________________ श्रीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्र :: तृतीयो वक्षस्कारः ] [ 75 हियं जाव अंजलिं कटु भरहं रायं जएणं विजएणं वद्धावेइ 2 ना अग्गाई वराई रयणाई उवणेइ 3 / तए णं से भरहे राया सुसेणस्स सेणावइस्स अग्गाई वराई रयणाई पडिच्छइ 2 ता सुसेणं सेणावई सकारेइ सम्माणेइ 2 त्ता पडिविसज्जेइ 4 / तए णं से सुसेणे सेणावई भरहस्स रगणो सेसंपि तहेव जाव विहरइ 5 / तए णं से भरहे राया अरणया कयाइ सुसेणं सेणावइरयणं सद्दावेइ 2 त्ता एवं वयासी-गच्छराणं भो देवाणुप्पिश्रा ! खंडगप्पवायगुहाए उत्तरिलस्स दुवारस्त कवाडे विहाडेहि 2 ता जहा तिमिसगुहाए तहा भाणिश्रव्वं जाव पिनं भे भवउ सेसं तहेव जाव भरहो तिमिस्सगुहाए उत्तरिल्लेणं दुवारेणं अईइ 6 / ससिव्व मेहंधयार. निवहं तहेव पविसंतो मंडलाई प्रालिहइ 7 / तीसे णं खंडगप्पवायगुहाए बहुमज्झदेसभाए जाव उम्मग्गणिमग्गजलायो णाम दुवे महाणईश्रो तहेव णवरं पचत्थिमिल्लायो कडगारों पढायो समाणीयो पुरस्थिमेणं गंगं महाणई समप्पेंति 8 / सेसं तहेव णवरि पचत्थिमिल्लेणं कूलेणं गंगाए संकमवत्तव्वया तहेवत्ति 1 / तए णं खंडगप्पवायगुहाए दाहिणिलस्स दुवारस्स कवाडा सयमेव महया 2 कोंचारवं करेमाणा 2 सरसरस्सगाई ठाणाई पच्चोसकित्था 10 / तए णं से भरहे राया चक्करयणदेसियमग्गे जाव खंडगप्पवायगुहायो दविखणिल्लेणं दारेणं णीणेइ ससिव्व मेहंधयारनिवहायो 11 // सूत्रं 65 // तए णं से भरहे राया गंगाए महाणईए पञ्चथिमिल्ले कूले दुवालसजोत्रणायामं णवजोत्रणविच्छिराणं जाव विजयखंधावारणिवेसं करेइ, अवसिटुंतं चेव जाव निहिरयणाणं अट्ठमभत्तं पगिराहइ. 1 / तए णं से भरहे राया पोसहसालाए जाब णिहिरयणे मणसि करेमाणे करेमाणे चिट्टइत्ति 2 / तस्स य अपरिमियरत्तरयणा धुमक्खयमव्वया सदेवा लोकोपचयंकरा उवगया णव णिहिश्रो लोगविस्सुअजसा, तंजहा-'नेसप्पे 1 पंडुपए 2 पिंगलए 3 सव्वरयण 4 महपउमे 5 /