________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्रं :: षष्ठो वक्षस्कारः ] [ 186 सेत्तं जुगसंवच्छरे 5 / पमाणसंवच्छरे णं भंते ! कतिविहे पराणत्ते ?, गोमा ! पंचविहे पराणत्ते, तंजहा-क्खत्ते चंदे उऊ प्राइच्चे अभिवद्धिए, सेत्तं पमाणसंवच्छरे 6 / लक्खणसंवच्छरे णं भंते ! कतिविहे पराणते ?, गोमा ! पंचविहे पराणत्ते, तंजहा- “समयं नक्खत्ता जोगं जोयंति समयं उऊ परिणामंति। णच्चुराह णाइसीश्रो बहूदश्रो होइ णक्खत्ते // 1 // ससि सममपुराणमासिं जोएती विसमचारिणक्खत्ता / कडयो बहुदयो था तमाहु संवच्छरं चंदं // 2 // विसमं पवालिणो परिणमंति अणुऊसु दिति पुष्फफलं / वासं न सम्म वासइ तमाहु संवच्छरं कम्मं // 3 // पुढविदगाणं च रसं पुष्फफलाणं च देइ श्राइचो / अप्पेणवि वासेणं सम्मं निष्फजए सस्सं // 4 // प्राइचतेयतविश्रा खणलवदिवसा उऊ परिणमंति। पूरेइ श्रणिराणयथले तमाहु अभिवद्धियं जाण // 5 // से तं गावखत्तसंवच्छरे 7 / सणिच्छरसंवच्छरे णं भंते ! कतिविहे पराणत्ते ?, गोत्रमा ! अट्टाविसइविहे पराणत्ते, तंजहा-अभिई सवणे धणिट्ठा सयभिसया दो अ होति भद्दवया / रेवइ अस्सिणि भरणी कत्तिय तह रोहिणी चेव // 1 // जाव उत्तरायो श्रासाढायो जं वा सणिचरे महग्गहे तीसाए संबच्छरेहिं . सव्वं णक्खत्तमंडलं समाणेइ सेत्तं सणिचरसंवच्छरे 8 // सूत्रं 152 // एगमेगस्स णं भंते ! संवच्छरस्स कइ मासा पराणत्ता ?, गोत्रमा ! दुवालस मासा पराणत्ता, तेसि णं दुविहा णामधेजा पराणत्ता, तंजहा-लोइया लोउत्तरिया य, तत्थ लोइया णामा इमे, तंजहा-सावणे भद्दवए जाव यासाढे, लोउत्तरियाणामा इमे, तंजहा-अभिणदिए पइ8 श्र, विजए पीइवद्धणे / सेअंसे य सिवे चेव, सिसिरे अ सहेमवं // 1 // णवमे वसंतमासे, दसमे कुसुमसंभवे / एकारसे निदाहे अ, वणविरोहे श्र बारसमे // 2 // 1 / एगमेगस्स णं भंते ! मासस्स कति पक्खा पराणत्ता ?, गोत्रमा! दो पक्खा पराणत्ता, तंजहा-बहुलपक्खे अ सुक्पवखे श्र२। एगमेगस्स