________________ श्रीमच्चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्रं :: प्रा० 20 ] [ 325 भवइ 20 / तमेव सुक्कपक्खे उवदंसेमाणे उवदंसेमाणे चिट्ठइ, तंजहा-पढमाए पढमं भागं जाव पराणरसीए पराणरसमं भागं, चरिमे समए चंदे विरत्ते भवइ, अवसेससमए चंदे रत्ते य विरत्ते य भवइ 21 / तत्थ णं जे ते पवराहू से जहरणेणं छराहं मासाणं, उक्कोसेणं बायालीसाए मासाणं चंदस्स, अडयालीसाए संवच्छराणं सूरस्स 22 // सू० 103 // ता से केण?णं एवं वुबति, तंजहा-चंदे ससी 2 (वाहितेति वदेजा) ? ता ( चंदस्स णं जोइसिंदस्स जोइसरगणो मियंके विमाणे कंता देवा, कंतायो देवीश्रो, कंताई पासण-संयण-खंभभंडमत्तोवगरणाई अप्पणावि ) चंदे णं देवे जोइसिंदे जोइसराया सोम्मे कंते सुभगे पियदंसणे सुरूवे ता से एतेण?णं एवं वुचति-(एवं खलु) चंदे ससी चंदे ससी (ग्राहिएति वएन्जा) 1 / ता से केण?णं एवं वुञ्चति-कहं ते सूरे श्राइच्चे 2 (ग्राहिएति वएजा) ? ता सूराईया णं समयाइ वा श्रावलियाइ वा श्राणापागूइ वा थोवेइ वा जाव उस्सप्पिणी इ वा श्रोसप्पिणी इ वा से एएणं अट्ठणं एवं वुच्चति-(एवं खलु) सूरे थाइच्चे 2 (ग्राहिएति वएजा) 2 // सूत्रं 104 // ता चंदस्स णं जोइसिंदस्स जोइसरराणो कइ अग्गमहिसीयो पराणत्तायो ? चत्तारि अग्गमहिसीनो पराणत्तायो, तंजहा-चंदप्पभा 1, दोसिणाभा 2, अचिमाली 3, पभंकरा 4, 1 / तत्थ णं एगमेगाए देवीए चत्तारि 2 एवं चेव पुव्वभणितं अट्ठारसमे पाहुडे तहा णायव्वं जाव मेहुणवत्तियं 2 (जहा हेट्टा तं चेव जाव णो चेव मेहुणवत्तियं) 2 / एवं सूरस्स (वि णेयव्वं) 3 / ता चंदिमसूरिया णं जोइसिंदा जोइसरायाणो केरिसए कामभोगे पञ्चणुब्भवमाणा विहरंति ? ता से जहा नामए केई पुरिसे पढमजोव्वणुट्ठाणबलसमत्थे पढमजोव्वणुट्टाणवलसमत्थाए भारियाए सद्धिं अचिरवत्तविवाहे अत्थत्थी अत्थगवेसणयाए सोलसवासविप्पवसिए, ता से णं तो लट्ठ कयकज्जे अणहसमग्गे पुणरवि सयंगिह हव्वमागए गहाए कयबलिकम्मे कयकोउय