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________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्र :: द्वितीयो वक्षस्कार / सा यायारभावपडोयारे होत्था ?, गोत्रमा! बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे। होत्था से जहा णामए प्रालिंगपुक्खरे इ वा जाव मणीहिं उबसोभिए जहा-कित्तिमेहि चेव अकित्तिमेहिं चेव 4 / तीसे णं भंते ! समाए पच्छिमे तिभागे भरहे वासे मणुयाणं केरिसए पायारभावपडोपारे होत्था ?, गोश्रमा ! तेसिं मणुयाणं छविहे संघयणे छविहे संठाणे बहुणि वणुमयाणि उद्धं उच्चत्तेणं जहराणेणं संखिजाणि वासाणि उक्कोसेणं अमंखिजाणि वासाणि ग्राउयं पालंति पालिना अप्पेगइया णिरयगामी अप्पेगइया तिरियगामी अप्पेगइथा मणुस्सगामी अप्पेगइया देवगामी अप्पेगइया सिझति जाव सव्वदुक्खाणमंतं करेंति 5 // सूत्रं 27 // तीसे णं समाए पच्छिमे तिभाए पलिश्रोवमट्ठभागावसेसे एत्थ णं इमे पराणरस कुलगरा समुप्पजिस्था, तंजहा-सुमई 1 पडिस्सुई 2 सीमंकरे 3 सीमंधरे ? खेभंकरे 5 खेमंधरे 6 विमलवाहणे 7 चक्खुमं = जसमं 1 अभिचंदे 10 चंदाभे 11 पसेणई 12 मरुदेवे 13 णाभी 14 उसमे ति॥सूत्र२८॥ तत्थ णं सुमई 1 पडिस्सुइ 2 सीमंकर 3. सीमंधर 4 खेमंकरा 5 णं एतेसि पंचराहं कुलगराणं हकारे णामं दराडणीई होत्था, ते णं मणुया हक्कारेणं दंडेणं हया समाणा लजिया विलजिया वेड्डा भीश्रा तुसिणीया विणश्रोणया चिट्ठति 1 / तत्थ णं खेमंधर 6 विमलवाहण 7 चक्खुमं 8 जसमं 1 अभिवंदाणं 10 एतेसि णं पंचराहं कुलगराणं मकारे णामं दंडणीई होत्था, ते णं सणुया मकारेणं दंडेणं हया समाणा जाव चिट्ठति 2 / तत्थ णं चंदाम 11 पसेणइ 12 मरुदेव 13 णाभि 14 उसभाणं 15 एतेसि णें पंचगहं कुलगराणं धिक्कारे णाम दंडणीइ होत्था, ते णं मणुया धिक्कारेणं दंडेणं हया समाणा जाव चिट्ठति 3 // सूत्रं 21 // णाभिस्स णं कुलगरस्स महदेवाए भारियाए कुच्छिसि एत्थ णं उसहे णामं परहा कोसलिए पढमराया पढमजिणे पढमकेवली पढमतित्थकरे पढमधम्मवरचकवट्टी समुप्पजित्थे 1 /
SR No.004368
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1978
Total Pages532
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_jambudwipapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, & agam_vrushnidasha
File Size13 MB
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