________________ एकारस एकता लोयंताबीन एकवीसाईजा पव्व श्रीमच्चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्रं :: प्रा० 18 ] [ 315 हिट्ठपि ताराख्वा अणुपि तुल्लावि तहेव जाव उपिपि तारारुवा अणुपि तुल्लावि 3 // सूत्रं 10 // ता एगमेगस्स णं चंदस्स देवस्स केवइया गहा परिवारो पराणत्तो ? केवइया णक्खत्ता परिवारो पराणत्तो ? केवइया तारा परिवारो पराणत्तो ? एगमेगस्स णं चंदस्स देवस्स अट्ठासीई गहा परिवारो पराणत्तो, अट्ठावीसं णक्खत्ता परिवारो पराणत्तो, गाहा “छावटि सहस्साई णवचेव सयाई, पंचुत्तराई (पंचसयराइं) एगससी परिवारो, तारागणकोडिकोडीणं // 1 // परिवारो परणत्तो // सूत्रं 11 // ता मंदरस्स णं पव्वयस्स केवइयं श्रषाहाए जोइसे चारं चरइ ? ता एकारस एकवीसाइं जोयणसयाई अबाहाए जोइसे चारं चरइ 1 / ता लोयंतायो णं केवइयं अबाहाए जोइसे पराणत्ते ? ता एकारस एकादसाइं जोयणसयाई-अबाहाए जोइसे पराणत्ते 2 // सूत्रं 12 // ता जंबुद्दीवेणं दीवे कयरे णक्खत्ते सव्वभंत. रिल्लं चारं चरंति ? कयरे णक्खत्ते सव्वबाहिरिल्लं चारं चरंति ? कयरे णक्खत्ते सव्वुवरिल्लं चारं चरंति ? कयरे णक्खत्ते हिडिल्लं चारं चरति ? ता अभीई णक्खत्ते सन्वभितरिल्लं चारं चरइ, मूले णक्खत्ते सव्वबाहिरिल्लं चारं चरइ, साई णवखत्ते सव्वुवरिल्लं चारं चरइ, भरणी णक्खत्ते सव्वहेटिल्लं चार चरइ // सूत्रं 13 ॥ता चंदविमाणेणं किं संठिए पराणते ? ता श्रद्ध कविट्ठसंगणसंठिए सव्वफालियामए अब्भुग्गयमूसिय-पहासिए विविहमणिरयण-भत्तिचित्ते वाउछुय विजयवेजयंती-पडाग-छत्ताइछत्तकलिए, तुगे गगणतलमणुलिहंतसिहरे जालंतर-रयणपंजरमिलियव्व मणिकणगथूभियागे वियसिय-सयपत्तपुंडरीय-तिलग-रयणद्धचंदचित्ते अंतो बहिं सराहे तवणिज-वालुया-पत्थडे सुहफासे सस्सिरीयस्वे पासाईए दरिसणिज्जे अभिरूवे पडिस्वे, एवं सूरविमाणे, गहविमाणे, णक्खत्तविमाणे, ताराविमाणे 1 / ता चंदविमाणेणं केवइयं यायामविक्खंभेणं ? केवइयं परिक्खेवेणं ? केवइयं बाहल्लेणं पराणत्ते ? ता छप्पराणं एगट्ठिभागे जोयणस्स