्टइ तस्स णं मासस्स चरिमे दिवसे लेहट्ठाई दोपयाई पोरिसी भवइ 4, 12 // सूत्रं 43 // दसमस्स पाहुडस्स दसमं पाहुडपाहुडं समत्तं // 10-10 // // अथ दशमप्राभृते एकादशं प्राभृतप्राभृतम् // ता कहं ते चंदमग्गा याहिताति वएज्जा ? ता एएसि णं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं अस्थि णक्खत्ता जे णं सया चंदस्स दाहिणेणं जोयं जोएंति 1, अस्थि णक्खत्ता जे णं सया चंदस्स उत्तरेण जोयं जोएंति 2, अस्थि णक्खत्ता जे णं सया चंदस्स दाहिणेण वि उत्तरेण वि पमपि जोय जोएंति 3, अस्थि णक्खत्ता जे णं सया चंदरस दाहिणेणंवि पमद्दपि जोयं जोएंति 4, अस्थि णखत्ता जे णं चंदस्स सया पमह जोयं जोएंति 5, 1 / ता एएसि णं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं कयरे णक्खत्ता जे णं सया चंदस्स दाहिणेण जोयं जोएंति ? तहेव जाव कयरे गक्खत्ता जे णं सया चंदस्स पमह जोयं जोएंति ? ता एएसि णं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं तत्थ जे णं णक्खत्ता सया चंदस्स दाहिणेणं जोयं जोएंति ते णं छ, तंजहासंठाणा 1, श्रद्दा 2, पुस्सो 3, अस्सेसा 4, हत्थो 5, मूलो 6, तत्थ जे ते णखत्ता जे णं सया चंदस्स उत्तरेणं जोयं जोएंति, ते णं बारस, Page #302 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमच्चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्रं : प्रा० 10 प्रा० 11 ] [ 275 तंजहा-अभिई 1, सवणो 2, धणिट्ठा 3, सयभिसया 4, पुव्वभवया 5, उत्तरापोट्ठवया 6, रेवई 7, अस्सिणी 8, भरणी 1, पुव्वाफग्गुणी 10, उत्तराफग्गुणी 11, साई 12, तत्थ जे ते णक्खत्ता जे णं चंदस्स दाहिणेण वि उत्तरेण वि पमद्दपि जोयं जोएंति ते णं सत्त, तंजहा-कत्तिया 1, रोहिणी 2, पुणव्वसू 3, महा 4, चित्ता 5, विसाहा 6, श्रणुराहा 7, तत्थ जे ते णक्खत्ता जे णं चंदस्स दाहिणेण वि पमपि जोयं जोएंति तायो णं दो श्रासाढायो सब्बबाहिरे मंडले जोयं जोएंसु था, जोएंति वा, जोइस्संति वा तत्थ णं जे तं णक्खते जे णं सया चंदस्स पमह जोयं जोएइ सा णं एगा जेट्ठा 8, 2 // सूत्रं 44 // ता कइ णं ते चंदमंडला श्राहिएति वएजा ? ता पराणरस चंदमंडला पाहिएति वएजा 1 / ता एएसि णं पराणरसगहं चंदमंडलाणं अस्थि चंदमंडला जे णं सया णक्खतेहिं अविरहिया 1, अस्थि चंदमंडला जे णं सया णक्खत्तेहिं विरहिया 2, अत्थि चंदमंडला जे णं रविससि णक्खत्ताणं सामराणा भवंति 3, अस्थि चंदमंडला जे णं सया श्राइच्चेहिं विरहिया 4, 1 / ता एएसि णं पराणरसराहं चंदमंडलाणं कयरे चंदमंडला जे णं सया णक्खत्तेहिं अविरहिया जाव कयरे चंदमंडला जे णं सया श्राइच्चेहिं विरहिया ? ता एएसि णं पराणरसराहं चंदमंडलाणं तत्थ जे ते चंदमंडला जे णं सया णक्खत्तेहि अविरहिया ते णं अट्ठ, तं जहा-पढमे चंदमंडले, तइए चंदमंडले, छ? चंदमंडले, सत्तमे चंदमंडले, अट्ठमे चंदमंडले, दसमे चंदमंडले, एगारसे चंदमंडले, पराणरसमे चंदमंडले 1, तत्थ जे ते चंदमंडला जे णं सया णक्खत्तेहिं विरहिया ते णं सत्त, तंजहा-बीए चंदमंडले चउत्थे चंदमंडले पंचमे चंदमंडले नवमे चंदमंडले बारसमे चंदमंडले तेरसमे चंदमंडले घउद्दसमे चंदमंडले 2, 7, तत्थ जे ते चंदमंडला जे णं ससिरविणक्खत्ताणं समाणा भवंति ते णं चत्तारि, तंजहा-पढमे चंदमंडले बीए चंदमंडले इकारसमे Page #303 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 276 ] श्रिोमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभाग चंदमंडले पराणरसमे चंदमंडले 3, तत्थ जे ते चंदमंडला जे णं सया श्राइच्चेहिं विरहिया ते णं पंच, तं जहा-छ? चंदमंडले सत्तमे चंदमंडले अट्ठमे चंदमंडले नवमे चंदमंडले दसमे चंदमंडले 4, 2 // सूत्रं 45 // दसमस्स एकारसमं पाहुडपाहुडं समत्तं // 10-11 // // अथ दशमप्राभूते द्वादशं प्राभृतप्रामृतम् // __ता कहं ते देवयाणं अज्झयणा श्राहियाति वएजा ? ता एएसि णं अट्ठावीसाए नक्खत्ताणं अभिई णक्खत्ते कि देवयाए पराणते ? बंभदेवयाए पराणत्ते 1 / सवणे णक्खत्ते विराहुदेवयाए पराणते 2 / एवं जहा जंबद्दीवपराणत्तीए जाव उत्तरासाढा णक्खत्ते विस्सदेवयाए परणत्ते // सूत्रं 46 // दसमस्त बारसमं पाहुडपाहुडं समत्तं // 10-12 // . // अथ दशमप्राभृते त्रयोदशं प्राभृतप्राभृतम् // ___ता कहं ते मुहुत्ताणं नामधेजा ग्राहियाति वएजा ? ता एगमेगस्स णं अहोरत्तस्स तीसं मुहुत्ता पराणत्ता, तंजहा-रुद्दे 1, सेए 2, मित्ते 3, वाऊ 4, सुपीए 5 तहेव अभिचंदे 6 / माहिद 7 बलव 8 बंभो 1 बहुसच्चे 10 चेव ईसाणे 11 // 1 // त? 12 य भवियप्पा 13, वेसमणे 14 वारुणे य 15 श्राणंदे 16 / विजए 17 य वीससेणे 18, पयावई 11 चेव उवसमए य 20 // 2 // गंधव्व 21 अग्गिवेस्से 22, सयवसहे 23 श्रायवं 24 च अममे 25 य / अणवं 26 च भोम 27 रिसहे 28, सव्व? 21 रक्खसे 30 चेव // 3 // सूत्रं 47 // दसमस्स पाहुडस्स तेरसमं पाहुडपाहुडं समत्तं // 10-13 // . . Page #304 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमच्चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्रं : प्रा० 10 प्रा० 14-15 ] [ 277 // अथ दशमप्राभते चतुर्दशं प्राभृतप्राभूतम् // ता कहं ते दिवसाणं नामधेजा अाहियाति वएजा ? ता एगमेगस्स यस्ततस्स एराएरस 1 दिवसा परायचा, तंजहा-पंडित्यादिवसे 1, बितिया दिवसे 2 जाव परणरसी दिवसे 15, 1 / ता एएसि णं पराणरसराहं दिवसाणं पराणरसनामधेजा पराणत्ता, तं जहा-पुव्वंगे 1 सिद्धमणोरमे 2 य, तत्तो मणोहरो 3 चेव / जसभद्दे 4 य जसोधर 25 सव्वकामसमिद्धे 6 ति य // 1 // इंदमुद्धाभिसित्ते, य सोमणस 8 धणंजए 1 य बोद्धव्वे / अत्थसिद्धे 10 अभिजाते 11, अचासणे 12, य सतंजए 13 // 2 // अग्गिवेस्से 14 उवसमे 15 दिवसाणं णामधेनाई 2 / ता कहते राईयो अाहितेति वएजा ? ता एगमेगस्स णं णक्खत्तस्स. पराणरस राईयो पराणत्तायो, तं जहा-पडिवया राई बितिया राई जाव पराणरसी राई 3 / ता एयासिणं पराणरसराहं राईणं पराणरसनामधेजा पराणत्ता, तं जहाउत्तमा 1, य सुणक्खत्ता 2, एला एलावच्च 3 जसोधरा 4 / सोमणसा 5 चेव तहा, सिरिभूया 6 य बोद्धव्वा // 1 // विजया, य वेजयंति 8, जयंति 1 अपराजिया 10 य गच्छा 11 य / समाहारा 12 चेव तहा तेया 13 य तहा य श्रइतेया 14 // 2 // देवाणंदा 15 निरई, रयणीणं, णाम धेजाई // सूत्रं 48 // दसमस्स पाहुडस्स चउद्दसमं पाहुडपाहुडं समत्तं // 10-14 // // अथ दशमप्राभृते पञ्चदशं प्राभृतप्राभृतम् // ___ता कहं ते तिहीनो श्राहितेति वएजा ? तत्थ खलु इमा दुविहायो तिहारो पराणत्तायो, तं जहा-दिवसतिही य राईतिही य / ता कहते दिवसतिही श्राहितेति वएजा ? ता एगमेगस्स णं पक्खस्स पराणरस 2 दिवस तिही पराणत्ता, तं जहा-नंदा 1 भद्दा 2 जया 3 तुच्छा 4 Page #305 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 278 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः पुराणा 5 पक्खस्स पंचमी 5 / पुणरवि नंदा 6 भद्दा 7 जया 8 तुच्छा 1 पुराणा 10 पक्खस्स दसमी 10 / पुणरवि नंदा 11 भदा 12 जया 13 तुच्छा 14 पुराणा 15 पक्खस्स पराणरसी। एवं ते तिगुणा तिहीओ सव्वेसि दिवसाणं / ता कहते राईतिही अाहितेति वएज्जा ? एगमेगस्स णं पक्खस्स पराणरस परणरस राईतिही पराणत्ता, तं जहा-उग्गवई 1 भोगवई 2 जसवई 3 सव्वट्ठसिद्धा 4 सुहाणामा 5, पुराणरवि-उग्गवई 6, भोगवई 7 जसवई 8 सव्वट्ठसिद्ध 1 सुहाणामा 10 पुणरवि उग्गवई 11 भोगवई 12 जसवई 13 सव्वट्ठसिद्धा 14 सुहणामा 15, एते तिगुण तिहीयो सव्वासिं राईणं // सूत्रं 41 // दसमस्स पाहुडस्स पराणरसमं पाहुड. पाहुडं समत्तं // 10-15 // // अथ दशमप्राभृते षोडशं प्राभृतप्रामृतम् // ता कहते गोत्ता अाहितेति वएजा ? ता एएसि णं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं अभिई णक्खत्ते किं गोते पराणते ? ता भोगलायणसगोत्ते पराणते 1 / सवणे णक्खत्ते संखायगासगोत्ते पराणत्ते 2 / धणिट्ठाणक्खत्ते अग्गभाव (अग्गिताव)सगोत्ते 3 / सयभिसया णक्खत्ते करण(उ,णो)लोयणसगोत्ते पराणते 4 / पुवापोट्ठवयाणक्खत्ते जोउकरिणयसगोत्ते पराणत्ते 5 / उत्तरापोट्टवयाणक्खत्ते धणंजयसगोत्ते पराणत्ते 6 / रेवईणवखते पुस्सायणसगोत्ते पराणत्ते 7 / अस्सिणीणक्खत्ते अस्सायणसगोत्ते पराणत्ते 8 / भरणीणक्खत्ते भग्गवेसायण(स)सगोत्ते पराणत्ते 1 / कत्तियाणक्खत्ते अग्गिवेस्ससगोत्ते पराणत्ते 10 / रोहिणीणक्खत्ते गोयमसगोत्ते पराणत्ते 11 / संगणणक्खत्ते भारहायसगोत्ते पराणत्ते 12 / अहाणक्खत्ते लोहिच्चायणसगोत्ते पराणत्ते 13 / पुणव्वसुणक्खत्ते वासिद्धसगोत्ते पराणत्ते 14 / पुस्से णक्खत्ते उजायणसगोत्ते पराणत्ते 15 / अस्सेसाणक्खत्ते मंडब्बायणसगोत्ते Page #306 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ 276 गावखते गाव हत्थे गावखत्ते का साईणवखत्ते भाग / अणुराहार श्रीमच्चंद्रप्रज्ञप्तिस्त्रं : प्रा० 10 प्रा० प्रा० 17 ] पराणत्ते 16 / मघाणक्खत्ते पिंगायणसगोत्ते पराणत्ते 17 / पुब्वाफग्गुणीणक्खत्ते गोवल्लायणसगोत्ते पराणत्ते 18 / उत्तराफग्गुणीणक्खत्ते कासवगोत्ते पराणत्ते 11 / हत्थे णाक्खत्ते कोसियगोत्ते पराणत्ते 20 / चित्ताणक्खत्ते दभियायणमगोत्ते पराणते 21 / साईणक्खत्ते भाग(चामर)च्छगोत्ते पराणत्ते 22 / विसाहाणखत्ते सुगायणसगोत्ते पराणत्ते 23 / अणुराहाणक्खत्ते गोलबायणसगोत्ते पराणत्ते 24 / जेट्ठाणक्खत्ते तिगिच्छायणसगोत्ते पराणत्ते 25 / मूले णक्खत्ते कचायणमगोत्ते पराणत्ते 26 / पुव्वासाढाणक्खत्ते वझियायणसगोत्ते पराणत्ते 27 / उत्तरामाढाणक्खत्ते वग्धावच्चसगोत्ते पराणत्ते 28 // सूत्रं 50 // दसमस्स पाहुडस्स सोलसमं पाहुडपाहुडं समत्तं / / 10-16 // // अथ दशमप्राभूते सप्तदशं प्राभृतप्रामृतम् // ता कहते भोयणा अाहितेति वएज्जा ? ता एएसि णं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं कत्तियाहिं दहिणा भोचा कज्ज साहिति 1, रोहिणीहि वसभमंसेण भोचा कज्ज साहिति 2, संगणाहिं मिगमसेण भोचा कज्ज साहिति 3, अदाहिं णवणीएण भोचा कज्ज साहिति 4, पुणव्वसुणा घएण भोचा कज्ज साहिति 5, पुस्सेणं खीरेण भोचा कज्जं साहेति 6, अस्सेसाए दीवगमसेण भोचा कज्ज साहेति 7, मघाहिं कसोति (कंसरि) भोचा कज्ज साहिति 8, पुव्वाहि फग्गुणीहिं मेढकमसेण भोचा कज्ज साहेति 1, उत्तराहिं फग्गुणीहिं णक्खीमसेण भोचा कज्जं साहिति 10, हत्येण वत्थाणीए(णीप्पराणे)ण भोच्चा कज्ज साहेति 11, चित्ताहिं मुग्गसूपेणं भोच्चा कज्जं साहिति 12, साइणा फलाई भोच्चा कज्जं साहति 13, विसाहाहिं श्रातिसियत्रो भोच्चा कज्ज साहेति 14, अणुराहाहिं मिस्सा(मास). करं भोच्चा कज्ज साहेति 15, जेट्टाहिं कोलट्ठिएणं भोच्चा कज्जं Page #307 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 280 ] ":[ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागा साहिति 16, मलेणं मूलपराणे(साए)णं भोच्चा कज्ज साहेति 17 पुवासादाहिं श्रामलगसरीरं भोच्चा कज्जं साहिति 18, उत्तरासाढाहिं बिल्लेहिं भोचा कज्जं साहिति 11, अभिइणा पुप्फेहिं भोच्चा कज्जं साहिति 20, सवणेणं खीरेणं भोच्चा कज्ज साहिति 21, धणिट्ठाहिं जुसेण भोच्चा कज्ज साहेति 22, सयभिसयाए तुवरीयो भोच्चा कज्ज साहिति 23, पुव्वापोट्टवयाहि कारिल्लएहिं भोच्चा कज्जं साहेति 24, उत्तरापोट्टवयाहिं वराहमसेण भोच्चा कज्ज साहेति 25, रेवईहिं जलयरमसेण. भोच्चा कज्जं साहेति 26, अस्सिणीहिं तित्तिरमसेण अहवा वट्टगमंसेण भोच्चा कज्ज साहेति 27, भरणीहिं तिलतंदुलगं भोच्चा कज्जं साहेति 28 // सूत्रं 51 // दसमस्स पाहुडस्स सत्तरसमं पाहुडपाहुडं समत्तं // 10-17 // // अथ दशमप्राभते अष्टादशं प्राभृतप्राभूतम् // - ता कहं ते चारा आहितेति वएना ? तत्थ खलु इमे दुविहा चारा पराणत्ता, तं जहा- श्राइच्च चारा य चंदचारा य 1 / ता कहते चंदचारा अाहितेति वएज्जा ? ता पंच संवच्छरिए णं जुगे अभिई णक्खत्ते सत्तसट्टिचारे चंदेण सद्धिं जोयं जोएइ 1, सवणेणं णखत्ते सत्तट्टि चारे चंदेण सद्धिं जोयं जोएइ 2, एवं जाव उत्तरासाढा एक्खत्ते सत्तट्टि चारे चंदेण सद्धिं जोयं जोएइ 2 / ता कहं ते श्राइच्चचारा अाहितेति वएज्जा ? ता पंच संवच्छरिएणं जुगे अभिईणक्खचे पंच चारे सूरेण सद्धिं जोयं जोएइ, एवं जाव उत्तरासाढा णवखत्ते पंचचारे सूरेण सद्धिं जोयं जोएइ ॥सूत्रं 52 // दसमस्स पाहुडस्स अट्ठारसमं पाहुडपाहुडं समत्तं // 10-18 // Page #308 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमचन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्रं :: प्रा० 10 प्रा० 19-20 ] / 281 // अथ दशमप्राभृते एकोनविंशतितमं प्राभृतप्राभृतम् // ता कहं ते मासा आहियाति वएजा ? ता एगमेगस्स णं संवच्छरस्स बारस मासा पराणत्ता 1 / तेसिं च णं बारसरहं मासाणं दुविहा नामधेजा पराणत्ता, तं जहा-लोइया लोउत्तरिया य 2 / तत्थ लोइया नामा -सावणे भद्दवए 2, आसोए 3, जाव श्रासाढे 12, 3 / लोउत्तरिया णामा-“अभिणंदे 1. सुपइ8 2 य, विजए 3 पीइवद्धणे 4 / सेज्जंसे 5 य सिवइ 6 यावइ, सिसिरे 7 वि य हेमवं 8 // 1 // नवमे वसंतमासे 1, दसमे कुसुम संभवे 10 एगारसमे णिदाहे 11, वणविरोही य बारसे 12 // 2 ॥४॥सूत्रं 53 // दसमस्त पाहुडस्स एगूणवीसतितमं पाहुडपाहुडं समत्तं // 10-11 // // अथ दशमप्राभते विंशतितमं प्राभृतप्रामृतम् // ता कहं ते संवच्छरा श्राहितेति वएज्जा 1 / ता पंच संवच्छरा श्राहिता. तं जहा-णक्खत्तसंबच्छरे 1, जुगसंवच्छरे 2, पमाणसंवच्छरे 3, लक्खणसंवच्छरे 4, सणिच्छरसंवच्छरे 2 // सूत्रं 54 // ता णक्खत्तसंवच्छरे णं दुवालसविहे पण्णत्ते, तं जहा-सावणे 1 भद्दवए 2 जाव श्रासाढे 12, 1 / जं वा बहस्सई महग्गहे दुवालसहिं संवच्छरेहिं सव्वं णक्खत्तमंडलं समाणेइ 2 // सूत्रं 55 // ता जुगसंवत्सरेणं पंचविहे पराणत्ते, तं जहा-चंदे 1 चंदे 2 अभिवड्डिए 3 चंदे 4 अभिवडिए चेव 5, 1 / ता पढमस्स णं चंदसंवच्छरस्स चउव्वीसं पव्वा पराणत्ता 1, दोच्चस्स णं चंदसंवच्छरस्स चउवीसं पव्वा पराणत्ता 2, तच्चस्स णं अभिवडियसंवच्छरस्स छव्वीसं पव्वा पराणत्ता 3, चउत्थस्स णं चंदसंवच्छरस्स चउवीसं पव्वा पराणत्ता 4, पंचमस्स णं अभिवडियसंवच्छरस्स छव्वीसं पव्वा पराणत्ता 5, 2 / एवामेव सपुवावरेणं पंचसंवच्छरिए जुगे एगे चउवीसे पन्चसए भवतीति मक्खायं 3 // सूत्रं 56 // ता पमाणसंवच्छरे पंचविहे Page #309 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 282 ] / श्रीमदागमसुधासिन्धुः सप्तमो विभाग पराणत्ते, तं जहा-नक्खत्ते 1 चंदे 2, उऊ 3 श्राइच्चे 4 अभिवडिए 5 . // सूत्रं 57 // ता लक्खणसंवच्छरे पंचविहे पराणत्ते, तं जहा-णक्खत्ते 1, चंदे 2, उऊ 3, प्राइच्चे 4, अभिवड्डिए 5, 1 / ता णक्खत्ते संवच्छरे णं पंचविहे पराणत्ते, तं जहा-समगं णक्खत्ता जोयं जोएंति समगं उऊपरिणमंति। नच्चुराहें नाइसीए, बहुउदए होइ णक्खत्ते // 1 // ससि समग पुराणमासिं, जोइंति विसमचारि णक्खत्ता / कडुबो बहुउदो य, तमाहु संवच्छरं चंदं // 2 // विसमं पवालिणो परिणमंति अणुऊसु दिति पुष्फफलं / वासं न सम्म वासइ, तमाहु संवच्छरं कम्मं // 3 // पुढविदगाणं च रसं, पुप्फफलाणं च देइ श्राइच्चे / अप्पेणवि वासेणं, सम्म निष्फजए सस्सं // 4 // श्राइच्चतेयतविया, खणलवदिवसा उऊ परिणमंति। परेइ निराणथलए, तमाहु अभिवडियं जाण // 5 // 2 / ता सणिच्छरसंवच्छरेणं अट्ठावीसइ विहे पराणत्ते, तं जहा-अभिई 1 सवणे 2 जाव उत्तरासादा 28, 3 / जं वा सणिच्छरे महग्गहे तीसाए संवच्छरेहिं सव्वं, णक्खत्तमंडलं समाणेइ 4 // सूत्रं 58 // दसमस्स पाहुडस्त वीसतिमं पाहुडपाहुडं समत्तं // 10-20 // // अथ दशमप्राभृते एकविंशतितमं प्रातभृप्रामृतम् // 6 ता कहते जोइसस्स दारा श्राहितेति वएज्जा ? तत्थ खलु इमायो पंच पडिवत्तीयो पराणत्तायो, तं जहा-तत्थेगे एवमाहंसु-ता कत्तियाईणं सत्त णक्खत्ता पुव्वदारिया पराणत्ता एगे एवमाहंसु 1, एगे पुण एवमाहंसु-ता महाईया सत्त णक्खत्ता पुव्वदारिया पराणत्ता, एगे एवमाहंसु 2 एगे पुराण एवमाहंसु-ता धणिट्ठाईया सत्त णक्खत्ता पुव्वदारिया पराणत्ता, एगे एवमाहंसु 3, एगे पुण एवमाहंसु-अस्सिणियाईया सत्त णक्खना पुव्वदारिया . . Page #310 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमचन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्रं :: प्रा० 10 प्रा० 21 ] [ 283 पराणत्ता, एगे एवमाहंसु 4, एगे पुण एवमाहंसु-ता भरणियाईया सत्त णखत्ता पुव्वदारिया पराणत्ता एगे एवमाहंसु 5, 1 / तत्थ णं जे ते एवमाहंसु ता कत्तियाईया सत्त णक्खत्ता पुव्वदारिया पराणत्ता ते एवमाहंसु, तं जहा-कत्तिया रोहिणी संठाणा अद्दा पुणव्वसु पुस्सो असिलेसा महाईया सत्त णक्खत्ता दाहिणदारिया पराणत्ता, तं जहा-महा पुवाफग्गुणी उत्तराफग्गुणी हत्यो चित्ता साई विसाहा, अणुराहाईया, सत्त णक्खत्ता पच्छिमदारिया पराणत्ता, तंजहा-अणुराहा जेट्ठा मूलो पुव्वासाढा उत्तरासादा यभिई सर्वणो, धणिट्ठाईया सत्त णक्खत्ता उत्तरदारिया पराणत्ता, तंनहा-धमिटा सयभिसया पुवापोठुवया उत्तरापोटुवया रेखई अस्सिणी भरणी 1, 2 / तत्य णं जे ते एवमाहंसु-ता महाईया सत्त णक्खत्ता पुधदारिया पराणत्ता, ते एवमाहंसु तं जहा-महा पुव्वाफग्गुणी उत्तराफग्गुणी हत्थो चित्ता साई बिसाहा 1, अणुराहाईया सत्त णक्खत्ता दाहिणदारिया पराणत्ता, तं जहा-अणुराहा जेट्टा मूले पुव्वासाढा उत्तरासाढा अभिई सवणे 2, धणिट्ठाईया सत्त णक्खत्ता पच्छिमदारिया पराणत्ता, तंजहा-धणिट्ठा सयभिसया पुव्वापोट्टवया उत्तरापोट्टवया रेवई अस्सिणी भरणी 3, कत्तियाईया सत्त णक्खत्ता उत्तरदारिया पराणत्ता, तंजहा-कत्तिया रोहिणी संठाणा श्रद्दा पुणव्वसू पुस्सो अस्सेसा 1, 2, 3 / तत्थ णं जे ते एवमाहंसु-ता धणिट्ठाईया सत्त णक्खत्ता पुव्वदारिया पराणत्ता, ते एवमाहंसु, तंजहा-धणिट्ठा सयभिसया पुबाभदवया उत्तराभवया रेवई अस्सिणी भरणी 1, कत्तियाईया सत्त णक्खत्ता दाहिणदारिया पराणत्ता, तंजहा-कत्तिया रोहिणी संठाणा अदा पुणव्वसू पुस्सो अस्सेसा, 2, महाईया सत्त णक्खत्ता पच्छिमदारिया पराणत्ता, तंजहा महा पुव्वाफग्गुणी उत्तराफग्गुणी हत्थो चित्ता साई विसाहा 3, अणुराहाईया सत्त णक्खत्ता उत्तरदारिया पराणत्ता, तंजहाअणुराहा जेट्ठा मूलो पूज्वासाढा उत्तरासाढा अभिई सवणो 4,3,4 / तत्थ णं खतादातराफागणी Page #311 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 284 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः जे ते एवमाहंसु-ता अस्सिणियाईया सत्त णक्खत्ता पुव्वदारिया पराणत्ता ते एवमाहंसु, तंजहा-अस्सिणी भरणी कत्तिया रोहिणी संठाणा अदा पुणव्वसू 1, पुस्साईया सत्तणक्खत्ता दाहिणदारिया पराणत्ता, तंजहापुस्सो अस्सेसा महा पुव्वाफग्गुणी उत्तराफग्गुणी हत्थो चित्ता 2, साइयाईया सत्त णक्खत्ता पच्छिमदारिया पराणत्ता, तंजहा-साई विसाहा अणुराहा जेट्टा मूलो पुवासादा उत्तरासाढा 3, अभिईयाईया सत्त णक्खत्ता उत्तरदारिया पराणत्ता, तंजहा-अभिई सवणो धणिट्ठा सयभिसया पुत्वभवया उत्तरभद्दवया रेवई 4, 4,5 / तत्थ णं जे ते एवमाहंसु-ता भरणियाईया सत्त णवखत्ता पुव्वदारिया पराणत्ता, ते एवमाहंसु तंजहा-भरणी कत्तिया रोहिणी संठाणा अहा पुणव्वसू पुस्सो 1, अस्सेसाईया सत्त णक्खत्ता दाहिणदारिया पराणत्ता, तंजहाअस्सेसा महा पुव्वाफग्गुणी उत्तराफग्गुणी हत्थो चित्ता साई 2, विसाहाईया सत्त णवखत्ता पच्छिमदारिया पराणत्ता, तंजहा-विसाहा अणुराहा जेट्ठा मूलो पुव्वासाढा उत्तरासादा अभिई 3, सवणाईया सत्तणवखत्ता उत्तरदारिया पराणत्ता, तंजहा-सवणो धणिट्ठा सयभिसया पुवापोट्ठवया उत्तरापोट्टवया खई अस्सिणी 4, 5, एते एवमाहंसु 6 / वयं पुण एवं वयामो-ता अभिईयाईया सत्त णक्खत्ता पुव्वदारिया पराणत्ता, तंजहा-अभिई सवणो धणिट्ठा सयभिसया पुव्वापोठुवया उत्तरापोटुवया रेवई 1, अस्सिणियाईया सत्त णक्खत्ता दाहिणदारिया पराणत्ता, तंजहा-अस्सिणी भरणी कत्तिया रोहिणी संठाणा श्रद्दा पुणव्वसू 2, पुस्साईया सत्त णक्खत्ता पच्छिमदारिया पराणत्ता, तंजहा-पुस्सो अस्सेसा महा पुव्वाफग्गुणी उत्तराफग्गुणी हत्थो चित्ता 3, साइयाईया सत्त णक्खत्ता उत्तरदारिया पराणत्ता, तंजहासाई विसाहा अणुराहा जेट्ठा मूलो पुव्वासाढा उत्तरासाढा 4 // सूत्रं 56 // दसमस्स पाहुडस्स एकवीसतितमं पाहुडपाहुडं समत्तं // 10-21 // Page #312 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमच्चंद्रप्रज्ञप्तिसूत्रं : प्रा० 10 प्रा० 22 ] [ 285 // अथ दशमप्राभृते द्वाविंशतितमं प्राभृतप्राभृतम् // ___ता कहं ते नक्खत्तविचए पाहिएति वएजा ? ता अयगणं जंबुद्दीवे दीवे जाव परिक्खेवेणं पराणत्ते 1 / ता जंबुद्दीवे णं दीवे दो चंदा पभासेंसु वा, पभासेंति वा, पभासिस्संति वा २।दो सूरिया तर्विसु वा तवेंति वा तविसति वा 3 / छप्पराणे नक्खत्ता जोयं जोइंसु वा जोइंति वा जोइस्संति वा, तंजहा-दो अभिई, दो सवणा दो धणिट्टा, दो सयभिसया, दो पुव्वापोट्टवया दो उत्तरापोट्टवया, दो रेवई, दो अस्सिणी दो भरणी, दो कत्तिया, दो रोहिणी, दो संगणा, दो श्रद्दा, दो पुणव्वसू, दो पुस्सा, दो असिलेसा, दो पुव्वाफग्गुणी, दो उत्तराफरगुणी, दो हत्था दो चित्ता, दो साई दो विसाहा, दो अणुराहा, दो जेट्ठा दो मूला, दो पुव्वासाढा दो उत्तरासाढा 4 / ता एएसिं णं छप्पराणाए नक्खत्ताणं अस्थि णवखत्ता जे णं णव मुहुत्ते सत्तावीसं च सत्तट्ठिभागे मुहुत्तस्स चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति 5 / अस्थि नक्खत्ता जे णं पराणरस मुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति, अस्थि नक्खत्ता जे णं तीसमुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति, अस्थि णक्खत्ता जे णं पणयालीसं मुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति 6 / ता एएसि णं छप्पराणाए णक्खत्ताणं कयरे णक्खत्ता जे णं णवमुहुत्ते सत्तावीसं च सत्तट्ठिभागे मुहृत्तस्स चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति, कयरे णक्खत्ता जे णं परणरसमुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति ?, कयरे णक्खत्ता जे णं तीसं मुहत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति ? कयरे णक्खत्ता जे णं पणयालीसं मुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति ? ता एएसि णं छप्पराणाए णक्खत्ता णं तत्थ जे ते णक्खत्ता जे णं णव मुहुत्ते सत्तावीसं च सत्तट्ठिभागे मुहुत्तस्स चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति ते णं दो अभिई ७।तत्थ जे ते णक्खत्ता जे णं पराणरसमुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति ते णं बारस तंजहा-दो सगभिसया, दो भरणी, दो श्रद्दा, दो Page #313 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 286 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः अस्सेसा दो साई दो जेहा / तत्थ जे णं तीसं मुहत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति ते णं तीसं, तंजहा-दो सवणा दो धणिट्ठा, दो पुव्वाभदवया, दो रेवई, दो अस्सिणी, दो कत्तिया दो संठाणा, दो पुस्सा, दो महा, दो पुवाफग्गुणी, दो हत्था, दो चित्ता, दो अणुराहा दो मूला दो पुव्वासाढा 1 / तत्थ जे ते णक्खत्ता जेणं पणयालीसं मुहुत्ते चंदेण सद्धि जोयं जोएंति ते णं बारस. तंजहा-दो उत्तरापोवया, दो रोहिणी, दो पुणव्वसू दो उत्तराफग्गुणी दो विसाहा, दो उत्तरासाढा 10 / ता एएसि णं छप्पराणाए णक्खत्ता णं अस्थि णक्खत्ता जे णं चत्तारि अहोरत्ते छच्च मुहुत्ते सूरिएण सद्धिं जोयं जोएंति 11 / अत्थि गाक्वत्ता जे णं छ अहोरत्ते एकवीसं च मुहुत्ते सूरिएण सद्धिं जोयं जोएंति 12 / अस्थि णक्खत्ता जे णं तेरस अहोरत्ते दुवालस य मुहुत्ते सूरिएण सद्धि जोयं जोएंति 13 / अस्थि नक्खत्ता जे णं वीसं ग्रहोरत्ते तिन्नि य मुहुत्ते सूरिएण सद्धिं जोयं जोएंति, ता एएसि णं छप्पणाए णक्खत्ताणं कयरे णवखत्ता जे णं तं चेव उच्चारेयव्वं 14 / ता एएसि णं छप्पराणाए णक्खत्ता णं तत्थ जे ते खत्ता जे णं चत्तारि ग्रहोरत्ते छच्च मुहुत्ते सूरिएण सद्धिं जोयं जोएंति ते णं दो अभिई 15 / तत्थ जे ते णक्खत्ता जे णं छ ग्रहोरत्ते एकवीसं च मुहुत्ते सूरिएण सद्धिं जोयं जोएंति ते णं बारस तंजहा-दो सयभिसया दो भरणी, दो श्रद्दा, दो अस्सेसा, दो साई, दो जेठ्ठा 16 / तत्थ जे ते णक्खत्ता जे णं तेरस अहोरत्ते बारस य मुहुत्ते सूरिएण सद्धिं जोयं जोएंति ते णं तीसं, तंजहा-दो सवणा, जाव दो पुव्वासाढा. 17 / तत्थ जे ते णक्खत्ता जे णं वीसं अहोरत्ते तिरिण य मुहुत्ते सूरिएण सद्धिं जोयं जोएंति ते णं बारस, तंजहा-दो उत्तरापोट्टवया जाव दो उत्तरासाढा 18 // सूत्रं 60 // ता कहं ते सीमाविक्खंभे ग्राहिएत्ति वएजा ? ता एएसि णं छप्पराणाए णखत्ताणं अत्थि णक्खत्ता जेसि णं छ सयातीसा सत्तढि Page #314 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमच्चंद्रप्रज्ञप्तिसूत्रं :: प्रा० 10 प्रा० प्रा० 22 ] [ 287 भागतीसइभागाणं सीमाविक्खंभो, अस्थि णक्खत्ता जेसि णं सहस्सं दो सहस्सा दसुत्तरा सत्तट्ठिभागतीसइ भागाणं सीमा विक्खंभो ? अस्थि णक्खत्ता जेसि णं तिसहस्सं पंचदसुत्तरं सत्तट्ठिभागतीसइभागाणं सीमाविक्खंभो 1 / ता एएसि णं छप्पराणाए णक्खत्ता णं कयरे णक्खत्ता जेसि णं छसयातीसा तं चेव उच्चारेयव्वं जाव ता एएसि णं छप्पराणाए णवखत्ता णं कयरे णक्खत्ता जेसि णं तिसहस्सं पंचदसुत्तरं सत्तट्ठिभागतीसइभागाणं सीमाविक्खंभो ? ता एएसि णं छप्पराणाए णक्खत्ताणं तत्थ जे ते णक्खत्ता जेसि णं 2 सया तीसा सत्तट्ठिभागतीसइभागाणं सीमाविक्खंभो ते णं दो यभिई 2 / तत्थ जे ते णवत्ताजेसि णं सहस्सं पंचुत्तरं सत्तट्ठिभागतीसइभागाणं सीमा विक्खंभो ते णं बारस, तंजहा-दो सयभिसया 2, जाव दो जेट्ठा 12,3 / तत्थ जे ते णक्खत्ता जेसि णं दो सहस्सा दसुत्तरा सत्तट्ठिभागतीसइभागाणं सीमाविक्खंभो ते णं तीसं, तंजहा-दो सवणा 2 जाव दो पुव्वासाढा 30, 4 / तत्थ जे ते णक्खत्ता जेसि णं तिसहस्सं पंचदसुत्तरं सत्तट्ठिभागतीसइभागाणं. सीमाविक्खंभो ते णं बारस, तंजहा-दो उत्तरापोट्टवया 2 जाव दो उत्तरासाढा 5 // सूत्रं 61 // एएसि णं छप्पराणाए णक्खत्ता णं किं सया पायो चंदेण सद्धिं जोयं जोएइ ? एएसि णं छप्पराणाए णक्खत्ता णं किं सया सायं चंदेण सद्धिं जोयं जोएइ ? एएसि णं छप्पराणाए णक्खत्ताणं किं सया दुहयो पविसिय 2 चंदेण सद्धिं जोयं जोएइ ? ता एएसि णं छप्पराणाए णक्खत्ताणं न किंपिनं जं सया पायो चंदेण सद्धिं जोयं जोएइ, नो सया सायं चंदेण सद्धिं जोयं जोएइ, नो सया दुहो पविसिय 2 चंदेण सद्धिं जोयं जोएइ, णरणत्थ दोहिं अभीईहिं 1 / ता एएणं दो अभीई। पायंचिय 2 चोत्तालीसं 2 अमावासं जोएंति, नो चेव णं पुराण मासिणिं 2 // सूत्रं 62 // तत्थ खलु इमानो बावडिं पुराणमासिणीयो, Page #315 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ताण जोएइ ताते गाय जोएइ ? ता जति सवच्छाणं दोच्च पदम पुराणमा 288 [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः सप्तमो विभागः बावढि अमावासायो पराणत्तायो 1 / ता एएसि णं पंचराहं संवच्छराणं पढमं पुराणमासिणिं चंदे कंसि देसंसि जोयं जोएइ ? ता जंसि णं देसंसि चंदे चरिमं बावढि पुराणमासिणिं जोएइ तायो णं पुराणमासिणिट्ठाणाए मंडलं चउवीसेणं सएणं छेत्ता दुबत्तीसं भागे उवाइणावित्ता एत्थ णं चंदे पढमं पुराणमासिणिं जोएइ 2 / ता एएसि णं पंचराहं संवच्छराणं दोच्चं पुराणमासिणिं चंदे कसि देसंसि जोयं जोएइ ? ता जंसि णं देसंसि चंदे पढमं पुराणमासिणिं जोएइ ताते णं पुराणमासिणिटाणाए मंडलं चउव्वीसेणं सए णं छेत्ता, दुत्तीसं भागे उवाइणावित्ता, एत्थ णं से चंदे दोच्चं पुराणमासिणिं जोएइ 3 / ता एसि णं पंचराहं संवच्छराणं तच्चं पुराणमासिणिं चंदे कंसि देसंसि जोयं जोएइ ? ता जंसि णं देसंसि चंदे दोच्चं पुराणमासिणि जोएइ ताते णं पुराणमासिणिट्टाणाते मंडलं चउब्बीसेणं सएणं छेत्ता दुत्तीसं भागे उवाइणावित्ता, एत्थ णं से चंदे तच्चं पुराणमासिणि जोएइ 4 / ता एएसि णं पंचराहं संवच्छराणं दुवालसमं. पुराणमासिणि चंदे कसि देसंसि जोएइ ? ता जंसि देसंसि चंदे तच्चं पुराणमासिणिं जोएइ ताते णं पुराणमासिणिट्ठाणाते मंडलं चउव्वीसेणं सएणं छेत्ता दोरिण अट्ठासीए भागसए उपाइणावित्ता एत्थ णं से चंदे दुवालसमं पुराणमासिणि जोएइ 5 / एवं खलु एएणं उवाएणं ताते ताते पुगणमासिणिट्ठाणाते मंडलं चउव्वीसेणं सएणं छेत्ता दुवतीसं भागे उवाइणावित्ता तंसि तंसि देसंसि तं तं पुराणमासिणिं चंदे जोएइ 6 ।ता एएसि णं पंचराहं संवच्छराणं चरमं बावट्टि पुराणमासिणि चंदे कसि देसंसि जोएइ ?, ता जंबुद्दीवस्स णं दीवस्स पाईणपडीणाययाए उदीणदाहिणाययाए जीवाए मंडलं चउव्वीसेणं मएणं छेत्ता दाहिणिल्लंसि चउभागमंडलंसि सत्तावीसं चउभागे उवाइणावित्ता अट्ठावीसइ भागं वीसहा छेत्ता अट्ठारसभागे उवाइणावित्ता तिहिं भागेहिं दोहि य कलाहि- पचत्थिमिल्लं चउभागमंडलं असंपत्ते एस्थ णं चंदे चरिमं बावडिं पुराणमासिणि Page #316 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमच्चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्रं : प्रा० 10 प्रा० 22 ] [ 286 जोएइ 7 // सूत्रं 63 // ता एएसि णं पंचराहं संवच्छराणं पढमं पुराणमासिणि सूरे कंसि देसंसि जोएइ ? ता जंसि णं देसंसि सूरिए चरिमं बावट्टि पुराणमासिणि जोएति ताते पुराणमासिणिट्ठाणाते मंडलं चउव्वीसेणं सएणं छेत्ता चउणवइंभागे उवाइणावित्ता एत्थ णं से सूरिए पढमं पुराणमासिणि जोएइ 1 / ता एएमि णं पंचराहं संवच्छराणं दोच्चं पुराणमासिणिं सूरिए कंसि देसंसि जोएइ ? ता जंसि णं देसंसि सूरिए पढमं पुराणमासिणिं जोएइ ताते पुराणमासिणिट्ठाणाते मंडलं चउव्वीसेणं सएणं छेत्ता चउणवइभागे उवाइणावित्ता एत्थ णं से सूरिए दोच्चं पुराणमासिणिं जोएइ 2 / ता एएसिं णं पंचगहं संवच्छराणं तच्चं पुराणमासिणि सूरिए कंसि देसंसि जोएइ ? ता जसि णं देसंसि सूरिए दोच्चं पुराणमासिणिं जोएइ ताते पुराणमासिणिट्ठाणाते मंडलं चउव्वीसेणं सएणं छेत्ता चउणवइमागे उवाइणा वित्ता, एत्थ णं से सूरिए तच्चं पुराणमासिणि जोएइ 3 / ता एएसि णं पंचराहं संवच्छराणं दुवालसं पुराणमासिणिं सूरिए कंसि देसंसि जोएइ ? ता जंसि णं देसंसि सूरिए तच्चं पुराणमासिणिं जोऐइ ताते पुराणमासिणिट्ठाणाते मंडलं चउब्बीसेणं सएणं छेत्ता अट्टछत्ताले भागसए उवाइणावित्ता, एत्थ णं से सूरिए दुवालसमं पुराणमासिणिं जोएइ 4 / एवं खलु एएण उवाएणं ताते ताते पुराणमासिणिट्ठाणाते मंडलं चउव्वीसेणं सएणं छेत्ता चउणवई चउणउति भागे उवाइणावित्ता तंसि तंसि णं देसंसि तं तं पुराणमासिणिं सूरिए जोएइ 5 / ता एएसिं णं पंचराहं संवच्छराणं चरिमं बावडिं पुराणमासिणिं सूरिए कंसि देसंसिजोएइ ? ता जंबुद्दीवस्स णं दीवस्स पाईणपडीणाययाए उदीणदाहिणाययाए जीवाए मंडलं चउव्वीसेणं सएणं छेत्ता पुरथिमिल्लंसि चउभागमंडलंसि सत्तावीसं भागे उवाइणावित्ता अट्ठावीसइभागं वीसहा छेत्ता अट्ठारसं भागं उवाइणावित्ता तिहिं भागेहि दोहि य कलाहिं दाहि. णिल्लं चउभागमंडलं असंपत्ते, एत्थ णं सूरिए चरिमं बावडिं पुरिणमां Page #317 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 290 ] | श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विमागः जोएइ 6 // सूत्रं 64 // ता एएसिं णं पंचगहं संवच्छराणं पढमं अमावास चंदे कसि देसंसि जोएइ ? ता जंसि णं देसंसि चंदे चरिमं बावढि अमावासं जोएइ ताते अमावासटाणाते मंडलं चउब्बीसेणं सएणं छित्ता दुबत्तीसं भागे उवाइणावित्ता एत्थ णं से चंदे पढमं अमावासं जोएइ 1 / एवं जेणेव अभिलावेणं चंदस्स पुराणमासिणीयो भणियायो तेणेव अभिलावेणं अमावासायो भाणियब्वायो, तंजहा-बिइया तइया दुवालसमी 2 / एवं खलु एएणुवाएणं ताते ताते अमावासाठाणाते मंडलं चउव्वीसेणं सएणं छित्ता दुबत्तीसं भागे उवाइणावित्ता तंसि तंसि देसंसि तं तं श्रमावासं चदे जोएइ 3 / ता एएसि णं पंचराहं संवच्छराणं चरमं बावढि अमावासं पुच्छा ? ता जसि णं देसंसि चंदे चरिमं बावट्टि पुराणमासिणिं जोएइ ताते 2 पुराणमासिणिट्ठाणाए मंडलं चउव्वीसेणं सएणं छित्ता सोलसभागं योसकइत्ता एस्थ णं से चंदे चरिमं बावढि अमावासं जोएइ 4 ॥सूत्रं 65 // ता एएसि णं पंचराहं संवच्छराणं पढमं श्रमावासं सूरिए कंसि देसंसि जोएइ ? ता जंसि णं देसंसि सूरिए चरिमं बावढि अमावासं जोएइ ताते श्रमावासाठगणाते मंडलं चउव्वीसेणं सएणं छित्ता चउणउतिभागे उवाइणावित्ता एत्थ णं से सूरिए पढमं अमावासं जोएइ 1 / एवं जेणेव अभिलावेणं सूरियस्स पुराणमासिणीयो भणिया तेणेव अभिलावणं अमावासाथोवि भाणियव्यायो, तंजहा-बिइया तइया, दुव लसमी 2 / एवं खलु एएणं उवाएणं ताते 2 अमावासाठाणाते मंडलं चउव्वीसेणं सरणं छित्ता चउणउति 2 भागे उवाइणावित्ता तसि 2 देसंसि तं तं अमावासं सूरिए जोएइ 3 / ता एएसि णं पंचगहं संवच्छराणं चरिमं बावढि अमावासं सूरिए कंसि देसंसि जोएइ ? ता जंसि णं देसंसि सूरिए चरिमं बावट्टि पुराणमासिणि जोएइ ताते पुराणमासिणिट्ठाणाते मंडलं चउव्वीसेणं सएणं छित्ता सत्तालीसं भागे उक्कोवइत्ता एत्थ णं से सूरिए चरिमं बावडिं अमावासं Page #318 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमच्चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्रं :: प्रा० 10 प्रा० 22 ] [ 291 जोएइ 4 // सूत्रं 66 // ता एएसिं णं पंचराहं संवच्छराणं पढमं पुराणमासिणिं चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएइ ? ता धणिट्ठाहि, धणिट्ठाणं तिरिण मुहुत्ता एगूणवीसं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स, बावट्ठिभागं च सत्तट्टिहा छित्ता पराणट्ठी चुरिणयाभागा सेसा 1 / तं समयं च णं सूरिए केणं णक्खत्तेणं जोएइ ? ता पुवाफगुणीहि, ता पुवाफग्गुणीणं अट्ठावीसं मुहुत्ता अट्टतीसं च बावट्ठीभागा मुहुत्तस्स, बावट्ठिभागं च सत्तट्टिहा छित्ता दुबत्तीसं चुरिणया भागा सेसा 2 / ता एएसिं णं पंचराहं संवच्छराणं दोच्चं पुराणमासिणि चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएइ ? ता उत्तराहिं पोट्टवयाहिं, उत्तराणं पोट्टवयाणं सत्तावीसं मुहुत्ता, चोइस य बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स, बावट्ठिभागं च सत्तट्टिहा छित्ता चउसट्ठी चुरिणया भागा सेसा 3 / तं समयं च णं सूरे केणं णक्खत्तेणं जोएइ ? ता उत्तराहिं फग्गुणीहिं, उत्तराफग्गुणीणं सत्त मुहुत्ता तेत्तीसं च बावट्ठीभागा मुहुत्तस्स, बावट्ठिभागं च सत्तट्टिहा चित्ता एकतीसं चुरिणया भागा सेसा 4 / ता एएसि | पंचराहं संवच्छराणं तच्चं पुराणमासिणिं चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएइ ?, ता अस्सीणीहिं, अस्सीणीणं एकवीसं मुहुत्ता णव य बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स, बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिहा चित्ता तेवट्ठी चुरिणयाभागा सेसा 5 / तं समयं च णं सूरिए केण णक्खत्तेणं जोएइ ?, ता चित्ताहिं, चित्ताणं एको मुहत्तो, अट्ठावीसं च. बावट्ठीभागा मुहुत्तस्स, बावट्ठिभागं च सत्तट्टिहा छित्ता तीसं चुरिणया भागा सेसा 6 / ता एएसिं णं पंचराहं संवच्छराण दुवालसमं पुराणमासिणि चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएइ ?, ता उत्तरासाढाहिं, उत्तराणं च श्रासाढाणं छव्वीसं मुहुत्ता छव्वीसं च बावट्टि भागा मुहुत्तस्स, बावट्ठिभागं च सत्तट्टिहा छित्ता चउप्पराणं चुरिणया भागा सेसा 7 / तं समयं च णं सूरिया केणं णखत्तेणं जोएइ ?, ता पुणबसुणा, पुणव्वसुस्स सोलसमुहुत्ता, अट्ठय बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स, बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिहा छित्ता वीसं चुरिणया भागा सेसा 8 | ता एएसिं णं पंचराहं Page #319 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 292 ] / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः संवच्छराणं चरमं बावट्टि पुराणमासिणिं चंदे केणं णवखत्तेणं जोएइ ? ता उत्तराहिं श्रासादाहिं, उत्तराणं आसाढाणं चरमसमए 1 / तं समयं च णं सूरिए केणं णक्खत्तेणं जोएइ ?, सा पुस्सेणं, पुस्सस्स एगणवीसं मुहुत्ता, तेतालीसं च बावट्ठीभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिहा छित्ता तेत्तीसं चुरिणयाभागा सेसा 10 // सूत्रं 67 // ता एएसि णं पंचराहं संवच्छराणं पढमं अमावासं चंदे केणं णक्खत्तेणं जोइए ? ता अस्सेसाहिं, अस्सेसाणं एको मुहुत्तो चत्तालीसं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स, बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिहा छेत्ता छावट्ठी चुरिणयाभागा सेसा 1 / तं समयं च णं सूरिए केणं णक्खत्तेणं जोएति ? ता अस्सेसाहिं चेव, अस्सेसाणं एको मुहुत्तो, चत्तालीसं च बावट्टि. भागा मुहत्तस्स, बावट्ठिभागं च सत्तट्टिहा छित्ता छावट्ठी चुगिणयाभागा सेसा 2 / ता एएसिं णं पंचराहं संवच्छराणं दोच्चं अमावासं चंदे केणं णक्खत्तेणं जोइए ? ता उत्तराहिं फग्गुणीहिं, उत्तराणं फग्गुणीणं चत्तालीसं मुहुत्ता, पणतीसं बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स, बावट्ठिभागं च सत्तट्टिहा चित्ता परणट्ठी चुरिणयाभागा सेसा 3 / तं समयं च णं सूरिए केणं णक्खत्तेणं जोएइ ? ता उत्तराहिं फग्गुणीहि, चेव उत्तराणं फग्गुणीणं तं चेव जाव पराणट्ठी चुरिणयाभागा सेसा 4 / ता एएसि णं पंचराहं संवच्छराणं तच्चं अमावासं चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएइ ? ता हत्थेहि, हत्थाणं चत्तारि मुहुत्ता तीसं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स, बावट्ठिभागं च सत्तट्टिा छित्ता बावट्ठी चुरिणया भागा सेसा 5 / तं समयं च णं सूरिए केशां णक्खत्तेणं जोएइ ? ता हत्थेहिं चेव हत्थाणं जं चेव चंदस्स 6 / ता एएसिं णं पंचराहं संवच्छराणं दुवालसमं अमावासं चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएइ ? अदाहिं, अदाणं चत्तारिमुहुत्ता, दस य बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स, बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिहा छित्ता चउपरणं चुरिणया भागा सेसा 7 / तं समयं च णं सूरिए केणं णाक्खत्तेणं जोएइ ? ता अदाहिं चेव, जं चेव चंदस्स 8 | ता एएसिं णं पंचराहं पणही चारा उत्तराहि फग्गुणी ता एसि हत्याणं वत्ता Page #320 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमच्चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्रं :: प्रा० 10 प्रा० 22 ] संबच्छराणं चरिमं बावहिँ अमावासं चंदे केणं णक्खत्रेणं जोएइ ? ता पुणबसुणा, पुराणवसूस्स बावीसं मुहुत्ता छायालीसं च बावट्टिभागा मुहुत्तस्स सेसा 1 / तं समयं च णं सूरिए केणं गाक्खत्तेणं जोएइ ? ता पुणवसुणा चेव पुराणवसुस्स णं जहा चंदस्स 10 // सूत्रं 68 // ता जे णं अजणक्खत्तेणं चंदे जोयं जोएइ, जंसि देसंसि से णं इमाणि अट्ठ पगूणवीसाणि मुहुत्तसयाई, चउवीसं च बावट्ठिभागे मुहुत्तस्स, बावट्ठिभागं च सत्तट्टिहा छित्ता छावढि च चुरिणया भागे उवाइणावित्ता पुणरवि से चंदे अराणेणं तारिसएणं चेव णक्खत्तेणं जोयं जोएइ श्रगणंसि देसंसि 1 / ता जे णं ग्रज णक्खत्तेणं चंदे जोयं जोएइ जंसि देसंसि से णं इमाई सोलसट्टतीसाई मुहुत्तमयाई अउणापरणं च बावट्ठिभागे मुहुत्तस्स बावट्टिभागं च सत्तट्टिहा छित्ता पराणट्टि चुरिणयाभागे उवाइणावित्ता पुणरवि से णं चंदे ते णं चेव णक्खत्तेणं जोयं जोएइ अराणंसि देसंसि 2 / ता जे णं ग्रजणखत्तेणं चंदे जोयं जोएइ जंसि देसंसि से णं इमाई चउप्पण्णमुहुत्तसहस्साई णव य मुहुतसयाई उवाइणावित्ता पुणरवि से चंदे अगणेणं तारिसएणं चेव णक्खत्तेण जोयं जोएइ तंसि देसंसि 3 / ता जे णं अज णक्खत्तेणं चंदे जोयं जोएइ जंसि देसंसि से णं इमाइं एगं मुहुत्तसयसहस्सं अट्टाउई च मुहुत्तसयाई उवाइणावित्ता पुणरवि से चंदे ते णं चेव णक्खतेणं जोयं जोएइ तंसि देसंसि 4 / ता जे णं अजणक्खनेणं सूरिए जोयं जोएइ जंसि देसंसि से णं इमाइं तिरिण छावट्ठाई राइंदियसयाई उवाइणावित्ता पुणरवि से सूरिए श्रगणेणं तारिसएणं चेव णक्खत्तेणं जोयं जोएइ तंसि देसंसि 5 / ता जे णं अज नक्खत्तेणं सूरिए जोयं जोएइ जंसि देसंसि से णं इमाई सत्त दुखीसाइं राइंदियसयाइं उवाइणावित्ता पुणरवि से सूरिए तेणं चेव णक्खत्तेणं जोयं जोएइ तंसि देसंसि 6 / ता जे णं अज णक्खत्तेणं सूरिए जोयं जोएइ जंसि देसंसि से णं इमाई अट्ठारसतीसाई राइंदियसयाई Page #321 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 264 ) ( श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभाग उवाइणावित्ता पुणरवि सूरिए अराणेणं तारिसएणं चेव णक्खत्तेणं जोयं जोएइ तंसि देसंसि 7 / ता जे णं अज्ज खत्तेणं सूरिए जोयं जोएइ जंसि देसंसि से णं इमाइं छत्तीसं सट्टाई राइंदियसयाइं उवाइणावित्ता पुणरवि से सूरिए तेणं णक्खत्तेणं जोयं जोएइ तंसि देसंसि 8 // सूत्रं 69 // ता जया णं इमे चंदे गइसमावराणए भवइ तया णं इयरेवि चंदे गइ समावरणए भवइ 1 / जया णं इयरेवि चंदे गइसमावराणए भवइ तया णं इमे वि चंदे गइ समावराणए भवइ 2 / ता जया णं इमे सूरिए गइसमावराणए ... भवइ तया णं इयरेवि सूरिए गइ समावराणए भवइ जया णं इयरे सूरिए गइ समावराणए भवइ तया णं इमेवि सुरिए गइ समावराणए भवइ 3 / एवं गहेवि, गक्खत्तेवि 4 / ता जया णं इमे चदे जुत्ते जोएणं भवइ तया णं इयरेवि चंदे जुत्ते जोएणं भवइ जया णं इयरे चंदे जुत्ते जोएणं भवइ तयाणं इमेवि चंदे जुत्ते जोएणं भवइ 5 / एवं सूरेवि, गहेवि णक्खत्तेवि 6 / सयावि णं चंदा जुत्ता जोएहि, सयावि णं सूरिया जुत्ता जोएहिं, सयावि णं गहा जुत्ता जोएहि, सयावि णं णक्खेत्ता जुत्ता जोएहि, दुहयो वि णं चंदा जुत्ता जोएहिं, दुहयो वि णं सुरा जुत्ता जोएहिं, दुहो वि गहा जुत्ता जोएहिं, दुहयो वि णं णक्खत्ता जुत्ता जोएहिं 7 / मंडलं सयसहस्सेणं अट्ठाणउयाए सएहिं छित्ता इच्चेस णक्खत्त खेत्तपरिभागे णक्खत्तविजए नाम पाहुडेत्ति अाहिए तिबेमि // सूत्रं 70 // दसमस्स पाहुडस्स बावीसतिमं पाहुडपाहुडं समत्तं // दसमं पाहुडं समत्तं // // इति दशमप्राभृते द्वाविंशतितमं प्राभृतप्राभृतम् // 10-22 // // इति दशमं प्राभृतम् // 10 // Page #322 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमच्चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्रं : प्रा० 11 } [ 295 // अथ एकादशं प्राभृतम् / / ता कहं ते संवच्छराणामाई अाहिएति वएजा ? तत्थ खलु इमे पंच संवच्छरा पगणत्ता, तंजहा-चंदे 1, चंदे 2, अभिवडिए 3, चंदे 4, अभिवडिए 5, 1 / ता एएसि णं पंचगहं संबच्छराणं पढमस्स चंदस्स संवच्छरस्स के भाई श्राहिएति वएजा ? ता जे णं पंचमस्स अभिवड्डीयसंवच्छरस्स पजवसाणं से णं पढमस्स चंदसंवच्छरस्स आई श्रणंतरपुरक्खडे समए 2 / ता से णं किं पज्जवसिए श्राहिएति वएज्जा ? ता जे णं दोच्चस्स संवच्छरस्स बाई से णं पढमस्स चंदसंवच्छरस्स पजवसाणे अणंतरपच्छाकडे समए 3 / तं समयं च णं चंदे केणं णक्खत्तेणं जोयं जोएइ ? ता उत्तराहिं श्रासादाहिं, उत्तराणं यासाढाणं छव्वीसं मुहुत्ता, छब्बीसं च बावट्ठिभागा मुहु तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्टिहा छित्ता चउप्पराणं चुरिणया भागा सेसा 4 / त समयं च णं सूरिए केणं णक्खत्तेणं जोयं जोएइ ? ता पुणव्वसुणा, पुणबसुस्स सोलसमुहुत्ता, अट्ठ य बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स, बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिहा छित्ता वीसं चुरिणया भागा सेसा 5 / ता एएसिं णं पंचराहं संवच्छराणं दोचस्स चंदसंवच्छरस्स के भाई अाहिएति वएजा ? ता जे णं पढस्स चंदसंवच्छरस्स पजवसाणे से णं दोचस्स चंदसंवच्छरस्स आई अणंतरपुरक्खडे समए 6 / ता से णं किं पजवसिए श्राहिएति वएज्जा ? ता जे णं तच्चस्स अभिवड्डिय-संवच्छरस्स भाई से णं दोचस्स चंद संवच्छरस्स पजवसाणे अणंतरपच्छाकडे समए 7 / तं समयं च णं चंदे केणं णक्खत्तेणं जोयं जोएइ ?, ता पुवाहिं श्रासाढाहिं, पुव्वाणं श्रासादाणं सत्तमुहुत्ता, तेवगणं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्टिहा छित्ता इगताली संचुरिणयाभागा सेसा 8 | तं समयं च णं सूरिए केणं णक्खतेणं जोयं जोएइ ?, ता पुणवसुणा, पुणव्वसुस्स णं बायालीसं मुहुत्ता, Page #323 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 296 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः पणतीसं च बावद्विभागामुहुत्तस्स, बावट्ठिभागं च सत्तट्टिहा छित्ता सत्तचुरिणयाभागा सेसा 1 / ता एएसि णं पंचराहं संवच्छराणं तच्चस्स अभिवडियसंवच्छरस्स के भाई अाहिएति वएज्जा ?, ता जे णं दोच्चस्स चंदसंवच्छरस्स पज्जवसाणे सेणं तच्चस्स अभिवडियसंवच्छरस्स आई अणंतरपुरक्खडे समए १०।ता से णं किं पजवसिए पाहिएति वएन्जा ?, ता जे णं चउत्थस्स चंदसंवच्छरस्स आई सेणं तच्चस्स अभिवड्डीय-संवच्छरस्स पजवसाणे अणंतरपच्छाकडे समए 11 / तं समयं च णं चंदे केणं णक्खत्तेणं जोयं जोएइ ?, ता उत्तराहिं ग्रासादाहिं उत्तराणं श्रासाढाणं तेरस मुहुत्ता, तेरस य बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स, बावट्ठिभागं च सत्तट्टिहा छित्ता सत्तावीसं चुरिणया भागा सेसा 12 / तें समयं च णं सूरिए केणं णखत्तेणं जोयं जोएइ ?, ता पुणव्वसुणा, पुणव्वसुस्स दो मुहुत्ता, छप्पराणं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स, बावट्ठिभागं च सत्तट्टिहा छित्ता सट्ठी चुरिणया भागा सेसा १३।ता एएसिणं पंचगहं संवच्छराणं चउत्थस्स चंद संवच्छरस्स के आई श्राहिएति वएजा ? ताजे णं तच्चस्स अभिवविय संवच्छरस्म पज्जवसाणे से णं वउत्थस्स चंदसंवच्छरस्स बाई अणंतरपरक्खडे समए 14 / ता से णं किं पन्जवसिए शाहिएति वएजा ? ता जे णं चरिमस्स अभिवडियसंवच्छरस्स भाई से णं चउत्थस्स चंदसंवच्छरस्स पज्जवसाणे अणंतरपच्छाकडे समए 15 / तं समयं च णं चंदे केणं णक्खत्तेणं जोयं जोएइ ?, ता उत्तराहिं, श्रासाढाहिं, उत्तराणं श्रासाढाणं चत्तालीसं मुहुत्ता, चत्तालीसं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स, बावट्ठिभागं च सत्तट्टिहा छित्ता चउद्दस चुरिणयाभागा सेसा 16 / तं समयं च णं सूरिए केणं णक्खत्तेणं जोयं जोएइ ? ता पुणव्वसुणा, पुणव्वसुस्स अउणतीसं मुहुत्ता, एकवीसं बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स, बावट्ठिभागं च सत्तट्टिहा छित्ता सीयालीसं चुरिणयाभागा सेसा 17 / ता एएसि णं पंचराहं संवच्छराणं पंचमस्स अभिवडियसंवच्छरस्स के भाई श्राहिएति वएज्जा ?, ता जे णं चउत्थस्स Page #324 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमच्चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्रं : प्रा० 12 / [ 267 चंदसंबच्छरस्स पजवसाणे से णं पंचमस्स अभिवष्टियसंवच्छरस्स भाई श्रणंतरपुरक्खडे समए 18 / ता से णं किं पजवसिए श्राहिएति वएजा ? ता जे णं पढमस्स चंदसंवच्छरस्स भाई से णं पंचमस्स अभिवडियसंवच्छरस्स पज्जवसाणे अणंतरपच्छाकडे समए 11 / तं समयं च णं चंदे केणं णक्खत्तेणं जोयं जोएइ ? ता उनराहिं श्रासादाहिं, उत्तराणं. श्रासादाणं चरमसमए 20 / तं समयं च णं सूरिए केणं णक्खत्तेणं जोयं जोएइ ?, ता पुस्सेणं पुस्सस्स णं एगूणवीसं मुहुत्ता तेयालीसंच बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स, बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिहा छित्ता तेत्तीसं चुरिणया भागा सेसा 21 // सूत्रं 71 // एकारसमं पाहुडं समत्तं // 11 // . // अथ द्वादशं प्राभृतम् // . ता कइणं संवच्छरा हितेति वएजा ? तत्थ खलु इमे पंच संवच्छरा पराणत्ता, तंजहा-णक्खत्ते चंदे उडू अाइच्चे अभिवड्डिए 1 / ता एएसि णं पंचगहं संवच्छराणं पढमस्स णक्खत्तसंवच्छरस्स णक्खत्ते मासे तीसइ तीसइ मुहुत्तेणं अहोरत्तेणं गणिजमाणे केवइए राई दियग्गेणं श्राहिएति वएजा ? ता सत्तावीसं राईदियाई एकवीसं च सत्तट्ठिभागा राइंदियस्स राइदियग्गेणं श्राहिएति वएन्जा 2 / ता से णं केवइए मुहुत्तग्गेणं श्राहिएति वएज्जा ? ता अट्ठसए एगणवीसे मुहुत्ताणं, सत्तावीसं चं सत्तट्ठिभागे मुहुत्तस्स मुहुत्तग्गेणं अाहिएति वएजा 3 / ता एस णं श्रद्धा दुवालसखुत्तकडा णक्खत्ते संवच्छरे ता.से णं केवइए राइंदियग्गेणं पाहिएति वएजा ? ता तिरिण सत्तावीसे राइंदियसते एकावन्नं च सत्तट्ठिभागे राइंदियस्स राइंदियग्गेणं श्राहिएति वएजा 4 / ता से णं केवइए मुहुत्तग्गेणं पाहिएति वएना ? ता णव मुहुत्तसहस्सा, अट्ट य बत्तीसे मुहुत्तसए छप्पन्नं च सत्तट्ठिभागे मुहुत्तस्स मुहुत्तग्गेणं श्राहिएति वएजा / ता एएसि णं पंचराहं संवच्छराणं Page #325 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 298 ] / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः दोच्चस्स चंदसंबच्छरस्स चंदे मासे तीसइ तीसइ मुहुत्तेणं ग्रहोरत्तेणं गणिजमाणे केवइए राइंदियग्गेणं श्राहिएति वएजा ? ता पगूणतीसं राइंदियाई, बत्तीसं बावट्ठिभागा राइंदियस्स राइंदियग्गेणं श्राहिएति वएजा 6 / ता से णं कवइए मुहुत्तग्गेणं ग्राहिएति वएज्जा ? ता अट्ठपंचासीते मुहुत्तसते / तीसं च वावट्ठिभागे मुहुत्तस्स मुहुत्तग्गेणं श्राहिएति वएज्जा 7 / ता एस णं श्रद्धा दुवालसखुत्तकडा चंदे संवच्छरे, ता से णं केवइए राइंदियग्गेणं याहिएति वएज्जा ? ता तिरिण चउप्पन्ने राइंदियसते दुवालम य बावट्ठिभागा राई. दियस्स राइंदियग्गेणं पाहिएति वएज्जा 8 | ता से णं केवइए मुहुत्तग्गेणं ग्राहिएति वएज्जा ? ता दस मुहत्तसहस्साई छच्च पणवीसे मुहुत्तसए पराणासं च बावट्ठिभागे मुहत्तस्स मुहत्तग्गेणं ग्राहिएति वएजा 2.1 / ता एएसि गां पंचराहं संवच्छरागां तच्चस्स उउसंवच्छरस्स उउमासे तीस-तीसमुहुत्तेणं ग्रहोरत्तेणं गणिजमाणे केवइए राइंदियग्गेणं श्राहिएति वएजा ? ता तीसं राइंदियाणं राइंदियग्गेणं याहिएति वएजा 10 / ता से णं केवइए मुहुनग्गेणं याहिएति वएजा ? ता णव मुहुत्तसयाइं मुहुत्तग्गेणं याहिएति वएजा, ता एस श्रद्धा दुवालसखुत्तकडा उउसंवच्छरे 11 / ता से णं केवइए राइंदियग्गेणं ग्राहिएति वएजा ? ता तिरिण सट्टाई राइंदियसयाई राइंदियग्गेणं याहिएति वएन्जा 12 / ता से णं केवइए मुहुत्तग्गेणं ग्राहिएति वएजा ? दस मुहुत्तसहस्साई पट्ट य सयाई मुहुत्तग्गेण याहिएति वएजा 13 / ता एएसि णं पंचराहं संवच्छराणां चउत्थस्स यादिचसंवच्छरस्म श्राइच्च मासे तीसइमुहुत्तेणं अहोरत्तेणं गणिजमाणे केवइए राइंदियग्गेणं ग्राहिएति वएजा ? ता तीसं गइंदियाइं अबद्धभागं च राइंदियस्म राइंदियग्गेणं श्राहिएति वजा 14 | ता से णं केवइए. मुहुत्तग्गेणं श्राहिएति वएज्जा ? ता णव पराणरस मुहुत्तसए मुहुत्तग्गेणं याहिएति वएजा 15 / ता एस णं श्रद्धा दुवालसखुत्तकडा श्राइच्चे मंवच्छरे ता Page #326 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमच्चन्द्रप्रज्ञप्तिक्षत्रं :: प्रा० 12 ] [ 299 से णं केवइए राइंदियग्गेणं श्राहिएति वएज्जा ? ता तिन्नि छाव? राइंदियसए राइंदियग्गेणं याहिएति वएजा 16 / ता से णं केवइए मुहुत्तग्गेणं थाहिएति वएजा ? ता इस मुहुत्तसहस्साई णव य असीये मुहुत्तसये मुहुत्तग्गेणं शाहिएति वएज्जा 4, 17 / ता एएसि णं पंचराहं संवच्छराणं पंचमस्स अभिवडियसंवच्छरस्स अभिवडिए मासे तीसइमुहुत्तेणं अहोरत्तेणं गणिजमाणे केवइए राइंदियग्गेणं श्राहिएति वएजा ? ता एकतीसं राइंदियाई, एगूणतीसं च मुहुत्ता, सत्तरस बावट्ठिभागे मुहुत्तस्स राइंदियग्गेणं शाहिएति वएज्जा. 18 / ता से णं केवइए मुहुत्तग्गेणं श्राहिएति वएज्जा ? ता णं णव एगूणस? मुहुनसये, सत्तरस बावट्ठिभागे मुहुत्तस्स मुहुत्तग्गेणं श्राहिएति वरजा 11 / ता एस णं श्रद्धा दुवालसखुत्तकडा अभिवड्डिए संवच्छरे, ता से णं केवइए राइंदियग्गेणं श्राहिएति वएज्जा ? ता तिरािण तेसीते राइदियसते, एकतीसं च मुहुत्ता अट्ठारस बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स राइदियग्गेणं याहिएति वएज्जा, ता से णं केवइए मुहुत्तग्गेणं श्राहिएति वएज्जा ? ता एक्कारस मुहुत्तसहस्साइं पंच य एकारसमुहुत्तसते, अट्ठारस य बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स मुहुत्तग्गेणं याहिएति वएजा 20 ॥सूत्रं 72|| ता केवइयं ते नो जुगे राइंदियग्गेणं श्राहिएति वएज्जा ? ता सत्तरम एकाणउते राइंदियसते एएणवीसं च मुहता, सचावणे च बावटिभागा मुहुत्तस्स, बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिहा छेत्ता पणपराणं चुगिणया भागा राइंदियग्गेणं श्राहियाति वएज्जा 1 / ता से णं केवइए मुहुत्तग्गेणं श्राहिएति वएजा ? ता तेपराणं मुहुत्तसहस्साई, सत्त य एगणपन्ने मुहुत्तसये सत्तावराणं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स, बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिहा छेत्ता पणपराणं चुरिणया. भागा मुहुत्तग्गेणं अाहियाति वएन्जा 2 / ता केवइए णं ते जुगप्पत्ते राइंदियग्गेणं पाहिएति वएजा ? ता अट्टतीसं राइंदियाई दस य मुहुत्ता चत्तारि य आवट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिहा छेत्ता दुवाल्सचुरिणया Page #327 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 300 / | श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः भागा राइंदियग्गेणं आहितेति वएज्जा 3 / ता से णं केवइए मुहुत्तग्गेणं श्राहिएति वएजा ? ता एकारस पराणासे मुहुत्तसये चत्तारि य बावट्ठिभागे मुहुत्तस्स, बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिहा छेत्ता दुवालसचुरिणयाभागा मुहुत्तग्गेणं शाहिएति वएजा 4 / ता केवइए जुगे राइंदियग्गेणं श्राहिएति वएज्जा ? ता अट्ठारसतीसे राइंदियसते राइंदियग्गेणं श्राहितेति वदेजा 5 / ता से णं केवतिए मुहुत्तग्गेणं श्राहितेति वदेजा ? ता चउपराणं मुहुत्तसहस्साई णव य मुहुत्तसयाई मुहुत्तग्गेणं पाहिएति वएजा ? ता से णं केवतिए बावट्ठिभागमुहुत्तग्गेणं अाहितेति वदेजा ? ता चउत्तीसं सयसहस्सयाई अट्टतीसं च बावट्ठिभागमुहुत्तसये बावट्ठिभागमुहुत्तग्गेणं श्राहिएति वएज्जा 7 // सूत्रं 73 // ता कया णं एए प्राइचचंदसंवच्छरा समादिया समपज्जवसिया अाहियाति वएज्जा ? ता सट्टी एए श्राइच्चमासा बावट्टी एए चंदमासा, एस णं श्रद्धा इखुत्तकडा दुवालसभइया तीसं एए प्राइचसंवच्छरा, एकतीसं एए चंदसंबच्छरा तता णं एते श्रादिचचंदसंवच्छरा समादिया समपज्जवसिया अाहितेति वएजा 1 / ता कयाणं एए श्राइच उउचंदणखत्ता संवच्छरा समादिया समपन्जवसिया ग्राहियाति वएजा ? ता सट्ठी एए प्राइचमासा, एगट्ठी एए उउमासा, बावट्टि एए चंदमासा सत्तट्ठी एए नक्खत्तमासा एस णं श्रद्धा दुवालसखुत्तकडा दुवालसभइया सट्टि एए श्राइचा संबच्छरा, एगट्ठी एए उउसंवच्छरा, बावट्ठी एए चंदा संवच्छरा, सत्तट्ठी एए नक्खत्ता संवच्छरा, तया णं, एए श्राइच-उउ-चंद-नक्खत्ता संवच्छरा समादिया समपज्जवसिया पाहियाति वएन्जा 2 / ता कयाणं एए अभिवड्डियाइच-उउ-चंद-गणक्खत्ता संवच्छरा समादिया समपजवसिया श्राहियाति वएज्जा ? ता सत्तावराणं मासा सत्त य अहोरत्ता, एकारस य मुहुत्ता, तेवीसं बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स एए अभिवडिता मासां सट्ठी एए श्रादिचमासा, एगट्ठी एए उडू मासा, बावट्ठी एए चंदमासा, सत्तट्ठी एए Page #328 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीच्चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्रं : प्रा० 12 / [ 301 नक्खत्तमासा, एस णं श्रद्धा छप्पराणसत्तखुत्तकडा दुवालसभइया सत्तसया चोयाला, एए णं अभिवडियसंवच्छरा, सत्तसया असीया, एए णं प्राइचसंवच्छरा, सत्त सया ते णउया एए णं उडूसंवच्छरा, अट्ठ सया छलुत्तरा, एए णं चंदा संवच्छरा, एगसत्तरी पट्ठसया, एए णं नक्खत्ता संवच्छरा, तया णं एए अभिवड्डिय-श्राइच-उउ-चंदनक्खत्ता संवच्छरा समादिया समपन्जवसिया आहियाति वएजा 3 / ता णयट्टयाए णं चंदे संवच्छरे तिरिणचउप्पराणे राइंदियसये दुवालस य बावट्ठिभागे राइंदियस्स आहियाति वएजा, ता हातच्चेणं चंदे संवच्छरे तिरिण चउप्पणाई दियसयाई पंच य मुहुत्ता, पराणासं च बावट्ठिभागे मुहुत्तस्स आहियाति वएजा 4 ॥सूत्र७४॥ तस्थ खलु इमे छ उऊ पराणत्ता, तंजहा-पाउसे वरिसारत्ते सरए हेमंते वसंते गिम्हे 1 / ता सव्वे वि णं एए चंदउऊदुवे 2 मासा ति चउप्पराणेणं 2 श्रादाणेणं गणिजमाणा साइरेगाई एगूणसट्ठी 2 राईदियाई राइंदियग्गेणं श्राहिएति वएज्जा 2 / तत्थ खलु इमे छ श्रोमरत्ता पराणत्ता, तंजहा-तइए पव्वे सत्तमे पव्वे एकारसमे पव्वे पराणरसमे पव्वे एगूणवीसइमे पव्वे तेवीसइमे पव्वे 3 / तत्थ खलु इमे छ अतिरत्ता पराणत्ता, तंजहा-चउत्थे पब्वे अट्टमे पव्वे बारसमे पव्वे सोलसमे पव्वे वीसइमे पव्वे चउवीसइमे पव्वे 4 / गाहा-छच्चेव य श्रइरत्ता, श्राइचाउ हवंति माणाहि / छच्चेव श्रोमरत्ता, चंदाउ हवंति माणाहि // 1 // सूत्रं 75 // तत्थ खलु इमायो पंचवासिकीयो, पंचहेमंतीयो प्राउट्टीयो पराणत्तायो 1 / ता एएसिं णं पंचराहं संवच्छराणं पढमं वासिकिं पारहि चंदे केणं णखत्तेणं जोएइ ? ता यभिइणा, अभिइस्स पढमसमएणं 1 / तं समयं च णं सूरे केणं णक्खत्तेणं जोएइ ? ता पूसेणं, पूसस्स णं एगूणवीसं मुहुत्ता, तेत्तालीसं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स, बावट्ठिभागं च सत्तट्टिहा छित्ता तेत्तीसं चुरिणयाभागा सेसा 2 / ता एएसि णं पंचराहं संवच्छराणं दोच्चं वासिक्किं अाउट्टि चंदे केणं Page #329 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 302 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः सप्तमो विभागः णक्खत्तेणं जोएइ ? ता संठाणाहिं, संठाणाणं एकारसमुहुत्ता उत्तालीसं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स, बावट्ठिभागं च सत्तट्टिधा छेत्ता तेवरणं चुगिणया भागा सेसा 3 / तं समयं च णं सूरे केणं णक्खत्तेणं जोएइ ? ता पूसेणं, प्रसस्स णं तं चेव जं पढमया 2.4 / ता एएसिं णं पंचराहं. संवच्छराणं तच्चं वासिकिं श्राउट्टि चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएइ ? ता विसाहाहिं, विसाहाणं तेरसमुहुत्ता, चउप्परणं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स, बावट्ठिभागं च सत्तट्टिधा छेत्ता चत्तालीसं चुरिणया भागा सेसा 5 / तं समयं च णं सूरे केणं णक्खत्तेणं जोएइ ? ता पूसणं, पूप्तस्स तं चेव 3, 6 / ता एएसि णं पंचराहं संवच्छराणं चउत्थि वासिक्किं बाउट्टि चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएइ ? ता रेवईहिं, रेवईणं पणवीसं मुहुत्ता, बत्तीसं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स, बावट्टि भागं च सत्तट्टिहा छित्ता छब्बीसं चुरिणयाभागा सेसा 7 / तं समयं च णं सूरे केणं णक्खत्तेणं जोएइ ? ता सेणं, पूसस्स तं चेव 4, 8 / ता एएसि णं पंचराहं संवच्छराणं पंचम वासिकि पाउटिं चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएइ ? ता पुव्वाफग्गुणीहिं, पुव्वाफग्गुणीणं बारस मुहुत्ता, सत्तालीसं च बावट्टि भागा मुहुत्तस्स, बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिधा छेत्ता तेरस चुरिया भागा सेसा 6 / तं समयं च णं सूरे कणं णक्खत्तेणं जोएइ ?, ता पूसेणं, प्रसस्स तं चेव एगुणवीसा तेताली तेत्तीसा // सूत्रं 76 // ता एएसि णं पंचराहं संवच्छराणं पढमं हेमंतिं श्राउट्टि चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएइ ? ता हत्थेणं, हत्थस्स णं पंचमुहुत्ता, पराणासं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स, बावट्ठिभागं च सत्तट्ठहिा छेत्ता सट्टीचुरिणया भागा सेसा 1 / तं समयं च णं सूरिए केणं णक्खत्तेणं जोएइ ? ता उत्तराहिं श्रासादाहिं, उत्तराणं श्रासाढाणं चरिमसमए 2 / ता एएसिं णं पंचराहं संवच्छराणं दोच्चं हेमंत पाउट्टि चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएइ ?, ता सतभिसयाहिं, सयभिसयाणं दुन्नि मुहुत्ता, अट्ठावीसं च बावट्ठिभागा मुहत्तस्स, बावट्ठिभागं च सत्तट्टिहा छेत्ता छत्तालीतं शाक्खत्तेणं जाएइ एसि णणं पंचराहं संवयाहिं, संयभिसयाणता छत्तालीतं Page #330 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीपच्चन्द्रप्राप्तिसूत्र : प्रा० 12 ] [ 303 चुगिणया भागा सेसा 3 / तं समयं च णं सूरे केणं णक्खत्तेणं जोएइ ? ता उत्तराहिं प्रासादाहिं उत्तराणं, श्रासाढाणं चरमसमए 2, 4 / ता एएसि णं पंचगहं संवच्छराणं तच्चं हेमंत पाउट्टि चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएइ ? ता सेणं, पूसस्स एगूणवीसं मुहुत्ता तेतालीसं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स, बावट्ठिभागं च सत्तट्टिहा छेत्ता तेत्तीस चुगिणयाभागा सेसा 5 / तं समय च णं सूरे केणं णक्खत्तेणं जोएइ ? ता उत्तराहिं आसाढाहि, उत्तराणं प्रासादाणं चरिमसमए 3, 6 / ता एएसि णं पंचराहं संवच्छराणं चउत्थि हेमंत पाउट्टि चंदे केणं णक्खत्तेण जोएइ ? ता मूलेणं, मूलस्स छ मुहुत्ता, अट्ठावन्नं च बावविभागा मुहुत्तस्स, बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिहा छेत्ता वीसं चुगिणया भागा सेसा 7 / तं समयं च णं सूरे केणं णक्खत्तेणं जोएइ ? ता उत्तराहिं श्रासादाहिं, उत्तराणं प्रासादाणं चरिमसमए 4, 8 / ता एएसि णं पंचराहं संवच्छराणं पंचमं हेमंतिं याट्टि चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएइ ? कत्तियाहिं, कत्तियाणं अट्ठारसमुहुत्ता, छत्तीस्सं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्टिहा छेत्ता छ चुरिणया भागा सेसा 1 / तं समयं च णं सूरिए केणं णक्खत्तेणं जोएइ ? ता उत्तराहिं श्रासादाहिं, उत्तराणं श्रासा. ढाणं चरिमसमए 10 // सूत्रं 77 // तत्थ खलु इमे दसविहे जोए पराणत्ते, तंजहा-वसभाणुजोए 1, वेणुयाणुजोए 2, मंचे 3, मंचाइमंचे 4, छत्ते 5, छत्ताइच्छत्ते 6, जुयणद्धे, 7, घणसंमद्दे 8, पीणिए 1, मंडूयप्पुए णामं दसमे 10, 1 / एएसि णं पंचराहं संवच्छराणं छत्ताइछत्तं जोगं चंदे कसि देसंसि जोएइ ?, ता जंबुद्दीवस्स दीवस्स पाईणपडिणीणाययाए उदीणदाहिणाययाए जीवाए मंडलं त्रउव्वीसेणं सएणं छिना, दाहिणपुरथिमिल्लंसि चउभागमंडलंसि सत्तावीसं भागे उवाइणावित्ता अट्ठावीसइमं भागं वीसधा छेत्ता अट्ठारसभागे उवाइणावित्ता तीहिं भागेहिं दोहि य कलाहिं दाहिणपुरस्थिमिल्लं चउम्भागमंडलं असंपत्ते, एत्थ णं से चंदे छत्ताइछत्तं जोयं जोएइ, Page #331 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 304 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : सतमो विभागा तंजहा-उप्पिं चंदा मज्झे णक्खत्ते हेट्ठा प्राइच्चे 2 / तं समयं च णं चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएइ ? ता चित्ताहिं चित्ताणं चरमसमये // सूत्रं 78 // बारसमं पाहुडं समत्तं // . // इति बादशं प्राभूतम् // 12 // // अथ त्रयोदशं प्राभूतम् // ता कहं ते चंदमसो वड्डोवड्डी श्राहिएति वएजा ? ता अट्ठपंचासीते मुहुत्तसते, तीसं च बावट्ठिभागामुहुत्तस्स जाव प्राहिएति वएजा 1 / ता दोसिणापक्खयो अंधकारपक्खमयमाणे चंदे चत्तारि बायाले मुहत्तसते छत्तालीसं च बावट्ठिभागे मुहुत्तस्स, जाइं चंदे रजइ, तंजहा-पढमाए पढमं भागं, बिइयाए बिइयं भागं जाव पराणरसीए पराणरसमं भागं, चरिमसमए चंदे रत्ते भवइ अवसेसे समए चंदे रत्ते य विरत्ते य भवइ, इयराणं श्रमावासा, एत्थ णं पढमे पव्वे अमावासे 2 / ता अंधयारपक्खायो णं दोसिणापक्खं अयमाणे चंदे चत्तारि वायाले मुहत्तसते छत्तालीसं च बावट्ठिभागामुहुत्तस्स जाई चंदे विरज्जइ, तंजहा-पढमाए पढमं भागं, विइयाए विइयं भागं जाव पराणरसीए पराणरसमं भागं, चरिमे समए चंदे विरत्ते भवइ, अवसेसे समए चंद रत्ते य विरते य भवइ, इयराणं पुराणमासिणी, एत्थ णं दोच्चे पव्वे पुराणमासिणी 3 // सूत्रं 71 / / तत्थ खलु इमायो बावट्ठी पुराणमासिणीयो बावट्ठो अमावासाम्रो पराणत्तायो 1 / बावट्ठी एए कसिणा रागा बावट्ठी एए कसिणा विरागा 2 / एए चउब्बीसे पबसए एए चउव्वीसे कसिणरागविरागसए 3 / जावइयाणं पंचराहं संवच्छराणं समया एगेणं चवीसेणं समयसएणूणगा एवइया परित्ता असंखेजा देस राग विरागसया भवंतीति मक्खाया 4 / ता अमावासाश्रो णं पुराणमासिणी. चत्तारिबायाले मुहुत्तसते छत्तालीसं बावट्ठिभागे मुहुत्तस्स पाहिएति वएज्जा 5 / ता पुराणमासिणीश्रो Page #332 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री मच्चंद्रप्रज्ञप्तिसूत्रं :: प्रा० 13 ] [ 305 णं अमावासा चत्तारि बायाले मुहत्तसये छत्तालीसं बावट्टि भागे मुहुत्तस्स श्राहिएति वएजा 6 / ता अमावासातोणं अमावासा अट्ठयं चासीते मुहुत्तसते तीसं त्र बावट्ठिभागे मुहुत्तस्स अाहितेति वदेजा 7 / ता पुराणमासिणीयोणं पुराणमासिणी अट्ठ पंचासीते मुहुत्तसते तीसं बावट्ठिभागे मुहुतस्त पाहिएति वएज्जा = | एस णं एवइए चंदे मासे, एस णं एवइए सगले जुगे 1 // सूत्रं 80 // ता चंदेणं श्रद्धमासेणं चंदे कइ मंडलाइं चरइ ? ता चोइस चउभागमंडलाइं चरइ एगं च चउव्वीससयभागं मंडलस्स 1 / ता प्राइच्चेणं अंदमासेणं चंदे कइ मंडलाइं चरइ ? ता सोलस मंडलाई चरइ, सोलस मंडलचारीतया अवराई खलु दुवे अट्टगाई जाई चंदे केणइ असामराणगाई सयमेव पविसित्ता 2 चारं चरइ 2 / कयराइं खलु दुवे अगाई जाइं चंदे केण३ असामराणगाई सयमेव पविसित्ता 2 चारं चरइ ?, इमाई खलु ते दुवे अढगाई जाइं चंदे केणइ असामराणगाइ सयमेव पविसित्ता 2 चारं चरइ, तंजहा-निक्खममाणे चेव अमावासं तेणं पविसमाणे चेव पुराणमासिं तेणं, एयाई खलु दुवे अट्टगाई जाई चंदे केणइ अप्तामराणगाई सयमेव पविसित्ता 2 चारं चरइ 3 / ता पढमायणगए चंदे दाहिणाए भागाए पविसमाणे सत्त श्रद्ध मंडलाई जाई चेदे दाहिणाए भागाए-पविसमाणे चारं चरइ 4 / कयराई खलु ताई सत्त अद्धमंडलाइं जाई चंदे दाहिणाए भागाए पविसमाणे चारं चरइ ? इमाई खलु ताई सत्त श्रद्धमंडलाइं जाई चंदे दाहिणाए भागाए पविसमाणे चारं चरइ, तंजहा-वितिए अद्धमंडले चउत्थे श्रद्ध मंडले 2 छट्टे अद्धमंडले 3 अट्ठमे अद्धमंडले 4, दसमे श्रद्धमंडले 5, बारसमे अद्ध मंडले 6, चउद्दसमे अद्धमंडले 7, 5 / एमाई खलु ताई सत्त श्रद्धमंडलाई जाई चंदे दाहिणाए भागाए पविसमाणे चारं चरइ 6 / ता पढमायणगए चंदे उत्तराए भागाए पविसमाणे छ अद्धमंडलाई, तेरस य सत्तट्ठिभागाई अद्धमंडलस्स Page #333 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 306 ] / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः जाई चंदे उत्तराए भागाए पविसमाणे चारं चरइ 7 / कयराइं खलु ताई छ अद्धमंडलाई, तेरस य सत्तद्विभागाइं श्रद्धमंडलस्स जाई चंदे उत्तराए भागाए पविसमाणे चारं चरइ ? इमाइं खलु ताई छ अद्धमंडलाई, तेरस य सत्तट्टिभागाइं श्रद्धमंडलस्स जाई चंदे उत्तराए भागाए पविसमाणे चारं चरइ, तंजहा-तइए श्रद्धमंडले 1, पंचमे श्रद्धमंडले 2, सत्तमे श्रद्धमंडले 3, मवमे श्रद्धमंडले 4, एकारसमे श्रद्धमंडले 5, तेरसमे अद्धमंडले 6, पनरसमंडलस्स तेरस सत्तट्ठिभागाई, एयाइं खलु ताई छ श्रद्धमंडलाई, तेरस य सत्तट्ठिभागाई, अद्धमंडलस्स, जाइं चंदे उत्तराए भागाए पवि. समाणे चारं चरइ, एयावया च पढमे चंदायणे समत्ते भवइ 8 / ता णक्खत्ते श्रद्धमासे नो चंदे अद्धमासे, ता चंदे श्रद्धमासे णो णक्खत्ते श्रद्धमासे 1 / ता नक्खत्ताओ श्रद्धमासायो ते चंदे चंदेणं श्रद्धमासेणं किमधियं चरइ ? ता एगं श्रद्धमंडलं चत्तारि य सत्तट्ठिभागाइं श्रद्धमंडलस्स, सत्तट्ठिभागं एकतीसाए छेत्ता णवभागाइं 10 / ता दोचायणगए चंदे पुरथिमिल्लाए भागाए णिक्खममाणे सत्त चउप्पराणाई जाइं चंदे परस्स चिराणं पडिचरइ सत्त तेरसगाई जाइं चंदे अप्पणा चिगणं चरइ 11 / ता दोच्चायणगए चंदे पचत्थिमाए भागाए निक्खममाणे छ चउप्पराणाइं जाई चंदे परस्स चिराणं पडिचरइ-छ तेरसगाई चंदे अप्पणो चिराणं पडिचरइ, अवरगाई खलु दुवे तेरसगाई जाई चंदे केणइ असामराणगाई सयमेव पविसित्ता 2 चारं चरइ 12 / कयराइं खलु ताई दुवे तेरसगाई जाइं चंदे केणाइ असामराणगाई सयमेव पविसित्ता 2 चारं चरइ ? इमाइं खलु ताई दुवे तेरसगाई जाई चंदे केणइ असामराणगाई सयमेव पविसित्ता 2 चार चरइ तंजहा-सव्वन्भंतरे चेव मंडले, सम्बबाहिरे चेव मंडले 13 / सव्व एयाणि खलु ताणि दुवे तेरसगाई जाई चंदे केणइ जाव चारं चरइ 14 / एयावया दोच्चे चंदायणे समत्ते भवइ 15 // ता णक्खत्ते मासे नो चंदे मासे, चंदे मासे Page #334 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमचन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्रं :: प्रा० 13 ] [ 307 नो णक्खत्ते मासे 16 / ता णक्खत्तायो मासायो चंदे चंदेणं मासेणं किमधियं चरइ ? ता दोबद्रमंडलाइं चरइ, अट्ठय सत्तट्ठिभागाइं अद्धमंडलस्स, सत्तट्ठिभागं च एकतीसहा छेत्ता अट्ठारसभागाइं 17 / ता तच्चायणगए चंदे पचत्थिमाए भागाए पविसमाणे बाहिराणंतरस्स पचस्थिमिल्लस्स श्रद्धमंडलस्स ईगतालीसं सत्तट्ठिभागाइं जाई चंदे अप्पणो परस्स य चिराणं पडियरइ, तेरससत्तट्ठिभागाइं जाइं चंदे परस्स चिराणं पडिचरइ, तेरस सत्तट्ठिभागाइं जाई चंदे अप्पणो परस्स य चिराणं पडिचरइ 18 / एयावया च बाहिराणंतरे पचत्थिमिल्ले श्रद्धमंडले समत्ते भवइ 11 / ता तचायणगए चंदे पुरथिमाए भागाए पविसमाणे बाहिरतच्चस्स पुरथिमिल्लस्स अद्धमंडलस्स इगतालीसं सत्तट्ठिभागाइं जाई चंदे अप्पणो परस्स चिराणं पडिचरइ, तेरस सत्तट्ठिभागाई जाई चंदे परस्स चिराणं पडिचरइ, तेरस सत्तट्ठिभागाइं जाइं चंदे अप्पणो परस्स य चिराणं पडिचरइ, एतावताव बाहिरे तच्चे पुरथिमिल्ले श्रद्धमंडले समत्ते भवइ 20 / ता तचायणगए चंदे पचत्थिमाए भागाए पविसमाणे बाहिर चउत्थस्स पचत्थिमिल्लस्स श्रद्धमंडलस्स अट्ठसत्तट्ठिभागाई सत्तट्ठिभागं च एकतीसहा छेत्ता अट्ठारसभागाइं जाइं चंदे अप्पणो परस्स य चिराणं पडिचरइ 21 / एतावता व बाहिरचउत्थ पञ्चथिमिल्ले श्रद्धमंडले समत्ते भवइ 22 / एवं खलु एवं चंदेणं मासेणं चंदे तेरस चउप्पराणगाई दुवे तेरसगाई जाई चंदे परस्स चिराणं पडिचरइ, तेरस तेरसगाई जाई चंदे अप्पणो चिरणं पडिचरइ, दुवे ईगतालीसगाई दुवे तेरसगाई अट्ट सत्तट्ठि भागाई, सत्तट्ठिभागं च एकतीसधा छेत्ता अट्ठारसभागाइं जाइं चंदे अप्पणो परस्स य चिराणं पडिचरइ, अवराई खलु दुवे तेरसगाई जाई चंदे केणइ असामन्नगाई सयमेव पविसित्ता 2 चारं चरइ 23 / इच्चेसा चंदमसो अभिगमणणिक्खमण-बुड्डि-निवुड्डि अणवट्टि य संठाणा संठिईविउव्वणगिडिपत्ते ख्वी 'चंदे देवे, चदे देवे' अाहिएति वएजा 24 // सूत्रं 81 // तेरसमं पाहुडं समत्तं // 13 // Page #335 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 308 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः // अथ चतुर्दशं प्राभृतम् // ता कया ते दोसिणाबहू पाहिएति वएजा ? ता दोसिणापक्खे णं दोसिणा बहू पाहिएति वएजा 1 / ता कहं ते दोसिणापक्खे दोसिणा बहू श्राहिएति वएज्जा ? ता अंधयारपक्खायो णं दोसिणा बहू अाहिएति वएज्जा 2 / ता कहं ते अंधयारपक्खायो णं दोसिणापक्खे दोसिणा बहू श्राहिएति वएज्जा ? ता अंधयारपक्खाश्रो णं दोसिणापक्खं श्रयमाणे चंदे चत्तारि बायाले मुहुत्तसये, छत्तालीसं च बावट्ठिभागे मुहुत्तस्स जाई चंदे विरज्जइ, तंजहा-पढमाए पढमं भाग, बितिभाए वितियं भागं जाव पराणरसीए पराणरसं भागं, एवं खलु अंधयारपक्खायो दोसिणापरखे दोसिणा बहू पाहिएति वएजा 3 / ता केवइया णं दोसिणापक्खे दोसिणा बहू श्राहिएति वदेना ? ता परित्ता असंखेजा भागा 4 / ता कया ते अंधयारे बहू अाहिएति वएज्जा ? ता अंधयारपक्खे णं. अंधयारे बहू ग्राहिएति वएजा 5 / ता कहं ते अंधयारपक्खे अंधयारे बहू पाहिएति वएजा ? ता दोसिणा पक्खायो अंधयारपक्खे अंधयार बहू पाहिएति वएजा 6 / ता कहं ते दोसिणापक्खायो अंधयारपक्खे अंधयारे बहू श्राहिएति वएजा ?, ता दोसिणापक्खायो णं अंधयारपक्खं अयमाणे चंदे चत्तारि बायालाई मुहुत्तसयाई छायालीसं च बावट्ठिभागे मुहुत्तस्स, जाई चंदे रजइ, तंजहा-पढमाए पढमं भागं, बितियाए बितियं भागं जाव परणरसीए पराणरसमं भागं 7 / एवं खलु दोसिणापक्खायो अंधयारपक्खे अंधयारे बहू पाहिएति वएजा 8 / ता केवइए णं अंधयारपक्खे अंधयारे बहू पाहिएति वएन्जा ? परित्ता असंखेज्जा भागा 1 // सूत्रं 82 // चोदसमं पाहुडं समत्तं // 14 // Page #336 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमच्चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्रं : प्रा० 15 ] [ 306 // अथ पञ्चदशं प्राभतम् // ता कहं ते सिग्धगई वत्थू श्राहितेति वएज्जा ?, ता एएसि णं चंदिम सूरिय गह गण णक्खत्त ताराख्वाणं चंदेहितो सूरिया सिग्धगई, सूरिएहितो गहा सिग्घगई गहेहिंतो णक्खत्ता सिग्घगई, णक्खत्तेहितो तारा सिग्धगई 1 / सव्वप्पगई चंदा, सम्वसिग्धगई तारा 2 / ता एगमेगेणं मुहुत्तेणं चंदे केवइयाई भागसयाइं गच्छइ ? ता जं जं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तस्स तस्स मंडलपरिक्खेवस्स सत्तरस अट्ठसट्टि भागसते गच्छइ, मंडलं सयसहस्सेणं अट्ठाणउइ सएहिं छेत्ता 3 / ता एगमेगेणं मुहुत्तेणं सूरिए केवइयाइं भागसयाइं गच्छइ ? ता ज णं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तस्स तस्स मंडलपरिक्खेवस्स थट्टारसतीसे भागासते गच्छइ मंडलं सयसहस्सेणं अट्ठाणउइसएहिं छत्ता 4 / ता एगमेगेणं मुहुत्तेणं णक्णत्ते केवइयाई भागसयाडं गच्छइ / ता जं जं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तस्स तस्स मंडलपरिक्खेवस्स अट्ठारस पणतीसे भागसये गच्छइ, मंडलं सयसहस्सेणं अट्ठाणउइ सएहिं छेत्ता 5 // सूत्रं 83 // ता जया णं चंदे गइ समावराणं सूरे गइ समावराणे भाइ से णं गइ मायाए केवइयं विसेसेइ ? बावट्ठिभागे विसेसेइ 1 / ता जया णं चंदं गइ समावराणं णक्खत्ते गइ समावराणे भवइ से णं गइमायाए केवइयं विसेसेइ ? ता सत्तट्टि भागे विसेसेइ 2 / ता जया णं सूरं गइ समावराणं णक्खत्ते गइसमावराणे भवइ से णं गइमायाए केवइयं विसेसेइ ? ता पंचभागे विसेसेइ 3 / ता जया णं चंदं गइसमावगणं अभीईणक्खत्ते णं गइसमावराणे पुरत्थिमाए भागाए समासाएइ पुरस्थिमाए भागाए समासाइत्ता णव मुहुत्ते सत्तावीसं च सत्तट्ठिभागे मुहुत्तस्स चंदेण सद्धि जोयं जोएइ जोयं जोइत्ता जोयं अणुपरियट्टइ, जोयं अणुपरियट्टित्ता विप्पजहइ, विगय जोई यावि भवइ 4 / ता जया णं चंदं गइसमावराणं सवणे णक्खत्ते गइसमावराणे पुरस्थिमाए भागाए समासाएइ 2 तीसं मुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जोएइ जोयं Page #337 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 310 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः जोइत्ता अणुपरियट्टइ अणुपरियट्टित्ता विप्पजहइ विगयजोई यावि भवइ 5 / एवं एएणं अभिलावेणं णेयव्वं पराणरसमुहुत्ताई, तीसतिमुहुत्ताई, पणयालीसमुहुत्ताई भाणियव्वाइं जाव उत्तरासाढा 5 / ता जया णं चंदं गइ समावराणं गहे गइसमावराणे पुरत्थिमाए भागाए समासाएइ 2 चंदेण सद्धिं जोयं जोएइ, जोइत्ता जोयं अणुपरियट्टइ, अणुपरियट्टित्ता विप्पजहइ, विगयजोई यावि भवइ 6 / ता जया णं सूरियं गइसमावरणं अभीईणक्खत्ते गइसमावराणे पुरत्थिमाए भागाए समासाएइ, समासाइत्ता चत्तारि अहोरत्ते छच्च मुहुत्ते सूरेणं सद्धिं जोयं जोएइ जोयं जोइत्ता जोयं अणुपरियट्टइ, श्रणुपरियट्टित्ता विप्पजहइ विगय जोई यावि भवइ 7 / एवं अहोरत्ता छ एकवीसं मुहुत्ता य, तेरस अहोरत्ता बारस मुहुत्ता य वीसं अहोरत्ता तिरिण मुहुत्ता य सव्वे भाणियव्वा जाव जया णं सूरियं गइसमावराणं उत्तरा साढाणक्खत्ते गइसमावराणे पुरथिमाए भागाए समासाएइ समासाइत्ता वीसं अहोरत्ते तिगिण य मुहुत्ते सूरिएण सद्धिं जोयं जोएइ जोइत्ता जोयं अणुपरियट्टइ, अणुपरियट्टित्ता विप्पजहइ विगयजोई यावि भवइ / ता जया णं सूरं गइसमावराणं गहे गइसमावराणे पुरस्थिमाए भागाए समासाएइ, समासाइत्ता सूरेणं सद्धि जोयं जोएइ, जोयं जोइत्ता जोयं अणुपरियट्टइ, श्रणुपरियट्टित्ता विप्पजहइ विगयजोई यावि भवइ 1 // सूत्रं 84 // ता णक्खत्तेणं मासेण चंदे कइ मंडलाई चरइ ? ता तेरस मंडलाइं चरइ, तेरस य सत्तट्ठिभागे मंडलस्स 1 / ता णक्खत्तेणं मासेणं सूरिए कइ मंडलाइं चरइ ? ता तेरस मंडलाइं चरइ, चोयालीसं च सत्तट्ठिभागे मंडलस्स 2 / ता णक्खत्तेणं मासेणं णक्खत्ते कईमंडलाइं चरइ ? ता तेरस मंडलाइं चरइ, श्रद्ध सीतालीसं च सत्तट्ठिभागे मंडलस्स 3 / ता चंदेणं मासेणं चंदे कइ मंडलाइं चरइ ? ता चोदस चउभागाइं मंडलाइं चरइ एगं च चउव्वीससयभागं मंडलस्स 4 | ता चंदेणं मासेणं सूरे कइ मंडलाई चरइ ? ता पराणरसचउभागूणाई मंडलाइं चरइ, एगं Page #338 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमच्चंद्रप्रज्ञप्तिसूत्रं : प्रा० 15] [ 311 चउबीस सयभागं मंडलस्स 5 / ता चंदेणं मासेणं णवखत्ते कइ मंडलाई चरइ ? ता पराणरस चउभागूणाई मंडलाइं चरइ छच्च चउव्वीससयभागे मंडलस्स 6 / ता उउणा मासेणं चंदे कइमंडलाइं चरइ ? ता चोदस मंडलाई चरइ, तीसं च एगट्ठिभागे मंडलस्स 7 / ता उउणा मासेणं सूरे कइ मंडलाइं चरइ ? ता पराणरस मंडलाई चरइ 8 | ता उउणा मासेणं णक्खत्ते कइ मंडलाइं चरइ ? ता पराणरसमंडलाइं चरइ, पंच य बावीससयभागे मंडलस्स 1 / ता पाइञ्चेणं मासेणं चंदे कइ मंडलाइं चरइ ? ता चोदस मंडलाइं चरइ, एकारस पराणरसभागे मंडलस्स 10 / ता श्राइच्चेणं मासेणं सूरे कइ मंडलाइं चरइ ? ना पराणरस चउभागाहियाइं मंडलाइं चरइ 11 / ता श्राइच्चेणं मासेणं णक्खत्ते कइ मंडलाइं चरइ ? ता पराणरस चउभागाहियाइं मंडलाई चरइ पंच तीसं चउवीससयभागाइं मंडलाई चरइ 12 / ता अभिवडिएणं मासेणं चंदे कइ मंडलाइं चरइ ? ता पराणरस्स मंडलाई तेसीति छलसीयसतभागे मंडलस्स 13 / ता अभिडितेणं मासेणं सूरे कइ मंडलाइं चरइ ? ता सोलस मंडलाई चरइ, तिहिं भागेहिं ऊणगाई दोहिं अडयालेहिं सएहिं मंडलं छित्ता 14 / ता अभिवड्डिएणं मासेणं णक्खत्ते कइ मंडलाई चरइ ? ता सोलस मंडलाइं चरइ सीतालीसेहिं भागेहिं अहियाई चोदसहिं अट्ठासीएहिं सएहिं मंडलं छेत्ता 15 // सूत्रं 85 // ता एगमेगेणं ग्रहोरत्तेणं चंदे कइ मंडलाइं चरइ ? ता एगं श्रद्धमंडलं चरइ, एकतीसाए भागेहिं ऊणं नवहिं पराणरसेहिं सएहिं श्रद्धमंडलं छेत्ता 1 / ता एगमेगेणं ग्रहोरत्तेण सूरिए कइ मंडलाइं चरइ ? ता एगं श्रद्धमंडलं चरइ 2 / ता एगमेगेणं अहोरत्तेणं णक्खत्ते कइ मंडलाइं चरइ ? ता एगं अद्धमंडलं चरइ दोहिं भागेहिं अहियं सत्तहिं बत्तीसेहिं सएहिं अद्धमंडलं छेत्ता 3 / ता एगमेगं मंडलं चंदे काहिं अहोरत्तेहिं चरइ ? ता दोहिं अहो. रत्तेहिं चरइ एकतीसाए भागेहिं अहिएहि चउहिं बायालेहिं सएहिं राई Page #339 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 312 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभाग दियं छेत्ता 4 / ता एगमेगं मंडलं सूरे कइहिं अहोरत्तेहिं चरइ ? ता दोहिं अहोरत्तेहिं चरइ 5 / ता एगमेगं मंडलं णक्खत्ते कइहिं अहोरत्तेहिं चरइ ? ता दोहिं अहोरत्तेहिं चरइ दोहिं भागेहि ऊणेहिं तिहिं सत्तस?हिं सएहिं राइंदियं छेत्ता 6 / ता जुगेणं चंदे कइ मंडलाइं चरइ ? ता अट्ठ चुलसीयाई मंडलसयाई चरइ 7 / ता जुगेणं सूरे कइ मंडलाइं चरइ ? ता णवपराणरस मंडलसयाई चरइ 8 / ता जुगेणं णक्खत्ते कइ मंडलाई चरइ ? ता अट्ठारस पणतीसे दुभागमंडलसये चरइ 1 / इच्चेसा मुहुत्तगई रिक्खाइ-मासराइंदिए-जुग-मंडल-पविभत्ती सिग्धगई वत्थु पाहिएत्तिबेमि 10 // सूत्रं 86 // पराणरसमं पाहुडं समत्तं // 15 // // अथ षोडशं प्रामृतम् // / ता कहं ते दोसिणालक्खणं श्राहितेति वएजा ? ता चंद लेस्साइ य दोसिणाई य, दोसाणाई य चंद लेस्साई य के अट्ठ किं लक्खणे ? ता एगट्ठ एगलक्खणे 1 / ता सूरियलेस्साइ य यायवेइ य 2 सूरलेस्साई य के अट्ठे किं लक्खणे ? ता एग? एगलक्खणे 2 / ता अंधयारेइ य छायाइ य छायाइ य अंधयारेइ य के अट्ठ किं लक्खणे ? ता. एगढे एगलक्खणे 3 // सूत्रं 87 // सोलसमं पाहुडं समत्तं // 16 // . . // अथ सप्तदशं प्राभतम् // ___ता कहं ते चवणोववाया अाहितेति वएजा ? तत्थ खलु इमायो पणवीसं पडिवत्तीयो पराणत्तायो, तंजहा-तत्थेगे एवमाहंसु ता अणुसमयमेव चंदिम सूरिया अरणे चयंति अरणे उववज्जंति एगे एवमाहंसु 1 एगे पुण एवमाहंसु ता अणुमुहुत्तमेव चंदिमसूरिया अरणे चयंति अराणे उववज्जति एगे एवमाहंसु 2, एवं जहेव हेट्ठा तहेव जाव ता एगे पुण. एवमाहंसु-ता अणुश्रोसप्पिणी उस्सप्पिणीमेव चंदिमसूरिया अराणे चयंति अण्णे Page #340 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमच्चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र :: प्रा० 18 } [ 313 उववज्जंति एगे एवमासु 25, 1 / वयं पुण एवं वयामो-ता चंदिमसूरिया णं देवा महिड्डीया महाजुईया महाबला महाजसा महासोक्खा महाणुभावा वरवत्थधरा वरमल्लधरा वरगंधधरा वराभरणधरा अवोच्छित्ति नयट्ठयाए काले अण्णे चयति अराणे उबवज्जति अाहितेति वदेजा // सूत्रं 88 // सत्तरसमं पाहुडं समत्तं // 17 // // अथाष्टादशं प्राभूतम // __ता कहं ते उच्चत्ते श्राहिएति वएज्जा ? तत्थ खलु इमाश्रो पणवीसं पडिवत्तीयो पराणत्ताश्रो, तंजहा-तत्थ एगे एवमाहंसु ता एगं जोयणसहस्सं सूरे उ8 उच्चत्तेणं, दिवट्ठ चंदे एगे एवमाहंसु 1, एगे पुण एवमाहंसु ता दो जोयणसहस्साई सूरे उड्ढ उच्चत्तेणं, अड्डाइजाइं चंदे, एगे एवमाहंसु 2, एवं एएणं अभिलावेणं णेयव्वं ता तिन्नि जोयणसहस्साइं सूरे अट्ठाई चंदे 3, चत्तारि जोयणमहस्साई सूरे श्रद्धपंचमाई चंदे 4, पंच जोयणसहस्साइं सूरिए, श्रद्धट्ठाई चदे 5, एवं छ जोयणसहस्साई सूरे श्रद्धसत्तमाई चंदे 6, सत्त जोयणसहरसाइं सूरे श्रद्धट्ठमाई चंदे 7, अट्ठ जोयणसहस्साइं सूरे अद्धनवमाइं चंदे 8, नव जोयणसहस्साई सूरे अद्धदसमाइं चंदे 1, दस जोयणसहस्साई सूरे श्रद्धएकारस चंदे 10, एकारस जोयणसहस्साई सूरे अद्ध बारस चंदे 11, बारस सूरे अद्ध तेरस चंदे 12, तेरस सूरे श्रद्ध चोइस चंदै 13, चोदस सूरे अद्ध पराणरस चंदे 14, पराणरस सूरे श्रद्ध सोलस चंदे 15, सोलस सूरे अद्ध सत्तरस चंदे 16, सत्तरस सूरे श्रद्ध अट्ठारस चंदे 17, अट्ठारस सूरे श्रद्ध एगूणवीसं चंदे 18, एकोणवीसं सूरे श्रद्ध वीसं चंदे 11, वीसं सूरे अद्ध एकवीसं चंदे 20, एकवीसं सूरे श्रद्ध बावीसं चंदे 21, बावीसं सूरे अद्ध तेवीसं चंदे. 22, तेवीसं सूरे श्रद्ध चउवीसं चंदे 23, चउवीसं सूरे श्रद्ध पणवीसं चंदे, एगे एव Page #341 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 314 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः सतमो विभागः माहंसु 24, एगे पुगण एवमाहंसु पणवीसं जोयणसहस्साई सूरे उड्ड उच्चत्तेणं, श्रद्ध छब्बीसं चंदे, एगे एवमाहंसु 25, 1 / वयं पुण एवं वयामो-ता इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिज्जायो भूमिभागायो सत्तणउई जोयणसए उट्ठ उप्पतिता अबाहाए हेट्ठिल्ले ताराविमाणे चारं चरइ, अट्टजोयणसते उखु अबाहाए सूरविमाणे चारं चरइ, अट्ठअसीए जोयणसए उड्ड उप्पतिता अबाहाए चंद विमाणे चारं चरति नव जोयणसताई श्रबाहाए उवरिल्ले ताराविमाणे चारं चरइ 2 / हेछिल्लायो ताराविमाणायो दुसजोयणाई उड्ड अवाहाए सूरविमाणे चारं चरइ, नउई जोयणे उट्ठ उप्पतिता अबाहाए चंदविमाणे चारं चरइ, (एवं जहेव जीवाभिगमे तहेव नेयव्वं सव्वभंतरिल्लं चारं संठाणं पमाणं वहति सिग्धगती इड्डी तारंतरं अग्गमहिसीयो ठिती अप्पा बहुं जाव ताराश्रो संखेजगुणायो दसोत्तरं जोयणसयं उड्ड उप्पतिता अबाहाए उवरिल्ले तारारूवे चारं चरइ 3 / ता सूरियविमाणाश्रो असीई जोयणाई उट्ट उप्पतिता अबाहाए चंदविमाणे चारं चरइ 4 / जोयणसयं उड्ढ अबाहाए उवरिल्ले तारा स्वे चारं चरइ ता चंदविमाणायो णं वीसं जोयणाई उड्डे उप्पतिता श्रवाहाए उवरिल्ले तारा रूवे चारं चरइ 5 / एवामेव सपुत्वावरेणं दसुत्तरजोयणसयं बाहल्ले तिरियमसंखेज्जे जोइसविसए जोइसं चारं चरइ पाहिएति वएजा 6 // सूत्रं 86 // ता यत्थिणं चंदिमसूरिया णं देवाणं हिट्ठपि ताराख्वा अणुपि तुलावि ? समंपि ताराख्वा श्रणुपि तुल्लावि ? उप्पिंपि तारारूवा अणुपि तुल्लावि ? ता अस्थि 1 / ता कहं ते चंदिमसूरियाणं देवाणं हिट्ठपि ताराख्वा अणुपि तुल्लावि समंपि ताराख्वा. अणुपि तुलावि, उप्पिपि ताराख्वा अणुपि तुलावि ? ता जहा जहाणं तेसिणं देवाणं ताव णियमबंभचेराई उस्सियाई भवंति तहा तहाणं तेसिं देवाणं एवं भवइ, तंजहा-अणुत्ते वा तुल्लत्ते वा 2 / ता एवं खलु चंदिमसूरियाणं देवाणं Page #342 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एकारस एकता लोयंताबीन एकवीसाईजा पव्व श्रीमच्चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्रं :: प्रा० 18 ] [ 315 हिट्ठपि ताराख्वा अणुपि तुल्लावि तहेव जाव उपिपि तारारुवा अणुपि तुल्लावि 3 // सूत्रं 10 // ता एगमेगस्स णं चंदस्स देवस्स केवइया गहा परिवारो पराणत्तो ? केवइया णक्खत्ता परिवारो पराणत्तो ? केवइया तारा परिवारो पराणत्तो ? एगमेगस्स णं चंदस्स देवस्स अट्ठासीई गहा परिवारो पराणत्तो, अट्ठावीसं णक्खत्ता परिवारो पराणत्तो, गाहा “छावटि सहस्साई णवचेव सयाई, पंचुत्तराई (पंचसयराइं) एगससी परिवारो, तारागणकोडिकोडीणं // 1 // परिवारो परणत्तो // सूत्रं 11 // ता मंदरस्स णं पव्वयस्स केवइयं श्रषाहाए जोइसे चारं चरइ ? ता एकारस एकवीसाइं जोयणसयाई अबाहाए जोइसे चारं चरइ 1 / ता लोयंतायो णं केवइयं अबाहाए जोइसे पराणत्ते ? ता एकारस एकादसाइं जोयणसयाई-अबाहाए जोइसे पराणत्ते 2 // सूत्रं 12 // ता जंबुद्दीवेणं दीवे कयरे णक्खत्ते सव्वभंत. रिल्लं चारं चरंति ? कयरे णक्खत्ते सव्वबाहिरिल्लं चारं चरंति ? कयरे णक्खत्ते सव्वुवरिल्लं चारं चरंति ? कयरे णक्खत्ते हिडिल्लं चारं चरति ? ता अभीई णक्खत्ते सन्वभितरिल्लं चारं चरइ, मूले णक्खत्ते सव्वबाहिरिल्लं चारं चरइ, साई णवखत्ते सव्वुवरिल्लं चारं चरइ, भरणी णक्खत्ते सव्वहेटिल्लं चार चरइ // सूत्रं 13 ॥ता चंदविमाणेणं किं संठिए पराणते ? ता श्रद्ध कविट्ठसंगणसंठिए सव्वफालियामए अब्भुग्गयमूसिय-पहासिए विविहमणिरयण-भत्तिचित्ते वाउछुय विजयवेजयंती-पडाग-छत्ताइछत्तकलिए, तुगे गगणतलमणुलिहंतसिहरे जालंतर-रयणपंजरमिलियव्व मणिकणगथूभियागे वियसिय-सयपत्तपुंडरीय-तिलग-रयणद्धचंदचित्ते अंतो बहिं सराहे तवणिज-वालुया-पत्थडे सुहफासे सस्सिरीयस्वे पासाईए दरिसणिज्जे अभिरूवे पडिस्वे, एवं सूरविमाणे, गहविमाणे, णक्खत्तविमाणे, ताराविमाणे 1 / ता चंदविमाणेणं केवइयं यायामविक्खंभेणं ? केवइयं परिक्खेवेणं ? केवइयं बाहल्लेणं पराणत्ते ? ता छप्पराणं एगट्ठिभागे जोयणस्स Page #343 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 316 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः पायामविक्खंभेणं, तं तिगुणं सविसेसं परिरयेणं, अट्ठावीसं एगट्ठिभागे जोयणस्स बाहल्लेणं पराणत्ते 2 / ता सूरियविमाणेणं केवइयं पायामविक्खंभेणं पुच्छा ? ता अडयालीसं एगट्ठिभागे जोयणस्स पायामविक्खंभेणं, तं तिगुणं सविसेसं परिरएणं, चउब्वीसं एगट्ठिभागे जोयणस्स बाहल्लेणं पराणत्ते 3 / ता गहविमाणेणं केवइयं पुच्छा ? ता अद्धजोयणं थायामविक्खंभेणं तं तिगुणं सविसेसं परिरएणं, कोसं बाहल्लेणं पराणत्ते 4 / ता णक्खत्तविमाणे णं केवइयं पुच्छा ? ता कोसं पायामविक्खंभेणं, तं तिगुणं सविसेसं परिरएणं, अद्धकोसं बाहल्लेणं पराणत्ते 5 / ताराविमा. णेणं केवइयं पुच्छा ? ता अद्धकोसं पायामविक्खंभेणं, तं तिगुणं सविसेसं परिरएणं पंच धणुसयाई बाहल्लेणं पराणत्ते 6 / ता चंदविमाणे णं कड देवसाहस्सीयो परिवहति ? सोलस देवसाहस्सीनो परिहंति, तंजहापुरस्थिमेणं सीहरूवधारीणं चत्तारि देवसाहस्सीयो परिवहंति, दाहिणेणं गयरूवधारीणं चत्तारि देवसाहस्सीयो परिवहंति, पञ्चत्थिमेणं वसभरूबधारीणं चत्तारि देवसाहस्सीयो परीवहंति, उत्तरेणं तुरंगरूवधारीणं चत्तारि देवसाहस्सीयो परिवहति 7 / एवं सूरविमाणंपि 8 / ता गहविमाणेणं कइ देवसाहस्सीयो परिवहति ? ता अट्टदेवसाहस्तीयो परिवहंति, तंजहापुरस्थिमेणं सिंहरूवधारीणं देवाणं दो देवसाहस्सीश्रो परिवहंति, एवं जाव उत्तरेणं तुरगख्वधारीणं देवाणं दो देवसाहस्सीयो परिवहति 1 / ता नक्खत्तविमाणेणं कइ देवसाहस्सीयो परिवहति ? ता चत्तारि देवसाहस्सीयो परिवहंति, तंजहा-पुरस्थिमेणं सीहरूवधारीणं देवाणं एका देव. साहस्सी परिवहइ, एवं जाव उत्तरेणं तुरगरूवधारीणं देवाणं एका देवसाहस्सी परिवहइ 10 / ता ताराविमाणेणं कइ देवसाहस्सीयो परिवहति ? ता दो देवसाहस्सीयो परिवहंति, तंजहा-पुरस्थिमेणं सीहरूवधारीणं पंच देवसया परिवहंति, एवं जावुत्तरेणं तुरगरूवधारीणं देवाणं पंच देवसया Page #344 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमच्चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्रं : प्रा० 18 ] [ 317 परिवहति 11 // सू० 14 // एएसिं णं चंदिम-सूरिय-गहगण-णक्खत्ततारारूवाणं कयरे कयरेहितो सिग्धगई वा मंदगई वा ? ता चंदेहितो सूरा सिग्धगई सूरेहितो गहा सिग्धगई गहेहितो णक्खत्ता सिग्घगई, णक्खत्तेहिंतो तारा सिग्धगई, सव्वप्पगई चंदा, सव्वसिग्धगई तारा 1 / ता एएसिं णं चंदिम-सूरिय-गहगण-णक्खत्तताराख्वाणं कयरे कयरेहितो अप्पिडिया वा महिड्डिया वा ? ताराहिंता णक्खत्ता महिड्डिया णक्खत्तेहितो गहा महिड्डिया, गहेहिंतो सूरिया महिड्डिया, सूरिएहितो चंदा महिड्डिया, सवप्पिडिया तारा, सव्वमहिड्डिया चंदा 2 // सू०१५ // ता जंबुद्दीवेणं दीवे तारारूवस्स य एस णं केवइए अबाहाए अंतरे पराणत्ते ? दुविहे अंतरे पराणत्ते, तंजहा-वाघाइमे य, निव्वाघाइमे य 1 / तत्थ णं जे से वाघाइमे से णं जहराणेणं दोरिण छाव? जोयणसते उकोसेणं बारसजोयणसहस्साई दोगिण बायाले जोयणसते तारारुवस्स य 2 अबाहाए अंतरे पराणत्ते 2 / तत्थ णं जे से णिवाघाइमे से जहराणेणं पंच धणुसयाई, उकोसेणं अद्धजोयणं तारारूवस्त य 2 अवाहाए अंतरे पराणत्ते 3 // सू० १६॥ता चंदस्स णं जोइसिंदस्स जोइसरगणो कइअग्गमहिसीनो पराणत्तायो ? ता चत्तारि अग्गमहिसीनो, पराणत्तायो, तंजहा-चंदप्पभा 1, दोसिणाभा 2, अचिमाली 3, पभंकरा 4,1 / तत्थ णं एगमेगाए देवीए चत्तारि 2 देवीसाहस्सीयो परिवारो परणत्तो 2 / पभू णं ताश्रो एगमेगा देवी अराणाइं चत्तारि 2 देवीसहस्साई परिवारं विउवित्तए 3 / एवामेव सपुव्वावरेणं सोलस देवीसहस्साई, सेत्तं तुडिए 4 / तापभूणं चंदे जोइसिंदे जोइसराया चंदवडिसएविमाणे सभाए सुहम्माए तुडिएणं सद्धिं दिव्वाई भोगभोगाइं भुजमाणे विहरित्तए ? णो इण? संम? 5 / ता कहं ते णो पभू चंदे जोइसिंदे जोइसराया चंदवडिसए विमाणे सभाए सुहम्माए तुडिएणं सद्धि दिव्वाइं भोगभोगाइं भुजमाणं विहरित्तए ? ता चंदस्स णं जोइसिंदस्स जोइसरगणो चंदवडिसए विमाणे Page #345 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 318 ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभाग सभाए सुहम्माए माणव सु चेइयखंभेसु वयरामएसु गोलवट्टसमुग्गएसु बहवे जिणसकहा संणिक्खित्ता चिट्ठति, ताश्रो णं चंदस्स जोइसिंदस्स जोइसरराणो, अराणेसि च बहूणं जोइसियाणं देवाण य देवीण य अचणिज्जायो वंदणिनायो पूयणिजायो सकारणिजायो सम्माणणिजात्रो कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं पज्जुवासणिज्जायो, एवं खलु णो पभू चंदे जोइसिदे जोइसराया चंदवडिसए विमाणे सभाए सुहम्माए तुडिएण सद्धिं दिव्वाई भोगभोगाई भुजमाणे विहरित्तए 6 / पभू णं चंदे जोइसिंदे जोइसराया चंदवडिसए विमाणे सभाए सुहम्माए चंदेसि सीहासणंसि चउहिं सामाणियसाहस्सीहिं, चउहिं अग्गमहिसीहिं सपरिवाराहिं तिहिं परिसाहि, सत्तहिं अणीयाहिं सत्तहिं अणियाहिवइहि सोलसहिं पायरक्खदेवसाहस्सीहि, अराणेहि य बहूहि जोइसिहिं देवेहि देवीहि य सद्धिं संपरिवुडे महयाहय-गट्ट-गीय-वाइय-तंती. तल-ताल-तुडिय-घणमुइंग-पडुप्पवाइयरवेणं दिव्वाइं भोगभोगाई भुजमाणे विहरित्तए केवलं परियारणिडिए, णो चेव णं मेहुणवत्तियाए / ता सूरस्स णं जोइसिंदस्स जोइसरगणो कइअग्गमहिसीयो पराणत्तायो ? ता चत्तारि अग्गमहिसीनो पराणत्तायो, तंजहा-सूरप्पभा 1, श्रातवा 2, अचिमाला 3, पभंकरा 4, सेसं जहा चंदस्स, णवरं सूरवडिसए विमाणे जाव णो चेव णं मेहुणवत्तियाए 8 // सू० 17 // ता जोइसियाणं देवाणं केवइयं कालं ठिई पराणत्ता ? जहराणेणं अट्ठभागपलियोवम, उक्कोसेणं पलिश्रो. वमं, वाससयसहस्समब्भहियं 1 / ता जोइसिणीणं देवीणं केवइयं कालं ठिई पराणत्ता ? ता जहराणेणं अट्ठभागपलियोवमं, उक्कोसेणं श्रद्धपलि. अोवमं, परणासाए वाससहस्सेहिं अब्भहियं 2 / ता चंदविमाणे णं देवाणं केवइयं कालं ठिई पराणत्ता ? जहरणेणं चउभागपलिश्रोवमं, उक्कोसेणं पलियोवमं वास सयसहस्समभहियं 3 / ता चंदविमाणे णं देवीणं केवइयं कालं ठिई पराणत्ता ? जहराणेणं चउभागपलियोवमं उक्कोसेणं श्रद्धपलि. Page #346 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ 316 श्रीमच्चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्रं : प्रा० 19 ] अोवमं. पराणामाए वाससहस्सेहिं अभहियं 4 / ता सूरविमाणे णं देवाणं केवइयं कालं ठिई पराणत्ता ? जहराणेणं चउभागपलिश्रोवर्म, उक्कोसेणं पलियोवमं वाससहस्ममभहियं 5 / ता सूरविमाणे णं देवीणं केवइयं कालं ठिई पराणत्ता ? जहराणेणं चउभागपलियोवमं, उक्कोसेणं श्रद्धपलिश्रोवमं पचहि वाससएहिं अब्भहियं 6 / ता गहविमाणे णं देवाणं केवइयं कालं ठिई परणत्ता ? जहराणेणं चउभागपलियोवम उक्कोसेणं पलिश्रोवमं 7 / ता गहविमाणे णं देवीणं केवइयं कालं ठिई पराणत्ता ? जहराणेणं चउभागपलियोवमं, उक्कोसेणं श्रद्धपलिग्रोवमं 8 / ता णक्खत्तविमाणे णं देवाणं केवइयं कालं ठिई पराणत्ता ? जहरणेणं चउभागपलिग्रोवमं, उक्कोसेणं श्रद्धपलियोवमं 1 / ता णक्खनविमाणे णं देवीणं केवइयं कालं ठिई परामत्ता ? जहराणेणं अट्ठभागपलियोवमं उकोसेणं चउब्भागपलिश्रोवमं 10 / ता ताराविमाणे णं देवाणं पुच्छा, जहरणेणं अट्ठभागपलिश्रोवमं, उकोसेणं चउठभागपलियोवमं 11 / ता ताराविमाणे णं देवीणं पुच्छा, जहराणेणं अट्ठभागपलिग्रोवमं उक्कोसेणं साइरेग अट्ठभागपलियोवमं 12 // सू० 18 // ता एएसिं णं चंदिम-सूरिय-गहगण-णक्खतबाराख्वाणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? ता चंदा य सूरा य एते णं दो वि तुला सव्वत्थोवा, णक्खत्ता संखिजगुणा गहा संखिजगुणा तारा संखिजगुणा // सू० 11 // अट्ठारसमं पाहुडं समत्त / // इति अष्टादशं प्राभृतम् // 18 // // अथ एकोनविंशतितमं प्राभूतम् / / ता कइ णं चंदमसूरिया सव्वलोयंसि श्रोभासंति उज्जोवेति तवेंति पभासेंति श्राहिएति वएजा ? तत्थ खलु इमायो दुवालसपडिवत्तीयो पगणतायो, तत्थेगे एवमाहंसु-ता एगे चंदे एगे सूरे सव्वलोयंसि श्रोभासंति Page #347 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 320 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभाग 1 उज्जोवेति 2 तवेति 3, पभासति 4, एगे एवमाहंसु 1, एगे पुण एवमाहंसु-ता तिरिण चंदा तिरिण सूरा सव्वलोयंसि श्रोभासेंति 4, एगे एवमाहंसु 2 / एगे पुण एवमाहंसु-ता पाउट्टि चंदा थाउट्टि सूरा सबलोयंसि श्रोभासेंति 4, एगे एवमाहंसु 3, एवं एएणं अभिलावणं जातो तइए पाहुडे दुवालसपडिवत्तीयो तायो चेव इहंपि णेयव्वाश्रो नवरं सत्त य दस य जाव य बावत्तरं चंदसहस्सं बावत्तरं सूरसहस्सं सबलोयं श्रोभासंति 4, एगे एवमासु 1 / वयं पुण एवं वयामो-ता श्रयगणं जंबुद्दीवे दीवे जाव परिक्खेवेणं पराणत्ते ता जंबुद्दीवे णं दीवे दो चंदा पभासेंसु वा पभासेंति वा पभासिस्संति वा, जहा जीवाभिगमे जाव तारापो 2 / ता जंबुद्दीवेणं दीवे लवणे नामं समुद्दे वट्टे वलयागारसंठिए सजो समंता संपरिक्खत्ताणं चिटुइ 3 / ता लवणे णं समुद्दे किं समचकवालसंठाणसंठिए विसमचकवालसंठिए ? ता लवणे णं समुद्दे समचकवालसंठिए नो विसमचकवालसंटिए 4 / ता लवणे समुद्दे केवइयं चकवालविक्खंभेणं केवइयं परिक्खेवेणं श्राहिएति वएज्जा ? ता दो जोयणसयसहस्लाइं चकवालविक्खंभेणं, पराणरस जोयणसयसहस्साई एकासीइं च सहस्साई सयं व उगायालं किंचिविसेसूणे परिक्खेवेणं श्राहिएति वएज्जा 5 / ता लवणे णं समुद्दे केवइयं चंदा पभासिंसु. वा 3 एवं पुच्छा जाव केवइयायो तारागणकोडिकोडीयो सोभं सोभिंसु वा 3 ? ता लवणे णं समुद्दे चत्तारि चंदा पभासिसु वा 3 जहा जीयाभिगमे जाव ताराश्रो 6 / ता लवणसमुद्दधायईसंडे णं दीवे वट्ट वलयागारसंठिए सव्वश्रो समंता संपरिक्खित्ता णं चिट्ठइ 7 / ता धायइसंडे णं दीवे किं समचकवालसंठिए विसमचकवालसंठिए ? ता समचकवालसंठिए को विसमचकवालसंटिए 8 / ता धायईसंडे दीवे केवइयं चकवालविक्खंभेणं केवतियं परिक्खेवेणं त्राहितेति वदेजा ? एवं विखंभो परिक्खेवो जोइसं जहा जीवाभिगमे जाव Page #348 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमच्चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्रं : प्रा० 20 ) / 321 तारायो 1 / ता धायइसंडं णं दीवं कालोए णामं समुद्दे वट्टे वलयागारसंठिए सव्वत्रो समंता संपरिक्खित्ता णं चिट्ठइ 10 / ता कालोए णं समुद्दे किं समचकवालसंठिए विसमचकवालसंठिए ? समचकवालसंठिए णो विसमचकवालसंठिए 11 / एवं विक्खंभो परिक्खेवो जोइसं च भाणियव्वं जाव तारायो 12 / ता कालोयगण समुह पुक्खरखरे णं दिवे वट्टे वलयागारसंठिए सव्वश्रो समंता संपरिक्खित्ता णं चिट्ठइ 13 / ता पुवखरवरे णं दीवे किं समचकवालसंठिए विसमचकवालसंठिए ? ता समचकवालसंठिए नो विसमचकवालसंठिए 14 / एवं विक्खंभो परिक्खेवो जोइसं जाव ताराश्रो 15 / ता पुक्खरवरस्स णं दीवस्स चकवालविक्खंभस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं माणुसुत्तरे णाम पव्वए वलयागारसंठिए, जे णं पुक्खरखरदीवं दुहा विभयमाणे विभयमाणे चिट्टइ, तंजहा-अभितरपुक्खरद्धं च, वाहिरपुक्खरद्धं च 16 / ता अभितरपुक्खरद्धे णं किं समचकवालसंठिए विसमचकवालसंठिए ? ता समकवालसंठिए णो विसमचकवालसंठिए 17 / एवं विक्खंभो, परिक्खेवो जोइस, ताराश्रो जाव एगससीपरिवारो तारागणकोडिकोडीणं 18 / ता पुक्खरखरं णं दीवं पुक्खरोदे समुद्दे वट्टे वलयागारसंठिए जाव चिट्ठइ, एवं विक्खंभो, परिक्खेवो जोइसं च भाणियव्वं जहा जीवाभिगमे जाव सयंभूरमणे 11 // सूत्रं 100.101 // एकूणवीसतितमं पाहुडं समत्तं // 16 // // अथ विंशतितमं प्राभतम् // ___ता कहं ते अणुभावे पाहिएति वएजा ? तत्थ खलु इमायो दो पडिवत्तीयो पराणत्ताश्रो, तंजहा-तत्थेगे एवमाहंसु-ता चंदिमसूरिया णं णो जीवा, अजीवा, णो घणा, झुसिरा, णो बादरबोंदिधरा, कलेवरा, नस्थि णं तेसि उट्ठाणेइ वा, कम्मेइ वा. बलेइ वा, वीरिए इवा, पुरिसकारपरकमे इ वा, ते णो विज्जु लवंति, णो असणि लवंति, णो थणियं लवंति, अहे य Page #349 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 322 ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः सप्तमो विभागा णं बायरे वाउकाए संमुच्छइ 2 विज्जंपि, लवंति, असणिपि लवंति, थणियंपि लवंति, एगे एवमाहंसु 1, एगे पुण एवमाहंसु–ता चंदिमसूरिया णं जीवा, णो अजीवा, घणा, नो मुसिरा, बायरबोंदिधरा, नो कलेवरा, अस्थि णं तेसिं उठाणे इ वा, कम्मे इ वा, बले इ वा, वीरिए इवा, पुरिसकारपरकमे इ वा, ते विज्जुपि लवंति, असणंपि लवंति, थणियंपि लवंति, एगे एवमाहंसु 2, 1 / वयं पुण एवं वयामो-ता चंदिमसूरिया णं देवा महिड्डिया महाजुझ्या महाबला महाजसा महासोक्खा महाणुभावा वरवत्थधरा वरगंधधरा वरमल्लधरा वराभरणधरा वुच्छित्तिणयट्ठयाए अराणे चयंति अराणे उववज्जति अाहितेति वदेजा 2 // सूत्रं 102 // ता कहं ते राहुकम्मे पाहिएति वएज्जा ? तत्थ खलु इमायो दो पडिवत्तीयो पराणताओ, तंजहा-तत्थेगे एवमाहंसु-ता अस्थि णं से राहुदेवे जे णं चंदं सूरं च गेराहति एगे एवमाहंसु 1, एगे पुण एवमाहंसु-ता णत्थि णं से राहुदेवे जे णं चंदं वा सूरं वा गेमहति 2, 1 / तत्थ जे ते एवमाहंसु-ता अस्थि णं से राहुदेवे जे णं चंदं वा सूरं वा गेहति ते णं एवमाहंसु-ता राहू णं देवे चंदं वा सूरं वा गेराहमाणे बुद्धतेणं गिरिहत्ता बुद्धतेणं मुयइ 1, मुद्धंतेणं गिरिहत्ता मुद्धतेणं मुयइ 2, मुद्धंतेणं गिरिहत्ता बुद्धतेणं मुयइ 3, मुद्धतेणं गिरिहत्ता मुद्धतेणं मुयइ 4, वामभुयंतेणं गिरिहत्ता वामभुयंतेणं मुयइ 5, वामभुयंतेणं गिरिहता दाहिणभुयंतेणं मुयइ 6, दाहिणभुयंतेणं गिरिहत्ता वामभुयंतेणं मुयइ 7, दाहिणभुयंतेणं गिरिहता दाहिणभुयंतेणं मुयइ 8,1, 2 / तत्थ जे ते एवमाहंसु-ता नत्थि णं से राहुदेवे जे णं चंदं वा सूरं वा गेराहति ते णं एवमाहंसु-तत्थ खलु इमे पराणरस कसिणपोग्गला पराणत्ता, तंजहा-सिंघाडए 1, जडिलए 2, खरए 3, खत्तए 4, अंजणे 5, खंजणे 6, सीयले 7, हिमसीयले 8, केलासे 6, अरुणाभे (प्पहे) 10 पणिजए (पभंजणे) 11 भमुव (णभसू )रए Page #350 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ 323 श्रीमच्चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्रं :: प्रा० 20 ] 12, कविलिए 13, पिंगलए 14, राहू 15, 3 / ता जया णं एते पराणरस कसिणा-कसिणा पोग्गला सया चंदस्स वा सूरस्स वा लेसाणुबद्धचारिणो भवंति तया णं माणुसलोगे माणुसा एवं वदंति-एवं खलु राहू चंदं वा सूरं वा गेराहइ 2, 4 / ता जया णं एए परणरस कसिणा 2 पोग्गला णो सया चंदस्स वा सूरस्स वा लेसाणुबद्धचारिणो भवंति णो खलु तया माणुसलोगम्मि मणुस्सा एवं वयंति-एवं खलु राहू चंदं वा सूरं वा नो गेराहति, एते एवमाहंसु 2, 5 / वयं पुण एवं वयामो-ता राहू णं देवे महिड्ढोए जाव महासुक्खे वरवत्थधारी जाव वराभरणधारी 6 / राहुस्स णं देवस्स णवनामधेजा पराणत्ता, तंजहा-सिंघाडए 1, जडिलए 2, खरए 3, खत्तए 4, ददरे (ढढरे) 5, मगरे 6, मच्छे 7, कच्छभे 8, कराहसप्पे 1, 7 / ता राहुस्स णं देवस्स विमाणा पंचवराणा पराणत्ता, तंजहाकिराहा 1, नीला 2, लोहिया 3, हालिद्दा 4, सुकिल्ला 5, 8 / अस्थि कालए राहुविमाणे खंजणवराणाभे पराणत्ते 1, अस्थि नीलए राहुविमाणे अलाउयवराणाभे, पराणत्ते 2, अस्थि लोहिए राहुविमाणे मंजिट्ठा वराणाभे पराणत्ते 3, अत्थि हालिद्दए राहुविमाणे हलिहावराणामे पराणत्ते 4, अस्थि सुकिल्लए राहुविमाणे भासरासिवराणाभे पराणत्ते 5,6 / ता जया णं राहुदेवे आगच्छमाणे वा, गच्छमाणे वा, विउव्वमाणे वा, परियारेमाणे वा चंदलेस्सं पुरत्थिमेणं श्रावरित्ता णं पञ्चत्थिमे णं वीईवयइ, तया णं पुरथिमेणं चंदे उवदसेइ पञ्चत्थिमेणं राहू 1, 10 / जया णं राहू श्रागच्छमाणे वा जाव परियारेमाणे वा चंदस्स वा सूरस्स वा लेसं पञ्चच्छिमेणं श्रावरित्ता पुरच्छिमे णं वीईवयइ तया णं पञ्चत्थिमे णं चंदे उवदंसति पुरथिमे णं राहू 2, 11 / जया णं राहुदेवे श्रागच्छमाणे वा गच्छमाणे वा विउव्वमाणे वा परियारेमाणे वा चंदस्स वा सूरस्स वा लेस्सं दाहिणेणं श्रावरित्ता उत्तरे . वीईवयइ तया णं दाहिणेणं चंदे वा सूरे Page #351 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 324 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः वा उबदंसेइ उत्तरेणं राहू 3, 12 / एवं एतेणं अभिलावेणं उत्तरेणं आवरित्ता दाहिणेणं चीईवयइ, उत्तरपुरस्थिमेणं आवरित्ता दाहिणपचत्थिमेणं वीईवयइ, दाहिणपञ्चत्थिमेणं श्रावरित्ता उत्तरपुरथिमेणं वीईवयइ, दाहिणपुरस्थिमेणं श्रावरित्ता उत्तरपञ्चत्थिमेणं वीईवयइ, उत्तरपञ्चत्थिमेणं श्रावरित्ता दाहिणपुरस्थिमेणं वीईवयइ, उत्तरपुरस्थिमेणं श्रावरित्ता दाहिणपञ्चत्थिमेणं वीईवयइ 13 / ता जया णं राहुदेवे श्रागच्छमाणे वा गच्छमाणे वा विउव्वमाणे वा परियारेमाणे वा चंदस्स लेस्सं पावरेत्ता वीईबयइ तया णं मणुस्सलोए मणुस्सा वयंति राहुणा चंदे गहिए 2, 14 / ता जया णं राहुदेवे श्रागच्छमाणे वा गच्छमाणे वा विउघमाणे वा परियारेमाणे वा चंदस्स लेस्सं श्रावरित्ता पासेण वीईवयइ तया णं मणुस्सलोए मणुस्सा वयंति-एवं खलु चंदेण राहुस्स कुच्छी भिराणा 15 / ता जया णं राहूदेवे श्रागच्छमाणे वा गच्छमाणे वा विउव्वेमाणे वा परियारेमाणे वा चंदस्स लेस्सं यावरेत्ता पचोसकाइ तया णं मणुस्सलोए मणुस्सा एवं वयंति-राहुणा चंदे वंते राहुणा 2, 16 / ता जया णं राहुदेवे भागच्छमाणे वा गच्छमाणे वा विउव्वमाणे वा परियारेमाणे वा चंदस्स लेस्सं थावरेत्ता मज्म-मज्झेणं वीईवयइ तया णं मणुस्सलोयंसि मणुस्सा वयंतिराहुणा चंदे विइयरिए, 2,17 / ता जया णं राहुदेवे श्रागच्छमाणे वागच्छमाणे वा विउब्वमाणे वा परियारेमाणे वा चंदस्स लेस्सं श्रावरित्ता अहे सपक्खि सपडिदिसि चिट्ठइ तया णं मणुस्सलोयंसि मणुस्सा वयंति-राहुणा चंदे घत्थे 2, 18 / कइविहे णं राहू पराणत्ते ? दुविहे पण्णत्ते, तंजहा-धुवराहू य पवराहू य 11 / तत्थ णं जे से धुवराहू से णं बहुलपक्खस्स पडिवए परणरसइ भागेणं पराण रसइ भागं चंदलेरसं पावरेमाणे पावरेमाणे चिट्टइ, तंजहा-पढमाए पढमं भागं वितियाए बितियं भागं जाव पराणरसीए पराणरसमं भागं, चरमसमए चंदे रत्ते भवई, अवसेससमए चंदे रते विरत्ते य Page #352 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमच्चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्रं :: प्रा० 20 ] [ 325 भवइ 20 / तमेव सुक्कपक्खे उवदंसेमाणे उवदंसेमाणे चिट्ठइ, तंजहा-पढमाए पढमं भागं जाव पराणरसीए पराणरसमं भागं, चरिमे समए चंदे विरत्ते भवइ, अवसेससमए चंदे रत्ते य विरत्ते य भवइ 21 / तत्थ णं जे ते पवराहू से जहरणेणं छराहं मासाणं, उक्कोसेणं बायालीसाए मासाणं चंदस्स, अडयालीसाए संवच्छराणं सूरस्स 22 // सू० 103 // ता से केण?णं एवं वुबति, तंजहा-चंदे ससी 2 (वाहितेति वदेजा) ? ता ( चंदस्स णं जोइसिंदस्स जोइसरगणो मियंके विमाणे कंता देवा, कंतायो देवीश्रो, कंताई पासण-संयण-खंभभंडमत्तोवगरणाई अप्पणावि ) चंदे णं देवे जोइसिंदे जोइसराया सोम्मे कंते सुभगे पियदंसणे सुरूवे ता से एतेण?णं एवं वुचति-(एवं खलु) चंदे ससी चंदे ससी (ग्राहिएति वएन्जा) 1 / ता से केण?णं एवं वुञ्चति-कहं ते सूरे श्राइच्चे 2 (ग्राहिएति वएजा) ? ता सूराईया णं समयाइ वा श्रावलियाइ वा श्राणापागूइ वा थोवेइ वा जाव उस्सप्पिणी इ वा श्रोसप्पिणी इ वा से एएणं अट्ठणं एवं वुच्चति-(एवं खलु) सूरे थाइच्चे 2 (ग्राहिएति वएजा) 2 // सूत्रं 104 // ता चंदस्स णं जोइसिंदस्स जोइसरराणो कइ अग्गमहिसीयो पराणत्तायो ? चत्तारि अग्गमहिसीनो पराणत्तायो, तंजहा-चंदप्पभा 1, दोसिणाभा 2, अचिमाली 3, पभंकरा 4, 1 / तत्थ णं एगमेगाए देवीए चत्तारि 2 एवं चेव पुव्वभणितं अट्ठारसमे पाहुडे तहा णायव्वं जाव मेहुणवत्तियं 2 (जहा हेट्टा तं चेव जाव णो चेव मेहुणवत्तियं) 2 / एवं सूरस्स (वि णेयव्वं) 3 / ता चंदिमसूरिया णं जोइसिंदा जोइसरायाणो केरिसए कामभोगे पञ्चणुब्भवमाणा विहरंति ? ता से जहा नामए केई पुरिसे पढमजोव्वणुट्ठाणबलसमत्थे पढमजोव्वणुट्टाणवलसमत्थाए भारियाए सद्धिं अचिरवत्तविवाहे अत्थत्थी अत्थगवेसणयाए सोलसवासविप्पवसिए, ता से णं तो लट्ठ कयकज्जे अणहसमग्गे पुणरवि सयंगिह हव्वमागए गहाए कयबलिकम्मे कयकोउय Page #353 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः मंगलपायच्छित्ते सुद्धप्पावेसाई मंगल्लाइं वत्थाई पवरपरिहिए अप्पमहग्याभरणालंकियसरीरे मणुराणं थालीपागसुद्धं श्रद्वारसवंजणाउलं भोयणं भुत्ते समाणे तंसि तारिसगंसी वासघरंसि अभिंतरतो सचित्तकम्मे बाहिरो दूमियघट्टमविचित्त-उल्लोय-चिल्लियतले मणिरयणपणासियंधयारे बहुसमसुविभत्तभूमिभाए पंचवरण-सरससुरभिमुक्कपुष्फपुजोवयारकलिते कालागुरु पवरकुदुरुक-तुरुक-धूवमघमघंत-गंधु याभिरामे सुगंधवरगंधिए गंधवट्टिभूए तंसि तारिसगंसि सयणिज्जंसि सालिंगणवट्टिए उभगोबिब्बोयणे दुहयो उराणए मज्झे णयगंभिरे पण्णत्तगंडबिब्बोयणसुरम्मे गंगापुलिणवालुउद्दालसालिसए उवचियखोमदुमूलपट्टपडिच्छायणे सुविरइयरयत्ताणे रत्तंसुयसंबुडे सुरम्मे पाईणगरूय-बूरणवणीय-तूलफासे सुगंधवरकुसुमचुराण-सयणोवयार. कलिए ता एतारिसयाए सिंगारागारचारुवेसाए संगयगयहसियभणियचिट्ठियसंलावविलास-णिउण-जुत्तोवयारकुसलाए जोव्वणविलासकलिताए अणुरत्ताए य विरत्ताए मणोणुकूलाए भारियाए सद्धिं एगंतरइपसत्ते अण्णत्थ कत्थइ मणं यकुब्वमाणे इ8 सदफरिसरसरूवगंधे पंचविहे माणुस्सए कामभोगे पचणुभवमाणे विहरिजा, ता से णं पुरिसे विउसमणकालसमयंसि केरिसयं सायासोक्खं पञ्चणुभवमाणे विहरइ ? तं उरालं णं समणाउसो ! तस्स णं पुरिसस्स कामभोगेहिंतो वाणमंतराणं देवाणं एत्तो श्रणंतगुणविसिट्ठतराए चेव कामभोगा। वाणमंतराणं देवाणं कामभोगेहितो असुरिंदवजियाणं भवणवासीणं देवाणं एत्तो अणंतगुणविसिट्टतरगा चेव कामभोगा। असुरिंदवजियाणं भवणवासिणं देवाणं कामभोगेहिंतो एत्तो अणंतगुणविसिट्टतरा चेव असुरकुमाराणं इंदभूयाणं देवाणं कामभोगा। असुरकुमाराणं इंदभूयाणं देवाणं कामभोगेहितो अणंतगुणविसिट्टतरा चेव गहगणणक्खत्तताराख्वाणं कामभोगा। गहगणणक्खत्ततारारूवाणं कामभोगेहितो अणंतगुणविसिट्टतरा चेव. चंदिमसूरियाणं देवाणं कामभोगा / ता Page #354 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमच्चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्रं : प्रा० 20 ] [ 327 एरिसए णं चंदिमसूरिया जोइसिंदा जोइसरायाणो कामभोगे पचणुभवमाणा विहरंति 4 // सूत्रं 105 // तत्थ खलु इमे अट्टासीई महगहा पराणत्ता, तंजहा-इंगालए 1, वियालए 2, लोहियंतक्खे 3, सणिच्छरे 4, बाहुणिए 5, पाहुणिए 6, कणे 7, कणए 8, कणकणए 1, कणवियाणए 10, कणगसंताणए 11, सोमे 12, सहिए 13, अस्सासणे 14, कजोवए 15, कब्ब(त्थु)रए 16, श्रयकरए 17, दुदुभए 18, संखे 11, संखणामे 20, संखवरणाभे 21, कसे 22, कंसणाभे 23, कंसवराणाभे 24, णीले 25, णीलोभासे 26, रुप्पी 27, रुप्पोभासे 28, भासे 21, भासरासी 30, तिले 31, तिलपुष्पवराणे 32, दगे 33, दगवराणे 34, काए 35, वे(ब)(काग)धे 36, इंदग्गी 37, धूमकेऊ 38, हरी 31, पिंगलए 40, बुहे 41, सुक्के 42, बहप्फई 43, राहू 44, अगत्थी 45, माणवए 46, कामफासे 47, धुरे 48, पमुहे 41, वियडे 50, विसंधिकप्पे(लए) 51, पयल्ले 52, जडियालए 53, अरुणे 54, अग्गिलए 55, काले 56, महाकाले 57, सोथिए 58, सोवत्थिए 51, बद्धमाणगे 60, पलंबे 61, णिचालोए 62, णिच्चुज्जोए 63, सयंपभे 64, शोभासे 65, सेयंकरे 66, खेमंकरे 67, श्राभंकरे 68, पभंकरे 61, अरए 70, विरए 71, असोगे, वीयसोगे य 72, विमले 73, विवत्ते (वितते) 74, विवत्थे 75, विसाले 76, साले 77, सुव्वए 78, अणियट्टी 76, एगजडी 80, दुजडी 81, करे 82, करिए 83, राय 84, अग्गले 85, पुप्फे 86, भावे 87, केऊ 88 // सूत्रं 106 // संगहणी-इंगालए वियालए, लोहियंक सणिच्छरे चेव / बाहुणिए पाहुणिए कणग-सनामावि पंचेव // 1 // सोमे सहिए थासासणे य कजोवए य कब्बरए। श्रयकरए दुदुभए, संख–सनामावि तिन्नेव // 2 // तिन्नेव कंसनामा, नीले रुप्पी य हुंति चत्तारि / भास तिल पुष्फवराणे दग Page #355 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 328 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः वराणे कायंबंधे य॥ 3 // इंदग्गी धूमकेतू , हरि पिंगलए बुधे य सुक्के य। बहस्सइ राहु अगत्थी, माणवए कामफासे य // 4 // धुरए पमुहे वियडे, विसंधिकप्पे तहा पयल्ले य / जडियालए य अरुणे अग्गिल काले महाकाले // 5 // सोत्थिय सोवत्थिय वद्धमाणगे तहा पलंबे य। णिचालोए णिच्चुजोए, सयंपमे चेव श्रोभासे // 6 // सेयंकर खेमंकर, श्राभंकर पभंकरे य बोद्धव्वे / अरए विरए य तहा, असोग तह वीयसोगे य॥७॥ विमले वितत विवत्थे, विसाल तह साल सुब्बए चेव / अणियट्टी एगजडी य होइ बियडी य बोद्धब्वे // 8 // कर करिए रायग्गल, बोद्धव्वे पुष्फभावे केऊ य। अट्ठासीइ गहा खलु, नेयव्वा श्रणुपुव्वीए // 1 // इय एस पागडत्था, अभब्वजणहियय-दुल्लभा इणमो / उक्कित्तिया भगवती जोइसरायस्स पराणत्ती // 1 // एस गहियावि संती, थद्धे गारवियमाणपडिणीए। अबहुस्सुए ण देया, तविवरीए भवे देया // 2 // (सद्धा)धिइउट्ठाणुच्छाहकम्मबलविरिय-पुरिसकारेहिं / जो सिक्खिनोवि संतो, अभायणे पक्खिविजाहि // 3 // सो पवयणकुलगण-संघबाहिरो णाणविणय-परिहीणो / अरहंत-थेरगणहरमेरं किर होइ वोलीणो॥४॥ तम्हा धिइउटाणुच्छाहकम्मबलवीरियसिक्खियं नाणं / धारेयव्वं णियमा, ण य अविणएसु दायव्वं // 5 // वीरवरस्स भगवतो, जरमरण-किलेस-दोसरहियस्स / वंदामि विणयपणतो सोक्खुप्पाए सया पाए // 6 // सूत्रं 107 // वीसइमं पाहुडं समत्तं / / चंदपन्नत्ती समत्ता // . // इति विंशतितमं प्राभूतम् // 20 // // इति श्री चन्द्रप्रज्ञप्तिः समाप्ता // [ग्रन्थाग्रं 2200] Page #356 -------------------------------------------------------------------------- ________________ .. || अहम् // // श्रीमत्सूर्यप्रज्ञप्त्याख्यमुपाङ्गम् // . // अथ प्रथमप्रामृते प्रथमं प्राभृतप्राभृतम् // -*नमः श्रीवीतरागाय // नमो अरिहंताणं // ते णं काले णं ते णं समए णं मिथिला नाम नयरी होत्था रिद्धस्थिमिय-समिद्धा पमुइत जणजाणवया जाव पासादीया राक (4) 1 / तीसे णं मिहिलाए नयरीए बहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसिभाए एत्थ णं माणिभद्दे णाम चेइए होत्था वराणश्रो 2 / तीसे णं मिहिलाए जितसत्तू राया, धारिणी देवी, वराणश्रो 3 / ते णं काले णं ते णं समए णं तंमि माणिभद्दे चेइए सामी समोसढे 4 / परिसा निग्गता, धम्मो कहितो, पडिगया परिसा जाव राजा जामेव दिसिं पादुभूए तामेव दिसि पडिगते 5 // सूत्रं 1 // ते णं काले णं ते णं समए णं समणस्स भगवतो महावीरस्स जे? अंतेवासी इंदभूती णामे(म) अणगारे गोतमे गोत्तेणं सत्तुस्सेहे समचउरंससंठाणसंठिए वजरिसहनारायसंघयणे जाव एवं वयासी // सूत्रं 2 // कइ मंडलाइ वचइ 1 तिरिच्छा किं च गच्छइ 2 / योभासइ केवइयं 3 सेयाइ किं ते संठिई 4 // 1 // कहिं पडिहया लेसा 5, कहिं ते योयसंठिई 6 / के सूरियं वरयते 7, कहं ते उदयसंठिई 8 // 2 // कह कट्ठा पोरिसीच्छाया 1, जोगे किं ते व श्राहिए 10 / किं ते संवच्छरेणादी 11, कइ संवच्छराइ य 12 // 3 // कहं चंदमसो वुड्डी 13, कया ते दोसिणा बहू 14 / के सिग्धगई वुत्ते 15, कहं दोसिणलक्खणं 16 // 4 // चयणोववाय 17, उच्चत्ते 18, सूरिया कइ श्राहिया 11 / अणुभावे के व संवुत्ते 20, एवमेयाइं वीसई // 5 // सू० 3 // Page #357 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 330 ] / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः वड्डोवड्डी मुहत्ताण 1 मद्धमंडलसंठिई 2 / के ते चिन्नं परियरइ 3 अंतरं किं चरंति य 4 // 6 // उग्गाहइ केवइयं 5, केवतियं च विकंपइ 6 / मंडलाण य संठाणे 7, विक्खंभो 8, अट्ठ पाहुडा // 7 // सूत्रं 4 // छप्पंच य सत्तेव य अट्ट तिन्नि य हवंति पडिवत्ती। पदमस्स पाहुडस्स हवंति एयाउ पडिवत्ती // 8 // सूत्रं 5 // पडिवत्तीयो उदए, तह अत्थमणेसु य / भियघाए कराणकला, मुहुत्ताण गतीति य // 1 // निवखममाणे सिग्घगई पविसंते मंदगईइ य / चुलसीइसयं पुरिसाणं, तेसि च पडिवत्तीयो॥ 10 // उदयम्मि अट्ठ भणिया भेदग्घाए दुवे य पडिवत्ती / चत्तारि मुहुत्तगईए हुति तइयंमि पडिवत्ती // 11 // सूत्रं 6 // श्रावलिय 1 मुहुत्तग्गे 2, एवंभागा य 3 जोगस्सा 4 / कुलाई 5 पुन्नमासी 6 य, सन्निवाए 7 य संठिई 8 // 12 // तार(य)ग्गं च 1 नेता य 10, चंदमग्गत्ति 11 यावरे / देवताण य अज्झयणे. 12, मुहुत्ताणं नामया इय 13 // 13 // दिवसा राइ वुत्ता य 14, तिहि 15 गोत्ता 16 भोयणाणि 17 य / श्राइचचार 18 मासा 11 य, पंच संवच्छरा इय 20 // 14 // जोइसस्स य दाराई 21, नक्खत्तविजएऽविय 22 / दसमे पाहुडे एए, बावीसं पाहुडपाहुडा // 15 // // सूत्रं७॥