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________________ श्रीमत्सूर्यप्रज्ञप्ति सूत्रं : प्रा० 10 प्रा० 9 ) [ 383 // अथ दशमप्राभते नवमं प्राभूतप्राभतम् // ता कहं ते तारग्गे अाहितेति वदेजा ?, ता एतेसि णं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं अभीईणक्खत्ते कतितारे पराणत्ते ?, तितारे पराणत्ते 1 / सवणे. णखत्ते कतितारे पराणते ?, तितारे पराणत्ते 2 / धनिट्ठाणक्खत्ते कतितारे पराणते ?, पणतारे पराणत्ते 3 / सतभिसयाणक्खत्ते कतितारे पराणत्ते ?, सततारे पराणत्ते 4 / पुव्वापोट्टवता कतितारे पराणत्ते ?, दुतारे पराणत्ते 5 / एवं उत्तरावि.६ / रेवतीणक्खत्ते कतितारे पराणते ?, बत्तीसतितारे पराणत्ते। अस्सिणीणक्खत्ते कतितारे पराणते ?, तितारे पराणत्ते 8 / एवं सव्वे पुच्छिज्जंति, भरणी तितारे पराणत्ते 1 / कत्तिया छतारे पराणते 10 / रोहिणी पंचतारे पराणत्ते 11 / सवणे तितारे पराणत्ते 12 / श्रद्दा एगतारे पराणत्ते 13 // पुणव्वसू पंचतारे पराणत्ते 14 / पुस्से णक्खत्ते तितारे पराणत्ते 15 / अस्सेसा छत्तारे पन्नत्ते 16 / महासत्ततारे पराणत्ते 17 / पुवाफग्गुणी दुतारे पन्नत्ते 18 / एवं उत्तरावि 11 / हत्थे पंचतारे पराणत्ते 20 / चित्ता एकतारे पराणत्ते 21 / साती एकतारे पराणत्ते 22 / विसाहा पंचतारे पराणत्ते 23 / अणुराहा पंचतारे पराणत्ते 24 / जेट्ठा तितारे परागात्ते 25 / मूले एगतारे पराणत्ते 26 / पुव्वासादा चउत्तारे पराणत्ते 27 / उतरासाढाणक्खत्ते चउतारे पराणत्ते 28 // सूत्रं 42 // दसमस्स पाहुडस्स नवमं पाहुडपाहुडं समत्तं // 10 // // अथ दशमप्राभते दशमं प्राभृतप्राभतम् // ता कहं ते णेता आहितेति वदेजा ?, ता वासाणं पढमं मासं कति णवखत्ता णति ?, ता चत्तारि णक्खत्ता णिति, तंजहा-उत्तरासाढा अभिई सवणो धणिट्ठा, उत्तरासाढा चोदस अहोरत्ते णेति, अभिई सत्त अहोरत्ते णेति, सवणे अट्ठ अहोरत्ते णेति धणिट्ठा एगं अहोरत्तं नेइ, तंसि णं मासंसि चउरंगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरियट्टति, तस्स णं मासस्स चरिमे दिवसे दो पादाई चत्तारि य अंगुलाणि पोरिसी भवति 1 / ता
SR No.004368
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1978
Total Pages532
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_jambudwipapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, & agam_vrushnidasha
File Size13 MB
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