________________ श्रीनिरयावलिकास्त्रम् :: कल्पावतंसिका-वर्गः 2 ) [ 466 कुमारस्स पुत्ते पउमावईए देवीए अत्तए तं होउ णं अम्हं इमस्स दारगस्स नामधिज्ज पउमे पउमे 5 / सेसं जहा महब्बलस्स अट्टो दातो जाव उप्पि पासायवरगते विहरति 6 // सू० 57 // सामी समोसरिए परिसा निग्गया कूणिते निग्गते 1 / पउमे वि जहा महब्बले निग्गते तहेव अम्मापिति श्रापुच्छणा जाव पवइए श्रणगारे जाए जाव गुत्तवंभयारी 2 / तते णं से पउमे अणगारे समणस्स भगवश्रो महावीरस्स तहास्वाणं थेराणं अंतिए सामाइयमादियाई एक्कारस अंगाई अहिजइ, बहिजित्ता बहूहि चउत्थछट्टट्ठम जाव विहरति 3 / तते गां से पउमे अणगारे तेणं श्रोरालेणं जहा मेहो तहेव धम्मजागरिया चिता एवं जहेव मेहो तहेव समणं भगवं श्रापुच्छित्ता विउले जाव पाओवगते समाणे तहारूवाणं थेराणं अंतिए सामाइयमाइयाइं एकारस अंगाई, बहुपडिपुराणाई पंच वासाई सामनपरियाए, मासियाए संलेहणाए सट्टि भत्ताई श्राणुपुत्वीए कालगते, थेरा श्रोत्तिन्ना भगवं गोयमं पुच्छइ, सामी कहेइ जाव सटैि भत्ताई अणसणाए छेदित्ता श्रालोइयपडिक्कते उड्ड चंदिमसोहम्मे कप्पे देवत्ताए उववन्ने दो सागराई // सूत्रं 58 // से णं भंते ! पउमे देवे तातो देवलोगातो पाउक्खएणं पुच्छा, गोयमा ! महाविदेहे वासे जहा दढपइन्नो जाव अंतं काहिति 1 / तं एवं खलु जंबू ! समणे णं जाव संपत्तेणं कप्पवडिसियाणं पढमस्स अज्झयणस्स अयमढे पन्नत्ते ति बेमि 2 // सूत्रं 51 // इति प्रथमध्ययनम् // 2-1 // जइ णं भंते ! समणेणं भगवया जाव संपत्तेणं कप्पवडिसियाणं पढमस्स अज्झयणस्स अयम? पन्नत्ते, दोच्चस्स णं भंते ! अज्झयणस्स के अट्ठे पराणत्ते ? एवं खलु जंबू तेणं कालेणं 2 चंपा नाम नगरी होत्था, पुन्नभद्दे चेइए, कूणिए राया, पउमावई देवी 1 / तत्थ णं चंपाए नयरीए सेणियस्स रन्नो भजा कोणियस्स रन्नो चुल्लमाउया सुकालो नाम देवी