ता कहं ते वद्धोवद्धी मुहुत्ताणं अाहितेति वदेजा ? ता अट्ठएकूणवीसे मुहुत्तसते सत्तावीसं च सत्तसट्ठिभागे. मुहुत्तस्स अाहितेति वदेज्जा // सूत्रं 8 // ता जया णं सूरिए सव्वभंतरातो मंडलातो सव्वबाहिरं मंडल उपसंकमित्ता चारं चरति सव्वबाहिरातो मंडलातो सबभंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, एस णं श्रद्धा केवतियं रातिदियग्गेणं श्राहितेत्ति वदेजा ?, ता तिरिण छाव? रातिदियसए रातिंदियग्गेणं श्राहितेति वदेजा // सूत्रं 1 // ता एताए श्रद्धाए सूरिए कति मंडलाइं चरति ?, ता चुलसीयं मंडलसतं चरति, बासीति, मंडलसतं दुक्खुत्तो चरति, तंजहाणिक्खममाणे चेव पवेसमाणे चेव, दुवे य खलु मंडलाई सई चरति, Page #358 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत् सूर्यप्रज्ञप्तिमत्रम् :: प्रा० 1 प्रा० प्रा० 2 ] [ 331 तंजहा-सबभतरं चेव मंडलं सब्बबाहिरं चेव मंडलं // सूत्रं 10 // जइ खलु तस्सेव यादिच्चस्स संवच्छरस्स सयं श्रद्वारसमुहुत्ते दिवसे भवति सइं अट्ठारसमुहुत्ता राती भवति सई दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति सई दुवालसमुहुत्ता राती भवति 1 / पढमे छम्मासे अस्थि अट्ठारसमुहुत्ता राती भवति णत्थि अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे, अत्थि दुवालसमुहुत्ते दिवसे णत्थि दुवालसमुहुत्ता राती भवति 2 / दोच्चे छम्मासे अस्थि श्रद्वारसमुहुत्ते दिवसे, णत्थि अट्ठारसमुहुत्ता राती, अस्थि दुवालसमुहुत्ता राती णत्थि दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति 3 / पढमे छम्मासे दोच्चे छम्मासे वा णत्थि पराणरसमुहुत्ते दिवसे भवति, णस्थि पराणरसमुहुत्ता राती भवति 4 / तत्थ णं के हेतु वदेजा ?, ता अयराणं जंबुद्दीवे 2 सव्वदीवसमुदाणं सव्वभंतराए जाव परिवखेवेणं पराणत्ते 5 / ता जता णं सूरिए सव्वभंतरमंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तदा णं उत्तमकट्टपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति जहरिणया दुवालसमुहुत्ता राती भवति 6 / से निवखममाणे सरिए नवं संवच्छरं श्रयमाणे पटमंसि अहोरत्तंसि अभितराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति 7 / ता जया णं सूरिए अम्भितराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तदा णं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भरति दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणे, दुवालसमुहुत्ता राती भवति दोहिं एगद्विभागमुहुत्तेहिं अधिया 8 | से णिक्खममाणे सूरिए दोच्चंसि अहोरसि अभंतरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति 1 / ता जया णं सूरिए अभितरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तदा णं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति चउहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणे दुवालसमुहुत्ता राती भवति चरहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहि अहिया 10 / एवं खलु एएणं उवाएणं णिक्खममाणे सूरिए तदाणंतरा तयाणंतरं मंडलातो मंडलं संकममाणे 2 दो दो एगट्ठीभागमुहुत्ते एगमेगे मंडले दिवसे खेत्तस्स णिबुड्ढे माणे 2 रतणिक्खेत्तस्स अभिवुड्ढे माणे 2 सव्वबाहिरमंडलं Page #359 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 332 ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः उवसंकमित्ता चारं चरति 11 / ता जया णं सूरिए सव्वभंतरातो मंडलायो सचबाहिरं मंडलं उबसंकमित्ता चारं चरति तता णं सव्वभंतरमंडलं पणिधाय एगेणं तेसीतेणं राइदियसतेणं तिगिण छाव? एगट्ठिभागमुहुत्तसते दिवसखेत्तस्स णिवुडित्ता रतणिक्खेत्तस्स अभिवुडित्ता चारं चरति, तदा णं उत्तमकट्टपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राती भवति, जहराणए बारसमुहुत्ते दिवसे भवति, एस णं पढमे छम्मासे एस णं पढमस्स छम्मासस्स पजवसाणे 12 / से पविसमाणे सूरिए दोच्चं छम्मासं अ(श्रा)यमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि बाहिराणंतरं मंडलं उवसंकमेत्ता चारं चरति 13 / ता जया णं सूरिए बाहिराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तदा णं अट्ठारसमुहुत्ता राती. भवति दोहि एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणा, दुवालस मुहुत्ते दिवसे भवति दोहि एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिए 14 / से पविसमाणे सूरिए दोच्चंसि अहोरत्तंसि बाहिर तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति 15 / ता जया णं सूरिए बाहिरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तदा णं अट्ठारसमुहुत्ता राती भवति चउहिं पगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणा, दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति चाहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहि अहिए 16 / एवं खलु एतेणुवाएणं पविसमाणे सूरिए तदाणंतरातो मंडलातो तयाणंतरं मंडलं संक्रममाणे दो दो एगट्ठिभागमुहुत्ते एगमेगे मंडले रतणिखेत्तस्म णिवुड्ढे माणे 2 दिवसखेत्तस्स अभिवड्ढे माणे 2 सव्वभंतरं मंडलं उबसंकमित्ता चारं चरति 17 / ता जया णं सूरिए सव्वबाहि. रात्रो मंडलायो सबभंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तदा णं सव्वबाहिरं मंडलं पणिधाय एगेणं तेसीएणं राइंदियसतेणं तिन्नि छाव? एगट्ठिभागमुहुत्तसते रयणिखेत्तस्स निवुड्डित्ता दिवसखेत्तस्स अभिवद्वित्ता चारं चरति तया णं उत्तमकट्ठपत्ते उकोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति, जहरिणया दुवालसमुहुत्ता राती भवति 18 / एस णं दोच्चे छम्मासे एस णं दुच्चस्स छम्मासस्स पजवसाणे, एप्त णं श्रादिच्चे संवच्छरे एस णं श्रादिच्चस्स संवच्छरस्स Page #360 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्टानाथ दुवालसमुहूत्ता प्रहारसमुहूत्ता राई मे वा छम्मासे दाना राई श्रीमत् सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्रम् :: प्रा० ? प्रा० प्रा० 2 ] [ 333 पजवसाणे 11 / इति खलु तस्सेवं आदिच्चस्स संवच्छरस्स सइं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति, सई श्रद्वारसमुहुत्ता राती भवति 20 / सई दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति सई दुधालसमुहुत्ता राती भवति 21 / पढमे छम्मासे अस्थि अट्ठारसमुहुत्ता राइ णत्थि अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे 22 / अस्थि दुवालसमुहुत्ते दिवसे नत्थि दुवाल समुहुत्ता राई 23 / दोच्चे वा छम्मासे अस्थि अट्ठारसमुहुते दिवसे भवति णस्थि अट्ठारसमुहुत्ता राई 24 / अस्थि दुवालसमुहृत्ता राई नत्थि दुवालसमुहुते दिवसे भवति 25 / पढमे वा छम्मासे दोच्चे वा छम्मासे णत्थि पगणरसमुहुत्ते दिवसे भवति, णत्थि पराणरसमुहुत्ता राई भवति 26 / णणस्थ रातिदियाणं वडोवड्डीए मुहुत्ताण वा चयोवचएणं, गणत्थ वा अणुवायगईए, गाधारो भाणित वायो 27 // सूत्रं 11 // पढमस्स पाहुडस्स पढमं पाहुड पाहुडं // // इति प्रथमप्राभृते प्रथमं प्राभृत-प्राभृतम् // 1-1 // // अथ प्रथमप्राभते द्वितीयं प्राभतप्राभृतम् // . ता कहं ते अद्धमंडलसंठिती आहिताति वदेजा ?, तत्थ खलु इमे दुवे अद्धमंडलसंठिती पराणत्ता, तंजहा-दाहिणा चेव श्रद्धमंडलसंठिती उत्तरा चेव श्रद्धमंडलसंठिती 2 / ता कहं ते दाहिणश्रद्धमंडलसंठिती श्राहिताति वदेजा ?, ता अयराणं जंबुद्दीवे दीवे सव्वदीवसमुद्दाणं जाव परिवखेवेणं ता जया णं मूरिए सव्वभंतरं दाहिणणं अद्धमंडलसंठिति उवसंकमित्ता चारं चरति तदा णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति जहरिणया दुवालसमुहुत्ता राती भवति 2 / से णिक्खममाणे सूरिए णवं संवच्छरं श्रयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि दाहिणाए अंतराए भागाते तस्सादिपदेसाते अम्भितराणंतरं उत्तरं श्रद्धमंडलं संठिति उवसंकमित्ता चारं चरति 3 / ता जता णं सूरिए अभितराणंतरं उत्तरं श्रद्धमंडलसंठिति उवसंकमित्ता Page #361 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 334 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः चारं चरति तदा णं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणे, दुवालसमुहुत्ता राती दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अधिया 4 / से णिक्खममाणे सूरिए दोच्चंसि अहोरत्तैसि उत्तराए अंतराए भागाते तस्सादिपदेसाए श्रभितरं तच्चं दाहिणं अद्धमंडलं संठिति उवसंकमित्ता चारं चरति 5 ! ता जया णं सूरिए अभितरं तच्चं दाहिणं श्रद्धमंडलं संठिति उवसंकमित्ता चारं चरति तदा णं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति चउहिं एगद्विभागमुहुत्तेहिं ऊणे दुवालसमुहुत्ता राई भवति चउहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अधिया 6 / एवं खलु एएणं उबाएणं णिक्खममाणे सूरिए तदणंतरातो तदाणंतरंसि तंसि 2 देसंसि तं तं श्रद्धमंडलसंठिति संकममाणे 2 दाहिणाए 2 अंतराए भागाते तस्सादिपदेसाते. सव्वबाहिरं उत्तरं श्रद्धमंडलसंठिति उवसंकमित्ता चारं चरति 7 / ता जया णं सूरिए सब्बबाहिरं उत्तरं श्रद्धमंडलसंठिति वसंकमित्ता चारं चरति तदा णं उत्तमकट्टपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवति, जहण्णए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति = | एस णं पढमे छम्मासे एस णं पढमछम्मासस्स पजवसाणे 1 / से पविसमाणे सूरिए दोच्चं छम्मासं अयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि उत्तराते अंतरभागाते तस्सादिपदेसाते बाहिराणंतरं दाहिणं अद्धमंडलसंदिति उवसंकमित्ता चारं चरति 10 / ता जया णं सूरिए बाहिराणंतरं दाहिणद्धमंडलसंठिति उवसंकमित्ता चारं चरति तदा णं अट्ठारसमुहुत्ता राई भवति दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणा दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति दोहिं एगट्टिभागमुहुत्तेहि अहिए 11 / से पविसमाणे सूरिए दोच्चंसि अहोरत्तंसि दाहिणाते अंतराए भागाते तस्सादिपदेसाए बाहिरंतरं तच्चं उत्तरं श्रद्धमंडलसंठिति उवसंकमित्ता चारं चरति 12 / ता जया णं सूरिए बाहिरं तच्चं उत्तरं श्रद्धमंडलसंठिति उवसंकमित्ता चारं चरति तदा णं अट्ठारसमुहुत्ता राई भवति चउहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणा दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति चहि एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं Page #362 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत् सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्रम् :: प्रा० 1 प्रा० प्रा० 2 ] अधिये 13 / एवं खलु एतेणं उवाएणं पविसमाणे सूरिए तदाणंतराउ तदाणंतरं तंसि 2 देसंसि तं तं श्रद्धमंडलसंठितिं संकममाणे 2 उत्तराए अंतराभागाते तस्सादिपदेसाए सव्वभंतरं दाहिणं श्रद्धमंडलसंठिति उवसंकमित्ता चारं चरति 14 / ता जया णं मूरिए सबभंतरं दाहिणं श्रद्धमंडलसंट्ठिति उवसंकमित्ता चारं चरति तदा णं उत्तमकट्टपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहूत्ते दिवसे भवति, जहरिणया दुवालसमुहुत्ता राई भवति 15 / एस णं दोच्चे छम्मासे, एस णं दोचस्स छम्मासस्स पजवसाणे, एस णं आदिच्चे संवच्छरे, एस णं श्रादिचसंवच्छरस्म पजवसाणे 16 // सूत्रं 12 // ता कहं ते उत्तरा श्रद्धमंडलसंठिती श्राहिताति वदेजा ?, ता अयं णं जंबुद्दीवे दीवे सव्वदीव जाव परिक्खेवेणं, ता जता णं सूरिए सव्वभंतरं उत्तरं श्रद्धमंडलसंठिति उवसंकमित्ता चारं चरति तदा णं उत्तमकट्टपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति जहरिणया दुवालसमुहुत्ता राई भवति जहा दाहिणा तहा चेव णवरं उत्तरट्ठियो अभितराणंतरं दाहिणं उवसंकमइ, दाहिणातो अभितरं तच्चं उत्तरं उवसंकमति 1 / एवं खलु एएणं उवाएणं जाव सम्बबाहिरं दाहिणं उवसंकमति 2 / सव्वबाहिरातो बाहिराणंतरं उत्तरं उपसंकमति उत्तरातो बाहिरं तच्चं दाहिणं तचातो दाहिणातो संकममाणे 2 जाव सम्वन्भंतरं उवसंकमति, तहेव 3 / एस णं दोच्चे छम्मासे एस णं दोचस्स छम्मासस्स पजवसाणे, एस णं श्रादिच्चे संवच्छरे, एस णं यादिचस्स संवच्छरस्स पजवसाणे, गाहारो 4 // सूत्रं 13 // पढमे बीयं पाहुडपाहुडं समत्तं // 1.2 // Page #363 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 336 ] / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभामः // अथ प्रथमप्राभूते तृतीयं प्रामृतप्राभृतम् // ता के ते चिन्नं पडिचरति अाहितेति वदेजा ?, तत्थ खलु इमे दुवे सूरिया पराणत्ता, तंजहा-भारहे चेव सूरिए एरवए चेव सूरिए, ता एते णं दुचे सूरिया पत्तेयं 2 तीसाए 2 मुहुत्तेहिं एगमेगं श्रद्धमंडलं चरंति, सट्टोए 2 मुहुत्तेहिं एगमेगं मंडलं संघातंति 1 / ता णिक्खममाणे खलु एते दुवे सूरिया णो अराणमराणस्स चिराणं पडिचरंति, पविसमाणा खलु एते दुवे सूरेया अरणमराणस्स चिराणं पडिवरंति, तं सतमेगं चोतालं, तत्थ को हेऊ वदेजा ?, ता अयराणं जंबुद्दीवे 2 जाव परिक्खेवेणं 2 / तत्थ णं अयं भारहए चेव सूरिए जंबुद्दीवस्स 2 पाईणपडिणायत-उदीणदाहिणायताए जीवाए मंडलं चउवीसएणं सतेणं छेत्ता दाहिणपुरथिमिल्लंसि च उभागमंडलंसि बाणउतिय-सूरियगताई जाइं सूरिए अप्पणा चे चिराणाई पडिचरति 3 / उत्तरपञ्चत्थिमेल्लंसि चउभागमंडलंसि एकाणउतिं सूरियगताइं (सयंमताई) जाइं सूरिए अप्पणा चेव चिराणाई पडिचरति 4 / तत्थ अयं भारहे सूरिए एरवतस्स सूरियस्स जंबुद्दीवस्स 2 पाईणपडिणायताए उदीणदाहिणायताए जीवाए मंडलं चउवीसएणं सतेणं छेत्ता उत्तरपुरस्थिमिल्लंसि चउभागमंडलंसि बाणउति सूरियमताई जाव सूरिए परस्स चिराणाई पडिचरति 5 / दाहिणपञ्चत्थिमेल्लंसि चउभागमंडलंसि एकूणणउतिं सूरियगताई जाइं सूरिए परस्स चेव चिराणाई पडिचरति 6 / तत्थ श्रयं एरवए सूरिए जंबुद्दीवस्स 2 पाईणपडिणायताए उदीणदाहिणायताए जीवाए मंडलं चउवीसएणं सतेणं छेत्ता उत्तरपुरथिमिल्लंसि चउभाग. मंडलंसि बाणउतिं सूरियगयाइं जाव सूरिए अप्पणो चेव चिराणाई पडियरति 7 / दाहिणपुरथिमिल्लंसि चउभागमंडलंसि एकाणउति सूरियमताई जाव सूरिए अप्पणा चेव चिराणाइं पडिचरति 8 / तत्थ णं एवं एरवतिए सूरिए भारहस्स सूरियस्स जंबुद्दीवस्स पाईणपडिणायताए उदीण Page #364 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्सर्यप्रज्ञप्तिसूत्रं :: प्रा० 1 प्रा० 1. ] [ 337 दाहिणायताए जीवाए मंडलं चउवीसएणं सतेणं छित्ता दाहिणपञ्चस्थिमेल्लंसि चउभागमंडलंसि बाणउतिं सूरियगताई जाई सूरिए परस्स चिराणाई पडिचरति 1 / उत्तरपुरस्थिमेल्लंसि चउभागमंडलंसि एकाणउति सूरियगताई जाइं सूरिए परस्स चेव चिराणाई पडिचरति 10 / ता निक्खममाणा खलु एते दुवे सूरिया णो अगणमराणस्स चिरणं पडिचरंति, पविसमाणा खलु एते दुवे सूरिया अरणमराणस्स चिराणं पडिचरंति, तंजहा-सतमेगं चोतालं. 11 / गाहायो 12 // सूत्रं 14 // पढमे तइयं पाहुडपाहुडं समत्तं // 1-3 // // अथ प्रथमप्राभूते चतुर्थ प्राभूतप्राभृतम् // __ता केवइयं एए दुवे सूरिया श्रराणमराणस्स अंतरं कटु चारं चरंति श्राहिताति वदेजा ?, तत्थ खलु इमातो छ पडिवत्तीयो पराणत्तायो, तत्थ एगे एवमाहंसु-ता एगं जोयणसहस्सं एगं च तेत्तीसं जोयणसतं अराणमराणस्स अंतरं कटु सूरिया चारं चरंति श्राहिताति वदेजा, एगे एवमाहंसु 1, एगे पुण एवमाहंसु-ता एगं जोयणसहस्सं एगं चउतीसं जोयणसयं अन्नमन्नस्स अंतरं कटु सूरिया चारं चरंति श्राहियत्ति वइजा, एगे एवमाहंसु 2, एगे पुण एवमाहंसु-ता एगं जोयणसहस्सं एगं च पणतीसं जोयणसयं अराणमराणस्स अंतरं कटु सूरिया चारं चरंति श्राहिताति वदेज्जा, एगे एवमाहंसु 3, एगे पुण एवं माहंसु-ता एगं समुराणमराणस्स अंतरं कटु 4, एगे पुण एवमाहंसु-दो दीवे दो समुद्दे अराणमराणस्स अंतरं कट्टु सूरिया चारं चरंति श्राहियाति वदेजा, एगे एवमाहंसु 5, एगे पुण एवमाहंसु-तिरिण दीवे तिरिण समुद्दे पराणमगणस्स अंतरं कटु सूरिया चारं चरति श्राहियाति वएज्जा, एगे एवमाहेसु 6, वयं पुण एवं वयामो, ता पंच पंच जोयणाइं पणतीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगे मंडले Page #365 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 338 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभाग. अण्णमराणस्स अंतरं अभिवड्ढे माणा वा निवड्ढे माणा वा सूरिया चारं चरंति आहियाति वदेज्जा 1 / तत्थ णं को हेऊ श्राहिताति वदेज्जा ?, ता अयराणं जंबुद्दीवे 2 जाव परिक्खेवेणं पराणत्ते, ता जया णं एते दुवे सूरिया सव्वन्भंतरमंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति तदाणं णवणउतिजोयणसहस्साइंछच्चत्ताले जोयणसते अराणमगणस्स अंतरं कटटु चारं चरंति अाहिताति वदेजा 2 / तता णं उत्तमकट्ठपत्ते उकोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति, जहरिणया दुवालसमुहुत्ता राई भवति, ते निक्खममाणा सूरिया णवं संवच्छरं श्रयमाणा पढमंसि अहोरसि अभितराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति 3 / ता जता णं एते दुवे सूरिया अभितराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति तदा णं नवनवति जोयणसहस्साई छच्च पणताले जोयणसते पणतीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स अराणमराणस्स अंतरं कटु चारं चरंति श्राहिताति वदेजा 4 / तता णं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणे दुवालसमुहुना राती भवति दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अधिया 5 / ते णिक्खममाणा सरिया दोच्चमि अहोरत्तंसि अभितरं तच्च मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति ता जता एते दुवे सूरिया यभितरं तच्च मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति तया णं नवनवई - जोयणसहस्साई छच्चइकावणे जोयणसए नव य एगट्ठिभागे जोयणस्स अराणमराणस्स अंतरं कटु चारं चरति ग्राहियत्ति वइज्जा, तदा णं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ चउहि एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणे दुवालसमुहुत्ता राई भवइ चउहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अधिया 6 / एवं खलु एतेणुवाएणं णिक्खममाणा एते दुवे सूरिया ततोणंतरातो तदाणंतरं मंडलातो मंडलं संकममाणा 2 पंच 2 जोयणाई पणतीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगे मंडले अराणमराणस्स अंतरं अभिव माणा 2 सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति 7 / ता जया णं एते दुवे सूरिया सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं Page #366 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत् सूर्यप्रज्ञप्पिसूत्र :: प्रा० 1 प्रा० 4 ] [ 339 एगं जोयणसतसहस्सं छच्च सटे जोयणसते अराणमराणस्स अंतरं कटु चारं चरति = | तता णं उत्तमकट्ठपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ, जहण्णए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति 1 / एस णं पढमे छम्मासे एस णं पढमस्स छम्मासस्स पज्जवसाणे 10 / ते पविसमाणा सूरिया दोच्चं छम्मासं अयमाणा पढमंसि अहोरत्तंसि बाहिराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति 11 / ता जया णं एते दुवे सूरिया बाहिराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति तदा णं एगं जोयणसयसहस्सं छच्च चउप्पराणे जोयणसते छव्वीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स अराणमराणस्स अंतरं कटु चारं चरंति अाहिताति वदेजा 12 / तदा णं अट्ठारसमुहुत्ता राई भवई दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणा दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिए 13 / ते पविसमाणा सूरिया दोच्चंसि ग्रहोरत्तंसि बाहिरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति 14 / ता जता णं एते दुवे सूरिया बाहिरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति तता णं एगं जोयणसयसहस्सं छच्च अडयाले जोयणसते बावराणं च एगट्ठिभागे जोयणस्स अराणमराणस्स अंतरं कटु चारं चरंति तता णं अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ चाहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणा दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति चउहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिए 15 / एवं खलु एतेणुवाएणं पविसमाणा एते दुवे सूरिया ततोऽणंतरातो तदाणंतरं मंडलायो मंडलं संकममाणा पंच 2 जोयणाई पणतीसे एगट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगे मंडले अराणमगणस्संतरं णिवुड्ढे माणा 2 सव्वभंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति 16 / जया णं एते दुवे सूरिया सव्वभंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति तता णं णवणउति जोयणसहस्साई छच्च चत्ताले जोयणसते अरणमराणस्स अंतरं कटु चारं चरंति 17 / तता णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति, जहरिणया दुवालसमुहुत्ता राई भवति 18 / एस णं दोच्चे छमासे एस णं दोबस्स छम्मासस्स पजवसाणे Page #367 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 340 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः एस णं श्राइच्चे संवच्छरे, एस णं श्राइचसंवच्छरस्स पजवसाणे 11 / // सूत्रं 15 // पढमे चउत्थं पाहुडपाहुडं समत्तं // 1-4 // . ___ // अथ प्रथमप्रामृते पञ्चमं प्राभृतप्रामृतम् // _ता केवतियं ते दीवं समुद्द वा योगाहित्ता सूरिए चारं चरति, श्राहिताति वदेजा ?, तत्थ खलु इमायो पंच पडिवत्तीयो पराणत्तायोएगे एवमाहंसु ता एगं जोयणसहस्सं एगं च तेत्तीसं जोयणसतं दीवं वा समुद्वा श्रोगाहित्ता सूरिए चारं चरति, एगे एवमाहंसु 1, एगे पुण पवमाहंसु-ता एगं जोयणसहस्सं एगं चउत्तीसं जोयणसयं दीवं वा समुह वा. योगाहित्ता सूरिए चारं चरति, एगे एवमाहंसु 2, एगे पुण एवमाहंसु-ता एगं जोयणसहस्सं एगं च पणतीसं जोयणसतं दीवं वा समुद्द वा श्रोगाहित्ता सूरिए चार चरति, एगे एवमाहंसु 3, एगे पुण एव. माहंसु-ता अवड्ड दीवं वा समुद्द वा योगाहित्ता सूरिए चारं चरति, एगे एवमाहंसु 4, एगे पुण एवामाहंसु-ता नो किंचि एगं जोयणसहस्सं एगं तेत्तीसं जोयणसतं दीवं वा समुह वा श्रोगाहित्ता सूरिए चारं चरति 5, 1 / तत्थ जे ते एवमाहंसु ता एगं जोयणसहस्सं एगं तेत्तीसं जोयणसतं दीवं वा समुह वा उग्गाहित्ता सूरिए चारं चरति, ते एवमाहंसु, जता णं सूरिए सव्वभंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तया णं जंबुद्दीवं एगं जोयणसहस्सं एगं च तेत्तीसं जोयणसतं भोगाहित्ता सूरिए चारं चरति, तता णं उत्तमकट्टपत्ते उक्कोसए अट्ठारतमुहुत्ते दिवसे भवति जहरिणया दुवालसमुहुत्ता राई भवई, ता जया णं सूरिए सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं लवणसमुद्द एगं जोयणसहस्सं एगं च तेत्तीसं जोयणसयं श्रोगाहित्ता चारं चरइ, तया णं लवणसमुह एगं जोयणसहस्सं एगं च तेत्तीसं जोयणसयं भोगाहित्ता चारं चरइ, तया णं Page #368 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीसूर्यप्रज्ञप्ति सूत्रं : प्रा० 1 प्रा० 5 ] [ 341 उत्तमकट्टपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवति, जहगिणए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ 2 / एवं चोत्तीसेवि जोयणसतं, एवं पणतीसं जोयणसतं, पणतीसेऽवि एवं चेव भाणियव्वं 3 / तत्थ जे ते एवमाहंसु ता अवट्ठ दीवं वा समुद्दवा भोगाहित्ता सूरिए चारं चरतिं, ते एवमाहंसु-जता णं सूरिए सव्वभंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, तता णं श्रवड जंबुद्दीवं 2 योगाहित्ता चारं चरति, तता णं उत्तमकट्ठपत्ते उकोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति, जहरिणया दुवालसमुहुत्ता राई भवति, एवं सव्वबाहिरएवि, णवरं अवटुं लवणसमुंद, तता णं राइंदियं तहेव 4 / तत्थ जे ते एवमाहंसु-ता णो किञ्चि दीवं वा समुद्घ वा श्रोगाहित्ता सूरिए चारं चरति, ते एवमाहंसुता जता गणं सूरिए सव्वभंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं णो किंचि दीवं वा समुह वा श्रोगाहित्ता सूरिए चारं चरति तता णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति, तहेव एवं सव्वबाहिरएं मंडले, णवरं णो किंचि लवणसमुद्दोगाहित्ता चारं चरति, रातिदियं तहेव, एगे एवमाहंसु 5 // सू० 16 // वयं पूण एवं वदामो, ता जया णं सूरिए सम्वन्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, तता णं जंबुद्दीवं असीतं जोयणसतं श्रोगाहित्ता चारं चरति, तदा गणं उत्तमकट्टपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति, जहरिणया दुवालसमुहुत्ता राई भवति 1 / एवं सव्वबाहिरेवि, गवरं लवणसमुद्द तिरिण तीसे जोयणसते श्रोगाहित्ता चारं चरति, तता णं उत्तमकट्ठपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ जहराणए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति 2 / गाथाश्रो भाणितव्वाश्रो 3 // सूत्रं 17 // पढमस्स पंचमं पाहुडपाहुडं // 1-5 // Page #369 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 342 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः // सप्तमो विभागा // अथ प्रथमप्राभते षष्ठ प्राभतप्राभतम् // ता केवतियं ते एगमेगेणं रातिदिएणं विकंपइत्ता 2 सूरिए चारं चरति श्राहितेत्ति वदेजा ?, तत्थ खलु इमायो सत्त पडिवत्तीयो ‘पराणत्तायो, तत्थेगे एवमाहंसु-ता दो जोयणाई श्रद्धदुचत्तालीसं तेसीतसयभागे जोयणस्स एगमेगेणं रातिदिएणं विकंपइत्ता 2 सूरिए चारं चरति, एगे एवमाहंसु 1, एगे पुण एवमाहंसु-ता अवातिजाइं जोयणाई एगमेगेणं राइदिएणं विकंपइत्ता 2 सूरिए चारं चरति, एगे एवमाहंसु 2, एगे पुण एवमाहंसु ता तिभागूणाई तिन्नि जोयणाई एगमेगेणं राइंदिएणं विकंपइत्ता 2 सूरिए चारं घरति, एगे एवमाहंसु 3, एगे पुण एवमाहंसु-ता तिरिण जोयणाई श्रद्धसीतालीसं च तेसीतिसयभागे जोयणस्स एगमेगेणं राइदिएणं विकंपइत्ता 2 सूरिए चारं चरति, एगे एवमाहंसु 4, एगे पुण एवमाहंसु-ता श्रद्धट्ठाई जोयणाई एगमेगेणं राइदिएणं विकंपइत्ता 2 सूरिए चारं चरति, एगे एवमाहंसु 5, एगे पुण एवमाहंसु, ता चउभागूणाई चत्तारि जोयणाई एगमेगेणं राइदिएणं विकंपइत्ता 2 सूरिए चार चरति एगे एवमाहंसु 6, एगे पुण एवमाहंसु-ता चत्तारि जोयणाई श्रद्धवावरणं च तेसीतिसतभागे जोयणस्स एगमेगेणं राइदिएणं विकंपइत्ता 2 सूरिए चारं चरति एगे एवमाहंसु 7, 1 / वयं पुण एवं वदामो ता दो जोयणाई श्रडतालीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगं मंडलं एगमेगेणं राइदिएणं विकंपइत्ता 2 सूरिए. चारं चरति 2 / तत्थ णं को हेतू इति वदेजा ?, ता अयराणं जंबुद्दीवे 2 जाव परिक्खेवेणं पन्नत्ते 3 / ता जता णं मूरिए सव्वन्भंतरं मंडलं उपसंकमित्ता चारं चरति तता णं उत्तमकट्टपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति, जहरिणया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ 4 / से णिक्खममाणे सूरिए णवं संवच्छरं अयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि अभितराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति 5 / ता जया णं सूरिए अभितराणंतरं मंडलं Page #370 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीसूर्यप्रज्ञप्ति सूत्र : प्रा० 1 प्रा० 6 ] [ 343 उवसंकमित्ता चारं चरति तदा णं दो जोयणाई अडयालीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स एगेणं राइदिएणं विकंपइत्ता चारं चरति 6 / तता णं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणे दुवालसमुहुत्ता राई भवति दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिया 7 / से णिक्खममाणे सूरिए दोचंसि अहोरत्तंसि अभितरं तच्चं मंडलं उपसंकमित्ता चारं चरति 8 / ता जया णं सूरिए अम्भितरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं पणतीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स दोहिं राइदिएहिं विकंपइत्ता चारं चरति 1 / तता णं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति चाहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं उणे दुवालसमुहुत्ता राई भवति चाहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अधिया 10 / एवं खलु एतेणं उवागणं खिक्खममाणे सूरिए तताणंतरायो तदाणंतरं मंडलातो मंडलं संकममाणे 2 दो 2 जोयणाई अडतालीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगं मंडलं एगमेगेणं राइदिएणं विकंपमाणे 2 सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति 11 / ता जया णं सूरिए सव्वभंतरातो मंडलातो सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं सव्वन्भंतरं मंडलं पणिहाय एगेणं तेसीतेणं राइंदियसतेणं पंचदसुत्तरजोयणसते विकंपइत्ता चारं चरति 12 / तता णं उत्तमकट्ठपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ जहराणए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति 13 / एस णं पढमे छम्मासे, एस यं पढमछम्मासस्स पजवसाणे 14 / से य पविसमाणे सूरिए दोच्चं छम्मासं अयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि बाहिराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति 15 / ता जताणं सूरिए बाहिराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तया णं दो दो जोयणाई अडयालीसं च एगट्ठिभागे जोयणसए एगेणं राईदिएणं विकंपइत्ता चारं चरति 16 / तता णं अट्ठारसमुहुत्ता राई भवति, दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणे दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति दोहिं एगट्ठिभागेहिं मुहुत्तेहिं अहिए 17 / से पविसमाणे सूरिए दोच्चंसि अहो Page #371 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 344 ] / श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभाग रत्तंसि बाहिरतच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति 18 / ता जया णं सूरिए बाहिरतच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तया णं सूरिए बाहिरतच्चं मंडलं उपसंकमित्ता चारं चरति 11 / तया णं पंच जोयणाई पणतीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स दोहिं राइदिएहिं विकंपइत्ता चारं चरति, राइंदिए तहेव 20 / एवं खलु एतेणुवाएणं पविसमाणे मूरिए ततोऽणंतरातो तयाणंतरं मंडलायो मंडलं संकममाणे 2 दो जोयणाई अडयालीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगेणं राइदिएणं विकंपमाणे 2 सव्वभंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चार चरति 21 / ता जया णं सूरिए सव्वबाहिरातो मंडलातो सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं सव्वबाहिरं मंडलं पणिधाय एगेणं तेसीएणं राइंदियसतेणं पंचदसुत्तरे जोयणसते विकंपइत्ता चारं चरति 22 / तता णं उत्तमकट्टपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति, जहरिणया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ 23 / एस णं दोच्चे छम्मासे एस णं दोच्चस्स छम्मासस्स पजवसाणे, एस णं यादिच्चे संवच्छरे एस णं अादिचस्स संवच्छरस्स पज्जवसाणे 24 // सूत्रं 18 // पढमे छठे पाहुडपाहुडं // 1-6 // // अथ प्रथमप्राभते सप्तमं प्राभृतप्राभतम् // ___ता कहं ते मंडलसंठिती श्राहिताति वदेजा ?, तत्थ खलु इमातो अट्ठ पडिवत्तीयो पराणत्तायो, तत्थेगे एवमाहंसु-ता सव्वावि मंडलवता समचउरंससंठाणसंठिता पगणत्ता एगे एवमाहंसु 1, एगे पुण एवमाहंसु, ता सब्वावि णं मंडलवता विसमचउरंससंठाणसंठिया पराणत्ता एगे एवमाहंसु 2, एगे पुण एवमाहंसु सव्वावि णं मंडलवया समचदुक्कोणसंठिता पराणत्ता एगे एवमाहंसु 3, एगे पुण एवमाहंसु सव्वावि मंडलवता विसमचउकोणसंठिया पराणत्ता एगे एवमाहंसु 4, एगे पुण एवमाहंसु-ता सव्वावि मंडलवया समचकवालसंठिया पराणत्ता एगे एवमाहंसु 5, एगे पुण एवमाहंसु-ता Page #372 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ 345 श्रीमत्स्यप्रज्ञप्तिसूत्र : प्रा० 1 प्रा० प्रा० 8] . सवावि मंडलवता विसमचकवालसंठिया पण्णता, एगे एवमाहंसु 6, एगे पुण एवमाहंसु-ता सव्वावि मंडलवता चकद्धवालसंठिया परणत्ता, एगे एवमाहंसु 7, एगे पुण एवमाहंसु-ता सव्वावि मंडलवता छत्तागारसंठिया पराणत्ता, एगे एवमाहंसु 8, 1 / तत्थ जे ते एवमाहंसु ता सव्वावि मंडलवता छत्ताकारसंठिता पराणत्ता एतेणं गएणं णायव्वं, णो चेव णं इतरेहिं 2 / पाहुडगाहायो भाणियव्वाश्रो 3 // सूत्रं 11 // पढमस्स पाहुडस्स सत्तम पाहुडपाहुडं समत्तं // 1-7 // // अथ प्रथमप्राभृते अष्टमं प्राभतप्राभृतम् // ___ता सव्वावि णं मंडलवया केवतियं बाहल्लेणं केवतियं पायामविक्खंभेणं केवतियं परिक्खेवेणं श्राहिताति वदेज्जा ?, तत्थ खलु इमा तिरिण पडिवत्तीश्रो पराणत्तायो, तत्थेगे एवमाहंसु-ता सब्वावि णं मंडलवता जोयणं बाहल्लेणं एगं जोयणसहस्सं एगं तेत्तीसं जोयणसतं पायामविखंभेणं तिरिण जोयणसहस्साई तिरिण य नवणउए जोयणसते परिक्खेवेणं परणत्ता, एगे एवमाहंसु 1, एगे पुण एवमाहंसु-ता सव्वावि णं मंडलवता जोयणं बाहल्लेणं एगं जोयणसहस्सं एगं च चउत्तीसं जोयणसयं पायामविक्खंभेणं तिगिण जोयणसहस्साई चत्तारि विउत्तरे जोयणसते परिक्खेवेणं पण्णत्ता, एगे एवमाहंसु 2, एगे पुण एवमाहंसु-ता जोयणं बाहल्लेणं एगं जोयणसहस्सं एगं च पणतीसं जोयणसतं श्रायामबिक्खंभेणं तिनि जोयणसहस्साई चत्तारि पंचुत्तरे जोयणसते परिक्खेवेणं पण्णत्ता, एगे एवमाहंसु 3, 1 / वयं पुण एवं वयामो-ता सव्वावि मंडलवता अडतालीसं एगट्ठिभागे जोयणस्स बाहल्लेणं श्रणियता श्रआयामविखंभेणं परिक्खेवेणं श्राहिताति वदेजा 2 / तत्थ णं को हेऊत्ति वदेजा ?, ता अयगणं जंबुद्दीवे 2 जाव परिक्खेवेणं 3 / ता जया णं सूरिए सव्वभंतर मंडलं उवसंकमित्ता चारं Page #373 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 346 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः चरति तया णं सा मंडलवता घडतालीसं एगट्ठिभागे जोयणस्स बाहल्लेणं णवणउइजोयणसहस्साई छच्च चत्ताले जोयणसते थायामविक्खंभेणं तिरिण जोयणसतसहस्साई पराणरसजोयणसहस्साई एगुणणउति जोयणाई किंचि. विसेसाहिए परिक्खेवेणं 4 / तता णं उत्तमकट्टपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति जहरिणया दुवालसमुहुत्ता राई भवति 5 / से णिक्खममाणे सूरिए णवं संवच्छरं अयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि अभितराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति 6 / ता जया णं सूरिए अभितराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तदा णं सा मंडलवता अडयालीसं एगट्ठिभागे जोयणस्स बाहल्लेणं णवणवई जोयणसहस्साई छच्च पणताले जोयणसते पणतीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स पायामविक्खंभेणं तिरिण जोयणसतसहस्साई पन्नरसं च सहस्साई एगं चउत्तरं जोयणसतं किंचिविसेसूणं परिवखेवेणं तदा णं दिवसरातिप्पमाणं तहेव 7 / से णिक्खममाणे सूरिए दोच्चंसि अहोरत्तंसि अभितरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता वारं चरति 8 / ता जया णं सूरिए अभितरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तया णं सा मंडलवता अडतालीसं एगट्ठिभागे जोयणस्स बाहल्लेणं णवणवतिजोयणसहस्साई छच्च एकावराणे जोयणसते णव य एगट्ठिभागा जोयणस्स थायामविक्खंभेणं तिरिण जोयणसयसहस्साई पन्नरस य सहस्साई एगं च पणवीसं जोयणसयं परिक्खेवेणं पराणत्तं, तता णं दिवसराई तहेव 1 / एवं खलु एतेण उवाएणं निक्खममाणे मूरिए तताणंतरातो तदाणंतरं मंडलातो मंडलं उवसंकममाणे 2 जोयणाई पणतीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगे मंडले विखंभवुढि (बाहल्लेणं) अभिवढ माणे 2 अट्ठारस 2 जोयणाई परिरयबुढेि अभिवड्ढ माणे 2 सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति 10 / ता जया णं सूरिए सव्वबाहिरमंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं सा मंडलवता अडतालीसं एगट्ठिभागा जोयणस्स बाहल्लेणं Page #374 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीसूर्यमप्रज्ञप्तिसूत्रं : प्रा० 1 प्रा० प्रा० 8 ] [ 347 एगं च जोयणसयसहस्सं छच्च सद्धे जोयणसते अायामविक्खंभेणं तिन्नि जोयणसयसहस्साई अट्ठारस सहस्साइं तिगिण य पराणरसुत्तरे जोयणसते परिक्खेवेणं, तदा णं उकोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवति जहराणए दुवा. लसमुहुत्ते दिवसे भवति 11 / एस णं पढमे छम्मासे एस णं पढमस्स छम्मासस्स पजवसाणे 12 / से पविसमाणे सूरिए दोच्चं छम्मासं श्रयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि बाहिराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति 13 / ता जया णं बाहिराणंतरं मंडलं उपसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए बाहिराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं सा मंडलवता अडतालीसं एगविभागे जोयणस्स बाहल्लेणं एगं जोयणसयसहस्सं छच्च चउपरणे जोयणसते छन्वीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स आयामविक्खंभेणं तिन्नि जोयणसतसहस्साइं अट्ठारससहस्साइं दोगिण य सत्ताणउते जोयणसते परिक्खेवेणं पराणत्ता, तता णं राइंदियं तहेव 14 / से पविसमाणे सूरिए दोच्चे अहोरत्तंसि बाहिरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति 15 / ता जया णं सूरिए बाहिरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, तता णं सा मंडलवता अडयालीसं एगट्ठिभागे जोयणस्स बाहल्लेणं एगं जोयणसतसहस्सं छच्च अडयाले जोयणसए बावराणं च एगट्ठिभागे जोयणस्स आयामविक्खंभेणं तिगिण जोयणसतसहस्साई अट्ठारस सहस्साई दोरिण श्रउयणातीसे जोयणसते परिक्खेवेणं पण,त्ता, दिवसराई तहेव 16 / एवं खलु एतेणुवाएणं पविसमाणे सूरिए तताणंतरातो तदाणंतरं मंडलातो मंडलं संकममाणे 2 पंच 2 जोयणाई पणतीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगे मंडले विक्खंभबुद्धिं णिवेढेमाणे 2 अट्ठारस जोयणाई परिरयवुद्धिं णिवुद्धेमाणे 2 सबभतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति 17 / ता जता णं सूरिए सब्बभतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, तता णं सा मंडलवया अडयालीसं एगट्ठिभागे जोयणस्स बाहल्लेणं णवणउतिं जोयणसहस्साई छच्च चत्ताले Page #375 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 348 ] श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः जोयणसए थायामविक्खंभेणं तिरिण जोयणसयसहस्साई पराणरस य सहस्साई अउणाउति च जोयणाई किंचिविसेसाहियाइं परिक्खेवेणं पराणत्ता 18 / तता णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति, जहरिणया दुवालसमुहूत्ता राई भवति 11 / एस णं दोच्चस्स छम्मासस्स पज्जवसाणे एस णं आदिच्चे संवच्छरे एस णं श्रादिचस्स संवच्छरस्स पजवसाणे 20 / ता सव्वावि या मंडलवता अडतालीसं एगट्ठिभागे जोयणस्स बाहल्लेग, सवावि णं मंडलंतरिया दो जोयणाई विवखंभेणं, एस णं श्रद्धा तेसीयसत. पडप्पराणो पंचदसुत्तरे जोयणसते श्राहिताति वदेजा 21 / ता अभितरातो मंडलवतायो बाहिरं मंडलवत बाहिरायो वा अभितरं मंडलवतं एस णं श्रद्धा केवतियं याहिताति वदेजां ?, ता पंचदसुत्तरजोयणसते श्राहिताति वदेजा 22 / अभितराते मंडलवताते बाहिरा मंडलवया बाहिरायो मंडलवतातो अभितरा मंडलवता एस णं श्रद्धा केवतियं श्राहिताति वदेजा ?, ता पंचदसुत्तरे जोयणसते अडतालीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स श्राहिताति वदेजा 23 / ता अभंतरातो मंडलवतातो बाहिरमंडलवता बाहिरातो मंडलवतातो अभंतरमंडलवता एस णं यद्धा केवतियं श्राहिताति वदेजा ?, ता पंचणवुत्तरे जोयणसते तेरस य एगट्ठिभागे जोयणस्स ग्राहिताति वदेजा 24 / अम्भितराते मंडलवताए बाहिरा मंडलवया बाहिराते मंडलवताते अभंतरमंडलवया, एस णं श्रद्धा केवतियं श्राहिताति वदेजा ?, ता पंच दसुत्तरें जोयणसए श्राहियत्ति वदेजा 25 // सूत्रं 20 // पढमे अट्ठमं पाहुडपाहुडं // 3-8 // पढमं पाहुडं समत्तं // // इति प्रथम प्रामृतम् // 1 // Page #376 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्र :: प्रा० 2 :: प्रा० प्रा० 1 ] [ 349 // अथ द्वितीयप्राभृते प्रथमं प्राभूतप्राभृतम् // - ता कहं तेरिच्छगती बाहिताति वदेजा ?, तत्थ खलु इमायो अट्ठ पडिवत्तीयो पराणत्ताओ, तत्थेगे एवमाहंसु-ता पुरच्छिमातो लोअंतातो पादो मरीची यागासंसि उत्तिट्ठति से णं इमं लोयं तिरियं करेइ तिरियं करेत्ता पवत्थिमंसि लोगंतंसि सायंमि सूरिए आगासंसि विद्धंसति एगे एवमाहंसु 1, एगे पुण एवमाहंसु-ता पुरच्छिमातो लोअंतातो पातो सूरिए थागसंसि उत्तिद्वेति, से णं इमं तिरिय लोयं तिरियं करेति करित्ता पञ्चत्थिमंसि लोयंतंसि सूरिए अागासंसि विद्धंसति, एगे एवमाहंसु 2, एगे पुण एवमाहंसु-ता पुरथिमायो लोयंतातो पादो सूरिए अागासंसि उत्तिट्ठति, से इमं तिरियं लोयं तिरियं करेति करित्ता पचत्थिमंसि लोयंतंसि सायं सूरिए श्रागासं अणुपविसति 2 अहे पडियागच्छति, अधे पडियागच्छेत्ता पुणरवि अवरभूपुरत्थिमातो लोयंतातो पातो सूरिए श्रागासंसि उत्तिट्ठति, एगे एवमाहसु 3, एगे पुण एवमाहंसु-ता पुरस्थिमायो लोगंतायो पायो सूरिए पुढविकायंसि(यो) उत्तिट्ठति, से णं इमं तिरियं लोयं तिरियं करेति करेत्ता पचस्थिमिल्लसि लोयंतसि सायं सूरिए पुढविकायंसि विद्धंसइ, एगे एवमाहंसु 4, एगे पुण एवामाहंसु पुरत्थिमायो लोयंतायो पात्रो सूरिए पुढविकायंनि उतिट्ठइ से णं इमं तिरियं लोयं तिरियं करेइ करेत्ता पचत्थिमंसि लोयंतसि सायं सूरिए पुढविकायं अणुपविसिइ अणुपविसत्ता अहे पडियागच्छइ 2 पुणरवि अवरभूपुरथिमायो लोगंतायो पात्रो सूरिए पुढविकायंसि उत्तिट्टइ, एगे एवमाहंसु 2, एगे पुण एवमाहंसु ता पुरथिमिल्लायो लोगंताश्रो पात्रो सूरिए बाउकासि उत्तिट्टई, से णं इमं तिरियं लोयं तिरियं करेइ करेत्ता पञ्चस्थिमंसि लोयतंसि सायं सूरिए बाउकायंसि विद्धंसति, एगे एवमाहंसु 6, एगे पुण एवमाहंसु-ता पुरत्थिमातो लोगंतातो पायो सूरिए बाउकार्यसि Page #377 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 350 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः उत्तिति, से णं इमं तिरियं लोयं तिरियं करेति 2 ता पञ्चत्थिमंसि लोयंतसि सायं सूरिए बाउकायं अणुपविसइ, अणुपविसित्ता अहे पडियागच्छति 2 ता पुणरवि अवरभूपुरस्थिमातो लोयंतातो पादो सूरिए बाउकायंसि उत्तिट्टति, एगे एवमाहंसु 7, एगे पुण एवमाहंसु-ता पुरथिमातो लोयंतायो बहूई जोयणाई बहूई जोयणसताई बहूई जोयणसहस्साई दूरं उड्ढे उप्पतित्ता एत्थ णं पातो सूरिए भागासंसि उत्तिट्ठति, से णं इमं दाहिणड्ढ लोयं तिरियं करेति करेत्ता उत्तरद्धलोयं तमेव रातो, से णं इमं उत्तरद्धलोयं तिरियं करेइ 2 ता दाहिणद्धलोयं तमेव रात्रो, से णं इमाई दाहिणुत्तरडलोयाइं तिरियं करेइ करित्ता पुरथिमायो लोयंतातो बहूइं जोयणाई बहुयाई जोयणसताई बहूई जोयणसह. स्साई दूरं उट्ठ उप्पतित्ता एत्थ णं पातो सूरिए अागासंसि उत्तिट्ठति एगे एवमाहंसु 8, 1 / वयं पुण एवं वयामो, ता जंबुद्दीवस्स 2 पाईणपडीणायत-श्रोदीणदाहिणायताए जीवाए मंडलं चउव्वीसेणं सतेणं छेत्ता दाहिणपुरच्छिमंसि उत्तरपञ्चस्थिमंसि य चउभागमंडलंसि इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिजातो भूमिभागातो अट्ठ जोयणसताई उट्ठ उप्पतित्ता एत्थ णं पादो दुव सूरिया (अागासाओ) उत्तिट्ठति, ते णं इमाई दाहिणुत्तराई जंबुद्दीवभागाइं तिरियं करेंति 2 ता पुरथिमपञ्चस्थिमाइं जंबुद्दीवभागाई तामेव रातो, ते णं इमाई पुरच्छिमपचत्थिमाइं जंबुद्दीवभागाइं तिरियं करेंति 2 त्ता दाहिणुत्तराई जंबुद्दीवभागाइं तामेव रातो, ते णं इमाई दाहिणुत्तराई पुरच्छिमपञ्चस्थिमाणि य जंबुद्दीवभागाइं तिरियं करेंति 2 ता जंबुद्दीवस्स 2 पाईणपडियायत-मोदीणदाहिणाययाए जीवाए मंडलं चउव्वीसेणं सतेणं छेत्ता दाहिणपुरच्छिमिल्लसि उत्तरपञ्चथिमिल्लसि य चउभागमंडलंसि इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिजातो भूमिभागातो अट्ठ जोयणसयाई उड्ड उप्पइत्ता, एत्थ णं पादो दुवे सूरिया भागासंसि उत्तिट्ठति 2 // सू० 21 // बितीयस्स पढमं // 1 // . . . . . . . . Page #378 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्वर्यप्रज्ञप्तिसूत्र :: प्रा० 2 प्रा० प्रा० 2-3 ] -- [ 351 // अथ द्वितीयप्राभते द्वितीयं प्राभतप्राभतम् // ता कहं ते मंडलायो मंडलं संक्रममाणे 2 सूरिए चार चरति श्राहिताति वदेजा ?, तत्थ खलु इमातो दुवे पडियत्तीयो पराणत्ताश्रो, तत्ोंगे एवमाहंसु ता मंडलातो मंडलं संकममाणे 2 सूरिए भेयघाएणं संकामइ एगे एवमाहंस, एगे पुण एवमासु ता मंडलायो मंडलं संकममाणे सूरिए कराणकलं णिव्वेदेति 1 / तत्थ जे ते एवमाहंसु, ता मंडलातो मंडलं संकममाणे 2 भेयघाएणं संकमइ. तेसि णं अयं दोसे, ता जेणंतरेणं मंडलातो मंडलं संकममाणे 2 सूरिए भेयघाएणं संकमति, एवतियं च णं श्रद्धं पुरतो न गच्छति, पुरतो अगच्छमाणे मंडलकालं परिहवेति, तेसि णं श्रयं दोसे 2 / तत्थ जे ते एवमाहंसु, ता मंडलातो मंडलं संक्रममाणे सूरिए कराणकलं णिवेढेति, तेसि णं अयं विसेसे ता जेणंतरेणं मंडलातो मंडलं संकममाणे सूरिए कराणकलं णिव्वेदेति, एवतियं च णं श्रद्धं पुरतो गच्छति, पुरतो गच्छमाणे मंडलकालं ण परिहवेति, तेसि णं अयं विसेसे 3 / तत्थ जे ते एवमाहंसुमंडलातो मंडलं संकममाणे सूरिए कराणकलं णिवेढेति, एतेणं गएणं गीतव्वं, णो चेव णं इतरेणं 4 // सू० 22 // बितियस्स पाहुडस्स बितीयं // 2-2 // // अथ द्वितीयप्राभृते तृतीयं प्रांभृतप्राभृतम् // . ता केवतियं ते खेत्तं सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति श्राहिताति वदेजा ?, तत्थ खलु इमातो चत्तारि पडिवत्तीयो पराणत्तायो, तत्थ एगे एवमाहंसु-ता छ छ जोयणसहस्साइं सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेण गच्छति, एगे एवमाहंसु 1, एगे पुण एवमाहंसु-ता पंच पंच जोयणसहस्साइं सुरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति, एगे एवमाहंसु 2, एगे पुण एवमाहंसु-ता चत्तारि 2 जोयणसहस्साई सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति, एगे एवमाहंसु 3, एगे पुण एवमाहंसु-ता Page #379 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 352) . [ श्रीमदागमसुधासिन्धु / सप्तमो विभागः छवि पंचवि चतारिवि जोयणसहस्साई सूरिए एगमेगेणं मुहत्तेणं गच्छति, एगे एवमाहंसु 4, 1 / तत्थ जे ते एवमाहंसु ता छ छ जोयणसहस्साई सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति ते एवमाहंसु-जता णं सूरिए सव्वन्भंतरं मंडलं उबसंकमित्ता चरति तया णं उत्तमकट्ठपत्ते उकोसे अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति, जहगिणया दुवालसमुहुत्ता राई भवति, तेसिं च णं दिवसंसि एगं जोयणसतसहस्सं अट्ठ य जोयणसहस्साई तावस्खेत्ते पराणत्ते, ता जया णं सूरिए सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तया णं उत्तमकट्ठपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवति, जहराणए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति, तेसि च णं दिवसंसि बावत्तरि जोयणसहस्साई तावक्खेत्ते पराणत्ते, तया णं छ छ जोयणसहस्साई सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति 2 / तत्थ जे ते एवमाहंसु ता पंच पंच जोयणसहस्साई सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति, ते एवमाहंसु-ताजता णं सूरिए सबभंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, तहेव दिवसराइप्पमाणं तसि च सूरिए णं तावखेत्तं नउइजोयणसहस्साई,ता जया णं सूरिए सव्वबाहिरं मंडलं उबसंकमित्ता चारं चरति, तता णं तं चेव राइंदियप्पमाणं तंसि च णं दिवसंसि सढि जोयणसहस्साई तावक्खेते पन्नत्ते, तता णं पंच पंच जोयणसहस्साइं सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति 3 / तत्थ जे ते एवमाहंसु, ता चत्तारि जोयणसहस्साइं सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति ते एवमाहंसु-ता जयाणं सूरिए सव्वभंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तताणं दिवसराई तहेव, तंसि च णं दिवसंसि बावत्तरि जोयणसहस्साई तावक्खेत्ते पराणत्ते, ता जया णं सूरिए सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं राइंदियं तथेव, तंसि च णं दिवसंसि अडयालीसं जोयणसहस्साई तावक्खेत्ते पराणत्ते, तता णं चत्तारि 2 जोयणसहस्साई सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति 4 / तत्थ जे ते एवमाहंसु छवि पंचवि चत्तारिवि जोयणसहस्साई सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति ते एवमासु-ता सूरिए णं उग्गमणमुहुत्तेणं सिय अत्थमण. Page #380 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत् सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्रम् :: प्रा०.२ प्रा० प्रा० 3 ] [ 353 मुहत्तंसि य सिग्घगती भवति, तता णं च छ जोयणसहस्साई एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति, मज्झिमतावखेत्तं समासादेमाणे 2 सूरिए मज्झिमगती भवति, तता णं पंच पंच जोयणसहस्साई एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति, मझिमं तावखेत्तं संपत्ते सूरिए मंदगती भवति, तता णं चत्तारि जोयणसहस्साई एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति 5 / तत्थ को हेऊत्ति वदेजा ?, ता अयगणं जंबुद्दीवे 2 जाव परिक्खेवेणं, ता जया णं सूरिए सव्वन्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं दिवसराई तहेव तंसि च णं दिवसंसि एक्काणउतिं जोयणंसहस्साई तावखेत्ते पराणत्ते, ता जया णं सूरिए सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं राइंदियं तहेव, तसि च णं दिवसंसि एगट्ठिजोयणसहस्साई तावक्खेत्ते पराणत्ते, तता णं छवि पंचवि चत्तारिवि जोयणसहस्साई सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति, एगे एवमाहंसु 6 / वयं पुण एवं वदामो ता सातिरेगाइं पंच 2 जोयगासहस्साई सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति 7 / तत्थ को हेतूत्ति वदेजा ? ता अयराणं जंबुद्दीवे 2 परिक्खेवेणं ता जता णं सूरिए सव्वभंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं पंच 2 जोयणसहस्साइं दोरिण य एकावराणे जोयणसए एगूणतीसं च सट्ठिभागे.जोयणस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति 8 / तता णं इधगतस्स मणुसस्स सीतालीसाए जोयणसहस्सेहिं दोहि य तेवट्ठोहिं जोयणसतेहिं एकवीसाए य सट्ठिभागेहिं जोयणस्स सूरिए चक्खुफासं हबमागच्छति, तया णं दिवसे राई तहेव 1 / से णिक्खममाणे सूरिए णवं संवच्छरं अयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि. अभितराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए अभितराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, तता णं पंच 2 जोयणसहस्साई दोरिण य एकावराणे जोयणसते सीतालीसं च सट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति 10 / तता णं इहगयस्स मणूसस्स सीतालीमाए जोयणसहस्सेहिं अउणा Page #381 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 354 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः सप्तमो विभागः सीते य जोयणसतेहिं सत्तावराणाए सट्ठिभागेहिं जोयणस्स सहिभागं च एगट्ठिहा छेत्ता अउणावीसाए चुरिणयाभागेहिं सूरिए चक्खुप्फासं हव्वमागच्छति, तता णं दिवसराई तहेव 11 / से णिक्खममाणे सूरिए दोच्चंसि ग्रहोरत्तंसि अभितरतच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए अभितरतच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं पंच 2 जोयणसहस्साई दोगिण य बावराणे जोयणसते पंच य सट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति 12 / तता णं इहगतस्स मणूसस्स सीतालीसाए जोयणसहस्सेहिं छराणउतीए य जोयणेहिं तेत्तीसाए य सट्ठिभागेहिं जोयणस्स सर्टि भागं च एगद्विधा छेत्ता दोहिं चुराणयाभागेहिं सूरिए चक्खुप्फासं हव्वमागच्छति, तता णं दिवसराई तहेव 13 / एवं खलु एतेणं उवाएणं णिक्खममाणे सूरिए तताणंतरायो तदाणंतरं मंडलातो मंडलं संकममाणे 2 अट्ठारस 2 सट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगे मंडले मुहुत्तगति अभिवुढ माणे 2 चुलसीति 2 सीताइ जोयणाई पुरिसच्छायं णिबुड्ढे. माणे 2 सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति 14 / ता जया णं सूरिए सव्ववाहिरमंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं पंच 2 जोयणसहस्साई तिन्नि य पंचुत्तरे जोयणसते पराणरस य सट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति 15 / तता णं इहगतस्स मणूसस्स एकतीसाए जोयणेहिं अट्टहिं एकतीसेहिं जोयणसतेहिं तीसाए य सट्ठिभागेहिं जोयणस्स सूरिए चक्खुप्फासं हव्वमागच्छति तता णं उत्तमकट्टपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ जहराणए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति, एस णं पढमे छम्मासे, एस णं पढमस्स छम्मासस्स पन्जवसाणे 16 / से पविसमाणे सूरिए दोच्चं छम्मासं श्रयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि बाहिराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति ता जता णं सूरिए बाहिराणंतरं मंडलं -उवसंकमित्ता चारं चरित तता णं पंच 2 जोयणसहस्साई तिगिण य चउरुत्तरे जोयणसते Page #382 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत् सूर्यप्रज्ञप्तिस्त्रं : प्रा० 2 प्रा० प्रा० 3 ] [ 355 सत्तावगणं च सद्विभाए जोयणस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति 17 / तता णं इधगतस्स मणूसस्स एकतीसाए जोयणसहस्सेहिं नवहि य सोलेहि जोयणसएहिं एगणतालीसाए सट्ठिभागेहिं जोयणस्स सट्ठिभागं च एगट्टिहा छेत्ता सट्ठिए चुरिणयामागे सूरिए चक्खुफासं हव्वमागच्छति, तता णं राइंदियं तहेव 18 / से पविसमाणे सूरिए दोच्चंसि अहोरत्तंसि बाहिरं तच्चं मंडल उपसंकमित्ता चारं चरति 11 / ता जया णं मूरिए बाहिरतच्च मडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं पंच 2 जोयणसहस्साई तिन्नि य चउत्तरे जोयणसते ऊतालीसं च सद्विभागे जोयणस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति 20 / तता णं इहगतस्स मणूसस्स एगाधिगेहिं बत्तीसाए जोयणसहस्सेहिं एकावराणाए य सट्ठिभागेहि जोयणस्स सट्ठिभागं च एगट्टिधा छेत्ता तेवीसाए चुगिणयाभागेहिं सूरिए चक्खुप्फासं हव्वमागच्छति, राइदियं तहेव 21 / एवं खलु एतेणुवाएणं पविसमाणे सूरिए तताणंतरातो तताणंतरं मंडलातो मंडलं संकममाणे 2 अट्ठारस 2 सट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगे मंडले मुहुत्तगई णिवुड्ढे माणे 2 सातिरेगाइं पंचासीति 2 जोयणाई पुरिसच्छायं अभिवुड्ढे माणे 2 सम्बभतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति 22 / ता जता णं सूरिए सबभंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं पञ्च 2 जोयणसहस्साई दोगिण य एक्कावराणे जोयणसए अट्टतीसं च सट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति तता णं इहगयस्स मणूसस्स सीतालीसाए जोयणसहस्सेहिं दोहि य दोवट्ठोहिं जोयणसतेहिं एकवीसाए य सट्ठिभागेहिं जोयणस्स सूरिए चक्खुप्फासं हव्वमागच्छति तता णं उत्तमकट्टपत्ते उकोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति, जहरिणया दुवालसमुहुत्ता राई भवति 23 / एस णं दोच्चे छम्मासे, एस णं दोचस्स छम्मासस्स पजवसाणे, एस णं श्रादिच्चे संवच्छरे, एस णं अादिचसंवच्छरस्स पजवसाणे 23 // सूत्रं 23 // 2.3 // बितियं पाहुडं समत्तं // // इति द्वितीयं प्राभृतम् // 2 // Page #383 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 356 ] / श्रीमदागमसुधासिन्धुः : सप्तमो विभामः // अथ तृतीयं प्राभृतम् // ता केवतियं खेत्तं चंदिमसूरिया श्रोभासंति उज्जोवेति तवेंति पगासंति अाहिताति वदेजा ?, तत्थ खलु इमायो बारस पडिवत्तीयो पन्नत्तायो, तत्थेगे एवमाहंसु, ता एगं दीवं एगं समुद्द चंदिमसूरिया श्रोभासेंति उज्जोवेति तवेंति पगासेंति, एगे एवमाहंसु एगे 1, पुण एवमाहंसु-ता तिरिण दीवे तिरिण समुद्दे चंदिमसूरिया योभासंति 4, एगे एवमाहंसु 2, एगे पुण एवमाहंसु-ता अद्धचउत्थे(वाउट्ठ) दीवसमुद्दे चंदिमसूरिया श्रोभासंति उज्जोवेति तवेंति पगासिंति, एगे एवमाहंमु 3, एगे पुण एवमाहंसु ता सत्त दीवे सत्त समुद्दे चंदिमसूरिया श्रोभासिति 4 एगे एवमाहंसु 4, एगे पुण एवमाहंसु ता दस दीवे दस समुह चंदिमसूरिया श्रोभासंति 4, एगे एवमाहंसु 5, एगे पुण एवमाहंसु, ता बारस दीवे बारस समुद्दे चंदिमसूरिया श्रोभासंति 4, एगे एवमाहंसु 6, एगे पुण एवमाहंसु, बायालीसं दीवे बायालीसं समुद्दे चंदिमसूरिया ओंभासंति राक(४), एगे एवमाहंसु 7, एगे पुण एवमाहंसु बावत्तरिं दीवे बावत्तरि समुद्दे चंदिमसूरिया श्रोभासंति, राक(४), एगे एवमाहंसु 8, एगे पुण एवमाहंसु ता बातालीसं दीवसतं बायानं समुद्दसतं चंदिमसूरिया श्रोभासंति 4 एगे एवमाहंसु 1, एगे पुण एवमाहंसु, ता बावतरि समुद्दसतं चंदिमसूरिया योभासंति गक(४) एगे एवमाहंसु 10, एगे पुण एवमाहंसु ता बायालीसं दीवसहस्सं बायालं समुद्दसहस्सं चंदिमसूरिया श्रोभासंति, राक(४), एगे एवमाहंसु 11, एगे पुण एवामाहंसु ता बावत्तरं दीवसहस्सं बावत्तरं समुद्दसहस्सं चंदिमसूरिया श्रोभासंति एक(४) एगे एवमाहंसु 12,1 / वयं पुण एवं वदामो-अयगणं जंबुद्दीवे सव्वदीवसमुदाणं जाव परिक्खेवेणं पराणत्ते, से णं एगाए जगतीए सव्वतो समंता संपरिक्खत्ते, सा णं जगती तहेव जहा जंबुद्दीवपन्नत्तीए जाव एवामेव -सपुब्बावरेणं जंबुद्दीवे 2 चोदस सलिलासयसहस्सा छप्पन्नं च सलिलासहस्सा भवंतीति Page #384 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत् सूर्यप्रज्ञप्तिमत्रम् : प्रा० 4 ] [ 357 मक्खाता, जंबुद्दीवे णं दीवे पंचचकभागसंठिता श्राहिताति वदेजा 2 / ता कह जहीये 1 चकमागसंठित अाहितति वदेना , ता जता यं एते दुवे सूरिया सबभंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तदा णं जंबुद्दीवस्स 2 तिगिण पंचचउक्कभागे श्रोभासंति उज्जोवेंति तवंति पभासंति, तंजहाएगेवि एगं दिवढ पंचचक्कभागं श्रोभासेति राक(४) एगेवि एवं दिवढ पंचचकभागं श्रोभासेति राक(४) तता णं उत्तमकट्टपत्ते उक्कोसए श्रद्वारसमुहुत्ते दिवसे भवति, जहरिणया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ 3 / ता जता णं एते दुवे सूरिया सबबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तदा णं जंबुद्दीवस्स 2 दोरिण चक्कभागे श्रोभासंति उजोति तवंति पगासंति, ता एगेवि एगं पंचकवालभागं श्रोभासति उज्जोवेइ तवेइ पभासइ, एगेवि एक्कं पंचचकवालभागं अोभासइ राक(४), तता णं उत्तमकट्ठपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ जहराणए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति 4 // सूत्रं 24 // ततियं पाहुडं समत्तं // 3 // // अथ चतुर्थं प्राभृतम् // ... ता कहं ते सेत्राते संठिईया श्राहिताति वदेजा ?, तत्थ खलु इमा दुविहा संठिती पराणत्ता, तंजहा-चंदिमसूरियसंठिती य 1 तावक्खेत्तसंठिती य 2, 1 / ता कहं ते चंदिमसूरियासंठिती श्राहिताति वदेजा ?, तत्थ खलु इमातो सोलस पडिवत्तीयो पराणत्तायो, तत्थेगे एवमाहंसु-ता समचउरंससंठिता चंदिमसूरियासंठिती एगे एवमाहंसु १,एगे पुण एवमाहंसु, ता विसमचउरंससंठिता चंदिमसूरियसंठिती पराणत्ता, 2, एवं समवउकोणसंठिता 3, ता विसमचउकोणसंठिया 4 समचकवालसंठिता 5 विसमचकवालसंठिता 6 चकद्धचकवालसंठिता पराणत्ता एगे एवमाहंसु 7, एगे पुण एवमाहंसु ता छत्तागारसंठिता चदिमसूरियसंठिता पराणत्ता 8 गेहसंठिता 1 गेहावणसंठिता 10 मातो सोलस पाहता एवमाई, एवं समवयकवालसति Page #385 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 358 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विमागः पासादसंठिता 11 गोपुरसंठिया 12 पेच्छाघरसंठिता 13 वलभीसंठिता 14 हम्मियतलसंठिता 15 वालग्गपोतियासंठिता चंदिमसूरियसैठिती पराणत्ता 16,2 / तत्थ जे ते एवमाहंसु ता समचउरंससंठिता चंदिमसूरियसंठिती पराणत्ता, एतेणं गएणं णेतव्वं णो चेव णं इतरेहिं 3 | कहं ते तावक्खेत्तसंठिती श्राहिताति वदेजा, तत्थ खलु इमानो सोलस पडिवत्तीयो, पत्नत्तायो, तत्थ णं एगे एवमाहंसु ता गेहसंठिता तावखित्तसंठिती पराणत्ता, एवं जाव वालग्गपोतियामंठिता तावक्खेत्तसंठिती 4 / एगे एवमाहंसु ता जस्संठिते जंबुद्दीवे तस्संठिते तावक्खेत्तसंठिती पराणत्ता एगे एवमाहंसु 1, एगे पुण एवमाहंसु ता जस्संठिते भारहे वासे तस्संठिती पराणत्ता 10, एवं उजाणसंठिया निजाणसंठिता एगतो णिसधसंठिता, दुहतो णिसहसंठिता सेयणगसंठिता एगे एवमाहंसु, एगे पुण एवमाहंस, ता सेणगपट्टसंठिता तावखेत्तसंठिती पराणत्ता, एगे एवमाहंसु 5 / वयं पुण एवं वदामो, ता उद्धीमुह-कलंबुग्रा. पुष्फसंठिता तावक्खेत्तसंठिती पराणत्ता, अंतो संकुडा बाहिँ वित्थडा अंतो वट्टा बाहिं पिधुला तो अंकमुहसंठिता बाहिं सत्थिमुहसंठिता उभतो पासेणं तीसे दुवे बाहायो अवट्ठितायो भवंति पणतालीसं 2 जोयणसहस्साई थायामेणं 6 / तीसे दुवे बाहायो अणवट्टितायो भवंति, तंजहा-सबभंतरिया चेव बाहा सव्वबाहिरिया चेव बाहा 7 / तत्थ को हेतूत्ति वदेजा ?, ता अयराणं जंबुद्दीवे 2 जाव परिक्खेवेणं ता जया णं सूरिए सबभंतरं मंडलं उपसंकमित्ता चारं चरति तता णं उद्धीमुहकलंबुश्रापुप्फसंठिता तावखेत्तसंठिती अाहिताति वदेजा अंतो संकुडा बाहिं वित्थडा अंतो वट्टा बाहिं पिधुला अंतो अंकमुहसंठिता अहिं सत्थिमुहसंठिया 8 | दुहतो पासेणं तीसे तथैव जाव सव्वबाहिरिया चेव बाहा, तीसे णं सबभंतरिया बाहा मंदरपव्ययंतेणं णव जोयणसहस्साइं चत्तारि य छलसीते जोयणसते णव य दसभागे जोयणस्स परिक्खेवेणं ग्राहिताति वदेजा है / ता से णं परिक्खेव Page #386 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत् सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्रम् : प्रा० 4 ] 359 ] विसेसे कतो अाहिताति वदेजा ?, ता जे णं मंदरस्स पव्वयस्स परिक्खेवे तं परिक्खे तिहिं गुणित्ता दसहि छित्ता दसहिं भागे हीरमाणे एस णं परिक्खेवविसेसे अाहिताति वदेजा 10 / तीसे णं सव्वबाहिरिया बाहा लवणसमुद्दतेणं चउणउतिं जोयणसहस्साइं अट्ठ य अट्ठसट्टे जोयणसते चत्तारि य दसभागे जोयणस्स परिक्खेवेणं श्राहिताति वदेजा 11 / ता से णं परिक्खेवविसेसे कतो श्राहिताति वदेजा ?, ता जे णं जंबुद्दीवस्स 2 परिक्खेवे तं परिक्खेवं तिहिं गुणित्ता दसहिं छेत्ता दसहिं भागे हीरमाणे एस णं परिक्खेवविसेसे वाहिताति वदेजा 12 / तीसे णं तावक्खेत्ते केवतियं पायामेणं श्राहितातिदेत, तर अद्वतरि जोदपसहरसाइं तितिा र तेतीसे ज्ययाररते होश णतिभागे च श्रआयामेणं आहितेति वदेजा 13 / तया णं किंसंठिया अंधगारसंठिई श्राहितेति वदेजा ?, उद्धीमुहकलंबुापुप्फसंठिता तहेव जाव बाहिरिया चेव बाहा, तीसे णं सबभंतरिया बाहा मंदरपव्वतंतेणं छजोयणसहस्साई तिगिण य चउवीसे जोयणसते छच्च दसभागे जोयणस्स परिक्खेवेणं घाहितेति वदेजा 14 / तीसे णं परिक्खेवविसेसे कतो त्राहितेति वदेजा ?, ता जे णं मंदरस्स पव्वयस्स परिक्खेवेणं तं परिक्खेवं दोहिं गुणेत्ता सेसं तहेव, तीसे णं सव्वबाहिरिया बाहा लवणसमुद्दतेणं तेवट्ठिजायणसहस्साइं दोगिण य पणयाले जोयणसते छच दसभागे जोयणस्स परिक्खेवेणं आहितेति वदेजा 15 / ता से णं परिक्खेवविसेसे कत्तो पाहितेति वदेजा ?, ता जे णं जंबुद्दीवस्स 2 परिक्खेवे तं परिक्खेवं दोहिं गुणित्ता दसहि छेत्ता दसहिं भागे हीरमाणे एस णं परिक्खेवविसेसे श्राहितेति वदेजा 16 / ता से णं अंधकारे कवतियं श्रआयामेणं श्राहितेति वदेजा?, ता अट्टत्तरि जोयणसहस्साई तिगिण य तेतीसे जोयणसते जोयणतिभागं च थायामेणं अाहितेति वदेजा, तता णं उत्तमकट्टपत्ते अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति, जहरिणया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ 17 / ता जया णं सूरिए / ता से गं तिगिण य तेतीपत्ते अटारसमणि Page #387 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 360 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागा सब्बबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं किंसंठिती तावखेत्तसंठिती श्राहिताति वदेजा ?, ता उद्धामुहकलंबुयापुप्फसंठिती तावक्खेत्तसंठिती श्राहिताति वदेजा 18 / एवं जं अभितरमंडले अंधकारसंठितीए पमाणं तं बाहिरमंडले तावक्खेत्तसंठितीए में तहिं तावखेत्तसंठितीए तं बाहिर. मंडले अंधकारसंठितीए भाणियव्वं, जाव तता णं उत्तमकट्टपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवति, जहराणए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति 11 / ता जंबुद्दीवे 2 सूरिया केवतियं(खेत्तं) उड्डे तवंति केवतियं खेत्तं अहे तवंति केवतियं खेत्तं तिरियं तवंति ?, ता जंबुद्दीवे णं दीवे सूरिया एगं जोयणसतं उ8 तवंति अट्ठारस जोयणसताई अधे पतवंति सीतालीसं जोयणसहस्साई दुनि य तेवढे जोयणसते एकवीसं च सट्ठिभागे जोयणस्स तिरियं तवंति 20 // सूत्रं 25 // चउत्थं पाहुडं समत्तं // 4 // // अथ पञ्चमं प्राभृतम् // ...