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________________ श्रीमज्जम्बूदीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्रं : तृतीयो वक्षस्कारः ] 2 त्ता पडिविसज्जेइ 5 / तए णं से भरहे राया रहं परावत्तेइ 2 त्ता मागहतित्थेणं लवणसमुद्दाश्रो पच्चुत्तरइ 2 ता जेणेव विजयखंधावारणिवेसे जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला तेणेव उवागच्छइ 2 ता तुरए णिगिराहइ 2 त्ता रहं ठवेइ 2 रहायो पबोरुहति 2 त्ता जेणेव मजणघरे तेणेव उवागच्छति 2 मजणघरं अणुपविसइ 2 ता जाव ससिव्व पियदसणे णरवई मजणघराश्रो पडिणिकाखमइ 2 ता जेणेव भोश्रणमंडवे तेणेव उवागच्छइ 2 त्ता भोत्रणमंडवंसि सुहासणवरगए अट्ठमभत्तं. पारेइ 2 त्ता भोश्रणमंडवाश्रो पडिणिक्खमइ 2 ता जेणेव बाहिरिश्रा उवट्ठाणसाला जेणेव सीहासणे तेणेव उवागच्छइ 2 ता सीहासणवरगए पुरस्थाभिमुहे णिसीथइ 2 ता अट्ठारस सेणिप्पसेणीयो सदावेइ 2. ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो! देवाणुप्पिया उस्सुवकं उक्करं जाव मागहतित्थकुमारस्स देवस्स अट्टाहिनं महामहिमं करेह 2 ता मम एश्रमाणत्तियं पञ्चप्पिणह 6 / तए णं तात्रो अट्ठारस सेणिप्पसेणीयो भरहेणं रगणा एवं वुत्तायो समाणीयो हट्ट जाव करेंति 2 ता एमाणत्तिनं पचप्पिणंति 7 / तए णं से दिव्वे चक्करयणे वइरामयतुबे लोहियुक्खामयारए जंबूणयणेमीए णाणा-मणि-खुरप्प--थालपरिगए मणि-मुत्ताजाल-भूसिए सणंदिघोसे सखिखिणीए दिवे तरुण-रवि-मंडलणिभे णाणामणिरयण-घंटियाजालपरिक्खित्ते सब्बोउग्र-सुरभि-कुसुम-घासत्तमलदामे अंतलिक्खपडिवगणे जक्खसहस्स-संपरितुडे दिव्वतुडिन-सहसगिणणादेणं पूरेते चेव अंबरतलं णामेण य सुदंसणे णरवइस्स पढमे चक्करयणे मागहतित्थकुमारस्स देवस्स अट्ठाहित्राए महामहिमाए. णिवत्ताए समाणीए पाउहघरसालारो पडिणिक्खमइ 2 चा दाहिणपचत्थिमं दिसिं वरदामतित्थाभिमुहे पयाए यावि होत्था ८॥सूत्रं४५॥ तए णं से भरहे. राया तं दिव्वं चक्करयणं दाहिणपञ्चत्थिमं दिसि वरदामतित्थाभिमुहं पयातं चावि पासइ. 2 ना. हटुतुट्ठ-चित्तमाणदिए जाव कोड:
SR No.004368
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1978
Total Pages532
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_jambudwipapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, & agam_vrushnidasha
File Size13 MB
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