________________ श्रीनिरयावलिकासूत्र :: पुष्पिका वर्गः 3 ]. [ 461 अंगाई अहिजइ 2 बहूहिं चउत्थछट्टट्ठम जाव भाविता बहूई वासाई सामगणपरियागं पाउणति 2 मासियाए संलेहणाए सर्टि भत्ताई अणसणाए छेदित्ता थालोइयपडिक्कते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा सोहम्मे कप्पे पुराणभद्दे विमाणे उववातसभाते देवसयणिज्जंसि जाव भासामणपज. त्तीए 1 / एवं खलु गोयमा ! पुगणभद्दे णं देवेणं सा दिव्वा देविड्डी जाव अभिसमराणागता 2 // सू० 107 // पुराणभहस्स णं भंते ! देवस्स केवइयं कालं ठिई पराणत्ता ? गोयमा ! दोसागरोवमाई ठिई पराणत्ता // सूत्रं 108 // पुराणभद्दणं भते! देवे तातो देवलोगातो जाव कहिं गच्छिहिति ? कहिं उववजिहिति ? गोयमा ! महाविदेहे वासे सिझिहिति जाव अंतं काहिति 1 / एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवता जाव संपत्तेणं निक्खेवश्रो २॥सूत्रं१०६॥५॥ जइ णं भंते ! समणेणं भगवया जाव संपत्तेणं उक्खेवो, एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं. 2 रायगिहे नगरे, गुणसिलए चेइए, सेणिए राया, सामी समोसरिते 1 / तेणं कालेणं 2 माणिभद्दे देवे सभाए सुहम्माए माणिभद्दसि सीहासणंसि चउहि सामाणियसाहस्सीहिं जहा पुराणभदो तहेव बागमणं 2 / नट्टविही, पुव्वभवपुच्छा, मणिवई नगरी, माणिभद्दे गाहावई थेराणं अंतिए पव्वजा, एकारस अंगाई अहिजति, बहूई वासाई परियातो मासिया संलेहणा सद्धि भत्ताई माणिभद्दे विमाणे उववातो, दोसागरोवमाई ठिई, महाविदेहे वासे सिज्झिहिति 3 / एवं खलु जंबू ! निक्खेवो 4 // सू० 110 // 6 // एवं दत्ते 7 सिवे 8 बले 1 श्रणाढिते 10 सव्वे जहा पुराणभद्दे देवे 1 / सव्वेसिं दोसागरोवमाई ठिती 2 / विमाणा देवसरिसनामा 3 / पुव्वभवे दत्ते चंदणाणामए, सिवे मिहिलाए, बलो हत्थिणपुरे नगरे,श्रणाढिते काकंदिते, चेइयाइं जहा संगहणीए ४॥सू०१११॥ // ततिओ वग्गो सम्मत्तो // 3 //