________________ श्रीमच्चन्द्र प्रज्ञप्ति सूत्रं : प्रा० 10 प्रा० 6 ] [ 267 णक्खत्ता जोएंति, तं जहा-अभिई 1, सवणो 2, धणिट्ठा 3, 1, 2 / ता पुवपोट्ठवई णं पुरिणमं कइ णक्खत्ता जोएंति ? ता तिरिण णक्खत्ता जोएंति, तं जहा-सयभिसया 1, पुव्वापोट्टवया 2, उत्तरापोट्टवया 3, 2,3 / ता श्रासोई णं पुरिणमं कइ णक्खत्ता जोएंति ? ता दोरिण णक्खत्ता जोएंति, तं जहा- रेवई अस्सिणी य 3, 4 / ता कत्तिइं णं पुरिणमं कइ णक्खत्ता जोएंति ? ता दोगिण णक्खत्ता जोएंत्ति, तं जहा-भरणी कत्तिया च 4, 5 / ता मग्गसिरिं णं पुरिणमं कइ णक्खत्ता जोएंति ? ता दोगिगा णक्खत्ता जोएंति, तं जहा-रोहिणी मग्गसिरा य 5, 6 / ता पोसिं णं पुरिणमं कइ णक्खत्ता जोएंति ?, ता तिरिण णक्खत्ता जोएंति, तं जहा-श्रद्दा 1, पुणव्वसू 2,. पुस 3, 6,7 / ता माहि ण पुाराणम कइ पखत्ता जोएंति ?, ता दोगिण णक्खत्ता जोएंति ?, तं जहा-अस्सेसा मघा य 7, 8 / ता फग्गुणिं णं पुरिणम कइ गाक्खत्ता जोएंति ? ता दोनि नक्खत्ता जोएंति ? तं जहा-पुव्वाफग्गुणी उत्तराफग्गुणी य 8, 1 / ता चेति णं पुरिणमं कइ णक्खत्ता जोएंति ? ता दोगिण णक्खत्ता जोएंति, तं जहा-हत्थो चित्ता य 1, 10 / ता वेसाहिं णं पुरिणमं कइ णक्खत्ता जोएंति ? ता दोरिण णक्खत्ता जोएंति, तं जहा--साई विसाहा य 10, 11 / ता जेट्ठामूलि णं पुरिणमं कइ णक्खत्ता जोएंति ? ता तिरिण णखत्ता जोएंति, तं जहाअणुराहा 1, जेट्ठा 2, मूलो य 3, 11, 12 / तावत् श्रासादि णं पुरिणम कइ णक्खत्ता जोएंति ? ता दो णक्खत्ता जोएंति, (एएणं अभिलावेणं मगसिरिरणं दोन्नि, तंजहा-रोहिणी मग्गसिरोय, पोसिरणं तिन्नी, तंजहा-अदा पुनव्वसू पुस्सो, माहिराणं दोन्नि, तंजहा-अस्सेसा महा य, फग्गुणीगणं दोन्नि तंजहा-पुव्वफग्गुणी उत्तराफग्गुणी य, चित्तिगणं दोन्नि, तंजहा-हत्थो चित्ता य, विसाहिरणं दोन्नि, तंजहा-साति विसाहा य, जेट्ठामूलिगणं तिन्नि, तंजहा-अणुराहा जेट्ठा मुलो, श्रासाढिरणं दोनि) तं जहा-पुव्वासाढा