________________ 328 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / सप्तमो विभागः वराणे कायंबंधे य॥ 3 // इंदग्गी धूमकेतू , हरि पिंगलए बुधे य सुक्के य। बहस्सइ राहु अगत्थी, माणवए कामफासे य // 4 // धुरए पमुहे वियडे, विसंधिकप्पे तहा पयल्ले य / जडियालए य अरुणे अग्गिल काले महाकाले // 5 // सोत्थिय सोवत्थिय वद्धमाणगे तहा पलंबे य। णिचालोए णिच्चुजोए, सयंपमे चेव श्रोभासे // 6 // सेयंकर खेमंकर, श्राभंकर पभंकरे य बोद्धव्वे / अरए विरए य तहा, असोग तह वीयसोगे य॥७॥ विमले वितत विवत्थे, विसाल तह साल सुब्बए चेव / अणियट्टी एगजडी य होइ बियडी य बोद्धब्वे // 8 // कर करिए रायग्गल, बोद्धव्वे पुष्फभावे केऊ य। अट्ठासीइ गहा खलु, नेयव्वा श्रणुपुव्वीए // 1 // इय एस पागडत्था, अभब्वजणहियय-दुल्लभा इणमो / उक्कित्तिया भगवती जोइसरायस्स पराणत्ती // 1 // एस गहियावि संती, थद्धे गारवियमाणपडिणीए। अबहुस्सुए ण देया, तविवरीए भवे देया // 2 // (सद्धा)धिइउट्ठाणुच्छाहकम्मबलविरिय-पुरिसकारेहिं / जो सिक्खिनोवि संतो, अभायणे पक्खिविजाहि // 3 // सो पवयणकुलगण-संघबाहिरो णाणविणय-परिहीणो / अरहंत-थेरगणहरमेरं किर होइ वोलीणो॥४॥ तम्हा धिइउटाणुच्छाहकम्मबलवीरियसिक्खियं नाणं / धारेयव्वं णियमा, ण य अविणएसु दायव्वं // 5 // वीरवरस्स भगवतो, जरमरण-किलेस-दोसरहियस्स / वंदामि विणयपणतो सोक्खुप्पाए सया पाए // 6 // सूत्रं 107 // वीसइमं पाहुडं समत्तं / / चंदपन्नत्ती समत्ता // . // इति विंशतितमं प्राभूतम् // 20 // // इति श्री चन्द्रप्रज्ञप्तिः समाप्ता // [ग्रन्थाग्रं 2200]