________________ श्रीमञ्चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्रं : प्रा० 1: प्रा० प्रा० 6 ] [ 265 भागे समखेत्ते तीसं मुहुत्ते तप्पढमयाए सायं चंदेणं सद्धिं जोयं जोएइ, तो पच्छा अवरं दिवसं एवं खलु रेवई णक्खत्ते एगं राई एगं च दिवसं चंदेण सद्धिं जोयं जोएइ जोयं जोइत्ता जोयं अणुपरियट्टइ अणुपरियट्टित्ता सायं चंदं अस्सिणीणं समप्पेइ 6 / ता अस्सिणी खलु णक्खत्ते पच्छ भागे समखेते तीसं मुहुत्ते तप्पढमयाए सायं चंदेण सद्धिं जोयं जोएइ, तो पच्छा अवरं दिवसं एवं खलु अस्सिणी णवखत्ते एगं च राइं-एगं च दिवसं चंदेण सद्धिं जोयं जोएइ, जोयं जोइता जोयं अणुपरिट्टइ, अणुपरियट्टित्ता सायं चंदं भरणीणं समप्पेइ 7 / ता भरणी खलु णक्खत्ते णत्तं भागे अवड्डखेत्ते पराणरसमुहुत्ते तप्पढमयाए सायं चंदेण सद्धिं जोयं जोएइ, णो लभइ अवरं दिवसं, एवं खलु भरणी णक्खत्ते एगं राई चंदेण सद्धिं जोयं जोएइ, जोयं जोइत्ता जोयं श्रणुपरियट्टइ अणुपरियट्टित्ता (जहा सत्तभिसया जाव) पायो चंदं कतियाणं समप्पेइ 8 | ता कत्तिया खलु णक्खत्ते पुव्वंभागे समखेते तीसइ मुहुत्ते तप्पढमयाए पात्रो चंदेण सद्धिं जोयं जोएइ तो पच्छा राई एवं खलु कत्तिया णक्खत्ते एगं च दिवसं एगं च राइं चंदण सद्धिं जोयं जोएइ जोयं जोइत्ता जोयं अणुपरियट्टइ, अणुपरियद्वित्ता पायो चंद रोहिणीणं समप्पेइ 1 / रोहिणी जहा उत्तराभवया 10 / मगसिरं जहा धणिट्ठा 11 / श्रद्दा जहा सयभिसया 12 / पुणब्वसू जहा उत्तरभद्दवया 13 / पुस्सो जहा धणिट्ठा 14 / अस्सेसा जहा सयभिसया 15 / महा जहा पुव्वाफग्गुणी 16 / पुव्वाफग्गुणी जहा पुव्वाभहवया 17 // उत्तराफग्गुणी जहा उत्तराभवया 18 / हत्थो चित्ता य जहा धणिट्ठा 11-20 / साई जहा सयभिसया 21 / विसाहा जहा उत्तराभवया 22 / अणुराहा जहा धणिट्ठा 23 / जिट्ठा जहा सयभिसया 24 / मूलं 25 पुवासाढा य जहा पुव्वाभदवया 26 / उत्तरासाढा जहा उत्तराभवया 27 // ( एवं जहा सयभिसया तहा नत्तंभागा नेयव्वा एवं जहा पुव्वाभदवया तहेव 34