ता कस्सि णं सूरियस्स लेस्मा पडिहताति वदेज्जा ?, तत्थ खलु इमायो वीसं पडिवत्तीयो पराणत्तायो, तत्थेगे एवमाहंसु ता मंदरंसि णं पव्वतंसि सूरियस्स लेस्सा पडिहता आहिताति वदेज्जा, एगे एवमाहंसु 1, एगे पुण एवमाहंसु ता मेरुसि णं पव्वतंसि सूरियस्स लेस्सा पडिहता श्राहितावि वदेजा, एगे एवमाहेसु 2, एवं एतेणं अभिलावेणं भाणियव्वं, ता मणोरंमंसिणं पव्वयंसि, ता सुदंसणंसि णं पव्वयंसि, ता सयंपभंसि णं पव्वतंसि ता गिरिरायसि णं पव्वतंसि ता रतणुच्चयंसि णं पव्वतंसि ता सिलुचयंसि णं पव्वयंसि ता लोश्रममंसि णं. पव्वतंसि ता लोयणाभिसि णं पव्वतंसि ता अच्छसि णं पवतंसि ता सूरियावत्तंसि णं पव्वतंसि सूरियावरणसि.णं पव्वतंसि ता उत्तमंसि णं पव्वयंसि ता दिसादिस्सि णं पव्वतंसि ता. अवतंसंसि णं पव्वतंसि ता धरणिखीलंसि णं पव्वयंसि ता Page #388 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत् सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्रं : प्रा०६ ] [ 361 धरणिसिंगंसि णं पब्वयंसि ता-पव्वतिदसि णं पव्वतंसि. ता पवयरायसि णं पव्वयसि सूरियस्स लेसा पडिहता श्राहिताति वदेजा, एगे एवमाहंसु 1 / वयं पुगा एवं वदामो-ता मंदरेवि पवुच्चति जाव पबयरायावि बुञ्चति 2 / ता जे णं पुग्गला सूरियस्स लेसं फुसंति ते णं पुग्गला सूरियस्स लेसं पडिहणंति, अदिट्टावि णं पोग्गला सूरियस्स लेस्सं पडिहणंति, चरिमलेसंतरगतावि णं पोग्गला सूरियस्स लेस्सं पडिहणंति 3 // सूत्रं 26 // सूरियपराणत्तीए भगवतीए पंचमं पाहुडं समत्तं // 5 // // अथ षष्ठं प्राभृतम् // ता कहं ते श्रीयसंठिती श्राहिताति वदेजा ?, तत्थ . खलु इमायो पणवीसं पडिवत्तीयो पराणत्ताश्रो, तत्थेगे एवमाहंसु ता अणुसमयमेव / / सूरियस्स ोया अराणा उप्पज्जे, अराणा प्रवेति, एगे एवमाहंसु 1, एगे पुण एवमाहंसु ता अणुमुहुत्तमेव सूरियस्स ोया अराणा उप्पजति अराणा प्रवेति 2, एतेणं अभिलावेणं णेतव्वा, ता अणुराइंदियमेव ता अणुपक्खमेव ता अणुमासमेव ता अणुउडुमेव ता अणुश्रयणमेव ता अणुसंवच्छरमेव ता अणुजुगमेव, ता अणुवाससयमेव ता अणुवाससहस्समेव ता अणुवाससय. सहस्समेव, ता अणुपुत्वमेव ता अणुपुव्व सयमेव ता अणुपुब्बसहस्समेव ता अणुपुव्वसतसहस्समेव, ता अणुपलितोवममेव ता. अणुपलितोवमसतमेव ता अणुपलितोवमसहस्समेव ता अणुपलितोवमेसयसहस्समेव, ता अणुसागरोवममेव, ता अणुसागरोवमसतमेव ता अणुसागरोवमसहस्समेव ता अणुमागरोवमसयसहस्समेव एगे एवमाहंसु, ता अणुउस्सप्पिणियोसप्पिणिमेव सूरियस्स भोया अण्णा उप्पजति अराणा अवेति, एगे एवमाहंसु 1 / वयं पुण एवं वदामो ता तीसं 2 मुहुत्ते सूरियस्स श्रोया अवहिता भवति, तेण परं सूरियस्स श्रोया अणवट्टित्ता भवति, 46 Page #389 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 362 ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः सप्तमो विभागः छम्मासे सूरिए प्रोयं णिबुडे ति छम्मासे सूरिए श्रोयं अभिवड्डे ति, णिक्वं. ममाणे मूरिए देसं णिवुड्ढे ति पविसमाणे सूरिए देसं अभिवुड्डइ 2 / तत्थ को हेतूति वदेजा ?, ता अयराणं जंबुद्दीवे 2 सव्वदीवसमुद्द जाव परिक्खेवेणं, ता जया णं सूरिए सबभंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति, जहरिणया दुवालसमुहुत्ता राई भवति 3 / से णिक्खममाणे सूरिए णवं संवच्छरं श्रयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि अभितराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए अम्भितराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं एगेणं राइंदिएणं एगं भागं श्रोयाए दिवसखित्तस्स णिवुड्डित्ता रतणिवखेत्तस्स अभिवड्डित्ता चारं चरति, मंडलं अट्ठारसहिं तीसेहिं सतेहिं छित्ता, तता णं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं उणे दुवालसमुहुत्ता राई भवति दोहिं एगद्विभागमुहुत्तेहिं अहिया 4 / से णिक्खममाणे सूरिए दोच्चंसि अहोरसि अभितरतच्वं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए अभितरतच्चं मंडलं उपसंकमित्ता चारं चरति तता णं दोहिं राइदिएहिं दो भागे श्रोयाए दिवसखेत्तस्स णिबुड्डित्ता रयणिखित्तस्स अभिवड्डत्ता चारं चरति, मंडलं अट्ठारसतीसेहिं सएहि छेत्ता, तता णं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति उहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणे दुवालसमुहुत्ता राई भवति चउहि एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिया 5 | एवं खलु एतेणुवाएणं निक्खममाणे सूरिए तयाणंतरायो तदाणंतरं मंडलातो मंडलं संकममाणे 2 एगमेगे मंडले एगमेगेणं राइदिएणं एगमेगं 2 भागं श्रोयाए दिवसखेत्तस्स णिवुड्ढे माणे 2 रयणिखेत्तस्स अभिवड्ड मागो 2 सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए सबभंतरातो मंडलातो सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं सव्वभंतरं मंडलं पणिधाय एगेणं तेसीतेणं राइंदियसतेणं एगं (सगं) तेसीतं भागसतं योयाए Page #390 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्सूर्यप्रज्ञप्ति सूत्रं : प्रा० 6 ] [ 363 दिवसखेत्तस्स णिबुड्ढे त्ता रयणिखेत्तस्स अभिवुड्वेत्ता चारं चरति मंडलं अट्ठारसहिं तीसेहिं सयेहि छेत्ता, तता णं उत्तमकट्ठपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवति जहराणए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति 6 / एस णं पढमछम्मासे, एस णं पढमस्स छम्मासस्स पजवसाणे 7 / से पविसमाणे सूरिए दोच्चं छम्मासं श्रयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि बाहिराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए बाहिराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं एगेणं राइदिएणं एगं भागं श्रोयाए रतणिक्खेतस्स णिबुड्ढे त्ता दिवसखेत्तस्स अभिवड्ढे त्ता चारं चरति, मंडलं अट्ठारसहिं तीसेहिं सयेहि छेत्ता, तता णं अट्ठारसमुहुत्ता राई भवति दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणा दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अधिए 8 / से पविसमाणे सूरिए दोच्चंसि ग्रहोरत्तंसि बाहिरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए बाहिरतच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं दोहिं राइदिएहिं दो भाए श्रोयाए रयणिखेत्तस्स णिबुड्ढे त्ता दिवसखेत्तस्स अभिवुड्ढेत्ता चारं चरति, मंडलं अट्ठारसहिं तीसेहिं सोहिं छेत्ता, तया णं अट्ठारसमुहुत्ता राई भवति चउहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणा दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति चरहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अधिए 1 / एवं खलु एतेणुवाएणं पविसमाणे सूरिए तताणंतरातो तदाणंतरं मंडलातो मंडलं संकममाणे 2 एगमेगे मंडले एगमेगेणं राइदिएणं एगमेगेणं भागं श्रोयाए रयणिखेत्तस्स णिव्वुड्ढ माणे 2 दिवसखेत्तस्स अभिवड्ढे माणे 2 सव्वभंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए सव्वबाहिरातो मंडलातो सब्वन्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं सव्वबाहिरं मंडलं पणिधाय एगेणं तेसीतेणं राइंदियसरण एगं तेसीतं भागसतं श्रोयाए रयणिखित्तस्स णिवुड्डत्ता दिवसखेत्तस्स अभिवड्ढेत्ता चारं चरति, मंडलं अट्ठारसतीसेहिं सएहि छेत्ता, तता णं उत्तमकटुपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते Page #391 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 364 ] | श्रीमदागमसुधासिन्धुः : सप्तमो विभागः दिवसे भवति, जहरिणया दुवालसमुहुत्ता राई भवति 10 / एस णं दोच्चे छम्मोसे एस णं दोचस्स छम्मासस्स पन्जवसाणे, एस णं श्रादिच्चे संवच्छरे, एस णं श्रादिचस्स संवच्छरस्स पजवसाणे 11 // सूत्रं 27 // छ8 पाहुडं समत्तं // 6 // // अथ सप्तमं प्राभृतम् // ___ता के ते सूरियं वरंति प्राहिताति वदेज्जा ?, तस्थ खलु इमायो वीसं पडिवत्तीयो पराणत्तायो, तत्थेगे एवमाहंसु-ता मंदरे णं पव्वते सूरियं वरयति श्राहितेति वदेजा, एगे एवमाहंसु 1, एगे पुण एवमाहंसुता मेरू णं पव्वते सूरियं वरति अाहितेति वदेजा, एवं एएणं अभिलावेणं णेतव्वं जाव पव्वतराये णं पव्वते सूरियं वरयति श्राहितेति वदेजा, तं एगे एवमाहंसु 1 / वयं पुण एवं वदामो-ता मंदरेवि पवुञ्चति तहेव जाव पव्वतराएवि पवुञ्चति 2 / ता जे णं पोग्गला सूरियस्स लेसं फुसंति ते पोग्गला सूरियं वरयंति, श्रादिट्ठावि णं पोग्गला सूरियं वरयंति, चरमलेसंतरगतावि णं पोग्गला सूरियं वरयंति 3 // सूत्रं 28 // सत्तमं पाहुडं समत्तं // 7 // // अथ अष्टमं प्राभृतम् // ता कहं ते उदयसंठिती अाहितेति वदेजा ?, तत्थ खलु इमायो तिरिण पडिवत्तीयो पराणत्तायो, तत्थेगे एवमाहंसु, ता जया णं जंबुद्दीवे 2 दाहिणड्ढे अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति तता णं उत्तरड्डेवि अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति, जया णं उत्तरड्ढे अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति तया णं दाहिगड्ढे ऽवि श्रद्वारसमुहुत्ते दिवसे भवति, जदा णं जंबुद्दीवे 2 दाहिगड्ढे सत्तरसमुहुत्ते दिवसे भवति तया णं उत्तरड्ढे वि सत्तरसमुहुत्ते दिवसे भवति, जया णं उत्तरड्ढे सत्तरसमुहुत्ते दिवसे भवति तदा णं दाहिणड्डे वि सत्तरसमुहुत्ते दिवसे भवति, एवं परिहावेतव्वं, सोलसमुहुत्ते दिवसे पराणरसमुहुत्ते Page #392 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्सूर्यप्रज्ञप्ति सूत्रं : प्रा० 8 ] [ 365 दिवसे चउदसमुहुत्ते दिवसे तेरसमुहुत्ते दिवसे जाव ता जया णं जंबुद्दीवे 2 दाहिणड्ढे बारसमुहुत्ते दिवसे तया णं उत्तरद्धेवि बारसमुहुत्ते दिवसे भवति, जता णं उत्तरद्धे बारसमुहुत्ते दिवसे भवति तता णं दाहिणद्धेवि बारसमुहुत्ते दिवसे भवति, तता णं दाहिण बारसमुहुत्ते दिवसे भवति तता णं जंबुद्दीवे 2 मंदरस्स पब्वयस्स पुरच्छिमपञ्चस्थिमेणं सता पराणरसमुहुत्ते दिवसे भवति सदा पराणरसमुहुत्ता राई भवति, अवट्ठिता णं तत्थ राइंदिया पराणत्ता समणाउसो !, एगे एवमाहंसु 1, एगे पुण एवमाहंसु-जता णं जंबुद्दीवे 2 दाहिणद्धे अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवति तया णं उत्तर देवि अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवइ, जया णं उत्तरद्धे अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवइ तता | दाहिणड्डेवि अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवइ एवं परिहावेतव्वं, सत्तरसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवति, सोलसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवति, पराणरसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवति, चोहसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवति, तेरसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवति, जया णं जंबुद्दीवे 2 दाहिणद्धे बारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवति तदा णं उत्तरद्धेवि बारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे, जता णं उत्तरद्धे बारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवइ तया णं दाहिणद्धेवि बारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवति तदा णं जंबुद्दीवे 2 मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमपञ्चत्थिमे णं णो सदा पराणरसमुहुत्ते दिवसे भवति णो सदा पराणरस मुहुत्ता राई भवति, अणवट्ठिता णं तत्थ राइंदिया पराणत्ता, समणाउसो !, एगे एवमाहंसु 2, एगे पुण एवमाहंसु-ता जया णं जंबुद्दीवे 2 दाहिणड्डे अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति तदा गणं उत्तरद्धे दुवालसमुहुत्ता राई भवति, जया णं उत्तरड्ढे अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति तदा णं दाहिणड्ढे बारसमुहुत्ता राई भवइ, जया णं दाहिणड्ढे अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवति तदा णं उत्तरद्धे बारसमुहुत्ता राई भाइ, जता णं उत्तरद्धे अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवति तदा णं दाहिणद्धे बारसमुहुत्ता राई भवति, एवं णेतव्वं सगलेहि य Page #393 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 366 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः अणंतरेहि य एक्कक्के दो दो पालावका, सव्वहिं दुवालसमुहुत्ता राई भवति, जाव ता जता णं जंबुद्दीवे 2 दाहिणद्धे वारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवति तदा णं उत्तरद्धे दुवालसमुहुत्ता राई भवति, जया णं उत्तरद्धे दुवालसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवति तदा णं दाहिणद्धे दुवालसमुहुत्ता राई भवति, तता णं जंबुद्दीवे 2 मन्दरस्स पव्वयस्स पुरस्थिमपञ्चस्थिमे णं णेवस्थि पराणरसमुहुत्ते दिवसे भवति शेवत्थि पराणरसमुहुत्ता राई भवति, वोच्छिराणा णं तत्थ राइंदिया पराणत्ता, समणाउसो! एगे एवमाहंसु 3, 1 / वयं पुण एवं वदामो, ता जंबुद्दीवे 2 सूरिया उदीणपाईणमुग्गच्छति पाईणदाहिणमागच्छंति, पाईणदाहिणमुग्गच्छंति दाणिपडीणमागच्छति दाहिणपडीणमुग्गच्छति पडीणउदीणमागच्छंति पडीणउदीणमुग्गच्छति उदीणपाईणमागच्छंति 2 / ता जता णं जंबुद्दीवे 2 दाहिणद्धे दिवसे भवति तदा णं उत्तरद्धे दिवसे भवति, जदा णं उत्तरद्धे दिवसे भवति तदा णं जंबुद्दीवे 2 मंदरस्स पब्वयस्स पुरच्छिमपञ्चच्छिमे णं राई भवति 3 / ता जया णं जंबुद्दीवे 2 मंदरस्स पव्वयस्स पुरस्थिमे णं दिवसे भवति तदा णं पञ्चच्छिमेणवि दिवसे भवति, जया णं पञ्चत्थिमे णं दिवसे भवति तदा णं जंबुद्दीवे 2 मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरदाहिणे णं गई भवति 4 / ता जया णं दाहिणद्धेवि उकोसए श्रद्वारसमुहुत्ते दिवसे भवति तया णं उत्तरद्धे उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति, जदा उत्तरद्धे उकोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति तदा णं जंबुद्दीवे 2 मंदरस्स पव्वयस्स पुरथिमे णं जहरिणया दुवालसमुहुत्ता राई भवति 5 / ता जया णं जंबुद्दीवे 2 मंदरस्स पव्वतस्स पुरच्छिमे णं उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति तता णं पञ्चत्थिमेणवि उकोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति 6 / जता णं पञ्चत्थिमे णं उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति तता णं जंबुद्दीवे 2 मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरदाहिणे णं जहरिणया दुवालसमुहुत्ता राई भवति, एवं एएणं गमेणं णेतव्वं Page #394 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमतसूर्यप्रज्ञप्ति सूत्र : प्रा०८] [ 367 7 / अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे सातिरेगदुवालसमुहुत्ता राई भवति, सत्तरसमुहुते दिवसे तेरसमुहुत्ता राई, सत्तरसमुहुत्ताणंतरे दिवसे सातिरेगतेरसमुहुत्ता राई, सोलसमुहुत्ते दिवसे चोदसमुहुत्ता राई, सोलसमुहुत्ताणंतरे दिवसे सातिरेगचोदसमुहुत्ता राई, पराणरसमुहुत्ते दिवसे पराणरसमुहुत्ता राई, पगणरसमुहुत्ताणंतरे दिवसे सातिरेगपरणरसमुहुत्ता राई भवइ, चउद्दसमुहुत्ते दिवसे सोलसमुहुत्ता राई, चोदप्समुहुत्ताणंतरे दिवसे सातिरेगसोलसमुहुत्ता राई, तेरसमुहुत्ते दिवसे सत्तरसमुहुत्ता राई, तेरसमुहुत्ताणंतरे दिवसे सातिरेगसत्तरसमुहुत्ता राई, जहराणए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवई, एवं भणितव्वं 8 / ता जया णं जंबुद्दीवे 2 दाहिणद्धे वासाणं पढमे समए पडिवजति तताणं उत्तरद्धेवि वासाणं पढमे समए पडिवजति 1 / जता णं उत्तरद्धे वासाणं पढमे समए पडिवजति तता णं जंबुद्दीवे 2 मंदरस्स पव्वयस्स पुरच्छिमपञ्चत्थिमे णं अणंतरपुरक्खडकालसमयंसि वासाणं पढमे समए पडिवजइ 10 / ता जया णं जंबुद्दीवे 2 मंदरस्स पव्वयस्स पुरच्छिमे णं वासाणं पढमे समए पडिवजइ तता णं पचत्थिमेणवि वासाणं पढमे समए पविजइ 11 / जया णं पचत्थिमे णं वासाणं पढमे समए पडिबजइ तता णं जंबु. दीवे 2 मंदरदाहिणे णं अणंतरपच्छाकयकालसमयंसि वासाणं पढमे समए पडिवराणे भवति 12 / जहा समयो एवं श्रावलिया प्राणापागू थोवे लवे मुहुत्ते अहोरत्ते पक्खे मासे उऊ, एवं दस पालावगा जहा वासाणं एवं हेमंताणं गिम्हाणं च भाणितव्वा 13 / ता जता णं जंबुद्दीवे 2 दाहिणद्धे पढमे अयणे पडिवजति तदा णं उत्तरद्धेवि पढमे श्रयणे पडिवजइ 14 / जता णं उत्तरद्धे पढमे अयणे पडिवजति तदा णं दाहिणद्धेवि पढमे अयणे पडिवजइ 15 / जता णं उत्तरद्धे पढमे अयणे पडिवजति तता णं जंबुद्दीवे 2 मंदरस्स पव्वयस्स पुरस्थिमपञ्चत्थिमे णं अणंतर Page #395 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 368 / / श्रीमदागमसुधासिन्धुः सप्तमो विभागः पुरक्खडकालसमयंसि पढमे अयणे पडिवजति 16 / ता जया णं जंबुद्दीवे 2 मंदरस्स पव्वयस्स पुरस्थिमे णं पढमे अयणे पडिवजति तता णं पञ्चस्थिमेणवि पढमे अयणे पडिवजइ 17 / जया णं पञ्चत्थिमे णं पढमे अयणे पडिवजइ तदा णं जंबुद्दीवे 2 मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरदाहिणे णं अणंतरपच्छाकडकालसमयंसि पढमे अयणे पडिवराणे भवति 18 / जहा अयणे तहा संवच्छरे जुगें वाससते, एवं वाससहस्से वाससयसहस्से पुव्वंगे पुव्वे एवं जाव सीसपहेलिया पलितोवमे सागरोवमे 11 / ता जया णं जंबुद्दीवे 2 दाहिणड्डः उस्सप्पिणी पडिवजति तता णं उत्तरद्धेवि उस्सप्पिणी पंडिवजति, 20 / जता णं उत्तरद्धे उस्सप्पिणी पडिवजति तता णं जंबुद्दीवे 2 मंदरस्स पव्ययस्स पुरस्थिमपञ्चस्थिमे णं णेवत्थि प्रोसप्पिणी णेव अस्थि उस्सप्पिणी अवट्ठिते णं तत्थ. काले पराणत्ते समणाउसो !, एवं उस्सप्पिणीवि 21. / ता जया णं लवणे समुद्दे दाहिणद्धे. दिवसे भवति तता णं लवणसमुद्दे उत्तरद्धे, दिवसे भवति 22 / जता णं उत्तरद्धे दिवसे भवति तता णं लवणसमुद्दे पुरच्छिमपञ्चस्थिमे णं राई भवति 23 / जहा जंबुद्दीवे 2 तहेव जाव उस्सप्पिणी 24 / तहा धायइसंडे णं दीवे सूरिया अोदीणपाइणमुग्गच्छति तहेव 25 / ता जता णं धायइसंडे दीवे दाहिणद्धे दिवसे भवति तता णं उत्तरद्धेवि दिवसे भवति 26 / जता णं उत्तरद्धे दिवसे भवति तता णं धायइसंडे दीवे मंदराणं पव्वताणं पुरस्थिमपञ्चत्थिमेणं राई भवति 27 / एवं जंबुद्दीवे 2 जहा तहेव जाव उस्सप्पिणी 28 / कालोए णं जहा लवणे समुद्दे तहेव - 21 / ता अभंतरपुक्खरद्धे णं सूरिया उदीणपाईणमुग्गच्छंति तहेव 30 / ता जया णं अब्भतरपुक्खरद्धे णं दाहिणद्धे दिवसे भवति तदा णं उत्तरद्धेवि दिवसे भवति 31 / जता णं उत्तरद्धेवि दिवसे भवति तता णं अम्भितरपुक्खरद्धे मंदराणं पव्वताणं पुरथिमपञ्चत्थिमे णं राई भवति सेसं जहा जंबुद्दीवे तहेब जाव उस्सप्पिणीश्रोसप्पिणीयो 32 // सूत्रं 26 // अट्ठमं पाहुडं समत्तं // 8 // Page #396 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्र :: प्रा० 9] [ 366 // अथ नवमं प्राभृतम् // ता कतिकट्ठ ते सूरिए पोरिसीच्छायं णिवत्तेति अाहितेति वदेजा?, तत्थ खलु इमायो तिरिण पडिवत्तीयो पराणत्तायो, तत्थेगे एवमासु-जे णं पोग्गला सूरियस्स लेसं फुसंति ते णं पोग्गला संतप्पंति, ते णं पोग्गला संतप्पमाणा तदणंतराई बाहिराई पोग्गलाई संतावेंतीति एस णं से समिते तावक्खेत्ते एगे एवमाहंसु 1 / एगे पुण एवमाहंसु-ता जे णं पोग्गला सूरियस्स लेसं फुसंति ते णं पोग्गला नो संतप्पंति, ते णं पोग्गला असंतप्पमाणा तदणंतराइं बाहिराइं पोग्गलाई णो संतातीति एस णं से समिते तावक्खेत्ते एगे एवमाहंसु 2, एगे पुण एवमाहंसु ता जे णं पोग्गला सूरियस लेसं फुसंति ते णं पोग्गला अत्थेगतिया णो संतप्पंति अत्थेगतिया संतप्पंति, तत्थ अत्थेगइया संतप्पमाणा तदणंतराई बाहिराई पोग्गलाई अत्थेगतियाई संतावेंति अत्थेगतियाइं णो संताति, एस ण से समिते तावक्खेत्ते, एगे एवमाहंसु 3, 1 / वयं पुण एवं वदामो, ता जायो इमायो चंदिमसूरियाणं देवाणं विमाणेहितो लेसायो बहित्ता उच्छूढा अभिणिसट्टायो पतावेंति, एतासि णं लेसाणं अंतरेसु अगणतरीयो छिण्णलेसायो संमुच्छंति, तते णं तायो छिराणलेस्सायो समुच्छियायो समाणीयो तदणंतराई बाहिराई पोग्गलाई संतावेंतीति एस णं से समिते तावक्खेत्ते 2 // सूत्र 30 // ता कतिकट्ठे ते सूरिए पोरिसीच्छायं णिवत्तेति बाहितेति वदेजा ?, तत्थ खलु इमायो पणवीसं पडिवत्तीयो पराणत्तायो, तत्थेगे एवमाहंसु ता अणुसमयमेव सूरिए पोरिसिच्छायं णिवत्तेइ श्राहितेति वदेजा, एगे एवमाहंसु 1, एगे पुण एवमाहंसु ता अणुमुहुत्तमेव सूरिए पोरिसिच्छायं णिवत्तेति अाहितेति वदेज्जा, एतेणं अभिलावेणं णेतव्वं, ता जायो चेव श्रोयसंठितीए पणुवीसं पडिवत्तीयो तायो चेव णेतव्वाश्रो, जाव अणुउस्सप्पिणीमेव सूरिए ता कतिको लालाई सतावेतीतिमा संच्छियायाधरणलेसायो Page #397 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 37. ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः पोरिसीए च्छायं णिवत्तेत्ति याहिताति वदेजा, एगे एवमाहंसु 25, 1 / वयं पुण एवं वदामो-ता सूरियस्स णं उच्चत्तं च लेसं च पडुच्च छाउद्दे से उच्चत्तं च छायं च पडुच लेसुद्दे से लेसं च छायं च पडुच्च उच्चत्तोद्दे से 2 / तत्थ खलु इमायो दुवे पडिवत्तीयो पराणत्तायो, तत्थेगे एवमाहंसु-ता अस्थि णं से दिवसे जंसि णं दिवसंसि सूरिए चउपोरिसीच्छायं निव्वत्तेइ, अस्थि णं से दिवसे जंसि णं दिवसंसि सूरिए दुपोरिसीच्छायं णिवत्तांत एगे एवमाहंसु 1, एगे पुण एवमाहेसु ता अस्थि णं से दिवसे जंसि णं दिवसंसि सूरिए दुपोरिसीच्छायं णिवत्तेति अस्थि णं से दिवसे जंसि दिवसंसि सूरिए नो किंचि पोरिसिच्छायं णिवत्तेति 2, 2 / तत्थ जे ते एवमाहंसु ता अस्थि णं से दिवसे जंसि णं दिवसंसि सूरिए चउपोरिसियं छायं णिवत्तेति, अस्थि णं से दिवसे जंसि णं दिवसंसि सूरिए दोपोरिसियं छायं निव्वत्तेइ ते एवमाहंसु 3 / ता जता णं सूरिए सव्वभंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसिए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति, जहरिणया दुवालसमुहुत्ता राई भवति, तेसिं च णं दिवसंसि सूरिए चउपोरिसीयं छायं निव्वत्तेति, ता उग्गमणमुहुत्तंसि य अत्थमणमुहुत्तंसि य लेसं अभिवड्ढेमाणे नो चेवणं णिबुड्ढेमाणे 4 / ता जता णं सूरिए सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं उत्तमकट्टपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवति, जहराणए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति, तंसि च णं दिवसंसि सूरिए दुपोरि. सियं छायं निव्वत्तेइ, तंजहा-उग्गमणमुहुत्तंसि य अस्थमणमुहुत्तंसि य, लेसं अभिवड्ढेमाणे नो चेव णं निवुडढेमाणे 5 / तत्थ णं जे ते एवमाहंसु ता अस्थि णं से दिवसे जंसि णं दिवसंसि सूरिए दुपोरिसियं छायं णिव्वत्तेइ अस्थि णं से दिवसे जंसि णं दिवसंसि सूरिए णो किंचि पोरिसियं छायं णिव्यत्तेति ते एवमाहंसु 6 / ता जता णं मूरिए सबभंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं उत्तमकट्टपत्ते उक्कोसिए श्रद्वारसमुहुत्ते दिवसे Page #398 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्सर्यप्रज्ञप्तिसूत्र :: प्रा०६ ] [ 371 भवति जहरिणया दुवालसमुहुत्ता राई भवति, तंसि च णं दिवसंसि सूरिए दुपोरिसियं छायं णिवत्तेति, तंजहा-उग्गमणमुहुत्तंसि अत्थमणमुहुत्तसि य लेसं अभिवड्ढेमाणे णो चेव णं णिव्वुड्ढेमाणे 7 / ता जया णं सूरिए सव्वबाहिरं मंडलं उबसंकमित्ता चारं चरति तता णं उत्तमकट्टपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवति, जहण्णए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति तंसि च णं दिवसंसि सूरिए णो किंचि पोरिसियं छायं णिवत्तेति, तंजहाउग्गमणमुहुत्तंसि य अस्थमणमुहुत्तसि य, नो चेव णं लेसं अभिवुड्ढेमाणे वा निवुड्ढेमाणे वा 8 ता कइकट्ठ ते सूरिए पोरिसीच्छायं निव्वत्तेइ श्राहियत्ति वइजा ?, तत्थ इमायो छण्णउइ पडिवत्तीयो पराणत्तायो, तत्थेगे एवमाहंसु, अस्थि णं ते से देसे जंसि णं देसंसि सूरिए एगपोरिसीयं छायं निव्वत्तेइ एगे एवमाहंसु, एगे पुण एवमाहंस, ता अस्थि णं से देसे जंसि देसंसि सूरिए दुपोरिसियं छायं निव्वत्तेति, एवं एतेणं अभिलावेणं गोतव्वं, जाव छराणउतिं पोरिसियं छायं णिव्वत्तेति 16, 1 / तत्थ जे ते एवमाहंसु ता अस्थि णं से देसे जंमि णं देमंसि मूरिए एगोरिसियं चायं णिवत्तेति ते एवमाहंसु ता सूरियस्स णं सव्वहेटिमातो सूरप्पडिहितो बहित्ता अभिणिसट्टाहिं लेसाहिं ताडिजमाणीहिं इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए बहुप्समरमणिजायो भूमिभागायो जावतियं सूरिए उड्ढ उच्चत्तेणं एवतियाए एगाए श्रद्धाए एगेणं छायाणुमाणप्पमाणेणं उमाए तत्थ से सूरिए एगपोरिसीयं छायं णिवत्तेति 10 / तत्थ जे ते एवमाहंसु, ता अस्थि णं से देसे जंसि णं देसंसि सूरिए दुपोरिसिं छायं णिवत्तेति, ते एवमाहंसु-ता सूरियस्स णं सबहेट्ठिमातो सूरियपडिधीतो बहित्ता अभिणिसट्टाहिं लेसाहिं ताडिजमाणीहिं इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिजातो भूमिभागातो जावतियं सूरिए उड्ढ उच्चत्तेणं एवतियाहिं दोहिं श्रद्धाहिं दोहिं छायाणुमाणप्पमाणेहिं उमाए एत्थ णं से सूरिए दुपोरिसियं छायं णिवत्तेति 11 / एवं णेयव्वं जाव Page #399 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 372 ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः तत्थ जे ते एवमाहंसु ता अत्थि णं से देसे जंसि णं देसंसि सूरिए छराणउति पोरिसियं छायं णिवत्तेति ते एवमाहंसु-ता सूरियस्स णं सवहिटिमातो सूरप्पडिधीयो बहित्ता अभिणिसट्टाहिं लेसाहिं ताडिजमाणीहिं इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिजातो भूमिभागातो जावतियं सूरिए उड्ढ उच्चत्तेणं एवतियाहिं छराणवतीए छायाणुमाणुप्पमाणेहिं उमाए एत्थ णं से सूरिए छराणउतिं पोरिसियं छायं णिवत्तेति एगे एवमाहंसु 12 / वयं पुण एवं वदामो, सातिरेगउणट्ठिपोरिसीणं सूरिए पोरिसीच्छायं णिव्वत्तेति 13 / अवद्धपोरिसी णं छाया दिवसस्स किं गते वा सेसे वा ? ता तिभागे गते वा सेसे वा 14 / ता पोरिसी णं छाया दिवसस्स कि गते वा सेसे वा ?, ता चउभागे गते वा सेसे वा 15 / ता दिवद्धपोरिसी णं छाया दिवसस्स किं गते वा सेसे वा ?, ता पंचमभागे गते वा सेसे वा 16 / एवं श्रद्धपोरिसिं छोटु पुच्छा दिवसभागं छोढुवाकरणं जाव ता श्रद्धउणासट्टिपोरिसीछायादिवसस्स किं गते वा सेसे वा ?, ता एगणवीससतभागे गते वा सेसे वा 17 / ता श्रउणसट्ठिपोरिसी णं छाया दिवसस्स किं गते वा सेसे वा बावीसहस्सभागे गते वा सेसे वा 18 / ता सातिरेग-अउणसट्ठिपोरिसी णं छाया दिवसस्स किं गते वा सेसे वा ?, ता णस्थि किंचि गते वा सेसे वा 11 / तत्थ खलु इमा पणवीसनिविट्ठा छाया पराणत्ता, तंजहा-खंभछाया रज्जुछाया पागारछाया पासायछाया उबग्ग(तर) छाया उच्चत्तछाया अणुलोमछाया पडिलोमछाया थारुभिता उवहिता समा पडिहता खीलच्छाया पक्खच्छाया पुरतोउदया पुरिमकंठभाउवगता पच्छिमकंठभाउवगता छायाणुवादिणी किटाणुवादिणाछाया छायछाया छायाविकंप्पो वेहासछाया कडछाया गोलछाया पीट्ठयोदग्गा 20 / तत्थ णं गोलच्छाया अट्टविही पराणत्ता, तंजहा-गोलच्छाया अवद्धगोलच्छाया गोल(गाढल)गोलछाया अबद्धगोल(गाढल)गोलछाया गोलावलिच्छाया Page #400 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्पूर्यप्रवप्तिस्त्रं :: प्रा० 10 प्रा० प्रा० 2 ] [ 373 अबडगोलावलिच्छाया गोलजछाया श्राद्धगोलपुजछाया 21 ॥सूत्रं 31 // णवमं पाहुडं समत्तं // 1 // // अथ दशमप्राभते प्रथमं प्राभतप्रामृतम् // - ता जोगेति वत्थुस्स पावलियाणिवाते श्राहितेति वदेजा, ता कहं ते जोगेति वत्थुस्स श्रावलियाणिवाते श्राहितेति वदेजा ?, तत्थ खलु इमायो पंच पडिवत्तीयो पन्नत्तायो, तत्थेगे एवमाहंसु ता सव्वेवि णं णक्खत्ता कत्तियादिया भरणिपजवसाणा एगे एवमाहंसु 1, एगे पुण एवमाहंसु, ता सव्वेवि णं णक्खत्ता महादीया अस्सेसपज्जवसाणा पराणत्ता, एगे एवमाहंसु 2 / एगे पुण एवमाहंसु, ता सब्वेविणं णक्खत्ता धणिट्ठादीया सवणपज्जवसाणा पराणत्ता, एगे एवमाहंसु 3, एगे पुण एवमाहंसु-ता सव्वेवि णं णक्खत्ता अस्तिणीश्रादीया रेवतिपजवसाणा पराणत्ता, एगे एवमाहंसु 4, एगे पुण एवमाहंसु-सव्वेवि णं णक्खत्ता भरणीश्रादिया अस्सिणीपजवसाणा एगे एवमाहंसु 5, 1 / वयं पुण एवं वदामो, सव्वेवि णं णखत्ता अभिईादीया उत्तरासाढापन्जवसाणा पराणत्ता, तंजहा-अभिई सवणो जाव उत्तरासादा 2 // सूत्रं 32 // दसमस्स पढमं पाहुडपाहुडं समत्तं // 10-1 // // अथ दशमप्राभृते द्वितीयं प्राभतप्राभृतम् // ता कहं ते मुहुत्ता य ाहितेति वदेजा?, ता एतेसि णं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं अत्थि णक्खत्ते जेणं णव मुहुत्ते सत्तावीसं च सत्तट्ठिभागे मुहुत्तस्स चंदेणं सद्धिं जोयं जोएंति, अस्थि णक्खत्ता जे णं पराणरसमुहुत्ते चंदेणं सद्धि जोयं जोएंति अस्थि णक्खत्ता जे णं तीसं मुहुत्ते चंदेणं सद्धिं जोयं जोएंति, अस्थि णक्खत्ता जे णं पणतालीसे मुहुत्ते चंदेणं सद्धिं जोएंति 1 / ता एएसि णं अट्ठावीसाए नक्खत्ताणं कयरे नक्खत्ते जे णं नवमुहुत्ते सत्तावीसं च सत्तट्ठिभाए मुहुत्तस्स चंदेणं सद्धिं जोएंति ?, कयरे Page #401 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 374 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः नक्खत्ता जे ण पराणरसमुहुत्ते चदेणं सद्धि जोगं जोएंति ? कतरे नक्खत्ता जे णं तीसं मुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोगं जोइंति ?, कतरे नक्खत्ता जे णं पणयालीसं मुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जोइंति ?, ता एएसि णं श्रट्ठावीसाए णक्खत्ताणं तत्थ जे ते णखत्ते जे णं णव मुहुत्ते सत्तावीसं च सत्तट्ठिभागे मुहुत्तस्स चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति से णं एगे अभीयी 2 / तत्थ जे ते णक्खत्ता जे णं पराणरसमुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति ते णं छ, तंजहा-सतभिसया भरणी श्रद्दा अस्सेसा साति जेट्ठा 3 / तत्थ जे ते णक्खत्ता जे णं तीसं मुहत्तं चंदेण सद्धिं जोयं जोयंति ते पराणरस, तंजहा-सवणो धणिट्ठा पुव्वा भद्दवता रेवति अस्सिणी कत्तिया मग्गसिर पुस्सो महा पुव्वाफग्गुणी हत्थो चित्ता अणुराहा मूलो पुव्वासाढा 4 / तत्थ जे ते णक्खत्ता जे णं पणतालीसं मुहुत्ते चंदेण सद्धि जोगं जोएंति ते णं छ, तंजहा-उत्तराभदपदा रोहिणी पुणबसू उत्तराफग्गुणी विसाहा उत्तरासादा 5 // सूत्रं 33 // ता एतेसि णं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं अस्थि णखत्ते जे णं चत्तारि अहोरत्ते छच्च मुहुत्ते सूरेणं सद्धिं जोयं जोएंति, अस्थि णक्खत्ता जे णं छ अहोरत्ते एकवीसं च मुहुत्ते सूरेण सद्धिं जोयं जोएंति, अस्थि गवसत्ता जे णं तेरस अहोरते बारस य मुहुत्ते सूरेण सद्धिं जोय जोयंति, अस्थि णक्खत्ता जे णं वीसं अहोरत्ते तिगिण य मुहुत्ते सूरेण सद्धिं जोयं जोएंति 1 / ता एतेसि णं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं कतरे णक्खत्ते जं चत्तारि अहोरत्ते छच्च मुहुत्ते सूरेण सद्धिं जोयं जोएंति ? कतरे णक्खत्ते जेणं छ अहोरते एकवीसमुहुत्ते सूरेणं सद्धिं जोयं जोएंति ?, कतरे णक्खत्ता जे णं तेरस अहोरत्ते बारस मुहुत्ते सूरेण सद्धि जोयं जोएंति ? कतरे णक्खत्ता जे णं वीसं अहोरत्ते सूरेण सद्धि जोयं जोएंति ? ता एतेसि णं अट्ठावीसाए णक्खताणं तत्थ जे से णक्खत्ते जे णं चत्तारि अहोरत्ते छच्च मुहुत्ते सूरेण सद्धिं जोयं जोएंति से णं अभीयी 2 / Page #402 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्र्य प्रज्ञाप्त सूत्रं : प्रा० 10 प्रा० प्रा० 3] / 375 तत्थ जे ते णक्खना जे णं छ यहोरत्ते एकवीसं च मुहुत्ते सूरिएण सद्धि जोयं जोएंति ते णं छ, तंजहा-सतभिसया भरणी श्रद्दा अस्सेसा साती जेट्ठा 3 / तत्थ जे ते तेरस अहोरत्ते दुवालस य मुहुत्ते सूरेण सद्धि जोयं जोएंति ते णं पणरस, तंजहा-सवणो धणिट्ठा पुव्वाभदवता रेवती अस्सिणी कत्तिया मग्गसिरं पूस्सो महा पुव्वाफग्गुणी हत्थो चित्ता अणुराधा मूलो पुवाबासाढा 4 / तत्थ जे ते णखत्ता जे णं वीसं अहोरत्ते तिरिए य मुहुत्ते सूरेण सद्धिं जोयं जोएंति ते णं छ, तंजहा-उत्तराभवता रोहिणी पुणव्वसू उत्तराफग्गुणी विसाहा उत्तरासादा 5 // सूत्रं 34 // दसमस्स बितीयमिति // 10.2 // // अथ दशमप्राभृते तृतीयं प्राभृतप्राभृतम् // ___ता कहं ते एवंभागा बाहिताति वदेजा ?, ता एतेसि णं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं अस्थि णक्खत्ता पुव्वंभागा समक्खेत्ता तीसइमुहुत्ता पराणत्ता, अस्थि णक्खत्ता पच्छंभागा समक्खेत्ता तीसइमुहुत्ता पराणत्ता, अस्थि णक्खत्ता णत्तंभागा अवडखेत्ता पराणरसमुहुत्ता पराणत्ता, अत्थि णक्खत्ता उभयंभागा दिवट्ठखेत्ता पणतालीसं मुहुत्ता पराणत्ता 1 / ता एएसिणं अट्ठावीसाए णखताणं कतरे गवसत्ता पुर्वभागा समक्खेत्ता तीसतिमुहुत्ता पराणत्ता ? कतरे णक्खत्ता पच्छंभागा समक्खेत्ता तीसइमुहुत्ता पराणत्ता ? कतरे णक्खत्ता णतंभागा श्रवडखेत्ता पराणरसमुहुत्ता पराणत्ता ? कतरे नक्खत्ता उभयंभागा दिवड्डखेत्ता पणतालीसतिमुहुत्ता पराणत्ता ?, ता एतेसि णं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं तत्थ जे ते णक्खत्ता पुव्वंभागा समक्खेत्ता तीसतिमुहुत्ता पराणत्ता, ते णं छ, तंजहा–पुवापोट्टवता कत्तिया मघा पुव्वाफग्गुणी मूलो पुव्वासाढा 2 / तत्थ जे णक्खत्ता पच्छंभागा समक्खेत्ता तीसतिमुहुत्ता पराणत्ता, ते णं दस, तंजहा-अभिई सवणो धणिट्ठा रेवती Page #403 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 376 / | श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभाग अस्सिणी मिगसिरं पूसो हत्थो चित्ता अणुराधा 3 / तत्थ जे ते णवखत्ता णत्तंभागा श्रद्धद्धखेत्ता पराणरसमुहुत्ता पराणत्ता, ते णं छ, तंजहा-सयभिसया भरणी अद्दा अस्सेसा साती जेट्ठा 4 / तत्थ जे ते णक्खत्ता उभयंभागा दिवड्डखेत्ता पराणतालीसं मुहत्ता पराणत्ता, ते णं छ, तंजहा-उत्तरापोट्ठवता रोहिणी पुणव्वसू उत्तराफग्गुणी विसाहा उत्तरासाढा 5 // सूत्रं 35 // दसमस्स ततियं पाहुडपाहुडं समत्तं // 10-3 // // अथ दशमप्राभृते चतुर्थ प्राभृतप्राभृतम् // . ___ता कहं ते जोगस्स श्रादी अाहिताति वदेजा ?, ता अभियीसवणा खलु दुवे णक्खत्ता पच्छाभागा समखित्ता सातिरेग-ऊतालीसतिमुहुत्ता तप्पढमयाए सायं चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति, ततो पच्छा श्रवरं सातिरेयं दिवसं, एवं खलु अभिईसवणा दुवे क्सत्ता एगराई एगं च सातिरेगं दिवसं चंदेण सद्धिं जोगं जोएंति, जोयं जोएत्ता जोयं अणुपरियट्टति जोयं अणुपरियट्टित्ता सायं चंदं धणिट्ठाणं समप्पंति 1 / ता धणिट्ठा खलु णक्खत्ते पच्छभागे समक्खेत्ते तीसतिमुहुत्ते तप्पढमयाए सायं चंदेण सद्धिं जोगं जोएति, चंदेण सद्धिं जोगं जोएत्ता ततो पच्छाराई अवरं च दिवसं एवं खलु धणिट्ठाणक्खत्ते एगं च राई एगं च दिवसं चंदेण सद्धिं जोयं जोएति जोएत्ता जोयं अणुपरियट्टिति जोयं अणुपरियट्टित्ता सायं चंदं सतभिसयाणं समप्पेति 2 / ता सयभिसया खलु णक्खत्ते णत्तंभागे अवड्ढे खेत्ते पराणरसमुहुत्ते पढमताए सायं चंदेण सद्धिं जोएति णो लभति अवरं दिवसं, एवं खलु सयभिसया णक्खत्ते एगं च राइं चंदेण सद्धिं जोयं जोएति, जोयं जोएत्ता जोयं अणुपरियट्टति, जोयं अणुपरियट्टित्ता तो चंदं पुवाणं पोट्ठवताणं समप्पेति 3 / ता पुवापोट्टवता खलु नक्खत्वे पुव्वंभागे समक्खेते तीसतिमुहुत्ते तप्पढमताए पातो चंदेणं सद्धिं जोयं जोएति, ततो Page #404 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमन्सूर्याज्ञप्तिसूत्र :: प्रा० 10 प्रा० 4 | [ 377 पच्छा अवरराई, एवं खलु पुव्वापोट्टवता गाक्खत्ते एगं च दिवसं एगं च राई चंदेणं सद्धिं जोयं जोएति 2 ता जोयं अणुपरियट्टति 2 पातो चंदं उत्तरापोट्ठवताणं समप्पेति 4 / ता उत्तरपोट्ठवता खलु नक्खत्ते उभयंभागे दिवड्डखेत्ते पणतालीसमुहुत्ते तप्पटमयाए पातो चंदेण सद्धिं जोयं जोएति अवरं च रातिं ततो पच्छा अवरं दिवसं, ए खलु उत्तरापोट्टवताणक्खत्ते दो दिवसे एगं च राई चंदेण सद्धिं जोयं जोएति जोइता जोयं अणुपरियट्टति त्ता सायं चंदं रेवतीणं समप्पेति 5 / ता रेवती खलु णक्खत्ते पच्छंभागे समक्खेते तीसतिमुहुत्ते तप्पढमताए सागं चंदेणं सद्धिं जोयं जोएति, ततो पच्छा श्रवरं दिवसं, एवं खलु रेवतीणक्खत्ते एगं राई एगं च दिवसं चंदेण सद्धिं जोयं जोएति 2 ता जोयं अणुपरियट्टति 2 त्ता सागं चंदं अस्सिणीणं समप्पेति 6 / ता अस्सिणी खलु णक्खत्ते पच्छिमभागे समखेत्ते तीसतिमुहुत्ते तप्पढमताए सागं चंदेण सद्धिं जोयं जोएति, ततो पच्छा अवरं दिवसं, एवं खलु अस्सिणीणक्खत्ते एगं च राई एगं च दिवसं चंदेण सद्धिं जोयं जोएति 2 ता जोगं अणुपरियट्टइ 2 ता सागं चंदं भरणीणं समप्पेति 7 / ता भरणी खलु णक्खत्ते णत्तंभागे अवड्डखेत्ते परणरसमुहुत्ते तप्पढमताए सागं चंदेण सद्धिं जोयं जोएति, णो लभति अवरं दिवसं, एवं खलु भरणीणक्खत्ते एगं राई चंदेणं सद्धिं जोयं जोएति 2 ता जोयं अणुपरियट्टति 2 सा पादो चंदं कत्तियाणं समप्पेति 8 | ता कत्तिया खलु णक्खत्ते पुव्वंभागे समक्खिते तीसइमुहुत्ते तप्पढमताए सागं चंदेणं सद्धिं जोगं जोएति ततो पच्छा राई, एवं खलु कत्तिया नक्खत्ते एगं दिवसं एगं च राइं चंदेण सद्धिं जोयं जोएति 2 त्ता जोयं अणुपरियट्टइ 2 ता पादो चंदं रोहिणीणं समप्पेति 1 / रोहिणी जहा उत्तरभद्दवता, मगसिरं जहा धणिट्ठा, श्रद्दा जहा सतभिसया, पुणव्वसु जहा उत्तराभद्दवता, पुस्सो जहा धणिट्ठा, असलेसा जहा सतभिसया, मघा जहा पुव्वाफग्गुणी, पुव्वाफग्गुणी जहा 48 Page #405 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 378 ] [ श्रीमदागमसुथासिन्धुः / सप्तमो विभागा पुव्वाभदवया, उत्तराफग्गुणी जहा उत्तरभवता, हत्थो चित्ता य जहा धणिट्ठा, साती जहा सतभिसया विसाहा जहा उत्तरभद्दवदा अणुराहा जहा धणिट्ठा, जिट्टा जहा सयभिसया, मूलो जहा पुन्वभदवया पुब्वासाटा(मूला पुवासाढा य) जहा पुव्वभदपदा, उत्तरासाढा जहा उत्तरभद्दवता 10 // सूत्रं 36 // दसमस्स चउत्थं पाहुडपाहुडं समत्तं // 10-4 // // अथ दशमप्राभृते पञ्चमं प्राभृतप्राभतम् // ___ता कहं ते कुला अाहिताति वदेना ?, तत्थ खलु इमे बारस कुला बारस उपकुला चत्तारि कुलोवकुला 1 / बारस कुला, तंजहा-धणिट्ठाकुलं उत्तराभद(पोट्ठ)वताकुलं अस्सिणीकुलं कत्तियाकलं संठाणाकुलं पुस्साकुलं महाकुलं उत्तराफग्गुणीकुलं चित्ताकुलं विसाहाकुलं मूलाकुलं उत्तरासाढाकुलं / बारस उपकुला, तंजहा-सवणो उवकुलं पुवपोट्टवताउवकुलं रेवतीउवकुलं भरणीउपकुलं पुणबसुउवकुलं अस्सेसाउवकुलं पुवाफग्गुणीउवकुलं हत्योउबकुलं सातीउपकुलं जेट्टाउवकुलं पुव्वासाढाउवकुलं 3 / चत्तारि कुलोवकुला, तंजहा-अभीयीकुलोवकुलं सतभिसयाकुलोवकुलं अहाकुलोवकुलं अणुराधाकुलोवकुलं 4 // सूत्रं 37 // दसमस्स पाहुडस्स पंचमं पाहुडपाहुडं समत्तं // 10-5 // // अथ दशमप्राभृते षष्ठं प्राभूतप्राभृतम् // ता कहं ते पुरिणमासिणी अाहितेति वदेजा ?, तत्थ खलु इमायो बारस पुरिणमासिणीयो बारस अमावासायो पराणत्तायो, तंजहा-साविट्टी, पोट्ठवती श्रासोया कत्तिया मग्गसिरी पोसी माही फग्गुणी चेती विसाही जेट्ठामूली श्रासाढी 1 / ता साविट्ठिगणं पुराणमासिं कति णक्खत्ता जोएति ?, ता तिरिण णक्खत्ता जोइंति, तंजहा-अभिई सवणो धणिट्ठा 2 / ता पुट्ठवतीराणं पुरिणमं कति णक्खत्ता जोएंति ?, ता तिन्नि नक्खत्ता जोयंति, Page #406 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्यप्रज्ञप्तिसूत्रं : प्रा० 10 प्रा०६ ) [ 379 तंजहा-सतिभिसया पुव्वासाढवती उत्तरापुटवता 3 / ता श्रासोदिगणं पुरिणमं कति णक्खत्ता जोएंति ?, ता दोगिण णक्खत्ता जोएंति ?, तंजहा-रेवती य अस्सिणी य 4 / कत्तियराणं पुरिणम कति णक्खत्ता जोएंति ?, ता दोरिण णक्खत्ता जोएंति, तंजहा-भरणी कत्तिया य 5 / ता मागसिरीपुन्निमं कति णक्खत्ता जोएंति ?, ता दोगिण णक्खत्ता जोएंति तंजहा-रोहिणी मग्गसिरो य 6 / ता पोसिराणं पुरिणम कति णक्खत्ता जोएंति ?, ता तिरिण णक्खत्ता जोएंति, तंजहा-श्रद्दा पुणब्वसू पुस्सो 7 / ता माहिराणं पुरिणम कति गक्खत्ता जोएंति ?, ता दोगिण नक्खत्ता जोयंति, तंजहा-अस्सेसा महा य 8 | ता फग्गुणीगणं पुरिणमं कति णक्खत्ता जोएंति ?, ता दुन्नि नक्खत्ता जोएंति, तंजहा-पुव्वाफग्गुणी उत्तराफग्गुणी य 1 / ता वित्तिगणं पुरिणम कति णक्खत्ता जोएंति ?,ता दोगिण नक्खत्ता जोएंति, तंजहा-हत्थो चित्ता य 10 / ता विसाहिराणं पुगिणमं कति णक्खत्ता जोएंति ?, दोरिण णक्खत्ता जोएंति, तंजहा-साती विसाहा य 11 / ता जेट्ठामूलिराणं पुरिणमासिराणं कति गक्खत्ता जोएंति ?, ता तिनि णक्खत्ता जोयंति, तंजहा-अणुराहा जेट्टा मूलो 12 / श्रासादियणं पुरिणमं कति णक्खत्ता जोएंति ?, ता दो णक्खत्ता जोएंति, तंजहोपुव्वासाढा उत्तरासाढा 13 / / सूत्रं 38 // ता साविट्ठिरणं पुगिणमासिं णं किं कुलं जोएति उवकुलं जोएति, कुलोवकुलं जोएति ?, ता कुलं वा जोएति उपकुलं वा जोएति कुलोवकुलं वा जोएति, कुलं जोएमाणे धणिट्ठाणक्खत्ते जोएति उवकुलं जोएमाणे सवणे णक्खत्ते जोएति, कुलोवकुलं जोएमाणे, अभिईणक्खत्ते जोएति,साविढि पुरिणमं कुलं वा जोएति, उवकुलं वा जोएति कुलोवकुलं वा जोएति, कुलेण वा उवकुलेण वा कुलोवकुलेण वा जुत्ता साविट्ठी पुगिणमा जुत्तातिवत्तव्वं सिया १।ता पोट्ठवतिगणं पुरिणमं किं कुलं जोएति उबकुलं जोएति कुलोवकुलं वा जोएति?, ता कुलं वा जोएति उपकुलं Page #407 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 380 / / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभाग वा जोएति कुलोवकुलं वा जोएति, कुलं जोएमाणे उत्तरापोट्टवया णक्खत्ते जोएति, उपकुलं जोएमाणे पुवापुठ्ठवता णक्खत्ते जोएति, कुलोवकुलं जोएमाणे सतभिसया णक्खत्ते जोएति, पोळुवतिगणं पुरागामासिं णं कुलं वा जोएति उवकुलं वा जोएति कुलोवकुलं वा जोएति, कुलेण वा जुत्ता 3 पुट्ठवता पुरिणमा जुत्ताति वत्तत्वं सिया 2 / ता पासोई णं पुरिणमासिणिं किं कुलं जोएति उपकुलं जोएति कुलोवकुलं जोएति, णो लभति कुलोवकुलं, कुलं जोएमाणे अस्सिणीणक्खत्ते जोएति, उपकुलं जोएमाणे रेवतीणक्खत्ते जोएति, आसोई णं पुरिणमं च कुलं वा जोएति उवकुलं वा जोएति, कुलेण वा जुत्ता उपकुलेण वा जुत्ता अस्सोदिणी पुरािणमा जुत्तति वत्तव्वं सिया 3 // एवं गोतव्वायो जाव प्रासादीपुन्निमा जुत्तति वत्तव्वं सिया 4 / पोसं पुरिणमं जेट्टामूलं पुरिणमं च कुलोवकुलंपि जोएति, अवसेसासु णत्थि कुलोवकुलं 5 / ता साविढेि णं अमावासं कति णक्खत्ता जोएंति ? दुन्नि नक्खत्ता जोएंति, तंजहा-अस्सेसा य महा य 6 / एवं एतेणं अभिलावेणं णेतव्वं, पोट्ठवतं दो णक्खत्ता जोएंति, तंजहा-पुव्वाफग्गुणी उत्तरा. फग्गुणी, अस्सोई हत्थो चित्ता य, कत्तियं साती विसाहा य, मग्गसिरं अणुराधा जेट्टामूलो, पोसिं पुव्वासादा उत्तरासादा, माहिं अभीयी सवणो धणिट्ठा, फग्गुणी सतभिसया पुवपोट्ठवता उत्तरापोट्टवता, चेत्तिं रेवती अस्सिणी, विसाहिं भरणी कत्तिया य, जेट्ठामूलं रोहिणी मगसिरं च 7 / ता श्रासादि णं अमावासिं कति णक्खत्ता जोएंति ?, ता तिगिण णक्खत्ता जोएंति, तंजहा-श्रद्दा पुणव्वसू पुस्सो 8 / ता साविढि णं अमावासं किं कुलं वा जोएति उवकुलं वा जोएति कुलोवकुलं वा जोएइ ?, कुलं वा जोएइ उवकुलं वा जोएइ नो लब्भइ कुलोवकुलं, कुलं जोएमाणे महाणक्खत्ते जोएति, उपकुलं वा जोएमाणे असिलेसा जोएइ, कुलेण वा जुत्ता उवकुलेण वा जुत्ता साविट्ठी अमावासा जुत्ताति वत्तव्वं सिया, एवं Page #408 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीत्सर्यप्रज्ञप्ति सूत्रं :: प्रा० 10 प्रा० 7-8 ] / 381 णेतव्वं 1 / णवरं मग्गसिराए माहीए फग्गुणीए श्रासाढीए य श्रमावासाए कुलोवकुलंपि जोएति, सेसेसु णत्थि 10 // सू० 31 // दसमस्स पाहुडस्स छ8 पाहुडपाहुडं समत्तं // 10-6 // - // अथ दशमप्राभृते सप्तमं प्राभृतप्रामृतम् // ___ता कहं ते सगिणवाते श्राहितेति वदेजा ?, ता जया णं साविट्टीपुगिणमा भवति तता णं माही अमावासा भवति, जया णं माही पुरिणमा भवति तता णं साविट्ठी अमावासा भवति 1 / जता णं पुटवती पुरिणमा भवति तता णं फग्गुणी अमावासा भवति, जया णं फग्गुणी पुरिणमा भवति तता णं पुटुवती अमावासा भवति 2 / जया णं श्रासोई पुरिणमा भवति तता णं चेत्ती अमावासा भवति, जया णं चित्ती पुरिणमा भवति तया णं श्रासोई अमावासा भवति 3 / जया णं कत्तियी पुगिणमा भवति तता णं वेसाही श्रमावासा भवति, जता णं वेसाही पुरिणमा भवति तता णं कत्तिया अमावासा भवति 4 / जया णं मग्गसिरी पुगिणमा भवति तता णं जेट्टामूले थमावासा भवति, जता णं जेट्ठामूले पुरिणमा भवति तता णं मग्गसिरी श्रमावासा भवति 5 / जता णं पोसी पुरिणमा भवति तता णं यासाढी श्रमावासा भवति, जता णं श्रासाढी पुगिणमा भवति तता णं पोसी श्रमावासा भवति 6 // सूत्र 40 // दसमस्स पाहुडस्स सत्तम पाहुडपाहुडं समत्तं // 10-7 // // अथ दशमप्राभृते अष्टमं प्राभृतप्राभृतम् // ___ता कहं ते नक्खत्तसंठिती श्राहितेति वदेजा ?, ता एएसि णं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं अभीयी णं णक्खत्ते किं संठिते पराणत्ते ?, गोयमा ! गोसीसावलिसठिते पण्णत्ते 1 / सवणे णक्खत्ते किंसंठिते पराणते ?, काहारसंठिते पराणत्ते 2 / धणिट्ठाणक्खत्ते किसंठिते पराणत्ते ?, सउणिपली. Page #409 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 382 ] . [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः णगसंठिते पराणत्ते 3 / सयभिसयाणक्खत्ते किंसंठिते परागात्ते ?, पुप्फोवयारसंठिते पराणत्ते 4 / पुवापोट्टवताणक्खत्ते किसंठिने पराणत्ते ?, अवड्डवाक्सिंठिते पराणत्ते 5 / एवं उत्तरावि 6 / रेवतीणवखत्ते किंसंठिते पराणते ?, णावासंठिते पराणत्ते 6 / अस्सिणीणक्खत्ते किंसंठिते पराणते ?, श्रासक्खंधसेंठिते पराणत्ते 7 / भरणीणक्खत्ते किसंठिते परांणते ?, भगसंठिए पराणत्ते 8 / कत्तियाणक्खत्ते किंसंठिते पराणत्ते ?, छुरघरगसंठिते पराणत्ते 1 / रोहिणीणक्खत्ते ? किसंठिते पराणते ?, सगडंडिसंठिते पराणत्ते 10 / मिगसिराणक्खत्ते किंसंठिते पराणते ?, मगसीसावलिसंठिते पराणत्ते 11 / अहाणक्खत्ते किंसंठिते पराणत्ते ?, रुधिरबिंदुसंठिए पराणत्ते 12 / पुणव्वसू गावखत्ते किंसंठिते पराणते ?, तुलासंठिएं पराणत्ते 13 / पुप्फे णक्खत्ते किंसंठिते पराणते ?, वद्धमाणसंठिए पराणत्ते 14 / अस्सेसाणक्खत्ते किसटिए पराणते ?, पडागसंठिए पराणत्ते 15 / महाणक्खत्ते किसंठिए पराणते ?, पागारसंठिते पराणत्ते 16 / पुव्वाफग्गुणीणक्खत्ते किंसंठिए पराणत्ते, श्रद्धपलियंकसंठिते पराणत्ते 17 / एवं उत्तरावि 18 / हत्थे णक्खत्ते किंसंठिते पराणते ?, हत्थसंठिते पराणत्ते 11 / ता चित्ताणक्खत्ते किंसंठिते पराणत्ते?, मुहफुल्लसंठिते पराणत्ते 20 / सातीणक्खत्ते किंसंठिते पराणत्ते ?; खीलगसंठिते पन्नत्ते 21 / विसाहाणखत्ते किंसंठिए पराणते ?, दामणिसंठिते पराणत्ते 22 / अनुराधाणक्खत्ते किंसंठिते परणत्ते ?, एगावलिसंठिते पराणत्ते 23 / जेट्ठानक्खत्ते किंसंठिते पराणते ?, गयदंतसंठिते पराणत्ते 24 / मूले णक्खत्ते किंसंठिते पराणत्ते?, विच्छुयलंगोलसंठिते पराणत्ते 25 / पुव्वासाह्मणक्खते किंसंठिए :पराणते ?, गयविकमसंठिते पराणत्ते 26 / उत्तरासादाणक्खत्ते किंसंठिए पराणत्ते ?, सीहनिसाइयसंठिते पराणत्ते 27 // सूत्रं 41 // दसमस्स अट्ठमं पाहुडपाहुडं समत्तं // 10-8 // . Page #410 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्सूर्यप्रज्ञप्ति सूत्रं : प्रा० 10 प्रा० 9 ) [ 383 // अथ दशमप्राभते नवमं प्राभूतप्राभतम् // ता कहं ते तारग्गे अाहितेति वदेजा ?, ता एतेसि णं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं अभीईणक्खत्ते कतितारे पराणत्ते ?, तितारे पराणत्ते 1 / सवणे. णखत्ते कतितारे पराणते ?, तितारे पराणत्ते 2 / धनिट्ठाणक्खत्ते कतितारे पराणते ?, पणतारे पराणत्ते 3 / सतभिसयाणक्खत्ते कतितारे पराणत्ते ?, सततारे पराणत्ते 4 / पुव्वापोट्टवता कतितारे पराणत्ते ?, दुतारे पराणत्ते 5 / एवं उत्तरावि.६ / रेवतीणक्खत्ते कतितारे पराणते ?, बत्तीसतितारे पराणत्ते। अस्सिणीणक्खत्ते कतितारे पराणते ?, तितारे पराणत्ते 8 / एवं सव्वे पुच्छिज्जंति, भरणी तितारे पराणत्ते 1 / कत्तिया छतारे पराणते 10 / रोहिणी पंचतारे पराणत्ते 11 / सवणे तितारे पराणत्ते 12 / श्रद्दा एगतारे पराणत्ते 13 // पुणव्वसू पंचतारे पराणत्ते 14 / पुस्से णक्खत्ते तितारे पराणत्ते 15 / अस्सेसा छत्तारे पन्नत्ते 16 / महासत्ततारे पराणत्ते 17 / पुवाफग्गुणी दुतारे पन्नत्ते 18 / एवं उत्तरावि 11 / हत्थे पंचतारे पराणत्ते 20 / चित्ता एकतारे पराणत्ते 21 / साती एकतारे पराणत्ते 22 / विसाहा पंचतारे पराणत्ते 23 / अणुराहा पंचतारे पराणत्ते 24 / जेट्ठा तितारे परागात्ते 25 / मूले एगतारे पराणत्ते 26 / पुव्वासादा चउत्तारे पराणत्ते 27 / उतरासाढाणक्खत्ते चउतारे पराणत्ते 28 // सूत्रं 42 // दसमस्स पाहुडस्स नवमं पाहुडपाहुडं समत्तं // 10 // // अथ दशमप्राभते दशमं प्राभृतप्राभतम् // ता कहं ते णेता आहितेति वदेजा ?, ता वासाणं पढमं मासं कति णवखत्ता णति ?, ता चत्तारि णक्खत्ता णिति, तंजहा-उत्तरासाढा अभिई सवणो धणिट्ठा, उत्तरासाढा चोदस अहोरत्ते णेति, अभिई सत्त अहोरत्ते णेति, सवणे अट्ठ अहोरत्ते णेति धणिट्ठा एगं अहोरत्तं नेइ, तंसि णं मासंसि चउरंगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरियट्टति, तस्स णं मासस्स चरिमे दिवसे दो पादाई चत्तारि य अंगुलाणि पोरिसी भवति 1 / ता Page #411 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 384 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः सप्तमो विभागः वासाणं दोच्चं मासं कति णक्खत्ता गोंति ?, ता चत्तारि णक्खत्ता णेति, तंजहा-धणिट्ठा सतभिसया पुलपुट्ठवता उतरपोट्टवया, धणिट्ठा चोदस अहोरत्ते णेति, सयभिसया सत्त अहोरत्ते णेति, पुव्वाभवया अट्ठ अहोरत्ते इ, उत्तरापोट्ठवता एगं ग्रहोरत्तं णेति, तंसि णं मासंसि अटुंगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरियट्टति, तस्स णं मासस्स चरिमे दिवसे दो पादाई ? अंगुलाई पोरिसी भवति 2 / ता वासाणं ततियं मासं कति णक्खत्ता णेति ?, ता तिरािण णक्खत्ता णिति, तंजहा-उत्तरपोट्टवता रेवती अस्सिणी, उत्तरापोट्टवता चोदस अहोरत्ते णेति, रेवती पराणस अहोरत्ते णेति, अस्सिणी एगं अहोरत्तं णेइ, तंसिं च णं मासंसि दुवालसंगुलाए पोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरियट्टति, तस्स णं मासस्स चरिमदिवसे लेहत्थाई तिरिण पदाइं पोरिसी भवति 3 / ता वासाणं चउत्थं मासं कति णक्खत्ता णेंति ?, ता तिनि नक्खत्ता णति, तंजहा-अस्सिणी भरणी कत्तिया, अस्सिणी चउद्दस अहोरत्ते णेइ, भरणी पन्नरस अहोरत्ते गोइ, कत्तिया एगं अहोरत्तं णेइ, तंसिं च णं मासंसि सोलसंगुला पोरिसी छायाए सूरिए अणुपरियट्टइ, तस्स णं मासस्स चरिमे दिवसे तिन्नि पयाइं चत्तारि अंगुलाई पोरिसी भवइ 4 / ता हेमंताणं पढमं मासं कइ गक्खत्ता ऐति ?, ता तिरािण णक्खत्ता गति, तंजहा-कत्तिया रोहिणी संगणा, कत्तिया चोदस अहोरत्ते णेति, रोहिणी पन्नरस अहोरत्ते णेति, संठाणा एगं अहोरत्तं ति, तंसि च णं मासंसि वीसंगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरियट्टति, तस्स णं मासस्स चरिमे दिवसे तिगिण पदाइं अट्ठ अंगुलाई पोरिसी भवति 5 / ता हेमंताणं दोच्चं मासं कति णक्खत्ता ऐति ?, चत्तारि णक्खत्ता णेंति, तंजहा-संाणा अदा पुणव्वसू पुस्सो, संठाणा चोद्दस अहोरत्ते णेति, अहा सत्त अहोरते णेति, पुणव्वसू अट्ठ अहोरत्ते णेति, पुस्से एगं अहोरत्तं ति, तंसि च णं मासंसि चउवीसंगुलापोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरियट्टति, तस्स णं Page #412 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्रम् : प्रा० 10 प्रा० प्रा० 10 ] [ 385 मासस्त चरिमे दिवसे लेहटाणि चत्तारि पदाई पोरिसी भवति 6 / ता हेमंताणं ततियं मासं कति गक्खत्ता णेति ?, ता तिरिण गाक्खत्ता गति, तंजहा-पुस्से अस्सेसा महा, पुस्से चोदस अहोरत्ते णेति, अस्सेसा पंचदस अहोरते णेति, महा एगं अहोरत्त णेति, तंसि च णं मासंसि वीसंगुलाए पोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरियट्टति, तस्स णं मासस्स चरिमे दिवसे तिरिण पदाइं अट्ठ गुलाई पोरिसी भवति 7 / ता हेमंताणं चउत्थं मासं कति णखता ऐति ?, ता तिरिण नक्खत्ता ऐति, तंजहा-महा पुन्वफग्गुणी उत्तराफग्गुणी, महा चोदस अहोरते णेति, पुव्वाफग्गुणी पनरस अहोरत्ते णेति, उत्तराफग्गुणी एगं अहोरत्तणेति, तसिं च णं मासंसि सोलस अंगुलाई पोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरियट्टति, तस्स णं मासस्स चरिमे दिवसे तिरिण पदाई चत्तारि अंगुलाई पोरिसी भवति 8 | ता गिम्हाणं पढमं मासं कति णक्खत्ता ऐति ?, ता तिनि खत्ता ऐति, तंजहाउत्तराफग्गुणी हत्थो चित्ता, उत्तराफग्गुणी चोदस अहोरते णेति, हत्थो पराणरस अहोरत्ते णेति, चित्ता एगं अहोरत्तं णेइ, तंसि च णं मासंसि दुवालअंगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरियट्टति, तस्स णं मासस्स चरिमे दिवसे लेहटाइ य तिरिण पदाई पोरिसी भवति 1 / ता गिम्हाणं बितियं मासं कति णक्खत्ता णेति ?, ता तिरिण णक्खत्ता णेंति, तंजहाचित्ता साई विसाहा, चित्ता चोदस अहोरत्ते णेति, साती पराणरस अहोरत्ते णेति, विसाहा एगं अहोरत्तं णेति, तंसि च णं मासंसि अट्ठगुलाए पोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरियट्टति, तस्स णं मासस्स चरिमे दिवसे दो पदाई अट्ट अंगुलाई पोरिसी भवति 10 / गिम्हाणं ततियं मासं कति णक्खत्ता णेति ?, ता ति णक्खत्ता ऐति, तंजहा-विसाहा अणुराधा जेट्टामूलो, विसाहा चोदस अहोरत्ते णेंति, अणुराधा अट्ट (सत्त) (पणरस), जेट्टामूलं एग अहोरत्तं णेति, तसि च णं मासंसि चउरंगुलपोरिसीए छायाए सूरिए 46 Page #413 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 386 / | श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः अणुपरियट्टति, तस्स णं मासस्स चरिमे दिवसे दो पादाणि य चत्तारि अंगुलाणि पोरिसी भवति 11 / ता गिम्हाणं घउत्थं मासं कति णक्खत्ता णेति ?, ता तिरिण णखत्ता णेति, तंजहा-मूलो पुव्वासाढा उत्तरासाढा, मूलो चोइस अहोरत्ते णेति, पुव्वासादा पराणरस अहोरत्ते णेति, उत्तरासादा एगं अहोरत्तं णेइ, तंसि च णं मासंसि वट्टाए समचउरंससंठिताए णग्गोधपरिमंडलाए सकायमणुरंगिणीए छायाए सूरिए अणुपरियट्टति, तस्स णं मासस्स चरिमे दिवसे लेहट्ठाइं दो पदाई पोरिसीए भवति 12 // सूत्रं 43 // दसमस्स पाहुडस्स दसमं पाहुडपाहुडं समत्तं // 10-10 // // अथ दशमप्राभृते एकादशमं प्राभृतप्राभृतम् // . ता कहं ते चंदमग्गा अाहितेति वदेजा ?, ता एएसि णं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं अत्थि णक्खत्ता जे णं सता चंदस्स दाहिणेणं जोनं जोएंति, अस्थि णक्खत्ता जे णं सता चंदस्स उत्तरेणं जोयं जोयंति, अस्थि णक्खत्ता जे णं चंदस्स दाहिणेणवि उत्तरेणवि पमद्दपि जोयं जोएंति, अस्थि णक्खत्ता जे णं चंदस्स दाहिणेणवि पमद्दपि जोयं जोएंति, अत्थि गाक्खत्ता जे णं चंदस्स सदा पमह जो जोएंति 1 / ता एएसि णं अट्ठावीसाए नक्खत्ताणं कतरे नक्खत्ता जे णं सता चंदस्स दाहिणेगां जोयं जोएंति ? तहेव जाव कतरे नक्खत्ता जे णं सदा चंदस्स पमह जोयं जोएंति ?, ता एतेसि णं अट्ठावीसाए नक्खत्ताणं तत्थ जे णं नक्खत्ता सया चंदस्स दाहिणेण जोयं जोएंति ते णं छ, तंजहा-संगणा श्रद्दा पुस्सो अस्सेसा हत्थो मूलो 2 / तत्थ जे ते णक्खत्ता जे णं सदा चंदस्स उत्तरेणं जोयं जोएंति, ते गां बारस, तंजहा-अभिई सवणो धणिट्ठा सतभिसया पुव्वभवया उत्तरापोट्ठवता रेवती अस्सिणी भरणी पुवाफग्गुणी उत्तराफग्गुणी साती 12, 3 / तत्थ जे ते णक्खना जे णं चंदस्स दाहिणेणवि उत्तरेणवि पमद्दपि जोयं जोएंति ते णं Page #414 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्यनज्ञप्तिसूत्रं : प्रा० 10 प्रा०प्रा० 11 ] [ 387 सत्त, तंजहा-कत्तिया रोहिणी पुणव्वसू महा चित्ता विसाहा अणुराहा 4 / तत्थ जे ते नवखत्ता जे णं चंदस्स दाहिणेणवि पमपि जोयं जोएंति तायो णं दो श्रासादाश्रो सम्बबाहिरे मंडले जोयं जोएंसु वा जोएंति वा जोएस्संति वा 5 / तत्थ जे ते णक्खत्ते में णं सदा चंदस्स पमह जोयं जोएंति, सा णं एगा जेट्ठा 6 // सूत्रं 44 // ता कति ते चंदमंडला पराणत्ता ?, ता पराणरस चंदमंडला पराणत्ता 1 / ता एएसि णं पराणरसराहं चंदमंडलाणं अस्थि चंदमंडला जे णं सया णक्खत्तेहिं अविरहिया, अत्थि चंदमंडला जे णं सया मक्खत्तेहिं विरहिया, अस्थि चंदमंडला जे णं रविससिणक्खत्ताणं सामण्णा भवंति, अत्थि चंदमंडला जे णं सया श्रादिच्चेहि विरहिया 24 ता एतेसि णं पराणरसरहं चंदमंडलाणं कयरे चंदमंडला जे णं सता णक्खत्तेहिं अविरहिया, जाव कयरे चंदमंडला जे णं सदा श्रादिचविरहिता ?, ता एतेसि णं पराणरसगहं चंदमंडलाणं तत्थजे ते चंदमंडला जे णं सदा णक्खत्तेहिं अविरहिता ते णं अट्ठ, तंजहा-पढमे चंदमंडले ततिए चंदमंडले छट्टे चंदमंडले सत्तमे चंदमंडले अट्ठमे चंदमंडले दसमे चंदमंडले एकादसे चंदमंडले पराणरसमे चंदमंडले 3 / तत्थ जे ते चंदमंडला जे णं सदा णक्खत्तेहिं विरहिया ते णं सत्त, तंजहा-बितिए चंदमंडले चउत्थे चंदमंडले पंचमे चंदमंडले नवमे चंदमंडले बारसमे चंदमंडले तेरसमे चंदमंडले चउद्दसमे चंदमंडले 4 / तस्थ जे ते चंदमंडले जे णं ससिरविनक्खत्ताणं समाणा भवंति, ते णं चत्तारि, तंजहा-पढमे चंदमंडले बीए चंदमंडले इक्कारसमे चंदमंडले पन्नरसमे चंदमंडले 5 / तत्थ जे ले चंदमंडला जे णं सदा श्रादिवविरहिता ते णं पंच, तंजहा- छठे चंदमंडले सत्तमे चंदमंडले अट्ठमे चंदमंडले नवमे चंदमंडले दसमे चंदमंडले 6 // सूत्रं 45 // दसमस्स एकारसमं पाहुडपाहुडं समर्त्त // 10-11 // Page #415 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 388 ] ' [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः सप्तमो विभागः // अथ दशमप्राभृते द्वादशं प्राभृतप्राभृतम् // ता कहं ते देवताणं अज्झयाणा बाहिताति वदेजा ?, ता एएणं अट्ठावीसाए नक्खत्ताणं अभिई णक्खत्ते किंदेवताए परणत्ते ?, बंभदेवयाए पराणत्ते 1 / सवणे णक्खत्ते किंदेवयाए पन्नत्ते ?, ता विराहुदेवयाए पराणत्ते 2 / धणिट्ठाणक्खत्ते किंदेवताए पराणत्ते ?, ता वसुदेवयाए पराणत्ते 3 / सयभिसयानवखत्ते किंदेवयाए पराणते ?, ता वरुणदेवयाए पराणत्ते 4 / पुब्धपोट्टवया नक्खत्ते किंदेवताए पराणत्ते ? ता अजदेवयाए पराणत्ते 5 / उत्तरापोट्टवयानवखत्ते किंदेवयाए पराणत्ते ?, ता श्रहिवड्डिदेवताए पराणत्ते 6 / एवं सव्वेवि पुच्छिज्जति, रेवती पुस्सदेवता, अस्सिणी अस्सदेवता, भरणी जमदेवता, कत्तिया अग्गिदेवता, रोहिणी पयावइदेवया, सट्टाणा सोमदेवयाए, अद्दा रद्ददेवयाए, पुणव्वसू अदितिदेवयाए, पुस्सो वहस्सइदेवयाए, अस्सेसा सप्पदेवयाए, महा पितिदेवताए, पुव्वाफग्गुणी भगदेवयाए, उत्तराफग्गुणी अजमदेवताए, हत्थे सवियादेवताए चित्ता तट्टदेवताए साती वायुदेवताए विसाहा इंदग्गीदेवयाए अणुराहा मित्तदेवताए जेट्ठा इंददेवताए, मूने णिरितिदेवताए, पुवासादा पाउदेवताए, उत्तरासादा विस्सदेवयाए पराणत्ते 7 // सूत्रं 46 // दसमस्स बारसमं पाहुडपाहुडं समत्तं // 10-12 // -- // अथ दशमप्राभृते त्रयोदशं प्राभृतप्रामृतम् // . ता कहं ते मुहुत्ताणं नामधेजा आहिताति वदेजा ?, ता एगमेगस्स णं अहोरत्तस्स तीसं मुहुत्ता पराणत्ता, तंजहा-"रोहे सेते मित्ते, वायु सुगीए (पी) त अभिचंदे / महिंद बलवं बंभो, बहुसच्चे चेव ईसाणे // 1 // त? य भावियप्पा वेसमणे वरुणे य पाणंदे / विजए य वीससेणे पायावच्चे चेव उवसमे य // 2 // गंधव्व अग्गिवेसे सयरिसहे पायवं च श्रममे य। अणवं Page #416 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत् सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्रम् :: प्रा० 10 प्रा०प्रा० 14-15 / [ 389 व भोम रिसहे सब? रक्खसे चेव // 3 // सूत्रं 47 // दसमस्स पाहुडस्स तेरसमं पाहुडपाहुडं समत्तं // 10-13 // // अथ दशमप्राभते चतुर्दशं प्राभृतप्राभृतम् // ता कहं ते दिवसा ग्राहियत्ति वइजा ?, ता एगमेगस्स णं पक्खस्स पनरस पनरस दिवसा पराणत्ता, तनहा-पडिवादिवसे वितियदिवसे जाव पराणरसे दिवसे 1 / ता एतेसि मां परणरसराहं दिवसाणं पन्नरस नामधेजा पराणत्ता, तंजहा-पुव्वंगे सिद्धमणोरमे य तत्तो मणोहरो चेव / जसभद्दे य जसोधर सव्वकामसमिद्धेति य // 1 // इंदे मुद्धाभिसित्ते य सोमणस धणंजए य बोद्धव्वे / अत्थसिद्धे अभिजाते अचासणे य सतंजए // 2 // अग्गिवेसे उसमे दिवसाणं नामधेजाई 2 / ता कहं ते रातीमो श्राहिताति वदेजा ?, ता एगमेगस्स णं पक्खस्स पराणरस राईयो पराणत्तायो, तंजहा-पडिवाराई बिदियाराई जाव पराणरसा राई 3 / ता एतासि णं परामरसराहं राईणं पराणरस नामधेजा पराणत्ता, तंजहा-उत्तमा य सुणखत्ता, एलावच्चा जसोधरा। सोमणसा चेव तथा सिरिसंभूता य बोद्धव्वा // 1 // विजया य वेजयंती जयंति अपराजिया य गच्छा य / समाहारा चेव तधा तेया य तहा य अतितेया // 1 // देवाणंदा निरती रयणीणं णामधेजाई 4 // सूत्रं 48 // दसमस्स पाहुडस्स चउद्दसमं पाहुडपाहुडं समत्तं // 10-14 // // अथ दशमप्राभृते पञ्चदशं प्रामतप्राभृतम् // ता कहं ते तिही श्राहितेति वदेजा ?, तत्थ खलु इमा दुविहा तिही पराणत्ता, तंजहा-दिवसतिही राईतिही य 1 / ता कहं ते दिवसतिही आहितेति वदेजा ?, ता एगमेगस्स णं पक्खस्स पसारस 2 दिवसतिही पराणत्ता, तंजहा-शंदे भद्दे जए तुच्छे पुराणे पक्खस्स पंचमी पुणरवि णंदे Page #417 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खत्ते किंगोमा , ता एतेसि 360 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : सप्तमो विभागा भद्दे जए तुच्छे पुराणे पक्खस्स दसमी पुणरवि णदे भद्दे जये तुच्छे पुराणे पक्खस्स पाणरस, एवं ते तिगुणा तिहीयो सव्वेसि दिवसाणं 2 / कहं ते राईतिधी अाहितेति वदेजा ?, एगमेगस्स णं पक्खस्स पराणरस रातितिधी पराणत्ता, तंजहा-उग्गवती भोगवती जसवती सव्वसिद्धा सुहणामा पुणरवि उग्गवती भोगवती जसवती सव्वसिद्धा सुहणामा पुणरवि उग्गवती भोगवती जसवती सव्वसिद्धा सुहणामा, एते तिगुणा तिहीयो सव्वासि रातीणं 3 / / सू०४६ // दसमस्स पाहुडस्स पराणरसमं पाहुडपाहुडं समत्तं // 10-15 // // अथ दशमप्राभते षोडशं प्राभृतप्राभृतम् // .