________________ श्रीमच्चंद्रप्रज्ञप्तिसूत्र :: प्रा० 10 प्रा० 10 ] [ 273 पुणब्वसू अट्ठ अहोरत्ते णेइ पुस्से एगं अहोरत्तं ोइ, तंसि च णं मासंसि चउवीसंगुलाए पोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरियट्टइ, तस्स णं मासस्स चरिमे दिवसे लेहट्ठाणि चत्तारि पयाई पोरिसी भवइ 2, 6 / ता हेमंताणं तइयं मासं कइणक्खत्ता णेंति ? ता तिगिण णक्खत्ता ऐति, तं जहा-पुस्से श्रस्सेसा महा, पुस्से चोदसग्रहोरत्ते गोइ, अस्सेसा पंचदस अहोरत्ते णेइ, महा एगे अहोरत्तं गेड, तंसि च णं मासंसि वीसंगुलाए पोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरियट्टइ, तस्स णं मासरस चरिमे दिवसे तिगिण पयाई टुंगुलाई पोरिसी भवई 3,7 / ता हेमंताणं वउत्थं मासं कइ णक्खत्ता णेति ? ता तिरिण णक्खत्ता णेंति, तं जहा-महा पुव्वाफग्गुणी उत्तराफग्गुणी, महा चोइस अहोरते णेइ, पुवाफग्गुणी पराणरस अहोरत्ते णेइ, उत्तराफग्गुणी एगं अहोरत्तं णेड, तंसि च णं मासंसि सोलसंगुलाए पोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरियट्टइ, तस्स णं मासस्स चरिमे दिवसे तिगिण पयाइं चत्तारि अंगुलाई पोरिसी भवइ 4, 8 / ता गिम्हाणं पढमं मासं कइ णक्खत्ता णेंति ? ता तिरिण णक्खत्ता णेति, तं जहा-उत्तराफग्गुणी हत्थो चित्ता, उत्तराफग्गुणी चोदसग्रहोरत्ते हत्थो पराणरस अहोरत्ते णेइ, चित्ता एग अहोरत्तं णेइ, तंसि च णं मासंसि दुवालसंगुलाए पोरिसी छायाए सूरिए अणुपरियट्टइ, तस्स णं मासस्स चरिमे दिवसे लेहटाई य तिगिण पयाई पोरिसी भवइ 1, 1 / ता गिम्हाणं वितियं मासं कइ णक्खत्ता ति ? ता तिगिण णक्खत्ता णेंति, तं जहाचित्ता साई विसाहा, चित्ता चोदस अहोरत्ते णेइ, साई पराणरस अहोरत्ते mइ, विसाहा एगं अहोरत्तं णेइ, तंसि च णं मासंसि अटुंगुलाए पोरि. सीए छायाए सूरिए अणुपरियट्टइ तस्स णं मासस्स चरिमे दिवसे दो पयाई अट्ठ अंगुलाई पोरिसी भवइ 2, 10 / गिम्हाणं तइयं मासं कइ णक्खत्ता णेति ? ता चत्तारि णक्खत्ता गोंति, तं जहा-विसाहा अणुराहा जेट्ठा मूले य, विसाहा चोदसत्रहोरत्ते णेइ, अणुराहा सत्त (पनरस) अहोरते णेइ, जेट्ठा