________________ 74 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: सप्तमो विभागः अम्हं इमं जाव विणमी इत्थीरयणं णमी रयणाणि समप्पेइ 3 / तए णं से भरहे राया जाव पडिविसज्जेइ 2 ता पोसहसालाश्रो पडिणिक्खमइ 2 त्ता मजणघरं अणुपविसइ 2 ता भोगणमंडवे जाव नमिविनमीणं विजाहरराईणं अट्ठाहिश्र महामहिमा 4 / तए णं से दिवे चक्करयणे श्राउहघरसालायो पडिणिक्खमइ जाव उत्तरपुरस्थिमं दिसिं गंगादेवी-भवणाभिमुहे पयाए श्रावि होत्था 5 / सच्चेव सव्वा सिंधुवत्तव्वया जाव नवरं कुंभट्ठसहस्सं रयणचित्तं णाणा-मणि-कणग-रयण-भत्तिचित्ताणि श्र दुवे कणगसीहासणाई सेसं तं चेव जाव महिमत्ति 6 // सूत्रं 64 // तए णं से दिव्वे चक्करयणे गंगाए देवीए अट्टहियाए महामहिमाए निव्वत्ताए समाणीए पाउहघरसालाथो पडिणिक्खमइ२त्ता जाव गंगाए महाणईए पञ्चस्थिमिल्लेणं कूलेणं दाहिणदिसि खंडप्पवायगुहाभिमुहे पयाए अावि होत्था 1 / तते णं से भरहे राया जाव जेणेव खंडप्पवायगुहा तेणेव उवागच्छइ 2 ता सव्वा कयमालकवत्तव्वया अव्वा णवरि पट्टमालगे देवे पीतिदाणं से पालंकारिअभंडं कडगाणि असेसं सव्वं तहेव जाव अट्ठाहिया महामहिमत्ति 2 / तए णं से भरहे राया णट्टमालगस्स देवस्स अट्ठाहिआए महामहिमाए णिवत्ताए समाणीए सुसेणं सेणावई सद्दावेइ 2 त्ता जाव सिंधुगमो अव्वो, जाव गंगाए महाणईए पुरथिमिल्लं णिक्खुडं सगंगासागरगिरिमेरागं समविसमणिक्खुडाणि अ श्रोवेइ 2 ता अग्गाणि वराणि रयणाणि पडिच्छइ 2 ता जेणेव गंगा महाणई तेणेव उवागच्छ। 2 त्ता दोच्चंपि सक्खंधावारबले गंगामहाणई विमलजलतुंगवीइं णावाभूएणं चम्मरयणेणं उत्तरइ 2 ता जेणेव भरहस्स रराणो विजयखंधावारणिवेसे जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला तेणेव उवागच्छइ 2 ता श्राभिसेक्कानो हत्थिरयणायो पचोरुहइ 2 ता अग्गाई . वराई रयणाई गहाय जेणेव भरहे राया तेणेव उवागच्छइ 2 ता करयलपरिग्ग