________________ 164] . [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः अभिवुड्डिए. 1. / ता णक्खत्ते णं संवच्छरे णं पंचविहे पराणत्ते, तंजहासमगं णक्खत्ता जोयं जोएंति, समगं उदू परिणमंति। नच्चुराहं नाइसीए बहुउदए होइ नक्खत्ते // 1 // ससि समग पुन्निमासिं जोईता विसमचारिनक्खत्ता / कडुनों बहुउदवो य तमाहु संवच्छरं चंदं // 2 // विसमं पवालिणो परिणमंति अणुऊसु दिति पुप्फफलं / वासं न सम्म वासइ तमाहु संवच्छरं कम्मं // 3 // पुढविदगाणं च रसं पुष्फफलाणं च देइ बाइब्चे / अप्पेणवि वासेणं संमं निष्फजए सस्सं // 4 // श्राइचतेयतविया खणलवदिवसा उऊ परिणमन्ति। रेति निणय(गण)थलये तमाहु अभिवड्डितं जाण // 5 // 2 / ता सणिच्छरसंवच्छरे णं अट्ठावीसतिविहे पण्णत्ते, तंजहा-अभियी सवंणे जाव उत्तरासाढा, जंवा सणिच्छरे महग्गहे तीसाए संवच्छरेहिं सव्वं णक्खत्तमंडलं समाणेति 3 // सूत्रं 58 // दसमस्स पाहुडस्स वीसतिमं पाहुडपाहुडं समत्तं // 10-20 // // अथ दशमप्राभृते एकविंशतितमं प्राभृतप्राभृतम् // .. ता कहं ते जोतिसस्स दारा श्राहिताति वदेज्जा ?, तत्थ खलु इमाश्रो पंच पडिवत्तीयो पराणत्तायो, तत्थेगे एवमाहंसु-ता कत्तियादी णं सत्त नवखत्ता पुव्वदारिया पराणत्ता, एगे एवमाहंसु 1, एगे पुण एक्माहंसु-ता महादीया सत्त णक्खत्ता पुव्वदारिया पराणत्ता, एगे एवमाहंसु 2, एगे पुण एवमाहंसु-ता अणुराहाइया सत्तणखत्ता पुव्वदारिया पराणत्ता, एगे एवमाहंसु 3, एगे पुण एवमाहंसु-ता पणिहादीया सत्त णक्खत्ता पुव्वदारिश्रा पराणत्ता, एगे एवमाहंसु 4, एगे पुण एवमाहंसु-अस्सिणीयादीया णं सत्त णक्खत्ता पुव्वदारिया पराणत्ता, एगे एवमाहंसु 5, एगे पुण एवमाहंसु-ता भरणीयादीया णं सत्त णक्खत्ता पुनदारिश्रा पराणत्ता 1 / तत्थ जे ते एवमाहंसु ता कत्तियादी णं सत्त णक्खत्ता पुव्वदारिया पराणत्ता, ते एवमाहंसु, तंजहा