ता कहं ते गोत्ता प्राहिताति वदेजा ?, ता एतेसि णं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं अभियी णक्खत्ते किंगोत्ते पराणत्ते ?, ता मोग्गल्लायणसगोत्ते पराणत्ते 1 / सवणे णक्खत्ते किंगोत्ते पराणते ?, संखायणसगोत्ते पराणत्ते 2 / धणिट्ठाणक्खत्ते किंगोत्ते पराणत्ते ?, अग्गितावसगोत्ते पराणत्ते 3 / सतभिसयाणक्खत्ते किंगोत्ते पराणत्ते ?, कराणलो(कल्लो,यणसगोत्ते पराणते 4 / पुवापोट्ठवताणक्खत्ते किंगोत्ते पराणत्ते ?. जोउकरिणयसंगोत्ते पराणत्ते 5 / उत्तरापोट्ठवताणक्खत्ते किंगोत्ते पराणत्ते ?, धणंजरसगोत्ते पराणत्ते 6 / रेवतीणक्खत्ते किंगोत्ते पराणत्ते? पुस्सायणसगोत्ते पराणत्ते७। अस्सिणीनक्खत्ते किंगोत्ते पराणते ?, अस्सादणसगोत्ते पराणत्ते / भरणीणखत्ते किंगोत्ते पराणते ?, भग्गवेससगोत्ते पराणत्ते 1 / कत्तियाणक्खत्ते किंगोत्ते पराणते ?, अग्गिवेससगोत्ते परायत्ते 10 / रोहिणीणखत्ते किंगोत्ते पराणत्ते ?, गोतमगोचे पराणत्ते 11 / संठाणाणक्खत्ते. किंगोत्ते पराणत्ते ?, भारहायसगोत्ते पराणत्ते 12 / अदाणक्खत्ते किंगोत्ते पराणते ?, लोहिचायणसगोत्ते पराणत्ते 13 / पुणव्वसूणक्खत्ते किंगोत्ते पगणत्ते ?, वासिठ्ठ सगोत्ते पराणत्ते 14 / पुस्से णक्खत्ते किंगोत्ते पराणते ?, उज्जायणसगोत्ते पराणत्ते Page #418 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्रं : प्रा० 10 प्रा० प्रा० 17 / [ 361 पराणत्ते 15 / अम्सेमाणक्खत्ते किंगोत्ते पराणत्ने, मंडव्वायणसगोत्ते पराणत्ते 16 / महाणखत्ते किंगोते पराणते ?, पिंगायणसगोत्ते पराणत्ते 17 / पुवाफग्गुणीणक्खत्ते किंगोत्ते पराणते ?, गोवल्लायणसगोत्ते पराणत्ते 18 / उतराफग्गुणीणक्खत्ते किंगोत्ते पराणते ?, कासवगोत्ते पगणत्ते 11 / हत्थेणखत्ते किंगोत्ने पराणते ?, कोसियगोत्ते पराणत्ते 20 / चित्ताणक्खत्ते किंगोत्ते पराणत्ते ? दभियाणस्सगोत्ते पराणत्ते 21 / साईणक्खत्ते किंगोत्ते पराणत्ते?, चाम(भाग)रछगोत्ते पराणत्ते 22 / विसाहाणक्खत्ते किंगोत्ते पराणत्ते?, सुगायणसगोत्ते पराणत्ते 23 / अणुराधाणक्खत्ते किंगोत्ते पगणते ?, गोलवायणसगोत्ते पराणत्ते 24 / जेट्टानक्खत्ते किंगोत्ते पराणते ?, तिगिच्छायणसगोत्ते पराणत्ते 25 / मूलेगक्खत्ते किंगोत्ते पराणते ?, कचायणसगोत्ते पराणत्ते 26 / पुवासादानक्खत्ते किंगोत्ते पराणते ?, वज्झियायणसगोत्ते पराणत्ते 27 / उत्तरासादाणक्खत्ते किंगोत्ते पराणते ?, वग्यावच्चसगोत्ते पराणत्ते 28 / / सूत्रं 50 // दसमस्स पाहुडस्स सोलसमं पाहुडपाहुडं समत्तं // 10-16 // ... // अथ दशमप्राभृते सप्तदशं प्राभृतप्राभृतम् // ता कहं ते भोयणा श्राहिताति वदेजा ?, ता एएसि णं अट्ठावीसाए णं णक्खत्ताणं कत्तियाहिं दधिणा भोचा कज्जं साधिति, रोहिणीहिं वसभमंसं भोचा कज्जं साधेति, संगणाहिं मिगमसं भोचा कज्जं साधिति, पदाहिं णवणीतेण भोचा कज्ज साधेति, पुणव्वसुणाऽथ घतेण भोचा कज्ज साति, पुस्सेणं खीरेण भोचा कज्ज साधेति, अस्सेसाए दीवगमंसं भोचा कज्जं साधेति, महाहिं कसोति(कसरिं) भोचा कज्जं साधेति, पुव्वाहिं फग्गुणीहिं मेढकमंसं भोच्चा कज्ज साधेति, उत्तराहिं फग्गुणीहि णक्खी(भी)मंसं भोचा कज्जं साधेति, हत्थेण वत्थाणीएण(यन्नं) भोचा कज्जं साधेति, चित्ताहिं मुग्गसूवेणं भोचा कज्ज Page #419 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 362 ] - [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभाग सांधेति, सादिणा फलाई भोचा कज्जं साधेति, विसाहाहिं पासित्ति(नसि)यात्रो भोचा कज्ज साधेति, अणुराहाहिं मिस्सकूर भोचा कज्ज साधेति, जेंटाहिं लट्ठिएणं भोचा कज्जं साधेति, मूलेणं मूलापन्नेणं भोचा कर्ज साधेति, पुब्बाहि श्रासादाहिं श्रामलग(मालव)सरीरे भोचा कज्जं साधेति, उत्तराहिं प्रासादाहिं बलेहिं भोचा. कज्जं साधेति, अभीयिणा पुप्फेहिं भोचा कज्ज साधेति, सवणेणं खीरेणं भोच्चा कज्ज साधेति, धणिट्ठाहिं जूसेण भोचा कज साधेति, सयभिसयाए तुवरीओ भोच्चा कज्जं साधेति, पुव्वाहि पुट्ठवयाहि कारिल्लएहिं भुच्चा कज्जं साधेति, उत्तराहिं पुटुवताहिं वराहमंसं भोचा कज्जं साधेति, रवेतीहिं जलयरमंसं भोच्चा कज्ज साधेति, अस्सिणीहिं तित्तिरमंसं भोच्चा कज्ज साधेति वट्टकमसं वा, भरणीहि तलं तंदुलकं भोच्चा 17: कज्जं साधेति // सूत्रं 51 // दसमस्त पाहुडस्त सत्तरसमं पाहुडपाहुडं समत्त // 10-17 // ... 9 // अथ दशमप्राभृते अष्टादशं प्राभतप्राभृतम् // ___ता कहं ते चारा आहिताति वदेजा ?, तत्थ खनु इमा दुविहा चारा पराणत्ता, तंजहा-श्रादिचचारा य चन्दचारा य 1 ।ता कहं तें चंदचारा पाहि. तेति वदेजा ?, ता पंचसंवच्छरिएणं जुगे, अभीइणक्खत्ते सत्तमट्टिचारे चंदेण सद्धिं जोयं जोएति, सवणे णं णक्खत्ते सत्तढेि चारे चंदेण सद्धिं जोयं जोएति, एवं जाव उत्तरासादाणक्खत्ते सत्तट्टिचारे चंदेणं सद्धिं जोयं जोएति 2 / ता कहं ते श्राइचचारा अाहितेति वदेजा ?, ता पंचसंवच्छरिए णं जुगे, अभीयीणक्खत्ते पंचचारे सूरेण. सद्धि जोयं जोएति, एवं जाव उत्तरासाढाणखत्ते पंचचारे सूरेण सद्धि जोयं जोएति 3 // सूत्रं 52 // दसमस्स पाहुडस्स अट्ठारसमं पाहुडपाहुडं समत्त // 10-18 // Page #420 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत् सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्रं : प्रा० 10 प्रा०प्रा० 20 ] [ 363 // अथ दशमप्राभृते एकोनविशतितमं प्रामतप्राभृतम् // ता कहं ते मासा आहिताति वदेजा ?, ता एगमेगस्स णं संवच्छरस्स बारस मासा पराणत्ता, तेसिं च दुविहा नामधेजा पराणत्ता, तंजहालोइया लोउत्तरिया य 1 / तत्थ लोइया णामा सावणे भवते श्रासोए जाव श्रासाढे, लोउत्तरिया णामा-अभिणंदे सुपइट्टेय, विजये पीतिवद्धणे / सेज्जंसे य सिवे यावि, सिसिरेवि य हेमवं // 1 // नवमे वसंतमासे, दसमे कुसुमसंभवे / एकादसमे णिदाहो, वणविरोही य बारसे // 2 // 2 // सूत्रं 53 // दसमस्स पाहुडस्स एगूणवीशतितमं पाहुडपाहुडं समत्तं // 10-11 // // अथ दशमप्राभते विंशतितमं प्राभृतप्राभतम् // ___ता कति णं भंते ! संवच्छरे श्राहिताति वदेज्जा ?, ता पंच संवच्छरा थाहितेति वदेजा, तंजहा–णक्खत्तसंवच्छरे जुगसंवच्छरे पमाणसंवच्छरे लक्खणसंवच्छरे सणिच्छरसंवच्छरे // सूत्रं 54 // ता णक्खत्तसंवच्छरे णं दुवालसविहे पराणत्ते, सावणे भदवए जाव श्रासाढे, जं वा बहस्सतीमहग्गहे दुवालसहिं संवच्छरेहिं सव्वं णक्खत्तमंडलं समाणेति // सूत्रं 55 // ता जुगसंवच्छरे णं पंचविहे पराणत्ते, तंजहा-चंदे चंदे अभिवडिए चंदे अभिवड्डिए चेव 1 / ता पढमस्स णं चंदस्स संवच्छरस्स चउवीसं पव्वा पराणत्ता, दोबस्स णं चंदसंवच्छरस्स चउवीसं पव्वा पराणत्ता, तबस्स णं अभिवड्डितसंवच्छरस्स छव्वीसं पव्वा पराणत्ता, चउत्थस्स णं चंदसंवच्छरस्स चउवीसं पव्वा पराणत्ता, पंचमस्स णं अभिवडियसंवच्छरस्स छव्वीसं पवा पराणत्ता, एवामेव सपुवावरेणं पंचसंवच्छरिए जुगे एगे चउवीसे पव्वसते भवतीति मक्खातं // सूत्रं 56 // ता पमाणसंवच्छरे पंचविहे पराणत्ते, तंजहा-नक्खत्ते चंदे उडू श्राइच्चे अभिवड्डिए // सूत्रं५७॥ ता लक्खणसंवच्छरे पंचविहे पराणते, तंजहा-नक्खत्ति चंदे उड, श्राइच्चे Page #421 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 164] . [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः अभिवुड्डिए. 1. / ता णक्खत्ते णं संवच्छरे णं पंचविहे पराणत्ते, तंजहासमगं णक्खत्ता जोयं जोएंति, समगं उदू परिणमंति। नच्चुराहं नाइसीए बहुउदए होइ नक्खत्ते // 1 // ससि समग पुन्निमासिं जोईता विसमचारिनक्खत्ता / कडुनों बहुउदवो य तमाहु संवच्छरं चंदं // 2 // विसमं पवालिणो परिणमंति अणुऊसु दिति पुप्फफलं / वासं न सम्म वासइ तमाहु संवच्छरं कम्मं // 3 // पुढविदगाणं च रसं पुष्फफलाणं च देइ बाइब्चे / अप्पेणवि वासेणं संमं निष्फजए सस्सं // 4 // श्राइचतेयतविया खणलवदिवसा उऊ परिणमन्ति। रेति निणय(गण)थलये तमाहु अभिवड्डितं जाण // 5 // 2 / ता सणिच्छरसंवच्छरे णं अट्ठावीसतिविहे पण्णत्ते, तंजहा-अभियी सवंणे जाव उत्तरासाढा, जंवा सणिच्छरे महग्गहे तीसाए संवच्छरेहिं सव्वं णक्खत्तमंडलं समाणेति 3 // सूत्रं 58 // दसमस्स पाहुडस्स वीसतिमं पाहुडपाहुडं समत्तं // 10-20 // // अथ दशमप्राभृते एकविंशतितमं प्राभृतप्राभृतम् // .. ता कहं ते जोतिसस्स दारा श्राहिताति वदेज्जा ?, तत्थ खलु इमाश्रो पंच पडिवत्तीयो पराणत्तायो, तत्थेगे एवमाहंसु-ता कत्तियादी णं सत्त नवखत्ता पुव्वदारिया पराणत्ता, एगे एवमाहंसु 1, एगे पुण एक्माहंसु-ता महादीया सत्त णक्खत्ता पुव्वदारिया पराणत्ता, एगे एवमाहंसु 2, एगे पुण एवमाहंसु-ता अणुराहाइया सत्तणखत्ता पुव्वदारिया पराणत्ता, एगे एवमाहंसु 3, एगे पुण एवमाहंसु-ता पणिहादीया सत्त णक्खत्ता पुव्वदारिश्रा पराणत्ता, एगे एवमाहंसु 4, एगे पुण एवमाहंसु-अस्सिणीयादीया णं सत्त णक्खत्ता पुव्वदारिया पराणत्ता, एगे एवमाहंसु 5, एगे पुण एवमाहंसु-ता भरणीयादीया णं सत्त णक्खत्ता पुनदारिश्रा पराणत्ता 1 / तत्थ जे ते एवमाहंसु ता कत्तियादी णं सत्त णक्खत्ता पुव्वदारिया पराणत्ता, ते एवमाहंसु, तंजहा Page #422 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दमाई विसाहा, अणुयामाढा उत्तरासादा गिट्ठा सतभिसा श्रीमत्सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्रं : प्रा० 10 प्रा०मा० 21 ] [ 395 कत्तिया रोहिणी संठाणा यहा पुणव्वसू पुस्सो असिलेसा, सत्त णवखत्ता दाहिणदारिया पराणत्ता, तंजहा-महा पुब्वफग्गुणी उत्तराफग्गुणी हत्थो चित्ता साई विसाहा, अणुराधादीया सत्त णक्खत्ता पच्छिमदारिया पराणत्ता, तंजहा-अणुराधा जेट्ठा मूलो पुव्वासादा उत्तरासादा अभियी सवणो, धणिट्ठादीया सत्त णक्खत्ता उत्तरदारिया पराणत्ता, तंजहा-धणिट्ठा सतभिसया पुवापोट्ठवता उत्तरापोट्ठवता रेवती अस्सिणी भरणी 2 / तत्थ जे ते एवमाहंसु ता महादीया सत्त णक्खत्ता पुव्वदारिया पराणत्ता, ते एवमाहंसु तंजहा-महा पुवाफग्गुणी उत्तराफग्गुणी हत्थो चित्ता साती विसाहा, अणुराधादीया सत्त णक्खत्ता दाहिणदारिया पराणत्ता, तंजहा-अणुराधा जेट्ठा मूले पुवासाढा उत्तरासाढा अभियी सवणे, धणिट्ठादीया सत्त णक्खत्ता पच्छिमदारिया पराणत्ता, तंजहा-धणिट्ठा सतभिसया पुव्वापोट्ठवता उत्तरापोट्ठवता रेवती अस्सिणी भरणी, कत्तियादीया सत्त णक्खत्ता उत्तरदारिया पराणत्ता, तंजहा-कत्तिया रोहिणी संठाणा श्रद्दा पुणव्वसू पुस्सो अस्सेसा 3 / तत्थ णं जे ते एवमाहंसु, ता धणिट्ठादीया सत्त णक्खत्ता पुव्वदारिया पराणता, ते एवमाहंसु, तंजहा-धणिट्ठा सत्तभिसया पुव्वाभदवया उत्तराभद्दवता रेवती अस्सिणी भरणी, कत्तियादीया सत्त णक्खत्ता दाहिणदारिया पराणत्ता, तंजहा-कत्तिया रोहिणी संठाणा श्रद्दा पुणवसू पुस्सो अस्सेसा, महादीया सत्त णक्खत्ता पच्छिमदारिया पराणत्ता, तंजहा-महा पुव्वाफग्गुणी उत्तराफग्गुणी हत्थो चित्ता साती विसाहा, अणुराधादीया सत्त णक्खत्ता उत्तरदारिया पराणत्ता, तंजहा-अणुराधा जेट्ठा मूलो पुव्वासाढा उत्तरासाढा अभीयी सवणो 4 / तत्थ जे ते एवमाहंसु, ता अस्सिणीबादीया सत्त णक्खत्ता पुबदारिया पराणत्ता, एते एवमाहंसु, तंजहा-अस्सिणी भरणी कत्तिया रोहिणी संठाणा अद्दा पुराणवसू, पुस्सादिया सत्त णक्खत्ता दाहिणदारिया पराणत्ता, तंजहा-पुस्सा अस्सेसा महा Page #423 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 393 / [ श्रीमदागमसुधायाधुः / सप्तमो विभागः पुव्वाफग्गुणी उत्तराफग्गुणी हत्थो चित्ता, सादीयादीया सत्त णक्खत्ता पच्छिमदारिया पराणत्ता तंजहा-साती विसाहा अणुराहा जेट्ठा मूलो पुव्वासाढा उत्तरासादा, अभीयीश्रादि सत्त णक्खत्ता उत्तरदारिया परणत्ता, तंजहा-अभिई सेवणो धणिट्ठा सतभिसया पुत्वभवया उत्तरभदवया रेवती 5 / तस्थ जे ते एवमाहंसु ता भरणियादीया सत्त णक्खत्ता पुव्वदारिया पराणत्ता ते एवमाहंसु, तंजहा-भरणी कत्तिया रोहिणी संठाणा यहा पुणवसू पुस्सो, अस्सेसादीया सत्त णक्खत्ता दाहिणदारिया पराणत्ता, तंजहा-अस्सेसा महा पुवाफग्गुणी उत्तराफग्गुणी हत्थो चित्ता साई, विसाहादीया सत्तणक्खत्ता पच्छिमदारिया पराणत्ता, तंजहा-विसाहा अणुराहा जेट्ठा मूलो पुव्वासाढा उत्तरासाढा अभिई, सवणादीया सत्त णवखत्ता उत्तरदारिया पराणत्ता, तंजहा-सवणो धणिट्ठा सतभिसया पुव्वापोट्टवया उत्तरपोट्टवया रेवती अस्सिणी, एते एवमासु 6 / वयं पुण एवं वदामो-ता अभिईयादि सत्त शाक्खत्ता पुवदारिया पराणत्ता, तंजहा-अभियी ‘सवणों धणिट्ठा सतभिसया पुवापोट्टवता उत्तरापोटुवया रेवती, अस्सिणीबादीया सत्त णक्खत्ता दाहिणदारिया पुराणत्ता, तंजहा-अस्सिणी भरणी कत्तिया रोहिणी संगणा अद्दा पुणव्वसू, पुस्सादीया सत्त णक्खत्ता पच्छिमदारिया पराणत्ता, तंजहां- पुस्सो अस्सेसा महा पुव्वाफग्गुणी उत्तरफग्गुणी हत्थो चित्ता, सातिवादीया सत्त णक्खत्ता उत्तरदारिया पराणत्ता, तंजहा-साती विसाहा अणुराहा जेट्ठा मूले पुव्वसाढा- उत्तरासाढा 7 // सूत्रं 56 // दसमस्स पाहुडस्स एकवीसतितम पाहुडपाहुडं समत्तं // 10-21 // Page #424 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत् सूर्य प्रज्ञप्तिमुत्रम् : प्रा० 10 प्रा०प्र० 22 ] // अथ दशमप्राभते द्वाविंशतितमं प्राभृतप्राभृतम् // ता कहं ते णक्खत्तविजये पाहित्तेति वदेजा?, ता अयराणं जंबुद्दीवे 2 जाव परिक्खेवेणं 1 / ता जंबुद्दीवे णं दीवे दो चंदा पभासेंसु वा पभासेंति वा पभासिस्संति वा दो सूरिया तर्विसु वा तवेंति वा तविस्संति वा 2 / छप्पगणं णक्खत्ता जोयं जोएंसु वा 3, तंजहा-दो अभीयी दो सवणा दो धणिट्टा दो सतभिसया दो पुव्वापोट्ठवता दो उत्तरापोट्ठवता दो रेवती दो अस्सिणी दो भरणी दो कत्तिया दो रोहिणी दो संठाणा दो श्रद्दा दो पुणव्वसू दो पुस्सा दो अस्सेसायो दो महा दो पुवाफग्गुणी दो उत्तराफग्गुणी दो हत्था दो चित्ता दो साई दो विसाहा दो अणुराधा दो जेट्ठा दो मूला दो पुव्वासाढा दो उत्तरासाढा 3 / ता एएसि णं छप्पराणाए नक्खताणं अस्थि णवखत्ता जे णं णव मुहुत्ते सत्तावीसं च सत्तट्ठिभागे मुहुत्तस्स चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति, अस्थि नक्खत्ता जे णं पराणरस मुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति, अत्थि णक्खत्ता जे णं तीसमुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति, अस्थि णक्खत्ता जे णं पणयालीसं मुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति 4 / ता एतेसि णं छप्पराणाए णक्खत्ताणं कतरे णक्खत्ते जे णं णवमुहुत्ते सत्तावीसं च सत्तसट्ठिभागे मुहुत्तस्स चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति, कतरे णक्खत्ता जे णं पन्नरसमुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति, कतरे णक्खत्ता जे णं तीसं मुहुत्ते चंदेणं सद्धिं जोयं जोएंति, कतरे णक्खत्ता जे णं पणतालीसं मुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति ? ता एतेसि णं छप्पराणाए णक्खत्ताणं तत्थ जे ते णक्खत्ता जे णं णव मुहुत्ते सत्तावीसं च सत्तट्ठिभागे मुहुत्तस्स चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति ते णं दो अभीयी, तत्थ जे ते णक्खत्ता जे णं पराणरस मुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति ते णं बारस, तंजहा-दो सतभिसया दो भरणी दो अदा दो अस्सेसा दो साती दो जेट्टा, तत्थ जे णं तीसं मुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति ते णं तीसं, तंजहा-दो सवणा Page #425 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 36 ] - [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विमागा दो धणिट्ठा दो पुव्वाभवता दो रेवती दो अस्सिणी दो कत्तिया दो संगणा दो पुस्सा दो महा दो पुव्वफग्गुणी दो हत्था दो चित्ता दो अणुराधा दो मूला दो पुव्वासाढा, तत्थ जे ते णक्खत्ता जे णं पणतालीसं मुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोएंति ते णं बारस, तंजहा-दो उत्तरापोट्टवता दो रोहिणी दो पुणव्वसू दो उत्तराफग्गुणी दो विसाहा दो उत्तरासादा 5 / ता एएसि णं छप्पराणाए णक्खत्ताणं अत्थि णक्खत्ते जे णं चत्तारि अहोरत्ते छच्च मुहुत्ते सूरिएण सद्धिं जोयं जोएंति, अस्थि णक्खत्ता जे णं छ अहोरत्ते एकवीसं च मुहुत्ते सूरेण सद्धिं जोयं जोएंति, अत्थि णक्खत्ता जे णं तेरस अहोरत्ते बारस मुहुत्ते सूरेण सद्धि जोयं जोएंति अस्थि णक्खत्ता जे णं वीसं अहोरत्ते तिनि य मुहुत्ते सूरेण सद्धिं जोयं जोएंति 6 / एएसि णं छप्प. राणाए णक्खत्ताणं कयरे णक्खत्ता जे णं तं चेव उच्चारेयव्वं, ता एतेसि णं छप्पराणाए णक्खत्ताणं तत्थ जे ते णक्खत्ता जे णं चत्तारि अहोरत्ते छच्च मुहुत्ते सूरेण सद्धिं जोयं जोएंति, ते णं दो अभीयी, तत्थ जे ते णक्खत्ता जे णं छ अहोरले एकवीसं च मुहुत्ते सूरेण सद्धिं जोयं जोएंति, ते णं बारस, तंजहा-दो सतभिसया दो भरणी दो यदा दो अस्सेसा दो साती (दो विसाहा) दो जेट्टा, तत्थ जे ते णक्खत्ता जे णं तेरस अहोरत्ते बारस मुहुत्ते सूरेण सद्धिं जोयं जोएति, ते णं तीसं, तंजहा-दो संवणा जाव दो पुव्वासाढा, तत्थ जे ते णक्खत्ता जे णं वीसं अहोरते तिरिण य मुहुत्ते सूरेण सद्धिं जोयं जोएंति, ते णं बारस, तंजहा-दो उत्तरापोट्टवता जाव उत्तरासाढा 7 // सूत्रं 60 // ता कहं ते सीमाविक्खंभे अाहितेति वदेजा ?, ता एतेसि णं छप्पराणाए णक्खत्ताणं अस्थि णक्खत्ता जेसि णं छसया तीसा सत्तट्ठिभागतीसतिभागाणं सीमाविक्खंभो, अत्थि णक्खत्ता जेसि णं सहस्सं पंचोत्तरं सत्तसट्ठिभागतीसतिभागाणं सीमाविक्खंभो, अस्थि णखत्ता जेसि णं दो सहस्सा दसुत्तरा सत्तट्ठिभागतीसतिभागाणं सीमाविक्खंभो, अस्थि Page #426 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्र :: प्रा० 10 प्रा०प्रा० 22 ) [ 366 क्खत्ता जेसि णं तिसहस्सं पंचदसुत्तरं सत्तसट्ठिभागतीसतीभागाणं सीमाविक्खंभो 1 / ता एतेसि णं छप्पराणाए णक्खत्ताणं कतरे णक्खत्ता जेसि णं छसया तीसा तं चेव उच्चारेतव्वं, ता एएसि णं छप्पराणाए णक्खत्ताणं कयरे णक्खत्ता जेसि णं तिसहस्सं पंचदसुत्तरं सत्तसट्ठिभागतीसइभागाणं सीमाविक्खंभो ?, ता एतेसि णं छप्पराणाए णक्खत्ता णं तत्थ जे ते णवखत्ता जेसि णं छ सता तीसा सत्तट्ठिभागतीसतिभागेणं सीमाविवखंभो ते णं दो अभीयी, तत्थ जे ते रणखत्ता जेसि णं सहस्सं पंचुत्तरं सत्तसट्ठिभागतीसतिभागाणं सीमाविक्खंभो ते णं बारस, तंजहा-दो सतभिसया जाव दो जेट्टा, तत्थ जे ते णक्खत्ता जेसि णं दो सहस्सा दसुत्तरा सत्तट्ठिभागतीसतिभागाणं सीमाविक्खंभो ते णं तीसं, तंजहा-दो सवणा जाव दो पुवासादा, तत्थ जे ते णक्खत्ता जेसिणं तिरिण सहस्सा पराणरसुत्तरा सत्तट्ठिभागतीसतिभागाणं सीमाविक्खंभो ते णं बारस, तंजहा-दो उत्तरापोट्टवता जाव उत्तरासादा वा 2 // सूत्रं 61 // एतेसि णं छप्पराणाए णक्खत्ताणं किं सता पादो चंदेण सद्धिं जोएंति ? ता एतेसि णं छप्पराणाए णक्खत्ताणं किं सया सायं चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति ?, एतेसि णं छप्पराणाए णवखत्ताणं किं सया दुहा पविसिय 2 चंदेण सद्धि जोयं जोएंति ?, ता एएसि णं छप्पराणाए णखत्ताणं न किंपि तं जं सया पादो चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति, नो सया सागं चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति, नो सया दुहयो पविसित्ता 2 चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति, गराणस्थ दोहिं अभीयोहिं, ता एतेणं दो अभीयी पायचिय 2 चोत्तालीसं 2 अमावासं जोएंति, णो चेव णं पुरिणमासिणि // सूत्रं 62 // तत्थ खलु इमाश्रो बावडिं पुरिणमासिणीयो बावढि अमावासाम्रो पराणत्तायो 1 / ता एएसिणं पंचराहं संवच्छराणं पढमं पुरिणमासिणिं चंदे किंसि देसंसि जोएइ ?, जंसिणं देसंसि चंदे चरिमं बावट्टि पुरिणमासिणिं जोएति ताए तेणं पुगिणमासिणिटाणातो मंडलं चउव्वीसेणं सतेणं छेत्ता Page #427 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 400 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः बत्तीसं भागे उवातिणावित्ता एत्थ णं से चंदे पढमं परिणमासिणिं जोएति 2 / ता एएसि णं पंचराहं संबच्छराणं दोच्चं पुगिणमासिणिं चंदे कंसि देसंसि जोएति ? ता जंसि णं देसंसि चंदे पढमं पुरिणमासिणि जोएति, ताए तेणं पुरिणमासिणिट्टाणातो मंडलं चउवीसेणं सतेणं छेत्ता बत्तीसं भागे उवाइणावेत्ता, एत्थ णं से चंदे दोच्चं पुरिणमासिणिं जोएति 3 / ता एएसि णं पंचराहं संवच्छराणं तच्चं पुरिणमासिणि चंदे कसि देसंसि जोएति ?, ता जंसि णं देसंसि चंदे दोच्चं पुरिणमासिणिं जोएति, ताते पुरिणमासिणीगणातो मंडलं चउव्वीसेणं सतेणं छेत्ता बत्तीसं भागे उवाइणावेत्ता, एत्थ णं तच्चं चंदे पुरिणमासिणि जोएति 4 / ता एतेसिणं पंचराहं संवच्छराणं दुवालसमं पुरिणमासिणिं चंदे कंसि देसंसि जोएंति ?, ता जंसि णं देसंसि चंदे तच्चं पुरिणमासिणिं जोएति, ताते पुगिणमासिणिट्ठाणाते मंडलं. चउव्वीसेणं सतेणं छेत्ता दोगिण अट्ठासीते भागसते उवायिणावेत्ता एत्थ णं से चंदे दुवालसमं पुरिणमासिणिं जोएति 5 / एवं खलु एतेणुवाएणं ताते 2 पुरिणमासिणिट्ठाणाते मंडलं चवीसेणं सतेणं छेत्ता बत्तीसंभागे यातिणावेत्ता तंसि 2 देसंसि तं तं पुरिणमासिणिं चंदे जोएति 6 / ता एतेसि णं पंचराहं संवच्छराणं चरमं बावडिं पुरिणमासिणि चंदे कंसि देसंसि जोएति ?, ता जंबुद्दीवस्स णं 2 पाईणपडिणायताए उदीणदाहिणायताए जोवाए मंडलं चउव्वीसेणं सतेणं छेत्ता दाहिणिल्लंसि चउभागमंडलंसि सत्तावीसं भागे उवायणावेत्ता अट्ठावीसतिभागे वीसहा छेत्ता अट्ठारसभागे उवातिणावेत्ता तिहिं भागेहिं दोहि य कलाहि पञ्चथिमिल्लं चउब्भागमंडलं असंपत्ते एत्थ णं चंदे चरिमं बाढि पुगिणमासिणि जोएति 7 / / सूत्रं 63 // ता एएसि णं पंचराहं संवच्छराणं पढमं पुरिणमासिणिं सूरे कसि देसंसि जोएति ?, ता जंसि णं देससि सूरे चरिमं बावडिं पुरिणमासिणिं जोएति ताते पुरिणमासिणिट्ठाणातो मंडलं चउव्वीसेणं सतेणं छेत्ता चउणवति Page #428 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्सूर्यप्रज्ञप्ति सूत्र :: प्रा० 10 प्रा०प्रा० 22 ] [ 401 भागे उवातिणावेत्ता एत्य णं से सूरिए पढमं पुगिणमासिणिं जोएइ 1 / ता एएसि णं पंचराहं संबच्छराणं दोच्चं पुरिणमासिणिं सूरे कंसि देसंसि जोएति ?, ता जंसि णं देसंसि सूरे पढमं पुरिणमासिणिं जोएइ ताए पुरिणमासिणीगणाश्रो मंडलं चउवीसं सएण छेत्ता दो चउणवइभागे उवा. इणावित्ता एत्थ णं से सूरे दोच्चं पुराणमासिणि जोएइ 2 / ता एएसि णं पंचराहं संवच्छराणं तच्चं पुरिणमासिणि सूरे कंसि देसंसि जोएइ ?, ता जंसि णं देसंसि सूरे दोच्चं पुरिणमासिणिं जोएति ताते पुरिणमासिणिट्ठाणाते मंडलं चउव्वीसं सतेणं छेत्ता चउणउतिभागे उवातिणावेत्ता एस्थ णं से सूरे तच्चं पुरिणमासिणिं जोएति 3 / ता एतेसि णं पंचराहं संवच्छराणं दुवालसं पुरिणमासिणि सूरे कसि देसंसि जोएति ? ताते पुरिणमासिणिटाणाते मंडलं चउव्वीसेणं सतेणं छेत्ता अट्टछत्ताले भागसते उवाइणावेत्ता, एत्य णं से सूरे दुवालसमं पुरिणमासिणिं जोएति 4 / एवं खलु एतेणु. वाएणं ताते 2 पुगिणमासिणिट्ठाणाते मंडलं चउवीसेणं सतेण छेत्ता चउणउति 2 भागे उवातिणावेत्ता तंसि णं 2 देसंसि तं तं पुरिणमासिणि सूरे जोएति 5 / ता एतेसि णं पंचरहं संवच्छराणं चरिमं बावट्टि पुगिणमासिणि सूरे कंसि देसंसि जोएति ?, ता जंबुद्दीवस्स णं पाईणपडिणायताए उदीणदाहिणायताए जीवाए मंडलं चउव्वीसेणं सएणं छेत्ता पुरच्छिमिल्लंसि च उभागमंडलंसि सत्तावीसं भागे उवातिणावेत्ता अट्ठावीसतिभागं वीसधा छेता अट्ठारसभागे उवादिणावेत्ता तिहिं भागेहिं दोहि य कलाहिं दाहि. गिल्लं चउभागमंडलं असंपत्ते एत्थ णं सूरे चरिमं बावडिं पुरिणमं जोएति 6 // सूत्रं 64 // ता एएसि णं पंचराहं संवच्छराणं पढमं अमावासं चंदे कंसि देसंसि जोएति ?, ता जंसि णं देसंसि चंदे चरिमं बावढि अमावासं जोएति ताते अमावासट्टाणातो मंडलं चउव्वीसेणं सतेणं छेत्ता बत्तीसं भागे उवादिणावेत्ता एत्थ णं से चंदे पढमं अमावासं जोएति 1 / एवं जेणेव Page #429 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 402 ] / श्रामदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभाग अभिलावणं चंदस्स पुगिणमासिणीयो भणिताश्रो, तेणेव अभिलावेणं अमावासायो भणितव्वाश्रो बीइया ततिया दुवालसमी 2 / एवं खलु एतेणुवाएणं ताते 2 अमावासाठगणाते मंडलं चउव्वीसेणं सतेणं छेत्ता दुवीसं 2 भागे उवादिणावेत्ता तसि 2 देसंसि तं तं अमावासं चंदेण जोएति 3 / ता एतेसि णं पंचराहं संवच्छराणं चरमं बावढि अमावासं चंदे कंसि देसंसि जोएति ?, ता जंसि णं देसंसि चंदे चरिमं बावद्धिं पुरिणमासिणिं जोएति, ताते पुरिणमासिणिट्ठाणाए मंडलं चउव्वीसेणं सतेणं छेत्ता सोलसभागे. प्रोसकावइत्ता एत्थ णं से चंदे चरिमं बावढि अमावासं जोएति 4 // सूत्रं 65 // ता एतेसि णं पंचराहं संवच्छराणं पढमं अमावासं सूरे कंसि देसंसि जोएति ?, ता जंसि णं देसंसि सूरे चरिमं बावहिँ अमावासं जोएति ता ते अमावासटाणाते मंडलं चउव्वीसेणं सतेणं छेत्ता चउणउतिभागे आयिणावेत्ता एत्थ णं से सूरे पढमं अमावासं जोएति 1 / एवं जेणेव अभिलावेणं सूरियस्स पुगिणमासिणीयो तेणेव अमावासाोवि, तंजहा-बिदिया तइया दुवालसमी 2 / एवं खलु एतेणुवाएणं ताते अमावासट्टाणाते मंडलं चउव्वीसेणं सतेणं छेत्ता चंउणउतिं 2 भागे उवायिणावेत्ता ता तंसि 2 देसंसि तं तं श्रमावासं सूरिए जोएति 3 / ता एतेसि णं पंचराहं संवच्छराणं चरिमं बावढि अमावासं सूरे कंसि देसंसि जोएइ ? ता जंसि णं देसंसि सूरे चरिमं बावडिं अमावासं जोएति ताते पुरिणमासिणिट्ठाणाते मंडलं.चउनीसेणं सतेणं छेत्ता सत्तालीसं भागे श्रोसका. (उक्को)वइत्ता एत्थ णं से सूरे चरिमं बावट्ठि श्रमावासं जोएति 4 // सूत्रं 66 // ता एएसिणं पंचराह संवच्छराणं पढ़मं पुराणमासिणिं चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएति ?, ता.धणिट्ठाहिं, धणिट्ठाणं तिरिण मुहुत्ता एकूणवीसं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिधा छेत्ता पराणट्ठि चुरिणयाभागा सेसा 1 / तं समयं च णं सूरिए केणं णक्खत्तेणं जोएति ?, Page #430 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्यप्रज्ञप्तिसूत्रं : प्रा० 10 प्रा०प्रा० 22 ) / 403 ता पुवाफग्गुणीहिं, पुव्वाफग्गुणीणं अट्ठावीसं मुहुत्ता अट्टतीसं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिधा छेत्ता बत्तीसं चुरिणया भागा सेसा 2 / ता एएसि णं पंचराहं संवच्छराणं दोच्चं पुराणमासिणिं चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएति ?, ता उत्तराहिं पोट्ठवताहिं, उत्तराणं पोट्टवताणं सत्तावीसं मुहुत्ता चोदस य बावट्ठिभागे मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिधा छेत्ता बावट्ठिचुरिणया भागा सेसा 3 / तं समयं च णं सूरे केणं णक्खत्तेणं जोएति ?, ता उत्तराहिं फग्गुणीहिं, उत्तराफग्गुणीणं सत्त मुहुत्ता तेत्तीसं च बावटिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिधा छेत्ता एकवीसं चुरिणया भागा सेसा 4 / ता एतेसि णं पंचराहं संवच्छराणं तच्चं पुगिणमासिणी चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएति ?, ता अस्सिणीहि, अस्सिणीणं एकवीसं मुहुत्ता णव य एगर्टिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्टिधा छेत्ता तेवट्टि चुगिणया भागा सेमा 5 / तं समयं च णं सूरे केण णक्खत्तेणं जोएति ?, ता चित्ताहि, चित्ताणं एको मुहुत्तो अट्ठावीसं च बावट्टि भागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तद्विधा छेत्ता तीसं चुगिणया भागा सेसा 6 / ता एतेसि णं पत्रराहं संवच्छराणं दुवालसमं पुरिणमासिणिं चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएति ?, ता उत्तराहिं प्रासादाहिं, उत्तराणं च श्रासादाणं छवीसं मुहुत्ता छवीसं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावहिं भागं च सत्तट्टिधा छेत्ता चउपराणं चुगिणया भागा सेसा 7 / तं समयं च णं सूरे केणं णक्खत्तेणं जोएति ?, ता पुणव्वसुणा, पुणव्वसुस्स सोलस मुहुत्ता अट्ट य बावट्टि भागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिधा छेत्ता वीसं चुरिणया भागा सेसा 8 / ता एतेसि णं पंचराहं संवच्छराणं चरमं बावढेि पुरिणमासिणिं चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएति ?, उत्तराहिं श्रासाढाहिं उत्तराणं. श्रासाढाणं चरमसमए 1 / तं समयं च णं सूरे केणं णक्खत्तेणं जोएति ?, ता पुस्सेणं, पुस्सस्स एकूणवीसं मुहुत्ता तेतालीसं च बावट्टि भागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिधा छेत्ता पति , ता उत्तर दुवालसम परिणया भागासह भागा मुहत्तरस Page #431 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 404 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः तेत्तीसं चुरिणया भागा सेसा 10 // सूत्रं 67 // एतेसि णं पंचराह संवच्छराणं पढमं अमावासं चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएति ?, ता अस्सेसाहिं, अस्सेसाणं एक्के मुहुत्ते चत्तालीसं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तद्विधा छेत्ता बावडिं चुगिणया भागा सेसा 1 / तं समयं च णं सूरे केणं णक्खत्तेणं जोएति ?, ता अस्सेसाहि चेव, अस्सेसाणं एको मुहुत्तो चत्तालीसं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं सत्तट्ठिधा छेत्ता बावट्ठि चुरिणया भागा सेसा 2 / ता एएसि णं पंचराहं संवच्छराणं दोच्चं अमावासं चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएति ?, ता उत्तराहिं फग्गुणीहिं, उत्तराणं फग्गुणीणं चत्तालीसं मुहुत्ता पणतीसं बावट्टिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तद्विधा छेत्ता पराणढ़ि चुरिणया भागा सेसा 3 / तं समयं च णं सूरे केणं णक्खत्तेणं जोएति ?, ता उत्तराहिं चेव फग्गुणीहिं, उत्तराणं फग्गुणीणं जहेव चंदस्स 4 / ता एतेसि णं पंचराहं संवच्छराणं तच्चं अमावासं चंदे केणं नक्खत्तेणं जोएति ?, ता हत्थेणं, हत्थस्स चत्तारि * मुहुत्ता तीसं च भारट्ठिभागा मुहुनस्स बावट्ठिभागं च सत्तद्विधा छेत्ता बावट्टि चुरिणया भागा सेसा 5 / तं समयं च णं सूरे केणं णक्खत्तेणं जोएति ?, ता हत्थेणं चेव हत्थस्स जहा चंदस्स 6 / ता एएसि णं पंचराहं संवच्छराणं दुवालसमं अमावासं चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएति ?, अहाहिं, अदाणं चत्तारि. मुहुत्ता दस य बावट्ठिभागा मुहुत्तस्त बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिधा छेत्ता चउपरणं चुरिणया भागा सेसा 7 / तं समयं च णं सूरे केणं नक्खत्तेणं जोएति ?, ता पदाहिं चेव, श्रदाणं जहा चंदस्स 8 | ता एएसि णं पंचराहं संवच्छराणं चरिमं बावट्ठि अमावासं चंदे केणं णक्खत्तेणं ज़ोएति ?, ता पुणव्वसुणा, पुणव्वसुस्स बावीसं मुहुत्ता बायालीसं च बासट्ठिभागा मुहुत्तस्स सेसा 1 / तं समयं च णं सूरे केणं णक्खत्तेणं जोएति ?, ता पुणव्वसुणा चेव पुणव्वसुस्स णं जहा चंदस्स 10 // सूत्रं 68 // ता जेणं अन्न णवखत्तेणं Page #432 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्रं :: प्रा० 10 प्रा०प्रा० 22 ] [ 405 चंदे जोयं जोएति जंसि देसंसि से णं इमाणि अट्ठ एकूणवीसाणि मुहुत्त. सताई चउग्रीसं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिधा छेत्ता बावढि चुरिणयामागे उवायिणावेत्ता पुणरवि से चंदे घराणेणं सरिसएणं चेव णक्खत्तेणं जोयं जोएति अराणंसि देसंसि २।ता जेणं श्रज णक्खत्तेणं चंदे जोयं जोएति जंसि देसंसि से णं इमाइं सोलस अट्टतीसं मुहुत्तसताई अउणापरणं च बावद्विभागे मुहुत्तस्स बावद्विभागं च सत्तट्ठिधा छेत्ता पराणट्टि चुरिणयामागे उवायिणावेत्ता पुणरवि से णं चंदे तेणं चेव णक्खत्तेणं जोयं जोएति अण्णंसि देसंसि 2 / ता जेणं अजणक्खत्तेणं चंदे जोयं जोएति जंसि देसंसि से णं इमाइं चउप्पण्णमुहत्तसहस्साई णव य मुहुत्तसताई आदिणावित्ता पुणरवि से चंदे अगणेणं तारिसएणं नवखत्तेणं जोयं जोरति तंसि देसंसि 3 / ता जेणं अजणक्खत्तेणं चंदे जोयं जोएति जंसि 2 देसंसि से णं इमं एगं लक्खं नव य सहस्से अट्ठ य मुहुत्तसए ( एगं मुहुत्तमयसहस्सं अट्ठाणउतिं च मुहत्तसताई) उवायिणावित्ता पुणरवि से चंदे तेण चेव णक्खत्तेणं जोयं जोएइ तंसि देसंसि 4 / ता जेणं अजणक्खत्तेणं सूरे जोयं जोएति जसिं देसंसि से | इमाई तिगिण छावट्ठाई राइंदियसताई उवादिणावेत्ता पुणरवि से सूरिए अराणेणं तारिसएणं चेव नक्खत्तेण जोयं जोएति तंसि देसंसि 5 / ता जेणं अजनक्खत्तेणं सूरे जोयं जोएति तंसि देसंसि से णं इमाई सत्तदुवीसं राइंदियसताइं उवाइणावेत्ता पुणरवि से सूरे श्ररणेगां चेव तासिएणं (तेणं चेव) नक्खत्तेणं जोयं जोएति तंसि देसंसि 6 / ता जेणं अजणक्खत्तेणं सूरे जोयं जोएति जैसि देसंसि से णं इमाई अट्ठारस वीसाई राइंदियसताई उवादिणावेत्ता पुणरवि सूरे अराणेणं चेव णक्खत्तेणं जोयं जोएति तंसि देससि 7 / ता जेणं अजणक्खत्तेणं सूरे जोयं जोएति जंसि देसंसि तेण इमाई छत्तीसं सट्टाई राइंदियसयाई उवाइणावित्ता पुणरवि से सूरे तेणं चेव णक्खत्तेणं जोयं जोएति तंसि. देसंसि Page #433 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 406 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः 8 // सूत्रं 61 // ता जया णं इमे चंदे गतिसमावराणए भवति तता णं इतरेवि चंदे गतिसमावराणए भवति 1 / जताःणं इतरे चंदे गतिसमावराणए भवति तता णं इमेवि चंदे गतिसमावराणए भवति 2 / ता जया णं इमे सूरिए गइसमावराणे भवति तया णं इतरेवि सूरिए गइसमावराणे भवति 3 / जता णं इतरे सूरिए गतिसमावराणे भवति तया णं इमेवि सूरिए गइसमावराणे भवति 4 / एवं गहेवि णक्खत्तेवि 5 / ता जया णं इमे चंदे जुत्ते जोगेणं भवति तता णं इतरेवि चंदे जुत्ते जोगेणं भवति 6 / जया णं इयरे चंदे जुत्ते जोगेणं भवइ तता णं इमेवि चंदे जुत्ते जोगेणं भवति 7 / एवं सूरेवि गहेवि णक्ख तेवि 8 / सतावि णं चंदा जुत्ता जोएहिं सतावि णं सूरा जुत्ता जोगेहि सयावि णं गहा जुत्ता जोगेहि सयावि णं नक्खत्ता जुत्ता जोगेहिं 1 / दुहतोवि णं चंदा जुत्ता जोगेहि दुहतोवि णं सूरा जुत्ता जोगेहिं दुहतोवि णं गहा जुत्ता जोगेहिं दुहतोवि णं णक्खत्ता जुत्ता जोगेहिं 10 / मंडलं सतसहस्सेणं अट्ठाणउतीए सतेहिं छेत्ता इच्चेस णवखत्ते खेत्तपरिभागे णक्खत्तविजए पाहुडेति बाहितेत्तिबेमि 11 ॥सूत्रं७०॥ दसमस्स पाहुडस्त बावीसतिमं पाहुडपाहुंडं समत्तं // दसमं च पाहुडं समत्तं // // इति दशमप्राभृते छाविंशतितमं प्राभृतप्रामृतम् // 10-22 // // इति दशमं प्राभृतम् // 10 // // अथ संवत्सरनामादिनामकं एकादशं प्राभृतम् // ता कहं ते संवच्छराणादी अाहितेति वदेजा ?, तत्थ खलु इमे पंच. संवच्छरे पराणत्ते, तंजहा-चंदे 2 अभिवडिते चंदे अभिवड्डिते 1 / ता एतेसि णं पंचराहं संवच्छराणं पढमस्स चंदस्स संवच्छरस्स के श्रादी अाहितेति वदेजा ?, ताजेणं पंचमस्स अभिवड्डितसंवच्छरस्स पजवसाणे से णं पढमस्सः चंदस्स संवच्छरस्स श्रादी अणंतरपुरक्खडे समए 2 / ता से णं Page #434 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्सर्यप्रज्ञप्तिसूत्र :: प्रा० 11 ] [ 407 किंपजवसिते आहितेति वदेजा ?, ता जे णं दोचस्स चंदसंवच्छरस्स श्रादी से णं पढमस्स चंदसंवच्छरस पन्जवसाणे अणंतरपच्छाकडे समये 3 / तं समयं च णं चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएति ?, ता उत्तराहिं श्रासादाहिं, उत्तराणं श्रासादाणं छदुवीसं मुहुत्ता छदुवीसं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं व सत्तट्ठिधा छित्ता चउप्परणं चुरिणयाभागा सेसा 4 / तं समयं सूरे केणं णक्खत्तेणं जोएति ?, ता पुणव्वसुणा, पुणव्वसुस्स सोलस मुहुत्ता अट्ट य बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिहा छेत्ता वीसं चुरिणयाभागा सेसा 5 / ता एएसि णं पंचगहं संवच्छराणं दोच्चस्स चंदसंवच्छरस्स के श्रादी अाहितेति वदेजा ?, ता जे णं पढमस्स चंदसंवच्छरस्स पजवसाणे से णं दोचस्स णं चंदसंवच्छरस्स श्रादी अणंतरपुरवखडे समये 6 / ता से णं किंपज्जवसिते श्राहितेति वदेजा ?, ता जे णं तच्चस्स अभिवडियसंवछरस्स श्रादी से णं दोबस्स चंदसंवच्छ रस्स पजवसाणे अणंतरपच्छाकडे समये 7 / तं समयं च णं चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएति ?, ता पुव्वाहिं श्रासादाहिं, पुव्वाणं प्रासादाणं सत्त मुहुत्ता तेवगणं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिया छेत्ता इगतालीसं चुरिणयाभागा सेसा 8 / तं समयं च णं सूरे केणं णक्खत्तेणां जोएति ?, ता पुणवसुणा, पुणव्वसुस्स णं बायालीसं मुहुत्ता पणतीसं च बावविभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिधा छेत्ता सत्त चुगिणया भागा सेसा 1 / ता एतेसि णं पंचराहं संवच्छराणं तबस्स अभिवड्डितसंवच्छरस्स के श्रादी श्राहिताति वदेजा ?, ता जे णं दोचस्स चंदसंवच्छरस्स पन्जवसाणे से णं तच्चस्स अभिवडितसंवच्छरस्स श्रादी अणंतरपुरक्खडे समए 10 / ता से णं किंपजवसिते अाहितेति वदेजा ?, ता जे णं चउत्थस्स चंदसंवच्छरस्स श्रादी से णं तचस्स अभिवडितसंवच्छरस्स पजवसाणे अणंतरपच्छाकडे समए 11 / तं समयं च णं चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएति ?, ता उत्तराहिं श्रासाढाहिं, उत्तराणं श्रासा Page #435 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 408 ] ( श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः ढाणं तेरस मुहुत्ता तेरम य बावद्विभागा मुहुत्तस्स बावविभागं च सत्तट्टिधा छेत्ता सत्तावीसं चुरिणया भागा सेसा 12 / तं समयं च णं सूरे केणं णक्खत्तेणं जोएति ?, ता पुणवसुणा, पुणब्बसुस्स दो मुहुत्ता छप्पराणं बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्टिधा छेत्ता सट्ठी चुरिणया भागा सेसा 13 / ता एएसिणं पंचराहं संवच्छराणं चउत्थस्स चंदसंवच्छरस्स के श्रादी अाहितेति वदेजा ?, ताजेणं तच्चस्स अभिवडितसंवच्छरस्स पजवसाणे से णं चउत्थस्स चंदसंवच्छरस्स श्रादी अणंतरपुरक्खडे समये 14 / ता से णं किंपज्जवसिते ग्राहितेति वदेजा ?, ताजे णं चरिमस्स अभिवड्डियसंवच्छरस्स श्रादी से णं चउत्थस्स चंदसंवच्छरस्स पजवसाणे अणंतरपच्छाकडे समये 15 // तं समयं त्र णं चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएति ?, ता उत्तराहिं श्रासादाहिं, उत्तराणं प्रासाढाणं चत्तालीसं मुहुत्ता चत्तालीसं च बासट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिधा छेत्ता चउसट्टी चुगिणयाभागा सेसा 16 / तं समयं च णं सूरे केणं णाक्खत्तेणं जोएति ?, ता पुणव्वसुणा, पुणव्वसुस्स अउणतीसं मुहुत्ता एकवीसं बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावद्विभागं च सत्तट्टिधा छेत्ता सीतालीस चुरिणयाभागा सेसा 17 ता एतेसिणं पंचराहं संवच्छराणं पंचमस्स अभिवड्डितसंवच्छरस्स के यादी अाहिताति वदेजा ?, ता जे णं चउत्थस्स चंदसंबच्छरस्स पज. वसाणे से णं पंचमस्स अभिवडितसंवच्छरस्स श्रादी अणंतरपुक्खडे समये 18 / ता से णं किंपज्जवसिते अाहितेति वदेजा ?, ताजे णं पढमस्स चंदसंवच्छरस्स अादी से णं पंचमस्स अभिवडितसंवच्छरस्स पजवसाणे अणंतर. पच्छाकडे समये 11 / तं समयं च णं चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएति ?, ता उत्तराहि त्रासादाहिं, उत्तराणं श्रासाढाणं चरमसमये, तं समयं च णं सूरे केणं णक्खत्तेणं जोएति ?, ता पुस्सेणं, पुस्सस्स णं एकवीसं मुहुत्ता तेतालीसं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिधा छेत्ता तेत्तीसं चुरिणया भागा सेसा 20 / / सूत्रं 71 // एकारसमं पाहुडं समत्तं // // इति एकादशं प्राभृतम् // 11 // Page #436 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्रं :: प्रा० 12] [406 // अथ संवत्सरभेदाख्यं द्वादशं प्राभतम् // ता कति णं संवच्छरा आहिताति वदेजा ?, तत्थ खलु इमे पंच संवच्छरा पराणत्ता, तंजहा-णक्खत्ते चंदे उडू श्रादिच्चे अभिवहिते 1 / ता एतेसि णं पंचाहं संवच्छराणं पढमस्स मक्खत्तसंवच्छरस्स णक्खत्तमासे तीसतिमुहुत्तेणं 2 अहोरत्तेणं मिजमाणे केवतिए राइंदियग्गेणं अाहितेति वदेजा ?, ता सत्तावीसं राईदिदाई एकवीसं च सत्तट्ठिभागा राइंदियस्स राइंदियग्गेणं आहितेति वदेजा 2 / ता से णं केवतिए मुहुत्तग्गेणं पाहितेति वदेजा ?, ता अट्ठसए एकूणवीसे मुहुत्ताणं सत्तावीसं च सतट्ठिभागे मुहुत्तस्स मुहुत्तग्गेणं अाहितेति वदेजा 3 / ता एएसि णं श्रद्धा दुवालस खुतकडा णक्खत्ते संवच्छरे, ता से णं केवतिए राइदियग्गेणं श्राहितेति वदेजा ?, ता तिरिण सत्तावीसे राइंदियसते एकावन्नं च सत्तट्ठिभागे राइदियस्स राइंदियग्गेणं अाहितेति वदेजा 4 / ता से णं केवतिए मुहुत्तग्गेणं श्राहितेति वदेजा ?, ता णव मुहुत्तसहस्सा अट्ट य बत्तीसे मुहुत्तसए छप्पन्नं च सत्तट्ठिभागे मुहुत्तस्स मुहुत्तग्गेण अाहितेति वदेजा 5 / ता एएसि णं पंचराहं संवच्छराणं दोचस्स चंदसंवच्छरस्स चंदे मासे तीसतिमुहुत्तेणं 2 अहोरत्तेणं गणिजमाणे केवतिए राइंदियग्गेणं श्राहितेति वदेजा ?, ता एगणतीसं राइंदियाई बत्तीसं बावद्विभागा राइदियस्स राइंदियग्गेणं अाहितेति वदेजा 6 / ता से णं केवतिए मुहुत्तग्गेणं श्राहितेति वदेजा ?, ता अट्ठपंचासते मुहुत्ते तेत्तीसं च छावट्ठिभागे मुहुत्तग्गेणं श्राहितेति वदेजा 7 / ता एस णं श्रद्धा दुवालसखुत्तकडा चंदे संवच्छरे, ता से णं केवतिए राइंदियग्गेणं आहितेति वदेजा ?, ता तिन्नि चउप्पन्ने राइंदियसते दुवालस य बावट्ठिभागा राईदियग्गेणं श्राहितेति वदेजा 8 / तीसे णं केवतिए मुहुत्तग्गेणं आहितेति वदेजा ? तो दस मुहुत्तसहस्साई छच्च पणुकीसे 42. Page #437 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 410 . [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः मुहुत्तसए परणासं च बावट्ठिभागे मुहुत्तेणं आहितेति वदेजा 1 / ता एएसि णं पंचराहं संवच्छराणं तच्चस्स उडुसंवच्छरस्स उडमासे तीसतीमुहुत्तेणं गणिजमाणे केवतिए राइंदियग्गेणं श्राहियाति वदेजा ?, ता तीसं. राइंदियाणं राइंदियग्गेणं श्राहितेति वदेजा 10 / ता से णं केवतिए मुहुत्तग्गेणं श्राहितेति वदेजा ?, ता णव मुहुत्तसताई मुहुत्तग्गेणं श्राहितेति वदेजा 11 / ता एस णं श्रद्धा दुवालसखुत्तकडा उडू, संवच्छरे, ता से णं केवतिए राइंदियग्गेणं अाहितेति वदेजा ?, ता तिरिण स? राइंदियसते. राइंदियग्गेणं अाहितेति वदेजा 12 / ता से णं केवतिए मुहुत्तग्गेणं पाहिएति वदेजा ? ता दस मुहुत्तसहस्साई अट्ठ य सयाई मुहुत्तग्गेणं श्राहितेति वदेजा 13 / ता एएसि णं. पंचराहं संवच्छराणं चउत्थस्स अादिचसंवच्छरस्स श्राइच्चे मासे तीसतिमुहुत्तेणं अहोरत्तेणं गणिजमाणे केवइए राइंदियग्गेणं श्राहितेति वदेजा ?, ता तीसं राइंदियाइं अवद्धभागं च राईदियस्स राइदियग्गेणं अाहितेति वदेजा 14 / ता से णं केवतिए मुहुत्तग्गेणं आहितेति वदेजा ?, ता. णव पराणरस मुहुत्तसए मुहुत्तग्गेणं अाहितेति वदेजा 15 / ता.एस णं श्रद्धा दुवालसखुत्तकड़ा श्रादिच्चे संवच्छरे, ता से णं केवतिए राइंदियग्गेणं अाहितेति वदेजा , ता तिन्नि छाव? राईदियसए. राइंदियग्गेणं श्राहियत्ति वइन्जा 16 / ता से णं' कवतिए मुहुत्तग्गेणं श्राहियत्ति वइजा ?, ता दस मुहुत्तस्स सहस्साई ‘णव. असीते मुहुत्तसते मुद्दत्तग्गेणं वाहितेति वदेजा 17 / ता एएसि णं पंचराहं संवच्छराणं पंचमस्स अभिवडियसंवच्छरस्स अभिवड्डिते मासे तीसतिमुहुत्तेणं अहोरत्तेणं गणिजमाणे केातिए राइंदियग्गेणं आहितेति वदेजा ?, ता एकतीस राइंदियाइं एगणतीसं च मुहुत्ता सत्तरस बावट्ठिभागे मुहुत्तस्स राइदियग्गेणं श्राहितेति वदेजा 18 / ता से णं केवतिए मुहुत्तग्गेणं थाहितेति वदेजा ?, ता.णव एगणस? मुहुत्तसते सत्तरस बावट्ठिभागे मुहुत्तस्स मुहुत्तग्गेणं आहितेति वदेज्जा Page #438 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्सूर्यप्रज्ञप्तिमूत्रं : प्रा० 12 ] [ 411 11 / ता एस णं श्रद्धा दुवालसखुत्तकडा अभिवडितसंवच्छरे 20 / ता से णं केवतिए राइंदियग्गेणं श्राहितेति वदेजा ?, तिगिण तेसीते राइंदियसते एकवीसं च मुहुत्ता अट्ठारस बावट्ठिभागे मुहुत्तस्स राइदियग्गेणं अाहितेति वदेजा 21 / ता से णं केवतिए मुहुत्तग्गेण अाहितेति वदेजा?, ता एकारस मुहुत्तसहस्साई पंच य एकारस मुहुत्तसते . अट्ठारस बावट्ठिभागे मुहुत्तस्स मुहुत्तग्गेणं अाहितेति वदेजा.२२ // सूत्रं 72 // ता केवतियं ते नोजुगे राइंदियग्गेणं अाहितेति वदेजा ?, ता सत्तरस एकाणउते राइंदियसते एगूणवीसं च मुहुत्तं च सत्तावराणे बावट्ठिभागे मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिधा छेत्ता पणपरणं चुरिणयाभागे राइदियग्गेणं वाहितेति वदेजा 1 / ता से णं केवतिए, मुहुत्तग्गेणं श्राहितेति वदेजा ?, ता तेपराण मुहुत्तसहस्साई सत्त य उणापन्न मुहुत्तसते सत्तावराणं बावट्टिभागे मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्टिया छेत्ता पणपरणं चुरिणया भागा मुहुत्तग्गेणं याहितेति वदेजा 2 | ता केवतिए.णं ते जुगप्पत्ते राइदियग्गेणं अाहितेति वदेजा ?, ता अट्टतीसं राइंदियाई दस य मुहुत्ता चत्तारि य वावट्ठिभागे मुहुत्तस्त वावट्ठिभागं च सत्तट्टिधा छेत्ता दुवालस चुरिणया भागे राइंदियग्गेणं श्राहिताति वदेजा 3 तासे णं केवतिए मुहुत्तग्गेणं आहितेति वदेजा ?, ता एकारस पराणासे मुहुत्तसए चत्तारि य बावट्ठिभागे बावट्ठिभागं च सत्तट्टिहा छेत्ता दुवालस चुरिणया भागे मुहत्तग्गेणं श्राहितेति वदेजा। ता केवतियं जुगे राइंदियग्गेणं अाहितेति वदेजा ? ता अट्ठारसतीसे राइंदियसते राइंदियग्गेणं श्राहियाति वदेजा 5 / ता से णं केवंतिए मुहुत्तग्गेणं त्राहियाति वदेजा ?, ता चउप्पणं मुहुत्तसहस्साई णव य मुहुत्तसताई मुहुत्तग्गेणं अाहितेति वदेज्जा 6 / ता से णं केवतिए बावट्ठिभागमुहुत्तग्गेणं थाहितेति वदेजा ?, ता चोतीसं सतसहस्साई अट्टतीसं च बावट्ठिभागमुहुत्तसते बावट्ठिभागमुहुत्तग्गेणं श्राहितेति वदेजा 7 // सूत्रं 73 // ता Page #439 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पासवच्छरा, ततामयता तीसं एते हएतेर चंदमासा, 'ए 112 ] . [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः कता णं एते श्रादिञ्चचंदसंबच्छरा समादीया समपन्जवसिया अाहितेति वदेजा ?, ता सर्टि एए श्रादिचमासा बावडिं एतेए चंदमासा, एस णं श्रद्धा छखुत्तकडा दुवालसभयिता तीसं एते श्रादिचसंवच्छरा एकतीसं एते चंदसंवच्छरा, तता णं एते श्रादिचचंदसंवच्छरा समादीया समपज्जवसिया श्राहिताति वदेजा 1 / ता कता णं एते अादिचउडुचंदणक्खत्ता संवच्छरा समादीया समपजवसिया श्राहितेति वदेजा ?, ता सर्टि एते श्रादिचा मासा एगट्टि एते.उड्डमासा बावर्टि एते चंदमासा सत्तट्टि एते नक्खत्ता मासा एस णं श्रद्धा दुवालस खुत्तकडा दुवालसभयिता सर्टि एते श्रादिचा संवच्छरा एगट्टि एते उडुसंवच्छरा बावट्टि एते चंदा संवच्छरा सत्तट्टि एते नक्खत्ता संवञ्छरा, तता णं एते श्रादिचउडुचंदणक्खत्ता संवच्छरा समादीया - समपजवसिया श्राहितेति वदेजा 2 / ता कता णं एते अभिवडियादिचउडुचंदणक्खत्ता संवच्छरा समादीया समपजवसिता अाहितेति वदेजा ?, ता सत्तावराणं मासा सत्त य अहोरत्ता एकारस य मुहुत्ता तेवीसं बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स एते अभिवडिता मासा सहि एते श्रादिच्च मासा एगट्टि एते उडूमासा बावट्ठी एते चंदमासा सत्तट्ठी एते नक्खत्तमासा, एस णं श्रद्धा छप्पराणसत्तखुत्तकडा दुवालसभयिता सत्त सता चोत्ताला एते णं अभिवहिता संवच्छरा, सत्त सता असीता एते णं श्रादिचा संवच्छरा, सत्त सता तेणउता एते णं. उसंवच्छरा, अट्ठसत्ता छलुत्तरा एते णं चंदा संवच्छरा, एकसत्तरी अट्ठ सया. एए णं नक्खत्ता संवच्छरा, तताणं एते अभिवड्डितपादिचउडुचंद- नक्खत्ता संवच्छरा समादीया समपज्जवसिया अाहितेति वदेजा 3 / ताणयट्ठताए णं चंदे संवच्छरे तिरिण चउप्पराणे राइंदियसते दुवालस य बावट्ठिभागे राइंदियस्स ाहितेति वदेजा 4 / ता हातच्चेणं चंदे संवच्छरे तिरिण चउप्पराणे राइंदियसते पंच य मुहुत्ते पराणासं च बावट्ठिभागे मुहुत्तस्स अाहितेति वदेजा 5 // सूत्रं 74 // तत्थ खलु इमे छ उडू पराणत्ता, तंजहा Page #440 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्सर्यप्रज्ञप्तिसूत्रं : प्रा० 12 ] [ 413 पाउसे वरिसारत्ते सरते हेमंते वसंते गिम्हे 1 / ता सब्वेविणं एते चंदउडू दुवे 2 मासाति चउप्पराणेणं 2 श्रादाणेणं गणिजमाणा सातिरेगाई एगूणसट्टि 2 राइंदियाइं राइंदियग्गेणं अाहितेति वदेजा 2 / तत्थ खलु इमे छ श्रोमरत्ता पराणत्ता, तंजहा-ततिए पव्वे सत्तमे पव्वे एकारसमे पव्वे पन्नरसमे पव्वे एगूणवीसतिमे पव्वे तेवीसतिमे पव्वे 3 / तत्थ खलु इमे छ अतिरत्ता पगणत्ता, तंजहा-चउत्थे पव्वे अट्ठमे पव्वे बारसमे पव्वे सोलसमे पव्वे वीसतिमे पव्वे चउवीसतिमे पव्वे 4 / छच्चेव य श्रइरत्ता श्राइचायो हवंति माणाइ / छच्चेव श्रोमरत्ता चंदाहि हवंति माणाहि // 1 // सूत्रं 75 // तत्थ खलु इमायो पंच वासिकीयो पंच हमंतीयो पाउट्टियो पराणत्तायो 1 / ता एएसि णं पंचराहं संवच्छराणं पढमं वासिकिं पाउट्टि चंदे केणं नक्सत्तेणं जोएति ?, ता अभीयिणा, अभीयिस्स पढमसमएणं 2 / तं समयं च णं सूरे केणं णक्खत्तेणं जोएति ?, ता पूसेणं, पूसस्स एगूणवीसं मुहुत्ता तेत्तालीसं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तद्विधा छेत्ता तेत्तीसं चुगिणया भागा सेसा 3 / ता एएसिणं पंचराहं संवच्छराणं दोच्चं वासिक्कि पाउटिं चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएति ? ता संठाणाहिं संगणाणं एकारस मुहुत्ते ऊतालीसं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तद्विधा छेत्ता तेपरणं चुरिणया भागा सेसा 4 / तं समयं सूरे केणं णक्खत्तेणं जोएति? ता पूसेणं, प्रसस्स णं तं चेव जं पढमाए / एतेसि णं पंचगहं संवच्छराणं तच्चं वासिकिं पाउट्टि चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएइ ?, ता विसाहाहिं, विसाहाणं तेरस मुहुत्ता चउप्पराणं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तद्विधा छेत्ता चत्तालीसं चुरिणया भागा सेसा / तं समयं च णं सूरे केणं णक्खत्तेणं जोएति ?, ता प्रसेणं, पूसस्स तं चेव 7 / ता एतेसि णं पंचराहं संवच्छराणं चउत्थं वासिक्कं बाउट्टि चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएति ?, ता रेवतीहिं, खेतीणं पणवीसं मुहुत्ता बत्तीसं च Page #441 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 414 ] बासहिभागात समय हास में पंचगह कागुणीहिं न च सतटिया [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः बासट्ठिभागा मुहुत्तस्स बायट्ठि भागं च सत्तट्ठिया छेत्ता छत्तीसं चुरिणया भागा सेसा 8 / तं समयं च णं सूरे केणःणक्खत्तेणं जोएति ?, ता पूसेणं, पूसस्स तं चेव 1 / सा एएसि णं पंचराहं संवच्छराणं पंचमं वासिक्किं पाउट्टि चंदे केणं णक्खत्तेणं ज़ोएति ?, ता पुव्वाहि फग्गुणीहि, पुव्वाफग्गुणीणं बारस मुहुत्ता सत्तालीसं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिधा छेत्ता तेरस चुरिणया भागा सेसा 10 / तं समयं च णं सूरे केणं णक्खत्तेणं जोएति ?, ता पूसेणं, प्रसस्स तं चेव 11 // सूत्रं 76 // ता एएसि णं पंचराहं संवच्छराणं पढमं हेमंत पाउट्टि चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएति ?, ता हत्थेणं, हत्थस्स णं पंच मुहुत्ता पराणासं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिधा छेत्ता सट्टि चुरिणया भागा सेसा 1 / तं समयं च णं सूरे केणं णक्खत्तेणं जोएति?, उत्तराहिं श्रासादाहिं, उत्तराणं श्रासाढाणं चरिमसमए 2 / ता एएसि णं पंचराहं संवच्छराणं दोच्चं हेमंति अाउट्टि चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएति ?, ता सतभिसयाहिं, सतभिसयाणं दुन्नि मुहुत्ता अट्ठावीसं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिधा छेत्ता छत्तालीसं चुरिणया भागा सेसा 3 / तं समयं च णं सूरे केणं णक्खत्तेणं जोएति ?, ता उत्तराहिं प्रासादाहिं, उत्तराणं श्रासादाणं चरिम समए 4 / तेसि णं पंचगहं संवच्छराणं तच्चं हेमंतिं बाउट्टि चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएति ?, ता प्रसेणं, पूसस्स एकूणवीसं मुहुत्ता तेतालीसं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिधा छेत्ता तेत्तीसं चुरिणया भागा सेसा 5 / तं. समयं च णं सूरे केणं णक्खत्तेणं जोएति ?, ता उत्तराहिं श्रासाढाहिं, उत्तराणं श्रासाढाणं चरिमसमए 6 / ता एतेसि णं पंचराहं संवच्छराणं चउत्थि हेमंतिं श्राउट्टि चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएति ?, ता मूलेणं, मूलस्स छ मुहुत्ता अट्ठावन्नं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तद्विधा छेत्ता वीसं चुरिणया भागा सेसा ७।