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________________ 480 ] / श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिति 2 / एवं खलु जंबू ! समणेणं निक्खेवश्रो 3 // सू०८२ // 3 // जइ णं भंते उक्खेवयो एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं 2 रायगिहे नामं नगरे, गुणसिलए चेइए, सेणिए राया, सामी समोसढे, परिसा निग्गया॥ सू 0 83 // तेण कालेणं 2 बहुपुत्तिया देवी सोहम्मे कप्पे बहुपुत्तिए विमाणे सभाए सुहम्माए बहुपुत्तियंसि सीहासणंसि चउहि सामाणियसाहस्सीहि चाहिं महत्तरियाहिं जहा सूरियाभे भुजमाणी विहरइ, इमं च णं केवलकप्पं जंबुद्दीवं दीवं विउलेणं योहिणा श्राभोएमाणी 2 पासति 2 समणं भगवं महावीरं जहा सूरियाभो जाव णमंसित्ता सीहासणवरंसि पुरच्छाभिमुहा सन्निसन्ना 1 / श्राभियोगा जहा सूरियाभस्स, सूसरा घंटा, अाभियोगियं देवं सद्दावेइ, जाणविमाणं जोयणसहस्सविच्छिण्णं, जाणविमाणवराणो, जाव उत्तरिल्लेणं निजाणमग्गेणं जोयणसाहस्सिएहिं विग्गहेहि भागता जहा सूरियाभे, धम्मकहा सम्मत्ता 2 / तते णं सा बहुपुत्तिया देवी दाहिणं भुयं पसारेइ देवकुमाराणं अटुंसयं, देवकमारियाण य वामाश्रो भुयायो 108, तयाणंतरं च णं बहवे दारगा य दारियायो य डिभिए य डिभियायो य विउव्वइ, नट्टविहिं जहा सूरियाभो उवदंसित्ता पडिगते 3 // सू 0 84 // भंते ति भयवं गोयमे समणं भगवं महावीर वंदइ नमसति कूडागारसाला बहुपुत्तियाए णं भंते ! देवीए सा दिव्वा देविड्डी पुच्छा जाव अभिसमराणागता 1 / एवं खलु गोयमा ! तेणं कालेणं 2 वाणारसी नामं नगरी, अंबसालवणे चेइए 2 / तत्थ णं बाणारसीए नगरीए भद्दे नामं सत्थवाहे होत्था, अड्डे जाव अपरिभूते 3 / तस्स णं भदस्स य सुभदा नाम भारिया सुकुमाला वंझा अवियाउरी जाणुकोप्परमाता यावि होत्था 4 // सू० 85 // तते णं तीसे सुभदाए सत्थवाहीए अन्नया कयाइ पुव्यरत्तावरत्तकाले कुटुंबजागरियं इमेयारूवे जाव संकप्पे समुप्पजित्था-एवं खलु अहं भद्देणं सत्थवाहेणं सद्धिं विउलाई भोगभोगाइं भुजमाणी विहरामि,
SR No.004368
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1978
Total Pages532
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_jambudwipapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, & agam_vrushnidasha
File Size13 MB
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