________________ श्रीमचन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्रं :: प्रा० 10 प्रा० 19-20 ] / 281 // अथ दशमप्राभृते एकोनविंशतितमं प्राभृतप्राभृतम् // ता कहं ते मासा आहियाति वएजा ? ता एगमेगस्स णं संवच्छरस्स बारस मासा पराणत्ता 1 / तेसिं च णं बारसरहं मासाणं दुविहा नामधेजा पराणत्ता, तं जहा-लोइया लोउत्तरिया य 2 / तत्थ लोइया नामा -सावणे भद्दवए 2, आसोए 3, जाव श्रासाढे 12, 3 / लोउत्तरिया णामा-“अभिणंदे 1. सुपइ8 2 य, विजए 3 पीइवद्धणे 4 / सेज्जंसे 5 य सिवइ 6 यावइ, सिसिरे 7 वि य हेमवं 8 // 1 // नवमे वसंतमासे 1, दसमे कुसुम संभवे 10 एगारसमे णिदाहे 11, वणविरोही य बारसे 12 // 2 ॥४॥सूत्रं 53 // दसमस्त पाहुडस्स एगूणवीसतितमं पाहुडपाहुडं समत्तं // 10-11 // // अथ दशमप्राभते विंशतितमं प्राभृतप्रामृतम् // ता कहं ते संवच्छरा श्राहितेति वएज्जा 1 / ता पंच संवच्छरा श्राहिता. तं जहा-णक्खत्तसंबच्छरे 1, जुगसंवच्छरे 2, पमाणसंवच्छरे 3, लक्खणसंवच्छरे 4, सणिच्छरसंवच्छरे 2 // सूत्रं 54 // ता णक्खत्तसंवच्छरे णं दुवालसविहे पण्णत्ते, तं जहा-सावणे 1 भद्दवए 2 जाव श्रासाढे 12, 1 / जं वा बहस्सई महग्गहे दुवालसहिं संवच्छरेहिं सव्वं णक्खत्तमंडलं समाणेइ 2 // सूत्रं 55 // ता जुगसंवत्सरेणं पंचविहे पराणत्ते, तं जहा-चंदे 1 चंदे 2 अभिवड्डिए 3 चंदे 4 अभिवडिए चेव 5, 1 / ता पढमस्स णं चंदसंवच्छरस्स चउव्वीसं पव्वा पराणत्ता 1, दोच्चस्स णं चंदसंवच्छरस्स चउवीसं पव्वा पराणत्ता 2, तच्चस्स णं अभिवडियसंवच्छरस्स छव्वीसं पव्वा पराणत्ता 3, चउत्थस्स णं चंदसंवच्छरस्स चउवीसं पव्वा पराणत्ता 4, पंचमस्स णं अभिवडियसंवच्छरस्स छव्वीसं पव्वा पराणत्ता 5, 2 / एवामेव सपुवावरेणं पंचसंवच्छरिए जुगे एगे चउवीसे पन्चसए भवतीति मक्खायं 3 // सूत्रं 56 // ता पमाणसंवच्छरे पंचविहे