________________ 172 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः सूरमंडले पराणत्ते 7 / एवं खलु एएणं उवाएणं पविसमाणे सूरिए तयाणंतरायो मंडलायो तयाणंतरं मंडलं संकममाणे 2 दो दो जोषणाई अडयालीसं च एगसट्ठिभाए जोयणस्स एगमेगे मंडले अबाहावुद्धिं णिवुद्रमाणे 2 सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ 5,8 // सूत्रं 132 // जंबुद्दीवे दीवे सव्वभंतरे णं भंते! सूरमंडले केवइयं पायामविक्खंभेणं केवइयं परिक्खेवेणं पराणते ?, गोयमा ! णवणउई जोश्रणसहस्साई छच्च चत्ताले जोश्रणसए अायामविक्खंभेणं तिरिण य जोश्रणसयसहस्साई पराणरस य जोश्रणसहस्साई एगणणउइं च जोषणाई किंचिविसेसाहिबाई परिक्खेवेणं 1 / अभंतराणंतरे णं भंते ! सूरमंडले केवइयं पायामविक्खंभेणं केवइयं परिक्खेवेणं पराणते ?, गोत्रमा ! णवणउई जोत्रणसहस्साई छच्च पणयाले जोत्रणसए पणतीसं च एगसट्ठिभाए जोत्रणस्स आयामविक्खंभेणं तिगिण जोश्रणसयसहस्साई पराणरस य जोअणसहस्साइं एगं सत्तुत्तरं जोग्रणसयं परिक्खेवेणं पराणते 2 / अभंतरतच्चे णं भंते ! सूरमंडले केवइयं पायामविक्खंभेणं केवइयं परिक्खेवेणं पराणते ?, गोयमा ! णवणउई जोश्रणसहस्साई छच्च एकावराणे जोश्रणसए णव य एगसट्ठिभाए जोअणस्स थायामविक्खंभेणं तिरिण अ जोश्रणसयसहस्साई पराणरस जोश्रणसहस्साई एगं च पणवीसं जोत्रणसयं परिक्खेवेणं 3 / एवं खलु एतेणं उवाएणं णिक्खममाणे सूरिए तयाणंतरायो मंडलायो तयाणंतरं मंडलं उवसंकममाणे 2 पंच 2 जोश्रणाइं पणतीसं च एगसट्ठिभाए जोयणस्स एगमेगे मंडले विक्खंभवुद्धिं अभिवद्धेमाणे 2 अट्ठारस 2 जोषणाई परिरयवृद्धिं अभिवद्धेमाणे 2 सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ 4 / सव्वबाहिरए णं भंते ! सूरमंडले केवइयं पायामविक्खंभेणं केवइग्रं परिक्खेवेणं पराणत्ते ? गोयमा ! एग जोयणसयसहस्सं छच्च सट्टे जोश्रणसए आयामविक्खंभेणं तिगिण श्र जोत्रणसयसहस्साइं अट्ठारस य सहस्साई तिरिण श्र पराणरसुत्तरे जोश्रण