________________ 282 ] / श्रीमदागमसुधासिन्धुः सप्तमो विभाग पराणत्ते, तं जहा-नक्खत्ते 1 चंदे 2, उऊ 3 श्राइच्चे 4 अभिवडिए 5 . // सूत्रं 57 // ता लक्खणसंवच्छरे पंचविहे पराणत्ते, तं जहा-णक्खत्ते 1, चंदे 2, उऊ 3, प्राइच्चे 4, अभिवड्डिए 5, 1 / ता णक्खत्ते संवच्छरे णं पंचविहे पराणत्ते, तं जहा-समगं णक्खत्ता जोयं जोएंति समगं उऊपरिणमंति। नच्चुराहें नाइसीए, बहुउदए होइ णक्खत्ते // 1 // ससि समग पुराणमासिं, जोइंति विसमचारि णक्खत्ता / कडुबो बहुउदो य, तमाहु संवच्छरं चंदं // 2 // विसमं पवालिणो परिणमंति अणुऊसु दिति पुष्फफलं / वासं न सम्म वासइ, तमाहु संवच्छरं कम्मं // 3 // पुढविदगाणं च रसं, पुप्फफलाणं च देइ श्राइच्चे / अप्पेणवि वासेणं, सम्म निष्फजए सस्सं // 4 // श्राइच्चतेयतविया, खणलवदिवसा उऊ परिणमंति। परेइ निराणथलए, तमाहु अभिवडियं जाण // 5 // 2 / ता सणिच्छरसंवच्छरेणं अट्ठावीसइ विहे पराणत्ते, तं जहा-अभिई 1 सवणे 2 जाव उत्तरासादा 28, 3 / जं वा सणिच्छरे महग्गहे तीसाए संवच्छरेहिं सव्वं, णक्खत्तमंडलं समाणेइ 4 // सूत्रं 58 // दसमस्स पाहुडस्त वीसतिमं पाहुडपाहुडं समत्तं // 10-20 // // अथ दशमप्राभृते एकविंशतितमं प्रातभृप्रामृतम् // 6 ता कहते जोइसस्स दारा श्राहितेति वएज्जा ? तत्थ खलु इमायो पंच पडिवत्तीयो पराणत्तायो, तं जहा-तत्थेगे एवमाहंसु-ता कत्तियाईणं सत्त णक्खत्ता पुव्वदारिया पराणत्ता एगे एवमाहंसु 1, एगे पुण एवमाहंसु-ता महाईया सत्त णक्खत्ता पुव्वदारिया पराणत्ता, एगे एवमाहंसु 2 एगे पुराण एवमाहंसु-ता धणिट्ठाईया सत्त णक्खत्ता पुव्वदारिया पराणत्ता, एगे एवमाहंसु 3, एगे पुण एवमाहंसु-अस्सिणियाईया सत्त णक्खना पुव्वदारिया . .