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________________ श्रीमत्पूर्यप्रवप्तिस्त्रं :: प्रा० 10 प्रा० प्रा० 2 ] [ 373 अबडगोलावलिच्छाया गोलजछाया श्राद्धगोलपुजछाया 21 ॥सूत्रं 31 // णवमं पाहुडं समत्तं // 1 // // अथ दशमप्राभते प्रथमं प्राभतप्रामृतम् // - ता जोगेति वत्थुस्स पावलियाणिवाते श्राहितेति वदेजा, ता कहं ते जोगेति वत्थुस्स श्रावलियाणिवाते श्राहितेति वदेजा ?, तत्थ खलु इमायो पंच पडिवत्तीयो पन्नत्तायो, तत्थेगे एवमाहंसु ता सव्वेवि णं णक्खत्ता कत्तियादिया भरणिपजवसाणा एगे एवमाहंसु 1, एगे पुण एवमाहंसु, ता सव्वेवि णं णक्खत्ता महादीया अस्सेसपज्जवसाणा पराणत्ता, एगे एवमाहंसु 2 / एगे पुण एवमाहंसु, ता सब्वेविणं णक्खत्ता धणिट्ठादीया सवणपज्जवसाणा पराणत्ता, एगे एवमाहंसु 3, एगे पुण एवमाहंसु-ता सव्वेवि णं णक्खत्ता अस्तिणीश्रादीया रेवतिपजवसाणा पराणत्ता, एगे एवमाहंसु 4, एगे पुण एवमाहंसु-सव्वेवि णं णक्खत्ता भरणीश्रादिया अस्सिणीपजवसाणा एगे एवमाहंसु 5, 1 / वयं पुण एवं वदामो, सव्वेवि णं णखत्ता अभिईादीया उत्तरासाढापन्जवसाणा पराणत्ता, तंजहा-अभिई सवणो जाव उत्तरासादा 2 // सूत्रं 32 // दसमस्स पढमं पाहुडपाहुडं समत्तं // 10-1 // // अथ दशमप्राभृते द्वितीयं प्राभतप्राभृतम् // ता कहं ते मुहुत्ता य ाहितेति वदेजा?, ता एतेसि णं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं अत्थि णक्खत्ते जेणं णव मुहुत्ते सत्तावीसं च सत्तट्ठिभागे मुहुत्तस्स चंदेणं सद्धिं जोयं जोएंति, अस्थि णक्खत्ता जे णं पराणरसमुहुत्ते चंदेणं सद्धि जोयं जोएंति अस्थि णक्खत्ता जे णं तीसं मुहुत्ते चंदेणं सद्धिं जोयं जोएंति, अस्थि णक्खत्ता जे णं पणतालीसे मुहुत्ते चंदेणं सद्धिं जोएंति 1 / ता एएसि णं अट्ठावीसाए नक्खत्ताणं कयरे नक्खत्ते जे णं नवमुहुत्ते सत्तावीसं च सत्तट्ठिभाए मुहुत्तस्स चंदेणं सद्धिं जोएंति ?, कयरे
SR No.004368
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1978
Total Pages532
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_jambudwipapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, & agam_vrushnidasha
File Size13 MB
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