________________ 242 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः पुण एवमाहंसु-ता बायालीसं दीवसहस्सं बायालीसं समुद्दसहस्सं चंदिमसूरिया श्रोभासेंति 4, एगे एवमाहंसु 11, एगे पुण एवमाहंसुता बावत्तरं दीवसहस्सं बावत्तरं समुद्दसहस्सं चंदिमसूरिया श्रोभासेंति उज्जोवेति तवेंति पगासेंति, एगे एवमाहंसु 12, 1 / वयं पुण एवं वयामोता श्रयं णं जंबुद्दीवे दीवे सव्वद्दीवसमुद्दाणं जाव परिक्खेवेणं पराणत्ते 2 / से णं एगाए जगईए सव्वश्रो समंता संपरिक्खित्ते 3 / सा णं जगई अट्ठजोयणाई उट्ठ उच्चत्तेणं पराणत्ता एवं जहा जंबुद्दीवपण्णत्तीए जाव एवामेव सपुब्वावरेणं जंबुद्दीवे दीवे चोदस सलिलासयसहस्सा, छप्पराणं च सलिलासहस्सा भवंतीतिमक्खायं 4 / जंबुद्दीवे णं दीवे पंच चक्कभागसंठिता श्राहितात्ति वएजा 5 / ता कहं जंबुद्दीवे दीवे पंचचकभागसंठिए श्राहिएति वएज्जा ? ता जया णं एए दुवे सूरिया सबभंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति तया णं जंबुद्दीवस्स दीवस्स तिरिण पंचचकभागे श्रोभासेंति उज्जोवेति तवेंति पभासेंति, तं जहा-एगे वि सूरिए एगं दिवट्ठ पंचचकभागं श्रोभासेइ उज्जोवेइ तवेइ पगासेइ, एगे वि सूरिए एगं दिवढं पंच चकभागं श्रोभासेइ उज्जोवेइ तवेइ पगासेइ तया णं उत्तमकट्टपत्ते उकोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहरिणया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ 6 / ता जया णं एए दुवे सूरिया सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति तया णं जंबुद्दीवस्स दीवस्स दोगिण पंच चक्कभागे श्रोभासेंति उजोवेंति तति पगासेंति, ता एगे वि सूरिए एगं पंचचकवालभागं श्रोभासेइ उज्जोवेइ तवेइ पगासेइ तया णं उत्तमकट्टपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ, जहराणए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ 7 // सूत्रं २४॥ततियं पाहुडं समत्तं॥३॥ // इति तृतीयं प्राभृतम् // 3 // 00.