________________ श्रामच्चन्द्रप्रज्ञाप्त सूत्र प्रा० 1: प्रा० प्रा० 1 ] अाहितेत्ति वदेज्जा // सू० 8 // ता जया णं सूरिए सव्वभंतरातो मंडलातो सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, सव्वबाहिरातो मंडलातो सव्वन्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, एस णं श्रद्धा केवतियं राइदियग्गेणं अाहितेत्ति वदेजा ? ता तिरिण छाव? राइंदियसएइं रातिदियग्गेणं अाहितेत्ति वदेजा // सू० 1 // ता एयाए णं श्रद्धाए सूरिए कइ मंडलाई चरइ ? कइ मंडलाइं दुक्खुत्तो चरइ ? कइ मंडलाइं एगखुत्तो चरइ ? ता चुलसीयं मंडलसयं चरइ, बासीति मंडलसयं दुक्खुत्तो चरइ, तं जहा-विक्खममाणे चेव पविसमाणे चेव 1 / दुवे य खलु मंडलाई सई चरइ, तं जहा-सव्वन्भंतरं चेव मंडलं, सब्बबाहिरं चेव मंडलं 2 // सू० 10 // जइ खलु तस्सेव पाइञ्चस्स संवच्छरस्स सइं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, सई अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ, सई दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ, सई दुवालसमुहुत्ता राई भवइ 1 / ता पढमे छम्मासे अत्थि अट्ठारसमुहुत्ता राई, नत्थि अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे, अत्थि दुवालसमुहुत्ते दिवसे, नत्थि दुवालसमुहुत्ता राई भवइ 2 / दोच्चे छम्मासे त्थि अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे, णत्थि अट्ठारस. मुहुत्ता राई, अस्थि दुवालसमुहुत्ता राई, णत्थि दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ 3 / पढमे वा छम्मासे दोच्चे वा छम्मासे णत्थि पणरसमुहुत्ते दिवसे भवइ, णत्थि पणरसमुहुत्ता राई भवइ 4 / जं णं पढमे वा छम्मासे दोच्चे वा छम्मासे णत्थि पराणरसमुहुत्ते दिवसे भवति, णत्थि पराणरसमुहुत्ता राती भवति तत्थ णं कं हेडं वएज्जा ? ता अयराणं जंबुद्दीवे दीवे सव्वदीवसमुदाणं सव्वन्भंतराए जाव विसेसाहिए परिक्खेवेणं पराणत्ते 5 / ता जयाणं सूरिए सव्वन्भंतरमंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहरिणया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ 6 / से निक्खममाणे सूरिए नवं संवच्छरं श्रयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि अभितराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ 7 / ता जया णं सूरिए अभितरा