________________ भीमज्जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग सूत्र : तृतीयो वक्षस्कारः ] [61 पूरगं दिबमप्पडिहयं दंडरयणं गहाय सत्तट्ट पयाई पच्चोसकइ पच्चोसकित्ता तिमिस्सगुहाए दाहिणिलस्स दुवारस्स कवाडे दंडरयणेणं महया 2 सद्दे णं तिक्खुत्तो पाउडेइ 6 / तए णं तिमिसगुहाए दाहिणिलस्स दुवारस्स कवाडा सुसेणसेणावइणा दंडरयणेणं महया 2 सद्देणं तिक्खुत्तो पाउडिया समाणा महया 2 सद्दे णं कोंचारखं करेमाणा सरसरस्स सगाई 2 ठाणाई पच्चोसक्कित्था 7 / तए णं से सुसेणे सेणावई तिमिसगुहाए दाहिणिल्लस्स दुवारस्स कवाडे विहाडेइ 2 ता जेणेव भरहे राया तेणेव उवागच्छई 2 ता जाव भरहं रायं करालपरिग्गहिणं जएणं विजएणं वद्धावेइ 2 ता एवं वयासी-विहाडिया णं देवाणुप्पिा ! तिमिसगुहाए दाहिणिलस्स दुवारस्स कवाडा एअरणं देवाणुप्पित्राणं पिघं णिवेएमो पिनं भे भवउ 8 | तए णं से भरहे राया सुसेणस्स सेणावइस्स अंतिए एमटुं सोचा निसम्म हट्टतुट्टचित्तमाणदिए जाव हिश्रए सुसेणं सेणावई सकारेइ सम्माणेइ सकारिता सम्माणित्ता कोडंबिअपुरिसे सद्दावेइ २त्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिा ! श्राभिसेक्कं हत्थिरयणं पडिकप्पेह हयगयरहपवर तहेव जाव अंजणगिरि-कूडसरिणभं गयवरं णरवई दूरुढे 1 // सूत्रं 53 // तए णं से भरहे राया मणिरयणं परामुसइ तोतं चउरंगुलप्पमाणमित्तं च अणग्धं तंसिय छलंसं श्रणोवमजुई दिव्वं. मणिरयण-पतिसमं - वेरुलियं सव्वभूकंतं जेण य मुद्धागएणं दुक्खं ण किंचि जाव हवइ: आरोग्गे अ सव्वकालं तेरिच्छित्र-देवमाणुसकया य उवसग्गा. सव्वे ण करेंति तस्स दुक्खं 1 / संगामेऽवि असत्थवज्झो होइ णरो मणिंवर धेरैता ठिश्र-जोव्वण-केस-श्रवट्ठिश्रणहो हवइ अ सव्वभयविप्पमुक्को, तं मणिरयणं गहाय से गवई हत्थिरयणस्स दाहिणिलाए कुंभीए. णिक्खिवइ 2 / तए णं से भरहाहिवे णरिदे हारोत्थए सुकयरइअवच्छे जाव अमरवइससिणभाए. इद्धीए पहिकित्ती मणिरयणकउज्जोए चक्करयण