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________________ श्रीमच्चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्रं : प्रा० 10:: प्रा० प्रा० 2 ] [ 261 // अथ दशमप्राभते द्वितीय प्राभृतप्राभतम् // ता कहं ते मुहुत्तग्गे पाहिएति वएजा ? ता एएसि णं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं अस्थि णक्खत्तं जे णं णवमुहुत्ते सत्तावीसं च सत्तसट्ठिभाए मुहुत्तस्स चंदेण सद्धिं जोयं जोएइ, अस्थि णक्खत्ता जे णं पण्णरसमुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति 2, अस्थि नक्खत्ता जे णं तीसं मुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति 3, अस्थि णं नक्खत्ता जे णं पणयालीसे मुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति 4, 1 / ता एएसि णं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं कयरे नक्खत्ते जे णं नवमुंहुत्ते सतावीसं च सत्तट्ठिभाए मुहुत्तस्स चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति 1 ? कयरे णक्खत्ता जे णं पराणरसमुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति 2 ? कयरे णक्खत्ता जे णं तीसं मुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति 3 ? कयरे णक्खत्ता जे णं पणयालीसे मुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति 4 ? ता एएसि णं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं तत्थ में तं णक्खत्ते जे णं णवमुहुत्ते सत्तावीसं च सत्तट्ठिभाए मुहुत्तस्स चंदेण सद्धिं जोयं जोएइ से णं एगे अभीई 1, तत्थ जे ते णक्खत्ता जे णं पराणरसमुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति ते णं छ, तं जहा-सतभिसया 1, भरणी 2, अदा 3, अस्सेसा 4, साई 5; जेट्ठा 6, 2, तत्थ जे ते णक्खत्ता जे णं तीसं मुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति ते णं पराणरस, तं जहा-सवणे 1, धणिट्ठा 2, पुव्वाभदवया 3, रेवई 4, अस्सिणी 5, कत्तिया 6, मग्गसिरा 7, पुस्सं 8, महा 1, पुव्वाफग्गुणी 10, हत्थो 11, चित्ता 12, अणुराहा 13, मूलो 14, पुव्वासाढा 15, 3, तत्थ जे ते णक्खत्ता जे णं पणयालीसे मुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति ते णं छ, तं जहा-उत्तराभवया 1, रोहिणी 2, पुणव्वसू 3, उत्तराफग्गुणी ४,विसाहा 5, उत्तरासाढा 6,4,2 // सूत्रं 33 // ता एएसि णं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं अत्थि णक्खत्ते जे णं चत्तारि अहोरते छच्च मुहुत्ते सूरिएण सद्धिं जोयं जोएइ 1, अत्थि णक्खत्ता
SR No.004368
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1978
Total Pages532
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_jambudwipapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, & agam_vrushnidasha
File Size13 MB
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