________________ श्रीमच्चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र :: प्रा०६ ] [247 पडिहणंति अदिद्रा वि णं पुग्गला सूरियस्स लेस्सं पडिहणंति, चरिमलेस्संतरगया वि पुग्गला सूरियस्स लेस्सं पडिहणंति 3 // सूत्रं 26 // चंदपन्नत्तीए पंचमं पाहुडं समत्तं // 5 // // अथ षष्ठं प्रामृतम् // ता कहं ते श्रोयसंठिई अाहितेति वएजा ? तत्थ खलु इमाश्रो पणवीसं पडिवत्तीयो पराणत्तात्रो, तंजहा-तत्थेगे एवमाहंसु ता अणुसमयमेव सूरियस्सोया अराणा उप्पजइ, अगणा अवेइ, एगे एवमाहंसु 1, एगे पुण एवमाहंसु ता अणुमुहुत्तमेव सूरियस्स श्रोया अराणा उप्पजइ अराणा अवेइ, एगे एवमाहंसु 2, एवं एएणं अभिलावेणं-ता अणुराइदियमेव 3, ता अणुपक्खमेव 4, ता अणुमासमेव 5, ता अणुउउमेव 6, ता अणुश्रयणमेव 7, ता. अणुसंवच्छरमेव 8, ता अणुजुगमेव 1, ता अणुवाससयमेव 10, ता अणुवाससहस्समेव 11, ता अणुवाससयसहस्समेव 12, ता अणुपुत्वमेव 13, ता अणुपुव्वसयमेव 14, ता अणुपुत्वसहस्समेव 15, ता अणुपुव्वसयसहस्समेव 16, ता अणुपलिग्रोवममेव 17, ता अणुपलिश्रोवमसयमेव 18, ता अणुपलिग्रोवमसहस्समेव 11, ता श्रणुपलिश्रोवमसयसहस्समेव 20, ता अणुसागरोवममेव 21, ता अणुसागरोवमसयमेव 22, ता अणुसागरोवमसहस्समेव 23, ता अणुसागरोवमसयसहस्समेव 24, एगे एवमाहंसु-ता अणुउस्सप्पिणि श्रोसप्पिणिमेव सूरियस्स श्रोया अराणा उप्पजइ अगणा अवेइ, एगे एवमाहंसु 25,1 / वयं पुण एवं वयामो-ता तीसं तीसं मुहुत्ते सूरियस्स श्रीया श्रवट्टिया भवइ, तेण परं सूरियस्स श्रोया अणवटिया भवइ २।छम्मासे सूरिए श्रीयं णिव्वुडढेइ, छम्मासे सूरिए श्रीयं अभिवुडढेइ 3 / णिक्खममाणे सूरिए देसं णिव्वुड्ढेइ, पविसमाणे सूरिए देसं अभिवुडढेइ 4 / तस्थ को हेऊ