________________ श्रीमच्चंद्रप्रज्ञप्तिसूत्रं : प्रा० 4] [ 243 // अथ चतुर्थ प्रामृतम् // ता कहं ते सेयते संठिई बाहियाति वएना ? तत्थ खलु इमा दुविहा संठिई पराणत्ता, तं जहा-चंदिमसूरियसंठिई य 1 तावक्खेत्तसंठिई य 2,1 / ता कहं ते चंदिमसूरियसंठिई श्राहियाति वएज्जा ? तत्थ खलु इमायो सोलस पडिवत्तीयो पराणत्तायो, तं जहा-तत्थेगे एवमाहंसु ता समचउरंस. संठिया णं चंदिमसूरियसंठिई पराणत्ता, एगे एवमाहंसु 1, एगे पुण एवमाहंसु-ता विसमचउरंससंठिया चंदिमसूरियसंठिई पराणत्ता, एगे एवमाहंसु 2, एवं एएण अभिलावेणं समचउक्कोणसंठिया 3, विसमचउकोणसंठिया 4, समचकगलसंठिया 5, विसमचकवालसंठिया 6, चक्कद्धचकवालसंठिया पराणत्ता, एगे एवमाहंसु 7. एगे पुण एवमाहंसु-ता छत्तागारसंठिया चंदिमसूरिय संठिती पन्नता 8, गेहसंठिया 1, गेहावणसंठिया 10, पासायसंठिया 11, गोपुरसंठिया 12, पेच्छाघरसंठिया 13, वलभीसंठिया 14, हम्मियतलसंठिया 15, वालग्गपोइया संठिया चंदिमसूरियसंठिई पराणत्ता, एगे एवमाहंसु 16, 2 / तत्थ णं जे ते एवमाहंसु-ता समचउरंससंठिया चंदिमसूरियसंठिई पराणत्ता, एएणं णएणं णेयव्वं नोचे णं इयरेहिं 3 / ता कहं ते तावखेत्तसंठिई श्राहियाति वएजा ? तत्थ खलु इमायो सोलस पडिवत्तीयो पराणत्तायो, तं जहा-तत्थ णं एगे एवमाहंसु-ता गेहसंठिया तावक्खेत्तसंठिई पराणत्ता 1, एवं तायो चेव अट्ठ पडिवत्तीयोणेयवायो जाव वालग्गपोइया संठिया तावक्खेत्तसंठिई पराणत्ता, एगे एवमाहंसु 8, एगे पुण एवमाहंसु-ता जस्संठिए जंबुद्दीवे दीवे तस्संठिया तावक्खेत्तसंठिई पराणत्ता, एगे एवमाहंसु 1, एगे पुण एवमाहंसु-ता जस्संठिए भारहे वासे तस्संठिया तावक्खेत्तसंठिई पराणत्ता, एगे एवमाहंसु 10, एवं उजाणसंठिया 11, निजाणसंठिया 12, एगो णिसधसंठिया 13, दुहश्रो णिसह