तं. समयं च णं सूरे Page #442 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमन्सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्र :: प्रा० 53 / [ 415 केणं णक्खत्तेणं जोएति ?, ता उत्तराहिं यांसाढाहिं, उत्तराणं श्रासादाणं चरिमसमए 8 / ता एतेसि णं पंचराहं संवच्छराणं पंत्रमं हेमंत पाउट्टि चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएति ?, कत्तियाहिं, कत्तियाणं अट्ठारस मुहुत्ता छत्तीसं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बांवट्ठिभागं च सत्तद्विधा छेत्ता छ. चुरिणया मागा सेसा 1 / तं समयं च णं सूरे केणं गक्खत्वेणं. जोएति ?, ता उत्तराहिं आसाढाहिं, उत्तराणं श्रासादाणं चरिमसमए 10 // सूत्रं 77 // तत्थ खलु इमे दसविधे जोए घराणत्ते, तंजहा-वसभाणुजोए वेणुयाणुजोते मंचे मंचाइमंचे छत्तें छत्तातिच्छत्ते जुअणद्धे घणसंमद्दे पीणिते मंडकप्पुते खामंदसमे 1 / एतसि णं पंचराहं संवच्छराणं छत्तातिच्छत्तं जोयं चंदे कसि देसंसि जोएति?, ता जंबुद्दीवस्स 2 पाईणपडिणीबायताएं उदीणदाहिणायताए जीवाए मंडलं चउव्वीसेणं सतेणं छित्ता दाहिणपुरच्छिमिल्लसि चउभागमंडलंसि सत्तावीसं भागे उादिणावेत्ता अट्ठावीसतिभागं वीसधा छेत्ता. अट्ठारसभागे उवादिणावेत्ता तिहिं भागेहिं दोहिं कलाहिं दाहिणपुरच्छिमिल्लं चउब्भाग मंडलं असंपत्ते एत्थ णं से चंदे छत्तातिच्छत्तं जोयं जोएति, उप्पिं चंदो मज्झे णक्खत्ते हेट्ठा श्रादिच्चे 2 / तं समयं च णं चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएति ?, ता चित्ताहिं चरमसमए 3 // सूत्रं 78 / बारसमं पाहुडं समत्तं // . // इति द्वादशं प्राभृतम् // 12 // // अथ चन्द्रमसो वृद्ध्यपवृद्धिनामकं त्रयोदशं प्राभृतम् // ता कहं ते चंदमसो वडोवड्डी श्राहितेति वदेजा ?, ता अट्ट पंचासीते मुहुत्तसते तीसं च बावट्ठिभागे मुहुत्तस्स 1 / ता दोसिणापक्खायो अंधगारपक्खमयमाणे चंदे चत्तारि बायालसने छत्तालीसं च बावट्ठिभागे मुहुत्तस्स जाई चंदे रजति, तंजहा-पढमाए परमं भागं बितियाए बितियं भागं जाव पराणरसीए पराणरसमं भागं, चरिमसमए चंदे रत्ते भवति, अवसेसे समए चंदे Page #443 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 416 ] | श्रीमदागमसुधासिन्धु / सप्तमो विभागः रत्ते य विरत्ते य भवति, इयगणं अमावासा, एत्थ णं पढमे पव्वे अमावासे, ता अंधारपक्खो 2 / ता णं दोसिणापक्खं अयमाणे चंदे चत्तारे बाताले मुहुत्तसते छातालीसं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स जाई चंदे विरजति, तंजहापढमाए पढमं भागं बितियाए बितियं भागं जाव पराणरसीए पराणरसमं भागं चरिमे समये चंदे विरत्ते भवति, अवसेससमए चंदे रत्ते य विरत्ते य भवति, इयराणं पुगिणमासिणी, एत्थ णं दोच्चे पव्वे पुरिणमासिणी 3 // सूत्रं७१ // तत्थ खलु इमायो बावडिं पुरिणमासिणीयो बावट्टि अमावासाश्रो पगणत्तायो 1 / बावढि एते कसिणा रागा बावडिं एते कसिणा विरागा 2 / एते चउव्वीसे पव्वसते एते चउव्वीसे कसिणरागविरागसते 3 / जावतियाणं पंचराहं संवच्छराणं समया एगेणं चउव्वीसेणं समयसतेणूणका एवतिया परित्ता असंखेजा देसरागविरागसता भवतीतिमक्खाता 4 / अमावासातो णं पुगिणमासिणी चत्तारि बाताले मुहुत्तसते छत्तालीसं बावट्ठिभागे मुहुतस्स अाहितेति वदेजा 5 / ता पुरिणमासिणीतो णं अमावासा चत्तारि बायाले मुहत्तसते छत्तालीसं बावट्ठिभागे मुहुत्तस्स श्राहितेति वदेजा 6 / ता अमावासातो णं अमावासा अट्ठपंचासीते मुहुत्तसते तीसं च बावट्ठिभागे मुहुत्तस्स अाहितेति वदेजा 7 / ता पुगिणमासिणीतो णं पुगिणमासीणी अट्ठपंचासीते मुहुत्तसते तीसं बावट्ठिभागे मुहुत्तस्स अाहितेति वदेजा 8 / एस णं एवतिए चंदे मासे एस णं एवतिए सगले जुगे 1 // सूत्रं 80 // ता चंदेणं श्रद्धमासेणं चंदे कति मंडलाई चरति ?, ता चोदस चउब्भागमंडलाइं चरति एगं च चउवीससतभागं मंडलस्स.१। ता श्राइच्चेणं अंदमासेणं चंदे कति मंडलाइं चरति ?, ता सोलस मंडलाइं चरति सोलसमंडलचारी तदा श्रवराई खलु दुवे अट्ठकाई जाई चंदे केणइ असामगणकाई सयमेव पविट्टित्ता 2 चारं चरति 2 / कतराई खलु दुवे अट्ठकाई जाई चंदे केणइ असामगणकाई सयमेव पविट्टित्ता 2 चारं चरति ?, इमाइं खलु ते // सूत्र लाई चरति एणं च अदमासेणं Page #444 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्पूर्यप्रज्ञप्ति सूत्र :: प्रा० 12 ] [ 417 बे अगाई जाई चंदे केणइ असामगणगाई सयमेव पविद्वित्ता 2 चारं चरति, तंजहा-निक्खममाणे चेव अमावासंतेणं पविसमाणे चेव पुरिणमासिंतेणं, एताई खलु दुवे अट्टमाइं जाई चंदे केणइ असामराणगाई सयमेव पविट्टित्ता 2 चारं चरइ 3 ।ता पढमायणगते चंदे दाहिणाते भागाते पविसमाणे सत्त श्रद्धमंडलाई जाइं चंदे दाहिणाते भागाए पविसमाणे चारं चरति 4 / कतराई खलु ताई सत्त अद्धमंडलाइं जाइं चंदे दाहिणाते भागाते पविसमाणे चारं चरति ?, इमाई खलु ताई सत्त अद्धमंडलाइं जाई चंदे दाहिणाते भागाते पविसमाणे चारं चरति, तंजहा-बिदिए अद्धमंडले चउत्थे श्रद्धमंडले छ8 श्रद्धमंडले अट्ठमे श्रद्धमंडले दसमे श्रद्धमंडले बारसमे अद्धमंडले चउदसमे श्रद्धमंडले एताई खलु ताई सत्त अद्धमंडलाइं जाइं चंदे दाहिणाते भागाते पविसमाणे चारं चरति 5 / ता पढमायणगते चंदे उत्तराते भागाते पविसमाणे छ अद्धमंडलाइं तेरस य सत्तट्ठिभागाइं श्रद्धमंडलस्स जाइं चंदे उत्तराते भागाए पविसमाणे चारं चरति 6 / कतराइं खलु ताइ छ अद्धमंडलाइं तेरस य सत्तट्ठिभागाइं अद्धमंडलस्स जाई चंदे उत्तराते भागाते पविसमाणे चारं चरति ?, इमाई खलु ताई छ श्रद्धमंडलाइं तेरस य सत्तट्ठिभागाइं अद्धमंडलस्स जाइं चंदे उत्तराए भागाते पविसमाणे चारं चरति, तंजहा-तईए श्रद्धमंडले पंचमे यद्धमंडले सत्तमे श्रद्धमंडले नवमे अद्धमंडले एकारसमे श्रद्धमंडले तेरसमे श्रद्धमंडले पन्नरसमंडलस्स तेरस सत्तद्विभागाई, एताई खलु ताई छ श्रद्धमंडलाइं तेरस य सत्तट्ठिभागाइं अद्धमंडलस्स जाई चंदे उत्तराते भागाते पविसमाणे चारं चरति, एतावया च पढमे चंदायणे समत्ते भवति 7 / ता णक्खत्ते अद्धमासे नो चंदे श्रद्धमासे चंदे श्रद्धमासे नो गक्खत्ते अद्धमासे 8 / ता नक्खत्तायो श्रद्धमासातो ते चंदे चंदेणं श्रद्धमासेणं किमधियं चरति ?, ता एगं अद्धमंडलं चरति चत्तारि य सत्तट्ठिभागाइं श्रद्धमंडलस्स सत्तट्ठिभागं एकतीसाए छेत्ता णव भागाई, ता दोचायणगते चंदे 53 Page #445 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 418 / | श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः पुरिच्छमाते भागाते मिक्खममाणे सत्त चउप्पराणाई जाइं चंदे परस्स चिन्नं पडिचरति सत्त तेरसकाई जाई चंदे अप्पणा विगणं चरति 1 / ता दोच्चायणगते चंदे पञ्चत्थिमाए भागाए निक्खममाणे छ चउप्पराणाई जाइं चंदे परस्स चिराणं पडिचरति छ तेरसगाई चंदे अप्पणो चिराणं पडिचरति, अवरगाइं खलु दुवे तेरसगाई जाइं चंदे केणइ असमन्नगाई सयमेव पविट्टित्ता 2 चारं चरति 10 / कतराई खलु ताई दुवे तेरसगाई जाइं चंदे केणइ असामराणगाई सयमेव पविट्टित्ता 2 चारं चरति ?, इमाइं खलु ताई दुवे तेरस. गाइ जाई चंदो केणइ असामराणगाई सयमेव पविद्वित्ता 2 चारं चरति सव्वभंतरे चेव मंडले सव्वबाहिरे चेव मंडले, एयाणि खलु ताणि दुवे तेरसगाई जाइं चंदे केणइ जाव चारं चरइ, एतावता दोच्चे चंदायणे समत्ते भवति 11 / ताणक्खत्ते मासे नो चंदे मासे चंदे मासे णो गक्खत्ते मासे 12 / ताणक्खत्ताते मासाए चंदेणं मासेणं किमधियं चरति ?, ता दो श्रद्धमंडलाई चरति अट्ट य सत्तविभागाइं श्रद्धमंडलस्स सत्तट्ठिभागं च एकतीसधा छेत्ता अट्ठारस भागाई, ता तचायणगते चंदे पञ्चत्थिमाते भागाए पविसमाणे बाहिराणंतरस्स पञ्चत्थिमिलस्स अद्धमंडलस्स ईतालीसं सत्तट्ठिभागाइं जाइं चंदे अप्पणो परस्स य चिराणं पडिचरति, तेरस सत्तद्विभागाई जाइं चंदे परस्स चिराणं पडिचरति, तेरस सत्तट्ठिभागाइं चंदे अप्पणो परस्स चिराणं पडिचति, एतावयाव बाहिराणंतरे पञ्चस्थिमिल्ले श्रद्धमंडले समत्ते भवति 13 / तच्चायणगते चंदे पुरच्छिमाए भागाए पविसमाणे बाहिरतच्चस्स पुरच्छिमिल्लस्स अद्धमंडलस्स ईतालीसं सत्तट्ठिभागाइं जाई चंदे अप्पणो परस्स चिराणं पडियरति, तेरस सत्तट्ठिभागाइं जाइं चंदे परस्स चिराणं पडिचरति, तेरस सत्तट्ठिभागाइं जाइं चंदे अप्पणो परस्स य चिराणं पडियरति, एतावताव बाहिरत चे पुरच्छिमिल्ले अद्धमंडले समत्ते भवति 14 / ता तच्चायणगते चंदे पञ्चस्थिमाते भागाते पविसमाणे बाहिरचउत्थस्स पचत्थिमिल्लस्स अद्ध Page #446 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमस्सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्रं : प्रा० 13 ] [ 419 मंडलस्स श्रद्धसत्तट्ठिभागाइं सत्तविभागं च एकतीसधा छेत्ता अट्ठारस भागाई जाइं चंदे अप्पणो परस्स य चिराणं पडियरति, एतावताव बाहिरचउत्थपञ्चथिमिल्ने अद्धमंडले समत्ते भवइ 15 / एवं खलु चंदेणं मासेणं चंदे तेरस चउप्पराणगाई दुवे तेरसगाई जाई चंदे परस्स चिराणं पडिचरति, तेरस 2 गाई जाई चंदे अप्पणो चिराणाई पडियरति, दुवे ईतालीसगाई दुवे तेरसगाई अट्ठ मत्तट्ठिभागाइं सत्तट्ठिभागं च एकतीसधा छेत्ता अट्ठारसभागाइं जाई चंदे अप्पणो परस्त य चिरणं पडिचरति, श्रवराई खलु दुवे तेरसगाई जाई चंदे केणइ अस्सामन्नगाई सयमेव पविट्टित्ता 2 चारं चरति 16 / इच्चेसो चंदमासोऽभिगमण-णिक्खमण-बुड्डिणिवुड्डि-श्रणवद्वित-संठाणसंठिती-विउव्वणगिड्डि. पत्ते ख्वी चंदे देवे 2 अाहितेति वदेजा १७॥सूत्रं ८१॥तेरसमं पाहुडं समत्तं // // इति त्रयोदशं प्राभृतम् // 13 // // अथ ज्योत्स्नाप्रमाणाख्यं चतुर्दशं प्रामृतम् // . ता कता ते दोसिणा बहू अाहितेति वदेजा ?, ता दोसिणापक्खे णं दोसिणा बहू अाहितेति वदेजा 1 / ता कहं ते दोसिणापक्खे दोसिणा बहू अाहितेति वदेजा ?, ता अंधकारपक्खयो णं दोसिणा बहू आहियाति वदेजा 2 / ता कहं ते अंधकारपक्खातो दोसिणापक्खे दोसिणा बहू श्राहिताति वदेजा , ता अंधकारपक्खातो णं दोसिणापंक्खं श्रयमाणे चंदे चत्तारि बायाले मुहुत्तसते छत्तालीसं च बावट्ठिभागे मुहुत्तस्स जाइं चंदे विर. जति, तंजहा-पढमाए पढमं भागं बिदियाए बिदियं भागं जाव परणरसीए पराणरसं भागं, एवं खलु अंधकारपक्खातो दोसिणापक्खे दोसिणा बहू पाहि. ताति वदेजा 3 / ता केवतिया णं दोसिंणापक्खे दोसिणा बहू अाहिताति वदेजा ?, ता परित्ता असंखेजा भागा 4 / ता कता ते अंधकारे बहू अाहितेति वदेजा ?, ता अंधयारपक्खे णं बहू अंधकारे श्राहिताति Page #447 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 420 ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः // सप्तमो विभागः वदेजा 5 / ता कहं ते अंधकारपवखे अंधकारे बहू आहिताति वदेजा ?, ता दोसिणापक्खातो अंधकारपक्खे अंधकारे बहू अाहितेति वदेजा 6 / ता कहं ते दोसिणापक्खातो अंधकारपक्खे अंधकारे बहू अाहिताति वदेजा ?, ता दोसिणापक्खातो णं अंधकारपक्खं अयमाणे चंदे चत्तारि बाताले मुहुत्तसते छायालीसं च बावट्ठिभागे मुहुत्तस्स जाइं चंदे रजति, तंजहा-पढमाए पढमं भागं विदियाए विदियं भागं जाव पराणरसीए पराणरसमं भागं, एवं खलु दोसिणापक्खातो अंधकारपक्खे अंधकारे बहू अाहिताति वदेजा 7 / ता केवतिएणं अंधकारपक्खे अंधकारे बहू अाहियाति वदेजा ?, परित्ता असंखेजा भागा 8 // सूत्रं 82 // चोदसमं पाहुडं समत्तं // // अथ शीघ्रगतिनिर्णयाख्यं पञ्चदशं प्राभृतम् // ता कहं ते सिग्घगती पत्थू अाहितेति वदेजा ?, ता एतेसि णं चंदिम-सूरिय-गहगण-नक्खत्तताराख्वाणं चंदेहितो सूरे सिग्धगती सूरेहितो गहा सिग्धगती गहेहिंतो णक्खत्ता सिग्धगती णक्खत्तेहितो तारा सिग्धगती, सधप्पगती चंदा सव्वसिग्धगती तारा 1 / ता एगमेगेणं मुहुत्तेणं चंदे केवतियाइं भागसताइं गच्छति ?, ता जं जं मंडलं उपसंकमित्ता चारं चरति तस्स 2 मंडलपरिक्खेवस्स सत्तरस अडसट्टि भागसते गच्छति, मंडलं सतसहस्सेणं अट्ठाणउतीसतेहिं छेत्ता 2 / ता एगमेगेणं मुहुत्तेणं सूरिए केवतियाई भागमयाइं गच्छति ?, ता जं जं मंडलं उवसंकमित्ता चार चरति तस्स 2 मंडलपरिक्खेवस्स अट्ठारस तीसे भागसते गच्छति, मंडलं सतसह. स्सेणं अट्ठाणउतीसतेहि छेत्ता 3 / ता एगमेगेणं मुहुत्तेणं णक्खत्ते केवतियाई भागसताई गच्छति ?, ताजं जं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तस्स 2 मंडलस्स परिक्खेवस्स अट्ठारस पणतीसे भागसते गच्छति, मंडलं सतसहस्सेणं अट्ठाणउतीसतेहिं छेत्ता 4 // सूत्रं 83 // ता जया णं Page #448 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीम सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्रं :: प्रा० 15 ] [ 421 चंदं गतिसमावगणं सूरे गतिसमावराणे भवति 1 / से णं गतिमाताए केवतियं विसेसेति ?, बावट्ठिभागे विसेसेति 2 / ता जया णं चंदं गतिसमावरणं णक्खत्ते गतिसमावराणे भवइ से णं गतिमाताए केवतियं विसेसेइ ?, ता सत्तट्टि भागे विसेसेति 3 / ता जता णं सूरं गतिसमावराणं णक्खत्ते गतिसमावराणे भाति से णं गतिमाताए केवतियं विसेसेति ?, ता पंच भागे विसेसेति 4 / ता जता णं चंदं गतिसमावराणं अभीयीणक्खत्ते णं गतिसमावराणे पुरच्छिमाते भागाते समासादेति, पुरच्छिमाते भागाते समासादित्ता णव मुहुत्ते सत्तावीसं च सत्तट्ठिभागे मुहुत्तस्स चंदेण सद्धिं जोएति, जोयं जोएत्ता जोयं अणुपरियट्टति, जो 2 ता विष्पजहाति विगतजोई यावि भवति 5 / ता जता णं चंदं गतिसमावगणं सवणे णक्खत्ते गतिसमावराणे पुरच्छिमाति भागादे समासादेति, पुरच्छिमाते भागाते समासादेत्ता तीसं मुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोभं जोएति 2 जोयं अणुपरियट्टति 2 त्ता विप्पजहति विगतजोई यावि भवइ, एवं एएणं अभिलावेणं णेतव्वं 6 / पराणरसमुहुत्ताई तिसतिमुहुत्ताइं पणयालीसमुहुत्ताइं भाणितव्वाइं जाव उत्तरासाढा 7 / ता जता णं चंदं गतिसमावराणं गहे गतिसमावराणे पुरच्छिमाते भागाते समासादेति 2 ता चंदेणं सद्धि जोगं जुजति 2 ता जोगं अणुपरियति 2 ता विप्पजहति विगतजोई यावि भवति = / ता जया णं सूरं गतिसमावराणं अभीयीणक्खत्ते गतिसमावराणे पुरच्छिमाते भागाते समासादेति, 2 ता चत्तारि अहोरत्ते छच मुहुत्ते सूरेणं सद्धिं जोयं जोएति 2 जोयं अणुपरियट्टति 2 ता विपनहति विगतजोगी यावि भवति 1 / एवं छ अहोरत्ता एकवीसं मुहुत्ता य तेरस अहोरत्ता बारस मुहुत्ता य वीसं अहोरत्ता तिरिण मुहुत्ता य सव्वे भणितव्वा जाव जता णं सूरं गतिममावराणं उत्तरासाढाणक्खत्ते गतिसमावराणे पुरच्छिमाते भागाते समासादेति, 2 त्ता वीसं अहोरत्ते तिरिण य मुहुत्ते सूरेण सद्धिं जोयं जोएति Page #449 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 422 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः / 2 ता जोयं अणुपरियट्टति 2 ता विजेति विनहति विप्पजहति विगतजोगी यावि भवति 10 / ता जता णं सूरं गतिसमावराणं गहे गतिसमावराणे पुरच्छिमाते भागाते समासादेति, 2, त्ता सूरेण सद्धिं जोयं जुजति 2 ता / जोयं अणुपरियट्टति 2 ता जाव विष्पजहति विगतजोगी यावि भवति 11 // सूत्रं 84 // ता णक्खत्तेणं मासेणं चंदे कति मंडलाई चरति ?, ता तेरस : मंडलाइं चरति, तेरस.य. सत्तविभागे मंडलस्स 1 / ता णक्खत्तेणं मासेणं सूरे .. कति मंडलाइं. चरति ?, तेरस मंडलाइं चरति, चोत्तालीसं च सत्तट्ठिभागे मंडलस्स 2 / ता णक्खत्तेणं मासेणं णक्खत्ते कति मंडलाइं चरति ?, ता तेरस मंडलाइं चरति श्रद्धसीतालीसं च सत्तट्ठिभागे मंडलस्स 3 / ता चंदेणं मासेणं चंदे कति मंडलाइं चरति, चोइस चउभागाइं मंडलाइं चरति एगं च चउवीससतं. भागं मंडलस्स 4 / ता चंदेणं मासेणं सूरे कति मंडलाई - चरति ?, ता पराणरस चउभागूणाई मंडलाई चरति, एगं च चउवीससयभागं मंडलस्स 5 / ता चंदेणं मासेणं णक्खत्ते कति मंडलाइं चरति ?, ता पराणरस. चउभागू. णाई मंडलाइं चरति छच्च चउवीससतभागे मंडलस्स 6 / ता उडुणा मासेणं चंदे कति मंडलाइं चरति ?, ता चोदस मंडलाई चरति तीसं च एगट्ठिभागे मंडलस्त 7 / ता उडुणा मासेणं सूरे कति मंडलाइं चरति ?, ता पराणरस मंडलाई चरति 8 / ता उडुणा मासेणं णक्खते कति मंडलाइं चरति ?, ता पराणरस मंडलाइं चरति पंच य बावीससतभागे मंडलस्स 1 / ता श्रादिच्चेणं मासेणं चंदे कति मंडलाइं चरति ?, ता चोइस मंडलाइं चरति, एकारस भागे मंडलस्स 10 / ता अादिच्चेणं मासेणं सूरे चंदे कति मंडलाई चरति ?, ता पराणरस चउभागाहिगाइं मंडलाइं चरति 11 / ता अादिच्चेणं मासेणं णक्खत्ते कति मंडलाइं चरति ?, ता पराणरस चउभागाहि. गाइं मंडलाइं चरति पंचतीसं च चवीससतभागमंडलाइं चरति 12 / ता अभिवड्डिएण मासेणं चंदे कति मंडलाइं चरति.?, ता परणरस मंडलाई Page #450 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्सूर्यप्रज्ञप्ति मूत्र : प्रा० 15 ] / 423 तेसीति छलमीयसतभागे मंडलस्स 13 / ता अभिवडितेणं मासेणं सूरे कति मंडलाई चरति ?, ता सोलस मंडलाइं चरति तिहिं भागेहिं ऊणगाई दोहिं अडयालेहिं सरहिं मंडलं छित्ता 14 / अभिवडितेणं मासेणं नक्खत्ते कति मंडलाई चरति ?, ता सोलस मंडलाइं चरति सीतालीसएहिं भागेहिं श्रहियाइं चोदसहिं अट्ठासीएहिं मंडलं छेत्ता 15 // सूत्रं 85 // ता एगमेगेणं अहोरत्तेणं चंदे कति मंडलाइं चरति ?, ता एगं श्रद्धमंडलं चरति एकतीसाए भागेहिं उणं णवहिं पराणरसेहिं सएहिं अद्धमंडलं छेत्ता 1 / ता एगमेगेणं अहोरत्तेणं सूरिए कति मंडलाइं चरति ?, ता एगं श्रद्धमंडलं चरति 2 / ता एगमेगेणं अहोरत्तेणं णक्खत्ते कति मंडलाई चरति ?, ता एगं अद्धमंडलं चरति दोहिं भागेहिं अधियं सत्तहिं बत्तीसेहिं सएहिं श्रद्धमंडलं छेत्ता 3 ।ता एगमेगं मंडलं चंदे कतिहिं अहोरत्तेहिं चरति ?, ता दोहिं अहोरत्तेहिं चरति एकतीसाए भागेहिं श्रधितेहिं चउहिं चोतालेहिं सतेहिं राइदिएहि छेत्ता 4 / ता एगमेगं मंडलं सूरे कतिहिं अहोरत्तेहिं चरति ?, ता दोहिं अहोरत्तेहिं चरति 5 / ता एगमेगं मंडलं णक्खत्ते कतिहिं होरत्तेहिं चरति ?, ता दोहि अहोरत्तेहिं चरति दोहिं भागेहिं ऊणेहिं तिहिं सत्तस?हिं सतेहिं राइदिएहि छेत्ता 6 / ता जुगेणं चंदे कति मंडलाई चरति ?, ता अट्ट चुल्लसीते मंडलसते चरति 7 / ता जुगेणं सूरे कति मंडलाई चरति ?, ता णवपराणरमंडलसते चरति 8 | ता जुगेणं णक्खत्ते कति मंडलाइं चरति ?, ता अट्ठारस पणतीसे दुभागमंडलसते चरति 1 / इच्चेसा मुहुत्तगती रिक्खाति-मास-राइंदिय-जुगमंडलपविभत्ती सिग्धगती वत्थु अाहित्तेत्ति बेमि 10 // सूत्रं 86 // पन्नरसमं पाहुडं समत्तं // // इति पञ्चदशं प्राभृतम् // 15 // Page #451 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 424 ] / श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः // अथ ज्योत्स्नालक्षणाख्यं षोडशं प्राभृतम् // ___ता कहं ते दोसिणालक्खणे अाहितेति वदेजा ?, ता चंदलेसादी य दोसिणादी य 1 / दोसिणाई य चंदलेसादी य के अट्ठ किलक्खणे ?, ता एक8 एगलक्खणे 2 / ता सूरलेस्सादी य प्रायवेइ य धातवेति य सूरलेस्सादी य के अट्ठ किंलक्खणे ?, ता एग8 एगलक्खणे 3 / ता अंधकारेति य छायाइ य छायाति य अंधकारेति य के 8 किलक्खणे ?, ता एग? एगलक्खणे 4 // सूत्रं 87 // सोलसमं पाहुडं समत्तं // 16 // . // अथ च्यवनोपपाताख्यं सप्तदशं प्राभृतम् // ता कहं ते चयणोववाता अाहितेति वदेजा?, तत्थ खलु इमायो पणवीसं पङिवत्तीश्रो पराणत्तात्रो, तत्थ एगे एवमाहंसु ता अणुसमयमेव चंदिमसूरिया अरणे चयति राणे उववज्जति एगे एवमाहंसु 1, एगे पुण एवमाहंसु ता अंणुमुहुत्तमेव चंदिमसूरिया अराणे चयंति अराणे उववज्जति 2 एवं जहेव हेट्ठा तहेव जाव ता एगे पुण एवमाहंसु ता अणुयोसप्पिणी उस्सप्पिणीमेव चंदिमसूरिया अराणे चयंति धरणे उववज्जंति एगे एवमाहंसु 1 / वयं पुण एवं वदामो-ता चंदिमसूरियाणं देवा महिड्डीया महाजुतीया महाबला महाजसा महासोक्खा महाणुभावा वरवत्थधरा वरमल्लधरा वरगन्धधरा वराभरणधरा अब्बोछित्तिणयट्ठताए काले अराणे चयंति अराणे उववज्जति चयणोववाता अाहितेति वदेजा 2 // सूत्रं 88 // सत्तरसमं पाहुडं समत्तं // 17 // // अथ चन्द्रसूर्याधु चत्वाख्यं अष्टादशं प्राभूतम् // ता कहं ते उच्चत्ते श्राहितेति वदेजा ?, तत्थ खलु इमानो पणवीसं पडिवत्तीयो, तत्थेगे एवमाहंसु-ता एगं जोयणसहस्सं सूरे उड्डे उच्चत्तेणं दिवट्ठ चंदे एगे एवमाहंसु 1 एगे पुण एमाहंसु ता दो जोयणसहस्साई सूरे उड्डे उच्चत्तेणं अड्डातिजाइं चंदे एगे एवमाहंसु 2 एगे पुण एवमाहंसु-ता Page #452 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्सर्यप्रज्ञप्तिसूत्र :: प्रा० 18 ] [ 425 तिनि जोयणसहस्साइं सूरे उड्डे उच्चत्तेणं अट्ठाई चंदे एगे एवमाहंसु 3 एगे पुण एवमाहंसु ता चत्तारि जोयणसहस्साई सूरे उड्ढ उच्चत्तेणं श्रद्धपंचमाई चंदे एगे एवमाहंसु 4 एगे पुण एवमाहंसु ता पंच जोयणसहस्साई सूरे उर्ल्ड उच्चत्तेणं अद्धकट्टाइं चंदे एगे एवमाहंसु 5 एगे पुण एवमाहंसु ता छ जोयणसहस्साइं सूरे उ8 उच्चत्तेणं श्रद्धसत्तमाई चंदे एगे एवमाहंसु 6 एगे पुण एवमाहंसु ता सत्त जोयणसहस्साई सूरे उड्ड उच्चत्तेणं श्रद्धट्ठमाइं चंदे एगे एवमाहंसु 7 एगे पुण एवमाहंसु ता अट्ट जोयणसहस्साई सूरे उर्ल्ड उच्चत्तेणं श्रद्धनवमाइं चंदे एगे एवमाहंसु = एगे पुण एवमाहंसु ता नव जोपणसहस्साई सूरे उड्ड उच्चत्तेणं श्रद्धदसमाई चंदे एगे एवमाहंसु 1 एगे पुण एवमाहंसु ता दस जोयणसहस्साइं सूरे उ8 उच्चत्तेणं श्रद्धएकारस चंदे एगे एवमाहंसु 10 एगे पुण एवमाहंसु एकारस जोयणसहस्साई सूरे उ8 उच्चत्तेणं श्रद्धबारस चंदे 11 एतेणं अभिलावेणं णेतव्वं, बारस सूरे श्रद्धतेरस चंदे 12 तेरस सूरे श्रद्धचोइस चंदे 13 चोदस सूरे श्रद्धपराणरस चंदे 14 पराणरस सूरे श्रद्धसोलस चंदे 15 सोलस सूरे श्रद्धसत्तरस चंदे 16 सत्तरस सूरे श्रद्धअट्ठारस चंदे 17 अट्ठारस सूरे श्रद्धएकूणवीसं चंदे 18 एकोणवीसं सूरे अद्ध्वीसं चंदे 11 वीसं सूरे श्रद्धएकवीसं चंदे 20 एकवीसं सूरे अद्धवावीसं चंदे 21 बावीस सूरे अद्धतेवीसं चंदे 22 तेवीसं सूरे श्रद्धचउवीसं चंदे 23 चउवीसं सूरे श्रद्धपणवीसं चंदे 24 एगे एवमाहंसु एगे पुण एवमाहंसु पणवीसं जोयणसहस्साई सूरे उड्डे उच्चत्तेणं श्रद्धछव्वीसं चंदे एगे एवमाहंसु 25, 1 / वयं पुण एवं वदामो-ता इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिजायो भूमिभागायो सत्तणउइजोयणसए उड्डे उप्पतित्ता हेटिल्ले ताराविमाणे चारं चरति अट्ठजोयणसते उड्डे उप्पतित्ता सूरविमाणे चारं चरति अट्ठअसीए जोयणसए उड्डे उप्पइत्ता चंदविमाणे चारं चरति णव जोयणसताइं उड्ड उप्पतित्ता उवरि ताराविमाणे चारं 54 Page #453 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 426 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः चरति, हेट्ठिलातो ताराविमाणातो दसजोयणाई उड्डे उप्पतित्ता सूरविमाणा चारं चरंति नउति जोयणाई उड्डे उप्पतित्ता चंदविमाणा चारं चरंति दसोत्तरं जोयणसतं उड्ड : उप्पतित्ता उपरिल्ले ताराख्वे चारं चरति, सूरविमाणातो असीति जोयणाई उड्ढ उप्पतित्ता चंदविमाणे चारं चरति जोयणसतं उड्ड उप्पतित्ता उवरिल्ले ताराख्वे चारं चरति, ता चंदविमाणातो णं वीसं जोयणाई उड्ड उप्पतित्ता उवरिल्लते ताराख्वे चारं चरति, एवामेव सपुत्वावरेणं दसुत्तरजोयणसतं बाहल्ले तिरियमसंखेज्जे जोतिसविसए जोतिसं चारं चरति श्राहितेति वदेजा २॥सूत्रं // ता अस्थि णं चंदिमसूरियाणं देवाणं हिट्ठपि ताराख्वा अणुपि तुल्लावि समंपि ताराख्वा अणुपितुल्लावि उप्पिपि ताराख्वा अणुपि तुल्लावि ?, ता अत्थि 1 / ता कहं ते चंदिमसूरियाणं देवाणं हिट्ठपि ताराख्वा अणुपि तुल्लावि समंपि ताराख्वा अणुपि तुल्लावि उप्पिपि ताराख्वा अणुपि तुल्लावि ?, ता. जहा जहा णं तेसि णं देवाणं तवणियमबंभचेराई उस्सिताई भवंति तहा तहा णं सिं देवाणं एवं भवति, तंजहा-अणुते वा तुलत्ते वा 2 / ता एवं खलु चंदिमसूरियाणं देवाणं हिट्ठापि ताराख्वा अणुपि तुल्लावि तहेव जाव उपिपि ताराख्या अणुपि तुल्लावि 3 // सूत्रं 10 // ता एगमेगस्त णं चंदस्स देवस्त केवतिया गहा परिवारो पराणत्तों ?, केवतिया णक्खता परिवारो पराणत्तो ? केवतिया तारा परिवारो पराणत्तो ?, ता एगमेगस्स णं चंदस्स देवस्स अट्ठासीतिगहा परिवारो पराणत्तो, अट्ठावीसं णक्खत्ता परिवारो पराणत्तो, छावट्ठिसहस्साई गव चेव सताइं पंचुत्तराई (पंचसयराई) / एगससीपरिवारो तारागणकोडिकोडीणं // 1 // परिवारो पराणत्तो // सूत्रं ११॥ता मंदरस्स णं पव्वतस्स केवतियं अबाधाए जोइसे चारं चरति ?, ता एकारस एकवीसे जोयणसते अबाधाए जोइसे चारंचरति 1 / ता लोअंतातो णं केवतियं अबाधाए जोतिसे पराणते ?, ता एकारस एकारे Page #454 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्र :: प्रा० 18 ] [ 427 जोयणसते अबाधाए जोइसे पराणते 2 // सूत्रं 12 // ता जंबुद्दीवे णं दीवे कतरे णक्खत्ते सव्वभंतरिल्लं चारं चरति कतरे णक्खत्ते सव्वबाहिरिल्लं चारं चरति कयरे णक्खत्ते सव्ववरिल्लं चारं चरति कयरे णक्खत्ते सव्वहिटिलं चारं चरइ ?, अभीयो णक्खत्ते सव्वभितरिल्लं चारं चरति, मूले णक्खत्ते सब्बबाहिरिल्लं चारं चरति, साती णक्खत्ते सव्वुवरिल्लं चारं चरति, भरणी णक्खत्ते सव्वहेछिल्लं चारं चरति // सूत्रं 13 // ता चंदविमाणेणं किंसंठिते पराणते ?, ता अद्धकविट्ठग-संगणसंठिते सवफालियामए भुग्गयमूसितपहसिते विविधमणि-रयणभत्तिचित्ते जाव पडिरूवे एवं सूरविमाणे गहविमाणे णक्खसविमाणे ताराविमाणे 1 / ता चंदविमाणे णं केवतियं यायामविखंभेणं केवतियं परिक्खेवेणं केवतियं बाहल्लेणं पराणते ?, ता छप्पराणं एगट्ठिभागे जोयणस्स यायामविक्खंभेणं तं तिगुणं सविसेसं परिरयेणं अट्ठावीसं एगट्ठिभागे जोयणस्स बाहल्लेणं पराणत्ते 2 / ता सूरविमाणे णं केवतियं आयामविखंभेणं पुच्छा, ता अडयालीसं एगट्ठिभागे जोयणस्स पायामविक्खंभेणं तं तिगुणं सविसेसं परिरएणं चउव्वीसं एगट्ठिभागे जोयणास्स बाहलनेणं पराणत्ते 3 / ता गहविमाणे णं पुच्छा, ता श्रद्धजोयणं थायामविक्खंभेणं तं तिगुणियं सविसेसं परिरएणं कोसं बाहल्लेणं पण्णत्ते 4 / ता णखत्तविमाणे णं केवतियं पुच्छा, ता कोसं थायामविक्खंभेणं तं तिगुणं सविसेसं परिरएणं अद्धकोसं बाहल्लेणं पराणत्ते 5 / ता ताराविमाणे णं केवतियं पुच्छा, ता श्रद्धकोसं थायामविक्खंभेणं तं तिगुणं सविसेसं परिरएणं पंचधणुसयाई बाहल्लेणं पराणत्ते 6 / ता चंदविमाणे णं कति देवसाहस्सीयो परिवहति ?, सोलस देवसाहस्सीयो परिवहति, तंजहापुरच्छिमे णं सीहरूवधारीणं चत्तारि देवसाहस्सीयो परिवहंति, दाहिणे णं गयरूवधारीणं चत्तारि देवसाहस्सीयो परिवहति, पञ्चत्थिमे णं वसभरूवधारीणं चत्तारि देवसाहस्सीयो परिवहति, उत्तरे णं तुरगरूवधारीणं चत्तारि देवसाह Page #455 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 4.8 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः स्सोयो परिवहंति 7 / एवं सूरविमाणंपि = / ता गहविमाणे णं कति देवसाहस्सीयो परिवहति?, ता अट्ट देवसाहस्सीयो परिवहति, तंजहा-पुरच्छिमेणं सिंहरूबधारीणं देवाणं दो देवसाहस्सीयो परिवहति, एवं जाव उत्तरेणं तुरगरूवधारीणं 1 | ता नक्वत्तविमाणे णं कति देवसाहस्सीयो परिवहति ?, ता चत्तारि देवसाहस्सीयो परिवहति, तंजहा-पुरच्छिमे णं सीहरूवधारीणं देवाणं एका देवसाहस्सी परिवहति एवं जाव उत्तरे णं तुरगरूवधारीणं देवाणं 10 / ता ताराविमाणे णं कति देवसाहस्सीयो परिवहति ?, ता दो देवसाहस्सीयो परिवहति तंजहा-पुरच्छिमेणं सीहरूवधारीणं देवाणं पंच देवसता परिवहति, एवं जावुत्तरे णं तुरगरूवधारीणं 11 // सूत्रं 14 // एतेसि णं चंदिम-सूरिय-गह-णक्खत्त-ताराख्वाणं कयरे२हितो सिग्धगती वा मंदगती वा ?, ता चंदेहितो सूरा सिग्धगती मूरेहितो गहा सिग्धगती गहेहिंतो णक्खत्ता सिग्घगती णक्खत्तेहितो तारा सिग्धगती, सव्वप्पगती चंदा सव्वसिग्धगती तारा 1 / ता एएसि णं चंदिम सूरिय-गहगंण-णक्खत्ततारारूवाणं कयरे 2 हिंतो अप्पिड्डिया वा महिड्डिया वा ?, ताराहितो महिड्डिया णक्खत्ता णक्खत्तेहितो गहा महिड्डिया गहेहिंतो सूरा महिड्डिया सूरेहितो चंदा महिड्डिया, सव्वप्पडिया तारा सव्वमहिड्डिया चंदा २॥सूत्रं १५॥ता जंबु. दीवे णं दीवे तारारुवस्स य 2 एस णं केवतिए अबाधाए अंतरे पराणत्ते ?, दुविहे अंतरे पराणत्ते, तंजहा-वाघातिमे य णिव्वाघातिमे य 1 / तत्थ णं जे से बाघातिमे से णं जहराणेणं दोगिण छाव? जोयणसते उक्कोसेणं बारस जोयणसहस्साई दोरिण बाताले जोरसते ताराख्वस्त 2 य अबाधाए अंतरे पराणत्ते 2 / तत्थ जे से निवाघातिमे से जहराणेणं पंच धणुसताई उक्कोसेणं श्रद्धजोयणं ताराख्वस्स य 2 अबाधाए अंतरे पगणत्ते 3 // सूत्रं 16 // ता चंदस्स णं जोतिसिंदस्स जोतिसरगणो कति अग्गमहिसीनो पाणत्तायो ?, ता चत्तारि अग्गमहिसीयो परणत्तायो, तंजहा-चंदप्पमा दोसिणाभा Page #456 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्सूर्यप्रज्ञप्ति सूत्रं : प्रा० 18 [ 429 अचिमाली पभंकरा 1 / तत्य णं एगमेगाए देवीए चत्तारि देवीसाहस्सी परि. यारो पराणत्तो 2 / पभू णं तातो एगमेगा देवी अगणाई चत्तारि 2 देवीसहस्साइं परिवार विउवित्तए ?, एवामेव सपुब्बावरेणं सोलस देवीसहस्सा, सेत्तं तुडिए 3 / ता पभू णं चंदे जोतिसिंदे जोतिसराया चंदवडिसए विमाणे सभाए सुधम्माए तुडिएणं सद्धिं दिव्वाई भोगभोगाइं भुजमाणे विहरित्तए ?, णो इण? समढे 4 / ता कहं ते णो पभू जोतिसिंदे जोतिसराया चंदवडिसए विमाणे सभाए सुधम्माए तुडिएणं सद्धिं दिव्वाइं भोगभोगाइं भुजमाणे विहरित्तए ?, ता चंदस्स णं जोतिसिंदस्स जोतिसरराणो चंदवडिसए विमाणे सभाए सुधम्माए माणवएसु चेतियखंभेसु वइरामएसु गोलवट्टसमुग्गएसु बहवे जिणसकधायो संणिक्खित्तायो चिट्ठति, तायो णं चंदस्स जोतिसिंदस्स जोइसरगणो अगणेसिं च बहूणं जोतिसियाणं देवाण य देवीण य अचणिज्जाबो वंदणिजायो पूयणिजायो सकारणिजात्रो सम्माणणिजायो कल्लाणं मंगलं देवयं चेतियं पज्जुवासणिजाबो एवं खलु णो पभू चंदे जोतिसिंदे जोतिसराया चंदवडिसए विमाणे सभाए सुहम्माए तुडिएणं सद्धिं दिव्वाइं भोगभोगाई भुजमाणे विहरित्तए 5 / पभू णं चंदे जोतिसिंदे जोतिसराया चंदवडिंसए विमाणे सभाए सुधम्माए चंदंसि सीहासणंसि चरहिं सामाणियसाहस्सीहिं चउहिं अग्गर्माहसीहिं सपरिवाराहिं तिहिं परिसाहिं सत्तहिं अणिएहि सत्तहिं अणियाहिवतीहिं सोलसहि श्रायरक्खदेवसाहस्सीहिं श्ररणेहि य बहूहि जोतिसिएहिं देवेहिं देवीहि य सद्धिं संपरिबुडे महताहतणट्ट-गीय--वाइय-तंती-तल-ताल--तुडिय- घणमुइंगपडप्पाइतरवेणं दिवाई भोगभोगाई भुजमाणे विहरित्तए केवलं परियारणिड्डीए णो चेव णं मेहुणवत्तियाए 6 / ता सूरस्स णं जोइसिंदस्स जोतिसरगणो कति अग्गमहिसीयो पराणत्तायो ?, ता चत्तारि अग्गमहिसीनो पराणत्तायो, तंजहा-सूरप्पभा श्रातवा अचिमाला पभंकरा 7 / सेसं जहा चंदस्स, गवरं सूरवडेंसए विमाणे Page #457 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 430 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः जाव णो चेव णं मेहुणवत्तियताए 8 // सूत्रं 17 // जोतिसियाणं देवाणं केवइयं कालं ठिती पराणता ?, जहराणेणं अडभागपलितोवमं उकोसेणं पलितोवमं वाससतसहस्समभहियं 1 / ता जोतिसिणीणं देवीणं केवतियं कालं ठिती पराणता ?, ता जहन्नेणं अट्ठभागपलितोवमं उकोसेणं श्रद्धपलिग्रोवमं पन्नासाए वाससहस्सेहिं अब्भहियं 2 / चंदविमाणे णं देवाणं केवतियं कालं ठिती पराणता ?, जहन्नेणं चउभागपलितोवमं उक्कोसेणं पलितोवमं वाससयसहस्समब्भहियं 3 / ता चंदविमाणे णं देवीणं केवतियं कालं ठिती पराणत्ता ?, जहराणेणं चउब्भागपलितोवमं उकोसेणं श्रद्धपलितोवमं पराणासाए वाससहस्सेहिं अन्भहियं 4 / सूरविमाणे णं देवाणं केवतियं कालं ठिती पराणता ?, जहराणेणं चउभागलितोवमं उकोसेणं पलिश्रोवमं वाससहस्समभहियं 5 / ता सूरविमाणे णं देवाणं केवतियं कालं ठिती पराणत्ता ?, जहणणेणं चउभागपलितोवमं उक्कोसेणं श्रद्धपलितोवमं पंचहिं वाससएहिं अमहियं 6 / ता गहविमाणे णं देवाणं केवतियं कालं ठिती पराणत्ता ?. जहराणेणं चउभागपलितोवमं उकोसेणं पलितोवमं 7 / ता गहविमाणे णं देवीणं केवतियं कालं ठिती पराणत्ता ?, जहराणेणं चउठभागपलितोवर्म उक्कोसेणं अद्धपलितोवमं 8 | ता गक्खत्तविमाणे णं देवाणं केवतियं कालं ठिती पराणत्ता ?, जहराणेणं चउब्भागपलितोवमं उक्कोसेणं अद्वपलियोवमं 1 / ता णक्खत्तविमाणे णं देवाणं केवइयं कालं ठिती पराणता ?, जहराणेणं अट्ठभागपलितोवमं उक्कोसेणं चउभागपलितोवमं 10 / ता ताराविमाणे णं देवाणं पुच्छा, जहराणेणं अट्ठभागपलितोवमं उक्कोसेणं चउब्भागपलितोवमं 11 / ता ताराविमाणे णं देवीणं पुच्छा, ता जहरणेणं अट्ठभागपलितोवमं उकोसेणं साइरेगअट्ठभागपलियोवमं 12 // सूत्रं 18 // ता एएसि णं चंदिम-सूरिय-गह-णक्खत्ततारा. रूवाणं कतरे 2 हितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, Page #458 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्पूर्यप्रज्ञप्ति :: स्त्रं प्रा. 16 ] [ 431 ता चंदा य सूरा य एते णं दोवि तुल्ला सम्वत्थोवा णक्खत्ता संखिजगुणा गहा संखिजगुणा तारा संखिजगुणा // सूत्रं 11 // अट्ठारसं पाहुडं समनं॥ // इति अष्टादशं प्राभृतम् // 18 // // अथ चन्द्रसूर्यपरिमाणाख्यं एकोनविंशतितमं प्रामृतम् // ता कति णं चंदिमसूरिया सव्वलोयं श्रोभासंति उज्जोएंति तवेंति पभासेंति आहितेति वदेजा ?, तत्थ खलु इमायो दुवालस पडिवत्तीयो परणत्ताश्रो, तत्थेगे एवमाहंसु ता एगे चंदे एगे सूरे सव्वलोयं श्रोभासति उज्जोएति तवेति पभासति, एगे एवमाहंसु 1, एगे पुण एवमाहंसु ता तिगिण चंदा तिरिण सूरा सब्बलोयं श्रोभासेंति 4 एगे एवमाहंसु 2, एगे पुण एवमाहंसु ता पाउट्टि चंदा पाउट्टि सूरा सव्वलोयं श्रोभासेंति उज्जोवेंति तवेंति पगासिंति एगे एवमाहंसु 3, एगे पुण एवमाहंसु एतेणं अभिलावेणं णेतव्वं सत्त चंदा सत्त सूरा 4, दस चंदा दस सूरा 5, बारस चंदा 2,6 बातालीसं चंदा 2, 7 बावत्तरिं चंदा 2, 8 बातालीसं चंदसतं 2, 1 बावत्तरं चंदसयं बावत्तरि सूरसय 10, बायालीयं चंदसहस्सं बातालीसं सूरसहस्सं 11, बावत्तरं चंदसहस्सं बावत्तरं सूरसहस्सं सव्वलोयं श्रोभासंति उज्जोवेंति तवेंति पगासंति, एगे एवमाहंसु 12, 1 / वयं पुण एवं वदामो-ता अयगणं जंबुद्दीवे 2 जाव परिक्खेवेणं, ता जंबुद्दीवे 2 केवतिया चंदा पभासिंसु वा पभासिति वा पभासिस्संति वा ?, केवतिया सूरा तविंसु वा तवेंति वा तविस्संति वा ?, केवतिया णक्खत्ता जोगं जोइंसु वा जोएंति वा जोइस्संति वा ?, केवतिया गहा चारं चरिसुवा चरंति वा चरिस्संतिवा?, केवतिया तारागणकोडिकोडीयो सोभं सोभेसु वा सोभंति वा सोभिस्संति वा ?, ता जंबुद्दीवे 2 दो चंदा पभासेंसु वा 3 दो सूरिया तवइंसु वा 3, छप्पराणं णक्खत्ता जोयं जोएंसु वा 3 छावत्तरि गहसतं चारं चरिंसु वा 3 एगं सयसहस्सं तेत्तीसंच Page #459 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 432 / [ श्रामदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः सहस्सा णव सया पराणासा तारागणकोडिकोडीणं सोभं सोभेसु वा 3,2 / “दो चंदा दो सूरा णक्खत्ता खलु हवंति छप्पराणा / छावत्तरं गहसतं जंबुद्दीवे विचारीणं // 1 // एगं च सयसहस्सं तित्तीसं खलु भवे सहस्साई / णव य सता पराणासा तारागण कोडिकोडीणं // 2 // " 3 / ता जंबुद्दीवं णं दीवं लवणे नामं समुद्द. वट्टे वलयाकारसंगणसंठिते सव्वतो समंता संपरिक्खिता णं चिट्ठति 4 / ता लवणे णं समुद्दे किं समचकवालसंटिते विसमचकवालसंठिते ?, ता लवणसमुद्द समचकवालसंठिते नो विसमचकवालसंठिते 5 / ता लवणसमुद्दे केवइयं चकवालविक्खंभेणं केवतियं परिक्खेवेणं अाहितेति वदेजा ?, ता दो जोयणसतसहस्साई चक्वालविक्खंभेणं पराणरस जोयणसतसहस्साई एकासीयं च सहस्साई सतं च उतालं किंचिविसेसूणं परिक्खेवेणं श्राहितेति वदेजा 6 / ता लवणसमुद्दे केवतियं चंदा पभासेंसु वा 3 ?, एवं पुच्छा जाव केवतियाउ तारागणकोडिकोडीयो सोभिंसुः वा 3 ?, ता लवणे णं समुद्दे चत्तारि चंदा पभासेंसु वा 3 चत्तारि सूरिया तवइंसु वा 3 बारस णक्खत्तसतं जोयं जोएंसु वा 3 तिरिण बावराणा महग्गहसता चारं चरिसु वा 3 दो सतसहस्सा सत्तढि च सहस्सा णव य सता तारागणकोडीणं सोभिंसु वा 3,7 / पगणरस सतसहस्सा एक्कासीतं सतं च ऊतालं / किंचिविसेसेणूणो लवणोदधणो परिक्खेवो // 1 // चत्तारि चे चंदा चत्तारि य सूरिया लवणतोये / बारस णक्खत्तसयं गहाण तिराणेव बावराणा // 1 // दोश्चेव सतसहस्सा सर्टि खलु भवे सहस्साई। णव य संता लवणजले तारागणकोडिकोडीणं // 2 // 8 | ता लवणसमुद् धातईसंडे णामं दीवे वट्ट वलयाकारसंठिते तहेव जाव णो विसमचकवालसंठिते 1 / धातईसंडे णं दीवे केवतियं चक्कचालविक्खंभेणं केवतियं परिक्खेवणं अाहितेति वदेजा ?, ता चत्तारि जोयणसतसहस्साई चकवाल; विक्खंभेणं ईतालीसं जोयणसतहस्साई दस य सहस्साई णव य एकट्टे Page #460 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्रं :: प्रा० 16 ) [ 433 जोयणसते किंचिविसेसूणे परिक्खेवेणं याहितेति वदेजा 10 / धातईसंडे दीवे केवतिया चंदा पभासेंसु वा 3 पुच्छा, तहेव धातईसंडे णं दीवे बारस चंदा पभासेंसु वा 3, बारस सूरिया तवेंसु वा 3, तिरिण छत्तीसा णक्खत्तसता जोग्रं जोएंसु वा 3, एगं छप्परणं महग्गहसहस्सं चारं चरिंसु वा 3,11 / अट्ठव सतसहस्सा तिरिण सहस्साई सत्त य सयाई / एगससीपरिवारो तारागणकोडिकोडीयो॥१॥ सोभं सोभेसु वा 3,12 / धातईसंडपरिरयो ईताल दसुत्तरा सतसहस्सा / णव य सता एगट्ठा किंचिविसेसेण परिहीणा // 1 // चउवीसं ससिरविणो णक्खत्तसता य तिगिण छत्तीसा। एगं च गहसहस्सं छप्पराणं धातईसंडे // 2 // अट्ठव सतसहस्सा तिरिण सहस्साई सत्त य सताइ / धायइसंडे दीवे तारागणकोडिकोडीणं // 3 // 13 / ता धायईसंडं णं दीवं कालोयणे णामं समुद्दे वट्ट वलयाकारसंठाणसंठिते जाव णो विसमबकवालसंठाणसंठिते 14 / ता कालोयणे णं समुद्दे केवतियं चकवालविक्खंभेणं केवतियं परिक्खेवेणं अाहितेति वदेजा ?, ता कालोयणे णं समुद्दे अट्ठ जोयणसतसहस्साई चकवालविक्खंभेणं पन्नत्ते एकाणउतिं जोयणसयसहस्साई सत्तरं च सहस्साई छच पंचुत्तरे जोयणसते किंचिविसेसाधिए परिक्खेवेणं अाहितेति वदेजा 15 / ता कालोयणे णं समुद्दे केवतिया चंदा पभासेंसु वा 3 पुच्छा, ता कालोयणे. समुद्दे बातालीसं चंदा पभासेंसु वा 3 बायालीसं सूरिया तवेंसु वा 3, एकारस बावत्तरा णक्खत्तसता जोयं जोइंसु वा 3, तिनि सहस्सा छच्च छन्नउया महगहसया चारं चरिसु वा 3, अट्ठावीसं च सहस्साई बारस सयसहस्साइं नव य सयाई पराणासा तारागणकोडिकोडीयो सोभं सोभेसु वा सोहंति वा सोभिस्संति वा 16 / “एकाणउई सतराई सयसहस्साई परिरतो तस्स / अहियाई छच्च पंचुत्तराई कालोदधिवरस्स // 1 // बातालीसं चंदा बातालीसं च दिणकरा दित्ता / कालोदधिमि एते चरंति संबद्धलेसागा // 2 // णक्खत्तसहस्सं एगमेव छाव Page #461 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 434 ] ( श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः त्तरं च सतमराणं / छच्च सया छराणउया महग्गहा तिरिण य सहस्सा // 3 // अट्ठावीसं कालोदहिमि बारस य सहस्साई / णव य सया परांगासा तारागणकौडिकोडीणं // 4 // " 17 / ता कालोयं णं समुद्द पुक्खरखरे णामं दीवे वढे वलयाकारसंठाणसंठिते सव्वतो समंता संपरिक्खित्ताणं चिट्ठति 18 / ता पुक्खरखरे णं दीवे किं समचकवालसंठिए विसमचकवालसंठिए ?, ता समयकवालसंठिए नो विसमचकवालसंठिए 11 / ता पुक्खरवरे णं दीवे केवइयं समचकवालविक्खंभेणं ?, केवइयं परिक्खेवेणं ?, ता सोलस जोयणसयसहस्साई चकवालविक्खंभेणं एगा जोयणकोडी बाणउति च संतसहस्साई अउणावन्नं च सहस्साई अट्टचउणउते जोपणसते परिक्खेवेणं श्राहितेति वदेजा 20 / ता पुक्खरखरे णं दीवे केवतिया चंदा पभासेंसु वा 3 पुच्छा, तधेव ता चोतालचंदसदं पभासेंसु वा 3, चोत्तालं सूरियाणं सतं तवइंसु वा 3, चत्तारि सहस्साई बत्तीसं च नक्खत्ता जो जोएंसु वा 3, बारस सहस्साई छच्च बावत्तरा महग्गहसता चारं चरिंसु वा 3, छराणउतिसय. सहस्साई चोयालोसं सहस्साई चत्तारि य सयाई. तारागणकोडिकोडीणं सोभं सोभेसु वा 3, 21 / कोडी बाणउती खलु अउणाणउतिं भवे सहस्साई। असता चउणउता य परिरयो पोक्खरवररस // 1 // चोत्तालं चंदसतं वत्तालं चेव सूरियाण सतं / पोक्खरवरदीवम्मि च चरंति एते पभासंता // 2 // चत्तारि सहस्साई छत्तीसं चेव हुंति. णवखत्ता। छन्च सता वावत्तर महग्गहा बारह सहस्सा // 3 // छगणउति सयसहस्सा चोनालीसं खलु भवे सहस्साई। वत्तारि य सता खलु तारागणकोडिकोडीणं // 4 // 22 / ता पुक्खर. वरस्सणं दीवस्स बहुमज्मदेसभाए माणुसुत्तरे णामं पव्वए पराणत्ते, व? वलयाकारसंगणसंठिते जे णं पुक्खरवरं दीवं दुधा विभयमाणे 2 चिट्ठति, तंजहा-अभितरपुक्खरद्धं च बाहिरपुक्खरद्धं च 23 / ता अभितरपुक्खरद्धे णं किं समचकवालसंठिए विसमचकवालसंठिए ?, ता समचकवालसंठिए णो Page #462 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्र : प्रा० 19 ] [ 43. विसमचकवालसंठिते 24 / ता अभितरपुक्खरद्धे णं केवतियं चकवालविक्खंभेणं केवतियं परिक्खेवेणं आहितेति वदेजा ?, ता श्रट्ठ जोयणसतसहस्साई चकवाल विक्खंभेणं एका जोयणकोडी बायालीसं च सयसहस्साई तीसं च सहस्साई दो अउणापरणे जोयणसते परिवेणं श्राहितेति वदेजा 25 / ता अभितरपुक्खरद्धे णं केवतिया चंदा पभासेंसु वा 3 ? केवतिया सूरा तविसु 3 ? पुच्छा, बावत्तरि चदा पभासिसु वा 3, बावरि सूरिया तवइंसु वा 3, दोगिण सोला णक्खत्तसहस्सा जोभं जोएंसु वा 3, छ महग्गहसहस्सा तिन्नि य बत्तीसा चारं चरेंसु वा 3, अडतालीससतसहस्सा बावीसं च सहस्सा दोरिण य सता तारागणकोडिकोडीणं सोभं सोभिंसु वा 3, 26 / ता समयक्खेत्ते णं केवतियं यायामविक्खंभेण केवइयं परिवखेवेणं अाहितेति वदेजा?, ता पणतालीसं जोयणसतसहस्साई अायामविक्खंभेणं एका जोयणकोडी बायालीसं च सतसहस्साई 27 / दोगिण य उणापराणे जोयणसते परिक्खेवेणं श्राहितेति वदेजा 28 / ता समयक्खेत्ते णं केवतिया चंदा पभासेंसु वा 3 पुच्छा तधव, ता बत्तीसं चंदसतं पभासेंसु वा 3, बत्तीसं सूरियाण सतं तवइंसु वा 3, तिगिण सहस्सा छच्च छराणउता णक्खत्तसता जोयं जोएंसु वा 3, एकारस सहस्सा छच सोलस महग्गहसता चारं चरिसु वा 3, अट्ठासीति सतसहस्साई चत्तालीसं च सहस्सा सत्त य सया तारागणकोडीकोडीणं सोभं सोभिसु वा 3, 21 / अद्वैव सतसहस्सा अभितरपुक्खरस्त विक्खंभो। पणतालसयसहस्सा माणुसखेत्तस्त विक्खंभो ॥१॥कोडी बातालीसं सहस्स दुसया य अउणपराणासा। माणुसखेत्तपरिरो एमेव य पुक्खरद्धस्स // 2 // बावत्तरिं च चंदा बावत्तरिमेव दिरणकरा दित्ता। पुक्खरखरदीवड्ढे चरंति एते पभासेंता // 3 // तिरिण सता छत्तीसा छच्च सहस्सा महग्गहाणं तु। णक्खत्ताणं तु भवे सोलाई दुवे सहस्साई / // 4 // यडयालसयसहस्सा बावीसं खलु भवे सहस्साई। दो त सय पुक्खरद्धे Page #463 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 436 ] [श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः तारागणकोडिकोडीणं // 5 // यत्तीसं चंदसतं बत्तीसं चेव सूरियाण सतं / सयलं माणुसलो चरंति एते पभासेंता // 6 // एकारस य सहस्सा छप्पिय सोला महग्गहाणं तु / छच्च सता छराणउया णक्खत्ता तिरिण य सहस्सा // 7 // अट्ठासीइ चत्ताई सतसहस्साई मणुयलोगंमि / सत्त य सता अणूणा तारागणकोडिकोडीणं // 8 // एसो तारापिंडो सव्वसमासेण मणुयलोयंमि / बहिता पुण ताराश्रो जिणेहिं भणिया असंखेजा // 1 // एवतियं तारग्गं जं भणियं माणुसंमि लोगंमि / चारं कलंबुयापुप्फसंठितं जोतिसं चरति // 10 // रविससिगहणक्खत्ता एवतिया श्राहिता मणुयलोए। जेसिं णामागोत्तं न पागता पराणवेहंति // 11 // छावढि पिडगाई चंदादिचाण मणुलोमि / दो चंदा दो सूरा य हुंति एक्केक्कए पिडए // 12 ॥छावट्टि पिडगाइं णक्खत्ताणं तु मणुयलोयंमि। छप्पराणं णक्खत्ता हुंति एक्केकए पिडए // 13 // छावट्टि पिडगाई महागहाणं तु मणुयलोयंमि। छावत्तरं गहसतं होइ एक्केकए पिडए // 14 // चत्तारि य पंतीयो चंदाइचाण मणुयलोयम्मि। छावट्टि 2 च होइ एक्किकिया पन्ती // 15 // छप्पन्नं पंतीणो णक्खत्ताणं तु मणुयलोयंमि / छावढेि 2 हवंति एक्के किया पंती // 16 // छावत्तरं गहाणं पंतिसयं हवति मणुयलोमि / छावढेि 2 हवइ य एक्ककिया पंती // 17 // ते मेरुमणुचरंता पदाहिणावत्तमंडला सव्वे / अणवट्ठियजोगेहिं चंदा सूरा गहगणा य // १८॥णक्खत्ततारगाणं अवट्टिता मंडला मुणेयव्वा / तेऽविय पदाहिणावत्तमेव मेलं अणुचरंति // 11 // रयणिकरदिणकराणं उद्धं च अहे व संकमो नत्थि / मंडलसंकमणं पुण सब्भंतरबाहिरं तिरिए // .20 // रयणिकरदिणकराणं णक्खत्ताणं महग्गहाणं च / चारविसेसेण भवे सुहदुक्खविधी मणुस्साणं // 21 // तेसि पविसंताणं तावक्खेत्तं तु वडते णिययं / तेणेव कमेण पुणो परिहायति निक्खमंताणं // 22 // तेसि कलंबुयापुष्फसंठिता हुंति तावखेत्तपहा / अंतो य संकुडा बाहि वित्थडा चंदसूराणं // 23 // Page #464 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्र :: प्रा० 19 ] [ 437 केणं वदति चंदो ? परिहाणी केण हुंति चंदस्स ? / कालो वा जोगहो वा केणऽणुभावेण चंदस्स ? // 24 // किराहं राहुविमाणं णिच्चं चंदेण होइ अविरहितं / चतुरंगुलमसंपत्तं हिचा चंदस्स तं चरति // 25 // बावट्टि 2 दिवसे 2 तु सुक्कपक्खस्स / जं परिवड्डति चंदो खवेइ तं चेव कालेणं // 26 // पराणरसइभागेण य चंदं परणरसमेव तं वरति / पराणरसतिभागेण य पुणोवि तं चेव वक्कमति // 27 // एवं वड्डति चंदो परिहाणी एव होइ चंदस्स। कालो वा जुराहो वा एवऽणुभावेण चंदस्स // 28 // अंतो मणुस्सखेत्ते हवंति चारोवगा तु उववराणा / पंचविहा जोतिसिया चंदा सूरा गहगणा य // 21 // तेण परं जे सेसा चंदादिचगहतारणक्खत्ता / णत्थि गती णवि चारो अवट्टिता ते मुणेयव्वा // 30 // एवं जंबुद्दीवे दुगुणा लवणे चउग्गुणा हुंति। लावणगा य तिगणिता ससिसूरा धायइसंडे // 31 // दो चंदा इह दीवे चत्तारि य सायरे लवणतोए। धायइसंडे दीवे बारस चंदा य सूरा य // 32 // धातइसंडप्पभितिसु उहिट्ठा तिगुणिता भवे चंदा / श्रादिलवंदसहिता अणंतराणंतरे खेत्ते // 33 // रिक्खग्गहतारग्गं दीवसमुद्दे जहिच्छसी ·णाउं / तस्ससीहिं तग्गुणितं रिक्खग्गहतारगग्गं तु // 34 // बहिता तु माणुसनगस्स चंदसूराणऽवट्ठिता जोराहा / चंदा अभीयीजुत्ता सूरा पुण हुँति पुस्सेहि // 35 // चंदातो सूरस्स य सूरा चंदस्स अंतरं होइ। पराणाससहस्साई तु जोयणाणं अणूणाई // 36 // सूरस्स य 2 ससिणो 2 य अंतरं होइ। बाहि तु माणुसनगस्स जोयणाणं सतसहस्सं // 37 // सूरंतरिया चदा चंदंतरिया य दिणयरा दित्ता / चित्तंतरलेसागा सुहलेसा मंदलेसा य // 38 // अट्ठासीतिं च गहा अट्ठावीसं च हुंति नक्खत्ता। एगससीपरिवारो एत्तो ताराण वोच्छामि // 31 // छावट्ठिसहस्साई णव चेव सताई पंचसतराई / एगससीपरिवारो तारागणकोडिकोडीणं // 40 // 30 / अंतो मणुस्सखेत्ते जे चंदिमसूरिया गहगणणखत्तताराख्वा ते णं देवा किं Page #465 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 438 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः उड्डोववरणगा कप्पोववरणगा विमाणोववराणगा चारोववरणगा चारद्वितीया गतिरतिया गतिसमावराणगा ?, ता ते णं देवा णो उड्ढोववरणगा नो कप्पोववरणगा विमाणोववरणगा चारोववरणगा नो चारठितीया गइरइया गतिसमावराणगा उड्डामुह-कलंबुथ-पुष्फसंगणसंठितेहिं जोअणसाहस्सिएहि तावक्खेत्तेहिं साहस्सिएहि बाहिराहि य वेउब्बियाहिं परिसाहिं महताहतणमृगीय-वाइय-तंती-तल-ताल-तुडिय-घणमुइंग-पडुप्पवाइयरवेणं महता उक्कट्टि सीहणादबोलकलकलरवेणं अच्छं पव्वतरायं पदाहिणावत्तमंडलचारं मेरु अणुपरियति 31 / ता तेसि णं देवाणं जाधे इंदे चयति से कयमिदाणि पकरेंति ?, ता चत्तारि पंच सामाणियदेवा तं ठाणं उवसंपजित्ताणं विहरंति जाव अराणे इत्थ इंदे उववरणे भवति 32 / ता इंदठाणे णं केवइएणं कालेणं विरहियं पन्नत्तं?, ता जहराणेण इक्कं समयं उकोसेणं छम्मासे 33 / ता बहिता णं माणुस्सखेत्तस्स जे चंदिमसूरियगह जाव ताराख्वा ते णं देवा किं उड्डोववरणगा कप्पोववरणगा विमाणोववरणगा चारटुिंतीया गतिरतीया गतिसमावराणगा ?, ता ते णं देवा णो उड्डोववरणगा नो कप्पोववरणगा विमाणोववरणगा णो चारोववरणगा चारठितीया नो गइरइया णो गतिसमावराणगा पकिगसंगणसंठितेहिं जोयणसयसाहस्सिएहिं ताववखेत्तेहिं सयसाहस्सियाहिं बाहिराहिं वेउब्वियाहिं परिसाहि महताहतनदृगीयवाइय जाव रवेणं दिव्वाइं भोगभोगाइं भुजमाणे विहरति,सुहलेसा मदलेसा मंदायवलेसा चित्तंतरलेसा अराणोराणसमोगाढाहिं लेसाहिं कूडा इव ठाणठिता ते पदेसे सव्वतो समंता श्रोभासंति उज्जोवेति तवेति पभासेंति 34 / ता तेसि णं देवाणं जाहे इंदे चयति से कहमिदाणिं पकरेंति ?, ता जाव चत्तारि पंच सामाणियदेवा तं ठाणं तहेव जाव छम्मासे 35 // सूत्रं 100 ॥ता पुक्खरवरं णं दीवं पुक्खरोदे णामं समुद्दे वट्ट वलयाकारसंठाणसंठिते सव्व जाव चिट्ठति 1 / ता पुक्खरोदे णं समुद्दे किं समचकवालसंठिते जाव णो विसमचकवालसंठिते 2 / ता Page #466 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दीव अरुणावरोभासे समुद्दे 13 कुंडलवरीमक्खरोदसागराए / श्रीमत्सूर्यप्रज्ञप्तिस्त्रं : प्रा० 19 ] [ 436 पुक्खरोदे णं समुद्दे केवतियं चकवालविक्खंभेणं केवइयं परिक्खेवेणं श्राहितेति वदेजा ?, ता संखे जाई जोयणसहस्साई श्रायामविक्खंभेणं संखेजाई जोयणमहस्साई परिक्खेवेणं अाहितेति वदेजा 3 / ता पुक्खरखरोदे णं समुद्दे केवतिया चंदा पभासेंसु वा 3 पुच्छा तहेव, तहेव ता पुक्खरोदे णं समुद्दे संखेजा चंदा पभासेंसु वा 3 जाव संखेजात्रो तारागणकोडाकोडीयो सोभं सोमेंसु वा 3, 4 / एतेणं अभिलावेणं वरुणवरे दीवे वरुणोदे समुद्दे 4 खीरवरे दीवे खीरवरे समुद्दे 5 घतवरे दीवे घतोदे समुद्दे 6 खोतवरे दीवे खोतोदे समुद्दे 7 णंदिस्सरवरे दीवे णंदिस्सरवरे समुद्दे 8 अरुणोदे दीव अरुणोदे समुद्दे 1 अरुणवरे दीवे अरुणवरे समुद्दे 10 अरुणवरोभासे दीवे अरुणवरोभासे समुद्दे 1.1. कुंडले दीवे कुडलोदे समुद्दे 12 कुंडलवरे दीवे कुंडलवरोदे ममुद्दे 13 कुंडलवरोभासे दीवे कुडलवरोभासे समुद्दे 14 सव्वेसि विक्खंभपरिक्खेवो जोतिसाई पुक्खरोदसागरसरिसाइं 5 / ता कुंडलवरोभासगणं समुद्द रुयए दीवे वट्टे वलयाकारसंठाणसंठिए 2 सव्वतो जाब चिट्ठति 6 / तारुयए णं दीवे किं समचकवाल जाव णो विसमचकवालसंठिते, ता रुयए णं दीवे केवइयं समचकवालविखंभेणं केवतियं परिक्खेवेणं श्राहितेति वदेजा ?, ता असंखेजाइ जोयणसहस्साई चकवालविक्खंभेण असंखेजाई जोयणसहस्साई परिक्खेवेणं अाहितेति वदेजा 7 / ता रुयगे णं दोवे केवतिया चंदा पभासेंसु वा 3 पुच्छा, ता रुयगे णं दीवे असंखेजा चंदा पभासेंसु वा 3 जाव असंखेजाबो तारागणकोडिकोडीश्रो सोभं सोभेसु वा 3, 8 / एवं स्यगे समुद्दे ख्यगवरे दीवे रुयगवरोदे समुद्दे रुयगवरोभासे दीवे रुयगवरोभासे -समुद्दे 1 / एवं तिपडोयारा णातव्वा जाव सूरे दोवे सूरोदे समुद्दे सूखरे दीवे सूखरे समुद्दे सूरवरोभासे दीवे सूरवरोभासे समुद्दे, सव्वेसि विक्खंभपरिक्खेवजोतिसाइं रुयगवरदीवसरिसाई १०।ता सूरवरोभासोदरणं समुदं देवे णामं दीवे वट्ट वलयाकारसंगणसंठिते Page #467 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 440 ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः सब्बतो समंता संपरिक्खित्ताणं चिट्ठति जाव णो विसमचकवालसंठिते 11 / . ता देवे णं दीवे केवतियं चकवालविक्खंभेणं केवतियं परिक्खेवण आहितेति वदेजा ?, असंखेन्जाइं जोयणसहस्साई चकवालविक्खंभेणं असंखेजाई जोयणसहस्साई परिक्खेवेणं आहितेति वदेजा 12 / ता देवे णं दीवे केवतिया चंदा पभासेंसु वा 3 पुच्छा तधेव, ना देवे णं दीवे असंखेजा चंदा पभासेंसु वा 3 जाव असंखेजायो तारागणकोडिकोडीयो सोभेसु वा 3,13 | एवं देवोदे समुद्दे णागे दीवे णागोदे समुद्दे जक्खे दीवे जक्खोदे समुद्दे भूते दीवे भूतोदे समुद्दे सयंभुरमणे दीवे सयंभुरमणे समुद्दे सव्वे देवदीवसरिसा 14 // सू० 101 // एकूणवीसतिमं पाहुडं समत्तं // // इति एकोनविंशतितमं प्राभृतम् // 19 // - // अथ चन्द्राद्यनुभावाख्यं विंशतितमं प्रामृतम् // ता कहं ते अणुभावे श्राहितेति वदेजा ?, तत्थ खलु इमायो दो पडिवत्तीयो पराणत्तायो, तत्थेगे एवमाहंसु ता चंदिमसूरिया णं णो जीवा अजीवा णो घणा झुसिरा णो बादरबोंदिधरा कलेवरा नस्थि णं तेसिं उट्ठाणेति वा कम्मेति वा बलेति वा विरिएति वा पुरिसकारपरकमेति वा, ते णो विज्जू लवंति णो असणि लवंति णो थणितं लवंति, ग्रह य णं बादरे वाउकाए संमुच्छति अहे य णं वादरे वाउकाए समुच्छित्ता विज्जु पि लवंति असणिपि लवंति थणितंपि लवंति एगे एवमाहंसु, ?, एगे पुण एवमाहंसु, ता चंदिमसूरियाणं जीवा णो अजीवा घणा णो असिरा बादरबुदिधरा नो कलेवरा अस्थि णं तेसिं उठाणेति वा कम्मेति वा बलेति वा विरिएति वा पुरिसकार परकमेति वा ते विज्जुपि लवंति 3, एगे एवमाहंसु 1 / वयं पुण एवं वदामो-ता चंदिमसूरिया णं देवा णं महिड्डिया महज्जुइया महब्बला महा. जसा महसक्खा (महासोक्खा) महाणुभागा वरवत्थधरा वरमल्लधरा वराभरणधारी अवोच्छित्तिणयट्टताए अन्ने चयंति अराणे उववज्जति 2 ॥सूत्रं 102 // Page #468 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्र : प्रा० 20] [ 441 ता कहं ते राहुकम्मे याहितेति वदेजा , तत्थ खलु इमायो दो पडिवत्तीयो पराणत्तायो, तत्थेगे एवमाहंसु, अत्थि णं से राहू देवे जे णं चंदं वा सूरं वा गिराहति, एगे एवमासु 1, एगे पुण एवमाहंसु नत्थि णं से राहू देवे जेणं चंदं वा सूरं वा गिराहइ 2, 1 / तत्थ जे ते एवमाहंसु ता अस्थि णं से राहू देवे जे णं चंदं वा सूरं वा गिराहति से एवमाहंसु-ता राहू णं देवे चंदं वा सूरं वा गेराहमाणे बुद्धतेणं गिरिहत्ता बुद्धतेणं मुयति बुद्धंतेणं गिरिहत्ता मुद्धंतेणं मुयइ मुद्धंतेणं गिरिहत्ता मुद्धतेणं मुयति, वामभुयंतेणं गिरिहत्ता वामभुयंतेणं मुयति वामभुयंतेणं गिरिहत्ता दाहिणभुयंतेणं मुयति दाहिणभुयंतेणं गिरिहत्ता वामभुयंतेणं मुयति दाहिणभुयंतेणं गिरिहत्ता दाहिणभुयंतेणं मुयति 2 / तत्थ जे ते एवमाहंसु ता नत्थि णं से राहू देवे जे णं चंदं वा सूरं वा गेराहति ते एवमाहंसु-तत्थ णं इमे पराणरसकसिणपोग्गला पराणत्ता, तंजहा-सिघाणए जडिलए खरए खतए अंजणे खंजणे सीतले हिमसीयले केलासे अरुणाभे परिजए णभसूरए कविलिए पिंगलए राहू, ता जया णं एते पराणरस कसिणा 2 पोग्गला सदा चंदस्स वा सूरस्स वा लेसाणु वद्धचारिणो भवंति तता णं माणुसलोयंसि माणुसा एवं वदंतिएवं खलु राहू चंदं वा सूरं वा गेराहति, एवं 2, ता जता णं एते पराणरस कसिणा 2 पोग्गला णो सदा चंदस्स वा सूरस्स वा लेसाणुबद्धचारिणो भवंति णो खलु तदा माणुसलोयम्मि मणुस्सा एवं वदंति-एवं खलु राहू चंदं सूरं वा गेराहति, एते एवमाहंसु 3 / वयं पुण एवं वदामो-ता राहू णं देवे महिड्डीए महज्जुइए महबले महायसे महासोक्खे महाणुभावे वरवत्थधरेवरमल्लधरे वराभरणधारी 4 / राहुस्स णं देवस्स णव णामधेजा पराणत्ता, तंजहा-सिंघाडए जडिलए खरए खेत्तए ढहरे (दददुरे) मगरे मच्छे कच्छभे कराणसप्पे 5 / ता राहुस्स णं देवस्स विमाणा पंचवराणा पराणत्ता, तंजहाकिराहा नीला लोहिता हालिद्दा सुकिल्ला 6 / अस्थि कालए राहुविमाणे Page #469 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 442 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः खंजणवराणामे अस्थि नीलए राहुविमाणे लाउयवराणाभे पराणत्ते, अस्थि लोहिए राहुविमाणे मंजिट्ठावराणाभे पराणत्ते, अत्थि हालिदए राहुविमाणे हलिहावराणामे पराणत्ते, अस्थि सुकिल्लए राहुविमाणे भासरासिवराणामे पराणते ७।ता जया णं राहुदेवे पागच्छमाणे वा गच्छमाणे वा विउव्वेमाणे वा परियारेमाणे वा चंदस्स वा सूरस्स वा लेस्स पुरच्छिमेणं श्रावरित्ता पचत्थिमेणं वीतीवतति, तया णं पुरच्छिमेणं चंदे सूरे वा उवदंसेति पञ्चस्थिमेणं राहू, जदा णं राहुदेवे श्रागच्छमाणे वा गच्छमाणे वा विउव्वमाणे वा परियारेमाणे वा चंदस्स वा सूरस्स वा लेसं दाहिणेणं थावरित्ता उत्तरेणं वीतीवतति, तदा णं दाहिणेणं चदे वा सूरे वा उवदंसेति उत्तरेणं राहू 8 / एतेणं अभिलावणं पचत्थिमेणं श्रावरित्ता पुरच्छिमेणं वीतीवतति उत्तरेणं श्रावरित्ता दाहिणेणं वीतिवतति 1 / जया णं राहू देवे श्रागच्छमाणे वा गच्छमाणे वा विउव्वमाणे वा परियारेमाणे वा चंदस्स वा सूरस्स वा लेसं दाहिणपुरच्छिमेणं श्रावरित्ता उत्तरपत्थिमेणं वीईवयइ तया णं दाहिणपुरच्छिमेणं चंदे वा सूरे वा उवदंसेइ उत्तरपञ्चत्थिमेणं राहू, जया णं राहू देवे श्रागच्छमाणे वा गच्छमाणे वा विउव्वमाणे वा परियारे. माणे वा चंदस्स वा सूरस्स वा लेसं दाहिणपञ्चत्थिमेणं श्रावरित्ता उत्तर पुरच्छिमेणं वीतीवति तदा णं दाहिणपञ्चत्थिमेणं चंदे वा सूरे वा उवदंसेति उत्तरपुरच्छिमेणं राहू 10 / एतेणं अभिलावेणं उत्तरपञ्चस्थिमेणं आवरेत्ता दाहिणपुरच्छिमेणं वीतीवतति, उत्तरपुरच्छिमेणं श्रावरेत्ता दाहिणपञ्चत्थिमेणं वीतीवयइ 11 / ता जता णं राहू देवे श्रागच्छमाणे वा गच्छमाणे वा विउब्वमाणे वा परियारेमाणे वा चंदस्स वा सूरस्स वा लेसं पावरेत्ता वीती. वतति तदा णं मणुस्सलोए मणुस्सा वदति-राहुणा चंदे सूरे वा गहिते 12 / ता जया णं राहू देवे श्रागच्छमाणे वा गच्छमाणे वा विऊवमाणे वा परियारेमाणे वा चंदस्स वा सूरस्स वा लेसं पावरेत्ता पासेणं वीतीवतति तता Page #470 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्रं : प्रा० 20 ] [ 443 णं मणुस्सलोअंमि मणुस्सा वदंति-चंदेण वा सूरंण वा राहुस्स कुच्छी भिराणा 13 / ता जता णं राहू देवे आगच्छमाणे वा गच्छमाणे वा विउव्वमाणे वा परियारेमाणे वा चंदस्स वा सूरस्स वा लेसं थावरेत्ता पच्चोसकति तता णं मणुस्सलोए मणुस्सा एवं वदंति-राहुणा चंदे वा सूरे वा वंते राहुणा 2, 14 / ता जता णं राहू देवे श्रागच्छमाणे वा गच्छमाणे वा विउव्वमाणे वा परियारेमाणे वा चंदस्स वा सूरस्स वा लेसं थावरेत्ता मझ मझेणं वीतिवतति तता णं मणुस्सलोयंसि मणुस्सा वदंतिराहुणा चंदे वा सूरे वा विइयरिए राहुणा 2, 15 / ता जता णं राहू देवे श्रागच्छमाणे वा गच्छमाणे वा विउव्वमाणे वा परियारेमाणे वा चंदस्स वा सूरस्स वा लेसं पावरेत्ता णं अधे सपक्खिं सपडिदिसि चिट्ठति तता णं मणुस्सलोअंसि मणुस्सा वदति-राहुणा चंदे वा सूरे वा पत्थे राहुणा 2, 16 / कतिविधे णं राहू पराणते ?, दुविहे पराणत्ते, तंजहाता धुवराहू य पव्वराहू य 17 / तत्थ णं जे से धुवराहू से णं बहुलपक्खस्स पाडिवए पराणरसइभागेणं भागं चंदस्स लेसं पावरेमाणे 2 चिट्ठति, तंजहा-पढमाए पढमं भागं जाव पन्नरसमं भागं, चरमे समए चंदे रत्ते भवति अवसेसे समए चंदे रत्ते य विरत्ते य भवइ, तमेव सुकपक्खे उवदंसेमाणे 2 चिट्ठति, तंजहा-पढमाए पढम भागं जाव चंदे विरत्ते य भवइ, अवसेसे समए चंदे रत्ते विरत्ते य भवति 18 / तत्थ णं जे ते पव्वराहू से जहराणेणं छराहं मासाणं, उकोसेणं बायालीसाए मासाणं चंदस्स अडतालीसाए संवच्छराणं सूरस्स 11 // सूत्रं 103 // ता कहं ते चंदे ससी श्राहितेति वदेजा ?, ता चंदस्स णं जोतिसिंदस्स जोतिसरगणो मियंके विमाणे कंता देवा कंताश्रो देवीयो कंताई श्रासण-सयण-खंभ-भंडमत्तोवगरणाई अप्पणावि णं चंदे देवे जोतिसिंदे जोतिसराया सोमे कंते सुभे पियदंसणे सुरूवे ता एवं खलु चंदे ससी चंदे ससी अाहितेति वदेजा 1 / ता कहं ते सूरिए श्रादिच्चे सूरे 2 Page #471 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 444 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : सप्तमी विमागः थाहितेति वदेजा ?, ता सूरादीया समयाति वा बावलियाति वा प्राणापाणूति वा थोवेति वा जाव उस्सप्पिणियोसप्पिणीति वा; एवं खलु सूरे श्रादिच्चे 2 श्राहितेति वदेजा 2 ॥