________________ 164 ] - [श्रीमदागगसुधासिन्धुः // सप्तमो विभागा मेय भवित्र-धम्म-वरचाउरतचकवट्टी णमोऽत्यु ते अरहश्रोत्तिकट्ठ एवं वंदइ णमंसइ 2 ता णचासराणे णाइदूरे सुस्सूसमाणे जाव पज्जुवासइ 1 / एवं जहा अच्चुअस्स तहा जाव ईसाणस्सवि भाणियब्वं, एवं भवणवइ-वाणमंतर-जोइसिधा य सूरपजवसाणा सएणं परिवारेणं पत्तेयं 2 अभिसिंचंति 2 / तए णं से ईसाणे देविंद देवराया पंच ईसाणे विउव्वइ 2 ता एगे ईसाणे भगवं तित्थयरं करयलसंपुडेणं गिराहइ 2 त्ता सीहासणवरगए पुरस्थाभिमुहे सरिणसराणे एगे ईसाणे पिट्ठयो श्रायवत्तं धरेइ दुवे ईसाणा उभश्रो पासिं चामरुक्खेवं करेन्ति एगे ईसाणे पुरो सूलपाणी चिट्ठइ 3 / तए णं से सक्के देविदे देवराया अाभियोगे देवे सद्दावेइ 2 ता एसोवि तह चेव अभिसेवाणनि देइ तेवि तह चेव उवणेन्ति 4 / तए णं से सक्के देविंदे देवराया भगवयो तित्थयरस्स चउदिसिं चत्तारि धवलवसभे विउव्वेइ सेए संख-दल-विमलनिम्मल-दधिषण-गोखीर-फेण--रयणिगरप्पगासे पासाईए दरसणिज्जे अभिरूवे पडिरूवे 5 / तए णं तेसिं चउराहं धवलवसभाणं अहिं सिंगेहितो अट्ट तोयधाराश्रो णिग्गच्छन्ति 6 / तए णं तायो अट्ठ तोश्रधारायो उद्धं वेहासं उप्पयंति 2 त्ता एगो मिलायंति 2 ता भगवो तित्थयरस्स मुद्धाणंसि निवयंति 7 / तए णं से सक्के देविदे देवराया चउरासीईए सामाणिशसाहस्सीहिं एअस्सवि तहेव अभिसेयो भाणिवो जाव णमोऽत्थु ते अरहश्रोत्ति कटु वंदइ णमंसइ जाव पज्जुवासइ 8 // सूत्रं 123 // तए णं से सक्के देविंदे देवराया पंच सक्के विउव्वइ 2 ता एगे सक्के भयवं तित्थयरं करयलपुडेणं गिराहइ एगे सक्के पिट्ठो प्रायवत्तं धरेइ दुवे सक्का उभयो पासिं चामरुवखेवं करेन्ति एगे सक्के वजपाणी पुरो पगड्डइ 1 / तए णं से सक्के चउरासीईए सामाणिसाहस्सीहिं जाव अराणेहि अ भवणवइवाणमंतरजोइसवेमाणिएहिं देवेहिं देवीहि अ सद्धिं