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________________ 356 ] / श्रीमदागमसुधासिन्धुः : सप्तमो विभामः // अथ तृतीयं प्राभृतम् // ता केवतियं खेत्तं चंदिमसूरिया श्रोभासंति उज्जोवेति तवेंति पगासंति अाहिताति वदेजा ?, तत्थ खलु इमायो बारस पडिवत्तीयो पन्नत्तायो, तत्थेगे एवमाहंसु, ता एगं दीवं एगं समुद्द चंदिमसूरिया श्रोभासेंति उज्जोवेति तवेंति पगासेंति, एगे एवमाहंसु एगे 1, पुण एवमाहंसु-ता तिरिण दीवे तिरिण समुद्दे चंदिमसूरिया योभासंति 4, एगे एवमाहंसु 2, एगे पुण एवमाहंसु-ता अद्धचउत्थे(वाउट्ठ) दीवसमुद्दे चंदिमसूरिया श्रोभासंति उज्जोवेति तवेंति पगासिंति, एगे एवमाहंमु 3, एगे पुण एवमाहंसु ता सत्त दीवे सत्त समुद्दे चंदिमसूरिया श्रोभासिति 4 एगे एवमाहंसु 4, एगे पुण एवमाहंसु ता दस दीवे दस समुह चंदिमसूरिया श्रोभासंति 4, एगे एवमाहंसु 5, एगे पुण एवमाहंसु, ता बारस दीवे बारस समुद्दे चंदिमसूरिया श्रोभासंति 4, एगे एवमाहंसु 6, एगे पुण एवमाहंसु, बायालीसं दीवे बायालीसं समुद्दे चंदिमसूरिया ओंभासंति राक(४), एगे एवमाहंसु 7, एगे पुण एवमाहंसु बावत्तरिं दीवे बावत्तरि समुद्दे चंदिमसूरिया श्रोभासंति, राक(४), एगे एवमाहंसु 8, एगे पुण एवमाहंसु ता बातालीसं दीवसतं बायानं समुद्दसतं चंदिमसूरिया श्रोभासंति 4 एगे एवमाहंसु 1, एगे पुण एवमाहंसु, ता बावतरि समुद्दसतं चंदिमसूरिया योभासंति गक(४) एगे एवमाहंसु 10, एगे पुण एवमाहंसु ता बायालीसं दीवसहस्सं बायालं समुद्दसहस्सं चंदिमसूरिया श्रोभासंति, राक(४), एगे एवमाहंसु 11, एगे पुण एवामाहंसु ता बावत्तरं दीवसहस्सं बावत्तरं समुद्दसहस्सं चंदिमसूरिया श्रोभासंति एक(४) एगे एवमाहंसु 12,1 / वयं पुण एवं वदामो-अयगणं जंबुद्दीवे सव्वदीवसमुदाणं जाव परिक्खेवेणं पराणत्ते, से णं एगाए जगतीए सव्वतो समंता संपरिक्खत्ते, सा णं जगती तहेव जहा जंबुद्दीवपन्नत्तीए जाव एवामेव -सपुब्बावरेणं जंबुद्दीवे 2 चोदस सलिलासयसहस्सा छप्पन्नं च सलिलासहस्सा भवंतीति
SR No.004368
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1978
Total Pages532
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_jambudwipapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, & agam_vrushnidasha
File Size13 MB
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