सूत्रं 104 // ता चंदस्स णं जोतिसिंदस्स जोतिसरगणो कति अग्गमहिसीयो पराणत्तायो?, ता चंदस्स णं जोतिसिंदस्स चत्तारि अग्गमहिसीयो पराणत्ताश्रो, तंजहा-चंदप्पभा दोसिणाभा अच्चिमाली पभंकरा 1 / जहा हेट्ठा तं चेव जाव णो चेव णं मेहुणवत्तियं, एवं सूरस्सवि णेतव्वं 2 / ता चंदिमसूरिया जोतिसिंदा जोतिसरायाणो केरिसे कामभोगे पच्चणुभवमाणा विहरंति ?, ता से जहा णामते केई पुरिसे पढम-जोव्वणुट्ठाणाबलसमत्थे पढमजोव्वणुट्ठाण-बलसमत्थाए भारियाए सद्धिं अचिरवत्तवीवाहे अत्थत्थी अत्थगवेसणताए सोलसवासविप्पवसिते से णं ततो लट्ठ कतकज्जे अणहसमग्गे पुणरवि णियगघरं हव्वमागते राहाते कतबलिकम्मे कयकोउयमंगलपायच्छित्ते सुद्धप्पावेसाई मंगलाई वत्थाई पवरपरिहिते अप्पमहग्घाभरणालंकियसरीरे मणुगणं थालीपाकसुद्धं अट्ठारसवंजणाउलं भोयणं भुत्ते समाणे तंसि तारिसगंसि वासघरंसि अंतो सचित्तकम्मे बाहिरतो दूमितघट्टम? विचित्तउल्लोष-चिल्लियतले बहुसम-सुविभत्तभूमिभाए मणिरयण-पणासितंधयारे कालागुरु-पवरकुदुरुक-तुरुक-धूव-मघमघेत-गंधुद्धयाभिरामे सुगंधवरगंधिए गंधवट्टिभूते तंसि तारिसगंसि सयणिज्जसि दुहतो उराणते मज्झे णतगंभीरे उभयो सालिंगणवट्टिए उभयो विब्बोयणे (पराणत्तगंडविब्बोयणे) सुरम्मे गंग पुलिणवालुया-उद्दालसालिसए सुविरइयरयत्ताणे श्रोयवियः-खोमिय-खोमदुमूलपट्टपडिच्छायणे रत्तंसुयसंवुड़े सुरम्मे आईणग रूत-बूर-णवणीत--तूलफासे सुगंधवर-कुसुमचुराण-सयणोवयारकलिते ताए तारिसाए. भारियाए सद्धिं सिंगारागारचारवेसाए संगत--हसित-भणित-चिट्ठित-संलाव:-विलास-णिउणजुत्तोवयारकुसलाए अणुरत्ताविरत्ताए मणोणुकूलाए एगंतरतिपसत्ने अराणत्थः कच्छई मणं अकुवमाणे इट्टे सदफ़रिसरसरूवगंधे पंचविधे माणुस्सए. Page #472 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्रं : प्रा० 20] [ 445 कामभोगे पञ्चशुभवमाणे विहरिजा 3 / ता से णं पुरिसे विउसमणकालसमयंसि करिसए सातासोक्खं पचणुभवमाणे विहरति ?. उरालं समणाउसो !, ता तस्स णं पुरिसस्स कामभोगेहिंतो एत्तो श्रणंतगुणविसिट्टतरा चेव वाणमंतराणं देवाणं कामभोगा 4 / वागामंतराणं देवाणं कामभोगेहितो अणंतगुणविसिटुतरा चेव असुरिंदवजियाणं भवणवासीणं देवाणं कामभोगा 5 / असुरिंदवजियाणं देवाणं कामभोगेहिंतो एत्तो अणंतगुणविसिट्टतरा चेव असुरकुमाराणं इंदभूयाणं देवाणं कामभोगा 6 / असुरकुमाराणं देवाणं कामभोगेहितो अणंतगुणविसिट्ठतरा चेव गहणक्खत्त. ताराख्वाणं कामभोगा। गहगणक्खत्ततारारूवाणं कामभोगेहितो अणंतगुणविसिट्टतरा चेव चंदिमसूरियाणं देवाणं कामभोगा 8 | ता एरसिए णं चंदिमसूरिया जोइसिंदा जोइसरायाणो कामभोगे पञ्चणुभवमाणा विहरंति 1 // सूत्रं 105 // तत्थ खलु इमे अट्ठासीती महग्गहा पराणत्ता, तंजहाइंगालए वियालए लोहितके सणिच्छरे याहुणिए पाहुणिए कणो कणए कणकणए कणविताणए 10 कणगसंताणे सोमे सहिते अस्सासणो कजोवए कव्वरए अयकरए दुदु भए संखे संखणाभे 20 संखवण्णाभे कसे कंसणाभे कैसवराणाभे णीले णीलोभासे रुप्पे रुप्पोभासे भासे भासरासी 30 तिले तिलपुष्फवराणे दगे दगवराणे काये वंधे इंदग्गी धूमकेतू हरी पिंगलए 40 बुधे सुक्के बहस्सती राहू अगत्थी माणवए कामफासे धुरे पमुहे वियडे 50 विसंधिकप्पेल्लए पइल्ले जडियालए अरुणे अग्गिलए काले महाकाले सोथिए सोवत्थिए वद्धमाणगे 60 पलंबे णिचालोए णिच्चुजोते सयंपभे श्रोभासे सेयंकरे खेमंकरे श्राभंकरे पभंकरे अरए 70 विरए असोगे, वीतसोगे य विमले, विवत्ते विवत्थे विसाले साले सुब्बते अणियट्टी एगजडी 80 दुजडी कर करिए रायऽग्गले पुष्फकेतू भाव केतू 1 / संगहणी-इंगालए वियालए लोहितंके सणिच्छरे चेव / आहुणिए पाहुणिए: कणकसणामावि पंचेव // 1 // Page #473 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 446 ) [श्रीमदागमसुधासिन्धुः : सप्तमो विभागः सोमे सहिते अस्सासणे य कजोवए य कव्वरए। अयकरए दुदुभए संखसणामावि तिराणेव // 2 // तिन्नेव कंसणामा गीले रुप्पी य हुँति चत्तारि / भास तिल पुष्फवराणे दगवराणे काय वधे य // 3 // इंदग्गि धूमकेतू हरि पिंगलए बुधे य सुक्क य / वहसति राहु अगत्थी माणवए कामफासे य॥४॥धुरए पमुहे वियडे विसंधिकप्पे तहा पयल्ले य। जडियालए य अरुणे अग्गिल काले महाकाले // 5 // सोत्थिये सोवत्थिये वद्धमाणग तधा पलंबे य। णिचालोए णिच्चुज्जोए सयंपभे चेव श्रोभासे // 6 // सेयंकर खेमंकर श्राभंकर पभंकरे य बोद्धव्वे / अरए विरए य तहा असोग तह वीतसोगे य॥७॥ विमले वितत विवस्थे विसाल तह साल सु वते चेव / अणियट्टी एगजडी य होइ बिजडी य बोद्धव्वो॥ 8 // कर करिए रायऽग्गल बोद्धव्वे पुप्फ भाव केतू य / थट्टासीति गहा खलु णेयव्वा थाणु. पुव्वीए // 1 // 2 // सूत्रं 106 // इति एस पाहुडत्था अभव्वजण-हिययदुल्लहा इणमो। उकित्तिता भगवती जोतिसरायस्स परणत्ती // 1 // एस गहितावि संता थद्धे गारविय-माणिपडिणीए / अबहुस्सुए ण देया तब्विवरीते भवे देया // 2 // सदाधिति-उट्ठाणुच्छाह-कम्म-बल-विरियपुरिसकारेहिं / जो सिक्खियोवि संतो अभायणे पक्खिवे(रिकह)जाहि॥३॥ सो पवयण-कुल-गणसंघबाहिरो णाण-विणयपरिहीणो। अरहंत-थेर-गणहरमेरं किर होति वोलीणो // 4 // तम्हा धिति-उठाणुच्छाह-कम्मबल-विरियसिविखयं णाणं / धारेयवं णियमा ण य अविणएसु दायव्वं // 5 // वीरवरस्स भगवतो जरमरणकिलेसदोसरहियस्स / वंदामि विणयपणतो सोक्खुप्पाए सया पाए॥६॥सूत्रं 107 // // इति विशतितमं प्राभूतम् // 20 // // इति श्रीसूर्यप्रज्ञप्तिसूत्रम् // // इति षष्ठमुपाङ्ग समाप्तम् // // ग्रन्थाग्रं 2200 // Page #474 -------------------------------------------------------------------------- ________________ // अहम् // पञ्चमगणधरश्रीमत्सुधर्मस्वामिप्रणीतं // श्री निरयावलिकासूत्रम् // // अथ निरयावलिकाख्यः प्रथमो वर्गः // ॐ नमः श्रुतदेवतायै // ते णं काले णं ते णं समए णं रायगिहे नाम नयरे होत्था, रिद्ध 1 / उत्तरपुरिच्छिमे दिसीभाए गुणसिलए नामं चेइए होत्था, वनउ 2 / असोगवरपारवे तस्स णं हेट्ठा खंधासन्ने, एत्थ णं महं एगे पुढविसिलापट्टए पराणत्ते, विक्खंभायामसुप्पमाणे श्राईणग-रूय-बूर-नवणीयतूलफासे, पासाईए जाव पडिरूवे 3 ।।सू० 1 // ते णं काले णं ते णं समए णं समणस्स भगवश्री महावीरस्स अंतेवासी अजसुहम्मे नाम श्रणगारे जातिसंपन्ने जहा केसि जाव पंचहि अणगारसएहिं सद्धिं संपरिखुडे पुव्वाणुपुरि चरमागो जेणेव रायगिहे नगरे जाव श्रहापडिरूवं उग्गहं श्रोगिरिहत्ता संजमेणं जाव विहरति 1 / परिसा निग्गया, धम्मो कहियो, परिसा पडिगया 2 // सू० 2 // ते णं काले णं ते णं समए णं अजसुहम्मस्स अणगारस्स अंतेवासी जंबू णाम श्रणगारे समचउरंससंगणसंठिए जाव संखित्तविउलतेयलेस्से अजसुहम्मस्स अणगारस्स अदूरसामंते उड्डजाणू जाव विहरति // सू०३ // तए णं से भगवं जंबू जातसड्ढे जाव पज्जुवासमाणे एवं वयासि-उवं. गाणं भंते ! समणे णं जाव संपत्तेणं के अट्ठ पराणत्ते? एवं खलु जंब ! समणेणं भगवया जाव संपत्तेणं एवं उवंगाणं पंच वग्गा पन्नता, तंजहा-निरयावलियायो 1 कप्पडिसियाओ 2 पुफियायो 3 पुष्पचूलियायो 4 वरिहदसायो 5 Page #475 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 448 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः // सू० 4 // जइ णं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं उवंगाणं पंच वग्गा पन्नत्ता, तंजहा-निरयावलियायो जाव वरिहदसायो, पढमस्म णं भंते वग्गस्स उवंगाणं निरयावलियाणं समणेणं भगवया जाव संपत्तेणं कइ अझयणा पन्नता ? एवं खलु जंबू ! समणेणं जाव संपत्तेणं उवंगाणं पढमस्स वग्गस निरयावलियाणं दस अज्झयणा पत्नत्ता, तंजहा-काले 1 सुकाले 2 महाकाले 3 कराहे 4 मुकराहे 5 तहा महाकराहे 6 वीरकराहे 7 य बोद्धव्वे रामकराहे 8 तहेव य पिउसेणकराहे 1 नवमे दसमे महासेणकराहे 10 उ // सू० 5 // जइ णं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं उवंगाण पढमस्स वग्गस्स निरयावलियाणं दस अज्झयणा पन्नत्ता, पढमस्स णं भंते ! अज्झयणस्स निरयावलियाणं समणेणं जाव संपत्तेणं के अट्ठ पत्नत्ते ? एवं खलु जंबू ! ते णं काले णं ते णं समए णं इहेब जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे चंपा नाम नयरी होत्था, रिद्ध, पुन्नभद्दे चेइए, तत्थ णं चंपाए नयरीए सेणियस्स रनो युत्ते चेल्लणाए देवीअत्तए कूणिए नामं राया होत्था, महता, तस्स णं कूणियस्स रन्नो पंउमावई नामं देवी होत्था, सोमाल जाव विहरइ ॥सू०६॥ तत्थ णं चंपाए नयरीए सेणियस्स रन्नो भजा कूणियस्स रन्नो चुल्लमाउया काली नासं देवी होत्था, सोमाल जाव सुरूवा 1 / तीसे णं कालीए देवीए पुत्ते काले नामं कुमारे होत्था, सोमाल जाव सुरूवे 2 // सू० 7 // तते णं से काले कुमारे अन्नया कयाइ तिहिं दंतीसहस्सेहि तिहिं रहसहस्सेहिं तिहिं अाससहस्सेहिं तिहिं मणुयकोडीहिं गरुलवूहे 1 / एक्कारसमेणं खंडेणं कूणिएणं रन्ना सद्धिं रहमुसलं संगामं योयाए 2 // सू० 8 // तते णं तीसे कालीए देवीएं अन्नदा कदाइ कुडुबजागरियं जागरमाणीए अयमेयारूवे अज्झथिए जाव समुप्पज्जित्था-एवं खलु ममं पुत्ते कालकुमारे तिहिं दंतिसह• स्सेहिं जाव थोयाए। से मन्ने किं जतिस्सति ? नो जतिम्सति ? जीविस्सइ ? नो जीविस्सति ? पराजिणिस्सइ ? णो पराजिणिस्सइ ? काले णं कुमारे णं Page #476 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीनिरयावलिकासूत्र :: कल्पिकावर्गः 1 [ 446 अहं जीवमाणं पासिज्जा ? श्रोहयमणसंकप्पा जाव झियाइ // सू० 6 // ते णं काले णं ते णं समए णं समणे भगवं महावीरे समोसरिते परिसा निग्गया 1 / तते णं तीसे कालीए देवीए इमीसे कहाए लट्ठाए समाणीए अयमेतारूवे अज्झथिए जाव समुप्पजित्था-एवं खलु समणे भगवं महावीरे पुवाणुपुब्बिं जाव इहमागते जाव विहरति, तं महाफलं खलु तहारूवाणं जाव विउलस्स अट्ठस्स गहणताए, तं गच्छामि गं समणं जाव पज्जुवासामि 2 / इमं च णं एयारूवं वागरणं पुच्छिस्सामि तिकटु एवं संपेहेइ संपेहित्ता कोडुबियपुरिसे सद्दावेति 2 ता एवं वदासि खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! धम्मियं जावप्पवरं जुत्तमेव उवट्ठवेह, उवट्ठवित्ता जाव पचप्पिणंति 3 / तते णं सा काली देवी गहाया क्यबलिकम्मा जाव अप्पमहग्याभरणालंकियसरीरा बहूहिं खुजाहिं जाव महत्तरगविंदपरिक्खित्ता अंतेउरायो निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला जेणेव धम्मिए जाणप्पवरे तेणेव उवागच्छह 2 धम्मियं जाणप्पवरं दुरुहति 2 नियगपरियालसंपरिवुडा पं नयरीं मझ मज्झेणं निग्गच्छति 2 जेणेव पुन्नभद्दे चेइए तेणेव आगच्छइ 2 छत्तादीए जाव धम्मियं जाणप्पवरं ठवेति 2 धम्मियाश्रो जाणप्पवरायो पचोरुहति 2 बहुहिं जाव खुजाहिं विंदपरिक्खित्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छति 2 समणं भगवं महावीरं तिखुत्तो वंदति ठिया चेव सपरिवारा सुस्सूसमाणा नमसमाणा अभिमुहा विणएणं पंजलिउडा पज्जुवासति // सू० 10 // तते णं समणे भगवं जाव कालीए देवीए तीसे य महतिमहालियाए धामकहा भाणियव्वा जाव समणोवासए वा समणोवासिया वा विहरमाणा प्राणाए अाराहए भवति // सू० 11 // तते णं सा काली देवी समणस्स भगवश्रो अंतियं धम्मं सोचा निसम्म जाव हियया समणं भगवं तिखुत्तो जाव एवं वदासि एवं खलु भंते ! मम पुत्ते काले कुमारे तिहिं दंतिसहस्सेहिं जाव रहमुसलसंगाम श्रोयाते, से णं भंते ! किं जइस्सति ? Page #477 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 450 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः नो जइस्सति ? जाव काले णं कुमारे अहं जीवमाणं पासिजा ? कालीति समणे भगवं कालिं देवि एवं वयासी-एवं खलु काली ! तव पुत्ते काले कुमारे तिहिं दंतिसहस्सेहिं जाव कूणिएणं रन्ना सद्धि रहमुसलं संगाम संगामेमाणे हयमहिय-पवरवीरघातित-निवडित-चिंधज्झयपडागे निरालोयातो दिसातो करेमाणे चेडगस्स रन्नो सपक्खं सपडिदिसि रहणं पडिरहं हव्वमागते 1 / तते णं से चेडए राया कालं कुमारं एजमाणं पासति, कालं एजमाणं पासित्ता प्रासुरुत्ते जाव मिसिमिसेमाणे धणु परामुसति 2 उसु परामुमइ 2 वइसाहं ठाणं गति 2 श्राययकराणायतं उसु करेति 2 कालं कुमारं एगाहच्चं कूडाहच्चं जीवियायो ववरोवेति 2 / तं कालगते णं काली ! काले कुमारे नो चेव णं तुमं कालं कुमारं जीवमाणं पासिहिसि 3 // सू० 12 // तते णं सा काली देवी समणस्स भगवश्रो अंतियं एयमटुं सोचा निसम्म महया पुत्तसोएणं अप्फुन्ना समाणी परसुनियत्ताविव चंपगलता धस ति धरणीतलंसि सव्वंगेहिं संनिवडिया 1 / तते णं सा काली देवी मुहुत्तंतरेणं अासत्था समाणी उट्ठाए उति उट्टित्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ 2 एवं वयासी-एवमेयं भंते ! तहमेयं भंते ! अवितहमेयं भंते ! असंदिगमेयं भंते ! सच्चेणं एसम8 से जहेतं तुब्भे वदह तिकटु समणं भगवं वंदइ नमसइ 2, तमेव धम्मियं जाणप्पवरं दुरुहति 2 जामेव दिसं पाउन्भूया तामेव दिसं पडिगता // सू० 13 // _ भंते ति भगवं गोयमे जाव वंदति नमंसति 2 एवं वयासी-कालेणं भंते ! कुमारे तिहिं दंतिसहस्सेहिं जाव रहमुसलं संगाम संगामेमाणे चेडएणं रन्ना एगाहच्चं कूडाहच्चं जीवियायो ववरोविते समाणे कालमासे कालं किचा कहिं गते ? कहिं उववन्ने ? गोयमाति ! समणे भगवं महावीरे गोयमं एवं वदासि-एवं खलु गोयमा ! काले कुमारे तिहिं दंतिसहस्सेहि जाव जीवियायो ववरोविते समाणे कालमासे कालं किच्चा चउत्थीए Page #478 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीनिरयावलिकासूत्र :: कल्पिकावर्गः 1 ] / 45? पंकप्पभाए पुढवीए हेमाभे नरगे दससागरोवमठिइएसु नेरइएसु नेरयत्ताए उववन्ने // सू० 14 // काले गणं भंते ! कुमारे केरिसएहिं श्रारंभेहिं केरिसएहिं समारंभेहिं केरिसएहिं प्रारंभसमारंभेहिं केरिसएहिं भोगेहिं केरिसएहिं संभोगेहि केरिसएहिं भोगसंभोगेहिं केरिसेण वा असुभकडकम्म. पब्भारेणं कालमासे कालं किच्चा चउत्थीए पंकप्पभाए पुढवीए जाव नेरइयताए उववन्ने ? एवं खलु गोयमा ! ते णं कालेणं ते णं समएणं रायगिहे नाम नयरे होत्था, रिद्धस्थिमियसमिद्धा 1 / तत्थ णं रायगिहे नयरे सेणिए नामं राया होत्था, महया 2 / तस्स णं सेणियस्स रन्नो नंदा नामं देवी होत्था, सोमाला जाव विहरति 3 / तस्स णं सेणियस्स रनो नंदाए देवीए अत्तए अभए नामं कुमारे होत्था, सोमाले जाव सुरूवे साम दंडे जहा चित्तो जाव रजधुराए चिंतए यावि होत्था 4 / तस्स णं सेणियस्स रनो चेल्लणा नामं देवी होत्था, सोमाले जाव विहरइ 5 // मू० 15 // तते णं सा चिल्लणा देवी अन्नया कयाई तंसि तारिसयंसि वासघरंसि जाव सीहं सुमिणे पासित्ता णं पडिबुद्धा, जहा पभावती, जाव सुमिणपाढगा पडि. विसजिता, जाव चिल्लणा से वयणं पडिच्छित्ता जेणेव सए भवणे तेणेव अणुपविट्ठा // सूत्रं 16 // - तते णं तीसे चेलणाए देवीए अन्नया कयाई तिराहं मासाणं बहुपडि. पुराणाणं अयमेयारूवे दोहले पाउब्भूए-धनायो णं तायो अम्मयाश्रो जाव जम्मजीवियफले जाणो णं सेणियस्स रन्नो उदवलीमंसेहि सोल्लेहि य तलिएहि य भजितेहि य सुरं च जार पसन्नं च आसाएमाणीयो जाव परिभाएमाणीयो दोहलं पविणेति 1 / तते णं सा चेलणा देवी तंसि दोहलंसि अविणिजमाणंसि सुक्का भुक्खा निम्मंसा अोलुग्गा अोलुग्गसरीरा नित्तेया दीणविमणवयणा पंडुइतमुही श्रोमंथियनयणवणयकमला जहोचियं पुष्फवस्थगंधमल्लालंकारं अपरिभुजमाणी करतलमलियव्व कमलमाला Page #479 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 452 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : सप्तमो विमागः श्रोहतमणसंकप्पा जाब झियायति 2 // सू० 17 // तते णं तीसे चेल्लणाए देवीए अंगाडियारियातो चेल्लणं देवि सुक्कं भुक्खं जाव झियायमाणी पासंति, पासिता जेणेव सेणिए राया तेणेव उवागच्छति, 2 करतलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कटटु सेणियं रायं एवं वयासी-एवं खलु सामी ! चेलणा देवी न याणामो केणइ कारणेणं सुक्का मुक्खा जाव झियायति // सू० 18 // तते णं से सेणिए राया तासि अंगपडियारियाणं अंतिए एयम? सोचा निसम्म तहेव संभंते समाणे जेणेव चेलणा देवी तेणेव उवागच्छइ 2 चिल्लणं देवि सुक्कं भुक्खं जाव झियायमाणिं पासित्ता एवं वयासी-किन्नं तुमं देवाणुप्पिए ! सुक्का मुक्खा जाव झियायसि ? तते णं सा चेल्लणा देवी सेणियस्स रराणो एयमgणो श्रादाति यो परिजाणाति तुसिणीया संचिट्ठति 1 / तते णं से सेणिए राया चिलणं देवि दोच्चं पि तच्चं पि एवं वयासी-कि णं अहं देवाणुप्पिए ! एयमट्ठस्स नो अरिहे सव. णयाए जंणं तुमं एयमट्ठ रहस्सीकरेसि ? तते णं सा चेलणा देवी सेणिएणं रन्ना दोव्वं पि तच्चं पि एवं वुत्ता समाणी सेणियं रायं एवं वयासीणत्थि णं सामी ! से केति अट्ठ जस्स णं तुब्भे अणरिहा सवणयाए, नो चेव णं इमस्स अट्ठस्स सवणयाए, एवं खलु सामी ! ममं तस्स अोरालस्स जाव महासुमिणस्स तिराहं मासाणं बहुपडिपुराणाणं अयमेयारूवे दोहले पाउन्भूए धन्नातो णं तातो अम्मयायो जायो णं तुम्भं उदरवलिमसेहि सोलएहि य जाव दोहलं विणेंति 2 / तते णं अहं सामी ! तंसि दोहलंसि अविणिजमाणी सुका भुक्खा जाव झियायामि 3 // सू० 11 // तते णं से सेणिए राया चेल्लणं देविं एवं वदासि-मा | तुमे देवाणुप्पिए ! श्रोहयमणसंकप्पा जाव झियायहि, श्रहं णं तहा जत्तिहामि जहा णं तव दोहलस्स संपत्ती भविस्सतीतिकटु चिलणं देविं ताहि इट्टाहिं कंताहि पियाहिं मणुनाहि मणामाहिं श्रीरालाहिं कलाणाहिं सिवाहिं धन्नाहिं मंगल्लाहि मियमधुर Page #480 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीनिरयावलिकास्त्रं :: कल्पिकावर्गः 1 ] [ 453 सस्सिरीयाहि वग्गूहिं समामासेति, चिल्लणाए देवीए अंतियातो पडिनिक्खमति 2 जेणेव बाहिरिया उवट्टाणसाला जेणेव सीहासणे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सीहासणवरंसि पुरत्याभिमुहे निसीयति, तस्स दोहलस्स संपत्तिनिमित्तं बहूहिं पाएहिं उवाएहि य उप्पत्तियाए य वेणइयाए य कम्मियाहि य पारिणामियाहि य परिणामेमाणे 2 तस्स दोहलस्स श्रायं वा उवायं वा ठिई वा अविंदमाणे श्रोहयमणसंकप्पे जाव झियायति ॥सू० 20 // इमं च णं अभए कुमारे राहाए जाव सरीरे, सयाओ गिहाश्रो पडिनिक्खमति 2 जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला जेणेव सेणिए राया तेणेव उवागच्छति, सेणियं रायं श्रोहयमणसंकप्पं जाव झियायमाणं पासति 2 एवं वदासीअन्नया णं तातो ! तुम्भे ममं पासित्ता हट्ठ जाव हियया भवह, किन्नं तातो! श्रज तुम्भे श्रोहयमण संकप्पे जाव झियायह ? तं जइ णं अहं तातो! एयमट्ठस्स अरिहे सतणयाए तो णं तुम्भे मम एयम४ जहाभूतमवितहं असंदिद्धं परिकहेह, जा णं अहं तस्स अट्टस्स अंतगमणं करेमि 1 / तते णं से सेणिए राया अभयं कुमारं एवं वदासि-णत्थि णं पुत्ता ! से केइ अट्ठ जस्स णं तुम्म अणरिहे सवणयाए, एवं खलु पुत्ता ! तव चुल्लमाउयाए चेल्लणाए देवीए तस्स पोरालस्स जाव महासुमिणस्स तिराहं मासाणं बहुपडिपुन्नाणं जाव जाश्रो णं मम उदरखलीमंसेहिं मोलेहि य जाव दोहलं विणेति 2) तते णं सा चिलणा देवी तंसि दोहलंसि अविणिजमाणंसि सुक्का जाव झियाति 3 / तते णं अहं पुत्ता ! तस्स दोहलस्स संपत्तिनिमित्तं बहूहिं श्राएहि य जाव ठिति वा अविंदमाणे श्रोहयमणसंकप्पे जाव झियामि 4 // सू० 21 // तए णं से अभए कुमारे सेणियं रायं एवं वदासि-माणं ताते ! तुम्भे श्रोहयमणसंकप्पे जाव झियाह, अहं णं तह जत्तिहामि, जहा णं मम चुल्लमाउयाए चिल्लणाए देवीए तस्स दोहलस्स संपत्ती भविस्सतीतिकटु सेणियं रायं ताहि इटाहिं जाव वग्गूहि समासासेति 2 जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छइ 2 अभितरए Page #481 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 454 ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभाग रहस्सितए ठाणिज्जे पुरिसे सद्दावेति 2 एवं वयासी-गच्छह णं तुम्भे देवाणुप्पिया ! सूणातो अल्लं मंसं रुहिरं बत्थिपुडगं च गिराहह 1 / तते णं ते गणिजा पुरिसा अभएणं कुमारेणं एवं वुत्ता समाणा हट्टतुट्ठा करतल जाव पडिसुणेत्ता अभयस्स कुमारस्स अंतियायो पडिनिक्खमंति 2 जेणेव सूणा तेणेव उवागच्छंति 2 अल्लं मंसं सहिरं बत्थिपुडगं च गिराहंति. 2 जेणेव अभए कुमारे तेणेव उवागच्छंति 2 करतल जाव तं अल्लं मंसं रुहिरं बत्थिपुडगं च उवणेति 2 // सू० 22 // तते णं से अभए कुमारे तं अल्लं मंसं रुहिरं कप्पणिकप्पियं (अप्पकप्पियं) करेति 2 जेणेव सेणिए राया तेणेव उवागच्छति 2 सेणियं रायं रहस्सिगयं सयणिज्जंसि उत्ताणयं निवजावेति 2 सेणियस्स उदरवलीसु तं अल्लं मंसं रुहिरं विरवेति 2 बत्थिपुडएणं वेदेति 2 सवंतीकरणेणं करेति 2 चेल्लणं देविं उप्पि पासादे अवलोयणवरगयं ठवावेति 2 चेलणाए देवीए अहे सपखं सपडि. दिसि सेणियं रायं सयणिज्जंसि उत्ताणगं निवजाति 2 सेणियस्स रन्नो उदरवलिमसाई कप्पणिकप्पियाई करेति 2 से य भायणंसि पक्खिवति 1 / तते णं से सेणिए राया अलियमुच्छियं करेति 2 मुहुत्तंतरेणं अन्नमन्नेणं सद्धिं संलवमाणे चिट्ठति 2 / तते णं से अभयकुमारे सेणियस्स रनो उदरवलिमसाइं गिराहेति 2 जेणेव चिलणा देवी तेणेव उवागच्छइ 2 चेल्लणाए देवीए उवणेति 3 / तते णं सा चिल्लणा सेणियस्स रन्नो तेहिं उदरवलिमंसेहिं सोल्लेहिं जाव दोहलं विणेति 4 / तते णं सा चिलणा देवी संपुराणदोहला एवं संमाणियदोहला विच्छिन्नदोहला तं गभं सुहंसुहेणं परिवहति 5 / तते णं तीसे चेलणाए देवीए अन्नया कयाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि अयमेयारूवे जाव समुप्पजित्था-जइ ताव इमेणं दारएणं गब्भगएणं चेव पिउणो उदरवलिमंसाणि खाइयाणि तं सेयं खलु मए- एयं गभं साडित्तए वा पाडित्तए वा गालित्तए वा विद्धंसित्तए वा एवं संपेहेति 2 तं Page #482 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीनिरयावलिकासूत्र :: कल्पिकावर्गः 1 / / 455 गभं बहूहिं गम्भसाडणेहि य गब्भपाडणेहि य गभगालणेहि य गम्भविद्धंसणेहि य इच्छति साडित्तए वा पाडित्तए वा गालित्तए वा विद्धंसित्तए वा, नो चेव णं से गम्भे सडति वा पडति वा गलति वा विद्धंसति वा 6 / तते णं सा चिल्लणा देवी तं गम्भं जाहे नो संचाएति बहहिं गब्भसाडएहि य जाव गब्भविद्धंमणेहि य साडित्तए वा जाव विद्धंसित्तए वा, ताहे संता तंता परितंता निम्विन्ना समाणा अकामिया अवसवसा अट्टक्सट्टदुहट्टा तं गभं परिवहति 7 // सू० 24 // तते णं सा चिल्लणा देवी नवराहं मासाणं बहुपडिपुराणाणं जाव सोमालं सुरूवं दारयं पयाया 1 / तते णं तीसे चेलणाए देवीए इमे एतारूवे जाव समुप्पजित्था-जइ ताव इमेणं दारएणं गभगएणं चेव पिउणो उदरवलिमसाई खाइयाई, तं न नजइ णं एस दारए संवड्डमाणे अम्हं कुलस्स अंतकरे भविस्सति, तं सेयं खलु अम्हं एयं दारगं एगंते उकुरुडियाए उज्मावित्तए एवं संपेहेति 2 दासचेडिं सदावेति 2 एवं वयासी-गच्छह णं तुम देवाणुप्पिए एयं दारगं एगंते उकुरुडियाए उज्झाहि 2 / तते णं सा दासचेडी चेल्लणाए देवीए एवं वुत्ता समाणी करतल जाव कटु चिलणाए देवीए एतमट्ठ विणएणं पडिसुणेति 2 तं दारगं करतलपुडेणं गिराहति 2 जेणेव असोगवणिया तेणेव उवागच्छति 2 तं दारगं एगते उकुरुडियाए उज्माति 3 / तते णं तेणं दारएणं एगते उकुरुडियाए उज्झितेणं समाणेणां सा असोगवणिया उज्जोविता यावि होत्था 4 // सू० 25 // तते णं से सेणिए राया इमीसे कहाए लट्ठ समाणे जेणेव असोगवणिया तेणेव उवागच्छति 2 तं दारगं एगते उकुरुडियाए उझियं पासेति 2 श्रासुरुत्ते जाव मिसिमिसेमाणे तं दारगं करतलपुडेणं गिराहति 2 जेणेव चिलणा देवी तेणेव उवागच्छति 2 चेल्लणं देविं उच्चावयाहिं पायोसणाहिं श्रायोसति 2 उच्चावयाहिं निभच्छणाहिं निभच्छेति 2 एवं उद्धंसणाहिं उद्धंसेति 2 एवं Page #483 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 453 ] { श्रामदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विमागः ...वयासी-किस्स गणं तुम मम पुत्तं एगते उकुरुडियाए उज्मावेसि तिकटु "चेलणं देवि उच्चावयसवहसावितं करेति 2 एवं वयासी-तुमं णं देवाणुप्पिए ! एयं दारगं अणुपुव्वेणं सारक्खमाणी संगोवमाणी संवड्ढे हि 1 / तते णं सा चेलणा देवी सेणिएणं रन्ना एवं वुत्ता समाणी लजिया विलिया विड्डा करतलपरिग्गहियं सेणियस्स रन्नो विणएणं एयमट्ठ पडिसुणेति 2 तं दारगं अणुपुञ्वेणं सारक्खमाणी संगोवेमाणी संवड्ढति 5 // सू० 26 // तते णं तस्स दारगस्स एगते उकुरुडियाए उझिजमाणस्स अग्गंगुलियाए कुक्कुडपिछएणं दूमिया यावि होत्था, अभिक्खणं अभिक्खणं पूयं च सोणियं च अभिनिस्सवेति 1 / तते णं से दारए वेदणाभिभूए समाणे महता महता सद्दणं पारसति 2 / तते णं सेणिए राया तस्स दारगरस पारसितसद्दे सोचा निसम्म जेणेव से दारए तेणेव उवागच्छति 2 तं दारगं करतलपुडेणं गिराहइ 2 तं अग्गंगुलियं श्रासयंसि पक्खिवति 2 पूइं च सोणियं च यासएणं यामुसति 3 / तते णं से दारए निव्वुए निव्वेदणे तुसिणीए संचिट्टइ, जाहे वि य णं से दारए वेदणाए अभिभूते समाणे महता महता सद्दणं धारसति ताहे वि य णं सेणिए राया जेणेव से दारए तेणेव उवागच्छति 2 तं दारगं करतलपुडेणं गिराहति तं चेव जाव निव्वेयणे तुसिणीए संविहुइ 4 // सू० 27 // तते णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो ततिए दिवसे चंदसूरदंसणियं करेति जाव संपत्ते बारसाहे दिवसे अयमेयास्वं गुणनिष्पन्न नामधिज्ज करेति, जहा णं अम्हं इमस्स दारगस्स एगते उकुरुडियाए उझिजमाणस्स अंगुलिया कुक्कडपिच्छएणं दूमिया, तं होउ णं अम्हं इमस्स दारगस्स नामधेज्जं कूणिए 1 / तते णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो नामधिज्ज करेंति कूणिय त्ति 2 / तते णं तस्स कूणियस्स आणुपुट्वेणं ठितिवडियं च जहा मेहस्स जाव उप्पि पासायवरगए विहरति 3 / अट्ठो दायो 4 ॥सू० 28 // तते णं तस्स कूणियस्स कमारस्म अन्नदा पुव्वरत्तावरत्तकालसमयसि Page #484 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीनिरयावलिकासूत्र :: निरयावलिका-वर्गः 1 ] [ 457 जाव समुपजित्था एवं खलु अहं सेणियस्स रन्नो वाघाएणं नो संचाएमि सयमेव रजसिरिं करेमाणे पालेमाणे विहरित्तए, तं सेयं मम खलु सेणियं रायं नियलबंधणं करेत्ता अप्पाणं महता महता रायाभिसेएणं अभिसिंचावित्तए त्तिकटु एवं संपेहेति 2 सेणियस्स रनो अंतराणि य छिड्डाणि य विरहाणि य पडिजागरमाणे विहरति 1 / तते णं से कूणिए कुमारे सेणियस्स रन्नो अंतरं वा जाव मम्मं वा अलभमाणे अन्नदा कयाइ कालादीए दस कुमारे नियघरे सहावेति 2 एवं वदासि-एवं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हे सेणियस्स रन्नो वाघाएणं नो संचाएमो सयमेव रजसिरिं करेमाणा पालेमाणा विहरित्तए, तं सेयं देवाणुप्पिया ! अम्हं सेणियं रायं नियलबंधणं करेत्ता रज्जं च रटुं च बलं च वाहणं च कोसं व कोट्ठागारं च जणवयं च एकारसभाए विरिचित्ता सयमेव रजसिरिं करेमामाणं पालेमाणाणं विहरित्तए 2 / तते णं ते कालादीया दस कुमारा कूणियस कुमारस्स एयमट्ट विणएणं पडिसुणेति 3 / तते णं से कूणिए कुमारे अन्नदा कदाइ सेणियस्स रन्नो अंतरं जाणति 2 सेणियं रायं नियलबंधणं करेति 2 अप्पाणं महता महता रायाभिसेएणं अभिसिंचावेति 4 / तते णं से कूणिए कुमारे राजा जाते महता. 5 // सूत्रं 21 // तते णं से कूणिए राया अन्नदा कदाइ न्हाए जाव सव्वालंकारविभूसिए चेलणाए देवीए पायदए हव्वमागच्छति 1 / तते णं से कूणिए राया चेलणं देविं श्रोहयमणसंकप्पं जाव झियायमाणिं पासति 2 चेलणाए देवीए पायग्गहणं करेति 2 चेल्लणं देवि एवं वदासि-किं णं अम्मो ! तुम्हं न तुट्टी वा न असए वा न हरिसे वा नाणंदे वा ? जंणं अहं सयमेव रजसिरिं जाव विहरामि 2 / तते णं सा चेलणा देवी कूणियं रायं एवं वयासि-कहराणं पुत्ता ! ममं तुट्ठी वा उस्सए वा हरिसे वा पाणंदे वा भविस्सति ? जं नं तुमं सेणियं रायं पियं देवयं गुरुजणगं अच्चंतनेहाणुरागरत्तं नियलबंधणं करित्ता Page #485 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 458 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः अप्पाणं महता गयाभिसेएणं अभिसिंचावेसि 3 / तते णं से कूणिए राया चिल्लणं देवि एवं वदासि-घातेउकामे णं अम्मो ! मम सेणिए राया, एवं मारेतुंबंधितुनिच्छुभिउकामए णं अम्मो ! ममं सेणिए राया, तं कहन्नं अम्मो ! ममें सेणिए राया अच्चंतनेहाणुरागरते ? तते णं सा चेल्लणा देवी कूणियं कुमारं एवं वदासि-एवं खलु पुत्ता ! तुमंसि ममं गब्भे श्राभूते समाणे तिराहं मासाणं बहुपडिपुन्नाणं ममं अयमेयारूवे दोहले पाउब्भूतेधन्नातो णं तातो अम्मयातो जाव अंगपडिचारियायो निरवसेसं भाणियत्वं जाव जाहे वि य णं तुमं वेयणाए अभिभूते महता जाव तुसिणीए संचिहसि, एवं खलु तव पुत्ता! सेणिए राया अच्चंतनेहाणुरागरते 4 / तते णं से कूणिए राया चेल्लणाए देवीए अंतिए एयमळं सोचा निसम्म चिल्लणं देविं एवं वदासि- दुट्ठ णं अम्मो ! मए कयं सेणियं रायं पियं देवयं गुरुजणगं श्रच्चंतनेहाणुरागरत्तं नियलबंधणं करतेणं, तं गच्छामि णं सेणियस्स रन्नो सयमेव नियलानि छिदामि तिकटु परसुहत्थगते जेणेव चारगसाला तेणेव पहारिस्थ गमणाए 5 / तते णं सेणिए राया कूणियं कुमारं परसुहस्थगयं एजमाणं पासति 2 एवं वयासि-एस णं कूणिए कुमारे अपत्थियपत्थिए जाव सिरिहिरिपरिवजिए परसुहत्थगए इह हव्वमागच्छति, तं न नजइ णं ममं केणइ कुमारेणं मारिस्सतीतिकटु भीए जाव संजायभए तालपुडगं विसं यासगंसि पक्खिवइ 6 / तते णं से सेणिए राया तालपुडगविसं थासगंसि पक्खित्ते समाणे मुहत्तरेणं परिणाममाणंसि निप्पाणे निचिट्ठ जीवविप्पजढे पोइन्ने ७॥सू०३०॥ तते णं से कूणिए कुमारे जेणेव चारगसाला तेणेव उवागए 2 सेणियं रायं निप्पाणं निचिट्ठ जीवविप्पजढं श्रोइन्न पासति 2 महता पितिसोएणं अप्फुराणे समाणे परसुनियत्ते विव चंपगवरपादवे धस त्ति धरणीतलंसि सव्वंगेहिं संनिवडिए 1 / तते णं से कूणिए कुमारे मुहुत्तंतरेणं अासत्थे समाणे रोयमाणे, कंदमाणे, सोयमाणे, विलव Page #486 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीनिरयावलिकासूत्रं : निरयावलिकावर्गः 1] [ 456 माणे एवं वदासि-अहो णं मए अधन्नेणं अपुन्नेणं अकयपुन्नेणं दुठुकयं सेणियं रायं पियं देवयं गुरुजणगं अच्चंतनेहाणुरागरत्तं नियलबंधणं करतेणं मम मूलागं चेव णं सेगिए राया कालगते त्ति कटु ईसरतलवर जाव संधिवालसद्धिं संपरिखुडे रोयमाणे 4 महया इडिसकारसमुदएणं सेणियस्स रनो नीहरणं करेति, बहूई लोइयाइं मयकिच्चाई करेति 2 / तते णं से कूणिए कुमारे एतेणं महया मणोमाणसिएणं दुक्खेणं अभिभूते समाणे अनदा कदाइ अंतेउरपरियालसंपरिबुडे सभंडमत्तोवकरणमाताए रायगिहातो पडिनिक्खमति 2 जेणेव चंपा नगरी तेणेव उवागच्छद, तत्थ वि णं विपुलभोगसमितिप्तमन्नागए, कालेणं अप्पसोए जाव यावि होत्था 3 // मू० 31 // तते णं से कूणिए राया अन्नया कयाइ कालादीए दस कुमारे सहावेति 2 रज्जं च जाव जणवयं च एकारसभाए विरिंचति 2 सयमेव रजसिरिं करेमाणे पालेमाणे विहरति / सू० 32 // . तत्थ णं चंपाए नगरीए सेणियस्स रन्नो पुत्ते चेल्लणाए देवीए अत्तए कूणियस्स रन्नो सहोयरे कणीयसे भाया वेहल्ले नामं कुमारे होत्था सोमाले जाव सुरूवे 1 / तते णं तस्म वेहल्लस्स कुमारस्स सेणिएणं रन्ना जीवंतएणं चेव सेयणए गंधहत्थी अट्ठारसर्वके हारे पुवदिन्ने 2 / तए णं से वेहल्ले कुमारे सेयणएणं गंधहत्थिणा अंतेउरपरियालसंपरिबुडे चंपं नगरिं मझ मझेणं निग्गच्छइ 2 अभिक्खणं 2 गंगं महानई मज्जणयं भोयरइ 3 / तते णं सेयणए गंधहत्थी देवीश्रो सोंडाए गिराहति 2 अप्पेगइयायो पुढे ठवेति, अप्पेगइयायो खंधे ठवेति, एवं अप्पेगइयायो कुंभे ठवेति, अप्पेगइयायो सीसे ठवेति, अप्पेगइयायो दंतमुसले ठवेति, अप्पेगइयायो सोंडाए गहाय उड्डे वेहासं उविहइ, अप्पेगइयायो सोंडागयात्रो अंदोलावेति, अप्पेगइयाश्रो दंतंतरेसु नीति, अप्पेगइयायो सीभरेण(असीतरणे) राहाणेति, अप्पेगइयायो श्रणेगेहिं कीलावणेहिं कीलावेति 4 // सू० 33 // तते णं चंपाए Page #487 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 460 / / श्रीमदागम् सुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः . नयरीए सिंघाडग-तिगचउक-चचरमहापहपहेसु बहुजणो अन्नमन्नस्स एवमाइक्खइ जाव परुवेति-एवं खलु देवाणुप्पिया ! वेहल्ले कुमारे सेयणएणं गंध. हत्थिणा अंतेउरं तं चेव जाव णेगेहिं कीलावणएहिं कीलावेति, तं एस णं वेहल्ले कुमारे रज्जसिरिफलं पञ्चणुब्भवमाणे विहरति, नो कूणिए राया // सू० 34 // तते णं तीसे पउमावईए देवीए इमीसे कहाए लट्ठाए समाणीते अयमेयारूवे जाव समुप्पजित्था, एवं खलु वेहल्ले कुमारे सेयणएणं गंधहत्थिणा जाव अणेगेहिं कीलावणएहिं कीलावेति, तं एस णं वेहल्ले कुमारे रजसिरिफलं पञ्चणुब्भवमाणे विहरति, नो कोणिए राया, तं किं अम्हं रज्जेण वा जाव जणवएण वा जइ णं अम्हं सेयणगे गंधहत्थी नत्थि ? तं सेयं खलु ममं कूणियं रायं एयम विनवित्तए त्तिकट्टु एवं संपेहेति 2 जेणेव कूणिए राया तेणेव उवागच्छति 2 करतल जाव एवं वयासि-एवं खलु सामी ! वेहल्ले कुमारे सेयणएण गंधहथिणा जाव अणेगेहिं कीलाव. णाहिं कीलावेति, तंकिराहं सामी! अम्हं रज्जेण वा जाव जणवएण वा जति णं अम्हं सेयणए गंधहत्थी नत्थि ? तए णं से कूणिए राया पउमावईए देवीए एयम४ नो पाढाति नो परिजाणति तुसिणीए संचिट्ठति 1 / तते णं सा पउमावई देवी अभिक्खणं 2 कूणियं रायं एयम8 विन्नवेइ 2 // सू०३५ / / तते णं से कूणिए राया पउमावईए देवीए अभिक्खणं 2 एयम8 विन्नविजमाणे अन्नया कयाइ वेहल्लं कुमारं सदावेति 2 सेयणगं गंधहत्थिं अट्ठारसवंकं च हारं जायति 1 / तते णं से वेहल्ले कुमारे कूणियं रायं एवं वयासि-एवं खलु : सामी ! सेणिएणं रन्ना जीवंतेणं चेव सेयगाए गंधहत्थी अट्ठारसर्वके य हारे दिन्ने, तं जइ णं सामी ! तुब्भे ममं रजस्स य (जणवयस्स य) अद्धं दलह - तो णं अहं तुम्भं सेयणयं गंधहत्थि अट्टारसवंकं च हारं दलयामि 2 / तते णं से कूणिए राया वेहल्लस्स कुमारस्स एयमट्ट नो अाढाति नो परिजाणइ अभिक्खणं 2 सेयणगं गंधहत्थि अट्ठारसर्वकं च हारं जायति Page #488 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीनिरयावलिकासूत्रं : निरयावलिकावर्गः 1 ] [ 461 3 // सू० 36 // तए णं तस्स वेहल्लस्स कुमारस्स कूणिएणं रन्ना अभिक्खणं 2 सेयणगं गंधहत्थिं अट्ठारसर्वकं च हारं एवं अक्खिविउ. कामेणं गिरिहउकामेणं उद्दालेउकामेणं ममं कूणिए राया सेयणगं गंधहत्थि अट्ठारसर्वकं च हारं तं जाव न उद्दालेइ ताव ममं कूणिए राया सेयणगं गंधहत्थि अट्ठारसर्वकं च हारं गहाय अंतेउरपरियालसंपरिवुडस्स सभंडमत्तोवकरणमाताए चंपातो नयरीतो पडिनिक्खमित्ता वेसालीए नयरीए अजगं चेडयं रायं उवसंपजित्ताणं विहरित्तए, एवं संपेहेति 2 कूणियस्स रन्नो अंतराणि जाव पडिजागरमाणे 2 विहरति 1 / तते णं से वेहल्ले कुमारे अन्नदा कदाइ कूणियस्स रन्नो अंतरं जाणति 2 सेयणगं गंधहत्थि अट्ठारसवंकं च हारं गहाय अंतेउरपरियालसंपरिखुडे सभंडमत्तोवकरणमायाए चंपायो नयरीतो पडिनिक्खमति 2 जेणेव वेसाली नगरी तेणेव उवागच्छति, वेसालीए नगरीए अजगं चेडयं उवसंपजित्ता णं विहरति 2 // सू० 37 // तते णं से कूणिए राया इमीसे कहाए लट्ठ समाणे एवं खलु वेहल्ले कुमारे ममं असंविदितेणं सेयणगं गंधहत्थिं अट्ठारसवंकं च हारं गहाय अंतेउरपरियालसंपरिबुडे जाव अजयं चेडयं रायं उवसंपजित्ता णं विहरति, तं सेयं खलु ममं सेयणगं गंधहत्थि अट्ठारसवंकं च हारं दूतं पेसित्तए, एवं संपेहेति 2 दूतं सदावेति 2 एवं वयासि-गच्छह णं तुमं देवाणुप्पिया ! वेसालि नगरि, तत्थ णं तुमं ममं अज्ज चेडगं रायं करतल जाव वद्धावेत्ता एवं वयासि-एवं खलु सामी! कूणिए राया विनवेति, एस णं वेहल्ले कुमारे कणियस्स रन्नो असंविदितेणं सेयणगं गंधहत्थिं अट्ठारसवंकं च हार गहाय हव्वमागते, तए णं तुन्भे सामी! कूणियं रायं अणुगिगहमाणा सेणगं गंधहत्थि अट्ठारसर्वकं च हारं कूणियस्स रन्नो पञ्चपिणह, वेहल्लं कुमारं च पेसेह 1 / तते णं से दूए कूणिए राए एवं वुत्ते समाणे करतल जाव पडिसुणित्ता जेणेव सते गिहे Page #489 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 462 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः सप्तमो विभागः तेणेव आगच्छति 2. जहा चित्तो जाव वद्धावित्ता एवं वयासि–एवं खलु सामी ! कूणिए. राया विन्नवेइ-एस णं वेहल्ले कुमारे तहेव भाणियव्वं जाव वेहल्लं कुमारं पेसेह 2 // सू० 38 // तते णं से चेडए राया तं दूयं एवं वयासि-जह चेव णं देवाणुप्पिया ! कूणिए राया सेणियस्स रन्नो पुत्ते चेलणाए देवीए अत्तए ममं नत्तुए तहेब णं वेहल्ले वि कुमारे सेणियस्स रन्नो पुत्ते चेलणाए देवीए अत्तए मम नत्तुए, सेणिएणं रन्ना जीवंतेणं चेव वेहल्लस्स कुमारस्स सेयणगे गंधहत्थी अट्ठारसवंके हारे पुव्वविदिन्ने, तं जइ णं कूणिए राया वेहलस्स रजस्स य जणवयस्स य अद्धं दलयति तो णं सेयणगं गंधहत्थि अट्टारमर्वकं च हारं कूणियस्स रन्नो पञ्चप्पिणामि, वेहल्लं च कुमारं पेसेमि। तं दूयं सकारेति संमाणेति पडिविसज्जेति // सू० 31 // तते णं से दूते चेडएणं रन्ना पडिविसजिए समाणे जेणेव चाउग्घंटे श्रासरहे तेणेव उवागच्छइ 2 चाउग्घंटं श्रासरहं दुरुहति 2 वेसालिं नगरिं मझ मझेणं निग्गच्छइ 2 सुभेहिं वसहीहिं पायरासेहिं जाव वद्धावित्ता एवं वदासि–एवं खलु सामी! चेडए राया प्राणवेतिजह चेव णं कूणिए राया सेणियस्स रन्नो पुत्ते चेलणाए देवीए अत्तए मम नत्तुए तं चेव भाणियब्वं जाव वेहल्लं च कुमारं पेसेमि, तं न देति णं सामी ! चेडए राया सेयणगं गंधहत्थिं अट्ठारसवंकं हारं च, वेहल्लं च नो पेसेति // सू० 40 // तते णं से कूणिए राया दुचं पि दूयं सहावित्ता एवं वयासी-गच्छह णं तुमं देवाणुप्पिया ! वेसालि नगरिं, तत्थ णं तुम मम अजगं चेडगं रायं जाव एवं वयासि-एवं खलु सामी ! कूणिए राया विनवेइ-जाणि काणि रयणाणि समुप्पज्जंति सव्वाणि ताणि रायकुलगा. मीणि, सेणियस्स रन्नो रजसिरिं करेमाणस्स पालेमाणस्स दुवे रयणा समुप्पन्ना, तं जहा-सेयणए गंधहत्थी, अट्ठारसर्वके हारे, तन्नं सुब्भे सामी ! रायकुलपरंपरागयं ठिझ्यं अलोवेमाणा सेयणगं गंधहत्थिं अट्ठारसवंकं च हारं Page #490 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीनिरयावलिकासूत्रं : निरयावलिकावर्गः 1 ] [463 कूणियस्स रन्नो पञ्चप्पिणह वेहल्लं कुमारं च पेसेह 1 / तते णं से दूते कूणियस्स रन्नो तहेव जाव वद्धावित्ता एवं वयासि-एवं खलु सामी ! कूणिए राया विनवेइ-जाणि काणि त्ति जाव वेहल्लं कुमारं पेसेह 2 / तते णं से चेडए राया तं दूयं एवं वयासि-जह चेव णं देवाणुप्पिया ! कूणिए राया सेणियस्स रन्नो पुत्ते चिलणाए देवीए अत्तए जहा पढमं जाव वेहल्लं च कुमारं पेसेमि, तं दूतं सकारेति संमाणेति पडिविसज्जेति 3 // सू०४१ // तते णं से दूते जाव कूणियस्स रन्नो वद्धावित्ता एवं वयासि-चेडए राया श्राणवेति-जह चेव णं देवाणुप्पिया ! कणिए राया सेणियस्स रन्नो पुत्ते चिल्लणाए देवीए अत्तए जाव वेहल्लं कुमारं पेसेमि, तं न देति णं सामी ! चेडए राया सेयणगं गंधहत्थिं अट्ठारसवंकं च हारं, वेहल्लं कुमारं नो पेसेति // सू० 42 // तते णं से कूणिए राया तस्स दूयस्स अंतिए एयमट्ठ सोचा निसम्म श्रासुरुत्ते जाव मिसिमिसेमाणे तच्चं दूतं सदावेति 2 एवं वयासि-गच्छह णं तुमं देवाणुप्पिया ! वेसालीए नयरीए चेडगस्स रन्नो वामेणं पादेणं पायपीढं अकमाहि थकमित्ता कुंतग्गेणं लेहं पणावेहि 2 श्रासुरुत्ते जाव मिसिमिसेमाणे तिवलियं भिउडि निडाले साहटु चेडगं राय एवं वयासि-हं भो चेडगराया ! अपत्थियपत्थिया ! दुरंत जाव परिवजित्ता एस णं कूणिए राया प्राणवेइ-पञ्चप्पिणाहि णं कूणियस्स रनो सेयणगं अट्ठारसवंकं च हारं वेहल्लं च कुमारं पेसेहि, अहव जुद्धसज्जो चिट्ठाहि, एस णं कूणिए राया सबले सवाहणे सखंधावारे णं जुद्धसज्जे इह हव्यमागच्छति 1 / तते णं से दूते करतल तहेव जाव जेणेव चेडए राया तेणेव उवागच्छति 2 करतल जाव वद्धावित्ता एवं वयासि-एस णं सामी ! ममं विणयपडिवत्ती, इयाणिं कृणियस्स रन्नो श्राणत्ति चेडगस्स रनो वामेणं पारणं पादपीढं अक्कमति 2 श्रासुरुत्ते कुंतग्गेण लेहं पणावेति तं चेव सबलखंधावारे णं इह हव्वमागच्छति 2 / तते णं से Page #491 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 464 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागा चेडए राया तस्स दूयस्स अंतिए एयमट्ठ सोचा निसम्म श्रासुरुत्ते जाव साहटु एवं वयासि-न अप्पिणामि णं कुणियस्स रनो सेयणगं गंधहत्थि अट्ठारसवंकं हारं, वेहल्लं च कुमारं नो पेसेमि, एस णं जुद्धसज्जे चिट्ठामि 2 / तं दूयं असकारियं असंमाणितं अवदारेणं निच्छुहावेइ 4 // सू० 43 // तते णं से कूणिए राया तस्स दूतस्स अंतिए एयमटुं सोचा णिसम्म श्रासुरुत्ते कालादीए दस कुमारे सहावेइ 2 एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! वेहल्ले कुमारे ममं असंविदितेणं सेयणगं गंधहत्थिं अट्ठारसर्वक अंतेउरं सभंडं च गहाय चंपातो निक्खमति 2 वेसालि अजगं जाव उव. संपजित्ताणं विहरति 1 / तते णं मए सेयणगस्स गंधहत्थिस्स अट्ठारसवंकअट्ठाए दूया :पेसिया, ते य चेडएण रगणा इमेणं कारणेणं पडिसेहित्ता अदु. त्तरं च णं ममं तच्चे दूते श्रसकारिते अवदारेणं निच्छुहावेति तं सेयं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हं चेडगस्स रन्नो जुत्तं गिरिहत्तए 2 / तए णं कालाईया दस कुमारा कूणियस्स रनो एयमट्ट विणएणं पडिसुणेति 3 / तते णं से कूणिए राया कालादीते दस कुमारे एवं वयासि-गच्छह णं तुब्भे देवा. णुप्पिया। सएसु सएसु रज्जेसु पत्तेयं पत्तेयं राहाया जाव . पायच्छित्ता हत्थिखंधवरगया पत्तेयं पत्तेयं तिहिं दंतिसहस्सेहिं एवं तिहिं रहसहस्सेहिं तिहिं पाससहस्सेहिं तिहिं मणुस्सकोडीहिं सद्धिं संपरिवुडा सव्विड्डीए जाव रवेणं सतेहि 2 तो नगरेहितो पडिनिक्खमह 2 ममं अंतियं पाउब्भवह 4 / तते णं ते कालाईया दस कुमारा कोणियस्स रन्नो एयमट्ट सोचा सएसु सएसु रज्जेसु पत्तेयं 2 राहाया जाव तिहिं मणुस्सकोडीहि सद्धिं संपरिखुडा सव्विड्डीए जाव रवेणं सएहिं 2 तो नगरेहितो पडिनिक्खमंति 2 जेणेव अंगा जणवए जेणेव चंपा नगरी जेणेव कूणिए राया तेणेव उवागता करतल जाव वद्धाति 5 // सू० 44 // तते णं से कूणिए राया कोडबियपुरिसे सदावेति 2 एवं वयासि-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! श्राभिसेक्कं हत्थिरयणं पडिकप्पेह, Page #492 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीनिरयावलिकासूत्र :: निरयावलिका वर्गः 1 / [ 465 हयगयरहवातुरंगिणिं सेणं संनाहेह, ममं पयमाणत्तियं पञ्चप्पिणह, जाव पञ्चप्पिणंति 1 / तते णं से कणिए राया जेणेव मजणघरे तेणेव उवागच्छइ जाव पडिनिग्गच्छित्ता जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला जाव नरवई दुरूढे 2 / तते णं से कुणिए राया तिहिं दंतिसहस्सेहिं जाव रवेणं चंपं नगरिं मझ मज्झेणं निग्गच्छति 2 जेणेव कालादीया दस कुमारा तेणेव उबागच्छइ 2 कालाइएहिं दसहिं कुमारेहिं सद्धिं एगतो मेलायति 3 // सू० 45 // तते णं से कूणिए राया तेत्तीसाए दंतिसहस्सेहिं तेत्तीसाए थाससहस्सेहिं तेत्तीसाए रहसहस्सेहिं तेत्तीसाए मणुस्सकोडीहिं सद्धि संप. रिखुडे सव्विड्डीए जाव रवेणं सुभेहिं वसहीपायरासेहिं नातिविगिट्ठोहिं अंतरावासेहिं वसमाणे 2 अंगजणवयस्स मज्झ मज्झेणं जेणेव विदेहे जणवते जेणेव वेसाली नगरी तेणेव पहारिस्थगमणाते / / सू० 46 // तते णं से चेडए राया इगीसे कहाए लट्ठ समाणे नवमलई नवलेच्छई कासीकोस. लका अट्ठारस वि गणरायाणो सदावेति 2 एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! वेहल्ले कुमारे कूणियस्स रन्नो असंविदितेणं सेयणगं अट्ठारसवंकं च हारं गहाय इहं हव्वमागते, तते णं कूणिएणं सेयणगस्स अट्ठारसर्वकस्स य अट्ठाए तो या पेसिया, ते य मए इमेणं कारणेणं पडिसेहिया 1 / तते णं से कूणिए ममं एथमटुं अपडिसुणमाणे चाउरंगिणीए सेणाए सद्धिं संपरिबुडे जुज्झसज्जे इहं हव्वमागच्छति, तं किन्तु देवाणुप्पिया ! सेयणगंधहत्थि अट्ठारसर्वकं च कूणियस्स रन्नो पचप्पिणामो ? वेहल्लं कुमारं पेसेमो ? उदाहु जुज्झित्था ? तते णं नवमलई नवलेच्छती कासीकोसलगा अट्ठारस वि गणरायाणो चेडगं रायं एवं वदासि-न एवं सामी ! जुत्तं वा पत्तं वा रायसरिसंवा जन्न सेयणगंधहत्थिं अट्ठारसर्वकं कूणियस्स रनो पञ्चप्पिणिजति, वेहल्ले य कुमारे सरणागते पेसिज्जति, तं जइ णं कूणिए राया चाउरंगिणीए सेणाए सद्धिं संपरिबुडे जुझसज्जे इह हव्वमागच्छति, पसेमो प्रहारसर्वक व मागच्छति, तकिचाउरंगिणीए सेणाए। 58 Page #493 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 466 ] - / श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः तते णं अम्हे कुणिएणं रगणा सद्धिं जुज्झामो 2 / तते णं से चेडए राया ते नवमलई नवलेच्छई कासीकोसलगा अट्ठारस वि गणरायाणो एवं वदासी-जइ णं देवाणुप्पिया ! तुब्भे कूणिएणं रन्ना सद्धिं जुज्झह, तं गच्छह णं देवाणुप्पिया ! सतेसु 2 रज्जेसु गहाया जहा कालादीया जाव जएणं विजएणं वद्धाति 3 / तते णं से चेडए राया कोडुबियपुरिसे सद्दावेति सदावित्ता एवं वयासि-श्राभिसेक जहा कूणिए जाव दुरूडे 4 / तते णं से चेडए राया तिहिं दंतिसहस्सेहिं जहा कूणिए जाव वेसालि नगरि मज्झ मज्झेणं निगच्छति 2 जेणेव ते नवमलई नवलेच्छती कासीकोसलगा अट्ठारस वि गणरायाणो तेणेव उवागच्छति 5 // सू० 47 / / तते णं से चेडए राया सत्तावन्नाए दंतिसहस्सेहिं सत्तावन्नाए श्राससहस्सेहिं सत्ताबनाए रहसहस्सेहिं सत्तावन्नाए मणुस्सकोडीएहिं सद्धिं संपरिबुडे सव्विड्डीए जाव रवेणं सुभेहिं वसहीहिं पातरासेहिं नातिविगिट्ठोहिं अंतरेहिं वसमाणे 2 विदेहं जणवयं मझ मज्झेणं जेणेव देसपंते तेणेव उवागच्छति 2 खंधावारनिवेसणं करेति 2 कूणियं रायं पडिवालेमाणे जुन्झसज्जे चिट्ठइ // सू० 48 // तते णं से कूणिए राया सविड्डीए जाव रखेणं जेणेव देसपंते तेणेव उवागच्छति चेडयस्स रन्नो जोयणंतरियं खंधावारनिवेसं करेति 1 / तते णं से दोनि वि रायाणो रणभूमि सजावेंति 2 रणभूमि जयंति 2 / तते णं से कूणिए तेत्तीसाए दंतिसहस्सेहि जाव तेत्तीसाए मणुरसकोडीहिं गरुलवूह रएइ, रइत्ता गरुलवूहेणं रहमुसलं संगाम उवायाते 3 तते णं से चेडए राया सत्तावन्नाए दंतिसहस्सेहिं जाव सत्तावन्नाए मगुस्सकोडीहि सगडवूहं रएइ, रइत्ता सगडवूहेणं रहमुसलं संगामं उवायाते 4 // सू० 41 // तते णं ते दोरािह वि राईणं अणीया सन्नद्ध जाव गहियाउहपहरणा मंगतितेहि फलतेहि निकट्टाहिं असीहिं अंसागएहिं तोणेहिं सजीवेहिं धणूहि समुविखत्तेहिं सरेहिं समुल्लालिताहिं डावाहिं श्रोसारियाहिं उरूघंटाहिं छिप्पत्त Page #494 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीनिरयावलिकासूत्र :: निरयावलिका वर्गः 1 ] / / 467 रेणं वजमाणेणं महया उकिट्ट-सोहनायबोल-कलकलरवेणं समुद्दरवभूयं पिव करेमाणा सव्विड्डीए जाव रवेणं हयगया हयगएहिं गयगया गयगतेहिं रहगया रहगतेहिं पायत्तिया पायत्तिएहिं अन्नमन्नेहिं सद्धिं संपलग्गा यावि. होत्था 1 / तते णं ते दोगह वि रायाणं अणीया णियग-सामीसासणाणुरत्ता महता जणक्खयं जणवहं जणप्पमह जणसंवट्टकप्पं नच्चंतकबंधवारभीमं रुहिरकदमं करेमाणा अन्नमन्नेणं सद्धिं जुझंति 2 / तते णं से काले कुमारे तिहिं दंतिसहस्सेहिं जाव मणूसकोडीहिं गरुलवहेणं एकारसमेणं खंधेणं कूणिएणं रराणा सद्धिं रहमुसलं संगाम संगामेमाणे हयमहित जहा भगवता कालीए देवीए परिकहियं जाव जीवियायो ववरोवेति 3 // सू० 50 // तं एवं.खलु गोयमा ! काले कुमारे एरिसएहिं प्रारंभेहिं जाव एरिसएणं असुभकडकम्मपन्भारेणं कालमासे कालं किच्चा चउत्थीए पंकप्पभाए पुढवीए हेमामे नरए नेरइयत्ताए उववन्ने // सू०५१ // काले णं भंते ! कुमारे चउत्थीए पुढवीए अणंतरं उपट्टित्ता कहिं गच्छहिति ? कहिं उववजिहिति ? गोयमा ! महाविदेहे वासे जाई कुलाई भवंति अड्डाई जहा दढप्पइन्नो जाव सिज्झिहिति बुझिहिति जाव अंतं काहिति // सूत्रं 52 // तं एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया जाव संपत्तेणं निरयावलियाणं पढमस्स अझयणस्स अयमढे पन्नत्ते // सूत्रं 53 // // पढमं अज्झयणं समत्तं // 1 // ___ जइ णं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं निरयावलियाणं पढमस्स श्रज्झयणस्स अयम? पनत्ते, दोच्चस्स णं भंते अज्झयणस्स निरयावलियाणं समणेणं भगवया जाव संपत्तेणं के अट्ठ पन्नत्ते ? एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं चंपा नाम नगरी होत्था, पुन्नभद्दे चेइए, कोणिए राया, पउमावई देवी 1 / तत्थ णं पाए नयरीए सेणियस्स रनो भज्जा कोणियस्त रनो चुल्लमाउया सुकाली नाम देवी होत्था, सुकुमाला 2 / Page #495 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 468 / / श्रीमदागमसुधासिन्धुः : सप्तमो विभागः तीसे णं सुकालीए देवीए पुत्ते सुकाले नामं कुमारे होत्था, सुकुमाले 3 / तते णं से सुकाले कुमारे अन्नया कयाति तिहिं दंतिसहस्सेहि जहा कालो कुमारो निरवसेसं तं चेव जाव महाविदेहे वासे अंतं काहिति ४॥सू०५४ // // 2 // एवं सेसा वि अट्ठ अज्झयणा नेयव्वा पढमसरिसा, णवरं मायातो सरिसणामायो॥ 10 // निरयावलियातो समत्तातो। निक्खेवो सव्वेसिं भाणियबो तहा // सू० 55 // // पढमो वग्गो समत्तो // 1 // // अथ कल्पावतंसिकानामको द्वितीयो वर्गः // जति णं भंते ! समणेणं भगवया जाव संपत्तेणं उवंगाणं पढमस्स वग्गस्स निरयावलियाण अयम? पन्नत्ते, दोच्चस्स णं भंते ! वग्गस्स कप्पवडिसियाणं समणेणं जाव संपत्तेणं कइ अभयणा पत्नत्ता ? एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया जाव संपत्तेणं कप्पवडिसियाणं दस , अज्मयणा पन्नत्ता, तंजहा-पउमे 1 महापउमे 2 भद्दे 3 सुभद्दे 4 पउमभद्दे 5 पउमसेणे 6 पउमगुम्मे 7 नलिणिगुम्मे 8 आणंदे 1 नंदणे 10 // सूत्रं 56 // जइ णं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं कप्पवडिसियाणं दस अज्झयणा पन्नत्ता, पढमस्स णं भंते ! अज्झयणस्स कप्पवडिसियाणं समणेणं भगवया जाव के पट्टे पन्नत्ते? एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं चंपा नाम नयरी होत्था, पुन्नभद्दे चेइए, कूणिए राया, पउमावई देवी 1 / तत्थ णं चंपाए नयरीए सेणियस्स रन्नो भन्जा कूणियस्स रन्नो चुल्लमाउया काली नामं देवी होत्था, सुकुमाला 2 / तीसे णं कालीए देवीए पुत्ते काले नाम कुमारे होत्था, सुकुमाले 3 / तस्स णं कालस्स कुमारस्स पउमावई नामं देवी होत्था, सोमाला जाव विहरति 4 / तते णं सा पउमावई देवी अन्नया कयाई तंसि तारिमगंसि वातघरंसि अभितरतो सचित्तकम्मे जाव सीहं सुमिणे पासित्ता णं पडिबुद्धा, एवं जम्मणं जहा महाबलस्स, जाव नामधिज्जं, जम्हा णं अम्हं इमे दारए कालस्स Page #496 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीनिरयावलिकास्त्रम् :: कल्पावतंसिका-वर्गः 2 ) [ 466 कुमारस्स पुत्ते पउमावईए देवीए अत्तए तं होउ णं अम्हं इमस्स दारगस्स नामधिज्ज पउमे पउमे 5 / सेसं जहा महब्बलस्स अट्टो दातो जाव उप्पि पासायवरगते विहरति 6 // सू० 57 // सामी समोसरिए परिसा निग्गया कूणिते निग्गते 1 / पउमे वि जहा महब्बले निग्गते तहेव अम्मापिति श्रापुच्छणा जाव पवइए श्रणगारे जाए जाव गुत्तवंभयारी 2 / तते णं से पउमे अणगारे समणस्स भगवश्रो महावीरस्स तहास्वाणं थेराणं अंतिए सामाइयमादियाई एक्कारस अंगाई अहिजइ, बहिजित्ता बहूहि चउत्थछट्टट्ठम जाव विहरति 3 / तते गां से पउमे अणगारे तेणं श्रोरालेणं जहा मेहो तहेव धम्मजागरिया चिता एवं जहेव मेहो तहेव समणं भगवं श्रापुच्छित्ता विउले जाव पाओवगते समाणे तहारूवाणं थेराणं अंतिए सामाइयमाइयाइं एकारस अंगाई, बहुपडिपुराणाई पंच वासाई सामनपरियाए, मासियाए संलेहणाए सट्टि भत्ताई श्राणुपुत्वीए कालगते, थेरा श्रोत्तिन्ना भगवं गोयमं पुच्छइ, सामी कहेइ जाव सटैि भत्ताई अणसणाए छेदित्ता श्रालोइयपडिक्कते उड्ड चंदिमसोहम्मे कप्पे देवत्ताए उववन्ने दो सागराई // सूत्रं 58 // से णं भंते ! पउमे देवे तातो देवलोगातो पाउक्खएणं पुच्छा, गोयमा ! महाविदेहे वासे जहा दढपइन्नो जाव अंतं काहिति 1 / तं एवं खलु जंबू ! समणे णं जाव संपत्तेणं कप्पवडिसियाणं पढमस्स अज्झयणस्स अयमढे पन्नत्ते ति बेमि 2 // सूत्रं 51 // इति प्रथमध्ययनम् // 2-1 // जइ णं भंते ! समणेणं भगवया जाव संपत्तेणं कप्पवडिसियाणं पढमस्स अज्झयणस्स अयम? पन्नत्ते, दोच्चस्स णं भंते ! अज्झयणस्स के अट्ठे पराणत्ते ? एवं खलु जंबू तेणं कालेणं 2 चंपा नाम नगरी होत्था, पुन्नभद्दे चेइए, कूणिए राया, पउमावई देवी 1 / तत्थ णं चंपाए नयरीए सेणियस्स रन्नो भजा कोणियस्स रन्नो चुल्लमाउया सुकालो नाम देवी Page #497 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 47. / ... - श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः होत्था 2 / तीसे णं सुकालीए पुत्ते सुकाले नाम कुमारे 3 / तस्स णं सुकालस्स कुमारस्स महापउमा नामं देवी होत्था, सुकुमाला 4 / तते णं सा महापउमा देवी अन्नदा कयाई तंसि तारिसगंसि एवं तहेव महापउमे नामं दारते, जाब सिज्झिहिति, नवरं ईसाणे कप्पे उववायो उकोसट्टि ईयो 5 / तं एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया जाव संपत्तेणं कप्पडिसियाणं दोचस्स अज्झयणस्स अयम? पराणते त्ति बेमि 6 // सूत्रं 60 // इति द्वितीय मध्ययनम् // 2-2 // एवं सेसावि अट्ठ अज्झयणा नेयव्वा. 1 / मातातो सरिसनामायो 2 / कालादीणं दसराहं पुत्ता प्राणुपुव्वीए. दोराहं च पंच चत्तारि, तिराहं तिराहं च होंति तिन्नेव / दोराहं च दोगिण वासा, सेणियनत्तूण परियातो॥१॥ उववातो पाणुपुव्वीते, पढमो सोहम्मे, बितितो ईसाणे, ततितो सणंकुमारे, चउत्थो माहिंदे, पंचमश्रो बंभलोए, छट्ठो लंतए सत्तमयो महासुक्के, अट्ठमयो सहस्सारे, नवमयो पाणते, दसमयो अच्चुए। सब्वत्थ उक्कोसठिई भाणियब्वा, महाविदेहे सिद्धे 3 // सूत्रं 61 // 10 // कप्पवडिसियायो समत्तायो / वितितो वग्गो दस अज्झयणा // / बीओ वग्गो समत्तो // 2 // // अथ पुष्पिकानामकस्ततीयो वर्गः // जति णं भंते ! समणेणं भगवया जाव संपत्तेणं उबंगाणं दोच्चस्स कप्पवडिसियाणं अयमढे पन्नत्ते, तच्चस्स णं भंते वग्गस्स उवंगाणं पुष्फियाणं के अट्ट पराणते ? एवं खलु जंबू ! समणेणं जाव संपत्तेणं उबंगाणं तच्चस्स वग्गस्स पुफियाणं दस अज्झयणा पन्नत्ता, तंजहा-"चंदे 1 सूरे 2 सुक्के 3 बहुपुत्तिय 4 पुन्नमाणिभद्दे 5.6 य / दत्ते 7 सिवे 8 बलेया 1 प्रणाढिए 10 चेव बोधवे // 1 // // सूत्रं६२ // जइ णं भंते -समणेणं जाव संपत्तेणं पुफियाणं दस अज्झयणा पन्नत्ता, पढमस्स णं भंते ! अज्झ Page #498 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीनिरयावलिका सूत्रं :: पुष्पिका वर्गः 3 / / [ 471 यणस्स पुफियाणं समोणं जाव संपत्तणं के श्र? पन्नत्ते ? एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं 2 रायगिहे नामं नगरे गुणसिलए चेइए, सेणिए राया, तेणं कालेणं 2 सामी समोसढे, परिसा निग्गया 1 / तेणं कालेणं 2 चंदे जोइसिंदे जोइसराया चंदवडिसए विमाणे सभाए सुहम्माए चंदंसि सीहासणंसि चउहि सामाणियसाहस्सीहिं जाय विहरति 2 / इमं च णं केवलकप्पं जंबुद्दीवे दीवं विउलेणं श्रोहिणा श्राभोएमाणे 2 पासति, पासित्ता समणं भगवं महावीरं जहा सूरियाभे पाभियोगं देवं सदावित्ता जाव सुरिंदाभिगमणजोगं करेत्ता तमाणत्तियं पञ्चप्पिणंति 3 / सूसरा घंटा, जाव विउव्वणा, नवरं (जाणविमाणं) जोयणसहस्सविच्छिन्नं श्रद्धतेवट्टि जोयणसमूसियं महिंदज्झतो पणुवीसं जोयणमूसितो सेसं जहा सूरियाभस्स जाव अागतो नट्टविही तहेव पडिगतो 4 // सूत्रं 63 // भंते ति भगवं गोयमे समणं भगवं भंते पुच्छा कूडागारसालासरीरं अणुपविट्ठा पुव्वभवो, एवं खलु गोयमा ! तेणं कालेणं 2 सावत्थी नाम नयरी होत्था, कोट्ठए चेइए, तत्थ णं सावत्थीए नयरीए अंगती नाम गाहावती होत्था, अड्डे जाव अपरिभूते 1 / तते णं से अंगती गाहावती सावत्थीए नयरीए बहूणं नगरनिगम-सेट्टिसत्थ-वाहाणं जहा आणंदो 2 // सूत्रं 64 // तेणं कालेणं 2 पासे णं अरहा पुरिसादाणीए श्रादिकरे जहा महावीरो नवुस्सेहे सोलसेहिं समणसाहस्सीहिं अटुतीसा जाव कोढ़ते समोसढे, परिसा निग्गया 1 / तते णं से अंगती गाहावती इमीसे कहाए लट्ठ समाणे हढे जहा कत्तियो सेट्ठी तहा निग्गच्छति जाव पज्जुवासति, धम्मं सोचा निसम्म जं नवरं देवाणुप्पिया ! जेट्टपुत्तं कुडुबे ठावेमि 2 / तते णं अहं देवाणुप्पियाणं जाव पब्वयामि, जहा गंगदत्तो तहा पवतिते जाव गुत्तबंभयारी 3 // सूत्रं 65 // तते णं से अंगती अणगारे पासस्स अरहतो तहारूवाणं थेराणं अंतिए सामाइ-माइयाइं एकारस अंगाई अहिजति 2 Page #499 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 472 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः बहूहिं चउत्थ जाव भावेमाणो बहुई वासाइं सामनपरियागं पाउणति 2 श्रद्धमासियाए संलेहणाए तीसं भत्ताई अणसणाए छेदित्ता विराहियसामन्ने कालमासे कालं किच्चा चंदवडिंसए विमाणे उबवाते सभाते देवसणिज्जसि देवदूसंतरिए चंदे जोइसिंदत्ताए उववन्ने 1 / तते णं से चंदे जोइसिंदे जोइसिराया अहुणोवन्ने समाणे पंचविहाए पजत्तीए पजत्तीभावं गच्छइ, तंजहा-आहारपजत्तीए, सरीरपजत्तीए, इंदियपज्जत्तीए, सासोसासपजत्तीए भासा(मण)पजत्तीए 2 // सूत्रं 66 // चंदस्स णं भंते ! जोइसिंदस्स जोइसरन्नो केवइयं कालं ठिती पन्नत्ता ? गोयमा ! पलियोवमं वाससयसहस्समभहियं 1 / एवं खलु गोयमा ! चंदस्स जाव जोतिसरन्नो सा दिव्या देविड्डी 2 / चंदे णं भंते ! जोइसिंदे जोइसिराया तायो देवलोगात्रों थाउक्खएणं चइत्ता कहिं गच्छिहिति 2 ? गोयमा ! महाविदेहे वासे सिजिहिति 3 / एवं खलु जंबू समणेणं निक्खेवो 4 // सूत्रं 67 // 1 // जइ णं भंते ! समणेणं भगवया जाव पुफियाणं पढमस्स अज्झयणस्स जाव अयमढे पन्नते, दोचस्स णं भंते ! अज्झयणस्स पुफियाणं समेणेणं भगवता जाव संपत्तेणं के अट्ठ पन्नत्ते ? एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं 2 रायगिहे नामं, गुणसिलए चेइए, सेणिए. राया, समोसरणं, जहा चंदो तहा सूरोऽवि श्रागयो जाव नट्टविहि उवदंसित्ता पडिगतो 1 / पुव्वभवपुच्छा, सावत्थी नगरी, सुपति? नाम गाहावई होत्था, अड्डे, जहेव अंगती जाव विहरति, पासो समोसदो, जहा अंगती तहेव पव्वइए 2 / तहेव विराहियसामन्ने जाव महाविदेहे वासे सिझहिति जाव अंतं काहिति, खलु जंबू ! समणेणं निक्खेवयो 3 // सूत्रं 68 // 2 // - जइणं भंते ! समणेणं भगवता जाव संपत्तेणं उक्खेवतो भाणिय वो, रायगिहे नगरे, गुणसिलए चेइए, सेणिए राया, सामी समोसढे, परिसा निग्गया 1 / तेणं कालेणं 2 सुक्के महग्गहे सुकवडिंसए विमाणे सुक्कसि Page #500 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीनिरयावलिकासूत्र :: पुष्पिका-वर्गः 3 ) [ 473 सीहासणंसि चउहि सामाणियसाहस्सीहि जहेव चंदो तहेव श्रागयो, नट्टविहिं उवदंसित्ता पडिगतो, भंते ति कूडागारसाला 2 / पुव्वभवपुच्छा एवं खलु गोयमा ! तेणं कालेणं 2 वाणारसी नामं नयरी होत्था 3 / तत्थ णं वाणारसीए नयरीए सोमिले नामं माहणे परिवसति, अड्डे जाव अपरिभूते रिउव्वेय जाव सुपरिनिट्ठिते 4 / पासे रहा पुरिसादाणीए समोसढे परिसा पज्जुवासति 5 / तए णं तस्स सोमिलस्स माहणस्स इमीसे कहाए लट्ठस्स समाणस्स इमे एतारूवे अझथिए–एवं पासे परहा पुरिसादाणीए पुव्वाणुपुचि जाव अंबसालवणे विहरति 6 / तं गच्छामि णं पासस्स अरहतो अंतिए पाउब्भवामि 7 / इमाइं च णं एयाख्वाइं अट्ठाई हेऊई जहा पराणत्तोए / सोमिलो निग्गतो खंडियविहुणो जाव एवं वयासि-जत्ता ते भंते ! जबणिज्जं च ते ! पुच्छा सरिसवया मासा कुलत्था एगे भवं जाव संबुद्धे सावगधम्म पडिव जित्ता पडिगते 1 // सू० 61 // तते णं पासे णं अरहा अण्णया कदायि वाणारसीयो नगरीयो अंबसालवणातो चेइयायो पडिनिक्खमति 2 बहिया जणवयविहारं विहरति 1 / तते णं से सोमिले माहणे अराणदा कदायि असाहुदंसणेण य अपज्जुवासणताए य मिच्छत्तपज्जवेहिं परिवड्डमाणेहिं 2 सम्मत्तपज्जवेहि परिहायमाणेहिं मिच्छत्तं च पडिबन्ने 2 // सू० 70 // तते णं तस्स सोमिलस्स माहणस्स अराणदा कदायि पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि कुडुबजागरियं जागरमाणस्स श्रयमेयारूवे अज्झथिए जाव समुप्पजित्था-एवं खलु श्रहं वाणारसीए नयरीए सोमिले नामं माहणे अचंतमाहणकुलप्पसूए 1 / तते णं मए वयाई चिराणाई वेदा य ग्रहीया दारा पाहूया पुत्ता जणिता इडीयो संमाणीयो पसुवधा कया जन्ना जेट्ठा दक्खिणा दिन्ना अतिही पूजिता अग्गीहूया जूया निक्खित्ता, तं सेयं खलु ममं इदाणिं कल्लं जाव जलंते वाणारसीए नयरीए बहिया बहवे अंबारामा रोवावित्तए, एवं माउलिंगा बिला कबिट्ठा Page #501 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 474 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः चिंचा पुष्फारामा रोवावित्तए, एवं संपहेति संपेहित्ता कल्लं जाव जलंते वाणारसीए नयरीए बहिया अंबारामे य जाव पुप्फाराम य रोवावेति 2 / तते णं बहवे अंबारामा य जाव पुप्फारामा य अणुपुब्वेणं सारक्खिजमाणा संगोविजमाणा संवड्डिजमाणा श्रारामा जाता किराहा किराहाभासा जाव रम्मा महामेहनिकुरंबभूता पत्तिया पुफिया फलिया हरियगरेरिजमाणसिरिया अतीव 2 उपसोभेमाणा 2 चिट्टांति 3 // सू० 71 / / तते णं तस्स सोमिलस्स माहणस्स अराणदा कदायि पुवरत्तावरत्तकालसमयंसि कुटुंवजागरियं जागरमाणस्स अयमेयारूवे अन्झथिए जाव समुप्पजित्था-एवं खलु अहं वाणारसीए णयरीए सोमिले नाम माहणे अच्चंतमाहणकुलप्पसूते, तते णं मए वयाई चिराणाइं जाव जूवा णिक्खित्ता, तते णं मए वाणारसीए नयरीए बहिया बहवे अंबारामा जाब पुष्फारामा य रोवाविया, तं सेयं खलु ममं इदाणिं कल्लं जाव जलते सुबहुं लोहकडाहकडुच्छुयं तबियं तावसभंड घडावित्ता विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं मित्तनाइनियगसंबंधि परियां पि य आमंतित्ता तं मित्तनाइनियगसंबंधिपरियणं पि य विउलेणं असण जाव सम्माणित्ता तस्सेव मित्त जाव जेट्टपुत्तं कुडुबे भवेत्ता तं मित्तलाइ जाव यापुच्छित्ता सुबहु लोहकडाहकडुच्छुयं तंबियतावसभंडगं गहाय जे इमे गंगाकूला वाणपत्था तावसा भवंति, तंजहा-होत्तिया पोत्तिया कोत्तिया जंनती सड्डती घालती हुंबउट्टा दंतुक्खलिया उम्मजगा संमजगा निमजगा संपक्खालगा दक्खिणकला उत्तरकूला संखधमा कूलधमा मियलुद्धया हत्थितावसा उद्दडा दिसापोक्खिणो वक्तवासिणो बिलवासिणो जलवासिणो रुखमुलिया अंबुभक्खिणो वायुभक्खिणो सेवालभक्खिणो मूलाहारा कंदाहारा तयाहरा पत्ताहारा पुष्फाहारा फलाहारा बीयाहारा परिसडियकंदमूलतयपत्तपुप्फफलाहारा जलाभिसेयकठिणगायभूता बायावणाहिं पंचग्गीतावेहिं इंगालसोल्लियं कंदुसोल्लियं पिव अप्पाणं करेमाणा Page #502 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीनिरयावलिकास्त्र :: पुष्पिका-वर्गः 3 ] [ 475 विहरति / तत्थ णं जे ते दिसापोविखया ताबसा तेसिं अंतिए दिसापोक्खियत्ताए पव्वइत्तए पन्वयिते वि य णं समाणे इमं एयारूवं अभिग्गहं अभिगिन्हिस्सामि-कप्पति मे जावजीवाए छ8 छ?