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________________ 12 ] / श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: मनमो विभागः से किं तं उमिए ?. 2 दुविहे पराणत्ते, तंजहा-पालयोवमे य नागरीवमे य, से किं तं पलियोवमे ?, पलियोवमस्म परूवणं करिस्मामि, परमाणू दुविहे पराणत्ते, तंजहा-सुहुमे अ वावहारिए य 1 / अणंताणं सहुमपरमाणुपुग्गलाणं समुदय समिइसमागमेणं वावहारिए परमाणू गिफजइ तत्य णो सत्थं कमइ-'सत्येण सुतिक्खेणावि छेत्तु भित्तुच जं किर गण सका। तं परमाणु सिद्धा वयंति बाई पमाणाणं // 1 // 2 / याताणं वावहारि. अपरमाणूणं समुदयसमिइसमागमेणं सा एगा उस्सराहसरिहयाइ वा सरािहसहियाइ वा उद्धरेगाइ वा तसरेाइ वा रहरेगाइ वा वालग्गेइ वा लिक्खाइ वा जूयाइ वा जयमन्भेइ वा उस्सेहंगुले इ वा 3 / अट्ट उस्सराहसगिहयायो सा एगा सराहसरिहया अट्ट सगहसरियायो सा एगा उद्धरेगा अट्ट उद्धरेणूयो सा एगा तसरेणू य? तसरेणूयो सा एगा रहरेगा पट्ट रहरेणूयो से एगे देवकुरूत्तरकुराण मणुस्साणं वालागे अट्ठ देवकुरुत्तरकुराण मणुस्साण वालग्गा से एगे हरिवासरम्मयवासाण मणुस्साणं बालग्गे 4 / एवं हमवयहेरगणवयाण मणुस्साणं पुचविदेहयवरविदेहाणं मणुस्साण वालग्गा सा एगा लिक्खा अट्ट लिक्खायो सा एगा जूया अट्ट जूयायो से एगे जवमझे अट्ट जबममा से एगे यंगुले एतेणं यंगुलप्पमाणेणं छ यंगुलाई पायो बारस अंगुलाइ विहत्थी चउवीसं अंगुलाई रयणी यडयालीसं यंगुलाई कुच्छी छराणउई अंगुलाई से एगे अक्खेइ वा दंडेइ वा पराइ वा जुगेइ वा मुसलेइ वा णालियाइ वा 5 / एतेणं धणुप्पमागेणं दो घणुसहस्साई गाउयं चत्तारि गाउयाई जोगणं, एएणं जोश्रणप्पमागोणं जे पल्ले जोयणं आयामविक्खंभेणं जोयणं उड्ड उच्चत्तेणं तं तिगुणं सविसेसं परिक्खवेणं, से णं पल्ले एगाहियवेहियतेहिश्र उक्कोसेणं सत्तरत्तपरूढाणं संम? सरिणचिए भरिए वालग्गकोडीणं 6 / ते ग वालग्गा णो कुत्थेजा णो परिविद्धंसेजा, णो अग्गी डहेजा, णो वाए हरेजा, णो पूइत्ताए
SR No.004368
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1978
Total Pages532
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_jambudwipapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, & agam_vrushnidasha
File Size13 MB
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