________________ 60 ] .... [ श्रीमदागमसुधांसिन्धुः / सप्तमो विभागः वत्थाई पवरपरिहिए, अप्प-महग्याभरणालंकियसरीरे धूव-पुष्फ-गंधमल्लहत्थगए मजणघरानो पडिणिक्खमइ 2 चा जेणेव तिमिसगुहाए दाहिणिलस्स दुवारस्स कवाडा तेणेव पहारेत्थ गमणाऐ 2 / तए णं तस्स सुसेणस्स: सेणावइस्स बहवे राईसरतलवरमाइंबित्र जाव सस्थवाहप्पभियत्रो अप्पेगइथा उप्पलहत्थगया जाव सुसेणं सेणावई पिट्टो 2. श्रणुगच्छंति 3 / तए णं तस्स सुसेणस्स सेणावइस्स बहूईयो खुजात्रो चिलाइअायो जाव इंगित्र-चिंतित्र--पत्थित्र-विश्राणिग्राउ णिउणकुसलायो विणीपात्रो अप्पेगइशायो कलसहत्यगयाो जाव अणुगच्छंतीति / तए णं से सुसेणे सेणावई सविद्धीए सव्वजुईए जाव णिग्घोसणाइएणं जेणेव तिमिसगुहाए दाहिणिलस्स दुवारस्स कवाडा तेणेव उवागच्छइरत्ता बालोए पणामं करेइ २त्ता लोमहत्थगं परामुसइरत्ता तिमिसगुहाए. दाहिणिलस्स दुवारस्स कवाडे लोमहत्येणं पमन्जइ 2 ता दिव्वाए उदगधाराए अब्भुक्खेइ 2 ता सरसेणं गोसीसचंदणेणं पंचंगुलितले चचए दलइ 2 ता अग्गेहि वरेहिं गंधेहि श्र मल्लेहि श्र अचिणेइ 2 ता पुष्फारहणं जाव वत्थारुहणं करेइ 2. त्ता भासत्तोसत्तविपुलवट्ट जाव करेइ 2 ता अच्छेहि सरहेहि रययामएहिं श्रच्छरसातंडुलेहिं तिमिस्सगुहाए दाहिणिलस्स दुवारस्स कवाडाणं पुरो अट्ठमंगलए श्रालिहइ, तंजहा-सोत्थिय सिरि. बच्छ जाव कयग्गहगहिश्र-करयल-पभट्ठविप्पमुक्कस्स दसद्धवराणस्स कुसुमणिगरस्स तत्थ चित्तं जाणुस्सेहपमाणमित्तं श्रोहिनगरं करेत्ता चंदप्पभ-वइर. वेरुलित्र-विमलदंडं नाव धूवं दलयइ 2 ता वामं जाणु अंचेइ 2 ता करयल जाव मत्थए अंजलि कटु कवाडाणं पणाम करेइ 2 त्ता दंडरयणं परामुसइ 5 / तए णं तं दंडरयणं पंचलइयं वइरसारमइयं विणासणं सव्वसत्तुसेगणाणं खंधावारे णरवइस्स. गड्ड-दरि-विसम-पन्भार-गिरिवरपवायाणं समीकरणं संतिकरं सुभकर हितकरं रगणो हिअइच्छिश्रमणोरह.