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________________ 260 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विमागा छाया 13, पक्खछाया 14, पुरोउदग्गा 15, पिट्ठयोउदग्गा 16, पुरिमकंठभागोवगता छाया 17, पच्छिमकंठभागोवगता 17, छायाणुवादिणी 11, किट्ठाणुवादिणीछाया 20, छायछाया 21, छायानिकप्पो 22, वेहासच्छाया 23, सगउच्छाया (कडच्छाया) 24, गोलच्छाया 25, 18 / तत्थ णं गोलच्छाया अट्टविहा पराणत्ता, तं जहा-गोलच्छाया श्रवद्धगोलच्छाया गोल(गाढल)गोलच्छाया, अवड्डगोल(गाढल)गोलच्छाया, गोलावलिच्छाया अवडगोलावलिच्छाया, गोलपुजच्छाया, अवडगोलपुंजच्छाया 16 // सूत्रं 31 // नवमं पाहुडं समत्तं // // इति नवमं प्राभृतम् // 9 // - // अथ दशमप्राभृते प्रथमं प्राभृतप्राभृतम् // ता जोगेत्ति वत्थुस्स श्रावलियानिवाए श्राहिएत्ति वएज्जा 1 / ता कहं ते जोगेत्ति वत्थुस्स श्रावलियाणिवाए अाहिएत्ति वएजा ? तत्थ खलु इमायो पंच पडिवत्तीयो पराणत्तात्रो, तं जहा-तत्थेगे एवमाहंसु-ता सव्वे वि णं णक्खत्ता कत्तियादिया भरणिपज्जवसाणा पराणत्ता एगे एवमाहंसु 1, एगे पुण एवमाहंसु-ता सव्वे वि णं नक्खत्ता मघादिया अस्सेसापजवसाणा पराणत्ता, एगे एवमाहंसु 2, एगे पुण एवमाहंसु-ता सव्वे वि णं नक्खत्ता धणिट्ठाइया सवणपजवसाणा पराणत्ता, एगे एवमाहंसु 3, एगे पुण एवमाहंसु ता सव्वे वि णं णक्खत्ता अस्सिणीयादिया रेखईपजवसाणा पराणत्ता, एगे एवमाहंसु 4, एगे पुण एवमाहंसु-ता सव्वे वि णं णक्खत्ता भरणीपाइया अस्सिणीपजवसाणा पराणत्ता, एगे एवमाहंसु 5,2 / वयं पुण एवं वयामो-ता सव्वे वि णं णक्खत्ता अभिई श्रादिया उत्तरासादापज्जवसाणा पराणत्ता, तं जहा-अभिई सवणो जाव उत्तरसाढा // सूत्रं 32 // दसमस्स पढमं पाहुडपाहुडं समत्तं // 10-1 //
SR No.004368
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1978
Total Pages532
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_jambudwipapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, & agam_vrushnidasha
File Size13 MB
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