________________ श्रीमच्चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्रं : प्रा० 15 ] [ 306 // अथ पञ्चदशं प्राभतम् // ता कहं ते सिग्धगई वत्थू श्राहितेति वएज्जा ?, ता एएसि णं चंदिम सूरिय गह गण णक्खत्त ताराख्वाणं चंदेहितो सूरिया सिग्धगई, सूरिएहितो गहा सिग्घगई गहेहिंतो णक्खत्ता सिग्घगई, णक्खत्तेहितो तारा सिग्धगई 1 / सव्वप्पगई चंदा, सम्वसिग्धगई तारा 2 / ता एगमेगेणं मुहुत्तेणं चंदे केवइयाई भागसयाइं गच्छइ ? ता जं जं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तस्स तस्स मंडलपरिक्खेवस्स सत्तरस अट्ठसट्टि भागसते गच्छइ, मंडलं सयसहस्सेणं अट्ठाणउइ सएहिं छेत्ता 3 / ता एगमेगेणं मुहुत्तेणं सूरिए केवइयाइं भागसयाइं गच्छइ ? ता ज णं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तस्स तस्स मंडलपरिक्खेवस्स थट्टारसतीसे भागासते गच्छइ मंडलं सयसहस्सेणं अट्ठाणउइसएहिं छत्ता 4 / ता एगमेगेणं मुहुत्तेणं णक्णत्ते केवइयाई भागसयाडं गच्छइ / ता जं जं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तस्स तस्स मंडलपरिक्खेवस्स अट्ठारस पणतीसे भागसये गच्छइ, मंडलं सयसहस्सेणं अट्ठाणउइ सएहिं छेत्ता 5 // सूत्रं 83 // ता जया णं चंदे गइ समावराणं सूरे गइ समावराणे भाइ से णं गइ मायाए केवइयं विसेसेइ ? बावट्ठिभागे विसेसेइ 1 / ता जया णं चंदं गइ समावराणं णक्खत्ते गइ समावराणे भवइ से णं गइमायाए केवइयं विसेसेइ ? ता सत्तट्टि भागे विसेसेइ 2 / ता जया णं सूरं गइ समावराणं णक्खत्ते गइसमावराणे भवइ से णं गइमायाए केवइयं विसेसेइ ? ता पंचभागे विसेसेइ 3 / ता जया णं चंदं गइसमावगणं अभीईणक्खत्ते णं गइसमावराणे पुरत्थिमाए भागाए समासाएइ पुरस्थिमाए भागाए समासाइत्ता णव मुहुत्ते सत्तावीसं च सत्तट्ठिभागे मुहुत्तस्स चंदेण सद्धि जोयं जोएइ जोयं जोइत्ता जोयं अणुपरियट्टइ, जोयं अणुपरियट्टित्ता विप्पजहइ, विगय जोई यावि भवइ 4 / ता जया णं चंदं गइसमावराणं सवणे णक्खत्ते गइसमावराणे पुरस्थिमाए भागाए समासाएइ 2 तीसं मुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जोएइ जोयं