________________ 262) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभाग जे णं छ अहोरते एक्कवीसं च मुहुत्ते सूरिएण सद्धिं जोयं जोएंति 2, अत्थि णक्खत्ता जे णं तेरस अहोरत्ते बारस य मुहुत्ते सूरिएण सद्धिं जोयं जोएंति 3, अत्थि णक्खत्ता जे णं वीसं अहोरत्ते तिगिण य मुहुत्ते सूरिएण सद्धिं जोयं जोएंति 4, 1 / ता एएसि णं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं कयरं णक्खत्तं चत्तारि अहोरत्ते छच्च मुहुत्ते सूरिएण सद्धिं जोयं जोएइ 1, ? कयरे णक्खत्ता जे णं छ अहोरत्ते एकवीसमुहुत्ते सूरिएण सद्धिं जोयं जोएंति 2 ? कयरे णक्खत्ता जे णं तेरस अहोरत्ते बारस य मुहुत्ते सूरिएण सद्धिं जोयं जोएंति 3 ? कयरे णक्खत्ता जे णं वीसं अहोरत्ते तिन्नि य मुंहुत्ते सूरिएण सद्धिं जोयं जोएंति 4 ? ता एएसि णं अट्ठावीसाए णक्खताणं तत्थ जे से णक्खत्ते जे णं चत्तारि अहोरत्ते छच. मुहुत्ते सूरिएण सद्धिं जोयं जोएइ से णं एगे अभिई 1, तत्थ जे ते णक्खत्ता जे णं छ अहोरत्ते एकवीसं च मुहुत्ते सूरिएण सद्धिं जोयं जोएंति ते णं छ, तं जहासयभिसया 1, भरणी 2, भद्दा 3, अस्सेसा 1, साई 5, जेट्ठा 6, 2, तत्थ जे ते नक्खत्ता तेरसग्रहोरत्ते दुवालस य मुहुत्ते सूरिएण सद्धिं जोयं जोएंति ते णं पगणरस, तं जहा-सवणो 1, धणिट्ठा 2, पुव्वाभवया 3, रेवई 4, अस्सिणी 5, कत्तिया 6, मग्गसिरं 7, पूसो 8, मघा 1, पुव्वाफल्गुणी 10, हत्थो 11, चित्ता 12, अणुराहा 13, मूलो 14, पुव्वाश्रासादा 15, 3, तत्थ जे ते णक्खत्ता जे णं वीसं अहोरते तिरिण य मुहुत्ते सूरिएण सद्धिं जोयं जोएंति ते णं छ, तं जहा-उत्तराभवया 1, सेहिणी 2, पुणव्वसू 3, उत्तराफग्गुणी 4, विसाहा 5, उत्तरासाढा 6, 4 // सूत्रं 34 // दसमस्स बितीयं // 10.2 // // इनि दशमप्राभृते द्वितीयं प्रामृतप्रामृतम् // 10-2 // .