________________ श्रीमच्चन्द्रप्राप्ति सूत्र :: प्रा०८ ] . [ 251 दाहिणड्डे बारसमुहुँत्ते दिवसे भवइ तया णं उत्तरड्ढे वि बारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जया णं उत्तरड्ढे बारसमुहुत्ते दिवसे भवइ तया णं दाहिणड्ढ वि बारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, तया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरथिमपञ्चस्थिमेणं सया पराणरसमुहुत्ते दिवसे भवइ, सया पराणरसमुहुत्ता राई भवइ, अवट्ठिया णं तत्थ राइंदिया समणाउसो ! पराणत्ता, एगे एवमाहंसु 1, 4 / एगे पुण एवमाहंसु--ता जया णं जंबुद्दीवे दीवे दाहिणड्ढे अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवइ तया णं उत्तरड्ढे वि अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवइ, जया णं उत्तरड्ढे अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवइ तया णं दाहिणड्ढे वि अट्ठारसमुहुत्ताणतरे दिवसे भवइ 5 / एवं परिहावेतव्वं-सत्तरसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवति, सोलसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवति, पराणरसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भाति, चउद्दसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवति, तेरसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवति 6 / जया णं जंबुद्दीवे दाहिणड्ढे बारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवइ तया णं उत्तरड्डे वि बारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवड, जया णं उत्तरड्ढे बारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवइ तया णं दाहिणड्डे वि बारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवइ, तया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरथिमपञ्चत्थिमेणं नो सया पराणरसमुहुत्ते दिवसे भवई, नो सया पराणरसमुहुत्ता राई भाइ, श्रणवट्ठिया णं तत्थ राइंदिया समणाउसो ! पराणत्ता, एगे एवमाहंसु 2,7 / एगे पुण एवमाहंसु-ता जया णं जंबुद्दीवे दीवे दाहिणड्ढे अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ तया णं उत्तरड्ढ दुवालसमुहुत्ता राई भवइ, जया णं उत्तरले अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ तया णं दाहिणड्ढे दुवालसमुहुत्ता राई भवइ 8 / ता जया णं दाहिणड्ढे अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवइ तया णं उत्तरड्ढे दुवालसमुहुत्ता राई भवइ, जया णं उत्तरड्डे अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवइ तया णं दाहिणड्ढे दुवालसमुहुत्ता राई भवइ 1 / एवं सत्तरसमुहुत्ते दिवसे, सत्तरसमुहुत्ताणंतरे, सोलसमुहुत्ते सोलसमुहुत्ताणंतरे, पराणरसमुहुत्ते पराणरस