________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्र : तृतीयो वक्षस्कार : ] [57 इत्थीरयणस्स तिलगचोदसं भंडालंकारं कडगाणि श्र जाव पाभरणाणि श्र गेराहइ 2 ता ताए उकिटाए जाव सकारेइ सम्माणेइ 2 ता पडिविसज्जेइ जाव भोत्रणमंडवे, तहेव महामहिमा कयमालस्स पचप्पिणंति ६॥सूत्रं 51 // तए णं से भरहे राया कयमालस्स अट्टाहियाए महामहिमाए णिवत्ताए समाणीए सुसेणं सेणावई सदावेइ 2 ता एवं वयासी-गच्छाहि णं भो देवाणुप्पिा ! सिंधूए महाणईए पचत्थिमिल्लं णिक्खुढं ससिंधु-सागरगिरिमेरागं सम-विसम-णिक्खुडाणि श्रोत्रवेहि बोअवेत्ता अग्गाई वराई रयणाई पडिच्छाहि पडिच्छित्ता ममेप्रमाणत्तियं पञ्चप्पिणाहि 1 / तते णं से सेणावई बलस्स णेया भरहे वासंमि विस्सुअजसे महाबलपरक्कमे महप्पा अोसी तेअलक्खणजुत्ते मिलक्खुभासाविसारए चित्तवारुभासी भरहे वासंमि खिक्खुडाणं निराणाण य दुग्गमाण य दुप्पवेसाण य विश्राणए अत्थसत्थकुसले रयणं सेणावई सुसेणे भरहेणं रराणा एवं वुत्ते समाणे हटुतुट्टचित्तमाणंदिए जाव करयलपरिग्गहिश्र दसणहं सिरसावत्तं मत्थए. अंजलि कटु एवं सामी ! तहत्ति प्राणाए विणएणं वयणं पडिसुणेइ 2 ता भरहस्स रगणो अंतित्रानो पडिणिक्खमइ 2 ता जेणेव सए आवासे तेणेव उवागच्छइ 2 त्ता कोडविथपुरिसे सद्दावेइ 2 ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिश्रा ! श्राभिसेक्कं हत्थिरयणं पडिकप्पेह हयगयरहपवर जाव चाउरंगिणिं सेगणं सराणाहेहत्तिकटु जेणेव मजणघरे तेणेव उवागच्छइ 2 ता मजणघरं अणुपविसइ 2 ता राहाए कयवलिकम्मे कय-कोउत्र-मंगलपायच्छित्ते सन्नद्ध-बद्धवम्मिश्रकवए उप्पीलिअ-सरासणपट्टिए पिणद्ध-गेविज्जे बद्ध-श्राविद्ध-विमलवरचिंधपट्टे गहिबाउहप्पहरणे अणेग-गणनायग-दंडनायग जाव सद्धिं संपरिबुडे सकोरंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिजमाणेणं मंगल-जयसद्दकयालोए मजणघरायो पडिणिक्खमइ 2 त्ता जेणेव बाहिरिश्रा उवट्ठाणसाला जेणेव श्राभिसेक्के हस्थिरयो तेणेव उवागच्छइ 2 ता भाभिसेवक हत्थिरयणं दुरूढ़े