________________ श्रीच्चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्रं : प्रा० 10:: प्रा० 6-10 ] [ 271 गयदंतसंठिए 25 / मूले णक्खत्तै विच्छुय लंगूलसंठिए 26 / पुव्वासाढाणक्खत्ते गयविकमसंठिए 27 / उत्तरासाढाणक्खत्ते सीहनिसाइयसंठिए 28 // सूत्रं 41 // दसमस्स अट्ठमं पाहुडपाहुडं समत्तं // 10-8 // - // अथ दशमप्राभते नवमं प्राभतप्राभतम् // _ता कहं ते नक्खत्ताणं तारग्गे श्राहिएति वएजा ? ता एएसि णं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं अभिईणक्खत्ते कइ तारे पराणत्ते ? गोयमा ! तितारे पराणते 1 / सवणे णक्खत्ते तितारे 2 ) धणिहा खत्ते पणतारे 3 / सयभिसया णक्खत्ते सततारे 4 / पुव्वापोटुवया णक्खत्ते दुतारे 5 / एवं उत्तरापोट्ठवयावि 6 / रेखईणक्खत्ते बत्तीसइतारे 7 / अस्सिणी णक्खत्ते तितारे = / भरणी तितारे 1 / कत्तिया छत्तारे 10 / रोहिणी पंचतारे 11 / मिगसिर तितारे 12 / श्रदा एगतारे 13 / पुणव्वसु पंचतारे 14 / पुस्से तितारे 15 / अस्सेसा छत्तारे (एगतारे) 16 / महा सत्ततारे 17 / पुव्वाफग्गुणी दुतारे 18 / एवं उत्तरावि 11 / हत्थे पंचतारे 20 / चित्ता एगतारे 21 / साई एगतारे 22 / विसाहा पंचतारे 23 / अणुराहा चउतारे 24 / जेट्ठा तितारे 25 / मूले एगारसतारे 26 / पुव्वासादा चउतारे 27 / उत्तरासादा गाक्खत्ते चउतारे पराणत्ते // सूत्रं 42 // दसमस्स पाहुडस्स नवमं पाहुडपाहुडं समत्तं // 10-1 // ... // अथ दशमप्राभृते दसमं प्राभृतप्राभतम्॥ ता कहं ते णेया अहिएति वएज्जा ? ता वासाणं पढमं मासं कई णखत्ता ?ति ? ता चत्तारि णक्खत्ता णें ति, तं जहा-उत्तरासादा श्रभिई सवणे धणिट्ठा, उत्तरासादाचोदस अहोरत्ते गोइ, अभिई सत्त अहोरत्ते णेइ, सवणे अट्ठ अहोरत्ते णेइ धणिट्ठा एगं अहोरत्तं ोइ, तंसि च णं मासंसि चउरंगुलाए पोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरियट्टइ, तस्स णं. मासस्स