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________________ 2 ) ( श्रीमदागमसुधासिन्धुः सप्तमो विभागः य सत्तावीसे जोयणसए तिगिण य कोसे अट्ठावीसं च धणुसयं तेरस अंगुलाई श्रद्धंगुलं च किंचिविसेसाहियं परिक्खेवेणं पराणत्ते // सू० 3 // से णं एगाए वइरामईए जगईए सधश्रो समंता संपरिक्खित्ते 1 / साणं जगई अट्ट जोयणाई उट्ट उच्चत्तेणं मूले बारस जोषणाई विक्खंभेणं मज्झे अट्ठ जोयणाई विक्खंभेणं उवरिं चत्तारि जोत्रणाई विक्खंभेणं मूले विच्छिन्ना मज्झे संक्खित्ता उवरिं (प्पिं) तणुया गोपुच्छसंठाणसंठिया सव्ववइरामई अच्छा सराहा लण्हा घट्टा मट्ठा णीरया णिम्मला णिप्पंका णिक्कंकडच्छाया सप्पभा समिरीया सउज्जोया पासादीया दरिमणिजा अभिरुवा पडिरूवा, सा णं जगई एगेणं महंतगवक्ख (जाल) कडएणं सव्वश्रो समंता संपरिक्खित्ता 2 / से णं गवक्खकडए श्रद्धजोत्रणं उड्ड उच्चत्तेणं पंच धणुसयाई विक्खंभेणं सव्वरयणामए अच्छे जाव पडिरूवे 3 / तीसे णं जगईए उप्पि बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महई एगा पउमवरवेइया पराणत्ता, श्रद्धजोयणं उड्ड उच्चतेणं पंच धणुसयाई विक्खंभेणं जगईसमिया परिक्खेवेणं सबरयणामई अच्छा जाव पडिरूवा 4 / तीसे णं पउमवरवेइयाए अयमेयाख्वे वराणावासे पराणत्ते, तंजहा-वइरामया ोमा एवं जहा जीवाभिगमे जाव अट्ठो जाव धुवा णियया सासया जाव णिचा 5 // सूत्रं 4 // तीसे णं जगईए उप्पिं बाहिं पउमवरवेइयाए एत्थ णं महं एगे वणसंडे पराणत्ते, देसूणाई दो जोत्रणाई विक्खंभेणं जगईसमए परिक्खेवेणं वणसंडवण्णो णेयव्वो // सूत्रं 5 // तस्स णं वणसंडस्स अंतो बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पराणत्ते से जहाणामए थालिंगपुक्खरेइ वा जाव णाणाविहपंचवराणेहिं मणीहिं तणेहि उवसोभिए, तंजहा-किराहेहिं एवं वराणो गंधो रसो फासो सद्दो पुक्खरिणीयो पव्वयगा घरगा मंडवगा पुढविसिलावट्टया णेयव्वा 1 / तत्थ णं बहवे वाणमंतरा देवा य देवीयो य श्रामयंति सयंति चिट्ठति णिसीति तुअट्टति रमंति ललंति कीलंति मोहंति, पुरापोराणाणं सुपरक्कंताणं सुभाणं
SR No.004368
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1978
Total Pages532
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_jambudwipapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, & agam_vrushnidasha
File Size13 MB
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