णं अणिक्खित्तेणं दिसाचकवालेणं तबोकम्मेणं उड्डे बाहातो पगिझिय 2 सूराभिमुहस्स अातावणभूमीए पातवेमाणस्स विहरित्तए त्ति कटु एवं संपेहेइ 2 कल्लं जाव जलंते सुबहु लोह जाव दिसापोक्खियतावसत्ताए पव्वइए 2 वि य णं समाणे इमं एयारूवं अभिग्गहं जाव अभिगिन्हित्ता पढमं छ?क्खमणं उवसंपजित्ता णं विहरति 2 // सू० 72 // तते णं सोमिले माहणे रिसी पढमछट्टवखमणपारणंसि पायावणभूमीए पचोरुहति 2 वागलपत्थनियत्थे जेणेव सए उडए तेणेव उवागच्छति 2 कि(क)ढिणसंकाइयं गेराहति 2 पुरच्छिमं दिसिं पुक्खेति, पुरच्छिमाए दिसाए सोमे महाराया पत्थाणे पत्थियं अभिरक्खउ सोमिलमाहणरिसिं अभिरक्खित्ता 2 जाणि य तत्थ कंदाणि य मूलाणि य तयाणि य पत्ताणि य पुष्पाणि य फलाणि य बीयाणि य हरियाणि ताणि अणुजाणउ ति कटु पुरच्छिमं दिसं पसरति 2 जाणि य तत्थ कंदाणि य जाव हरियाणि य ताई गेराहति किढिणसंकाइयं भरेति 2 दम्भे य कुसे य पत्तामोडं च समिहा कट्ठाणि य गेहति 2 जेणेव सए उडए तेणेव उवागच्छति 2 किढिणसंकाइयगं ठवेति 2 वेदि वड्डेति 2 उबलेवणसंमजणं करेति 2 दम्भकलसहत्थगते जेणेव गंगा महानदी तेणेव उवागच्छति 2 गंगं महानदी भोगाहति 2 जलमजणं करेति 2 जलकिड्ड करेति 2 जलाभिसेयं करेति 2 श्रायते चोक्खे परमसुइभूए देवपिउकयकज्जे दमकलसहत्थगते गंगातो महानदीयो पच्चुत्तरति जेणेव सते उडए तेणेव उवागच्छति 2 दम्भे य कुसे य वालुयाए य वेदि रएति 2 सरयं करेति 2 अरणिं करेति 2 सरएणं अरणिं महेति 2 अग्गि पाडेति 2 अग्गि संधु. केति 2 समिहा कट्टाणि पक्खिवति 2 अग्गि उजालेति 2 अग्गिस्स Page #503 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 476 ]. [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः : दाहिणे पासे सत्तंगाईन्समादहे,तंजहा “सकथावकलं टाणं सिझ भंडं कमंडलु। दंडदार तहप्पाणं यह ताई: समादहे // " मधुणाय घएण य तंदुलेहि. य अगिा हुमाइ, चरु साधेति 2 बलि वइस्सदेवं करेति 2 अतिहिप्यं करेति 2 तो पच्छा अप्पणा न्याहारं श्राहारेति // सू०.७३ // तते णं सोमिले माहणरिसी दोच्चं छठ्ठवखमणपारणगंसिः तं चेव सव्वं भागिन्यवं जाव श्राहारं बाहरेति, नवरं इमं नाणत्तं-दाहिणाए, दिसाए जसे महासया पत्थाणे पत्थियं अभिरक्खउ सोमिलं माहरिसिं जाणि य तत्थ कंदाणि य जाव अणुजाणउ-त्ति कटु दाहिणं दिसि पसरति 1 / एवं पञ्चत्थिमे णं वरुणो महारया जाव पञ्चत्थिमं दिसि पसरति 2 / उत्तरे णं वेसमणे महाराया जाव उत्तरं दिसि पसरति 3 / पुवदिसागमेणं चत्तारि वि दिसायो भाणियव्वाश्रो जाव श्राहारं पाहारेति 4 // सू० 74 // तते णं तस्स सोमिलमाहणरिसिस्स अराणया कयायि पुठवरत्तावरत्तकालसमयंसि अणिच जागरियं जागरमाणस्स अयमेयारूवे अज्झथिए जाव समुप्पंजित्था-एवं खलु अहं वाणारसीए नगरीए सोमिले नाम माहणरिसी अच्चंतमाहणकुलप्पसूए, तते णं मए वयाई चिराणाई जाव जूवा निक्खित्ता 1 / तते णं मम वाणारसीए जाव पुष्फारामा य जाव रोविता 2 / तते णं मए सुबहुलोह जाव घडावित्ता जाव जेट्टपुत्तं ठावित्ता जाव जेटुपुत्तं श्रापुच्छित्ता सुबहुलोह जाव गहाय मुंडे जाव पव्वइए वि य ण समाणे छ8ढेणं जाव विहरति 3 / तं सेयं खलु ममं इयाणिं कल्लं पादु जाव जलते बहवे तावसे दिट्टा भट्ठ: य पुव्वसंगतिए य परियायसंगतिए अापुच्छित्ता समसंसियाणि य बहूई सत्तसयाई अणुमाणइत्ता वागलवत्थनियत्थस्स कढिणसंकाइयगहितस- : भंडोवकरणस्स कट्ठमुद्दाए मुहं बंधित्ता उत्तरदिसाए उत्तराभिमुहस्स महपत्थाणं पत्थावेइत्तए एवं संपेहेति 2 कल्लं जाव जलते बहवे तावसे य दिट्ठा भट्ट य पुवसंगतिते य तं चेव जाव कट्ठमुद्दाए मुहं बंधति बंधित्ता अयमेतारूवं अभि यं जागरमाणस अ मले नाम माहणारसा ते मम Page #504 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीनिरयावलिकासूत्र :: पुष्पिका-वर्गः 3 ] [ 47 ग्गहं अभिगिणहति जत्थेव णं श्रम्हं जलंसि वा एवं थलंसि वा दुग्गंसि वा निन्नसि वा पञ्चतंसि वा विसमंसि वा गड्डाए वा दरीए वा पक्खलिज वा पवडिज वा नो खलु मे कप्पति पच्चुट्टित्तए त्ति कटु अयमेयारूवं अभिग्गहं अभिगिराहति, उत्तराए दिसाए उत्तराभिमुहपत्थाणं (महपस्थाणं) पत्थिए से सोमिले माहणरिसी पुवावरराहकालसमयंसि जेणेव असोगवरपायवे तेणेव उवागते, असोगवरपायवस्स अहे कढिणसंकाइयं ठवेति 2 वेदि वड्डइ 2 उवले. वणसंमजणं करेति 2 दब्भकलसहत्थगते जेणेव गंगा महानई जहा सिवोजाव गंगातो महानईश्रो पच्चुत्तरइ, जेणेव असोगवरपायवे तेणेव उवागच्छति 2 दम्भेहि य कुसेहि य वालुयाए वेदि रतेति, रतित्ता सरगं करेति 2 जाव बलि वइस्सदेवं करेति 2 कट्ठमुद्दाए मुहं बंधति तुसिणीए संचिट्ठति 4 / सू० 75 // तते णं तस्स सोमिलमाहणरिसिस्स पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि एगे देबे अंतियं पाउन्भूते 1 / तते णं से देवे सोमिलं माहणं एवं वयासि-हं भो सोमिलमाहणा ! पच्वइया दुपवइतं ते 2 / तते णं से सोमिले तस्स देवस्स दोच्चं पि तच्चं पि एयमट्ट नो अाढाति नो परिजाणइ जाव तुसिणीए संचिट्ठति 3 / तते णं से देवे सोमिलेणं माहणरिसिणा यणाटाइजमाणे जामेव दिसि पाउन्भूते तामेव जाव पडिगते 4 // सू० 76 // तते णं से सोमिले कल्लं जाव जलंते वागलवत्यनियत्थे कढिणसंकाइयं गहियग्गिहोत्तभंडोवकरणे कठमुद्दाए मुहं बंधति 2 उत्तराभिमुहे संपत्थिते 1 / तते णं से सोमिले बितियदिवसम्मि पुवावरराहकालसमयंसि जेणेव सत्तिवन्नो अहे कढिणसंकाइयं ठवेति 2 वेतिं वड्ढति 2 जहा असोगवरपायवे जाव अग्गि हुणति, कट्ठमुद्दाए मुहं बंधति, तुसिणीए संचिट्ठति 2 / तते णं तस्स सोमिलस्स पुब्वरत्तावरत्तकालसमयंसि एगे देवे अंतियं पाउन्भूए 3 / तते णं से देवे अंतलिक्खपडिवन्ने जहा असोगवरपायवे जाव पडिगते 4 // सू० 77 // तते णं से सोमिले कल्लं Page #505 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 478 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभाग जाव जलंते वागलवत्थनियत्थे कढिणसंकाइयं गेगहति 2 कट्टमुद्दाए मुहं बंधति 2 उत्तरदिसाए उत्तराभिमुहे संपत्थिते 1 / तते णं से सोमिले ततियदिवसम्मि पुवावरगहकालसमयंसि जेणेव असोगवरपायवे तेणेव उवागच्छति 2 असोगवरपायवस्स ग्रहे कढिणसंकाइयं ठवेति, वेति वड्डे ति जाव गंगं महानई पच्चुत्तरति 2 जेणेव असोगवरपायवे तेणेव उवागच्छति 2 वेति रति कट्टमुद्दाए मुहं बंधति 2 तुसिणीए संचिति 2 / तते णं तस्स सोमिलस्स पुव्वरत्तावरत्तकाले एगे देवे अंतियं पाउब्भूए तं चेव भणति जाव पडिगते 3 // सू० 78 // तते णं से सोमिले जाव जलते वागलवत्थनियत्थे कढिणसंकाइयं जाव कट्टमुद्दाए मुहं बंधति 2 उत्तराए दिसाए उत्तराए संपत्थिए 1 / तते णं से सोमिले चउत्थदिवसपुठवावरणहकालसमसि जेणेव वडपायवे तेणेव उवागते वडपायवस्स अहे किढिणं संठवेति 2 वेई वड्डेति उवलेवणसंमजणं करेति जाव कट्टमुद्दाए मुहं बंधति, तुसिणीए संचिट्ठति 2 / तते णं तस्स सोमिलस्स पुव्वरत्तावरत्तकाले एगे देवे अंतियं पाउभूए तं चेव भणति जाव पडिगते 3 // सू०७१ // तते णं से सोमिले जाव जलंते वागलवत्थनियत्थे किढिणसंकायियं जाव कट्ठमुद्दाए मुहं बंधति, उत्तराए उत्तराभिमुहे संपत्थिते 1 / तते णं से सोमिले पंचमदिवसम्मि पुव्वा. वरराहकालसमयंसि जेणेव उंबरपायवे उंबरपायवस्स यहे किढिणसंकाइयं ठवेति, वेई वड्ढति जाव कट्टमुद्दाए मुहं बंधति जाव तुसिणीए संचिट्टति 2 / तते णं तस्स सोमिलमाहणस्स पुव्वरत्नावरत्तकाले एगे देवे जाव एवं वयासि-हं भो सोमिला ! पव्वइया दुप्पव्वइयं ते पढम भणति तहेव तुसिणीए संचिट्ठति 3 / देवो दोच्चं पि तच्चं पि वदति सोमिला ! पव्वइया दुप्पव्वइयं ते 4 | तए णं से सोमिले तेणं देवेणं दोच्चं पि तच्च पि एवं वुत्ते समाणे तं देवं एवं वयासि-कहराणं देवाणुप्पिया! मम दुष्पव्वइतं ? / तते णं से देवे सोमिलं माहणं एवं वयासि-एवं खलु देवाणुप्पिया ! तुम पासस्स अरहयो पुरिसादा Page #506 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीनिरयावलिकासूत्र :: पुष्पिका-वर्गः 3 ] णियस्स अंतियं पंचाणुव्वए सत्त सिक्खावए दुवालसविहे सावगधम्मे पडिवन्ने, तए णं तव श्रगणदा कदाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंत्ति कुडुबजागरियं जाव पुवचिंतितं देवो उच्चारेति जाव जेणेव असोगवरपायवे तेणेव उवागच्छति 2 कढिणसंकाइयं जाव तुसिणीए संचिठसि 5 / तते णं पुव्वरत्तावरत्तकाले तव अंतियं पाउब्भवामि हं भो सोमिला ! पव्वइया दुप्पव्वतियं ते तह चेव देवो नियवयणं भणति जाव पंचमदिवसम्मि पुव्वावरराहकालसमयंसि जेणेव उंबरवरपायवे तेणेव उवागते किढिणसंकाइयं ठवेति वेदि वड्डति उवलेवणं संमजणं करेति 2 कट्ठमुद्दाए मुहं बंधति, बंधित्ता तुसणीए संचिट्ठसि, तं एवं खलु देवाणुप्पिया ! तब दुप्पव्वयितं 6 / तते णं से सोमिले तं देवं वयासिकहराणं देवाणुप्पिया ! मम सुप्पवइतं ? तते णं से देवे सोमिलं एवं वयासिजइ णं तुमं देवाणुप्पिया ! इयाणिं पुव्वपडिवराणाई पंच अणुव्वयाई सयमेव उवसंपजित्ताणं विहरसि, तो णं तुझ इदाणिं सुपव्वइयं भविजा 7 / तते णं से देवे सोमिलं वंदति नमंसति 2 जामेव दिसि पाउन्भूते जाव पडिगते 8 // सू० 80 // तते णं सोमिले माहणरिसी तेणं देवेणं एवं वुत्ते समाणे पुबपडिवनाई पंच अणुव्वयाई सयमेव उवसंपजित्ता णं विहरति 1 / तते णं से सोमिले बहूहिं चउत्थछट्टम जाव मासद्धमासखमणेहिं विचित्तेहिं तवोवहाणेहिं अप्पाणं भावमाणे बहूई वासाई समणोवासगपरियागं पाउणति 2 श्रद्धमासियाए संलेहणाए अत्ताणं झसेति 2 तीसं भत्ताइं अणसणाए छेदेति 2 ता तस्स ठाणस्स श्रणालोइयपडिक्कते विराहियसम्मत्ते कालमासे कालं किच्चा सुक्वडिसए विमाणे उववातसभाए देवसयणिज्जंसि जाव तोगाहणाए सुकमहग्गहत्ताए उववन्ने 2 / तते णं से सुके महग्गहे अहुणोववन्ने समाणे जाव भासामणपजत्तीए 3 // सू * 81 // एवं खलु गोयमा ! सुक्केणं महग्गहेणं सा दिव्वा जाव अभिसमन्नागए एगं पलिश्रोवमठिती 1 / सुक्के णं भंते ! महग्गहे ततो देवलोगायो श्राउक्खए कहिं गच्छिहिति ? Page #507 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 480 ] / श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिति 2 / एवं खलु जंबू ! समणेणं निक्खेवश्रो 3 // सू०८२ // 3 // जइ णं भंते उक्खेवयो एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं 2 रायगिहे नामं नगरे, गुणसिलए चेइए, सेणिए राया, सामी समोसढे, परिसा निग्गया॥ सू 0 83 // तेण कालेणं 2 बहुपुत्तिया देवी सोहम्मे कप्पे बहुपुत्तिए विमाणे सभाए सुहम्माए बहुपुत्तियंसि सीहासणंसि चउहि सामाणियसाहस्सीहि चाहिं महत्तरियाहिं जहा सूरियाभे भुजमाणी विहरइ, इमं च णं केवलकप्पं जंबुद्दीवं दीवं विउलेणं योहिणा श्राभोएमाणी 2 पासति 2 समणं भगवं महावीरं जहा सूरियाभो जाव णमंसित्ता सीहासणवरंसि पुरच्छाभिमुहा सन्निसन्ना 1 / श्राभियोगा जहा सूरियाभस्स, सूसरा घंटा, अाभियोगियं देवं सद्दावेइ, जाणविमाणं जोयणसहस्सविच्छिण्णं, जाणविमाणवराणो, जाव उत्तरिल्लेणं निजाणमग्गेणं जोयणसाहस्सिएहिं विग्गहेहि भागता जहा सूरियाभे, धम्मकहा सम्मत्ता 2 / तते णं सा बहुपुत्तिया देवी दाहिणं भुयं पसारेइ देवकुमाराणं अटुंसयं, देवकमारियाण य वामाश्रो भुयायो 108, तयाणंतरं च णं बहवे दारगा य दारियायो य डिभिए य डिभियायो य विउव्वइ, नट्टविहिं जहा सूरियाभो उवदंसित्ता पडिगते 3 // सू 0 84 // भंते ति भयवं गोयमे समणं भगवं महावीर वंदइ नमसति कूडागारसाला बहुपुत्तियाए णं भंते ! देवीए सा दिव्वा देविड्डी पुच्छा जाव अभिसमराणागता 1 / एवं खलु गोयमा ! तेणं कालेणं 2 वाणारसी नामं नगरी, अंबसालवणे चेइए 2 / तत्थ णं बाणारसीए नगरीए भद्दे नामं सत्थवाहे होत्था, अड्डे जाव अपरिभूते 3 / तस्स णं भदस्स य सुभदा नाम भारिया सुकुमाला वंझा अवियाउरी जाणुकोप्परमाता यावि होत्था 4 // सू० 85 // तते णं तीसे सुभदाए सत्थवाहीए अन्नया कयाइ पुव्यरत्तावरत्तकाले कुटुंबजागरियं इमेयारूवे जाव संकप्पे समुप्पजित्था-एवं खलु अहं भद्देणं सत्थवाहेणं सद्धिं विउलाई भोगभोगाइं भुजमाणी विहरामि, Page #508 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीनिरयावलिकासूत्र :: पुष्पिका वर्गः 3 ] [ 481 नो चेव णं अहं दारगं वा दारियं वा पयामि, तं धन्नाश्रो णं तायो अम्मगायो जाव सुलद्धे णं तासिं अम्मगाणं मणुयजम्मजीवितफले, जासिं मन्ने नियकुच्छिसंभूयगाई थणदुद्धलुद्धगाई महुरसमुल्लावगाणि मम्मणप्पजंपिताणि थणमूलकक्खदेसभागं अभिसरमाणगाणि पराहयंति, पुणो य कोमल-कमलोवमेहिं हत्थेहिं गिरिहऊणं उच्छंगनिवेसियाणि, देति समुल्लावए सुमहुरे पुणो पुणो मंजुलप्पभणिए अहं णं अधराणा अपुराणा अकयपुराणा एत्तो एगमवि न पत्ता श्रोहयमणसंकप्पा जाव झियाइ // सू० 86 // तेणं कालेणं 2 सुब्बतातो णं अजातो इरियासमितातो भासासमितातो एसणासमितातो श्रायाणभंडमत्तनिक्खेवणासमितातो उच्चारपासवणखेलजलसिंघाणपारिट्ठावणासमियातो मणगुत्तीयो वयगुत्तीयो कायगुत्तीयो गुतिंदियाश्रो गुत्तबंभयारिणीयो बहुस्सुयायो बहुपरियारातो पुवाणुपुत्विं चरमाणीश्रो गामाणुगाम दूइजमाणीयो जेणेव वाणारसी नगरी तेणेव उवागयातो, उवागच्छित्ता अहापडिरूवं उग्गहं 2 संजमेणं तवसा विहरति 1 / तते णं तासि सुव्वयाणं श्रजाणं एगे संचाडए वाणारसी नगरीए उच्चनीयमज्झिमाइं कुलाई घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए अडमाणे भदस्स सत्थवाहस्स गिहं श्रणुपविढे 2 / तते णं सुभद्दा सत्थवाहीतातो अजातो एजमाणीयो पासति 2 हट्टतुट्ठा खिप्पामेव भासणाश्रो श्रब्भुट्ठति 2 सत्तटुपयाई अणुगच्छइ 2 वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता विउलेणं असणपाणखाइमसाइमेणं पडिलाभित्ता एवं वयासि-एवं खलु अहं अजायो ! भद्देणं सत्थवाहेणं सद्धिं विउलाई भोगभोगाई भुजमाणी विहरामि, नो चेव णं अहं दारगं वा दारियं वा पयामि, तं धनायो णं तायो अम्मगायो जाव एत्तो एगमवि न पत्ता, तं तुम्मे थजायो ! बहुणायातो बहुपढियातो बहुणि गामागरनगर जाव सगिणवेसाई श्राहिंडह, बहूणं राईसरतलवर जाव सत्थवाहप्पभितोणं गिहाई अणुपविसह, अस्थि से केति कहिं चि विजापयोए वा मतप्पश्रोए वा वमणं वा 60 Page #509 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 482 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : सप्तमो विभागः : विरेयणं वा बस्थिकम्मं वा योसहे वा भेसज्जे वा उवलद्धे जेणं अहं दारगं वा दारियं वा पयाएजा ? तते णं ताश्रो अजायो सुभद्द सत्थवाहिं एवं वयासी-अम्हे णं देवाणुप्पिए ! समणीयो निग्गंथीयो इरियासमियायो जाव गुत्तभचारीयो, नो खलु कप्पति अम्हं एयमट्ट कराणेहिं विणिसामित्तए, किमंग पुण उदिसित्तए वा समायरित्तए वा अम्हे णं देवाणुप्पिए ! णवरं तक विचित्तं केवलिपगणतं धम्म परिकहेमो 3 / तते णं सुभदा सत्थवाही तासिं यजाणं अंतिए धम्मं सोचा निसम्म हट्टतुट्ठा तातो अजातो तिखुत्तो वंदति नमसति एवं वदासी-सदहामि णं अजायो ! निग्गंथं पावयणं पत्तियामि रोएमि aaN अजायो निग्गंथीयो ! एवमेयं तहमेयं अवितहमेयं जार सावगधम्म पडिवजित्तए 4 / श्रहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं करेह 5 / तते णं सा सुभदा सत्थवाही तासि अजाणं अंतिए जाव पडिवजति 2 तातो अजातो वंदइ नमसइ पडिविसज्जति 6 ।तते णं सुभदा सत्यवाही समणोवासिया जाया जाव विहरति 7 // सू० 87 // तते णं तीसे सुभदाए समणोवासियाए अण्णादा कदायि पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि कुटुंबजागरियं जाव अयमेयावरुवे जाव समुप्पजित्था-एवं खलु अहं भद्दे णं सत्थवाहेणं सद्धिं विउलाई भोमभोगाई जाव विहरामि, नो चेव णं अहं दारगं वा 2, तं सेयं खलु ममं कल्लं पाउप्पभाए जाव जलते भद्दस्स आपुच्छित्ता सुव्व. याणं अजाणं अंतिए अजा भवित्ता अगारायो जाव पव्वइत्तए, एवं संपे. हेति 2 त्ता कल्ले जेणेव भद्दे सत्थवाहे तेणेव उवागते, करतल जाव एवं वयासी-एवं खलु अहं देवाणुप्पिया ! तुम्भेहिं सद्धिं बहूई विउलाई भोग जाव विहरामि, नो चेव णं दारगं वा दारियं वा पयामि, तं इच्छामि णं देवाणुप्पिया ! तुम्भेहिं अणुराणाया समाणी सुव्वयाणं अजाणं जाव पवइत्तए. 1 / तते णं से भद्दे सत्थवाहे सुभद्द सत्थवाही एवं वदासी-मा. णं तुमं देवाणुप्पिया ! इदाणिं मुंडा जाव पव्वयाहि, मुंजाहि ताव देवा Sair Page #510 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री निरयावलिकासूत्र :: पुष्पिका वर्गः 3 ] [483 णुप्पिए ! मए सद्धिं विउलाई भोगभोगाई ततो पच्छा भुत्तभोई सुब्बयाणं अजाणं जाव पव्वयाहि 2 / तते णं सुभदा सत्थवाही भदस्स सत्थवाहस्स एयम8 नो अाढाति नो परिजाणति दुच्चं पि तच्चं पि भद्दा सस्थवाहं एवं वदासी-इच्छामि णं देवाणुप्पिया ! तुन्भेहिं अब्भणुराणाया समाणी जाव पव्वइत्तए 3 / तते णं से भद्दे सस्थवाहे जाहे नो संचाएति बहूहिं श्राघवणाहि य एवं पन्नवणाहि य सराणवणाहि य विराणवणाहि य श्राघवित्तए वा जाव विराणवित्तए वा ताहे कामते चेव सुभदाए निक्खमणं अणुमारणत्या 4 // सू० 88 // तते णं से भद्दे सस्थवाहे विउलं असणं 4 उवक्खडावेति, मित्तनाति जाव ततो पच्छा भोयणवेलाए जाव मित्तनाति जाव सकारेति सम्माणेति, सुभद सस्थवाही राहायं जाव पायच्छित्तं सव्वालंकारविभूसियं पुरिससहस्सवाहिणिं सीयं दुरुहेति 1 / ततो सा सुभद्दा सस्थवाही मित्तनाइ जाव संबंधिसंपरिबुडा सविड्डीए जाव रवेणं वाणारसीनगरीए मझ मज्झेणं जेणेव सुव्वयाणं अजाणं उवस्सए तेणेव उवागच्छति 2 पुरिससहस्सवाहिणिं सीयं ठवेति, सुभद्द सत्थवाहि सीयातो पच्चोरहेति 2 / तते णं भद्दे सस्थवाहे सुभद्द सत्थवाहिं पुरतो का जेणेव सुव्वया श्रजा तेणेव उवागच्छति 2 सुव्वयाश्रो अजायो वंदति नमंसति 2 एवं वदासी-एवं खलु देवाणुप्पिया! सुभद्दा सत्थवाही ममं भारिया इट्ठा कंता जाव मा णं वातिता पित्तिया सिभिया सन्निवातिया विविहा रोयातका फुसंतु, एस णं देवाणुप्पिया ! संसारभउविग्गा भीया जम्मणमरणाणं, देवाणुप्पियाणं अंतिए मुंडा भवित्ता जाव पव्वयाति तं एयं अहं देवाणुप्पियाणं सीसिणिभिक्खं दलयामि, पडिच्छंतु णं देवाणुप्पिया ! सीसिणीभिक्खं 3 / अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं करेह 4 / तते णं सा सुभद्दा सस्थवाही सुव्वयाहिं अजाहि एवं वुत्ता समाणी हट्टतुट्ठा जाव सयमेय श्राभरणमल्लालंकारं श्रोमुयइ 2 सयमेव पंचमुट्टियं लोयं करेति 2 जेणेव सुव्वयातो Page #511 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 484] [श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः अजायो तेणेव आगच्छति 2 सुव्ययायो अजायो तिक्खुत्तो पायाहिणपयाहिणेणं वंदइ नमसइ 2 एवं वदासी-ग्रालित्ते णं भते ! जहा देवाणंदा तहा पवइता जाव अजा जाया जाव गुत्तबंभयारिणी 5 // सू० 81 // तते णं सा सुभदा अजा अन्नदा कदायि बहुजणस्स चेडरूवे संमुच्छित्ता जाव . अझोववष्णा अभंगणं च उबट्टणं च फासुयपाणं च अलत्तगं च कंकणाणि य अंजणं च वराणगं च चुराणगं च खेलगाणि य खज्जलगाणि य खीरं च पुप्फाणि य गवसति, गवेसित्ता बहुजणस्स दारए वा दारिया वा कुमारे य कुमारियाते य डिभए य डिभियायो य अप्पेगतियायो अभंगेति, अप्पेगइयायो उब्वट्टति, एवं अप्पेगइयायो फासुयपाणएणं राहावेति, अप्पेगइयायो पाए रयति, अप्पेगइयायो उ8 रयति, अप्पेगइयायो अच्छीणि अंजेति, अप्पेगइयायो उसुए करेति, अप्पेगइयायो तिलए करेति अप्पेगइयायो दिगिदलए करेति अप्पेगइयायो पंतियायो करेति अप्पेगइयायो छिज्जाई करेति अप्पेगइया वन्नएणं समालभइ अप्पेगइयायो चुन्नएणं समालभइ अप्पेगइयायो खेलणगाई दलयति अप्पेगइयायो खज्जुल्लगाई दलयति अप्पेगइयायो खीरभोयणं भुजावेति अप्पेगइयायो पुष्फाई श्रोमुयइ अप्पेगइयायो पादेसु वेति अप्पेगइयायो जंघासु करेइ एवं ऊरूसु उच्छंगे कडीए पिट्टे उरसि खंधे सीसे करतलपुडेणं गहाय हलउलेमाणी 2 श्रागयमाणी 2 (अगीयमाणी 2) परिहायमाणी 2 (परिगीयमाणी 2) पुत्तपिवासं च धूयपिवासं च नत्तुयपिवासं च नत्तिपिवासं च पञ्चणुब्भवमाणी विहरति // सू 0 10 // तते णं तातो सुव्वयातो अजायो सुभद्द अज्ज एवं वयासी-अम्हे णं देवाणुप्पिए ! समणीयो निग्गंथीयो इरियासमियातो जाव गुत्तबंभचारिणीयो नो खलु अम्हं कप्पति जातककम्मं करित्तए, तुमं च णं देवाणुप्पिया ! बहुजणस्स चेडरूवेसु मुच्छिया जाव अझोववरणा अभंगणं जाव नत्तिपिवासं वा पचणुभवमाणी विहरसि, तं णं तुम देवा Page #512 -------------------------------------------------------------------------- ________________ / 485 श्री निरयावलिकासूत्र :: पुष्पिका वर्गः 3 / णुप्पिया एयस्स ठाणस्स पालोएहि जाव पच्छित्तं पडिवजाहि 1 / तते णं सा सुभदा अन्जा सुब्बयाणं अजाणं एयम8 नो श्रादाति नो परिजाणति, अणाढायमाणी अपरिजाणमाणी विहरति 2 / तते णं तातो समणीयो निग्गंथीयो सुभद अज्ज हीलेंति निंदंति खिसंति गरहंति अभिवखणं - 2 एयम8 निवारेंति 3 // सू 0 11 / / तते णं तीसे सुभदाए अजाए समणीहिं निग्गंथीहिं हीलिजमाणीए जाव अभिक्खणं 2 एयम? निवारिजमाणीए अयमेयारूवे अन्झथिए जाव समुप्पजित्था-जया णं अहं श्रगारवासं वसामि तया णं अहं अप्पवसा, जप्पभिई च णं अहं मुंडा भवित्ता श्रागारायो अणगारियं पवइत्ता तप्पभिई च णं अहं परवसा, पुचि च समणीयो निग्गंथीयो पाति परिजाणेति, इयाणि नो पाढाइंति नो परिजाणंति, तं सेयं खलु मे कल्लं जाव जलंते सुव्वयाणं अजाणं अंतियायो पडिनिक्खमित्ता पाडियक्कं उवस्सयं उपसंपजित्ता णं विहरित्तए, एवं संपेहेति 2 कल्लं जाव जलते सुब्बयाणं अजाणं अंतियातो पडिनिवखमेति 2 पाडियक्कं उवस्सयं उपसंपजिता णं विहरति 1 / तते णं सा सुभदा अजा अजाहिं अणो. हट्टिया अणिवारिता सच्छंदमती बहुजणस्स चेडरूवेसु मुच्छित्ता जाव अभंगणं च जाव नत्तिपिवासं च पचणुभवमाणी विहरति 2 // सू० 12 // तते णं सा सुभदा अजा पासस्था पासस्थविहारी एवं श्रोसराणा पोसण्णवि. हारा कुपीला कुपीलविहारी संसत्ता संसत्तविहारी ग्रहाच्छंदा ग्रहाच्छंदविहारी बहूई वासाइंसामनपरियागं पाउणति 2 अद्धमासियाए संलेहणाए अत्ताणं तीसं भीत्ताई 2 अणसणे छेदित्ता 2 तस्स ठाणस्स प्रणालोइयप्पडिक्कंता कालमासे कालं किचा सोहम्मे कप्पे बहुपुत्तियाविमाणे उववायसभाए देवसयणिज्जसि . देवदूसंतरिया अंगुलस्स असंखेजभागमेत्ताए योगाहणाए बहुपुत्तियदेवित्ताए उववराणा 1 / तेणं सा बहुपुत्तिया देवी बहुणोववन्नमित्ता समाणी पंचविहाए पजत्तीए जाव भासान,पजत्तीए 2 / एवं खलु गोयमा ! बहुपुत्तियाए Page #513 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 486 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : सप्तमो विभागः देवीए सा दिव्या देविड्डी जाव अभिसमराणागता 3 // सू० 13 // से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ बहुपुत्तिया देवी 2 ? गोयमा ! बहुपुत्तिया णं देवी णं जाहे जाहे सक्कस्स देविंदस्स देवरगणो उवत्थाणियणं करेइ ताहे 2 बहवे दारए य दारियाए य डिभए य डिभियातो य विउब्वइ 2 जेणेव सक्के देविदे देवराया तेणेव उवागच्छति 2 सकस्स देविंदस्स देवरराणो दिव्वं देविढि दिव्वं देवज्जुई दिव्वं देवाणुभागं उवदंसेति, से तेणठेणं गोयमा ! एवं वुञ्चति बहुपुत्तिया देवी 2 // सू० 14 // बहुपुत्तियाणं भंते ! देवीणं केवइयं कालं ठिति पराणता ? गोयमा ! चत्तारि पलिश्रोवमाई ठिई पराणत्ता // सू० 15 // बहुपुत्तिया णं भंते ! देवी तातो देवलोगाश्रो श्राउक्खएणं रितिक्खएणं भवक्खएणं अणंतरं चयं चइत्ता कहिं गच्छिहिति ? कहिं उववज्जिहिति ? गोयमा ! इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे विज्झगिरिपायमूले विभेलसंनिवेसे माहणकुलंसि दारियत्ताए पञ्चायाहिति 1 / तते णं तीसे दारियाए अम्मापियरो एकारसमे दिवसे वितिक्कते जाव बारसेहिं दिवसेहिं वितिक्कतेहिं श्रयमेयारूवं नामधिज्जं करेंति-होऊणं अम्हं इमीसे दारियाए नामधिज्जं सोमा 2 / तते णं सोमा उम्मुक्कबालभावा विगणतपरिणयमेत्ता जोव्वणगमणुपत्ता स्वेण य जोवणेण य लावराणेण य उकिट्टा उकिटुसरीरा जाव भविस्सति 3 // सू०१६॥ तते णं तं सोमं दारियं अम्मापियरो उम्मुक्कबालभावं विराणयपरिणयमित्तं जोव्वणगमणुप्पत्तं पडि. कुविएणं सुक्केणं पडिरूवएणं नियगस्स भायणिज्जस्स रट्टकूडयस्स भारियत्ताए दलयिस्सति 1 / सा णं तस्स भारिया भविस्सति इट्ठा कंता जाव, भंडकरंडगसमाणा तिल्लकेला इव सुसंगोविश्रा चेलपेडा इव सुसंपरिहिता रयणकरंगतो विव सुसारक्खिया सुसंगोविता माणंसीयं जाव विविहा रोयातका फुसंतु 2 // सू० 17 // तते णं सा सोमा माहणी स्ट्रकूडेणं सद्धिं विउलाई भोगभोगाई भुजमाणी संवच्छरे 2 जुयलगं पयायमाणी Page #514 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीनिरयावलिकासूत्रं : पुष्पिका वर्गः 3 / [ 487 सोलसेहिं संवच्छरेहिं बत्तीसं दारगरूवे पयाति 1 / तते णं सा सोमा माहणी तेहिं बहूहिं दारिगेहि य दारियाहि य कुमारएहि य कुमारियाहि य डिभएहि य डिभियाहि य अप्पेगइएहि उत्ताणसेजएहि य अप्पेगइएहि य थणियाएहि य अप्पेगइएहिं पीहगपाएहिं अप्पेगइएहिं परंगणएहि अप्पेगइएहिं परकममाणेहिं अप्पेगइएहिं पक्खोलणएहि अप्पेगइएहिं थणं मग्गमाणेहि अप्पेगइएहि खीरं मग्गमाणेहिं अप्पेगइएहिं खिल्लणयं मग्गमाणेहि अप्पेगइएहिं खजगं मग्गमाणेहि अप्पेगइएहि कूरं मग्गमाणेहिं पाणियं मग्गमाणेहि हसमाणेहिं रूसमाणेहिं अंकोसमाणेहि अक्कुस्समाणेहि हणमाणेहिं हम्ममाणेहिं विष्पलायमाणेहिं अणुगम्ममाणेहिं रोवमाणेहिं कंदमाणेहिं विलवमाणेहिं कूवमाणेहिं उक्षमाणेहिं निदायमाणेहिं पलवमाणेहिं दहमाणेहिं(दवमाणेहि, हममाणेहि, हदमाणेहिं) वममाणेहिं छेरमाणेहिं सुन(भुत)माणेहिं मुत्तपुरीसवमियसुलित्तोवलित्ता मइलवसणपुवड(दुबला) जाव अइसुबीभच्छा परमदुग्गंधा नो संचाएइ रटुकडे णं सद्धिं विउलाई भोगभोगाई भुजमाणी विहरित्तए 2 / तते णं से सोमाए माहणीए अण्णया कयाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि कुडुबजागरियं जागरमाणीए अयमेयारूवे जाव समुप्पजित्थाएवं खलु ग्रहं इमेहिं बहूहिं दारगेहि य जाव डिभियाहि य अप्पेगइएहि उत्ताणसेजएहि य जाव अप्पेगइएहि सुत्तमाणेहिं दुज्जाएहिं दुजम्मएहिं हयविप्पहयभग्गेहिं एगप्पहारपडिएहिं जेणं मुत्तपुरीसवमियसुलित्तोवलित्ता जाव परमदुभिगंधा नो संचाएमि रट्टकूडेण सद्धिं जाव भुजमाणी विहरित्तए 3 / तं धन्नायो णं तायो अम्मयायो जाव जीवियफले जायो णं वंझायो अवियाउरीयो जाणुकोप्परमायाश्रो सुरभिमुगंधगंधियायो विउलाई माणुस्सगाइ भोगभोगाइं भुजमाणीयो विहरंति, अहं णं अधन्ना अपुराणा अकयपुराणा नो संचाएमि रटकूडेण सद्धि विउलाई जाव विहरितए 4 // सू० 18 // तेणं कालेणं 2 सुव्वयायो नाम अजायो इरिया Page #515 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 488 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागा समियायो जाव बहुपरिवाराश्रो पुव्वाणुपुब्धि जेणेव विभेले संनिवेसे श्रहापडिरूवं श्रोग्गहं जाव विहरति 1 / तते णं तासि सुव्बयाणं अजाणं एगे संघाडए विभेले सन्निवेसे उच्चनीय जाव अडमाणे रट्टकूडस्स गिहं श्रणुपविठे 2 / तते णं सा सोमा माहणी तायो अजायो एजमाणीयो पासति 2 हट्ठतुट्ठा खिप्पामेव पासणायो अब्भुट्ठेति 2 सत्तट्ठपयाई अणुगच्छति 2 वंदइ, नमसइ, विउलेणं असण 4 पडिलाभित्ता एवं वयासीएवं खलु अहं अजायो रटुकूडेणं सद्धिं विउलाई जाव संवच्छरे 2 जुगलं पयामि, सोलसहिं संवच्छरेहि बत्तीसं दारगरूवे पयाया, तते णं अहं तेहिं बहूहिं दारएहि य जाव डिभियाहि य अप्पेगतिएहि उत्नाणसिजएहि जाव सुत्तमाणेहिं दुजातेहिं जाव नो संचाएमि विहरत्तए, तमिच्छाणि णं अजाओ तुम्हं अंतिए धम्म निसामित्तए 3 / तते णं तातो अजातो सोमाते माहणीए विचित्तं जाव केवलीपराणत्तं धम्म परिकहेति 4 / तते णं सा सोमा माहणी. तासिं अजाणं अंतिए धम्मं सोचा निसम्म हट्ट जाव हियया तातो अजायो वंदइ नमसइ 2 ता एवं वयासी-सदहामि णं अजायो ! निग्गंथं पावयणं जाव अभट्ठोमि णं अजातो निग्गंथं पावयणं एवमेयं अजातो जाव से जहेयं तुम्भे वयह ज नवरं अजातो! रटुकूडं श्रापुच्छामि 5 / तते णं यहं देवाणुप्पियाणं अंतिए मुंडा जाव पव्वयामि 6 / अहासुहं देवाणुप्पिए ! मा पडिबंधं करेह 7 / तते णं सा सोमा माहणी तातो अजातो वंदइ नमसइ 2 ता पडिविसज्जेति 8 // सू० 11 // तते णं सा सोमा माहणी जेणेव रटुकूडे तेणेव उवागता करतल एवं वयासीएवं खलु मए देवाणुप्पिया ! अजाणं अंतिए धम्मे निसंते से वि य णं धम्मे इच्छिते जाव अभिरुचिते, तते णं अहं देवाणुप्पिया ! तुम्भेहिं अब्भणुनाया सुव्वयाणं अजाणं जाव पव्वइत्तए 1 / तते णं से रटकूडे सोमं माहणिं एवं वयासी-मा णं तुमं देवाणुप्पिए ! इदाणिं मुंडा Page #516 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीनिरयावलिकासूत्र :: पुष्पिका वर्गः 3 ] [ 486 भवित्ता जाव पव्वयाहि, भुजाहि ताव देवाणुप्पिए ! मए सद्धिं विउलाई भोगभोगाई, ततो पच्छा भुत्तभोई सुव्वयाणं अजाणं अंतिए मुंडा जाव पव्वयाहि 2 / तते णं सा सोमा माहणी रटकूडस्स एयमट्ठ पडिसुणेति 3 / तते णं सा सोमा माहणी राहाया जाव सरीरा चेडियाचकवालपरिकिराणा सायो गिहायो पडिनिक्खमति 2 विभेलं संनिवेसं मझ मज्झेणं जेणेव सुव्वयाणं अजाणं उवस्सए तेणेव उवागच्छति 2 सुव्वयायो अन्जाश्रो वंदइ नमसइ पज्जुवासइ 4 / तते णं ताश्रो सुव्वयाश्रो अजायो सोमाए माहणीए विचित्तं केवलिपराणत्तं धम्म परिकहेंति जहा जीवा बज्झति 5 / तते णं सा सोमा माहणी सुब्बयाणं अजाणं अंतिए जाव दुवालसविहं सावगधम्म पडिवजइ 2 सुव्वयायो अजायो वंदइ नमसइ 2 त्ता जामेव दिसि पाउन्भूबा तामेव दिसं पडिगता 6 / तते णं सा सोमा माहणी समणोवासिया जाया अभिगत जाव अप्पाणं भावेमाणी विहरति 7 // सू. 100 // तते णं ताश्रो सुब्वयात्रो अन्जायो अराणदा कदाइ विभेलायो संनिवेसायो पडिनिवखमंति 2 बहिया जणवयविहारं विहरति 1 / तते णं तायो सुव्वयात्रो अन्जायो अराणदा कदायि पुव्वाणुपुलिं जाव विभेलसंनिवेसं विहरंति 2 / तते णं सा सोमा माहणी इमीसे कहाए लट्ठा समाणी हट्ठा राहाया तहेव निग्गया जाव वंदइ नमसइ 2 धम्म सोचा जाव नवरं रटकूडं श्रापुच्छामि, तते णं पव्वयामि 3 / अहासुहं देवाणुप्पिए ! मा पडिबंधं करेह 4 / तते णं सा सोमा माहणी सुव्वयं श्रज्जं वंदड़ नमसइ 2 सुव्वयाणं अंतियात्रो पडिनिक्खमइ 2 जेणेव सए गिहे जेणेव रट्टकूडे तेणेव उवागच्छति 2 करतल तहेव श्रापुच्छइ जाव पवइत्तए 5 / अहासुहं देवाणुप्पिए ! मा पडिबंधं करेह 6 / तते णं रट्ठकूडे विउलं असणं तहेव जाव पुव्वभवे सुभदा जाव अजा जाता, इरियासमिता जाव गुत्तबंभयारीणी 7 // सू० 101 // तते णं सा सोमा Page #517 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 460 ] [ श्रीमदागम पुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः अजा सुब्बयाणं अजाणं अंतिए सामाइयमाइयाई एकारस अंगाई अहिजइ 2 बहूहि छ?मदसमदुवालस जाव भावमागी बहुइं वासाई सामराणपरि. यागं पाउणति 2 मासियाए संलेहणाए सर्टि भत्ताई अणसणाए छेदित्ता बालोइयपडिक्कता समाहिपत्ता कालमासे कालं किच्चा सकस्स देविंदस्स देवरराणो सामाणियदेवत्ताए उववजिहिति, तत्थ णं अत्थेगइयाणं देवाणं दोसागरोवमाई ठिई पराणत्ता, तत्थ णं सोमस्स वि देवस्स दोसागरोवमाई ठिई पराणत्ता // सू० 102 // से णं भंते सोमे देवे ततो देवलोगायो श्राउक्खएणं जाव चयं चइत्ता कहिं गच्छिहिति ? कहिं उववजिहिति ? गोयमा / महाविदेहे वासे नाव अंतं काहिति 1 / एवं खलु जंबू ! समणेणं जाव संपत्तेणं अयम? पराणत्ते 2 ॥सू० 103 // 4 // जइ णं भंते! समणेणं भगवया उक्खेवो एवं खलु जंब ! तेणं कालेणं 2 रायगिहे नामं नगरे, गुणसिलए चेइए, सेणिए राया, सामी समोसरिते, परिसा निग्गया, तेणं कानेणं 2 पुराणभद्दे देवे साहेम्मे कप्पे पुगणभद्दे विमाणे सभाए सुहम्माए पुराणभसि सीहासणंसि चउहिं सामाणियसाहस्सीहिं जहा सूरियाभो जाव बत्तीसतिविहं नट्टविहिं उवदंसित्ता जामेव दिसिं पाउब्भूते तामेव दिसि पडिगते कूडागारसाला पुव्वभवपुच्छा // सूत्रं 104 // एवं खलु गोयमा ! तेणं कालेणं 2 इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे मणिवइया नाम नगरी होत्था रिद्ध, चंदो, ताराइणे चेइए, तत्थ णं मणिवइयाए नगरीए पुराणभद्दे नाम गाहावई परिवसति अड्डे // सूत्रं 105 // तेणं कालेणं 2 थेरा भगवंतो जातिसंपराणा जाव जीवियासमरणभयविप्पमुक्का बहुस्सुया बहुपरिवारा पुवाणुपुचि जाव समोसढा, परिसा निग्गया 1 / तते णं से पुराणभद्दे गाहावई इमीसे कहाए लट्ठ समाणे हट जाव पराणत्तीए गंगदत्ते तहेव निग्गच्छइ जाव निक्खंतो जाव गुत्तबंभचारी 2 // सूत्रं 106 // तते णं से पुराणभद्दे अणगारे भगवंताणं अंतिए सामाइयमादियाइं एकारस Page #518 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीनिरयावलिकासूत्र :: पुष्पिका वर्गः 3 ]. [ 461 अंगाई अहिजइ 2 बहूहिं चउत्थछट्टट्ठम जाव भाविता बहूई वासाई सामगणपरियागं पाउणति 2 मासियाए संलेहणाए सर्टि भत्ताई अणसणाए छेदित्ता थालोइयपडिक्कते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा सोहम्मे कप्पे पुराणभद्दे विमाणे उववातसभाते देवसयणिज्जंसि जाव भासामणपज. त्तीए 1 / एवं खलु गोयमा ! पुगणभद्दे णं देवेणं सा दिव्वा देविड्डी जाव अभिसमराणागता 2 // सू० 107 // पुराणभहस्स णं भंते ! देवस्स केवइयं कालं ठिई पराणत्ता ? गोयमा ! दोसागरोवमाई ठिई पराणत्ता // सूत्रं 108 // पुराणभद्दणं भते! देवे तातो देवलोगातो जाव कहिं गच्छिहिति ? कहिं उववजिहिति ? गोयमा ! महाविदेहे वासे सिझिहिति जाव अंतं काहिति 1 / एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवता जाव संपत्तेणं निक्खेवश्रो २॥सूत्रं१०६॥५॥ जइ णं भंते ! समणेणं भगवया जाव संपत्तेणं उक्खेवो, एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं. 2 रायगिहे नगरे, गुणसिलए चेइए, सेणिए राया, सामी समोसरिते 1 / तेणं कालेणं 2 माणिभद्दे देवे सभाए सुहम्माए माणिभद्दसि सीहासणंसि चउहि सामाणियसाहस्सीहिं जहा पुराणभदो तहेव बागमणं 2 / नट्टविही, पुव्वभवपुच्छा, मणिवई नगरी, माणिभद्दे गाहावई थेराणं अंतिए पव्वजा, एकारस अंगाई अहिजति, बहूई वासाई परियातो मासिया संलेहणा सद्धि भत्ताई माणिभद्दे विमाणे उववातो, दोसागरोवमाई ठिई, महाविदेहे वासे सिज्झिहिति 3 / एवं खलु जंबू ! निक्खेवो 4 // सू० 110 // 6 // एवं दत्ते 7 सिवे 8 बले 1 श्रणाढिते 10 सव्वे जहा पुराणभद्दे देवे 1 / सव्वेसिं दोसागरोवमाई ठिती 2 / विमाणा देवसरिसनामा 3 / पुव्वभवे दत्ते चंदणाणामए, सिवे मिहिलाए, बलो हत्थिणपुरे नगरे,श्रणाढिते काकंदिते, चेइयाइं जहा संगहणीए ४॥सू०१११॥ // ततिओ वग्गो सम्मत्तो // 3 // Page #519 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 462 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः // अथ पुष्पचूलकानामकश्चतुर्थो वर्गः // जइ णं भंते ! समणेणं भगवता उक्खेवो जाव दस अज्झयणा पराणत्ता 1 / तं जहा--सिरि 1 हिरि 2 धिति 3 कित्ति(ती)ो 4 बुद्धि(द्धी) 5 लच्छी 6 य होइ बोधव्वा। इलादेवी 7 सुरादेवी 8 रसदेवी 1 गंधदेवी 10 य // 1 // 2 / जइ णं भंते ! समणेणं भगवया जाव संपत्तेणं उबंगाणं चउत्थस्स वग्गस्स पुष्पचूलाणं दस अज्झयणा पराणत्ता, पढमस्स णं भंते ! उक्खेवश्रो 3 / एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं 2 रायगिहे नगरे गुणसिलए चेइए सेणिए राया सामी समोसढे, परिसा निग्गया 4 // सू० 112 // तेणें कालेणं 2 सिरिदेवी सोहम्मे कप्पे सिरिखडिसए विमाणे सभाए सुहम्माए सिरिंसि सीहासणंसि चाहिं सामाणियसाहस्सेहि चउहि महत्तरियाहिं सपरिवाराहिं जहा बहुपुत्तिया जाव नट्टविहिं उवदंसित्ता पडिगता 1 / नवरं. दारियायो नत्थि 2 / पुत्वभवपुच्छा 3 ॥सू० 113 // एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं 2 रायगिहे नगरे गुणसिलए चेइए जियसत्तू राया 1 / तत्थ णं रायगिहें नयरे सुदंसणो नाम गाहावई परिवसति, ड्ढे 2 / तस्स णं सुदंसणम्स गाहावइस्स पिया नाम भारिया होत्था सोमाला 3 / तस्स णं सुदंसणस्स गाहावइस्स धूया पियाए गाहावतिणीए अत्तिया भूया नामं दारिया होत्था वुड्डा बुड्ढकुमारी जुराणा जुगणकुमारी पडितपुतत्थणी वरपरिवजिया (गपक्खेजिया) यावि होत्था 4 // सू० 114 // तेणं कालेणं 2 पासे रहा पुरिसादाणीए जाव नवरयणीए, वरण यो सो चेव, समोसरणं, परिसा निग्गया 1 / तते णं सा भूया दारिया इमीसे कहाए . लट्ठासमाणी / हट्टतुट्ठा जेणेव अम्मापियरो तेणेव उवागच्छति 2 एवं वदासी-एवं खलु अम्मताओं ! पासे अरहा पुरिसादाणोए पुव्वाणुपुब्बिं चरमाणे जाव देवगणपरिवुडे विहरति, तं इच्छामो णं अम्मयात्रो ! तुम्भेहिं अब्भणुराणाया समाणी पासस्स अरहयो पुरिसा Page #520 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीनिरयावलिकासूत्र :: पुष्पचूलिका वर्गः 4 ] [ 493 दाणीयस्स पायवंदियागमित्तए 2 / अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं करेह 3 / तते णं सा भूया दारिया राहाया जाव सरीरा चेडीचकवालपरिकिराणा सायो गिहायो पडिनिक्खमति 2 जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला तेणेव उवागच्छति 2 धम्मियं जाणप्पवरं दुरूढा 4 / तते णं सा भूया दारिया निययपरिवारपरिवुडा रायगिहं नगरं मझ मज्झेणं निग्गच्छति 2 जेणेव गुणसिलए चेइए तेणेव उबागच्छति 2 छत्तादीए तित्थकरातिसए पासति 2 धम्मियायो जाणप्पवरात्रो पचोरुभित्ता चेडीचकवालपरिकिराणा जेणेव पासे अरहा पुरिसादाणीए तेणेव उवागच्छति 2 तिक्खुत्तो जाव पन्जुवासति 5 / तते णं पासे अरहा पुरिसादाणीए भूयाए दारियाए तीसे महइ० धम्मकहाए धम्म सोचा णिसम्म हट्टतुट्ठा वंदति 2 एवं वदासी-सदहामिणं भंते निग्गंथं पावयणं जाव अब्भुमि णं भंते निग्गंथं पावयणं से जहेव तुब्भे वदह जं नवरं देवाणुप्पिय ! अम्मापियरो श्रापुच्छामि 6 / तते णं ग्रहं जाव पव्वइत्तए 7 / अहासुहं देवाणुप्पिया ! 8 // सू० 115 / / तते णं सा भूया दारिया तमेव धम्मियं जाणप्पवरं जाव दुरुहति 2 जेणेव रायगिहे नगरे तेणेव उवागता, रायगिहं नगरं मझ मज्झेणं जेणेव सए गिहे तेणेव उवागता, रहायों पचोरुहिता जेणेव अम्मापितरो तेणेव उवागता, करतल जहा जमाली श्रापुच्छति 1 / अहासुहं देवाणुप्पिए ! तते णं से सुदंसणे गाहावई विउलं असणं 4 उवक्खडावेति 2 मित्तनाति श्रामंतेति 2 जाव जिमिय भुत्तुत्तरकाले सूईभूते निक्खमण(उवक्खण)माणित्ता कोडुबिय पुरिसे सदावेति 2 एवं वदासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! भूयादारियाए पुरिससहस्सवाहिणीयं सीयं उबट्टवेह 2 जाव पञ्चप्पिणह 2 / तते णं ते जाव पञ्चप्पिणंति / तते णं से सुदंसणे गाहावई भुयं दारियं राहायं जाव विभूसियसरीरं पुरिससहस्सवाहिणिं सीयं दुरूहति 2 मित्तनातिनियगसंबंधिपरिजणेणं जाव रवेणं रायगिहं नगरं मझ मज्झेणं Page #521 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 464 ]. [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः जेणेव गुणसिलए चेइए तेणेव उवागते, छत्ताईए तित्थयरातिसर पासति 2 सीयं ठावेति 2 भूयं दारियं सीयायो पचोरुतेति 3 / तते णं तं भूयं दारियं अम्मापियरो पुरतो काउं जेणेव पासे अरहा पुरिसादाणीए तेणेव उवागते, तिखुत्तो वंदति नमंसति 2 एवं वदासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! भूया दारिया अम्हं एगा धूया इट्टा, एस णं देवाणुप्पिया ! संसारभउव्विग्गा भीया जाव देवाणुप्पियाणं अंतिए मुंडा जाव पव्वयाति 2 तं एयं णं देवाणुप्पिया ! सिस्सिणिभिक्खं दलयति, पडिच्छंतु णं देवाणुप्पिया ! सिस्सिणीभिक्खं 4 / अहासुहं देवाणुप्पिए ! मा पडिबंधं करेह 5 / तते णं सा भूता दारिया पासेणं अरहापुरिसादाणीएणं एवं वुत्तासमाणी हट्ठा उत्तरपुरच्छिमं सयमेव श्राभरणमल्लालंकारं उम्मुयइ, जहा देवाणंदा पुष्फचूलाणं अंतिए जाव गुत्तबंभयारिणी. 6 // सू० 116 // तते णं सा भूता श्रजा राणदा कदाइ सरीरपायो(बाउ)सिया णं जाया यावि होत्था, अभिक्खणं 2 हत्थे धोवति, पादे घोवति एवं सीसं धोवति, मुहं धोवति, थणगंतराइं धोवति, कक्खंतराइं धोवति, गुमंतराइं धोवति, जत्थ जत्थ वि य णं ठाणं वा सिज्ज वा निसिहियं वा चेतेति तत्थ तत्थ वि य णं पुवामेव पाणएणं अभुक्खेति। ततो पच्छा ठाणं वा सिज्जं वा निसीहियं वा चेतेति 2 // सू० 117 // तते णं तातो पुष्फचूलातो अजातो भूयं अज्ज एवं वदासी-श्रम्हे णं देवाणुप्पिए समणीयो निग्गंथीयो इरियासमियायो जाव गुत्तबंभचारिणीयो, नो खलु कप्पति अम्हं सरीरपायोसियाणं होत्तए, तुमं च णं देवाणुप्पिए ! सरीरपायोसीया अभिक्खणं 2 हत्थे धोवसि जाव निसीहियं चेतेहि, तंणं तुमं देवाणुप्पिए एयरस ठाणस्स पालोएहि त्ति, सेसं जहा सुभदाए जाव पाडियक्कं उवस्सयं उपसंपजित्ता णं विहरति 1 / तते णं सा भूता अजा अणाहट्टिया श्रणिवारिया सच्छंदमई अभिक्खणं 2 हत्थे धोवति जाव निसीहियं चेतेति Page #522 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धीनिरयावलिकास्त्रं / वह्निदशानामकः वर्गः 5 ) [ 465 २॥सू०११८ // तते णं सा भूया अजा बहूहिं चउत्थछट्ठ जाव बहूई वासाई सामगणपरियागं पाउणित्ता तस्स गणस्स प्रणालोइयपडिक्कंता कालमासे कालं किचा सोहम्मे कप्पे सिरिवडिसए विमाणे उववायसभाए देवसयणिज्जसि जाव तोगाहणाए सिरिदेवित्ताए उववराणा पंचविहाए पज्जत्तीए भासामणपजत्तीए पजत्ता // सू० 111 // एवं खलु गोयमा! सिरीए देवीए एसा दिव्या देविड्डी लद्धा पत्ता, ठिई एगं पलिश्रोवमं 1 / सिरीणं भंते देवी जाव कहिं गच्छिहिति ? महाविदेहे वासे सिज्झिहिति 2 / एवं खलु जंबू ! निखेवश्रो 3 // सू० 120 // एवं सेसाण वि नवराहं भाणियव्वं, सरिसनामा विमाणा सोहम्मे कप्पे पुव्वभवे नगरचेइयपियमादीणं, अप्पणो य नामादी जहा संगहणीए, सव्वा पासस्स अंतिए निक्खंता है। तातो पुष्फचूलाणं सिस्सिणीयातो सरीरपाश्रोसियायो सव्वाश्रो अणंतरं चयं चइता महाविदेहे वासे सिज्झिहिंति 2 // सूत्रं 121 // // चउत्थवग्गो समत्तो // 4 // // अथ वह्निदशानामकः पञ्चमो वर्गः // ... जइ णं भंते ! उक्खेवो, उवंगाणं चउत्थस्स वग्गस्स पुष्पचूलाणं श्रयम? पराणते, पंचमस्स णं भंते ! वग्गस्स उवंगाणं वह्निदसाणं समणेणं भगवया जाव संपत्तेणं के श्रद्धे पराणते? एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव दुवालस अज्झयणा पराणत्ता, तं जहा-निसढे 1 मानि 2 वह 3 वहे. 4 पगता 5 जुत्ती 6 दसरहे 7 दढरहे 8 य। महाधणू 1 सत्तधणू 10 दसधणू 11 नामे सयधणू 12 य॥ 1 // सूत्रं 122 // जइ णं भंते ! समणेणं जाव दुवालस अज्झयणा पराणत्ता, पढमस्स णं भंते ! उक्खेवो 1 / एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं 2 बारवई नाम नगरी होत्था दुवालसजोयणायामा जाव पचक्खं देवलोयभूया पासादीया दरिस Page #523 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 496 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः णिज्जा अभिरूवा पडिरूवा 2 // सूत्रं 123 // तीसे णं बारवईए नगरीए बहिया उत्तरपुरच्चिमे दिसीमाए एत्थ णं रेवए नामं पव्वए होत्था, तुगे गगणतलमणुलिहंतसिहरे नाणाविहरुक्खगुच्छगुम्म-लतावल्लीपरिगताभिरामे हंसमियमयूर-कोंघसारसकाग-मयणसालाकोइलकुलोववेते तडकडगवियरउ. भरपवालसिहरपउरे अच्छरगणदेवसंघ-विजाहरमिहुणसंनिचिन्ने निव्वस्थणए दसारवरवीरपुरिस-तेलोकबलवगाणं सोमे सुभए पियदंसणे सुरूवे पासादीए जाव पडिरूचे 1 / तस्स णं रेवयगस्स पव्वयस्स अदूरसामंते एत्थ णं नंदणवणे नामं उजाणे होत्था, सव्वोउयपुप्फ जाव दरिसणिज्जे 2 / तत्थ णं नंदणवणे उजाणे सुरप्पियस्स जक्खस्स जक्खायतणे होत्था चिराईए जाव बहुजणो श्रागम्म अच्चेति सुरप्पियं जक्खाययणं 3 / से णं सुरप्पिए जक्खाययणे एगेणं महता वणसंडेणं सव्वश्रो समंता संपरिक्खित्ते जहा पुराणभद्दे जाव सिलावट्टते 4 / तत्थ णं बारवईए नयरीए कराहे नामं वासुदेवे राया होत्था जाव पसासेमाणे विहरति 5 // सूत्रं 124 // से णं तत्थ समुद्दविजयपामोक्खाणं दसराहं दसाराणं, बलदेवपामोवखाणं पंचराहं महावीराणं, उग्गसेणपामोक्खागणं सोलसराहं राईसाहस्सीणं, पज्जुराणपामोक्खाणं अद्भुटाणं कुमारकोडीणं, संबपामोक्खाणं सट्ठीए दुइतसाहस्सीणं, वीरसेणपामोक्खाणं एकवीसाए वीरसाहस्सीणं, रुप्पिणिपामोक्खाणं सोलसराहं देवीसाहस्सीणं, अणंगसेणापामोक्खाणं अणेगाणं गणियासाहस्सीणं, श्रराणेसिं च बहूणं राईसर जाव सत्यवाहप्पभिईणं वेयडगिरिसागरमेरागस्स दाहिणड्डभरहस्स आहेवच्चं जाव विहरति // सूत्रं 125 // तत्थ णं बारवईए नयरीए बलदेवे नामं राया होत्था, महया जाव रज्ज पसासेमाणे विहरति 1 / तस्स णं बलदेवस्स रगणो रेखई नाम देवी होत्था सोमाला जाव विहरति / तते णं सा रेवती देवी अराणदा कदाइ तंसि MANISH तारिसगंसि सयगिज्जंसि जाव सीहं सुमिणे पासित्ता णं पडिबुद्धा, एवं Page #524 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीनिरयावलिकासूत्र : वह्विदशानामकः वर्गः 5 ) [ 467 सुमिणदसणपरिकहणं, कलातो जहा महाबलस्स, नवरं पन्नासतो दातो पराणासरायकरणगाणं एगदिवसेणं पाणिगहणं नवरं निसढे नाम जाव उप्पिं पासादं विहरति 3 // सू० 126 // तेणं कालेणं 2 अरहा परि. ट्ठनेमी अादिकरे दसधणूई वगणतो जाव समोसरिते, परिसा निग्गया 1 / तते णं से कराहे वासुदेवे इमीसे कहाए लट्ठ समाणे हठ्ठतु? (हट्टतो एतो) य कुडुबियपुरिसे सद्दावेति 2 एवं वदासी-खिप्पामेव देवाणुप्पिया ! सभाए सुहम्माए सामुदाणियं भेरिं तालेहि 2 / तते णं से कुडुबियपुरिसे जाव पडिसुणित्ता जेणेव सभाए सुहम्माए सामुदाणिया भेरी तेणेव उवागच्छति 2 तं सामुदाणियं भेरि महता 2 सद्देणं तालेति 3 / तते णं तीसे सामुदाणियाए भेरी ए महता 2 सद्दे ण तालियाए समाणीए समुद्दविजयपामोक्खा दस दसारा देवीश्रो उण भाणियब्वायो जाव अणंगसेणापामोक्खा अणेगा गणिया सहस्सा अन्ने य बहवे राईसर जाव सत्थवाहप्पभितितो राहाया जाव पायच्छित्ता सव्वालंकारविभूसिया जहाविभवढिसकारसमुदएणं अप्पेगइया हयगया जाव पुरिसवग्गुरापरिक्खित्ता जेणेव कराहे वासुदेवे तेणेव उवागच्छंति 2 करतल नाव कराहं वासुदेवं जएणं विजएणं वद्धावेंति 4 // सू 0 127 // तते णं से कराहे वासुदेवे कोडुबियपुरिसे एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! अाभिसेकहत्थिं कप्पेह हयगयरहपवर जाव पचप्पिणंति 1 / तते णं से कराहे वासुदेवे मजणघरे जाव दुरूढे अट्ठमंगलगा जहा कूणिए सेयवरचामरेहि उद्धब्बमाणेहि 2 समुहविजय पामोक्खेहिं दसहिं दसारेहिं जाव सत्थवाहप्पभितीहिं सद्धिं संपरिवुडे सब्वि ड्डीए जाव रवेणं बारवई नगरि मज्झ मज्झेणं सेसं जहा कूणियो जाव पज्जुवासइ 2 / तते णं तस्स निसढस्स कुमारस्स उप्पिं पासायवरगयस्स तं महता जणसद्द च जहा जमाली जाव धम्मं सोचा निसम्म वंदइ नमसइ 2 एवं वदासी-सदहामि णं भंते ! निग्गंथं पावयणं जहा चित्तो जाव सावग 62 Page #525 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 468) [ श्रीमदागमसुर्धासिन्धुः :: सप्तमो विभागः धम्म पडिवज्जति 2 पडिगते 3 // सू० 128 // तेणं कालेणं 2 अरहा अरिटुनेमिस्स अंतेवासी वरदत्ते नामं अणगारे उराले जाव विहरति 1 / तते णं से वरदत्ते अणगारे निसदं कुमारं पासति 2 जातसद्धे जाव पज्जुवासमाणे एवं वयासी-ग्रहो णं भंते ! निसढे कुमारे इट्टे इट्टरूवे कते कंतरूवे एवं पिए मणुन्नए मणामे मणामरूवे सोमे सोमरूवे पियदंसणे सुरुवे 2 / निसढे णं भंते ! कुमारे णं अयमेयारूवे माणुयइड्डी किणा लद्धा ? किणा पत्ता ? पुच्छा जहा सूरियाभस्स, एवं खलु वरदत्ता ! तेणं कालेणं 2 इहेव जंबुद्दीवे 2 भारहे वासे रोहीडए नामं नगरे होत्था, रिद्ध, मेहवन्ने उजाणे मणिदत्तस्स जक्खस्स जक्खाययणे 3 / तत्थ णं रोहीडए नगरे महब्बले नामं राया, पउमावई नामं देवी, अन्नया कदाइ तंसि तारिसगंसि सयणिज्जंसि सीहं सुमिणे, एवं जम्मणं भाणियव्वं जहा महब्बलस्स, नवरं वीरंगतो नाम बत्तीसतो दातो बत्तीसाए रायवरकन्नगाणं. पाणिं जाव श्रोगिजमाणे 2 पाउसवरिसारत्त-सरयहेमंतगिम्हवसंते छप्पि उऊ जहाविभवे समाणे काले गालेमाणे इ8 सद्दे जाव विहरति 4 // सू० 121 // तेणं कालेणं 2 सिद्धत्था नाम पायरिया जातिसंपन्ना जहा केसी, नवरं बहुस्सुया बहुपरिवारा जेणेव रोहीडए नगरे जेणेव मेहवन्ने उजाणे जेणेव मणिदत्तस्स जक्खस्स जक्खाययणे तेणेव उवागते, अहापडिरूवं जाव विहरति, परिसा निग्गया 1 / तते णं तस्स वीरंगतस्स कुमारस्स उप्पिं पासायवरगतस्स तं महता जणसह च जहा जमाली निग्गतो धम्मं सोचा जं नवरं देवाणुप्पिया ! अम्मापियरो श्रापुच्छामि जहा जमाली तहेव निक्खंतो जाव श्रणगारे जाते जाव गुत्तवंभयारी 2 // सू० 130 ॥-तते णं से वीरंगते श्रणगारे सिद्धत्थाणं पायरियाणं अंतिए सामाइयमादियाइं जाव एकारस अंगाई अहिजति 2 बहूई जाव चउत्थ जाव अप्पामां भावेमाणे. बहुपडि. पुराणाई पणयालीसवासाई सामनपरियायं पाउणिवा दोमासियाए संलेहणाए Page #526 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीनिरयावलिकास्त्रं : वहिदशानामकः वर्गः 5 ] [ 466 अत्ताणं झूसित्ता सवीसं भत्तसयं अणसणाए छेदित्ता पालोइयपडिक्कते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा बंभलोए कप्पे मणोरमे विमाणे देवताए उववन्ने 3 / तत्थ णं अत्थेगइयाणं देवाणं दससागरोवमाइं ठिई पत्नत्ता 4 / तत्थ णं वीरंगयस्स देवस्स दससागरोवमाइं ठिई पराणत्ता 5 // सू० 131 // से णं वीरंगते देवे तातो देवलोगायो श्राउपखएणं जाव श्रणंतरं चयं चइत्ता इहेव बारवईए नयरीए बलदेवस्स रनों रेवईए देवीए कुच्छिसि पुत्तत्ताए उववन्ने 1 / तते णं सा रेवती देवी तंसि तारिसगंसि सयणिज्जंसि * सुमिणदंसणं जाव उप्पि पासायवरगते विहरति 2 / तं एवं खलु वरदत्ता ! निसढेणं कुमारेणं श्रयमेयारूवे श्रोराले मणुयइड्डी लद्धा 3 // सू० 132 // पभू णं भंते ! निसढे कुमारे देवाणुप्पियाणं अंतिए मुडे जाव. पव्वइत्तए ? हंता पभू ! से एवं भंते ! से .. एवं भंते ! इइ वरदत्ते श्रणगारे जाव अप्पाणं भावेमाणे विहरति // सू० 133 // तते णं अरहा अरिहनेमी अण्णदा कदाइ बारवतीयो नगरीयो जाव बहिया जणवयविहारं विहरति, निसढे कुमारे संमणोवासए जाए अभिगतजीवाजीवे जाव विहरति 1 / तते णं से निसढे कुमारे अराणया कयाइ जेणेव पोसहसाला तेणेव उवागच्छति 2 जाव दभसंथारोवगते विहरति 2 / तते णं तस्स निसढस्स कुमारस्स पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि धम्मजागरियं जागरमाणस्स इमेयारूवे अज्झथिए जाव समुपजित्था-धन्ना णं ते गामागर जाव संनिवेसा जत्थ णं अरहा रिट्ठनेमी विहरति, धन्ना णं ते राईसर जाव सत्थवाहप्पभितियो जे णं अरिहनेमीं वंदंति नमसंति जाव पज्जुवासंति, जति णं अरहा अरिटुनेमी पुव्वाणुपुरि नंदणवणे विहरेजा तेणं अहं अरहं रिटनेमि वंदिजा जाव पज्जुवासिजा 3 // सू० 134 // तते णं परहा अरिट्ठनेमी निसढस्स कुमारस्स अयमेयारूवं अज्झत्थिय जाव वियाणित्ता अट्ठारसहिं समणसहस्सेहिं जाव Page #527 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 500 ] [-श्रीमदागमसुधा'सन्धुः / सप्तमी विभागः नंदणवणे उजाणे विहरति परिसा निग्गया 1 / तते णं निसढे कुमारे इमीसे कहाए लद्ध? समाणे हट्टतु? चाउग्घंटेणं अासरहेणं निग्गते, जहा जमाली, जाव अम्मापियरो यापुच्छित्ता पवयिते, अणगारे जाते जाव गुत्तभयारी 2 // सू० 135 // तते णं से निसढे अणगारे अरहतो अरिट्टनेमिस्स तहारवाणं थेराणं अंतिए सामाइयमाइयाइं एकारसभंगाई अहिजति 2 बहूई चउत्थछट्ट जाव विचित्तेहिं तवोकम्मेहिं अप्पाणं भावमाणे बहुपडिपुराणाई नव वासाई सामराणपरियागं पाउणति बायालीसं भत्ताई श्रणसणाए छेदेति, बालोइयपडिक्कते समाहिपत्ते पाणुपुवीए कालगते // सू० 136 // तते णं से वरदत्ते अणगारे निसढं श्रणगारं कालगतं जाणित्ता जेणेव अरहा अरिहनेमी तेणेव उवागच्छति 2 जाव एवं वयासीएवं खलु देवाणुप्पियाणं अंतेवासी निसढे नाम श्रणगारे पगतिभदए जाव विणीए से णं भंते ! निसढे अणगारे कालमासे कालं किच्चा कहिं गते ? कहिं उबवराणे ? वरदत्तादि ! अरहा अरिट्ठनेमी वरदत्तं अणगारं एवं वयासीएवं खलु वरदत्ता ! ममं. अंतेवासी निसढे नाम श्रणगारे पगइभहे जाव विणीए ममं तहारुवाणं थेराणं अंतिए सामाइयमाझ्याइं एकारसभंगाई अहिजिता बहुपडिपुराणाइं नव वासाइं सामराणपरियागं पाउणित्ता बायालीसं भत्ताई श्रणसणाए छेदेत्ता थालोइयपडिक्कते समाहिपत्ते कालमासे कालं किचा उ8 चंदिमसूरियगहनक्खत्ततारारुवाणं सोहम्मीसाण जाव अच्चुते तिगिण य अट्ठारसुत्तरे गेविजविमाणे वाससते वीतीवतित्ता सव्वट्ठसिद्धविमाणे देवत्ताए उववरणे 1 / तत्थ णं देवाणं तेत्तीसं सागरोवमाई ठिई पराणत्ता 2 // सू० 137 // से णं भंते ! निसढे देवे तातो देवलोगायो श्राउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं अणंतरं चयं चइत्ता कहिं गच्छिहिति ? कहिं उववजिहिति ? वरदत्ता ! इहेव जंबुद्दीवे 2 महाविदेहे वासे उन्ना(ता)ते नगरे विसुद्धपिइवंसे रायकुले पुत्तत्ताए पचायाहिति 1 / तते णं से उम्मुक्क Page #528 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीनिरयावलिकासूत्र :: वह्निदशानामकः वग्गः 5 ] बालभावे विगणयपरिणयमित्ते जोव्वणगमणुप्पत्ते तहारूवाणं थेराणं अंतिए केवलबोहिं बुद्धिमत्ता अगाराथो श्रणगारियं पवजिहिति 2 / से णं तत्थ श्रणगारे भविस्सति 3 / इरियासमिते जाव गुत्तवंभयारी 4 / से णं तत्थ बहूहिं चउत्थछट्टट्ठमदसमदुवालसेहिं मासद्धमासखमणेहिं विचित्तेहिं तवोकम्मेहि अप्पाणं भावेमाणे बहूई वासाई सामगणपरियागं पाउणिस्सति 2 मासियाए संलेहणाए अत्ताणं भूसिहिति 2 सढि भत्ताई श्रणसणाए छेदिहिति 5 / जस्सट्टाए कीरति णग्गभावे मुडभावे राहाणए जाव श्रदंतवणए अच्छत्तए श्रणोवाहणाए फलहसेना कटुसेजा केसलोए बंभचेरवासे परघरपवेसे पिंडवाउलद्धावलद्धे उच्चावया य गामकंटया अहियासिजति, तम४ श्राराहेहिति, पाराहित्ता चरिमेहिं उस्सासनिस्सासेहि सिज्झिहिति बुझिहिति जाव सवदुक्खाणं अंतं काहिति 6 // सू० 138 // एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं. जाव निक्खेवो. 1 / एवं सेसा वि एक्कारस अज्झयणा नेयव्वा संगहणी अणुसारेण बहीणमइरित्त एकारससु वि 2 // सू० 131 // ॥पंचमो वग्गो समचो // 5 // ... निरयावलियासुयखंधो समत्तो। संमत्ताणि उवंगाणि / निरयावलिया उवंगे णं एगो सुयखंधो पंच वग्गा पंचसु दिवसेसु उहिस्संति, तत्थ चउसु वग्गेसु दस दस उद्दे सगा, पंचमवग्गे वारस उद्देसगा। निरयावलियासुयखंधो समतो / निरयावलियासुत्तं समत्तं // ग्रंथाग्रं 1100 // // इति श्री निरयावलिकासूत्रम् // Page #529 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री हर्ष-पुष्पामत जैन ग्रन्थमाला UST 1-50 1-25 प्रन्थनु नाम मूल्य रु० पैसे 1. दीखानु सुन्दर स्वरूप 2. विधियुक्त पौषधविधि 3 स्वाध्याय सुधारस (नूतन सज्झायो) 4. स्तवनामृत संग्रह 5. जिनेन्द्र भक्ति भावना (चोथी आवृत्ति) . . 6 चतुर्विशतिजिन चैत्यबंदनादि .7 : नवस्मरणादि स्तोत्र संग्रह। 8 जयविजय कथानकम : श्री लेखामृत संग्रह मा० 1 लो .10 सद्गुरुवंदन चैत्यवंदन सामायिक विधि / 11 चौद नियम धारवानी बुक (त्रीजी-आवृत्ति) 12 लेखामृत संग्रह भा०२ जो 13 अमृत बिन्दु 14 जिनेन्द्र भक्ति सुधा (आवृत्ति चोथी) 15 सोम भीम कथा तथा तपोमूर्ति पू० मा० श्री विजय कर्परसूरिजी म. नु जीवन चरित्र , . . 16 संक्षिप्त श्राद्धधर्म प्रथम भाग 2-50 17 स्नात्रपूजा अर्थ साथे स्तवनादि 18 श्री लेखामृत संग्रह भाग.३ 16 होलिका व्याख्यान (त्रीजी भावृत्ति) 0-20 20 मंगल कलश कथा. 21 प्रभु महावीर देव (त्रीजी भावृत्ति) . 22 नित्यनोध . . . 0-20 23 बे प्रतिक्रमण सूत्र (बीजी भावृत्ति) 24 श्री विविध पूजामृत संग्रह .. छपाय छे 25 महात्मा मत्स्योदर ... . .. 26. श्री लेखामृत संग्रह भा.४ 0-75 27 .."; " भा. 5 . 0-75 28 , भा.६ - .26 श्री अमृत गहुंली संग्रह . ......... 0-75 30 श्री जिनेन्द्र पूजा संग्रह 1-00 31 श्री जिनेन्द्र पूजा पीयूष (बीजी आवृत्ति) 32 तिथिचर्चामां सत्यनु स्पष्टीकरण / / / 0-30 Page #530 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मूल्य रु०पैसे 0-20 0-40 0-25 *-30 0-14 12-00 0-20 1-25 0-80 0-20 ग्रंथांक ग्रंथनु नाम 33 सामायिक चैत्यवंदनादि सूत्रो (त्रीजी आवृत्ति) 34 महासती सुलसा 35 शास्त्रदर्पण [पर्व भाराधना अंगे प्रमाणो] 36 अक्षय तृतीया [सचित्र] 37 कार्तिक पूर्णिमा महिमा 38. छन्दोमृतरसः 34.. समेतसिखर तीर्थबंदना 40 नारकी चित्रावली त्रिीजी आवृत्ति) 41 शत्रुञ्जय-तीर्थवंदना (बीजी मावृत्ति) 42 भक्तामर सौरभ (महिमा कथाओ) 43 नारकी चित्रावली (हिन्दी) 44 मनोहर स्वाध्याय सौरभ (उत्तराध्ययन मूल) ४५...महामन्त्र प्रमाव . 46 श्री नमस्कार पद स्तवना ..... 47 वार्ता विहार 48 सत्कर्म चित्रावली (बीजी अ वृत्ति) 4. कल्पसूत्र पूजा व्याख्यान (सचित्र) 50 पू० बापजीमा नो खुलासो 51 कुलभूषण (सचित्र कथा) 52 लक्ष्मी सरस्वती संवाद 53 श्री आचारांग मूल 54 सुनंदा रूपसेन . 55 पारसमणि-(वार्तासंग्रह) 56 जन्म पत्रिका रजीस्टर (300 कुणाली माटे) 50 धनञ्जय नाममाला .58 जिनेन्द्र संगीतमाला 56 अनेकार्थ संग्रह सटीक भाग 1 लो 6. जय शंखेश्वरनाथ 61 चैत्री पूर्णिमानो महिमा 62 उपासक दशा सटीक .. 63 अंतकृत दशा भनुत्तरोपातक दशा सटीक 64 नवस्मरण अने गौतमस्वामी रास (प्रत) 65 श्री सूत्रकृतांग सूत्र मूल 66 श्री स्थानांग सूत्र मूल भी समवायांग सूत्र छपाय छे. -20 .. 10-00 1-25 4-00 3-50 10-00 0-50 5-00 12-50 25-.. 15-00 Page #531 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 60-00 " " भा. मी., . प्रयांक ग्रंथ नाम मूल्य रुपैसे 66 श्री नागम सुधा सिन्धु भा. . . भा. 2 65.-00 65-00 70-80 भा. 5 ६५-ॐ मा. 6 75-00 मा.. 25-00 भा. भा. 10 भा. 11 40-00 35-00 भा. 13 35-0. मा.१४. 2 सिरिनबंध 3 मकिरस प्यासा 4 देव वंदन माला 'पातञ्जलयोगदर्सन (पू०-यशो वि०म०टीका) . छपाय के - योग विशिका सटीक. . . " श्री माचारांग सटीक : मां. 12 IITTER Page #532 -------------------------------------------------------------------------- _