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________________ 446 ) [श्रीमदागमसुधासिन्धुः : सप्तमो विभागः सोमे सहिते अस्सासणे य कजोवए य कव्वरए। अयकरए दुदुभए संखसणामावि तिराणेव // 2 // तिन्नेव कंसणामा गीले रुप्पी य हुँति चत्तारि / भास तिल पुष्फवराणे दगवराणे काय वधे य // 3 // इंदग्गि धूमकेतू हरि पिंगलए बुधे य सुक्क य / वहसति राहु अगत्थी माणवए कामफासे य॥४॥धुरए पमुहे वियडे विसंधिकप्पे तहा पयल्ले य। जडियालए य अरुणे अग्गिल काले महाकाले // 5 // सोत्थिये सोवत्थिये वद्धमाणग तधा पलंबे य। णिचालोए णिच्चुज्जोए सयंपभे चेव श्रोभासे // 6 // सेयंकर खेमंकर श्राभंकर पभंकरे य बोद्धव्वे / अरए विरए य तहा असोग तह वीतसोगे य॥७॥ विमले वितत विवस्थे विसाल तह साल सु वते चेव / अणियट्टी एगजडी य होइ बिजडी य बोद्धव्वो॥ 8 // कर करिए रायऽग्गल बोद्धव्वे पुप्फ भाव केतू य / थट्टासीति गहा खलु णेयव्वा थाणु. पुव्वीए // 1 // 2 // सूत्रं 106 // इति एस पाहुडत्था अभव्वजण-हिययदुल्लहा इणमो। उकित्तिता भगवती जोतिसरायस्स परणत्ती // 1 // एस गहितावि संता थद्धे गारविय-माणिपडिणीए / अबहुस्सुए ण देया तब्विवरीते भवे देया // 2 // सदाधिति-उट्ठाणुच्छाह-कम्म-बल-विरियपुरिसकारेहिं / जो सिक्खियोवि संतो अभायणे पक्खिवे(रिकह)जाहि॥३॥ सो पवयण-कुल-गणसंघबाहिरो णाण-विणयपरिहीणो। अरहंत-थेर-गणहरमेरं किर होति वोलीणो // 4 // तम्हा धिति-उठाणुच्छाह-कम्मबल-विरियसिविखयं णाणं / धारेयवं णियमा ण य अविणएसु दायव्वं // 5 // वीरवरस्स भगवतो जरमरणकिलेसदोसरहियस्स / वंदामि विणयपणतो सोक्खुप्पाए सया पाए॥६॥सूत्रं 107 // // इति विशतितमं प्राभूतम् // 20 // // इति श्रीसूर्यप्रज्ञप्तिसूत्रम् // // इति षष्ठमुपाङ्ग समाप्तम् // // ग्रन्थाग्रं 2200 //
SR No.004368
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1978
Total Pages532
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_jambudwipapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, & agam_vrushnidasha
File Size13 MB
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